Thursday 31 August 2017

#2968
स्मारक से इंदिरा गांधी का भित्ति चित्र हटाए जाने पर कांग्रेसी नाराज।
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अजमेर के स्टेशन रोड स्थित मोइनिया इस्लामिया स्कूल के बाहर पूर्व प्रधामंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के स्मारक से भित्ति चित्र हटाए जाने पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है। माना जा रहा है कि किसी शरारतीतत्व ने स्मारक से श्रीमती इंदिरा गांधी के चित्र को हटा दिया। इंदिरा गांधी के चित्र को हटाने की जानकारी शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन को 31 अगस्त को हुई। जैन ने कार्यकर्ताओं के सहयोग से दोपहर बाद ही भित्ति चित्र को स्मारक पर वापस लगवा दिया। जैन ने कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री के स्मारक की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। प्रशासन को ऐसे इंतजाम करने चाहिए ताकि भविष्य में देश की पूर्व प्रधानमंत्री का चित्र न हटाया जा सके।
एस.पी.मित्तल) (31-08-17)
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#2967
जमीनी हकीकत से रूबरू नहीं हो रहे हैं अजमेर में भाजपा के मंत्री। आसान नहीं है लोकसभा का उपचुनाव।
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अजमेर संसदीय क्षेत्र में प्रस्तावित उपचुनाव के मद्देनजर सत्तारुढ़ भाजपा के मंत्रियों के दौरे शुरू हो गए हैं। लेकिन ऐसे दौरे जमीनी हकीकत से बहुत दूर हैं। अब तक के दौरे भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ ही हो गए। 30 अगस्त को केन्द्रीय मंत्री राव इन्द्रजीत सिंह और सी.आर.चैधरी दिन भर अजमेर में रहे लेकिन इन दोनों ने आम लोगों से मिलने की कोई कोशिश नहीं की। गुलाब बाड़ी के एक स्कूल में पौधारोपण कर भाजपा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर दिया। दिखाने के लिए स्वतंत्रता सैनानी शोभाराम गहरवाल के निवास पर भी चले गए। इन दोनों केन्द्रीय मंत्रियों के आने का क्या राजनीतिक मकसद रहा यह कोई बताने की स्थिति में नहीं है। सीआर चैधरी नेता बनने से पहले राजस्थान प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे। इस नाते चैधरी लम्बे समय तक अजमेर में नियुक्त रहे। लेकिन 30 अगस्त के दौरे में चैधरी ने अजमेर के किसी भी आम व्यक्ति से कोई संवाद नहीं किया। शायद केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद चैधरी आम नागरिक से मिलना गवारा नहीं समझते। 
देवनानी और भदेल फिर उलझेः
30 अगस्त को कलेक्ट्रेट के काॅन्फ्रेंस के हाॅल में जलदाय मंत्री सुरेन्द्र गोयल ने विभाग के अधिकारियों  की एक बैठक ली। इस बैठक का उद्देश्य अजमेर की पेयजल समस्या का समाधान करना था। लेकिन गोयल को तब आश्चर्य हुआ जब स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल आपस में उलझ गए। चूंकि जलदाय मंत्री गोयल इन दोनों मंत्रियों के बीच में बैठे हुए थे, इसलिए बड़ी मुश्किल से दोनों को शांत किया। देवनानी और भदेल ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में लम्बित पड़ी परियोजनाओं को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगाए। मामूल हो कि ये दोनों मंत्री अजमेर शहर से ही भाजपा के विधायक हैं। इन दोनों मंत्रियों की खींचतान की जानकारी भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को भी है।
1 सितम्बर को आएंगे सराफः
उपचुनाव के मद्देनजर ही एक सितम्बर को प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ मंत्री कालीचरण सराफ अजमेर के जेएलएन अस्पताल में आएंगे। पूर्व सूचना के कारण पूरे अस्पताल को चमका दिया गया है। तय कार्यक्रम के अनुसार सराफ अस्पताल के वार्डों का निरीक्षण भी करेंगे। सराफ यह भी पता लगाएंगे कि सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ मरीजों को मिल रहा है या नहीं।
ऊर्जा मंत्री जन सुनवाई बेअसरः
प्रदेश के ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह राणावत भी 30 अगस्त से तीन दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान राणावत जन सुनवाई भी कर रहे हैं, लेकिन आपसी तालमेल नहीं होने की वजह से राणावत की जन सुनवाई बेअसर हो रही है। बिजली से जुड़ी समस्याओं से परेशान उपभोक्ताओं को कोई लाभ नहीं मिल रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि ऊर्जा मंत्री सिर्फ दिखावे के लिए तीन दिवसीय दौरे पर हैं। 
सीएम बेहद गंभीरः
अजमेर आने वाले केन्द्रीय और प्रदेश के मंत्री भले ही गंभीर न हो, लेकिन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बेहद गंभीर है। उपचुनाव के मद्देनजर ही सीएम राजे स्वयं 21 सितम्बर को अजमेर आ सकती हैं। अपने दौरे से पहले सीएम चाहती हैं कि विभिन्न विभागों के मंत्री अजमेर जा कर लोगों की समस्याओं का समधान करें। इस संबंध में सीएम ने अपने मंत्रियों को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं। साथ ही अजमेर जिले के भाजपा विधायकों से भी सीधा सम्पर्क किया जा रहा है। सीएम ने विधायकों से भी उनके क्षेत्र में लम्बित पड़ी योजनाओं की जानकारी ली है। 
शौचालय का बकाया भुगतान मिलना शुरूः
इसे उपचुनाव का दबाव ही कहा जाएगा कि शौचालय निर्माण का बकाया भुगतान लोगों को मिलना शुरू हो गया है। प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान के अंतर्गत लोगों ने शौचालय का निर्माण करवाया था। इसके अंतर्गत 12 हजार रुपए की राशि प्रत्येक व्यक्ति को मिली थी। लेकिन जिले के करीब एक लाख लोगों को 12 हजार रुपए की राशि का भुगतान नहीं हुआ। लेकिन अब 72 हजार से ज्यादा लोगों को भुगतान मिलना शुरू हो गया है। इस मामले में जिला कलेक्टर गौरव गोयल की सकारात्मक और प्रभावी भूमिका रही है।
एस.पी.मित्तल) (31-08-17)
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Wednesday 30 August 2017

#2966
यह तो राजस्थान सरकार पर हाईकोर्ट का तमाचा है। जोधपुर के सरकारी अस्पताल के आॅपरेशन थिएटर में डाॅक्टरों के झगड़ने का मामला।
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जोधपुर के सरकारी उम्मेद अस्पताल के आॅपरेशन थिएटर में ही डाॅक्टरों के झगड़ने वाले मामले में जोधपुर स्थित हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने 30 अगस्त को कोर्ट के दो वरिष्ठ वकीलों से रिपोर्ट तलब की। वकीलों की रिपोर्ट के बाद न्यायाधीश व्यास ने जोधपुर के कलेक्टर रविन्द्र कुमार को बुलाकर निष्पक्ष जांच करने के निर्देश दिए और यह भी कहा कि जांच कमेटी में एक न्यायिक अधिकारी भी शामिल होगा।  आमतौर पर हाईकोर्ट सरकार के अधिकारियों से ही किसी मामले की रिपोर्ट मांगता है। लेकिन शायद इन हाईकोर्ट को सरकारी तंत्र पर भरोसा नहीं रहा। जिस तरह से हाईकोर्ट ने रिपोर्ट तलब की, वह सरकारी तंत्र पर एक तमाचा है। सरकार की नीयत इस पूरे मामले में कैसी है, इसका पता प्रदेश के चिकित्सा मंत्री काली चरण सराफ और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती सुमन शर्मा के बयानों से लगाया जा सकता है। जहां सराफ ने लीपा पोती वाला बयान दिया, वहीं सुमन शर्मा का कहना रहा कि उस चिकित्सा कर्मी के खिलाफ भी कार्यवाही की जाएगी, जिसने थिएटर में हुए झगड़े का वीडियो बनाया है। यानि सुमन शर्मा की नजर में डाॅक्टरों का अपराध कोई मायने नहीं रखता। लेकिन वीडियो बनाने वाला दोषी है। सुमन शर्मा को यह समझना चाहिए कि जब थिएटर में डाॅक्टर झगड़ रहे थे, तब एक प्रसूता आॅपरेशन टेबल पर बेहोश पड़ी थी। डाॅक्टरों के झगड़े की वजह से ही प्रसूता की नवजात बेटी की मौत हो गई। सरकार जहां बेटी बचाओ अभियान पर करोड़ों रुपया खर्च कर रही है वहीं बिगड़े सरकारी तंत्र की वजह से एक बेटी की मौत हो गई। अच्छा हो कि सुमन शर्मा महिला आयोग की अध्यक्ष की हैसियत से उन डाॅक्टरों के खिलाफ कार्यवाही करवाएं जो आॅपरेशन थिएटर में झगड़ा कर रहे थे। सरकार के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती है कि सरकारी अस्पतालों के आॅपरेशन थिएटरों में डाॅक्टर झगड़ते हैं। सरकारी अस्पतालों के बिगड़े तंत्र की वजह से ही लोग प्राइवेट अस्पतालों में जाते हैं। 
एस.पी.मित्तल) (30-08-17)
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#2965
अजमेर में पहले दिन ही फेल हो गई ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह की जनसुनवाई। एडीए में भी फीका रहा माहौल।
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30 अगस्त को पहले दिन ही राजस्थान के ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह की अजमेर में जन सुनवाई फेल हो गई। 29 अगस्त को सरकार ने जन सुनवाई का जो प्रेस नोट जारी किया, उसमें बताया गया कि 30 अगस्त को प्रातः दस बजे पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के गनाहेड़ा स्थित अटल सेवा केन्द्र, दोपहर 1ः30 बजे नसीराबा के बिठुर तथा शाम 5ः30 बजे केकड़ी में ऊर्जा मंत्र जन सुनवाई करेंगे। लेकिन मंत्री जी दोपहर एक बजे बाद पुष्कर के गनाहेड़ा पहुंचे। चूंकि मंत्रीजी तीन घंटे से भी ज्यादा विलम्ब से पहुंचे, इसलिए अधिकांश ग्रामीण जा चुके थे। जो ग्रामीण बचे वे क्षेत्र के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत के समर्थक थे। यदि विधायक साथ में नहीं होते तो मंत्री से गनाहेड़ा में मिलने वाला कोई नहीं होता। अंदाजा लगाया जा सकता है कि नसीराबाद और केकड़ी की जन सुनवाई का क्या हाल हुआ होगा? चूंकि अजमेर में लोकसभा के उपचुनाव होने हैं इसलिए ऊर्जा मंत्री ने तीन दिन की जन सुनवाई का प्रोग्राम घोषित किया है। लेकिन मंत्री के व्यवहार से प्रतीत होता है कि वे स्वयं ही जन सुनवाई के प्रति गंभीर नहीं हंै। 
सौर ऊर्जा प्लांट को लेकर शिकायतः
मंत्री को ग्रामीणों ने बताया कि सरकार 2 लाख 50 हजार रुपए लेकर सौर ऊर्जा प्लांट लगा रही है हालांकि बाद में एक लाख रुपए की राशि वापस की जा रही है, लेकिन बाजार में यही प्लांट एक लाख 80 हजार रुपए में उपलब्ध है। ऐसे में सरकार के प्लांट को लगवाने में कोई रुचि नहीं है। इस पर मंत्री ने पूरे मामले की जांच का आश्वासन दिया। ग्रामीणों ने यह भी शिकायत की कि नए कनेक्शन के आवेदन के बाद निर्धारित शुल्क लेकर बिजली का मीटर लगा दिया, लेकिन कनेक्शन नहीं जोड़ा गया। इसके बावजूद भी उपभोक्ताओं को बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं।
एडीए में फीका रहा माहौल
