Wednesday 31 August 2016

राजस्व मंडल के फैसले के खिलाफ वसुंधरा सरकार ने हाईकोर्ट में रिट क्यों नहीं की? धौलपुर राजपरिवार के इस फैसले को देने वाले अशफाक हुसैन आज दौसा के कलेक्टर हैं। ब्लॉक से मच गई खलबली।

#1713
राजस्व मंडल के फैसले के खिलाफ वसुंधरा सरकार ने हाईकोर्ट में रिट क्यों नहीं की?
धौलपुर राजपरिवार के इस फैसले को देने वाले अशफाक हुसैन आज दौसा के कलेक्टर हैं। ब्लॉक से मच गई खलबली।
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राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से जुड़े धौलपुर राज परिवार की करोड़ों की जमीन का जो मामला प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में उजागर नहीं हुआ, उसे पहली बार 30 अगस्त को ब्लॉग के जरिए मैंने उजागर किया। मुझे इस बात का संतोष है कि ब्लॉग से राजस्थान की राजनीति में खलबली मच गई। अब यह सवाल पूछा जा रहा है कि जब मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने जयपुर राजपरिवार की जमीन को लेकर सख्त कार्यवाही करवाई तो फिर वैसी ही कार्यवाही धौलपुर राजपरिवार की जमीन को लेकर क्यों नहीं की? धौलपुर के तत्कालीन एसडीएम ने राजघराने की कोई 800 बीघा  जमीन को सीलिंग कानून के दायरे में माना। इस फैसले के खिलाफ धौलपुर राजपरिवार के प्रमुख राणा हेमंत सिंह ने वर्ष 1996 में राजस्व मंडल में अपील की। इस अपील का निस्तारण मंडल के सदस्य असफाक हुसैन ने 4 सितम्बर 2015 को धौलपुर राजपरिवार के पक्ष में किया। हुसैन ने धौलपुर के एसडीएम के आदेश को निरस्त कर मामले को रिमांड के लिए भरतपुर के कलेक्टर को भिजवा दिया। 
चूंकि यह मामला करोड़ों रुपए की भूमि का था इसलिए सरकार को राजस्व मंडल के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में रिट करनी चाहिए थी। फैसले को हुए एक वर्ष हो गया, लेकिन आज तक भी हाईकोर्ट में रिट करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। प्रशासनिक क्षेत्रों में यह चर्चा आम है कि मंडल के जिन सदस्य अशफाक हुसैन ने फैसला दिया, उन्हें दौसा का जिला कलेक्टर नियुक्त किया गया है। यह माना कि अशफाक हुसैन ने किसी दबाव में यह फैसला नहीं दिया होगा, लेकिन यह भी सही है कि धौलपुर राजपरिवार का यह मामला अशफाक हुसैन की बेंच से पहले एक अन्य सदस्य प्रियवृत्त पांड्या की बेंच में सुनवाई के लिए लगा था। इस मुकदमे में पांड्या का क्या रुख रहा। यह तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के ताकतवर सचिव तन्मय कुमार ही जाने, लेकिन इतना जरूर है कि प्रियवृत्त पांड्या आज अजमेर नगर निगम के आयुक्त जैसे छोटे से पद पर काम कर रहे हंै। जबकि पांड्या आईएएस बनने से दस वर्ष पहले जोधपुर में आयुक्त का काम कर चुके हैं। पांड्या की भी पदोन्नति अशफाक हुसैन के साथ ही हुई थी। किस अधिकारी की कहां नियुक्ति की जाए, यह विशेषाधिकार धौलपुर घराने से जुड़ी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का ही है। 
हाल ही में जयपुर राजपरिवार के होटल राजमहल पैलेस  की 500 करोड़ रुपए की जमीन पर कब्जा लेने के लिए जयपुर विकास प्राधिकरण ने जो डंडा मार कार्यवाही की उसमें यह बता सामने आई है कि सीलिंग में आई जमीन को बचाने के लिए जो तर्क जयपुर ने दिए वो ही तर्क धौलपुर राजपरिवार ने दिए। सरकार ने जयपुर की जमीन को लेकर तो सुप्रीम कोर्ट तक में लड़ाई लड़ी। जबकि धौलपुर राजपरिवार के मामले को पिछले एक वर्ष से दबाए रखा गया है। अब तो हाईकोर्ट में रिट दायर करने की मयाद भी निकल गई है। जयपुर राजपरिवार को यह समझना चाहिए कि उनके खानदान का कोई मुख्यमंत्री नहीं है। जबकि धौलपुर राजपरिवार की सदस्य वसुंधरा राजे राजस्थान की मुख्यमंत्री हैं। इस राज में सरकार के किसी अधिकारी की इतनी हिम्मत है कि वह धौलपुर राजपरिवार के मामले में हाईकोर्ट में रिट दायर करवा दे? सरकार की नाराजगी कैसी होती है इसके बारे में आईएएस प्रियवृत्त पांड्या से पूछा जा सकता है। लेकिन पांड्या को इस बात का गर्व है कि उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा का उपयोग किसी राजपरिवार को खुश करने के लिए नहीं किया। जयपुर राजपरिवार को यह सवाल पूछने का पूरा हक है कि धौलपुर के मामले में हाईकोर्ट में रिट क्यों नहीं की गई? 
एक सितम्बर को जयपुर में सभा:
वसुंधरा सरकार ने जयपुर राजपरविार के खिलाफ जो कार्यवाही की है, उसके विरोध में एक सितम्बर को प्रात: सवा ग्यारह बजे जयपुर में त्रिपोलिया गेट पर एकसभा रखी गई है। इस सभा में अधिक से अधिक लोगों को एकत्रित करने के लिए राजपरिवार की प्रमुख राजमाता पद्मनी देवी ने भी अपील की है। इस सभा में भी धौलपुर राजपरिवार की जमीन के मामले को प्रमुखता के साथ रखा जाएगा। 

(एस.पी. मित्तल)  (31-08-2016)
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Monday 29 August 2016

कोचिंग की बीमारी की वजहसे तैयार नहीं होते खिलाड़ी। बिशप पायस थॉमस डिसूजा ने जताया अफसोस।

#1710
कोचिंग की बीमारी की वजहसे तैयार नहीं होते खिलाड़ी। 
बिशप पायस थॉमस डिसूजा ने जताया अफसोस। 
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अजमेर प्रांत के धर्म गुरु और कैथोलिक सम्प्रदाय के चिकित्सा एवं शिक्षण संस्थानों के प्रशासक बिशप पायस थॉमस डिसूजा नेकहा है कि कोचिंग की बीमारी की वजह से ही देश में खिलाड़ी तैयार नहीं हो रहे हैं। 
29 अगस्त को अजमेर के चन्दबरदाई नगर खेल मैदान पर राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में बिशप डिसूजा ने कहा कि उनके संस्थान की शिक्षण संस्थाओं में खेल खत्म से से हो गए हैं। विद्यार्थी किसी भी खेल में रुचि नहीं लेते हैं, क्योंकि स्कूल से घर जाने के बाद उन्हें कोचिंग के लिए जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह कोचिंग विद्यार्थियों को होशियार नहीं बना रही बल्कि बीमारी दे रही है। खेल नहीं खेलने की वजह से विद्यार्थी शारीरिक दृष्टि से कमजोर हो रहे हैं, वहीं मानसिक तनाव भी उत्पन्न हो रहा है। यही वजह है कि कोटा जैसे शहर में तो विद्यार्थी आत्महत्या कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को कोई ऐसी नीति बनानी चाहिए जिसमें शिक्षा के साथ-साथ खेलों को भी बढ़ावा मिले। वर्तमान समय में जो शिक्षा नीति है, उसमें विद्यार्थियों को कोचिंग जरूरी हो गई है। यदि स्कूली शिक्षा से  ही खेल भावना को बल मिले तो भारत भी ओलम्पिक में अनेक मैडल जीत सकता है। 
समारोह में मैंने कहा कि सरकार की खेल नीति में सुधार होना जरूरी है। खेल संघों पर खिलाडिय़ों से ज्यादा पदाधिकारियों का कब्जा है। ऐसे में खिलाडिय़ों को उनकी योग्यता के अनुरूप अवसर नहीं मिलता है। स्वामी न्यूज चैनल के चेयरमैन कंवल प्रकाश किशनानी ने कहा कि जिस  प्रकार से ध्यानचंद हॉकी के जादूघर कहलाए उसी प्रकार कड़ी मेहनतकर खिलाडिय़ों को आगे आना चाहिए। किशनानी ने चन्दबरदाई खेल मैदान के एस्ट्रोटर्फ की तारीफ की। खेल अधिकारी अभिमन्यु सिंह ने कहा कि भारतीय खेल प्राधिरकण के इस एस्ट्रोट्रफ का फायदा अजमेर के हॉकी खिलाडिय़ों को उठाना चाहिए। खेल प्रशिक्षक नंद किशोर शर्मा ने कहा कि इस मैदान पर सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध है। समारोह में सेंट एंसलम स्कूल के प्राचार्य सुसई मणिक्कम, सेंट पॉल स्कूल के प्राचार्य लूद जोसफ, शिक्षाविद एस.के.देव आदि ने भी विचार प्रकट किए। सभी अतिथियों ने हॉकी खिलाडिय़ों का परिचय भी लिया। इस मौके पर खिलाडिय़ों को हॉकी के उपकरण वितरित किए गए। समारोह का संचालन बॉस्केट बॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी विनीत लोहिया ने किया। 

(एस.पी. मित्तल)  (28-08-2016)
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यदि तरुण सागर महाराज नाराज नहीं है तो फिर अनुयायियों में गुस्सा क्यों? जैन संत का कथन प्रशंसनीय।

#1709
यदि तरुण सागर महाराज नाराज नहीं है तो फिर अनुयायियों में गुस्सा क्यों? जैन संत का कथन प्रशंसनीय।
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29 अगस्त को जब दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येन्द्र जैन क्रांतिकारी जैन संत तरुण सागर महाराज के पास माफी मांगने पहुंचे तो जैन संत ने महावीर स्वामी के सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि मैं न तो पहले नाराज था और न अब हूं। जैन संत तो प्रत्येक भाव से दूर है। जब हम लोगों को अहिंसा की शिक्षा देते हंै तो फिर गुस्से अथवा नाराजगी का तो सवाल ही नहीं उठता। इसलिए माफी देने का भी कोई अर्थ नहीं है। यदि मैं माफी देने की बात करता हूं तो यह प्रतीत होगा कि मैं पहले नाराज था। असल में सत्येन्द्र जैन अपनी पार्टी के कार्यकर्ता और सुप्रसिद्ध संगीत निदेशक विशाल डडलानी के बयान पर माफी मांगने गए थे। लेकिन तरुण सागर महाराज ने जो जवाब दिया वे अपने आप में प्रशंसनीय है। तरुण सागर कड़वे वचन करने के लिए विख्यात है। उनके कड़वे वचन का मतलब सही और सटीक बात करना होता है, इसलिए तरुण सागर को क्रांतिकारी संत के रूप में भी जाना जाता है। सत्ता में बैठे बड़े-बड़े राजनेता उनके चरणों में सिर झुकाते हैं, लेकिन तरुण सागर अपने प्रवचनों में कड़वी बात कहने में कोई झिझक नहीं दिखाते।
यह माना कि आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेता और दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल से लेकर विशाल डडलानी की जुबान पर कोई लगाम नहीं है, लेकिन यह भी सही है कि डडलानी ने तरुण सागर महाराज के लिए जो विवादित टिप्पणी की थी उस पर न केवल माफी मांग ली बल्कि राजनीति से अलग होने की घोषणा भी कर दी। सवाल डडलानी और सत्येन्द्र जैन के माफी मांगने का नहीं है। सवाल तररुण सागर महाराज के प्रशंसनीय कथन का है। जब तरुण सागर नाराज ही नहीं है तो देशभर में प्रदर्शन क्यों हो रहे है। 29 अगस्त को दिल्ली में पीएम हाऊस के बाहर भी प्रदर्शन किया है। एक और जब चंडीगढ़ में तरुण सागर महाराज सत्येन्द्र जैन से नाराज न होने की बात कह रहे तो उसी समय दिल्ली में केजरीवाल के घर के बाहर प्रदर्शन हो रहा था। जो लोग प्रदर्शन कर रहे है उन्हें तरुण सागर महाराज के प्रशंसनीय कथन का अनुसरण करना चाहिए। यदि तरुण सागर महाराज डडलानी की टिप्पणी से नाराज होते तो उनके समर्थकों का विरोध वाजिब होता। जहां तक ददलानी की टिप्पणी का सवाल है तो उसकी जितनी भी निंदा की जाए उतना कम है। किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं कि वे किसी धर्म के साधु संत के आचरण को लेकर टिप्पणी करे। अब कुछ लोग डडलानी की गिरफ्तारी की मांग कर रहे है, इसलिए देश के कई पुलिस थानों पर डडलानी के विरुद्ध रिपोर्ट भी दर्ज करवा दी गई है। डडलानी की गिरफ्तारी होने से पूरे विवाद का क्या हल निकलेगा यह आने वाला समय ही बताएगा।
(एस.पी. मित्तल)  (28-08-2016)
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बुरहानी वानी के पिता से श्रीश्री रविशंकर की मुलाकात पर बबेला क्यों? कफ्र्यू हटने पर कश्मीर घाटी में शांति रही।

#1708
बुरहानी वानी के पिता से श्रीश्री रविशंकर की मुलाकात पर बबेला क्यों?
कफ्र्यू हटने पर कश्मीर घाटी में शांति रही।
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आध्यत्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर और कश्मीर में एनकाउंटर में मारे गए हिजबुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी के पिता मुजफ्फर वानी के बीच हुई मुलाकात को लेकर इन दिनों वबाल मचा हुआ है जो लोग कश्मीर मे शांति बहाली न करने के लिए केन्द्र सरकार और कश्मीर की बीजेपी और पीडीपी की सरकार को दोषी मान रहे है, उन्हे ही श्रीश्री और मुजफ्फर वानी की मुलाकात पर ज्यादा ऐतराज है कहा जा रहा है कि जब वुरहान वानी को आंतकी मानते हुए मार दिया गया तो फिर श्रीश्री उसके पिता से मुलाकात क्यों कर रहे है। श्रीश्री और मुजफ्फर वानी की मुलाकात किस उद्देश्य से हुई यह तो वे ही जाने, लेकिन 29 अगस्त को जब 51 दिनों बाद कश्मीर घाटी से कफ्र्यू हटाया गया तो अधिकांश स्थानों पर शांति रही। लोगों ने सामान्य दिनों की तरह अपना कामकाज किया। आजादी के बाद यह पहला अवसर रहा जब घाटी में लगातार 51 दिनों तक कफ्र्यू लगा रहा। यह कफ्र्यू गत 8 जुलाई से तब लगा था, जब एनकाउंटर में बुरहान वानी मारा गया। यदि घाटी में शांति के लिए मुजफ्फर वानी में श्रीश्री ने बात की हो तो इस पर ऐतराज क्यो? यदि किसी भी रास्ते मे शांति के प्रयास हो रहे हैं तो अच्छी बात है। असल में पाकिस्तान के इशारे पर नाचने वाले कुछ लोग नहीं चाहते  कि कश्मीर घाटी में हालात सामान्य हो, इसलिए ऐसे तत्व हालात बिगाडऩे का दोषी ठहराते हैं तो वहीं श्रीश्री और मुजफ्फर वानी की मुलाकात का विरोध भी करते हंै। यदि आने वाले दिनों में घाटी में शांति बनी रहती है तो यह माना जाएगा कि केन्द्र और राज्य सरकार ने मिलकर जो रणनीति अपनाई वह सफल रही है, कश्मीर में शांति का मतलब है, पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देना। 

(एस.पी. मित्तल)  (28-08-2016)
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Sunday 28 August 2016

संघ का स्वयं सेवक होने का कारण 1949 में ही जेल चले गए थे स्व. जगन्नाथ जी यादव। 29 अगस्त को पुण्य तिथि पर अजमेर से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी। पुत्र अरविंद यादव हैं आज भाजपा के शहर अध्यक्ष।

