Thursday 30 November 2017

#3337
अब दिल्ली में फंस गई फिल्म पद्मावती।
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निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म अब दिल्ली में फंस गई है। 30 नवम्बर को इस फिल्म को लेकर दिल्ली में संसदीय समिति और पिटीशन कमेटी की बैठकें हुई। इन दोनों ही बैठकों में यह माना गया कि पहले फिल्म की समीक्षा की जाएगी और समीक्षा इतिहासकार करेगें। अब फिल्म की समीक्षा कब होगी यह भगवान ही जानता है। पिटीशन कमेटी की बैठक में सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी, चित्तौड़ के सांसद सीपी जोशी, कोटा के सांसद ओम बिड़ला के साथ-साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। सांसद सीपी जोशी का बैठक में साफ-साफ कहना रहा कि इस फिल्म को लेकर पूरे राजस्थान में राजपूत समाज आंदोलन कर रहा है। ऐसे में फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं होना चाहिए जो वीरांगना पद्मावती के सम्मान को कम करता हो। जोशी ने कहा कि हमें लोगों की भावनाओं का ख्याल भी रखना चाहिए। बैठक में सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने कहा कि अभी इस फिल्म को अनुमति ही नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड विस्तृत समीक्षा के बाद ही अनुमति देगा। बैठक में जोशी ने सेंसर बोर्ड की अनुमति से पहले ही मीडिया के एक वर्ग को फिल्म दिखाए जाने पर नाराजगी जताई। इस बैठक के बाद सांसद अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता में संसदीय समिति की बैठक हुई। इस बैठक में ठाकुर का कहना रहा कि किसी भी निर्माता को इतिहास के साथ छेड़छाड़ की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस बैठक में निर्माता-निर्देशक भंसाली भी उपस्थित रहे।
हालांकि उन्होंने बार-बार कहा कि उनकी फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी और पद्मावती के प्रेस प्रसंग के दृश्य नहीं है और पूरी फिल्म रानी पद्मावती के शौर्य और वीरता पर फिल्माई गई है। इसके विपरीत अलाउद्दीन खिलजी को एक आक्रमणकारी और स्त्री लोलुप दिखाई गया है। लेकिन भंसाली के कथन पर किसी ने भी विश्वास नहीं किया और सर्वसम्मिति से यह तय किया गया कि इतिहासकारों की समीक्षा के बाद ही फिल्म के प्रदर्शन पर कोई निर्णय होगा। यानि जो पद्मावती फिल्म पहले मुम्बई के सेंसर बोर्ड में फंसी हुई मानी जा रही थी वह अब दिल्ली में सांसद के बीच फंस गई है। 
एस.पी.मित्तल) (30-11-17)
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#3336
आखिर सीएम राजे ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव तक का डीजीपी बना दिया। तीन आईपीएस की वरिष्ठता को दरकिनार कर ओपी गल्होत्रा को सौंपी राजस्थान पुलिस की कमान। 
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30 नवम्बर को राजस्थान के तीन आईपीएस अधिकारियों की वरिष्ठता को दरकिनार कर जूनियर आईपीएस ओपी गल्होत्रा को  नया डीजीपी नियुक्त कर दिया गया है। गल्होत्रा को अजीत सिंह के स्थान पर नियुक्ति दी गई है। अजीत सिंह चार माह डीजीपी रहने के बाद तीस नवम्बर को सेवानिवृत हो गए। हालांकि नवदीप सिंह, कपिल गर्ग और सुनील कुमार मेहरोत्रा सीनियर थे, लेकिन सीएम वसुंधरा राजे की पसंद होने की वजह से जूनियर गल्होत्रा को डीजीपी बनाया गया है। गल्होत्रा की सेवानिवृत्ति 2019 में होगी यानि वे अगले वर्ष होने वाले विधानसभा तथा फिर मई 2019 में होने वाले लोकसभा के चुनाव तक डीजीपी रहेंगे। हालांकि गल्होत्रा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत थे, लेकिन 30 नवम्बर को गल्होत्रा की पदोन्नति डीजीपी के पद पर कर दी गई इसके साथ ही उनके सीनियर सुनील मेहरोत्रा को भी डीजी के पद पर पदोन्नत किया गया है। पहले यह माना जा रहा था कि अजीत सिंह के कार्यकाल को विस्तार दिया जाएगा, लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से हरी झंडी नहीं मिलने की वजह से अजीत को निर्धारित समय पर ही सेवानिवृति देनी पड़ी। 
साप्ताहिक अवकाश पर विचार-गल्होत्रा
नई डीजीपी गल्होत्रा ने मीडिया से कहा कि पुलिस के जवानों के वेलफेयर के लिए अपने कार्यकाल में जो कुछ भी कर सकते हैं करेंगे। जवानों को साप्ताहिक अवकाश के सवाल पर गल्होत्रा ने कहा कि इस संबंध में आवश्यकता होने पर राज्य सरकार से भी वार्ता की जाएगी। उन्होंने माना कि जवानों का काम बेहद कठिन होता है इसलिए उन्हें पर्याप्त सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाए रखने की होगी। गल्होत्रा ने 30 नवम्बर की शाम को ही डीजीपी का पद संभाल लिया। इससे पहले अजीत सिंह को शानदार विदाई दी गई।
एस.पी.मित्तल) (30-11-17)
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#3335
आखिर कांग्रेसियों ने लगा दी इंदिरा गांधी की प्रतिमा। फोटो खिंचवाई और कपड़े से ढक दिया। अब पायलट करेंगे अनावरण।
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30 नवम्बर को आखिरकार अजमेर में स्टेशन रोड स्थित स्मारक पर पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की प्रतिमा स्थापित कर ही दी गई। प्रतिमा को लगाने के साथ ही अजमेर के कांग्रेसियों ने प्रतिमा के साथ फोटो खिंचवाया और कपड़े से प्रतिमा को ढक दिया। अब इस प्रतिमा का अनावरण जल्द ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट करेंगे। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने बताया कि प्रतिमा लगाने के लिए कांग्रेस को लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। इस प्रतिमा को अजमेर विकास प्राधिकरण से शुल्क देकर खरीदा गया है। प्रतिमा लगने से शहर भर के कार्यकर्ताओं में उत्साह है। प्रतिमा लगाने की जानकारी प्रदेश अध्यक्ष पायलट को दे दी गई है और अब जल्द ही पायलट अजमेर आकर इस प्रतिमा का अनावरण करेंगे।
एस.पी.मित्तल) (30-11-17)
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#3334
किशनगढ़-उदयपुर के हवाई टिकिट पर राज्य सरकार देगी ढाई हजार रुपए का अनुदान। ढाई हजार रुपए यात्री से लेने के बाद भी सुप्रीम आॅर्गेनाइजेशन को एक हजार रुपए का घाटा। आखिर कैसे सफल होगा किशनगढ़ का एयरपोर्ट।
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गत 11 अक्टूबर को राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने अजमेर में किशनगढ़ एयरपोर्ट का उद्घाटन तो कर दिया, लेकिन अब इस एयरपोर्ट से विमान सेवाएं शुरू करने में सरकार को पसीने आ रहे हैं। यदि यात्रियों से वास्तविक किराया वसूला जाए तो शायद किशनगढ़ एयरपोर्ट चालू ही नहीं हो सके। इसलिए राज्य सरकार ने सुप्रीम आर्गेनाइजेशन से प्रदेशभर में हवाई सेवाओं के लिए एक समौता किया है। इस समझौते के तहत ही एक दिसम्बर से किशनगढ़ और उदयपुर के बीच हवाई सेवा शुरू हो रही है। सुप्रीम आर्गेनाजेशन के सीईओ अमित अग्रवाल ने बताया कि किशनगढ़-उदयपुर के बीच का किराया 6 हजार 500 रुपए होता है, लेकिन फिलहाल यात्रियों से मात्र ढाई हजार रुपए ही लिए जाएंगे। समझौते के अनुरूप प्रति यात्री सरकार ढाई हजार रुपए का अनुदान देगी। यही वजह है कि एक हजार रुपए का घाटा हमारी कंपनी को फिलहाल उठाना पड़ेगा। अग्रवाल ने कहा कि सीएम वसंुधरा राजे चाहती हैं कि मध्यमवर्गीय परिवार के सदस्य भी हवाई यात्रा का आनंद ले सकें। सरकार ने जो सुविधा दी है उसका लाभ अधिक से अधिक लोगों को उठाना चाहिए। फिलहाल उनकी कंपनी 9 सीटर वाला विमान शुरू कर रही हैं। भविष्य में ट्रैफिक बढ़ेगा तो बड़ा विमान काम में लिया जाएगा। अग्रवाल ने बताया कि उनकी कंपनी ही समझौते के तहत जयपुर, उदयपुर, बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर आदि में हवाई सेवाएं दे रही हैं। किशनगढ़-उदयपुर की नई सेवा का समय उदयपुर से प्रातः11ः15 पर उड़ान का रखा गया है जो 12ः15 पर किशनगढ़ पहुंचेगी। किशनगढ़ से ही विमान 12ः30 पर उदयपुर के लिए रवाना होगा। 
दिल्ली हवाई सेवा के लिए नहीं मिली अनुमतिः
किशनगढ़ एयरपोर्ट के निदेशक अशोक कपूर ने बताया कि दिल्ली हवाई सेवा के लिए अभी अनुमति नहीं मिली है। हालांकि जूम एयरलाइंस किशनगढ़ से दिल्ली के बीच अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं, लेकिन अभी दिल्ली के एयरपोर्ट पर विमान के उतरने और उड़ान भरने की व्यवस्था नहीं हो रही है। उन्होंने माना कि दिल्ली सेवाओं में विलंब हो रहा है। उन्होंने बताया कि 1 दिसम्बर से उदयपुर के लिए शुरू होने वाली सेवा की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है।
आखिर किसे मिलेगा लाभ?ः
हवाई जहाज में हवाई चप्पल वाला भी यात्रा करे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस सपने को पूरा करने के लिए राजस्थान की सीएम वसंुधरा राजे प्रति यात्री भारी भरकम अनुदान दे रही हैं, लेकिन सवाल उठता है कि सरकार के अनुदान का लाभ किसे मिलेगा? क्या वाकई किशनगढ़ या उदयपुर का कोई ठेलेवाला हवाई चप्पल पहनकर सुप्रीम आॅर्गेनाइजेशन के विमान में यात्रा करेगा? फिलहाल तो ऐसा संभव नहीं लगता। इसलिए माना जा रहा है कि सरकार के अनुदान का लाभ धनाढ्य व्यक्ति ही उठाएंगें। 
50 दिन बाद भी सिर्फ उदयपुरः
सीएम राजे ने किशनगढ़ एयरपोर्ट का उद्घाटन 11 अक्टूबर को किया था। 50 दिन गुजर जाने के बाद भी सिर्फ उदयपुर के लिए सेवाएं शुरू हुई हैं। यह सेवा भी 24 घंटे में मात्र एक बार के लिए हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि किशनगढ़ का एयरपोर्ट कितना सफल होगा। एक ओर सरकार यात्रियों के टिकिट पर हजारों रुपए का अनुदान दे रही है, वहीं एयरपोर्ट के संचालन पर प्रतिघंटे करोड़ों रुपए खर्च हो रहा है।
एस.पी.मित्तल) (30-11-17)
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#3333
अजमेर की जिला प्रमुख के तौर पर अब याद आती हैं सुशील कंवर पलाड़ा। आखिर वंदना नोगिया की बैठकों में क्यों नहीं आते अफसर?
