Tuesday 31 March 2015

राजस्थान लोक सेवा आयोग: 'कोढ़ में खाज'

राजस्थान लोक सेवा आयोग: 'कोढ़ में खाज'
बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने वाला राजस्थान लोक सेवा आयोग पहले ही सदस्यों की कमी से जूझ रहा था, लेकिन 31 मार्च को आयोग पर कोढ़ में खाज वाली कहावत चरितार्थ हो गई। आयोग के कर्मचारियों ने पूर्व घोषणा के अनुसार 31 मार्च से पेनडाउन हड़ताल शुरू कर दी। इस हड़ताल का असर प्रदेशभर से काउंसलिंग के लिए आए युवाओं पर पड़ा। चूंकि कर्मचारियों ने अपने हाथ में पेन उठाया ही नहीं, इसलिए महिला और पुरुष अभ्यर्थियों की काउंसलिंग नहीं हो सकी। द्वितीय चरण में हो रहे आरएएस के इंटरव्यू का काम भी प्रभावित हुआ। कर्मचारियों का कहना है कि आयोग में पहले ही स्टाफ की कमी है और अब सरकार ने कार्मिक शाखा के 18 पद समाप्त कर दिए। समझ में नहीं आता कि राज्य की भाजपा सरकार इस आयोग की कितनी दुर्गती करना चाहती है। वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार को डेढ़ वर्ष होने को आया, लेकिन आयोग में आज तक भी वो तीन सदस्य ही काम कर रहे हैं, जिनकी नियुक्ति गत कांग्रेस के शासन में हुई थी। इनमें से एक सदस्य को पिछले 6 माह से कार्यवाहक अध्यक्ष बना रखा है। आयोग में अध्यक्ष सहित सात सदस्यों का प्रावधान है, लेकिन भाजपा सरकार तीन सदस्यों से ही काम चला रही है। मजाक तो तब होता है, जब सरकार बार-बार दावा करती है कि बड़े पैमाने पर भर्ती की जाएगी। एक तरफ सरकार ने भर्ती करने वाले आयोग को पंगु बना रखा है, तो दूसरी तरफ मुख्यमंत्री और मंत्री भर्ती की घोषणा कर प्रदेश के युवाओं की बेरोजगारी का मजाक उड़ा रहे हैं। यदि मुख्यमंत्री साहिबा को थोड़ी सी भी फुर्सत हो तो वो देखें कि इस आयोग की कितनी दुर्गती हो गई है। सरकार ने आयोग का विखंडन कर अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग का गठन कर दिया, लेकिन आठ माह गुजर जाने के बाद भी अधीनस्थ आयोग ने काम काज शुरू नहीं किया है। कांग्रेस के शासन में आयोग की दुर्गती की जो शुरुआत हुई थी, उसे अब भाजपा सरकार ने श्मशान स्थल तक पहुंचा दिया है। शर्मनाक बात तो यह है कि इतनी दुर्गती के बाद भी अच्छे दिनों का दावा किया जाता है।

कलेक्टर के फरमान से अफसर परेशान

अजमेर की कलेक्टर डॉ. आरुषि मलिक के फरमान से 31 मार्च को जिला मुख्यालय के अधिकांश अधिकारी परेशान रहे। वित्तीय वर्ष का अंतिम दिन होने की वजह से सभी अधिकारी अपने-अपने विभागों में बैठकर बजट राशि को निपटाने में लगे हुए थे, लेकिन इस बीच कलेक्टर का फरमान अधिकारियों को मिल गया। इस फरमान में सभी विभागाध्यक्षों को सायं 4 बजे कलेक्ट्रेट में बुला लिया गया, चूंकि कलेक्टर को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्य सरकार के उच्च अधिकारियों के सवालों का जवाब देना था। इसलिए कलेक्टर ने विभागों के अधिकारियों को भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उपस्थित रहने के लिए पाबंद किया। कलेक्टर के इस फरमान से अफसरों खास कर राजस्व वसूली वाले अफसरों को परेशानी का सामना करना पड़ा। माह का अंतिम दिन होने की वजह से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों के समारोह में भी बड़े अधिकारी भाग नहीं ले सके। अफसरों को चाहे कितनी भी परेशानी हुई हो, लेनिक किसी भी अधिकारी  ने कलेक्टर के समक्ष अपनी परेशानी रखने की हिम्मत नहीं दिखाई।

