Monday 31 October 2016

भोपाल जेल से भागे आठ आंतकियों के पास हथियार कहां से आए?हालांकि पुलिस ने आठों को मार गिराया। कांग्रेस अब उठा रही है सवाल

#1908
भोपाल जेल से भागे आठ आंतकियों के पास हथियार कहां से आए?हालांकि पुलिस ने आठों को मार गिराया। कांग्रेस अब उठा रही है सवाल 
31 अक्टूबर क ी तडक़े भोपाल की सेन्ट्रल जेल से आठ आंतकी एक सुरक्षाकर्मी की हत्या कर फरार हो गए, लेकिन कुछ घंटों के बाद ही भोपाल के निकट अचारपुरा के जंगलों में पुलिस ने इन आठों आंतकियों को ऐनकाऊंटर में मार गिराया। मध्यप्रदेश पुलिस को इस बात की तो शबाशी मिलनी चाहिए कि आंतकियों को ढ़ेर कर दिया, लेकिन यह सवाल भी उठता है कि जेल तोडक़र भागे आंतकियों के पास हथियार कहां से आए? ऐसा प्रतीत होता है कि जेल से बाहर आने के बाद आंतकियों को हथियार उपलब्ध करवायें गए। इस मामले में मध्यप्रदेश के खुफियातंत्र की भी चूक नजर आती है। पुलिस को यह पता था कि भोपाल की सेन्ट्रल जेल में सिमी से जुड़े खूंखार आंतकी बंद है। इन आठ आंतकियों में से तीन ऐसे थे जो पूर्व में उड़ीसा की कटक जेल से भी इसी तरह फरार हुए थे। इन आठों आंतकियों पर देशद्रोह, बैं डकैती, हत्याएं करने जैसे गंभीर आरोप है। 31 अक्टूबर की तडक़े जब आंतकी फरार हुए तो पूरे देश में खलबली मच गई। एक नवंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मध्यप्रदेश से जुड़े छत्तीसगढ़ राज्य के समारोह में जाना है, ऐसे में आंतकियों के फरार होने की घटना को बेहद गंभीर माना गया। यह भी गंभीर बात थी कि सभी आंतकी एक ही विचारधारा के थे। हालत इतने नाजुक बने कि भोपाल की सेन्ट्रल जेल में केन्द्रीय सुरक्षा बलों को जाना पड़ा। यह माना गया कि आंतकी जाकिर, अमजद, महबूब, सलीक, शेख मुजीब, खालिद, अकिल व खिलची मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कोई भी वारदात कर सकते है। इन दोनों राज्यों में तत्काल हाईअलर्ट घोषित कर दिया गया, लेकिन अचारपुरा के जंगलों में जब आठों आंतकी ढ़ेर हो गए तो सभी ने राहत की सांस ली। 
कांग्रेस ने उठाए सवाल:
आंतकियों के जेल से फरार होने और फिर मुठभेड़ में मारे जाने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और एमपी के प्रभारी मोहन प्रकाश ने यह मांग की है आंतकवादी किन परिस्थितियों में मारे गए इसकी जांच होनी चाहिए। कांग्रेस के बयान पर भाजपा के नेताओं ने तीखी प्रक्रिया दी है। भाजपा नेता का कहना है कि कांग्रेस आंतकियों के ऐनकांऊटर पर भी बोटबैंक की राजनीति करती है।  
(एस.पी.मित्तल) (31-10-16)
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#1905
अजमेर देहात भाजपा अध्यक्ष सारस्वत दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी समिति के सदस्य बने।
राजस्थान प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय जन्म शताब्दी समारोह समिति का गठन किया है। प्रदेश स्तरीय इस समिति में अजमेर देहात भाजपा के अध्यक्ष प्रो. बी.पी. सारस्वत को भी सदस्य बनाया गया है। इस समिति में कुल 11 सदस्य हैं और प्रो. सारस्वत प्रदेश भर में एक मात्र जिला अध्यक्ष है। सारस्वत के साथ-साथ गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया, सामाजिक न्याय मंत्री अरूण चतुर्वेदी, राजस्थान धरोहर संरक्षण प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत आदि शाामिल हैं। प्रदेश स्तरीय समिति में सारस्वत को जो जिम्मेदारी दी गई है, उससे प्रतीत होता है कि प्रदेश की राजनीति में सारस्वत कद बढ़ा है। जानकारों की मानने तो प्रदेश अध्यक्ष परनामी सारस्वत को भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण पद देना चाहते है, लेकित मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की वजह से सारस्वत को अजमेर में ही देहात भाजपा की जिम्मेदारी सौंप रखी है। सारस्वत को सी.एम. राजे का संरक्षण प्राप्त है।
(एस.पी.मित्तल) (31-10-16)
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#1906
ब्रïह्मा मंदिर के अन्नकूट महोत्सव में अभिनेत्री उर्मिला मातोण्डकर भी भाग लेंगी। दस हजार ब्राह्माणों का होगा महाभोज।
पुष्कर स्थित संसार के एक मात्र ब्रह्मा मंदिर में 3 नवम्बर को होने वाले अन्नकूट महोत्सव में फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोण्डकर भी शामिल होंगी। महोत्सव के प्रमुख आयोजक नितिन शर्मा, अमित भंसाली, राजेश सोनी, चन्द्रप्रकाश सोनी, शिवसिंह शेखावत, धर्मेन्द्र चौहान आदि ने बताया कि पिछले कई वर्षों से ब्रह्मा मंदिर में अन्नकूट महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। यह महोत्सव मंदिर के महंत सोमपुरी महाराज के सानिध्य में होता है। इस बार भी 3 नवंबर को प्रात: ब्रह्माजी की प्रतिमा का महाअभिषेक होगा। इस अवसर पर ऋद्धालु भोलेनाथ के ऋंगार से सजी झांकी के दर्शन कर सकेंगे। 1100 किलो के लडडू के साथ माआरती होगी। दिनभर धार्मिक आयोजन होने के साथ-साथ शाम को होने वाले विशेष कार्यक्रम में फिल्म अभिनेत्री उर्मिला मातोण्डकर भी शामिल होंगी। इसी अवसर पर दस हजार ब्राह्माणों का महाभोज भी रखा गया है। इसके अतिरिक्त अजमेर और जयपुर के राजनेता, प्रशासनिक अधिकारी तथा गणमान्य व्यक्ति भी इस धार्मिक समारोह में शामिल होंगे। इस महोत्सव के बारें में अधिक जानकारी मुख्य आयोजक नितिन शर्मा से उनके मोबाइल नंबर 9828032600 पर ली जा सकती है।
(एस.पी.मित्तल) (31-10-16)
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#1907
दरगाह कमेटी ने भी निरस्त की जमीयत के राष्ट्ीय अधिवेशन की मंजूरी।
अजमेर में कायड़ विश्राम स्थली पद प्रस्तावित जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्टï्ृीय अधिवेशन की मंजूरी को अब दरगाह कमेटी ने भी निरस्त कर दिया है। कमेटी के नाजिम लेफिï्टनेंट कर्नल मंसूर अली खान ने जमीयत के प्रदेश महासचिव अब्दुल वाहिद खत्री को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि 11,12 व 13 नवंबर को होने वाले राष्ट्ीय अधिवेशन को विश्रामस्थली पर करवाने के लिए जिला प्रशासन ने इंकार कर दिया है। इसलिए दरगाह कमेटी भी पूर्व में जारी मंजूरी को निरस्त करती है। मालूम हो कि कायड़ विश्राम स्थली के रखरखाव का जिम्मा दरगाह कमेटी का है, इसलिए जमीयत के पदाधिकारियों ने सबसे पहले कमेटी से ही मंजूरी ली थी, लेकिन जब जमीयत ने कानून व्यवस्था की दृष्टि से प्रशासन से अनुमति चाही तो कलेक्टर गौरव गोयल ने पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर मंजूरी देने से इंकार कर दिया। तब यह सवाल भी उठा था कि जिला प्रशासन की मंजूरी से पहले दरगाह कमेटी ने सहमति कैसे दे दी? हालांकि अपनी इस गलती को अब दरगाह कमेटी ने सुधार लिया है, लेकिन वही जमीयत के पदाधिकारी कायड़ विश्रामस्थली पर ही राष्ट्ीय अधिवेशन करवाने के लिए प्रयासरत है। इस संबंध में केन्द्रीय अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी, राजस्थान की सी.एम. वसुन्धरा राजे, परिवहन मंत्री युनूस खान आदि से सम्पर्क साधा गया है। इसके साथ ही जिला प्रशासन को भी एक पत्र देकर भरोसा दिलाया गया है कि अधिवेशन में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होगी।
दरगाह से जुड़े प्रतिनिधियों का विरोध:-
जमीयत के राष्ट्ीय अधिवेशन का विरोध यहां सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से जुड़े प्रतिनिधियों ने भी किया है। जिला प्रशासन को दिए गए ज्ञापनों में कहा गया है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद की विचारधारा ख्वाजा साहब के सूफीवाद से अलग है। ऐसे में अजमेर में उन विचारधाराओं वाले लोगों को आने नहीं देना चाहिए, जो खानकाहों और दरगाहों को नहीं मानते है। ज्ञापनों में कहा गया कि अजमेर पूरी दुनिया में साम्प्रादियक सदभावना की मिसाल है। इसलिए अजमेर का माहौल खराब नहीं होना चाहिए। 11 से 13 नवंबर के दौरान ही अन्तर्राष्ट्ीय ख्यााति प्राप्त पुष्कर मेला भी आयोजित होगा। 
(एस.पी.मित्तल) (31-10-16)
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Saturday 29 October 2016

#1903
आखिर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को गिरने से क्यों नही रोक पाया सरकारी लवाजमा? धौलपुर के हैलीपेड पर अचानक गिर पड़ी सीएम। 
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28 अक्टूबर को राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे धौलपुर की पुलिस लाइन के हैलीपेड पर अचानक गिर गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सरकारी हैलीकॉप्टर से उतरने के बाद जब कार की ओर जा रही थी, तभी उन्हें चक्कर आ गए और वे धड़ाम से जमीन पर गिर गई। सवाल उठता है कि सीएम के आसपास सरकार का इतना बड़ा लवाजमा होने के बावजूद वे कैसे गिर गई? सीएम की चाकरी में लगे चिकित्सकों, अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों को यह अच्छी तरह पता था कि राजे चिकनगुनिया बुखार से पीडि़त हंै। ऐसे में सरकारी लवाजमे को सीएम के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखना चाहिए था। क्या चिकित्सकों ने सीएम को आराम की सलाह नहीं दी? यदि सीएम का स्वास्थ्य बेहद खराब था तो फिर कार को हैलीकॉप्टर के निकट क्यों नहीं लाया गया? चिकनगुनिया से पीडि़त सीएम को पुलिस लाइन के मैदान पर पैदल चलने के लिए मजबूर क्यों किया गया? क्या सीएम के गिरने के पीछे सरकारी लवाजमे की जवाबदेही नहीं है? यूं तो यही सरकारी लवाजमा सीएम के पास किसी आम आदमी को फटकने नहीं देता, लेकिन वही सीएम को जमीन पर गिरने के लिए मजबूर कर देता है। सीएम राजे माने या नहीं, लेकिन उनके गिरने के लिए सरकारी लवाजमा भी दोषी है। 28 अक्टूबर को धौलपुर के जिला प्रशासन के जो अधिकारी पुलिस लाइन पर मौजूद थे, उन्हें भी सीएम के गिरने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। इसके साथ ही सचिवालय में बैठे अधिकारी भी इस घटना के लिए जिम्मेदार है। यदि किसी प्रांत का सीएम चलते-चलते ही गिर जाए तो इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती। 

(एस.पी.मित्तल) (29-10-16)
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#1904
रेलवे ने विज्ञापन बोर्डो पर काले कपड़े डाले। अजमेर नगर निगम ने जताया था ऐतराज।
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29 अक्टूबर को अजमेर रेल प्रशासन ने रेलवे स्टेशन पर लगे विज्ञापन बोर्डो पर काले कपड़े डाल दिए हैं। इन विज्ञापन बोर्डो को लेकर नगर निगम ने रेल प्रशासन को नोटिस दिया था। मालूम हो कि एक सप्ताह पहले रेलवे स्टेशन पर एक निजी कंपनी को विज्ञापन बोर्ड लगाने की अनुमति दी थी। विज्ञापन बोर्डो के लगते ही निगम के उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता ने नोटिस जारी कर बोर्डो को हटाने के निर्देश दिए थे। निगम का कहना था कि शहरी क्षेत्र में प्रदर्शित होने वाले विज्ञापन बोर्डो को लगाने का अधिकार रेल प्रशासन को नहीं है। जबकि रेल प्रशासन का कहना था कि विज्ञापन बोर्ड रेलवे की भूमि पर लगे है। आपसी वादविवाद के बाद 29 अक्टूबर को रेल प्रशासन ने विवादित बोर्डो को काले कपड़ों से ढकवा दिया। अब निगम को इन बोर्डो को हटाए जाने का इंतजार है।


