Sunday 30 November 2014

कलेक्टर से ज्यादा सक्रियता है अजमेर के डीसी की

कलेक्टर से ज्यादा सक्रियता है अजमेर के डीसी की
आम तौर पर प्रशासनिक क्षेत्रों में जिला स्तर पर कलेक्टर को ही सक्रिय मानाजाता है, लेकिन स्मार्ट सिटी बनने जा रहे अजमेर डिविजनल कमीश्नर धर्मेन्द्र भटनागर ज्यादा ही सक्रिय नजर आ रहे हैं। डीसी की पहल का जिले के नागरिकों ने स्वागत किया है। 30 नवम्बर को जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एक दिवसीय दौरे पर अजमेर आईं तो अखबारों में डीसी की सक्रियता प्रमुखता से छपी। डीसी भटनागर ने अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के नाते घोषणा की कि प्राधिकरण के क्षेत्रीय कार्यालय अब पुष्कर और किशनगढ़ में भी खोल दिए गए हैं। प्राधिकरण से जुड़ी समस्याएं अब क्षेत्रीय कार्यालयों में दर्ज कराई जा सकती है। इसी प्रकार प्राधिकरण के मुख्यालय में शनिवार औररविवार को भी सरकारी कार्य होने की बात कही। इससे पहले भी भटनागर अजमेर की जन समस्याओं पर सक्रियता दिखा चुके हैं। अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के मुद्दे पर भी भटनागर अपनी सक्रियता दिखा चुके हैं। डीसी की सक्रियता प्रशासनिक क्षेत्र में कितनी सफल होती है, यह आने वाला समय ही बताएगा। अलबत्ता माना जा रहा है कि भटनागर पर सीएम राजे का पूरा भरोसा है। -(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

दिखावा रहा मुख्यमंत्री का अजमेर दौरा

दिखावा रहा मुख्यमंत्री का अजमेर दौरा
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का 30 नवम्बर का अजमेर दौरा मात्र दिखावा बनकर रह गया। मुख्यमंत्री ने न तो कोई घोषणा की और न ही किसी समस्या के समाधान का भरोसा दिलाया। हालांकि मुख्यमंंत्री की अजमेर यात्रा ऐतिहासिक मेयो कॉलेज के वार्षिक समारोह में भाग लेने के लिए आई थी। लेकिन मुख्यमंत्री के अजमेर आगमन को देखते हुए अजमेर उत्तर के विधायक व शिक्ष राज्यंत्री वासुदेव देवनानी और अजमेर दक्षिण की विधायक व महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने भी अपना-अपना कार्यक्रम निर्धारित करवा लिया। सीएम ने जिस तरह से इन दोनों मंत्रियों के कार्यक्रमों को निपटाया उससे प्रतीत हो रहा था कि उन कार्यक्रमों में सीएम की कोई रूचि नहीं है। आमतौर पर लोकार्पण अथवा शुभारंभ के समारोह के बाद मुख्यमंत्री का संबोधन भी होता है, लेकिन 30 नवम्बर को सीएम ने दोनों ही कार्यक्रमों में संबोधन नहीं किया। वैसे भी देवनानी और भदेल के कार्यक्रम सीएम की प्रतिष्ठा के अनुरूप नहीं थे। देवनानी के क्षेत्र में जहां सीएम ने सरकारी अस्पताल में पहले से चल रहे आईसीयू वार्ड का लोकार्पण किया, वहीं भदेल के क्षेत्र में एक आंगनबाड़ी केन्द्र का शुभारंभ किया। सीएम ने इन दोनों कार्यक्रमों में गई जरूर लेकिन साफ लग रहा था कि उनकी रूचि नहीं है। भले ही सीएम ने सार्वजनिक तौर पर अपनी नाराजगी नहीं जाहिर की हो, लेकिन उनके हाव-भाव से झलक रहा था कि सिर्फ मंत्रियों की संतुष्टि के लिए ही आई हैं। दोनों ही समारोह में सीएम ने अपने मंत्रियों की प्रशंसा भी नहीं की। आमतौर पर ऐसे कार्यक्रमों में विद्यालय और संबंधित मंत्री की प्रशंसा की जाती है। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि जब 30 नवम्बर को सीएम मेयो कॉलेज के समारोह में राजा महाराजाओं के बीच उपस्थित थी तो वही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े विश्व हिन्दू परिषद और संस्कृत भारती संगठन की ओर से भारतीय संस्कृति को बचाने वाले कार्यक्रम चल रहे थी। विहिप की दुर्गा वाहिनी लव-जेहाद में हिन्दू लड़कियों को बचाने और संस्कृत भारती संस्कृत भाषा को जिंदा रखने की रणनीति बना रही थी। वहीं लोकतांत्रिक प्रणाली से बनी सीएम वसुंंधरा राजे को मेयो कॉलेज के समारोह में महारानी शब्द से नवाजा गया। इसी प्रकार सीएम ने भी राजघरानों में जुड़े व्यक्तियों को राजा और महाराजा कहा। मालूम हो कि राजे ग्वालियर और राजस्थान के धौलपुर घराने से जुड़ी हुई है।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