#1704
संघ का स्वयं सेवक होने का कारण 1949 में ही जेल चले गए थे स्व. जगन्नाथ जी यादव। 29 अगस्त को पुण्य तिथि पर अजमेर से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी। 
पुत्र अरविंद यादव हैं आज भाजपा के शहर अध्यक्ष। 
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1975 में आपातकाल के दौरान जेल गए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा के नेता आज पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन अजमेर के इतिहास में यह भी दर्ज है कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद 1949 में जब संघ पर प्रतिबंध लगाया और तत्कालीन संघ प्रमुख माधवराव गोलवरकर की गिरफ्तारी हुई तो  अजमेर में भी संघ कार्यकर्ता के तौर पर जगन्नाथ यादव को गिरफ्तार किया गया था। जेल से बाहर आने के बाद यादव ने न केवल संघ का विस्तार किया, बल्कि जनदीप साप्ताहिक अखबार निकाल कर प्रचार प्रसार भी किया। यह ऐसा समय था जब संघ के स्वयं सेवक को अच्छी निगाह से नहीं देखा जाता था। जगन्नाथ यादव जैसे स्वयं सेवकों ने जो कष्ट उठाया, उसी का परिणाम है कि आज संघ की राजनीतिक शाखा भाजपा केन्द्र में सत्ता में है। यादव का निधन हुए 29 अगस्त को 20 वर्ष पूरे हो जाएंगे, लेकिन यादव ने संघ, जनसंघ, और भाजपा को जो मजबूती दिलाई, उसे आज भी याद किया जाता है। यंू तो यादव ने आजादी से पहले ही 1945 में अजमेर में संघ की गतिविधियां शुरू कर दी थी। 1956 में जब हाथी भाटा में केशव आर्ट प्रेस शुरू की तो इसी परिसर में संघ का कार्यालय भी खोला गया। इस कार्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय, जयदेव पाठक, किशन भाई, भैरोसिंह शेखावत, केदारनाथ सहानी, रघुवीर सिंह जैसे नेता न केवल ठहरते थे, बल्कि संगठन को मजबूत बनाने की रणनीति बनाते थे। आज भाजपा के नेता भले ही मंहगी कार में घुमते हों, लेकिन उस समय यादव ही इन नेताओं को अपनी साइकिल पर बैठाकर इधर-उधर ले जाते थे। स्व. यादव की 86 वर्षीय पत्नी श्रीमती चांद देवी उन दिनों को याद करती हैं जब परिवार के सदस्यों के साथ-साथ संघ के पदाधिकारियों को भी भोजन करवाना पड़ता था। स्व. यादव की राजनीति में रुची नहीं थी, उनकी रुचि संघ की गतिविधियों को बढ़ाने में लगी रहती थी। 1972 में जब संघ प्रमुख गुरु गोलवरकर की सभा पटेल मैदान पर हुई तो निमंत्रण कार्ड में यादव का नाम भी लिखा था। अजमेर के लेखाधिकारी रहे बृजेश शर्मा, श्याम भट्ट, आनंद थदानी, नवलराय बच्चानी, भाऊ प्रभुदास, महावीर प्रसाद शर्मा, भूदेव शास्त्री,नानक राम इसराणी, भगवान दास शास्त्री, शिवनारायण मेहरा, चिरंजी गर्ग, रतनलाल यादव, सूरज दूध वाले, यज्ञनारायण मेहरा, मास्टर भंवरलाल शर्मा आदि स्वर्गीय यादव के सहयोगी भी रहे। 
स्व. यादव के सबसे बड़े पुत्र रामदेव यादव का निधन हो चुका है, जबकि दूसरे नम्बर के पुत्र अरविंद यादव अजमेर शहर भाजपा के अध्यक्ष हैं। तीसरे पुत्र मधुसुदन यादव परंपरागत मुद्राण व्यावसाय में सक्रिय हैं। तो चौथे पुत्र पकंज यादव दैनिक भास्कर अखबार में वरिष्ठ संवाददाता हैं। स्वर्गीय रामदेव यादव के पुत्र अजय यादव राजस्थान पत्रिका में युवा पत्रकार हैं। स्वर्गीय जगन्नाथ यादव में श्रद्धाभाव से संघ को मजबूत करने में जो भूमिका निभाई उससे लोगों को खासकर युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। 
(एस.पी. मित्तल)  (28-08-2016)
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हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार समिति ने क्षेत्रपाल अस्पताल से लगाया नि:शुल्क चिकित्सा शिविर। क्षेत्रवासियों ने उठाया लाभ।

#1702
हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार समिति ने क्षेत्रपाल अस्पताल से लगाया नि:शुल्क चिकित्सा शिविर। क्षेत्रवासियों ने उठाया लाभ।
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अजमेर के पुष्कर रोड स्थित हरिभाऊ उपाध्याय नगर विकास समिति ने क्षेत्रपाल अस्पताल की ओर से सामुदायिक भवन में 28 अगस्त को नि:शुल्क चिकित्सा शिविर लगवाया। इस शिविर में क्षेत्रवासियों ने अपनी बीमारियों की जांच करवाकर परामर्श प्राप्त किया। शिविर का शुभारंभ मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, राजस्व मंडल के सदस्य विजय सोनी तथा मैंने किया। समिति के अध्यक्ष अरविन्द पारीक ने बताया कि शिविर में क्षेत्रपाल अस्पताल के अनुभवी डॉक्टर मनोज जैन, प्रतीक कोठारी, दीपक सांखला, विधाधर सिंह, अंकुर माथुर, उत्तमसिंह बडगुजर, आलोक अग्रवाल, स्मिता चपलोत, कोमल गोस्वामी आदि के साथ-साथ सहयोगी स्टाफ ने भी सेवाएं दीं। इस मौके पर अस्पताल के मालिक डॉ रमेश क्षेत्रपाल ने कहा कि किसी भी सामाजिक संस्था के प्रस्ताव पर उनके अस्पताल की ओर से नि:शुल्क चिकित्सा शिविर लगाया जाता है। इस शिविर का उद्देश्य जरूरतमंद लोगों की मदद करना है। अस्पताल में जिन जांचों का शुल्क लगता है वह सभी जांच शिविर में नि:शुल्क की जाती है। शिविर में लगे हार्टफुलनेस मेडिटेशन केन्द्र की प्रशंसा करते हुए मेयर गहलोत ने कहा कि अधिकांश बीमारियां तनाव की वजह से होती है। यदि व्यक्ति मेडिटेशन से अपने मस्तिष्क और शरीर की इन्द्रियों पर नियंत्रण कर ले तो उसे किसी डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं होगी। मेरा कहना रहा कि जिस तरह से इलाज महंगा हो गया है उसमें ऐसे चिकित्सा शिविर महत्वपूर्ण है। शिविर को सफल बनाने में बी आर खिलेरिया, अतुल चौरसिया, कमल पंवार, हेमन्त आदि का भी सक्रिय सहयोग रहा।

(एस.पी. मित्तल)  (28-08-2016)
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आसाराम बापू को मिला डीजी बंजारा का साथ। षडय़ंत्र के शिकार हुए हैं बापू।

#1703
आसाराम बापू को मिला डीजी बंजारा का साथ। षडय़ंत्र के शिकार हुए हैं बापू।
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28 अगस्त को जोधपुर की सेन्ट्रल जेल में गुजरात के चर्चित पूर्व आईपीएस डीजी बंजारा ने आसाराम बापू से मुलाकात की। नाबालिग के यौन शौषण के आरोप में आसाराम गत तीन वर्षो से जेल में बंद है। आसाराम से मुलाकात करने के बाद बंजारा ने कहा कि हिन्दू धर्म को बदनाम करने के लिए एक षडय़ंत्र के तहत बापू को फंसाया गया है। बंजारा ने कहा जब बड़े से बड़े अपराध के आरोपी की जमानत हो रही है तो फिर बापू को भी जमानत मिलनी चाहिए। मैं कानून के दायरे में रह कर बापू के लिए संघर्ष करूंगा। पुलिस सेवा से रिटायर होने पर मैंने सामाजिक क्षेत्र में काम करने की बात कही थी। मेरा यह दायित्व है कि मैं बापू को जेल से बाहर लाऊं। उन्होंने कहा तीन वर्ष लगातार जेल में रहने पर भी बापू ने हिम्मत नहीं हारी है। बापू ने अपने भक्तों को संदेश दिया है कि वे भक्तिभाव में लगे रहे और ऐसा कोई कार्य नहीं रंे, जिसकी वजह से कानून का उल्लंघन होता हो। बंजारा ने कहा कि आसाराम बापू निर्दोष हैं।


(एस.पी. मित्तल)  (28-08-2016)
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Thursday 25 August 2016

जन्माष्टमी पर भी एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव नहीं दिखाया देवनानी-भदेल ने।

#1697
जन्माष्टमी पर भी एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव नहीं दिखाया देवनानी-भदेल ने।
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25अगस्त को देशभर में जन्माष्टमी का पर्व प्रेम भाव और श्रद्धा के साथ मनाया गया। भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम का ही प्रतीक माना जाता है। लेकिन इस पवित्र पर्व पर भी राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने एक-दूसरे के प्रति प्रेम भाव प्रकट नहीं किए हैं। जन्माष्टमी के पर्व पर अजमेर के महाराजा दाहरसेन स्मारक पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में अजमेर शहर के ये दोनों भाजपा विधायक भी अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। देवनानी और भदेल पास-पास कुर्सी पर बैठे, लेकिन पूरी संगोष्ठी के दौरान एक-दूसरे से कोई संवाद नहीं किया। प्रेस फोटोग्राफरों ने मंच के जो फोटो खींचे उनसे साफ पता चल रहा है कि दोनों एक-दूसरे की शक्ल भी नहीं देखना चाहते हैं। भले ही दोनों पास-पास बैठें हो, लेकिन दोनों के मन की दूरियां बहुत थी। सब जानते हैं कि देवनानी और भदेल के बीच छत्तीस का आंकड़ा हैं। दोनों के बीच विवाद कई बार सार्वजनिक हो चुका है। आमतौर पर दोनों एक साथ किसी कार्यक्रम में उपस्थित नहीं होते, लेकिन किसी मजबूरी वश दोनों को शामिल होना पड़ता है तो मनमुटाव खुलकर सामने आ जाता है। 

(एस.पी. मित्तल)  (25-08-2016)
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ठेकेदार मेहता के निवास पर तीसरे दिन भी जांच का काम जारी।

#1696
ठेकेदार मेहता के निवास पर तीसरे दिन भी जांच का काम जारी।
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राजस्थान में सरकारी सड़कें बनाने के लिए मशहूर ए-क्लास ठेकेदार एच.एस.मेहता के अजमेर स्थित निवास पर 25 अगस्त को लगातार तीसरे दिन भी आयकर विभाग की जांच का काम जारी रहा। विभाग ने 23 अगस्त को मेहता के अजमेर, भीलवाड़ा, जयपुर, किशनगढ़, इंदौर, गोवा आदि के ठिकानों पर एक साथ छापामार कार्यवाही की थी। माना जा रहा है कि जांच के दौरान बड़े पैमाने पर बेनामी सम्पत्तियां मिली है। तीन दिनों की जांच में सभी ठिकानों से जो दस्तावेज एकत्रित हुए उन सबका संग्रहण कर काली कमाई का पता लगाया जा रहा है। मामले की गंभीरता को देखते हुए उदयपुर स्थित आयकर विभाग के संयुक्त आयुक्त एम.रघुवीर भी 24 अगस्त से ही अजमेर में हैं। रघुवीर ने वैशाली नगर स्थित मेहता के निवास स्थान पर भी जांच में भागीदारी निभाई है। उम्मीद है कि जांच का काम 26 अगस्त को भी जारी रहेगा। मालूम हो कि आयकर विभाग को शिकायत मिली थी कि मेहता ने अपने सड़क निर्माण के कारोबार से करोड़ों रुपए की सम्पत्ति की एकत्रित की और इसकी घोषणा अपने वार्षिक रिटर्न में नहीं की। ऐसी सम्पत्तियां मेहता ने अपने परिचितों और काम करने वाले नौकरों के नाम से खरीदी है। आयकर अधिकारियों के पास बेनामी सम्पत्तियों के कागजात पहले से ही मौजूद थे। इन सबके बारे में मेहता से पूछताछ हो रही है। 
(एस.पी. मित्तल)  (25-08-2016)
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पत्नी के शव को 10 किलो मीटर तक कंधे पर लाद कर चला एक आदिवासी। कुछ तो शर्म करें राजनेता और अधिकारी।

#1692
पत्नी के शव को 10 किलो मीटर तक कंधे पर लाद कर चला एक आदिवासी।
कुछ तो शर्म करें राजनेता और अधिकारी।
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25 अगस्त को एनडीटीवी न्यूज चैनल पर एक मार्मिक स्टोरी प्रसारित हुई, इसमें उड़ीसा राज्य के कालाहांड़ी जिले का एक आदिवादी दाना मांझी अपनी 42 वर्षीय पत्नी अमंग देई के शव को अपने कंधे पर लाद कर चल रहा था। दाना मांझी ने बताया कि 23 अगस्त की रात को भवानीपटना के जिला मुख्यालय के अस्पताल में टीबी की बीमारी से उसकी पत्नी की मौत हो गई। मांझी ने अस्पताल के चिकित्सकों से आग्रह किया कि पत्नी के शव को 60 किमी दूर मेलघारा गांव तक ले जाने के लिए एम्बुलैंस अथवा कोई वाहन उपलब्ध करवाया जाए। लेकिन संवेदनहीन चिकित्सकों ने वाहन का कोई इंतजाम नहीं किया। मांझी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह किराया वहन कर शव को गांव तक ले जाता। फलस्वरूप शव को मांझी ने एक चादर में लपेटा और अपने कंधे पर रख कर अस्पताल से गांव की ओर पैदल ही चल पड़ा। मांझी के साथ उसकी 12 वर्षीय मासूम बेटी भी हाथ में थैला लेकर चल रही थी, जो लोग सत्ता पर काबिज हैं,उन्हें उस मासूम बेटी के मन की कल्पना करनी चाहिए। जिस बेटी के बाप के कंधे पर मां का शव लदा हो, वह बेटी किस मानसिक पीड़ा से गुजर रही होगी। मांझी जब पत्नी के शव को लाद कर चल रहा था, तब अनेक पत्रकारों ने देखा और कलेक्टर को सूचना दी। कलेक्टर के दखल से वाहन आता, तब तक मांझी 10 किमी तक की दूरी तय कर चुका था। इस दूरी में कई जगह पत्नी के शव को एक पेड़ के सहारे खड़ा किया, ताकि मांझी सांस ले सके। कई जगह तो 12 वर्षीय मासूम बेटी ने चादर में लिपटी मां के शव को पकड़ा। इस पूरे घटनाक्रम से यह अंदाजा लगाया  जा सकता है कि देश के आदिवासी इलाकों में कितना विकास हुआ है। नवीन पटनायक उड़ीसा में लम्बे समय से सत्ता पर काबिज हैं, लेकिन दाना मांझी की कहानी बताती है कि विकास का लाभ आम आदिवासी तक नहीं पहुंचा है। ग्रामीण और खासकर आदिवासी क्षेत्रों में केन्द्र सरकार भी स्वास्थ्य सेवा पर करोड़ों रुपए खर्च करती है, लेकिन अब केन्द्र सरकार तो यही कहेगी कि यह मामता राज्य सरकार का है। इस मामले में जिला अस्पताल के उन चिकित्सकों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही होनी चाहिए, जिनकी वजह से दाना मांझी को सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं हुआ। 
(एस.पी. मित्तल)  (25-08-2016)
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मालपुरा के पटवारी काम पर लौटे। एसडीएम खोखर ने सरेआम माफी मांगी। टोंक कलेक्टर महावीर प्रसाद शर्मा के झूठ की पोल खुली। पूर्व एसडीएम प्रभातीलाल जाट भी बहाल।

#1693
मालपुरा के पटवारी काम पर लौटे।  एसडीएम खोखर ने सरेआम माफी मांगी।
टोंक कलेक्टर महावीर प्रसाद शर्मा के झूठ की पोल खुली।  
पूर्व एसडीएम प्रभातीलाल जाट भी बहाल। 
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25 अगस्त को राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा उपखंड के हड़ताली पटवारी काम पर लौट आए हैं। मालपुरा के एसडीएम सुखराम खोखर द्वारा पटवारी अमित जैन को गालियां देने के विरोध में पटवारी 22 अगस्त से हड़ताल पर थे। 24 अगस्त की रात को खोखर टोंक के एसडीएम सूरजमल नैगी के साथ पटवारियों के धरना स्थल पर आए और अपने बुरे बर्ताव के लिए सरेआम माफी मांगी, इसके साथ ही पटवारी अमित ने भी खेद प्रकट कर मामले को खत्म करने की घोषणा की। दोनों पक्षों में समझौता होने जाने के बाद पटवार संघ के अध्यक्ष रामदास माली ने बेमियादी हड़ताल को भी खत्म करने की घोषणा की। मालूम हो कि खोखर ने पटवारी जैन को जो गालियां दी थी, उसका टेप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसी को लेकर मैंने भी 23 अगस्त को ब्लॉग लिखा था। ब्लॉग की गूंज सरकार में होने के बाद ही कलेक्टर महावीर प्रसाद शर्मा ने नैगी को पटवारियों से वार्ता के लिए भेजा। हालांकि अब यह मामला समाप्त हो गया है, लेकिन इससे कलेक्टर शर्मा के झूठ की पोल भी खुल गई है। 23 अगस्त को जब मैंने कलेक्टर से विवाद के संबंध में जानकारी मांगी तो कलेक्टर ने कोई विवाद होने से ही इंकार कर दिया। कलेक्टर का कहना था कि उन्हें एसडीएम खोखर और पटवारी जैन के विवाद की कोई जानकारी नहीं है। जबकि 22 अगस्त को मालपुरा तहसील के पटवारी कलेक्टर से मिले औंर गालियों वाला ऑडियो टेप सुनाया। तब कलेक्टर ने भी माना कि एसडीएम खोखर का रवैया उचित नहीं है। लेकिन सरकार के प्रशासनिक तंत्र के लिए यह शर्मनाक बात है कि कलेक्टर की कुर्सी पर बैठा व्यक्ति झूठ बोल रहा है। यदि कलेक्टर स्तर पर इस तरह झूठ बोला जाएगा तो टोंक के प्रशासनिक तंत्र का अंदाजा लगाया जा सकता है। 
खोखर का कदम लाजवाब:
अपनी गलती के लिए माफी मांगना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन इस कठिन काम को एसडीएम खोखर ने किया। खोखर चाहते तो इस विवाद को बढ़ा सकते थे, क्योंकि भाजपा विधायक  कन्हैयालाल चौधरी और कलेक्टर का पूरा समर्थन था। उल्टे विधायक चौधरी ने तो पटवारी अमित जैन का ही दोष माना था। चौधरी का कहना था कि पटवारी जैन प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत किसानों के नुकसान को रिकॉर्ड नहीं कर रहा है। लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक समर्थन के बाद भी खोखर ने माफी मांग कर लाजवाब काम किया है। इसके लिए खोखर को शाबाशी मिलनी ही चाहिए। मेरी नजर में माफी मांगने वाला महान व्यक्ति होता है। उम्मीद है कि अब खोखर अपने मन में पटवारी जैन के प्रति कोई द्वेष भी नहीं रखेंगे। 
प्रभातीलाल जाट भी बहाल:
इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि मालपुरा के पूर्व एसडीएम प्रभातीलाल जाट भी 24 अगस्त को ही बहाल हो गए। कार्मिक विभाग ने जारी आदेश में जाट को सभी आरोप से दोष मुक्त कर दिया। जाट पर एक महिला ने दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए जयपुर के श्याम नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। पुलिस जांच में इस रिपोर्ट को सही नहीं माना गया। न्यायालय में पुलिस की एफआर मंजूर होने के बाद सरकार ने भी जाट को बहाल कर दिया। जाट का आरोप है कि मालपुरा के एसडीएम के पद पर रहते हुए जिन प्रभावशाली और दबंग व्यक्तियों के खिलाफ कार्यवाही की थी, उन्होंने एक षडय़ंत्र के तहत झूठा मुकदमा दर्ज करवाया। जाट का कहना है कि मालपुरा का आम नागरिक आज भी उनकी कार्यशैली की प्रशंसा करता है। 