(एस.पी.मित्तल) (29-10-16)
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#1901
कश्मीर में बैठे आतंकियों की घिनौनी हरकत। सेना को हमारे कश्मीर में भी करना चाहिए सर्जिकल ऑपरेशन। 
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28 अक्टूबर को रात के अंधेरे में जब जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में नियंत्रण रेखा के पास मांछिल सेक्टर में हमारे जवान सीमा पार से आ रहे गोला-बारूद का सामना कर रहे थे कि तभी कश्मीर में सक्रिय आतंकियों ने संघर्षरत बीएसएफ के जवान मंदीप सिंह की हत्या कद दी। अन्य जवान मंदीप के शव को संभालते, इससे पहले आतंकियों ने शव को क्षत-विक्षित कर दिया। आतंकियों की यह घिनौनी हरकत एक बार फिर साबित करती है कि कश्मीर घाटी में ऐसे लोग सक्रिय हैं जो भारत की एकता और अखंडता को तोडऩा चाहते हैं। हमारे सैनिक पाकिस्तान के गोला बारूद से तो मुकाबला कर सकते हैं, लेकिन देश के अंदर बैठे गद्दारों से मुकाबला करना मुश्किल हो रहा है। दीपावली के मौके पर जब हमारे जवान अपना घर-परिवार छोड़ कर सीमा पर खड़े हैं, तब देश के गद्दार ऐसे सैनिकों को मार रहे हैं। अब समय आ गया है जब सेना को हमारे कश्मीर में भी बड़ा सर्जिकल ऑपरेशन करना पड़ेगा। विगत दिनों घाटी में 700 घरों की तलाशी ली गई तो बड़ी मात्रा में पाकिस्तान और चीन के झंडे और हथियार बरामद हुए। 28 अक्टूबर की घटना बताती है कि यदि घाटी में सर्जिकल ऑपरेशन नहीं किया गया तो यहां बैठे आतंकवादी हमारी सीमा पर लड़ रहे सैनिकों पर देश के अंदर से हमला शुरू कर देंगे। शर्मनाक बात तो यह है कि 28 अक्टूबर को दिन में केन्द्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कश्मीर घाटी के लोगों के लिए 500 करोड़ रुपए के राहत पैकेज की घोषणा की। जेटली का कहना रहा कि मौसम की खराबी की वजह से कश्मीर में सेब की फसल खराब हो गई, जिससे कश्मीरियों को आर्थिक नुकसान हुआ है। इस नुकसान की भरपाई के लिए ही 500 करोड़ रुपए दिए जा रहे हंै। यानि केन्द्र सरकार ने दिन में कश्मीरियों को राहत दी तो रात को कश्मीर में बैठे आतंकियों ने हमारे एक जवान की जान ले ली। 

(एस.पी.मित्तल) (29-10-16)
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#1902
तो दीपावली पर बन गया देशभक्ति का माहौल। जी न्यूज के चेयरमेन सुभाष चन्द्रा की अच्छी पहल।
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भगवान राम 14 वर्ष के बनवास के बाद जब लौटे तो अयोध्यावासियों ने अपने घरों पर रोशनी कर राम का शानदार स्वागत किया और तभी से दीपावली का पर्व मनाया जा रहा है। लेकिन इस बार वर्ष 2016 दीपावली पर देशभर में देशभक्ति का माहौल बन गया है। पीओके पर सर्जिकल ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान ने सीमा पर गोलाबारी शुरू कर दी है। पाकिस्तान जिन हथियारों का इस्तेमाल कर रहा है, उससे हमारे सैनिक भी शहीद हो रहे हैं। शहीद के परिजनों की हौंसला अफजाई के लिए देशभर में एक दिया शहीदों के नाम कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। न्यूज चैनलों ने भी अपने-अपने संवाददाताओं के माध्यम से एक साथ उनके शहरों में दिए जलवाएं है। 29 अक्टूबर को अजमेर के विजय स्मारक पर भी अपना संस्थान के सूत्रधार कंवल प्रकाश किशनानी की पहल पर सैकड़ों लोगों ने दिया हाथ में लेकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। हालांकि दिया जला देने से परिजनों को शहीद की भरपाई नहीं होगी, लेकिन फिर भी शहीदों को सम्मान तो मिलना ही चाहिए। जी न्यूज के चेयरमैन सुभाष चन्द्रा ने एक अच्छी पहल करते हुए कहा कि दीपावली के दिन शहीदों के परिजनों के पास जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने अपने चैनलों के सभी साथियों को शहीदों के परिजनो से मिलने के निर्देश दिए हंै। इसमें कोई दो राह नहीं कि जी-न्यूज की यह पहल सकारात्मक है। देशवासियों ने देशभक्ति का जो जज्बा दिखाया है उससे हमारे सैनिकों के हौंसले और बुलंद होंगे। आज हम लोग जिस उत्साह और उमंग के साथ दीपावली का पर्व मना रहे हंै उसके पीछे हमारे सैनिक ही हैं। यदि सुरक्षा बलों के जवान सीमा पर खड़े होकर रक्षा न करें तो पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन देशों की सेना हमारे देश को तबाह कर दे। हमारे देश के लिए ये अफसोसजनक बात है कि देश के अंदर भी पाकिस्तान के समर्थक बैठे हुए है।

(एस.पी.मित्तल) (29-10-16)
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#1899
आखिर दरगाह कमेटी क्यों नहीं करती जमीयत के अधिवेशन की अनुमति को निरस्त। अजमेर प्रशासन ने नहीं दी मंजूरी।
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अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने यहां कायड़ स्थित विश्राम स्थली में होने वाले जमियत उलेमा ए हिन्द के राष्ट्रीय सम्मेलन को मंजूरी देने से इंकार कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद भी दरगाह कमेटी ने पूर्व में जारी अपनी अनुमति को अभी तक भी निरस्त नहीं किया है। इससे दरगाह कमेटी की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग रहा है। दरगाह कमेटी केन्द्रीय अल्प संख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है। कायड़ विश्राम स्थली की देखरेख का जिम्मा दरगाह कमेटी के पास ही है। कायदे से तो दरगाह कमेटी को किसी भी कार्यक्रम की अनुमति तभी देनी चाहिए जब कानून व्यवस्था की दृष्टि से जिला प्रशासन से मंजूरी मिल जाए, लेकिन दरगाह कमेटी ने अपने स्तर पर निर्णय लेते हुए जमितयत उलेमा ए हिन्द को कायड़ विश्राम स्थली में राष्ट्रीय अधिवेशन करने की अनुमति दे दी। कमेटी ने यह भी नहीं सोचा कि आखिर विश्राम स्थली पर 4 लाख लोगों के इंतजाम कैसे होंगे? हालांकि अब जमियत के प्रतिनिधियों का कहना है कि 4 लाख नहीं बल्कि 40 हजार लोग ही राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेंगे। 40 हजार वाले प्रस्ताव पर अभी जिला प्रशासन ने कोई निर्णय नहीं लिया है, लेकिन दरगाह कमेटी की अनुमति अभी तक भी कायम है। यदि जिला प्रशासन की मंजूरी का विवाद अदालत में जाता है तो जमियत के पास दरगाह कमेटी की अनुमति का पत्र सबसे बड़ा दस्तावेज होगा। दरगाह कमेटी के पदाधिकारियों और नव-नियुक्त नाजिम ले कर्नल मंसूर अली खान को भी पता है कि जिला प्रशासन ने जमियत के राष्ट्रीय अधिवेशन करने की मंजूरी नहीं दी है, लेकिन इसके बावजूद भी दरगाह कमेटी अपनी अनुमति को निरस्त नहीं कर रही है। इससे प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी अजमेर प्रशासन से टकराव के मूड में है। मालूम हो कि जमियत ने 11, 12 व 13 नवंबर को राष्ट्रीय अधिवेशन अजमेर में करने की घोषणा कर रखी है। 

(एस.पी.मित्तल) (29-10-16)
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#1900 1900 ब्लॉग पार होने पर विनम्र निवेदन। वाट्सएप पर ब्लॉग पढऩे के लिए 7976 58 5247 नंबर पर जोड़ें। =========================== प्रिंट मीडिया की सक्रियता के साथ-साथ वर्ष 2014 की दीपावली पर्व के दिनों में ही मैंने सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिखना शुरू किया था। इन दो वर्षों में मुझे पाठकों का जो स्नेह और प्रोत्साहन मिला, उसी का परिणाम है कि आज ब्लॉग स्पोट, वेबसाइट, वाट्सएप, फेसबुक, अकाउंट, फेसबुक पेज आदि के माध्यम से कई लाख लोगों तक मेरे ब्लॉग रोजाना पहुंच रहे हैं। हालांकि ब्लॉग पहुंचाने में मुझे रोजाना कठिन श्रम करना होता है, लेकिन ब्लॉग जारी होने के बाद जो प्रोत्साहन मिलता है, उसी का परिणाम है कि मैं सभी कठिनाईयों को पार पा लेता हूं। पाठकों के प्रोत्साहन की वजह से ही मेरे ब्लॉगों की संख्या एक हजार 900 के पार हो गई है। जिस तरह वाट्सएप गु्रप की संख्या अजमेर, राजस्थान और देश भर में लगातार बढ़ रही हैं, उसी तरह मुझे भी अपनी तकनीक को लगातार विस्तार देना पड़ रहा है। देश भर में रोजाना अनेक वाट्सएप ग्रुप के एडमिन मुझे जोड़ते हैं। जिस फोन का उपयोग मैं संवाद के लिए करता हूं, अधिकांश एडमिन उसी से अपने वाट्सएप ग्रुप को जोड़ लेते हैं। मुझे उस वक्त परेशानी होती है, जब मैं ग्रुप में ब्लॉग पोस्ट कर रहा होता हूं और तब फोन की घंटी बज जाती है। मैं अब नए जुडऩे वाले ग्रुप के एडमिन साहब से विनम्र निवेदन कर रहा हूं कि मेरे संवाद वाले फोन नंबर 9829071511 से कोई भी ग्रुप न जुड़ें। अब मैं वाट्सएप के लिए दो नए नंबर जारी कर रहा हूं। ये नंबर हैं 7976 58 5247 व 9462 20 0121। मैंने पूर्व में भी कहा था कि मेरे फेसबुक अकाउंट पर निर्धारित 5000 फ्रेन्डस पूरे हो गए हैं। अब मैं मेरे इस अकाउंट पर नए फ्रेन्डस नहीं बना सकता, लेकिन इसके बावजूद भी प्रतिदिन अनेक फ्रेन्डस रिक्वेस्ट प्राप्त हो रही है। ऐसे फ्रेन्डस के लिए मैंने फेसबुक पर अपना पेज बनाया है, जो लोग मुझे फ्रेन्डस रिक्वेस्ट भेज रहे हैं। उनसे आग्रह है कि वे मेरा फेसबुक पेज लाइक करें। मैं यहां यह भी बताना चाहता हूं कि फेसबुक पेज, ब्लॉग, वेबसाइट पर खबर के साथ फोटो भी देखे जा सकते हैं। कई मौकों पर खबर से ज्यादा फोटो अहमियत रखते हंै। मुझे उम्मीद है कि देशभर के पाठक मुझे सहयोग और प्रोत्साहन देते रहेंगे। मेरे हर ब्लॉग के नीचे सभी तरह की जानकारी लिखी रहती है। (एस.पी.मित्तल) (29-10-16) नोट: फोटोज यहां देखें। वेबसाइट www.spmittal.in www.facebook.com/SPMittalblog Blog:- spmittalblogspot.in M-09829071511 (सिर्फ संवाद के लिए) ================================ M: 07976-58-5247, 09462-20-0121 (सिर्फ वाट्सअप के लिए)

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प्रिंट मीडिया की सक्रियता के साथ-साथ वर्ष 2014 की दीपावली पर्व के दिनों में ही मैंने सोशल मीडिया पर ब्लॉग लिखना शुरू किया था। इन दो वर्षों में मुझे पाठकों का जो स्नेह और प्रोत्साहन मिला, उसी का परिणाम है कि आज ब्लॉग स्पोट, वेबसाइट, वाट्सएप, फेसबुक, अकाउंट, फेसबुक पेज आदि के माध्यम से कई लाख लोगों तक मेरे ब्लॉग रोजाना पहुंच रहे हैं। हालांकि ब्लॉग पहुंचाने में मुझे रोजाना कठिन श्रम करना होता है, लेकिन ब्लॉग जारी होने के बाद जो प्रोत्साहन मिलता है, उसी का परिणाम है कि मैं सभी कठिनाईयों को पार पा लेता हूं। पाठकों के प्रोत्साहन की वजह से ही मेरे ब्लॉगों की संख्या एक हजार 900 के पार हो गई है। जिस तरह वाट्सएप गु्रप की संख्या अजमेर, राजस्थान और देश भर में लगातार बढ़ रही हैं, उसी तरह मुझे भी अपनी तकनीक को लगातार विस्तार देना पड़ रहा है। देश भर में रोजाना अनेक वाट्सएप ग्रुप के एडमिन मुझे जोड़ते हैं। जिस फोन का उपयोग मैं संवाद के लिए करता हूं, अधिकांश एडमिन उसी से अपने वाट्सएप ग्रुप को जोड़ लेते हैं। मुझे उस वक्त परेशानी होती है, जब मैं ग्रुप में ब्लॉग पोस्ट कर रहा होता हूं और तब फोन की घंटी बज जाती है। मैं अब नए जुडऩे वाले ग्रुप के एडमिन साहब से विनम्र निवेदन कर रहा हूं कि मेरे संवाद वाले फोन नंबर 9829071511 से कोई भी ग्रुप न जुड़ें। अब मैं वाट्सएप के लिए दो नए नंबर जारी कर रहा हूं। ये नंबर हैं 7976 58 5247 व 9462 20 0121। मैंने पूर्व में भी कहा था कि मेरे फेसबुक अकाउंट पर निर्धारित 5000 फ्रेन्डस पूरे हो गए हैं। अब मैं मेरे इस अकाउंट पर नए फ्रेन्डस नहीं बना सकता, लेकिन इसके बावजूद भी प्रतिदिन अनेक फ्रेन्डस रिक्वेस्ट प्राप्त हो रही है। ऐसे फ्रेन्डस के लिए मैंने फेसबुक पर अपना पेज बनाया है, जो लोग मुझे फ्रेन्डस रिक्वेस्ट भेज रहे हैं। उनसे आग्रह है कि वे मेरा फेसबुक पेज लाइक करें। मैं यहां यह भी बताना चाहता हूं कि फेसबुक पेज, ब्लॉग, वेबसाइट पर खबर के साथ फोटो भी देखे जा सकते हैं। कई मौकों पर खबर से ज्यादा फोटो अहमियत रखते हंै। मुझे उम्मीद है कि देशभर के  पाठक मुझे सहयोग और प्रोत्साहन देते रहेंगे। मेरे हर ब्लॉग के नीचे सभी तरह की जानकारी लिखी रहती है।   

(एस.पी.मित्तल) (29-10-16)
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Friday 28 October 2016