अजमेर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने भी 30 अगस्त को प्राधिकरण में जनसुनवाई की। आमतौर पर छोटे-छोटे कार्यों के लिए आम लोग प्राधिकरण के धक्के खाते रहते हैं। इस स्थिति को देखते हुए ही हेड़ा ने प्रत्येक माह की 10, 20 और 30 तारीख को जन सुनवाई निर्धारित की। 30 अगस्त को इस जन सुनवाई का पहला दिन था, लेकिन इस जन सुनवाई को सफल बनाने में प्राधिकरण के अधिकारियों ने कोई रुचि नहीं दिखाई। या तो अधिकारी अनुपस्थित रहे या फिर शिकायत को दूर करने में गंभीर नजर नहीं आए। हालांकि हेड़ा ने अपने स्तर पर शिकायतों का निवारण करने की कोशिश की, लेकिन प्रशासनिक तंत्र के असहयोग रवैये के चलते हेड़ा को सफलता नहीं मिली। जो काम सामान्य प्रक्रिया में होने चाहिए वे ही जन सुनवाई में रखे गए।  हेड़ा ने उम्मीद जताई है कि जाने वाले दिनों में इस जन सुनवाई को प्रभावी बनाया जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (30-08-17)
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#2964
जोधपुर के आदित्य लोढ़ा ग्रुप के 15 ठिकानों पर आयकर विभाग के छापे। राजस्थान में बेनामी सम्पत्तियों के मालिकों में खलबली। हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन मोरदिया भी फंसे।
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30 अगस्त को आयकर विभाग ने जोधपुर के आदित्य लोढ़ा ग्रुप के 15 ठिकानों पर छापामार कार्यवाही की है। बताया जा रहा है कि नोटबंदी के दिनों में 11 सौ करोड़ रुपए का लेनदेन हुआ है। यह लेन-देन बेनामी सम्पत्तियों से जुड़ा हुआ है। आयकार विभाग की प्रथमिक जांच में पता चला है कि बेनामी सम्पत्तियों की खरीद-फरोख्त में जोधपुर स्थित पंजाब नेशनल बैंक के अधिकारियों की भी मिली भगत है। करोड़ों रुपयों का लेन-देन उन खातों में हुआ जिनके खाताधारकों की कोई हैसियत नहीं थी। अब ऐसे खातेदारों  का पता भी नहीं चल रहा है। आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार राजस्थान में सौ से भी ज्यादा ऐसे लोगों को चिन्हित किया गया है जो बेनामी सम्पत्तियों से जुड़े हुए हैं। यही वजह है कि बेनामी सम्पत्तियों के मालिकों में खलबली मच गई है। आदित्य लोढ़ा ग्रुप की जांच में भी बड़े नामों का खुलासा हो रहा है। 
मोरदिया भी फंसेः
आयकर विभाग की कार्यवाही से राजस्थान हाऊसिंग बोर्ड के पूर्व चेयरमैन परसराम मोरदिया भी फंस गए हैं। गत कांग्रेस के शासन में हाऊसिंग बोर्ड के अध्यक्ष रहे मोरदिया ने जयपुर में संस्कृति काॅलेज को 200 करोड़ रुपए की जमीन मात्र सात करोड़ रुपए में आवंटित कर दी, जबकि इस काॅलेज की शैक्षिक संस्था सोसायटी एक्ट में रजिस्टर्ड भी नहीं थी। आज जमीन लेने वालों का भी कोई पता नहीं है। आयकर विभाग ने अब कर चोरी के मामले में कई लोगों को नोटिस जारी किए हैं। आयकर विभाग के सूत्रों के अनुसार संस्कृति काॅलेज को जमीन देने का मामला भाजपा के नेता केशव बड़ाया से जुड़ा हुआ है। यानि राज किसी का भी हो, लेकिन राजनेताओं में आपसी सांठ-गांठ रहती है।
एस.पी.मित्तल) (30-08-17)
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#2963
दस दिन में हो गया राबार्ट वाड्रा के खिलाफ सीबीआई जांच का फैसला, लेकिन आनंदपाल और चतुर सिंह के एनकाउंटर की जांच का अभी तक पता नहीं।
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30 अगस्त को केन्द्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कह दिया कि कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के दामाद राबार्ट वाड्रा से जुड़ी कंपनियों ने राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर आदि क्षेत्रों में जो जमीनें खरीदी हैं, उसकी जांच सीबीआई से करवाई जाएगी। राज्य सरकार ने गत 20 अगस्त को सीबीआई जांच कराने के लिए पत्र लिखा था। यानि केन्द्र ने मात्र दस दिनों में राज्य सरकार की सिफारिश स्वीकार कर ली। एक ओर राबार्ट वाड्रा के मामले में मात्र दस दिन में निर्णय ले लिया गया, तो वहीं दूसरी ओर आनंदपाल और चतुर सिंह के एनकाउंटर की सीबीआई से जांच कराने के बारे में अभी तक भी कोई निर्णय नहीं लिया गया। जबकि इन दोनों एनकाउंटरों की जांच भी सीबीआई से कराने के लिए राज्य सरकार ने सवा महीने पहले सिफारिशी पत्र लिखा था। दोनों एनकाउंटरों की जांच सीबीआई से करवाने के लिए राजपूत समाज को आंदोलन करना पड़ा था। आनंदपाल के एनकाउंटर की जांच तो राज्य सरकार ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के दौरे के मद्देनजर की थी। जाहिर है कि जिस मामले में राज्य सरकार की रुचि होती है, उसकी जांच कराने का फैसला मात्र दस दिन में हो जाता है, लेकिन जिसमें रुचि नहीं होती उसका मामला महीनों तक लटका रहता है। 
वाड्रा पर हैं गंभीर आरोपः
जानकार सूत्रों के अनुसार राबार्ट वाड्रा पर जमीन खरीद के गंभीर आरोप हैं। आरोप है कि वाड्रा से जुड़ी कंपनियों ने खातेदारों से सस्ती दरों पर जमीन खरीदी और फिर कांग्रेस सरकार के दखल से जमीनों को ऊंचे दामों में बेच दिया। अब इन कंपनियों के मालिकों का भी कोई पता नहीं चल रहा है। प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि जमीन खरीदने और बेचने वाली कंपनियों के मालिक राजस्थान से बाहर के हैं, इसलिए राबार्ट वाड्रा के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई है। यूं तो पुलिस ने 18 एफआईआर दर्ज की है, लेकिन सीबीआई को चार एफआईचार की जांच करने के लिए कहा गया है।
एस.पी.मित्तल) (30-08-17)
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Tuesday 29 August 2017

#2962
जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल की एम्बुलैंस का अजमेर में हो रहा है दुरुपयोग।
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29 अगस्त को जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल की एम्बुलैंस का अजमेर में खुलेआम दुरुपयोग हो रहा है। चूंकि एम्बुलैंस मरीजों के काम आती है, इसलिए सरकार ने एम्बुलैंस वाहन को अनेक रियायतें दे रखी हैं। यहां तक कि किसी टोल नाके पर टैक्स भी नहीं देना पड़ता है। इसलिए एम्बुलैंस का उपयोग व्यवसायिक कार्य के लिए नहीं हो सकता। लेकिन 29 अगस्त को जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल की एम्बुलैंस को एक शिविर के बैनर लगाते हुए देखा गया। जिस एम्बुलैंस में चिकित्सा उपकरण होने चाहिए उस एम्बुलैंस में बैनर व पोस्टर आदि भरे हुए थे। असल में इस अस्पताल के द्वारा अजमेर में तीन सितबर को एक सुपर स्पेशियलिटी परामर्श शिविर का आयोजन रेडक्राॅस भवन में किया जा रहा है। सब जानते हैं कि ऐसे शिविर कई प्राइवेट अस्पताल अपने मकसद से लगाते हैं। कहने को यह शिविर निःशुल्क होते हैं। लेकिन शिविर का उद्देश्य मरीजों को अपने अस्पताल में बुलाना होता है। जब महात्मा गांधी अस्पताल एम्बुलैंस तक का दुरुपयोग कर रहा है तो इस शिविर के मकसद का अंदाजा लगा लेना चाहिए। चूंकि ऐसे अस्पतालों के मालिकों की परिवहन और पुलिस विभाग से मिली भगत होती है, इसलिए एम्बुलैंस के दुरुपयोग पर कोई कार्यवाही नहीं होती। 29 अगस्त को अजमेर के आनासागर बाइपास के कोने पर अजमेर विकास प्राधिकरण के होर्डिंग्स पर महात्मा अस्पताल की एम्बुलैंस संख्या आरजे14-पीबी-2127 को शिविर का बैनर लगाते हुए देखा गया। इस एम्बुलैंस में जो कर्मचारी मौजूद थे उनका साफ कहना था कि यह वाहन तो ऐसे ही कार्यों में लगा रहता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि इस अस्पताल के शिविर में अजमेर के भाजयूमो के कार्यकर्ताओं की भी सक्रिय भूमिका है। बैनर पर मोर्चें के शहर जिला अध्यक्ष विनित कृष्ण पारीक का नाम भी अंकित है। गंभीर बात ये है कि यह एम्बुलैंस भी महात्मा गांधी अस्पताल को स्वाति जैन मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा भेंट की गई है।
एस.पी.मित्तल) (29-08-17)
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#2961
मुगल शासक अकबर से लोहा लेने वाले महाराणा प्रताप का गौरव केन्द्र भी देखा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने।
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29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी चार घंटे की उदयपुर यात्रा में प्रताप गौरव केन्द्र का अवलोकन भी किया। राजस्थान के गौरवशाली इतिहास को समेटे हुए इस गौरव केन्द्र में महाराणा प्रताप के जीवन की वीरता को दर्शाया गया है। इस केन्द्र का शुभारंभ पिछले दिनों ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने किया था। तब भागवत ने कहा था कि राष्ट्रवादी विचार धारा के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी इस केन्द्र को देखना चाहिए। 29 अगस्त को जब पीएम मोदी उदयपुर में 12 हजार करोड़ की सड़क परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास करने के लिए उदयपुर आए तो वे प्रताप गौरव केन्द्र देखने भी गए। इस केन्द्र में हल्दी घाटी के युद्ध का विवरण भी रखा गया है। अनेक इतिहासकार यह मानते रहे कि मुगल शासक अकबर ने चित्तौड़ के राजा प्रताप को हल्दी घाटी के युद्ध में हराया। लेकिन इस केन्द्र में वो शिलालेख रखे गए हैं जिनसे प्रतीत होता है कि इस युद्ध में महाराणा प्रताप की हार नहीं हुई थी। केन्द्र के प्रमुख ओम प्रकाश ने अवलोकन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी को बताया कि इस केन्द्र में विस्तृत अध्यन के बाद दस्तावेज रखे गए हैं। मुगल शासक अकबर से लड़ते हुए महाराणा प्रताप ने राजस्थान का ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत वर्ष का गौरव बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने भी गौरव केन्द्र पर रखे गए ऐतिहासिक दस्तावेजों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि भारत के वीर लोगों से जुड़े ऐतिहासिक तथ्य सामने आने चाहिए।
खम्मा घणी का संबोधनः
पीएम मोदी 29 अगस्त को मेवाड़ के रंग में रंगे नजर आए। उदयपुर के समारोह में मोदी को जो मेवाड़ी पगड़ी पहनाई गई उसे मोदी ने पूरे समारोह में अपने सिर पर रखा। मोदी ने शुरुआत में राजस्थान की मेवाड़ी भाषा का इस्तेमाल किया। आमतौर पर राजपूत समाज में खम्मा घणी शब्द का इस्तेमाल होता है। किसी के स्वागत से जुड़े इस शब्द को बोल कर पीएम ने समारोह में उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया। 
सीएम ने लिखे हुए देखकर बोलाः
समारोह में पीएम मोदी की प्रभावशाली उपस्थिति को देखते हुए राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने कागज पर लिखे हुए को देख कर अपना भाषण दिया। राजे ने स्वयं की सरकार की योजनाओं की उपलब्धियां गिनाई। इसमें भामाशाह से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में किए गए परिवर्तन बताए गए।
माहेश्वरी को नहीं मिला स्वागत का मौकाः
समारोह में उदयपुर की मंत्री किरण माहेश्वरी को पीएम का स्वागत करने का अवसर नहीं मिला। सीएम ने स्वागत की जो व्यवस्था बनाई उसमें गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने पीएम को पगड़ी पहनाई तो परिवहन मंत्री यूनुस खान ने स्मृति चिन्ह भेंट किया। स्वयं सीएम ने सफेद रंग का शाॅल पीएम को दिया। 
एस.पी.मित्तल) (29-08-17)
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तो क्या मुफ्त में होगा राजमार्गों का उपयोग?