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29 नवम्बर को अजमेर जिला परिषद की आयोजना समिति की बैठक ऐन मौके पर इसलिए रद्द करनी पड़ी कि संबंध्ंिात विभागों के अधिकारी आए ही नहीं। जबकि जिला प्रमुख वंदना नोगिया और सीईओ अरुण गर्ग तय समय पर पहुंच गए थे। जिन अफसरों को बैठक में आना था उनका कहना है कि जिला परिषद बैठक की सूचना मिली ही नहीं, जबकि सीईओ गर्ग का दावा है कि सूचना इनको भिजवाई गई थी। असल में किसी भी निर्वाचित संस्था में मुखिया का असर सबसे ज्यादा होता है। यदि मुखिया असरदार हो तो अफसरशाही हर हुक्म मानती है। जिला परिषद की बैठकों में अफसरों के नहीं पहुंचने की शिकायत आम है। कई बार बैठकों को रद्द किया जाता है। अब जब अजमेर में लोकसभा के उपचुनाव होने हैं, तब यदि जिला परिषद जैसी महत्वपूर्ण संस्था में आयोजना समिति की बैठक भी नहीं हो सके तो यह सत्तारुढ़ भाजपा की स्थिति पर सवालिया निशान लगाती है। यह जिला प्रमुख के लिए भी अच्छी बात नहीं है। और जब बार-बार ऐसी घटनाएं होती हैं तो राजनीतिक सूझबूझ पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है। इन दिनों जिला परिषद के जो हालात सामने आए हैं उनमें पूर्व जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा की याद अब सभी को आ रही है। पलाड़ा की अध्यक्षता में होने वाली बैठकों में अफसर ही नहीं विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधि भी उपस्थित रहते थे। पलाड़ा के कार्यकाल में सभी विभागों के अधिकारी बैठकों के प्रति जागरुक रहते थे। यहां तक कि जिला परिषद का स्टाफ भी जागरुक और सतर्क रहता था। पलाड़ा जब जिला प्रमुख थीं तब प्रदेश में कांग्रेस का शासन था, लेकिन इसके बावजूद भी पलाड़ा ने पंचायत समिति स्तर पर समस्या समाधान शिविर लगवाए। भले ही पलाड़ा भाजपा की जिला प्रमुख थीं, लेकिन सभी विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति रहती थी। विपरीत राजनीतिक परिस्थितियों में भी पलाड़ा ने जिला परिषद को सक्रिय बनाए रखा। अब जबकि प्रदेश में भाजपा की सरकार है, तब भी भाजपा की जिला प्रमुख की बैठक में अफसरों का नहीं आना अपने आप में विचित्र बात हैं। यह माना कि वंदना नोगिया राजनीति में नई हैं, लेकिन अब तो जिला प्रमुंख बने ढाई वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है, ऐसे में कुछ तो प्रभाव बनना ही चाहिए। जबकि नोगिया को प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी का भी समर्थन रहता है। देवनानी के प्रयासों से ही नोगिया जिला प्रमुख बन पाई थीं। देवनानी भी नोगिया को आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं, लेकिन नोगिया को अपनी भी राजनीतिक सूझबूझ दिखानी होीग। नोगिया पढ़ी लिखी युवा हैं, इसलिए जिले भर के लोगों खास कर ग्रामीणों को बहुत उम्मीदें हैं। अब जब सभी राजनीतिक परिस्थितियां अनुकूल हैं तो नोगिया को भी कार्य कुशलता दिखानी होगी। अफसरशाही उसे ही नमस्कार करती हैं, जिसके पास खुद का चमत्कार होता है।

एस.पी.मित्तल) (30-11-17)
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Wednesday 29 November 2017

#3329
आसान नहीं है अध्यात्म और धर्म की राह पर चलना। पूरा जीवन खप जाता है मानव मात्र की सेवा में। अजमेर के सेंट एंसलम और बिजयनगर के सेंट पाॅल स्कूल के प्राचार्यों के धर्म की राह के 25 वर्ष पूरे होने पर विशेष।
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आज भले ही धर्म की राह पर चल कर अनेक धर्मगुरु ऐशोआराम की जिन्दगी जी रहे हों, लेकिन जो व्यक्ति सही मायने में धर्म की राह पर चल कर मानवमात्र की सेवा करता है, उसका धर्म की राह पर चलना आसान नहीं होता है। इसी भावना से अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल के प्राचार्य फादर सुसई मणिक्कम और अजमेर के बिजयनगर स्थित सेंटपाॅल स्कूल के प्राचार्य केन्टियस लिगोरी ने 25 वर्ष पूर्व ईसाई धर्म के अनुरूप पुरोहित बनने की शपथ ली थी। जब युवा मन आसमान की ऊंचाईयों छूने और धन कमाने के लिए तत्पर होता है, तब इन दोनों युवाओं ने चर्च में प्रभु यीशु की मूर्ति के सामने शपथ ली कि अब अपना पूरा जीवन मानव सेवा में खपा देंगे। इस शपथ के बाद कैथोलिक धर्मगुरुओं ने जो निर्देश दिए, उसकी पालना आज तक की जा रही है। काम को कभी छोटा-बड़ा नहीं माना। दोनों ने अपने धर्म की शिक्षाओं पर चल कर लोगों की सेवा की। इन दोनों को पता है कि एक दिन धर्म की इसी मिट्टी में मिल जाना पड़ेगा, लेकिन किसी भी पद पर रहने पर इन्हें घमंड नहीं होता। ईसाई धर्म की परंपराओं के अनुरूप पुरोहित बनने वाले व्यक्ति को अपना घर-परिवार छोड़ना होता है। अंतिम सांस तक चर्च के अधीन काम करने वाली संस्था में रहना होता है। कोई पुरोहित सम्पत्ति का संचय नहीं करता। शिक्षण, चिकित्सा आदि संस्थाओं में काम करने की एवज में जो पारिश्रमिक मिलता है उसे भी चर्च में ही देना होता है। जो पुरोहित अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के मुखिया बन जाते हैं, उन्हें कई बार एडमिशन को लेकर आलोचना भी सहनी होती है। कई बार स्कूल में हंगामा भी होता है। ऐसे मौकों पर अध्यात्मिक की शिक्षा ही काम आती है। लाख आलोचनाओं के बाद भी हर अभिभावक चाहता है कि उनके बच्चों का प्रवेश ईसाई शिक्षण संस्थाओं में ही हो। राजनीतिक दलों के नेता कई बार ईसाई शिक्षण संस्थाओं की आलोचना करते हैं, लेकिन ऐसे अधिकांश नेताओं के बच्चे इन्हीं संस्थाओं में पढ़ते हैं। आज ईसाई शिक्षण संस्थाओं का महत्व इसलिए है कि यहां के प्राचार्य धर्म के अनुरूप जीवन यापन करते हैं। हालांकि अब पब्लिक सेक्टर में अन्य निजी स्कूलें भी आ गई हैं, लेकिन देश में कैथोलिक शिक्षण संस्थाओं का अपना महत्व है। यहां अध्ययन करने वाले बच्चे स्वयं को गौरवांवित समझते हैं। अजमेर के सेंट एंसलम स्कूल के प्राचार्य फादर सुसई मणिक्कम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा तमिलनाडु में ली और धर्मिक शिक्षा अजमेर में ग्रहण की। पुरोहित बनने के बाद फादर मणिक्कम ने राजस्थान कैथोलिक डायसिस के प्रबंधन का कार्य भी किया। राजस्थान के फालना में नई स्कूल खोलने का श्रेय भी फादर मणिक्कम को ही जाता है। पुरोहित बनने के 25 वर्ष पूरे होने पर फादर मणिक्कम का कहना है कि उनकी परमपिता परमेश्वर से यही इच्छा है कि अंतिम सांस तक सेवा कार्य करुं। उन्होंने कहा कि जब आप मुसीबत में होते हैं तो प्रभु यीशु आपके साथ खड़े होते हैं। उनके जीवन में ऐसे कई मौके आए हैं जब उन्होंने अपने साथ प्रभु यीशु को खड़े देखा है। अध्यात्मिक शक्ति से आप प्रभु के दर्शन भी कर सकते हैं। प्रत्येक मनुष्य में वो ताकत है जिससे प्रभु के दर्शन हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि मनुष्य को हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। जो व्यक्ति अपने धर्म की राह पर चलता है उसे कभी तकलीफ नहीं होती।
30 नवम्बर को स्कूल परिसर में होगा कार्यक्रमः
फादर सुसई मणिक्कम और फादर केन्टियस लिगोरी के पुरोहित बनने के 25 वर्ष पूरे होने पर 30 नवम्बर को अजमेर के केसरगंज स्थित सेंट एंसलम चर्च परिसर में शाम पांच बजे से आध्यात्मिक धार्मिक आयोजन रखा गया है। इस अवसर पर अजमेर धर्म प्रांत के बिशप पायस थाॅमस डीसूजा, पूर्व बिशप इंगनेशियस मैनेजस, नासिक प्रांत के बिशप लांरडू डेनियल आदि धर्मगुरु उपस्थित रहेंगे। फादर मणिक्कम को मोबाइल नम्बर 9414006022 तथा फादर लिगोरी को 7014178857 पर शुभकामनएं दी जा सकती है। मेरी प्रभु यीशु से प्रार्थना है कि इन दोनों धर्मगुरुओं पर अपनी कृपा बनाए रखें। 
एस.पी.मित्तल) (29-11-17)
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#3330
जस्टिस क्लाॅक साॅफ्टवेयर के विरोध में अजमेर के वकीलों का प्रदर्शन।
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29 नवम्बर को अजमेर के वकीलों ने केन्द्र सरकार के जस्टि क्लाॅक साॅफ्टवेयर के विरोध में प्रदर्शन किया। शहर कांग्रेस कमेटी के महासचिव वैभव जैन के नेतृत्व में एकत्रित हुए वकीलों ने आरोप लगाया कि इस साॅफ्टवेयर के माध्यम से केन्द्र सरकार न्याय पालिका पर दबाव बनाना चाहती है। असल में इस साॅफ्टवेयर के माध्यम से केन्द्र सरकार देशभर की अदालतों में चल रहे मुकदमों का ब्योरा एकत्रित करेगी। वकीलों ने आशंका जताई कि इस साॅफ्टवेयर के माध्यम से जो डेटा एकत्रित होगा उसके जरिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाया जाएगा। हो सकता है कि सरकार इस डेटाबेस के आधार पर न्यायाधीशों की रेकिंग भी तय करे जो आगे चलकर पदोन्नति में बाधक हो सकती है। वकीलों ने कहा कि पूर्व में नेशनल ज्यूडिशियल अपाॅइंमेंट कमीशन को भी लाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस कमीशन पर रोक लगा दी। यह कमीशन केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम के असर को कम करने के लिए बनाया था। असल में केन्द्र सरकार बार बार न्याय पालिका को कमजोर करना चाहती है। वकीलों ने चेतावनी दी कि यदि जस्टिस क्लाॅक साॅफ्टवेयर को बंद नहीं किया गया तो देशभर में आंदोलन किया जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (29-11-17)
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#3331
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार मुसलमानों की तरक्की के लिए काम कर रही है। देश के मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ख्वाजा साहब की दरगाह में चादर पेश की।
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29 नवम्बर को अजमेर स्थित संसार प्रसिद्ध सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में गरीब नवाज एज्युकेशनल एंड डवलपमेंट कौंसिल की ओर से मुस्लिम धर्मगुरुओं ने सूफी परंपरा के अनुरूप चादर पेश की। चादर पेश करने का मकसद नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार का शुक्रिया अदा करना रहा। कौंसिल के अध्यक्ष पूर्व सांसद साबिर अली, कारी मजहरी मियां आदि ने बताया कि देश के आम मुसलमान की तरक्की के लिए भाजपा की सरकार बहुत कुछ कर रही है। आजादी के बाद यह पहला अवसर है जब मुसलमानों की तरक्की के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया है। पूर्व की सरकारें मुसलमानों को वोट बैंक मानती रही, जबकि नरेन्द्र मोदी ने हकीकत में तरक्की के काम करवाए। मदरसों के मोर्डनाइजेशन से लेकर सस्ती दर पर लोन देने का काम मोदी सरकार ने ही किया है। कुछ लोग नरेन्द्र मोदी का नाम लेकर मुसलमानों को गुमराह कर रहे हैं। जबकि मोदी बार-बार कह रहे हैं कि सबका साथ सबका विकास सरकार जब कोई योजना लागू करती है तो उसका लाभ आम मुसलमान को भी मिलता है। उन्होंने बताया कि कौंसिल की एक महत्वपूर्ण  बैठक केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी की अध्यक्षता में हुई थी, इस बैठक में 200 से भी ज्यादा मुस्लिम धर्म गुरुओं, विद्वानों आदि ने भाग लिया। इस बैठक में ही यह तय किया गया कि कौंसिल की ओर से देश की प्रमुख दरगाहों में चादर पेश की जाएग और सरकार ने मुसलमानों की तरक्की के लिए जो योजनाएं दी है उसकी जानकारी भी दी जाएगी। चूंकि ख्वाजा साहब की दरगाह प्रमुख दरगाहों में से एक है इसलिए चादर पेश करने की शुरुआत अजमेर से ही की गई है। चादर पेश करने के अवसर पर दरगाह नाजिम आईबी पीरजादा, अंजुमन शेखजादगान के सचिव डाॅ. अब्दुल माजिद चिश्ती, अंजुमन सैयद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगाराशाह, शेखजादा जुल्फीकार चिश्ती, आलेबदर चिश्ती, मुसव्वीर चिश्ती, उपाध्यक्ष इकबाल चिश्ती आदि शामिल थे।
