Tuesday 31 January 2017

#2206
उपभोक्ता मंच ने अजमेर के होटल मेरवाड़ा एस्टेट (भागचंद की कोठी) के प्रबंधन की निंदा की। पीडि़त को मुआवजा भी दिलवाया। 
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अजमेर के आनासागर के निकट बने होटल मेरवाड़ा एस्टेट (भागचंद की कोठी) के प्रबंधन की उपभोक्ता मंच ने कड़ी निंदा की है। मंच के अध्यक्ष न्यायाधीश विनय कुमार गोस्वामी, सदस्य ज्योति डोसी तथा नवीन कुमार ने अपने आदेश में कहा है कि कोई भी व्यक्ति सामाजिक परिस्थितियों को देखते हुए समारोह स्थल, होटल आदि बुक करवाता है और यदि संबंधित प्रबंधन वायदे के मुताबिक स्थान उपलब्ध नहीं करवाता है तो यह बेहद निन्दनीय है। मंच ने वैशाली नगर निवासी जयकिशन अडवानी के वाद को स्वीकार करते हुए होटल मेरवाड़ा एस्टेट के प्रबंधन को आदेश दिए हैं कि दो माह की अवधि में 50 हजार रुपए की क्षतिपूर्ति, 10 हजार रुपए अग्रिम बुकिंग राशि व 5 हजार रुपए परिवाद व्यय का भुगतान करें। अडवानी ने अपने वकील सूर्य प्रकाश गांधी के माध्यम से वाद दायर कर आरोप लगाया था कि उसने 22 अगस्त, 2014 के लिए मेरवाड़ा एस्टेट के शीश महल को बुक करवाया और अग्रिम राशि के तौर पर 10 हजार रुपए जमा भी करवा दिए। लेकिन उनके पारिवारिक आयोजन से मात्र तीन दिन पहले होटल प्रबंधन ने शीशमहल स्थल देने से इंकार कर दिया। प्रबंधन की ओर से कहा गया कि हमने 22 अगस्त को गोवा वाइंस के लिए शीश महल बुक कर लिया है इसलिए आपको उपलब्ध नहीं करवाया जा सकता। प्रबंधन ने होटल के पूल साइड वाले स्थान पर समारोह करने को कहा। प्रबंधन का यह कृत्य पूरी तरह वादा खिलाफी है। वाद में कहा गया कि अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा को बचाए रखने के लिए समारोह को होटल मानसिंह में किया गया। 
आम शिकायत 
होटल मेरवाड़ा एस्टेट में बुकिंग स्थान को लेकर उपभोक्ताओं की आम शिकायत रहती है। बुकिंग के समय प्रबंधन जो स्थान बताता है उसे समारोह के दिन उपलब्ध नहीं करवाया जाता। चूंकि पैकेज प्रणाली से सुविधाएं दी जाती है। इसलिए उपभोक्ता को मजबूरी में अधिक राशि का भुगतान करना पड़ता है। बुकिंग करते समय जो सेवा देने का वायदा किया जाता है, वह भी नहीं किया जाता। यही वजह है कि आए दिन होटल प्रबंधन तथा उपभोक्ताओं के बीच विवाद होता है। चूंकि इस होटल परिसर में पार्किंग की समुचित व्यवस्था नहीं है। अत: होटल के नीचे आम रास्ते पर वाहन खड़े किए जाते हैं। चूंकि होटल प्रबंधन की सरकारी अमले से मिलीभगत है इसलिए कोई कार्यवाही नहीं होती। 
एस.पी.मित्तल) (31-01-17)
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#2205
आखिर मुसलमानों के प्रति क्यों सख्त हैं अमरीका और चीन? 
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अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा सात मुस्लिम देश के नागरिकों को वीजा नहीं दिए जाने का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि अब चीन से भी मुसलमानों के प्रति सख्त रवैया अपनाने की खबर आ गई है। आर्थिक मुद्दों को लेकर भले ही अमरीका और चीन आमने-सामने हों, लेकिन मुसलमानों के प्रति सख्त रवैया अपनाने में दोनों की नीति एक समान है। चीन ने हाल ही में जो दिशा-निर्देंश जारी किए हैं, उससे तो प्रतीत होता है कि अमरीका के मुकाबले में चीन ज्यादा सख्त है। चाइनीज मुस्लिम के दसवें राष्ट्रीय सम्मेलन में चीन के धार्मिक मामलों के प्रमुख ने कहा कि सरकार मुसलमानों की आस्था में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करना चाहती, लेकिन राजनीति, विधि और शिक्षा के मामले में किसी मुसलमान को हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि मस्जिदें अरबी वास्तुकला के अनुसार नहीं बल्कि चीनी वास्तुकला के अनुसार बनाई जानी चाहिए। सरकार ने चीनी मुसलमानों को यह भी निर्देंश दिया है कि वह अपने पासपोर्ट पुलिस थानों में जमा करवाएं ताकि वो विदेश न जा सकें। चीन के सभी पुलिस थानों को मुसलमानों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने को निर्देंश दिया गया है। चीन सरकार ने यह भी निर्देंश दिया है कि मुसलमानों को पासपोर्ट जारी न किए जाएं क्योंकि इससे इस्लामी उग्रवाद में वृद्धि होने की संभावना है। चीनी सूत्रों के अनुसार काफी चीनी मुसलमान आई.एस. के साथ मिलकर जिहाद में हिस्सा ले रहे हैं। इसलिए चीनी सरकार का यह प्रयास है कि मुसलमान विदेशों में न जाएं। चीन सरकार ने सभी सीमा रक्षकों को यह निर्देंश दिया है कि वह विदेशों से आने वाले चीनी मुसलमानों को देश में घुसने की अनुमति न दें क्योंकि वह देश में इस्लामी उग्रवाद की ज्वाला को भड़का सकते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (31-01-17)
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#2204
श्रीजी की प्रतिमा का हुआ अभिषेक, एक फरवरी को श्यामशरण बनेंगे निम्बार्क पीठ के आचार्य। सलेमाबाद का नाम श्रीजी नगर हो। 
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31 जनवरी को अजमेर जिले के सलेमाबाद स्थित अखिल भारतीय निम्बार्क पीठ के दिवंगत आचार्य श्रीजी महाराज की प्रतिमा का अभिषेक श्रद्धा और उमंग के साथ हुआ। एक फरवरी को युवाचार्य श्यामशरण निम्बार्क पीठ के 44वें आचार्य का पद संभालेंगे। इस अवसर पर देश की विभिन्न पीठों के शंकराचार्य, धर्मगुरुओं के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सर संघ चालक मोहन भागवत, योग गुरु बाबा रामदेव, राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे आदि उपस्थित रहेंगे। निम्बार्क पीठ  के प्रति देश के करोड़ों लोगों में आस्था है। इसलिए यह माना जा रहा है कि एक फरवरी को जब आचार्य का पदाभिषेक होगा तो कोई एक लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु उपस्थित रहेंगे। क्षेत्र के एसडीएम अशोक कुमार और ग्रामीण क्षेत्र के एएसपी भोलाराम ने बताया कि श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। अति-विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा को लेकर भी सतर्कता बरती जा रही है। प्रशासन का प्रयास है कि किसी भी श्रद्धालु को कोई परेशानी न हो। इसलिए समारोह के आयोजकों के साथ मिलकर इंतजाम किए गए हैं। 
श्रीजी नगर 
युवाचार्य श्यामशरण के आचार्य पद संभालने पर सलेमाबाद में तीन दिवसीय उत्सव हो रहा है। एक फरवरी को पदाभिषेक के साथ जब उत्सव का समापन समारोह होगा तो राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के समक्ष सलेमाबाद का नाम श्रीजी नगर करने का प्रस्ताव रखा जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि सलेमाबाद की पहचान देश-दुनियां में निम्बार्क पीठ की वजह से ही है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और अजमेर से राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव ने सलेमाबाद को ही गोद ले रखा है। इसके पीछे भी सलेमाबाद में निम्बार्क पीठ होना है। दिवंगत आचार्य राधे सर्वेश्वर श्रीजी महाराज ने अपने जीवनकाल में निम्बार्क पीठ का धार्मिक महत्व देशभर में बढ़ाया। आचार्य की धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति का लाभ करोड़ों लोगों को मिला। ऐसे में सलेमाबाद का नाम श्रीजी नगर रखकर सरकार श्रीजी महाराज के प्रति सम्मान प्रकट कर सकती है। लाखों श्रद्धालुओं की भावना है कि सीएम वसुंधरा राजे एक फरवरी को ही श्रीजी नगर की घोषणा कर दे। 
(एस.पी.मित्तल) (31-01-17)
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#2203
नागौर का थांवला थाना हुआ पारदर्शी। सीसीटीवी कैमरों के कारण गाली-गलौच भी नहीं कर सकेंगे पुलिसकर्मी। 
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राजस्थान के नागौर जिले का थांवला पुलिस स्टेशन अब पूरी तरह पारदर्शी हो गया है। आम तौर पर यह शिकायत रहती है कि थाने में पुलिसकर्मी अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं। पीडि़त जब शिकायत दर्ज करवाने जाता है तो उससे रिश्वत मांगी जाती है। कई बार पुलिस अपराधियों के साथ बुरी तरह मारपीट भी करती है। इन्हीं कारणों से समाज में पुलिसकर्मियों व थानों की छवि बेहद खराब है। इन शिकायतों के मद्देनजर ही नागौर के एसपी परिस देशमुख अनिल की पहल पर थानाधिकारी महावीर सिंह ने थांवला पुलिस स्टेशन पर जनसहयोग से सात सीसीटीवी कैमरे और माइक्रोफोन लगवा दिए हैं। यह कैमरे और माइक्रोफोन थानाधिकारी के कक्ष से लेकर प्रवेश द्वार तक लगे हैं। थानाधिकारी महावीर सिंह का कहना है कि थाना परिसर का ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां कैमरे की नजर नहीं है। थाने के मुंशी के कमरे में भी जो आपसी संवाद होगा, उसकी भी रिकार्डिंग अपने आप हो जाएगी यानि अब थांवला पुलिस थाना पूरी तरह पारदर्शी हो गया है। महावीर सिंह ने कहा कि एसपी ने सीसीटीवी कैमरे लगाने की जो पहल की है, उस पर थाने के किसी भी कर्मचारी को एतराज नहीं है क्योंकि थांवला के स्टेशन पर पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम होता है। थाने पर जो फरियादी आता है उसकी भी नियमों के अनुरूप मदद की जाती है। उन्होंने कहा कि कोई भी नागरिक आकर थांवला थाने के कामकाज की जांच पड़ताल कर सकता है। नागौर के एसपी का कहना है कि अब जिले भर के पुलिस स्टेशनों पर थांवला जैसी व्यवस्था होगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि थानाधिकारी महावीर सिंह सिपाही से पदोन्नत होते हुए थानाधिकारी के पद पर पहुंचे हैं। सिंह ने लंबे समय तक अजमेर के कोतवाली पुलिस स्टेशन पर ड्यूटी दी है। सिंह को उनके उल्लेखनीय कार्य पर मोबाईल नंबर 9413412345 तथा 7023512345 पर बधाई दी जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (31-01-17)
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#2202
पुष्कर घाटी में चलते ट्रेलर में आग लगने से अजमेर ट्रैफिक पुलिस के भ्रष्टाचार की पोल खुली। कलेक्टर के आदेश की भी धज्जियां उड़ाती है पुलिस।
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31 जनवरी को प्रात: 10 बजे सीमेन्ट से लदा एक ट्रेलर अजमेर शहर से होता हुआ जब पुष्कर घाटी से गुजर रहा था कि तभी संतुलन बिगड़ गया और टे्रलर पहाड़ी से टकरा गया। पहाड़ी से भिड़ते ही ट्रेलर की पेट्रोल की टंकी में आग लग गई और देखते ही देखते पूरा ट्रेलर राख हो गया। इस हादसे से एक तो बार पूरी घाटी में दहशत का माहौल हो गया। घाटी के दोनों ओर वाहनों की लम्बी कतार लग गई। रोजाना अजमेर पुष्कर के बीच आवागमन करने वालों को भी भारी परेशानी हुई। ट्रेलर की आग शांत होने के बाद ही घाटी का यातायात शुरू हो सका। हालांकि इस हादसे में कोई जनहानि नहीं हुई क्योंकि टेलर के टकराते ही चालक और खलासी भी बाहर निकल आए थे। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर सीमेन्ट के कट्टों से भरा ट्रेलर घाटी तक कैसे पहुंचा? विगत दिनों ही अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने एक आदेश जारी कर घाटी से भारी वाहनों के गुजरने पर प्रतिबंध लगा दिया था। तब प्रशाासन की ओर से यह कहा गया कि भारी वाहनों के गुजरने से पुष्कर घाटी में दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। चूंकि अजमेर से पुष्कर अथवा आगे नागौर, बीकानेर जाने के लिए बाईपास मार्ग बना हुआ है, इसलिए भारी वाहन बाईपास मार्ग का ही उपयोग करे। भारी वाहन पुष्कर घाटी से न गुजरे, इसकी जिम्मेदारी अजमेर ट्रैफिक पुलिस की है। सब जानते हैं कि पुष्कर घाटी से पहले रीजनल कॉलेज तिराहे पर ट्रैफिक पुलिस की चैक पोस्ट भी है। स्वाभाविक है कि 31 जनवरी को जब सीमेन्ट से भरा ट्रेलर रीजनल कॉलेज तिराहे से गुजरा होगा तो ट्रैफिक पुलिस ने भी देखा होगा। सब जानते हैं कि जब महात्मा गांधी की फोटो वाले नोट नजर आते हैं तो सरकारी कारिन्दों की आंखों की रोशनी बंद हो जाती है। यही वजह रही है कि जब ट्रेलर रीजनल कॉलेज के तिराहे से घाटी की ओर बढ़ा तो कलेक्टर गोयल का प्रतिबंध का आदेश भी धरा रह गया। एसपी डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन माने या नहीं लेकिन गांधी छाप नोटों की वजह से अजमेर ट्रैफिक पुलिस का बहुत बुरा हाल है। सवाल घाटी से भारी वाहनों के आवागमन का ही नहीं है बल्कि शहर में चलने वाले टेम्पो, सिटी बस, वीडियो कोच आदि वाहनों का भी है। धड़ल्ले से मासिक वसूली होती है। ट्रैफिक पुलिस के हालात सुधारने की जिम्मेदारी अजमेर शहर के दोनों विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल की भी है। लेकिन न जाने क्यों यह दोनों राजनेता चुप्पी साधे हुए हैं। पिछले ढ़ाई वर्षों से जिन अधिकारियों के हाथों में ट्रैफिक पुलिस की कमान है, उसमें अब आमूल-चूल परिवर्तन की जरूरत है, नहीं तो पुष्कर घाटी जैसे हादसे होते रहेंगे। एसपी ब्लग्गन को ट्रैफिक पुलिस के बड़े अधिकारियों से यह पूछना चाहिए कि घाटी से भारी वाहनों का आवागमन कैसे हो रहा है? 
