Saturday 26 November 2016

#2001
आदर्श क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी की साख को प्रभावित करने का मकसद नहीं।
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सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाली आदर्श क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी जैसी संस्थाओं को लेकर मैंने गत 18 नवंबर को एक ब्लॉग लिखा था। इस ब्लॉग में यह बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी की घोषणा के बाद राष्ट्रीयकृत बैंकों और सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाली आदर्श कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी जैसी संस्थाओं के सदस्यों के बीच क्या फर्क है। ब्लॉग में यह भी लिखा है कि बैंकों में पुराने नोट के बदले नए नोट मिल रहे हैं, लेकिन आदर्श जैसी संस्थाओं के सदस्यों को ऐसी सुविधा नहीं मिल रही। इससे कॉ-ऑपरेटिव सोसायटियों के सदस्य परेशान हो रहे हैं। पूरे ब्लॉग में यह कहीं नहीं लिखा कि आदर्श क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी ने अपने सदस्यों के साथ कोई गड़बड़ी कर रही है। ब्लॉग लिखने का मकसद कॉ-ऑपरेटिव सोसायटियों के सदस्यों की पीड़ा को उजागर करना था तथा साथ ही सरकार को भी यह बताना था कि क्रेडिट सोसायटियों के सदस्य इस नोटबंदी से कितना परेशान हो रहे हैं। अजमेर अरबन कॉ-ऑपरेटिव बैंक का मामला सिर्फ जागरुकता और उदाहरण के लिए लिखा गया। इतना ही नहीं आदर्श कॉ-ऑपरेटिव बैंक का कोई उल्लेख नहीं किया गया। लेकिन मेरे इस ब्लॉग को आदर्श क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी के प्रबंधन ने अपनी साख को गिराने वाला माना। देश के कई हिस्सों से मुझे कानूनी नोटिस भेजे और अपनी बात को रखा। मैंने 18 नवम्बर के ब्लॉग में भी आदर्श कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी के प्रबंधन का पक्ष रखते हुए लिखा था कि जमाकर्ताओं का पैसा सुरक्षित है। मेरे द्वारा आदर्श सोसायटी पर कोई आरोप नहीं लगाए जाने के बावजूद भी आदर्श क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी के प्रबंधन को यह लगता है कि मैंने उनकी साख को गिराया है। मैं पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ पत्रकारिता करता हंू। ब्लॉग लिखने के पीछे मेरा कोई व्यवसायिक उद्देश्य भी नहीं होता है। मेरी वेबसाइट, फेसबुक अकाउंट, फेसबुक पेज आदि पर किसी भी प्रकार का विज्ञापन भी प्रकाशित नहीं होता। पत्रकारिता के उच्च मापदंडों का पालन करते हुए मैं आदर्श क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी का पक्ष इस ब्लॉग में रख रहा हंू। चूंकि मेरे मन में इस सोसायटी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं हैं। इसलिए में यह भी लिख रहा हंू कि यदि 18 नवम्बर के ब्लॉग से यदि सोसायटी की प्रतिष्ठा और साख पर कोई प्रतिकूल असर पड़ा है तो मैं बिना शर्त खेद प्रकट करता हंू। इसके साथ ही सोसायटी से जुड़ा 18 नवम्बर वाला ब्लॉग में अपनी वेबसाइट, गूगल ब्लॉग, फेसबुक आदि से भी डिलीट कर दिया है। 
आदर्श क्रेडिट कॉ-ऑपरेटिव सोसायटी का विशेष कथन जो नोटिस में उल्लेखित है:
यह है कि मेरी असील एक सहकारी समिति है, जो मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसाईटीज एक्ट 2002 के तहत पंजीकृत है तथा जो केन्द्रीय रजिस्ट्रार (सहकारिता) भारत सरकार द्वारा निर्धारित नियम व प्रावधानों के अंतर्गत संचालित होती है। मेरी असील समिति का बैंकिंग कार्य से कोई लेना देना नहीं है तथा न ही मेरी असील समिति द्वारा कोई बैंकिंग व्यवसाय किया जाता है। समिति द्वारा अपनी जमा योजनाओं का कोई भी प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता न ही किसी भी प्रकार का प्रस्ताव दिया जाता है। समिति के सदस्य समिति के कुशल प्रबंधन, कार्य प्रणाली, लाभ-हानि की स्थिति, लाभांश जैसे विभिन्न महत्त्वपूर्ण पहलुओं को देखते हुए समिति की योजनाओं में निवेश करते हैं। जिसका भुगतान समिति द्वारा परिपक्वता पर अविलम्ब किया जाता रहा है। 
यह है कि मेरी असील समिति की किसी भी शाखा में सदस्य खाताधारक द्वारा उसके द्वारा निवेश की गई राशि का नियमानुसार चैक अथवा आरटीजीसी या एनईएफटी के माध्यम से भुगतान प्राप्त किया जा सकता है। जिस पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है। मेरी असील समिति सहकार क्षेत्र एक प्रतिष्ठित तथा अपनी तुरंत भुगतान सेवा के लिए ख्यातिप्राप्त है, जिसके वर्तमान में 15 लाख से भी अधिक संतुष्ट सदस्य हैं तथा जिसके आधार पर मेरी असील समिति को अपनी उत्कृष्ट सहकार सेवाओं के लिए कई जानी मानी संस्थाओं से विश्वस्तरीय पुरस्कार एवं सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। यही नहीं मेरी असील समिति की सेवाएं आईएसओ प्रमाणित है। समिति को सन् 1999 से परिपक्वता पर अविलम्ब भुगतान के लिए ख्याति प्राप्त होने से मेरी असील समिति बिना किसी विवाद के कार्य कर रही है तथा आज दिनांक तक समिति द्वारा किसी भी खाताधारकों परिपक्वता पर भुगतान में किसी भी प्रकार का नियम विरुद्ध विलय नहीं किया गया है। 
(एस.पी.मित्तल) (26-11-16)
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Wednesday 16 November 2016

#1968
नेत्रहीनों को पीटने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही होगी। गुस्साए नेत्रहीनों ने रास्ता जामकर कलेक्ट्रेट पर किया प्रदर्शन।
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नेत्रहीनों के प्रति मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए सरकारें अनेक योजनाएं चलाती हैं। हर किसी की सहानुभूति नेत्रहीनों के प्रति होती है, लेकिन 15 नवंबर को अजमेर के आदर्श नगर पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मियों का दूसरा ही चेहरा सामने आया। नेत्रहीन छात्र जब अपने आदर्श नगर स्थित राजकीय अंध विद्यालय की अव्यवस्था को लेकर विरोध प्रकट कर रहे थे तो पुलिस ने नेत्रहीनों के साथ दुव्र्यवहार किया और अनेक छात्रों को पीटा भी। पुलिस के डंडे के खौफ से नेत्रहीन छात्र अपने विद्यालय में दुबक कर बैठ गए। लेकिन 16 नवंबर को कांग्रेस के युवा नेता सुनील लारा ने अंध विद्यालय पहुंच कर नेत्रहीनों की हौसला अफजाई की। लारा ने जो हिम्मत बंधाई, उसी का परिणाम रहा कि नेत्रहीन छात्र एकजुट हुए और फिर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। लारा के नेतृत्व में नेत्रहीनों ने एसपी डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन से मुलाकात की और बताया कि किस प्रकार पुलिस ने बेरहमी से पिटाई की है। एसपी को अजमेर के स्वामी न्यूज चैनल का वीडियो भी दिखाया गया। छात्रों ने एसपी से मांग की कि दोषी पुलिसकर्मियों को निलंबित किया जाए। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी ने डीएसपी राजेश मीणा को जांच दी है। एसपी ने भरोसा दिलाया कि जांच में दोषी पाए गए पुलिसकर्मियों के विरूद्व सख्त कार्यवाही की जाएगी। 
अव्यवस्था सुधारने की मांग
नेत्रहीन विद्यार्थियों ने अतिरिक्त कलेक्टर किशोर कुमार से भी मुलाकात की। कलेक्टर के नाम दिए गए ज्ञापन में कहा कि आदर्श नगर स्थित विद्यालय में व्याप्त अव्यवस्था को तत्काल सुधारा जाए। समस्याओं की वजह से छात्रावास में रहना मुश्किल हो रहा है। 
फिर लगाया जाम 
नेत्रहीनों ने अपनी मांगों को लेकर 16 नवंबर को आदर्श नगर स्थित रेल पुलिया के नीचे मुख्य मार्ग पर जाम लगाया। इससे लंबे समय तक यातायात बाधित रहा, लेकिन आज पुलिस ने नेत्रहीनों के प्रति संयम बरता। 