#1898
मंत्री देवनानी की उपस्थिति में तबादले को लेकर शिक्षिका ने किया हंगामा। पीडि़ता को घसीट कर बाहर निकाला। 
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28 अक्टूबर को अजमेर के सूचना केंद्र में आयोजित आयुर्वेद विभाग के एक समारोह में जब स्कूल शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी उपस्थित थे, तभी एक शिक्षिका कौशल्या ने अपने तबादले को लेकर जोरदार हंगामा कर दिया। कौशल्या का आरोप था कि उसका तबादला जोधपुर से पाली कर दिया गया है, जिसकी वजह से वह बेहद परेशान है। वह 27 अक्टूबर को देवनानी से मिलने के लिए जयपुर भी गई थी, लेकिन मुलाकात नहीं हुई और आज जब उसे यह पता चला कि देवनानी अजमेर में हैं, तो वह अजमेर आ गईं। हालांकि देवनानी ने तो हंगामे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन समारोह में उपस्थित महिला समर्थकों ने पीडि़त शिक्षिका को घसीट कर समारोह स्थल से बाहर निकाल दिया। महिलाओं ने शिक्षिका को जिस तरह से बाहर फैंका, उससे उपस्थित सभी आश्चर्यचकित थे। 
(एस.पी. मित्तल)  (28-10-2016)
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#1897
अजमेर में राजमाता सिंधिया और किशनगढ़ में डॉ. श्यामा मुखर्जी नगर बनेंगे। एडीए अध्यक्ष हेडा ने दीपावली के मौके पर की महत्वपूर्ण घोषणा। 
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अजमेर विकास प्राधिकरण की ओर से अजमेर शहर में माकड़वाली रोड पर राजमाता सिंधिया नगर और किशनगढ़ के सरगांव में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर बसाए जाएंगे। 28 अक्टूबर को दीपावली पर्व के अवसर पर प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेडा ने बताया कि इन दोनों योजनाओं में आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों को आवास मिल सकेंगे। हेडा ने बताया कि राजमाता सिंधिया नगर के लिए 20 हेक्टर भूमि रखी गई है। यहां मुख्यमंत्री जन आवास योजना के अंतर्गत 1570 आवास आर्थिक दृष्टि से कमजोर परिवारों को आवंटित किए जाएंगे। इसके साथ ही 300 भूखंड भी आवंटित होंगे। इस योजना पर पांच करोड़ तीन लाख रुपए का प्रस्ताव है। इसी प्रकार किशनगढ़ के सरगांव में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी नगर योजना के लिए 7.5 हेक्टयर भूमि का प्रस्ताव तैयार किया गया है। यहां की मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत एक हजार तीन सौ आवास गरीब परिवारों को उपलब्ध कराए जाएंगे। इस योजना पर पांच करोड़ का प्रस्ताव है। इन दोनों योजनाओं के लिए ईओआई जारी कर दी गई है। योजनाओं में आवासीय भूखंडों के अतिरिक्त व्यवसायिक भूखंड, दुकानें, स्कूल, पार्क, सामुदायिक भवन एवं अन्य सुविधाएं भी होगी। हेडा ने बताया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के प्रयासों से अजमेर को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल किया गया है। स्मार्ट सिटी की योजना के अंतर्गत ही प्राधिकरण ने दो नए नगर बसाने का निर्णय किया है। 
(एस.पी. मित्तल)  (28-10-2016)
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#1896
क्या ऐश्वर्या अपने ससुर अमिताभ की छवि बिगाड़ रही हैं? रणबीर के साथ बोल्ड सीन से बेहद नाराज हैं जया बच्चन।
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28 अक्टूबर को मुंबइया फिल्म ऐ दिल है मुश्किल देश भर में रिलीज हो गई। यह वही फिल्म है जो पाकिस्तान के कलाकार फवाद खान की वजह से विवाद में आई थी। फवाद खान का विवाद तो निपट गया, लेकिन अब इस फिल्म की चर्चा ऐश्वर्या राय बच्चन के रणबीर के साथ बोल्ड सीन को लेकर हो रही है। यूं तो फिल्म उद्योग में मल्लिका शेरावत से लेकर राखी सांवत तक के बोल्ड सीन होते रहते हैं, लेकिन ऐश्वर्या राय के बोल्ड सीन की चर्चा इसलिए हो रही है कि ऐश्वर्या सुपर स्टार अमिताभ बच्चन की बहू हंै। आज देश में अमिताभ को सदी का महानायक माना जाता है। यदि किसी उत्पाद का विज्ञापन अमिताभ कर दें तो वह उत्पाद गारंटी के साथ बिक जाता है। यानि अमिताभ जो कहते हंै, उस पर देश की जनता भरोसा करती है। यही वजह है कि अब केन्द्र सरकार के अधिकांश विज्ञापनों में अमिताभ ही नजर आते हैं। चाहे बच्चों को पोलियो की दो बूंद पिलानी हो या फिर गांवों में शौचालय बनवाने हो, सभी में अमिताभ बच्चन उपदेश और प्रवचन देते नजर आते है। भारतीय संस्कृति के अनुरूप जीवन जीने की सलाह भी अमिताभ अब विज्ञापनों में देने लगे हैं। ऐसे महानायक की बहू यदि बोल्ड सीन दिखाएगी तो फिर चर्चा तो होगी ही। ऐसे में यह सवाल तो उठेगा ही कि अमिताभ के प्रवचनों और उपदेशों को असर घर में ही क्यों नहीं हो रहा? अमिताभ दूसरों की बहू-बेटियों से तो अच्छे आचरण की उम्मीद रखते हैं, लेकिन अपनी बहू से नहीं? कुछ लोग कुतर्क देते हुए कह सकते हैं कि ऐश्वर्या एक कलाकार है। यह कुतर्क तभी तक तर्क संगत था जब तक ऐश्वर्या, सलमान खान, विवेक ओबेराय जैसे कलाकारों के साथ काम कर रही थी, लेकिन अब तो ऐश्वर्या ने अमिताभ के बेटे अभिषेक बच्चन के साथ विवाह भी कर लिया है और वे एक बेटी की मां भी हंै। मैंने ऊपर भी लिखा है कि यदि ऐश्वर्या अमिताभ बच्चन की बहू नहीं होती तो उनके बोल्ड सीन की चर्चा भी नहीं होती। अमिताभ के बेटे की पत्नी होने की वजह से ही ऐश्वर्या से यह उम्मीद की जाती है कि वे अपने ससुर की महानायक की छवि का ख्याल रखें। हालांकि अभी बोल्ड सीन पर अमिताभ की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन सास जया बच्चन ने अपनी नाराजगी सार्वजनिक कर दी है। 
(एस.पी. मित्तल)  (28-10-2016)
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#1895
अब सामने आया पूजा की मौत का वीडियो। ज्यादती की शिकार की वजह से की खुदकुशी।
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अजमेर के जेएलएन अस्पताल में गत 24 अक्टूबर को दम तोडऩे वाली युवती पूजा का एक वीडियो अब सामने आया है। 28 अक्टूबर को सांसी समाज के प्रदेश अध्यक्ष सवाई सिंह मालावत ने अजमेर के पुलिस अधीक्षक को दिए एक ज्ञापन में कहा कि मरने से पूर्व पूजा ने अपने परिजनों को जो बयान रिकार्ड करवाया, उसमें आरोप लगाया है कि गांव का ही परमेश्वर वैष्णव नामक युवक ब्लैकमेल कर रहा था। चूंकि वह परमेश्वर की ब्लैकमेलिंग की शिकार हो रही थी, इसलिए उसने केरोसिन डालकर स्वयं को जला लिया। पूजा ने अपने बयानों में यह भी कहा कि परमेश्वर को उम्र कैद की सजा दिलवाई जाए क्योंकि मैं उसी की वजह से मर रही हूं। पूजा का कहना रहा कि घर परिवार की इज्जत की वजह से मैंने यह बात पूर्व में किसी को भी नहीं बताई, लेकिन मैं ज्यादती का शिकार और नहीं हो सकती थी, इसलिए मर रही हूं। सांसी समाज के प्रतिनिधियों ने पूजा के वीडियो को एसपी को सौंपते हुए निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की। पुलिस अधीक्षक ने भरोसा दिलाया कि मामले की जांच निष्पक्ष करवाई जाएगी। मालूम हो कि मृतका पूजा अजमेर के नसीराबाद क्षेत्र के लोहरवाड़ा गांव की रहने वाली है और अस्पताल में भर्ती होने के बाद पहली बार मजिस्ट्रेट के समक्ष जो बयान दिए, उसमें खुदकुशी के लिए ससुराल वालों को जिम्मेदार ठहराया था। पूजा ने 20 अक्टूबर को आग लगाई थी। अब पुलिस के सामने मजिस्ट्रेट को दिए गए बयान और वीडियो रिकार्डिंग है। पुलिस अब वीडियो रिकार्डिंग को ध्यान में रखते हुए भी जांच कर रही है। 
(एस.पी. मित्तल)  (28-10-2016)
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आखिर न्यायपालिका और सरकार में क्यों हो रहा है टकराव? क्या न्यायपालिका को अपने गिरेबां में नहीं झांकना चाहिए? अंकल जजों पर भी अंकुश लगाए सुप्रीम कोर्ट।

#1894
आखिर न्यायपालिका और सरकार में क्यों हो रहा है टकराव? क्या न्यायपालिका को अपने गिरेबां में नहीं झांकना चाहिए? अंकल जजों पर भी अंकुश लगाए सुप्रीम कोर्ट। 
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28 अक्टूबर को जजों की नियुक्ति को लेकर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को फटकार लगाई है। मुख्य न्यायाधीश टी.एस.ठाकुर ने कहा कि सिफारिश के बावजूद सरकार 9 महीने से फाइल को दबाए बैठी है। सरकार के अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से जस्टिस ठाकुर ने कहा कि आप इसे नाक का सवाल न बनाएं। आप (सरकार) संस्थाओं को दो पाटों के बीच नहीं पीस सकते। हम बेहद धैर्य के साथ काम कर रहे हैं। हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते, जहां न्यायपालिका तबाह हो जाए और अदालतों में ताले लगे जाएं। यह माना कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति नहीं होने देश के सभी राज्यों में मुकदमों का अंबार लग गया है। सुप्रीम कोर्ट की यह राय वाजिब है कि जजों की नियुक्ति जल्द होनी चाहिए। सब जानते हैं कि सरकार ने जजों की नियुक्ति का जो फार्मूला सुझाया था, उसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। अब जजों की नियुक्ति के फार्मूले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ओर सरकार के बीच विवाद की स्थिति है। लेकिन जिन लोगों का अदालतों से पाला पड़ा है, वे अच्छी तरह जानते हैं कि अदालतों में क्या-क्या होता है। ऐसा नहीं कि सुप्रीम कोर्ट में बैठे भगवानों को हाई कोर्ट के भगवानों की करतूतें पता न हों। कई अवसरों पर बड़े भगवानों ने छोटे भगवानों की कार्यशैली पर नाराजगी जताई है। बड़े भगवानों को हाईकोर्ट के अंकल जजों के बारे में भी पता है। अंकल जज उन्हें माना जाता है जिनके पुत्र पुत्रियां या अन्य निकट के रिश्तेदार हाईकोर्ट में वकालात करते हैं। ईमानदारी इतनी की कोई जज अपने बेटे-बेटी  को अपनी अदालत में पैरवी नहीं करने देता। जब से जजों की नियुक्ति अन्य प्रांतों में होने लगी है तब से तो अंकल जजों की ईमानदारी और बढ़ गई है। उदाहरण के लिए गुजरात का कोई जज राजस्थान में और राजस्थान का गुजरात हाईकोर्ट में नियुक्त हो तो राजस्थान के वकील बेटे, बेटी को गुजरात में और गुजरात वाले को राजस्थान में अंकल जज मिल जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट को इस बात का भी पता लगाना चाहिए कि अंकल जजों से जुड़े युवा वकीलों की स्थिति कैसी है। साधारण परिवार का युवा वकील वर्षों तक अपनी पहचान के लिए मोहताज रहता है, जबकि अंकल जजों की वजह से बेटे-बेटियां रातोंरात मालामाल हो जाते हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी पता लगाए कि जजों के बेटे-बेटियां कितनी राज्य सरकारों के पैनल में शामिल है। खुद सुप्रीम कोर्ट में होईकोर्ट के जजों के बेटे-बेटियां विभिन्न राज्य सरकारों की ओर से पैरवी कर रहे हैं। ऐसा नहीं कि ऐसे बेटे-बेटियों में काबिलियत की कोई कमी हो, लेकिन इनसे भी ज्यादा काबिलियत वाले वकील मुंशीगिरी का काम कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट यह कह सकता है कि जब नेता का बेटा नेता बन सकता है तो जज का बेटा वकील क्यों नहीं बन सकता? सुप्रीम कोर्ट का यह तर्क 100 प्रतिशत सही है, लेकिन नेता और उसके बेटे की आलोचना सार्वजनिक तौर पर हो सकती है तथा ऐसे भ्रष्ट नेताओं को कोर्ट में भी घसीटा जा सकता है, लेकिन न्यायालय की अवमानना के डर की वजह से बेटे-बेटियों की कोई आलोचना नहीं हो सकती और न ही किसी कोर्ट में घसीटा जा सकता है। 
(एस.पी. मित्तल)  (28-10-2016)
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Wednesday 26 October 2016