एस.पी.मित्तल) (29-11-17)
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#3332
एक माह से बंद पड़े हैं राजस्थान लोक सेवा आयोग के फोन। प्रदेशभर के युवा परेशान। सचिव गिरिराज सिंह कुशवाह भी लाचार हैं।
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इसे बेहद ही अफसोसनाक कहा जाएगा कि अजमेर स्थित राजस्थान लोक सेवा आयोग के टेलीफोन पिछले एक माह से बंद पड़े हैं। चूंकि दो माह से आयोग के अध्यक्ष का पद खाली पड़ा हैं इसलिए फोन को चालू करवाने का निर्णय नहीं हो पा रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयोग के फोन बंद होने से प्रदेशभर के युवाओं को कितनी परेशानी हो रही होगी। प्रदेश की सीएम वसुंधरा राजे बार-बार यह दावा करती हैं कि आयोग के माध्यम से युवाओं को नौकरी दिलवाने का काम हो रहा है। जो सरकार आयोग के फोन चालू नहीं करवा सकती है उसके दावों का अंदाजा लगाया जा सकता है। असल में आयोग में एमटीएस कंपनी के फोन लगे हुए थे। अब इस कंपनी ने अपना कारोबार बंद कर दिया, इसलिए आयोग में लगे फोन भी बंद हो गए। हालांकि बीएसएनएल जैसी दूसरी कंपनियां फोनदेने को तैयार हैं, लेकिन इस समय आयोग में छोटे-छोटे निर्णय लेने वाला भी कोई नहीं है। जहां आयोग के अध्यक्ष का पद दो माह से रिक्त है, वहीं आयोग के सचिव गिरिराज सिंह कुशवाह के सीने पर आईएएस का बिल्ला लगा होने के बाद भी वे कोई निर्णय लेने में समक्ष नहीं है। यदि कुशवाह थोड़े से भी समक्ष होते तो कम से कम फोन तो चालू करवा ही सकते थे। इससे राजस्थान के आईएएस अफसरों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
कुशवाह ने टेलीफोन बंद होने की जानकारी राज्य सरकार को लिखित में दे दी हैं, लेकिन सरकार ने कुशवाह के पत्र को गंभीरता के साथ नहीं लिया जा रहा है। इन दिनों आयोग की स्थिति बद से बदत्तर हो गई है। दो माह पहले जब श्याम सुंदर शर्मा अध्यक्ष के पद से रिटायर हुए थे तब सरकार ने आयोग में कार्यवाहक अध्यक्ष भी नहीं बनाया। कहने को तो आयोग एक स्वायत्तशासी संस्था है, लेकिन आयोग के पास वित्तीय अधिकार नहीं है। ऐसे में छोटे-छोटे खर्चे के लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है। हालांकि कुछ अधिकार अध्यक्ष को दिए हैं, लेकिन अध्यक्ष के नहीं होने की वजह से टेलीफोन जैसे मामलों भी निर्णय नहीं हो रहा है। आठ लाख अभ्यर्थी द्वितीय श्रेणी अध्यापक परीक्षा के परिणाम का इंतजार कर रहे हैं जो सरकार युवाओं को रोजगार देने का दावा कर रही है उसी सरकार ने बेरोजगारों को नौकरी देने वाले संस्थान का भट्टा बैठा रखा है।
एस.पी.मित्तल) (29-11-17)
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Tuesday 28 November 2017

#3328
आखिर बुजुर्ग नागरिक एसएन गर्ग को मिला दस हजार रुपए का मुआवजा। आईएएस आरुषि मलिक ने अजमेर के कलेक्टर के पद पर रहते हुए किया था दुव्र्यवहार। गर्ग ने सीएम सहायता कोष में जमा कराई राशि।
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राजस्थान की सीनियर आईएएस डाॅ. आरुषि मलिक ने अजमेर के कलेक्टर के पद पर रहते हुए वरिष्ठ नागरिक सत्यनारायण गर्ग के साथ जो दुव्र्यवहार किया उसकी एवज में अब सरकार ने गर्ग को दस हजार रुपए का मुआवजा दिया है। अजमेर के जिला कलेक्टर गौरव गोयल ने राज्य सरकार के निर्देशों पर यह राशि गर्ग के आईसीआईसीआई बैंक खाते में जमा करवा दी है। लेकिन गर्ग ने इस प्राप्त राशि को मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा करवाने के लिए कलेक्टर गोयल को चैक सौंप दिया है। गर्ग का कहना है कि उनका मकसद आईएएस आरुषि मलिक को सबक सिखाना था, ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी किसी बुजुर्ग नागरिक के साथ दुव्र्यवहार नहीं करे। उन्होंने कहा कि दस हजार रुपए की राशि जरुरतमंदों के काम आएगी। 
यह थी शिकायतः
अजमेर के पट्टी कटला निवासी गर्ग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली को एक शिकायत की थी। इस शिकायत में कहा गया कि वे 23 अक्टूबर  2015 को भ्रष्टाचार के दो मामलों में पत्र देने के लिए कलेक्टर आरुषि मलिक से मिलने गए थे, लेकिन पहले तो कलेक्टर ने डेढ़ घंटे तक अपने दरवाजे के बाहर खड़े रखा और जब मुलाकात के लिए बुलाया तो दोनों पत्रों को फेंकते हुए बाहर चले जाने के आदेश दिए। गर्ग ने कहा कि एक आईएएस का यह कृत्य शोभनीय नहीं है। इसलिए उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष पूरे प्रकरण को रखा। आयोग ने इस संबंध में राजस्थान के मुख्य सचिव और आईएएस मलिक से भी जवाब तलब किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने आईएएस मलिक के व्यवहार को गैर जिम्मेदाराना माना। आयोग ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि बुजुर्ग नागरिक गर्ग के मौलिक अधिकारों का सम्मान करते हुए दस हजार रुपए का मुआवजा दिया जाए। इसमें कोई दो राय नहीं कि गर्ग ने अपने अधिकारों के लिए जो संघर्ष किया वह सभी के लिए प्रेरणादायक है। इस संघर्ष के लिए गर्ग को मोबाइल नम्बर 9829260826 पर बधाई दी जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (28-11-17)
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#3327
गुर्जर अफसर ने अपने ही समाज के मृत्यु भोज की जानकारी दी। अब इसे रोकने की चुनौती अजमेर प्रशासन की है। 29 नवम्बर को बलवंता गांव में होना है 52 गांवों का भोज।
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नागौर जिले के कुचामन उपखंड के एसडीएम रामसुख गुर्जर ने अजमेर के कलेक्टर गौरव गोयल और पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह चैधरी को एक पत्र. लिखकर सूचित किया है कि अजमेर के निकटवर्ती बलवंता गांव में गुर्जर समाज का मृत्यु भोज हो रहा है। विश्वस्त सूत्रों के हवाले से गुर्जर ने बताया कि 52 गांवों का यह भोज 29 नवम्बर को होगा। पत्र में कहा गया है कि मृत्यु भोज रूढ़ीवादी कलंक है और साथ ही कानूनी अपराध। गुर्जर ने अपने ही समाज के इस भोज को रोकने का आग्रह किया है। गुर्जर ने इस पत्र के बाद ही अजमेर प्रशासन को यह पता चला कि बलवंता में कोई मृत्यु भोज हो रहा है। कलेक्टर गौरव गोयल के निर्देश पर एसडीएम अंकित कुमार ने जानकारी एकत्रित की तो पता चला कि बवलंता में महाभोज की तैयारियां हो रही है। बलवंता गांव ग्राम पंचायत राता के अधीन आता है। यहां के सरपंच डाल सिंह मेघवंशी ने भी माना कि बलवंता में 29 नवम्बर को महाभोज हो रहा है। मेघवंशी ने कहा कि उन्हें गुर्जर समाज के मृत्यु भोज की कोई जानकारी नहीं है। लेकिन 29 नवम्बर को बलवंता में 52 गांवों के ग्रामीण एकत्रित होंगे। इसकी तैयारियां चल रही है। पुलिस भी अब इस महाभोज पर नजर लगाए हुए हैं। हालांकि ऐसे महाभोज ग्रामीण क्षेत्रों में होना सामान्य घटना है। सरकार और प्रशासन की लाख कोशिश के बाद भी ऐसी सामाजिक कुरीतियां नहीं रुकती है। ऐसे आयोजनों को लेकर ग्रामीण समुदाय खास कर संबंधित समाज के लोग एकजुट होते हैं। वोटो की खातिर सरपंच विधायक और सासंद भी विरोध नहीं कर पाते। उल्टे जनप्रतिनिधि ऐसे समारोह में अपनी उपस्थिति दर्जा करवाते हैं। इसलिए इस महाभोज को रोकना अब अजमेर प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है।
कानूनी अपराध है-गुर्जरः
कुचामन सिटी के दबंग एसडीएम रामसुख गुर्जर ने कहा है कि मृत्यु भोज करना कानूनी अपराध है। चूंकि मैं एक कानूनी पद पर बैठा हंू इसलिए मेरा दायित्व बनता है कि ऐसे आयोजनों पर रोक लगवाऊ। मैंने एक जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते अजमेर प्रशासन को लिखित में सूचना दी है। मैं स्वयं भले ही गुर्जर समाज से संबंध रखता हंू लेकिन ऐसे अपराधों को रोकने के लिए जिम्मेदारी मेरी भी हैं।
नागौर जिले में चर्चित है गुर्जरः
रामसुख गुर्जर कुचामन सिटी के एसडीएम हैं, लेकिन उनकी कार्यशैली की चर्चा पूरे नागौर जिले में है। अभी हाल ही में स्कूलों में मिड डे मील का आकस्मिक निरीक्षण कर गुर्जर ने जिले भर में वाहवाही ली है। गत स्वतंत्रता दिवस पर कुचामन के स्टेडियम में उपखंड स्तर पर समारोह कर गुर्जर ने सभी को आश्चर्य चकित कर दिया। पिछले कई वर्षों से यह स्टेडियम कचरा डिपो बना हुआ था। लेकिन गुर्जर ने हजारों ट्रक कचरा उठवा कर स्टेडियम को फिर से उपयोगी बना दिया। अपने कार्यालय में भी गुर्जर रोजाना लोगों की समस्याओं का समाधान करते हैं। गुर्जर भारतीय सेना से रिटायर होकर राज्य प्रशासनिक सेवा में आए हैं।
एस.पी.मित्तल) (28-11-17)
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#3326
फारुख अब्दुल्ला खुद क्यों नहीं फहराते लाल चैक पर तिरंगा? हर बार अपने ही देश को चिढ़ाने वाला बयान। हिम्मत हो तो बिना सुरक्षा के घूम कर दिखाएं श्रीनगर में।
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लम्बे अर्से तक जम्मू कश्मीर के सीएम और केन्द्र में मंत्री रहे फारुख अब्दुल्ला ने कहा है कि जो लोग पाक अधिकृत कश्मीर को अपने कब्जे में लेने की बात करते हैं वे पहले भारत के कश्मीर के श्रीनगर के ऐतिहासिक लाल चैक पर तो तिरंगा  फहरा कर दिखाएं। कश्मीर और उसका श्रीनगर व लाल चैक भारत का अभिन्न अंग है, ऐसे में वहां तिरंगा फहराया जाना चाहिए, लेकिन वर्तमान हालातों में लाल चैक पर तिरंगा फहराना कितना कठिन है, इस सच्चाई को फारुख अब्दुल्ला अच्छी तरह जानते हैं। पहले पिता शेख अब्दुल्ला फिर स्वयं फारुख अब्दुल्ला तथा अंत में पुत्र अमर अब्दुल्ला ने सीएम का पद संभाला है। अब्दुल्ला खानदान ने जिस तरह शासन किया उसी का परिणाम है कि आज लाल चैक पर तिरंगा फहराना कठिन हो गया है। इन हालातों को पैदा भी अब्दुल्ला खानदान ने ही किया है। इस खानदान के शासन में ही कश्मीर घाटी से चार लाख हिन्दुओं को पीट-पीट कर भगा दिया गया। आज जब कश्मीर  घाटी हिन्दू विहीन हो गई है, तब फारुख अब्दुल्ला लाल चैक में तिरंगा फहराने की चुनौती दे रहे हैं। फारुख खुद श्रीनगर के सांसद हैं। संसद में भारतीय संविधान की शपथ लेने वाले फारुख खुद लाल चैक पर तिरंगा नहीं फहरा सकते? इतना ही नहीं देश की जनता जो टैक्स देती है उसी से फारुख ने जेडप्लस की सुरक्षा ले रखी है। यानि इतनी सुविधा प्राप्त करने के बाद भी फारुख हर बार देश को चिढ़ाने वाला बयान देते हैं। फारुख भी अच्छी तरह जानते हैं कि हमारे सुरक्षा बल अपनी जान जोखिम में डाल कर कश्मीर को बचाए हुए हैं। फारुख अब्दुल्ला इन दिनों जिस तरह पाकिस्तान के पैरोकार बने हुए हैं उसी पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकी आए दिन हमारे कश्मीर में हिंसक वारदातें कर रहे हैं। यदि फारुख अब्दुल्ला लाल चैक में तिरंगा फहराने की चुनौती देते हैं तो उनमें हिम्मत हो तो अपने निर्वाचन क्षेत्र श्रीनगर में बिना सुरक्षा के घूमकर दिखाएं। जो सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र में बिना सुरक्षा के घूम नहीं सकता वह लाल चैक पर तिरंगा फहराने की चुनौती दे रा है। फारुख अब्दुल्ला को कुछ तो शर्म आनी चाहिए। सब जानते हैं कि फारुख अब्दुल्का अब विपक्ष में होते हैं तो इंग्लैंड में रहते हैं। कभी कभार घूमने के लिए भारत में आ जाते हैं। जब आते हैं तो अपने ही देश को चिढ़ाने वाला काम करते हैं।