(एस.पी.मित्तल) (17-11-16)
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#1969
जमीयत के अधिवेशन में शानदार रहा दावतखाना। 
डेढ़ लाख लोगों ने 100 बोरी आटा, 6 हजार किलो चावल, 4 हजार किलो दाल, डेढ़ हजार किलो हलवा आदि खाया। 
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अजमेर में विगत दिनों 11 से 13 नवम्बर के बीच जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिन 13 नवम्बर को आम जलसा हुआ। इसमें देशभर से कोई डेढ़ लाख मुसलमानों ने भाग लिया। आयोजकों के सामने इन डेढ़ लाख लोगों को कायड़ विश्राम स्थली पर दावत (भोजन) खिलाने की बड़ी चुनौती थी, लेकिन इदारा दावातुल हक ऊंटड़ा के सचिव मौलाना अयूब कासमी की टीम ने इस चुनौती को स्वीकार किया। मौलाना ने बताया कि बड़े-बड़े कढ़ाव लगाकर 6 हजार किलो चावल, 4 हजार किलो चना, मूंग व मसूर की दाल तथा डेढ़ हजार किलो सूजी को पका कर हलवा तैयार किया गया। इसके साथ ही 100 किलो वजन की 100 बोरी आटे की पूडियां तैयार करवाई गई और करीब डेढ़ लाख लोगों को शानदार दावत दी गई।
मौलाना कासमी ने बताया कि एक साथ डेढ़ लाख लोगों को भोजन कराने में कोई भी समस्या उत्पन्न नहीं हुई। लोगों ने बड़े सुकून के साथ भोजन किया। इसे खुदा का करम ही कहा जाएगा कि इतने बड़े आयोजन में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। पुलिस की ओर से सुरक्षा के सामान्य इंतजाम रहे। पूरे आयोजन को सफल बनाने में रसूलपुरा के सरपंच सलिम इकरामुद्दीन, हाफिज फारुख, ऊंटड़ा के सद्दाम, मोहम्मद यूसुफ, जाकिर, मोहम्मद इश्हाक, कायड़ के सरफराज, अयूब फौजी, अब्दुल हकिम, मोहम्मद फिरोज, काजी फुरकान, रसूलपुरा के सदुरुद्दीन मुंशी आदि की सकिय्र भूमिका रही। विश्राम स्थली पर करीब डेढ़ हजार बसों की पार्किंग भी की गई। इसके अतिरिक्त बड़ी संख्या में कार-जीप आदि वाहन भी आए। 

(एस.पी.मित्तल) (16-11-16)
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#1970
भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने केन्द्रीय मंत्री सीआर चौधरी के गैर जिम्मेदाराना बयान को गंभीर माना। कालेधन को सफेद करने की स्कीम बताई थी।
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12 नवंबर को केन्द्रीय उपभोक्ता मामलों के राज्य मंत्री सीआर चौधरी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र नागौर में गल्र्स कॉलेज के छात्र संघ कार्यालय का उद्घाटन किया था। अब इस उद्घाटन समारोह का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसमें सीआर चौधरी साफ-साफ कह रहे हैं कि लोग ढ़ाई लाख रुपए का काला धन लेकर अपने खातों में जमा करवा दें और फिर 20-30 प्रतिशत कमीशन लेकर लौटा दें। इससे काला धन सफेद हो जाएगा और आपकी घर बैठे कमाई हो जाएगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने केन्द्रीय मंत्री चौधरी के इस गैर जिम्मेदाराना बयान को बेहद गंभीर माना है। एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काले धन को बाहर निकालने के लिए मशक्कत कर रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हीं के मंत्रिमंडल का एक सदस्य प्रधानमंत्री की योजना पर पानी फेर रहा है। यदि लोगों ने अपने बैंक खातों में ढाई-ढाई लाख रुपए जमा कर लिए तो फिर काले धन पर कोई अंकुश नहीं लगेगा। जानकार सूत्रों के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी से चौधरी के बयान पर रिपोर्ट भी तलब की है। सूत्रों की माने तो अभी यह मामला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तक नहीं पहुंचा है। माना जा रहा है कि यदि मामले ने तूल पकड़ा खासकर विपक्षी दलों ने चौधरी के बयान को मुद्दा बनाया तो प्रधानमंत्री इस मामले में सख्त कार्यवाही कर सकते हैं। फिलहाल यह गैर जिम्मेदाराना बयान सीआर चौधरी के लिए मुसीबत बन गया है। हालांकि अब चौधरी का यह कहना है कि काले धन पर जो बात कही थी, वह मजाक थी। सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री के किसी अभियान का मजाक उड़ाया जा सकता है? सब जानते हैं कि सीआर चौधरी राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष भी रहे हैं। आयोग में तो 100 प्रतिशत ईमानदारी और निष्पक्षता की उम्मीद की जाती है। आयोग के अध्यक्ष के पद पर रहने वाला व्यक्ति यदि 20-30 प्रतिशत कमीशनखोरी की बात कहें तो फिर अनेक सवाल खड़े होते हैं। 

(एस.पी.मित्तल) (16-11-16)
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Monday 14 November 2016

#1960
तो क्या बदल रहा है जमीयत का चेहरा? जमीयत के मंच पर सभी धर्मों के नेता आए।
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मुस्लिम समुदाय के बीच जमीयत उलेमा ए हिंद को कट्टरपंथी विचारधारा का माना जाता है। मुसलमानों का एक बड़ा तबका जमीयत की विचारधारा का समर्थक नहीं है। अब तक जमीयत का जो चेहरा सामने आया, उसे उदारवादी नहीं माना गया, लेकिन जमीयत ने अजमेर में 11 से 13 नवंबर के बीच जो राष्ट्रीय अधिवेशन किया, उसमें अपना उदारवादी चेहरा दिखाने की भरपूर कोशिश की। इसकी शुरुआत सूफी संत ख्वाजा साहब के सूफीवाद से की। 13 नवंबर को समापन समारोह में जमीयत ने ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़े प्रतिनिधियों को तो बुलाया ही, साथ ही हिन्दू समाज के प्रमुख नेताओं को भी आमंत्रित किया। इसमें स्वामी चिदानंद सरस्वती, लोकेश मुनि, पंडित एन.के. शर्मा, अशोक भारती आदि शामिल रहे। जमीयत के राष्ट्रीय महासचिव मौलाना मेहमूद मदनी और अन्य पदाधिकारियों ने जब मंच पर हिन्दू समाज के धर्मगुरुओं के साथ हाथ उठाया तो लगा कि जमीयत का चेहरा बदल रहा है। स्वामी चिदानंद की जमीयत के मंच पर उपस्थित अपने आप में महत्वपूर्ण है। जमीयत ने अधिवेशन के अंतिम दिन जो प्रस्ताव पास किए, उसमें दलित, आदिवासी और मुसलमानों के गठजोड़ बनाने की बात कहीं गई। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा गया कि मुसलमानों के बीच विचारों को लेकर जो मतभेद है, उन्हें भुलाकर भारत के मुसलमानों को एक हो जाना चाहिए। अब देखना है कि आने वाले दिनों में देश के मुसलमानों के बीच जमीयत की क्या भूमिका रहती है।

(एस.पी.मित्तल) (14-11-16)
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#1958
महिलाओं के खाते में ढाई लाख रुपए जमा होने के मामले में प्रधानमंत्री का नरम रूख। गाजीपुर में फिर गुस्से में दिखे मोदी।
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14 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साफ तौर पर कहा है कि जिन महिलाओं के बैंक खाते में ढाई लाख रुपए तक जमा होंगे, उनकी कोई जांच पड़ताल नहीं करवाई जाएगी। यानि महिलाओं के खातों में बंद हुए 500 और 1000 रुपए के नोट जमा करवाएं जा सकते हंै। यह सही है कि आयकर विभाग के नियमों के अनुरुप कोई भी महिला प्रतिवर्ष 3 लाख रुपए तक की आय दिखा सकती है, लेकिन 8 नवम्बर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से इस बात का डर सता रहा था कि अब यदि बैंक खाते में पुराने नोट जमा कराए गए तो मुसीबत खड़ी हो सकती है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 14 नवम्बर को यूपी के गाजीपुर में भाजपा की परिवर्तन यात्रा की एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिन महिलाओं ने थोड़ी-थोड़ी राशि भविष्य के लिए सुरक्षित की है वे अपने बैंक खाते में ढाई लाख रुपए तक जमा करवा सकती हैं। ऐसी महिलाओं के बैंक खाते की कोई जांच पड़ताल नहीं होगी। प्रधानमंत्री की इस घोषणा से साफ जाहिर हैं कि वे पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं का सम्मान बढ़ाना चाहते हैं। ऐसे कई परिवार है जिनमें महिलाओं खासकर मां और पत्नी का अपेक्षित सम्मान नहीं होता है, लेकिन अब ऐसे परिवारों के पुरुष सदस्यों को मजबूरी में महिला सदस्यों के बैंक खातों में राशि जमा करवानी होगी। भले ही ऐसे पुरुष जमा राशि को वापस निकाल लें, लेकिन एक बार तो मां और पत्नी की मदद की जरूरत पड़ेगी ही। यानि एक बार फिर पुरुष के लिए उसकी मां और पत्नी ही मददगार बनी है।
सीधा संवाद :
नोटबंदी को लेकर विपक्ष ने संयुक्त रूप से जो हमला बोला है उसके जवाब में नरेन्द्र मोदी आम जनता से सीधा संवाद कर रहे हैं। 13 नवम्बर को गोवा में और 14 नवम्बर को गाजीपुर में मोदी ने विपक्ष को यह दिखाने की कोशिश की कि आम लोग नोटबंदी के मुद्दे पर उनके साथ है। गाजीपुर में मोदी ने लोगों को खड़ा किया और ताली बजाने के साथ उनका समर्थन करने का आग्रह किया। यानि मोदी अब यह दर्शा रहे हैं कि आम जनता उनके साथ है। भले ही टीवी चैनलों पर बैंकों के बाहर खड़े परेशान लोगों के बयान दिखाए जाए। मोदी ने अपने भाषण में कहा कि टीवी वाले भी देख लें कि जनता उनके साथ है।
कांग्रेस पर फिर हमला :
गाजीपुर में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस ने तो 19 महीने पूरे देश को जेलखाना बना दिया था। मैं तो मात्र 50 दिन मांग रहा हूं। यानि मोदी ने इस बात को स्वीकार किया कि नोटबंदी के बाद देश का आम नागरिक बेहद परेशान है।