#1890
अजमेर के कार विक्र्रेता गोविंद गर्ग के परिवार के मेवाड़ अस्पताल वाले निर्माणाधीन भवन को भी अवैध माना।
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शेवरलेट, निशान, टाटा जैसी मशहूर कंपनियों के वाहन विक्रेता गोविन्द गर्ग के परिवार से जुड़े अजमेर के सिविल लाइन स्थित निर्माणाधीन मेवाड़ हॉस्पीटल के भवन को भी नगर निगम ने अवैध माना है। गर्ग के परिवार के सदस्यों वाले तारागढ़ स्थित होटल, पटेल मैदान के सामने स्थित कॉम्पलैक्स और पेट्रोल पंप आदि पहले ही विवादों में हैं। तारागढ़ वाले निर्माण को लेकर पुरातत्व विभाग ने नोटिस जारी कर रखा है। नगर निगम के उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता का कहना है कि सिविल लाइन में जिस स्थान पर मेवाड़ अस्पताल का भवन बन रहा है, उसका नक्शा आवासीय है, लेकिन मौके पर कॉमर्शियल निर्माण हो रहा है। चूंकि निर्माण स्वीकृत नक्शे के विपरीत है इसलिए निर्माणाधीन भवन को तोडऩे अथवा सीज करने की कार्यवाही की जाएगी। मालूम हो कि पटेल मैदान के सामने बजरंग पेट्रोल पम्प वाली जमीन भी विवादों में रही है। यहां भी गर्ग के परिवार के सदस्यों ने एक कॉमर्शियल कॉम्पलैक्स का निर्माण कर लिया है। इससे पेट्रोल पम्प की भूमि कम हो गई है। इस मामले में ऑयल कंपनी के अधिकारियों की भी मिलीभगत बताई जाती है। स्थान कम होने की वजह से पटेल मैदान के सामने वाला मुख्य मार्ग अनेक बार जाम हो जाता है। 
(एस.पी. मित्तल)  (26-10-2016)
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#1889
अजमेर जिला परिषद की साधारण सभा में हंगामा। सदस्यों ने कहा सरपंचों और अफसरों ने मिलकर लूट मचा रखी है। 
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26 अक्टूबर को अजमेर जिला परिषद की साधारण सभा में जोरदार हंगामा हुआ। जिला प्रमुख वंदना नौगिया ने हालात को नियंत्रण में करने की कोशिश की, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। हंगामे के दौरान ही बघेरा की ग्रामीण महिला अनिता बेहोश हो गई। उप जिला प्रमुख टीकम चौधरी भी अनिता के पक्ष में खड़े नजर आए। चौधरी का कहना रहा कि संबंधित सरपंच और अधिकारी मिलकर अनिता को तंग कर रहे हंै। पीडि़त महिला के चबूतरे की भूमि पर पट्ट काट दिए गए हैं। अधिकांश सदस्यों ने कहा कि जिला परिषद के पास कोई अधिकार नहीं है। ऐसे में सदस्यों की भी कोई परवाह नहीं करता। सारे अधिकार सरपंचों के पास हंै। ऐसे में अधिकारियों और सरपंचों ने मिलकर अजमेर में लूट मचा रखी है। किसी भी विभाग का अधिकारी जिला परिषद के सदस्यों की सुनता ही नहीं है। जबकि एक सदस्य 50 हजार मतदाताओं में से चुनकर आता है। सदस्यों ने जिला प्रमुख से कहा कि वे अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सदस्यों का सम्मान करवाएं। गणेश जाट, शंकर धाकड़ आदि सदस्यों का कहना रहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, पानी, सड़क, सफाई आदि को लेकर हालात बिगड़े हुए हैं। सभा में मात्र 2 विधायक सुरेश सिंह रावत और रामनारायण गुर्जर उपस्थित रहे। भाजपा विधायकों और सांसद सांवरलाल जाट की गैर मौजूदगी भी चर्चा का विषय रही। 
(एस.पी. मित्तल)  (26-10-2016)
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Monday 24 October 2016

#1885
तीन तलाक पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दो टूक। कहा  सम्प्र्रदाय के आधार पर महिलाओं से भेदभाव नहीं होने देंगे।
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24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने यूपी दौरे के दौरान बुन्देलखंड के महोबा में तीन तलाक के मुद्दे पर साफ-साफ कहा कि सम्प्रदाय के आधार पर किसी भी महिला के साथ भेदभाव नहीं होने दिया जाएगा। मोदी ने यह बात तब कही हैं जब मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहित अधिकांश मुस्लिम संगठन इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार की आलोचना कर रहे है। बोर्ड तो देशभर में मुस्लिम महिलाओं से फार्म भरवाकर तीन तलाक पर सहमति करवा रहा  है। उम्मीद तो यहीं थी कि मुस्लिम संगठनों ने जो दबाव बनाया है उसे देखते हुए केन्द्र सरकार तीन तलाक के मुद्दे पर पीछे हट जाएगी। लेकिन 23 अक्टूबर को जिस दृढ़ता के साथ सरकार ने अपनी भावना को प्रकट किया, उससे लगता है कि तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं को राहत मिलेगी। पीएम ने दो टूक शब्दों में कहा कि मुस्लिम मां-बहिनों को भी समानता का अधिकार मिलना चाहिए और इसमें सरकार मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि तीन तलाक को हिन्दु और मुसलमान से न जोड़ा जाए। यह हमारी मां बहनों के सम्मान का मुद्दा है। कुछ लोग अपने स्वार्थो की वजह से इस मुद्दे पर भ्रम फैला रहे हंै। जबकि सरकार का मकसद महिलाओं को समानता का अधिकार दिलवाना है।
उन्होंने कहा कि मैं मीडिया से अनुरोध करना चाहता हूं कि तीन तलाक को लेकर जारी विवाद को मेहरबानी करके सरकार और विपक्ष का मुद्दा ना बनाएं। भाजपा और अन्य दलों का मुद्दा ना बनाएं, हिन्दू और मुसलमान का मुददा ना बनाएं। जो कुरान को जानते हैं, वे टीवी पर आकर चर्चा करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि मुसलमानों में भी लोग सुधार चाहते हैं। जो सुधार नहीं चाहते हैं, उनकी चर्चा हो। सरकार ने अपनी बात रख दी है। कोई गर्भ में बच्ची की हत्या कर दे तो उसे सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए। वैसे ही तीन तलाक कहकर औरतों की जिन्दगी बर्बाद करने वालों को यूं ही नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।  
पीएम मोदी ने जिस दृढ़ता से अपनी बात को रखा है उससे यह भी प्रतीत होता है कि अब सुप्रीम कोर्ट में सरकार और प्रभावी तरीके से इस मुद्दे को प्रस्तुत करेगी। तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाने के लिए मुस्लिम महिलाओं ने ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसी पर केन्द्र सरकार ने भी ऐसी प्रथा पर रोक लगाने पर सहमति दी है। देश की आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब केन्द्र सरकार ने सभी धर्मो की महिलाओं को समान अधिकार देने की पैरवी की है। माना जा रहा है कि सरकार का यह फैसला दूरगामी साबित हो। अब देखना है कि पीएम के बयान पर मुस्लिम संगठन क्या प्रतिक्रिया देते है। 

(एस.पी. मित्तल)  (24-10-2016)
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तो यूपी में उड़ रहा है लोकतंत्र का मजाक। अखिलेश की धमकी से चुप हुए मुलायम और शिवपाल।

#1802
तो यूपी में उड़ रहा है लोकतंत्र का मजाक। अखिलेश की धमकी से चुप हुए मुलायम और शिवपाल।
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24 अक्टूबर को यूपी की राजधानी लखनऊ में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के नेताओं ने जो कुछ भी किया, उसे लोकतंत्र का मजाक उड़ाना ही कहा जाएगा। मुलायम सिंह और उनका कुनबा ऐसे लड़ रहा है जैसे जंगल में अपने क्षेत्राधिकार को लेकर जानवर ताकत का प्रदर्शन करते हैं। 24 अक्टूबर को टीवी चैनलों पर जो कुछ भी दिखा, वह हकीकत नहीं है। मुलायम सिंह और शिवपाल इस तैयारी के साथ बैठक में उपस्थित थे कि अखिलेश के स्थान पर मुलायम को सीएम बना दिया जाएगा लेकिन अखिलेश ने बैठक शुरू होने से पहले ही धमकी दे दी कि यदि उन्हें हटाया गया तो वे राज्यपाल से विधानसभा को भंग करने की मांग कर चुनाव करवाने के लिए कह देंगे। मुलायम और शिवपाल भी यह जानते है कि इस समय अखिलेश के पीछे भाजपा भी खड़ी है। चूंकि इस समय यूपी के राज्यपाल के पद पर भाजपा के दिग्गज नेता रहे राम नाईक विराजमान हैं इसलिए मुख्यमंत्री की हैसियत से अखिलेश यादव जो प्रस्ताव रखेंगे। उस पर राज्यपाल सहमति जता देंगे। अखिलेश को भाजपा का साथ है,जो इस बात को आज की बैठक में शिवपाल ने स्वीकार भी किया। शिवपाल ने कहा कि मैं अपने बच्चों की कसम खाकर कहता हूं कि अखिलेश ने नई पार्टी बनाने की बात कही थी और रामगोपाल यादव भाजपा के बड़े नेताओं के सम्पर्क में है। जानकारों की माने तो अखिलेश को इस धमकी के बाद मुलायम और शिवपाल खामोश हो गए। दोनों भाई नहीं चाहते थे कि यूपी में राष्ट्रपति शासन लागू हो या चुनाव तक अखिलेश काम चलाऊ सरकार चलाएं। चूंकि अगले वर्ष शुरू मे ही यूपी में विधानसभा के चुनाव होने है, इसलिए राज्यपाल को भी अखिलेश का प्रस्ताव स्वीकार करने में कोई परेशानी नहीं होगी। ऐसे में सत्ता की डोर पूरी तरह मुलायम और शिवपाल के हाथ से निकल जाती। यही वजह रही कि 24 अक्टूबर की बैठक में दोनों भाईयों ने सिर्फ लीपापोती का काम किया, जबकि अखिलेश यादव ने साफ-साफ कह दिया कि सरकार में उन्हीं की चलेगी। वैसे भी इतने लोगों की उपस्थिति में पिता, पुत्र और चाचा, भतीजे में कोई बात होने वाली नहीं थी। यदि कोई समझौता होना है तो इन तीनों के बीच बंद कमरे में बात होनी चाहिए।  बदली हुई परिस्थितियों में अब मुलायम सिंह अपने पुत्र अखिलेश को ही समझाने के प्रयास शांतिपूर्ण तरीके से करेंगे। 24 अक्टूबर को तीनों नेताओं ने जो भाषण दिया, वह वर्तमान परिस्थितियों में कोई मायने नहीं रखता है।
(एस.पी. मित्तल)  (24-10-2016)
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Thursday 20 October 2016

#1865
यूपी में कांग्रेस को ठेके पर चलवा रहे हैं राहुल गांधी-रीता बहुगुणा। राजस्थान के कांग्रेसियों मे भी रीता जैसी बैचेनी।
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20 अक्टूबर को रीता बहुगुणा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गई है। दिग्गज नेता हेमवंती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता लंबे अरसे तक यूपी में कांग्रेस की अध्यक्ष रही थी। टीवी चैनलों पर भी कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर देखी जाती थीं, लेकिन 20 अक्टूबर को दिल्ली के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की उपस्थिति में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रीता ने कहा कि राहुल गांधी ने यूपी में कांग्रेस को ठेके पर दे दिया है। अब यूपी कांग्रेस में वो ही होता है, जो ठेकेदार प्रशांत किशोर चाहता है। मेरे जैसे पुराने नेता को भी रात के समय बताया जाता है कि अगले दिन कहां जाना है। ऐसी बेइज्जती और सहन नहीं हो सकती इसलिए कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आई हूं। सोनिया गांधी तो हमसे मुलाकात कर लेती थीं, लेकिन राहुल गांधी के पास तो संदेश भिजवाना भी मुश्किल होता है। रीता बहुगुणा ने तब बगावत की है, जब अगले माह कांग्रेस के अध्यक्ष के पद पर राहुल गांधी की ताजपोशी और अगले वर्ष यूपी में विधानसभा चुनाव होने हंै। यह माना कि यूपी में अपनी उपेक्षा की वजह से ही रीता बहुगुणा भाजपा में आई है, लेकिन जो हालात यूपी में कांग्रेस के है वैसे ही राजस्थान मेंं भी हैं। हालांकि राजस्थान में विधानसभा चुनाव 2 वर्ष बाद होंगे लेकिन सचिन पायलट को स्थापित करने के लिए पुराने कांग्रेसियों को दरकिनार किया जा रहा है। जो हाल यूपी में रीता बहुगुणा के किये वैसे ही हाल राजस्थान में पूर्व सीएम अशोक गहलोत, सीपी जोशी, गिरिजा व्यास जैसे नेताओं के किए जा रहे हैं। इसमें राजस्थान में प्रशांत किशोर की भूमिका गुरूदास कामत निभा रहे हैं। अभी हाल ही में कामत ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के निवास पर डिनर डिप्लोमैसी की। पायलट डिनर में किस कांग्रेसी को बुलाए इसकी छूट दी गई जबकि गहलोत के डिनर में वही कांग्रेसी आए जिन्हें पायलट के इशारे पर बुलाया गया यानि डिनर तो गहलोत के घर था लेकिन निमंत्रण देने का अधिकार गहलोत को नहीं दिया गया। सोनिया गांधी माने या नहीं, लेकिन राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव आते-आते कई कांग्रेसी नेता बहुगुणा जैसे बन जाएंगे। पायलट के आसपास जो चौकड़ी जमा है, वह पायलट को एक दायरे से बाहर निकलने नहीं दे रही है। यह माना कि इस समय राजस्थान में वसुंधरा राजे के खिलाफ भी गुस्सा है, लेकिन कांग्रेस आपसी विवादों के चलते जनता के उस गुस्से को सड़कों पर नहीं ला पा रही है। 