सीएम के दौरे में जाट की मौजूदगी चर्चा बनी

सीएम के दौरे में जाट की मौजूदगी चर्चा बनी
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के रविवार के दौरे में अजमेर के सांसद और केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री प्रो.सांवरलाल जाट की गैर मौजूदगी राजनैतिक क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी रही। रविवार को मुख्यमंत्री ने अपने अजमेर प्रवास में जहां मेयो कॉलेज के वार्षिक समारोह में भाग लिया, वहीं जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में आईसीयू यूनिट का लोकार्पण तथा तोपदड़ा क्षेत्र में आदर्श आंगनबाड़ी केन्द्र का शुभारंभ भी किया। इन दोनों ही सरकारी कार्यक्रमों में प्रो. जाट को भी उपस्थित रहना था, इसलिए लोकार्पण और शुभारंभ के बोर्डों पर मुख्यमंत्री के साथ-साथ केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री का नाम भी लिखा गया था। दोनों ही कार्यक्रमों के सरकारी अधिकारियों ने प्रो.जाट से आने का आग्रह भी किया था। प्रो.जाट मुख्यमंत्री के दौरे में साथ रहने के लिए शनिवार को अजमेर भी आ गए, लेकिन रविवार को जाट किसी भी समारोह में नजर नहीं आए। प्रो.जाट की गैर मौजूदगी राजनैतिक क्षेत्रों में चर्चा का विषय बनी हुई है। वहीं भाजपा के देहात जिलाध्यक्ष प्रो.बी.पी.सारस्वत ने कहा कि प्रो.जाट के कार्यक्रम पहले से ही निर्धारित थे, इसलिए वे रविवार को केकड़ी होते हुए फागी की ओर चले गए। उन्हें नहीं पता कि मुख्यमंत्री के लोकार्पण और शुभारंभ समारोह के बोर्डों पर केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री का नाम किस तरह लिखा गया।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

