Friday 24 February 2017

#2286
काश! रवीश कुमार एनडीटीवी पर कश्मीर घाटी के हालातों पर भी प्राइम टाइम का प्रोग्राम करते। 
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24 फरवरी को दोपहर और 23 फरवरी की रात को एनडीटीवी पर रवीश कुमार का प्राइम टाइम प्रोग्राम प्रसारित हुआ। रवीश  कुमार ने दिल्ली के रामजस कॉलेज की हाल ही की घटना के बारे में विस्तार से बताया। रवीश कुमार के प्रोग्राम का लब्बो लबाव यह था कि आईसा से जुड़े जो छात्र अभिव्यक्ति की आजादी पर सेमीनार करना चाहते थे, उसे एबीवीपी के छात्रों ने हंगामा और तोडफ़ोड़ कर होने नहीं दिया। सब जानते हैं कि रवीश कुमार किस नजरिए से एनडीटीवी पर एंकरिंग और रिपोर्टिंग करते हैं। भले ही कॉलेज में सेमीनार नहीं हुई हो, लेकिन रवीश  कुमार ने उन सभी वक्ताओं के भाषण अपने प्राइम टाइम में दिखाए, जिन्हें सेमीनार में आमंत्रित किया गया था। इसमें जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद, कलाकार माया कृष्ण राव, पिजड़ा तोड़ अभियान की नेत्री सृष्टि श्रीवास्तव आदि शामिल थी। रवीश कुमार के इस प्रोग्राम पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन मैं सोचता हंू कि काश इसी दिलेरी और तीखे तेवरों के साथ रवीश कुमार हमारे कश्मीर के हालातों पर भी रिपोर्टिंग करते। किस प्रकार घाटी में अलगाववादियों के घरों में छिपे आतंकवादी हमारे सुरक्षा बलों पर जानलेवा हमाले कर रहे हैं। रवीश कुमार ने जिस प्रकार रामजस कॉलेज में विरोध की संस्कृति की वकालत की, उसी प्रकार कश्मीर घाटी के उन बच्चों खास कर लड़कियों की भी वकालत करनी चाहिए। जिनके स्कूलों को जलाया जा रहा है, सवाल यह नहीं है कि श्रीनगर में खुलेआम पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते हैं। सवाल यह है कि आखिर कौन सी आजादी के अंतर्गत चार लाख हिन्दुओं को घाटी से पीट-पीट कर भगा दिया गया। रवीश  कुमार एनडीटीवी के दिल्ली के स्टूडियो में बैठकर अभिव्यक्ति की आजादी को खतरा बता सकते हैं, लेकिन कश्मीर में जाकर परेशान स्कूली बच्चें, भगाए गए हिन्दुओं, शहीद हो रहे जवानों के परिवारों की पीड़ा की रिपोर्टिंग नहीं कर सकते। रवीश  कुमार को पत्रकारिता का लम्बा अनुभव है, लेकिन रवीश  कुमार को देश के वर्तमान हालातों को भी समझना चाहिए। हो सकता है कि रवीश  कुमार की पत्रकारिता से कट्टरपंथी विचारधारा के लोग खुश हो, लेकिन रवीश  कुमार को यह समझना चाहिए कि भारत में उस सूफी विचार धारा के तहत लोगे भाईचारे के साथ रहते हैं जिसमें अली शाहबाज कलंदर की पाकिस्तान स्थित दरगाह में विस्फोट कर 100 मुसलमानों को मौत के घाट उतार दिया गया। रवीश कुमार अपने सभी प्रोग्राम में देशभक्ति को लेकर मजाक उड़ाते हैं। ऐसा लगता है कि जो लोग भारत के टुकड़े-टुकड़े करने के नारे लगाते हैं। रवीश कुमार उन्हें ही देशभक्त मानते हैं। जो लोग भारत की एकता और अखंडता के लिए नारे लगाते हैं, उन्हें रवीश कुमार अभिव्यक्ति की आजादी को दुश्मन मानते हैं। रवीश कुमार यह अच्छी तरह समझलें कि वे उमर खालिद, माया कृष्ण राव, सृष्टि श्रीवास्तव जैसों की वकालत तभी तक कर सकते हैं, जब तक हमारे जवान सीमा और देश के अंदर देशद्रोहियों से मुकाबला कर रहे हैं। रवीश कुमार को ऐसा कोई काम नहीं करना चाहिए, जिससे देशभक्ति कमजोर होती हो और हमारे जवानों का मनोबल गिरता हो। 
(एस.पी.मित्तल) (24-02-17)
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#2287
तो मोहम्मद ईशा ने डाले एटीएम में दो हजार के चूरन वाले नोट। 
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24 फरवरी को दिल्ली पुलिस ने 27 साल के मोहम्मद ईशा को गिरफ्तार किया है। ईशा पर पूर्वी दिल्ली के संगम विहार इलाके के एस.बी.आई. के एटीएम में 2 हजार रुपए के चूरन वाले नोट डालने का आरोप है। पुलिस उपायुक्त रोमित बानिया ने बताया कि ईशा ब्रिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी का कर्मचारी है, जो एटीएम में पैसे डालने का काम करता है। 21 फरवरी को जब एटीएम से चूरन वाले नोट निकलने की बात सामने आई तो सरकार का मजाक उड़ाया गया। यह माना जाता है कि बैंक के एटीएम से नकली नोट निकलने का मतलब सरकार की व्यवस्था फेल है। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि मोहम्मद ईशा ने किस नियत से एटीएम में बच्चों के खिलौने वाले नकली नोटों को रखा। एटीएम में समय पर नोट भरने का काम हो जाए इसलिए प्राईवेट कम्पनियों को जिम्मेदारी सौंपी गई। लेकिन यह कम्पनियां मामूली वेतन पर कर्मचारियों की नियुक्ति करती हैं, जिससे कई बार ऐसी गड़बडिय़ां सामने आती हैं। 
एस.पी.मित्तल) (24-02-17)
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#2288
तो क्या भाजपा को रोकने के लिए कांग्रेस महाराष्ट्र में शिव सेना से हाथ मिलाएगी। 
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यूपी में विधानसभा चुनाव की शुरूआत से पहले कांग्रेस ने जब अपनी घोर विरोधी समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाया, तब राहुल गांधी ने कहा था कि भाजपा को रोकने के लिए अखिलेश यादव से गठबंधन किया गया है। यूपी में भाजपा रूकेगी या नहीं, यह तो यह तो 11 मार्च को पता चलेगा। लेकिन अब महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिव सेना के साथ हाथ मिलाने के संकेत दिए हैं। मुम्बई में महानगर पालिका में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला है। लेकिन यदि कांग्रेस के 31 पार्षद समर्थन देते हैं तो शिव सेना अपने 84 पार्षदों के दम से महानगर पालिका पर कब्जा कर लेगी। यह सही है कि यदि कांग्रेस ने शिव सेना का साथ नहीं दिया तो महानगर पालिका में भाजपा आ जाएगी, क्योंकि भाजपा के पास 81 पार्षद हैं। 227 सदस्यों वाले सदन में बहुमत के लिए कोई 114 पार्षद चाहिए क्योंकि महाराष्ट्र में भाजपा का मुख्यमंत्री है इसलिए यह माना जा रहा है कि भाजपा तोड़-फोड़ कर बहुमत हासिल कर लेगी। भाजपा को रोकने के लिए ही कांग्रेस ने शिव सेना को समर्थन देने के संकेत दिए हैं। यानि अब कांग्रेस अपने बूते पर सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है और उसका मकसद सिर्फ भाजपा को रोकने का है। सब जानते हैं कि महाराष्ट्र के निकाय चुनावों में कांग्रेस का पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया है और इसीलिए कांग्रेस अब यूपी की तरह अपनी घोर विरोधी शिव सेना को भी समर्थन देने को तैयार है। इससे कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। मालूम हो कि यूपी में 403 सीटों में से मात्र 100 सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। यह भी सब जानते हैं कि कांग्रेस के विरोध से ही मुम्बई में शिव सेना का जन्म हुआ था और आज उसी शिव सेना से कांग्रेस हाथ मिलाने जा रही है। राहुल गांधी चाहे यूपी में अखिलेश यादव के साथ हाथ मिलाए या फिर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे से गले मिले, लेकिन कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और पूर्व में यूपी में सीएम उम्मीदवार घोषित की गई श्रीमती शीला दीक्षित ने कहा है कि राहुल गांधी मेच्योर नेता नहीं हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (24-02-17)
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Thursday 23 February 2017

#2285
तो महाराष्ट्र की जनता ने नोटबंदी पर ही मोदी का समर्थन किया। 
क्या यूपी चुनाव पर पड़ेगा असर?
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23 फरवरी को महाराष्ट्र की 25 जिला परिषद, 283 जिला पंचायत, 10 नगर निगम तथा मुम्बई महानगर पालिका का चुनाव परिणाम सामने आ गए। अधिकांश परिणाम भाजपा के पक्ष में गए हैं। इन परिणामों से साफ जाहिर है कि महाराष्ट्र के आम मतदाताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नोटबंदी योजना का समर्थन किया है। नोटबंदी की घोषणा के बाद पहली बार कोई चुनाव परिणाम सामने आया है। महाराष्ट्र के चुनावों में भी शिवसेना और कांग्रेस ने नोटबंदी को ही मुद्दा बनाया था, लेकिन निकाय चुनावों के परिणाम ने यह प्रदर्शित किया कि नोटबंदी से आम व्यक्ति पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इसलिए यह सवाल उठ रहा है कि क्या महाराष्ट्र के परिणाम यूपी के चुनाव पर असर डालेंगे? 23 फरवरी को यूपी में चार चरणों के चुनाव हो गए हैं। अब तीन चरणों में मतदान शेष है। यदि महाराष्ट्र के मतदाताओं और यूपी के मतदाताओं का मूड एकसा है तो फिर यूपी के परिणाम भी महाराष्ट्र की तरह ही सामने आएंगे। यूपी में तो भाजपा को पहले से पता था कि उसे अकेले मैदान में उतरना है, लेकिन महाराष्ट्र में तो ऐन मौके पर शिवसेना से गठबंधन टूटा। शिवसेना से अलग होकर चुनाव लडऩे पर भी भाजपा को जो सफलता मिली है, उसका श्रेय नरेन्द्र मोदी के साथ-साथ महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडऩवीस को भी जाता है। फडऩवीस ने अकले ही पूरे महाराष्ट्र में प्रचार किया। फडऩवीस ने यह प्रदर्शित किया यदि आगामी विधानसभा का चुनाव भी भाजपा अकेले लड़ती है तो उसे ज्यादा फायदा होगा। अकेले मुम्बई महानगर पालिका के परिणाम से भाजपा की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। 227 वार्डों में से शिवसेना को भले ही 84 वार्डों में सफलता मिली हो, लेकिन भाजपा भी 81 वार्डों में जीती है, जबकि गत बार यहां मुश्किल से 31 वार्डों में ही भाजपा को सफलता मिली। महाराष्ट्र के निकाय चुनाव में कांग्रेस का तो पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया। शरद पंवार की एनसीपी फिर भी एक नगर निगम में बहुमत पा सकती है,लेकिन कांग्रेस के खाते में तो एक भी नहीं है। इतनी बुरी दशा के बाद ही संजय निरुपम ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। 
सब जानते हैं कि यूपी चुनाव में राहुल गांधी, अखिलेश यादव और मायावती ने भाजपा के खिलाफ नोटबंदी मुद्दा ही रखा है, लेकिन महाराष्ट्र के मतदाताओं ने जता दिया कि यह मुद्दा सिर्फ विपक्ष के नेता का है। नोटबंदी को लेकर विपक्ष ने जो भी हमले किए, उसका जवाब नरेन्द्र मोदी ने यही दिया कि इससे आम व्यक्ति को फायदा होगा। शायद अब यूपी में विपक्ष को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी।
मुम्बई तक सिमटी शिवसेना:
निकाय चुनाव के परिणाम ने शिवसेना को भी सिर्फ मुम्बई महानगर तक ही सीमित कर दिया है। शिवसेना प्रमुख अद्भव ठाकरे जितना बढ़-चढ़ कर बोल रहे थे, उतना ही परिणाम ने ठाकरे को जमीन पर ला दिया है। अच्छा होता कि ठाकरे भाजपा के साथ रह कर शिवसेना का विस्तार सम्पूर्ण महाराष्ट्र में करते। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अद्धव ठाकरे ने हालातों को सही आकंलन नहीं किया। अब महाराष्ट्र में भाजपा को शिवसेना की जरुरत नहीं है। ठाकरे ने यह घोषणा की थी कि निकाय चुनाव के बाद केन्द्र और राज्य की भाजपा सरकारों से समर्थन वापस ले लिया जाएगा। लेकिन जो परिणाम आज सामने आए हैं उससे लगता है कि यदि समर्थन वापस लिया जाता है तो शिवसेना के सांसद और विधायक बगावत कर देंगे। शिवसेना के सांसद और विधायकों को अब अपना भविष्य भाजपा में ही नजर आ रहा है। 
एस.पी.मित्तल) (23-02-17)
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#2284
आखिर वामपंथी छात्र क्यों लगाते हैं देश विरोधी नारे। 
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23 फरवरी को भी दिल्ली में छात्रों के बीच घमासान मचा रहा। इस घमासान के दौरान ही 22 फरवरी की घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें वामपंथी छात्र संगठन आईसा के विद्यार्थी खुलेआम देश विरोधी नारे लगा रहे हैं। गत वर्ष जेएनयू में भी इस तरह की नारेबाजी हुई थी, तब जांच के दौरान सामने आई थी। दिल्ली में देश विरोधी माहौल के पीछे पाकिस्तान और कश्मीर के अलगाववादियों का हाथ है। सवाल उठता है कि आखिर वामपंथी की विचार धाराओं से जुड़े छात्र देश विरोधी नारे क्यों लगाते हैं? माना तो यही जाता है कि स्कूल कॉलेज में पढऩे वाले विद्यार्थी राजनीति नहीं करते, लेकिन दो दिनों से दिल्ली में जो कुछ भी हो रहा है? वह राजनीति से आगे बढ़ कर है। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर देश का माहौल खराब करना चाहते हैं। किसी विचारधारा का छात्र संगठन सरकार की आलोचना तो कर सकता है, लेकिन यदि कश्मीर और बस्तर की आजादी की मांग करे, तो यह समझ से परे है। उमर खालिद जैसे छात्र नेता दिल्ली में टीवी चैनलों पर अभिव्यक्ति के नाम पर कुछ भी बयान दें, लेकिन 23 फरवरी को भी आतंकी हमले में कश्मीर घाटी में हमारे तीन जवान शहीद हो गए। लेफ्टीनेंट कर्नल और मेजर स्तर के दो अधिकारी जख्मी हुए। जिस कश्मीर में देश की एकता और अखंडता को बनाएरखने के लिए हमारे जवान रोज शहीद हो रहे हैं, आईसा उस कश्मीर को कौन सी आजादी दिलाना चाहता हैं। आइसा से जुड़े छात्रों को यह बात भी ध्यान रखनी चाहिए कि पाकिसतान में विगत दिनों ही अली शाहबाज कलंदर की दरगाह में आतंकियों ने जो विस्फोट किया, उसमें सौ मुसलमान मारे गए। उमर खालिद और उसके समर्थक यह बता सकते हैं कि आखिर पाकिस्तान की दरगाह में मुसलमानों को मौत के घाट क्यों उतारा गया। भारत में ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती, निजामुद्दीन औलिया जैसे सूफी संतों के संदेशों की वजह से ही अभी तक हिन्दू और मुसलमानों में भाईचारा बना हुआ है। सूफी संतों की वजह से मुसलमानों के साथ हिन्दू रह रहा है, जबकि कश्मीर में जो विचारधारा पनपी, उसमें हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगा दिया। आज सम्पूर्ण घाटी हिन्दू विहीन हो गई है। 
(एस.पी.मित्तल) (23-02-17)
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#2283
नशे को लेकर अजमेरवासियों की उदासीनता पर लगातार 24 घंटे चित्रकारी करेंगी मनन चतुर्वेदी। 