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तो एडीए में खामाखां में टिके हुए हैं सुनील सिंघल। आयुक्त ने कहा कि सरकार का नहीं है कोई आदेश।

#1695
तो एडीए में खामाखां में टिके हुए हैं सुनील सिंघल। 
आयुक्त ने कहा कि सरकार का नहीं है कोई आदेश।
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सुनील सिंघल अजमेर के जलदाय विभाग में एसई के पद पर कार्यरत हैं। सिंघल को जलदाय विभाग से ही वेतन, वाहन आदि की सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन इसे सिंघल की जोड़तोड़ ही कहा जाएगा कि वे अजमेर विकास प्राधिकरण में सक्रियता के साथ काम करते हैं। सिंघल की प्राधिकरण में दखलांदाजी को देखते हुए ही स्थानीय निकाय ने प्राधिकरण की आयुक्त श्रीमती विनीता श्रीवास्तव को एक पत्र लिखा है। इसमें यह जानना चाहा कि सिंघल जलदाय विभाग के बजाए प्राधिकरण में किसके आदेश से काम कर रहे हैं। सरकार के इस पत्र के जवाब में आयुक्त की ओर से कहा गया है कि सिंघल के कामकाज को लेकर सरकार का कोई आदेश नहीं है। यानि सिंघल खामाखां में प्राधिकरण में काम कर रहे हैं। 
सीएमओ के आदेश:
सिंघल के संबंध में प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा का कहना है कि सीएमओ के आदेश से सिंघल की सेवाएं प्राधिकरण में ली जा रही हैं। सिंघल प्राधिकरण में तकनीकी सलाहकार की भूमिका निभा रहे हैं। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की यात्रा की तैयारियों में भी सिंघल का विशेष योगदान रहा। हो सकता है कि सीएमओ के आदेश स्थानीय निकाय विभाग तक नहीं पहुंचे। हेड़ा ने कहा कि स्थानीय निकाय विभाग को प्राधिकरण से पत्र व्यवहार करने की जरुरत नहीं थी। अब इस मामले में सीएमओ से ही संवाद किया जाएगा। 
नहीं रहे उपयोगी:
असल में सिंघल को प्राधिकरण में इसलिए लाया गया था ताकि प्राधिकरण की आवासीय कॉलोनियों में पेयजल की समस्या का समाधान हो। चूंकि सिंघल जलदाय विभाग के ही अधीक्षण अभियंता हैं, इसलिए उम्मीद की गई थी कि कॉलोनियों की समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन इस उम्मीद का उल्टा हो गया। सिंघल जिस विभाग के एसई हैं, उसी विभाग ने प्राधिकरण को पत्र लिखा है कि आवासीय कॉलोनियों में यदि पाइप लाइन बिछवानी है तो खर्च की राशि एडवांस में जलदाय विभाग में जमा करवानी होगी।  जलदाय विभाग की ओर से स्पष्ट किया गया जिन कॉलोनियों में करोड़ों रुपए के भूखंड बेचकर प्राधिकरण कमाई कर रहा है, उन में जलदाय विभाग अपने खर्च पर पाइप लाइन नहीं बिछा सकता। मालूम हो कि प्राधिकरण के पुष्कर घाटी स्थित महाराणा प्रताप स्मारक पर लेजर शो का ठेका अपने रिश्तेदार को दिलवाने को लेकर भी सुनील सिंघल चर्चा में आए थे। 
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Wednesday 24 August 2016

गिरिराज पर्वत की परिक्रमा के लिए अजमेर में मची होड़। 26 अगस्त तक विराजमान हैं भगवान।

#1690
गिरिराज पर्वत की परिक्रमा के लिए अजमेर में मची होड़। 
26 अगस्त तक विराजमान हैं भगवान।
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23 अगस्त की शाम को अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और चित्ती संस्थान की अध्यात्मिक गुरु अनादी सरस्वती के साथ मुझे भी अजमेर के आना सागर लिंक रोड स्थित सार्वजनिक उद्यान में विराजमान गिरिराज पर्वत की परिक्रमा और आरती करने का अवसर मिला। जिस प्रकार मथुरा-वृंदावन में गिरिराज भगवान की आरती होती है उसी तर्ज पर आरती का आयोजन किया गया। अजमेर के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब गिरिराज पर्वत को अजमेर में विराजमान करवाया गया है। जो लोग किसी कारण से मथुरा-वृंदावन में गिरिराज पर्वत की 21 कोसी परिक्रमा नहीं कर सके, उन्होंने यहां विराजमान पर्वत की परिक्रमा कर पुण्य कमाया। श्री श्याम सेवक कल्याण संघ के प्रमुख राकेश डीडवानिया ने बताया कि मथुरा वृंदावन के पंडितों और जानकारों की सलाह से ही गिरिराज भगवान के अंश को अजमेर लाया गया है ताकि पर्वत का धार्मिक महत्त्व बना रहे, जिस श्रद्धा भाव से अंश को लाया गया है उसी भाव से अंश को वापस मथुरा वृंदावन ले जाए जाएगा। चूंकि ऐसा धार्मिक आयोजन पहली बार हुआ है, इसलिए अजमेर के श्रद्धालुओं में परिक्रमा की होड़ मची हुई है। इस परिसर में भगवान के विभिन्न स्वरूपों के मंदिर भी बनाए गए हैं। मुखारविंद पर दुग्धाभिषेक के भी विशेष इंतजाम किए गए हैं। 20 अगस्त से शुरू हुआ यह धार्मिक आयोजन 26 अगस्त को धूमधाम से सम्पन्न होगा। आयोजन को सफल बनाने के लिए ओम प्रकाश सोमानी, रविन्द्र वैष्णव, किशन गुप्ता, सूरजमल गोयल, श्यामबिहारी शर्मा, मुकेश डीडवानिया, गोपाल चन्द्र गोयल आदि की भी सक्रिय भूमिका है। 

(एस.पी. मित्तल)  (24-08-2016)
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छात्र संघ चुनाव परिणाम से राजस्थान में कांग्रेस को मिली संजीवनी।

#1691
छात्र संघ चुनाव परिणाम से राजस्थान में कांग्रेस को मिली संजीवनी।
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24 अगस्त को छात्रसंघ चुनावों के परिणाम से राजस्थान में कांग्रेस को संजीवनी मिल गई है। गत लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जहां कांगे्रस का सूपड़ा साफ हो गया था, वहीं छात्र संघ चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा की बराबरी कर ली है। कई जिलों में तो कांग्रेस के एनएसयूआई के उम्मीदवार भाजपा के एबीवीपी से आगे रहे हैं। पिछले चुनावों के परिणाम की वजह से कांग्रेस मृत प्राय: थी, लेकिन छात्र संघ चुनावों में जिस प्रकार एनएसयूआई के उम्मीदवार विजयी हुए हैं, उससे प्रतीत होता है कि राजस्थान में माहौल तेजी से बदल रहा है। इसमें कोई दोराय नहीं कि छात्र संघ चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने सक्रिय भूमिका निभााई है। सत्ता में होने के कारण भाजपा के एबीवीपीके उम्मीदवारों को जितवाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन इसके बावजूद प्रदेश भर में एनएसयूआई के उम्मीदवार विजयी हुए हैं। कॉलेजों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की उम्र 18 वर्ष से अधिक ही है। ऐसे में यही विद्यार्थी अगले विधानसभा चुनाव में मतदान करेंगे। भाजपा को अब यह विचार करना चाहिए कि मात्र ढाई वर्ष में माहौल क्यों बदल रहा है। 

(एस.पी. मित्तल)  (24-08-2016)
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आखिर राजनाथ सिंह कश्मीर में किससे संवाद करेंगे? कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस नहीं कर रही कोइ पहल। --------------------------------------------

#1687
आखिर राजनाथ सिंह कश्मीर में किससे संवाद करेंगे? कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस नहीं कर रही कोइ पहल। 
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24 अगस्त को केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह कश्मीर के हालात सुधारने के लिए श्रीनगर के नेहरू गेस्ट हाऊस में जाकर बैठ गए हैं। सिंह 25 अगस्त को भी इसी गेस्ट हाऊस में जमे रहेंगे। सिंह ने कहा कि कोई भी राजनेता और व्यक्ति उनसे आकर मिल सकता है ।असल में कश्मीर में डेढ़ माह से भी ज्यादा समय से कफ्र्यू लगा हुआ है। जब कभी कफ्र्यू में ढील देने के प्रयास होते हैं तो अलगाववादियों की ओर से सुरक्षा बलों पर हमले शुरू हो जाते हैं। हालातों को सुधारने के लिए ही राजनाथ सिंह दो दिवसीय दौरे पर कश्मीर गए हैं। सिंह ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि उन लोगों से कोई बात नहीं की जाएगी, जो कश्मीर को भारत से अलग करने की मांग कर रहे हैं। ऐसे में अलगाववादी तो सिंह से मुलाकात करेंगे ही नहीं। जहां तक कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का सवाल है, ऐसा प्रतीत होता है कि ये दोनों राजनीतिक दल भाजपा और पीडीपी की संयुक्त सरकार को कटघरे में खड़ा करना चाहते हैं। इन दोनों दलों का यही प्रयास है कि वर्तमान हालातों के लिए बीजेपी और पीडीपी की सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाए। माना जा रहा है कि कांग्रेस और एनसी का कोई भी नेता राजनाथ सिंह से मिलने नहीं आएगा। आज कश्मीर के जो हालात हो गए हैं, उसमें राजनीतिक प्रक्रिया से समाधान होना मुश्किल नजर आ रहा है। यह माना कि अलगाववादियों के साथ कम लोग हैं, लेकिन यह भी सही है कि अलगाववादियों का खुलेआम विरोध भी कश्मीर घाटी में नहीं हो पा रहा है। यदि अलगाववादियों का विरोध संभव होता तो घाटी में डेढ़ माह से कफ्र्यू नहीं लगा होता। यह भी सही है कि कश्मीर के हालात बिगाडऩे में पाकिस्तान में बैठे हाफिज सईद जैसे नेताओं की भूमिका है। इन्हीं के इशारे पर घाटी में आए दिन आतंकवादी घटनाएं हो रही हैं। पीएम नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में जो कई हजार करोड़ का पैकेज देने की घोषणा की, उसका असर भी घाटी में नहीं हुआ है। यदि कश्मीर को भारत में बनाए रखना है तो अभी और सख्त कदम उठाने होंगे। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि अलगाववादियों ने घाटी से चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगा दिया। आज सम्पूर्ण कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गई है। 

(एस.पी. मित्तल)  (24-08-2016)
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अजमेर के सेंट्रल गल्र्स स्कूल की छात्राओं ने सीखे कत्थक के गुर। जिला प्रमुख नोगिया ने कहा मुझे छात्रा ही समझा जाए। ----------

#1688
अजमेर के सेंट्रल गल्र्स स्कूल की छात्राओं ने सीखे कत्थक के गुर। 
जिला प्रमुख नोगिया ने कहा मुझे छात्रा ही समझा जाए। 
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अजमेर की 25 वर्षीया जिला प्रमुख कुमारी वंदना नोगिया ने कहा है कि मुझे आज भी पुरानी मंडी स्थित सेंट्रल गल्र्स स्कूल की छात्रा ही समझा जाए। जिला प्रमुख बनने के बाद मैं जब भी इस स्कूल में आयोजित किसी समारोह में अतिथि के तौर पर आती हंू तो मुझे अपने विद्यार्थी काल की याद आ जाती है। नोगिया ने यह बात 24 अगस्त को इस स्कूल में आयोजित स्पिक मैके के कत्थक समारोह में कही। स्पिक मैके की ओर से सुप्रसिद्ध कत्थक कलाकार शिवालिका द्वारा नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी गई। साथ ही शिवालिका और अजमेर कत्थक कला केन्द्र की निदेशक सुश्री दृष्टि रॉय ने छात्राओं को कत्थक नृत्य के गुर सिखाए। इस मौके पर कुमारी नोगिया ने कहा कि 11वीं और 12वीं की पढ़ाई मैंने इसी स्कूल से की है। मैं जब भी इस स्कूल में आती हंू तो मैं अपने आप को छात्रा ही समझती हंू। स्कूल की प्रिंसिपल अंशु बंसल से नोगिया ने आग्रह किया कि उन्हें समारोह का अतिथि न मान कर एक साधारण छात्रा ही माना जाए। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात है कि पांच साल पहले जिस स्कूल में पढ़ती थी, आज उसी स्कूल में अतिथि के तौर पर उपस्थित हंू। वंदना ने छात्राओं से कहा कि यदि दृढ़ इच्छा शक्ति है तो कोईभी मुकाम हासिल किया जा सकता है। इसी समारोह में अतिथि के तौर पर मैंने कहा कि कत्थक कोई नृत्य नहीं है, बल्कि इससे हमारी भारतीय संस्कृति प्रदर्शित होती है। लेकिन आज अफसोसनक है कि युवा पीढ़ी का रुझान टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले अश्लील और भद्दे डांस की ओर है। यदि छात्राएं भारतीय संस्कृति के अनुरूप कत्थक नृत्य का अनुशरण करें तो हमें हमारी संस्कृति से रूबरू होने का अवसर भी मिलेगा। समारोह में प्रमुख शिक्षाविद डॉ. संदीप अवस्थी, राजेश शर्मा, कृष्णगोपाल पाराशर आदि ने भी विचार प्रकट किए। समारोह में बड़े ही प्रभावी तरीके से शिवालिका ने अपनी कला का प्रदर्शन किया। 

(एस.पी. मित्तल)  (24-08-2016)
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अजमेर के ए क्लास ठेकेदार एच.एस.मेहता के ठिकानों पर छापामार कार्यवाही जारी। करोड़ों का खुलासा होने की उम्मीद। संयुक्त आयकर आयुक्त एम रघुवीर अजमेर पहुंचे।

#1689
अजमेर के ए क्लास ठेकेदार एच.एस.मेहता के ठिकानों पर छापामार कार्यवाही जारी।
करोड़ों का खुलासा होने की उम्मीद। संयुक्त आयकर आयुक्त एम रघुवीर अजमेर पहुंचे। 
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अजमेर के बहुचर्चित ए क्लास ठेकेदार एच.एस.मेहता के ठिकानों पर 24 अगस्त को भी आयकर विभाग की छापामार कार्यवाही चलती रही। जांच पड़ताल में करोड़ों रुपए की काली कमाई का पता लगने की उम्मीद है। मामले की गंभीरता को देखते हुए ही आयकर विभाग के संयुक्त आयुक्त एम. रघुवीर उदयपुर से अजमेर पहुंच गए हैं। असल में मेहता के ठिकानों से ऐसे दस्तावेज भी मिले हैं, जो बेनामी है। यानि मेहता ने अपने नौकरों, ड्राइवरों आदि के नाम पर करोड़ों की सम्पत्तियां खरीदी और फिर अपने बेटों और रिश्तेदारों के नाम पावर ले ली। ऐसी सम्पत्तियां मेहता ने अपने वार्षिक रिटर्न में नहीं लिखी। 23 अगस्त को मेहता के अजमेर, जयपुर, भीलवाड़ा, किशनगढ़ शहरों के दफ्तरों आदि पर ही जांच पड़ताल शुरू की गई थी, लेकिन 24 अगस्त को विभाग के अधिकारियों ने जांच को गोवा और इंदौर तक फैला दिया। जानकार सूत्रों के अनुसार मेहता ने राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में भी सम्पत्तियां खरीदी और बेची हंै। सूत्रों के अनुसार एक धार्मिक ट्रस्ट के माध्यम से भी काली कमाई को सफेद किया गया है। पुष्कर में करीब पांच करोड़ रुपए के मूल्य की जमीन अपने ड्राइवर के नाम खरीदना बताया जा रहा है। यह जमीन एससी वर्ग की है। एच.एस.मेहता का मुख्य काम सरकार की सड़कें बनाना है। चूंकि सरकारी सड़कों के काम में रियायती दरों पर सीमेंट, सरिया, डामर आदि भी प्राप्त होता है, इसलिए माना जा रहा है कि बड़े पैमाने पर सरकारी सामग्री भी खुर्द बुर्द हुई है। चूंकि जांच का दायरा अन्य राज्यों में भी फैल गया है। इसलिए 25 अगस्त को भी मेहता के ठिकानों पर कार्यवाही जारी रहेगी। सम्पूर्ण और विस्तृत जांच के बाद ही आयकर विभाग काली कमाई की घोषणा करेगा। मेहता के ठिकानों पर छापामार कार्यवाही करने से पहले विभाग ने गहन रैकी की थी। इस रैकी में ही पता चला कि मेहता के पास करोड़ों की काली कमाई है। मेहता ने अजमेर में नमक बेचने से अपना कारोबार शुरू किया था, लेकिन आज मेहता का कारोबार राजस्थान से बाहर भी फैला हुआ है। सरकारी ठेकों से ही मेहता ने काली कमाई एकत्रित की है। यदि आयकर विभाग की जांच आगे बढ़ती है तो सरकारी विभागों के इंजीनियर भी चपेट में आ जाएंगे। 

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Tuesday 23 August 2016

मालपुरा के एसडीएम सुखराम खोखर ने पटवारी अमित जैन को दी गालियां। टोंक कलेक्टर ने कहा मुझे नहीं है जानकारी। विधायक कन्हैया लाल चौधरी ने कहा पटवारी नहीं करता काम।