(एस.पी.मित्तल) (31-01-17)
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Sunday 29 January 2017

#2195
थप्पड़ खाने के बाद भंसाली ने कहा फिल्म में नहीं हैं अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के प्रेम संबंध के सीन।
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29 जनवरी को मुम्बई में फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली ने स्पष्ट किया है कि उनकी फिल्म में तुर्क शासक अलाउद्दीन खिलजी और चित्तौड़ की रानी पद्मावती के प्रेम संबंध वाले सीन नहीं है। भंसाली ने यह सफाई तब दी है जब 27 जनवरी को जयपुर के जयगढ़ किले में शूटिंग के दौरान उन्हें थप्पड़ खाने पड़े थे। सवाल उठता है कि भंसाली ने यह बात पहले क्यों नहीं कहीं? राजस्थान में करणी सेना के प्रमुख लोकेन्द्र सिंह कालवी ने 28 जनवरी को ही पत्रकारों को बताया था कि फिल्म में प्रेम संबंध के दृश्य नहीं है। इस बारे में भंसाली से कई बार जानकारी ली गई। यहां तक कि करणी सेना का एक शिष्ट मंडल भंसाली से मिलने के लिए मुम्बई गया। लिखित में भी नोटिस भेजे गए। फिल्म की कहानी को लेकर हाईकोर्ट में भी एक वाद दायर किया गया है, लेकिन भंसाली ने किसी भी स्तर पर यह नहीं कहा कि उनकी फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और रानी पदमावती के प्रेम संबंधों के सीन नहीं है। भंसाली की ओर से लगातार यही प्रसारित किया गया कि फिल्म दोनों के प्रेम संबंधों को लेकर बनाई जा रही है। यह बात भी सामने आई है कि भंसाली फ्लैश बैक में प्रेम दृश्य फिल्माने के लिए ही जयपुर के जयगढ़ किले में शूटिंग कर रहे हैं। चूंकि भंसाली की ओर से कोई सफाई अथवा कथन सामने नहीं आया इसलिए 27 जनवरी को शूटिंग के दौरान करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। इस हंगामे में ही भंसाली को थप्पड़ खाने पड़े। इन थप्पड़ों का ही असर हुआ कि मात्र दो दिन बाद ही भंसाली ने मुंबई में कह दिया कि उनकी फिल्म में प्रेम संबंध वाले सीन नहीं है। अच्छा होता कि भंसाली थप्पड़ खाने से पहले ही अपनी सफाई दे देते। भंसाली अब उलटा सवाल कर रहे हैं कि जब प्रेम दृश्य ही नहीं है तो फिर करणी सेना विवाद क्यों कर रही है। सवाल उठाने वाले भंसाली को भी पता है कि यदि करणी सेना विरोध नहीं करती तो भंसाली अपनी फिल्म में प्रेम संबंधों के सीन जरूर दिखाते। यदि भंसाली अपने पेशे के प्रति ईमानदार होते तो अपनी सफाई पहले ही दे देते। भंसाली यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी से बचने के लिए ही रानी पदमावती ने अग्नि कुंड मेंं कूद कर अपनी जान दे दी थी। अच्छा हो कि भंसाली रानी पद्मावती की वीरता को लेकर फिल्म बनाते। यदि आक्रमणकारी तुर्क शासक अलाउद्दीन खिलजी को लेकर फिल्म बनाएंगे तो करणी सेना की भावनाएं आहत होगी। इतिहास गवाह है कि अलाउद्दीन खिलजी जैसे शासकों ने हमारे देश पर कितना अत्याचार किया है। यदि भंसाली में हिम्मत हो तो अलाउद्दीन खिलजी जैसे शासकों के अत्याचारों पर फिल्म बनाए। इससे बड़ा अत्याचार और क्या हो सकता है कि पदमावती को हासिल करने के लिए उनके पति रतन सिंह और चित्तौड़  के हजारों सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। अब यदि भंसाली अत्याचारी शासक का महिमा मंडन करेंगे तो करणी सेना थप्पड़ ही मारेगी। कुछ लोग अपनी विकृत मानसिकता के चलते भंसाली के समर्थन में खड़े हो गए हैं। क्या ऐसे समर्थक अपने परिवार की किसी महिला के प्रेम संबंधों के सीन भंसाली की फिल्म में शामिल करवा सकते हैं? 
एस.पी.मित्तल) (29-01-17)
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#2196
अजमेर में साढ़े पांच सौ मुस्लिम प्रतिभाओं का सम्मान। समाज में शिक्षा को बढ़ावा मिले- अशफाक हुसैन
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29 जनवरी को अजमेर के ख्वाजा मॉडल स्कूल के सभागार में मुस्लिम एज्युकेशन वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से कोई साढ़े पांच सौ मुस्लिम प्रतिभाओं का सम्मान किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि आईएएस अशफाक हुसैन ने कहा कि आज समाज में शिक्षा को बढ़ावा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी पुत्री फराह खान की पढ़ाई पर पूरा ध्यान दिया इसलिए उसने आईएएस की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे अपने बच्चों को अनिवार्य रूप से उच्च शिक्षा दिलाए। एसोसिएशन के सदस्य आरिफ हुसैन ने बताया कि दसवीं और बारहवीं की परीक्षा में 80 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले मुस्लिम विद्यार्थियों के साथ-साथ सामाजिक, खेलकूद और अन्य क्षेत्रों में उल्लेखनीय काम करने वालों का भी सम्मान किया गया। समारोह में पूर्व विधायक हाजी कयूम खान, मारवाड़ मुस्लिम एज्युकेशन सोसायटी जोधपुर के महासचिव मोहम्मद अतीक, तारागढ़ दरगाह इंतजामिया कमेटी के सदर मोहसीन अली सुल्तानी, मेहराज खान, यू बी खान, मोहम्मद अजीज, मोहम्मद अकरम सिद्दीकी, शाहिद अली, एडवोकेट जावेद अली, मुन्ना पहलवान, हाजी अकबर हुसैन, मुनव्वर अली, नवाब हिदायतउल्ला आदि का भी सम्मान किया गया। उपस्थित लोगों ने इस बात पर संतोष जताया कि मुस्लिम विद्यार्थी खासकर छात्राएं सीबीएसई की परीक्षाओं में 95 प्रतिशत तक अंक प्राप्त कर रहे है।
एस.पी.मित्तल) (29-01-17)
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#2194
अखिलेश के साथ बैठे राहुल ने मायावती के खिलाफ नहीं बोला। कहीं धोखा नहीं हो जाए अखिलेश के साथ ?
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29 जनवरी को राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने लखनऊ में एक साझा प्रेस कान्फ्रेंस की। यूपी के चुनाव में कांग्रेस और सपा में समझौता हुआ है। सपा 298 तथा कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। समझौते के बाद सपा कांग्रेस का मिशन एक ही होना चाहिए, लेकिन 29 जनवरी को राहुल गांधी ने अखिलेश यादव की उपस्थिति में साफ कर दिया कि यूपी में उनका विरोध सिर्फ भाजपा से है। एक पत्रकार ने जब बसपा प्रमुख मायावती के बारे में सवाल किया तो राहुल गांधी ने साफ कहा कि वे मायावती की बेहद इज्जत करते हैं। राहुल ने भाजपा के प्रति जो तीखे तेवर दिखाए, उसके मुकाबले में बसपा के खिलाफ एक प्रतिशत भी नहीं बोला। अखिलेश यादव कांग्रेस की राजनीति को समझे या नहीं, लेकिन राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि समझौते का मकसद सिर्फ कांग्रेस की स्थिति को सुधारना है। गत चुनावों में कांग्रेस के मात्र 28 उम्मीदवार जीते थे, इनमें से भी आठ कांग्रेस छोड़कर भाग गए। यानि आज की तारीख में यूपी में कांग्रेस के मात्र 20 विधायक हैं। अब चूंॅकि 105 सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार खड़े हैं, इसलिए राहुल गांधी मायावती के खिलाफ बोलकर कांग्रेस के परम्परागत दलित वोटों को नाराज नहीं करना चाहते। राहुल गांधी की राजनीति है कि अखिलेश की साइकिल पर सवार होकर कांग्रेस को कम से कम 60 सीटें तो दिलवा ही दें। ऐसा नहीं कि यूपी के चुनाव में मायावती की बहुजन समाज पार्टी का कोई प्रभाव नहीं है। यूपी के कई क्षेत्रों में सपा और बसपा का ही मुकाबला है। यदि चुनाव प्रचार में भी राहुल गांधी बसपा के खिलाफ नहीं बालेंगे तो इसका नुकसान अखिलेश यादव को ही होगा। अखिलेश को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उनके पिता मुलायम सिंह कांग्रेस के साथ गठजोड़ के पक्ष में नहीं थे। असल में मुलायम सिंह कांग्रेस के चरित्र को अच्छी तरह समझते हैं, लेकिन अखिलेश यादव को लगता है कि कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने से वे दोबारा से सीएम बन जाएंगे। यह माना कि अखिलेश और राहुल युवा हैं। लेकिन अखिलेश को यह भी समझना होगा कि राहुल गांधी 50 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके हैं और कांग्रेस के तौर-तरीके काफी सीख चुके हैं। 
एस.पी.मित्तल) (29-01-17)
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Saturday 28 January 2017

#2193
रानी पद्मावती को आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी की प्रेमिका बताने वाले निर्देशक संजय लीला भंसाली पाक अभिनेत्री माहिरा खान से सबक लें।
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अभिनेता शाहरूख खान की फिल्म रईस में काम करने वाली पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान ने पाकिस्तान में एक टीवी चैनल पर जो इंटरव्यू दिया है वह चौकाने वाले है। माहिरा ने भले ही शाहरूख खान से मेहनताने में करोड़ों रुपए लिए हों, लेकिन माहिरा खान का अब कहना है कि भारतीय फिल्म उद्योग का तो सिर्फ इस्तेमाल किया जाना चाहिए। माहिरा के इस इंटरव्यू का वीडियो मेरी वेबसाइट फेसबुक पेज, एप आदि पर उपलब्ध है। माहिरा ने चैनल के एंकर की इस बात पर सहमति जताई कि मुम्बई जाकर काम करो पैसा कमाओ और फिर अपने देश पाकिस्तान को मानो। माहिरा खान ने भारत से पैसा कमाने के बाद भी जिस तरह अपने देश के प्रति वफादारी दिखाई है उससे निर्देशक संजय लीला भंसाली को भी सबक लेना चाहिए। भंसाली राजस्थान के चित्तौड़ की रानी पद्मावती को लेकर एक फिल्म बना रहे है। रानी पद्मावती को लेकर अब तक जो इतिहास सामने आया है उसमें कहा गया है कि ईस्वी सन् 1303 में आक्रमणकारी मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को जबरन हासिल करने के लिए चित्तौड़ पर हमला किया। इस हमले में अलाउद्दीन ने पद्मावती के पति रतनसिंह और हजारों सैनिकों को मौत के घाट तो उतार दिया, लेकिन अलाउद्दीन पद्मावती को हासिल नहीं कर सका, क्योंकि आक्रमणकारियों के आने से पहले ही पद्मावती ने हजारों महिलाओं के साथ अग्निकुण्ड में कूदकर अपनी जान दे दी। इतिहास में ऐसा कोई तथ्य नहीं है जिसमें पता चलता हो कि अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती का आपस में मिलान हुआ हो, लेकिन संजय लीला भंसाली पैसा कमाने के लिए जो फिल्म बना रहे है,उसमें अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के प्रेम दृश्य हैं। इन दृश्यों को फिल्माने के लिए ही जब 27 जनवरी को जयपुर के जयगढ़ किले में शूटिंग हो रही थी तब राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने हंगामा कर दिया। निर्देशक भंसाली के मुंह पर थप्पड़ मारकर यह बताया गया कि पद्मावती कभी भी खिलजी की प्रेमिका नहीं रही। शर्मनाक बात तो यह है कि फिल्म उद्योग के अनेक लोग भंसाली के समर्थन में खड़े हो गए हंै। सवाल उठता है कि जब माहिरा खान भारत से करोड़ो रुपए कमाने के बाद भी पाकिस्तान को पहले मानती है तो फिर संजय लीला भंसाली अपने देश के इतिहास के साथ खिलवाड़ क्यों कर रहे हैं? जहां तक करणी सेना के कार्यकर्ताओं के हंगामे का सवाल है तो उनके पास इसके सिवाए कोई रास्ता नहीं था। भारत एक धर्म निरपेक्ष देश है और इसमें हिन्दू संस्कृति और इतिहास का मजाक उड़ाने की खुली छूट है। यदि कोई सरकार इस छूट को बंद करने का प्रयास करेगी तो उस पर साम्प्रदायिकता का आरोप लग जाएगा। केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रही भाजपा की सरकार अपने ऊपर साम्प्रदायिकता का कोई आरोप नहीं लगवाना चाहती है। करणी सेना ने फिलहाल शूटिंग को बंद करवा दिया है, लेकिन भंसाली अपनी लीला को पूरा करके ही मानेंगे। जयपुर के जाजगढ़ किले के बजाए किसी दूसरे किले में शूटिंग होगी और रानी पद्मावती को अलाउद्दीन खिलजी की प्रेमिका ही बताया जाएगा। देश के किसी भी सेंसर बोर्ड की इतनी हिम्मत नहीं कि जो भंसाली की फिल्म पर कैची चला सके। हद तो तब होगी जब भंसाली की यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर हिट हो जाएगी।
एस.पी.मित्तल) (28-01-17)
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Wednesday 25 January 2017

#2187
ख्वाजा साहब की दरगाह के बाहर बांटे गए तिरंगे। देशभक्ति का लिया संकल्प।
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गणतंत्र दिवस से एक दिन पहले 25 जनवरी को अजमेर में सूफी संत ख्वाजा साहब की दरगाह के बाहर देशभक्ति से जुड़ा एक प्रभावी कार्यक्रम हुआ। मुस्लिम संगठनों की पहल पर हुए इस समारोह में तिरंगे झण्डे वितरित किए गए। दरगाह के आसपास रहने वालों और दरगाह में जियारत के लिए आए मुस्लिमों ने बड़ी शान से झण्डे को लगाया। चूंकि दरगाह में दिन भर जायरीन का तांता लगा रहता है इसलिए बड़ी संख्या में झण्डों का वितरण हुआ। दरगाह क्षेत्र का पूरा माहौल देशभक्ति से परिपूर्ण हो गया। उपस्थित लोगों ने देशभक्ति के नारे भी लगाए। ऐसे समारोह में लोगों ने देशभक्ति का संकल्प भी लिया।