निर्वस्त्र हो गई अजमेर पुलिस

निर्वस्त्र हो गई अजमेर पुलिस
30 नवम्बर को जब प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे अजमेर में थी, तब दैनिक भास्कर के अजमेर संस्कारण में छह कॉलम में एक खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई। इस खबर में अजमेर पुलिस कंट्रोल रूप के प्रभारी इंस्पेक्टर हनुवंत सिंह भाटी को एक महिला के घर पर अद्र्धनग्न अवस्था में दिखाया गया। शायद नीचे के हिस्से को काट कर भास्कर ने थोड़ी लाज रख ली, अन्यथा ओरीनजल फोटो तो पूरा ही निर्वस्त्र था। यह वो ही सीआई भाटी है, जिनकी पत्नी श्रीमती चेतना भाटी अजमेर में ही ट्रेफिक पुलिस की इंस्पेक्टर हैं।
श्रीमती भाटी पर पिछले दिनों उनके पति की प्रेमिका ज्योति टांक ने बुरी तरह पीटने का आरोप लगाया था। इसमें कोई दो राय नहीं श्रीमती भाटी एक स्वाभिमानी राजपूत महिला हैं और उन्होंने पुलिस की नौकरी भी दिलेरी के साथ की है, लेकिन उनके पति की रंगीन  मिजाजी की वजह से वे होश भी खो बैठी हैं, इसलिए अजमेर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शरद चौधरी के विरुद्ध भी षडय़ंत्र का मुकदमा दर्ज करवा दिया है। हनुवंत, चेतना और ज्योति को लेकर जिस तरह खबरें प्रकाशित हो रही हैं, उससे अजमेर पुलिस पूरी तरह निर्वस्त्र हो गई है।
हालांकि अजमेर में रेंज के आईजी अमृत कलश भी बैठते हैं और कलश दैनिक भास्कर भी पढ़ते हैं। अब आईजी साहब को ही बताना होगा कि अजमेर पुलिस की जग हंसाई कब तक कराते रहेंगे। सवाल यह नहीं है कि दोषी कौन है, सवाल यह है कि जिस पुलिस का काम न्यायपूर्ण व्यवस्था करना है, वह पुलिस चौराहे पर निर्वस्त्र खड़ी है। वह भी तब जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे अजमेर में हैं। माना की सीआई दम्पत्ति को कोई पुलिस की इज्जत की कोई परवाह नहीं है, लेकिन आला अफसरों की तो कोई जिम्मेदारी होगी। 30  नवम्बर के भास्कर में सीआई भाटी और उनकी प्रेमिका ज्योति के बीच हुए एसएमएस की जो डिटेल छपी है, उससे तो आज के युवा भी शर्मशार हो रहे हैं। हो सकता है कि आने वाले दिनों में ट्रेफिक इंस्पेक्टर किसी बड़े अफसर का सीक्रेट उजागर कर दें। अच्छा तो सीआई दम्पत्ति को किसी शांतिपूर्ण और अध्यात्मवाली पोस्ट पर नियुक्त कर दिया। इसके साथ ही निर्वस्त्र हुई, अजमेर पुलिस को फिर से कपड़े पहनाए जाएं।
-(एस.पी.मित्तल)((spmittal.blogspot.in)

Saturday 29 November 2014

सांसद पद ने कराया लालू की बेटी का विवाह

सांसद पद ने कराया लालू की बेटी का विवाह
बिहार के पूर्व सीएम लालूप्रसाद यादव ने अपनी सातवें नम्बर की बिटिया राजलक्ष्मी के विवाह का रिश्ता समाजवादी प्रार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतनसिंह यादव के पोते रणवीर सिंह यादव के साथ पक्का कर दिया। अब राजलक्ष्मी और रणवीर का विवाह शीघ्र होगा। लालूप्रसाद भाग्यशाली है कि उन्हें सांसद दामाद मिला है। गत लोकसभा के चुनाव में लालू, उनकी पत्नी राबड़ी तथा बेटी मीसा सभी चुनाव हार गए। यानि लालू खानदान का कोई सदस्य सांसद नहीं बन पाया। सांसद विहिन लालू के खानदान में मुलायम सिंह ने एक सांसद को डाल दिया। अब लालू भी कह सकते है कि उनके खानदान में एक सांसद है। जानकारों की माने तो सांसद पद ने ही राजलक्ष्मी और रणवीर का रिश्ता कराया है। रणवीर पिछले दिनों हुए मैनपुरी के उपचुनावों में ही सांसद बने है। इस सीट को मुलायम ने खाली किया था। सांसद बनने से पहले रणवीर के लिए लालू से बात चली थी, लेकिन तब रणवीर को बेरोजगार मानते हुए लालू ने इंकार कर दिया, लेकिन हाल ही में जब मुलायम ने रणवीर को सांसद का रोजगार दिलवा दिया तो लालू ने राजलक्ष्मी का रिश्ता पक्का कर दिया। रणवीर लंदन में पढ़े है और मुलायम के अंग्रेजी वाले निजी कार्य संभालते है। मुलायम के पास अंग्रेजी में जो पत्र आते है, उनका जवाब रणवीर ही देते है। यानि मुलायम के राजनीतिक जीवन में रणवीर की महत्वपूर्ण भूमिका है। सातवें नंबर की पुत्री राजलक्ष्मी के विवाह के बाद लालू के परिवार में आठवें और नवें नम्बर के दो पुत्र कुंवारे रह जाएंगे। विवाह के लिए लालू को भी अपने बेटों के राजनीतिक रोजगार की तलाश है। जब लालू अपनी बिटिया के लिए सांसद दामाद चाहते है तो बेटोंं की चिंता लालू को अभी से है। लालू ने सातवीं बेटी का नाम राजलक्ष्मी इसलिए रखा, क्योंकि उसका जन्म 1990 में हुआ था और लालू 1990 में पहली बार बिहार के सीएम बने। लालू और मुलायम ने जो नया रिश्ता बना है उसका असर राजनीति पर कितना पड़ेगा, यह आने वाला समय ही बताएगा। उत्तरप्रदेश और बिहार में लालू-मुलायम गठबंधन की मांग हमेशा से ही उठती रही है। वर्तमान में फर्क इतना ही है कि यूपी में मुलायम का खानदान सत्ता में है जबकि बिहार में लालू का खानदान सत्ता से बाहर है। अगले वर्ष बिहार में विधानसभा चुनाव होने है, देखना है कि मुलायम कितनी मदद कर पाते है।