जब जनता टोल चुकाएगी तो फिर वाह-वाही किस बात की।
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29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उदयपुर में आयोजित एक भव्य समारोह में 5 हजार 610 करोड़ की लागत से तैयार हुए राजस्थान के 12 राष्ट्रीय राजमार्गों का लोकार्पण किया। साथ ही 9 हजार 490 करोड़ की लागत से तैयार होने वाले 11 राष्ट्रीय राजमार्गों का भूमि पूजन भी किया। चूंकि राजस्थान में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए समारोह में केन्द्रीय सड़क मंत्री नितिन गडकरी और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने इन विकास कार्यों का श्रेय लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पीएम मोदी ने भी पर्यटन बढ़ाने की बात कहते हुए राजस्थान वासियों को रोजगार मिलने के लिए बधाई दी। इसमें कोई दो राय नहीं कि किसी देश और प्रदेश के विकास में सड़कों का विशेष महत्व होता है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या कोई सरकार इन सड़कों पर मुफ्त में परिवहन की इजाजत देती है? हम सब देखते हैं कि सड़कों का निर्माण बड़ी-बड़ी कम्पनियों द्वारा अपने खर्च पर किया जाता है और फिर टोल बूथ लगाकर आम जनता से वसूली की जाती है। सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की दोनों में ही ऐसी नीतियां बनाई जाती है कि सड़क की लागत वसूल लेने के बाद भी संबंधित कंपनियां टोल बूथ लगाकर वसूली करती रहती हैं। जो केन्द्रीय सड़क मंत्रालय एक रुपए भी नहीं लगाता वह मंत्रालय टोल वसूलने वाली कंपनी से 40 प्रतिशत तक का हिस्सा लेता है। अब तो इतने हालात खराब हो गए हैं कि शहरी क्षेत्र की सड़कों को भी राष्ट्रीय राजमार्ग बना दिया गया है और उस पर जबरन टोल वसूली की जाती है। पीएम नरेन्द्र मोदी ने 29 अगस्त को राजस्थान में जिन 12 राष्ट्रीय राजमार्गों का लोकार्पण किया उनमें पहले से ही टोल वसूली हो रही है। यानि सड़क निर्माण आमजनता के पैसांे से किया जाता है। सवाल उठता है कि जब जनता शुल्क दे रही है तो फिर कोई सरकार वाह-वाही कैसे ले सकती है? बल्कि देखा जाए तो आज देश में टोल वसूली का बहुत बड़ा कारोबार हो गया है और इस कारोबार में राजनेता भी शामिल हैं। यह सवाल भी बार-बार उठा है कि जब मोटर वाहन खरीदने के समय सरकार रोड टैक्स वसूलती है तो फिर टोल टैक्स क्यों वसूला जाता है? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार को टोल वसूली की नीति की समीक्षा करनी चाहिए। जिन मार्गों के निर्माण की लागत जनता से वसूल ली गई है उस पर तो कम से कम टोल बूथ हटा लेने चाहिए। या फिर टोल की राशि कम की जानी चाहिए। जो लोग राष्ट्रीय राजमार्ग बनाने का श्रेय लेते हैं उन्हें यह भी बताना चाहिए कि हर साल टोल का शुल्क क्यों बढ़ जाता है? जब प्रतिवर्ष वसूली की जा रही है तो लागत की कुछ तो भरपाई हो ही रही होगी। लेकिन इसे टोल का भ्रष्टाचार ही कहा जाएगा कि संबंधित कंपनी हर साल टोल का शल्क बढ़ा देती है। किशनगढ़ और जयपुर के बीच जो हाईवे बनाया गया उस पर 45 रुपए से शुरुआत हुई थी, आज 100 रुपए वसूले जा रहे हैं। किसी भी सरकार में यह बताने वाला कोई नहीं है कि हर साल टोल के शुल्क में वृद्धि क्यों होती है।
एस.पी.मित्तल) (29-08-17)
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Monday 28 August 2017

#2959
अन्य समाजों के लिए आदर्श है अजमेर का गुजराती समाज का स्कूल।
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28 अगस्त को मेरे लिए यह सौभाग्य की बात रही कि जिस स्कूल में मैंने तीन वर्ष पढ़ाई की उसी स्कूल में छात्र कल्याण परिषद के शपथ समारोह में मुख्य अतिथि की हैसियत से उपस्थित था। अपने संबोधन में मैंने स्कूल विद्यार्थियों को एक अच्छा नागरिक बनने की सलाह तो दी, लेकिन मुझे यह जान कर आश्चर्य हुआ कि अजमेर के कचहरी रोड पर जो गुजराती सीनियर हायर सैकंडरी स्कूल संचालित है, उसके गुजराती समाज के अजमेर में मात्र 60 परिवार है। कोई 1500 विद्यार्थियों वाले गुजराती स्कूल को चलाने वाले समाज के ट्रस्ट में कभी भी कोई विवाद नहीं होता। स्कूल से कोई 20 वर्ष पहले रिटायर हुए प्रिंसिपल कन्हैयालाल शर्मा को ही निदेशक बनाकर स्कूल की बागडोर सौंप दी। हालांकि अब शिक्षा बोर्ड ने मेरिट की सूची जारी करना बंद कर दिया, लेकिन इससे पहले तक प्रतिवर्ष इस स्कूल के विद्यार्थी राज्य स्तरीय मेरिट में स्थान बनाते रहे। शहर के बीचों बीच बने इस स्कूल के कमरे इस तरह बनाए गए हैं ताकि प्रकाश और हवा हमेशा बनी रहे। इसे स्कूल की उपलब्धि ही कहा जाएगा कि प्रतिवर्ष 300 विद्यार्थियों की स्कूल फीस माफ की जाती है। सामाजिक बदलाव को देखते हुए स्कूल में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई शुरू करवा दी गई है। स्कूल के प्राचार्य अनिल शर्मा ने बताया कि आज हर अभिभावक चाहता है कि उसका बच्च इंग्लिश स्कूल में पढ़ें। निदेशक के.एल.शर्मा ने बताया कि स्मार्ट कक्षाओं के साथ-साथ तीन अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं भी स्कूल में हैं। कमजोर विद्यार्थियों के लिए स्कूल में ही अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जाती है। पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को सुयोग्य नागरिक बनने की शिक्षा भी दी जाती है।
मोबाइल की बुराईयों से बचे विद्यार्थीः
मैंने अपने संबोधन में यह भी कहा कि इस स्कूल की छात्र कल्याण परिषद का शपथ ग्रहण समारोह गणेश महोत्सव के दौरान हो रहा है। विद्यार्थियों को भगवान गणेश के आदर्शों का पालन करना चाहिए। मेरा यह भी कहना रहा कि विद्य़ार्थियों को मोबाइल की बुराईयों से बचना चाहिए। हालांकि आज की रोजमर्रा जिन्दगी में मोबाइल की उपयोगिता बढ़ गई है, लेकिन हमे मोबाइल की बुराईयों से भी बचना चाहिए। मोबाइल का उपयोग सिर्फ जरूरी कामों के लिए ही किया जाए।
बधाई के पात्र है समाज के पदाधिकारीः
इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर के गुजराती समाज के पदाधिकारी बधाई के पात्र हैं। बिना किसी विवाद के पूरा समाज एकजुट है। मात्र 60 परिवारों से बना गुजराती समाज इतना बढ़िया स्कूल अजमेर में चला रहा है। स्कूल चलाने वाले ट्रस्ट के अध्यक्ष चन्द्रकांत पटेल, सचिव नितिन भाई मेहता समाज के अध्यक्ष यशवंत भाई सोनेजी, मनोहर लाल मेहता, कांति भाई पटेल, मन्नू भाई आदि का स्कूल के संचालन में विशेष योगदान है।
एस.पी.मित्तल) (28-08-17)
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#2958
मोदी का विरोध बंद करते ही बवाना में जीत गए अरविंद केजरीवाल।
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28 अगस्त को दिल्ली के बवाना विधानसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम घोषित हो गया। यहां आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार रामचन्दर ने भाजपा के उम्मीदवार वेद प्रकाश को 24 हजार मतों से हराया। कांग्रेस का उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहा। इस चुनाव को जीतने के लिए दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पूरी ताकत लगा दी थी। हालांकि भाजपा की ओर से केन्द्रीय मंत्री सक्रिय थे, लेकिन केजरीवाल ने सबसे महत्वपूर्ण कार्य यह कि है कि पूरे प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरोध में एक शब्द भी नहीं कहा। सब जानते हैं कि कुछ दिनों पहले तक केजरीवाल हर कार्य के लिए मोदी को दोषी ठहराते थे। यदि छींक भी आ जाएं तो इसका दोष मोदी पर मड़ा जाता था। यही वजह रही कि गोवा और पंजाब में हार के बाद दिल्ली की एक विधानसभा क्षेत्र में भी केजरीवाल को हार का सामना करना पड़ा। लगातार हार के बाद केजरीवाल के यह समझ में आ गया है कि यदि चुनाव में जीत हासिल करन है तो मोदी का विरोध बंद करना पड़ेगा। यानि अपनी लकीर को बढ़ा करना होगा। बवाना के चुनाव में केजरीवाल ने यही किया, जब भाजपा का देश के 75 प्रतिशत भू भाग पर राज है। तब देश की राजधानी दिल्ली के एक विधानसभा क्षेत्र में 24 हजार मतों से हार बहुत मायने रखती है।
गोवा में जीती भाजपाः
भाजपा के लिए यह संतोष की बात रही कि गोवा की दोनों विधानासभा सीटें जीत ली है और आंध्र में भाजपा की सहयोगी टीडीपी की जीत हुई है।
एस.पी.मित्तल) (28-08-17)
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#2957
भाजपा की विधायक कीर्ति कुमारी का स्वाइन फ्लू से निधन होना दुःखद। आम मरीजों का क्या होगा?
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28 अगस्त को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की विधायक कीर्ति कुमारी सिंह का निधन हो गया। खबरों के मुताबिक कीर्ति कुमारी को स्वाइन फ्लू हुआ था, लेकिन स्वाइन फ्लू पूरी तरह ठीक नहीं हुआ और 28 अगस्त को उनका निधन हो गया। कीर्ति कुमारी के निधन से समूचे भीलवाड़ा जिले में शोक की लहर है। चूंकि कीर्ति कुमारी विधायक थी इसलिए उनके इलाज के लिए हर संभव प्रयास किए गए, लेकिन फिर भी उन्हें नहीं बचाया जा सका। इससे स्वाइन फ्लू के आम मरीजों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार बार-बार यह दावा करती है कि अस्पतालों में स्वाइन फ्लू का इलाज संभव है। लेकिन वहीं सत्तारुढ़ पार्टी में एक विधायक का निधन स्वाइन फ्लू से ही हो जाता है। सरकार माने या नहीं लेकिन स्वाइन फ्लू को लेकर प्रदेशभर में हालात बिगड़े हुए हैं कई बार स्वाइन फ्लू से हुई मौतों को छुपाया जाता है। सरकार को चाहिए कि सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू के मरीजों का समुचित इलाज किया जाए। सरकार जब करोड़ों रुपया चिकित्सा पर खर्च करती है। तो स्वाइन फ्लू से मरीजों की मौत नहीं होनी चाहिए। सरकार को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की दवाइयां पर्याप्त मात्रा में हो। यह भी शिकायतें मिली है कि लापरवाही के चलते अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की दवाइयां मिलती ही नहीं है।
एस.पी.मित्तल) (28-08-17)
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#2956
रेप के दोषी बाबा को दस वर्ष की सजा।
धरे रह गए बाबा राम रहीम के पुण्य कर्म। इसे कहते हैं ईश्वर का न्याय।
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28 अगस्त को सीबीआई अदालत के न्यायाधीश जगदीप सिंह ने रोहतक की सुनारिया जेल में ही डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख बाबा राम रहीम को दस वर्ष की सजा सुनाई। सजा सुनते ही बाबा रो पड़े और हाथ जोड़कर जज से रहम की अपील की। लेकिन इस रोने-धोने का जज पर कोई असर नहीं पड़ा। अब बाबा जेल से कब बाहर आएंगे इसका पता शायद भगवान को भी नहीं है। क्योंकि बाबा पर एक नहीं कई मुकदमें है। इसमें हत्या के मुकदमें भी शामिल हैं। यह वो ही राम रहीम है जिनके चरणों में बड़े-बड़े राजनेता सिर झुकाते थे, आज वो ही बाबा एक एडीजे स्तर के जज के सामने सिर झुकाएं खड़े रहे। राम रहीम स्वयं को भगवान का अवतार मानते हो, लेकिन अदालत के फैसले से जाहिर है कि राम रहीम पर अब ईश्वर की कृपा नहीं रही है। इसलिए उनके द्वारा किए गए पुण्य के कार्य भी धरे रह गए। सब जानते हैं कि बाबा के समर्थकों ने रक्तदान, सफाई, नशामुक्ति आदि के क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। लेकिन आज एक भी पुण्य कार्य बाबा के काम नहीं आया। शायद बाबा ने पुण्य से ज्यादा पाप किए इसीलिए जब पाप का घड़ा भर गया तो ऊपर से ईश्वर की कृपा हट गई। जो लोग पाप करने के साथ-साथ पुण्य के कार्य करते हैं। उन्हें राम रहीम के जेल जाने से सबक लेना चाहिए। ऐसा नहीं हो सकता है कि आप अपने पापों पर पुण्य के कार्यों का पर्दा डाले लें, भले ही पुण्य के कार्यों का फल मिले या नहीं, लेकिन पापों की सजा इसी जन्म में भुगताना पड़ती है।
एस.पी.मित्तल) (28-08-17)
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#2955
तो आखिर इतने दबाव में क्यों आती है वसुंधरा सरकार? पीएम की उदयपुर यात्रा से पहले ही कर्मचारियों के सामने झुक गई सरकार।
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पिछले एक माह में यह दूसरा मौका है जब राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली सरकार को दबाव में झुकना पड़ा है। प्रदेश के मंत्रालयिक कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर पिछले 20 दिनों से हड़ताल पर थे। सरकार ने साफ यह कह दिया था कि मांगे नाजायज है और सरकार कर्मचारियों के दबाव में नहीं आएगी। लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 29 अगस्त के उदयपुर दौरे के दौरान जब हड़ताली कर्मचारियों ने हंगामा करने की धमकी दी तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने सबसे विश्वास पात्र मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ को कर्मचारियों के साथ वार्ता करने के लिए कहा। 27 अगस्त को रविवार का अवकाश होने के बाद भी राठौड़ ने हड़ताली कर्मचारियों के नेताओं से वार्ता की और शाम होते-होते अधिकांश मांगों को स्वीकार कर लिया। यानि जो सरकार कर्मचारियों की मांगों को नाजायज बता रही थी, उसी सरकार ने कर्मचारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। सवाल उठता है कि आखिर राजस्थान की वसुंधरा सरकार इतने दबाव में क्यों आती है? क्या सरकार में इतना आत्मबल नहीं है कि वह कर्मचारियों की हड़ताल का मुकाबला कर सके? जब मांगे नाजायज थी तो फिर प्रधानमंत्री को भी पहले ही बता देना चाहिए था। क्या प्रधानमंत्री के सामने किसी विवाद से सरकार इतना डरती है? सवाल यह भी है कि हड़ताल की वजह से पिछले 20 दिनों से आम जनता को परेशानी हुई उसका क्या? यानि जनता की परेशानी कोई मायने नहीं रखती और प्रधानमंत्री की यात्रा से पहले नाजायज मांगों को भी मान लिया जाता है।
अमितशाह का भी था दबावः
कुख्यात अपराधी आंनदपाल के एनकाउंटर की जांच सीबीआई से कराने की मांग को भी वसुंधरा सरकार ने ठुकरा दिया था। आनंदपाल की लाश कई दिनों तक पड़ी रही और राजपूत समाज आंदोलन करता रहा। लेकिन वसुंधरा सरकार ने किसी की भी परवाह नहीं की, लेकिन जब 21 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह का तीन दिवसीय दौरा निकट आया तो दो दिन पहले राजपूत समाज के प्रतिनिधियों से वार्ता की और एनकाउंटर की जांच सीबीआई ्रसे कराने की मांग मान ली गई। असल में राजपूत समाज ने भी ऐलान किया था कि जब अमितशाह जयपुर में होंगे तब सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। सरकार नहीं चाहती थी कि अमितशाह के सामने हंगामा हो इसके कारण सरकार को न चाहते हुए भी झुकना पड़ा। जाहिर है कि वसुंधरा सरकार सिर्फ दबाव की भाषा समझती है।
एस.पी.मित्तल) (28-08-17)
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Sunday 27 August 2017

#2954
तो क्या अदालत किसी आतंकवादी को सजा सुनाएगी?