कार्यक्रम के संयोजक हाजी महमूद खान ने कहा कि गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर तिरंगा वितरण कार्यक्रम लोगों में देशभक्ति की भावना को जाग्रत करने के लिए किया गया। स्थानीय लोगों के साथ-साथ जायरीन ने भी कार्यक्रम में हिस्सा लेकर तिरंगों को ग्रहण किया और संकल्प लिया कि देश के लिए तन-मन-धन से तैयार रहेंगे तथा जब भी जरूरत पड़ी तो देशहित में अपने प्राणों की भी आहुति देने से पीछे नहीं हटेंगे। तिरंगा वितरण कार्यक्रम में मौलाना अय्यूब कासमी, एस पी मित्तल, दरगाह थाना प्रभारी मानवेन्द्र सिंह, पीर नफीस मियां चिश्ती, शब्बीर खान, दरगाह के सहायक नाजिम डॉ मोहम्मद आदिल,सेवानिवृत्त एएसपी जयसिंह, राजेश चौरसिया, अंजुमन सदस्य मुसविर चिश्ती, आलेबदर, सलमान खान, मनीष चौरसिया, हाजी चांद खां, रज्जाक भाटी, हुमायुं खान, कुतुब चिश्ती, आरिफ हुसैन, अहमद पहलवान, मोहसिन खान, फैसल सिद्दीकी, एहसान सुल्तानी आदि मौजूद थे।
एस.पी.मित्तल) (25-01-17)
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#2188
पैगम्बर मोहम्मद साहब तक रहा इस्लामिक इतिहास, बाद में हुआ मुसलमानों का इतिहास। शिक्षाविद् असलम खान ने कहा कि कश्मीर में हिन्दू भी अमन से रहें।
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25 जनवरी को मेरी मुलाकात मुस्लिम इतिहासकार और शिक्षाविद् डॉ. असलम खान से हुई। यह मुलाकात अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह के सहायक नाजिम डॉ. आदिल की पहल पर हुई। डॉ. असलम ने मुस्लिम संस्कृति, इतिहास और देश के ताजा हालातों पर खुलकर अपने विचार रखे। डॉ. असलम की विद्वता का इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वे इस समय आस्ट्रेलिया, नाइजीरिया और इथोपिया की यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर हंै। विदेशों में पढ़ाने के कारण डॉ. असलम अलीगढ़ विश्वविद्यालय में अवकाश पर चल रहे हैं। डॉ. असलम ने बताया कि पैगम्बर मोहम्मद साहब के जीवनकाल तक इस्लामिक इतिहास है, लेकिन इसके बाद मुसलमानों का इतिहास हो गया। पैगम्बर मोहम्मद साहब ने इस्लाम की जो शिक्षाएं दीं, वे भारतीय संस्कृति से मेल खाती हैं। जिस प्रकार कुरान शरीफ में मां के चरणों में जन्नत बताई गई है। उसी प्रकार हिन्दू संस्कृति में मां को देवी का रूप दिया गया है। यदि पड़ौसी भूखा रहे और मुसलमान भरपेट खाना खाए तो वह मुसलमान नहीं है। इसी प्रकार भारतीय संस्कृति में अतिथि देवो भव: की मान्यता है। डॉ. असलम ने माना कि पैगम्बर मोहम्मद साहब के बाद मुसलमानों ने अपने नजरिए से इस्लाम का निर्धारण कर लिया और आज इस्लामिक स्टेट, बोकोहरम जैसी विचारधारा अपना प्रभाव जमा रही है। उन्होंने कहा कि जब हम भारत को धर्म निरपेक्ष राष्ट्र मानते हैं तो फिर कश्मीर में हिन्दुओं को भी अमन के साथ रहना चाहिए। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हाल ही में हिन्दुओं को पुन: बसाने का जो प्रस्ताव पास हुआ है, वह सही है। सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द हिन्दुओं को अपने घरों में दुबारा से बसाया जाए। 
कॉमन सिविल कोड और तीन तलाक जैसे मुद्दों पर डॉ. असलम का मानना रहा कि मुलसमानों के लिए अपना शरिया कानून बना हुआ है। यह बात अलग है कि कुछ लोग शरिया कानून का पालन नहीं करते हैं। मोबाइल पर तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कह देने से तलाक नहीं होगा। कुरान में तलाक को लेकर पूरी व्यवस्था दे रखी है। यदि कुरान की शिक्षाओं के अनुरूप तलाक की प्रक्रिया अपनाई जाती है तो मुस्लिम धर्म में तलाक बहुत कठिन है। डॉ. असलम का मानना रहा कि तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार को कोई दखल नहीं देना चाहिए। हो सकता है कि कुछ मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट में चली गई हों, लेकिन आम मुस्लिम महिला शरिया कानून के तहत ही अपना जीवन व्यतीत करना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति के पनपने की वजह से लोगों के व्यक्तित्व में गिरावट आई है। यह गिरावट समाज के सभी वर्गों के लोगों में है। उन्होंने कहा कि भारत एक खुबसूरत देश है, जिसकी जड़ें वैदिक संस्कृति से जुड़ी हुई है।
एस.पी.मित्तल) (25-01-17)
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Tuesday 24 January 2017

#2186
ट्रेन से शाहरुख खान का फिल्म का प्रचार करना कितना उचित?
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मुबंइयां फिल्मों के अभिनेता शाहरुख खान अपनी आने वाली फिल्म रईस के प्रचार के लिए रेलवे ट्रेन का इस्तेमाल किया। आमतौर पर फिल्मों के प्रचार के लिए हीरो हीरोइन निर्माता-निर्देशक आदि सिनेमा घरों अथवा किसी सार्वजनिक स्थल का उपयोग करते हैं, लेकिन शाहरुख अपनी फिल्म के प्रचार के लिए 23 जनवरी की शाम को मुम्बई से अगस्त क्रांति ट्रेन में सवार हुए और फिर 24 जनवरी की सुबह दिल्ली पहुंचे। शाहरुख ने ट्रेन का पूरा डिब्बा बुक कराया। चूंकि प्रचार का कार्यक्रम पहले से ही निर्धारित था, इसलिए शाहरुख के डिब्बे में इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया के पत्रकारों को भी बैठाया गया। मुम्बई से दिल्ली के बीच जिस भी स्टेशन पर गाड़ी रुकी वहां सैकड़ों प्रशंसक मौजूद थे। बड़ादरा में तो प्रशंसकों की भीड़ में भगदड़ मचने से एक पार्षद की मौत भी हो गई। शाहरुख ने चलती ट्रेन में जो इंटरव्यू दिया उसमें स्वीकार किया कि उन्होंने अपने पूरे जीवन में सिर्फ एक बार ट्रेन का सफर किया है। वह भी तब जब उन्हें किसी काम की मजदूरी की एवज में पचास रुपए का मेहनताना मिला था। यानि फिल्म उद्योग में आने के बाद शाहरुख ने कभी भी ट्रेन का सफर नहीं किया। शाहरुख तो हमेशा से ही हवाईजहाज का सफर करते हैं। यह बात अलग है कि रईस के प्रचार के दौरान शाहरुख ने लोगों से ट्रेन में ही सफर करने की अपील की। शाहरुख के फिल्म प्रचार की वजह से रेलवे स्टेशनों पर कानून व्यवस्था को संभालना मुश्किल हो गया। यह माना कि किसी को भी ट्रेन में सफल के लिए सरकार अथवा रेल प्रशासन से अनुमति की जरुरत नहीं है। लेकिन शाहरुख तो ट्रेन में एक मुसाफिर की तरह सफर नहीं कर रहे थे। बल्कि अपनी फिल्म का प्रचार कर रहे थे। सवाल उठता है कि क्या शाहरुख ने रेल मंत्रालय से इस प्रचार की अनुमति ली? जिस तरह से बड़ोदरा में एक युवक की मौत तथाअन्य स्टेशनों पर कानून व्यवस्था की समस्या खड़ी हुई। उसे देखते हुए रेल प्रशासन को ऐसे प्रचार पर विचार करना चाहिए। यह वही रईस फिल्म है, जिसमें पाकिस्तान के दो कलाकार काम कर रहे हैं। पाक कलाकारों को लेकर शिवसेना ने धमकी भी दी थी, लेकिन बाद में शाहरुख से समझौता हो जाने के बाद विरोध खत्म हो गया। 
एस.पी.मित्तल) (24-01-17)
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#2185
विदेशी कलाकारों ने गणेश वंदना पर किया नृत्य। 
रॉयन पब्लिक स्कूल में शानदार रहा दृष्टि रॉय का शो।
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अजमेर कत्थक कला केन्द्र की निदेशक और सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना सुश्री दृष्टि रॉय की विदेशी शिष्याओं ने 24 जनवरी को अजमेर के कोटड़ा स्थित रॉयन इंटरनेशनल स्कूल के सभागार में अपनी कला का शानदार प्रदर्शन किया। उपस्थित छात्र-छात्राओं और स्कूल की शिक्षिकाओं को तब आश्चर्य हुआ जब हिन्दी और संस्कृत के शब्दों वाली गणेश वंदना पर विदेशी महिला कलाकारों ने कत्थक नृत्य किया। भगवान गणेश की भंगिमाओं का चित्रण विदेशी कलाकारों ने बखूबी प्रस्तुत किया। इस मौके पर सुश्री दृष्टि रॉय ने बताया कि उनके केन्द्र पर विदेशी भी प्रशिक्षण लेने आते हैं। इसी क्रम में स्पेन की ईलेवा और गलोरिया, अलिसिया तथा इटली की जिओइया इन दिनों कत्थक का प्रशिक्षण ले रही हैं। रॉय ने इस बात पर संतोष प्रकट किया कि आज इन विदेशी कलाकारों ने अपने प्रशिक्षण काल के दौरान अच्छी प्रस्तुति दी है। कार्यक्रम में स्वयं दृष्टि रॉय ने भी स्कूल के विद्यार्थियों के साथ शानदार नृत्य किया। उन्होंने कत्थक के बारे में भी जानकारी दी। इस अवसर पर मेरा कहना रहा कि जब हमारे देश में पश्चिम की संस्कृति हावी हो रही है तब विदेशी महिलाओं का हमारी संस्कृति के अनुरुप कत्थक का प्रशिक्षण लेना महत्वपूर्ण बात है। इससे इस बात का भी पता चलता है कि हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध है। हिन्दी और संस्कृत भाषा का ज्ञान न होते हुए भी विदेशी महिलाओं ने गणेश वंदना पर नृत्य किया।  समारोह में साहित्यकार और लेखक डॉ संदीप अवस्थी ने कहा कि संगीत की कोई जुबान नहीं होती। यह बात आज स्पेन और इटली के कलाकारों ने साबित की है। दृष्टि रॉय ने अपने केन्द्र में विदेशी महिलाओं को प्रशिक्षण देकर कत्थक के क्षेत्र में अजमेर का नाम रोशन किया है। इस अवसर पर स्कूल के प्रिंसीपल मालिनी मलिक ने कहा कि कोई संस्कृति खराब नहीं होती। यह ग्रहण करने वाले पर निर्भर है कि वह उसे किस तरह स्वीकार करता है। उनके स्कूल में दो हजार से भी ज्यादा छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हंै। स्कूल प्रबंधन पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद मनोरंजन आदि की गतिविधियां भी करवाता है। प्रबंधन का उद्देश्य युवाओं का संपूर्ण विकास करना है। अंत में केन्द्र के सचिव कृष्णगोपाल पाराशर और श्रीमती कल्पना कांसवा ने आभार प्रकट किया।
एस.पी.मित्तल) (24-01-17)
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#2184
सिर्फ योजनाओं का ढिंढोरा पीट रही है वसुंधरा सरकार।
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सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान में जनता ने कांग्रेस सरकार का मन बना लिया है।
24 जनवरी को राजस्थान कांग्रेस प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट अजमेर आए। पायलट ने यहां एमडीएस यूनिवर्सिटी के छात्र संघ कार्यालय का उद्घाटन किया। अजमेर दौरे के दौरान ही पायलट से मेरा सीधा संवाद  हुआ। पायलट ने कहा कि इन दिनों राजस्थान की भाजपा सरकार अपने तीन वर्ष के कार्यकाल का जश्न मना रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जिला स्तर पर जाकर जश्न कर रही है। राजे अपने भाषणों में सरकार की उपलब्धियां गिना रही हैं। जबकि हकीकत यह है कि भाजपा सरकार के पास उपलब्धि गिनाने को कुछ भी नहीं है। यही वजह है कि सीएम राजे सिर्फ सरकार की योजना का ही ढिंढोरा पीट रही है। ग्रामीण विकास के लिए जो राशि केन्द्र सरकार से प्राप्त हो रही है उसे भी मुख्यमंत्री अपनी सरकार की उपलब्धि बता रही हैं। मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन योजना का श्रेय राजे ले रही हैं, जबकि इस योजना के अंतर्गत केन्द्र सरकार की जल योजना का पैसा खर्च हो रहा है। 
केन्द्र सरकार ने जो अविवेकपूर्ण तरीके से नोटबंदी का निर्णय लिया है, उससे लोगों को राहत देने में राजस्थान की भाजपा सरकार ने कोई सहयोग नहीं किया। पायलट ने कहा कि लम्बी लाइन में खड़े परेशान लोगों की मदद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने की। आज पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर हैं। सरकार में बैठे बड़े अधिकारी और इंजीनियर आए दिन भ्रष्टाचार के आरोप में पकड़े जा रहे हैं। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में लम्बी अवधि की बिजली कटौती है। सरकार पूरी तरह मूकदर्शक बनी हुई है। पायलट ने कहा कि अब आगामी दो वर्ष बाद होने वाले विधानसभा के चुनाव में राजस्थान की जनता ने कांग्रेस की सरकार बनाने का मन बना लिया है। जनता राज्य और केन्द्र की भाजपा सरकार से पूरी तरह त्रस्त हो उठी है। कांग्रेस की ओर से अगला मुख्यमंत्री कौन होगा के सवाल पर पायलट ने कहा कि फिलहाल मेरी जिम्मेदारी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने की है। मेरा पूरा प्रयास है कि बूथ स्तर पर कांग्रेस के कार्यकर्ता को सक्रिय और जागरुक करके कांग्रेस के उम्मीदवारों को विजयी करवाऊं। कांग्रेस में सभी निर्णय सामूहिकता के आधार पर होते हैं। उन्होंने यूपी में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को भी सही बताया। पायलट ने कहा कि वे स्वयं भी यूपी सहित पांचों राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे।
अजमेर वासियों को बधाई:
किशनगढ़ में शुरू होने वाले हवाई अड्डे के लिए पायलट ने अजमेर के नागरिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि अजमेर का सांसद रहते हुए उन्होंने हवाई अड्डे का जो संकल्प लिया था, वह अब पूरा होने जा रहा है। मुझे पता है कि हवाई अड्डे के निर्माण में कितनी बाधाएं आईं, लेकिन मैंने सभी बाधाओं को दूर किया। अजमेर की समस्याओं के समाधान के लिए में हमेशा प्रयासरत रहता हंू। 
एस.पी.मित्तल) (24-01-17)
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Monday 23 January 2017

#2178
चीन के साथ संबंधों पर डोनाल्ड ट्रंप से सीख लें नरेन्द्र मोदी।
मोदी के कार्यकाल में डबल हो गया चीन से आयात।
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दावा किया जा रहा है कि पीएम बनने के बाद नरेन्द्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत का सम्मान बढ़ाया है। लेकिन तेजी से बदल रहे हालातों में नरेन्द्र मोदी को अमरीका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से सीख लेनी चाहिए। राष्ट्रपति की शपथ लेने के बाद अपने पहले संबोधन में ट्रंप ने चीन पर बड़ा हमला बोला। ट्रंप ने कहा कि अब चीनी सामान पर 45 प्रतिशत टैक्स लगेगा। असल में अमरीका को यह पता है कि आज विश्व की अर्थव्यवस्था पर चीन का एकाधिकार होता जा रहा है। चंूकि चीन में लोकतंत्र नहीं है। इसलिए कोई श्रम कानून भी लागू नहीं होता है। ट्रंप ने 45 प्रतिशत का जो टैक्स लगाने की जो घोषणा की है। उस में अमरीका में चीनी सामान आयात होना कम हो जाएगा। 
इधर भारत में भी मोदी ने मेक इन इंडिया का नारा तो दिया है, लेकिन सच्चाई है कि मोदी के ढाई वर्ष के कार्यकाल में चीन से आयात डबल हो गया है। पहले जहां तीस मिलियन डॉलर का आयात होता था, वहीं आज 60 मिलियन डॉलर सामान का आयात हो रहा है। इतनी बड़ी मात्रा में चीन का सामान आने से भारत के छोटे बड़े उद्योग बंद हो गए हैं। एक ओर व्यापार के क्षेत्र में चीन हम पर हावी हो रहा है, तो दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चीन भारत को हमेशा नीचा दिखाता है। पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथी हाफिज सईद, अजहर मसूद जैसे व्यक्तियों को जब आतंकवादी घोषत करने की बात होती है तो संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन हमारा विरोध करता है। सब जानते हैं कि हाफिज सईद और अजहर महमूद जैसे कट्टरपंथी ही भारत में आतंकवादी वारदातें करवाते हैं। यह माना कि भारत अमरीका की तरह एक सम्पन्न देश नहीं है। लेकिन फिर भी अब समय आ गया है, जब चीन को मुंह तोड़ जवाब दिया जाना चाहिए। यदि चीन को नहीं रोका गया तो आने वाले दिनों में भारत के हालात खराब होंगे। अच्छा हो कि नरेन्द्र मोदी नोटबंदी जैसे झमेलों में फंसने के बजाए डोनाल्ड ट्रंप की तरह चीन को सबक सिखाने वाले फैसले लें। भारत की जनता ने मोदी को चीन और पाकिस्तान से मुकाबला करने के लिए ही प्रधानमंत्री बनाया है। यदि मोदी पाकिस्तान और चीन के विरुद्ध कोई सख्त फैसला नहीं ले सकते तो फिर उनके पीएम रहने के कोई मायने नहीं है। यह सवाल भी महत्त्व रखता है कि यदि मोदी चीन और पाकिस्तान के खिलाफ कार्यवाही नहीं कर सकते तो फिर किसी दूसरे दल के पीएम से तो उम्मीद भी नहीं की जा सकती। 
(एस.पी.मित्तल) (23-01-17)
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#2179
अब शिवज्योतिषानंद ने भी किया ब्रह्मा मंदिर के महंत के पद पर दावा।
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अजमेर में महावीर सर्किल स्थित संन्यास आश्राम के महंत स्वामी शिवज्योतिषानंद ने भी पुष्कर के विश्व विख्यात ब्रह्मा मंदिर के महंत के पद पर दावा प्रस्तुत किया है। ब्रह्मा मंदिर की प्रबंध समिति के अध्यक्ष और जिला कलेक्टर गौरव गोयल को लिखे एक पत्र में शिवज्योतिषानंद ने कहा कि मंदिर के महंत रहे स्व.लहरपुरी ने अपनी वसीयत में मुझे ही उत्तराधिकारी बनाया है और महंत के पद पर भी मेरी नियुक्ति की थी। महंत लहरपुरी के निधन के समय भी मैंने अपना दावा प्रस्तुत किया था। इसको लेकर मैंने जिला एवं सत्र न्यायालय में एक वाद भी दायर कर रखा है। चूंकि अब स्वामी सोमपुरी का निधन हो चुका है, इसलिए ब्रह्मा मंदिर के महंत के पद पर मेरा दावा सबसे सशक्त है। मैं महंत लहरपुरी का वैधानिक उत्तराधिकारी हंू। मालूम हो कि स्वामी शिवज्योतिषानंद को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का समर्थक माना जाता है। ब्रह्मा मंदिर के महंत की गद्दी को पाने के लिए पुष्कर में घमासान चल रहा है। अब तक कोई एक दर्जन दावेदार आ चुके हैं। 27 जनवरी को स्वर्गीय महंत सोमपुरी की षोडशी की रस्म ब्रह्मा मंदिर में होनी है। इस दिन भी हंगामे के आसार हैं। 
एस.पी.मित्तल) (23-01-17)
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#2180
मुख्यमंत्री जनआवास योजना के नाम पर करोड़ों की वसूली।
एडीए की चुप्पी आश्चर्यजनक। 
अजमेर में अभी नहीं मिली प्रोजेक्टों को मंजूरी।
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अजमेर में मुख्यमंत्री जनआवास योजना के नाम पर करोड़ों रुपए की वसूली हो रही है, लेकिन अजमेर विकास प्राधिकरण इस वसूली को रोकने के लिए कोई कार्यवाही नहीं कररहा है। अजमेर विकास प्राधिकरण के अधिकारी इस बात को स्वीकार करते हैं कि अजमेर में जनाना अस्पताल के आसपास किसी भी संस्था को मुख्यमंत्री जन आवास योजना में मकान बनाने की स्थाई मंजूरी नहीं दी है। ऐसे में कोई भी संस्था मुख्यमंत्री जनआवास के नाम पर उपभोक्ताओं से बुकिंग राशि नहीं वसूल सकती है। इतना ही नहीं आकर्षक प्रचार कर धंधेबाज योजना का आवेदन 300 रुपए में बेच रहे हैं। जबकि सरकार की इस योजना में गरीब लोगों को नि:शुल्क आवेदन देना है। 
प्राधिकरण के अधिकारी इस बात को मानते हैं कि कुछ खातेदारों ने अपनी प्रोजेक्ट रिपोर्ट प्रस्तुत की है। लेकिन प्राधिकरण ने किसी भी योजना की स्वीकृति नहीं दी है। प्राधिकरण जांच पड़ताल के बाद ही मंजूरी देगा। प्राधिकरण से मंजूरी के बिना ही धंधेबाज लोग उपभोक्ताओं से एक बीएचके के मकान के 30 हजार रुपए अग्रिम ले रहे हैं।  दो बीएचके के फ्लैट के लिए 50 हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। एक धंधेबाज ने तो राष्ट्रीकृत बैंकों से लोन का ऑफर भी दे दिया है,जबकि कोई भी बैंक प्रोजेक्ट की मंजूरी के बिना लोन नहीं दे सकती। पूर्व में भी एक धंधेबाज ने जब अजमेर में ऐसी वसूली शुरू की थी तो प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने नोटिस भिजवा दिया था, लेकिन इस बार जब कई धंधेबाज वसूली कर रहे हैं तो प्राधिकरण चुप है। प्राधिकरण की यह चुप्पी आचश्र्यजनक है। 
भू-माफियों की चाल:
असल में मुख्यमंत्री जनआवास योजना की आड़ में यह भू-माफियाओं की चाल है। अपनी कृषि भूमि का भू-रूपांतरण करवाने के लिए भू-माफिया मुख्यमंत्री जन आवास योजना में गरीबों को सस्ते फ्लैट देने का सपना दिखा रहे हैं। अभी अजमेर में जिन दो खातेदारों ने कृषि भूमि पर फ्लैट बनाने का जो प्रोजेक्ट प्राधिकरण में प्रस्तुत किया है, वह भी सरकार के नियमों के अनुरूप नहीं है। 
हाईकोर्ट के आदेश का असर पड़ेगा:
हाईकोर्ट ने विगत दिनों भू-रूपांतरण और अवैध निर्माणों को लेकर जो सख्त आदेश दिया है, उसका असर भी मुख्यमंत्री जनआवास योजना पर पड़ेगा। प्राधिकरण के लिए अब ऐसे प्रोजेक्टों को स्वीकृत करना मुश्किल होगा। हाईकोर्ट के आदेश के बाद ही राज्य सरकार ने प्रदेश भर में 23 जनवरी से लगने वाले जन सुविधा शिविरों को स्थगित कर दिया। सरकार का कहना है कि अब पहले हाईकोर्ट के फैसले की समीक्षा की जाएगी। हाईकोर्ट ने कृषि भूमि को आवासीय और आवासीय को व्यावसायिक में बदलने को लेकर सख्त आदेश दिया है। 
(एस.पी.मित्तल) (23-01-17)
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#2181
भारतीय संस्कृति का मजाक उड़ाने वाला जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल अब बताए कि तस्लीमा नसरीन को क्यों बुलाया? हिम्मत होती तो जयपुर में ही रोकते तस्लीमा को।
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बांग्लादेश की बहुचर्चित लेखिका तस्लीमा नसरीन की उपस्थित और हंगामे के बाद 23 जनवरी को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का समापन हो गया। पांच दिन के इस फेस्टिवल में भारतीय संस्कृति और हिन्दू देवी देवताओं का जमकर मजाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। जो जो भी लेखक, पत्रकार, बुद्धिजीवी, राजनेता, समाजसेवी, फिल्म स्टार हमारी संस्कृति को खुलेआम कोसते हैं, उन सभी ने दिलेरी के साथ इस फेस्टिवल में अपने विचार को रखा। इतना ही नहीं कुछ लेखकों ने तो अपनी पुस्तक का विमोचन करवाकर स्वयं को गौरवांवित महसूस किया। सब जानते हैं कि पांच दिनों में इस फेस्टिवल में क्या-क्या हुआ, लेकिन अंतिम दिन 23 जनवरी को बहुचर्चित लेखिका तस्लीमा नसरीन आई तो जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजक और उनके समर्थक दुम दबाकर एक कौने में बैठ गए। किसी की भी हिम्मत विरोध का सामना करने की नहीं हुई। विरोध करने वाले मुस्लिम संगठन फेस्टिवल में तस्लीमा की उपस्थिति का विरोध कर रहे थे। प्रदर्शनकारी तस्लीमा को फेस्टिवल में बुलाए जाने का कारण जानना चाहते थे। मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना था कि तस्लीमा नसरीन मुस्लिम परंपराओं के खिलाफ हैं। इसलिए  जयपुर में उनकी उपस्थिति स्वीकार नहीं की जाएगी। बात बिगड़ती इससे पहले ही संजय रॉय जैसे आयोजकों ने तस्लीमा नसरीन को फेस्टिवल स्थल से चुपचाप निकलवाकर एयरपोर्ट भेज दिया। संजय रॉय जैसे आयोजकों में हिम्मत होती तो तस्लीमा को जयपुर में ही रोकते। मैं मुस्लिम संगठनों के विरोध पर तो कोई टिप्पणी नहीं कर रहा, लेकिन मैं यह मानता हंू कि किसी भी सम्प्रदाय की संस्कृति और परंपराओं में दखल करने का अधिकार नहीं है। फेस्टिवल के आयोजकों को मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधियों को यह बताना चाहिए कि तस्लीमा नसरीन को क्यों बुलाया? यह तो अच्छा हुआ कि तस्लीमा को पीछे के दरवाजे से चुपचाप निकालकर एयरपोर्ट भिजवादिया। यदि तस्लीमा नसरीन फेस्टिवल स्थल पर मौजूद रहतीं तो आयोजकों को अपनी हकीकत का अहसास हो जाता। 
एस.पी.मित्तल) (23-01-17)
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Sunday 22 January 2017

#2177
आतंकी हमले से कम नहीं हैं रेल दुर्घटनाएं। फिर उतरे पटरी से डिब्बे, 40 की मौत।
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22 जनवरी को आन्ध्र प्रदेश के कुनेरू स्टेशन के पास जगदलपुर-भुवनेश्वर हीराखण्ड एक्सप्रेस ट्रेन के इंजन सहित 7 डिब्बे पटरी से उतर गए। इस दुर्घटना में अब तक 40 यात्रियों की मौत हो चुकी है और 100 से भी ज्यादा यात्री अस्पताल में भर्ती हैं। पिछले एक माह में यह चौथ अवसर है जब ट्रेन के डिब्बे पटरी से उतरे हैं। कानपुर रेल दुर्घटना की जांच के दौरान यह बात सामने आई कि पटरियों से छेड़छाड़ करने के पीछे आतंकवादियों का हाथ है और इसमें पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका है। यानि जो पाकिस्तान आतंकवादियों के माध्यम से भारत में आतंकी हमले करवाता था, उसने अब रेल दुर्घटनाएं करवाना शुरू कर दिया है। इन दुर्घटनाओं में निर्दोंष यात्रियों की तो मौत होती ही है, साथ ही रेलवे को भारी आर्थिक नुकसान होता है। एक साथ जब दस-दस डिब्बे चकनाचूर हो रहे हैं तो नुकसान का अंदाजा लगाया जा सकता है। रेल दुर्घटना में सबसे गंभीर बात यह है कि हमारे ही देश के लोगों के सहयोग से वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। रेल पटरियों से छेड़छाड़ करना आसान भी होता है। भारत में रेल पटरियों का विशाल जाल है। ऐसे में आतंकी हमले के मुकाबले रेल पटरियों की प्लेटें निकालने का काम बहुत सरल है। अब देखना है कि पाकिस्तान की इस नई चुनौती से सरकार कैसे निपटती है। 21 जनवरी को ही जब राजस्थान में रानीखेत एक्सप्रेस के डिब्बे पटरी से उतरे तो रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि अब आम नागरिक पटरियों की निगरानी का काम करे और गड़बड़ी की सूचना तुरंत रेल प्रशासन को दे। सुरेश प्रभु को देश की इस सच्चाई को समझना होगा कि देश के अंदर ऐसे तत्व सक्रिय हंै, जो रेल दुर्घटनाएं करवाने में सहयोग कर रहे हैं। होना तो यह चाहिए कि ऐसे देशद्रोहियों की पहचान कर सख्त कार्यवाही की जाए। 
(एस.पी.मित्तल) (22-01-17)
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#2178
अब मैं छुट्टा सांड हूं, जहां हरी घास देखूंगा, वहीं मुंह मारुंगा। अमर सिंह ने अखिलेश और आजम खान को दी खुली चुनौती। 