(एस.पी.मित्तल) (14-11-16)
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#1959
तो पुष्कर मेले में कलेक्टर और विधायक रावत ही छाए रहे। 
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14 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले का समापन हो गया। हालांकि मेले के दौरान राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के आने की उम्मीद थी, लेकिन स्वास्थ्य कारणों से सीएम नहीं आ सकीं। पुष्कर मेले में क्षेत्रीय विधायक की भूमिका अहम रहती है, इसका फायदा पुष्कर के विधायक और संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत ने जमकर उठाया। कोई सप्ताह भर चले मेले में रावत ही छाए रहे। चूंकि जिला कलेक्टर गौरव गोयल एक समझदार और परिस्थितियों को भांपने वाले आईएएस हैं, इसलिए रावत के साथ कलेक्टर का भी झंडा मेले में लहराता रहा। मेले के दौरान बड़े अधिकारियों, मंत्रियों, राजनेताओं को आमंत्रित करने की परपंरा रही है। मेेले के समापन समारोह में तो मुख्यमंत्री और केन्द्रीय मंत्री तक आते रहे हैं, लेकिन इसे विधायक और कलेक्टर गोयल का गठजोड़ ही कहा जाएगा कि मेले के दौरान राज्यमंत्री भी नहीं आए। अंतिम दिन उपस्थिति दर्ज करवाने के लिए महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल जरूर दिखीं, लेकिन अजमेर जिले के दूसरे मंत्री वासुदेव देवनानी की गैर मौजूूदगी चर्चा का विषय रही। जिले के अन्य भाजपा विधायक भी मेले के आयोजनों से दूृर ही रहे। समापन समारोह में क्षेत्रीय सांसद की हैसियत से सांवरलाल जाट भी नजर आ गए। इसी प्रकार अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी की उपस्थिति भी रही। कहा जा सकता है कि मेले की सफलता का श्रेय पूरी तरह विधायक रावत और कलेक्टर गोयल ने लिया। नगर पालिका अध्यक्ष कमल पाठक ने भी कई अवसरों पर अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज करवाई। 
टूटी सड़क से जगहंसाई :
पुष्कर के विधायक सुरेश सिंह रावत विकास के लंबे चौड़े दावे करते हैं। अपने क्षेत्र के विकास कार्यों की एक पुस्तक भी रावत ने निकाली है, लेकिन पुष्कर मेले के दौरान टूटी सड़क से जगहंसाई भी हुई है। पुष्कर घाटी की सड़क का निर्माण तो अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा ने करवा दिया, लेकिन घाटी से नीचे लीलासेवड़ी होते हुए पुष्कर शहर तक की सड़क टूटी-फूटी रही। मेले में देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं। घाटी के बाद ऐसे पर्यटकों को जब टूटी-फूटी सड़क पर चलना पड़ा तो लगा कि पुष्कर का विकास हुआ ही नहीं है। घाटी के बाद पुष्कर तक की दूरी मुश्किल से 4-5 किलोमीटर की होगी। यदि मेले से पहले इस मार्ग की सड़क नहीं बनाई जा सकी तो फिर राजनीतिक नेतृत्व पर सवाल तो उठता ही है। मालूम हो कि मेला शुरू होने से पहले पुष्कर के सरोवर में बने विशेष कुंडों में बीसलपुर का पानी पहुंचाने का काम भी एडीए ने ही किया था। क्या विधायक रावत टूटी सड़क अथवा सरोवर का काम विधायक कोष से नहीं करवा सकते?
(एस.पी.मित्तल) (14-11-16)
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Friday 11 November 2016