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अजमरे के युवाओं को खासकर निराश्रित बच्चों में नशे की बुरी लत है, लेकिन फिर भी अजमेर के नागरिक उदासीन हैं। नागरिकों की उदासीनता को दूर करने और नशे के कारोबार के खिलाफ माहौल बनाने को लेकर राजस्थान बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी 25 फरवरी को दोपहर तीन बजे से 26 फरवरी को दोपहर तीन बजे तक लगातार चित्रकारी करेंगी। लगातार चौबीस घंटे चित्रकारी का समारोह बजरंगगढ़ मंदिर के नीचे शहीद स्मारक पर होगा। मनन ने शहर के नागरिकों से अपील की है कि वे चित्रकारी के इस विशेष आयोजन में अवश्य भाग लें। लोगों के उत्साहवद्र्धन के लिए वे स्वयं लगातार 24 घंटे उपस्थित रहेंगी। 
(एस.पी.मित्तल) (23-02-17)
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Wednesday 22 February 2017

#2278
देवनानी का स्मार्ट क्लासों का फार्मूला अब राजस्थान भर में लागू होगा। केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री मेघवाल करेंगे कार्पोरेट घरानों से बात।
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22 फरवरी को अजमेर के स्टेशन रोड स्थित राजकीय मोइनिया इस्लामिया स्कूल में केन्द्रीय वित्त राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने एक स्मार्ट क्लास का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उपस्थित प्रदेश के स्कूली शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी ने बताया कि अजमेर शहर की 30 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास शुरू की जा रही है। कोई सवा करोड़ रुपए की राशि एसबीबीजे खर्च कर रहा है। यानि स्मार्ट क्लासों पर राज्य सरकार पर कोई आर्थिक भार नहीं पड़ रहा है। स्मार्ट क्लासेस में सरकार के द्वारा तैयार ई-ज्ञान का साफ्टवेयर उपलब्ध होगा। जिसमें सभी कक्षाओं की पाठ्यपुस्तके उपलब्ध है। नए फर्नीचर के साथ एसी की सुविधा भी है। समारोह में मेघवाल ने कहा कि देवनानी का यह फार्मूला अब राजस्थान भर में लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मैं देवनानी और कार्पोरेट घरानो के प्रतिनिधियों की बैठक करवाऊंगा। कार्पोरेट घरानों को अपनी कमाई में से कुछ राशि सामाजिक सरोकार से जुड़े कार्यों पर खर्च करनी होती है। इसलिए मेरा प्रयास होगा कि जिस प्रकार एसबीबीजे ने अजमेर शहर में 30 सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस बनाई है, उसी प्रकार राजस्थान के प्रत्येक जिले में सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास बने। मेघवाल ने देवनानी के प्रयासों की प्रशंसा की। 
पायलट ने भी उपलब्ध करवाए थे कम्प्यूटर :
अजमेर के सांसद रहे सचिन पायलट जब केन्द्र सरकार में कार्पोरेट विभाग के मंत्री थे तब पायलट ने भी कार्पोरेट घरानों से अजमेर जिले की अनेक सरकारी स्कूलों में कम्प्यूटर कक्ष तैयार करवाए थे। आज उन कम्प्यूटर कक्षों में धूल जमी पड़ी है और कम्प्यूटर कबाड़ हो गए है। तब कम्प्यूटर तो दे दिए गए, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में दिन में बिजली बंद रहती है। चूंकि पायलट की स्कीम में कम्प्यूटर मेन्टेन्स का प्रावधान नहीं था इसलिए करोड़ों रूपया पानी में बह गया। उम्मीद की जानी चाहिए कि देवनानी के फार्मूले से तैयार होने वाले स्मार्ट कक्ष स्कूल के विद्यार्थियों के लिए लम्बे समय तक काम आएंगे। स्कूल प्रबंधन एसी का बिल आदि खर्च का प्रबंध कैसे करेगा। यह आने वाले दिनों में ही पता चलेगा।
(एस.पी.मित्तल) (22-02-17)
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#2279
अजमेर में बिजली के निजीकरण का मामला अब लोक अदालत में पहुंचा।23 फरवरी को होगी सुनवाई। 
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अजमेर शहर की विद्युत व्यवस्था को ठेके पर दिए जाने का मामला अब लोक अदालत में पहुंच गया है। 23 फरवरी को विकास अग्रवाल की ओर से एडवोकेट विवेक पाराशर, वैभव जैन और अजय त्रिपाठी ने एक वाद प्रस्तुत किया। इस वाद में कहा गया है कि एक सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत अजमेर शहर की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में दिया जा रहा है। इससे न केवल उपभोक्ताओं को परेशानी होगी, बल्कि सरकार को भी राजस्व की हानि होगी। सरकार अपनी पसंदीदा कंपनी को ठेका देने जा रही है, इसलिए टेंडर का भी दिखावा किया गया है। संबंधित कंपनी को फायदा हो इसलिए हाल ही में भूमिगत केबल के काम पर 300 करोड़ रुपए सरकार ने खर्च किए हैं। बाद में प्रार्थना की गई है कि टेंडर की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए। वाद में अजमेर विद्युत वितरण निगम राज्य सरकार, ऊर्जा सलाहकार आदि को प्रतिवादी बनाया गया है। वाद को 23 फरवरी को सुनवाई होगी। मालूम हो कि आगामी 27 फरवरी को 3 फर्मों के टेंडर खोले जाने हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (22-02-17)
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#2280
अजमरे में 12 मार्च को होगा फाल्गुन महोत्सव
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होली के अवसर पर अजमेर में प्रतिवर्ष होने वाला फाल्गुन महोत्सव इस बार आगामी 12 मार्च को अजमेर के जवाहर रंगमंच पर होगा। महोत्सव की तैयारियों को लेकर एक बैठक 22 फरवरी को स्थानीय इंडोर स्टेडियम में हुई। इस महोत्सव का आयोजन पत्रकार, साहित्यकार, रंगकर्मी आदि मिलकर करते हैं। महोत्सव में वर्षभर की राजनीतिक, प्रशासनिक, सामाजिक घटनाओं पर झलकियां प्रस्तुत की जाती है। इन क्षेत्रों से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों को होली के अवार्ड से भी नवाजा जाता है। महोत्सव में नगर निगम, अजमेर विकास प्राधिकरण, अजमेर डेयरी आदि का सहयोग रहता है। 22 फरवरी को हुई बैठक में कार्य का विभाजन किया गया।
एस.पी.मित्तल) (22-02-17)
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#2281
राजस्व मंडल में 15 दिन तक चला हड़ताल का जिम्मेदार कौन?
क्या काश्तकारों को हुई परेशानी की भरपाई हो पाएगी?
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22 फरवरी को अजमेर स्थित राजस्व मंडल के वकीलों ने अपनी 15 दिन पुरानी हड़ताल समाप्त कर न्यायिक काम काज शुरू कर दिया। 22 फरवरी को सुबह हुई राजस्व बार की साधारण सभा में बार अध्यक्ष ब्रह्मानंद शर्मा ने कहा कि 21 फरवरी को मंडल के अध्यक्ष ओ.पी.सैनी के साथ सौहार्दपूर्ण वार्ता हो गई है। इसलिए अब हड़ताल की जरुरत नहीं है। अध्यक्ष सैनी ने इस मांग को स्वीकार कर लिया है कि एडमिशन बैंच में बदलाव होता रहेगा तथा मांग के अनुरूप वकीलों को पत्रावलियां मिल जाएंगी, यह माना कि वकीलों ने 22 फरवरी से कामकाज शुरू कर दिया, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर 15 दिनों की इस हड़ताल का जिम्मेदार कौन है? 7 फरवरी को जब हड़ताल शुरू हुई थी, तब यह आरोप लगाया गया था कि मंडल अध्यक्ष सैनी ने बार अध्यक्ष शर्मा से बात करने से इंकार कर दिया। क्या इतनी सी बात पर 15 दिनों की हड़ताल होनी चाहिए? जहां तक मंडल अध्यक्ष सैनी का सवाल है तो उन्होंने भी अध्यक्ष की गरिमा नहीं दिखाई गई। यदि सैनी संवेदनशीलता दिखाते तो बार अध्यक्ष से बात कर सकते थे। सैनी हड़ताल शुरू होने के दो दिन बाद तक अजमेर में रहे, लेकिन जानबूझ कर वकीलों से बात नहीं की। इन 15 दिनों में प्रदेश भर के काश्तकारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। मंडल में पहले ही मुकदमों का अंबार है और अब 14 दिनों की हड़ताल से न्यायिक काम काज और बाधित हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है कि वकीलों और मंडल अध्यक्ष के अहम का खामियाजा काश्तकारों ने भुगतना है। 
(एस.पी.मित्तल) (22-02-17)
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#2282
तो निम्बार्क पीठ की विरासत सही और मजबूत हाथों में है। आचार्य श्यामशरण महाराज ने बिखेरा आध्यात्म का तेज। 
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अजमेर जिले के सलेमाबाद स्थित निम्बार्क सम्प्रदाय की जगदगुरु शंकराचार्य की आचार्य पीठ की मान्यता सम्पूर्ण देश में है। गत 14 जनवरी को आचार्य राधा सर्वेश्वर श्रीजी महाराज के देवलोकगमन के बाद युवावार्य श्यामशरण महाराज ने आचार्य का पद संभाला। इस पदाभिषेक के अवसर पर सलेमाबाद में 1 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालु एकत्रित हुए। मैं तभी से नए आचार्य जगदगुरु श्यामशरण महाराज से मिलने का इच्छुक था। संभवत: मेरे मन की भावना आचार्य श्री तक आध्यात्म के मार्ग से पहुंची। इसलिए पीठ से जुड़े प्रसिद्ध भजन गायक अशोक तोषनीवाल का 20 फरवरी को मेरे पास फोन आया। तोषनीवाल ने बताया कि आचार्य श्यामशरण जी 21 फरवरी को अजमेर में खाईलैण्ड मार्ग स्थित निम्बार्क पीठ के मन्दिर में आरती के लिए आएंगे। इस अवसर पर श्रद्धालुओं को आशीर्वाद भी देंगे। तोषनीवाल ने मुझे आदर के साथ आचार्य श्री का आशीर्वाद लेने के लिए आमंत्रित किया। मेरे लिए यह सौभाग्य की बात थी, कि मैंने मन में जो चाहा, वह पूरा होने जा रहा था। 21 फरवरी की शाम को मैंने जब नजदीक से आचार्यश्री को देखा तो मुझे अहसास हुआ कि निम्बार्क पीठ की विरासत सही और मजबूत हाथों में है। मेरे जैसे जिन लाखों श्रद्धालुओं ने राधा सर्वेश्वर महाराज को देखा है,उन्होंने हर बार यह महसूस किया कि महाराज ने निम्बार्क सम्प्रदाय में धर्म की जो गंगा बहाई, उसका कोई मुकाबला नहीं रहा। लेकिन मैंने यह महसूस किया कि श्यामशरण महाराज निम्बार्क पीठ की प्रतिष्ठा को और बढ़ाएंगे। उनके चेहरे से जो तेज और आत्मविश्वास नजर आ रहा था, वह आम श्रद्धालुओं को आध्यात्म की अनुभूति करवा रहा था। मैंने देखा है कि बड़े-बड़े संत-महात्मा, धर्मगुरु जब भीड़ से घिरे होते हैं, स्वयं ही दिशा-निर्देंश देने लग जाते हैं। लेकिन 21 फरवरी को मन्दिर परिसर में आचार्य श्यामशरण भीड़ भाड़ के माहौल में भी शांत बने रहे। उनका यह प्रयास रहा कि उनके पास आध्यात्म की जो शक्ति है, वह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे। चूंकि आचार्य बनने के बाद श्यामशरण महाराज का अजमेर में यह पहला धार्मिक आयोजन था। इसलिए मंत्री, कलेक्टर, एसपी आदि प्रमुख लोग आशीर्वाद लेने पहुंचे। इसे ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि आचार्य श्री ने मुझे भी शॉल ओंढ़ाकर आशीर्वाद दिया और मेरे उज्ज्वल भविष्य की कामना की। हालांकि पूरे समारोह में आचार्य श्री ने कोई धार्मिक प्रवचन नहीं दिया, लेकिन लोगों के हालचाल पूछकर ही अपनी विद्धता प्रकट कर दी। 
(एस.पी.मित्तल) (22-02-17)
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Sunday 19 February 2017

#2273
वसुंधरा सरकार के मंत्री जब एबीवीपी के छात्रों को संतुष्ट नहीं रख सकते तो चुनाव में मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे? जैतारण में जलदाय मंत्री सुरेन्द्र गोयल की हुई किरकिरी। 
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राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार को मात्र बीस माह बाद चुनाव में मतदाताओं का सामना करना है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के मंत्री सत्ता के नशे में मदहोश होकर अपने ही कार्यकताओं का अपमान कर रहे हैं। ताजा वाकिया पाली जिले के जैतारण उपखंड के राजकीय महाविद्यालय के वार्षिक समारोह का है। यह समारोह छात्रों की नारेबाजी और हंगामें के बीच 18 फरवरी को सम्पन्न हुआ। एबीवीपी को भाजपा से जुड़ा संगठन ही माना जाता है। इसीलिए जैतारण कॉलेज के छात्र संघ के अध्यक्ष श्रीराम गहलोत ने क्षेत्रीय मंत्री सुरेन्द्र गोयल से बार-बार आग्रह किया कि वे कॉलेज में आकर एबीवीपी के छात्रों की हौंसला अफजाई करें। गहलोत का गोयल को यह भी कहना था कि इस कॉलेज में 10 वर्ष बाद एबीवीपी का अध्यक्ष चुना गया है। लेकिन गोयल ने व्यस्तता का बहाना कर गहलोत को समय नहीं दिया। लेकिन एबीवीपी के विरोधी माने जाने वाले कॉलेज के प्रिंसिपल जे.पी.टेलर ने 15 फरवरी को बात की तो गोयल ने 18 फरवरी के वार्षिक समारोह में आने की सहमति दे दी। यही वजह रही कि जब 18 फरवरी को मंत्री गोयल कॉलेज के समारोह में आए तो एबीवीपी के छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा। छात्र संघ अध्यक्ष गहलोत ने कहा कि एबीवीपी के छात्रों को अपमानित करने के लिए ही गोयल प्रिंसिपल टेलर के बुलावे पर आए हंै। समारोह के निमंत्रण पत्र और कॉलेज परिसर मेें तीन कमरों के निर्माण के शिलान्यास के पट पर छात्र संघ अध्यक्ष गहलोत का नाम तक नहीं लिखा गया। समारोह में जब गहलोत के नेतृत्व में एबीवीपी के छात्रों ने अपनी ही सरकार के मंत्री के खिलाफ नारेबाजी की तो कांग्रेस से जुड़े एनएसयूआई के छात्रों ने आग में घी डालने का काम किया। यानि मंत्री गोयल ने स्वयं अपनी किरकिरी करवाई। सवाल उठता है कि जब राजे सरकार के मंत्री एबीवीपी के छात्रों को संतुष्ट नहीं कर सकते हैं तो फिर 20 माह बाद चुनाव में मतदाताओं का सामना कैसे करेंगे? सीएम वसुंधरा राजे माने या नहीं, लेकिन उनके मंत्रियों के खिलाफ हर जिले और उपखंडों में जैतारण जैसा ही माहौल है। सरकार के मंत्री जिस प्रकार टेड़े-मेढ़े होकर लाल बत्ती  के वाहन में बैठते हैं, उससे आम लोगों में लगातार नाराजगी बढ़ती जा रही है। अधिकांश मंत्री अपने विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे लोगों से घिरे हैं, जिनकी इमेज जनता में बेहद खराब है। सवाल उठता है कि यदि सुरेन्द्र गोयल जैतारण के कॉलेज में छात्र संघ अध्यक्ष को फोन कर चले जाते तो उनका क्या बिगड़ता? लेकिन गोयल की आंखों पर सत्ता का काला चश्मा लगा हुआ है, इसलिए उन्हें अपने ही संगठन एबीवीपी के छात्र दिखाई नहीं दे रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (19-02-17)