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शीघ्र सुधारे जाएंगे नेहरू अस्पताल के हालात

शीघ्र सुधारे जाएंगे नेहरू अस्पताल के हालात
सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षक अभियन्ता बी.एल. बैरवा ने कहा है कि संभाग के सबसे बड़े जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में निर्माण से जुड़ी समस्याओं का समाधान शीघ्र किया जाएगा। इसके लिए वे स्वयं अस्पताल परिसर का दौरा भी करेंगे।
शहर के जागरुक लोगों की संस्था 'हम लोगÓ के एक प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को बैरवा से मुलाकात की। इस मुलाकात में बैरवा को बताया गया कि विगत दिनों संस्था के प्रतिनिधियों ने अस्पताल के प्रमुख स्थानों का दौरा किया।  तो निर्माण विभाग से जुड़ी अनेक समस्याएं सामने आई। प्रतिनिधि मंडल ने अधीक्षण अभियन्ता बैरवा को वे सभी पत्र सौंपे जो नेहरू अस्पताल के अधीक्षक ने लिखे थे। इन पत्रों में बताया गया कि निर्माण विभाग को अस्पताल में कौन-कौन से कार्य करने हैं। अस्पताल की ओर से समस्याओं के समाधान के लिए कई बार पत्र लिखे गए। अस्पताल अधीक्षक के पत्रों को गंभीरता से लेते हुए बैरवा ने तत्काल सहायक अभियन्ता यादराम से टेलीफोन पर बात की और निर्देश दिए कि अस्पताल के अधीक्षक ने जिन-जिन समस्याओं का उल्लेख किया है। उनका समाधान शीघ्र करवाया जाए। बैरवा ने इस बात पर अफसोस जताया कि टीबी अस्पताल के वार्ड का शौचालय पिछले दो वर्ष से बंद पड़ा है। बैरवा ने 'हम लोगÓ संस्था की जागरुकता की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगले कुछ ही दिनों में हम लोग के प्रतिनिधियों के साथ अस्पताल परिसर का दौरा किया जाएगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि निर्माण विभाग से जुड़ी सभी समस्याओं का समाधान गंभीरता और तत्परता के साथ किया जाएगा। बैरवा ने स्वीकार किया कि अस्पताल भवन की मरम्मत और अन्य छोटे-बड़े कार्य की जिम्मेदारी निर्माण विभाग की है। इसके लिए अस्पताल परिसर में दो स्थानों पर सहायक अभियन्ता के कार्यलय भी बना रखे हैं। इन दोनों कार्यालयों में शिकायत का रजिस्टर भी है। इस रजिस्टर में अस्पताल के अधिकारी और चिकित्सक तो शिकायत दर्ज करवा ही सकते हैं। साथ ही आम व्यक्ति भी शिकायत लिखा सकता है। उन्होंने कहा कि वे इस बात के पुख्ता इंतजाम करेंगे कि रजिस्टर में शिकायतें आसानी से दर्ज हो जाए। बैरवा ने कहा कि अस्पताल भवन के बड़े कार्य तभी सम्भव होंगे, जब राज्य सरकार बजट का आवंटन करेंगी। उन्होंने बताया कि बड़े कार्यों के लिए चिकित्सा विभाग ही प्रस्ताव तैयार करता है। विभाग की ओर से कोई प्रस्ताव करता है विभाग की ओर से कोई प्रस्ताव मिला तो उस पर भी जल्द से जल्द अमल किया जाएगा। प्रतिनिधि मंडल में डी.एल. त्रिपाठी, आर.के. नाहर, डॉ. अशोक मित्तल, अन्नत भटनागर, सुरेश माथुर, डी.एस. माथुर आदि शामिल हैं।
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Monday 30 March 2015