#1950
मुस्लिम छज्ञत्रों ने अजमेर में जमियत के अधिवेशन का विरोध किया। 
विचार धारा पर उठाए सवाल। 
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11 नवम्बर से अजमेर में शुरू हुए जमियत उलेमा हिन्द के प्रोग्राम का मुस्लिम छात्र संगठन स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया कड़ा विरोध जताया है। संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने काली पट्टी बांधकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन भी किया। 
एमएसओ का कहना है कि जमियत सूफ़ीवाद का ढोंगकर लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रही है, लेकिन भारत की आम जनता जमियत के मूल विचारों से वाकिफ है और वह जानती है कि जमियत सऊदी अरब की कट्टरवादी विचारधारा की समर्थक है। शहर के लोहाखान में जुमे की नमाज़ के बाद एमएसओ के कार्यकर्ता जमा हुए। काली पट्टी बांधकर मौन जुलूस के रूप में कलेक्ट्रेट के लिए निकले। प्रदर्शन की अगुवाई करते हुए एमएसओ के प्रदेश महासचिव इरफान अली ने बताया कि महमूद मदनी की अध्यक्षता वाली जमियत उलेमा ए हिंद कायड़ विश्रामस्थली में सूफीवाद के नाम पर जो प्रोग्राम कर रहे हैं, उसका हम विरोध कर रहे हैं। सब जानते हैं कि जमियत सऊदी अरब से संचालित कट्टरवादी विचारधारा के मानने वालों की संस्था है। दरअसल जबकि पूरे विश्व में वहाबी विचारधारा के खिलाफ आम जनसमुदाय खड़ा हो रहा है, ऐसे में जमियत उदारवादी सूफी विचारधारा का चोगा ओढ़कर लोगों को बहलाने की कोशिश कर रही है। एमएसओ ने अजमेर, राजस्थान और भारत के सभी लोगों से अपील की कि वह जमियत के सऊदी एजेंडे को समझने की कोशिश करें। इरफान अली ने उदाहरण देकर समझाया कि अगर महमूद मदनी वाकई सूफी हैं और सूफीवाद की विचारधारा को मानते हैं तो वह आतंकवाद में लिप्त सऊदी तानाशाह परिवार और वहाबी विचारधारा का नाम लेकर निंदा करें। इरफान ने महमूद मदनी और जमियत को चुनौती देते हुए कहा कि वह पाकिस्तान की आईएसआई और सेना से पोषित वहाबी विचारधारा और इसे पालने वाले जमातुद दावा और इसके चीफ हाफिज सईद, लश्करे तैयबा, जैशे मुहम्मद और हिज़्बुल मुजाहिइ्दीन का नाम लेकर निंदा प्रस्ताव पारित करें अन्यथा आंतकवाद पर सामान्य वक्तव्य जारी न करें।
इस मौके़ लोहाख़ान मस्जिद के इमाम मौलाना अंसार ने कहा कि जमियत के प्रमुख महमूद मदनी इतने बड़े सूफी बनते हैं तो वह अजमेर में गरीब नवाज की मजार पर चादर चढ़ाकर, आस्ताने के कदम चूमकर यह वादा करें कि वह सऊदी अरब के राजपरिवार की तरफ से पोषित वैश्विक आतंकवाद की निंदा करते हैं। मौलाना अंसार ने कहा कि महमूद मदनी जितनी बार रियाद और जेद्दा की यात्रा करते हैं अगर उसके मुकाबले एक दो बार भी अजमेर में ख्वाजा साहब की चौखट पर आ जाते तो उन्हें पता चलता कि सूफीवाद क्या है। मुफ्ती बशीरुल कादरी ने कहा कि जब से सीरिया संकट के बाद से सऊदी अरब के आतंकवाद को प्रश्रय देने की पोल खुली है, रूस और भारत में सऊदी अरब पोषित वहाबी विचारधारा को लेकर आम जनता में समझ में काफी विस्तार हुआ है। सऊदी अरब के पेट्रोडॉलर से घबराए वहाबी तत्व अलग-अलग ढोंगकर अपने आप को सूफी घोषित करने पर तुले हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (11-11-16)
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#1948
मुसलमान न तो आतंकवादी हैं और न हम कुरान की शिक्षाओं में दखल बर्दाश्त करेंगे। 
जमियत उलेमा-ए-हिन्द की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आम राय। 
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मुसलमानों में बहावी विचार धारा के संगठन जमियत उलेमा-ए-हिन्द का राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 11 नवबर को अजमेर में राजस्थान सरकार के खादिम ट्यूरिज्म होटल में हुई। इस बैठक में बड़े मौलानाओं, धर्मगुरु, मुस्लिम विद्वानों आदि ने भाग लिया। जमियत का अजमेर में तीन दिवसीय कार्यक्रम हो रहाहै। 12 नवम्बर को दूसरे दिन दरगाह कमेटी की कायड़ विश्राम स्थली पर देशभर के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन होगा और 13 नवम्बर को अंतिम दिन आम जलसा है। इस जलसे में 50 हजार मुसलमानों के भाग लेने की उम्मीद है। 11 नवम्बर को हुई बैठक में मुस्लिम प्रतिनिधियों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि भारत में जब भी कोई आतंकवादी वारदात होती है तो एक सुनियोजित तरीके से मुसलमानों को आतंकवाद से जोड़ दिया जाता है। बैठक में यह कहा गया कि इस्लाम में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। सरकार को उन तत्वों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए जो आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को बदनाम करते हैं। बैठक में आम राय से कहा गया कि मुसलमानों के लिए आसमानी किताब मानी जाने वाली कुरान की शिक्षाओं में किसी भी प्रकार का दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केन्द्र सरकार ने तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रिम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है, वह भी उचित नहीं माना जा सका। तीन तलाक के मुद्दे पर आम मुसलमान औरतों को कोई एतराज नहीं है। हाल ही में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जो फार्म भरवाए उसमें मुस्लिम महिलाओं ने पूरी भागीदारी निभाई है। इस फार्म पर पर्दानशीन औरतों ने स्वैच्छा से हस्ताक्षर किए हैं। बैठक में आम राय से निर्णय लिया गया कि तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रिम कोर्ट में जो वाद चल रहा है, उसमें पक्षकार बनकर आम मुस्लिम औरतों की भावना से सुप्रिम कोर्ट को अवगत करवाए जाए। चंद मुस्लिम औरतों के विरोध करने से तीन तलाक की प्रथा पर रोक नहीं लगाई जा सकती। बैठक में केन्द्र सरकार को चेताया गया कि वह मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखल न दें। केन्द्रीय विधि आयोग ने कॉमन सिविल कोड के लिए जो राय शुमारी शुरू की है उसे भी रोका जाए।  बैठक में मुसलमानों के लिए भी आरक्षण व्यवस्था लागू करने पर आम राय रही। कहा गया कि मुस्लिम समुदाय में भी बेहद गरीब लोग हैं। ऐसे गरीब मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलना चाहिए। इसके साथ ही बैठक में कहा गया कि सरकार ने मुसलमानों के लिए जो योजना शुरू कर रखी है, उनका लाभ अधिक से अधिक उठाया जाए। 
ये रहे बैठक में मौजूद:
11 नवम्बर को बैठक में जमियत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना कारी सैय्यद मोहम्मद उस्मान मंसूरी पुरी, महासचिव मौलाना महमूद असअद मदनी, मौलाना नियाज अहमद फारुकी, मौलाना मुफ्ती मुहम्मद सलमान मंसूरपूरी, मौलाना हयातुल्लाह कासमी, मौलाना कारी शौकत अली, मौलाना नदीम सिद्दीकी, मौलाना हाफिज पीर शब्बीर, मौलाना सिद्दीकी उल्ला चौधरी, मुफ्ती इफतिखर अहमद, मौलाना मुहम्मद कासिम, मौलाना मतीनउलहक उसामा, मौलाना मूइजउद्दीन, मुफ्ती जावेद इकबाल, डॉ. इस्लाम, मौलाना सैय्यद सिराजुद्दीन नदवी मुइनी अजमेरी, मुफ्ती मौ. राशिद आजमी, मौलाना अली हसन, मौलाना महबूब, मौलाना अब्दुल कादिर, कारी मो.अमीन पोकरण, मौलाना मो.इल्यास, हाजी मो.हारुन, मुफ्ती अहमद देवला, डॉ. सइदुउद्दीन, मौलाना मो. आकिल, मुफ्ती मो. अफफान, मौलाना अब्दुल कादिर जम्मू, मौलाना रहमतुल्ला मीर, मौलाना मो.याहया आसाम आदि उपस्थित थे। 
(एस.पी.मित्तल) (11-11-16)
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#1949
अजमेर में मणिरत्नम और किशनगढ़ में स्वर्ण सागर ज्वैलर्स पर आयकर के छापे। 
विरोध में सर्राफा बाजार बंद। एक डॉलर सौ रुपए में बचने वालों भी होगी कार्यवाही।
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बंद हुए 500 रुपए 1000 रुपए के नोटों को एडजस्ट करने के लिए 10 ग्राम सोना 50 हजार रुपए तक बेचने की खबरों के बीच 11 नम्बर को अजमेर के पुरानी मंडी स्थित मणिरत्नम और मार्बल नगरी किशनगढ़ में स्वर्ण सागर ज्वैलर्स की दुकानों पर आयकर और बिक्री कर विभाग ने संयुक्त रूप से छापा मार कार्यवाही की है। इससे सर्राफा बाजार में हड़कंप मच गया। इस कार्यवाही के विरोध में सर्राफा व्यापारियों ने अपनी दुकानें भी बंद कर दी। व्यापारियों के प्रतिनिधियों का कहना है कि 500 और 1000 के नोट अचानक बंद होने से व्यापारी वर्ग पहले ही परेशान है और अब सरकार द्वेषतापूर्ण तरीके से छापामार कार्यवाही कर रही है। व्यापारियों के तर्क अपनी जगह हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि सर्राफा कारोबारियों ने 30 हजार रुपए वाला सोना 50 हजार रुपए तक में बेचा है। जिन लोगों के पास 500 और 1000 रुपए के नोट ब्लैक मनी के तौर पर भरे थे, उन्होंने ऊंची कीमत पर सोने की खरीद की है। आयकर और बिक्री कर विभाग अब यह जानना चाहता है कि सर्राफा व्यापारियों ने किस-किस व्यक्ति को पिछले दो दिनों में सोने की बिक्री की है। इससे ब्लैक मनी वालों पर भी कार्यवाही हो सकेगी। एक डॉलर सौ रुपए में बिका:
जिस प्रकार 10 ग्राम सोना 30 हजार की बजाए 50 हजार रुपए में बिका, उसी प्रकार करीब 65 रुपए मूल्य वाला अमरीकन डॉलर 100 रुपए तक में बिका है। अजमेर में बड़े पैमान पर विदेशी मुद्रा खासकर डॉलर और पाउंड के एक्सचेंज का काम होता है। आयकर विभाग की नजर उन व्यापारियों पर है, जो ऊंची कीमत में डॉलर और पाउंड बेच रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (11-11-16)
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Thursday 10 November 2016

#1947
देशव्यापी अफरा-तफरी के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जापान पहुंचे। मुलायम और मायावती सबसे ज्यादा बिलबिलाए।
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10 नवंबर को जब देश भर में बैंकों और डाकघरों में नए नोट प्राप्त करने के लिए अफरा-तफरा रही तब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जापान पहुंच गए। सब जानते हैं कि 500 और 1000 रुपए के नोट बंद हो जाने की वजह से आम व्यक्ति प्रभावित हुआ है। इसे नरेन्द्र मोदी का आत्मविश्वास ही कहा जाएगा कि इतना बड़ा फैसला लेने के बाद स्वयं देश से बाहर चले गए। इसका यह मतलब नहीं कि फैसले के बाद उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों से नरेन्द्र मोदी भागना चाहते हैं। असल में मोदी एक के बाद एक बड़ा काम करने को उत्सुक रहते हैं। मोदी को इस बात का आभास है कि 10 नवंबर का देश के हालात कैसे होंगे। चूंकि पुख्ता प्रबंधन था इसलिए कुछ घटनाओं को छोड़कर देश भर में हालात सामान्य रहे। यह बात सही है कि प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती मरीजों को लेकर परिजनों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा, लेकिन इसके लिए मोदी का प्रबंधन नहीं बल्कि प्राइवेट अस्पतालों का प्रबंधन दोषी है। अस्पतालों को अपने यहां भर्ती मरीज का इलाज तो करना ही चाहिए, जहां तक भुगतान का सवाल है। हर मरीज भुगतान तो करेगा ही। दस नवंबर को जिस तरह से बैंकों ने सकारात्मक भूमिका निभाई। उसे देखते हुए उम्मीद है एक सप्ताह में हालात सामान्य हो जाएंगे। ग्यारह नवंबर से एटीएम भी नोट उगलना शुरू कर देंगे। जहां तक बेइमानों का सवाल है तो अब उनकी खैरियत नहीं है। इसका अंदाजा 10 नवंबर को समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह और बसपा की चीफ मायावती के बयानों से लगाया जा सकता है। इन दोनों ही राजनेताओं ने नरेन्द्र मोदी से मांग की है कि नोट बंद करने के फैसले को वापस लिया जाए। माना जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अनेक राजनीतिक दलों ने बड़ी संख्या में नोटों का संग्रहण कर रखा है। 
(एस.पी.मित्तल) (10-11-16)
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Wednesday 9 November 2016