(एस.पी. मित्तल)  (20-10-2016)
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#1866
वीसी को बंधक बनाने वाले जेएनयू के स्टूडेंट गैर कश्मीरियों की चिंता क्यों नहीं करते? क्या अलगाववादियों से जुड़े हैं तार?
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दिल्ली का जेएनयू कैम्पस एक बार फिर देश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। छात्र नजीब अहमद के अचानक लापता होने के बाद कुछ छात्रों ने वीसी जगदीश कुमार को 24 घंटे तक बंधक बनाए रखा। हालांकि लापता छात्र को तलाशने का काम पुलिस का है, लेकिन माहौल बिगाडऩे और चर्चा में रहने के लिए एक विचारधारा विशेष के विद्यार्थियों ने वीसी को न केवल बंधक बनाया बल्कि पीने के लिए पानी तक नहीं दिया। इसे ऐसे विद्यार्थियों की दादागिरी कहा जाएगा कि वीसी के साथ जिन शिक्षकों को बंधक बनाया गया, उनकी पत्नियों तक को करवा चौथ पर्व के दिन मिलने तक नहीं दिया। यह तो अच्छा हुआ कि 19 अक्टूबर को हिन्दुओं का करवा चौथ का पर्व था। यदि किसी दूसरे धर्म का पर्व होता और उस धर्म के शिक्षकों को बंधक बना लिया जाता तो जेएनयू में आग लग जाती। पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि आखिर नजीब अहमद किन परिस्थितियों में लापता हुआ था। इस संबंध में परिजनों से भी जानकारी ली जा रही है, लेकिन एक विचारधारा विशेष के विद्यार्थियों ने ऐसा माहौल बना दिया है, जिसमें जेएनयू प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू का आरोप है कि ऐसे विद्यार्थी जेएनयू में राजनीति कर रहे हैं। सवाल उठता है कि एक विचाराधारा विशेष के विद्यार्थियों ने एक स्टूडेंट के लापता होने पर जो चिंता जताई है, वैसी चिंता श्रीनगर के गैर कश्मीर छात्रों की परेशानियों पर क्यों नहीं दिखाई जाती? श्रीनगर में उच्च शिक्षा के जो भी सरकारी संस्थान हैं, उनमें गैर कश्मीरी विद्यार्थी अध्ययन नहीं कर पा रहे हैं। अलगाववादियों ने गैर कश्मीरी विद्यार्थियों को डरा-धमकाकर भगा दिया है। 
ताजा मामला श्रीनगर के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ  फैंशन टेक्नोलॉजी (निफ्ट) के विद्यार्थियों का है। अलगाववादियों की धमकी की वजह से इन विद्यार्थियों को राजस्थान के जोधपुर में आकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। क्या यह शर्मनाक और दुखद बात नहीं है?  जेएनयू में पहले भी देश विरोधी नारेबाजी हो चुकी है। खुले आम कश्मीर की आजादी के नारे लगाए गए हैं। दशहरे पर रावण के तौर पर देश के प्रधानमंत्री का पुतला जलाया गया। पहले भी यह बात सामने आई है कि जेएनयू के कुछ विद्यार्थियों के तार कश्मीर के अलगाववादियों से जुड़े हैं। अब जब अलगाववादियों के खिलाफ कार्यवाही करने को लेकर घर-घर तलाशी अभियान चल रहा है तो इधर जेएनयू में एक छात्र के लापता होने को लेकर हंगामा किया जा रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि यह सब एक सोची-समझी राजनीति के तहत हो रहा है ताकि उन लोगों के खिलाफ कार्यवाही न हो जो देश की एकता और अखंडता को तोडऩा चाहते हैं। हालांकि 20 अक्टूबर को शाम को वीसी जगदीश कुमार को मुक्त कर दिया गया, लेकिन वीसी ने यातनाओं की जो जानकारी दी है, वह अपने आप में बहुत गंभीर है। सुरक्षा बलों को आने वाले दिनों में जेएनयू के अंदर भी एक बड़ा ऑपरेशन करना पड़ेगा। यदि इस ऑपरेशन में विलंब किया गया तो हालात बेकाबू हो जाएंगे। 

(एस.पी. मित्तल)  (20-10-2016)
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अजमेर में अवैध निर्माण तोडऩा अथवा सीज करना आसान नहीं है। नगर निगम की ओर से सरकारी वकील ने हाईकोर्ट में कहा। अब 7 नवंबर को होगी सुनवाई।

#1867
अजमेर में अवैध निर्माण तोडऩा अथवा सीज करना आसान नहीं है। नगर निगम की ओर से सरकारी वकील ने हाईकोर्ट में कहा। अब 7 नवंबर को होगी सुनवाई। 
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20 अक्टूबर को हाईकोर्ट की जयपुर खंडपीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी और डी सी सोमानी के समक्ष अजमेर के अवैध निर्माणों के मामले में दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता रवि नरचल का कहना रहा कि पूर्व में हाईकोर्ट ने 490 अवैध निर्माणों को तोडऩे अथवा सीज करने के जो आदेश दिए थे, उस पर नगर निगम प्रशासन ने कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की इसलिए अब हाईकोर्ट की अवमानना की याचिका प्रस्तुत की है। इस पर निगम की ओर से अतिरिक्त महाअधिवक्ता एस के गुप्ता ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश की क्रियान्वित करना आसान नहीं है। यदि 490 अवैध निर्माणों को तोड़ा अथवा सीज किया गया तो अजमेर में कुछ बचेगा ही नहीं। गुप्ता ने कहा कि इस मामले में और दस्तावेज प्रस्तुत किए जाने हैं। दोनों पक्षों को सुनने के बाद जस्टिस रस्तोगी और सोमानी ने आगामी सुनवाई के लिए 7 नवंबर की तारीख निर्धारित की है। अदालत में निगम के उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता भी उपस्थित थे। 
(एस.पी. मित्तल)  (20-10-2016)
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Friday 14 October 2016

#1850
अब फारुख अब्दुल्ला ने बोली पाकिस्तान समर्थक अलगाववादियों की भाषा। 
इतने दिन कहां थे फारुख अब्दुल्ला!
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14 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला का एक जहरीला बयान सामने आया है। सब जानते हैं कि आज कश्मीर घाटी के जो बिगड़े हालात हैं, उसके पीछे अब्दुल्ला परिवार का लम्बे समय तक शासन होना रहा है। पहले पिता शेख अब्दुल्ला और फिर स्वयं फारुख अब्दुल्ला उसके बाद पुत्र उमर अब्दुल्ला बार-बार सीएम बनते रहे। अब्दुल्ला परिवार के शासन में ही कश्मीर से चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगा दिया। अब जब सम्पूर्ण घाटी पाकिस्तान के समर्थक अलगाववादियों के कब्जे में है, तो फारुख अब्दुल्ला कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार को कश्मीर में हालात सुधारने के लिए अलगाववादियों से वार्ता करनी चाहिए। यानि अब केन्द्र सरकार उन अलगाववादियों से बात करे जो हमारे सुरक्षा बलों पर आतंकी हमले करवा रहे हैं और खुलेआम कश्मीर की आजादी की मांग कर रहे हैं। फारुख अब्दुल्ला यह भी चाहते हैं कि कश्मीर मुद्दे पर भारत को पाकिस्तान से बात करनी चाहिए। समझ में नहीं आता कि फारुख अब्दुल्ला भारत की एकता और अखंडता को तोडऩा क्यों चाहते हैं? फारुख ने अपने बयान में उस समय तो हद कर दी जब कहा कि उरी की जिस घटना में 19 जवान शहीद हुए हैं, उससे उनका कोई लेना देना नहीं है। फारुख अब्दुल्ला का यह जहरीला बयान तब सामने आया है, जब सुरक्षा बल कश्मीर में आतंकियों पर नियंत्रण करने में लगे हुए हैं। सेना ने पीओके पर जो सर्जिकल ऑपरेशन किया, उसकी प्रशंसा विश्वभर में हो रही है। फारुख अब्दुल्ला भले ही हमारे जवानों की शहादत को गंभीरता से न लें, लेकिन यदि यही जवान भारत में फारुख अब्दुल्ला की सुरक्षा न करे तो वह कभी भी हादसे के शिकार हो सकते हैं। फारुख अब्दुल्ला इस सच्चाई को जानते हैं कि कश्मीर में किस प्रकार से आतंकवाद पनपा है। अपने खानदान के शासन में आतंकियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं किए जाने का ही परिणाम हैं कि आज सम्पूर्ण कश्मीर घाटी हिन्दू विहिन हो गई है। फारुख अब्दुल्ला भारत में धर्मनिरपेक्षता की तो बात करते हैं, लेकिन घाटी से हिन्दुओं के पलायन पर खामोश है। यदि आज घाटी में धर्मनिरपेक्षता के अनुरूप हिन्दू भी बसे होते तो घाटी के हालात एक तरफा नहीं होते। सब जानते हैं कि अब्दुल्ला परिवार जब कश्मीर में शासन में होता है तभी कश्मीर की वादियों का आनंद लेता है। अन्यथा फारुख अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला इग्लैंड के बंगलों में रहते है। कश्मीर का आम मुसलमान चाहे कितना भी परेशान हो, लेकिन अब्दुल्ला परिवार को इससे कोई सरोकार नहीं है। अच्छा हो कि अब्दुल्ला परिवार भारत की एकता और अखंडता बनाए रखने में सहयोग करें। यदि कश्मीर घाटी अलग हो जाती है तो अब्दुल्ला परिवार का एक भी सदस्य वहां रह नहीं सकता। अब्दुल्ला परिवार का तभी तक महत्त्व है, जब तक कश्मीर घाटी भारत में है। 
(एस.पी. मित्तल)  (14-10-2016)

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#1849
पाक कलाकारों वाली फिल्में नहीं चलाएंगे सिंगल थिएटर के मालिक। सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष उतरे समर्थन में। शाहरुख और करन जौहार को खतरा। 
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14 अक्टूबर को मुम्बई फिल्म उद्योग में दो बड़ी घटनाएं हुई हैं। सिंगल सिनेमा ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नितिन देतार  ने घोषणा की है कि जिन फिल्मों में पाकिस्तान के कलाकार काम कर रहे हैं, उन फिल्मों को उनके सिनेमा घरों में नहीं चलाया जाएगा। देतार का कहना है कि इस समय देशभर में पाक कलाकारों के प्रति गुस्सा है। ऐसे में हमारे सिनेमा घरों में तोडफ़ोड़ हो सकती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि मल्टी प्लेक्स सिनेमा वाले भी ऐसा ही निर्णय लेंगे। सिंगल सिनेमा घरों के मालिकों के इस फैसले से अभिनेता शाहरुख खान और करन जौहर की फिल्मों को तगड़ा झटका लगा है। शाहरुख ने रईस नाम की जो फिल्म बनाई है, उसमें पाक कलाकार माहिरा खान मुख्य भूमिका में हैं। इसी प्रकार करन की ऐ दिल में भी पाक कलाकार काम कर रहे हैं। ये दोनों फिल्में जल्द ही रिलीज होने वाली हैं। यदि यह फिल्में सिनेमा घरों में नहीं चली तो बॉक्स ऑफिस पर फेल हो जाएंगी। इस मामले में शाहरुख खान और करन जौहर की तो प्रतिक्रिया फिलहाल सामने नहीं आई है। लेकिन सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रहलाज निहलानी ने पाक कलाकारों वाली फिल्मों का बचाव किया है। निहलानी का कहना है कि ये दोनों फिल्में भारतीय निर्माताओं ने बनाई है, इसलिए फिल्मों का प्रदर्शन नहीं रोका जाना चाहिए। शाहरुख खान और करन जौहर ने अपनी-अपनी फिल्मों में पाक कलाकारों को लेने का निर्णय तक किया था, जब भारत और पाक में दोस्ताना संबंध थे। अब यदि दोनों देशों के बीच हालात तानावपूर्ण हैं, तो इसकी सजा फिल्मों को नहीं देनी चाहिए। मालूम हो कि शिवसेना ने महाराष्ट्र में किसी भी सिनेमा घर में पाक कलाकारों की फिल्म नहीं चलने देने की धमकी दे रखी है। फिलहाल मुम्बई फिल्म उद्योग के हालात भी तनावपूर्ण हो गए हैं, क्योंकि शाहरुख खान, सलमान खान और आमिर खान जैसे स्टार पहले ही पाक कलाकारों के भारतीय फिल्मों में काम करने के पक्ष में बयान दे चुके हैं। जबकि फिल्म उद्योग का एक बड़ा वर्ग पाक कलाकारों के खिलाफ है। 
(एस.पी. मित्तल)  (14-10-2016)
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#1848
आखिर राजस्वमंत्री अमराराम चौधरी और गिडा तहसील के नायब तहसीलदार नृसिंह राम गौड के बीच क्या संबंध हैं? मंत्री के आगे राजस्व मंडल और बाड़मेर के कलेक्टर सुधीर शर्मा भी लाचार।
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तहसीलदारों के तबादलों को लेकर जो गड़बड़झाला हुआ, उसकी जांच के आदेश मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे ने दे दिए हैं। 12 और 13 अक्टूबर के ब्लॉग में मैंने इस गड़बड़झाले को प्रमुखता के साथ लिखा है। मुख्यमंत्री ने जो जांच के आदेश दिए हैं? उसमें राजस्वमंत्री अमराराम चौधरी और बाड़मेर की गिडा तहसील के नायब तहसीलदार नृसिंह राम गौड के बीच संबंधों की भी जांच करवानी चाहिए। मंत्री की मेहरबानी से ही गौड ने राजस्थान राजस्व मंडल और बाड़मेर के जिला कलेक्टर सुधीर कुमार शर्मा को भी लाचार कर रखा है। राजस्व मंडल ने गिडा तहसील में बाबू सिंह की नियुक्ति के आदेश कर रखे हैं और गौड को पंचपदरा तहसील में ड्यूटी ज्वाइन करने के आदेश निकाल रखे हैं। लेकिन इसे कलेक्टर की लाचारी और बेबसी ही कहा जाएगा कि गौड को गिडा तहसील में ही काम करने के आदेश देने पड़े हैं। सुधीर कुमार शर्मा की कलेक्टरी तो उस समय धरी रह गई, जब नृसिंह राम गौड को तहसीलदार का भी चार्ज देना पड़ा। राजस्व मंडल द्वारा नियुक्त तहसीलदार सुरेश कुमार राव को जबरन जिला मुख्यालय पर बुलाया गया और गौड से तहसीलदार का काम करवाया जा रहा है। सुधीर शर्मा की कलेक्टरी ही दांव पर नहीं लगी बल्कि राजस्व मंडल की प्रतिष्ठा भी धूमिल हो गई। राजस्व मंडल ने गौड के मामले में साफ-साफ लिखा है कि गौड के लिए गिडा तहसील गृह तहसील है। इसलिए इसकी नियुक्ति नायब तहसीलदार के पद पर यहां नहीं हो सकती है। लेकिन मंत्री अमराराम चौधरी की मेहरबानी से गौड ने राजस्व मंडल के नियमों की भी ऐसी की तैसी कर रखी है। नायब तहसीलदार ही नहीं तहसीलदार का काम अपनी गृह तहसील में धड़ल्ले से कर रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि गौड इसी तहसील में पटवारी के पद पर नियुक्त हुए थे और फिर इसी तहसील में भू-अभिलेख निरीक्षक और नायब तहसीलदार के पद पर पदोन्नत हुए। पिछले चालीस वर्ष से गौड इसी तहसील में कार्यरत हैं और अगले वर्ष जुलाई माह में इसी तहसील में रिटायर्ड हो जाएंगे। गौड को पता है उनके रिटायर्ड मेंट तक चौधरी ही राजस्व मंत्री बने रहेंगे। असल में बाड़मेर और खासकर बायतू तथा पचपदरा विधानसभा क्षेत्रों में चौधरी का जबरदस्त राजनीतिक प्रभाव है। चौधरी इसी प्रभाव के कारण तीसरी बार विधायक चुने गए हैं। 
(एस.पी. मित्तल)  (14-10-2016)
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Thursday 13 October 2016