क्या कटारिया लाचार गृहमंत्री हैं?

क्या कटारिया लाचार गृहमंत्री हैं?
क्या गुलाबचंद कटारिया राजस्थान के लाचार गृहमंत्री हैं। यह सवाल इसलिए उठा क्योंकि 29 नवम्बर को जब विद्यार्थी परिषद के नेता जयपुर के पुलिस आयुक्त जंगा श्रीनिवास राव को हटाने की मांग को लेकर मिले तो कटारिया ने कहा कि उनका ज्ञापन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक पहुंचा दिया जाएगा। क्या कटारिया छात्रों और सीएम के बीच पोस्टमैन की भूमिका निभा रहे हैं? आखिर कटारिया प्रदेश के गृहमंत्री हैं और गृहमंत्री के अधीन ही पुलिस महकमा कार्य करता है। अच्छा होता कि अपने गृहमंत्री के अधिकारों का उपयोग करते हुए छात्रों को कोई आश्वासन देते।
माना कि पुलिस आयुक्त जैसे वरिष्ठ अधिकारी को हटाने में सीएम की राय भी जरूरी है लेकिन गृहमंत्री की अपनी भी कोई हैसियत होनी ही चाहिए और फिर कटारिया तो मंत्रिमंडल के सबसे प्रभावशाली सदस्य हैं। पुलिस से जुड़ी समस्याओं पर सिर्फ ज्ञापन लेने का ही कार्य है तो फिर गृहमंत्री के पद को रखने की जरूरत ही क्या है। इस मामले में खास बात यह है कि विद्यार्थी परिषद सत्तारूढ़ भाजपा का ही अग्रिम संगठन हैं और इस संगठन से जुड़े छात्रों पर ही पुलिस ने जमकर लाठीचार्ज किया। छात्र पुलिस आयुक्त के उस शपथ पत्र का विरोध कर रहे थे जिसकी वजह से हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ के चुनाव निरस्त कर दिए थे।

Friday 28 November 2014

फिर भी शराब बेच रही है सरकार

फिर भी शराब बेच रही है सरकार
सभी लोगों ने 28 नवम्बर को प्रदेश के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में आबकारी विभाग का एक विज्ञापन पढ़ा होगा। इस विज्ञापन में सरकार ने लोगों को बताया कि मदिरा का सेवन मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त हानिकारक है तथा मदिरा पान एक सामाजिक बुराई है। मदिरा के व्यसन से पारिवारिक जीवन में तनाव रहता है एवं परिवार को आर्थिक कठिनाईयों का भी सामना करना पड़ता है, इसलिए मदिरा का सेवन सभी प्रकार से हानिकारक हे। सवाल उठता है कि जब शराब की बुराइयों के बारे में सरकार सब समझती है तो फिर इसकी बिक्री क्यों की जा रही है? भारतीय संविधान में लिखा है कि जनता के वोट से चुनी सरकार ऐसा कोई काम नहीं करेगी, जो लोगों का स्वास्थ खराब करता हो तथा सामाजिक बुराई हो। यानि सरकार मदिरा की बिक्री कर राजस्थान की सरकार स्वयं ही संविधान के खिलाफ काम कर रही है। क्या ऐसी सरकार को बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए? यह लोकतंत्र का मजाक ही है कि एक ओर सरकार मदिरा को सामाजिक बुराई मान रही है, तो दूसरी ओर गली कूचों में दुकानें खोल कर शराब बेची जा रही है। यहां तक की लोगों के विरोध को दर किनार कर दुकानें खोली गई हैं। राजस्थान की मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे बताएं कि अखबारों में छपा विज्ञापन सही है या सरकार की शराब की बिक्री। विज्ञापन को पढऩे के बाद लगता है कि राजस्थान सरकार खुद ही सामाजिक बुराई को बढ़ावा देकर लोगों के घरों को तबाह कर रही है।
-(एस.पी.मित्तल) (spmittal.blogspot.in)