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#2272
प्रायोगिक परीक्षाओं में अंकों के कारोबार पर क्यों चुप है शिक्षा मंत्री देवनानी? शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं की निष्पक्षता पर सवाल। 
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19 फरवरी को राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि 21 व 22 फरवरी को प्रदेश भर के स्कूलों में मिड डे मील और शैक्षिक गुणवत्ता की जांच होगी। देवनानी मिड डे मील की तो जांच करवा रहे हैं, लेकिन शिक्षा बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षाओं में अंकों के कारोबार की खबरों पर चुप है। 19 फरवरी को ही ईटीवी पर एक ऑडियो प्रसारित हुआ है। इस ऑडियो में दौसा का एक शिक्षक भीलवाड़ा के स्कूल के शिक्षक से खुलेआम रिश्वत मांग रहा है। बोर्ड ने दौसा के इस शिक्षक को भीलवाड़ा के एक सरकारी स्कूल में भूगोल की प्रायोगिक परीक्षा के लिए परीक्षक नियुक्त किया था। यह शिक्षक स्कूल के विद्यार्थियों को अच्छे अंक देने के लिए प्रति परीक्षार्थी 150 रुपए की मांग कर रहा है। स्कूल की प्रधानाध्यापिका ने आरोप लगाया है कि दौसा के परीक्षक ने धमकी दी कि यदि रिश्वत नहीं दी गई तो बच्चों को फेल कर दिया जाएगा। अजमेर स्थित शिक्षा बोर्ड के मुख्यालय पर आए दिन ऐसी शिकायतें मिल रही है। बोर्ड के अधिकारी खुद हैरान है कि जिन शिक्षकों को परीक्षक बनाया गया है, उनमें से अनेक खुले आम स्कूल प्रबंधन से अंकों के बदले रिश्वत मांग रहे हैं। निजी स्कूलों का प्रबंधन तो अपने स्कूल का परिणाम अच्छा रखने के लिए मुंह-मांगी रिश्वत दे रहा है लेकिन सरकारी स्कूलों के सामने रिश्वत की राशि को लेकर समस्याएं खड़ी हो रही है। हालत इतनी खराब है कि गरीब विद्यार्थियों से सौ-सौ रुपए एकत्र कर परीक्षकों के खाने-पीने के इंतजाम करने पड़ रहे हैं। शिक्षा बोर्ड ने कुछ परीक्षकों के खिलाफ कार्यवाही भी की है, लेकिन बोर्ड की कार्यवाही नाकाफी है। शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी को चाहिए कि अंकों के कारोबार को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए। अंकों के कारोबार में शिक्षक संघों की भी ईमानदारीपूर्ण भूमिका होनी चाहिए। जब शिक्षकों की मांगों के लिए संघ आन्दोलन करते हैं तो ऐसे शिक्षक संघों की यह भी जिम्मेदारी है कि विद्यार्थियों से अंकों के नाम पर वसूली न हो। कुछ शिक्षकों की वजह से संपूर्ण राजस्थान की शिक्षा बदनाम हो रही है। शिक्षा मंत्री देवनानी अपने विभाग की छवि को लेकर हमेशा चिन्ता दिखाते हैं। ऐसे में देवनानी की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। 
(एस.पी.मित्तल) (19-02-17)
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#2271
तो वसुंधरा सरकार को परवाह नहीं है संघ परिवार के मजदूर संगठन की। अजमेर की बिजली व्यवस्था प्राइवेट कम्पनी को देने का मामला। 
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राजस्थान सरकार के ऊर्जा सलाहकार आर.जी. गुप्ता और गोयनका समूह की पावर कम्पनी के बीच अच्छी डील हो गई तो अजमेर की बिजली व्यवस्था फरवरी माह में ही निजी हाथों में चली जाएगी। 20 और 21 फरवरी को ऑनलाईन टेंडर होने हैं। ये वही आर.जी. गुप्ता हैं, जो प्रदेश की तीनों बिजली कम्पनियों के अध्यक्ष रह चुके हैं और इनके कार्यकाल में घाटा एक लाख करोड़ रुपए तक का हो गया था। अब इन्हीं आर.जी. गुप्ता के पास राजस्थान की बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में देने की जिम्मेदारी है। अब तक कोटा और भरतपुर की बिजली व्यवस्था गोयनका समूह को दी जा चुकी है तथा बीकानेर में टेंडर फाइनल हो चुके हैं। अजमेर का मामला सिर्फ बिजली के खरीद मूल्य पर अटका हुआ है। गोयनका समूह चाहता है कि सरकार चार रुपए प्रति यूनिट की दर पर बिजली दे, जबकि वसुंधरा सरकार चार रुपए पैंसठ पैसे प्रति यूनिट मांग रही है। यदि डील सफल हो जाती है तो यह मामला चार रुपए पच्चीस पैसे प्रति यूनिट तक निपट सकता है। इसे वसुंधरा सरकार का करिश्मा ही कहा जाएगा कि प्राइवेट कम्पनी करीब 4 रुपए प्रति यूनिट की बिजली खरीद कर 8 रुपए 80 पैसे तक बेचेगी। राजस्थान में बिजली उपभोक्ता का विभाजन चार श्रेणियों में कर रखा है। घरेलू उपभोक्ता से 3 रुपए 85 पैसे से लेकर 7 रुपए 15 पैसे, व्यवसायिक उपभोक्ता से 7 रुपए 55 पैसे से 8 रुपए 80 पैसे, औद्योगिक उपभोक्ता से 6 रुपए से लेकर 7 रुपए प्रति यूनिट तक वसूले जाते हैं। यही दर प्राइवेट कम्पनी को भी लेने का अधिकार होगा। मीटर शुल्क, स्थायी शुल्क, सर्विस चार्ज आदि तो वसूले ही जाएंगे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि 4 रुपए यूनिट की बिजली खरीद कर 9 रुपए तक बेचने पर कम्पनी को कितना फायदा होगा। विद्युत निगम के अधिकारी बार-बार यह दावा कर रहे हैं कि इससे छीजत और बिजली चोरी बंद हो जाएगी। अजमेर निगम में जो 13 जिले आते हैं, उसमें अजमेर शहर की छीजत मात्र 11.5 प्रतिशत की है। जबकि नागौर में 37 प्रतिशत, चित्तौड़ में 20 प्रतिशत, झुंझनूं में 23 प्रतिशत तथा सीकर में 24 प्रतिशत की छीजत और चोरी है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के घर माने जाने वाले झालावाड़ में 45 प्रतिशत और धौलपुर में 42 प्रतिशत की छीजत चोरी है। चूंकि अजमेर के भाजपा नेता बेहद ही कमजोर है, इसलिए बिजली व्यवस्था निजी हाथों में सौंपी जा रही है। अजमेर के किसी भी भाजपा नेता में इतनी भी हिम्मत नहीं कि वह मुख्यमंत्री से इस मुद्दे पर कोई सवाल कर सके। अजमेर के भाजपा नेताओं को यह पता है कि जब वसुंधरा सरकार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ परिवार के सदस्य भारतीय मजदूर संघ की ही परवाह नहीं कर रही है तो फिर उनकी क्या बिसात है। बिजली के निजीकरण के विरोध में संघ से जुड़े श्रमिक संगठन लगातार विरोध कर रहे हैं। अजमेर में न केवल चोरी और छीजत कम है बल्कि भूमिगत केबल का काम भी पूरा हो गया है। इस पर कोई 300 करोड़ रुपए सरकार के खर्च हुए हैं। यानि प्राइवेट कम्पनी को हर वो सहुलियत दी जा रही है, जिससे वह अधिक से अधिक मुनाफा कमा सके। कोटा में निजीकरण के बाद गोयनका समूह ने जिस तरह से बिजली कर्मचारियों से काम करवाया, उससे 75 प्रतिशत कर्मचारी काम छोड़ कर चले गए। संघ परिवार के भारतीय मजदूर संघ का बार-बार यह कहना है कि निजीकरण जनविरोधी फैसला है, लेकिन वसुंधरा सरकार पर इसका कोई असर नहीं हो रहा। 
(एस.पी.मित्तल) (19-02-17)
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Thursday 16 February 2017

#2260
राजस्व मंडल के अध्यक्ष ओ.पी.सैनी पर अब वकीलों को भरोसा नहीं। 
बेमियादी हड़ताल जारी रहेगी। 
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16 फरवरी को अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व मंडल के वकीलों की साधारण सभा हुई। इस सभा में सर्व सम्मिति से निर्णय लिया गया कि मंडल के अध्यक्ष ओ.पी.सैनी के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के विरोध में वकीलों की बेमियादी हड़ताल  जारी रहेगी। वकील गत 7 फरवरी से हड़ताल पर हैं। सभा के दौरान बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रह्मानंद शर्मा ने कहा कि मंडल के सदस्य सतीश कौशिक ने उनकी बात अध्यक्ष सैनी से करवाई थी। सैनी का कहना था कि अभी वे बीमार हैं और स्वस्थ होने पर जब मंडल में आएंगे, तब वकीलों से सम्मानपूर्वक वार्ता कर ली जाएगी। बार अध्यक्ष के इस कथन पर वकीलों का कहना था कि मंडल अध्यक्ष ने अब तक जो रवैया अपनाया है, उसे देखते हुए टेलीफोन पर हुई बात को सही नहीं माना जा सकता। हो सकता है कि सैनी की जगह किसी दूसरे व्यक्ति से बात करवाई गई हो। सैनी का बीमारी का तो बहाना है। वकील समुदाय 7 फरवरी को हड़ताल पर गया था और सैनी ने 8 फरवरी तक अजमेर में उपस्थित रह कर अध्यक्ष का काम किया। तब सैनी ने वकीलों से बात करने से ही इंकार कर दिया था। अब यदि सैनी बात करने के इच्छुक हैं तो उन्हें स्वयं मंडल में आकर वकीलों को वार्ता के लिए आमंत्रित करना होगा। जब तक मंडल अध्यक्ष वार्ता नहीं करते तब तक वकीलों की हड़ताल जारी रहेगी। 
पुलिस बुलाने पर निंदा प्रस्ताव:
साधारण सभा में राजस्व मंडल प्रशासन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव मंजूर किया गया। वकीलों का कहना रहा कि वे शांतिपूर्वक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी 15 फरवरी को मंडल परिसर में पुलिस को बुला लिया गया। प्रशासन की यह कार्यवाही निंदनीय है। 
(एस.पी.मित्तल) (16-02-17)
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#2261
कुंदनसिंह रावत को कांग्रेस सेवादल का प्रदेश संगठक बनाए जाने पर अजमेर कांग्रेस में बवाल। यह है राजनीति का घालमेल।
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अजमेर के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक और सरकार के संसदीय सचिव सुरेश सिंह रावत के सगे भाई कुंदन सिंह रावत को सेवादल का प्रदेश संगठक बनाए जाने पर अजमेर कांग्रेस में बवाल मच गया है। पूर्व मंत्री और सुरेश रावत से चुनाव में पराजित होने वाली श्रीमती नसीम अख्तर को कुंदन रावत की नियुक्त पर आश्चर्य है। श्रीमती अख्तर के यह समझ में नहीं आ रहा कि जिस व्यक्ति को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया था, उसे सेवादल में इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे दे दी गई? यह निलंबन भी श्रीमती अख्तर की शिकायत पर ही किया गया था। चंूकि विधानसभा चुनाव में कुंदन रावत ने अपने भाई भाजपा उम्मीदवार सुरेश रावत को जिताने का काम किया, इसलिए श्रीमती अख्तर ने लिखित में शिकायत की थी। इस संबंध में सेवादल के प्रदेश अध्यक्ष राकेश पारीक का कहना है कि उन्हें कुंदन रावत के कांग्रेस से निलंबन की कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने जब से प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला है तभी से कुंदन सेवादल में सक्रिय हैं। मुझे नहीं पता कि विधानसभा के चुनाव में कुंदन ने कांग्रेस को हराने का काम किया। लेकिन मुझे यह पता है कि कुंदन ने गत लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार और तब के केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट के पक्ष में काम किया था। इसी प्रकार अजमेर देहात कांग्रेस के प्रभारी सुरज्ञान सिंह गोसलिया का कहना है कि मुझे तो यह भी जानकारी नहीं है कि कुंदन सिंह की नियुक्ति सेवादल में हुई है। यह बात सही है कि विधानसभा चुनाव के बाद कुंदन सिंह रावत नाम के नेता का निलंबन किया गया था। मैं यह पता  करवाऊंगा कि कुंदन रावत का मामला क्या है। देहात कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ ने तो इस मुद्दे पर कोई भी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया। राठौड़ ने कहा कि कुंदन को सेवादल का प्रदेश संगठक नियुक्त करने से पहले मुझ से कोई राय नहीं ली। कुंदन रावत के विरोधी भले ही उन्हें आज भी निष्कासित मानते हो, लेकिन कुंदन रावत स्वयं को कांग्रेस का वफादार सिपाही बताते है। कुंदन रावत का कहना है कि नसीराबाद के उपचुनाव में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने उन्हें भावानी खेड़ा और राजगढ़ ग्राम पंचायतों का प्रभारी बनाया था। यह दोनों ग्राम पंचायत रावत बहुल्य हैं। मैंने अथक मेहनत कर रावत मतदाताओं के वोट कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण गुर्जर को दिलवाए। यही वजह रही कि उपचुनाव में कांग्रेस की जीत हुई। कुंदन ने कहा कि मुझे मेरे निलंबन की कोई जानकारी नहीं है। जहां तक मेरे भाई सुरेश सिंह रावत का सवाल है तो वे भाजपा की राजनीति करते हैं और भाजपा की राजनीति से मेरा कोई सरोकार नहीं है। 
सिनोदिया ने किया था निलंबन:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट से सीधे तौर पर जुड़े होने की वजह से कांग्रेस के छोटे नेता कुंदन सिंह रावत के निलंबन पर कुछ भी कहे, लेकिन रिकॉर्ड बताता है कि 29 नवम्बर 2013 को अजमेर देहात कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नाथूराम सिनोदिया ने कुंदन को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित किया था। सिनोदिया ने निलंबन का आदेश कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव व राजस्थान के प्रभारी गुरुदास कामत और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव ओम राजोरिया के निर्देश पर किया था। सिनोदिया ने भी इस बात को स्वीकार किया कि कुंदन रावत को निलंबित किया गया था।
राजनीति का घालमेल:
कुंदन रावत को लेकर अजमेर कांग्रेस में जो बवाल मचा है, उसमें राजनीति का घालमेल नजर आता है। चूंकि अजमेर जिले में रावत मतदाताओं की संख्या अधिक है इसलिए रावत नेताओं की जरुरत हर राजनीतिक दल को रहती है। कुंदन रावत ने भी अपने राजनीतिक महत्त्व को बनाए रखने के लिए रावत महासभा के मुकाबले में रावत सेना बना रखी है। यह बात अलग है कि इस रावत सेना को ब्यावर के भाजपा विधायक शंकर सिंह रावत और उनके समर्थक मान्यता नहीं देते, लेकिन इस रावत सेना का पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव माना जाता है। हो सकता है कि कुंदन रावत की राजनीति विधानसभा और लोकसभा के चुनाव में अलग-अलग रहती हो। गत लोकसभा चुनाव में सचिन पायलट के लिए काम करना भी कुंदन रावत के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। ऐसे में विधानसभा चुनाव की पराजीत उम्मीदवार श्रीमती नसीम अख्तर कितने भी आरोप लगा दे, उनका कोई महत्त्व नहीं है। 
एस.पी.मित्तल) (16-02-17)
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#2262
तो आतंकियों की मदद कर रहे हैं कश्मीरी। सेना प्रमुख रावत का सख्त बयान। अब बताए हिमायती क्या करें?