रेप के मामले में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम को सजा का ऐलान 28 अगस्त को।
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हरियाणा के सिरसा स्थित डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक साध्वी के साथ बलात्कार करने का दोषी ठहराया जा चुका है और अब 28 अगस्त को सीबीआई की विशेष अदालत सजा का ऐलान करेगी। सजा के ऐलान के लिए जो तैयारियां की गई हैं, उससे प्रतीत होता है कि किसी खूंखार आतंकी को सजा सुनाई जानी है। सीबीआई की अदालत को पंचकूला से रोहतक स्थित सुनारिया जेल में शिफ्ट किया जा रहा है। यानि जेल में ही अदालत लगाई जाएगी। राम रहीम इसी जेल में 25 अगस्त से बंद हैं। अदालत के जज जयदीप सिंह को हेलीकाॅप्टर से रोहतक स्थित सुनारिया जेल ले जाया जाएगा। चूंकि डेरा प्रमुख का प्रभाव हरियाणा और पंजाब प्रांतों में हैं इसलिए अभी भी इन दोनों राज्यों के अनेक जिलों में कफ्र्यू लगा हुआ हैं। यहां तक कि इंटरनेट सेवाओं को बंद कर रखा है। मीडिया कर्मियों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपनी मर्जी से इधर-उधर घुस कर कवरेज न करें। पुलिस ने एक सीमा निर्धारित की है, उसके अंतर्गत ही कवरेज करने के लिए कहा गया है। सिरसा में अभी भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। सिरसा में ही राम रहीम का मुख्यालय है। हालांकि इस मुख्यालय को धीरे-धीरे सुरक्षा बल अपने कब्जे में ले रहे हैं। हाईकोर्ट ने पहले ही डेरा की सम्पत्तियों को जब्त करने के आदेश दे दिए हैं। 27 अगस्त को डेरा के विभिन्न बैंक खातों को सीज करने की कार्यवाही भी शुरू हो गई है। सरकार और प्रशासन ने जो भी इंतजाम किए हैं उससे लग रहा है कि अदालत किसी आतंकवादी को सजा सुनाएगी। जबकि सब जानते हैं कि राम रहीम अपने प्रवचनों में भाईचारे और शांति की शिक्षा देते थे। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उनके समर्थक राम रहीम की शिक्षा पर अमल नहीं कर रहे हैं। राम रहीम को अब कितने वर्षों तक जिले में रहना पड़ेगा, इसका पता 28 अगस्त को ही लगेगा। समर्थकों को यह भी समझना चाहिए कि सजा के ऐलान के बाद राम रहीम की जमानत की अर्जी हाईकोर्ट में लगेगी। यदि हाईकोर्ट अभी से ही समर्थकों से इतना नाराज है तो फिर राम रहीम को जमानत कैसे मिलेगी? जो हाईकोर्ट राम रहीम की सम्पत्तियों को जब्त करने का आदेश दे रहा है वह उसी राम रहीम की जमानत कैसे स्वीकार करेगी। समर्थक जितनी हिंसा करेंगे, उतना ही नुकसान राम रहीम को होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी 27 अगस्त को रेडियो पर मन की बात में हिंसा करने वालों को चेतावनी दी है। सरकार के इस रुख से भी समर्थकों को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। राम रहीम के रहते हुए जो राजनेता उनके सामने नतमस्तक होते थे उनमें से अब एक भी नेता बचाव में नहीं आएगा। 
एस.पी.मित्तल) (27-08-17)
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#2953
स्वर्गीय जाट के पुत्र राम स्वरूप लाम्बा ने उपचुनाव के मद्देनजर अजमेर के ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक सक्रियता बढ़ाई
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अजमेर संसदीय क्षेत्र में प्रस्तावित उपचुनाव के मद्देनजर भाजपा के पूर्व सांसद स्वर्गीय सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा ने अजमेर के ग्रामीण क्षेत्रों में राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। स्वर्गीय जाट के 12वें की रस्म हाल ही में 20 अगस्त को सम्पन्न हुई है। हालांकि भाजपा ने अभी उम्मीदवारी के बारे में कोई संकेत नहीं दिए हैं। लेकिन लाम्बा के समर्थकों को लगता है कि लाम्बा को ही भाजपा उम्मीदवार बनाएगी। यही वजह है कि संगठन के कार्यक्रम के बिना ही लाम्बा ने ग्रामीण क्षेत्रों में जनसम्पर्क शुरू कर दिया है। 26 व 27 अगस्त को भी लाम्बा पीसांगन, मांगलियावास आदि क्षेत्रों में सक्रिय देखे गए। समर्थकों ने सोशल मीडिया पर जो पोस्टें डाली हंै, उनमें लाम्बा को ही स्वर्गीय जाट का असली उत्तराधिकारी बताया है। स्वर्गीय जाट को ग्रामीणों ने साहब का दर्जा दे रखा था। अब कहा जा रहा है कि लाम्बा ही साहब की भूमिका में हैं। यही वजह है कि लाम्बा ने वेशभूषा भी स्वर्गीय जाट की तरह धारण कर ली है। धोती-कुर्ता और गले में गमछा डाल कर लाम्बा जगह-जगह साफे बंधवा रहे हैं। लाम्बा का कहना है कि जिस प्रकार मेरे पिता ने अजमेर की जनता की सेवा की है उसी प्रकार मैं भी करुंगा। राजनीतिक क्षेत्रों में लाम्बा की सक्रियता की चर्चा होने लगी हैं क्योंकि अभी भाजपा संगठन ने चुनाव प्रचार का कोई अभियान शुरू नहीं किया है। संगठन का कोई बड़ा पदाधिकारी भी दौरे में लाम्बा के साथ नहीं है। गांव में पहुंचने पर ही दो चार पदाधिकारी एकत्रित हो जाते हैं। हालांकि अजमेर संसदीय क्षेत्र जयपुर जिले की सीमा से लगे दूदू विधानसभा क्षेत्र तक आता है, लेकिन लाम्बा का सारा जोर इस समय नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के गांवों में ही है। स्वर्गीय जाट नसीराबाद से विधायक भी रहे थे। समर्थकों की माने तो स्वर्गीय जाट की सहानुभूति का राजनीतिक लाभ उनके पुत्र लाम्बा को ही मिल सकता है। चूंकि राजनीति में किसी का कोई भरोसा नहीं होता, इसलिए समर्थक चहाते हैं कि लाम्बा को सक्रिय कर उम्मीदवारी हासिल करवाई जाए। देखना है कि लाम्बा की राजनीतिक सक्रियता भाजपा हाईकमान पर कितना दबाव बनाती है। इस बीच भाजपा में टिकट मांगने वाले भी अनेक नेता सक्रिय हो गए हैं। विधानसभा वार मांग उठने लगी है। 
एस.पी.मित्तल) (27-08-17)
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#2952
शिक्षा बोर्ड के सभागार में डाॅक्टरों ने बनाई सरकार के खिलाफ रणनीति।
राजस्थान भर में 30 अगस्त को हड़ताल पर रहेंगे सरकारी डाॅक्टर।
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सरकारी डाॅक्टरों का अलग से कैडर और तबादलों में राजनीतिक दखल न हो, जैसी मांगों को लेकर राजस्थान के सरकारी डाॅक्टर 30 अगस्त को हड़ताल पर रहेंगे। यानि 30 अगस्त को सरकारी अस्पतालों में कोई डाॅक्टर उपलब्ध नहीं होगा। अजमेर संभाग में हड़ताल को सफल बनाने और राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की रणनीति 26 अगस्त को डाॅक्टरों ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के राजीव गांधी सभागार में बनाई। सरकार का यह शिक्षा बोर्ड स्कूली शिक्षा के अधीन आता है, जिसके मंत्री वासुदेव देवनानी हैं। यानि डाॅक्टरों ने सरकार के सभागार में ही सरकार के खिलाफ रणनीति बनाई है। सवाल उठता है कि डाॅक्टरों को किसकी अनुमति से शिक्षा बोर्ड का सभागार दिया गया? जबकि सब जानते हैं कि 30 अगस्त को जब सरकारी डाॅक्टर हड़ताल पर रहेंगे तो मरीजों को भारी परेशानी होगी। हो सकता है कि ज्यादा बीमार मरीज दम भी तोड़ दें। गंभीर बात यह है कि सरकार और जनता के खिलाफ रणनीति बनाने वाली बैठक में संभाग के संयुक्त निदेशक डाॅक्टर गजेन्द्र सिंह सिसोदिया, सीएमएचओ डाॅ. के.के. सोनी, आरसीएचओ डाॅ. रामलाल चैधरी, एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डाॅ. प्रदीप जयसिंघानी, महासचिव डाॅ. शैलेन्द्र लाखन, डाॅ. विक्रांत शर्मा आदि उपस्थित थे। आम तौर पर शिक्षा बोर्ड का वातानुकूलित सभागार शैक्षिक कार्यों के लिए ही उपयोग में आता है। लेकिन अब तो सरकार के खिलाफ ही रणनीति बनाने के काम आ रहा है। जबकि शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर नियुक्ति भी राज्य सरकार ही करती है। इस समय अध्यक्ष पद पर बी.एल.चैधरी कार्यरत हैं। चैधरी का कार्यकाल अक्टूबर में समाप्त हो रहा है। लेकिन अंदाजा लगाया जा सकता है कि बोर्ड के संसाधनों का किस प्रकार दुरुपयोग हो रहा है। आज सरकार के खिलाफ डाॅक्टरों ने रणनीति बनाई है तो कल हड़ताली मंत्रालयिक कर्मचारी भी सरकार विरोधी बैठकें बोर्ड के सभागार में कर सकते हैं।
एस.पी.मित्तल) (27-08-17)
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Saturday 26 August 2017

#2951
तो विश्वेन्द्र सिंह ने अजमेर उपचुनाव में कांग्रेस के हारने की बात क्यों कही? क्या भाजपा मंे शामिल होंगे विश्वेन्द्र सिंह।
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कांग्रेस के विधायक और भरतपुर-धौलपुर में प्रभाव रखने वाले दिग्गज जाट नेता विश्वेन्द्र सिंह ने कहा है कि यदि संगठन के ऐसे ही हालात रहे तो कांग्रेस अजमेर में भी लोकसभा का उपचुनाव हारेगी। मालूम हो कि कांग्रेस धौलपुर का उपचुनाव भी हार चुकी हैं। विश्वेन्द्र सिंह के ताजा बयान से प्रतीत होता है कि वे कांग्रेस का साथ छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अब यह भी माना जा रहा है कि राज्य की भाजपा सरकार ने हाल ही में भरतपुर और धौलपुर के जाट समुदाय को आरक्षण का लाभ देने की जो घोषणा की, उसमें भी विश्वेन्द्र सिंह के साथ राजनीतिक मिली भगत रही। विश्वेन्द्र सिंह ने आरक्षण देने के लिए 22 अगस्त तक का सरकार का अल्टीमेटम दिया था। सरकार ने 23 अगस्त को ही भरतपुर-धौलपुर के जाट समुदाय को ओबीसी वर्ग में मानने की घोषणा कर दी। एक तरफ से सरकार ने इसका पूरा श्रेय विश्वेन्द्र सिंह को दिलवा दिया। यदि विश्वेन्द्र सिंह कांग्रेस को राजनीतिक लाभ दिलवाते तो सीएम वसुंधरा राजे किसी भी स्थिति में 23 अगस्त को आरक्षण की घोषणा नहीं करती। आरक्षण के लाभ की घोषणा के बाद विश्वेन्द्र सिंह ने भी कहा है कि आंदोलन के लिए प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता रामेश्वर डूंडी को आमंत्रित किया था, लेकिन ये दोनों ही नहीं आए, फलस्वरूप मुझे अपने दम पर ही आंदोलन की घोषणा करनी पड़ी। एक तरह विश्वेन्द्र सिंह ने अपने ही संगठन के प्रदेश नेतृत्व की आलोचना कर दी। इतना ही नहीं विश्वेन्द्र ने सीएम वसुंधरा राजे का आभार भी जताया। जानकारों की माने तो विश्वेन्द्र सिंह के आंदोलन की घोषणा और सरकार के आरक्षण का लाभ देने की घोषणा प्रायोजित थी। अब विश्वेन्द्र सिंह वो ही बोल रहे हैं जो सीएम वसुंधरा  राजे चाहती हैं। विश्वेन्द्र सिंह का जाट समुदाय में प्रभाव बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी गई। यदि निकट भविष्य में विश्वेन्द्र सिंह भाजपा में शामिल होते हैं तो इसका लाभ भाजपा को अजमेर के लोकसभा चुनाव में होगा। भाजपा के सांसद स्व. सांवरलाल जाट भी जाट समुदाय से ही थे। यानि सीएम राजे ने अपने राजनीतिक स्तर पर उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है। अजमेर का उपचुनाव राजे की प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है। राजस्थान में अगले वर्ष ही विधानसभा के चुनाव होने हैं।
सीएम का जताया आभारः
26 अगस्त को धौलपुर और भरतपुर के जाट समुदाय के सैकड़ों लोगों ने जयपुर में सीएम वसुंधरा राजे का आभार जताया। माना जा रहा है कि इतनी बड़ी संख्या में भीड़ भेजने के पीछे भी विश्वेन्द्र सिंह की ही भूमिका थी।
एस.पी.मित्तल) (26-08-17)
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#2950
तो क्या राम रहीम का साम्राज्य बर्बाद हो जाएगा?
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26 अगस्त को डेरा सच्चा सौदा के सिरसा स्थित मुख्यालय पर जहां केन्द्रीय सुरक्षा बलों ने अपना डेरा जमा लिया है, वहीं पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि बाबा राम रहीम और डेरा की सम्पत्तियों की सूची अदालत में पेश की जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने डेरा की सम्पत्तियों को लीज पर देने और बेचने पर भी रोक लगा दी है। कोर्ट पहले ही कह चुका है कि बाबा के समर्थकों ने जो तोड़फोड़ आगजनी अथवा हिंसक वारदातें की उसकी भरपाई डेरा की सम्पत्तियों में से की जाए। डेरा के खिलाफ जो सख्त कदम उठाए गए हैं उसी से यह सवाल उठता है कि क्या बाबा राम रहीम का साम्राज्य बर्बाद हो जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं की बाबा के पास जहां सम्पत्तियों का साम्राज्य है, वहीं लाखों भक्तों की आस्था भी है, लेकिन यह आस्था तभी तक थी, जब राम रहीम भक्तों के लिए भगवान नजर आ रहे थे। अब राम रहीम जेल जा चुके हैं और जेल से बाहर कब आएंगे यह किसी भी भगवान को पता नहीं है। जो भक्त राम रहीम को भगवान मानते थे,उन्हें यह समझना चाहिए कि यदि कोई ईश्वरीय चमत्कार होता तो राम रहीम सबसे पहले अपने लिए इस्तेमाल करते। भक्तों को भी भड़का कर 25 अगस्त को बाबा ने आखिरी दाव लगा लिया। अब भक्तों में भी पहले वाला जोश नजर नहीं आ रहा है। अब यह देखना है कि 28 अगस्त को पंचकूला की सीबीआई अदालत राम रहीम को कितने साल की सजा सुनाती है।
सरकार की ढिलाईः
बाबा के समर्थकों ने जो हिंसा की है उसमें हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर  सरकार की ढिलाई भी सामने आई है। यह सही है कि चुनाव के समय भाजपा के बड़े-बड़े नेता बाबा के सामने नस्तमस्तक होते थे। हरियाणा में भाजपा की सरकार बनवाने में बाबा की भी भूमिका मानी जाती है। शायद इसलिए सीएम खट्टर ने बाबा के समर्थकों के खिलाफ वो सख्त कदम नहीं उठाए जो एक सरकार को उठाने चाहिए थे। यदि हाईकोर्ट के आदेश से सेना और अर्द्धसैनिक बलों को बुलाया नहीं जाता तो हालात और बिगड़ते। 26 अगस्त को हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की कार्य प्रणाली पर भी सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट का कहना रहा कि सरकार ने डेरा समर्थकों के सामने सरेंडर कर दिया, इसलिए हालात बिगड़े। हरियाणा सरकार को कोर्ट की इस टिप्पणी को गंभीरता से लेना चाहिए। सरकार को उपद्रवी तत्वों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (26-08-17)
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#2949
तो फिर चैनल वाले करोड़ों रुपए लेकर गुरमीत राम रहीम जैसे बाबाओं के प्रवचन क्यों दिखाते हैं?