जबर्दस्त लोकप्रिय है सोशल मीडिया

जबर्दस्त लोकप्रिय है सोशल मीडिया
मैंने मार्बल किंग और आर.के.मार्बल के मालिक परम आदरणीय अशोक जी पाटनी, केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री प्रो. सांवरलाल जाट, किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन और नई मार्बल नीति को लेकर सोशल मीडिया (वाट्स एप, फेसबुक, ट्यूटर के साथ मेरे ब्लॉग) पर खोजपूर्ण खबर पोस्ट की थी। इस खबर की 28 नवम्बर को किशनगढ़ से जयपुर और देश की राजधानी दिल्ली तक में चर्चा रही। खबर लेकर आर.के.मार्बल की ओर से तो कोई स्पष्टीकरण नहीं आया, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं अजमेर के पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप चौधरी ने कहा कि किशनगढ़ के किसी भी मार्बल व्यवसायी की नाराजगी आर.के.मार्बल संस्थान से नहीं, बल्कि संस्थान के मालिक अशोक पाटनी छोटे व्यवसाइयों के सुख-दु:ख में हमेशा साथ रहते हैं। यहां तक अपनी खदानों से निकला मार्बल रियायती दरों पर किशनगढ़ के छोटे व्यवसाईयों को देते हें। 26 नवम्बर को भी मार्बल व्यवसाईयों के लिए जिस प्रतिनिधिमंडल ने केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन से मुकालात की, उसमें भी आर.के.ग्रुप का सहयोग रहा। अशोक जी और सुरेश जी पाटनी की वजह से ही प्रतिनिधिमंडल को किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन का पत्र भी दिया गया। इसी पत्र को प्रतिनिधियों ने श्रीमती सीतारमन को दिया। चौधरी ने स्पष्ट किया कि अजमेर के सांसद और केन्द्रीयमंत्री प्रो. सांवरलाल जाट ने किसी भी मार्बल व्यवसायी को नहीं बुलाया, बल्कि मार्बल व्यवसायी ही प्रो. जाट के पास गए थे। प्रो. जाट ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों का सम्मान करते हुए प्रतिनिधि मंडल को वाणिज्यमंत्री से मिलवाया। प्रो. जाट और आर.के.ग्रुप के बीच मधुर संबंध हैं। चूंकि प्रतिनिधि मंडल में रामस्वरूप चौधरी भी शामिल थे, इसलिए उनकी बताई बातों का भी उल्लेख कर दिया गया है। लेकिन मैं एक बार सोशल मीडिया से जुड़े जागरुक लोगों को बधाई देना चाहता हंू कि उन्हीं के दबाव से मार्बल क्षेत्र में 28 नवम्बर को जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई। सोशल मीडिया की खबर ऐसे प्रसारित हुई जैसे इलेक्ट्रॉनिक चैनलों पर एक साथ लाइव कवरेज हो रहा हो। 28 नवम्बर के दबाव को देखते हुए कहा जा सकता है कि प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ सोशल मीडिया तेजी के साथ सशक्त होता जा रहा है। किशनगढ़ के मार्बल व्यवसाईयों का आर.के.मार्बल संस्थान के प्रति भरोसा बना रहे, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ।  -(एस.पी.मित्तल) (spmittal.blogspot.in)