#1684
मालपुरा के एसडीएम सुखराम खोखर ने पटवारी अमित जैन को दी गालियां। टोंक कलेक्टर ने कहा मुझे नहीं है जानकारी। 
विधायक कन्हैया लाल चौधरी ने कहा पटवारी नहीं करता काम। 
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राजस्थान के टोंक जिले के मालपुरा क्षेत्र के एसडीएम सुखराम खोखर और राजपुरा क्षेत्र के पटवारी अमित कुमार जैन का एक ऑडियो टेप सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। 22 अगस्त के संवाद में खोखर ने पटवारी जैन को भद्दी गालियां दी हैं। यहां तक कि पटवारी को नाजायज औलाद तक कहा। एसडीएम खोखर इतने गुस्से में थे कि उन्होंने पटवारी को सरे आम अनगिनत जूते मारने तक की धमकी दी। हालांकि इस संवाद में पटवारी जैन ने भी अपने अंदाज से खोखर को जवाब भी दिया। वायरल हुए टेप से जाहिर होता है कि टोंक जिले के प्रशासन में सही तरीके से काम नहीं हो रहा है। हालात बद से बदत्तर हैं। इसका अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि 23 अगस्त को जब मैंने टोंक जिले के कलेक्टर महावीर प्रसाद शर्मा से पूरे घटनाक्रम के संबंध में जानकारी चाही तो कलेक्टर ने कहा कि मुझे तो घटना के बारे में कुछ भी पता नहीं है। कलेक्टर का यह बयान भी बताता है कि उनका अपने प्रशासन पर कोई नियंत्रण नहीं है। क्योंकि एसडीएम और पटवारी के गाली गलौज वाला टेप सिर्फ सोशल मीडिया में ही वायरल नहीं हो रहा बल्कि 23 अगस्त को दैनिक भास्कर सहित अनेक अखबारों में भी ऑडियो टेप के अनुरूप खबर प्रकाशित हुई है। ऐसा प्रतीत होता है कि जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद शर्मा तथ्यों को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। हो सकता है कि कलेक्टर अपने एसडीएम को भी बचाने के प्रयास में हों। 
मेरे आवाज नहीं-खोखर:
ऑडियो टैप के संबंध में आरोपी एसडीएम खोखर ने कहा कि मेरा पटवारी अमित जैन से कोई विवाद नहीं हुआ है। सोशल मीडिया में गाली गलौज का जो टेप वायरल हो रहा है, वह मेरी आवाज नहीं है। एसडीएम खोखर की यह सफाई बताती है कि वे सफेद झूठ बोल रहे हैं। मालपुरा के जिन लोगों का रोजाना खोखर से वास्ता पड़ता है, उनका दावे के साथ कहना है कि यह आवाज खोखर की ही है। 
विधायक कन्हैयालाल चौधरी की साफगोई:
पूरे घटनाक्रम के संबंध में मैंने मालपुरा के क्षेत्रीय विधायक कन्हैयालाल चौधरी से भी सम्पर्क किया। चौधरी ने अपने स्पष्ट अंदाज में कहा कि एसडीएम खोखर ने पटवारी जैन को डांटा है। मैंने ही पटवारी की शिकायत एसडीएम से की थी। मेरे पास राजपुरा ग्राम पंचायत के सैकड़ों किसान आए और उन्होंने शिकायत की कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ पटवारी अमित जैन नहीं दे रहा है। वर्षा की वजह से जो नुकसान हुआ है, उसका इंद्राज राजस्व रिकॉर्ड में पटवारी नहीं कर रहा है। इस पटवारी की पहले भी अनेक शिकायतें आई हैं। चौधरी ने कहा कि जब सरकार किसानों को मदद करना चाहती है तो फिर पटवारी राजस्व रिकॉर्ड में नुकसान का इंद्राज क्यों नहीं कर रहा? उन्होंने कहा कि मेरी शिकायत पर ही एसडीएम खोखर ने पटवारी जैन को डांटा है और अब पटवारी अपनी गलती छुपाने के लिए एसडीएम पर गाली-गलौज का आरोप लगा रहा है। 
पटवारी हड़ताल पर:
एसडीएम ने पटवारी के साथ जो गाली-गलौज की है उसके विरोध में 23 अगस्त से मालपुरा के सभी पटवारी हड़ताल पर चले गए हैं। पटवारियों ने मालपुरा तहसील कार्यालय के बाहर बेमियादी धरना शुरू कर दिया है। पटवारियों की मांग है कि जब तक खोखर को एसडीएम के पद से नहीं हटाया जाता, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। 
पहले के एसडीएम दुष्कर्म के आरोप में हट चुके हैं:
ऐसा प्रतीत होता है कि मालपुरा के एसडीएम का विवादों से नाता रहता ही है। खोखर से पहले प्रभातीलाल जाट को दुष्कर्म के आरोपों के चलते एसडीएम के पद से हटाया गया था। खोखर की नियुक्ति अभी चार माह पहले ही मालपुरा के एसडीएम के पद पर हुई है। 

(एस.पी. मित्तल)  (23-08-2016)
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Monday 22 August 2016

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की अजमेर की तिरंगा यात्रा की प्रशंसा। मनसुख भाई और भूपेन्द्र यादव को ट्वीटर के जरिए दी शाबाशी।

#1680
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की अजमेर की तिरंगा यात्रा की प्रशंसा। 
मनसुख भाई और भूपेन्द्र यादव को ट्वीटर के जरिए दी शाबाशी। 
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अजमेर में निकली तिरंगा यात्रा पर भाजपा के कार्यकर्ताओ ंकी पीठ थपथपाई है। अजमेर से राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री भूपेन्द्र यादव की निगरानी में 20 और 21 अगस्त को शहर और जिलेभर में तिरंगा यात्रा का आयोजन किया। ऐसी यात्राएं अजमेर शहर सहित ब्यावर, नसीराबाद, केकड़ी, पुष्कर, मसूदा, किशनगढ़ आदि में बड़े उत्साह और जोश के साथ निकाली गई। यात्रा के फोटो और संक्षिप्त समाचार को यादव ने ट्वीटर पर पोस्ट किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तत्काल यादव की पोस्ट का जवाब भी ट्वीटर पर दे दिया। इसी प्रकार केन्द्रीय मंत्री मनसुख भाई मंडावलिया ने पुष्कर की यात्रा ट्वीट किया तो इसका जवाब भी मोदी ने दिया। मोदी ने जिस तरह अजमेर की तिरंगा यात्राओं की प्रशंसा की है, उससे देहात भाजपा के अध्यक्ष बी.पी.सारस्वत बेहद उत्साहित हैं। सारस्वत ने कहा कि अजमेर के भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए यह उत्सावद्र्धक बात है कि प्रधानमंत्री स्वयं प्रशंसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देहात के पांच विधानसभा क्षेत्र में तिरंगा यात्रा के प्रति कार्यकर्ताओं ने जबरदस्त उत्साह दिखाया। खास बात तो यह है कि इस यात्रा में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हुए। 
यादव की भूमिका:
तिरंग यात्रा के लिए भूपेन्द्र यादव लगातार दो दिनों तक अजमेर में ही रहे। यादव की उपस्थिति ने भी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरा। यादव स्वयं कार्यकर्ताओं के वाहनों में बैठे और देशभक्ति के नारे लगाए। विभिन्न स्थानों पर यात्राओं को संबोधित करते हुए यादव ने कहा देश के वर्तमान हालातों में तिरंगा यात्रा का खास महत्त्व है। कश्मीर में जिस तरह से पाकिस्तान के इशारे पर आतंकवादी वारदातें हो रही है, उसमें तिरंग यात्रा से देश की भावनाओं को प्रकट किया गया है। 
नजर नहीं आए सांसद जाट:
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर हुई देशव्यापी तिरंगा यात्रा को सफल बनाने के लिए राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव लगातार दो दिनों तक अजमेर में जमे रहे, लेकिन अजमेर से लोकसभा के भाजपा सांसद सांवरलाल जाट कहीं भी नजर नहीं आए। तिरंगा यात्रा में जाट की गैर मौजूदगी भाजपा की राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है। माना जा रहा है कि हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल  से हटाए जाने के कारण जाट नाराज चल रहे हैं। हाल ही में सम्पन्न हुए पंचायती राज के उपचुनावों में भी जाट ने सक्रिय भूमिका नहीं निभाई। बार-बार बुलाने के बाद भी जाट अपने निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा का प्रचार करने नहीं आए। इन तीनों उपचुनावों में हार की वजह से भाजपा की किरकिरी हुई। 

(एस.पी. मित्तल)  (22-08-2016)
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केकड़ी पालिका के अध्यक्ष अनिल मित्तल की एक वर्ष की उपलब्धियों पर विधायक शत्रुघ्न गौतम का साया। शानदार रहा मित्तल-गौतम का जश्न। --------------------------------------------

#1681
केकड़ी पालिका के अध्यक्ष अनिल मित्तल की एक वर्ष की उपलब्धियों पर विधायक शत्रुघ्न गौतम का साया। शानदार रहा मित्तल-गौतम का जश्न।
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देश के सुप्रसद्धि शायर आर.के.मजबूर ने कहा है 'मानना ही इबादत हैÓ कुछ इसी तर्ज पर अजमेर जिले की केकड़ी नगर पालिका के अध्यक्ष अनिल मित्तल अपना कामकाज कर रहे है। मित्तल ने 21 अगस्त को केकड़ी के कृषि मंडी के विशाल शैड के नीचे अपने कार्यकाल का एक वर्ष का शानदार जलसा किया। पूरा पांडाल केकड़ी के गणमान्य लोगों से खचाखच भरा हुआ था। एक वर्ष के जश्न के मौके पर पालिका अध्यक्ष ने खासतौर से मुझे आमंत्रित किया। मैंने यह महसूस किया कि जश्न तो पालिका अध्यक्ष का है, लेकिन इस पर केकड़ी के भाजपा विधायक शत्रुघ्न गौतम का साया छाया रहा। चूंकि मानना ही इबादत है कि नीति पर मित्तल चल रहे हैं, इसलिए जश्न में मालाएं और शॉल मित्तल से ज्यादा गौतम के गले में थे। केकड़ी के व्यापारिक संगठनों ने भी स्वागत करने में विधायक को पहली प्राथमिकता दी, इससे प्रतीत होता है कि विधायक गौतम की केकड़ी में अच्छी लोकप्रियता है। आमतौर पर राजनीति में खासकर सत्तारुढ़ दल में नेताओं के बीच खींचतान होती रहती है। लेकिन केकड़ी में पालिकाध्यक्ष और विधायक ने अच्छा तालमेल देखने को मिल रहा है। इसका फायदा केकड़ी के नागरिकों को ही मिला है। मित्तल इसलिए तेजी से विकास करा पाए, क्योंकि विधायक के कारण राज्य सरकार का समर्थन मिल रहा है। पिछले एक वर्ष में पालिका ने एक रुपए की भी अपनी जमीन या सम्पत्ति नहीं बेची, लेकिन फिर भी 20 करोड़ रुपए के विकास कार्य करवा दिए। यानि पालिका ने अपने स्तर पर आय में भी वृद्धि की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान को सफल बनाने के लिए 6 कचरा संग्रहण वाहन खरीदे गए और अब 6 और ऐसे वाहन खरीदे जा रहे हैं। स्वभाविक है कि जब वाहन घर अथवा दुकान के बाहर आएगा तो लोग वाहन में ही कचरा डालेंगे। सभी 30 वार्ड में नाली, सड़क, स्ट्रीट लाइट आदि के काम कराए गए। शहरभर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का काम शुरू हो चुका है। भावी योजनाओं में खेल स्टेडियम, कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स आदि के साथ-साथ केकड़ी को फ्री वाई-फाई सुविधा दी जाएगी। केकड़ी के चारों तरफ रिंग रोड बनाकर बाहरी क्षेत्रों का भी महत्त्व बढ़ाया जाएगा। 
केकड़ी के 30 में से 25 वार्डों में भाजपा के पार्षद हैं। यह सभी पार्षद मित्तल के नेतृत्व में एक जुट हैं। जहां तक ईमानदारी का सवाल है तो अनिल मित्तल उन नेताओं में से हैं जो अपनी जेब से पैसा लगाकर राजनीति कर रहे हैं। तेल मीलें होने के कारण मित्तल आर्थिक दृष्टि से मजबूत हैं। उल्टे पालिकाध्यक्ष के कामकाज की वजह से मित्तल अपने कारोबार पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। पालिका में पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ काम हो, इसके इंतजाम भी मित्तल ने किए हैं। आज केकड़ी का हर नागरिक यह मानता है कि पालिका अध्यक्ष के स्तर पर कोई भ्रष्टाचार नहीं है। तेजतर्रार पार्षद सुरेन्द्र जोशी का कहना है कि केकड़ी के अब तक के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब इतने सरल स्वभाव का कोई नेता अध्यक्ष बना है। 21 अगस्त को हुए समारोह में सभी पार्षदों ने एक स्वर से मित्तल की प्रशंसा की। समारोह के उद्घोषक सुप्रसिद्ध कवि बुद्धि प्रकाश दाधीच ने भी अपनी बुलंद आवाज से समारोह को इतिहासिक बना दिया। समारोह में एक साल बेमिसाल नामक स्मारिका भी विमोचन हुआ। समारोह में वीणा कैसेट की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम की भी प्रस्तुति दी गई। 
(एस.पी. मित्तल)  (22-08-2016)
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बरसात में भी लगा आर्ट ऑफ लिविंग का योग शिविर। नियमित योग से स्वस्थ्य रहा जा सकता है-वंदना नोगिया।

#1683
बरसात में भी लगा आर्ट ऑफ लिविंग का योग शिविर। 
नियमित योग से स्वस्थ्य रहा जा सकता है-वंदना नोगिया।
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22 अगस्त को अजमेर के कोटड़ा के बी.के.कौल नगर में क्वीन मेरी स्कूल के निकट सार्वजनिक उद्यान में जब श्रीश्री रविशंकर के आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यकर्ताओं ने योग शिविर शुरू किया तो बरसात हो रही थी। बरसात के बाद भी कार्यकर्ताओं ने प्रात: 6 बजे शिविर का दीप प्रज्ज्वलन करवा दिया। शिविर के शुभारंभ समारोह में अजमेर की जिला प्रमुख वंदना नोगिया और मुझे अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया। हम दोनों ने ही टपकती बूंदों के बीच दीप प्रज्ज्वलित कर शिविर का शुभारंभ किया। हमने देखा कि आर्ट ऑफ लिविंग  से जुड़े लोग बरसात में भी योग की क्रियाएं सीखने के लिए तैयार हैं। यह शिविर 24 अगस्त  तक प्रात:6 बजे से 8 बजे तक लगेगा। जिला प्रमुख नोगिया ने कहा कि यदि नियमित योग किया जाए तो जिन्दगी भर स्वस्थ रहा जा सकता है। मेरा कहना रहा कि इस शिविर में आने वाले व्यक्तियों के रोग तीन दिन में दूर हो जाएंगे। योग के साथ ध्यान और प्रणायाम भी सीखा गया तो जीवन भी सरल और तनाव मुक्त हो जाएगा। जयपुर से आए योग प्रशिक्षक इंजीनियर महेश भाई ने कहा कि श्रीश्री रवि शंकर जी की प्रेरणा से हम सिर्फ योग ही नहीं सीखते बल्कि ध्यान और प्रणायाम के माध्यम से इंद्रियों को नियंत्रित करने का अभ्यास भी करवाते हैं। योग के साथ ध्यान और प्रणायाम होना बहुत जरूरी है। तीन दिवस योग शिविर में आर्ट ऑफ लिविंग के अरुण जोशी, बहन अनिता, चन्दा गुप्ता, गीतांजलि मीणा, बाल किशन सांखला, भूपेश सांखला आदि सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। शिविर के आयोजन में लोकप्रिय पार्षद राजेन्द्र सिंह पंवार की भी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। 
जिला प्रमुख को वजन बढ़ाने की जरुरत:
अजमेर की 25 वर्षीया सुश्री वंदना नोगिया को अपना वजन बढ़ाने की जरुरत है। योग शिविर के समारोह के बाद उद्यान के निकट ही चलने वाले आप का अपना न्यूट्रीजॉन 66 के अवलोकन के दौरान ही नोगिया ने विशेष मशीन पर अपनी लम्बाई और वजन की जांच करवाई। 153 सेमी लम्बाई और 25 वर्ष की उम्र के अनुसार नोगिया का वजन करीब 53 किलो होना चाहिए, लेकिन नोगिया का वजन 51 किलो ही है। सेंटर के प्रभारी रितेश सांखला और भूपेश सांखल ने नोगिया को सलाह दी कि वे दो किलो वजन बढ़ाने के साथ शरीर में फेट की मात्रा भी बढाएं। नोगिया ने सेंटर पर हर्बल पद्धति से वजन घटाने और बढ़ाने की प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी ली। 
(एस.पी. मित्तल)  (22-08-2016)
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संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सही सवाल उठाया। अब कांग्रेस ही बताए कि बढ़ती आबादी को कैसे खिलाएं?

#1682
संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सही सवाल उठाया। अब कांग्रेस ही बताए कि बढ़ती आबादी को कैसे खिलाएं?
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने 21 अगस्त को कहा कि कौन से कानून में यह लिखा है कि हिन्दू ही कम या दो ही बच्चे पैदा करें। भागवत ने अपने बयान में हिन्दू आबादी की तुलना मुस्लिम आबादी से नहीं की और न ही यह कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का कोई नियम मुस्लिम समुदाय पर लागू नहीं होता है, लेकिन इसके बाद भी भागवत के इस बयान को जवाब देना के लिए कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को आगे कर दिया। आजाद ने कहा की यदि हिन्दू जनसंख्या बढ़ाएंगे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह बताए कि बढ़ती आबादी को खिलाएंगे कैसे। यानि आजाद यह तो मानते हैं कि लगातार आबादी बढऩे से देश में खाने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। आजाद ने भागवत के बयान पर जो सवाल नरेन्द्र मोदी से पूछा है, वहीं सवाल  आजाद की कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी पूछना चाहिए। सवाल हिन्दू या मुसलमान का नहीं है। लेकिन यदि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई नियम बनाए जाते हैं अथवा प्रयास किए जाते हैं तो वे देश के सभी नागरिकों पर लागू होने चाहिए। और इसमें कांग्रेस और गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं को भी सहयोग करना चाहिए। यदि जनसंख्या नियंत्रण पर समान नीति लागू हो तो फिर बढ़ती जनसंख्या पर आजाद को प्रधानमंत्री से सवाल पूछने की जरुरत नहीं पड़ेगी। 
(एस.पी. मित्तल)  (22-08-2016)
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संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सही सवाल उठाया। अब कांग्रेस ही बताए कि बढ़ती आबादी को कैसे खिलाएं?