#1938
क्या डोनाल्ड ट्रंप पाकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद पर कोई अंकुश लगा पाएंगे? चुनाव प्रसार के दौरान तो किया था वायदा। 
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9 नवम्बर को रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रम्प अमरीका के 45वें राष्ट्रपति चुने गए हैं। अमरीका में चाहे डेमोक्रेट अथवा रिपब्लिकन पार्टी का राष्ट्रपति बने, लेकिन विदेश नीति में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता है। हर राजनीतिक दल का राष्ट्रपति अमरीका के हितों का ही ख्याल रखता है। पिछले दिनों चुनाव प्रसार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद खासकर मुस्लिम देशों में बढ़ रहे आतंकवाद पर सख्त रुख रखा। आतंकवाद को मुसलमानों से जोडऩे को लेकर ट्रंप की आलोचना भी हुई। तब यह माना गया कि यदि ट्रंप हारते हैं तो एक कारण उनका यह बयान भी होगा। अब चूंकि ट्रंप जीत गए हैं, इसलिए सवाल उठता है कि क्या पााकिस्तान में बढ़ते आतंकवाद पर अमरीका कोई अंकुश लगा पाएगा? यदि अपने वायदे के मुताबिक ट्रंप पाकिस्तान में आतंकियों के खिलाफ कार्यवाही करते हैं तो इसका सीधा फायदा भारत को होगा। आज पाकिस्तान के आतंकवाद की वजह से भारत ही सबसे ज्यादा परेशान हैं। हालांकि निवर्तमान राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में अमरीका की सेना ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन को मारा था, लेकिन इसके बाद भी अमरीका की नीतियां भारत के मुकाबले पाकिस्तान के समर्थन में थी। अमरीका पाकिस्तान को न केवल आर्थिक सहायता करता है, बल्कि बड़ी मात्रा में हथियार भी देता है। अब देखना है कि ट्रंप राष्ट्रपति बनकर पाकिस्तान को लेकर क्या रुख अपनाते हैं। जहां तक भारत के साथ संबंधों का सवाल है तो अमरीका के लिए भारत एक बड़ा बाजार है, इसलिए हर राष्ट्रपति भारत के साथ संबंध अच्छे ही रखेगा। 


(एस.पी.मित्तल) (09-11-16)
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नरेन्द्र मोदी के हथौड़े से सदमे में नेता और अफसर। आयकर विभाग अब ध्यान रखे इनके बैंक खातों पर।

#1939
नरेन्द्र मोदी के हथौड़े से सदमे में नेता और अफसर। 
आयकर विभाग अब ध्यान रखे इनके बैंक खातों पर।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 500 और 100 रुपए के नोट बंद कर जो हथौड़ा चलाया है, उससे नेता और अधिकारी सदमे में हैं। असल में बिना किसी दुकान और समान के ही नेता और अफसर माला माल होते रहे। ऐसे कई नेता और अफसर होंगे, जिनके घरों में 500 और 1000 रुपए के नोट अटैची में ही नहीं, लोहे के बड़े-बड़े बक्सों में भरे होंगे। जिन नेताओं और अफसरों ने एक से अधिक घर बसा रखे हैं, उन्होंने ने महिला मित्रों के घरों में भी बक्से रखे हुए हैं। इतना ही नहीं इस जमात के व्यक्तियों ने बैंक के लॉकरों में भी नोट ही भर रखे हैं। अब ऐसे नेता और अफसरों के सामने नोटों को बदलवाने की चुनौती होगी। जो व्यक्ति जोड़ तोड़ कर नोट बदलवाने में सफल हो गया, उसे बाद में इलैक्ट्रॉनिक चिप लगे नोट से परेशानी हो सकती है। चिप बता देगी कि नोट किस नेता और अफसर की जेब में रखा है। इसका सबसे बड़ा फायदा भ्रष्ट अफसरों को पकडऩे वाली एजेंसी सीबीआई, एसीबी आदि को होगा। जब रिश्वत के नोट में चिप लगी होगी तो फिर रंग लगाने अथवा और कोई सबूत जुटाने की आवश्यकता नहीं होगी। कई बार आम व्यक्ति को इस बात की पीड़ा होती थी कि भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नेताओं और अफसरों के खिलाफ प्रभावी कार्यवाही नहीं होती, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने हथौड़े के एक ही वार से नेताओं और अफसरों को लहूलुहान कर दिया है। अब आयकर विभाग को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नेता और अफसर अपने और रिश्तेदार के बैंक खातों में कितने नोट जमा करवाते हैं। 

(एस.पी.मित्तल) (09-11-16)
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Sunday 6 November 2016

तो फिर अरविंद केजरीवाल किस बात के मुख्यमंत्री हैं?

#1928
तो फिर अरविंद केजरीवाल किस बात के मुख्यमंत्री हैं?
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6 नवंबर को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने जेएनयू के छात्र नजीब के लापता होने के मामले में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात की। यह बात अलग है कि लापता छात्र को परिजनों की मदद से ढूंढने के लिए दिल्ली पुलिस ने ईनाम भी घोषित कर दिया है। सवाल यह है कि आखिर मुख्यमंत्री की हैसियत से केजरीवाल किन समस्याओं के समाधान को प्राथमिकता दे रहे हैं। पिछले एक सप्ताह से दिल्ली गैस चैम्बर बना हुआ है। हालात इतने खराब हैं कि लोगों को सांस लेने में भी भारी परेशानी हो रही है। अस्थमा के मरीजों का तो जीना दूभर हो गया है। दिल्ली की स्कूलें तीन दिनों के लिए बंद कर दी गई है। लोग अपने घरों से बाहर निकलने में भी हिचक रहे हैं। ऐसे में केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली में धुएं और धुंध की जिम्मेदारी पड़ौसी राज्य हरियाणा और पंजाब की है। दिल्ली में जब भी कोई समस्या सामने आती है तो केजरीवाल दूसरों को जिम्मेदार ठहरा देते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर केजरीवाल किस बात के मुख्यमंत्री है? धुंध और धुएं के लिए भले ही केजरीवाल पंजाब और हरियाणा को जिम्मेदार ठहराएं, लेकिन पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि इसके लिए दिल्ली की आतंरिक परिस्थितियां ही जिम्मेदार हैं। मुख्य रूप से तीन कारणों की वजह से वर्तमान हालात उत्पन्न हुए हैं 1- दिल्ली में हो रहे अंधाधुंध निर्माण, 2- वाहन प्रदूषण तथा 3- उद्योग। इसके साथ ही दीपावली के अवसर पर चलाए गए पटाखे भी जिम्मेदार हंै। ऐसे में केजरीवाल यह नहीं कह सकते कि दिल्ली सरकार की कोई जवाबदेही नहीं है। केजरीवाल को यह समझना चाहिए कि 70 में से 68 विधायक उन्हीं की पार्टी के जीते हंै। ऐसे में दिल्लीवासियों ने जो भरोसा केजरीवाल पर जताया, उस पर उन्हें खरा उतरना चाहिए। हर बात के लिए केन्द्र सरकार को और पड़ौसी राज्यों को दोषी ठहरा देने से केजरीवाल अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (06-11-16)
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#1929
9 माह में भी नहीं निकाल पाए सचिन पायलट अपने गृह जिले की कार्यकारिणी। क्या घर में ही बगावत की आशंका है?
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राहुल गांधी द्वारा नियुक्त राजस्थान में कांग्रेस के प्रभारी गुरुदास कामत प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बराबर का नेता बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जबकि हकीकत यह है कि पायलट अपने गृह जिले अजमेर में शहर और देहात जिले की कार्यकारिणी तक घोषित नहीं करवा पा रहे। पायलट ने गत 11 फरवरी को अजमेर देहात का अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ और शहर का विजय जैन को घोषित किया था। अब 9 माह बाद भी दोनों जिला संगठनों की कार्यकारिणी घोषित नहीं हो पाई है। ऐसे में सवाल उठता है क्या पायलट को अपने गृह जिले में काग्रेंस में बगावत की आशंका है? मालूम हो पायलट ने दो बार लगातार अजमेर से ही लोकसभा का चुनाव लड़ा। एक बार जीत और दूसरी बार हार का स्वाद चखा। जब कामत पायलट को गहलोत के बराबर का नेता बना रहे हैं तो फिर पायलट के गृह जिले में तो कांग्रेस संगठन मजबूत स्थिति में खड़ा होना चाहिए। यह माना कि कार्यकारिणी की घोषणा का मामला कांग्रेस का आंतरिक मामला है, लेकिन जब कोई जिला प्रदेश अध्यक्ष का गृह जिला हो तो राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हो जाता है। पायलट माने या नहीं, लेकिन अजमेर में जिला कार्यकारिणी 9 माह से लंबित होने की वजह से प्रदेश भर में नकारात्मक संदेश जा रहा है। जहां तक भूपेन्द्र सिंह राठौड़ और विजय जैन का सवाल है तो यह दोनों नाम मात्र के अध्यक्ष हैं। चूंकि नई कार्यकारिणी की घोषणा नहीं हुई है इसलिए मजबूरी में पुरानी कार्यकारिणी से ही काम चलाना पड़ रहा है। पुरानी कार्यकारिणी के कांग्रेसियों को भी पता है कि नई में उनका नंबर नहीं आएगा। इसलिए कोई सहयोग भी नहीं कर रहे हैं। दोनों अध्यक्षों ने अपनी कार्यकारिणी कई माह पहले ही पायलट को दे दी है। साथ ही कई बार विनम्र आग्रह भी कर दिया है, लेकिन इन दोनों कि पायलट के दरबार में कोई सुनवाई नहीं हो रही। चूंकि यह दोनों पायलट की ही मेहरबानी से अध्यक्ष बने हैं इसलिए कोई विरोध करने की स्थिति में नहीं है। पुरानी कार्यकारिणी में पूर्व विधायकों का दबदबा है, ऐसे में जब कांग्रेस की कोई बैठक होती है तो दोनों अध्यक्षों को कोई सम्मान प्राप्त नहीं होता। चूंकि गत लोकसभा चुनाव में अजमेर के कांग्रेस के नेताओं के हाल पायलट देख चुके हैं इसलिए नई कार्यकारिणी घोषित कर पायलट कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। अब देखना है कि पायलट अपने गृह जिले की कार्यकारिणी की घोषणा को कब तक टालते रहेंगे। प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद पायलट ने 39 जिला कमेटी में से 20 के अध्यक्ष बदले थे। सोलह अध्यक्षों ने कार्यकारिणी की घोषणा कर दी, लेकिन अजमेर देहात व शहर, जयपुर शहर तथा पाली की जिला कमेटी की घोषणा अभी तक भी नहीं हो पाई है। 
(एस.पी.मित्तल) (06-11-16)
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Friday 4 November 2016