लखावत ही तय करेंगे सीएम के प्रोग्राम

लखावत ही तय करेंगे सीएम के प्रोग्राम
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 30 नवम्बर को अजमेर दौरे में कौन-कौन से कार्यक्रमों में भाग लेंगी, इसका अंतिम निर्णय राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ही करेंगे। लखावत यह भी देखेंगे कि सभी कार्यक्रम सीएम की प्रतिष्ठा के अनुकूल शांतिपूर्ण तरीके से हो जाएं। अपनी जिम्मेदारी को निभाने के लिए लखावत 29 नवम्बर को अजमेर आ जाएंगे। असल में सीएम के घोषित दौरे को देखते हुए बहुत सी संस्थाएं तथा विभाग अपने-अपने कार्यक्रम आयोजित करवाना चाहते हैं। इन कार्यक्रमों में कोई व्यवधान नहीं हो, इसलिए सीएमओ से लखावत को अजमेर भेजा गया है। लखावत अजमेर के ही रहने वाले हैं और पूर्व में नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। लखावत 30 नवम्बर को सीएम के साथ ही रहेंगे। इससे अजमेर के दक्षिण क्षेत्र में हर्ष तथा उत्तर में मायूसी नजर आ रही है। 
-(एस.पी.मित्तल) (spmittal.blogspot.in)

Thursday 27 November 2014

जाट ने दिया आर.के. मार्बल को झटका

जाट ने दिया आर.के. मार्बल को झटका
अजमेर के सांसद और केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री प्रो. सांवरलाल जाट ने मार्बल किंग और आर.के. मार्बल किशनगढ़ के मालिक अशोक पाटनी को तगड़ा झटका दिया है। पाटनी और आर.के. मार्बल ग्रुप को अब तक यही मुगलता था कि केन्द्र और राज्य की मार्बल नीति उन्हीं के इशारे पर बनती और बिगड़ती है। चाहे केन्द्र में कांग्रेस की सरकार के वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा हों या भाजपा की सरकार में श्रीमती निर्मला सीतारमन। सब जानते हैं कि आनंद शर्मा ने जब राजस्थान से राज्यसभा का चुनाव लड़ा था, तब आर.के. मार्बल संस्थान ने समाचार पत्रों में बड़े-बड़े विज्ञापन दिए। इस बार भी भाजपा की सरकार में बनी नई मार्बल नीति में आर.के. गु्रुप की ही खासी भूमिका रही, जिसकी वजह से किशनगढ़ सहित प्रदेश और देश भर के छोटे व्यवसायियों को भारी नुकसान हुआ। नई नीति में सरकार ने बिक्री का लक्ष्य घटा तीन वर्ष से पांच करोड़ रुपए का कर दिया, जबकि पुरानी नीति में बिक्री का लक्ष्य पांच वर्ष में पांच करोड़ रुपए का था। यानि एक करोड़ रुपए प्रति वर्ष छोटे व्यवसाइयों ने मार्बल किंग अशोक पाटनी से आग्रह किया कि अपने रसूकातों से केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमन से मुलाकात करवाई जाए। लेकिन बेचारे छोटे व्यवसाइयों की कोई सुनवाई नहीं हुई। आर.के. ग्रुप को यह मुगालता था कि उनके अलावा पूरे प्रदेश में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है, जो केन्द्रीय मंत्री तक एप्रोच रखता हो। इसी बीच अजमेर के पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप चौधरी ने छोटे व्यवसाइयो ंकी समस्याओं की ओर अजमेर सांसद और केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री को सांवरलाल जाट का ध्यान आकर्षित किया। जाट ने व्यवसाइयों के एक प्रतिनिधि मंडल को 26 नवम्बर को दिल्ली बुलवाया और तत्काल ही फोन पर वाणिज्य मंत्री सीतारमन से मिलने का समय निर्धारित कर लिया। सीतारमन ने दोपहर एक बजे का समय संसद भवन का दिया। निर्धारित समय पर किशनगढ़ के व्यवसाइयों का प्रतिनिधि मंडल प्रो. जाट के नेतृत्व में सीतारमन के पास पहुंच गया। सीतारमन ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि पुरानी नीति में बिक्री का लक्ष्य एक करोड़ रुपए वार्षिक था। प्रतिनिधि मंडल ने कहा कि शायद विभाग के अधिकारियों ने सही जानकारी आप तक नहीं पहुंचाई है। किशनगढ़ के मार्बल व्यवसायी सब समझ रहे थे कि अफसरों से मिलीभगत कर मंत्री को गुमराह करने वाला कौन सा ग्रुप है। सीतारमन ने प्रतिनिधि मंडल को नई  नीति  में बदलाव का भरोसा दिलाया। नीति में बदलाव हो या नहीं, लेकिन किशनगढ़ के मार्बल व्यवसाइयों को इस बात की खुशी है कि आर.के. गु्रप के सहयोग के बिना भी प्रतिनिधि मंडल केन्द्रीय मंत्री से मिल आया है। दिल्ली पहुंचे किशनगढ़ के मार्बल व्यवसायी इस बात से गदगद हैं कि प्रो.जाट ने अपने अस्थायी निवास राजस्थान हाऊस में खूब आवभगत की। व्यवसाइयों को जमकर नाश्ता करवाया और अपने मंत्री के विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए 15 व्यक्तियों के लिए संसद भवन का पास बनवाया। जिन व्यवसाइयों ने कभी राजस्थान विधानसभा का भवन नहीं देखा, वे देश के सर्वोच्च सदन में पहुंच गए थे। किशनगढ़ के मार्बल पत्थर बेचने वालों के लिए संसद भवन का दौरा बेहद रोमांचकारी रहा। इस प्रतिनिधि मंडल में रामस्वरूप चौधरी, हंसाराम चौधारी, रामस्वरूप मंत्री, जुगल किशोर गर्ग, निखिल सारड़ा, केशव अग्रवाल, महेश मित्तल, संतोष जैन, सूर्य प्रकाश ओसवाल, राजू मंडलिया, दिनेश गर्ग आदि शामिल थे। किशनगढ़ की मार्बल राजनीति में पूरे घटनाक्रम को केन्द्रीय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट का आर.के. ग्रुप को तगड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि इस प्रतिनिधि मंडल में आर.के. गु्रप के समर्थक व्यवसायी और आर.के. के इशारे पर नाचने वाली किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन का कोई प्रमुख पदाधिकारी शामिल नहीं था। किशनगढ़ के भाजपा विधायक भागीरथ चौधरी की भूमिका इस प्रकरण में पर्दे के पीछे से महत्त्वपूर्ण रही है। (एस.पी. मित्तल) spmittal.blogspot.in