एस.पी.मित्तल) (28-11-17)
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#3325
मांस तस्करी के मामले में अदालत में उपस्थित नहीं हो रहे हैं टोंक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष नवेद बर्फवाला। नगर परिषद में भाजपा को दे रखा है समर्थन। प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी के साथ फोटो।
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मांस तस्करी के आरोप में लगातार अदालत में अनुउपस्थित चल रहे टोंक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष नवेद बर्फवाला पर अब राजस्थान वक्फ बोर्ड ने भी संज्ञान लिया है। 28 नवम्बर को राजस्थान वक्फ बोर्ड के सीईओ अमानउल्ला खान ने नवेद को नोटिस जारी कर आरोपों का जवाब देने के लिए कहा है। सीईओ ने कहा है कि यदि निर्धारित अवधि में जवाब नहीं दिया तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। यानि नवेद को टोंक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष पद से भी हटाया जा सकता है। असल में सीईओ को शिकायत मिली थी कि मांस तस्करी कथित आरोप में रेवाड़ी की अदालत में जो मुकदमा चल रहा है उसमें नवेद उपस्थित नहीं हो रहे हैं। अदालत ने अब तक 17 बार नोटिस भी जारी किए हैं। इस मुकदमे की जानकारी राजस्थान वक्फ बोर्ड को भी है, लेकिन नवेद के द्वारा टोंक नगर परिषद में भाजपा को समर्थन देने की वजह से उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हो रही। 45 पार्षदों की नगर परिषद में कांग्रेस के 22 तथा भाजपा के 18 पार्षद हैं। लेकिन निर्दलीय पार्षदों के समर्थन से टोंक में भाजपा का बोर्ड बना हुआ है। नवेद बर्फवाला भी निर्दलीय पार्षद हैं। टोंक में भाजपा का बोर्ड बनवाने के एवज में ही सरकार ने नवेद को वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनवाया। नवेद समय समय पर भाजपा के समर्थन में प्रचार प्रसार करतें रहे हैं। इसलिए उनके फोटो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, मदरास बोर्ड की चेयरमैन मेहरुनिशा टांक आदि के साथ हैं। लेकिन अब नवेद के मामले ने राजनीतिक तूल पकड़ लिया है। टोंक में नवेद को लेकर अनेक चर्चाएं व्याप्त हैं।
गिरफ्तारी वारंट की जानकारी नहीं -नवेदः
वहीं दूसरी ओर टोंक वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष नवेद बर्फवाला ने कहा कि रेवाड़ी की किसी अदालत से उनके विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी होने की उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वे कभी भी मांस तस्करी में लिप्त नहीं रहे हैं। पूर्व में जो वाहन पकड़ा गया था उसे वे चार माह पहले ही बेच चुके हैं। नवेद ने आरोप लगाया कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वद्वी दुष्प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान वक्फ बोर्ड के सीईओ द्वारा नोटिस दिए जाने की भी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि मेरे प्रतिद्वंद्वी मुझे राजनीतिक नुकसान पहुंचाने के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं। आरोप लगाने वालों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की जाएगी। 
एस.पी.मित्तल) (28-11-17)
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Monday 27 November 2017

#3321
अजमेर लोकसभा उपचुनाव में राजस्थान जाट महासभा बाहरी प्रत्याशी का विरोध करेगी।
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27 नवम्बर को राजस्थान जाट महासभा के जिला अध्यक्ष विकास चौधरी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को एक पत्र लिखकर अजमेर लोकसभा के उपचुनाव में बाहरी प्रत्याशी का विरोध किया है। पत्र में चौधरी ने कहा कि मीडिया में चर्चा है कि फिल्म अभिनेता सन्नी देओल को उम्मीदवार बनाया जा रहा है। पत्र में चौधरी ने कहा कि यदि किसी बाहरी प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो भाजपा को परिणाम भुगतने के लिए तैयारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सन्नी देओल के पिता पूर्व में अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, लेकिन अब उनका अजमेर से कोई सरोकार नहीं है। चौधरी ने उम्मीद जताई कि अजमरे के आम भाजपा के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोई उम्मीदवार थोपा नहीं जाएगा। चौधरी ने बताया कि इस समय पूरे अजमेर जिले में भाजपा के प्रति सकारात्मक माहौल है। उन्होंने कहा कि अजमेर में स्वर्गीय सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा, अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी और वे स्वयं भी सक्रिय हैं। पार्टी को अजमेर के नेताओं में से ही किसी को टिकिट देना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि यदि सन्नी देओल जैसे बाहरी व्यक्ति को भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया तो विरोध किया जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (27-11-17)
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#3321
अजमेर लोकसभा उपचुनाव में राजस्थान जाट महासभा बाहरी प्रत्याशी का विरोध करेगी।
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27 नवम्बर को राजस्थान जाट महासभा के जिला अध्यक्ष विकास चौधरी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी को एक पत्र लिखकर अजमेर लोकसभा के उपचुनाव में बाहरी प्रत्याशी का विरोध किया है। पत्र में चौधरी ने कहा कि मीडिया में चर्चा है कि फिल्म अभिनेता सन्नी देओल को उम्मीदवार बनाया जा रहा है। पत्र में चौधरी ने कहा कि यदि किसी बाहरी प्रत्याशी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो भाजपा को परिणाम भुगतने के लिए तैयारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि सन्नी देओल के पिता पूर्व में अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं, लेकिन अब उनका अजमेर से कोई सरोकार नहीं है। चौधरी ने उम्मीद जताई कि अजमरे के आम भाजपा के कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए कोई उम्मीदवार थोपा नहीं जाएगा। चौधरी ने बताया कि इस समय पूरे अजमेर जिले में भाजपा के प्रति सकारात्मक माहौल है। उन्होंने कहा कि अजमेर में स्वर्गीय सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लाम्बा, अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र चौधरी और वे स्वयं भी सक्रिय हैं। पार्टी को अजमेर के नेताओं में से ही किसी को टिकिट देना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि यदि सन्नी देओल जैसे बाहरी व्यक्ति को भाजपा का उम्मीदवार बनाया गया तो विरोध किया जाएगा।
एस.पी.मित्तल) (27-11-17)
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Sunday 26 November 2017

#3318
इस बार पीएम नरेन्द्र मोदी ने मन की बात में पैगम्बर मोहम्मद साहब को भी याद किया। देशवासियों से मांगे पाॅजेटिव विचार।
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26 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रेडियों के माध्यम से एक बार फिर मन की बात की। पीएम ने इस बार पैगम्बर मोहम्मद साहब को भी याद किया। उन्होंने देशवासियों को 2 दिसम्बर को मनाए जाने वाले पैगम्बर मोहम्मद साहब के जन्म दिन ईद मिलादुन्नबी पर शुभकामनाएं भी दी। इसके साथ ही पीएम ने देशवासियों से अपील की कि वे पाॅजेटिव विचारों को उनके पास भेजे ताकि अगले मन की बात कार्यक्रम में शामिल किया जा सके। पीएम ने कहा कि इस समय पूरी दुनिया आतंकवाद से पीड़ित है और भारत पिछले चालीस वर्षों से इस पीड़ा को झेल रहा है। लेकिन अब दुनिया में माहौल बदल रहा है। लोग आतंकवाद को जवाब देने के लिए तैयार हैं। पीएम ने कहा कि देश में शांति और भाई चारा बरकरार रहना चाहिए। पीएम के 26 नवम्बर के मन की बात के कार्यक्रम को गुजरात के विधानसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। इस कार्यक्रम को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए गुजरात के पचास हजार से भी ज्यादा मतदान केन्द्रों वाले स्थानों पर कार्यक्रम का प्रसारण किया गया। केन्द्रीय और राज्य के मंत्रियों की पूरी फौज इस कार्यक्रम में शामिल हुई। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी एक स्थान पर बैठे और लोगों के बीच पीएम की बात को सुना। माना जा रहा है कि मन की बात के माध्यम से गुजरात में भाजपा ने चुनाव प्रचार भी किया। चूंकि नरेन्द्र मोदी 12 वर्ष तक गुजरात के सीएम रह चुके हैं इसलिए पूरे प्रदेश में उनकी लोकप्रियता आज भी बनी हुई है। 
एस.पी.मित्तल) (26-11-17)
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#3317
तो भारत के सिने जगत को जनभावनाओं की परवाह नहीं है। फिल्म पद्मावती के समर्थन में 15 मिनट के लिए शूटिंग बंद की।