क्या आजम खान ने पीएम के स्वच्छता अभियान का मजाक उड़ाया है

क्या आजम खान ने पीएम के स्वच्छता अभियान का मजाक उड़ाया है
यूपी के सबसे ताकतवर मंत्री आजम खान ने सभी विधायकों को सूटकेस का एक गिफ्ट भेजा है। इस सूटकेस में शायराना अंदाज में विधायकों के नाम लिखा एक पत्र तथा झाड़ू और पेन रखा गया है। सूटकेस में झाड़ू रखकर आजम ने पीएम नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान का मजाक उड़ाया है। कहा जा रहा है कि कीमती सूटकेस में जिस तरह से झाड़ू को रखा गया है, उससे लगता है कि यूपी में पीएम का स्वच्छता अभियान समाजवादी पार्टी की सरकार सफल नहीं होने देगी। आजम पहले भी मोदी पर तीखे कटाक्ष कर चुके हैं। यूपी में विधानसभा सत्र के बाद विधायकों को गिफ्ट देने की परंपरा है। यूपी विधानसभा का बजट सत्र हाल ही में सम्पन्न हुआ है। परंपरा को निभाते हुए संसदीय कार्य मंत्री आजम खान ने सभी विधायकों को कीमती सूटकेस गिफ्ट दिया है, लेकिन इस बार इस गिफ्ट की चर्चा झाड़ू की वजह से हो रही है। मोदी के स्वच्छता अभियान की देशभर में प्रशंसा हो रही है, लेकिन आजम खान ने जिस तरह से अभियान का मजाक उड़ाया है, उससे जाहिर होता है कि सरकारी खर्चे पर राजनीतिक इष्र्या प्रदर्शित की जा रही है। लोकसभा चुनावों में यूपी में समाजवादी पार्टी को जिस तरह हार का सामना करना पड़ा, उससे आजम खान भी घबराए हुए हैं। इसलिए वे मोदी पर कोई हमला करने में नहीं चुकते हैं। आजम खान माने या नहीं, लेकिन स्वच्छता के प्रति अभियान के दौरान जो जागरुकता हुई है, वह सराहनीय है। अच्छा होता कि आजम खान झाड़ू भेजकर विधायकों को यह संदेश देते कि अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में स्वच्छता के प्रति जनजागरण किया जाए। यूपी की आबादी जिस तरह लगातार बढ़ रही है, उससे यदि आजम खान ने स्वच्छता का ध्यान नहीं रखा तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। सफाई के काम में सरकार के साधन सीमित होते हैं, लेकिन यदि जागरुकता से गंदगी को रोका जाए तो सार्थक परिणाम सामने आ सकते हैं।
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Sunday 29 March 2015