#1846
राजस्थान के राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी को बर्खास्त करने के लिए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को और क्या सबूत चाहिए? तहसीलदारों के तबादलों से हुई सरकार की बदनामी। बेटे ने खिलाए गुल।
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राजस्थान की भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे में जरा सी भी नैतिकता और ईमानदारी है तो प्रदेश के स्वतंत्र प्रभार वाले राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर देना चाहिए। 12 अक्टूबर को जिस तरह 134 तहसीलदारों की तबादला सूची जारी की गई, उसके बाद बर्खास्तगी के लिए और किसी सबूत की जरूरत नहीं है। मैंने 12 अक्टूबर के अपने ब्लॉग में संपूर्ण मीडिया क्षेत्र में सबसे पहले लिखा था कि राजस्व मंडल में 12 अक्टूबर को सायं 4 बजे मजबूरी में 134 तहसीलदारों की तबादला सूची वेबसाइट पर अपलोड की है। राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी और राजस्व मंडल के अध्यक्ष अशोक शेखर को यह बताना चाहिए कि 10 अक्टूबर की डेट वाली तबादला सूची 12 अक्टूबर को सायं 4 बजे वेबसाइट पर अपलोड क्यों की गई? मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे माने या नहीं, लेकिन यह सच है कि एक तबादले में 2 लाख से लेकर 10 लाख तक का कारोबार हुआ है। इस कारोबार की पोल तब खुली जब 12 अक्टूबर की दोपहर को सोशल मीडिया पर 120 तहसीलदारों की तबादला सूची वायरल हो गई। यह सूची राजस्व मंत्री अमराराम चौधरी के नाम से जारी की गई। कारोबार का सबसे बड़ा सबूत यही है कि सोशल मीडिया और राजस्व  मंडल वाली सूची में 114 नाम समान हैं। आरोप है कि बेटे द्वारा अपने पिता के नाम वाली सूची को दिखा-दिखा कर बक्से भरे जा रहे थे, इसलिए राजस्व मंडल ने अधिकृत सूची को रोके रखा गया। यदि 12 अक्टूबर को सोशल मीडिया पर कारोबार वाली सूची वायरल नहीं होती तो राजस्व मंडल 10 अक्टूबर वाली सूची को अभी 2-3 दिन और अपलोड नहीं करता। असल में राजस्व विभाग के साथ-साथ राजस्व मंडल में भी कारोबार के ठेले और खोमचे चल रहे हैं। यानि बहती गंगा में सब डुबकी लगा रहे हैं।
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे माने या नहीं, लेकिन दो-दो तबादला सूची उजागर होने से भाजपा सरकार की बदनामी हो रही है। ये माना कि बहती गंगा में मुख्यमंत्री ने डुबकी नहीं लगाई, लेकिन यदि डुबकी लगाने वालों का पता चल जाए और फिर कार्यवाही न हो तो मुख्यमंत्री की ओर भी अंगुली उठेगी। मुख्यमंत्री को यदि और सबूत चाहिए तो गत अप्रैल माह में जारी तबादला सूची की जांच करवाले। अप्रैल में जिन तहसीलदारों के तबादले हुए उनमें से अनेक के नाम 12 अक्टूबर वाली सूची में भी हैं। उदाहरण के लिए बनवारी लाल शर्मा का नाम लिखा जा रहा है। अप्रैल में शर्मा को जयपुर जिले से बांसवाड़ा के आभापुर में लगाया गया, लेकिन 12 अक्टूबर वाली सूची में शर्मा वापस जयपुर जिले में नियुक्त हो गए। अब शर्मा जयपुर शहर की सीमा से लगे गांवों की भूमि की देखरेख करेंगे। करोड़ों नहीं अरबों का खेल है।  ऐसे में 10 लाख कोई मायने नहीं रखते। कारोबार का ही खेल है कि चित्तौड़ के निम्बाहेड़ा में गोपाल लाल कुम्हार साढ़े तीन वर्ष से तहसीलदारी कर रहे हैं। तहसीलदार प्रभुलाल जैन के खिलाफ एसीबी में जांच होने के बाद भी मलाईदार पोस्ट बार-बार दी जा रही है। तहसीलदारों के हितों के लिए तहसीलदार सेवा परिषद और राजस्व सेवा परिषद बनी हुई है, लेकिन इसके पदाधिकारी भी अपने स्वार्थ पूरे करने में लगे हुए हैं। यदि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को कारोबार के खेल की और जानकारी करनी है तो उदयपुर की यूआईटी के तहसीलदार गोरधनसिंह झाला, जोधपुर के सब रजिस्ट्रार से सोजत में लगे सत्यनारायण वर्मा, उदयपुर के सब रजिस्ट्रार शांतिलाल जैन आदि से ली जा सकती है। सीएम चाहे तो बांसवाड़ा के तहसीलदार सोहन लाल शर्मा के मामले की भी जांच करवा सकती हैं। शर्मा को बांसवाड़ा लगाए जाने के लिए सीएम सचिवालय से भी राजस्व मंत्री को पत्र भेजा था। राजस्व मंत्री के बेटे ने सीएम सचिवालय के पत्र को रद्दी की टोकरी में फेंक दिया। इससे नाथद्वारा के भाजपा विधायक राजपुरोहित बेहद नाराज है।
(एस.पी. मित्तल)  (13-10-2016)
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#1847
जेएनयू में ही जलाया जा सकता है रावण के तौर पर देश के प्रधानमंत्री का पुतला। कांग्रेस कठघरे में।
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पीओके में हुए सर्जिकल ऑपरेशन के बाद जहां विश्व भर में भारत की प्रशंसा हो रही है, वहीं 11 अक्टूबर को दशहरे के दिन दिल्ली के जेएनयू में कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई के कुछ विद्यार्थियों ने रावण के तौर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पुतला जलाया। यह वही जेएनयू है, जहां कुछ माह पहले विद्यार्थियों ने पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद, कश्मीर में आजादी लेकर रहेंगे जैसे देश विरोधी नारे लगाये थे। 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री का पुतला जलाने वाले एनएसयूआई के एक छात्र सनी धीमान ने कहा है कि ऐसे पुतले की जानकारी कांग्रेस के बड़े नेताओं को दे दी गई थी। यानि रावण की जगह देश के प्रधानमंत्री का पुतला जलाया जाए, इस पर कांग्रेस के बड़े नेताओं की भी सहमति थी। सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई के विद्यार्थी भी उन विचारों के साथ हैं, जो देश विरोधी है? एनएसयूआई के छात्र रावण की जगह प्रधानमंत्री का पुतला जलाते हैं तो फिर ऐसे छात्रों और पाकिस्तान जिन्दाबाद, हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने वाले छात्रों में क्या फर्क है? यह माना कि कांग्रेस इस समय विपक्ष में है और विपक्ष का काम सरकार की आलोचना करना ही होता है, लेकिन यदि ऐसी आलोचना राष्ट्र विरोधी हो तो फिर किसी भी राजनीतिक दल की सोच पर प्रश्न चिन्ह लगता है। एनएसयूआई के जो छात्र देश के प्रधानमंत्री का अपमान कर रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि सर्जिकल ऑपरेशन करने वाली सेना देश के उसी प्रधानमंत्री की इच्छा शक्ति पर गर्व कर रही है। यह माना कि नरेन्द्र मोदी और भाजपा के किसी भी नेता ने पीओके में जाकर ऑपरेशन नहीं किया, लेकिन इस ऑपरेशन के लिए सेना को भेजने का फैसला तो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने ही किया। एनएसयूआई के छात्रों को यह भी समझना चाहिए कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के प्रति आदर भाव प्रकट करने के लिए ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 11 अक्टूबर को दशहरे के दिन दिल्ली के बजाए लखनऊ में आयोजित दशहरे के समारोह में भाग लेने के लिए चले गए। दिल्ली के समारोह में प्रधानमंत्री के भाग लेने की परम्परा रही है। लेकिन इसके बावजूद भी नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के मान-सम्मान का ख्याल रखा। देशवासियों ने टीवी चैनलों पर देखा कि दिल्ली वाले समारोह में कांग्रेस के बड़े नेता ही अतिथि थे। 
(एस.पी. मित्तल)  (13-10-2016)
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Wednesday 12 October 2016

#1845
शरिया कानून में दखल ना दे भाजपा सरकार। जमियत उलेमा-ए-हिन्द के महमूद मदनी ने चेताया। 
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12 अक्टूबर को जमियत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय महासचिव सैयद महमूद मदनी संक्षिप्त दौरे पर अजमेर आए। मदनी ने यहां कायड़ विश्राम स्थली पर नवम्बर में होने वाले जमियत के राष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारियों का जायजा लिया। 10 से 12 नवम्बर के बीच होने वाले सम्मेलन में जमियत से जुड़े हजारों मुसलमान भाग लेंगे। मदनी को विश्राम स्थली पर मौलाना अयूब कासमी ने तैयारियों के बारे में जानकारी दी। इसी मौके पर मीडिया से संवाद करते हुए महमूद मदनी ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार को मुसलमानों के शरिया कानून में दखल नहीं देना चाहिए। कुछ मुस्लिम औरतों की याचिका तीन तलाक के मामले में सरकार ने जो हलफनामा दिया है, वह पूरी तरह शरीया कानून के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय में अधिकांश महिलाएं शरीया कानून का समर्थन करती है, सरकार चाहे तो जनमत संग्रह भी करा ले। उन्होंने कहा कि तीन तलाक के मामले को देश में गलत तरीकों से प्रचारित किया जा रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सहित 21 मुस्लिम देशों में 3 तलाक पर रोक लगी है। असल में इन देशों में तीन तलाक पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए हंै, ऐसे सभी प्रतिबंध शरीया कानून के अंतर्गत ही है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम धर्म में तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कह देने से तलाक नहीं हो जाता। इसकी एक प्रक्रिया है। जिससे सभी को गुजरना होता है। सरकार को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचती हो। 
यूपी चुनाव के कारण 
मदनी ने कहा कि केन्द्र की भाजपा सरकार अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के कारण तीन तलाक का मुद्दा उछाल रही है। सरकार इस मुद्दे को उछाल कर यूपी का चुनाव जीतना चाहती है। भाजपा के नेताओं को लगता है कि इससे हिन्दुओं के वोट एकजुट हो जाएंगे। इसलिए समान नागरिक आचार संहिता की भी बात कही जा रही है। भाजपा के नेता यह अच्छी तरह समझे कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। देश के संविधान में लिखा है कि हर व्यक्ति अपने धर्म के अनुरूप आचरण कर रह सकता है। मुसलमानों को भी अपने शरीया कानून के तहत रहने का संवैधानिक अधिकार है। 
सम्मेलन में उठाएंगे मुद्दा 
मदनी ने कहा कि नवम्बर में अजमेर में होने वाले राष्ट्रीय सम्मेलन में भी तीन तलाक के मुद्दे को रखा जाएगा। सम्मेलन में जो भी प्रस्ताव पास होंगे, उन्हें सरकार को भी भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि आज मुस्लिम समाज में शिक्षा की सख्त जरूरत है। सरकार योजनाएं तो बनाती है, लेकिन उसका लाभ जरूरतमंद मुसलमान को नहीं मिलता। जमियत उलेमा-ए-हिंद पूरे देश में मुसलमानों की तरक्की के लिए काम कर रहा है। 
(एस.पी. मित्तल)  (12-10-2016)
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#1842
पंपोर में दो आतंकी करते रहे तीन दिनों तक युद्ध। कश्मीर घाटी के हालातों का अंदाजा लगाया जाए।
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12 अक्टूबर को कश्मीर घाटी के पंपोर में एक सरकारी बिल्डिंग में दूसरे आतंकी को भी सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिया। इसे सुरक्षा बलों की सफलता ही माना जाएगा कि बिना किसी शहादत के दो आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया, लेकिन पंपोर की घटना से कश्मीर घाटी के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। दोनों आतंकी 10 अक्टूबर की सुबह बिल्डिंग में घुसे थे और लगातार तीन दिन तक सुरक्षा बलों से युद्ध करते रहे। कोई 10 मंजिला बिल्डिंग पर सुरक्षा बलों के राकेट लांचर और गोलों से हमला किया। इस बिल्डिंग में खिड़कियों से ज्यादा राकेट से छेद हो गए। ड्रोन के साथ-साथ हेलीकॉप्टर तक का इस्तेमाल किया गया। इतना ही नहीं मीडिया को भी लाइव कवरेज से रोक दिया। यानि सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों से 3 दिनों तक हमारी ही सीमा में युद्ध किया। कश्मीर घाटी के हालातों पर नजर रखने वालों का मानना है कि दोनों खूंखार आतंकवादी 9 या ृ10 अक्टूबर को सीमा पार से नहीं आए क्योंकि 28 और 29 सितम्बर की रात को पीओके पर सर्जिकल ऑपरेशन के बाद कोई आतंकी भारत की सीमा में आने की हिम्मत नहीं कर रहा है। इसलिए यह माना जा रहा है कि ऐसे आतंकी घाटी में पहले से ही बड़ी संख्या में आए हुए हंै। ऐसे आतंकियों को स्थानीय नागरिकों का संरक्षण मिला हुआ है। सर्जिकल ऑपरेशन के बाद पाकिस्तान में बैठे नेताओं ने घाटी में जमे आतंकियों को सक्रिय कर दिया हैं। इसलिए अब दो अथवा तीन आतंकी ही सुरक्षा बलों से युद्ध कर रहे है। यदि सुरक्षा बलों ने घाटी में छिपे इन आतंकियों के खिलाफ बड़ा अभियान नहीं चलाया तो पंपोर जैसे युद्ध और करने पड़ेंगे। बुरहान बानी के एनकाउंटर के बाद से ही घाटी के हालात बिगड़े हुए हैं। अनेक इलाकों में कफर््यू के हालातों के बाद भी आतंकी सुरक्षा बलों पर लगातार हमले कर रहे है। 
(एस.पी. मित्तल)  (12-10-2016)
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Monday 10 October 2016