#1682
संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सही सवाल उठाया। अब कांग्रेस ही बताए कि बढ़ती आबादी को कैसे खिलाएं?
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने 21 अगस्त को कहा कि कौन से कानून में यह लिखा है कि हिन्दू ही कम या दो ही बच्चे पैदा करें। भागवत ने अपने बयान में हिन्दू आबादी की तुलना मुस्लिम आबादी से नहीं की और न ही यह कहा कि जनसंख्या नियंत्रण का कोई नियम मुस्लिम समुदाय पर लागू नहीं होता है, लेकिन इसके बाद भी भागवत के इस बयान को जवाब देना के लिए कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद को आगे कर दिया। आजाद ने कहा की यदि हिन्दू जनसंख्या बढ़ाएंगे तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह बताए कि बढ़ती आबादी को खिलाएंगे कैसे। यानि आजाद यह तो मानते हैं कि लगातार आबादी बढऩे से देश में खाने की समस्या उत्पन्न हो सकती है। आजाद ने भागवत के बयान पर जो सवाल नरेन्द्र मोदी से पूछा है, वहीं सवाल  आजाद की कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी पूछना चाहिए। सवाल हिन्दू या मुसलमान का नहीं है। लेकिन यदि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई नियम बनाए जाते हैं अथवा प्रयास किए जाते हैं तो वे देश के सभी नागरिकों पर लागू होने चाहिए। और इसमें कांग्रेस और गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं को भी सहयोग करना चाहिए। यदि जनसंख्या नियंत्रण पर समान नीति लागू हो तो फिर बढ़ती जनसंख्या पर आजाद को प्रधानमंत्री से सवाल पूछने की जरुरत नहीं पड़ेगी। 
(एस.पी. मित्तल)  (22-08-2016)
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Saturday 20 August 2016

मंजीत सिंह की पहचान वाली फर्म पर फिदा है अजमेर नगर निगम और प्राधिकरण। किराए पर साइकिल मिलने की योजना शुरू।

#1678
मंजीत सिंह की पहचान वाली फर्म पर फिदा है अजमेर नगर निगम और प्राधिकरण।
किराए पर साइकिल मिलने की योजना शुरू।
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20 अगस्त को अजमेर में किराए पर साइकिल मिलने की सुविधा की योजना शुरू हो गई है। राजस्थान में अजमेर पहला शहर है जहां इस तरह की योजना शुरू हुई है। 20 अगस्त को कलेक्टर गौरव गोयल, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने साइकिल चला कर इस योजना का शुभारंभ किया। योजना के लिए दिल्ली की फर्म लेट्स साइकिल बॉय ग्रीन रिव्युलेशन से निगम ने एक अनुबंध किया है। इस अनुबंध के मुताबिक फर्म को निगम शहर के दस प्रमुख स्थानों पर 10&25 वर्ग फीट की जगह उपलब्ध करवाएगी। इसकी एवज में यह फर्म मात्र दो हजार रुपए प्रति स्थान शुल्क देगी। इन स्थानों पर जो लोहे के पिंजरे बनेंगे, उसका खर्च भी प्राधिकरण के द्वारा उठाया जाएगा। सवाल उठता है कि दिल्ली की इस फर्म पर निगम और प्राधिकरण इतना मेहरबान क्यों है? रेलवे स्टेशन, मदारगेट, वैशाली नगर, नया बाजार, सुभाष बाग आदि महत्वपूर्ण स्थानों पर क्या मात्र दो हजार रुपए प्रतिमाह के शुल्क में 10&25 वर्ग फीट की जगह उपलब्ध करवाई जा सकती है? और जब साइकिल किराए पर दी जाएगी तो फिर प्राधिकरण लाखों रुपए खर्च कर लोहे के पिंजरे फर्म को नि:शुल्क क्यों दे रहा है? जानकारों की माने तो संबंधित फर्म प्रदेश के नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव मंजीत सिंह की पहचान वाली है। इस फर्म के साझेदार वीरेन्द्र चौपड़ा भी 20 अगस्त को योजना के शुभारंभ के मौके पर अजमेर आए। चौपड़ा की मिजाजपूर्सी में जिस तरह से निगम व प्राधिकरण के अधिकारी लगे हुए थे उससे साफ प्रतीत हो रहा था कि मंजीत सिंह का सीधा दखल है। जहां तक इस फर्म के द्वारा शहरवासियों को साइकिल उपलब्ध करवाने का सवाल है तो तीन स्कीमों में साइकिलें उपलब्ध होंगी। कोई भी व्यक्ति चार हजार रुपए अमानत के तौर पर जमा करवाकर साइकिल की सुविधा ले सकता है। जिस व्यक्ति को दस रुपए प्रति घंटा की दर पर साइकिल लेनी है उसे पहले दो सौ रुपए पंजीयन शुल्क जमा करवाना होगा। इस पंजीयन के अभाव में दस रुपए वाली सुविधा नहीं मिलेगी।
हेड़ा ने दिखाया उत्साह :
20 अगस्त को जब कलेक्टर और मेयर ने साइकिल चलाई तो प्राधिकरण के अध्यक्ष हेड़ा भी पीछे नहीं रहे। हेड़ा ने भी यह जताने की कोशिश की कि उन पर उम्र का कोई असर नहीं है और वे युवा कलेक्टर और मेयर की रफ्तार के साथ साइकिल चला सकते हैं। मालूम हो कि इन दिनों कलेक्टर और मेयर की जोड़ी की चर्चा है। हेड़ा इस जोड़ी को तिगड़ी बनाने में लगे हुए हैं। हालांकि कलेक्टर गोयल अपनी ओर से हेड़ा के सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
(एस.पी. मित्तल)  (20-08-2016)
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मौत का घाट बन गया है रामप्रसाद घाट।

#1677
मौत का घाट बन गया है रामप्रसाद घाट।
20 अगस्त के अखबारों में भी छपा कि अजमेर के आनासागर के किनारे बने रामप्रसाद घाट पर एक जायरीन की डूबने से मौत हो गई। 18 अगस्त को भी तीन जायरीन युवकों की इसी तरह मौत हो गई थी। अक्सर रामप्रसाद घाट पर ही जायरीन की डूबने से मौत होती है। इसीलिए अब इसका नाम मौत का घाट बन गया है। अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए आने वाले अनेक जायरीन इस घाट पर स्नान करते हैं। इसके पीछे जायरीन की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हैं। मान्यता के अनुसार इसी घाट पर ख्वाजा साहब भी वजू करते थे। यही वजह है कि इस घाट पर दिनभर जायरीन की भीड़ लगी रहती है। उर्स और मोहर्रम के मौके पर तो यहां स्नान करने वालों का तांता लगा रहता है। ऐसे में प्रशासन को सुरक्षा के जो इंतजाम करने चाहिए, वह नहीं है। चूंकि आनासागर में बारह नालों का गंदा पानी भी आता है, इसीलिए आनासागर वर्ष भर भरा रहता है। यह माना कि जायरीन युवक तैरने के चक्कर में गहरे पानी में चले जाते हैं लेकिन फिर भी इस घाट पर सुरक्षा के इंतजाम तो होने ही चाहिएं। घाट पर ऐसा कोई सुरक्षाकर्मी नहीं होता जो गहरे पानी में जाने से जायरीन को रोके। अच्छा हो कि प्रशासन रामप्रसाद घाट पर जायरीन की सुरक्षा के माकूल इंतजाम करे ताकि आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं से बचा जा सके।
(एस.पी. मित्तल)  (20-08-2016)
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आखिर क्यों जरूरत पड़ रही है तिरंगा यात्रा की? क्या देशभक्ति के जज्बे में कमी है?

#1676
आखिर क्यों जरूरत पड़ रही है तिरंगा यात्रा की? क्या देशभक्ति के जज्बे में कमी है?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर देशभर में 20 और 21 अगस्त को तिरंगा यात्रा निकाली जा रही है। अनेक स्थानों पर केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता यात्रा में पहुंच कर देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। इसी सिलसिले में 20 अगस्त को अजमेर में भी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव ने बजरंगगढ़ चौराहे पर बने विजय स्तम्भ पर यात्रा को संबोधित किया। यादव का कहना रहा कि हर नागरिक को देशभक्ति दिखानी चाहिए। यादव ने यह भी कहा कि नरेन्द्र मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने पाकिस्तान को करार जवाब दिया है। चाहे पाक अधिकृत कश्मीर को खाली करने का मुद्दा हो या फिर ब्लूचिस्तान में पाक सेना के अत्याचार का मामला। मोदी ने साफ कर दिया है कि अब हमारे कश्मीर पर पाकिस्तान का कोई दबाव स्वीकार नहीं किया जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि मोदी ने हाल ही दिनों मों पाकिस्तान पर कई बार हमले किए हैं। ऐसे माहौल में भाजपा की तिरंगा यात्रा राजनैतिक दृष्टि से मायने रखती है। यदि देश के अन्दर भी देशभक्ति का माहौल प्रदर्शित होता रहे तो अन्र्तराष्ट्रीय मंच पर मोदी पाकिस्तान से मुकाबला कर सकते हैं लेकिन वहीं यह सवाल भी उठता है कि क्या भारत में देशभक्ति के जज्बे में कोई कमी है? हर व्यक्ति को देशभक्त होना ही चाहिए, इसका पाठ पढ़ाने की क्या जरूरत है। क्या भारत में ऐसे लोग ही हैं जो देशभक्त नहीं हैं? हम सब देखते हैं कि कश्मीर में आए दिन आतंकी संगठन आईएस और पाकिस्तान के झंडे लहरते हैं। इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण बात और क्या हो सकती है कि पिछले 42 दिनों से कश्मीर घाटी में कफ्र्यू लगा हुआ है। कफ्र्यू के दौरान भी सुरक्षा बलों पर हमले हो रहे हैं।
(एस.पी. मित्तल)  (20-08-2016)
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Friday 19 August 2016

वाकई अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का एक साल बेमिसाल है। यह बात भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के पार्षद मानते हैं।

#1673
वाकई अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का एक साल बेमिसाल है। 
यह बात भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के पार्षद मानते हैं। 
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अजमेर नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का एक वर्ष का कार्यकाल पूरा होने पर देश के सबसे बड़े दैनिक अखबार भास्कर ने एक साल बेमिसाल नामक एक पुस्तक प्रकाशित की है। यह पुस्तक भास्कर के पाठकों को नि:शुल्क दी जा रही है। इस पुस्तक में जहां मेयर गहलोत की उपलब्धियां बताई गई है, वहीं निगम के सभी 60 वार्डों में पार्षदों द्वारा करवाए गए कार्य भी लिखे गए हैं। पार्षद गहलोत की पार्टी भाजपा का हो या विपक्ष-कांग्रेस का। सभी पार्षदों के रंगीन फोटो के साथ उनके वार्ड में हुए विकास कार्यों का विवरण है। यही वजह है कि अब भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के पार्षद गहलोत के एक साल को बेमिसाल मानते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार अजमेर आकर और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट अपने चुनाव क्षेत्र अजमेर में विकास न होने की बात करे, लेकिन कांग्रेस का शायद ही कोई पार्षद हो, जो अपने वार्ड में विकास कार्य न होने का आरोप लगाए। गहलोत ने भास्कर से प्रकाशित पुस्तक में यह बता दिया है कि कांग्रेस के पार्षदों के वार्डों में भी विकास कार्य करवाए गए हैं। निगम के 60 वार्डों में भाजपा के 31 और कांग्रेस के 22 पार्षद हैं। शेष 7 निर्दलीय पार्षद भी गहलोत के पक्के समर्थक माने जाते हैं। इसलिए नगर निगम में पार्षदों के बीच राजनीति का माहौल है ही नहीं। नगर निगम में गहलोत परिवार की भावना से काम चल रहा है। इसे गहलोत की बेमिसाल कार्यशैली ही कहा जाएगा कि एक भी पार्षद को न तो सफाई और न अतिक्रमण होने की समस्या है। 
विपरित हालातों में संभाला था मेयर का पद:
साल भर पहले गहलोत ने विपरीत परिस्थितियों में मेयर का पद संभाला था। मेयर बनाने से पहले ही भाजपा के पार्षदों में बगावत हो गई। बगावत भी ऐसी गहलोत की उम्मीदवारी को उन्हीं की पार्टी के दिग्गज पार्षद सुरेन्द्र सिंह शेखावत ने चुनौती दी। चुनौती भी ऐसी की मतदान में दोनों को तीस-तीस पार्षदों के वोट मिले। यदि शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी गोली नहीं देते तो गहलोत का मेयर बनाना न मुमुकिन था। चीखने और चिल्लाने वाले अपना काम करते रहे और दगहलोत ने मेयर की शपथ ले ली। सब जानते हैं कि उन दिनों पूरे शहर में पक्के निर्माण तोडऩे की अफरा-तफरी मची हुई थी। हाईकोर्ट ने 490 कॉमर्शियल अवैध निर्माण को तोडऩे के आदेश दे दिए थे। जिन परिस्थितियों में गहलोत ने मेयर का पद संभाला, उस में माना जा रहा था कि आने वाले दिन मुश्किल भरे होंगे। लेकिन आज शहरवासी देख रहे हैं कि कोई अफरा-तफरी नहीं है। गहलोत ने अपनी कार्यशैली से ऐसा रास्ता निकाला की हाईकोर्ट के आदेश की पालना भी हो जाए और किसी का अवैध निर्माण भी न टूटे। पिछले एक वर्ष में गहलोत ने शहर के शायद ही किसी व्यक्ति को नराज किया हो। शहरभर के कारोबारी भी कांग्रेस के पार्षदों की तरह संतुष्ट हैं। निगम के अधिकांश अधिकारी और कर्मचारियों से भी गहलोत के मधुर संबंध हैं। सब जानते हैं कि कांग्रेस के शासन में तत्कालीन मेयर कमल बाकोलिया की आए दिन निगम में अधिकारियों से झड़प होती रहती थी। लेकिन अब निगम के अधिकारी एवं कर्मचारी गहलोत को अपने परिवार का मुखिया मानते हैं। सरकार ने चाहे किसी अधिकारी की नियुक्ति की हो, गहलोत ने सभी से काम चला लिया, इसमें कोई दो राए नहीं गहलोत को अधिकारियों से काम लेना आता है। 
कलेक्टर से दोस्ती:
गहलोत के एक साल बेमिसाल में जिला कलेक्टर गौरव गोयल की भी भूमिका है। सब जानते हैं कि गहलोत के पिछले कार्यकाल में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से अच्छे संबंध नही ंथे। कलेक्ट्रेट पर हुए कचरा कांड एवं अन्य कारणों से राजे नाराज ही रही, लेकिन इसे कलेक्टर गोयल के प्रयास ही कहे जाएंगे कि अब सीएम राजे गहलोत को एक अच्छा राजनीतिज्ञ मानती हैं। स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में जब सीएम दो दिन अजमेर में रही तो कलेक्टर ने कई मौकों पर मेयर गहलोत की प्रशंसा की। सीएम को भी इस बात पर आश्चर्य हुआ कि धर्मेन्द्र गहलोत में इतना बदलाव कैसे हो गया। गहलोत के संबंध सुधरने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भास्कर की पुस्तिका विमोचन भी सीएम ने किया। यदि गौरव गोयल ने अजमेर में दो वर्ष कलेक्टरी कर ली तो यह जोड़ी अजमेर के कई बड़े भाजपा नेताओं को पीछे छोड़ देगी। कलेक्टर तो चले जाएंगे, लेकिन  गहलोत का झंडा अजमेर की राजनीति की जमीन पर बहुत मजबूती के साथ गाड देंगे। 
(एस.पी. मित्तल)  (19-08-2016)
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रियो में भारतीय पहलवान नरसिंह यादव का इस तरह बेइज्जत होना देश की प्रतिष्ठा के लिए अच्छा नहीं। खेल संघों में हो आमूल-चूल परिवर्तन।

#1674
रियो में भारतीय पहलवान नरसिंह यादव का इस तरह बेइज्जत होना देश की प्रतिष्ठा के लिए अच्छा नहीं। खेल संघों में हो आमूल-चूल परिवर्तन। 
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19 अगस्त को सुबह-सुबह ही टीवी चैनलों पर यह खबर आ गई कि भारतीय पहलवान नरसिंह यादव को रियो ओलंपिक की प्रतियोगिता से बाहर कर दिया है। मादक पदार्थ की जांच करने वाली विश्वस्तरीय संस्थान वाडा ने माना कि यादव ने भारत में तैयारियों के दौरान ऐसी दवाइयां ली, जिससे शरीर में ताकत बढ़ती है। इतना ही नहीं वाडा ने यादव को चार वर्ष के लिए बैन भी कर दिया। भारत के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात हो ही नहीं सकती। अब जब यादव के वजन वाली कुश्ती की प्रतियोगिता शुरू होगी तो विश्व के दो सौ देशों के सामने यह घोषणा की जाएगी कि भारतीय पहलवान को डोपिंग की वजह से बाहर कर दिया है। इसलिए दूसरे वरियता वाले देश के पहलवान को शामिल किया जा रहा है। हालांकि मैं कुश्ती में हो रही भारतीय पहलवानी पर लिखना नहीं चाहता था, लेकिन आज ही सोशल मीडिया पर नरेन्द्र मोदी का वो भाषण सुनने को मिला जो जुलाई 2013 में पुणे में दिया था। तब मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने थे। पुणे में मोदी ने एक समारोह में कहा कि मुझे दु:ख होता है जब सवा सौ करोड़ वाले देश को एक दो मैडल मिलते हैं। मोदी ने कहा कि क्या हम सेना के जवानों के बीच में से खिलाडी़ तैयार नहीं कर सकते। लेकिन इसके लिए सरकार के पास सोच नहीं है। जुलाई 2013 में जब मोदी ने यह बात कही तो लोगों ने माना कि मोदी जब प्रधानमंत्री बन जाएंगे तो देश में खेल और खिलाडिय़ों की दशा भी सुधार जाएगी। 
आज जब नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं तो वाडा ने हमारे एक पहलवान को प्रतियोगिता से ही बाहर कर दिया है। पहलवान यादव के विवाद पर मैं इसलिए भी लिख रहा हंू कि यह मामला सीधे तौर पर नरेन्द्र मोदी से जुड़ा है। सब जानते हैं कि गत माह जब भारत में डोपिंग की जांच करने वाली संस्था नाडा ने नरसिंह यादव को डोपिंग का दोषी माना था तो प्रधानमंत्री मोदी ने ही हस्तक्षेप कर नाडा के फैसले को बदलवाया और यादव को ही रियो भेजने का फैसला किया। तब भी सम्पूर्ण देश में पीएम की इस पहल का स्वागत किया, लेकिन तब कुश्ती फैडरेशन से लेकर प्रधानमंत्री तक ने यह नहीं सोचा की यादव के डोपिंग का मामला प्रतियोगिता से पहले वाडा के समक्ष भी जाएगा। यदि इतनी सोच और समझ होती तो वाडा के सामने यादव का पक्ष मजबूती के साथ रखा जाता। इससे ज्यादा और शर्मनाक बात क्या होगी कि 18 अगस्त की रात को जब वाडा के प्रतिनिधि यादव के मुद्दे पर सुनवाई कर रहे थे, तब भारत की ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं था। वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दिल्ली के वकील ने यादव का पक्ष रखने की कोशिश की, लेकिन इस सवाल का जवाब नहीं आया कि यादव के भोजन में किसी ने नशीला पदार्थ मिलाया तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ भारत में अब तक कार्यवाही क्यों नहीं की। पहली बात तो वाडा ने इस तर्क को माना ही नहीं द्वेषतावश किसी ने भोजन में नशीला पदार्थ मिला दिया। जुलाई 2013 में नरेन्द्र मोदी तत्कालीन केन्द्र सरकार की सोच की बात करते हैं, लेकिन अगस्त 2016 में यह ध्यान ही नहीं रखा जाता कि पहलवान यादव के आरोपों की जांच कोई विश्व स्तरीय संस्था भी करेगी। जहां तक केन्द्रीय खेल मंत्री विजय कुमार गोयल का सवाल है तो उनका होना या न होना बराबर है। अब उन लोगों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। जिन्होंने नरसिंह यादव को जबरन रियो ओलंपिक में भेज दिया। सब जानते हैं कि खिलाडिय़ों के साथ कुश्ती में जो राजनीति की पहलवानी हो रही है, उसी वजह से दुनिया के सामने भारत के पहलवान को बेईज्जत होना पड़ा। अच्छा हो कि प्रधानमंत्री भारतीय खेल संघों में आमूलचूल परिवर्तन करावें। 
(एस.पी. मित्तल)  (19-08-2016)
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Thursday 18 August 2016