#1923
सूफी वादियों का विरोध दरकिनार कर जमीयत के राष्ट्रीय अधिवेशन पर दरगाह कमेटी और प्रशासन में सहमति। देश के वर्तमान माहौल में अजमेर में अधिवेशन का होना खास मायने रखता है। 
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पाकिस्तान की सीमा पर बढ़ते तनाव, भोपाल में सिमी के 8 फरार कैदियों का एनकांउटर, तीन तलाक की प्रथा को रोकने के लिए केन्द्र सरकार का सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा, देश कॉमन सिविल कोड पर विधि आयोग की राय शुमारी आदि के बीच अजमेर में 11, 12 व 13 नवम्बर को जमीयत उलेमा ए हिन्द का राष्ट्रीय अधिवेशन हो रहा है। चूंकि अजमरे में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की विश्व विख्यात दरगाह है, इसलिए जमीयत का यह अधिवेशन खास मायने रखता है। इस अधिवेशन को लेकर दरगाह कमेटी और जिला प्रशासन में सहमति बन गई है। इस सहमति में सूफी वादियों के विरोध को दरकिनार कर दिया है। ऑल इंडिया उलेमा मशायख बोर्ड से जुड़े सूफी वादियों ने जिला प्रशासन और दरगाह कमेटी के समक्ष प्रदर्शन कर मांग की थी कि अजमेर में जमीयत के अधिवेशन की अनुमति न दी जाए। बोर्ड की ओर से कहा गया कि जमीयत वहाबी विचार धारा की है। जो ख्वाजा साहब के सूफीवाद से मेल नहीं खाते, लेकिन जमीयत के देशव्यापी दबाब को देखते हुए दरगाह कमेटी और प्रशासन ने अधिवेशन पर सहमति जता दी है। तीन और चार नवम्बर को जमीयत के प्रतिनिधियों के साथ लगातार हो रही बैठकों में अधिवेशन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया है। 
अजमेर में सिटी मजिस्टेट के पद पर काम कर चुके वरिष्ठ आरएएस हरफूल सिंह यादव को विशेष तौर  पर जमीयत के अधिवेशन के लिए नियुक्त किया गया है। अब अधिवेशन की अनुमति को लेकर कोई विवाद नहीं रहा है। एनसीसी के राष्ट्रीय कैम्प को आधार मानकर जिस प्रशासन ने पूर्व में अनुमति देने से इंकार कर दिया था,उसी प्रशासन ने अब एनसीसी के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि कैम्प को जमीयत के अधिवेशन के बाद शुरू किया जाए। यदि देशभर की छात्राएं तय कार्यक्रम के अनुरूप 7 नवम्बर को अजमेर आ जाएं तो छात्राओं को कायड़ विश्राम स्थली के बजाए किसी धर्मशाला में ठहरा दिया जाए। इसी प्रकार ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़ी कमेटी के नाजिम ले.कर्नल मंसूर अली खान ने सम्पूर्ण विश्राम स्थली को उपयोग की छूट जमीयत को दे दी है। 
वायदे पर संशय:
दरगाह कमेटी की विश्राम स्थली पर अधिवेशन करने के लिए जमीयत के प्रतिनिधियों ने भरोसा दिलाया है कि अधिवेशन में न तो सरकार के खिलाफ कोई प्रस्ताव पास किया जाएगा और न ही अधिवेशन में कोई विवाद की स्थिति उत्पन्न होगी। जानकारों की माने तो जमीयत के इस वायदे पर संशय हैं। जमीयत से जुड़े पदाधिकारी पहले ही तीन तलाक और कॉमन सिविल कोड पर सरकार की पहल को खारिज कर चुके हैं। जमीयत ने इसे मुसलमानों की धार्मिक परंपराओं में दखल माना है। स्वाभाविक है कि जब जमीयत की विचार धारा वाले हजारों लोग अधिवेशन में भाग लेंगे तो देश के वर्तमान हालातों और मुद्दों पर चर्चा तो होगी ही। ऐसे में जमीयत के स्थानीय प्रतिनिधियों के वायदे कितने मायने रखते हैं, इसका पता 12 व 13 नवम्बर को खुले अधिवेशन में ही चलेगा। जमीयत के प्रतिनिधियों ने स्वयं माना है कि अधिवेशन में करीब चालीस हजार लोग देशभर से आएंगे। 
बीकानेर में बड़ा प्रदर्शन
4 नवम्बर को राजस्थान के बीकानेर शहर में हजारो मुसलमानों ने कलेक्ट्रेट पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री के नाम कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि कॉमन सिविल कोड को लागू कर मुसलमानों के शरीयत कानून में दखल न दिया जाए, इस विरोध में बड़ी संख्या में बुरका धारी मुस्लिम महिलाएं भी शामिल थीं। जिन्होंने तीन तलाक की प्रथा पर रोक लगाने का कड़ा विरोध किया। यह विरोध भारतीय मुस्लिम कमेटी की ओर से आयोजित किया गया। 
(एस.पी.मित्तल) (04-11-16)
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#1922
संघ के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच से जुड़े गौ रक्षकों ने दरगाह जियारत की। दिल्ली अधिवेशन में लेंगे भाग।
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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की गौ रक्षा समिति से जुड़े सैकड़ों गौ रक्षकों ने 4 नवंबर को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत की। समिति के प्रदेश संयोजक मोहम्मद शफी चौहान और गुजरात प्रांत के अध्यक्ष मौलाना आजाद के नेतृत्व में गौ रक्षकों ने चादर का जुलूस निकाला और उत्साह के साथ पवित्र मजार पर चादर पेश की। सभी ने सूफी परंपरा के अनुरूप गौ रक्षा का संकल्प भी लिया। शफी ने बताया कि राजस्थान और गुजरात प्रांत के गौरक्षक दिल्ली में 6 नवंबर से होने वाले तीन दिवसीय कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 7 नवंबर 1965 को जब दिल्ली में जंतर-मंतर पर गौरक्षक प्रदर्शन कर रहे थे, तब पुलिस की गोली से अनेक गौरक्षकों की मौत हो गई। गौरक्षकों के बलिदान को याद करने के लिए ही दिल्ली में 6 से 8 नवंबर तक अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसमें राजस्थान के गौरक्षक भी बड़ी संख्या में भाग लेंगे। शफी ने कहा कि भारत में गौ हत्या पर रोक लगनी चाहिए। इसके लिए गौरक्षा समिति सरकार पर लगातार दबाव बना रही है। उन्होंने कहा कि अब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की ओर आम मुसलमान का रूझान बढ़ता जा रहा है। कुछ लोग अपने निहित स्वार्थों की वजह से संघ को मुस्लिम विरोधी बताते हैं, जबकि संघ की नीतियां समाज के सभी समुदायों को साथ लेकर चलने की है। शफी ने कहा कि राष्ट्रीय मुस्लिम मंच से जुड़ा जो भी व्यक्ति दिल्ली के कार्यक्रमों में भाग लेने का इच्छुक है, वह उनसे मोबाइल नंबर 9950912275 पर संपर्क कर सकता है। 
(एस.पी.मित्तल) (04-11-16)
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#1921
न्यूज चैनलों की बहस में पाकिस्तानियों के भाग लेने पर भी रोक लगे। 
9 नवम्बर को बंद रहेगा एनडीटीवी न्यूज चैनल। 
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पंजाब के पठान कोट एयर बेस पर आतंकी हमले के दौरान गैर जिम्मेदाराना फुटेज दिखाने पर केन्द्र सरकार ने एनडीटीवी इंडिया न्यूज चैनल को 9 नवम्बर को अपना प्रसारण बंद रखने के आदेश दिए हैं। एनडीटीवी पर एक दिन का प्रतिबंध लगाने का मामला बहस का विषय हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही केन्द्र सरकार को उन न्यूज चैनलों पर भी कार्यवाही करनी चाहिए, जो बहस के दौरान पाकिस्तान के पत्रकारों, पूर्व सैनिकों, राजनेताओं आदि को शामिल करते हैं। जो जागरुक दर्शक भारतीय चैनलों पर पाकिस्तानियों को सुनते हैं, उन्हें पता है कि पाकिस्तानी भारत के खिलाफ किस तरह से जहर उगलते हैं। सवाल उठता है कि हमारे चैनल पाकिस्तानियों को देश विरोधी बात कहने का मंच क्यों उपलब्ध करवाते हैं? जब केन्द्र सरकार गैर जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग के लिए एनडीटीवी का प्रसारण एक दिन के लिए बंद करवा सकती है तो फिर उन चैनलों के खिलाफ भी कार्यवाही होनी चाहिए जो पाकिस्तानियों को मंच उपलब्ध करवाते हैं। पाकिस्तानी हमारे ही चैनलों पर बैठ कर हमारे ही देश के खिलाफ बोलते हैं। गंभीर बात तो यह है कि पाकिस्तान के किसी भी न्यूज चैनल पर हमारे देश के लोगों को बहस में शामिल नहीं किया जाता। सवाल उठता है कि जब पाकिस्तानी चैनल हमारे लोगों को नहीं बुलाते तो फिर हमारे चैनल पाकिस्तानियों को क्यों शामिल करते हंै? सब जानते हैं कि पाकिस्तान के न्यूज चैनलों पर राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल जैसों को बार-बार दिखाया जाता है, क्योंकि ये दोनों नेता पाकिस्तान की आवाम के चहेते हैं। पूर्व सैनिक राम किशन की खुदकुशी के मामले में जिस तरह से इन दोनों नेताओं ने बयान बाजी की है, उससे पाकिस्तान को भारत सरकार को घेरने में मदद मिली है। ऐसा प्रदर्शित किया जा रहा है कि केन्द्र सरकार के रवैये से भारतीय सेना में नाखुशी है। पूर्व सैनिक राम किशन की खुदकुशी का मामला जांच का विषय है। लेकिन जिस तरह से देश में राजनीति हो रही है, उसे किसी भी स्थिति में देशहित में नहीं माना जा सकता। 
(एस.पी.मित्तल) (04-11-16)
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Thursday 3 November 2016