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इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि 26 नवम्बर को भारतीय सिने जगत से जुड़े लोगों ने फिल्म पद्मावती के समर्थन में 15 मिनट तक शूटिंग के काम को बंद रखा। यानि मुम्बई सहित देश-विदेश में किसी भी निर्माता निर्देशक ने फिल्म की शूटिंग का कोई कार्य नहीं किया। यह एकजुटता फिल्म सेंसर बोर्ड पर दबाव बनाने और देश के लोगों की भावनाओं की परवाह नहीं करने के लिए दिखाई गई। सब जानते हैं कि संजय लीला भंसाली द्वारा बनाई गई फिल्म पद्मावती का इन दिनों राजस्थान सहित पूरे देश में विरोध हो रहा है। हालांकि अभी सेंसर बोर्ड ने फिल्म को मंजूरी नहीं दी है, लेकिन माना जा रहा है कि यह फिल्म राजपूत समाज सहित सम्पूर्ण हिन्दू समाज की भावनाओं के विरुद्ध है। लोगों की भावनाओं का ख्याल करते हुए ही राजस्थान सहित अनेक राज्य सरकारों ने अपने यहां फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। यदि सिने जगत के लोग अपनी किसी मांग को लेकर एकजुटता दिखाते तो कोई ऐतराज नहीं होता, लेकिन सिने जगत के लोग जनभावनाओं का मजाक उड़ाने के लिए एकजुटता दिखा रहे हैं। फिल्मों से जुड़े लोग यह अच्छी तरह समझ लें कि आम व्यक्ति ही उनके फिल्मों को बाॅक्स आॅफिस पर हिट करता है। यदि आम व्यक्ति फिल्मों को देखना बंद कर देगा तो फिल्म उद्योग का क्या होगा? जिन लोगों के दम पर निर्माता निर्देशक करोड़ों रुपए कमाते हैं उन लोगों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। यदि एक फिल्म डिब्बे में बंद रह जाएगी तो फिल्म उद्योग पर कौन सा पहाड़ टूट पडे़गा? इस उद्योग के पास तो कमाने के और भी जरिए हैं। लेकिन यदि देश के आम आदमी की भावनाएं आहत होती है तो फिल्म उद्योग को भारी पड़ेगा। जिस पद्मावती ने अपनी इज्जत के खातिर अग्निकुंड में कूद कर जान दे दी, वह पद्मावती किसी फिल्म में मनोरंजन का पात्र नहीं हो सकती है। सिने जगत यह भी समझे कि फिल्म के प्रदर्शन से कानून व्यवस्था के बिगड़ने की आशंका है, क्योंकि आंदोलन की अगुवाई करने वाली राजपूत करणी सेना ने खुले आम कहा है कि जिस सिनेमा घर में फिल्म का प्रदर्शन होगा, उसे आग के हवाले कर दिया जाएगा। फिल्म जगत को ऐसी कोई जिद नहीं करनी चाहिए जिससे देश का माहौल खराब होता हो।
एस.पी.मित्तल) (26-11-17)
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स्वामी अनादि सरस्वती ने महिला सशक्तिकरण का अपना अवार्ड पीड़ित महिलाओं को समर्पित किया।
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अजमेर स्थिति चित्ती संघान योग केन्द्र की आध्यात्मिक गुरु स्वामी अनादि सरस्वती ने महिला सशक्तिकरण पर मिले अपने अवार्ड को पीड़ित महिलाओं को समर्पित किया है। 25 नवम्बर को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित एक भव्य समारोह में स्वामी अनादि सरस्वती को महिला सशक्तिकरण अवार्ड 2017 से नवाजा गया। केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्रालय से जुड़ी संस्था प्रतिवर्ष स्त्री उत्पीड़न के खिलाफ महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली महिलाओं और संस्थाओं को सम्मानित करती है। इस बार चुनिंदा महिलाओं में अजमेर की स्वामी अनादि सरस्वती भी शामिल रही। समारोह में भाजपा के सांसद उदित राज, पूर्व केन्द्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, केन्द्रीय मंत्री आदि भी उपस्थित थे। अनादि सरस्वती ने अवार्ड मिलने पर कहा कि आज भी समाज में अनेक महिलाएं हैं जो किसी न किसी कारण से पीड़ित हैं। यह अवार्ड उन्हीं महिलाओं को समर्पित कर रही हंू ताकि उन्हें विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला करने की प्रेरणा मिल सके। उन्होंने कहा कि पुरुष प्रधान समाज में किसी महिला को अपना स्थान बनाने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। लेकिन महिलाओं को कभी भी संघर्ष से नहीं घबराना चाहिए। उन्होंने कहा कि योग के माध्यम से किसी भी संघर्ष से पार पाया जा सकता है। उनका संस्थान इस संबंध में समाज में खासकर महिलाओं के बीच महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। स्वामी अनादि सरस्वती को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलने के लिए मोबाइल नम्बर 9829071877 पर शुभकामनाएं दी जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (26-11-17)
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Saturday 25 November 2017

#3314
अलगाववादियों के हिमायती बताएं शोपिया में अपने घर आए जवान इरफान अहमद की हत्या क्यों की गई? क्या किसी कश्मीरी का देश की हिफाजत करना गुनाह है?
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25 नवम्बर को कश्मीर में शोपियां में भारतीय सेना के जवान इरफान अहमद डार का शव बरामद किया गया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार इरफान उत्तरी कश्मीर के बांडीपोरा जिले में नियंत्रण रेखा के पास गुरेज सेक्टर में तैनात था, लेकिन इन दिनों छुट्टियां बिताने के लिए अपने घर आया था। एक दिन पहले ही इरफान का अपहरण हुआ और आज तड़के उसका शव बरामद किया गया। माना जा रहा है कि भारतीय सेना में काम करने की वजह से ही आतंकवादियों ने इरफान की हत्या की है। इस हत्या का जवाब अब कश्मीर के अलगाववादियों के हिमायतियों को देना चाहिए। अनेक मौकों पर राजनेता, लेखक, प्रगतिशील विचारक आदि अलगाववादियों की हिमायत में आकर खड़े हो जाते हैं। ऐसे हिमायती यह बताएं कि क्या कोई कश्मीरी देश की हिफाजत का काम नहीं कर सकता है? जो लोग दिल्ली में बैठ कर अलगाववादियों की हिमायत करते हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि कश्मीर में सेना के जवान भी अपना बलिदान देकर दिल्ली की सुरक्षा कर रहे हैं। आज कश्मीर में राजस्थान से लेकर असम और तमिलनाडु से लेकर दिल्ली के युवा सैनिक के तौर पर तैनात हैं। किसी भी प्रांत के सैनिक ने कभी भी कश्मीरियों की सुरक्षा से इंकार नहीं किया। उल्टे कश्मीरियों के विरोध के बाद भी हमारे जवान तैनात रहते हैं। कई बार तो एक तरफ से आतंकवादियों की गोलियां और दूसरी तरफ से अलगाववादियों के पत्थर खाने पड़ते हैं। कल्पना की जा सकती है कि तब हमारे सैनिकों के मन की स्थिति कैसी होती होगी? जिन कश्मीरियों की सुरक्षा के लिए आतंकियों की गोलियां खानी पड़ रही है वे ही पत्थर फेंक रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी अलगाववादियों की हिमायत की जाती है। ऐसे हिमायतियों को अब कम से कम इरफान की हत्या की निंदा तो करनी ही चाहिए। हिमायती यह भी बताएं कि इरफान के हत्यारों के साथ क्या किया जाए? इससे पहले भी आतंकियों ने सुरक्षा बल में कार्यरत अधिकारियों की हत्या की है। भारतीय सेना के जवान इरफान की हत्या के बाद कश्मीर के उन अधिकारियों की सुरक्षा को भी खतरा हो गया है जो राजस्थान सहित अन्य राज्यों से नियुक्त हंैं।
एस.पी.मित्तल) (25-11-17)
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#3313
नाहरगढ़ किले का मामला आपराधिक है। असल में पुलिस का सूचना तंत्र पूरी तरह फेल हो गया है। 22 पत्थरों पर लिखे की भनक तक नहीं लगी।
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जयपुर के ऐतिहासिक नाहरगढ़ किले की दीवार पर लटके मिले चेतन सैनी के शव की चर्चा इस समय पूरे देश में हो रही है। कुछ लोग इसे साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश भी कर रहे हैं। लेकिन सही में यह घटना एक आपराधिक घटना है। इसे फिल्म पद्मावती के विवाद से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। 25 नवम्बर को चेतन सैनी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि मौत दम घुटने से हुई है। चेतन सैनी के परिजनों ने भी हत्या की आशंका जताई है। ऐसे में पुलिस को आपराधिक घटना मानकर जांच करनी चाहिए। लेकिन इतना जरूर है कि अब पुलिस का सूचना तंत्र पूरी तरह फेल हो चुका है। यूं कहने को तो राजस्थान पुलिस में गुप्तचार शाखा भी बनी हुई है, लेकिन यह शाखा कैसे काम करती है सब को पता है। नाहरगढ़ का किला जयपुर शहर की सीमा में ही आता है। 22 पत्थरों पर लिखने का मतलब कोई व्यक्ति घंटों तक यह कृत्य करता रहा। चेतन सैनी ने भी इसी किले पर खड़े होकर अपनी सेल्फी भी ली। यानि इस पूरे घटनाक्रम में एक से अधिक लोग शामिल थे और उन्हें लम्बा वक्ता भी लगा। यदि पुलिस का सूचना तंत्र मजबूत होता तो कोई न कोई व्यक्ति पुलिस को सूचना दे देता। लेकिन अब तो गुप्तचर शाखा में तैनात अधिकारियों की रुचि भी अपने मुखबीर बनाने में नहीं होती है। पुलिस के अधिकारी और कर्मचारी कथित तौर पर भ्रष्टाचार में लगे रहते हैं। थानों पर तो जांच और सूचना एकत्रित करने का काम खत्म सा हो गया है, क्योंकि थाने पर तैनात पुलिस कार्मिक या तो वीआईपी ड्यूटी में या फिर चैराहे पर खड़ा होकर वसूली में लगा रहता है। यह माना कि अब पुलिस से ज्यादा साधन और तकनीक अपराधियों के पास हो गए हैं, लेकिन यदि पुलिस का सूचना तंत्र मजबूत हो तो ऐसे अपराधों पर काबू पाया जा सकता है। चेतन सैनी के किले की दीवार पर लटकने से जयपुर पुलिस की सक्रियता पर भी सवाल उठता है। जयपुर में आए दिन आपराधिक घटनाएं हो रही हैं। लेकिन उन पर कोई अंकुश नहीं लग रहा। जयपुर ही नहीं बल्कि राजस्थान भर में आपराधिक घटनाओं की संख्याएं लगातार बढ़ रही है। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का बार-बार यह कहना होता है कि मैं हर स्थान पर पुलिस वाले को तैनात नहीं कर सकता हंू। यह बात कटारिया की काफी हद तक सही भी है, क्योंकि आबादी के लिहाज से राजस्थान पुलिस में कार्मिकों की संख्या बहुत कम है। लेकिन यदि कटारिया पुलिस के सूचना तंत्र को मजबूत करें तो नाहरगढ़ के किले जैसी घटनाओं पर रोक लगाई जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (25-11-17)
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#3312
अब ममता बनर्जी ने दिया फिल्म पद्मावती पर चिढ़ाने वाला बयान।
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पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी ने घोषणा की है कि फिल्म पद्मावती के प्रदर्शन के समय पश्चिम बंगाल के सिनेमा घरों को पूर्ण सुरक्षा दी जाएगी। इतना ही नहीं बनर्जी ने फिल्म के निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली को भी अपने रज्य में फिल्म चलाने के लिए आमंत्रित किया है। बनर्जी के बयान से साफ जाहिर है कि वे सम्पूर्ण हिन्दू समाज को चिढ़ा रही हैं। जब पूरे देश में पद्मावती फिल्म का विरोध हो रहा है, तब एक चुने हुए जनप्रतिनिधि को ऐसा बयान नहीं देना चाहिए। भले ही बंगाल में राजपूत समाज की संख्या कम हो, लेकिन ममता को यह तो पता ही है कि राजस्थान सहित देशभर में राजपूतों ने फिल्म के प्रदर्शन को अपने सम्मान से जोड़ रखा है। वैसे भी ममता बनर्जी एक जुझारू नेत्री हैं और बंगाल में 25 वर्षों के वामपंथी शासन को उखाड़ कर सीएम बनी हैं। ममता ने संघर्ष के दिनों में कई बार वामपंथियों से अपमान भी सहा है। यहां तक कि उनकी हत्या की भी कोशिश की गई। ऐसी जुझारू महिला यदि वीरांगना पद्मावती को लेकर जनभावना के विरुद्ध कोई बयान दे तो आश्चर्य होता है। ममता को यह समझना चाहिए कि चित्तौड़ की रानी पद्मावती कोई फिल्म की पात्र नहीं हो सकती, क्योंकि पद्मावती ने एक आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी और उसकी अत्याचारी सेना से बचने के लिए पद्मावती ने 16 हजार स्त्रियों के साथ अग्निकुंड में कूद कर जान दे दी। क्या ऐसी वीर महिला किसी फिल्म में मनोरंजन का साधन हो सकती है? संजय लीला भंसाली तो पैसा कमाने के लिए फिल्म के प्रदर्शन पर उतारू हैं। भले ही इस फिल्म को भारतीय सेंसर बोर्ड ने अनुमति न दी हो, लेकिन ब्रिटेन में अनुमति लेकर फिल्म प्रदर्शन की कोशश जारी है। जिस भंसाली को अपने देश के कानून की परवाह नहीं है, उसकी मानसिकता कैसी होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। ममता बनर्जी का बयान भी ऐसे समय आया है, अब अभी सेंसर बोर्ड ने फिल्म को अनुमति नहीं दी है। जब फिल्म को अनुमति ही नहीं मिली है तो फिर भंसाली को पश्चिम बंगाल आने का निमंत्रण क्यों दिया जा रहा है? क्या ममता बनर्जी सिर्फ जनभावनाओं को चिढ़ाने वाला काम कर रही हैं? ममता बनर्जी को यह गलतफहमी है कि फिल्म पद्मावती को देखने से बंगाल के मुसलमान खुश हो जाएंगे। ममता को यह पता होना चाहिए कि अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान और मुस्लिम धर्मगुरु जैनुल आबेदीन ने एक बयान जारी कर इस फिल्म का विरोध किया है। दीवान आबेदीन ने मुसलमानों को भी आव्हान किया है कि वे राजपूत समाज से जुड़ कर फिल्म का विरोध करें।