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थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कश्मीर घाटी में जब सुरक्षा बलों के जवान आंतकवादियों से मुकाबल करते हैं, तब कश्मीरी लोग आतंकवादियों की मदद करते हैं। ऐसे में हमारे जवानों को जानामाल का नुकसान होता है। रावत ने कहा कि अब ऐसे कश्मीरियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। सेना प्रमुख का बयान अपनी जगह है,लेकिन यह बात अपने आप में बहुत गंभीर है कि जब हमारे जवान जान जोखिम में डाल कर कश्मीर में आतंकवादियों से मुकाबला करते हैं, तब कुछ कश्मीरी, आतंकवादियों की ही मदद करते हैं। वैसे तो कश्मीरियों को जवानों का सहयोग करना चाहिए, लेकिन इसे दुर्भाग्य पूर्ण ही कहा जाएगा कि कश्मीर घाटी में खुलेआम आईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराए जाते हैं। सेना प्रमुख का जो बयान सामने आया है उसके मद्देनजर अलगाववादियों के हिमायतियों को बताना चाहिए कि आतंकवादियों से कैसे निपटा जाए? जो आतंकी हमारे जवानों को रोजाना शहीद कर रहे हैं, क्या उनके साथ नरमी बरती जा सकती है? समझ में नहीं आता कि कश्मीरी अलगाववादी पाकिस्तान के आतंकियों की क्यों मदद करते हैं, जबकि पाकिस्तान की सेना पाक अधिकृत कश्मीर में पीओके के मुसलमान बार-बार पाकिस्तान के खिलाफ आंदोलन करते हैं। पीओके के मुसलमानों की दुर्दशा से कश्मीरियों को कुछ तो सबक लेना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (16-02-17)
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#2263
देवनानी और भदेल के पुतले उन्हीं के घर के बाहर जलाए।
बिजली के निजीकरण के विरोध में कांग्रेस का 18 फरवरी को अजमेर बंद।
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बिजली के निजीकरण के विरोध में 16 फरवरी को अजमेर शहर के दोनों भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल के निवास स्थानों के बाहर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पुतले जलाए। यह दोनों विधायक राज्यमंत्री भी हैं। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन के नेतृत्व में कार्यकर्ता बड़ी संख्या में फॉयसागर रोड स्थित देवनानी और धोलाभाटा स्थित भदेल के निवास स्थान पर पहुंचे। कार्यकर्ताओं ने जमकर दोनों मंत्रियों और भाजपा सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। कार्यकर्ताओं ने देवनानी और भदेल के पुतले जलाकर नाराजगी जताई। प्रदर्शन के समय देवनानी तो अपने निवास स्थान पर नहीं मिले, लेकिन भदेल ने प्रदर्शनकारी कांग्रेसियों का हाथ जोड़कर अभिवादन किया। कांग्रेसियों का आरोप है कि एक प्राइवेट कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए ही अजमेर की बिजली व्यवस्था निजी हाथों में दी जा रही है। कांग्रेस ने तीन दिवसीय आंदोलन की रणनीति बनाई है। 17 फरवरी को शहर के विभिन्न मार्गों से वाहन रैली निकाली जाएगी। कांग्रेस शहर अध्यक्ष विजय जैन ने दावा किया है कि 18 फरवरी का अजमेर बंद को व्यापक समर्थन मिल रहा है। अनेक व्यापारिक एसोसिएशनों ने स्वेच्छा से अपने प्रतिष्ठान बंद रखने की घोषणा की है। जैन ने कहा कि अति आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सम्पूर्ण शहर को बंद करवाया जाएगा। 
एस.पी.मित्तल) (16-02-17)
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Wednesday 15 February 2017

#2256
भाजपा के खिलाफ चुनाव लडऩे वाले को बनाया अल्प संख्यक मोर्चें का अध्यक्ष। आखिर अजमेर में यह क्या हो रहा है?
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भाजपा में वैसे ही मुस्लिम कार्यकर्ताओं का टोटा है। इस पर जिस मनमाने तरीके से अल्पसंख्यक मोर्चें के प्रदेश अध्यक्ष मजीद मलिक कमांडो ने शफीक पठान को अजमेर में मोर्चें का अध्यक्ष बनाया है, उससे मोर्चें के पुराने कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी है। नाराज कार्यकर्ताओं का कहना है कि शफीक पठान ने गत बार पार्षद का चुनाव भाजपा उम्मीदवार के खिलाफ ही लड़ा था। इतना ही नहीं जिला संगठन से जो तीन नाम भेजे गए, उन्हें दरकिनार कर पठान की नियुक्ति की गई है। भाजपा के शहर जिला अध्यक्ष अरविन्द यादव को भी पठान की नियुक्ति पर आश्चर्य है। कहा जा रहा है कि स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी की भी सहमति नहीं ली गई। जानकारों की माने तो जिला अध्यक्ष यादव ने सैय्यद सलीम, फरहाद सागर व अनवर खान के नाम मोर्चे के अध्यक्ष के लिए प्रस्तावित किए थे। लेकिन मोर्चें के प्रदेश अध्यक्ष कमांडो ने इन तीनों नामों को रद्दी की टोकरी में फैंक दिया। कार्यकर्ताओं में इस बात की नाराजगी है कि वफादार और पुराने कार्यकर्ताओं की उपेक्षा कर धन बल वालों को तरजीह दी जा रही है। डॉ. मंसूर अली को भी हाल ही में शहर भाजपा के पृथ्वीराज मंडल का उपाध्यक्ष बनाया गया है जबकि डॉ. मंसूर एक वर्ष पहले तक कांगे्रस में सक्रिय थे। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खादिम अफसान चिश्ती को मदरसा बोर्ड का सदस्य नियुक्त किया गया है। लिलियन ग्रीस को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाने पर तो भाजपा के बड़े नेताओं को भी आश्चर्य है। 
मोर्चा को मजबूती दिलाऊंगा: शफीक 
मोर्चे के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष शफीक पठान ने कहा है कि वे अजमेर में मोर्चें को मजबूती दिलवाएंगे। उनका प्रयास होगा कि अधिक से अधिक मुसलमानों को भाजपा के साथ जोड़ेंगे। इसके साथ ही अजमेर में दरगाह क्षेत्र में फैले नशे के कारोबार को समाप्त करने के लिए भी ठोस कार्यवाही करवाई जाएगी। पठान ने इस बात को स्वीकार किया कि गत बार पार्षद का चुनाव भाजपा के खिलाफ लड़ा था। लेकिन वे हमेशा भाजपा की विचारधारा के साथ रहे। भाजपा ही एकमात्र राजनीतिक दल है, जो अल्पसंख्यकों का भला कर सकता है। पीएम नरेन्द्र मोदी और प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे ने अल्पसंख्यकों के विकास के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं शुरू कर रखी है। 
(एस.पी.मित्तल) (15-02-17)
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#2257
तो वसुंधरा राजे ने अपने घर में भाजपा को किया मजबूत। परनामी और सराफ की उपस्थिति में जेल में बंद बसपा विधायक बी.एल. कुशवाह की पत्नी ने भाजपा की सदस्यता ली।
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हत्या के आरोप में जेल में सजा काट रहे बसपा विधायक बी.एल. कुशवाह की पत्नी श्रीमती शोभारानी ने 15 फरवरी को धौलपुर में धूमधाम से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। कुशवाह पांच दिनों के पैरोल पर हंै और राजनीति के इस भव्य समारोह को आयोजित करने में उनकी अहम भूमिका रही। हालांकि कुशवाह स्वयं समारोह के मंच पर नजर नहीं आए, लेकिन मंंच की पीछे से कुशवाह ने पूरी कमान संभाल रखी थी। सब जानते हैं कि राजस्थान का धौलपुर सीएम वसुंधरा राजे का ससुराल है। लेकिन गत विधानसभा के चुनाव में मोदी लहर के बाद भी बसपा के बी.एल. कुशवाह ही जीते। कुशवाह की धौलपुर में कुशवाह मतदाताओं पर गहरी पकड़ है। अब चूंकि कुशवाह को सजा हो चुकी है और उनकी विधानसभा की सदस्यता भी खत्म है। इसलिए धौलपुर में उप चुनाव होने हैं। अदालत ने भले ही कुशवाह को हत्यारा माना हो, लेकिन कुशवाह समाज उन्हें अपना नेता ही मानता है। इसलिए सीएम वसुंधरा राजे ने कुशवाह की पत्नी शोभारानी को भाजपा में शामिल कर लिया और अब शोभारानी को ही उप चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाएगा। शोभारानी का भाजपा में शामिल होना कितना महत्व रखता है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समारोह में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष परनामी और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ मौजूद थे। सराफ ने अपने भाषण में कहा कि धौलपुर की महारानी और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे स्वयं इस समारोह में आना चाहती थीं, लेकिन जयपुर में व्यस्तता की वजह से मुझे अपना प्रतिनिधि बनाकर भेजा है। मैं महारानी साहिबा की ओर से धौलपुर की जनता को यह भरोसा दिलाता हूं कि शोभारानी को भाजपा में पूरा सम्मान किया जाएगा। सराफ ने साफ संकेत दिए कि उप चुनाव में शोभारानी ही भाजपा की उम्मीदवार होगी। सराफ थोड़े दिन पहले तक उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री थे, लेकिन आज सराफ ने अनेक बार वसुंधरा राजे को धौलपुर की महारानी कहकर संबोधित किया। ऐसा लग रहा था कि सराफ लोकतांत्रिक सरकार के मंत्री नहीं बल्कि राजतंत्र के वजीर हंै। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष परनामी ने भी शोभारानी का स्वागत करते हुए कहा कि अब तक वे कुशवाह समाज की नेता थीं, लेकिन भाजपा में आने के बाद 36 कौमों की नेता बन गई हैं। भाजपा की सदस्यता ग्रहण करने के बाद शोभारानी ने कहा कि वे धौलपुर की महारानी वसुंधरा राजे की आभारी हैं। महारानी जी की वजह से ही मैं भाजपा में आई हूं। महारानी जी जो भी आदेश देंगी, उसे पूरा करूंगी। 
राजनीति का चरित्र 
इसे राजनीति का चरित्र ही कहा जाएगा कि जो विधायक हत्या के आरोप में जेल में सजा भुगत रहा है, उसी विधायक की पत्नी की खातिर राजस्थान की सरकार और पूरा भाजपा संगठन जमीन पर बिछ गया। दल भाजपा हो या कांग्रेस या बसपा, सभी दलों का चरित्र एक जैसा है। वोटों की खातिर सम्पूर्ण भाजपा और उसकी सरकार शोभारानी के सम्मान में खड़ी हैं। भाजपा स्वयं को अलग होने का दावा करती है, लेकिन इस दावे की पोल 15 फरवरी को धौलपुर में खुल गई। 
(एस.पी.मित्तल) (15-02-17)
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#2258
अजमेर डेयरी के निदेशकों और अफसरों का दल मुम्बई अधिवेशन में भाग लेगा
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अजमेर डेयरी के निदेशकों और अफसरों का दल मुम्बई में 16 फरवरी से होने वाले अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में भाग लेगा। यह दल 15 फरवरी को डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी के नेतृत्व में अजमेर से मुम्बई के लिए रवाना हुआ। इस दल में निदेशकों के साथ-साथ डेयरी के एमडी गुलाब भाटिया, डिप्टी मैनेजर एस.पी.सिंह, एल.आर.चौधरी आदि भी शामिल है। चौधरी ने बताया कि 18 फरवरी तक चलने वाले अधिवेशन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में डेयरी के आधुनिकतम प्लांटों की जानकारी उपलब्ध होगी। अजमेर के दल के लिए यह अधिवेशन और प्रदर्शनी इसलिए महत्व रखती है कि अजमेर में 250 करोड़ रुपए की लागत से डेयरी का नया प्लांट लगने जा रहा है। दल को डेयरी की नई तकनीक भी सीखने और समझने को मिलेगी। इस अधिवेशन में 135 देशों के डेयरी विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (15-02-17)
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#2259
कांग्रेस कराएगी 18 फरवरी को अजमेर बंद। डिस्कॉम के निजीकरण का विरोध। 
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अजमेर कांग्रेस कमेटी ने 18 फरवरी को अजमेर बंद करवाने की घोषणा की है। 15 फरवरी को शहर अध्यक्ष विजय जैन, पूर्व मंत्री ललित भाटी, पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, पूर्व मेयर कमल बाकोलिया, युवा नेता हेमन्त भाटी आदि ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि अजमेर शहर की विद्युत व्यवस्था को राज्य की भाजपा सरकार एक प्राइवेट कम्पनी को दे रही है। करोड़ों रुपए की सम्पत्तियां मात्र 34 करोड़ की सिक्युरिटी राशि में आगामी 20 वर्षों के लिए दी जा रही है। प्राइवेट कम्पनी को लाभ पहुंचाने के लिए ही शहर में भूमिगत केबल बिछाने और नए ट्रांसफार्मर लगाने का कार्य दिया गया है। सरकार ने आम उपभोक्ताओं के हितों के विपरीत बिजली व्यवस्था को निजी हाथों में देने का निर्णय लिया है। कांग्रेस इस जनविरोधी फैसले का जमकर विरोधी करेगी। 18 फरवरी के अजमेर बंद से पहले 17 फरवरी को शहर के दोनों भाजपा विधायक व राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल के पुतले जलाए जाएंगे। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि यह दोनों विधायक भी जनविरोधी फैसले का विरोध नहीं कर रहे हैं। सरकार के इस फैसले से आम लोगों में भारी रोष व्याप्त है।
एस.पी.मित्तल) (15-02-17)
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#2259
भाजपा सरकार के संसदीय सचिव सुरेश रावत के भाई कुन्दन रावत बने कांग्रेस सेवादल के प्रदेश संगठक।
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अजमेर के पुष्कर क्षेत्र के भाजपा विधायक और सरकार में संसदीय सचिव सुरेश रावत के सगे भाई कुन्दन सिंह रावत को कांग्रेस सेवादल का प्रदेश संगठक नियुक्त किया गया है। 15 फरवरी को अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के मुख्य संगठक महेन्द्र जोशी की सिफारिश पर राज्य प्रभारी रामजीलाल ने संगठकों की जो सूची जारी की है, उसमें अजमेर के कुन्दन सिंह रावत को भी शामिल किया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत विधानसभा के चुनाव में अपने भाई सुरेश रावत के पक्ष में काम करने के मद्देनजर ही कांग्रेस की उम्मीदवार श्रीमती नसीम अख्तर ने कुन्दन रावत की लिखित में शिकायत की थी, लेकिन अब नसीम अख्तर की शिकायत को रद्दी की टोकरी में फैंकते हुए प्रदेश नेतृत्व ने रावत को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है। इसमें कोई दोराय नहीं कि रावत बंधुओं का पुष्कर क्षेत्र के मतदाताओं पर खासा असर है। रावत बंधु अपने समाज में बेहद ही लोकप्रिय हैं। यही वजह रही कि गत चुनावों में सुरेश रावत करीब 40 हजार मतों से विजयी हुए। सेवादल के संगठकों की सूची में अजमेर के पूर्व पार्षद विजय नागौरा व संगठन मंत्री के रूप में एडवोकेट प्रियदर्शी भटनागर तथा एस.एफ.हसन चिश्ती का नाम भी शामिल है। 
(एस.पी.मित्तल) (15-02-17)
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#2255