सामाजिक सरोकारों से जुड़ी है मीडिया की भूमिका

सामाजिक सरोकारों से जुड़ी है मीडिया की भूमिका
अजमेर को स्मार्ट और हेरिटेज सिटी बनाने की योजना के अन्तर्गत 29 मार्च को गांधी भवन के टाऊन हॉल में एक संगोष्ठी हुई। इस संगोष्ठी में सहज योग संस्थान और प्रशासन द्वारा स्मार्ट सिटी के लिए बनाई गई उपसमिति के सदस्यों ने भाग लिया। समाज और मीडिया विषय पर संगोष्ठी में मुझे भी बोलने का अवसर मिला। मैंने कहा कि कुछ लोग अपने-अपने नजरिये से मीडिया की आलोचना कर सकते हंै। कई मुद्दों पर मीडिया की भूमिका जन आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं होती लेकिन फिर भी मीडिया सामाजिक सरोकारों से जुड़ा रहता है। राजस्थान पत्रिका की ओर से जो 'हमराहÓ कार्यक्रम चलाया जा रहा है वह समाज से जुड़ा हुआ है। सुबह के साफ-सुथरे वातावरण में लोगों को न केवल योग आदि सिखाए जाते है बल्कि मनोरंजन के कार्यक्रम भी प्रस्तुत होते हैं। बेटी बचाओ अभियान में तो पत्रिका की भूमिका सराहनीय रही है। अब जब समाज में लगातार बेटियों की संख्या बेटों के मुकाबले घटती जा रही है तब बेटी बचाओ अभियान बहुत ही उपयोगी है। गर्मी के दिनों में कुएं बावड़ी, तालाब आदि का जीर्णोद्धार करने में भी पत्रिका की भूमिका सामने आ रही है। इसी प्रकार दैनिक भास्कर की ओर से भी जरूरतमंद मरीजों की सहायता के लिए अभियान चलाया जाता है। अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के काम में भी भास्कर अपनी ओर से जागरूकता के अनेक कार्यक्रम चला रहा है। भास्कर ने समय-समय पर बाजारों से अतिक्रमण, अस्थाई अतिक्रमण हटाने का भी अभियान चलाया है। इसी प्रकार दैनिक नवज्योति की ओर से भी जन जागरण के लिए अभियान चलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाती है। सिटीजन काउंसिल के माध्यम से दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी समय-समय पर जन समस्याओं को सरकार के समक्ष रखते है। मेरा यह सुझाव रहा कि प्रमुख मीडिया घरानों को भी स्मार्ट सिटी की योजना से जोड़ा जाए। चूंकि स्मार्ट और हेरिटेज के बहुत सारे काम है, इसलिए कुछ प्रमुख कार्यों की जिम्मेदारी अलग-अलग मीडिया घरानों को दे दी जाए। कई बार ऐसा होता है कि प्रशासन या कोई सामाजिक संस्था किसी एक अखबार का सहयोग लेती है तो दूसरे प्रतिद्वंदी अखबार में समारोह की खबर प्रकाशित नहीं होती है। मीडिया घरानों की आपसी प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर को चाहिए की वे अलग-अलग जिम्मेदारी दे दे। मेरा ऐसा मानना है कि यदि मीडिया घरानों को सम्मानपूर्वक कोई जिम्मेदारी दी गई तो ऐसा काम अवश्य सफल होगा। संगोष्ठी में डॉ. संदीप अवस्थी ने सहज योग के माध्यम से मन और शरीर को स्वस्थ करने के लिए प्रार्थना भी की। इस मौके पर म्यूजिक थैरेपी का भी अनुभव कराया गया। चन्दबरदाई साहित्य समिति के प्रमुख प्रेमराव ने सुझाव दिया कि विद्युत शव दाहगृह बनाया जाए ताकि बड़े पैमाने पर पेड़ों को कटने से रोका जा सके। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति एक पेड़ लगाएगा उसका एक लाख रुपए का बीमा समिति की ओर से करवाया जाएगा। संगोष्ठी में सहज योग संस्थान से जुड़े कार्यकर्ताओं ने भी अपने विचार रखे।
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अब आया केजरीवाल का दर्द सामने