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आज टीवी चैनल वाले ही डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम के सबसे बड़े दुश्मन बने हुए हैं। 25 अगस्त को पंचकूला में चैनल वालों की ओवी वैन जलाने के बाद अब चैनलों पर राम रहीम को गंुंडा, बलात्कारी, हत्यारा, बदमाश और न जाने क्या-क्या कहा जा रहा है। चैनल वालों का बस चले तो बाबा को पुलिस से छुड़ा कर सरेआम गोली मार दें। बाबा के समर्थकों ने 25 अगस्त को जो गुंडागर्दी की उसे देखते हुए बाबा के साथ ऐसा ही सलूक किया जाना चाहिए। लेकिन ये वो ही राम रहीम है जिनके प्रवचन इन्हीें न्यूज चैनलों पर प्रसारित होते हैं। 30 मिनट से लेकर 60 मिनट के प्रवचनों के करोड़ों रुपए वसूले जाते हैं। शायद ही कोई चैनल वाला होगा, जिसने बाबा की फिल्म एमएसजी के विज्ञापन न दिखाए हों। चैनल वाले माने या नहीं राम रहीम का श्रद्धा का साम्राज्य खड़ा करने में उनकी भी भूमिका रही है। क्या चैनल वाले आज यह वायदा कर सकते हैं कि भविष्य में राम रहीम के प्रवचन प्रसारित नहीं करेंगे। पिछले दिनों जब बाबा रामपाल को भी गिरफ्तार किया गया था, तब चैनल वालों ने इसी तरह गुस्सा जताया था, लेकिन आज अनेक चैनलों पर रामपाल के प्रवचन प्रसारित हो रहे हैं, जबकि रामपाल अभी भी जेल में बंद हैं। आज जो चैनल वाले बाबा राम रहीम को गुंडा बता रहे हैं वे ही चैनल वाले न जाने कब बाबा के प्रवचन दिखाने लगे।
एस.पी.मित्तल) (26-08-17)
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#2948
तो क्या प्रधानमंत्री की उदयपुर यात्रा के मद्देनजर हड़ताली कर्मचारियों के दबाव में आएगी वसुंधरा सरकार।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 29 अगस्त को उदयपुर यात्रा तब हो रही है जब पिछले 20 दिनों से राजस्थान के मंत्रालयिक कर्मचारी हड़ताल पर है। हड़ताली कर्मचारियों ने अब 29 अगस्त को उदयपुर चलो अभियान शुरू किया है। कर्मचारियों की रणनीति के अनुसार 29 अगस्त को उदयपुर में होने वाली आमसभा में अपनी मांगों की ओर प्रधानमंत्री का ध्यान आकर्षित किया जाएगा। यानि पीएम की आमसभा में बड़ी संख्या में हड़ताली कर्मचारी उपस्थित रहेंगे। कर्मचारियों की इस रणनीति की वजह से ही यह सवाल उठा है कि क्या राज्य की वसुंधरा राजे सरकार कर्मचारियों के दबाव में आएगी। वैसे राज्य सरकार यह नहीं चाहेगी कि पीएम की सभा में कोई विरोध प्रदर्शन हो। हालांकि अब तक सरकार कर्मचारियों की मांगों को मानने से इंकार करती रही है। सरकार की ओर से साफ-साफ कहा गया है कि कर्मचारियों की वेतन वृद्धि की मांग नाजायज है। सरकार के इसी रुख से ही कर्मचारियों में नाराजगी बड़ी है। राज्य सरकार के खिलाफ नाराजगी प्रकट करने के लिए ही प्रदेशभर के मंत्रालयिक कर्मचारी 29 अगस्त को उदयपुर पहुंचेंगे। कर्मचारियों का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में भाजपा सरकार दबाव बर्दाश्त नहीं कर सकती है। गत माह जब तीन दिनों के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह जयपुर आए तो शाह के आने से पहले सीएम राजे ने राजपूतों का आंदोलन समाप्त करवा दिया। जो सरकार पहले कुख्यात अपराधी आनंदपाल के एनकाउंटर की जांच सीबीआई से कराने के लिए इंकार कर रही थी, उसी सरकार ने अमितशाह के दौरे में किसी हंगामे से बचने के लिए सीबीआई जांच की घोषणा कर दी। तब राजपूत समाज ने भी अमितशाह के दौरे में जयपुर चलने का आह्वान किया था। कर्मचारियों का मानना है कि 29 अगस्त को तो उदयपुर में प्रधानमंत्री स्वयं आ रहे हैं। इसलिए सरकार को झुकाने का सही अवसर है। यहां उल्लेखनीय है कि देशभर में अनेक सड़क परियोजनाओं का शुभारंभ पीएम मोदी 29 अगस्त को उदयपुर से ही करेंगे। इस अवसर पर उदयपुर में एक मुख्य समारोह आयोजित किया जा रहा है।
एस.पी.मित्तल) (26-08-17)
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Friday 25 August 2017

#2947
आसाराम बापू के बाद अब डेरा प्रमुख राम रहीम भी जेल पहुंचे।
आखिर भगवान के स्वरूप ये अपनी मदद क्यों नहीं कर पाए?
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25 अगस्त को हरियाणा की पंचकूला स्थित सीबीआई अदालत के जज जयदीप सिंह के आदेश के बाद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सेंट्रल जेल पहुंच गए हैं। आसाराम बापू के बाद राम रहीम ऐसे दूसरे धर्मगुरु हैं जो स्वयं को भगवान का स्वरूप मानते हैं। यही वजह है कि इनके लाखों भक्त हैं। बापू आसाराम एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण और गुरमीत राम रहीम अपनी दो साध्वियों के साथ बलात्कार के आरोप में जेल पहुंचे हैं। आसाराम पिछले चार वर्षों से जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद हैं, जबकि राम रहीम को कितने वर्ष जेल में रहना पड़ेगा इसका फैसला 28 अगस्त को होगा। अदालत ने आज राम रहीम को दोषी करार दिया है। जबकि सजा का फैसला 28 अगस्त को दिया जाएगा। हालांकि राम रहीम को जेल जाने से रोकने के लिए लाखों श्रद्धालु सिरसा और पंचकूला में एकत्रित थे, लेकिन इस देश में कानून और न्याय व्यवस्था का राज है। इसलिए राम रहीम चुप चाप अम्बाला की सेंट्रल जेल पहुंच गए। अब यह देखना है कि राम रहीम के लाखों भक्त क्या करते हैं। लेकिन भक्तों को भी इस बात पर विचार करना चाहिए कि यदि बाबा भगवान का स्वरूप हैं तो फिर वे अपनी मदद क्यों नहीं कर सकें? कलयुग में यह बात बेमानी है कि सतयुग में भगवान कृष्ण भी जेल गए थे। अब कलयुग का दौर है इसलिए श्रद्धालुओं को उसी नजरिए से अपनी धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करना चाहिए। शायद बाबा राम रहीम को अपने जेल जाने का आभास पहले ही हो गया था। इसलिए उन्होंने स्वयं को मैसंर्ज आॅफ गौड घोषित करतें हुए एमएसजी नाम की तीन चार फिल्म बना दी। सवाल उठता है कि राम रहीम ने जो चमत्कार फिल्मों में किया वैसा ही चमत्कार जेल जाने से बचने के लिए क्यों नहीं किया? राम रहीम को यह सोचना चाहिए कि जब उनके समर्थकों ने सड़कों पर डेरा जमाया तो अदालत के आदेश से सेना को बुला लिया गया। यानि कानून का राज कायम रखने के लिए हर हालात में राम रहीम को जेल भेजा गया। यदि भक्तजन राम रहीम को वाकई भगवान मानते हैं तो उन्हें कानून अपने हाथ में लेने के बजाए भगवान के चमत्कार पर भरोसा रखना चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (25-08-17)
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#2946
तो बंगाल में ममता बनर्जी क्यों नहीं बना पाई दुर्गा पूजा उत्सव और मोहर्रम में सद्भावना। आखिर वामपंथियों को हराने में दुर्गा भक्तों का भी सहयोग मिला है।
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पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आदेश दिया है कि कोई भी दुर्गा भक्त 1 अक्टूबर को प्रतिमाओं का विसर्जन नहीं करेगा और न ही कोई दुर्गा पूजा का जुलूस निकालेगा। बनर्जी ने कहा कि 1 अक्टूबर को दिन भर मोहर्रम के जुलूस निकलेंगे और ताजियों को सेरब किया जाएगा। ममता ने कहा कि उनकी सरकार नहीं चाहती कि मोहर्रम के जुलूस में शामिल और दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन में शामिल लोग आमने-सामने हों। यानि मुख्यमंत्री को इस बात का डर है कि यदि दोनों समुदायों के लोग आमने-सामने हुए तो विवाद हो सकता है। ममता ने भले ही यह आदेश किसी भी नजरिए से दिया हो, लेकिन इससे पूरे बंगाल में दुर्गा भक्तों को निराशा है। दुर्गा पूजा उत्सव से जुड़े लोगों का कहना है कि 30 सितम्बर को उत्सव समाप्त होगा और उसके बाद से ही प्रतिमाओं का विसर्जन होने लगेगा जो एक अक्टूबर की रात तक चलता रहेगा। अब चूंकि सरकार ने एक अक्टूबर को जुलूस निकालने और विसर्जन करने पर रोक लगा दी है, इसलिए 2 अक्टूबर को विसर्जन किया जाएगा। यानि नवरात्र समाप्त हो जाने के बाद भी प्रतिमाओं को उसी स्थान पर रखना पड़ेगा। सब जानते हैं कि ममता बनर्जी ने बंगाल में वर्षो पुराने वामपंथियों के किले को ढाहा कर सत्ता हांसिल की है। इतना ही नहीं ममता ने कांग्रेस को भी चुनाव में धूल चटाई आज भी बंगाल में ममता का जादू है। इस जादू में दुर्गा भक्तों की भी महत्तवपूर्ण भूमिका है। अच्छा होता कि ममता बनर्जी अपने जादू से दोनों समुदायों के लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करती। दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन पर रोक लगाने से ममता बनर्जी की राजनीतिक छवि पर प्रतिकूल असर पड़ा है। इससे विरोधियों को भी ममता पर हमला करने का अवसर मिल गया है।
एस.पी.मित्तल) (25-08-17)
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#2945
इसे कहते हैं प्याज भी खाए और सौ......भी।
अजमेर डिस्काॅम में तकनीकी कर्मचारियों के तबादले का मामला।
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आखिर विद्युत निगम के सीएमडी श्रीमंत पांडे को 24 अगस्त को अजमेर आना पड़ा। पांडे ने घोषणा की कि अजमेर विद्युत वितरण निगम (डिस्काॅम) के 170 तकनीकी कर्मचारियों में से करीब सौ कर्मचारियों के तबादले निरस्त कर दिए जाएंगे। शेष कर्मचारियों को भी भीलवाड़ा और उदयपुर भेजने के बजाए किसी भी तरह अजमेर जिले में ही समायोजित किया जाएगा। अपने तबादले निरस्त करवाने के लिए तकनीकी कर्मचारी पिछले 20 दिनों से परिवार सहित धरने पर बैठे हुए थे। श्रीमंत पांडे ने जिस तरह से डिस्काॅम के एमडी महीराम विश्नोई की उपेक्षा कर तबादले निरस्त करने की घोषणा की उससे यही कहवात चरितार्थ हुई कि प्याज भी खाए और सौ ...... भी। अजमेर शहर के दोनों विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनीता भदेल भी बार-बार मांग कर रहे थे कि तबादले निरस्त किए जाएं। लेकिन डिस्काॅम एमडी ने साफ कह दिया कि तबादले मुख्यमंत्री के स्तर पर ही निरस्त किए जा सकते हैं। चूंकि रोज रोज के धरना प्रदर्शन से सरकार की भी बदनामी हो रही थी और भाजपा के विधायकों की लाचारी भी उजागर हो रही थी। इस स्थिति को देखते हुए ही सरकार ने सीएमडी पांडे को अजमेर भेजा और धरना प्रदर्शन को खत्म करवाया। सवाल उठता है कि जो कार्यवाही बीस दिन बाद 24 अगस्त को की गई वह कार्यवाही पहले दिन ही क्यों नहीं की गई। सब जानते हैं कि श्रीमंत पांडे ने अजमेर आकर वो ही किया जो राज्य सरकार ने कहा। असल में पांडे भी सरकार की मेहरबानी से ही निगम के सीएमडी बने हुए हैं। सरकार ने आईएएस की सेवानिवृत्त के बाद श्रीमंत पांडे को सीएमडी बनाकर ओबलाइज किया है।
एस.पी.मित्तल) (25-08-17)
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#2944
अजमेर के लोकसभा उपचुनाव को लेकर सचिन पायलट उलझे। आखिर कौन होगा कांग्रेस का उम्मीदवार।
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अजमेर के भाजपा सांसद सांवर लाल जाट के निधन के बाद होने वाले लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार को लेकर राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट उलझ गए हैं। यदि और कोई संसदीय क्षेत्र होता तो पायलट आसानी से उम्मीदवार घोषित कर देते। लेकिन अजमेर पायलट का निर्वाचन क्षेत्र है, इसलिए पायलट उलझे हुए हैं। हालांकि पायलट कई बार कह चुके हैं कि उपचुनाव में कांग्रेस की ही जीत होगी, लेकिन पायलट ने अभी तक स्वयं के चुनाव लड़ने की घोषणा नहीं की है। जबकि पायलट अजमेर से गत दो बार लगातार चुनाव लड़ चुके हैं। सवाल उठता है कि जब पायलट को जीत पक्की नजर आती है तो वे चुनाव लड़ने की घोषणा क्यों नहीं करते? आम कांग्रेसियों का भी मानना है कि यदि पायलट चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस की स्थिति मजबूत होगी। लेकिन जानकारों की माने तो पायलट अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। चूंकि विधानसभा चुनाव में पायलट ही कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे, इसलिए कांग्रेस अपने नेता पर हार का ठप्पा नहीं लगवाना चाहती है और यदि उपचुनाव में उम्मीदवार की जीत हो गई तो प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते पायलट को ही श्रेय मिलेगा। 
राष्ट्रीय सचिव ने लिया है जायजाः
कांग्रेस के हाईकमान माने जाने वाले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने  राष्ट्रीय सचिव विवेक बंसल को अजमेर भेज कर राजनीतिक हालातों का जायजा लिया है। गत 20 अगस्त को स्व. राजीव गांधी की जयंती पर बंसल को खासतौर से अजमेर भेजा गया। हालांकि बंसल को जोधपुर जाना था, लेकिन ऐनमौके पर बंसल को अजमेर भेज दिया गया। बंसल ने सर्किट हाउस में एक-एक नेता से मुलाकात कर जानना चाहा कि पायलट के अतिरिक्त और कौन से उम्मीदवार हैं। सबकी राय से बंसल ने पायलट को अवगत करा दिया है। 
राजपूत नेताओं की बैठकः
उपचुनाव के मद्देनजर हाल ही में अजमेर और नागौर के राजपूत समाज के नेताओं की एक बैठक पुष्कर स्थित जयमल कोट धर्मशाला में हुई। इस बैठक में भाजपा से निष्कासित नेता सुरेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व प्रधान नारायण सिंह, महेन्द्र सिंह कडैल, भूपेन्द्र सिंह शक्तावत आदि उपस्थित थे। बैठक में निर्णय लिया गया कि पायलट से मुलाकात कर चुनाव लड़ने का आग्रह किया जाए। क्योंकि पायलट कांग्रेस के उम्मीदवार होते हैं तो भाजपा से कड़ा मुकाबला किया जा सकता है। यह माना गया कि आनंदपाल प्रकरण के बाद अजमेर जिले का राजपूत समाज भी मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से खासा नाराज हैं। अब देखना है कि राजपूत प्रतिनिधियों का पायलट पर कितना असर होता है। आज भी तीन हजार राजपूत जेलों में बंद हैं। इनमें अजमेर के युवक भी शामिल हैं।