15 मंजिली इमारत जितनी ऊंचाई और 320 टन वजन वाले रॉकेट में 104 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे। कमाल कर दिया भारतीय वैज्ञानिकों ने।
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देश के पांच राज्यों के चुनाव में जहां राजनेता एक-दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं, वहीं 15 फरवरी को भारत के वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष के इतिहास में भारत का नाम रोशन कर दिया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र (इसरो) ने 15 मंजिला इमारत की ऊंचाई और 320 टन वजन का पीएसएलवी रॉकेट तैयार किया तथा इससे अमरीका के 96 तथा इजराइल, कजाकिस्तान, नीदरलैंड, स्विटजरलैंड और यूएई के एक-एक उपग्रह भरे तथा निशाना साधते हुए सभी 104 उपग्रहों को अंतरिक्ष में अपनी-अपनी कक्षाओं में स्थापित किया। अंतरिक्ष के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब एक साथ 104 उपग्रह स्थापित किए गए हैं। अब तक रुस का 37 उपग्रह का कीर्तिमान है। इसमें कोई दो राय नहीं कि आज भारतीय वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है। वैज्ञानिकों की योग्यता का अंदाजा इसी से लगाया जाता है कि हमने अमरीका जैसे विकसित देश के 96 उपग्रह भेजे हैं। इसका कारण भारतीय उपग्रह कार्यक्रम की अपनी विकसित तकनीक है जो विदेशी तकनीक की तुलना में बहुत ही किफायती है। इसका अंदाजा इस बात से लग सकता है कि अमरीकी एजेंसी नासा जितना धन किसी एक प्रोजेक्ट पर खर्च करती है, उतने में इसरो का चालीस वर्ष तक कार्य संचालन हो जाता है। इस प्रकार के सफल अभियानों से भारत अंतरिक्ष में महाशक्ति बनने के साथ-साथ उपग्रह प्रक्षेपण व्यवसाय में भी बड़ा खिलाड़ी बन गया है।
(एस.पी.मित्तल) (15-02-17)
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Sunday 12 February 2017

#2245
सरकार के लिए शर्मनाक है मरीजों की आंखों में संक्रमण होना। आखिर कैसे हो सरकारी अस्पतालों पर भरोसा।
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12 फरवरी को भी अजमेर के जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में उन 7 मरीजों की आंखों का ईलाज जारी रहा, जिनकी आंखों के मोतियाबिन्द का ऑपरेशन जिले के ब्यावर उपखंड के राजकीय अमृतकौर अस्पताल में हुआ था। ऑपरेशन के बाद जब आंखों की पट्टी खोली गई तो मरीजों की रोशनी बढऩे के बजाय बंद हो गई। प्राथमिक जांच में यह माना गया कि ऑपरेशन के दौरान लापरवाही बरतने के कारण ही मरीजों की आंखों में संक्रमण हो गया। किसी भी सरकार के लिए यह बेहद ही शर्मनाक बात है कि सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान आंखों की रोशनी चली जाए। सरकार अस्पतालों पर करोड़ों रुपया खर्च करती है। इसके बाद भी यदि सरकारी डॉक्टर लापरवाही बरते तो फिर जनता को गुस्सा आएगा ही। आमतौर पर गरीब परिवार के लोग ही सरकारी अस्पतालों में ईलाज के लिए जाते हैं। यदि कोई परिवार थोड़ा सा भी आर्थिक दृष्टि से सक्षम होता है तो उसका सदस्य प्राइवेट अस्पताल में ही ईलाज के लिए जाता है। चूंकि प्राइवेट अस्पताल मंहगे होते हैं, इसलिए गरीब व्यक्ति तो सरकारी अस्पतालों पर ही निर्भर रहता है। ब्यावर के अस्पताल में ऑपरेशन डॉक्टर मंजू नागरानी ने किए थे। डॉक्टर मंजू के द्वारा पूर्व में किए गए ऑपरेशन के दौरान भी मरीजों की आंखों में संक्रमण होने की बात सामने आई थी। तब डॉक्टर मंजू को निलंबित भी किया गया, लेकिन राजनीतिक संरक्षण की वजह से डॉक्टर मंजू जल्दी ही बहाल भी हो गई। जानकारों की माने तो राजनीतिक संरक्षण की वजह से ही डॉक्टर मंजू नागरानी को एक बार फिर बचाने की कोशिश की जा रही है। हो सकता है कि डॉक्टर नागरानी को निलंबित कर दिया जाए, लेकिन थोड़े ही दिनों में उनकी बहाली हो जाएगी। संरक्षण देने वाले नेता उन 7 मरीजों के दर्द को नहीं समझ रहे, जिनकी आंखों की रोशनी खतरे में है। अजमेर के अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के प्रभारी डॉक्टर संजीव बेनीवाल का कहना है कि अभी यह नहीं कहा जा सकता कि इन 7 मरीजों की आंखों की रोशनी रहेगी या नहीं। 
एस.पी.मित्तल) (12-02-17)
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#2244
आखिर माता-पिता क्यों नहीं ध्यान रखते बच्चों का? जयपुर के सरवर आलम और रमीज ने किया शर्मसार।
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राजस्थान के जयपुर की पुलिस ने रमीज नाम के एक ऐसे शिक्षक को गिरफ्तार किया है, जो बच्चों से घिनौनी हरकतें करवाता था। स्वयं भी यौन शोषण करता था। बच्चों की क्लिपिंग बनाकर उन्हें बार-बार घिनौनी हरकतें करने के लिए मजबूर करता था। इतना ही नहीं बच्चों के यौन शोषण वाली वीडियो सोशल मीडिया पर भी पोस्ट करता था। पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई है कि रमीज जयपुर के एक निजी स्कूल में कार्यरत था। लेकिन जानकारी होने के बाद भी इस स्कूल के निदेशक सरवर आलम ने रमीज के खिलाफ कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं की। इसी का नतीजा रहा कि स्कूल से निकाले जाने के बाद भी रमीज स्कूल वाले बच्चों को जबरन अपने घर पर भी बुलाकर घिनौना कृत्य करता रहा। यदि सरवर आलम पहले ही रमीज के कृत्यों की जानकारी पुलिस को दे देता तो अनेक बच्चे उसकी हरकतों से बच सकते थे। रमीज को बचाने के आरोप में ही पुलिस ने अब सरवर को भी गिरफ्तार कर लिया है। सरवर और रमीज को अपने कुकृत्यों की सजा कब मिलेगी, यह तो पुलिस और अदालत पर निर्भर करता है। लेकिन समाज के सामने यह सवाल भी उठता है कि आखिर माता-पिता अपने बच्चों का ध्यान क्यों नहीं रखते। क्या किसी स्कूल में दाखिला करवाकर अभिभावक अपनी जिम्मेदारी पूरी समझ लेते हैं? सरवर और रमीज का यह कोई पहला मामला नहीं है। बच्चों के साथ यौन शोषण के समाचार अक्सर सामने आते हैं। ऐसे में माता-पिता की यह जिम्मेदारी है कि वे स्कूल में पढऩे वाले अपने बच्चों का ख्याल रखें। जो बच्चे छोटी उम्र के हैं, उनका तो और ज्यादा ध्यान रखना चाहिए। जयपुर जैसे बड़े शहरों में माता-पिता दोनों ही नौकरी पर जाते हैं। ऐसे में बच्चों के साथ खाना खाने अथवा इधर-उधर की बात करने का अवसर ही नहीं मिलता। मध्यम और गरीब परिवारों की अपनी मजबूरियां हो सकती हैं, लेकिन धनाढ्य परिवारों में अलग-अलग बैडरूम होते हैं। दो-तीन बच्चों के पैदा हो जाने के बाद भी धनाढ्य परिवारों में पति-पत्नी अपने बैडरूम में और बच्चे अपने कमरे में सोते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि मां अपनी बेटी और पिता अपने बेटे के साथ सोए। दुनिया में बेटी के लिए सबसे अच्छी दोस्त मां ही होती है। यदि रात के समय मां अपनी बेटी और पिता अपने बेटे से दिनभर की जानकारी शेयर करेंगे तो फिर न तो बच्चों का यौन शोषण होगा न ही बच्चे गलत रास्ते पर जाएंगे। इसका सबसे बड़ा फायदा तब होगा, जब बच्चे उच्च शिक्षा के लिए बाहर पढऩे जाएंगे। हमारे घर-परिवार में तनाव करवाने में टी.वी. सीरियल की भी महत्वपूर्ण भूमिका हो गई है। ऐसे समाज विरोधी सीरियलों से भी बचना चाहिए। 
एस.पी.मित्तल) (12-02-17)
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#2243
राज्यपाल ऐसे होता है केन्द्र सरकार का एजेन्ट। आखिर सी. विद्यासागर क्यों नहीं कर रहे तमिलनाडु के सीएम का फैसला।
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12 फरवरी को भी तमिलनाडु के सीएम पद राज्यपाल सी. विद्यासागर ने कोई निर्णय नहीं लिया। 13 फरवरी को एक जनहित याचिका पर इसी मुद्दे पर हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। कई बार यह कहा जाता है कि राज्यपाल केन्द्र सरकार के एजेन्ट के तौर पर काम करते हैं। आमतौर पर यह भी देखा गया है कि केन्द्र में सत्तारूढ़ पार्टी के पिटे हुए नेता को राज्यपाल के पद पर नियुक्ति दे दी जाती है। स्वाभाविक है कि ऐसा राज्यपाल केन्द्र सरकार के एजेन्ट के तौर पर ही काम करेगा। इसका ताजा उदाहरण पूरा देश तमिलनाडु में सी. विद्यासागर के तौर पर देख रहा है। पिछले 10 दिनों से तमिलनाडु में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल बना हुआ है। पनीर सेल्वम के इस्तीफे के बाद शशिकला ने 130 विधायकों के समर्थन की सूची राज्यपाल को प्रस्तुत कर दी, लेकिन इसके बाद भी राज्यपाल ने अभी तक भी कोई निर्णय नहीं लिया है। विद्यासागर के पास महाराष्ट्र के राज्यपाल का भी चार्ज है। ऐसे में विद्यासागर पहले तो मुम्बई से चेन्नई भी अपनी सुविधा से ही आए और अब शशिकला के उस प्रस्ताव पर कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं, जिसमें 130 विधायकों के समर्थन की बात कही गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि केन्द्र सरकार शशिकला के बजाय पनीर सेल्वम को ही मुख्यमंत्री देखना चाहती है। इसीलिये पनीर सेल्वम को विधायकों की खरीद-फरोख्त करने का पूरा अवसर दिया जा रहा है। एक तरह से देखा जाए तो सी. विद्यासागर तमिलनाडु में लोकतंत्र का भी मजाक उड़ा रहे हैं। देखना है कि राज्यपाल की भरपूर मदद के बाद भी पनीर सेल्वम शशिकला के विधायकों को  तोड़ पाते है या नहीं? शशिकला ने अपने 130 विधायकों को चेन्नई से 100 किलोमीटर दूर एक रिसोर्ट में रखा हुआ है। हाईकोर्ट के निर्देंश पर 11 फरवरी को तमिलनाडु के डीजीपी ने विधायकों से मुलाकात कर यह जाना है कि उन्हें जबरन रिसोर्ट में रखा है या नहीं। डीजीपी की ओर से अब 13 फरवरी को हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। अभी तक प्राप्त खबरों के मुताबिक एक भी विधायक ने बंधक बनाए जाने की बात स्वीकार नहीं की है। यानि सभी विधायक अपनी मर्जी से रिसोर्ट में रह रहे हैं।
(एस.पी.मित्तल) (12-02-17)
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Thursday 9 February 2017

#2231
पंचायती राज मंत्री राठौड़ की उपस्थिति के बाद भी अजमेर की जिला प्रमुख के दो वर्ष का जश्न फीका। 282 में से मात्र 21 सरपंच आए।
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9 फरवरी को अजमेर की जिला प्रमुख सुश्री वंदना नोगिया ने अपने दो वर्ष के कार्यकाल का जश्न प्रदेश के पंचायती राज मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ की उपस्थिति में मनाया, लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी यह जश्न राजनीतिक दृष्टि से फीका रहा। नोगिया को उम्मीद थी कि राठौड़ को बुलाने से भीड़ आ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आठ सौ की क्षमता वाले जवाहर रंगमंच पर मुश्किल से 200 लोग ही आए। जिले के तीन भाजपा विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा, शत्रुघ्न गौतम और शंकर सिंह रावत भी नहीं आए। खुद जिला परिषद के 32 में से मात्र 11 सदस्य ही आए। सबसे बुरा हाल सरपंचों का रहा। 282 सरपंचों में से मात्र 21 ने ही उपस्थिति दर्ज करवाई। महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल समारोह के अन्तिम क्षणों में आई। यूं दिखाने को भाजपा के देहात जिलाध्यक्ष बी.पी. सारस्वत और शहर जिलाध्यक्ष अरविंद यादव उपस्थित रहे। लेकिन अपनी ही पार्टी के जिला प्रमुख के दो वर्ष के जश्न को सफल बनाने के लिए कोई भूमिका नहीं निभाई। माना जाता है कि वंदना नोगिया स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी गुट में है, लेकिन जवाहर रंगमंच पर भीड़ जुटाने में देवनानी के समर्थकों ने भी कोई सहयोग नहीं किया। जहां तक स्वयं नोगिया का सवाल है तो उन्होंने पिछले दो वर्षों में जिले में अपनी राजनीतिक पकड़ नहीं बनाई। अनुसूचित जाति की नोगिया की राजनीतिक पृष्ठभूमि भी मजबूत नहीं रही। दो वर्ष पहले अजमेर के क्षेत्रीय सांसद सांवरलाल जाट की भावनाओं के विपरीत नोगिया को जिला प्रमुख बनाया गया। चूंकि प्रदेश नेतृत्व का दबाव था इसलिए नोगिया जिला प्रमुख तो बन गई, लेकिन अब उन्हें भाजपा के सदस्यों का भी समर्थन नहीं मिल रहा है। पंचायती राज के जन प्रतिनिधियों ने जिस तरह आज बेरूखी दिखाई, उससे प्रतीत होता है कि पंचायती राज मंत्री का भी अपने विभाग में दबदबा नहीं है। पिछले दो वर्षों मेें नोगिया ने भी ऐसा कोई काम नहीं किया, जिसकी वजह से उनकी पहचान बनी हो। अलबत्ता यह सही है कि उन्होंने ईमानदारी के साथ जिला प्रमुख का कार्य किया। 
(एस.पी.मित्तल) (09-02-17)
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#2232
ऐसे चुनाव प्रचार के बंद होने का क्या मतलब है? राजनीतिक दलों के भोपू बने हुए न्यूज चैनल। 
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चुनाव आयोग के मुताबिक 9 फरवरी को सायं 5 बजे यूपी की 73 सीटों पर चुनाव प्रचार बंद हो गया है। इन सीटों पर चुनाव लडऩे वाला कोई भी उम्मीदवार न तो जनसभा कर सकेगा और ना ही माइक लगाकर नारेबाजी। लेकिन सवाल उठता है कि ऐसे चुनाव प्रचार के बंद होने का क्या मतलब है। यूपी में 403 सीटों पर 7 चरणों में मतदान होना है यानि 9 फरवरी को पहले चरण का चुनाव प्रचार बंद हो जाने के बाद भी 330 सीटों पर चुनाव प्रचार धड़ल्ले से होता रहेगा। सब जानते हैं कि चुनावों में टीवी चैनलों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है। जिन सीटों पर चुनाव प्रचार जारी है, उनमें जनसभाएं, रैली, रोड शो आदि हो ही रहे हैं। इन सबका प्रसारण भी चैनलों पर उन सीटों के मतदाता भी देख रहे हैं, जहां 9 फरवरी को चुनाव प्रचार बंद हो चुका है। यूपी के मतदाता भी इस बात का एहसास कर रहे होगें कि टीवी चैनल राजनीतिक दलों के भोंपू बने हुए हैं। ऐसे में भले ही चुनाव आयोग की नजर में चुनाव बंद हो गया हो, लेकिन हकीकत में 11 फरवरी को मतदान वाले दिन भी चैनलों के माध्यम से प्रसार होता रहेगा। इस तरह चुनाव प्रचार का बंद होना निर्दलीय प्रत्याशियों पर तो असरकारी होगा परन्तु राजनीतिक दल न्यूज चैनलों पर सीधे प्रसारण, विज्ञापनों तथा अन्य तरीकों से चुनाव प्रचार बदस्तूर जारी रख सकेंगे। 
एस.पी.मित्तल) (09-02-17)
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#2233
आखिर राजस्व मंडल के अध्यक्ष ओ.पी. सैनी को वकीलों से वार्ता करने पर एतराज क्यों है?