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22 जनवरी को बहुचर्चित राजनेता अमर सिंह बनारस में मौजूद रहे। अमर सिंह ने यूपी के सीएम अखिलेश यादव और ताकतवर मंत्री आजम खान को खुली चुनौती दी। पिछले दिनों समाजवादी पार्टी से बर्खास्त किए जाने पर अमर सिंह ने कहा कि अब मैं छुटटा सांड हूं, जहां हरी घास देखूंगा वहीं मुंह मारूंगा। भाजपा का नाम लिए बगैर अमर सिंह ने कहा कि मैं केन्द्र सरकार का आभारी हूं, जिसने मेरी सुरक्षा बढ़ा दी है। अखिलेश ने जब अपने पिता को ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया था, तब मैं मुलायम सिंह के साथ खड़ा था। लेकिन अब मुलायम सिंह अपने उसी बेटे की शरण में चले गए हैं। मुझे अब मुलायम सिंह ने भी छोड़ दिया है। मैं सपा में शामिल होने के लिए अखिलेश के समक्ष कोई आवेदन अथवा निवेदन नहीं कर रहा। मैं अब स्वतंत्र हूं और कुछ भी बोल सकता हूं। रामगोपाल यादव ने कहा था कि अमर सिंह उत्तर प्रदेश में आएंगे तो सुरक्षित वापस नहीं जाएंगे। मैं आज 22 जनवरी को यूपी के बनारस में मौजूद हूं और यहां से सुरक्षित भी जाऊंगा। उन्होंने कहा कि मैं जल्द ही वो सब कुछ बोलूंगा जो चैनल वाले मेरे मुंह में माइक घुसेड़ कर बुलवाना चाहते हैं। मैं कभी भी पलायनवादी नहीं रहा। मैं बोलूंगा और जमकर बोलूंगा। हालांकि अमर सिंह ने भाजपा में शामिल होने के बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन अमर सिंह की बात से साफ जाहिर था कि विधानसभा के चुनावों में अब अमर सिंह सीएम अखिलेश यादव और आजम खान जैसे विरोधियों पर जमकर हमला बोलेंगे और उसका फायदा भाजपा को होगा। अब अमर सिंह अपने मुलायम सिंह को भी नहीं बख्शेंगे।
(एस.पी.मित्तल) (22-01-17)
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#2179
आखिर अजमेर कलेक्टर गौरव गोयल क्या-क्या काम करेंगे? अब पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर की जिम्मेदारी भी संभाली। 
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22 जनवरी को पुष्कर के विश्व विख्यात ब्रह्मा मंदिर की जिम्मेदारी भी अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने संभाल ली है। राज्य सरकार ने मंदिर की जो प्रबंध समिति बनाई है, उसके अध्यक्ष की हैसियत से कलेक्टर ने 22 जनवरी को पुष्कर में पहली बैठक की। इस बैठक में कलेक्टर ने श्रद्धालुओं की सुविधाओं को बढ़ाने की घोषणा की और केन्द्र सरकार की प्रसाद योजना के तहत होने वाले कार्यों की जानकारी दी। कलेक्टर का कहना रहा कि ब्रह्मा मंदिर विश्व विख्यात है, इसलिए इसकी प्रतिष्ठा के अनुरूप ही कामकाज होना चाहिए। कलेक्टर गोयल ने ब्रह्मा मंदिर की जिम्मेदारी तब संभाली है, जब मंदिर के महंत की गद्दी पर बैठने के लिए अनेक लोगों की लार टपक रही है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मंदिर के विपरीत हालातों में सोच-समझकर गोयल की नियुक्ति ब्रह्मा मंदिर में की है। उम्मीद है कि गोयल मुख्यमंत्री की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर कलेक्टर गोयल क्या-क्या काम करेंगे? एक कलेक्टर के पास पहले ही काम का बोझ अधिक होता है। इस समय गोयल के पास अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त, स्मार्ट सिटी के सीईओ आदि पदों का भी अतिरिक्त कार्यभार है। इसे कलेक्टर की कुशलता ही कहा जाएगा कि मेयर धर्मेन्द्र गहलोत और एडीए अध्यक्ष शिवशंकर हेड़ा के बीच तालमेल भी बैठा रखा है। यह माना कि कलेक्टर प्रशासनिक कामकाज तो कर सकते हैं, लेकिन ब्रह्मा मंदिर की मंहताई करना आसान नहीं है। इसके अलावा कलेक्टर गोयल विभिन्न सामाजिक और धार्मिक समारोह में भी सक्रिय नजर आते हैं। 
गोपालगढ़ में दिखा चुके हैं कुशलता
कांग्रेस के गत शासन में भी भरतपुर का कलेक्टर रहते हुए गोयल अपनी कुशलता दिखा चुके हैं। अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए जब गोपालगढ़ में साम्प्रदायिक फंसाद हुआ तो गहलोत की कुर्सी पर भी आंच आ गई। तब शांति धारीवाल को भी गृहमंत्री का पद छोडऩा पड़ा था, ऐसे तनावपूर्ण माहौल में गहलोत ने गौरव गोयल को ही रातों रात भरतपुर का कलेक्टर बनाया था। गोयल ने कई दिनों तक दंगाग्रस्त गोपालगढ़ में ही डेरा जमाया और हालात को नियंत्रित किए। तब गहलोत ने भी गोयल की जमकर प्रशंसा की। उल्लेखनीय है कि हाल ही में गोयल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया है। 
(एस.पी.मित्तल) (22-01-17)
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Wednesday 18 January 2017

#2165
पोते के मोह में फंस गए राजस्थान के विश्वविद्यालयों के चांसलर। अब दीक्षान्त समारोह में विद्यार्थियों को क्या सीख देंगे?
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राजस्थान के गवर्नर होने के नाते कल्याण सिंह इस प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के चांसलर भी हैं, लेकिन  इसे राजनीति का चरित्र और पोते का मोह ही कहा जाएगा कि कल्याण सिंह पिछले चार दिनों से उत्तर प्रदेश के अतरोली में डेरा जमाए हैं। 17 जनवरी को भाजपा ने यूपी चुनाव के उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, उसमें कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को अतरोली से उम्मीदवार घोषित किया गया है। अतरोली से कल्याण सिंह राजस्थान कब आएंगे? यह कोई नहीं जानता क्योंकि पहले टिकिट दिलवाने के लिए अतरोली में खूंटा गाड़ा तो अब पोते को जितवाने की चिंता है। कल्याण सिंह ने अपने पोते को तब टिकिट दिलवाया है, जब पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि नेताओं को अपने रिश्तेदारों को टिकिट नहीं दिलवाना चाहिए। सब जानते हैं कि कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह भी यूपी से भाजपा के सांसद हैं। यानि पहले बेटे को सांसद बनवाया, अब पोते को विधायक बनवा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी कहा जाता है कि गवर्नर का पद निष्पक्ष और संवैधानिक होता हैं।
सवाल सीख का 
गवर्नर होने के नाते कल्याण सिंह राजस्थान के विश्वविद्यालयों के चांलसर भी हैं, इसलिए दीक्षान्त समारोहों में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहते हैं। कल्याण सिंह दीक्षान्त समारोहों में विद्यार्थियों को अपने बलबूते पर आगे बढऩे की सीख देते हैं। जो कल्याण सिंह अपने पोते को आगे बढ़ाने के लिए राजस्थान के राजभवन को अतरोली ले गए, वो ही कल्याण सिंह विद्यार्थियों को अपनी योग्यता पर भरोसा रखने की बात कहते हैं। पता नहीं विद्यार्थी गवर्नर की सीख को कितनी गंभीरता से लेते हैं, लेकिन इतना जरूर है कि कल्याण सिंह अपने पोते को विधायक बनवाने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। 
चलना भी मुश्किल है
सब जानते हैं कि कल्याण सिंह का स्वास्थ्य बेहद खराब रहता है, उन्हें चार कदम चलने में भी परेशानी होती है। सीढिय़ां तो पकड़कर चढ़ाई जाती है। इतना स्वास्थ्य खराब होने के बाद  भी कल्याण सिंह चाहते हैं कि उन्हें यूपी में मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया जाए। यदि केन्द्र में नरेन्द्र मोदी और अमित शाह का दमखम नहीं होता तो कल्याण सिंह को काबू में रखना भाजपा के लिए मुश्किल होता।
एस.पी.मित्तल) (18-01-17)
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#2166
अमित शाह ने एनडी तिवारी को दिया गुलदस्ता। आखिर यूपी में कांग्रेस की फोटोकॉपी क्यों बन रही है भाजपा?
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18 जनवरी को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने कांग्रेस के वयोवृद्ध नेता एनडी तिवारी को गुलदस्ता भेंट कर स्वागत किया। तिवारी ने अमित शाह से आग्रह किया कि उनके बेटे रोहित शेखर को यूपी चुनाव में भाजपा का टिकिट दिया जाए। यदि भाजपा रोहित को उम्मीदवार बनाती है तो तिवारी यूपी और उत्तराखंड में भाजपा के लिए प्रचार भी कर सकते हैं। यह माना कि तीन बार यूपी और एक बार उत्तराखंड के सीएम रहे तिवारी का आज भी प्रभाव है, लेकिन क्या भाजपा को यूपी में कांग्रेस की फोटोकॉपी बनना चाहिए? सब जानते हैं कि कांग्रेस में रहते हुए तिवारी ने क्या गुल खिलाए हैं। खुद भाजपा के नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस, सपा और बसपा ने मिलकर यूपी का भट्टा बैठा दिया है। यदि भाजपा एनडी तिवारी के बेटे को उम्मीदवार बनाती है तो मतदाताओं पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा। 18 जनवरी को भी तिवारी के साथ वो ही उज्ज्वला शर्मा थी, जिन्होंने पत्नी बनने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया। अदालत ने जब डीएनए टेस्ट के आदेश दिए, तब तिवारी ने उज्ज्वला को पत्नी और रोहित को बेटा माना। इससे अन्दाजा लगाया जा सकता है कि तिवारी किस प्रवृत्ति के इंसान हैं। इतना ही नहीं कि कांग्रेस के शासन में जब तिवारी गवर्नर थे, तब राजभवन में ही महिलाओं के साथ रहने के आरोप लगे। 
(एस.पी.मित्तल) (18-01-17)
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#2163
अच्छा हुआ दबंग बरी हो गया। फिर आना होगा 25 जनवरी को जोधपुर में।
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18 जनवरी को राजस्थान के जोधपुर की अदालत ने मुम्बईया फिल्मों के दबंग अभिनेता सलमान खान को बरी कर दिया। सलमान पर 18 वर्ष पूर्व काले हिरण के शिकार का आरोप है। सलमान और अन्य अभिनेत्रियों के विरुद्ध चार मुकदमे दर्ज हुए थे। दो मुकदमों में सलमान पहले ही बरी हो चुके हैें जबकि तीसरे मुकदमे में आज बरी हो गए। चौथे मुकदमे का फैसला 25 जनवरी को आने की उम्मीद है इसलिए सलमान को एक बार फिर 25 जनवरी को जोधपुर की अदालत में हाजिर होना पड़ेगा। सलमान के खिलाफ जो चार मुकदमे दर्ज हुए, उनमें से दो में निचली अदालत में सजा सुनाई थी, लेकिन बाद में सलमान खान हाईकोर्ट से बरी हो गए। हाईकोर्ट ने जब बरी किया तो कहा गया कि यह न्याय हुआ है, लेकिन जब निचली अदालत ने सजा सुनाई तो कहा गया कि सलमान सेलिब्रिटी हैं इसलिए सजा हुई है। यह भी कहा गया कि सलमान मुसलमान हैं इसलिए जेल जाना पड़ा। लेकिन 18 जनवरी को जोधपुर की उसी अदालत ने सलमान को बरी कर दिया, जिसने पूर्व में दो मुकदमों में सजा सुनाई थी। असल में अदालत सबूतों के आधार पर अपना फैसला देती है। देश की न्याय व्यवस्था में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का प्रावधान इसलिए रखा गया है ताकि निचली अदालत के फैसले से संतुष्टि न मिले तो ऊपरी अदालत में अपील की जाए। हाईकोर्ट ने जिन दो मुकदमों में सलमान को बरी किया है उसके विरूद्ध राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर रखी है। फिलहाल तीसरे मुकदमें में निचली अदालत से ही बरी हो जाने पर सलमान को राहत मिली है। अब उनके फैन्स जम कर जश्न मना सकते हंै।
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#2164
तो जोधपुर घराना भी दावा कर सकता है ब्रह्मा मंदिर पर।
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पुष्कर के विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर पर जोधपुर का राज परिवार भी अपना दावा प्रस्तुत कर सकता है। राजपुताना के इतिहास के जानकार और नागौर के प्रमुख समाजसेवी विक्रमसिंह टापरवाडा के अनुसार पूर्व में जोधपुर राज्य से ही ब्रह्मा मंदिर की देखरेख होती थी। राजपूत होने के नाते ही लहरपुरी को देखरेख का जिम्मा दिया गया था। बाद में जागीरी अधिग्रहण कानून के आ जाने और जोधपुर के तत्कालीन राजा हनवंत सिंह की आकस्मिक मौत होने की वजह से ही लहरपुरी ने मंदिर पर एकाधिकार कर लिया। पहली बार लहरपुरी की अध्यक्षता में ही ब्रह्मा मंदिर का ट्रस्ट बना और लहरपुरी ही महंत बन गए। टापरवाडा के अनुसार महंत के पद का संबंध किसी भी अखाड़े अथवा साधु संत की परम्परा से संबंध नहीं रखता है। यही वजह है कि मंदिर के पुजारी पुष्कर के स्थानीय नागरिक ही बनते रहे हंै। अब भले ही अनेक लोग महंत की गद्दी पर दावा कर रहे हों, लेकिन मंदिर की संपत्ति पर जोधपुर घराने का वैधानिक अधिकार है। जागीरी अधिग्रहण के समय जोधपुर घराने के वर्तमान प्रमुख गजसिंह नाबालिग थे इसलिए उस समय घराने की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया गया। टापरवाडा के अनुसार आज भी जोधपुर घराना मंदिर की देखरेख और प्रबंध का काम संभाल सकता है।
(एस.पी.मित्तल) (18-01-17)
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Tuesday 17 January 2017

#2161
तो कश्मीर के अलगाववादी आमिर खान पर क्यों नहीं जताते एतराज? आखिर जायरा को क्यों मांगनी पड़ी माफी?