एस.पी.मित्तल) (25-11-17)
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Friday 24 November 2017

#3311
तो क्या अजमेर के व्यापारियों के साथ हथियार सप्लायर उस्मान और जुबेर ने धोखाधड़ी की? एटीएस की पूछताछ में व्यापारियों ने स्वयं को निर्दोष बताया।
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जम्मू-कश्मीर के फर्जी लाइसेंस के आधार पर हथियार खरीदने के प्रकरण में राजस्थान की एटीएस ने अब तक अजमेर के कई प्रमुख व्यापारियों को गिरफ्तार किया है। एटीएस का आरोप है कि इन व्यापारियों ने अजमेर के हथयारों के कारोबारी उस्मान और उसके पुत्र जुबेर से जम्मू-कश्मीर में बने फर्जी लाइसेंस के आधार पर हथियार खरीदे हैं। इन व्यापारियों ने अपने दस्तावेज देकर जम्मू-कश्मीर से लाइसेंस बनवाए। एटीएस के अफसरों का मानना है कि उस्मान और जुबेर से डील करते हुए इन व्यापारियों को फर्जीवाड़े के बारे में पता था। वहीं वयापारियों का कहना रहा कि उस्मान और जुबेर ने उनके साथ धोखा किया है। पीड़ित व्यापारियों का माल और माजना (इज्जत) दोनों गए हैं। अजमेर के बिल्डर राजीव मालू ने भी पूछताछ में बताया कि एक रिवाल्वर के लिए जुबेर को चार लाख रुपए दिए थे, तब जुबेर ने कहा था कि अजमेर के जिला मजिस्ट्रेट का लाइसेंस दिलवा देगा, लेकिन रिवाल्वर देते समय जुबेर ने जम्मू-कश्मीर में बना लाइसेंस दे दिया। जुबेर ने जम्मू-कश्मीर में उसके नाम का लाइसेंस कैसे बनवाया, जिसकी जानकारी उसे नहीं है। उसने लाइसेंस के लिए कोई दस्तावेज भी जुबेर को नहीं दिए थे। जुबेर से तब भी साफ-साफ कहा गया कि अजमेर का लाइसेंस चाहिए। जुबेर ने भरोसा दिलाया था कि वह जम्मू-कश्मीर के लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन अजमेर में करवा देगा। मालू ने एटीएस को बताया कि जम्मू-कश्मीर वाला लाइसेंस भी जुबेर को लौटा दिया था तथा चार लाख रुपए में खरीदा रिवाल्वर भी पूर्ण ईमानदारी के साथ संबंधित पुलिस स्टेशन पर जमा करवा दिया। मालू का कहना रहा कि धोखाधड़ी तो हमारे साथ हुई है। हमारा तो इतना ही कसरू है कि हमने जुबेर जैसे चालक व्यक्ति से हथियार खरीदा। पूछताछ के बाद मालू को जमानत पर छोड़ दिया गया। हालांकि एटीएस का मानना है कि व्यापारियों को उस्मान और जुबेर की गतिविधियों के बारे में सब पता था, लेकिन हथियार रखने के शौक की वजह से जुबेर से डील की। अब जांच पड़ताल में वह भी यह पता चल रहा है कि उस्मान और जुबेर के तार कश्मीर के आतंकवादियों से भी जुड़े हुए हैं। एटीएस यह भी पता लगा रही है कि जुबेर ने कश्मीर में किन सरकारी कर्मचारियों एवं अधिकारियों की मिली भगत से लाइसेंस बनवाए। अभी अजमेर के अनेक व्यापारी एटीएस के निशाने पर हैं।
एस.पी.मित्तल) (24-11-17)
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#3310
जयपुर में जस्टिस माहेश्वरी ने राजस्थान पुलिस को लगाई लताड़ तो जोधपुर में जस्टिस लोढ़ा ने काले कानून पर सरकार की आपत्ति को खारिज किया।
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24 नवम्बर को राजस्थान हाईकोर्ट में सरकार और पुलिस के लिए सकंट का दिन रहा। हाईकोर्ट की जयपुर खंडपीठ के जस्टिस महेन्द्र माहेश्वरी ने सिरसा स्थित रामरहीम के डेरे से जयपुर की एक महिला के गायब हो जाने के मामले में राजस्थान पुलिस को जमकर लताड़ लगाई। जस्टिस माहेश्वरी ने यहां तक कहा कि क्या अब पुलिस को जांच करने का काम भी सिखाना पड़ेगा? कोर्ट ने इस बात पर अफसोस जताया कि सिरसा स्थित रामरहीम के डेेरे से महिला के गायब होने पर राजस्थान पुलिस ने गंभीरता के साथ जांच नहीं की है। जब पुलिस के पास महिला के पति का बयान और सबूत हैं कि महिला डेरे में ही गई थी और उसके बाद आज तक भी नहीं लौटी है। ऐसे में पुलिस को डेरे के अधिकारियों से सम्पर्क कर लापता महिला का पता लगाना चाहिए। जस्टिस माहेश्वरी ने कहा कि यदि पुलिस ने सही तरीके से काम नहीं किया तो संबंधित अधिकारी को नौकरी से भी हटाया जा सकता है। इस मामले में आगामी सात दिसम्बर को फिर सुनवाई होगी। जस्टिस माहेश्वरी का कहना रहा कि अगली सुनवाई पर पुलिस विस्तृत जांच पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें नहीं तो कोर्ट को सख्त निर्णय देना पड़ेगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि जयपुर के कमलेश नामक व्यक्ति ने जवाहर नगर पुलिस स्टेशन पर उसकी पत्नी के गायब होने की शिकायत दी है। पति का कहना है कि वह स्वयं अपनी पत्नी को सिरसा स्थित राम रहीम के डेरे में छोड़कर आया था, लेकिन इसके बाद से उसकी पत्नी लौटी नहीं है। पति को अपनी पत्नी की हत्या की आशंका भी है।
जोधपुर में भी नाराजगीः
हाईकोर्ट की जोधपुर खंडपीठ में भी 24 नवम्बर को सरकार को नाराजगी का सामना करना पड़ा। हुआ यूं कि सीआरपीसी में संशोधन के मामले में एक जनहित याचिका पर जस्टिस संगीतराज लोढ़ा सुनवाई कर रहे थे कि तभी अतिरिक्त महाधिवक्ता का कहना रहा कि इससे याचिकाकर्ता का कोई हित प्रभावित नहीं हो रहा है, इसलिए यचिका को खारिज कर दिया जाए। इस पर जस्टिस लोढ़ा ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि यह जनहित का मामला है और इससे पूरा प्रदेश प्रभावित है। सरकार की ओर से इस तरह की आपत्तियां शोभा नहीं देती हैं। इसी दौरान याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट नीलकमल बोहरा ने कहा कि सीआरपीसी में संशोधन के बिल से न्यायिक कार्य में तो हस्तक्षेप होगा ही, साथ ही प्रेस की आजादी भी खतरे में पड़ जाएगी। सरकार को इस काले कानून को रद्द किया जाना चाहिए। अब इस मामले में 28 नवम्बर को सुनवाई होगी।
एस.पी.मित्तल) (24-11-17)
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#3309
अजमेर के जनसंवाद में मिली शिकायतों के निराकरण को लेकर सीएम राजे बेहद गंभीर। प्रमुख शासन सचिवों, कलेक्टर, विधायकों और भाजपा के पदाधिकारियों के साथ की बैठक।
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सीएम वसुंधरा राजे ने अजमेर में होने वाले लोकसभा उपचुनाव के मद्देनजर पिछले दिनों जिले के सात विधानसभा क्षेत्रों में जो जनसंवाद किया उसमें मिली शिकायतों के निराकरण को लेकर 23 नवम्बर को जयपुर में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। इस बैठक में प्रमुख विभागों के शासन सचिव, विधानसभा क्षेत्रों के प्रभारी मंत्री, अजमेर के विधायक, कलेक्टर गौरव गोयल, देहात एवं शहर भाजपा के जिला अध्यक्ष उपस्थित रहे। सीएम राजे ने बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा कि जनसंवाद में प्राप्त शिकायतों का निराकरण पूरी तरह होना चाहिए। बैठक में कलेक्टर गौरव गोयल ने बताया अब तक कितनी शिकायतों का निपटारा कर दिया गया है तथा कितनी शिकायतें लम्बित हैं। कलेक्टर ने सीएम को विधानसभा वार जानकारी दी। सीएम की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि बैठक में प्रमुख शासन सचिव भी उपस्थित रहे। सीएम ने कलेक्टर गोयल से कहा कि उन्हें राज्य सरकार के स्तर पर जिन समस्याओं का समाधान करवाना है उन्हें अभी बता दिया जावे। ऐसा न हो कि कलेक्टर जयपुर में पत्र ही लिखते रहे। उन्होंने कहा कि लोगों ने बड़ी उम्मीद के साथ शिकायतें दी है ऐसे में सभी शिकायतों का समाधान होना चाहिए। बैठक में विधायक वासुदेव देवनानी, श्रीमती अनिता भदेल, शत्रुघ्न गौतम, सुरेश सिंह रावत, भागीरथ चैधरी आदि ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों की शिकायतों का फीडबैक भी लिया। सीएम ने विधायकों से कहा कि वे भी शिकायतों के समाधान में सहयोग करें तथा निगरानी भी रखें। सीएम ने इस बात पर संतोष जताया कि कलेक्टर गोयल ने शिकायतों के निराकरण के लिए जो विस्तृत ब्यौरा तैयार किया है। उन्होंने कलेक्टर के काम काज की प्रशंसा भी की। 
एस.पी.मित्तल) (24-11-17)
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Wednesday 22 November 2017

#3303
जब राजस्थान में ही गुर्जर को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण नहीं मिल सका तो गुजरात में कांग्रेस पाटीदारों को कैसे दिलवा देगी। वायदे के बाद हार्दिक पटेल ने दिया कांग्रेस को समर्थन।
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22 नवम्बर को हार्दिक पटेल ने गुजरात चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा की है। पिछले एक वर्ष से गुजरात के पाटीदार समुदाय को आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए आंदोलन कर रहे हार्दिक पटेल ने कहा कि कांग्रेस ने वायदा किया है कि गुजरात में सरकार बनते ही विधानसभा में प्रस्ताव लाकर पाटीदारों को आरक्षण का लाभ दे दिया जाएगा। कांग्रेस के इस वायदे पर ही पाटीदार समुदाय भाजपा को हराने और कांग्रेस को जिताने का काम करेगा। मेरा मकसद सिर्फ पाटीदारों को आरक्षण का लाभ दिलवाना है। इसलिए मैंने चुनाव में कांग्रेस से सीटों की कोई सौदेबाजी नहीं की। अब जब कांग्रेस के वायदे पर हार्दिक पटेल ने समर्थन की घोषणा कर दी है तब यह सवाल उठा है कि जो कांग्रेस राजस्थान में गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत का विशेष आरक्षण नहीं दिवा सकी वह गुजरात में पाटीदारों को आरक्षण का लाभ कैसे दिलवाएगी। गुजरात में भी राजस्थान की तरह 50 प्रतिशत आरक्षण विभिन्न जातियों को दिया जा चुका है। पार्टियों ने राजनीतिक स्वार्थ के जब-जब भी आरक्षण की सीमा को बढ़ाया तब तब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के शासन में तीन बार गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण देने का बिल विधानसभा में पास किया गया, लेकिन तीनों ही बार सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे बिल को अवैध घोषित कर दिया। गुर्जरों ने भी राजस्थान में संघर्ष किया है। लेकिन अभी तक भी सफलता नहीं मिली है। अब देखना है कि जो कांग्रेस राजस्थान में गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण नहीं दिलवा सकी, वह गुजरात में पाटीदारों को गुजरात में कैसे दिलाएगी? कांग्रेस को यह अच्छी तरह पता है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता। हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल ऐसी कोई धारा बता रहे है जिसके अंतर्गत पचास प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया जा सकता है। अच्छा हो कि कांग्रेस सिब्बल की इस धारा के अनुरूप पहले राजस्थान में गुर्जरों को लाभ दिलवाए। इस पर भाजपा को भी कोई एतराज नहीं है।