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9 फरवरी को भी अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व मंडल के अध्यक्ष ओ.पी. सैनी और मंडल के वकीलों के बीच कोई समझौता नहीं हो सका। मंडल के वकील अध्यक्ष सैनी के रवैए को लेकर 7 फरवरी से हड़ताल पर है। 7 फरवरी को वकीलों ने 3 दिन का अल्टीमेटम दिया था। इसलिए अब 10 फरवरी को वकीलों की साधारण सभा बुलाकर अध्यक्ष के खिलाफ कोई बड़ा निर्णय लिया जाएगा। समझ में नहीं आता कि आखिर मुख्य सचिव स्तर के मंडल अध्यक्ष ओ.पी. सैनी को वकीलों से संवाद करने पर एतराज क्यों है? 7 फरवरी को बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ब्रह्मानंद शर्मा ने अध्यक्ष से मिलने का विनम्र आग्रह किया था, लेकिन अध्यक्ष ने मिलने से इंकार कर दिया। अध्यक्ष के इस रवैए के खिलाफ ही वकील समुदाय हड़ताल पर चला गया। चूंकि हड़ताल सिर्फ मिलने की बात को लेकर की गई थी इसलिए यह उम्मीद थी कि अगले ही दिन मंडल के अध्यक्ष वकीलों को वार्ता के लिए बुला लेंगे। लेकिन मंडल में उपस्थित रहते हुए भी सैनी ने वकीलों को वार्ता के लिए नहीं बुलाया है और अगले दिन सैनी छुट्टी पर चले गए। सैनी का यह व्यवहार दर्शाता है कि वे मामले को सुलझाने के बजाय बिगाडऩे पर अड़े हुए हैं। अब सैनी ने मंडल के चार सदस्यों की एक कमेटी बनाई है, लेकिन इस कमेटी से वार्ता करने से वकीलों ने इंकार कर दिया है। प्रशासनिक क्षेत्रों में यह माना जाता है कि मुख्य सचिव स्तर के जिस अधिकारी से सरकार खुश नहीं होती, उसे राजस्व मंडल का अध्यक्ष बना देती है। चूंकि सैनी भी मुख्य सचिव पद के दावेदार थे इसलिए हो सकता है कि उनके मन में भी राज्य सरकार के प्रति नाराजगी हो। इसीलिए वे वकीलों से बात करने को तैयार नहीं है। ऐसे में राज्य सरकार की ही छवि खराब हो रही है क्योंकि वकीलों और अध्यक्ष के झगड़े की वजह से प्रदेश भर के काश्तकारों को परेशानी हो रही है। मुकदमों की सुनवाई नहीं होने से रोजाना बाहर से आने वाले ग्रामीण और काश्तकार बेहद परेशान है। 
एस.पी.मित्तल) (09-02-17)
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Wednesday 8 February 2017

#2228
अजहर मसूद के मुद्दे पर पाकिस्तान के मुसलमान चीन के झांसे में न फंसे। 
चीन की नहीं है मुसलमानों से हमदर्दी।
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आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख अजहर मसूद को आतंकी घोषित करने के मुद्दे पर एक बार फिर संयुक्त राष्ट्र संघ में चीन ने वीटो लगा दिया है। मसूद को आतंकी घोषित करने के लिए इस बार अमरीका और फ्रांस ने प्रस्ताव रखा था। गत 30 दिसम्बर को भी चीन ने वीटो लगाकर भारत के प्रस्ताव को रद्द करवा दिया था। यदि पाकिस्तान के मुसलमान यह समझते हैं कि चीन उनका हमदर्द है तो यह पाकिस्तान की गलतफहमी होगी। पूरा विश्व जानता है कि चीन एक मतलबी देश है। चीन अजहर मसूद के मुद्दे पर बार-बार वीटो का इस्तेमाल इसलिए कर रहा है कि अजहर मसूद भारत में पठानकोट जैसे हमले करवाता है। चीन यह चाहता है कि भारत और पाकिस्तान में तनाव बना रहा। सब जानते हैं चीन में मुसलमानों की क्या दशा है? चीन तो अपने यहां मुसलमानों को मुस्लिम वास्तुकला के हिसाब से मस्जिद भी नहीं बनाने देता। जब कोई मुसलमान थोड़ा भी विरोध करता है तो चीन की पुलिस सरेआम गोली मार देती है। चीन में रहने वाले मुसलमान अपने अधिकारों को लेकर समय-समय पर आवाज उठाते रहे हैं। लेकिन चीन की सरकार ने कभी भी सुनवाई नहीं की। यदि चीन को मुसलमानों से इतनी ही हमदर्दी है, तो फिर वह अपने देश में मुसलमानों को अधिकार क्यों नहीं देता? इसे चीन का दोहरा चरित्र ही कहा जाएगा कि एक ओर पाकिस्तान में बैठे आतंकी अजहर मसूद के लिए बार-बार वीटो का इस्तेमाल करता है, तो दूसरी ओर अपने देश में रहने वाले मुसलमानों पर अत्याचार कर रहा है। अजहर मसूद यदि एक बार भी चीन के पीडि़त मुसलमानों के समर्थन में बयान जारी कर देे तो फिर चीन की अजहर मसूद के साथ कोई हमदर्दी नहीं होगी। अजहर मसूद को भी चाहिए कि वह एक बारचीन का दौरा कर मुसलमानों की स्थिति का पता लगाए। भारत में तो मुसलमान अमन चैन के साथ रह रहे हंै। 
एस.पी.मित्तल) (08-02-17)
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#2229
कानून व्यवस्था बनाए रखने में अजमेर पुलिस फेल। डिप्टी मेयर ने हिम्मत दिखाते हुए मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।
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अजमेर में इन दिनों चोरी, डकैती, हत्याएं, चैन स्नेचिंग, लूटपाट, छेड़छाड़ आदि की घटनाएं रोजाना हो रही है। लेकिन इसके बावजूद भी सत्तारूढ़ भाजपा के नेता खामोश है। भाजपा के किसी भी बड़े नेता में इतनी हिम्मत नहीं कि परेशान शहरवासियों के हित मेें पुलिस के खिलाफ बोले। ऐसा प्रतीत होता है कि सत्ता में बैठे नेताओं ने पुलिस के साथ गठजोड़ कर लिया है और अजमेर को पूरी तरह अपराधियों के रहमो करम पर छोड़ दिया है। विपक्षी कांग्रेस तो मृतप्राय नजर आ रही है। ऐसे माहौल में 8 फरवरी को भाजपा के वरिष्ठ नेता और डिप्टी मेयर संपत सांखला ने अजमेर पुलिस के खिलाफ बोलने की हिम्मत दिखाई है। सांखला ने स्वयं को परेशान नागरिकों की भावनाओं से जोड़ते हुए मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में कहा गया है कि कानून व्यवस्था बनाए रखने में अजमेर के पुलिस अधीक्षक पूरी तरह फेल है। मुख्यमंत्री से मांग की गई कि अजमेर में योग्य एवं ईमानदार पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया जाए। मुख्यमंत्री को लिखे पत्र की एक प्रति प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया को भी भेजी गई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि अजमेर में पुलिस अधीक्षक डॉ नितीनदीप ब्लग्गन की पदोन्नति डीआईजी के पद पर हो चुकी है। डॉ ब्लग्गन स्वयं भी डीआईजी का नया पद चाहते है। डॉ ब्लग्गन को भी पता है कि निकट भविष्य में उनका स्थानान्तरण अजमेर से हो जाएगा। थानाधिकारियों को यह पता है कि जब किसी एसपी का तबादला सुनिश्चित हो जाता है तो वह  ज्यादा प्रभावी भूमिका नहीं निभाता। यहीं वजह है कि अजमेर पुलिस अपने नजरिए से काम कर रही है। पुलिस के नजरिए का ही परिणाम है कि आज अजमेर की कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट हो गई है।
(एस.पी.मित्तल) (07-02-17)
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Monday 6 February 2017

#2222
जातियों के आधार पर नहीं जरूरतमंदों को मिलना चाहिए आरक्षण। पद्मावती फिल्म पर कोई समझौता नहीं करेगी करणी सेना। 
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6 फरवरी को श्री राजपूत करणी सेना के संरक्षक लोकेन्द्र सिंह कालवी ने अजमेर में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश और प्रदेश में जातियों के आधार पर आरक्षण नहीं होना चाहिए। अब समय आ गया है जब आरक्षण का लाभ जरूरतमंदों को मिले। गत वर्ष राजस्थान के नागौर जिले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की राष्ट्रीय स्तर की एक बैठक हुई थी। इस बैठक में भी आरक्षण की समीक्षा किए जाने की बात कही गई। संघ की यह सोच सकारात्मक है। आरक्षण की वजह से आज देश के जो हालात हो गए हैं, उसमें कम से कम समीक्षा तो होनी चाहिए। आज आरक्षण का लाभ ऐसी जातियां ले रही हैं, जो आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से मजबूत है। आजादी के बाद से ही विशेष जातियों को आरक्षण का लाभ मिल रहा है, लेकिन फिर भी ऐसी जातियों के लोगों का पिछड़ापन दूर नहीं हुआ है। इसकी यही वजह है कि ऐसे वर्गों के चुनिंदा लोग ही आरक्षण का लाभ ले रहे हैं। कम से कम सरकार को यह तो करना ही चाहिए कि जिस परिवार को एक बार लाभ मिल गया, उस परिवार के दूसरे सदस्य को नहीं मिले। आज देश का यह दुर्भाग्य है कि जाति के कारण एक ही परिवार के सभी सदस्य लाभ ले रहे हैं जबकि दूसरी जाति के परिवार के एक भी सदस्य की नौकरी नहीं लगी है जबकि ऐसा परिवार आर्थिक दृष्टि से बेहद कमजोर है। कालवी ने कहा कि आरक्षण की वजह से समाज में भेदभाव की खाई गहरी होती जा रही है। आरक्षण का लाभ लेकर आईएएस और आईपीएस बने माता-पिता के बच्चे चालीस प्रतिशत अंक लाने पर भी उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश पा रहे हंै और दूसरी जाति के परचूनी की दुकान चलाने वाले गरीब व्यक्ति का बच्चा 90 प्रतिशत अंक लाने के बाद भी प्रवेश से वंचित है। कालवी ने मांग की कि आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए।
कालवी ने कहा कि चित्तौड़ की रानी पद्मावती पर बनने वाली फिल्म को लेकर करणी सेना फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली के साथ कोई समझौता नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि जो इतिहास खून से लिखा गया गया है उसे हम काली स्याही से मिटने नहीं देगें। करणी सेना पद्मावती के नाम पर फिल्म बनाने के सख्त खिलाफ है। पद्मावती ने एक आक्रमणकारी मुस्लिम शासक से बचने के लिए स्वयं को अग्नि को समर्पित कर दिया था। हम नहीं चाहते हैं कि देश के इस इतिहास को फिल्मी पर्दें पर बेचा जाए। हमें निर्माता भंसाली के किसी भी वायदे पर भरोसा नहीं है। इसलिए यदि कोई फिल्म बनती है तो उसे पहले इतिहासकार, लेखक, बुद्धिजीवी, पत्रकार आदि वर्गों के लोगों की कमेटी देखें। यदि ऐसी फिल्म में इतिहास के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है तो उसे रिलीज करने पर विचार किया जाए। उन्होंने उम्मीद जताई कि निर्माता भंसाली ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिसकी वजह से रानी पद्मावती की वीरता पर अंगुली उठे। 
(एस.पी.मित्तल) (21-01-17)
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#2221
बुराइयों का प्रतीक रावण दिल्ली में नहीं यूपी के कैराना में बसता है। हाईकोर्ट ने मतदाताओं की सुरक्षा के आदेश दिए।
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यूपी के ताकतवर नेता और अखिलेश सरकार में मंत्री आजम खान ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा कि रावण लखनऊ में नहीं दिल्ली में रहता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत वर्ष दशहरे पर पीएम मोदी ने लखनऊ में रावण दहन के कार्यक्रम में भाग लिया था। आजम खान पहले भी मोदी के खिलाफ इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं। आजम को लगता है कि ऐसे बयान देने से उन्हें अल्पसंख्यक वर्ग का और समर्थन मिलेगा। नरेन्द्र मोदी के प्रति आजम खान की नाराजगी का कारण कुछ भी हो, लेकिन 6 फरवरी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जो आदेश दिए हैं उससे आजम खान को यह समझना चाहिए कि बुराईयों का प्रतीक रावण लखनऊ और दिल्ली में नहीं बल्कि उनके प्रभाव वाले यूपी के कैराना शहर में बसता है। आजम खान यह बताएं कि आखिर कैराना में रावणों को किसने तैयार किया? 6 फरवरी को एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने यूपी के मुख्य सचिव और डीजीपी को आदेश दिया है कि विधानसभा चुनाव में कैराना के मतदाता भयमुक्त होकर मतदान कर सके, यह व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। मतदाता निडर होकर मतदान केन्द्र पर पहुंचे, इसके इंतजाम भी प्रशासन और पुलिस को करने चाहिए। आजम खान यह अच्छी तरह जानते हैं कि यह वहीं कैराना है, जहां से हिन्दू समुदाय के लोग बड़ी संख्या में पलायन कर चुके हैं। यह पलायन यूपी में अखिलेश और आजम की सरकार के समय ही हुआ है। क्या आजम खान को अपने कैराना में रावण नजर नहीं आते? आजम को अपने नेता मुलायम सिंह की भावनाओं का भी सम्मान करना चाहिए। 6 फरवरी को ही मुलायम सिंह ने भी कहा कि आजम खान को देश के प्रधानमंत्री के बारे में ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यह माना कि इस समय समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह का कोई महत्व नहीं है, लेकिन यदि इस चुनाव में अखिलेश और आजम की हार हो जाती है तो फिर सपा में मुलायम का ही महत्व होगा। आजम को यह भी समझना चाहिए कि नरेन्द्र मोदी को भाजपा और सहयोगी दलों के 300 से भी ज्यादा सांसदों ने देश का प्रधानमंत्री चुना है। यह भारत का लोकतंत्र ही है, जहां आजम खान जैसे नेता प्रधानमंत्री के लिए गैर जिम्मेदाराना शब्दों का उपयोग करते हैं। 
(एस.पी.मित्तल) (21-01-17)
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Sunday 5 February 2017

#2218
हमारे कश्मीर के अलगाववादी और उनके समर्थक पीओके के मुसलमानों की परेशानियों से सबक लें। इस्लामाबाद में हुआ प्रदर्शन।