#1918
जमीयत के अधिवेशन के विरोध में दरगाह कमेटी पर प्रदर्शन
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जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अजमेर में प्रस्तावित राष्ट्रीय अधिवेशन के विरोध में 3 नवम्बर को ऑल इंडिया उलेमा मशायख बोर्ड से जुड़े मुसलमानों ने अजमेर में दरगाह कमेटी के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बाद बोर्ड के प्रतिनिधियों ने कमेटी के सदर शेख अलीम और नाजिम ले.कर्नल मंसूर अली खान से मुलाकात की। प्रतिनिधियों ने कहा कि जमीयत की विचारधारा वहाबी है जो खानकाहों एवं दरगाहों से मेल नहीं खाती हैं। जबकि अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह में गैर मुसलमान भी जियारत के लिए आते हैं। जमीयत जिस कायड़ विश्रामस्थली पर 11,12 व 13 नवम्बर को अपना राष्ट्रीय अधिवेशन करना चाहती है, वह विश्रामस्थली ख्वाजा साहब की दरगाह कमेटी के अधीन आती है। ऐसे में दरगाह कमेटी की यह जिम्मेदारी है कि वह कायड़ विश्रामस्थली पर जमीयत का  अधिवेशन नहीं होने दे। यदि जमीयत का अधिवेशन दरगाह कमेटी की विश्राम स्थली पर होता है तो बोर्ड के कार्यकर्ता कड़ा विरोध जताएंगे।
कमेटी के सदर और नाजिम ने प्रतिनिधि मंडल को भरोसा दिलाया कि कमेटी किसी भी स्थिति में अधिवेशन की मंजूरी नहीं देगी। इसके साथ ही कमेटी जिला प्रशासन को पत्र लिख रही है जिसमें विश्राम स्थली पर रखी जा रही अधिवेशन की सामग्री को हटाने का आग्रह किया गया है। सदर और नाजिम ने कहा कि कायड़ विश्रामस्थली पर एनसीसी का राष्ट्रीय स्तर का कैम्प भी लग रहा है। दरगाह कमेटी की पहली प्राथमिकता इस कैम्प के लिए स्थान उपलब्ध करवाना है।
(एस.पी.मित्तल) (03-11-16)
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#1917
फिर रिक्त हो गया एडीए आयुक्त का पद
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3 नवम्बर को राज्य सरकार ने आईएएस की जो तबादला सूची जारी की है, उसमें अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त का पद एकबार फिर रिक्त घोषित हो गया है। सरकार ने एडीए आयुक्त श्रीमती विनीता श्रीवास्तव के रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्त किया है। विनीता श्रीवास्तव एडीए से कितनीे दुखी थीं, इसका अंदाजा इसी से लगता है कि तबादला सूची आते ही आयुक्त का पद त्याग कर राजस्व मंडल में रजिस्ट्रार का पद संभाल लिया। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि शिव शंकर हेड़ा के एडीए अध्यक्ष का पद संभालने के बाद दस माह में चार आयुक्तों का तबादला हो गया। जनवरी 2016 में जब हेड़ा ने अध्यक्ष का पद संभाला तब श्रीमती स्नेहलता पंवार आयुक्त थी। इसके बाद भंवर सिंह मेहरा, गिरिराज सिंह कुशवाह और विनीता श्रीवास्तव थोड़े-थोड़े समय के लिए आयुक्त बनी,लेकिन इस पद पर काम नहीं कर सके। 
(एस.पी.मित्तल) (03-11-16)
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अखिलेश की रथ यात्रा को मुलायम ने दु:खी मन से रवाना किया। खूब अपमानित हुए शिवपाल।

#1916
अखिलेश की रथ यात्रा को मुलायम ने दु:खी मन से रवाना किया। खूब अपमानित हुए शिवपाल। 
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3 नवंबर को यूपी के सीएम अखिलेश यादव की चुनावी रथ यात्रा को मुलायम सिंह यादव ने दु:खी मन से रवाना किया। लखनऊ में हुए समारोह में मुलायम ने कहा कि मैंने कहा था कि विकास नहीं बल्कि विजय यात्रा निकाली जाए, लेकिन अखिलेश ने मेरी बात नहीं मानी और विकास यात्रा ही शुरू की है। भले ही अखिलेश मेरी बात न मानते हो, लेकिन फिर भी इस रथ यात्रा की सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं। मुलायम के संबोधन के दौरान अखिलेश यादव जिंदाबाद के नारे लगाने वालों को लताड़ते हुए मुलायम ने कहा कि आज आप लोग सत्ता में हो इसलिए चिल्ला रहे हो। मैंने पुलिस की लाठियां खाकर समाजवादी पार्टी को इस मुकाम तक पहुंचाया है। नारे लगाने वाले पुलिस की एक लाठी भी नहीं खा सकते। मुलायम ने जिस अंदाज में भाषण दिया, उससे साफ जाहिर था कि उनका मन बेहद दु:खी है, न चाहते हुए भी मुलायम अखिलेश के समारोह में शामिल हुए। इसे मुलायम की मजबूरी ही कहा जाएगा कि वह अपने साथ सपा अध्यक्ष और अपने छोटे भाई शिवपाल को लाए। शिवपाल ने अपने भाषण में कई बार अखिलेश का नाम लेकर सम्मान प्रकट किया, लेकिन अखिलेश ने अपने संबोधन में शिवपाल का नाम नहीं लिया। यानि शिवपाल को अपमानित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी गई। समझ में नहीं आता कि इस समय यूपी में समाजवादी पार्टी और मुलायम का कुनबा किस चौराहे पर खड़ा है। सीएम अखिलेश यादव अपने पिता मुलायम और चाचा शिवपाल के खिलाफ खुले आम नफरत जाहिर कर चुके हैं तो मुलायम व शिवपाल अलग से चुनावी रणनीति बना रहे हैं। सवाल उठता है कि जब यादव बंधु यूपी में महा गठबंधन बनाने जा रहे हैं तो फिर अखिलेश यादव किस हैसियत से विकास रथ यात्रा निकाल रहे हैं। अखिलेश को यह मुगालता ही होगा कि यूपी के मतदाता उनकी सरकार के कामकाज को देखते हुए वोट दे देंगे। माना कि अखिलेश में विकास करने का जज्बा है, लेकिन अखिलेश को यह भी समझना चाहिए कि यूपी में जातीय समीकरण जबरदस्त है। मुस्लिम राजनीति तो अपनी जगह है, लेकिन अगड़े, पिछड़े और यादवों का जातीय समीकरण बहुत गहरा है। अखिलेश यादव चाहे कितनी भी रथ यात्राएं निकाल ले, लेकिन यूपी के जातीय समीकरण को नहीं बदल सकते। वर्ष 2012 के चुनाव में भी समाजवादी पार्टी को इसलिए सफलता मिली कि मुलायम और शिवपाल ने जातीय समीकरण बैठा लिया था। मुलायम ने अपनी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को पीछे ढ़केलते हुए अपने पुत्र अखिलेश को सीएम बनवाया, लेकिन आज मुलायम सिंह ही सबसे ज्यादा दु:खी और परेशान है। तीन नवंबर को भी मजबूरी में यादव भाइयों को अखिलेश के समारोह में उपस्थिति देनी पड़ी। सबसे बुरी दशा शिवपाल की हो रही है। विगत दिनों ही शिवपाल सहित 4 मंत्रियों को अखिलेश ने बर्खास्त कर दिया। इस बर्खास्तगी के बाद भी शिवपाल को 3 नवंबर को अखिलेश के समारोह में जाना पड़ा। अब देखना है कि शिवपाल कब तब अपमानित होते रहेंगे। 
(एस.पी.मित्तल) (03-11-16)
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Tuesday 1 November 2016