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कश्मीर घाटी में मुस्लिम बालिकाओं की स्थिति कैसी है इसका अंदाजा 16 वर्षीय जायरा वसिम से लगाया जा सकता है। जायरा ने आमिर खान की फिल्म दंगल में गीता फोगाट के बचपन का किरदार निभाया था। इससे जायरा को जो शोहरत मिली, उसकी वजह से पूरे देश में जायरा को रोल मॉडल माना गया। शोहरत की वजह से ही जम्मू कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने भी जायरा को मिलने के लिए बुलाया। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि अब जायरा वसीम ने सोशल मीडिया पर माफी मांगी है। जायरा ने बगैर किसी का नाम लिए कहा कि मुझे रोल मॉडल समझना उनकी बेइज्जती होगी और उनकी बेज्जती हम सब की बेइज्जती होगी। जायरा ने महबूबा मुफ्ती से अपनी मुलाकात को भी गलत ठहरा दिया। कहा जा रहा है कि जायरा के माफीनामे के पीछे कश्मीर के अलगावादियों का दबाव है। अलगाववादी पहले ही घाटी में लड़कियों के स्कूल जलाते रहे हैं। कोई मुस्लिम लड़की फिल्मों में काम करे, यह अलगाववादियों को पसंद नहीं है। सवाल उठता है कि जायरा वसीम के साथ-साथ अभिनेता आमिर खान पर एतराज क्यों नहीं जताया जाता? आमिर भी तो फिल्मों में काम करते हैं। यदि अलगाववादियों की नजर में लड़कियों का फिल्मों में काम करना बुरा है तो फिर पुरुषों के लिए भी ऐसा ही मापदण्ड होना चाहिए। अलगाववादी जो दबाव जायरा पर बना रहे हैं वैसा ही दबाव आमिर खान पर भी बनना चाहिए। यह तो अच्छा हुआ कि दंगल फिल्म के निर्देशक और अभिनेता दोनों ही आमिर खान है। यदि जायरा वसीम की फिल्म का हीरो आमिर की जगह कोई दूसरा होता तो जायरा की मुसीबत और बढ़ जाती। इस समय भले ही जम्मू कश्मीर की सीएम की कुर्सी पर महिला विराजमान हो लेकिन जायरा की कहानी बताती है कि मुस्लिम लड़कियों को किस दौर से गुजरना पड़ रहा है।
(एस.पी.मित्तल) (17-01-17)
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सरकार के लिए आसान नहीं है ब्रह्मा मंदिर में प्रशासक को बैठाना। हालातों पर सीएम राजे की नजर।
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विश्व विख्यात पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर पर 17 जनवरी को भी कोई निर्णय नहीं हो सका। मंदिर के महंत के पद को लेकर विभिन्न पक्षों में जो घमासान मचा हुआ है, उसमें राज्य की भाजपा सरकार मंदिर पर प्रशासक नियुक्त करना चाहती हैं। यही वजह है कि मंदिर के हालातों पर सीएम वसुंधरा राजे स्वयं निगरानी कर रही हैं। राजे अजमेर के कलेक्टर गौरव गोयल से मंदिर के बारे में जानकारी लेती है। लेकिन मंदिर के जो हालात हैं, उसमें सरकार के लिए प्रशासक की नियुक्ति आसान नहीं है। गत 11 जनवरी को एक सड़क दुर्घटना में मंदिर के महंत सोमपुरी की मौत हो गई थी। सोमपुरी की मौत के साथ ही महंत की गद्दी पर गिद्ध नजरें लग गई। महानिर्वाणी अखाड़े के साधु-संत 12 जनवरी से ही मंदिर परिसर में डेरा जमाए हैं। वहीं मंदिर के कुछ ट्रस्टियों ने दिवंगत महंत के भतीजे दिवलाल को ही महंत घोषित कर दिया। यह बात अलग है कि दिवलाल और ट्रस्टी मंदिर में प्रवेश भी नहीं कर पा रहे हैं। इस समय मंदिर पर पुजारी लक्ष्मी नारायण, सुरेश पुरी, प्रज्ञान पुरी आदि का कब्जा है। इन पुजारियों को पुष्कर के अधिकांश तीर्थ पुरोहितों का भी समर्थन है। तीर्थ पुरोहित भी चाहते हैं कि महंत का पद किसी पुजारी को मिल जाए। असल में पुजारियों की वजह से ही तीर्थ पुरोहितों का दखल मंदिर में बना हुआ है। पुजारियों की वजह से ही पुरोहितों को यह पता रहता है कि उनके किस जजमान ने कितनी राशि मंदिर में चढ़ाई है। पूर्व में जब महंत लहरपुरी का निधन हुआ था तब भी पुरोहितों ने महंत की गद्दी पर अपना दावा जताया था। असल मेें पुष्कर के धार्मिक महत्व को बढ़ाने में पुरोहितों की खास भूमिका है। सभी दावेदारों की ताकत को देखते हुए सरकार ने एक बीच का रास्ता निकाला है। सरकार चाहती है कि प्रशासक की नियुक्ति से पहले एक प्रबंध समिति को मंदिर के कामकाज की जिम्मेदारी सौंप दी जाए। इस समिति में सरकारी अधिकारी को ही सदस्य बनाने का विचार है। लेकिन इस प्रबंध समिति की घोषणा करने की हिम्मत भी फिलहाल नहीं हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार अब 27 जनवरी को होने वाली षोड़शी रस्म का इंतजार करना चाहती है। दिवंगत महंत सोमपुरी के निधन पर मंदिर परिसर में यह रस्म होगी। इस रस्म का जिम्मा महानिर्वाणी अखाड़े के पास है। अखाड़े की ओर से इस दिन नए महंत की घोषणा की जाएगी। फिलहाल प्रशासन ने महंत के कक्ष को सील कर रखा है। देखना है कि सरकार इन परिस्थितियों से किसी प्रकार निपटती है। 
विधायक तटस्थ
इस समय भाजपा के सुरेश सिंह रावत पुष्कर के विधायक है। रावत को पिछले दिनों ही संसदीय सचिव बनाया गया है। ब्रह्मा मंदिर के प्रकरण में विधायक रावत तटस्थ बने हुए हैं। रावत ने अपनी सूझ-बूझ से ही पुष्कर नगरपालिका के अध्यक्ष कमल पाठक को भी नियंत्रण कर रखा है। पाठक का बस चले तो आज ही ब्रह्मा मंदिर पर प्रशासक की नियुक्ति करवा दें। पाठक ने तो गत वर्ष ही मंदिर अधिग्रहण का प्रस्ताव साधारण सभा में मंजूर कर राज्य सरकार को भिजवा दिया था। पालिका के 20 पार्षदों में से 18 ने अधिग्रहण प्रस्ताव का समर्थन किया। लेकिन विधायक रावत वर्तमान हालातों में कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। रावत को पता है कि प्रशासक की नियुक्ति को पुष्कर के पुरोहित और स्थानीय नागरिक पसन्द नहीं करेंगे। रावत ने पालिका अध्यक्ष पाठक से भी फिलहाल शांति बनाए रखने को कहा है। 
एस.पी.मित्तल) (17-01-17)
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Monday 16 January 2017

#2157
अजमेर के विकास के लिए हर संभव प्रयास। भूपेन्द्र यादव ने सांसद कोष से अब तक 7 करोड़ रुपए दिए।
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भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और अजमेर से राज्य सभा के सांसद भूपेन्द्र सिंह यादव ने कहा है कि वे अजमेर के विकास के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। 15 जनवरी को अजमेर के जेएलएन अस्पताल में आयोजित एक समारोह में यादव ने अपने सांसद कोष से यूरोलॉजी विभाग में एक मंजिल के भवन निर्माण के लिए 50 लाख रुपए देने की घोषणा की। इस अवसर पर यादव ने कहा कि उन्होंने जरूरत को देखते हुए अजमेर शहर के विकास के लिए अब तक 7 करोड़ रुपए दिए हंै। सर्वाधिक राशि 5 करोड़ 32 लाख रुपए अजमेर विकास प्राधिकरण को दी है। विद्युत निगम को 6 लाख तथा रेलवे को करीब 50 लाख रुपए सांसद कोष में दिए हंै। उन्होंने कहा कि मेरे पास अजमेर का कोई भी व्यक्ति समस्या लेकर आता है तो मैं उसे समाधान करने का पूरा प्रयास करता हूं। चाहे अजमेर डेयरी के लिए 55 करोड़ की सब्सिडी वाला 250 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट हो अथवा अरबन बैंक के खातेदारों को जमा राशि का भुगतान। पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव होने के नाते मुझे देशभर में जाना होता है, लेकिन फिर भी मैं अपने अजमेर शहर में नियमित आता हूं। मैं अजमेर आने पर आम लोगों से सीधा संवाद भी करता हूं। उन्होंने कहा कि अजमेर की जो समस्याएं केन्द्र सरकार से संबंधित हैं उनका समाधान जल्द से जल्द करवाया जा रहा है।
(एस.पी.मित्तल) (16-01-17)
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#2158
बीएसटीसी की परीक्षा अजमेर से छीनी। क्या इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं?
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शिक्षक पात्रता के लिए अनिवार्य बीएसटीसी की प्रदेश स्तरीय परीक्षा अब कोटा यूनिवर्सिटी के द्वारा करवाई जाएगी। पिछले कई वर्षो से यह परीक्षा अजमेर की एमडीएस यूनिवर्सिटी करवा रही थी। माना जा रहा है कि अजमेर की यूनिवर्सिटी से यह परीक्षा छीन लेने के पीछे राजनीतिक कारण हैं। सब जानते है कि शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी का अजमेर गृह जिला है, लेकिन एमडीएस में बीएसटीसी की परीक्षा के समन्वयक प्रो. बी.पी.सारस्वत हैं। सारस्वत देहात भाजपा के जिलाध्यक्ष भी हैं। सारस्वत की देखरेख में ही उद्यमिता एवं लघु व्यावसाय प्रबंधन केन्द्र भी चलता है। इस केन्द्र की प्रशंसा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे कई बार कर चुकी हैं। राजे चाहती है कि अजमेर जैसे केन्द्र प्रदेश की सभी यूनिवर्सिटी में शुरू हों। ऐसे में अजमेर यूनिवर्सिटी से बीएसटीसी की प्रदेश स्तरीय परीक्षा छीन जाना राजनीतिक दृष्टि से भी मायने रखता है। गत वर्ष पीटीईटी की परीक्षा भी छीन कर कोटा यूनिवर्सिटी को दी गई थी, लेकिन परीक्षा के दौरान हुई गड़बडिय़ों को देखते हुए पीटीईटी की परीक्षा की जिम्मेदारी तो पुन: अजमेर को दे दी गई लेकिन बीएसटीसी की परीक्षा छीन ली गई है। इस संबंध में परीक्षा के समन्वयक प्रो.सारस्वत का कहना है कि सरकार उन्हें जो जिम्मेदारी देती है उसका निर्वहन पूरी निष्ठा के साथ किया जाता है। एमडीएस यूनिवर्सिटी बीएसटीसी और पीटीईटी दोनों परीक्षाएं करने में सक्षम है। सरकार ने बीएसटीसी की परीक्षा अजमेर से क्यों छीनी है, इसके बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। वहीं दूसरी ओर जानकार सूत्रों का मानना है कि भाजपा की आंतरिक राजनीति की वजह से बीएसटीसी की परीक्षा अजमेर से छीनी गई है। 
एस.पी.मित्तल) (16-01-17)
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#2159
रिलायंस के पम्पों पर एक रुपया सस्ता मिल रहा है डीजल। 10 माह में 15 रुपए लीटर मंहगा हुआ पैट्रोल।
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अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जब कच्चे तेल की कीमत घट रही है, तब देश में केन्द्र सरकार ने एक बार फिर डीजल और पैट्रोल के दामों में वृद्धि कर दी है। 16 जनवरी से उपभोक्ताओं को डीजल के 64 रुपए प्रति लीटर और पैट्रोल के 75 रुपए तक प्रति लीटर के दाम चुकाने होंगे। पिछले 10 माह में सरकार ने पैट्रोल और डीजल के दामों में करीब 15 रुपए की वृद्धि की है। तेल उत्पादों में वृद्धि को लेकर आम जनता कई बार सवाल उठा चुकी हैं, लेकिन सरकार की ओर से आज तक भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है। यह माना कि केन्द्र सरकार 5 करोड़ रुपए गरीबों को रसोई गैस का कनेक्शन दे रही है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि समाज के एक वर्ग से पैसा छीनकर दूसरे वर्ग को दे दिया जाए। सरकार को यह भी समझना चाहिए कि आज गरीब व्यक्ति के पास भी दुपहिया मोटर वाहन है। ऐसे में पैट्रोल की वृद्धि से गरीब व्यक्ति पर भी सीधा असर पड़ता है। कांग्रेस के शासन में तो एक बैरल कच्चा तेल 120 डालर तक पहुंच गया था, उस समय पैट्रोल अधिकतम 76 रुपए प्रतिलीटर बिका। लेकिन आज तो एक बैरल कच्चा तेल 50 डालर से भी कम में मिल रहा है फिर भी केन्द्र सरकार 75 रुपए प्रति लीटर पैट्रोल बेच रही है। यह कहना फालतु की बात है कि तेल कंपनियां अपने फार्मूले से मूल्यों का निर्धारण करती हैं। क्या कोई सरकार तेल कंपनियों को उपभोक्ताओं का लूटने की छूट दे सकती है? नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार माने या नहीं, लेकिन डीजल, पैट्रोल के दाम लगातार बढऩे से लोगों में नाराजगी है। लोगों में इस बात का डर है कि जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढऩे लगेंगे तब क्या होगा?