#1833
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना में भागीदारी निभा रहा है मसाणिया भैरव धाम। उपासक चम्पाललाल महाराज के पुत्र राहुल सेन की हुई सगाई।
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10 अक्टूबर को नवरात्र के अवसर पर मुझे अजमेर के निकट राजगढ़ गांव स्थित मसाणिया भैरव धाम पर जाने का अवसर मिला। नवरात्र के दिनों में 2 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने मसाणिया भैरव धाम से आशीर्वाद प्राप्त किया। बाबा के चमत्कार के मामले अपनी जगह पर हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह धाम सामाजिक सरोकारों से भी जुड़ा हुआ है। मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन योजना में लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करने में मसाणिया भैरव धाम की महत्वपूर्ण भूमिका है। उपासक चम्पालाल महाराज ने बताया कि धाम के प्रतिनिधियों ने जिला कलेक्टर गौरव गोयल को भरोसा दिलाया है कि आगामी 29 दिसम्बर तक 6 लाख लोगों को जागरूक किया जाएगा। प्रत्येक रविवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस धाम पर आते हैं। ऐसे सभी श्रद्धालुओं को जल संरक्षण का संकल्प करवाया जा रहा है। धाम के परिसर में जगह-जगह जल संरक्षण के पोस्टर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि यहां आने वाले श्रद्धालु श्रद्धा के साथ आते हैं, इसलिए धाम पर लिया गया संकल्प प्रभावी होता है और फिर उपासक चम्पालाल महाराज स्वयं अपने सम्बोधन में जल सरंक्षण की बात को प्रभावी तरीके से रखते हैं। इससे पहले बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के अभियान में भी धाम की सक्रिय भूमिका रही। इतना ही नहीं धाम से जुड़े 30 लाख युवक देश भर में रक्तदान करने के लिए तैयार रहते हैं। चम्पालाल महाराज ने बताया कि मसाणिया भैरव धाम पर किसी भी प्रकार का चढ़ावा स्वीकार नहीं किया जाता है। 10 अक्टूबर को हुई विशेष पूजा में नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, नसीराबाद के विधायक रामनारायण गुर्जर आदि ने भाग लिया। 
पुत्र की सगाई
10 अक्टूबर को उपासक चम्पालाल महाराज के पुत्र राहुल सैन की सगाई भी सम्पन्न हुई। संक्षिप्त समारोह में परिवार के सदस्यों ने भाग लिया। इस मौके पर उपस्थित लोगों ने चम्पालाल महाराज को शुभकामनाएं दी। मसाणिया भैरव धाम की धार्मिक गतिविधियों में राहुल की सक्रिय भूमिका है। 
(एस.पी. मित्तल)  (10-10-2016)
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#1834
पुष्कर के जोगणियां धाम में एक दिन का नवरात्रा उत्सव। 
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यूं तो इस बार नवरात्र का उत्सव दस दिनों का रहा, लेकिन पुष्कर के जोगणियां धाम में 9 अक्टूबर को एक दिन का नवरात्र महोत्सव मनाया गया। धाम के उपासक गुरुजी भंवरलाल ने बताया कि प्रतिवर्ष नवरात्रा महोत्सव 9 दिनों तक उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस बार उनकी छोटी बेटी खुशी का स्वास्थ्य खराब होने की वजह से सिर्फ 9 अक्टूबर को ही नवरात्र का उत्सव मनाया गया। इस उत्सव में भाग लेने वाली सभी युवतियों को ईनाम दिए गए। चूंकि 9 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी रही और इस दिन कन्याओं को देवी का रूप माना गया, इसलिए उत्सव में सिर्फ युवतियों और महिलाओं की भागीदार रखी गई। इसमें जोगणियां धाम के आस-पास के क्षेत्र की युवतियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। आखिर में सभी को मेरे हाथों से ईनाम दिए गए। आम तौर पर नवरात्रा में चयनित लोगों को ही ईनाम दिए जाते हैं, लेकिन एक दिन के नवरात्र उत्सव की यह खास बात रही कि कोई दो सौ युवतियों को मंहगा और आकर्षक उपहार दिया गया। उपासक गुरुजी भंवरलाल ने कहा कि जोगणिया धाम में स्थापित जोगणियां माता की प्रतिमा के दर्शनमात्र से मनोकामना पूरी होती है। पुष्कर में जोगणिया धाम अजमेर रोड वाले चुंगी नाके के सामने स्थित है। इस धाम की ओर से वर्ष भर धार्मिक और सामाजिक कार्य होते रहते हैं। 
(एस.पी. मित्तल)  (10-10-2016)
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#1835
कश्मीर घाटी के पंपोर में फिर आतंकी हमला। क्या कश्मीर में युद्ध जैसे हालात हैं?
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10 अक्टूबर को तड़के कश्मीर घाटी के पंपोर में स्थित ईडीआई बिल्डिंग पर एक बार फिर आतंकी हमला हो गया है। बिल्डिंग में घुसे तीन आतंकी दिन भर सुरक्षा बलों पर गोलियां चलाते रहे। पिछले कई दिनों से घाटी में रोजाना आतंकी हमले हो रहे हैं। यह सही है कि इस बार पहले के मुकाबले सुरक्षा बलों की स्थिति मजबूत है, लेकिन क्या कश्मीर घाटी में युद्ध जैसे हालात है? जब आतंकियों से हमारी सेना के जवानों को मुकाबला करना पड़े तो इसे सामान्य घटना नहीं माना जाएगा। सवाल यह भी है कि आखिर इतने शस्त्र और गोला-बारूद लेकर आतंकी सुरक्षा बलों के कैम्पों और सरकारी इमारतों में कैसे घुस जाते हैं? जब घाटी में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा बल तैनात हैं तो फिर पाकिस्तान से आकर आतंकवादी घाटी में वारदातें कैसे कर रहे हैं? गत 28 और 29 सितंबर की रात को जब पीओके में सर्जिकल ऑपरेशन कर आतंकियों के कुछ ट्रेनिंग कैम्प ध्वस्त कर दिए गए, तो फिर घाटी में आतंकी वारदातों पर अंकुश क्यों नहीं लगा? क्या सर्जिकल ऑपरेशन का आतंकियों पर कोई असर नहीं हुआ? इसमें कोई दोराय नहीं आज घाटी में हालात बेहद नाजुक हंै। अलगाववादियों ने जो माहौल बनाया है, उसमें आतंकवादियों को वारदातें करने में मदद मिल रही है। आए दिन आतंकवादी मारे जा रहे हैं, लेकिन फिर भी आतंकियों की संख्या में कमी नहीं हो रही है। सेना के रिटायर्ड अधिकारी बार-बार यह मांग कर रहे हैं कि सुरक्षा बलों को घाटी में अलगाववादियों के खिलाफ बड़ा ऑपरेशन करना चाहिए। जब तक अलगाववादियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होगी, तब तक घाटी में आतंकी वारदातें नहीं रूकेगी। 
(एस.पी. मित्तल)  (10-10-2016)
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Sunday 9 October 2016

#1830
राजस्थान की सबसे पुरानी हाऊसिंग सोसायटी आदर्श नगर में शानदार रहा नवरात्रा का उत्सव। निवासियों में जबर्दस्त उत्साह। 
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8 अक्टूबर को मुझे अजमेर के आदर्श नगर की हाऊसिंग सोसायटी के नवरात्रा के उत्सव में शामिल होने का अवसर मिला। सोसायटी के अध्यक्ष ललित जैन और वरिष्ठ सदस्य बाबूलाल अग्रवाल आदि का आग्रह था कि समारोह में विजेता कलाकारों को मैं पारितोषित दूं । साथ ही सोसायटी के जागरूक नागरिकों की हौंसला अफजाई भी करूं। समारोह में शामिल होने के बाद मुझे लगा कि वाकई इस सोसायटी में सामाजिक और धार्मिक कार्य के प्रति जागरूकता है। मुझे बताया गया कि अजमेर की आदर्श नगर हाऊसिंग सोसायटी राजस्थान की सबसे पुरानी सोसायटी है। इसका गठन आजादी से पूर्व 1932 में किया गया। जो मापदंड 85 वर्ष पहले निर्धारित हुए उनका आज भी पालन किया जा रहा है। यही वजह है कि आदर्श नगर में आज भी चौड़ी-चौड़ी सड़कें हंै और निर्माण कार्य भी नियमों के अनुरूप ही होते हैं। यहां के निवासियों की जागरूकता का अन्दाज इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले डेढ़ वर्ष से नियमित योग शिविर लग रहा है तथा प्राकृतिक चिकित्सालय भी नियमित चल रहा है। यहां चलने वाले सरकार के सैटेलाइट अस्पताल और अंधविद्यालय की मदद करने में भी सोसायटी आगे रहती है। सोसायटी के जिस मैदान में नवरात्र का उत्सव मनाया जा रहा है, उसका किराया भी सोसायटी के खाते में जमा करवाया जाता है। इसके लिए सोसायटी के समध्र्यवान सदस्यों का आदर्श मित्र मंडल बना हुआ है। यानि इस सोसायटी को वाकई आदर्श सोसायटी कहा जा सकता है। नवरात्रा के दिनों में सोसायटी के सदस्य ही इनाम, प्रसाद आदि का वितरण करते हैं। इसमें महिलाओं की जागरूकता कुछ ज्यादा ही है। महिलाओं की जागरूकता और सक्रियता की वजह से ही पुरूषों को कार्य करने में सफलता मिल रही है। नवरात्रा में जहां श्रृद्धा भाव से मां दुर्गा की पूजा-अर्चना होती है, वहीं पूरे नियन्त्रण के साथ डांडिया नृत्य हो रहे हैं। युवक-युवतियों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है। डांडिया में विवाहित जोड़ों का नृत्य रोजाना आकर्षण का केन्द्र होता है। नवरात्रा के आयोजन को सफल बनाने में लोकेन्द्र शर्मा, पवनेश गौड़, गिरीश बाशानी, मोहित गर्ग, अशोक शर्मा, गोपाल खण्डेलवाल, सुरेश मंगल आदि का योगदान रहा। 
(एस.पी. मित्तल)  (09-10-2016)
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#1829
पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचारों के अनुरुप ही आज देश में हो रहा है शासन। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 खंडों का विमोचन किया।
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9 अक्टूबर को दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के सामने एक पुरानी विचारधारा को नए परिपेक्ष में प्रस्तुत किया। भारतीय जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के शताब्दी वर्ष के मौके पर विज्ञान भवन में मोदी ने 15 खण्डों की पुस्तक का विमोचन किया। यह सभी खंड पंडित उपाध्याय के 50 वर्ष के जीवनकाल पर आधारित हंै। मोदी ने कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू के शासनकाल में यह सवाल अहम था कि नेहरू जी के बाद कौन देश संभालेगा? जब 1967 में कांग्रेस को क्षेत्रीय विचारधाराओं ने चुनौती देना शुरू किया तब पंडित उपाध्याय ने एक राष्ट्रव्यापी विचारधारा को देश के सामने रखा। हालांकि तब राजनीतिक दलों ने इस विचारधारा का मजाक उड़ाया, लेकिन मुझे यह कहते हुए गर्व है कि आज पंडित उपाध्याय की विचारधारा के अनुरूप ही देश का शासन चल रहा है। पंडित उपाध्याय ने राजनीति में संगठन का महत्व बताया और व्यक्ति आधारित राजनीतिक दल का विरोध किया। पंडित उपाध्याय ने कहा था कि ज्ञान,विज्ञान और संस्कृति में जो भी आवश्यक होगा, उसे स्वीकार करेंगे और हमेशा रूढि़वादिता के अंधभक्त नहीं रहेंगे। इसी विचारधारा की वजह से भारत आज विश्व में समध्र्यवान बना है। पंडित उपाध्याय को जिन विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ा, उसी का परिणाम है कि आज भाजपा केन्द्र के साथ-साथ देश के अनेक राज्यों में सत्ता में है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने नजरिए से पंडित उपाध्याय के व्यक्तित्व को देश के सामने रखा, लेकिन 9 अक्टूबर को जिस तरह से 15 खंडों की पुस्तकों का विमोचन हुआ, उससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस के जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी आदि के मुकाबलों में पंडित उपाध्याय की भूमिका को भी खड़ा किया जा रहा है। भाजपा यह बताने में लगी है कि उनके नेताओं का भी देश के विकास में योगदान है। इसलिए मोदी ने कहा कि पर्यावरण को बचाने पर पण्डित उपाध्याय ने जो विचार रखा उसे आज पूरी दुनिया मान रही है। पंडित उपाध्याय की विचारधारा और उनके व्यक्तित्व को निखारने के लिए जो काम किया गया उसका श्रेय केन्द्रीय पर्यटन एवं सांस्कृतिक मंत्री महेश शर्मा को दिया गया। समारोह में उपस्थित भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेता भैय्याजी जोशी ने कहा कि एक कठिन काम को महेश शर्मा ने बड़ी मेहनत के साथ पूरा किया। समारोह में अजमेर के भाजपा के वरिष्ठ नेता और राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने भी भाग लिया। 
(एस.पी. मित्तल)  (09-10-2016)
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अजमेर में विजयादशमी पर होगा संघ का पथ संचलन। ख्वाजा साहब की दरगाह पर पुष्प वर्षा। पहली बार होंगे स्वयंसेवक पेंट में।