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पांच फरवरी को पाकिस्तान में कश्मीर दिवस मनाया गया। इस अवसर पर भारत विरोधी पाकिस्तानियों ने हमारे कश्मीर को आजाद करने की मांग की, लेकिन वहीं पाक अधिकृत कश्मीर के हजारों मुसलामानों ने इस्लामाबाद में जोरदार प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों का कहना रहा कि पाकिस्तान की सरकार और आईएसआई मिलकर हम पर अत्याचार कर रहे हैं। यहां तक की हमें बोलने और लिखने तक की आजादी नहीं है। हमारे मासूम बच्चों पर अत्याचार किया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना और पुलिस लगातार मानवाधिकारों का हनन कर रही है। जिस तरह से इस्लामाबाद में प्रदर्शन हुआ, उससे हमारे कश्मीर के अलगाववादियों और उनके समर्थकों को सबक लेना चाहिए। सब जानते हैं कि धारा 370 की वजह से भारत में कश्मीर को विशेष दर्जा मिला हुआ है। यहां तक कि भारत के संविधान के अनेक प्रावधान कश्मीर पर लागू नहीं होते हैं। कश्मीर घाटी में खुले आम भारत विरोधी गतिविधियां होती रहती हैं। इसके बावजूद भी अलगाववादियों के नेता पाकिस्तान के हिमायती बने हुए हैं। नेताओं को पीओके के मुसलमानों की दयनीय स्थिति को देखना चाहिए। सवाल उठता है कि जब पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर में ही मुसलमानों पर अत्याचार कर रहा है तो फिर हमारे कश्मीर के मुसलमानों के साथ क्या सलूक करेगा? यदि पाकिस्तान को हमारे कश्मीर के मुसलमानों की समस्याओं की इतनी ही चिन्ता है तो वह पहले पीओके के मुसलमानों पर अत्याचार करना बंद करें। कश्मीर में भारत विरोधी मुहिम चलाने वाले अलगाववादी माने या नहीं, लेकिन आज हमारे कश्मीर में मुसलमान जितने सकून और सुविधाओं के साथ रह रहे हैं, उतनी सुविधाएं तो पाकिस्तान में मुसलमानों को भी नहीं मिल रही है। 
एस.पी.मित्तल) (05-02-17)
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#2219
ब्रह्मा मंदिर के महंत की गद्दी वाले कक्ष में कुछ नहीं मिला। अब सामान्य होने लगे हैं हालात।
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5 फरवरी को पुष्कर स्थित विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर के परिसर में स्थित दिवंगत महंत सोमपुरी के गद्दी वाले कक्ष को भी खोल दिया। सरकार द्वारा गठित प्रबंध समिति के सचिव और पुष्कर के एसडीएम मनमोहन व्यास की उपस्थिति में खोले गए कक्ष से दो-तीन लोहे के बक्से मिले, लेकिन इनमें पुराने कपड़े, कागजात आदि ही थे। इन बक्सों में न तो नकदी-जेवरात आदि सामान मिला और न ही दिवंगत महंत की कोई वसीयत। महंत की गद्दी और कुर्सी वाले कक्ष से कुछ नहीं मिलने पर मंदिर से जुड़े लोगों ने राहत की सांस ली है। इससे पहले जब महंत के तीन कक्ष खोले गए तो लोहे के बक्सों में जेवरात और बड़ी संख्या में नकदी मिली थी।
सामान्य होने लगे हालात :
विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर के हालात अब तेजी से सामान्य होने लगे हैं। कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित प्रबंध समिति भी अपना काम पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ कर रही है। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को भी बढ़ाया गया है। चूंकि इस समय मंदिर का कोई महंत नहीं है और न ही मंदिर में ट्रस्टियों की कोई भूमिका है इसलिए श्रद्धालु भी धनराशि को दानपेटियों में डाल रहे है। उम्मीद है कि इस बार दान पेटियों से बड़ी मात्रा में राशि निकलेगी। समिति ने अब तक करीब 30 लाख रुपए की राशि बैंक में जमा करवा दी है। 
चढ़ावे के घोटाले की जांच तो होगी :
प्रबंधन कमेटी के सूत्र के अनुसार पिछले वर्षो में मंदिर के चढ़ावे में कथित तौर पर जो घोटाला हुआ, उसकी जांच की ही जाएगी। जांच में यह पता लगाया जाएगा कि चढ़ावे की राशि में से किन-किन ट्रस्टियों ने अपने स्वार्थ पूरे किए हैं। हालांकि अब तो ट्रस्ट के सदस्य मंदिर परिसर में प्रवेश भी नहीं पा सकते, लेकिन फिर भी पुष्कर के अनेक लोगों का ट्रस्टियों के प्रति गुस्सा है।
अदालत में चल रहा है वाद :
ब्रह्मा मंदिर के प्रबंधन और महंत की नियुक्ति का मामला अजमेर की एक अदालत में विचाराधीन है। इस मामले में एक प्रार्थना पत्र दायर कर दिवंगत महंत के सील कमरों को खोलने की मांग की गई थी। यह आशंका जताई गई कि कमरों में कोई वसीयत हो सकती है। अब जब सभी सील कमरे खोले जा चुके हैं तो वसीयत का मामला भी अपने आप निपट गया है। मालूम हो कि महंत सोमपुरी की एक सड़क दुर्घटना में गत 31 दिसम्बर को मौत हो गई थी।
एस.पी.मित्तल) (05-02-17)
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#2220
अजमेर पुलिस पर भारी हैं चोर-उचक्के। रोजाना हो रही हैं वारदातें। सरकार एसपी की भूमिका को प्रभावी बनाए। 
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पांच फरवरी को अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र की राधा विहार कॉलोनी में रहने वाली श्रीमती अंजू गर्ग जब अपने मकान के पोर्च में झाडूं लगा रही थी, तभी एक 20-22 वर्ष का युवक आया और कार्ड दिखा  कर किसी का पता जानना चाहा। अंजू ने कहा भी कि मैं नहीं जानती हूं लेकिन यह युवक अंजू के और निकट आ गया। पलक झपकते ही युवक ने अंजू के गले की सोने की चैन तोड़ दी। तभी अंजू के पति अरविन्द गर्ग बाहर आए और युवक को पकडऩे की कोशिश की। अरविन्द और युवक के बीच हाथापाई भी हुई और युवक स्वयं को छुड़ा कर भाग गया। कुछ ही दूर पर एक दूसरा युवक मोटर साइकिल लेकर खड़ा था। इस वारदात में युवक का स्वेटर, टोपी, चश्मा आदि सामान मौके पर ही रह गए। दोनों युवक पल्सर मोटरसाइकिल पर बैठ कर भाग निकले। चार फरवरी को भी पुष्कर के महेश्वरी सेवा सदन में विवाह समारोह में जेवरात चोरी, अलवर गेट इलाके में सूने मकान से 4 लाख रूपये के जेवरात-नकदी, कोतवाली क्षेत्र में नकली नोट थमा कर 50 हजार रुपए की ठगी, फॉयसागर रोड स्थित हिना गार्डन में चोरी आदि की वारदातें अब रोजाना अजमेर में हो रही है। दिन-दहाड़े होने वाली इन वारदातों से जाहिर है कि चोर-उचक्के अजमेर पुलिस पर भारी पड़ रहे हैं। पुलिस के अधिकारी माने या नहीं, लेकिन चोर-उचक्कों में पुलिस का कोई डर नहीं है। उलटे अपराध की ऐसी वारदातों से आम आदमी भयभीत है। अब तक तो राह चलती महिला के गले से चैन छिनी जाती थी, लेकिन 5 फरवरी को तो घर में घुस कर सोने की चैन तोड़ी गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि बदमाशों के हौंसले कितने बुलंद है। अजमेर पुलिस अपराधों को रोकने के लिए कितनी मुस्तैद है, यह तो मुझे नहीं पता, लेकिन इतना जरूर है कि सरकार ने अजमेर के एसपी डॉ. नितिनदीप ब्लग्गन को पदोन्नत कर डीआईजी बना दिया है। ब्लग्गन को डीआईजी बने कोई 20 दिन हो गए, लेकिन सरकार ने अभी तक भी ब्लग्गन को अजमेर में ही एसपी बना रखा है। ब्लग्गन रोजाना डीआईजी के पद पर नियुक्ति के सरकारी आदेश का इंतजार कर रहे हैं। सब जानते हैं कि जब किसी अधिकारी की पदोन्नित हो जाती है तो वह एक दिन भी छोटे और पुराने पद पर काम करना नहीं चाहता है। सरकार को चाहिए कि अजमेर में जल्द से जल्द एसपी की नई नियुक्ति की जाए। शायद ही कोई थानाधिकारी होगा जो अपने इलाके में चोरी-चकारी करवाता हो। यह माना कि संबंधित क्षेत्र के पुलिस वालें ही आंखें बंद कर, जुआ-सट्टा, अवैध शराब बिक्री आदि के अपराध होते रहते हैं। लेकिन चोरी, चैन स्नेचिंग आदि की छृूट कोई भी थानाधिकारी नहीं देगा। लेकिन चोर-उचक्कों में पुलिस का डर नहीं है, यह बात साफ लग रही है। दबी जुबान से पुलिस वालों का कहना है कि कड़ी मशक्कत के बाद चोर-उचक्कों को पकड़ लिया जाता है तो वह थोड़े दिन के बाद जमानत पर जेल से बाहर आ जाते हैं। जो अपराधी जितनी जल्दी जेल से बाहर आता है, वह उतनी ही ज्यादा वारदातें करता है। आबादी के मुकाबले पुलिसकर्मियों की संख्या भी बेहद कम है। पुलिस की अपनी समस्या हो सकती है, लेकिन फिलहाल अजमेर में चोर-उचक्कों की मौज हो गई है। 
एस.पी.मित्तल) (05-02-17)
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Saturday 4 February 2017

#2216
ब्रह्मा मंदिर की प्रतिष्ठा का ख्याल रखा जाए। किसी व्यक्ति के कारनामों का मंदिर पर न लगे दाग।
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पुष्कर का विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर इन दिनों सुर्खियों में है। दिवंगत महंत सोमपुरी के कारनामों की वजह से आए दिन मंदिर को लेकर मीडिया में खबरें आ रही हैं। सब जानते हैं कि हिन्दू संस्कृति में ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचियता माना गया है। मंदिर में ब्रह्मा जी की ही प्रतिमा लगी हुई है। ब्रह्मा जी को देवो का देव माना गया है। ऐसे में करोड़ों हिन्दुओं की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है। आस्था का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब तक पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर के दर्शन नहीं हो, तब तक धार्मिक यात्रा को पूरा नहीं माना जाता। 
इसलिए पुष्कर को तीर्थ गुरु का दर्जा दिया गया है। जो लोग पवित्र सरोवर में स्नान कर कष्टों से मुक्ति पाते हैं, उस सरोवर की उत्पत्ति भी ब्रह्मा जी ने ही की थी। जिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की, आज उन्हीं ब्रह्मा जी के मंदिर पर अंगुली उठ रही है। ऐसे में सबसे पहले पुष्कर के तीर्थ पुरोहितों की यह जिम्मेदारी है कि वह ब्रह्मा मंदिर की प्रतिष्ठा को बनाए रखें। पिछले दो तीन वर्षों में मंदिर परिसर में जो कुछ भी हुआ उसकी जिम्मेदारी प्रतिमा की नही है। यदि मंदिर परिसर में मौजूद कुछ व्यक्ति अपने स्वार्थों के खातिर धर्म के विरुद्ध आचरण करें तो इसका दोष किसी संस्कृति को नहीं दिया जा सकता। ब्रह्मा जी ने तो इस पृथ्वी पर एक सुंदर सृष्टि की रचना की थी, लेकिन आज हम सब यह जानते हैं कि इस पृथ्वी पर कैसे कैसे दानव आकर बैठ गए हैं। जब पृथ्वी का इतना बुरा हाल है तो फिर ब्रह्मा जी का मंदिर भी कैसे अछूता रह सकता है। अब इस मंदिर की प्रतिष्ठा को बचाने की जिम्मेदारी हमारी संस्कृति से जुड़े लोगों की ही है। यह माना कि अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल की अध्यक्षता वाली प्रबंध कमेटी मंदिर के कामकाज में सुधार का काम कर रही है, लेकिन इस कमेटी की भी यह जिम्मेदारी है कि मंदिर की नकारात्मक छवि नहीं बने। आखिर इस मंदिर से करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी हुई है। इसे ब्रह्मा जी का चमत्कार ही माना जाना चाहिए कि जिन लोगों ने मंदिर के अंदर बैठकर धर्म विरोधी काम किया, वो सड़क पर बेमौत मारे गए। अब यदि श्रद्धालुओं के चढ़ावे में से किसी ने बेईमानी की है तो उसे भी पुष्कर में ही अपने कर्मो के फल भुगतने होंगे। पुष्कर के लोग सब जानते हैं कि किन किन ने अपने घर भरे हैं। ऐसे लोगों की कितनी बुरी गत होती है, यह आने वाले दिनों में देखने को मिल जाएगा। मंदिर में कोई श्रद्धालु एक रुपया भी बड़ी आस्था के साथ चढ़ाता है, लेकिन यदि उसके एक रुपए की दुगर्ति हुई है तो दुर्गति करने वालों को ब्रह्मा जी कभी भी माफ नहीं करेंगे। जिस प्रकार रेजगारी से भरे कट्टों को चूहों ने कुतर दिया, उसी प्रकार जिम्मेदार लोगों के जीवन को चूहे ही कुतरेंगे। कलेक्टर गौरव गोयल को भी चाहिए कि अब वे किसी भी नकारात्मक प्रचार से बचे और करोड़ों लोगों की आस्था के अनुरूप विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर की प्रतिष्ठा को बढ़ाए। जहां तक महंत की गद्दी पर दावा करने वालों का सवाल है तो उनकी भी यह जिम्मेदारी है कि वे पहले स्वयं को मंदिर की प्रतिष्ठा के अनुरूप बनाएं। 
एस.पी.मित्तल) (04-02-17)
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Friday 3 February 2017

#2213
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से फिर फंसी राजस्थान की वसुंधरा सरकार। अब गुर्जरों को अलग से नहीं मिलेगा 5 प्रतिशत आरक्षण। 
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3 फरवरी को गुर्जरों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, उससे राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार एक बार फिर फंस गई है। राज्य सरकार की याचिका पर कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिए कि भविष्य में गुर्जर, रेबारी, बंजारा, गडरिया और गाडिया लुहार जातियों को अलग से 5 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं दिया जाएगा। अलबत्ता पिछले डेढ़ वर्ष में इस आरक्षण के तहत जिन लोगों को लाभ मिल चुका है, उन्हें कोर्ट ने कायम रखा है। यानि इस कोटे में जिन लोगों ने नौकरी हासिल कर ली या किसी शिक्षण संस्थान में प्रवेश ले लिया तो अब उसे हटाया नहीं जाएगा। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन रहेगा। मालूम हो कि राजस्थान हाई कोर्ट ने 10 दिसंबर को सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें विशेष पिछड़ा वर्ग बना कर गुर्जर सहित 5 जातियों को 5 प्रतिशत आरक्षण अलग से देने की घोषणा की गई थी। हाई कोर्ट के इस आदेश से पिछले डेढ़ वर्ष में जिन लोगों ने लाभ ले लिया था। उन पर भी तलवार लटक गई थी। 3 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उसमें राज्य सरकार के सामने एक बार फिर संकट खड़ा हो गया है। रेल पटरियों पर बैठ कर आन्दोलन करने वाले गुर्जर समुदाय के लोगों का पहले से ही कहना है कि उन्हें निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण में से 5 प्रतिशत अलग से दिया जाए। चूंकि संविधान में 50 प्रतिशत आरक्षण का ही प्रावधान है इसलिए कोई भी सरकार इससे ज्यादा का आरक्षण नहीं दे सकती। राजस्थान में एससी, एसटी और ओबीसी को पहले से ही 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। सरकार ने गुर्जरों के दबाव में विशेष पिछड़ा वर्ग बनाकर आरक्षण 55 प्रतिशत कर दिया था। एक ओर गुर्जर समुदाय संविधान के दायरे में ही 5 प्रतिशत आरक्षण का दबाव डाल रहा है तो वहीं जाट, मीणा आदि मजबूत जातियों ने सरकार को वर्तमान आरक्षण व्यवस्था से छेड़छाड़ न करने की चेतावनी दे रखी है। कोई जाति नहीं चाहती कि उसके कोटे को काटकर गुर्जर समुदाय को अलग से आरक्षण का लाभ दिया जाए। देखना है कि वसुंधरा राजे सरकार ताजा परिस्थितियों से किस प्रकार निपटती है? 