रिलायंस का डीजल सस्ता
अजमेर में श्रीनगर रोड स्थित रिलायंस पैट्रोल पंप के मालिक एस.पी. सहगल ने बताया कि रिलायंस के पम्पों पर सरकार की तेल कंपनियों के पम्पों के मुकाबले में डीजल एक रुपया प्रति लीटर सस्ता मिल रहा है। कंपनियों के पम्पों पर एक लीटर डीजल के 63 रुपए 2 पैसे चुकाने होते हैं जबकि रिलायंस के पम्प पर 62 रुपए 2 पैसे ही देने है। जिन उपभोक्ताओं के पास फ्लीड कार्ड है, उन्हें तो डीजल पर प्रति लीटर 65 पैसे का डिस्काउंट दिया जा रहा है। देश भर में रिलायंस के करीब 6 हजार पैट्रोल पंप है। 
एस.पी.मित्तल) (16-01-17)
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#2159
रिलायंस के पम्पों पर एक रुपया सस्ता मिल रहा है डीजल। 10 माह में 15 रुपए लीटर मंहगा हुआ पैट्रोल।
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अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जब कच्चे तेल की कीमत घट रही है, तब देश में केन्द्र सरकार ने एक बार फिर डीजल और पैट्रोल के दामों में वृद्धि कर दी है। 16 जनवरी से उपभोक्ताओं को डीजल के 64 रुपए प्रति लीटर और पैट्रोल के 75 रुपए तक प्रति लीटर के दाम चुकाने होंगे। पिछले 10 माह में सरकार ने पैट्रोल और डीजल के दामों में करीब 15 रुपए की वृद्धि की है। तेल उत्पादों में वृद्धि को लेकर आम जनता कई बार सवाल उठा चुकी हैं, लेकिन सरकार की ओर से आज तक भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है। यह माना कि केन्द्र सरकार 5 करोड़ रुपए गरीबों को रसोई गैस का कनेक्शन दे रही है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि समाज के एक वर्ग से पैसा छीनकर दूसरे वर्ग को दे दिया जाए। सरकार को यह भी समझना चाहिए कि आज गरीब व्यक्ति के पास भी दुपहिया मोटर वाहन है। ऐसे में पैट्रोल की वृद्धि से गरीब व्यक्ति पर भी सीधा असर पड़ता है। कांग्रेस के शासन में तो एक बैरल कच्चा तेल 120 डालर तक पहुंच गया था, उस समय पैट्रोल अधिकतम 76 रुपए प्रतिलीटर बिका। लेकिन आज तो एक बैरल कच्चा तेल 50 डालर से भी कम में मिल रहा है फिर भी केन्द्र सरकार 75 रुपए प्रति लीटर पैट्रोल बेच रही है। यह कहना फालतु की बात है कि तेल कंपनियां अपने फार्मूले से मूल्यों का निर्धारण करती हैं। क्या कोई सरकार तेल कंपनियों को उपभोक्ताओं का लूटने की छूट दे सकती है? नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार माने या नहीं, लेकिन डीजल, पैट्रोल के दाम लगातार बढऩे से लोगों में नाराजगी है। लोगों में इस बात का डर है कि जब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम बढऩे लगेंगे तब क्या होगा?
रिलायंस का डीजल सस्ता
अजमेर में श्रीनगर रोड स्थित रिलायंस पैट्रोल पंप के मालिक एस.पी. सहगल ने बताया कि रिलायंस के पम्पों पर सरकार की तेल कंपनियों के पम्पों के मुकाबले में डीजल एक रुपया प्रति लीटर सस्ता मिल रहा है। कंपनियों के पम्पों पर एक लीटर डीजल के 63 रुपए 2 पैसे चुकाने होते हैं जबकि रिलायंस के पम्प पर 62 रुपए 2 पैसे ही देने है। जिन उपभोक्ताओं के पास फ्लीड कार्ड है, उन्हें तो डीजल पर प्रति लीटर 65 पैसे का डिस्काउंट दिया जा रहा है। देश भर में रिलायंस के करीब 6 हजार पैट्रोल पंप है। 
एस.पी.मित्तल) (16-01-17)
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#2160
क्या गरीबी की वजह से फटा कुर्ता पहनने का मजबूर हैं राहुल गांधी?
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क्या नेहरू-गांधी परिवार के इतने बुरे दिन आ गए हैं कि परिवार के युवराज राहुल गांधी को फटा हुआ कुर्ता पहनना पड़ रहा है। 16 जनवरी को राहुल ने उत्तराखंड के ऋषिकेश में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। राहुल ने कहा कि एक तरफ 15 लाख रुपए का सूट पहनने वाले नरेन्द्र मोदी हैं तो दूसरी तरफ फटा कुर्ता पहनने वाला मैं गरीब हूं। अपना फटा कुर्ता दिखाने के लिए राहुल माइक छोड़कर मंच के बीच में आए और जेब में हाथ डालकर बताया कि उनका कुर्ता फटा हुआ है। सब जानते हैं कि यह राहुल गांधी का चुनाव स्टंट है। कोई भी यह बात मानने को तैयार नहीं होगा कि राहुल गांधी गरीबी की वजह से फटा कुर्ता पहन रहे हैं। राहुल गांधी उस पार्टी के युवराज हैं, जिसने इस देश पर करीब 55 वर्ष राज किया है। उनके नाना जवाहर लाल नेहरू और दादी श्रीमती इंदिरा गांधी तो कोई 32 वर्ष तक इस देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके पिता राजीव गांधी भी देश के पीएम रहे। मनमोहन सिंह से लेकर नरसिंह राव तक की कांगे्रस सरकार कैसे चली है, इसे पूरा देश जानता है। यूपीए के शासनकाल में 2जी से लेकर 1 लाख 76 हजार करोड़ का कोयला घोटाला तक हुआ। ऐसे में राहुल गांधी गरीबी की वजह से फटा कुर्ता पहन रहे हैं तो यह बात किसी के भी गले नहीं उतरेगी। राहुल गांधी स्वयं बताएं कि जब पैसे के अभाव में फटा कुर्ता पहन रहे हैं तो फिर चुनावी सभाओं के लिए स्पेशल हेलीकॉप्टर कहां से आया? राहुल गांधी को एसपीजी की सुरक्षा मिली हुई है। जनता जो टैक्स देती है, उसी से राहुल की सुरक्षा पर करोड़ों रुपया खर्च किए जाते हंै। इतना ही नहीं राहुल गांधी और उनकी माताजी श्रीमती सोनिया गांधी को भी दिल्ली में मंत्रियों वाले बंगले मिले हुए हैं। यह सही है कि विपक्ष में होने के नाते राहुल गांधी को केन्द्र सरकार पर हमला करने का अधिकार है, लेकिन अच्छा हो कि राहुल गांधी ऐसे तथ्य रखे जो आम लोगों के गले उतर जाएं। राहुल गांधी फटा कुर्ता पहनने को मजबूर है, इस बात को कोई स्वीकार नहीं करेगा। जो लोग राहुल गांधी से चुनावी स्टंट करवा रहे हैं, उनकी भी यह जवाबदेही है कि वे राहुल को हंसी का पात्र न बनवाएं। 
(एस.पी.मित्तल) (16-01-17)
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Sunday 15 January 2017

#2153
सरदार नवजोत सिंह ने मोदी के बजाए राहुल गांधी पर भरोसा किया। अब कपिल शर्मा के कॉमेडी शो का क्या होगा?
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15 जनवरी को दिल्ली में पूर्व क्रिकेटर और हंसी-मजाक के लिए मशहूर सरदार नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस ज्वॉइन कर ली। सिद्धू राहुल गांधी के घर गए और राहुल ने गले में कांग्रेस के चिन्ह वाला दुपट्टा डाल दिया। अब सिद्धू पंजाब चुनाव में कांग्रेस के लिए सिद्धू वाणी का प्रसारण करेंगे। स्वभाविक है कि गले में पट्टा डलवाने से पहले सिद्धू ने राहुल गांधी से कोई राजनीतिक डील की होगी। सिद्धू किस पार्टी में राजनीति करें, यह उनका व्यक्तिगत निर्णय है, लेकिन सब जानते हैं कि सिद्धू दो माह पहले तक भाजपा में थे। 15 जनवरी को जिस तरह सिद्धू ने राहुल गांधी से डील की, वैसी ही डील पूर्व में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी की थी। तब मोदी ने अपने वायदे के मुताबिक सिद्धू् को राज्यसभा का सदस्य भी बनवा दिया। तब मोदी ने सिद्धू को पंजाब में भाजपा और अकाली दल के गठबंधन की मजबूरियों को समझते हुए राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने का सुझाव दिया था। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सिद्धू ने मोदी की बजाय राहुल गांधी पर ज्यादा भरोसा किया। इसमें कोई दोराय नहीं कॉमेडी के क्षेत्र में सिद्धू की जबरदस्त लोकप्रियता है। सिद्धू के अब पंजाब में कांग्रेस के प्रचार करने से यह सवाल उठता है कि कपिल शर्मा के कामेडी शो का क्या होगा? कपिल के शो के लिए सिद्धू को शूटिंग के लिए मुंबई में रहना जरूरी है। 
(एस.पी.मित्तल) (15-01-17)
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#2154
राजस्थान के मुख्यमंत्री के लिए कांग्रेस में रामेश्वर डूडी के समर्थन में नारे लगे। पायलट समर्थकों को झटका। 
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15 जनवरी को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी ने जयपुर में सिविल लाइन स्थित अपने सरकारी आवास पर जनसुनवाई की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में डूडी के समर्थक एकत्रित हुए। जनसुनवाई की रस्म के दौरान ही डूडी को राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने के समर्थन में जमकर नारे लगे। डूडी ने भी किसी भी समर्थक को नारे लगाने से नहीं रोका। सरकारी आवास पर जब डृूडी के समर्थन में नारे लग रहे थे, तब कांगे्रस में जाट समुदाय के प्रभावशाली नेता नारायण सिंह मुस्करा रहे थे। इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमो नारायण मीणा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बी.डी. कल्ला, विधायक महेन्द्र चौधरी, पूर्व विधायक नाथुराम सिनोदिया, भंवर चौधरी आदि भी उपस्थित थे। यहां यह उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को ही भावी मुख्यमंत्री माना जा रहा है। इसको लेकर पायलट के समर्थक भी उत्साहित हंै। लेकिन वहीं प्रदेश की राजनीति में बार-बार यह मांग उठती रही है कि जाट समुदाय के किसी नेता को सीएम बनाया जाए। हालांकि अभी यह गर्भ में है कि दो वर्ष बाद चुनाव के परिणाम क्या रहते हैं ? लेकिन पायलट के मुकाबले में डूडी के समर्थन में नारे लगना कांग्रेस की राजनीति में महत्वपूर्ण बात है। कांग्रेस ही नहीं बल्कि भाजपा में भी यह मांग उठती रही है कि किसी जाट नेता को सीएम बनाया जाए। 
एस.पी.मित्तल) (15-01-17)
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#2155
श्रीजी के अंतिम संस्कार में एक लाख श्रद्धालु आए। शोभायात्रा नहीं निकलने से गांव वाले मायूस। 
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15 जनवरी को अजमेर जिले के सलेमाबाद गांव में निम्बार्क पीठ के आचार्य श्रीजी महाराज का अंतिम संस्कार वैष्णव परम्परा के अनुरूप हो गया। इस अवसर पर कोई एक लाख श्रद्धालु उपस्थित थे। श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ को नियंत्रित करने में प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को भारी मशक्कत करनी पड़ी। 87 वर्षीय श्रीजी का निधन 14 जनवरी को हो गया था। चूंकि पूरे देश में निम्बार्क पीठ के अनुयायी हैं, इसलिए निधन की खबर के बाद से ही श्रद्धालुओं का सलेमाबाद आना शुरू हो गया था। पहले यह कहा गया कि 15 जनवरी को प्रात: 10 बजे श्रीजी की शोभायात्रा निकाली जाएगी। इसके लिए ग्रामीणों ने अपने घरों के बाहर के मार्ग को साफ-सुथरा भी किया। असल में सलेमाबाद को राज्यसभा के सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव ने गोद ले रखा है। सांसद कोष से ही इन दिनों सलेमाबाद में सड़कों का नवीनीकरण हो रहा है। इसलिए गांव की अधिकांश सड़कें उधड़ी पड़ी हैं, लेकिन गांव वालों ने 14 जनवरी की रात को ही बालू रेत मंगवा कर सड़कों को ठीक किया। सलेमाबाद में रह रहे ग्रामीणों ने श्रीजी के अंतिम दर्शनों के लिए अपने रिश्तेदारों को भी बुलाया। ग्रामीणों का यह मानना रहा, जब शोभायात्रा उनके घर के बाहर से निकलेगी तो अंतिम दर्शन कर लिए जाएंगे। लेकिन उधड़ी सड़कों और श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए शोभायात्रा निकालने का निर्णय निरस्त कर दिया गया। शोभायात्रा की जगह मंदिर परिसर में श्रीजी की पार्थिव देह की परिक्रमा करवाई गई और फिर समाधि स्थल पर अंतिम संस्कार किया गया। शोभायात्रा नहीं निकलने से ग्रामीण मायूस नजर आए। 
नेताओं का जमघट 
सुबह सूचना थी कि सीएम वसुंधरा राजे स्वयं सलेमाबाद आएंगी, लेकिन बदले हुए कार्यक्रम में सीएम ने अपनी ओर से मंत्री राजकुमार रिणवा को भेज दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व सीएम अशोक गहलोत अपने पक्के समर्थक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती के साथ सलेमाबाद पहुंचे और श्रीजी की पार्थिव देह पर पुष्प चढ़ाए। इसी प्रकार अजमेर से जुड़े मंत्री वासुदेव देवनानी, श्रीमती अनिता भदेल, सांसद व राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष सांवरलाल जाट, संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत, शत्रुघ्न गौतम, विधायक भागीरथ चौधरी आदि ने भी श्रद्धांजलि दी।
मुरारी बापू भी आए
सुप्रसिद्ध कथावाचक मुरारी बापु भी 15 जनवरी को सलेमाबाद आए। मुरारी बापू विशेष विमान से किशनगढ़ स्थित हवाई अड्डे पर उतरे और फिर सड़क मार्ग से सलेमाबाद गए। मुरारी बापू श्रीजी के अंतिम संस्कार के बाद पहुंचे। बापू ने श्रीजी के उत्तराधिकारी युवाचार्य श्यामशरण के समक्ष अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। मालूम हो कि मुरारी बापू भी वैष्णव सम्प्रदाय के हैं। मुरारी बापू सलेमाबाद में भागवत कथा भी कर चुके हैं। 