अब आया केजरीवाल का दर्द सामने
आम आदमी पार्टी के अंदर पिछले कई दिनों से जो उठापटक चल रही थी उसमें अब आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल का दर्द सामने आया है। 28 मार्च को दिल्ली में आप की राष्ट्रीय कार्यसमिति की जो बैठक हुई उसमें केजरीवाल ने जो भाषण दिया उसका टेप 29 मार्च को मीडिया को जारी किया गया। कार्यसमिति में केजरीवाल ने प्रशांत भूषण पर जोरदार हमला करते हुए कहा कि मैं प्रशांत भूषण के कारण ही तिहाड़ जेल में गया था जब मानहानि के एक मामलें में अदालत में पेश हुआ तो मजिस्ट्रेट ने मुझे पर्सनल बॉण्ड भरने के लिए कहा। तब मैंने प्रशांत भूषण से राय ली तो प्रशांत भूषण ने पर्सनल बॉण्ड भरने से मना कर दिया। फलस्वरूप अदालत ने मुझे तिहाड़ जेल भेज दिया। केजरीवाल ने कहा कि जब मैं प्रशांत भूषण के एक इशारे पर जेल जा सकता हूँ तो फिर प्रशांत भूषण मुझसे क्यों नाराज है। इसी प्रकार योगेन्द्र यादव ने चंडीगढ़ में पत्रकारों को बुला कर मेरे खिलाफ खबरें प्रकाशित करवाई। इन दोनों लोगों ने ही विधानसभा चुनाव में पार्टी को हरवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मैं यह पूछना चाहता हूँ कि जब आप पार्टी विरोधी गतिविधियां कर रहे है तो इस पार्टी में क्यों रहना चाहते है। केजरीवाल ने कहा कि हमें यह समझना होगा कि विरोधी लोग सिद्धांत की लड़ाई लड़ रहे या महत्वाकांक्षा की। इस लड़ाई से किसे फायदा हो रहा है? इस लड़ाई से आम लोगों में जहाँ हमारी छवि खराब हुई है वहीं भाजपा और नरेन्द्र मोदी को फायदा हुआ है। दिल्ली चुनाव के परिणाम के बाद पूरा देश आप की ओर निगाह लगाए बैठा था। लेकिन देशवासियों की उम्मीदों पर कुछ लोगों ने पानी फेर दिया। जहाँ तक मेरा सवाल है तो मैं पूरी ईमानदारी के साथ दिल्ली के नागरिकों की सेवा करूंगा। उन्होंने कहा कि भाजपा वाले भी मुझे जिद्दी कह सकते है लेकिन बेईमान नहीं। अब यदि अपने ही लोग मुझे बेईमान ठहरा रहे हो तो फिर दुख तो होगा ही। एक ओर केजरीवाल का दर्द भरा भाषण सामने आया तो वहीं दूसरी ओर आप की लोकपाल कमेटी से एडमिरल रामदास और अनुशासन समिति से प्रशांत भूषण की छुट्टी कर दी गई है। देखना है कि आप का यह दंगल और कितना जख्मी होता है।
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Saturday 28 March 2015