अजमेर में आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से प्राणायाम ध्यान शिविर 22 अगस्त से।

#1669
अजमेर में आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से प्राणायाम ध्यान शिविर 22 अगस्त से।
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अजमेर के कोटड़ा स्थित बी के कौल नगर में क्वीन मैरी स्कूल के निकट हनुमान मंदिर परिसर के सार्वजनिक पार्क में आर्ट ऑफ लिविंग संस्था की ओर से प्राणायाम ध्यान शिविर लगाया जाएगा। पार्षद राजेन्द्र सिंह ने बताया कि यह शिविर 22 से 24 अगस्त तक रोजाना प्रात: 6 बजे से शुरू होगा। शिविर के माध्यम से प्राणायाम के जरिए मन मस्तिष्क को नियंत्रित करने की क्रियाएं सीखाई जाएंगी। शिविर में संस्था के विशेषज्ञ प्राणायाम के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे। शिविर के बारे में अधिक जानकारी करने के लिए मोबाइल नम्बर 9828526976, 8560950782 तथा 8003859123 पर संपर्क किया जा सकता है।
(एस.पी. मित्तल)  (18-08-2016)
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तो कश्मीर में महबूबा के हाथ से ही क्यों गिरा तिरंगा? पाक चैनलों व सोशल मीडिया पर वायरल है वीडियो।

#1670
तो कश्मीर में महबूबा के हाथ से ही क्यों गिरा तिरंगा? पाक चैनलों व सोशल मीडिया पर वायरल है वीडियो।
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पूरे देश की तरह 15 अगस्त को जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के बक्शी स्टेडियम में भी तिरंगा झंडा फहराने का समारोह हुआ। लेकिन पूरे देश में जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती अकेली रही, जो राष्ट्रध्वज को फहरा नहीं सकी। सूबे की मुख्यमंत्री की हैसियत से जैसे ही महबूबा ने रस्सी खींच कर तिरंगा फहराने का प्रयास किया तो  झण्डा लोहे के पाइप से नीचे आकर गिर गया। आनन-फानन में सुरक्षाकर्मियों ने गिरे हुए झण्डे को उठाया और अपने हाथों से ऊंचा किया तब महबूबा ने तिरंगे को सलामी दी। यह माना जा सकता है कि तिरंगा गिरना एक हादसा है। लेकिन सवाल उठता है कि यह हादसा उसी श्रीनगर में क्यों हुआ, जहां खुलेआम आतंकी संगठन आईएस और पाकिस्तान के झण्डे लहराए जाते है। सब जानते हैं कि बक्शी स्टेडियम 15 अगस्त पर ध्वजारोहण की जिम्मेदारी जम्मू कश्मीर की आम्र्ड पुलिस की थी। हो सकता है अब जांच के बाद पुलिस और श्रीनगर प्रशासन के एक दो कार्मिकों को निलम्बित कर दिया जाए। लेकिन भारत का तिरंगा महबूबा मुफ्ती के हाथ से गिरने का वीडियो पाकिस्तान के टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से वायरल हो  रहा है। महबूबा मुफ्ती माने या नहीं लेकिन तिरंगे के गिरने के पाकिस्तान में दूसरे अर्थ लगाए जा रहे हैं। यह सही भी है यदि कोई सरकार अपना राष्ट्र ध्वज भी सम्मान के साथ नहीं फहरा सके तो फिर अंगुली तो उठनी ही है। मालूम हो कि आतंकी बुरहान बानी की मुठभेड़ मौत के बाद से ही कश्मीर घाटी में कफ्र्यु लगा हुआ है। ऐसे माहौल में ध्वजारोहण में जो सर्तकता बरती जानी थी वह महबूबा मुफ्ती की ओर से नहीं बरती गई।
(एस.पी. मित्तल)  (18-08-2016)
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गौ रक्षकों पर प्रधानमंत्री का बयान सही अर्थो में नहीं समझा जा रहा। भारत के साधकों को कोई चुनौती नहीं दे सकता। रामस्नेही सम्प्रदाय के जगद्गुरु रामदयाल महाराज ने रखा अपना नजरिया।

#1671
गौ रक्षकों पर प्रधानमंत्री का बयान सही अर्थो में नहीं समझा जा रहा। भारत के साधकों को कोई चुनौती नहीं दे सकता। रामस्नेही सम्प्रदाय के जगद्गुरु रामदयाल महाराज ने रखा अपना नजरिया।
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अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही सम्प्रदाय के पीठाधीश्वर जगद्गुरु आचार्य श्रीश्री 1008 रामदयाल जी महाराज इन दिनों राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में चातुर्मास कर रहे हैं। महाराज से मेरा कोई 15 वर्ष पूराना रिश्ता है। 16 अगस्त को मुझे किसी कारण से भीलवाड़ा जाना पड़ा तो मैं रामदयाल जी महाराज से आशीर्वाद लेने भी पहुंच गया। चातुर्मास की व्यवस्ता के बाद भी महाराज ने मुझे संवाद करने का अवसर दिया। महाराज ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हाल ही में गौरक्षकों को लेकर जो बयान दिया है उसे शायद सही अर्थो में नहीं समझा जा रहा। मैं मोदी जी की भावना को अच्छी तरह समझता हूं। मुझे नहीं लगता कि आमजन और गौ सेवा में लगे किसी व्यक्ति की भावना को प्रधानमंत्री ने ठेस पहुंचाई है। उन्होंने गौरक्षा की आड़ में गोरखधंधा करने वालों की ही निंदा की है। उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर एक ऐसा व्यक्ति बैठा है, जिसका भारतीय संस्कृति पर भरोसा है। भरोसा ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति के अनुरुप जीवन व्यतीत कर रहा है। हालाकि मेरा  राजनीति से कोई सरोकार नहीं है। लेकिन मुद्दा गौमाता से जुड़ा हुआ है इसलिए मुझे अपनी प्रतिक्रिया देनी पड़ रही है। मैं भी मानता हूं कि आज पूरे देश में साधु संतों के माध्यम से ही हजारों गौशालाएं चल रही हैं और गौमाता के संरक्षण के लिए अनेक काम हो रहे है। उन्होंने कहा कि आज प्रत्येक देशवासी का यह दायित्व है कि वह गौमाता की रक्षा करें। जब पैगम्बर मोहम्मद साहब ने ही गाय का मांस खाने के लिए मना किया था तो फिर आज हमारे देश में गायों का कत्ल क्यों हो रहा है? महाराज ने अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के सजाद्दानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन के बयानों का भी स्वागत किया। आबेदीन ने हाल ही में अपने एक बयान में पैगम्बर मोहम्मद साहब और गौ मांस न खाने वाली बात कही थी। रामदयाल महाराज ने सजाद्दानशीन को सलाह दी कि वे अपने इस कथन का अधिक से अधिक प्रचार करें। उन्होंने कहा कि यदि भारत में गौमांस का सेवन स्वैच्छा से बंद हो जाए तो देश की एक बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है।
साधकों को चुनौती नहीं :
आचार्य रामदयाल जी महाराज ने कहा कि भारतीय संस्कृति के अनुरुप जीवन व्यतीत करने वाले साधु संतों और साधकों को कोई चुनौती नहीं दी जा सकती। योग साधना और तपस्या के बल पर अग्नि स्नान होना भी हमारी संस्कृति में है। एक बार स्वामी दयानंद ने भी साधुओं के पाखण्ड पर एक सभा में कहा तो एक दुबला पतला योगी खड़ा हुआ और उसने कहा कि इसी वक्त दो चिताएं तैयार की जाएं। एक पर मैं और दूसरी पर स्वामी दयानंद लेटे। अग्रि के बाद देखते है कि कौन जिंदा बचता है। योगी साधु ने जिस दबंग के साथ अपनी बात कही उसे दयानंद भी चुनौती नहीं दे सके। महाराज रामदयाल ने कहा कि मैं यह बात कोई विवाद खड़ा करने के लिए नहीं कह  रहा हूं। स्वामी दयानंद ने भी समाज सुधार के लिए अनेक महत्वपूर्ण कार्य किए हंै।  मैं सिर्फ यहां भारतीय संस्कृति की योग साधना और तपस्या के महत्व की बात कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि देश के वर्तमान हालातों में एकता और अखंडता बेहद जरूरी है।
(एस.पी. मित्तल)  (18-08-2016)
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भाजपा किसी नेता के कारण नहीं, कार्यकर्ता के बल पर खड़ी है - नरेन्द्र मोदी। अजमेर के भाजपा नेता सबक लें।

#1672
भाजपा किसी नेता के कारण नहीं, कार्यकर्ता के बल पर खड़ी है - नरेन्द्र मोदी।
अजमेर के भाजपा नेता सबक लें।
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18 अगस्त को रक्षा बंधन के पवित्र पर्व पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिल्ली में दीनदयाल उपाध्याय  मार्ग पर भाजपा के भवन का शिलान्यास किया। इस मौके पर कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने  कहा आज भाजपा जिस मजबूत स्थिति में खड़ी है, उसका कारण कोई नेता नहीं, बल्कि कार्यकर्ता हैं। इस सभा में लालकृष्ण अडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे। मोदी के इस कथन से अजमेर के अनेक भाजपा नेताओं को सबक लेना चाहिए। अजमेर में कुछ भाजपा नेताओं को यह मुगालता हो गया कि चुनाव में उन्हीं के दम पर  भाजपा की जीत होती है। उन्हें ऐसा लगता है कि उनके बिना चुनाव में भाजपा की हार हो जाएगी। इस मुगालते और सत्ता के नशे की वजह से ऐसे नेताओं का घमण्ड सातवें आसमान पर है। ऐसे नेता कार्यकर्ताओं को अपमानित भी कर रहे है। ऐसे नेताओं के प्रति कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। इस नाराजगी का पता इससे भी लगता है कि हाल हीं में संपन्न हुए पंचायती राज के तीनों उपचुनावों में भाजपा की बूरी तरह हार हो गई। गंभीर बात तो यह है कि अजमेर के भाजपा नेताओं ने इस हार से भी कोई सबक नहीं सीखा हंै। अब देखना है कि मोदी के दो टूक कथन का भाजपा नेताओं पर कितना असर होता है।
सांसद यादव ने भी की पूजा:
अजमेर से राज्यसभा के सांसद भूपेन्द्र सिंह यादव ने भी भाजपा के नये भवन के शिलान्यास पर हुई पूजा में भाग लिया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के यादव भी पूजा में बैठे थे।
(एस.पी. मित्तल)  (18-08-2016)
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Wednesday 17 August 2016

सीएम वसुंधरा राजे की हिफाजत के लिए दो हजार सुरक्षाकर्मी, लेकिन दलित अनिता कहार के बुरी तरह पीटने और बाल कटने के बाद पहुंची अजमेर पुलिस। शहरी क्षेत्र में अत्याचारियों ने पेड़ से बांधकर किया जुल्म।

#1667
सीएम वसुंधरा राजे की हिफाजत के लिए दो हजार सुरक्षाकर्मी, लेकिन दलित अनिता कहार के बुरी तरह पीटने और बाल कटने के बाद पहुंची अजमेर पुलिस। शहरी क्षेत्र में अत्याचारियों ने पेड़ से बांधकर किया जुल्म।
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15 अगस्त को जब अजमेर में स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की हिफाजत के लिए दो हजार सुरक्षाकर्मी तैनात थे तब अजमेर के ही शहरी क्षेत्र के कोटड़ा स्थित अम्बेडकर कॉलोनी में कहार जाति की एक महिला अनिता को पेड़ से बांधकर बुरी तरह पीटा जा रहा था। इतना ही नहीं अत्याचारियों ने बेबस अनिता के सिर के बाल भी सार्वजनिक तौर पर काटे। अनिता ने जब विरोध किया तो उस पर लात-घुसें बरसाए गए। 15 अगस्त को अनिता पर ये जुल्म प्रात: 11 बजे शुरू हुआ और ढाई घंटे तक अनिता पिटती रही। दोपहर डेढ़ बजे क्रिश्चयनगंज थाने के सीआई विजेन्द्र सिंह मौके पर आए और अनिता को अपने सामने पेड़ से खुलवाया। अनिता ने बताया कि शहनाज, भूरी, रेशमा, फरीदा आदि महिलाओं ने बेवजह पीटा है। उसने बंटी शर्मा नामक युवक से प्रेम विवाह किया था, लेकिन पिछले दिनों बंटी अजमेर से चला गया। इन महिलाओं को शक था कि बंटी को भगाने में अनिता का सहयोग है। सवाल अनिता के अपराध का नहीं है। अनिता ने कोई अपराध किया है तो उसकी सजा अदालत देगी। सवाल यह है कि जब मुख्यमंत्री के लिए दो हजार सुरक्षाकर्मी तैनात हो सकते हैं तो फिर आम महिला की हिफाजत क्यों नहीं होती? पुलिस यदि शहरी क्षेत्र में भी ढाई घंटे बाद मौके पर भी पहुंचेगी तो इसकी कार्य कुशलता का अंदाजा लगाया जा सकता है। पुलिस में बीट सिस्टम लागू है। यानि हर गली मौहल्ले का एक सिपाही को बीट अधिकारी बनाया गया हैं। सवाल उठता है जब ढाई घंटे तक कहार जाति की महिला पेड़ से बंधी रही तो बीट अधिकारी को सूचना क्यों नहीं मिली। जाहिर है अजमेर पुलिस का सिस्टम पूरी तरह चरमरा गया है। सूचनातंत्र बेहद कमजोर है। जो पुलिस वाले अवैध काम करने वालों पर नजर रख कर अपने स्वार्थ पूरे करते है उन्हीं पुलिस वालों ने ढाई घंटे तक एक बेबस महिला को पेड़ से बंधे रहने दिया। क्या हमारी पुलिस सिर्फ सीएम की हिफाजत के लिए ही है? इसे एक संयोग ही कहा जाएगा जब अनिता पेड़ से बंधी हुई थी तब महिला मुख्यमंत्री स्वयं अजमेर में मौजूद थी। सीएम वसुंधरा राजे को भी इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि उनकी मौजूदगी के बावजूद ढाई घंटे तक एक महिला पेड़ से बंध कर क्यों पिटती और अपने बाल कटवाती रही? राजस्थान ही नहीं पूरे देश के लिए यह घटना शर्मसार करने वाली है। सीएम को चाहिए इस मामले में अजमेर पुलिस के बड़े अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करें।

(एस.पी. मित्तल)  (17-08-2016)
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40 दिन के कफ्र्यू के बाद भी बाज नहीं आ रहे पत्थरबाज। आखिर कश्मीर घाटी के हालात किसके नियंत्रण में हैं?