पायलट समर्थक को ही प्राथमिकताः
यदि पायलट स्वयं चुनाव नहीं लड़ते हैं तो पायलट समर्थक को ही उम्मीदवार बनाया जाएगा। उम्मीदवार भी ऐसा जो जीतने के बाद भी पायलट के लिए कुर्बानी देने को तैयार रहे। यदि उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की जीत होती है तो स्वाभाविक है कि वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में इसी सांसद को उम्मीदवार बनाया जाएगा। लेकिन तब ऐसे सांसद को कुर्बानी के लिए तैयार रहना होगा। क्योंकि 2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार नहीं बनती है तो बड़े नेता लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहेंगे। इसलिए यह तो तय है कि उम्मीदवार पायलट का पक्का समर्थक होगा। 
भूपेन्द्र सिंह राठौड़ और रघु शर्माः
यूं देखा जाए तो अजमेर जिले में पायलट के बाद रघु शर्मा का नम्बर आता है। भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले रघु शर्मा के पक्ष में ब्राह्मण, राजपूत, रावत, महाजन, मुसलमान आदि जातियां लामबंद हो सकती हैं। रघु केकड़ी से विधायक भी रह चुके हैं। लेकिन रघु के मुकाबले देहात कांग्रेस के अध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह राठौड़ को पायलट का करीबी माना जाता है। शायद इशारों को समझते हुए ही राठौड़ ने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर उपचुनाव के लिए जनसम्पर्क भी शुरू कर दिया है। फिलहाल राठौड़ का कहना है कि वे संगठन के लिए ऐसा कर रहे हैं, जबकि राजनीति में सब जानते हैं कि कौन नेता किस मकसद से क्यों आता है। राठौड़ उन समर्थकों में से हैं जो फिलहाल पायलट के लिए कुछ भी कुर्बानी कर सकते हैं। पायलट की मेहरबानी से ही जिले के दिग्गज कांग्रेसियों के मुकाबले राठौड़ जिलाध्यक्ष बने।
रामस्वरूप चैधरी और नाथूराम सिनोदियाः
अजमेर के पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप चैधरी और किशनगढ़ के पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया भी कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं। लेकिन सिनोदिया को पूर्व सीएम अशोक गहलोत के खेमे का माना जाता है, इसलिए पायलट के राज में सिनोदिया को उम्मीदवार नहीं बनाया जा सकता। जबकि रामस्वरूप चैधरी को स्व. सांवरलाल जाट के परिवार के सामने कमजोर उम्मीदवार माना जा रहा है। हालांकि चैधरी पायलट के प्रति वफदार हैं और उनका रूपनगढ़-किशनगढ़ वाले जाट बाहुल्य क्षेत्रों में खासा प्रभाव है। 
डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती और श्रीमती नसीम अख्तरः
कांग्रेस के पूर्व विधायक डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती और पूर्व मंत्री श्रीमती नसीम अख्तर को भी कांग्रेस का संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है। डाॅ. बाहेती के पक्ष में जहां वैश्य समाज के साथ-साथ अन्य जातियां भी लामबंद हो सकती हैं, वहीं श्रीमती अख्तर का मुस्लिम मतदाताओं में खासा प्रभाव है। जिले में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या दो लाख से भी ज्यादा मानी जा रही है। लेकिन डाॅ. बाहेती को पूर्व सीएम गहलोत का समर्थक माना जाता है। हालांकि श्रीमती अख्तर भी गत गहलोत सरकार में ही मंत्री बनी थीं, लेकिन उन्होंने पायलट से भी अपनी राजनीतिक नजदीकियां बढ़ाई हैं। यदि श्रीमती अख्तर उपचुनाव में उम्मीदवार बनती हैं तो डाॅ. बाहेती के समर्थकों को खुशी होगी, क्योंकि डाॅ. बाहेती की नजर अपने पुराने निर्वाचन क्षेत्र पुष्कर पर लगी हुई है। 
श्रवण सिंह रावत और ब्रह्मदेव कुमावतः
मसूदा के पूर्व विधायक ब्रह्मदेव कुमावत और पायलट के खास समर्थक श्रवण सिंह रावत को भी संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है। हालांकि कुमावत गहलोत समर्थक माने जाते हैं, लेकिन उन्होंने पायलट से भी अपनी नजदीकियां बढ़ाई हैं। हालांकि रावत की पृष्ठ भूमि भाजपा की रही है, लेकिन गत लोकसभा के चुनाव में सचिन पायलट का खुला समर्थन करने की वजह से रावत को पायलट का पक्का समर्थक माना जाता है। रावत ने पायलट को यह भरोसा दिलाया है कि वे अजमेर संसदीय क्षेत्र के रावत मतदाताओं के वोट आसानी से हांसिल कर सकते हैं।
एस.पी.मित्तल) (25-08-17)
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Thursday 24 August 2017

#2943
तो क्या जेल जाएंगे डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम?
पंजाब-हरियाणा के बिगड़े हालात पर हाईकोर्ट ने कहा सेना को बुलाओ।
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पंजाब-हरियाणा, हिमाचल, राजस्थान आदि राज्यों में दखल रखने वाले डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम इंसा पर बलात्कार के एक मामले में 25 अगस्त को हरियाणा के पंचकूला स्थित सीबीआई कोर्ट से फैसला आना है। लेकिन फैसले के आने से पहले ही पंजाब और हरियाणा में तनावपूर्ण हालात हो गए हैं। पंचकूला और डेरा मुख्यलाय सिरसा में लाखों अनुयायी पहुंच गए हैं। बिगड़े हालात पर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट  ने 24 अगस्त को सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की है और यह जानना चाहा है कि जब हरियाणा में 144 धारा लगा दी गई है तो फिर लाखों अनुयायी पंचकूला और सिरसा में कैसे आ गए? हरियाणा के डीजीपी को डिसमिस करने की बात कहते हुए हाईकोर्ट ने सेना को तैयार रखने के लिए कहा। हालांकि डेरा प्रमुख पर पंचकूला की सीबीआई अदालत 25 अगस्त को फैसला देगी, लेकिन हाईकोर्ट के सख्त रवैये से आशंका है कि डेरा प्रमुख गुरमीत को जेल भेजा जा सकता है। इस आशंका के मद्देनजर ही पंजाब और हरियाणा सरकारों ने अपने यहां सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। यहां तक कि अर्द्धसैनिक बलों को भी बुला लिया गया है। इधर बाबा के अनुयायियों ने धमकी दी है कि यदि अदालत का फैसला पक्ष में नहीं आया तो हम किसी भी सीमा तक जा सकते हैं।
बाबा ने की शांति की अपीलः
डेरा प्रमुख गुरमीत ने अपने अनुयायियों से शांति की अपील की है। गुरमीत ने ट्विट कर कहा है कि वे 25 अगस्त को अदालत में उपस्थित रहेंगे। उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा है। गुरमीत के इस बयान से दोनों सरकारों ने राहत महसूस की है।
वेश्याओं को बनाया शुभ देवीः
सब जानते हैं कि डेरा सच्चा सौदा ने अनेक सामाजिक कार्य किए हैं। यहां तक कि वेश्याओं को दलदल से निकाल कर शुभ देवी बनाया और उनका विवाह किया। बाबा के अनुयायी प्रत्येक माह के अंतिम शनिवार को रक्तदान करते हैं। अब तक पंाच करोड़ यूनिट रक्तदान किया जा चुका है। इसी वजह से बाबा का नाम गिनीज बुक आॅफ वल्र्ड रिकाॅर्ड में चार बार दर्ज हो चुका है। 
विवादों में भी रहेः
डेरा प्रमुख विवादों में भी रहे हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी की पोशाक पहनने पर सिक्ख समुदाय ने नाराजगी प्रकट की थी। एमएसजी फिल्म का हीरो बनने पर भी डेरा प्रमुख की निंदा हुई।
एस.पी.मित्तल) (24-08-17)
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#2942
पीएम के स्वच्छता अभियान में अजमेर में बांटी जा रही हैं मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाएं। पार्षद चन्द्रेश सांखला की पहल।
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24 अगस्त को अजमेर के आनासागर चैपाटी पर मैंने भी मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं का वितरण किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत वार्ड 60 के भाजपा पार्षद और स्वच्छता अभियान के जिला संयोजक चन्द्रेश सांखला ने गणेश महोत्सव पर मिट्टी के गणेश जी की प्रतिमाएं बांटने की एक अनोखी पहले की है। चूंकि आनासागर चैपाटी पर ही प्लास्टर आॅफ पेरिस से बनी प्रतिमाएं बिकती हैं। इसलिए पार्षद सांखला ने मूर्ति बनाने वाले दो-तीन कलाकारों को चैपाटी पर ही बैठा दिया है। ये कलाकार आनासागर से ही गीली मिट्टी निकाल कर हाथों हाथ गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं। चूंकि प्रतिमाएं निःशुल्क दी जा रही है, इसलिए लम्बी कतार लगी हुई है। सांखला ने बताया कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने आह्वान किया है कि गणेश महोत्सव और नवरात्रा पर मिट्टी से बनी प्रतिमाओं का ही इस्तेमाल हो ताकि पर्यावरण दूषित न हो। मिट्टी से बनी प्रतिमाएं आसानी के साथ किसी कुंड, तालाब, झील आदि में घुल जाती हैं। जबकि प्लास्टर आफ पेरिस से बनी प्रतिमाएं झीलों को प्रदूषित करती हैं। सांखला ने बताया कि गणेश महोत्सव पर तो बिना रंग वाली प्रतिमाएं दी जा रही हैं। लेकिन नवरात्र पर रंगीन प्रतिमाएं वितरित की जाएगी। उन्होंने इस बात पर खुशी जताई कि श्रद्धालुओं का मिट्टी से बनी प्रतिमाओं के प्रति आकर्षण हैं। सांखला ने बताया कि पुष्कर स्थित चित्रकूट धाम के उपासक पाठक जी महाराज, भाजपा के शहर अध्यक्ष अरविंद यादव, पार्षद नीरज जैन, धर्मेश चैहान, धर्मेन्द्र शर्मा आदि ने भी प्रतिमाओं का वितरण किया। इस कार्य में कुंदन सिंह, नवीन शर्मा, सुमन परिहार, करण सिंह, भरत आसनानी, भुवनेश आदि का भी सहयोग है।
एस.पी.मित्तल) (24-08-17)
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#2941
तो अब राजस्थान में सरकार और संगठन के बीच चन्द्रषेखर की होगी महत्वपूर्ण भूमिका। बैठक में दिए संकेत।
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24 अगस्त को जयपुर में भाजपा के प्रदेष कार्यालय में नवनियुक्त संगठन महामंत्री चन्द्रषेखर की उपस्थित में प्रदेष पदाधिकारियों और भाजपा के अग्रिम संगठनों के अध्यक्षों की एक बैठक हुई। हालांकि इस बैठक में सीएम वसुंधरा राजे शामिल नहीं हुई, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी और प्रदेश प्रभारी वी.सतीश उपस्थित थे। बैठक में इस बात के साफ संकेत दिए गए कि अब सरकार और संगठन के बीच चन्द्रशेखर की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। असल में राजस्थान में संगठन का महामंत्री कोई था ही नहीं। आमतौर पर भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के किसी प्रचारक को संगठन महामंत्री का दायित्व सौंपा जाता है। राजस्थान में भाजपा सरकार  के गठन बाद से ही इस पद पर किसी प्रचारक की नियुक्ति नहीं हुई। सीएम राजे ही प्रदेश संगठन को अपने इशारे पर चला रही थीं। चूंकि परनामी की नियुक्ति राजे की सिफारिश पर ही हुई थी, इसलिए परनामी ने भी वो ही किया जो राजे ने कहा। हालांकि परनामी का सम्मान करने में राजे ने कोई कमी नहीं रखी। कई समारोह में तो सीएम ने अपने अधिकार देकर परनामी को भेजा। यानि संगठन और सरकार की कमान सीएम के पास ही थी। सीएम की गैर मौजूदगी में प्रदेश संगठन की बैठक का कोई मायने नहीं था। लेकिन 24 अगस्त को सीएम की गैर मौजूदगी के बाद भी प्रदेश भाजपा की बैठक का खास महत्व रहा, क्योंकि इस बैठक में संघ के प्रचारक और नवनियुक्त संगठन महामंत्री चन्द्रशेखर उपस्थित रहे। चन्द्रशेखर ने जहां प्रमुख पदाधिकारियों से संगठन के कामकाज की जानकारी ली। वहीं अग्रिम संगठनों के अध्यक्षों से अपने-अपने संगठनों को सक्रिय करने के निर्देश दिए। चन्द्रशेखर ने साफ-साफ कहा कि अब हर पदाधिकारी के कामकाज पर नजर रखी जाएगी। चूंकि अगले वर्ष ही विधानसभा के चुनाव होने हैं इसलिए संगठन की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। उम्मीदवारों का चयन में भी संगठन की राय को महत्व दिया जाएगा। माना जा रहा है कि चन्द्रशेखर की भूमिका से प्रदेश भर में संगठन को और मजबूती मिलेगी। चन्द्रशेखर इससे पहले उत्तरप्रदेश में सक्रिय थे। जानकार सूत्रों की माने तो चन्द्रशेखर की नियुक्ति के पीछे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह की भूमिका रही है। शाह ने पिछले दिनों ही तीन जयपुर में बिताए तब संगठन और सरकार के बीच तालमेल का अभाव नजर आया।
एस.पी.मित्तल) (24-08-17)
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Wednesday 23 August 2017

#2940
स्व. सांवरलाल जाट के घर के बाहर भाजपा में उम्मीदवारों की लम्बी कतार। अजमेर संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव की हलचल।
