Saturday 31 October 2015
इस तरह परीक्षा करवाने पर शर्म आनी चाहिए राजस्थान लोकसेवा आयोग को
बताओ, ख्वाजा साहब की दरगाह में नजराना भेजने वाला पहला मराठा सरदार कौन था? अफसर बनने वालों से परीक्षा में पूछा सवाल! राजस्थान लोक सेवा आयोग की
Friday 30 October 2015
क्या देवनानी ने वसुन्धरा का एक चुनाव वायदा पूरा किया। रीट परीक्षा के लिए आवेदन 18 नवम्बर से
संथारा से कम नहीं रहा विशनी देवी का निधन
Thursday 29 October 2015
क्या आतंकी अबू कासिम के मारे जाने और छोटा राजन की गिरफ्तारी के विरोध में फिल्मकारों ने लौटाए अवार्ड?
प्रो. सारस्वत तीसरी बार अजमेर देहात भाजपा के अध्यक्ष बने।
Wednesday 28 October 2015
न शेखावत आए और न हंगामा हुआ।
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद सीएम वसुंधरा का हौंसला बुलंद।
महिला मजिस्ट्रेट की जागरुकता को भी मात दी अजमेर की गंज थाने की पुलिस ने।
मुझे न राज सत्ता चाहिए, न स्वर्ग न मोक्ष।
Tuesday 27 October 2015
बोर्ड की मेरिट में अब स्कूलों के अंक शामिल नहीं होंगे
बिगड़े हालातों में कितना सफल होगा रिसर्जेन्ट राजस्थान।
छोटा राजन की वजह से दाऊद इब्राहिम को नहीं पकड़ा जा सकता।
Monday 26 October 2015
अजमेर में 2 रुपए लीटर सस्ता मिलेगी डेयरी का दूध
धारीवाल को नहीं किया गिरफ्तार
गीता के लौट आने से पाकिस्तान क्या शरीफ हो जाएगा
महिला परीक्षार्थियों का भी ख्याल रखे आरपीएससी राजस्थान लोक सेवा आयोग 31 अक्टूबर को
Sunday 25 October 2015
सफाई के भुगतान में वृद्धि से शांति से हो जाएगी अजमेर नगर निगम की साधारण सभा। एक करोड़ 16 लाख रुपए तय।
धारीवाल गिरफ्तार हुए तो कमजोर पड़ी कांग्रेस में जान आ जाएगी?
Saturday 24 October 2015
डॉ. राजेन्द्र तेला की दो पुस्तकों का हुआ विमोचन
यह फर्क है अशोक गहलोत और सचिन पायलट में
इतने इंतजाम के बाद भी दिखी बदइंतजामी।
Friday 23 October 2015
स्व. भैरोसिंह शेखावत की जयंती पर प्रार्थना सभा में नहीं गईं वसुंधरा राजे
पुरस्कार लौटाने और प्रदर्शन करने की बजाए माहौल को सुधारने का काम करें साहित्यकार-लेखक
नफीस को पकडऩे पर अजमेर एसपी विकास कुमार की प्रशंसा होनी ही चाहिए।
दालों को लेकर रिलायन्स और बिग बाजार जैसे समूहों पर क्यों नहीं पड़ रहे छापे।
Thursday 22 October 2015
संघ के पथ संचलन का दरगाह पर इस्तकबाल
आखिर कौन दे रहा है बार-बार ख्वाजा साहब की दरगाह में धमाकों की धमकी 21 अक्टूबर को एक बार फिर
Wednesday 21 October 2015
टीवीचैनलों का ये कैसा ग्राउंड जीरो कवरेज।
क्या आर.के.मार्बल के अच्छे दिन जा रहे है।
वाट्स एप ग्रुपों के एडमिन साहब से विनम्र निवेदन
Tuesday 20 October 2015
कलेक्टर मेहरबान तो अफसर पहलवान
बेईमानी का पानी ही बिकवा रहे हैं रेल अफसर
केन्द्रीय मंत्री सांवरलाल जाट ने अपने कांग्रेसी समधी को बनवाया सहकारी बैंक का अध्यक्ष।
Monday 19 October 2015
ख्वाजा साहब की दरगाह में मोर्हरम
पर क्या शिया-सुन्नी का विवाद हुआ?
अजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह में 18 अक्टूबर की रात्रि को जब मुस्लिम विद्वान शब्बीर उल कादरी मोर्हरम पर तकरीर करने जा रहे थे तभी हैदराबाद निवासी शेख युसूफ ने जोरदार डंडा सिर पर मार दिया। एक ही वार से कादरी लहूलुहान हो गए। कादरी को तत्काल ही यहां के नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहीं हमलावर शेख युसूफ को पकड़ कर लोगों ने जमकर धुनाई कर दी। युसूफ ने डंडा मारने से इंकार किया है। चूंकि यह हादसा दरगाह के छतरी गेट के बाहर हुआ, इसलिए दरगाह में तनावपूर्ण माहौल हो गया। बताया जा रहा है कि दरगाह से ही जुड़े खादिमों को मौलाना शब्बीर उल कादरी की मोहर्रम पर तकरीर पसंद नहीं आ रही थी। इस संबंध में कुछ खादिमों ने दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के पदाधिकारियों का ध्यान भी आकर्षित कियाथा। नाराज खादिमों का कहना था कि मोर्हरम पर मौलाना कादरी जो तकरीर कर रहे हैं वह इस्लाम के अनुकूल नहीं है। यह भी आरोप लगाया गया कि मौलाना कादरी शिया मान्यताओं के अनुरूप तकरीर करते हैं जिसमें छाती पीटना आदि शामिल हैं। जबकि पूर्व में ऐसी तकरीर कभी नहीं हुई। खादिमों के विरोध के बाद भी मौलाना कादरी की तकरीर जारी रही। बताया जाता है कि इसी का परिणाम रहा कि कादरी पर 18 अक्टूबर पर जानलेवा हमला हो गया। हालांकि अंजुमन कमेटी के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा ने दरगाह में शिया-सुन्नी के किसी विवाद से इंकार किया है।
दरगाह में है परम्परा:
हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मोर्हरम मनाया जाता है। ख्वाजा साहब की दरगाह में यह परम्परा है कि खादिमों की संस्था अंजुमन मोर्हरम पर किसी विद्वान को बुलाकर तकरीर करवाती है। तकरीर में इमान हुसैन की शहादत के बारे में धार्मिक जानकारियां दी जाती है और यह बताया जाता है कि किन हालातों में मोहम्मद साहब के नवासों को शहादत देनी पड़ी। असल में सुन्नी और शिया सम्प्रदायों में शहादत की तकरीर को अलग-अलग तरीके से पेश किया जाता है। सुन्नी सम्प्रदाय में भी इमाम हुसैन साहब की शहादत का बहुत महत्व है लेकिन इसको लेकर जब तकरीर की जाती है तो छाती आदि पीटने की रस्म नहीं होती है। दरगाह में पूर्व के वर्षों में सुन्नी सम्प्रदाय से जुड़े मुस्लिम विद्वानों को बुलाकर ही तकरीर कराई जाती रही है।
प्रशासन की नजर:
18 अक्टूबर की रात को दरगाह के छतरी गेट के बाहर जो हिंसक हादसा हुआ, उससे अजमेर प्रशासन भी चिंतित है। वारदात के बाद से ही दरगाह के अन्दर और आसपास के क्षेत्रों में पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई है। प्रशासन ने दरगाह से जुड़े सभी प्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि मोर्हरम के दौरान पूर्ण शांति बनाए रखी जाए। हालांकि वारदात के बाद कुछ उत्तेजित लोगों ने दरगाह के निकट कुछ दुकानों में तोड़-फोड़ की है। प्रशासन ने यह चेतावनी दी है कि माहौल खराब करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। दरगाह से जुड़े सभी समुदायों से सद्भावना बनाए रखने के लिए प्रशासन लगातार प्रयास कर रहा है। इसके लिए सिटी मजिस्ट्रेट हरफूल सिंह यादव सभी समुदायों के प्रतिनिधियों से सम्पर्क बनाए हुए हैं।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in)M-09829071511