खादिमों ने किया दीवान के पुत्र का इस्तकबाल

खादिमों ने किया दीवान के पुत्र का इस्तकबाल
समझौते के बाद पहली बार एक साथ नजर आए दोनों पक्ष
विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह में आने वाले चढ़ावे को लेकर खादिमों और दरगाह दीवान के बीच जो समझौता हुआ उसमें 28 मार्च को पहली बार दोनों पक्ष एक साथ नजर आए। हालांकि समझौते से पहले दोनों पक्ष कई वर्षो तक झगड़ते रहे थे। 28 मार्च यहां अजयमेरु प्रेस क्लब के एक समारोह में दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन के बड़े पुत्र और उनके उत्तराधिकारी माने जाने वाले सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती और खादिमों की दोनों प्रतिनिधि अंजुमनों के पदाधिकारियों ने भाग लिया। माहौल उस समय सद्भावनापूर्ण हो गया जब खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा और अंजुमन यादगार के प्रतिनिधियों ने दीवान के पुत्र नसीरुद्दीन को माला पहनाई। माला पहनाने के बाद अंगारा ने नसीरुद्दीन को गले भी लगाया। इस अवसर पर खादिम अहमद चिश्ती, मनुव्वर चिश्ती, पीर सईद गुलाम चिश्ती, गरीब नवाज सूफी मिशन सोसायटी के अध्यक्ष जुल्फिकार चिश्ती, दरगाह कमेटी के पूर्व सदस्य आबिद पहलवान आदि के साथ नगर निगम के मेयर कमल बाकोलिया, सीईओ सी.आर. मीणा, उद्योगपति हेमन्त भाटी, पूर्व नाजिम शाकिर अहमद, जनसम्पर्क विभाग के उपनिदेशक प्यारे मोहन त्रिपाठी आदि भी उपस्थित थे। समारोह में सभी लोगों ने खादिम समुदाय और दीवान के पुत्र के मिलन को महत्वपूर्ण घटना मानी। दरगाह में आने वाले चढ़ावे को लेकर खादिम समुदाय और दीवान के बीच लम्बी कानूनी लड़ाई हुई। बंटवारे को लेकर कई बार दोनों पक्षों में दरगाह के अंदर ही मारपीट, गाली-गलौज आदि की गंभीर घटनाएं भी हुई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोनों पक्षों ने आपस में बैठकर समझौता कर लिया। इस समझौते के अनुसार खादिम समुदाय प्रतिवर्ष 2 करोड़ रुपए की राशि दरगाह दीवान को देगा। इस समझौते के बाद दरगाह में आने वाले चढ़ावे को आधा-आधा बांटने का काम भी बंद हो गया। हालांकि इसके लिए दरगाह कमेटी ने दरगाह परिसर में दान पेटियां तक लगा दी थी। 28 मार्च को यह पहला अवसर रहा, जब खादिम और दरगाह दीवान के प्रतिनिधि एक साथ नजर आए। समारोह के बाद दोनों पक्षों ने एक साथ बैठकर खाना भी खाया। माना जा रहा है कि सद्भावना के इस माहौल से दोनों पक्षों के बीच मित्रता और मजबूत होगी। समारोह में दीवान के पुत्र सैयद नसीरुद्दीन ने कहा कि मेल मिलाप की जो शुरुआत हुई है, वह आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि वे और खादिम समुदाय मिलकर दरगाह में आने वाले जायरीन की सहुलियतों के लिए काम करेंगे। उन्होंने कहा कि दरगाह में धार्मिक रस्मों को भी अब सभी पक्ष मिलकर निभाएंगे।
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रिलायन्स की दादागिरी पर मंत्री ने दिखाई दबंगई