#1666
40 दिन के कफ्र्यू के बाद भी बाज नहीं आ रहे पत्थरबाज। 
आखिर कश्मीर घाटी के हालात किसके नियंत्रण में हैं?
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17 अगस्त को कश्मीर घाटी में कफ्र्यू लगे हुए चालीस दिन पूरे हो गए। चालीस दिन कफ्र्यू में रहने के बाद भी 17 अगस्त को घाटी में एक बार फिर सुरक्षा बलों पर हमला किया गया। जिसमें हमारे दो जवान शहीद हो गए। देश के किसी भी हिस्से में किसी भी कारण से जब कफ्र्यू लगता है तो लोग दो-चार दिन में ही परेशान हो जाते हैं। समाज के सभी पक्षों के लोग प्रशासन से हाथ जोड़ कर आग्रह करते हैं कि कफ्र्यू को हटाया जाए। ताकि जरूरी खाद्य सामग्री बाजार से ली जा सके, लेकिन कश्मीर घाटी में चालीस दिन तक कफ्र्यू रहने के बाद भी सुरक्षा बलों पर जानलेवा हमले हो रहे हैं। इसलिए यह सवाल उठा है कि आखिर कश्मीर घाटी में किसका नियंत्रण है? क्या कफ्र्यू के दौरान भी अलगाववादियों को सभी  प्रकार की सुविधाएं मिल रही हैं? 17 अगस्त को ही दैनिक भास्कर में एक खोजपूर्ण स्टोरी छपी है। इस स्टोरी में बताया गया कि घाटी के युवकों को सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने और हमला करने के पैसे मिलते हैं। एक वृद्ध महिला का तो कहना था कि यदि हम भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के समर्थन में नारे नहीं लगाते हैं तो अलगाववादी थप्पड़ मारते हैं। भास्कर में जो स्टोरी छपी है उससे प्रतीत होता है कि पाकिस्तान के इशारे पर सक्रिय अलगाववादी कश्मीर घाटी के आम मुसलमानों की भावनाओं को दबा रहे हैं। यदि अलगाववादियों का डर नहीं हो तो हजारों मुसलमान घरों से बाहर निकल कर कफ्र्यू हटाने का आग्रह करें। हालांकि बदली हुई परिस्थितियों में महबूबा मुफ्ती भी केन्द्र सरकार के खिलाफ बोलने लगी हैं। यानी अब अलगाववादियों का दबाव महबूबा पर भी बढ़ गया है। आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब लगातार चालीस दिनों से कफ्र्यू लगा हुआ है। सब जानते हैं कि पाकिस्तान एक सुनियोजित तरीके से घाटी पर अपना दबाव बना रहा है। पहले हिन्दुओं को पीट-पीट कर इसलिए भगाया ताकि घाटी पर नियंत्रण किया जा सके। यदि आज घाटी में हिन्दू समुदाय के लोग भी होते तो लगातार चालीस दिनों तक कफ्र्यू नहीं रहता। देश में जो लोग कश्मीर के अलाववादियों के हिमायती हैं, उन्हें अब यह बताना चाहिए कि कश्मीर के हालातों को सामान्य कैसे किया जाए? कांग्रेस और नेशनल  कॉन्फ्रेंस के नेता शांति बहाली की बात तो करते हैं, लेकिन घाटी में जाकर उन अलगाववादियों को नहीं समझाते, जो आज भी सुरक्षा बलों पर जानलेवा हमले कर रहे हैं। 
(एस.पी. मित्तल)  (17-08-2016)
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गौभक्त सरकार का पीएम गौ रक्षकों के खिलाफ बोल रहा है। जैन संत प्रमाण सागर महाराज ने कहा धर्म में न हो राजनीति। ---------------------------------------

#1665

देश के सुविख्यात जैन संत प्रमाणसागर महाराज ने इस बात पर अफसोस जताया है कि गौभक्त सरकार के पीएम नरेन्द्र मोदी गौ रक्षकों के खिलाफ ही बोल रहे हैं। 80 प्रतिशत गौरक्षकों को गौरख धंधों में लिप्त रहने वाले मोदी के बयान पर जैन संत ने कहा कि शायद प्रधानमंत्री को हकीकत का पता नहीं है। हालत इतने खराब है कि गौ तस्कर पुलिस की मिली भगत से ट्रकों और बसों में भरकर गायों को कत्ल खाने लेजाते हैं। अच्छा होता कि पीएम मोदी गौसंरक्षण पर कोई ठोस कदम उठाते। उन्होंने कहा कि कुछ लोग गौरक्षा के नाम पर धंधा करते होंगे,लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि 80 प्रतिशत गौरक्षक धंधे बाज हैं। पीएम मोदी को यह पता होना चाहिए कि आचार्य विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से देश में 137 गौ शालाएं चल रही हैं। एक गौशाला में तीन-तीन हजार गाय हैं। एक भी गौशाला को सरकारी अनुदान नहीं मिलता है। जैन समाज के लोग ही गौशालाओं को संचालित करते हैं। नरेन्द्र मोदी की सरकार को गौभक्त सरकार माना जाता है। आज हजारों लोग गौ सेवा के काम में लगे हुए हैं। 
जैन संत प्रमाण सागर महाराज इन दिनों अजमेर में ही चार्तुमास कर रहे हैं। 17 अगस्त को जैन संत से मेरा सीधा संवाद हुआ। हालांकि प्रमाण सागर महाराज टीवी नहीं देखते हैं और न ही अखबार पढ़ते हैं। लेकिन महाराज के अनुयायी उनके लिए आईटी की तकनीक का उपयोग करते हैं। पारस चैनल पर महाराज का शंका समाधान कार्यक्रम रोजाना सायं 6:20 से 7:20 बजे तक लाइव प्रसारित होता है। इस कार्यक्रम में महाराज लोगों के सवालों का जवाब देते हैं। इन दिनों महाराज अजमेर के वैशाली नगर स्थित आंतेड़ की छतरियों में बने विशाल पांडाल में रोजना प्रवचन दे रहे हैं। शाम के कार्यक्रम के साथ ही सुबह जिनवाणी चैनल परप्रात: 6:45 बजे से जैन समाज के लोगों को धर्म की शिक्षा दी जाती है। इसके बाद प्रात: 8:15 से 9:15 बजे तक जिनवाणी पर महाराज के प्रवचनों का लाइव प्रसारण होता है। इसी चैनल पर रात 9:46 बजेसे महाराज के रिकॉर्डिंग प्रवचन सुने जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त अनुयायिओं ने वेबसाइट भी बना रखी है। इस वेबसाइट पर जैन समाज की विस्तृत जानकारी है। इतना ही नहीं एक प्रमाण एप भी बना रखा है। जिसके माध्यम से लाखों जिज्ञासु महाराज से सीधे जुड़े हुए हंै। एक अनुमान के मुताबिक टीवी चैनलों के माध्यम से रोजाना कोई डेढ़ करोड़ लोग महाराज को सुनते हैं। यानि अनुयायिओं ने महाराज को इंटरनेट की नई तकनीक से जोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इसे प्रमाण सागर महाराज की लोकप्रियता की कहा जाएगी कि टाटा स्काई जैसे बड़े टीवी ओपरेटरर भी जिनवाणी और पारस चैनल का प्रदर्शन करते हैं। 
एक दिन में बनवाया सम्मेद शिखर:
यूं तो जैन समुदाय का सर्वोच्च तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर झारखंड में हैं। लेकिन इसे प्रमाण सागर का चमत्कार ही कहा जाएगा कि एक दिन में अजमेर में भी छोटे सम्मेद शिखर का निर्माण करवा दिया गया। हुआ यूं कि गत 8 अगस्त को मोक्ष सप्तमी पर मोदक समर्पित करने के लिए थर्माकॉल की टोंक (छतरी) बनवाई गई थी। जैन समाज में मोक्ष सप्तमी के दिन छतरियों पर मोदक चढ़ाने की प्रबल धार्मिक मान्यता है। इसलिए अनुयायिओं ने प्रमाण सागर महाराज से आग्रह किया की यदि वे अपना चमत्कारिक आशीर्वाद दे तो आंतेड़ की छोटी पहाड़ी पर सम्मेद शिखर की तरह 24 टोंक (छतरियों) का निर्माण करवा दिया जाए। महाराज ने पहले पहाड़ी क्षेत्र का निरीक्षण किया और फिर मार्बल के पत्थरों के टोंक बनाने की अनुमति दे दी। अनुयायिओं ने महाराज से 7 अगस्त को अनुमति ली थी और 8 अगस्त को श्रद्धालुओं ने थर्माकॉल की जगह मार्बल से बनी छतरियों पर ही मोदक समर्पित किए। महाराज से जुड़े अनुयायी प्रकाश जैन मानते हैं यदि चमत्कारी आशीर्वाद नहीं होता तो मात्र 36 घंटे की अवधि में छोटा सम्मेद शिखर अजमेर में नहीं बन सकता था। स्वयं प्रमाण सागर महाराज का मानना है कि दुनिया भर के जैन समाज के लोगों के लिए अजमेर में छोटा सम्मेद शिखर बनाना बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि जिस पहाड़ी क्षेत्र में निर्माण हुआ है। उसमें उनके दीक्षा गुरु और विश्वविख्यात जैन संत आचार्य विद्या सागर महाराज ने तपस्या की थी। आचार्य विद्या सागर इसी क्षेत्र में 36-36 घंटे लगातार एक पैर पर खड़े होकर साधना करते थे। 
धर्म में राजनीति न हो:
जैन मुनि प्रमाण सागर महाराज ने कहा कि धर्म में राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन राजनीति में धर्म का अनुसराण होना जरूरी है। जब राजनीति धर्म के अनुरूप चलती है तो रामायण लिखीजाती है और जब धर्म में राजनीति घुसेड़ी जाती है तो फिर महाभारत होता है। 
अल्पसंख्यक होने का फायदा उठाएं:
महाराज ने कहाकि जैन समाज के लोगों को अल्पसंख्यक होने का फायदा उठाना चाहिए। अल्पसंख्यकों को सरकार ने शिक्षा, चिकित्सा आदि के सामाजिक कार्यों के लिए रियायती दर पर जमीन और बैंक लोन पर अनुदान देने की सुविधा दे रखी है। जैन समुदाय के लोगों को चाहिए कि वे सरकार से मिलने वाली सुविधाएं लेकर समाज के हित में कार्य करें। इस संबंध में समाज के प्रतिनिधियों को एक पुस्तक निकाल कर यह बताना चाहिए कि अल्पसंख्यक को सरकार की ओर से क्या क्या सुविधाएं मिल रही हैं।
(एस.पी. मित्तल)  (17-08-2016)
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Monday 15 August 2016

तो क्या हकीकत को जानने के लिए सीएम राजे ने की दरगाह और पुष्कर की यात्रा।

#1661
तो क्या हकीकत को जानने के लिए सीएम राजे ने की दरगाह और पुष्कर की यात्रा।
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अजमेर में 15 अगस्त को हुए स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह की तैयारियां पिछले दो माह से लगातार युद्ध स्तर पर हो रही थीं। जागरुक नागरिकों का आरोप था कि प्रशासन उन्हीं क्षेत्रों में साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण का काम करवा रहा है, जहां सीएम राजे को जाना है। जागरुक लोग यह भी चाहते थे कि सीएम राजे अचानक उन क्षेत्रों में आएं जहां साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण का काम नहीं हुआ है। संभवत: लोगों की आवाज सीएम तक पहुंची और 15 अगस्त को पटेल मैदान में आयोजित समारोह के दौरान ही सीएम ने जिला कलेक्टर गौरव गोयल को निर्देश दिए कि वे समारोह के तुरंत बाद दरगाह में जियारत और पुष्कर में पूजा अर्चना करने के लिए जाएंगी। फलस्वरूप सीएम ने उन मार्गों और बाजारों को भी देख लिया जहां प्रशासन ने साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण का कोई काम नहीं किया था। आगरा गेट चौराहे से लेकर गंज होते हुए दरगाह बाजार का सड़क मार्ग से सीएम दरगाह गई और फिर दरगाह से वैशाली नगर होते हुए पुष्कर भी गई। सीएम ने स्वयं देखा होगा कि शेष क्षेत्रों की दशा कैसी है। अब सीएम क्या करती हैं,यह तो भगवान ही जाने। लेकिन शहर के जागरुक लोगों की यह तमन्ना पूरी हो गई है कि मुख्यमंत्री उन इलाकों से भी गुजरी है, जहां प्रशासन ने कोई इंतजाम नहीं किए। सीएम ने दरगाह में सूफी परंपरा के अनुरूप पवित्र मजार पर मखमली और फूलों की चादर पेश कर प्रदेश में अमन चेन की दुआ की। इसी प्रकार पुष्कर में सीएम ने अपने ग्वालियर घाट पर बने अपने पारिवारिक कोटेश्वर महादेव मंदिर पूजा अर्चना की। यहां यह उल्लेखनीय है कि सीएम की आज की पूजा इस मंदिर में मायने रखती है। क्योंकि आज सावन माह का अंतिम सोमवार है। सावन माह में प्रत्येक सोमवार को मुख्यमंत्री के निर्देश पर देवस्थान विभाग में प्रदेशभर में मंदिरों में अच्छी बरसात के लिए पूजा अर्चना करवाई। 
रावत और पाठक ने किया स्वागत:
पुष्कर में क्षेत्रीय भाजपा विधायक व संसदीय सचिव सुरेश रावत तथा नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक ने सीएम राजे का जोरदार स्वागत किया। पाठक ने सावित्री माता मंदिर की पहाड़ी पर रोप-वे के निर्माण के लिए राजे का आभार जताया। पाठक ने सीएम को बताया कि रोप-वे के शुरू होने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु सावित्री माता के मंदिर के दर्शन कर पा रहे हैं। इस अवसर पर विधायक रावत ने भी पुष्कर के विकास के बारे में सीएम से संवाद किया। 

(एस.पी. मित्तल)  (15-08-2016)
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तो मुख्यमत्री ने नहीं की अजमेर के लिए घोषणा। वसुंधरा राजे की शाबाशी के साथ सम्पन्न हो गया अजमेर में स्वतंत्रता दिवस का राज्यस्तरीय समारोह।

#1659
तो मुख्यमत्री ने नहीं की अजमेर के लिए घोषणा। 
वसुंधरा राजे की शाबाशी के साथ सम्पन्न हो गया अजमेर में स्वतंत्रता दिवस का राज्यस्तरीय समारोह।
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15 अगस्त को अजमेर के पटेल मैदान पर स्वतंत्रता दिवस का राज्य स्तरीय समारोह हुआ। इस समारोह में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने पूरे लाव लश्कर के साथ भाग लिया। कोई 45 मिनट के अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने अजमेर के लिए कोई नई घोषणा नहीं की। अलबत्ता प्रदेश भर में सरकार की जो योजनाएं चल रही हैं, उसका आंकड़ों सहित बयान किया। अपने लिखे भाषण में यह नहीं बताया कि आने वाले दिनों में प्रदेश में क्या होने वाला है। वर्तमान में जो योजनाएं चल रही है, उसी के बारे में मुख्यमंत्री ने जानकारी दी। समारोह में भाग लेने के लिए सीएम 14 अगस्त को ही अजमेर  आ गई थी। अजमेर वासियों को उम्मीद थी कि पन्द्रह अगस्त को सीएम कोई घोषणा करेंगी, लेकिन इस उम्मीद पर सीएम का भाषण खरा नहीं उतरा। परंपरागत तरीके से सम्पन्न हुए समारोह में विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम करने वालों का सम्मान किया गया तो वहीं राजस्थान पुलिस के जवानों ने मोटर साइकिल पर करतब दिखाकर अचंभित कर दिया। सुप्रसिद्ध कलाकार भानू भारती ने कोई 1500 स्कूली बच्चों के जरिए रंगारंग प्रस्तुति दिलवाई। पिछले 15 दिनों से बच्चों को तैयार किया जा रहा था और आज बच्चे अपनी इस परीक्षा में खरे उतरे। पटेल मैदान के सभी पवेलियन को भरने के लिए बड़ी संख्या में स्कूली बच्चों को लाया गया था। शिक्षा अधिकारियों ने पहले ही निर्देश जारी किए थे कि स्कूलों में 7 बजे झंडा रोहण हो जाए और 8 बजे पहले-पहले सभी विद्यार्थी पटेल मैदान में आ जाए। राज्य स्तरीय समारोह को देखने के लिए शहरवासी भी अच्छी संख्या में उपस्थित थे। 
(एस.पी. मित्तल)  (15-08-2016)
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अनिता भदेल नहीं आईं वासुदेव देवनानी वॉकर की मदद से पहुंचे स्वतंत्रता दिवस समारोह में।

#1660
अनिता भदेल नहीं आईं वासुदेव देवनानी वॉकर की मदद से पहुंचे स्वतंत्रता दिवस समारोह में।
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15 अगस्त को अजमेर के पटेल मैदान पर आयोजित स्वतंत्रता दिवस के राज्य स्तरीय समारोह में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ध्वजा रोहण किया। इस अवसर पर राज्य सरकार के आला अधिकारी और अजमेर से जुड़े प्रमुख जनप्रतिनिधि शामिल थे। इनमें राज्य सभा के सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव, अजमेर से लोकसभा के सांसद सांवरलाल जाट और विधायक आदि शामिल थे। समारोह में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल अनुपस्थित रही। राज्य सरकार ने भदेल को चित्तौड़ में जिला स्तर के समारोह में ध्वजारोहण के लिए नियुक्त किया। इसलिए भदेल समारोह में उपस्थित नहीं हो सकी। जबकि शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी वॉकर की मदद से समारोह में पहुंचे। मालूम हो कि विगत दिनों एक सड़क दुर्घटना में देवनानी के दाएं पैर की हड्डी में तीन फ्रेक्चर हो गए थे। देवनानी फिलहाल फ्रेक्चर वाले पैर पर खड़े नहीं हो सकते हैं, इसलिए उन्हें वॉकर की मदद लेनी पड़ी रही है। सरकार ने देवनानी को भी बीकानेर में ध्वजारोहण करने के लिए निर्देश दिए थे, लेकिन अपने पैर में फ्रेक्चर होने की वजह से देवनानी ने बीकानेर में ध्वजा रोहण करने में असमर्थता प्रकट की थी। 
राठौड़ का सम्मान :
राजस्थान लोक सेवा आयोग के उपसचिव भगवत सिंह राठौड़ का 15 अगस्त को पटेल मैदान के समारोह में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सम्मान किया। आरएएस सहित विभिन्न परीक्षाओं में उल्लेखनीय भूमिका निभाने के कारण आयोग के अध्यक्ष ललित के.पंवार ने राठौड़ का नाम राज्य स्तर पर सम्मानित करने का प्रस्ताव सरकार को किया था। पंवार के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए राठौड़ को सम्मान से नवाजा गया। 
(एस.पी. मित्तल)  (15-08-2016)
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Tuesday 2 August 2016

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को देनी पड़ी केन्द्रीय मंत्री सी.आर.चौधरी को नसीहत।