एस.पी.मित्तल) (03-02-17)
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#2214
ख्वाजा साहब की दरगाह में गूंजा बसंत।शाही कव्वाल ने गाया अमीर खुसरो का कलाम।
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3 फरवरी को अजमेर स्थित विश्वविख्यात ख्वाजा साहब की दरगाह में बसंत उत्सव की गूंज हुई। पूरी दुनिया में ख्वाजा साहब की दरगाह को साम्प्रदायिक सद्भावना की मिसाल माना जाता है। इस मिसाल के अनुरूप ही दरगाह के शाही कव्वाल असरार हुसैन और उनके साथियों ने दरगाह परिसर में पीले रंग के फूलों का गुलदस्ता लेकर अमीर खुसरो के कलाम को उमंग के साथ गाया। हिन्दू संस्कृति के बसंत महोत्सव के दौरान ही इस्लामी माह जमादिउल अव्वल की पांच तारीख को दरगाह में बसंत का उत्सव मनाने की परंपरा है। इसलिए 3 फरवरी को शाही कव्वाल ने अमीर खुसरो का लिखा यह कलाम हारमोनियम की धुन के साथ गया-'ख्वाजा मोइनुद्दीन के घर आती है बसंत, नाजो अदा से झूमना, ख्वाजा की चौखट चूमनाÓ की गूंज रही। बसंत उत्सव को मनाने के लिए प्रात: 11बजे दरगाह के मुख्य द्वार से मजार शरीफ तक एक जुलूस भी निकाला गया। इस जुलूस में सभी धर्मों के लोग शामिल हुए।
नजमा ने की दरगाह जियारत:
मणिपुर की राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला ने 3 फरवरी को यहां ख्वाजा साहब की दरगाह की जियारत की। नजमा ने सूफी परंपरा के अनुरूप पवित्र मजार पर मखमली और फूलों की चादर पेश की। दरगाह के खादिम मुकद्दस मोईनी ने जियारत करवाई। इससे पहले सर्किट हाऊस में कलेक्टर गौरव गोयल तथा एसपी नितिन दीप ब्लग्गन ने शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर कलेक्टर ने नजमा को ऐतिहासिक आनासागर झील के सौंदर्यीकरण की भी जानकारी दी। 
एस.पी.मित्तल) (03-02-17)
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अजमेर अब्दुल गनी गुर्देजी बनेगी कबूतरबाजों के उस्ताद। 4 फरवरी को होगी चार सौ कबूतरों की रेस।
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अजमेर के ब्यावर रोड स्थित बकरा मंडी क्षेत्र में 4 फरवरी को चार सौ कबूतरों की रेस का एक अनोखा कार्यक्रम होगा। कार्यक्रम के आयोजक सैयद मुबारक अली और सैयद सुहैल चिश्ती ने बताया कि दोपहर 3 बजे चार सौ कबूतर एक साथ आसमान में दौड़ लगाएंगे। अजमेर के इतिहास में पहली बार होने वाले इस कार्यक्रम के दौरान ही मशहूर कबूतरबाज और ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम अब्दुल गनी गुर्देजी को कबूतरबाजों का उस्ताद घोषित किया जाएगा। इस मौके पर अजमेर क्षेत्र के तमाम कबूतरबाज मौजूद रहेंगे। असल में कबूतरबाजी का शौक भारत में पुराना है। राजा महाराजाओं और बादशाहों के समय से ही इसे राजसी शौक माना गया है। यही वजह है कि एक कबूतर की कीमत पांच हजार रुपए तक की होती है। दौड़ लगाने वाले कबूतरों को विशेष खाद्य सामग्री दी जाती है। कबूतरबाजी के शौक के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9829071897 पर गनी गुरदेजी से ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (03-02-17)
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#2215
कश्मीर घाटी से 4 लाख हिन्दुओं को भगाए जाने का मामला यूपी में क्यों नहीं बनता चुनावी मुद्दा?
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देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में इन दिनों विधानसभा चुनाव का घमासान मचा हुआ है। सभी राजनीतिक दलों की चुनावी रणनीति मुस्लिम मतदाताओं को देखकर ही बनाई जा रही है। अखिलेश यादव को लगता है कि कांग्रेस से गठजोड़ के बाद मुसलमानों के वोट सपा को मिल जाएंगे। वहीं मायावती का हर रैली में मुसलमानों को कहना होता है कि यदि मुस्लिम मतदाताओं के वोट सपा और बसपा में विभाजित हो गए तो भाजपा की जीत हो जाएगी। वहीं भाजपा के नेता भी मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। पीएम मोदी ने अल्पसंख्यकों के लिए जो योजनाएं शुरू की है, उनका प्रचार प्रभावी तरीके से किया जा रहा है। हर राजनीतिक दल को लगता है कि मुसलमानों के वोट से ही सरकार बन सकती है। भारत एक लोकतांत्रिक देश है और इसमें धर्म और जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। जब यूपी चुनाव में मुसलमानों को लेकर सभी दल चिंतित और गंभीर है तो फिर यह सवाल उठता है कि यूपी चुनाव में कश्मीर के हिन्दुओं का मुद्दा क्यों नहीं उठ रहा? यूपी के मुसलमान और सभी राजनेता यह जानते हैं कि अलगाववादियों ने 4 लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर घाटी से भगा दिया। आज ऐसे हिन्दू अपने ही देश में शरणार्थी बन कर रह रहे हैं। क्या किसी भी राजनीति दल को इन 4 लाख हिन्दुओं की दुर्दशा की चिंता नहीं है? अच्छा हो कि कांग्रेस, भाजपा, बसपा, सपा आदि दलों के नेता यूपी चुनाव में कश्मीर में हिन्दुओं को वापस बसाने का वायदा भी करें। यदि हमें देश की एकता और अखण्डता को बनाए रखना है तो घाटी में फिर से हिन्दुओं को बसाना होगा।
एस.पी.मित्तल) (03-02-17)
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Thursday 2 February 2017

#2212
ब्रह्मा मंदिर के दिवंगत महंत के तीन और बक्सों ने 8 लाख की नकदी, 3 लाख की चांदी, बन्दूक के 18 कारतूस और जमीनों के कागजात उगले।
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2 फरवरी को भी पुष्कर स्थित विश्वविख्यात ब्रह्मा मंदिर के दिवंगत महंत सोमपुरी के बक्सों से 8 लाख रुपए की नकदी, 3 लाख के चांदी के बर्तन-आभूषण, बंदूक के 18 कारतूस तथा लाखों रुपए के मूल्यवाली जमीनों के कागजात मिले हैं। 31 जनवरी को भी दिवंगत महंत के कक्ष में रखे लोहेे के बक्से से कोई 8 लाख रुपए निकले थे। सोमपुरी की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद प्रशासन ने महंत के तीन कक्षों को सील कर दिया था। अब तक दो कक्ष खोले जा चुके हैं। तीसरा मुख्य कक्ष खुलना अभी बाकी है। माना जा रहा है कि जिस प्रकार इन कक्षों में रखे लोहे के बक्सों से लाखों रुपए निकले हैं, उसी प्रकार महंत के मुख्य कक्ष से भी सोना-चांदी तथा नकदी राशि मिल सकती है। वर्तमान में ब्रह्मा मंदिर का प्रबंध जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्य कमेटी के पास है। जिस तरह बक्सों से नकद राशि निकल रही है, उससे यह प्रतीत होता है कि मंदिर में आने वाले चढ़ावे में हेराफेरी हो रही थी। हालांकि महंत के प्रबंधन के समय भी देवस्थान विभाग के अधिकारी चढ़ावे पर निगरानी करते थे, लेकिन अब विभाग की मिलीभगत भी सामने आ रही है। प्रबंधन कमेटी के अध्यक्ष कलेक्टर गौरव गोयल ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि मंदिर परिसर में लगी दान पेटियों में ही धन राशि डाली जाए। उन्होंने कहा कि प्राप्त धनराशि का उपयोग ब्रह्मा मंदिर के विकास पर ही होगा। 
पुराने महंत के पास थी बंदूक:
मंदिर से जुड़े लोगों ने बताया कि सोमपुरी से पहले के महंत लहरपुरी के पास बंदूक थी। लहरपुरी के निधन के बाद बंदूक को पुष्कर के पुलिस स्टेशन पर जमा करवा दिया गया। लेकिन कारतूस महंत के कक्ष में ही रहे गए। महंत सोपमुरी ने अपने कार्य काल में कारतूस थाने में जमा क्यों नहीं करवाए? इसकी अब जांच होगी। 
जमीन के कागजात:
हालांकि दिवंगत महंत के कक्ष से अनेक जमीनों के कागजात बरामद हुए हैं। लेकिन अभी तक गनाहेड़ा में 15 लाख रुपए के मूल्य का एक प्लाट ही सामने आया है। यह प्लाट दिवंगत महंत सोमपुरी ने श्रीमती सीमा रांकावत पत्नी राजेन्द्र रांकावत से खरीदा है। 
एस.पी.मित्तल) (02-02-17)
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#2211
तो महबूबा अपनी राजनीति का असली चेहरा अब दिखा रही हैं। आखिर कैसे सुधरेंगे कश्मीर के हालात।
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नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र की भाजपा सरकार ने गत वर्ष लोकसभा में यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर से धारा 370 को हटाने की कोई पहल नहीं की जा रही है। तब पूरे देश में भाजपा की आलोचना हुई क्योंकि हर चुनाव में भाजपा धारा 370 हटाने का मुद्दा उछालती है, लेकिन इसके बावजूद 31 जनवरी को जम्मूकश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने विधानसभा में कहा कि धारा 370 का विरोध करने वाले देशद्रोही हैं। सवाल उठता है कि आखिर महबूबा को यह बात कहने की क्या आवश्यकता थी? वह भी तब जब महबूबा भाजपा के विधायकों के समर्थन से सीएम बनी बैठीं हंै। सब जानते हैं कि जब जम्मू कश्मीर में कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार होती है तो महबूबा और उनकी पीडीपी अलगाववादियों के साथ खड़ी नजर आती है। यही वजह रही कि जब कश्मीर में पीडीपी और भाजपा की गठबंधन सरकारी बनी तो पूरे देश में भाजपा की आलोचना हुई। बार-बार भाजपा की किरकिरी होने के बाद भी भाजपा-पीडीपी की सरकार को टिकाए हुए है। भाजपा की ओर से धारा 370 हटाने की मांग न किए जाने के बाद भी महबूबा देशद्रोही वाला बयान देती हैं तो प्रतीत होता है कि अब महबूबा ने अपनी राजनीति का असली चेहरा दिखाना शुरू कर दिया है। भाजपा कश्मीर के वर्तमान राजनीतिक हालातों से कैसे निपटती है, इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का तो प्रयास है कि पीडीपी और भाजपा के मतभेद सड़क पर आ जाएं। इसलिए एक फरवरी को पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने ऐसा हंगामा करवाया, जिसमें विधानसभा में टेबल-कुर्सिया फेंके गए। आतंकी बुरहान बानी के एनकाउंटर के चार माह बाद भी घाटी के हालात सामान्य नहीं हुए और अब महबूबा के बेमतलब के बयान से राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो गई है। इसमें को दो राय नहीं कि महबूबा ने घाटी में पत्थर बाजों के खिलाफ कार्यवाही करने में अच्छी पहल   की थी। कश्मीर में अमन चैन बना रहे, इसकी जिम्मेदारी सीएम होने के नाते महबूबा की भी है। घाटी में राजनीतिक अस्थितरा होने से आतंकवादियों और अलगाववादियों को ही फायदा होगा। 
एस.पी.मित्तल) (02-02-17)
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