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फिलहाल तो यही माना जा रहा है कि अजमेर संसदीय क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में पूर्व सांसद सांवरलाल जाट के परिवार में से ही किसी सदस्य को भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाएगा। लेकिन यदि समय गुजरने के साथ राजनीतिक माहौल में बदलाव होता है तो स्वर्गीय जाट के घर के बाहर चुनाव लडऩे वालों की लम्बी कतार लगी हुई है। जाट समुदाय के कई नेता स्वयं को स्वर्गीय जाट का राजनीतिक उत्तराधिकारी मानते हैं। लेकिन वहीं जातीय समीकरण के बाहर वाले भी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। उम्मीदवारी के इच्छुक भाजपा नेताओं का मानना है कि उपचुनाव तो सरकार लड़ेगी। जब राज्य सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर होगी तो फिर जीत तो हो ही जाएगी और यदि जीत नहीं भी हुई तो राजनीति में कद तो बढ़ ही जाएगा। वैसे भी अजमेर संसदीय क्षेत्र के 8 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 में भाजपा के विधायक हैं। ऐसे में चुनाव जिताने की जिम्मेदारी इन भाजपा विधायकों की भी होगी। जाट समुदाय से जुड़े भाजपा नेता तभी चुनाव लडऩे के इच्छुक है जब स्वर्गीय जाट के परिवार के सदस्य खासकर उनकी पत्नी श्रीमती नर्बदा देवी समर्थन देने की घोषणा करे। कहा जा रहा है कि स्वर्गीय जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा को अगले वर्ष होने वाले विधानसभा के चुनाव में नसीराबाद से भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाएगा। 
रामचन्द्र चौधरी 
अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी को भी भाजपा की ओर से मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। चौधरी जाट समुदाय से जुड़े होने के साथ-साथ डेयरी के ग्रामीण क्षेत्र के नेटवर्क के भी मुखिया हैं। अधिकांश गांव में दुग्ध उत्पाद सहकारी समितियां बनी हुई हैं। इन समितियों के माध्यम से बड़ी संख्या में ग्रामीण जुड़े हुए हैं। हालांकि चौधरी की पृष्ठभूमि कांग्रेस की रही है। लेकिन गत लोकसभा के चुनाव में चौधरी ने भाजपा को खुला समर्थन दिया था। यही वजह रही कि चौधरी को फिर से डेयरी का अध्यक्ष बनवाने में स्वर्गीय सांवरलाल जाट ने पूरी मदद की। 
भागीरथ चौधरी 
किशनगढ़ के भाजपा विधायक भागीरथ चौधरी को भी मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। चौधरी ने 19 अगस्त को ही मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उपचुनाव के संदर्भ में मुलाकात की है। जाट समुदाय में चौधरी की छवि साफ-सुथरी मानी जाती है। चूंकि किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में जाट मतदाता हैं इसलिए चौधरी को भी उम्मीदवार बनाया जा सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि चौधरी के सांसद बनने पर विधानसभा का उपचुनाव करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि चुनाव जीतने के बाद से आगामी 6 माह तक चौधरी दोनों पदों पर बने रह सकते हैं। वहीं अगले वर्ष नवम्बर  में विधानसभा के चुनाव होने ही हैं। 
भंवर सिंह पलाड़ा 
मसूदा से भाजपा की विधायक श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति भंवर सिंह पलाड़ा को भी भाजपा का दमदार उम्मीदवार माना जा रहा है। पलाड़ा के केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से करीबी सम्बन्ध हैं। यदि स्वर्गीय जाट के परिवार और जाट समुदाय से बाहर जाकर उम्मीदवार बनाने पर विचार हुआ तो पलाड़ा का पलड़ा भारी रह सकता है। अभी हाल ही में हुए आनंदपाल प्रकरण में आंदोलन से निपटने में सरकार की ओर से पलाड़ा की महत्वपूर्ण भूमिका रही। पलाड़ा भाजपा के उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्होंने आंदोलन को खत्म करवाया। सब जानते हैं कि भले ही श्रीमती पलाड़ा जिला प्रमुख और विधायक रही हो लेकिन चुनाव की जाजम पलाड़ा ही बिछाते हैं। पलाड़ा पहले भी लोकसभा चुनाव में अपनी उम्मीदवारी खुल कर जता चुके हैं। अजमेर जिले में राजपूत समुदाय के वोट भी बड़ी संख्या में है। 
बी.पी. सारस्वत 
अजमेर देहात भाजपा के जिला अध्यक्ष बी.पी. सारस्वत भी उपचुनाव में उम्मीदवार माने जा रहे हैं। 23 अगस्त को मुम्बई में एक राजनीतिक बैठक में सारस्वत ने ही राजस्थान का प्रतिनिधित्व किया। हालांकि सारस्वत एमडीएस यूनिवर्सिटी में प्रो. के पद पर कार्यरत हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से उनकी राजनीतिक सक्रियता बढ़ गई है। यदि भाजपा जातीय समीकरणों से बाहर निकल कर अपने संगठन के बूते पर चुनाव लड़े तो प्रो. सारस्वत की उम्मीदवारी हो सकती है। सारस्वत लगातार तीसरी बार भाजपा के जिला अध्यक्ष बने हैं। सारस्वत को सीएम वसुंधरा राजे का करीबी भी माना जाता है। 
शत्रुघ्न गौतम 
केकड़ी के भाजपा विधायक और संसदीय सचिव शत्रुघ्न गौतम को भी उपचुनाव में भाजपा का उम्मीदवार माना जा रहा है। गौतम ने भी 19 अगस्त को ही उपचुनाव के संदर्भ में सीएम राजे से मुलाकात की थी। कहा जा रहा है कि जिले के ब्राहमण मतदाताओं पर गौतम का खास असर है। चुनाव की रणनीति बनाने में गौतम को माहिर माना जाता है। 
रासासिंह रावत 
अजमेर से पांच बार भाजपा के सांसद रहे रासा सिंह रावत को भी उपचुनाव में उम्मीदवार माना जा रहा है। रावत ने बिना किसी हिचक के बड़े भाजपा के नेताओं से मिलकर चुनाव लडऩे की इच्छा जताई है। रावत का कहना है कि जब वे विपरीत परिस्थितियों में भी पांच बार चुनाव जीत सकते हैं तो अभी तो अनुकूल परिस्थितियां हैं। चूंकि वे पांच बार अजमेर के सांसद रहे हैं, इसलिए आज भी मतदाताओं से सम्पर्क बना हुआ है। उनके राजनीतिक जीवन पर कोई दाग भी नहीं है। 
पुखराज पहाडिय़ा 
पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा ने भी भाजपा के बड़े नेताओं का ध्यान अपनी उम्मीदवारी की ओर आकर्षित किया है। पहाडिय़ा भाजपा के पुराने नेता रहे हैं। हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर भी पहाडिय़ा के निवास पर आए थे। माथुर हाईकमान के सामने पहाडिय़ा का नाम प्रभावी तरीके से रख सकते हैं। सोशल मीडिया पर समर्थकों ने पहाडिय़ा के पक्ष में अभियान चला दिया है। 
विकास चौधरी/सरिता गैना 
एमडीएस यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष रहे और राजस्थान जाट महासभा के जिला अध्यक्ष विकास चौधरी ने भी अपनी उम्मीदवारी जताई है। चौधरी का कहना है कि वे पढ़े-लिखे युवा हैं इसलिए उनकी उम्मीदवारी पर भाजपा को गंभीरता के साथ विचार करना चाहिए। इसी प्रकार अजमेर की पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना भी उम्मीदवारी को लेकर गंभीर हैं। श्रीमती गैना ने वर्ष 2015 में नसीराबाद से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी में आपसी खींचतान की वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 
एस.पी.मित्तल) (23-08-17)
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#2939
अब भरतपुर और धौलपुर के जाटों को भी मिलेगा आरक्षण का लाभ। आंदोलन के पहले ही दिन सरकार ने जारी की अधिसूचना। 
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23 अगस्त को जाट समुदाय के आंदोलन के पहले दिन ही राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने भरतपुर और धौलपुर के जाटों को आरक्षण का लाभ देने की अधिसूचना जारी कर दी है। आंदोलन से घबराई सरकार ने सर्कूलेशन के जरिए केबिनेट की मंजूरी ली। यानि केबिनेट की बैठक के बजाए प्रस्ताव को मंत्रियों के पास भेजकर हस्ताक्षर करवाए गए। भरतपुर और धौलपुर में जाट जाति के राजाओं की वजह से इन दोनों जिले के जाटों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा था। जबकि प्रदेश भर के जाट समुदाय के युवा ओबीसी बनकर आरक्षण का लाभ ले रहे थे यानि अब राजस्थान लोक सेवा आयोग व अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भरतपुर और धौलपुर के जाट भी ओबीसी वर्ग में आवेदन कर सकेंगे। इन दोनों जिलों के जाटों को आरक्षण का लाभ मिले, इसके लिए ओबीसी आयोग ने भी सिफारिश की थी। लेकिन सरकार किसी ना किसी कारण से आयोग की सिफारिश पर अमल को टालती रही। लेकिन भरतपुर के शक्तिशाली जाट नेता और कांग्रेस के विधायक विश्वेन्द्र सिंह ने सरकार को 22 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया था। सिंह का कहना रहा कि 23 अगस्त से इन दोनों जिलों में बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। आंदोलन के पहले दिन ही सरकार ने अधिसूचना जारी कर दी। 
एस.पी.मित्तल) (23-08-17)
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#2938
तो देवनानी और भदेल मुख्यमंत्री से बात करने की हिम्मत क्यों नहीं दिखाते? डिस्कॉम के एमडी को धमकाने से कुछ नहीं होगा। 
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अजमेर विद्युत वितरण निगम (डिस्कॉम) के 170 तकनीकी कर्मचारियों के तबादले भीलवाड़ा और उदयपुर कर दिए जाने के विरोध में कर्मचारी पिछले 20 दिनों से अपने परिवारजनों के साथ धरने पर बैठे हुए हैं। अजमेर शहर के दोनों भाजपा विधायक और मंत्री वासुदेव देवनानी एवं श्रीमती अनिता भदेल का कहना है कि तबादले निरस्त करने के लिए डिस्कॉम के एमडी महीराम विश्नोई को निर्देंश दे दिए हैं। देवनानी ने तो ऊर्जा मंत्री से भी बात करने का दावा किया है। लेकिन इसके बावजूद भी तबादले निरस्त नहीं हुए हैं। स्वाभाविक है कि यदि यह मामला एमडी स्तर अथवा ऊर्जा मंत्री के स्तर का होता तो अब तक तबादले निरस्त हो जाते। एमडी विश्नोई की इतनी हिम्मत नहीं होती कि वे दो-दो मंत्रियों के निर्देंश न माने। जाहिर है यह मामला मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के स्तर का है। इसलिए ऊर्जा मंत्री भी तबादले निरस्त करने के आदेश एमडी विश्नोई को नहीं दे रहे हैं। यह सच्चाई देवनानी और भदेल को भी पता है। लेकिन आंदोलनकारी कर्मचारियों को बेवकूफ समझते हुए दोनों मंत्री सारी जिम्मेदारी एमडी विश्नोई पर डाल रहे हैं। जबकि इन दोनों मंत्रियों को मुख्यमंत्री से बात करनी चाहिए। राजनीति के जानकारों का मानना है कि देवनानी और भदेल में इतनी हिम्मत नहीं कि वे इस गंभीर मुद्दे पर सीएम राजे से बात कर सके। देवनानी और भदेल बताएं कि उनके कहने के बाद भी एमडी विश्नोई तबादले निरस्त क्यों नहीं कर रहे हैं? एमडी को भी पता है कि इन दोनों मंत्रियों में मुख्यमंत्री से बात करने की हिम्मत नहीं है, यदि होती तो पिछले 20 दिनों से 170 कर्मचारियों को धरने पर नहीं बैठे रहना पड़ता। इन दिनों मंत्रियों को यह भी समझना चाहिए कि अजमेर में शीघ्र ही लोकसभा के उपचुनाव होने वाले हैं और इन 170 कर्मचारियों के परिवार वाले भी वोट देंगे। 
एस.पी.मित्तल) (23-08-17)
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#2937
भाजपा नेता पलाड़ा ने किया अजमेर में हरुमल ब्रोकर्स का शुभारंभ। केकड़ी पालिकाध्यक्ष मित्तल ने भी दी शुभकामनाएं।
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23 अगस्त को अजमेर के लोहागल रोड स्थित लक्ष्मी नैन समारोह स्थल के निकट हरुमल ब्रोकर्स प्राइवेट लिमिटेड का शुभारंभ भाजपा के वरिष्ठ नेता भंवर सिंह पलाड़ा ने फीता काट कर किया। शुभारंभ के मौके पर पलाड़ा ने उम्मीद जताई कि शेयर बाजार में रुचि रखने वाले अजमेर के लोगों को आधुनिक और रियायती दरों पर सेवाएं उपलब्ध होंगी। उन्होंने कहा कि शेयर बाजार धैर्य और भरोसे का कारोबार है। जल्दबाजी में लिए गए निर्णय नुकसानदायक होते हैं। इस अवसर पर ताराचंद हरवानी और नरेश हरवानी ने पलाड़ा को बताया कि हमारा प्रतिष्ठान वातानुकुलित है और प्रतिष्ठान में शेयर बाजार से जुड़ी सभी जानकारी उपलब्ध हैं। बहुत की कम ब्रोकरेज पर सौदे की बुकिंग की जाएगी। एक निर्धारित शुल्क जमा करवा कर एक वर्ष तक हमारे प्रतिष्ठान की सेवाएं नि:शुल्क ली जा सकती हैं। हमारे प्रतिष्ठान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414004854 पर ली जा सकती है। 
मित्तल ने दी शुभकामनाएं:
प्रतिष्ठान के शुभारंभ के मौके पर केकड़ी नगर पालिका अध्यक्ष अनिल मित्तल भी उपस्थित रहे। मित्तल ने कहा कि हरुमल ब्रोकर्स केकड़ी क्षेत्र का लोकप्रिय प्रतिष्ठान है। अपने कार्य के विस्तार के अंतर्गत ही अब अजमेर शहर में कारोबार शुरू किया गया है। मित्तल ने प्रतिष्ठान की सफलता के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर शहर के गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे। 
एस.पी.मित्तल) (23-08-17)
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Tuesday 22 August 2017

#2936
राजस्थान पुलिस ने नहीं निकाली भर्ती की सूचना पर कोचिंग सेन्टर वाले युवाओं को लूटने में लगे हैं। 
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22 अगस्त को राजस्थान पुलिस ने स्पष्ट किया है कि विभाग में किसी भी स्तर पर भर्ती की कोई अधिसूचना जारी नहीं की गई है। पुलिस विभाग को यह स्पष्टीकरण इसलिए देना पड़ा क्योंकि प्रदेश भर के कोचिंग सेन्टरों ने मार्गदर्शन के नाम पर युवाओं को लूटने का काम शुरू कर दिया था। यानि जब भर्ती की कोई सूचना हीं नहीं है तब कोचिंग सेन्टर वाले युवाओं को कोचिंग क्लास में प्रवेश लेने के लिए आकर्षित कर रहे हैं। गंभीर बात तो यह है कि कोचिंग सेन्टरों के कहने पर ही अखबारों में भी खबरें प्रकाशित हो रही है। यह माना कि कोचिंग सेन्टरों के दैनिक समाचार पत्रों को लाखों रुपए के विज्ञापन मिलते हैं,लेकिन अखबारों की अपने पाठकों के प्रति भी कोई जिम्मेदारी होती है। आमतौर पर यह माना जाता है कि समाचार पत्र अन्याय के विरूद्व आवाज उठाएंगे। लेकिन यदि अखबारों में कोचिंग सेन्टरों के कहने से खबरें छपेगी तो फिर बेरोजगार युवाओं का क्या होगा? 