एस.पी.मित्तल) (22-11-17)
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#3301
अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी अब विधानसभा स्तर पर दिखा रहे हैं राजनीतिक ताकत। डेयरी बोनस और लाभांश वितरण समारोह में उमड़े ग्रामीण।
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22 नवम्बर को अजमेर जिले के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के गांव प्रान्हेड़ा में निकटवर्ती चार दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियांे के सदस्यों का बोनस और लाभांश वितरण का समारोह हुआ। समारोह में केकड़ी के विधायक व संसदीय सचिव शत्रुघ्न गौतम मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे, जबकि अध्यक्षता डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी ने की। समारोह में अजमेर सेंट्रल को-आॅपरेटिव बैंक के अध्यक्ष मदन गोपाल च ौधरी, पंचायत समिति की प्रधान श्रीमती पूजा सैनी तथा डेयरी के एमडी गुलाब भाटिया विशिष्ट अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। समारोह में रणजीतपुरा दुग्ध उत्पादक समिति के अध्यक्ष किशनलाल चैधरी, सचिव शिवराज च ौधरी, अरांई के अध्यक्ष छोटूलाल शर्मा, सचिव घनश्याम शर्मा, फारकिया के अध्यक्ष चन्द्रप्रकाश च ौधरी, सचिव भंवरलाल जाट तथा बोगला समिति के अध्यक्ष आजाद च ौधरी व सचिव बद्रीलाल का साफा पहनाकर सम्मान किया गया। डाॅ. पप्पू सिंह भींचर, श्रीमती मोहसिन बानो, गीता च ौधरी, राजेन्द्र च ौधरी, रामदेव माली, राजवीर हावा, इन्द्र नारायण गुर्जर, नूतन चोटिया, रामस्वरूप गुर्जर, हेमराज गुर्जर, छोगालाल गणेश शर्मा, सूरजमल बैरवा, रामप्रसाद बैरवा, श्रीमती गीता च ौधरी, लादूराम च ौधरी, अशोक महला, एडवोकेट निरंजन च ौधरी आदि का भी सम्मान किया गया। इस समारोह में बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे। डेयरी के एमडी गुलाब भाटिया और पशुपालन के विशेषज्ञों ने सरकार की विभिन्न योजनाओं तथा पशुओं के रख रखाव की महत्वपूर्ण जानकारी दी। हालांकि समारोह का मकसद बोनस और लाभांश वितरण का था, लेकिन सभी वक्ताओं ने डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी की कार्यशैली की जमकर प्रशंसा की। वक्ताओं का कहना रहा कि पशुपालकों के लिए च ौधरी एक मसीहा हैं। यही वजह है कि अजमेर डेयरी आज देश में पहले नम्बर पर खड़ी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि च ौधरी ने 20 वर्षों के अपने अध्यक्ष के कार्यकाल में अजमेर के पशुपालकों के लिए अनेक कार्य किए हैं। हाल ही में केन्द्र सरकार से जो ढाई सौ करोड़ रुपए प्रोजेक्ट मंजूर करवाया है उसमें 50 करोड़ रुपए की सब्सिडी हैं। इस प्रोजेक्ट में डेयरी परिसर में बनने वाले नए प्लांट का शिलान्यास गत दिनों सीएम वसुंधरा राजे से करवाया गया था। तब भी च ौधरी ने अजमेर का पटेल मैदान भर दिया था। अब च ौधरी अजमेर जिले में विधानसभा स्तर पर अपनी राजनीतिक ताकत दिखा रहे हैं। च ौधरी इससे पहले किशनगढ़, मसूदा और पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में भी ऐसे आयोजन कर चुके हैं। इस सभी आयोजनों में क्षेत्रीय भाजपा विधायक को ही मुख्य अतिथि बनाया गया। विधायकों का भी मानना रहा कि डेयरी के माध्यम से उनके क्षेत्र के पशुपालकों को आर्थिक समृद्धि मिली है।
उपचुनाव में है दावेदारः
अजमेर में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव में डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र  च ौधरी भाजपा की ओर से प्रबल दावेदार है। माना जा रहा है कि पटेल मैदान से लेकर 22 नवम्बर तक के आयोजन उपचुनाव के मद्देनजर ही किए गए हैं। इन आयोजनों के माध्यम से च ौधरी ने अपनी राजनीतिक शक्ति का प्रदर्शन किया है। हाईकमान अब किसी को भी उम्मीदवार बनाए, लेकिन च ौधरी ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करवा दी है। भाजपा के बड़े नेता भी च ौधरी की कार्यशैली से प्रभावित है।
एस.पी.मित्तल) (22-11-17)
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Monday 20 November 2017

#3295
आखिर कांग्रेस का कौन नेता खड़ा होगा राहुल गांधी के सामने। तो गुजरात चुनाव से पहले ही अध्यक्ष बन जाएंगे।
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20 नवम्बर को दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई। इस बैठक में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव का कार्यक्रम निर्धारित किया गया। सब जानते हैं कि सोनिया गांधी के बाद उनके पुत्र राहुल गांधी ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर राहुल गांधी के सामने कौनसा नेता उम्मीदवारी जता सकता है? साफ जाहिर है कि कांग्रेस के किसी भी नेता में इतनी हिम्मत नहीं कि वे राहुल गांधी की उम्मीदवारी को चुनौती दे सके। इसीलिए यह माना जा रहा है कि 4 दिसम्बर को जब नामांकन की अंतिम तिथि होगी, तभी राहुल गांधी के नाम पर मोहर लग जाएगी। राहुल गांधी अपनी सुविधा के अनुसार 1 से लेकर 4 दिसम्बर तक के बीच नामांकन दाखिल कर सकते हैं। हालांकि घोषित कार्यक्रम के अनुसार 16 दिसम्बर को मतदान और 19 दिसम्बर को मतगणना निर्धारित की गई है। लेकिन जब 4 दिसम्बर तक कोई दूसरा नेता नामांकन दाखिल ही नहीं करेगा तो फिर गुजरात चुनाव से पहले ही राहुल गांधी की ताजपोशी हो जाएगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि गुजरात में प्रथम चरण का मतदान 9 दिसम्बर को होगा। दूसरे चरण में 14 दिसम्बर को मतदान तथा 18 दिसम्बर को मतगणना होगी। यानि हिमाचल और गुजरात के चुनाव परिणाम कुछ भी रहे, लेकिन इससे पहले ही राहुल गांधी  कांग्रेस के अध्यक्ष बन जाएंगे।
एस.पी.मित्तल) (20-11-17)
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#3296
पद्मावती फिल्म पर रोक लगाने के मामले में एमपी, पंजाब और जम्मू-कश्मीर भी राजस्थान से आगे निकल गए। शिवराज सिंह ने तो पद्मावती को राष्ट्रमाता बताया। आखिर राजस्थान में कब लगेगी रोक?
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सब जानते हैं कि फिल्म पद्मावती का विरोध सबसे ज्यादा राजस्थान में ही हो रहा है। और यहां की सीएम वसुंधरा राजे एमपी के ग्वालियर घराने के साथ-साथ राजस्थान के धौलपुर घराने से भी जुड़ी हुई हंै, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि राजस्थान सरकार ने अभी तक भी इस विवादित फिल्म पर रोक लगाने की घोषणा नहीं की है। जबकि 20 नवम्बर को कांग्रेस शासित पंजाब, भाजपा व पीडीपी शासित जम्मू-कश्मीर तथा पड़ौसी राज्य मध्यप्रदेश ने फिल्म के प्रदर्शन रोक लगा दी है। यानि संजय लीला भंसाली जब भी अपनी यह फिल्म रिलीज करेंगे तो इन तीनों राज्यों के सिनेमाघरों में फिल्म नहीं चलेगी। पंजाब के कांग्रेसी सीएम कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कहा कि यह फिल्म आम लोगों की भावनाओं के खिलाफ है। इसलिए इसे पंजाब में नहीं चलने दिया जाएगा। शिवराज सिंह चैहान ने तो फिल्म पर रोक लगाते हुए रानी पद्मावती को राष्ट्रमाता बताया। उन्होंने कहा कि मैं एक देशभक्त हंू तो अपनी राष्ट्रमाता का अपमान कैसे होने दूंगा। अब सवाल उठता है कि जब देश के तीन राज्यों ने इस विवादित फिल्म पर रोक लगा दी है तो ऐसी रोक राजस्थान में कब लगेगी? सब जानते हैं कि इस फिल्म का विरोध भी सबसे पहले राजस्थान से ही शुरू हुआ था। सरकार में बैठे लोगों को अच्छी तरह पता है कि राजपूत समाज में कितना गुस्सा है। इस गुस्से की वजह से निर्माता-निर्देशक संजय लीला भंसाली जयपुर में बुरी तरह पिट भी चुके हैं। राजस्थान में जगह-जगह धरना प्रदर्शन बंद हो रहे हैं। कानून व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ने लगी हैं, लेकिन सरकार ने रोेक की घोषणा अभी तक भी नहीं की है। राज्य सरकार ने अभी सिर्फ केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखने का कार्य किया हैं, जबकि पंजाब, जम्मू-कश्मीर और एमपी ने तो पत्र लिखे बगैर ही फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी। इससे किसी घटना पर सरकारों की गंभीरता का भी पता चलता है। राजस्थान में करणी सेना से जुड़े नेता ही देशभर में आंदोलन खड़ा कर रहे हैं। 20 नवम्बर को भी मुम्बई में लोकेन्द्र सिंह कालवी की अगुवाई में प्रदर्शन हुआ।
एस.पी.मित्तल) (20-11-17)
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#3294
जावेद अख्तर का बयान राजपूत समाज को चिढ़ाने और अपमानित करने वाला है। अंग्रेजों ने मुगलों से ही छीनी थी हुकूमत और कई नवाब भी रहे गुलाम।