#1831
अजमेर में विजयादशमी पर होगा संघ का पथ संचलन। ख्वाजा साहब की दरगाह पर पुष्प वर्षा। पहली बार होंगे स्वयंसेवक पेंट में। 
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से 11 अक्टूबर को विजयादशमी पर अजमेर में शहर के प्रमुख मार्गों से पथ संचलन निकाला जाएगा। सुफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर स्वयंसेवकों पर पुष्प वर्षा की जाएगी। यह पहला अवसर होगा जब पथ संचलन में स्वयंसेवक नेकर के बजाए पेंट में नजर आएंगे। 
अजमेर महानगर के प्रचार प्रमुख निरंजन शर्मा ने बताया कि 11 अक्टूबर को संघ की परंपरा के अनुरूप विजयादशमी पर शस्त्र पूजन का कार्यक्रम होगा। यह कार्यक्रम प्रात: 8:30 बजे सुभाष बाग में रखा गया है। इसके बाद प्रात: 10 बजे सुभाष बाग से ही युवाओं का पथ संचलन शुरू होगा। स्वयंसेवक कदम से कदम मिला कर गंज, देहली गेट होते हुए ख्वाजा साहब की दरगाह तक पहुंचेंगे। यहां से नला बाजार, घसेटी बाजार, डिग्गी चौक होते हुए प्लाजा सिनेमा के सामने से क्लाक टॉवर पुलिस स्टेशन पर आएंगे। यहां से मदार गेट, गांधी भवन चौराहा, चुड़ी बाजार, नया बाजार, आगरा गेट होते हुए पुन: सुभाष बाग पर पहुंचेंगे। शर्मा ने बताया कि कक्षा 6 से कक्षा 9 में पढऩे वाले स्वयंसेवकों का पथ संचलन अलग से होगा। बालकों का यह पथ संचलन सुभाग बाग से प्रात: 10 बजकर 20 मिनट पर आरंभ होगा। यह पथ संचलन बजरंग गढ़ वाले द्वार से बाहर निकल कर सुंदर विलास होता हुआ हाथीभाटा में प्रवेश करेगा। यहां से गांधी भवन चौराहा होते हुए पी आर मार्ग, आगरा गेट से सुभाष बाग पहुंचेगा। शर्मा ने बताया कि पथ संचलन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। दोनों पथ संचलनों में लगभग दो हजार स्वयंसेवक भाग लेंगे। 
(एस.पी. मित्तल)  (09-10-2016)
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Saturday 1 October 2016

#1798
पाकिस्तानी कलाकारों के हिमायती सलमान खान शहीद राजकिशोर के परिवार की शहादत से कुछ सीखें। 
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1 अक्टूबर को बिहार के आरा में गंगा के किनारे शहीद सैनिक राजकिशोर का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ कर दिया गया। जिन लोगों ने चैनलों पर अंतिम संस्कार और शहीद के परिवार के घर के दृश्य देखें, उनकी आंखों में आंसू आ ही गए। जब 12 वर्षीय बेटी बुरी तरह रो रही थी, तब शहीद की पत्नि बेसुध पड़ी थी, लेकिन इसके बावजूद भी 10 वर्षीय बेटे ने हिम्मत दिखाते हुए पिता के शव को अग्नि दी। सिर मुंडा हुआ, गले में जनेऊ और कमर में धोती बांधे जब इस बालक ने अपनी मुठ्ठी से मिट्टी गिराई तो शायद ही कोई अपने आंसू रोक पाया हो। राजकिशोर इस परिवर के पहले शहीद नहीं है, इससे पहले उनके पिता, चाचा और बड़े भाई भी आतंकियो से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए। राजकिशोर की ख्वाहिश थी कि वे अपने बेटे को भी सेना की वर्दी में देंखे। इससे ज्यादा देशभक्ति की बात और क्या हो सकती है। जब इतनी शहादत के बाद भी मां ने कहा कि अब मैं अपने तीसरे बेटे को भी सेना में भेजकर पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों से बदला लूंगी। 
हालांकि शहीद राजकिशोर के परिवार की शहादत के सामने फिल्म अभिनेता सलमान खान की कोई बिसात नहीं है, लेकिन सलमान खान लगातार आतंकी देश पाकिस्तान के कलाकारों का हमारे फिल्म उद्योग में काम करने का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए न चाहते हुए भी मैं शहीद राजकिशोर के परिवार की शहादत से सलमान खान को कुछ सीख लेने की बात कह रहा हूं। मुझे पता है कि इससे सलमान के हिमायती मुझसे और चिढ़ेंगे। इसे देश का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि पाक कलाकारों के मुद्दे पर अनेक लोग सलमान खान के साथ खड़े हैं। विडम्बना देखिए कि एक मां अपने परिवार के पांचवें सदस्य को भी आतंकियों से बदला लेने के लिए पाकिस्तान भेजने को तैयार है तो दूसरी ओर सलमान खान और उनके हिमायती यह चाहते हैं कि पाकिस्तान के कलाकार मुंबई में आकर लाखों-करोड़ों रुपए कमाते रहे। जब पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा है तो फिर सलमान खान वहां के कलाकारों की हिमायत क्यों कर रहे हैं? जिस शहीद राजकिशोर का आज अंतिम संस्कार हुआ, वह भी उड़ी के आतंकी हमले में जख्मी हुआ था। बारह दिनों तक मौत से लडऩे के बाद राजकिशोर ने वीरगति प्राप्त की।
(एस.पी. मित्तल)  (1-10-2016)
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#1799
दो अक्टूबर को अजमेर में ख्वाजा के दर से मुस्लिम छात्र-छात्राएं सेना के समर्थन में निकालेंगे तिरंगा रैली।
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भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकवादियों को ठिकाने लगाने के लिए पीओके में जो सर्जिकल आपरेशन किया, उसके समर्थन में 2 अक्टूबर को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह से एक तिरंगा रैली निकाली जाएगी। इस रैली का आयोजन मदरसों का संचालन करने वाली संस्था दावातुल हक की ओर से किया गया है। संस्था के अध्यक्ष मौलाना अयूब कासमी ने बताया कि तिरंगा रैली में मदरसे में पढऩे वाले छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में भाग लेंगे। यह रैली प्रात: 8:30 बजे ख्वाजा साहब की दरगाह से शुरू होगी और बजरंग गढ़ चौराहा स्थित विजय स्मारक पर समाप्त होगी। इसी विजय स्मारक पर पाकिस्तान से 1972 के युद्ध में जीता टैंक भी रखा है। रैली बाद में एक सभा के तौर पर तब्दील हो जाएगी। इस सभा को मुस्लिम प्रतिनिधि अब्दुल बारी चिश्ती, हाजी महमूद खान, नवाब हिदायतउल्ला, गौहर चिश्ती आदि संबोधित करेंगे। 
मौलाना कासमी ने बताया कि भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर जो जिन्दादिली का जज्बा दिखाया है, उसमें पूरे देश का समर्थन हमारी सेना को मिलना चाहिए। इसलिए सेना के समर्थन में तिरंगा रैली निकाली जा रही है। रैली में मदरसों के विद्यार्थी हाथों में तिरंगा लेकर चलेंगे और देशभक्ति के नारे लगाएंगे। यह रैली ख्वाजा साहब की दरगाह से शुरू होकर देहली गेट, महावीर सर्किल होते हुए विजय स्मारक पहुंचेगी।
(एस.पी. मित्तल)  (1-10-2016)
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#1800
64 हजार 275 लोगों ने 65 हजार 250 करोड़ रुपए के कालेधन की घोषणा की। कालाधन नहीं उगलने वालों पर अब पडेंगे छापे।
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विदेशों में जमा कालाधन वापस आ जाए तो भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के बैंक खाते में 15-15 लाख रुपए जमा हो जाएंगे। ये बात लोकसभा चुनाव से पहले पीएम पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी और कांग्रेस सरकार को उखाड़ फैंकने का संकल्प लेने वाले योग गुरू बाबा रामदेव ने चिल्ला-चिल्ला कर कही थी। हालांकि केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कह दिया यह तो एक जुमला था, लेकिन काले धन को उजागर करने के लिए भाजपा सरकार ने 1 जून से 30 सितम्बर तक जो स्कीम चलाई, उसके परिणाम की घोषणा एक अक्टूबर को केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली ने की। जेटली ने बताया कि इस स्कीम में 64 हजार 245 लोगों ने 65 हजार 250 करोड़ रुपए के काले धन की घोषणा की। ये आंकड़ा थोड़ा और बढ़ सकता है। यानि सरकार को 45 प्रतिशत के टैक्स के हिसाब से कोई 30 हजार करोड़ रुपए की राशि प्राप्त होगी। अब इस 30 हजार करोड़ में से भारतीय नागरिकों के खाते में कितनी राशि आएगी, इसके बारे में जेटली ही बता सकते हैं। अलबत्ता जेटली ने इस राशि को संतोषजनक बताया है। जेटली ने कहा कि कुछ लोग 45 प्रतिशत के टैक्स को ज्यादा बता रहे थे, लेकिन सरकार को टैक्स चुकाने और टैक्स नहीं चुकाने वालों में फर्क करना था। इसलिए 45 प्रतिश टैक्स को निर्धारित किया है। यदि हम अघोषित आय पर भी 30 प्रतिशत टैक्स वसुलते तो दोनों में कोई फर्क नहीं नहीं होता। जेटली ने इस बात के संकेत दिए कि अब उन धनाढ्य परिवारों पर छापामार कार्यवाही की जाएगी, जिन्होंने काले धन की घोषणा नहीं की। ऐसे तत्वों के साथ कोई रियायत नहीं बरती जाए। 30 सितम्बर तक की स्कीम के आंकड़े 1 अक्टूबर को बता देने से ये जाहिर होता है कि सरकार काले धनवालों की काली दिवाली मनाने के लिए मजबूर कर देगी। 
(एस.पी. मित्तल)  (1-10-2016)
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#1801
देशभर की यूनिवर्सिटीज में अब हो सकेंगे गुरु गोबिंद सिंह और स्वामी दयानंद पर शोध। अजमेर सहित देशभर के आर्य समाजियों में खुशी।
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गुरु गोबिंद सिंह जी और स्वामी दयानंद के देश भर के अनुयायिओं के लिए खुश खबरी है। यूजीसी ने गुरु गोबिंद सिंह और स्वामी दयानंद के नाम पर चेयर पीठ की मंजूरी दे दी है। यानि अब देशभर की यूनिवर्सिटीज में गुरु गोबिंद सिंह और स्वामी दयानंद की पीठ स्थापित  हो सकती है। इस पीठ का खर्चा यूजीसी वहन करेगा। जो शोधार्थी इन दोनों महापुरुषों पर पीएचडी और एमफिल करेंगे उनका खर्चा यूजीसी के द्वारा दिया जाएगा। जो यूनिवर्सिटीज पीठ स्थापित करना चाहती है, उनसे यूजीसी ने 17 अक्टूबर तक प्रस्ताव मांगे हैं। 
अजमेर में खुशी:
यूं तो देश भर में आर्य समाजियों के लिए खुशी की बात है,लेकिन अजमेर में ये खुशी खास महत्त्व रखती है। क्योंकि स्वामी दयानंद ने अपने प्राण अजमेर स्थित भिनाय कोठी के हॉल में त्यागे थे। इसलिए अब इस स्थान को स्वामी दयानंद निर्वाण स्थली कहा जाता है। इस ट्रस्ट से जुड़े आर्य समाजी डॉ. श्रीगोपाल बाहेती ने बताया कि एमडीएच मसाले के मालिक महाशय जी के आर्थिक सहयोग से निर्वाण स्थली का जिर्णोद्धार हो रहा है। उन्होंने पीठ की स्थापना पर हर्ष जताया। 
प्रधानमंत्री को लिखा था पत्र:
अजमेर की परोपकारणी सभा के प्रधान प्रो. धर्मवीर ने बताया कि स्वामी दयानंद  की पीठ के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा था। उन्हें इस बात की खुशी है कि प्रधानमंत्री के निर्देशों पर यूजीसी ने पीठ स्थापना को मंजूरी दी है। इससे स्वामी दयानंद के सामाजिक सुधार कार्यों को युवा पीढ़ी को समझने का अवसर मिलेगा। मालूम हो कि अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटीज सिटी में राज्यपाल कल्याण सिंह ने स्वामी दयानंद पर पीठ स्थापित करने के निर्देश दिए थे। तब यूनिवर्सिटी के कुलपति कैलाश सोढानी ने एक करोड़ रुपए की मंजूरी भी दी थी, लेकिन अब इस पीठ के लिए यूनिवर्सिटीज को अपने कोष से कोई धनराशि खर्च नहीं करनी पड़ेगी। 
(एस.पी. मित्तल)  (1-10-2016)
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अजमेर में पहली ग्रीन बिल्डिंग की लांचिंग 11 अक्टूबर से

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अजमेर में पहली ग्रीन बिल्डिंग की लांचिंग 11 अक्टूबर से
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राजस्थान में जयपुर के बाद अजमेर के पंचशील क्षेत्र में पहली ग्रीन बिल्डिंग अस्तित्व का निर्माण हुआ है। एक अक्टूबर को एक संवाददाता सम्मेलन में बिल्डिंग के निर्माता सीआरसी ग्रुप के डायरेक्टर अमित सुराधा ने बताया कि अजमेर में यह पहला अवसर है जब हरे-भरे प्राकृतिक वातावरण में बिल्डिंग को बनाया गया है। सबसे खास बात यह है कि चार मंजिल का निर्माण पूरा हो जाने के बाद ही फ्लेटों की बुकिंग 11 अक्टूबर से शुरू की जाएगी। आमतौर पर सिर्फ नक्शे में बिल्डिंग बताकर फ्लेटों की बुकिंग का काम होता है और फिर निश्चित तिथि पर फ्लैट का कब्जा भी नहीं दिया जाता। ऐसी सभी बुराईयों को दूर भगाते हुए हमने निर्माण के बाद बुकिंग का काम शुरू किया है। इस ग्रीन बिल्डिंग में 99 फ्लैट दो व तीन बीएचके के होंगे। दो बीएचके के फ्लेट 31 लाख और तीन बीएचके के 45 लाख रुपए से शुरू होंगे। सरकार के सभी नियमों का पालन करते हुए सभी फ्लेटों की डिजाइन इस प्रकार से की गई है कि दिन में लाईट जलाने की जरूरत नहीं होगी यानि सूर्य की रोशनी से ही काम चल जाएगा। ऐसी ईटों का उपयोग किया गया है, जो भीषण गर्मी में ताप को समायोजित कर सके। इतना ही नहीं पार्किंग स्थल पर बेट्री चार्जर लगाए गए हैं, क्योंकि आने वाले दिनों में कार आदि वाहन बेट्री से ही चलेंगे। स्वीमिंग पुल, जिम, खेलकूद, पार्लर जैसी सुविधाएं तो होगी ही। बिल्डिंग में बिजली की खपत कम से कम हो, इसका ख्याल रखा गया है। 
(एस.पी. मित्तल)  (1-10-2016)
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