#1911
आतंकियों के हिमायती कश्मीर के हालातों से सबक क्यों नहीं लेते? भोपाल की घटना पर क्यों उठाए जा रहे हैं सवाल?
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1 नवंबर को एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल की सेंट्रल जेल के उस हैड कांस्टेबल रमाशंकर चादव के परिजनों से मुलाकात की, जिसे 31 अक्टूबर को जेल के अंदर ही मौत के घाट उतार दिया था। आतंकी वारदातों में लिप्त सिमी के 8 कैदी जेल तोड़ कर भाग निकले थे। भोपाल पुलिस ने अचारपुरा के जंगलों में मुठभेड़ के दौरान आठों आतंकियों को मार गिराया। कांग्रेस, लेफ्ट, आप, राजद आदि राजनीतिक दलों के नेता अब आतंकियों की मुठभेड़ पर सवाल उठा रहे हैं। सीएम चौहान ने हैड कांस्टेबल के परिजनों से मिलने के बाद कहा कि देश की राजनीति इतनी घटिया हो गई है कि देश के लिए जान गंवाने वालों की चिंता नहीं होती, बल्कि देश को नुकसान पहुंचाने वालों की हिमायत की जाती है। यादव की बेटी का विवाह इसी माह होने वाला है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस बेटी के दिल पर क्या बीत रही होगी। जो लोग दो-दो बार जेल प्रहरियों की हत्या कर, जेल तोड़ कर भाग रहे हैं, उनके एनकाउंटर पर सवाल उठाए जा रहे हैं। यदि ऐसे आतंकी एमपी या देश के अन्य किसी हिस्से में वारदात कर देते तो कौन जिम्मेदार होता?
कश्मीर के हालात
जो लोग आतंकियों की हिमायत कर रहे हैं, उन्हें कश्मीर के हालातों से सबक लेना चाहिए। सही है कि कश्मीर के अधिकांश मुसलमान शांति चाहते हैं। कश्मीर के युवा रोजगार की तलाश में इधर-उधर भटक रहा है, लेकिन अलगाववादियों और आतंकियों की डर की वजह से परेशान मुसलमान खामोश है। आज 3 महीने से ज्यादा का समय हो गया, कश्मीर में हालात बद से बदतर हंै। आतंकियों और अलगाववादियों की हिमायत करने का नतीजा ही रहा कि पहले कश्मीर से हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगा दिया गया, उसके बाद केन्द्र सरकार के शिक्षण संस्थानों में पढऩे वाले गैर मुसलमान विद्यार्थियों को स्कूल-कॉलेज छोडऩे के लिए मजबूर किया गया। इतना ही नहीं अब तो कश्मीर में सरकारी स्कूलों को जलाया जा रहा हैं। कश्मीर के बच्चे खासकर लड़कियां स्कूलों की सुरक्षा के लिए गुहार लगा रही है, जो लोग आतंकियों के हिमायती बने हुए हैं, उन्हें यह बताना चाहिए कि कश्मीर के हालातों का कौन जिम्मेदार है?। ऐसा न हो जिस तरह आतंकियों और अलगाववादियों ने कश्मीर के हालात बनाए है, वैसे हालात देशभर में न हो जाए। बार-बार यह दावा किया जाता है कि आतंकियों को कोई धर्म नहीं होता। सवाल उठता है कि फिर कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह भोपाल की घटना को धर्म विशेष से क्यों जोड़ रहे हैं? दिग्विजय सिंह, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, अरविंद केजरीवाल, वृंदा करात, ममता बनर्जी, असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं को ये समझना चाहिए कि अब इस देश में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के सूफीवाद से ही अमन चैन कायम हो सकता है। यदि कट्टरपंथियों को शह दी जाती रही तो फिर देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ जाएगी। 
(एस.पी.मित्तल) (01-11-16)
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संथाना लेने के बाद मात्र ढाई घंटे में हो गया निर्वाण। अजमेर के 50 वर्षीय कमल चौधरी की उत्साह के साथ निकाली बैकुंठी।

#1910
संथाना लेने के बाद मात्र ढाई घंटे में हो गया निर्वाण। अजमेर के 50 वर्षीय कमल चौधरी की उत्साह के साथ निकाली बैकुंठी। 
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1 नवंबर को अजमेर के पुष्कर रोड स्थित अरिहंत कॉलोनी में रहने वाले 50 वर्षीय कमल चौधरी की बैकुंठी उत्साह के साथ निकाल कर अंतिम संस्कार किया गया। जैन समाज में संथारा का धार्मिक और सामाजिक महत्व है। चौधरी पिछले 10 वर्षों से ट्यूमर से पीडि़त थे। सभी अस्पतालों में इलाज करवाने के बाद भी चौधरी जब स्वस्थ नहीं हुए तो उन्होंने साध्वी निशा से संथारा दिलवाने का आग्रह किया। 31 अक्टूबर को जब चौधरी ने संथारा ग्रहण किया तो मात्र ढाई घंटे बाद ही निर्वाण हो गया। साध्वी निशा का कहना है कि ऐसा बहुत कम होता है कि जब संथारा लेने के बाद 2-4 घंटे में ही निर्वाण हो जाए। कमल चौधरी धार्मिक प्रवृत्ति के इंसान थे, इसलिए उनका मोक्ष जल्द हुआ। चूंकि चौधरी का निधन संथारा से हुआ, इसलिए परिजनों ने मृत्यु का उत्सव मनाया। परिजनों ने पालकी में बैठा कर चौधरी की बैकुंठी निकाली। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग उपस्थित रहे। 

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ब्लॉग का अब एप भी बना। पाठकों के लिए आसान होगा ब्लाग पढऩा।

#1909
ब्लॉग का अब एप भी बना। पाठकों के लिए आसान होगा ब्लाग पढऩा।
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सोशल मीडिया पर देश भर के पाठकों को मेरे ब्लॉग आसानी से उपलब्ध हों, इसके लिए अब मेरे ब्लॉग का एप भी बन गया है। इस एप को श्री तपस्या वेबहास्टिंग के एमडी सुमित कलसी ने नई तकनीक से बनाया है। कलसी ने बताया कि एनड्रायड फोन के उपभोक्ता गुगल प्ले स्टोर से एप को नि:शुल्क डाउनलोड कर सकते हैं। चूंकि एप को नई तकनीक से बनाया गया है, इसलिए पाठक किसी भी प्लेटफार्म पर शेयर कर सकते हैं। एप को डाउनलोड करने के लिए SP MITTAL लिखना होगा। एप के जरिए पुराने ब्लॉग भी आसानी के साथ देखे जा सकते हैं। मुझे अक्सर यह शिकायत मिलती है कि वाट्सएप तकनीक से ब्लॉग नहीं मिल रहे हैं। यह सही है कि इस समय देश भर के वाट्सएप ग्रुप के एडमिनों ने मुझे जोड़ रखा है। 4-4 मोबाइल फोन के बाद भी मैं मेरे चाहने वाले पाठकों तक अपने ब्लॉग नहीं पहुंचा पा रहा हूं। इस समय अजमेर, राजस्थान और देश भर के डेढ़ हजार से भी ज्यादा वाट्सएप ग्रुप में, मैं ब्लॉग पोस्ट कर रहा हूं। हालांकि मेरे लिए यह कठिन कार्य है। इसीलिए मैं संचार क्रांति की तकनीक का अधिकतम उपयोग भी कर रहा हूं। वाट्सएप ग्रुप के साथ-साथ वेबसाइट, फेसबुक पेज, ब्लॉग पर भी खबरें पोस्ट कर रहा हूं और अब ब्लॉग का एप भी बना लिया है। मैं उम्मीद करता हूं कि एनड्रायड फोन के पाठक मेरे एप को डाउनलोड जरूर करेंगे। इसमें मेरे ब्लॉग पाठकों को जल्दी भी मिल सकेंगे। वाट्सएप के जरिए ब्लॉग न केवल विलंब से मिलते हंै बल्कि कई बार नेट की गड़बड़ी की वजह से ब्लॉग कम संख्या में मिलते हैं। एप पर सभी ब्लॉग फोटो सहित उपलब्ध होंगे। इस संबंध मं यदि और कोई जानकारी करनी हो तो सुमित कलसी से मोबाइल नंबर 9784710100 पर की जा सकती है। 

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