प्रशासन को करनी पड़ी मशक्कत
छोटे से गांव सलेमाबाद में एक लाख लोगों के जुटने से प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों को भारी मशक्कत करनी पड़ी। असल में श्रीजी के अंतिम संस्कार में इतने लोगों के आने का अनुमान प्रशासन को भी नहीं लगा। किशनगढ़ के एसडीएम अशोक कुमार और ग्रामीण क्षेत्र के एएसपी भोलाराम ने ही सलेमाबाद में मोर्चा संभाले रखा। इन दोनों अधिकारियों ने जिला एवं पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारियों की गैर मौजूदगी को अखरने नहीं दिया। ये दोनों अधिकारी श्रीजी के निधन के बाद ही सलेमाबाद पहुंच गए। ये दोनों अधिकारी सलेमाबाद में स्थिति सामान्य होने के बाद ही लौटे। भीड़ को नियंत्रित करने में इन दोनों अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही। 
शंकराचार्य ने भी जताया शोक 
श्रीजी के निधन पर द्वारका व बद्रीका पीठ के पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपाचंद्र सरस्वती ने भी शोक प्रकट किया है। 
एस.पी.मित्तल) (15-01-17)
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आखिर चित्तौड़ के कब्रिस्तान में दफन नहीं हो सके अहमद हुसैन।
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इसे सामाजिक विसंगतियां ही कहा जाएगा कि 46 वर्षीय अहमद हुसैन का शव राजस्थान के चित्तौड़ शहर के सार्वजनिक कब्रिस्तान में दफन नहीं हो सका। हुसैन की बेवा रूकैया बानो ने समाज के प्रतिनिधियों के समक्ष गिड़गिड़ाते हुए शव के दफन का आग्रह किया। इसके लिए रूकैया बानो ने पुलिस तक की मदद मांगी और अपने पति का शव दिनभर अपने सीने से चिपकाए रखा, लेकिन किसी का भी रूकैया बानो के लिए दिल नहीं पसीजा। इतना ही नहीं पुलिस ने 14 जनवरी की रात के अंधेरे में अहमद हुसैन के शव को बाहर निकाला और तेज गति से उसके गांव बिगोद ले गई। अहमद हुसैन लंबे अरसे से चित्तौड़ में ही रह रहे थे और उनका निधन 14 जनवरी की सुबह हो गया था। चूंकि अहमद हुसैन का घर चित्तौड़ में ही है, इसलिए शव का दफन चित्तौड़ के कब्रिस्तान में ही करना चाहते थे। लेकिन कब्रिस्तान की प्रबंधन समिति से जुड़े लोगों ने अहमद हुसैन के शव को दफन नहीं होने दिया। यहां तक कि शव के दफन के लिए जो कब्र खोदी गई थी, उसे भी वापस भर दिया गया। मुस्लिम धर्म में नमाज का सबसे बड़ा महत्व है और यह माना गया है कि बादशाह और फकीर एकसाथ नमाज पढ़ सकता है। लेकिन इसे सामाजिक विसंगति ही कहा जाएगा कि मौत के बाद कब्रिस्तान में जगह नहीं मिलती है। 
एस.पी.मित्तल) (15-01-17)
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Saturday 14 January 2017

#2150
वैष्णव सम्प्रदाय के झंडा बरदार थे निम्बार्क पीठ के आचार्य श्रीजी महाराज। 
15 जनवरी को सलेमाबाद में होगा अंतिम संस्कार।
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14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन जब सूर्य देवता उत्तराण हो रहे थे तभी अजमेर के सलेमाबाद स्थित निम्बार्क पीठ के आचार्य जगद्गुरु श्रीजी महाराज ने अपना शरीर त्याग दिया। 87 वर्षीय जगद्गुरु ने रोजाना की तरह पंडित दामोदार से नव पंचाग सुना और फिर अंतिम आशीर्वाद देते हुए अपनी आंखें हमेशा के लिए बंद कर लीं। अब निम्बार्क पीठ और वैष्णव सम्प्रदाय की पंरपरा के अनुरूप श्रीजी महाराज की देह का 15 जनवरी को प्रात: दस बजे मंदिर परिसर में ही अंतिम संस्कार किया जाएगा। 14 जनवरी को देहावासन की खबर मिलते ही वैष्णव सम्प्रदाय के हजारों श्रद्धालु निम्बार्क पीठ पहुंचना शुरू हो गए हैं। 
मात्र 16 वर्ष की उम्र में बने पीठ के आचार्य 
श्रीजी महाराज मात्र 16 वर्ष की उम्र में श्री अखिल भारतीय जगद्गुरु निम्बाकाचार्य पीठ के पीठाधीश्वर बन गए थे। 6 वर्ष की उम्र में आपने संन्यास ले लिया था। आपने वृंदावन और बंगाल में वैदिक ज्ञान लिया। सलेमाबाद स्थित राधासर्वेश्वर मंदिर के विकास में श्रीजी महाराज ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज इस पीठ का जो विशाल स्वरूप देखा जा रहा है, उसका श्रेय श्रीजी महाराज को ही है। देशभर में निम्बार्क पीठ की सम्पत्तियों को संभालने और सुरक्षित रखने में भी श्रीजी महाराज ने कोई कसर नहीं छोड़ी। सत्ता के बड़े से बड़े नेता ने श्रीजी के चरणों में शीश नवाया, लेकिन श्रीजी हमेशा सरल स्वभाव के बने रहे। ऐसे लाखों भक्त मिल जाएंगे जो अपना सब कुछ श्रीजी को ही मानते हैं, इसे श्रीजी का सद्व्यवहार ही कहा जाएगा कि गृह प्रवेश से लेकर कंपनी की शुरुआत तक के शुभ मौकों पर श्रीजी ने अपनी ईश्वरीय उपस्थित दर्ज करवार्ई। 
राष्ट्रपति सम्मान:
वेदों के अध्ययन, संस्कृत के विकास और अनेक पुस्तकें लिखने पर गत वर्ष राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने श्रीजी महाराज को एक भव्य समारोह में सम्मानित किया। हिन्दू संस्कृति पर श्रीजी ने जो पुस्तकें लिखी हैं वे देश के करीब 20 विश्व विद्यालयों में पढ़ाई जाती है। श्रीजी के जीवन और लेखन पर अब तक कोई 60 विद्यार्थियों ने पीएचडी की है। 
युवाचार्य श्यामशरण है उत्तराधिकारी:
श्रीजी महाराज ने युवाचार्य श्याम शरण को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर रखा है। पिछले कई वर्षों से युवाचार्य ही श्रीजी के स्थान पर धार्मिक समारोह में भाग ले रहे थे। युवाचार्य ने भी श्रीजी के सान्निध्य में वेदों का अध्ययन किया है। 
585 वर्ष पुराना है मंदिर:
वैष्णव सम्प्रदाय के विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम सिंह टापरवाल ने बताया कि सलेमाबाद में बना श्री राधा सर्वेश्वर भगवान का मंदिर 585 वर्ष पुराना है। आचार्य परशुराम देवाचार्य सर्वेश्वर भगवान की प्रतिमा को वृंदावन से लेकर आए थे। बाद में शेरशाह सूरी ने मंदिर के लिए भूमि दी और खेजडला ठाकुर ने मंदिर का निर्माण करवाया। धीरे-धीरे यह मंदिर वैष्णव   सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र बन गया। मंदिर का इतिहास देश के स्वतंत्रता आंदोलन से भी जुड़ा हुआ है। अजमेर के खरवा क्षेत्र के क्रांतिकारी गोपाल सिंह ठाकुर ने भी निम्बार्क पीठ में शरण ली थी। यूं तो निम्बार्क पीठ का सम्पूर्ण देश में प्रभाव है, लेकिन बृज क्षेत्र तो पूरी तरह निम्बार्क पीठ का ही है। आज भी बृज में अनेक मंदिर इसी पीठ के हैं। 
सीएम ने जातई संवेदना:
श्रीजी महाराज के देवलोक गमन पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने शोक व्यक्त किया है। राजे ने अपने शोक संदेश में कहा कि श्रीजी महाराज की प्रसिद्धि निम्बार्क सम्प्रदाय में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत के धार्मिक एवं आध्यात्मिक जगत में थी। उन्होंने मानवता के कल्याण, धर्म के प्रसार तथा सामाजिक समरसता को मजबूत करने के साथ-साथ आचार्य परंपरा को समृद्ध किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आचार्य श्रीजी महाराज के देवलोक गमन से निम्बार्क परिसर में ही नहीं पूरे आध्यात्मिक जगत में रिक्तता आ गई है। उन्होंने निम्बार्क सम्प्रदाय को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है। 
(एस.पी.मित्तल) (14-01-17)
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Thursday 12 January 2017

#2140
बहादुर सिंह और जीत सिंह के बयानों को हल्के में न ले सरकार। 
अभी और आ सकते हैं ऐसे वीेडियो।
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बीएसएफ के जवान बहादुर सिंह के वीडियो की आवाज अभी धीमी भी नहीं हुई थी कि 12 जनवरी को सीआरपीएफ के जवान जीत सिंह का वीडियो सोशल मीडिया और न्यूज चैनलों पर गूंज उठा। जीत सिंह ने वीडियो के माध्यम से कहा कि सेना और सीआरपीएफ के जवान की ड्यूटी एक सी है। लेकिन सरकार सुविधाएं देने में भेदभाव कर रही है। सीआरपीएफ के जवानों को सेना के जवानों की तरह न तो पेंशन मिलती है और न ही सेवानिवृत्ति के बाद आरक्षित कोटे में सरकारी नौकरी। यह माना कि सरकार ने सीआरपीएफ, बीएसएफ जैसे सुरक्षा बलों को अद्र्धसैनिक माना है, इसलिए उनकी तुलना भारतीय सेना के जवानों से नहीं की जा सकती। लेकिन देश के वर्तमान हालातों में ऐसे सुरक्षा बलों के जवान भी सेना के जवानों की तरह चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।  कश्मीर, उत्तर पूर्व राज्यों व बिहार, बंगाल, छत्तीसगढ़ आदि में आतंकियों के साथ-साथ नक्सलियों से भी उसी तरह मुकाबला करना पड़ रहा है, जैसे देश की सीमा पर सेना का जवान करता है। बल्कि कई बार तो विपरीत परस्थितियों  में सुरक्षा बलों के जवानों को अपनी जान देनी पड़ती है। हालांकि यह मामला पूरी तरह देश की सुरक्षा से जुड़ा हुआ है और इस पर मीडिया में फालतू के कयास नहीं लगाए जाने चाहिए। लेकिन वहीं सरकार की भी यह जिम्मेदारी है कि जवानों के आरोपों को हल्के में न लें। अब चूंकि एक के बाद एक वीडियो का सिलसिला शुरू हो गया है तो आने वाले दिनों में और भी वीडियो सामने आ सकते हैं। हो सकता है कि कुछ वीडियो एक सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत बाहर आए। ऐसे में सरकार  और सुरक्षा बलों के शीर्ष अधिकारियों को सतर्कता के साथ-साथ जवानों की समस्याओं का समाधान भी करना चाहिए। यह सही है कि वर्ष 2004 से पहले तक सीआरपीएफ के जवानों को भी पेंशन की सुविधा थी। सरकार जब वन रेंक वन पेंशन के अनुरूप सेना के जवानों को अनेक सुविधाएं दे रही हैं। तब सुरक्षा बलों के जवानों की सहूलियों का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। 
(एस.पी.मित्तल) (12-01-17)
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#2142
तो भाजपाइयों ने प्रशासन के माथे मना लिया सरकार की उपलब्धियों का जश्न।
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12 जनवरी को अजमेर के आजाद पार्क में भाजपा के नेताओं ने जिला प्रशासन के कंधे पर सवार होकर अपनी सरकार की तीन वर्ष की उपलब्धियों का जश्न मना लिया। पहले इस जश्न में सीएम वसुंधरा राजे को भी आना था, लेकिन 10 जनवरी को आरएसएस के कैम्प में आ जाने की वजह से सीएम ने 12 जनवरी का अजमेर दौरा रद्द कर दिया। लेकिन सीएम ने अपने स्थान पर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष अशोक परनामी को भेज दिया। यही वजह रही कि भाजपा नेता तो उत्साहित दिखे, लेकिन सीएम के नहीं आने से जिला प्रशासन के अधिकारी मायूस रहे। प्रशासन ने सीएम की सभा के लिए जो पांडाल तैयार करवाया, उसके लिए ठेकेदार को 60 लाख रुपए का भुगतान होना है। इस जश्न पर प्रशासन का एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा खर्च अनुमानित है। आजाद पार्क में ही सरकारी विभागों की स्टालें लगाई गई, साथ ही निजी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध करवाने वाली अनुदानित संस्थाओं ने भी अपनी स्टालें लगाईं। जिले भर में सरकारी मदद से ही चल रहे संस्थानों में लगे ग्रामीणों को भी आजाद पार्क बुलाया गया। चाहे आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता हो अथवा नरेगा के श्रमिक। जिले भर के एसडीओ, बीडीओ, बीईओ, तहसीलदार आदि को भीड़ जुटाने के निर्देश दिए गए। वहीं जिले के सात भाजपा विधायक भी अपने-अपने समर्थकों के साथ आजाद पार्क पहुंचे। स्कूली बच्चों की जबरन उपस्थिति से पूरा आजाद पार्क खचा-खच भरा नजर आया। किशनगढ़ के भाजपा विधायक भागीरथ चौधरी के समर्थकों ने प्रदेश अध्यक्ष के सामने जमकर नारे बाजी की। जब भागीरथ चौधरी जिन्दा बाद के नारे लगे तो स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी के समर्थकों ने भी नारेबाजी शुरू कर दी। इसके बाद तो विधायकों के समर्थकों में नारेबाजी की होड़ मच गई। सभा में जहां प्रशासन की ओर से सरकारी की योजनाओं की क्रियान्वित के बारे में जानकारी दी गई, वहीं प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी से लेकर महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल ने सरकार की उपलब्धियों का बखान किया। संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत,शत्रुघ्न गौतम के साथ-साथ स्वायत शासन विभाग के मंत्री श्रीचंद कृपलानी, राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत, सांसद एवं राज्य किसान आयोग के अध्यक्ष सांवरलाल जाट ने भी राजनीतिक नजरिए से भाषण देने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
(एस.पी.मित्तल) (12-01-17)
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