Wednesday 26 November 2014

देवनानी के फिर सामने आई श्रीमती डांगा

देवनानी के फिर सामने आई श्रीमती डांगा
अजमेर की राजनीति में रुचि रखने वालों को पता होगा कि शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी के विरोध के चलते ही आरएएस श्रीमती सुनीता डांगा को अजमेर छोडऩा पड़ा था। देवनानी का खुला आरोप रहा कि विधानसभा चुनाव में अजमेर में रहते हुए डांगा ने उनके विरुद्ध काम किया। हालांकि देवनानी अजमेर उत्तर क्षेत्र से लगातार तीसरी बार भारी मतों से विजयी हुए, लेकिन डांगा के प्रति अपनी नाराजगी कम नहीं हुई। सरकार ने श्रीमती डांगा को अजमेर से हटा कर कोटा का सिटी मजिस्ट्रेट नियुक्त कर दिया। निकाय चुनाव में भाजपा संगठन ने देवनानी को कोटा का प्रभारी बना कर भेज दिया। सिटी मजिस्ट्रेट के नाते श्रीमती डांगा ही कोटा नगर निगम चुनाव की निर्वाचन अधिकारी रहीं। जहां देवाननी ने भाजपा उम्मीदवारों की बागडोर संभाली, वहीं डांगा ने चुनाव के सारे इंतजाम किए। 26 नवम्बर को देवनानी ने श्रीमती डांगा के सामने ही मेयर पद के भाजपा उम्मीदवार महेश विजय का नामांकन दाखिल करवाया। इस मौके पर दोनों ने आमने-सामने होकर लम्बा संवाद भी किया। जानकारों की माने तो अजमेर की नाराजगी कोटा में दूर हो गई है। देवनानी के समर्थकों का भी मानना है कि श्रीमती डांगा तो देवनानी के लिए शुभ हैं, क्योंकि डांगा जहां भी निर्वाचन अधिकारी होती हंै, वहां देवनानी भाजपा की जीत होती है। यानि डांगा अपना काम निष्पक्षता के साथ करती हैं। माना जा रहा है कि अब डांगा फिर से अजमेर में तैनात हो जाएंगी। डांगा अजमेर की ही रहने वाली हैं।
-(एस.पी.मित्तल) (spmittal.blogspot.in)