रिलायन्स की दादागिरी पर मंत्री ने दिखाई दबंगई
रिलायन्स कंपनी ने अजमेर शहर में 4जी के मोबाइल टावर लगाने में जो दादागिरी मचा रखी थी, उस पर प्रभारी मंत्री वासुदेव देवनानी ने दबंगई दिखाई है। देवनानी ने विगत दिनों एक सरकारी बैठक में इस बात पर नाराजगी जताई कि जन विरोध के बाद भी शहरभर में रिलायन्स के टावर लगाए जा रहे हैं। देवनानी ने निर्देश दिए कि टावर लगाने की स्वीकृति के लिए जिला कलेक्टर स्तर पर कार्यवाही की जाए। रिलायन्स कंपनी के खिलाफ देवनानी ने जो दबंगई दिखाई, उसी का नतीजा रहा कि अजेमर नगर निगम प्रशासन ने अब रिलयान्स कंपनी को मोबाइल टावर लगाने की स्वीकृति देना बंद कर दिया है। साथ ही निगम के सीईओ सी.आर.मीणा ने राज्य सरकार को एक पत्र लिखा है, जिसमें प्रभारी मंत्री देवनानी के निर्देशों का उल्लेख करते हुए कहा है कि मोबाइल टावरों की स्वीकृति के लिए अब जिला कलेक्टर को सक्षम बनाया जाए। देवनानी ने जनभावना के अनुकूल नगर निगम से टावर की स्वीकृति देने का काम छीना है वह सराहनीय है। सब जानते हैं कि रिलायन्स कंपनी की मालिक नीता अम्बानी देश के पीएम नरेन्द्र मोदी की मुंह बोली बहन है। मोदी ने सार्वजनिक मंच से नीता अंबानी को अपनी छोटी बहन घोषित किया है। ऐसी रिलायन्स कंपनी की दादागिरी के खिलाफ आवाज उठाना कोई आसान काम नहीं है। इसमें कोई दोराय नहीं कि रिलायन्स कंपनी नगर निगम के अधिकारियों पर दबाव डालकर मोबाइल टावर लगाने की स्वीकृति धड़ाधड़ ले रही थी। जनविरोध के बाद भी दादागिरी कर मोबाइल टावर शहरभर में लगाए जा रहे थे। शर्मानाक बात तो यह है कि परेशान लोगों की न तो नगर निगम के अधिकारी और न ही संबंधित क्षेत्र की पुलिस सुन रही थी। कई स्थानों पर तो टावर का विरोध करने वाले लोगों के विरुद्ध रिलायन्स के प्रतिनिधियों ने पुलिस में मुकदमा तक दर्ज करवा दिया। रिलायन्स ने टावर लगाने का जिम्मा पुलिस के रिटायर अधिकारियों और अपराधी किस्म के लोगों को दे दिया। ऐसे लोग निगम से स्वीकृति मिलने के बाद क्षेत्रीय लोगों को डराने धमकाने से भी बाज नहीं आ रहे थे। रिलायन्स को अजमेर में सौ से भी ज्यादा 4जी वाले टावर लगाने हैं। रिलायन्स ने निगम से पचास स्थानों के लिए स्वीकृति भी हासिल कर ली है, लेकिन रिलायन्स कर्मचारी जहां-जहां भी टावर लगाने जा रहे हैं, वहां-वहां क्षेत्रीय लोगों का विरोध हो रहा है, लेकिन रिलायन्स की इस दादागिरी को प्रभारी मंत्री देवनानी ने जोरदार झटका दिया है।
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आप में झगड़े का मतलब ईमानदार और समझदार लोग एकजुट नहीं रह सकते

आप में झगड़े का मतलब ईमानदार और समझदार लोग एकजुट नहीं रह सकते
27 मार्च को दिल्ली में आप के नेता प्रशांत भूषण और योगेन्द्र यादव ने प्रेस कांफे्रंस कर जिस प्रकार दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल और उनके समर्थकों पर आरोप लगाए उससे प्रतीत होता है कि ईमानदार और समझदार लोग एकजुट नहीं रह सकते। इसमें दिल्ली के नागरिकों की भावनाओं को भी ठेस पहुंची है। जिन मतदाताओं ने 70 में से 67 विधायक आप पार्टी के जिताए उन्हें अब यह लगता है कि राजनीति में उनसे भूल हो गई है। आज प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव सहित 4-5 लोगों ने बगावत का झंडा उठाया है। आने वाले दिनों में आप के विधायक भी केजरीवाल के खिलाफ बोलेंगे। विधायकों में जब फूट सामने आएगी तब भाजपा के नेता उपराज्यपाल के पास जाकर विधानसभा को भंग करवाने की मांग करेंगे। जो मांग एक माह पहले केजरीवाल उपराज्यपाल से कर रहे थे, वही मांग अब भाजपा की ओर से होने वाली है। केजरीवाल कितना भी जोर लगा ले, लेकिन आप की बगावत को रोका नहीं जा सकता। असल में भारत में अब राजनीति का अपना एक नजरिया हो गया है। राजनीति अब धर्म, जाति, समाज आधारित हो गई है। जिस तरह दिल्ली में आप का बिखराव हो रहा है। उससे लोगों को यही लगता है कि कांग्रेस, भाजपा जैसे राजनीतिक दल ही सरकार चला सकते है। भले ही इन दलों की सरकारों से लोग कितने भी परेशान रहे। दिल्ली की जनता ने कांग्रेस और भाजपा जैसे स्थापित दलों को पीछे धकेलते हुए ईमानदार और समझदार लोगों को आगे बढ़ाया उस पर अब पानी फिर गया है। आज नहीं तो कल केजरीवाल को दिल्ली के सीएम पद से इस्तीफा देना ही पड़ेगा। दिल्ली के लोगों ने राजनीति में जो एक अच्छा प्रयोग किया था, वह पूरी तरह विफल हो गया है। अब यह माना जाना चाहिए कि राजनीति में वो ही लोग सफल हो सकते है, जो राजनीति के हथकंडे जानते है। राजनीतिक दलों को चलाने में उद्योगपतियों, व्यापारियों, और धर्म के नुमाइदों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। अच्छा हो कि केजरीवाल अपनी ओर से ही इस्तीफा देकर पुन: जन आंदोलन में लग जाए। सरकार चलाना केजरीवाल के बस में नहीं है।
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Friday 27 March 2015