#1620
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को देनी पड़ी केन्द्रीय मंत्री सी.आर.चौधरी को नसीहत। 
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2 अगस्त को लोकसभा में प्रश्न काल के दौरान नागौर के संसाद और केन्द्रीय उपभोक्ता मामलों के राज्यमंत्री सी.आर.चौधरी को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने नसीहत दी। चौधरी पहली बार सांसद बनने के साथ मंत्री भी बने हैं। हुआ यंू कि जब सांसदगण देश के उपभोक्ताओं के हितों को लेकर सवाल कर रहे थे, तब चौधरी ने सरकार की ओर से सांसदों से कहा कि वे सवाल पूछने के साथ-साथ अपने सुझाव भी दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा। मंत्री के इस जवाब पर सांसद नराजगी जताते, इससे पहले ही मामले में दखल देते हुए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सी.आर.चौधरी को नसीहत देते हुए कहा कि प्रश्नकाल में तो सवाल ही पूछे जाएंगे। महाजन ने जिस अंदाज में अपनी बात कही उससे जाहिर था कि वे सरकार के मंत्री से जवाब से संतुष्ट नहीं थीं। लोकसभा अध्यक्ष के रुख को देखते हुए बाद में सभी प्रश्नों के जवाब केबीनेट मंत्री रामविलास पासवान ने दिए। सब जानते हैं कि चौधरी ने लोकसभा का चुनाव राजस्थान के नागौर जिले से लड़ा। अभी हाल ही में अजमेर के सांसद सांवरलाल जाट को हटाकर सी.आर.चौधरी को राज्यमंत्री बनाया गया है। 

(एस.पी. मित्तल)  (02-08-2016)
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तो हाफिज सईद पर कार्यवाही क्यों नहीं करती नवाज सरकार। राजनाथ सिंह की पाकिस्तान यात्रा।

#1621
तो हाफिज सईद पर कार्यवाही क्यों नहीं करती नवाज सरकार। राजनाथ सिंह की पाकिस्तान यात्रा।
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पाकिस्तान सरकार ने यह तो कहा है कि भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह 3 और 4 अगस्त को जब सार्क सम्मेलन में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद आएंगे तो उनकी पूर्ण सुरक्षा की जाएगी। जो सुरक्षा राष्ट्रपति को मिलती है, वह सुरक्षा राजनाथ सिंह को उपलब्ध करवाई जाएगी। लेकिन पाकिस्तान की नवाज सरकार उस हाफिज सईद के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर रही है, जिसने हमारे गृहमंत्री को धमकी दी है। हाफिज सईद ने खुलेआम कहा है कि राजनाथ सिंह के पाकिस्तान आने पर देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे। अच्छा होता कि नवाज सरकार राजनाथ सिंह को सुरक्षा दिलवाने के साथ-साथ हाफिज सईद के खिलाफ भी कार्यवाही करती। लेकिन सब जानते हैं कि नवाज सरकार के समर्थन से ही हाफिज सईद हमारे कश्मीर में आतंकी वारदातें करवा रहा है। सुरक्षा बलों पर जो हमले हो रहे हैं उनमें भी हाफिज सईद का हाथ है। हाफिज सईद के दखल की वजह से ही गत माह से कश्मीर घाटी सूनी पड़ी है। हो सकता है कि 3 और 4 अगस्त को जब राजनाथ सिंह इस्लामाबाद में हों, तब कश्मीर घाटी में भी हिंसक घटनाएं हों। जिन परिस्थितियों में राजनाथ सिंह पाकिस्तान जा रहे हैं, उसके अनेक राजनीतिक मायने हैं। देखना है कि सार्क देशों के गृहमंत्रियों की बैठक में क्या परिणाम सामने आते हैं। फिलहाल तो पाकिस्तान का दोहरा चरित्र ही सामने आ रहा है। 

(एस.पी. मित्तल)  (02-08-2016)
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आठ घंटे में स्कूली बच्चों को मात्र 86 ग्राम के बिस्कुट खाने को मिल रहे हैं। अजमेर में ऐसे हो रही है स्वतंत्रता दिवस के राज्यस्तरीय समारोह की तैयारी।

#1622
आठ घंटे में स्कूली बच्चों को मात्र 86 ग्राम के बिस्कुट खाने को मिल रहे हैं।  अजमेर में ऐसे हो रही है स्वतंत्रता दिवस के राज्यस्तरीय समारोह की तैयारी।
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इस बार राजस्थान सरकार का स्वतंत्रता दिवस का राज्यस्तरीय समारोह अजमेर में होना है। समारोह की तैयारियों पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया जा रहा है। रातों रात नए डिवाइडर बनाए जा रहे हंै तो लाखों रुपए के पेड़ खरीद कर लगाए जा रहे हैं, लेकिन इसे दुर्भाग्य पूर्ण की कहा जाएगा कि जो स्कूली बच्चे लगातार आठ घंटे तक शारीरिक व्यायाम आदि का पूर्वाभ्यास कर रहे हैं, उन्हें मात्र 86 ग्राम के बिस्कुट खाने को दिए जा रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि रोजना करीब पन्द्रह सौ स्कूली बच्चे पटेल मैदान और आजाद पार्क में आते हैं। शहर की करीब पचास स्कूलों के लड़के-लड़कियां रोजना 8 बजे अभ्यास के लिए आते हैं और उन्हें दोपहर 2 बजे छोड़ा जाता है। संबंधित अधिकारियों से यह कोई पूछने वाला नहीं है कि आठ घंटे शारीरिक व्यायाम करने वाले बच्चों की भूख 86 ग्राम वजन के बिस्कुट से कैसे मिटेगी। उन अधिकारियों को शर्म आनी चाहिए जो स्वतंत्रता दिवस की तैयारियों के नाम पर करोड़ों रुपया खर्च कर रहे हैं। क्या स्कूली बच्चों को आठ घंटे में भोजन नहीं करवाया जा सकता? आखिर स्कूली बच्चे भी तो समारोह की तैयारियों का ही पार्ट है। इस मामले में स्कूलों के शिक्षकों को भी लाचार और बेबस देखा गया। कक्षा 7,8,9 और 11 के छात्र-छात्राएं अभ्यास के दौरान भूख लगने की शिकायत करते रहते हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं होती है। 
अधिकारियों के इस बेरहम रवैये से दु:खी होकर अब अनेक विद्यार्थी अपने घरों से खाने का टिफिन लाने लगे हैं। ऐसे में उन अधिकारियों को कुछ तो शर्म करनी चाहिए जो सरकारी बैठकों में लंच और डिनर पर लाखों रुपए खर्च कर देते हैं। राज्यस्तरीय समारोह की तैयारियों के लिए तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सरकारी खजाने की चाबी ही अजमेर के अधिकारियों को दे रखी हैं, लेकिन इसके बावजूद भी स्कूली विद्यार्थियों को आठ घंटे में मात्र 86 ग्राम बिस्कुट खाने का दिए जा रहे हैं। जो बिस्कुट दिए जा रहे हैं उनमें पारले कंपनी के 28 ग्राम के मीठे और 58 ग्राम के नमकीन बिस्कुट हैं। 
मजे की बात यह है कि यह बिस्कुट भी जिला प्रशासन अथवा राज्य सरकार की ओर से नहीं बल्कि नगर निगम की ओर से वितरित हो रहे हैं। निगम उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता ने बताया कि जिला प्रशासन से मिले निर्देशों के मुताबिक ही नमकीन और मीठे बिस्कुट दिए जा रहे हैं। इन दोनों बिस्कुटों को बाजार से सात रुपए में खरीदा जा रहा है। 
(एस.पी. मित्तल)  (02-08-2016)
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Monday 1 August 2016

वाकई कल्याण सिंह गवर्नर हैं! तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए तीन दिन अजमेर में।

#1616
वाकई कल्याण सिंह गवर्नर हैं! 
तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए तीन दिन अजमेर में। 
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उत्तर प्रदेश की राजनीति में रहते हुए कल्याण सिंह की छवि एक लोकप्रिय राजनेता के रूप में थी। तब भाजपा के नेताओं में कल्याण सिंह का सबसे बड़ा राजनीतिक कद हो गया था। लेकिन अब वो ही कल्याण सिंह वाकई गवर्नर की जिन्दगी व्यतीत कर रहे हैं। कल्याण सिंह इस समय राजस्थान के गवर्नर हैं। सिंह ने एक अगस्त को अजमेर में एमडीएस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। यह कार्यक्रम मुश्किल से तीन घंटे का रहा। लेकिन इस तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए सिंह अजमेर में तीन दिन गुजार रहे हंै। सिंह 31 जुलाई को ही अजमेर आ गए और अब दो अगस्त की शाम को अमेर से जाने का कार्यक्रम है। यह माना कि गवर्नर का पद संवैधानिक होता है और कल्याण सिंह जैसा गवर्नर कैसे रहे, यह भी उनका व्यक्तिगत मामला है। लेकिन जब गवर्नर पर लाखों रुपए सुरक्षा और अन्य इंतजामों पर खर्च होता हो तो फिर जनता का दखल भी हो जाता है। किसी भी गवर्नर को जो सुविधाएं प्राप्त होती है, उसे जनता द्वारा दिए गए टैक्स से ही पूरा किया जाता है। कल्याण सिंह 31 जुलाई को सायं चार बजे अजमेर के सर्किट हाऊस में आ गए थे, सिंह के लिए खासतौर से वीआईपी रूम तैयार किया गया था। सर्किट हाऊस पहुंचने पर गार्ड ऑफ ऑर्नर लेने और आगंतुक लोगों से मुलाकात करने के बाद गवर्नर साहब कमरे में चले गए। अब किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि राजनेता से गवर्नर बने कल्याण सिंह से कोई मुलाकात कर सके। 
सिंह के कमरे के बाहर राजभवन से आए अधिकारियों और सुरक्षा गार्डों का ही घेरा था। हालांकि गवर्नर के एडीजी मेजर अभिमन्यु ने सर्किट हाऊस आने वाले जिला प्रशासन के अधिकारियों और अन्य लोगों से बहुत ही विनम्रता के साथ संवाद किया। कल्याण सिंह की जगह यदि और कोई गवर्नर होता तो सर्किट हाऊस में शाम के वक्त भी लोगों से मुलाकात कर सकता था। लेकिन कल्याण सिंह तो वाकई गवर्नर की भूमिका निभा रहे थे। तय कार्यक्रम के अनुसार सिंह को एक अगस्त को प्रात: 11 बजे आगंतुकों से मुलाकात करनी थी, लेकिन सिंह दोपहर एक बजे तक अपने वीआईपी रूम से बाहर नहीं निकले। असम के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.एन.भार्गव भी लम्बा इंतजार करने के बाद सर्किट हाऊस से लौट गए। दोपहर एक बजे जब गवर्नर साहब सर्किट हाऊस के हॉल में लोगों से मिलने आए तो मुश्किल से चार-पांच जने ही थे। इनमें से तीन तो कॉलेज की छात्राएं थीं। कुछ समय रुकने के बाद कल्याण सिंह फिर से अपने कक्ष में चले गए। इसके बाद कल्याण सिंह वीआईपी रूप से तभी बाहर आए, जब उन्हें दोपहर तीन बजे एमडीएस यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भाग लेने जाना था। सिंह भले ही अपने कक्ष से बाहर न आए हो, लेकिन सर्किट हाऊस के बाहर एम्बुलैंस से लेकर फायर ब्रिगेड तक के वाहन लाइन लगाकर खड़े रहे। अनेक सुरक्षा जवान मुस्तैद थे तो जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी तैनात रहे। यूनिवर्सिटी के समारोह से लौटने के तुरंत बाद कल्याण सिंह फिर से अपने कक्ष में चले गए। कल्याण सिंह 2 अगस्त को अजमेर के निकटवर्ती मुहामी गांव में जनसुनवाई कर ग्राीमणों की समस्याओं को जानेंगे। इस गांव को यूनिवर्सिटी ने ही गोद ले रखा है। इसके अलावा कल्याण सिंह अजमेर में किसी भी कार्यक्रम में भाग नहीं ले रहे है। यानि तीन घंटे के कार्यक्रम के लिए कल्याण सिंह तीन दिन अजमेर में बिता रहे हैं। जानकारों की माने तो कल्याण सिंह का स्वास्थ्य ठीक नहीं चल रहा है। उन्हें पैदल चलने में भी परेशानी होती है। किसी भी कार्यक्रम में भाग लेने से पहले कल्याण सिंह को स्वस्थ दिखाने के लिए लम्बी तैयारी करनी होती है। चंूकि गवर्नर होने के नाते कल्याण सिंह प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति भी हैं, इसलिए दीक्षांत समारोह में कल्याण सिंह की उपस्थिति अनिवार्य होती है। 
यूपी चुनाव में है सक्रियता की तमन्ना:
कल्याण सिंह को भले ही तीन घंटे के समारोह में भाग लेने के लिए तीन दिन लगते हो, लेकिन अभी भी उनकी तमन्ना है कि वे अगले वर्ष होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से सक्रिय भूमिका निभाएं। अपनी तमन्ना को कल्याण सिंह ने कई बार यूपी दौरे में जाहिर भी किया है। इसलिए पिछले दिनों अपना जन्मदिन राजस्थान के राजभवन में मनाने के बजाए लखनऊ में जाकर मनाया। इसमें कोई दो राय नहीं कि यूपी में कल्याण सिंह आज भी लोकप्रिय हैं। 

(एस.पी. मित्तल)  (01-08-2016)
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काश शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी स्वस्थ होते।

#1617
काश शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी स्वस्थ होते।
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एक अगस्त को अजमेर में शिक्षा से जुड़े दो बड़े कार्यक्रम आयोजित हुए। लेकिन इन दोनों ही कार्यक्रमों में राजस्थान के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी अनुपस्थित रहे। असल में पैर की हड्डी में फ्रेक्चर होने की वजह से देवनानी इन दिनों जयपुर में विश्राम कर रहे हैं। एक अगस्त को एमडीएस यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह और राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का स्थापना दिवस समारोह हुआ। इन दोनों ही समारोहों में देवनानी की चर्चा रही। यदि देवनानी स्वस्थ होते तो इन दोनों कार्यक्रमों में वे अतिथि के तौर पर उपस्थित रहते। हालांकि दीक्षांत समारोह उच्च शिक्षा से जुड़ा था, लेकिन शिक्षा बोर्ड का स्थापना दिवस का समारोह तो देवनानी के अपने विभाग का था। हालांकि देवनानी की गैरमौजूदगी में शिक्षा बोर्ड प्रबंधन ने भी कोई बड़ा समारोह नहीं किया। अलबत्ता एक सादे समारोह में बोर्ड अध्यक्ष बी.एल.चौधरी ने कर्मचारियों को शुभकामनाएं दी और बोर्ड परिसर में ही वृक्षारोपण किया। चौधरी के साथ बोर्ड सचिव मेघना चौधरी, विशेषाधिकारी प्रिया भार्गव, उपनिदेशक राजेन्द्र गुप्ता आदि ने भी वृक्षारोपहण किया। 
(एस.पी. मित्तल)  (01-08-2016)
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अजमेर में 38 पत्रकारों को भूखंड आवंटित। एडीए अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा का सकारात्मक रुख।

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अजमेर में 38 पत्रकारों को भूखंड आवंटित। 
एडीए अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा का सकारात्मक रुख। 
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एक अगस्त को अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा और आयुक्त श्रीमती विनीता श्रीवास्तव ने पत्रकारों के प्रति सकारात्मक रुख दिखाते हुए 38 पात्र पत्रकारों को भूखंडों का आवंटन कर दिया है। सभी पत्रकारों को ब्यावर रोड स्थित प्राधिकरण की डीडीपुरम योजना में 200 वर्गगज के भूखंड आवंटित किए गए हैं। तय कार्यक्रम के मुताबिक एक अगस्त को प्राधिकरण के अध्यक्ष हेड़ा के कक्ष में पत्रकारों के प्रतिनिधियों और प्राधिकरण के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक हेड़ा की अध्यक्षता में हुर्ई। जिन पत्रकारों के आवेदन पूर्ण पाए गए, उन्हें बैठक में ही लॉटरी निकालकर भूखंडों का आवंटन कर दिया गया।  इस मौके पर हेड़ा ने कहा कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी चाहती हैं कि छोटे और श्रमजीवी पत्रकारों को अपना घर बनाने के लिए भूखंड मिले। उन्होंने कहा कि जिन पत्रकारों के आवेदन किन्हीं कारणों से लॉटरी में शामिल नहीं किए गए हैं वे दोबारा से आवेदन कर सकते हंै। नए आवेदनों की तिथि शीघ्र घोषित की जाएगी। बैठक में आयुक्त श्रीमती श्रीवास्तव ने भी माना कि पत्रकारों को जल्द से जल्द भूखंड आवंटित होने चाहिए। बैठक में दैनिक नवज्योति के प्रधान सम्पादक दीनबंध चौधरी, दैनिक भास्कर के स्थानीय सम्पादक डॉ. रमेश अग्रवाल, राजस्थान पत्रिका के स्थानीय सम्पादक उपेन्द्र शर्मा और अजयमेरु प्रेस क्लब के अध्यक्ष एस.पी.मित्तल भी उपस्थित रहे। बैठक में यह भी तय किया गया कि पूर्व में जो 40 आवदेन प्राप्त हो रखे हैं, उन्हें नई योजना में शामिल किया जाएगा। 
इन पत्रकारों को मिले भूखंड:
अभिजीत दवे, अशोक बंदवाल, अशोक कुमार बंजारा, अतुल सिंह बाघ, जय माखीजा, रजनीश शर्मा, देवेन्द्र नरवारिया, राजू खाचरियावास, नवीन सोनवाल, बाल किशन झा, प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, अमरकांत मिश्रा, अमित कांकड़ा, अशोक लोट, गौतम जोतियाना, महावीर सिंह चौहान, योगेश सारस्वत, अनिल कुमार, दीपचंद घारू, विजय शर्मा, लक्ष्मीकांत, अनोज कुमार, जितेन्द्र कुमार, अरविंद अपूर्वा, अखिल कुमार शर्मा, बसंत भट्ट, भूपेन्द्र सिंह, अविनाश खन्ना, हिमांशु धवल, अकलेश जैन, मनीष कुमार, मोहम्मद अली, रोहिताश सिंह, श्रीमती शिल्पी भारद्वाज, प्रमोद शर्मा, रजनीश रोहिल्ला, जितेन्द्र कुमार बालोटिया व धीरेन्द्र सिंह पालरिया। 

(एस.पी. मित्तल)  (01-08-2016)
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