एस.पी.मित्तल) (22-08-17)
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#2935
अब सीएम वसुंधरा राजे को भरतपुर-धौलपुर के जाट आरक्षण आंदोलन से निपटना होगा। धौलपुर के राजघराने से जुड़ी हंै सीएम।
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राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर जिलों के जाट समुदाय के लोगों को आरक्षण दिलवाने की मांग को लेकर 23 अगस्त से इन दोनों जिलों में एक बड़ा आंदोलन हो रहा है। इस आंदोलन से निपटना मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की व्यक्तिगत चुनौती भी है। श्रीमती राजे धौलपुर राजघराने से जुड़ी हुई है। धौलपुर का राजमहल भी राजे के पास ही है। ऐसे में सरकार नहीं चाहती कि आंदोलन के दौरान हालात बिगड़ें। यही वजह है कि अजमेर के रेलवे पुलिस के एसपी सुनील विश्नोई से लेकर प्रदेशभर के आला अफसरों को भरतपुर में तैनात कर दिया गया है। जिस प्रकार आनंदपाल प्रकरण में राजपूत अफसरों की तैनाती की गई थी, उसी प्रकार जाट अफसरों को भरतपुर भेजा जा रहा है। सरकार आंदोलन  से निपटने में कोई कमी नहीं रखना चाहती है। इसलिए बड़ी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की  भी जरूरत बताई गई है।
जाट समुदाय के साथ अन्याय- विश्वेन्दर सिंह
भरतपुर और धौलपुर के जाट समुदाय में धाक रखने वाले कांग्रेस के विधायक विश्वेन्दर सिंह ने कहा कि इन दोनों जिलों के जाट समुदाय के साथ अन्याय हो रहा है। राजस्थान के अन्य जिलों के जाटों को ओबीसी वर्ग में आरक्षण का लाभ मिल रहा है। सरकारों के पूर्व के फैसलों में इन दोनों जिलों के जाटों को राजघराने से जुड़ा हुआ माना गया, इसलिए आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया। जबकि आज हकीकत यह कि धौलपुर और भरतपुर के जाटों की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। उन्होंने कहा कि जब तक जाटों को आरक्षण का लाभ देने की घोषणा नहीं होगी तब तक इन दोनों जिलों में आंदोलन चलता रहेगा। जाट समुदाय का युवा इतने गुस्से में है कि वह आंदोलन के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर सकता है। उन्होंने कहा कि सीएम वसुंधरा राजे जाट समुदाय के युवाओं की पीड़ा को अच्छी तरह समझती हैं। सीएम को हमारे आंदोलन के साथ खड़ा होना चाहिए। यदि सरकार ने अपनी ताकत के बल पर आंदोलन को कुचलने की कोशिश की तो गंभीर परिणाम होंगे।
एस.पी.मित्तल) (22-08-17)
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#2933
आखिर तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट को रोक क्यों लगानी पड़ी? 
मौलाना, मौलवी, मुफ्ती आदि इस पर सोचें।
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देश में मुस्लिम धर्म की परंपराओं का झंडा लेकर चल रहे मौलवी, मौलाना और मुफ्ती आदि विद्वानों को अब इस बात पर विचार करना चाहिए कि आखिर सुप्रीम कोर्ट को एक साथ तीन तलाक को असंवैधानिक करार क्यों देना पड़ा? सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगसत के अपने फैसले में शरीयत में कोई दखल नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने वो ही कहा है जो टीवी चैनलों की बहस में मौलाना, मौलवी, मुफ्ती आदि कहते रहे। यह मुस्लिम विद्वान भी मानते हैं कि एक साथ तीन तलाक शरीयत के अनुरूप नहीं है। कुरान और हदीस में तलाक की जो व्यवस्था दे रखी है, उसके विपरीत भारत में तीन तलाक का इस्तेमाल हो रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने उसी शरीयत विरोधी एक मुश्त तीन तलाक पर रोक लगाई है। असल में शरीयत विरोधी तीन तलाक के खिलाफ जब पीडि़त मुस्लिम महिला भारतीय संविधान के अनुरूप अदालत में जाती थी, तो एक साथ तीन तलाक कहने वाला पति किसी मौलाना, मौलवी, मुफ्ती का तलाकनामा प्रस्तुत कर देता था। भारतीय कानून के अनुसार देश की कोई भी अदालत शरीयत के कानून में दखल नहीं कर सकती। इसलिए मुस्लिम महिला को न्याय नहीं मिल पाता था। लेकिन 22 अगस्त के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब अदालत में किसी मुफ्ती, मौलाना आदि के तलाकनामे के आधार पर सुनवाई बंद नहीं होगी। यानि मुस्लिम पीडि़त महिला को अदालत से न्याय मिल सकेगा। सरकार को अपनी ओर से कोईकानून बनाने की जरुरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जब एक मुश्त तीन तलाक को असंवैधानिक करार दे दिया है तो फिर यह मुद्दा अपने आप संविधान के दायरे में आ गया है। इससे उन हजारों पीडि़त मुस्लिम औरतों को राहत मिलेगी जो एक मुश्त तीन तलाक के दर्द को भोग रही थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश के सभी टीवी चैनलों पर जो बहस हुई उसमें मस्लिम विद्वानों ने माना कि एक साथ तीन तलाक का दुरुपयोग हुआ है। लेकिन मुस्लिम विद्वानों ने इसे एक सामाजिक बुराई माना। बहस में ऐसे मुस्लिम विद्वान भी शामिल हुए जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी राजनीति से जोड़ कर देख रहे थे। अच्छा हो कि ऐसे पैरोकार पीडि़त महिला के दर्द को समझें। हालात इतने खराब रहे कि वाट्सएप पर तलाक, तलाक, तलाक लिख कर भेज देने को भी शरीयत के अनुरूप मान लिया गया। जिन मौलाना, मुफ्ती आदि ने तलाकनामा जारी किया, उनके सामने मुस्लिम महिला गिड़गिड़ाई, लेकिन उसकी एक नहीं सुनी गई।  ऐसे भी मामले सामने आए जिसमें पति ने मुफ्ती के सामने जाकर कहा कि उसने रात को शराब के नशे में तलाक, तलाक, तलाक कह दिया। लेकिन सुबह उसे जब होश आया तो गलती का अहसास हुआ। ऐसे मामलों में भी निर्दोष मुस्लिम औरत को हलाला की प्रक्रिया अपनाने की सलाह दी गई। जबकि शरीयत के मुताबिक नशे में दिया गया तलाक जायज नहीं है। इसलिए अब मुस्लिम विद्वानों की जिम्मेदारी है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर तीन तलाक पर आवश्यक और प्रभारी कार्यवाही की जाए। यानि किसी भी मुस्लिम औरत को इस मुद्दे पर अदालत में जाना ही न पड़े। यदि शरीयत के अनुरूप मुस्लिम औरतों को न्याय मिलता तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट नहीं जाना पड़ता। मुस्लिम औरते ज्यादती की वजह से ही सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। 
एस.पी.मित्तल) (22-08-17)
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#2934
मुस्लिम संगठनों में भी नए विचारों वाले युवा आगे आएं।
जिनका मकसद मंत्री, सांसद, विधायक आदि बनना न हो। 
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22 अगस्त को एक साथ तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया, उस पर कांगे्रस के प्रवक्ता एडवोकेट जयवीर शेरगिल ने बहुत ही महत्त्वपूर्ण और सार्थक प्रतिक्रिया दी है। शेरगिल ने कहा कि कांग्रेस तो पहले से ही एक साथ तीन तलाक के खिलाफ है। इसलिए पीडि़त मुस्लिम औरतों की ओर से कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेता और वकील सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की। इस फैसले से उन्हें धक्का लगा है, जिन्होंने धंधा बना लिया था। हालांकि कांग्रेस के दूसरे प्रवक्ताओं ने वोट की राजनीति के नजरिए से भी प्रतिक्रिया दी। लेकिन अब समय आ गया है, जब देशभर के मुस्लिम संगठनों को अपने आंतरिक ढांचे में बदलाव करना चाहिए। आज ऐसे अनेक संगठन हैं जिन पर पिता के बाद पुत्र ही गद्दीनशीन हुआ है। जब हम पूरी कौम के प्रतिनिधित्व करने की बात करते हैं, तो क्या कौम के दूसरे व्यक्तियों को पदाधिकारी बनने का हक नहीं है?अच्छा हो कि मुस्लिम संगठनों के पदाधिकारियों के चयन में लोकतांत्रिक व्यवस्था को अपनाया जाए। यदि नए विचारों वाले मुस्लिम युवा पदाधिकारी बनेंगे तो फिर संगठन को भी नई ऊंचाई मिलेगी। चाहे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हो या अन्य कोई मुस्लिम संगठन। आमतौर पर यह देखा गया है कि पीढ़ी दर पीढ़ी काबिज रहने वाला का मकसद मंत्री, सांसद और विधायक बनना रहता है। चूंकि राजनीतिक दलों को वोट की खातिर ऐसे संगठनों की जरुरत होती है। इसलिए इन्हीं पदाधिकारियों को लाभ के पद दे दिए जाते हैं। सरकारी पद लेने के बाद ऐसे पदाधिकारियों का झुकाव अपने आप संबंधित राजनीतिक दल की ओर हो जाता है। जबकि पदाधिकारियों का मकसद पूरी कौम को लाभ पहुंचना होना चाहिए। कौम की नुमाइंदगी करते हुए अनेक लोग को मालामाल हो गए, जबकि आम आदमी दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष कर रहा है। यहां तक की उस गरीब को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ तक नहीं मिल रहा। 
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Monday 21 August 2017

#2931
हिन्दू आतंकवाद की साजिश करने पर ही कांग्रेस को सजा मिली। 
कर्नल पुरोहित की जमानत पर राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के मार्ग दर्शक इन्द्रेश कुमार ने कहा।
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21 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मालेगांव बम ब्लास्ट के केस में आरोपी कर्नल श्रीकांत पुरोहित को जमानत दे दी। हालांकि जांच एजेंसी एनआईए ने जमानत का विरोध किया था। लेकिन पुरोहित के वकीलों का तर्क रहा कि मुकदमें में पहले ही मकोका को हटाया जा चुका है। ऐसे में यदि कर्नल पुरोहित को सजा भी मिलती है तो अधिकतम सात वर्ष की होगी, जबकि कर्नल पुरोहित गत 9 वर्षों से जेल में बंद हैं। कर्नल पुरोहित की जमानत पर प्रतिक्रिया देते हुए राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के मार्ग दर्शक इन्द्रेश कुमार ने कहा कि कांग्रेस के शासन में तृष्टिकरण के लिए हिन्दू आतंकवाद की साजिश रची गई थी। इसी साजिश में स्वामी असीमानंद, साध्वी प्रज्ञा, कर्नल पुरोहित जैसे राष्ट्रवादियों को फंसाया गया। यह बेहद ही शर्मनाक बात रही कि उस समय कांग्रेस ने हिन्दू आतंकवाद का शगूफा छोड़ दिया। इससे देश के आतंकवादियों को तो फायदा हुआ, ही साथ ही पाकिस्तान को यह कहने का अवसर मिला कि भारत में हिन्दू भी आतंकवादी है। कांग्रेस ने जो साजिश रची उसी का परिणाम है कि आज पूरे देश से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। आने वाले दिनों में कांग्रेस को राजनीतिक दृष्टि से और नुकसान उठाना पड़ेगा, उन्होंने कहा कि जो हिन्दू चींटी को भी मारने से डरता है उसे कांग्रेस ने आतंकवादी घोषित कर दिया। इतना ही नहीं सोनिया गांधी, राहुल गांधी जैसे नेताओं ने अमरीका में जाकर हिन्दू आतंकवाद की बात कही। उन्होंने कहा कि जमानत मिलने में भी 9 वर्ष का समय लग गया। इससे न्याय में विलम्ब होने का पता चलता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अब इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द होगी और सभी आरोपी बरी होंगे। 
एस.पी.मित्तल) (21-08-17)
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