क्या लूट-खसोट को परिवहन मंत्री का संरक्षण है

क्या लूट-खसोट को परिवहन मंत्री का संरक्षण है
राजस्थान में दुपहिया वाहों पर कम्प्यूटराइज्ड नम्बर प्लेट लगाने का ठेका रियल मेजैन कंपनी को दे रखा है। सरकार ने नम्बर प्लेट लगाने का शुल्क 75/-रुपए निर्धारित कर रखा है, लेकिन कंपनी के कर्मचारी प्रदेशभर में प्रतिवाहन 400/-रुपए तक की लूट-खसोट खुलेआम कर रहे है। ऐसा नहीं कि ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों को इस लूट खसोट की जानकारी नहीं है। 27 मार्च को जब अजमेर में लूट खसोट की शिकायत आरटीओ हरीश कुमार और डीटीओ सुधीर बंसल से की गई तो इन दोनों अधिकारियों ने कहा कि 100 से भी ज्यादा वाहन मालिकों की शिकायत पूर्व में ही जयपुर स्थित मुख्यालय पर भेजी जा चुकी है।
चूंकि मुख्यालय के बड़े अधिकारियों ने ही रियल मेजैन कंपनी को ठेका दिया है, इसलिए जिला स्तर पर कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की जा सकती है। इन दोनों अधिकारियों ने कहा कि लूटखसोट की शिकायत जयपुर में आयुक्त के पास ही की जाए। टेलीफोन पर आयुक्त गायत्री एस.राठौड़ के निजी सहायक ने कहा कि अतिरिक्त आयुक्त मनीषा अरोड़ा से सम्पर्क किया जावे। इसके बाद जब मनीषा अरोड़ा से संवाद किया गया तो उन्होंने माना कि प्रदेशभर से वाहन मालिकों की शिकायत जयपुर मुख्यालय पर पड़ी है। विभाग रियल मेजैन कंपनी का लाइसेंस निरस्त करने पर विचार कर रहा है। लेकिन  मनीषा अरोड़ा ने यह भी नहीं बताया कि कंपनी का लाइसेंस कब तक निरस्त कर दिया जाएगा। 27 मार्च को जिस प्रकार ट्रांसपोर्ट विभाग ने डीटीओ से लेकर अतिरिक्त आयुक्त तक ने लूट खसोट पर अपनी लाचारी दिखाई। इससे सवाल उठता है कि क्या कंपनी के लूट खसोट को प्रदेश के परिवहन मंत्री यूनूस खान का संरक्षण है? जब प्रदेश भर से कंपनी की लूट खसोट की शिकायतें मुख्यालय पर पड़ी है, तो फिर तत्काल लाइसेंस निरस्त क्यों नहीं किया जा रहा है। 75 रुपए के बजाए 400 रुपए तक की वसूली होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन लाखों रुपए की अवैध वसूली हो रही है। विभाग के अधिकारियों की इतनी हिम्मत भी नहीं है कि नम्बर प्लेट लगाने वाले स्थान पर विभाग के किसी कर्मचारी को नियुक्त कर दें। पूरे प्रदरेश में इस लूट खसोट से भाजपा सरकार की बदनामी हो रही है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511