जजेज के बेटे-बेटियों की वकालत पर भी कोई नीति बनाए सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने यह अच्छा ही किया कि सरकारी की दखलांदाजी वाले राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को रद्द कर दिया। अब सुप्रीम की नीति से ही हाई कोर्ट के जजेज बनेंगे। पीएम नरेन्द्र मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली को भले ही सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराजगी हो, लेकिनकल्पना कीजिए कि जब केन्द्र में मुलायम सिंह यादव, ओमप्रकाश चौटाला, जयललिता, करूणानिधि चन्द्रशेखर राव, लालू प्रसाद यादव आदि छह क्षत्रपों के सहयोग से कभी केन्द्र की सरकार बनी तो हाई कोर्ट के जज कैसे बनेंगे? इसका अन्दाजा लगाया जा सकता है। असल में सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों को जजेज बनाने से रोका है जो खुद हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में अपराधी की तरह खड़े होते हैं, लेकिन इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट को जजेज के बेटे-बेटियों की वकालत पर भी कोई नीति बनानी चाहिए, ताकि कोर्टों में ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम हो सके। देश की जनता यह जानती है कि जजेज के बेटे और बेटियों की वकालत किस प्रकार से चलती है। देश विदेश की बड़ी-बड़ी कम्पनियां इन बेटे-बेटियों की क्लाइंट हैं। दिखाने को तो अपने रिश्तेदार वकील के कैसेज संबंधित जज सुनता नहीं है लेकिन जो दूसरा जज सुनता है उसे यह पता होता है कि किस जज का रिश्तेदार उसकी अदालत में उपस्थित हुआ है। मैं यह नहीं कहता कि अंकल जजेज एक दूसरे के बेटे-बेटियों का ध्यान रखते हैं, लेकिन आम जनता में ऐसी धारणा है कि योग्य और काबिल युवा वकील बड़ी मुश्किल से 10-20 कैसेज ले पाते हैं जबकि अंकल जजेज के रिश्तेदारों के पास कैसेज की लाइन लगी होती है। मैं यह भी नहीं कहता कि अंकल जजेज के रिश्तेदार वकील काबिल नहीं हैं। जिस किसी भी व्यक्ति ने लॉ की डिग्री ली है उसे मुंसिफ कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में वकालत करने का हक है। यदि सुप्रीम कोर्ट जजेज की नियुक्ति में राजनैतिक दखल नहीं चाहता है तो उसे जजेज के बेटे-बेटियों की वकालत पर भी कोई नीति बनानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट यह भी समझ ले कि यदि कोई अंकल जज तमिलनाडु में नियुक्त है तो उसके रिश्तेदार वकीलों के हितों की रक्षा देश के सभी हाई कोर्ट में हो सकती है। मतलब कि अपने राज्यों के वकीलों को जहां कैसेज मिलने में परेशानी होती है वहीं दूसरे राज्य का वकील आकर बड़ी-बड़ी कम्पनियों की पैरवी संबंधित राज्य में करता है। सिर्फ इसलिए कि उसका रिश्तेदार कहीं न कहीं जज है। यह माना कि अदालतों में बहुत ईमानदारी से काम होता है। कोई भी न्यायाधीश किसी भी प्रकार के लालच में नहीं आता है और न ही अपने वकील बेटे-बेटियों की सिफारिश करता है, लेकिन फिर भी अंकल जजेज के रिश्तेदारों के बारे में कोई नीति बननी ही चाहिए ताकि देश की जनता का भरोसा न्यायपालिका के प्रति बना रहे।
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