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अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब यह नहीं कि आप किसी भी समाज के लिए कुछ भी बोल दें। 19 नवम्बर को एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में पूर्व सांसद और फिल्म लेखक जावेद अख्तर ने फिल्म पद्मावती को लेकर जो जहरीला बयान दिया है वह राजपूत समाज को चिढ़ाने और अपमानित करने वाला ही है। जावेद ने कहा कि जिन राजपूत घरानों ने अंगे्रजों की गुलामी स्वीकार की वे पद्मावती के लिए क्या लड़ेंगे? यदि हिम्मत होती तो ऐसे लोग अंग्रेजों से लड़ते? पद्मावती फिल्म के खिलाफ कौन आंदोलन चला रहा है, इसकी बात तो बाद में, लेकिन पहले जावेद को यह समझना चाहिए कि अंग्रेेजों ने भारत में हुकूमत किसी हिन्दू राजा से नहीं बल्कि मुगल शासकों से छीनी थी। जब मुगल शासकों ने अंग्रेजों के सामने घुटने टेक दिए तो पहले से ही गुलाम घराने कैसे  विरोध करते। फिर इतिहास गवाह है कि अंग्रेजों से किस प्रकार हमारे क्रांतिकारियों ने लोहा लिया। यह सही है कि आजादी के आंदोलन में मुसलमानों का भी साथ मिला। लेकिन अब जावेद अख्तर जो एक तरफा जहरीला बयान दे रहे है वे किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। इससे जावेद की मानसिकता भी छलकती है। जावेद पहले भी ऐसे बयान दे चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब वे किसी फिल्म की कहानी लिखते होंगे तो वह फिल्म कैसी होगी। शायद इसी मानसिकता के चलते जावेद फिल्म पद्मावती का समर्थन कर रहे हैं। जावेद को यह समझना चाहिए कि पद्मावती फिल्म के खिलाफ राजपूत घराने नहीं, बल्कि राजपूत समाज के साथ सर्व समाज शामिल हैं। इतना ही नहीं सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के दीवान और मुस्लिम धर्मगुरु जैनुल आबेदीन ने भी फिल्म पद्मावती का विरोध किया। दीवान आबेदीन ने भी मुसलमानों से भी विरोध करने की अपील की है। जब फिल्म का विरोध सर्वसमाज का रहा हो, तब सिर्फ राजपूत घरानों को लेकर पूरे आंदेालन को निशाना बनाना पूरी तरह गलत हैं। अच्छा होता कि जावेद अख्तर पहले आंदोलन की हकीकत समझ लेते। बल्कि राजस्थान में आम राजपूत के मन में यह पीड़ा है कि पूर्व राजघराने पूरी ताकत के साथ सहयोग नहीं कर रहे हैं। आज भी ऐसे घरानों को अपनी अकूत सम्पत्तियों की चिंता है। वैसे भी जब कभी कोई आंदोलन होता है तो गरीब और आम व्यक्ति ही ताकत दिखाता है। आवेद अख्तर और संजय लीला भंसाली जैसे निर्माता-निर्देशक यह अच्छी तरह समझ लें कि पद्मावती जैसी वीर और स्वाभिमानी महिला किसी फिल्म में मनोरंजन का पात्र नहीं हो सकती? जिस पद्मावती ने अलाउद्दीन खिलजी से अपनी इज्जत बचाने के लिए अग्निकुंड में कूद कर जान दे दी हो, उस बलिदानी महिला पर जावेद और भंसाली जैसे व्यक्तियों को तो बात करने तक का अधिकार नहीं है। कोई कल्पना कर सकता है कि चित्तौड की 16 हजार स्त्रियों के साथ जौहर हुआ हो। ऐसे बलिदान और वीरता का हर देशभक्त कायल है, लेकिन जावेद और भंसाली को तो अपने ही देश को बदनाम और लांछित करने में मजा आ रहा है। शर्मनाक बात तो यह है कि ऐसे लोग अभिव्यक्ति की आजादी के पैरोकार बने हुए हैं।
एस.पी.मित्तल) (20-11-17)
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#3293
अयोध्या में श्रद्धा का मंदिर और लखनऊ में अमन की मस्जिद के प्रस्ताव पर क्या मुसलमानों में सहमति हो जाएगी? 5 दिसम्बर से सुनवाई होनी है सुप्रीम कोर्ट में।
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20 नवम्बर को उत्तर प्रदेश के शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामे के साथ बीस पृष्ठ का एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है। इस प्रस्ताव में अयोध्या के मंदिर-मस्जिद विवाद को हल करने के सुझाव दिए गए हैं। हालांकि शिया बोर्ड इस विवाद में पक्षकार नहीं है, लेकिन मामले की सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस विवाद का हल आपस में बैठकर निकाला जाए। सुप्रीम कोर्ट की इस सलाह पर ही शिया मुसलमानों का नेतृत्व करने वाले वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों ने विश्व हिन्दू परिषद सहित अयोध्या के तमाम साधु-संतों से संवाद किया। इस संवाद में ही यह हल निकाला गया कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बने तथा लखनऊ के हुसैनाबाद क्षेत्र के घंटा घर परिसर में अमन की मस्जिद बनाई जाए। सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत इस प्रस्ताव पर विवाद से जुड़े हिन्दू पक्षकारों ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इस प्रस्ताव को पेश करने के बाद बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा कि अयोध्या में बावरी मस्जिद का निर्माण शिया समुदाय के मीरबाकी ने करवाया था, इसलिए मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड आदि संस्थाओं को इस विवाद में दखल नहीं करना चाहिए। जब शिया समुदाय लखनऊ में मस्जिद बनवाने को तैयार है तो फिर किसी को भी आपत्ति नहीं होनी चाहिए। लखनऊ के घंटाघर की सम्पत्ति भी शिया वक्फ बोर्ड की ही है। सरकार इस परिसर में मस्जिद निर्माण की अनुमति देकर अयोध्या का विवाद समाप्त करवा सकती है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या शिया वक्फ बोर्ड के इस प्रस्ताव पर मुसमानों में सहमति हो पाएगी? क्या सुन्नी समुदाय अयोध्या में सिर्फ मंदिर बने, इस पर सहमत होगा? देखा जाए तो अब यह मामला शिया और सुन्नी समुदाय के बीच का रह गया है। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी का कहना है कि वे देश में अमन चैन चाहते हैं, इसलिए यह प्रस्ताव रखा है। वैसे भी जिस स्थान पर पूजा हो रही हो, वहां मुसलमानों की मस्जिद नहीं बन सकती। आज भारत में आम हिन्दू और मुसलमान सुकून के साथ रहना चाहता है। लेकिन अयोध्या विवाद की वजह से कई बार देश के भाईचारे को खतरा हो जाता है।
विरोध शुरूः
श्रद्धा का मंदिर और अमन की मस्जिद के शिया वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव का विरोध भी शुरू हो गया है। मुस्लिम पसर्नल लाॅ बोर्ड के मौलाना फिरंगी ने कहा कि शिया बोर्ड का प्रस्ताव कोई मायने नहीं रखता है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में वह बोर्ड पक्षकार नहीं है और जब यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है तो फिर कोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। अयोध्या विवाद के प्रमुख पक्षकार इकबाल अंसारी ने भी इस प्रस्ताव पर असहमति जताई है। सुप्रीम कोर्ट में 5 दिसम्बर में इस मामले में सुनवाई होगी।
एस.पी.मित्तल) (20-11-17)
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Sunday 19 November 2017

#3292
तो क्या पाकिस्तान हमारा कश्मीर ले सकता है? फारुख अब्दुल्ला को यह भी बताना चाहिए।
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जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला बार-बार राग आलप रहे हैं कि पाक अधिकृत वाले कश्मीर को भारत कभी नहीं ले सकता। फारुख यहां तक कह रहे है ंकि किसी के बाप में भी दम नहीं है जो पाक कब्जे वाले कश्मीर को ले सके। यह माना कि वर्तमान हालातों में पाकिस्तान से कश्मीर को छीना नहीं जा सकता, लेकिन फारुख अब्दुल्ला को इस सवाल का भी जवाब देना चाहिए कि क्या हमारे कश्मीर को पाकिस्तान ले सकता है? सब जानते हैं कि हमारे कश्मीर की दुर्दशा करवाने में फारुख अब्दुल्ला की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आज कश्मीर घाटी जो हिन्दू विहीन हुई है उसमें भी फारुख अब्दुल्ला और उनके पुत्र उमर अब्दुल्ला की सरकारों का योगदान रहा है। अब्दुल्ला परिवार की सरकारों में ही चार लाख हिन्दुओं को कश्मीर घाटी से पीट पीट कर भगा दिया। आज कश्मीर घाटी पाकिस्तान में प्रशिक्षित आतंकवादियों के कब्जे में हैं। घाटी में सरेआम पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगते हैं। आए दिन हमारे जवान शहीद हो रहे हैं। फारुख अब्दुल्ला जितनी वकालत पाक के कब्जे वाले कश्मीर की कर रहे हैं, उसकी आधी भी यदि हमारे कश्मीर के लिए करें तो कश्मीर की समस्या का समाधान हो सकता है। फारुख अब्दुल्ला को कश्मीर के अलगाववादियों को यह समझना चाहिए कि पाकिस्तान कभी कश्मीर को भारत से छीन नहीं सकता है। इससे उन आतंकियों के हौंसले पस्त होंगे जो पाकिस्तान में बैठ कर कश्मीर को भारत से छीनने की बात करते हैं। जब फारुख अब्दुल्ला कश्मीर के लिए पाकिस्तान की मदद वाला बयान दे सकते हैं तो फिर हमारे कश्मीर के लिए क्यों नहीं? पूर्व केन्द्रीय मंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से फारुख ने भारत सरकार से अनेक सुविधाएं ले रखी हैं इसलिए भी उनका दायित्व बनता है कि वे कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाए रखे। आज जितनी सुविधाएं हमारे कश्मीर में कश्मीरियों को मिल रही है उसकी चैथाई सुविधा भी पाक के कब्जे वाले कश्मीर में मुसलमानों को नहीं मिल रही है। आए दिन वहां के कश्मीरी पाकिस्तान की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे प्रदर्शनकारी पाकिस्तान के सुरक्षा बलों पर जुल्म करने का आरोप भी लगाते हैं।
एस.पी.मित्तल) (19-11-17)
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#3291
तो क्या इंदिरा गांधी की प्रतिमा लगाने के लिए अजमेर कांग्रेस को अनुमति लेनी पड़ेगी? शहर अध्यक्ष विजय जैन ने कहा कि इसी माह लग जाएगी प्रतिमा।
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19 नवम्बर को पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की जयंती पर आयोजित समारोह में अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन ने घोषणा की कि नवम्बर माह के अंत तक श्रीमती इंदिरा गांधी की प्रतिमा स्टेशन रोड स्थित स्मारक पर स्थापित कर दी जाएगी। प्रतिमा लगाने के अवसर पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट भी उपस्थित रहेंगे। जैन की इस घोषणा का कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। श्रीमती इंदिरा गांधी की प्रतिमा स्मारक पर लगाने को लेकर लम्बा इंतजार रहा है, लेकिन जैन की घोषणा के साथ ही यह सवाल भी उठा है कि क्या कांगे्रस को प्रतिमा लगाने के लिए अनुमति लेनी होगी? हाल ही में अजमेर विकास प्राधिकरण ने इंदिरा गांधी की प्रतिमा को कांग्रेस के अध्यक्ष को सौंपा है। इसके साथ ही जो पत्र दिया है, उसमें साफ-साफ लिखा है कि प्रतिमा लगाने से पहले संबंधित विभागों की अनुमति ली जावे। साथ ही प्रतिमा लगाने के बाद रख रखाव और सुरक्षा की जिम्मेदारी भी कांग्रेस की होगी। इस संबंध में शहर अध्यक्ष जैन का कहना है कि अब कोई अनुमति की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पूर्व में ही संभागीय स्तर पर बनी कमेटी ने प्रतिमा लगाने की अनुमति दे रखी है। इसके साथ ही नगर निगम ने भी अनुमति दी है। स्मारक नगर निगम की सम्पत्ति पर बना हुआ है। ऐसे में अब किसी भी विभाग से अनुमति की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा लेने से पहले तत्कालीन नगर सुधार न्यास को दो लाख तीस हजार रुपए का भुगतान किया गया था, जबकि महापुरुषों की प्रतिमाओं को स्थानीय निकाय संस्थाएं अपने खर्चे से ही लगवाती हैं। उन्होंने कहा कि प्रतिमा को लगाने के लिए जो खर्च हो रहा है उसे भी कांग्रेस कमेटी वहन कर रही है। इस बात का ध्यान रखा गया है कि प्रतिमा पूरी तरह सुरक्षित रहे।
एस.पी.मित्तल) (19-11-17)
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#3288
सीएम के आभार प्रदर्शन में भी किशनगढ़ में गुटबाजी नजर आई। मार्बल एसोसिएशन के समारोह के बाद पहुंचे विधायक चैधरी।
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राजस्थान की मार्बल नगरी किशनगढ़ में सत्तारुढ़ भाजपा के नेताओं में जो खींचतान चल रही है वह 18 नवम्बर को सीएम वसुंधरा राजे के आभार प्रदर्शन में भी देखने को मिली। हुआ यूं कि मार्बल और ग्रेनाइट पत्थर पर जीएसटी में 10 प्रतिशत की कटौती किए जाने पर किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन की ओर से 18 नवम्बर को जयपुर में सीएम का जोरदार स्वागत किया गया। आरके मार्बल के अध्यक्ष अशोक पाटनी और मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश टांक के नेतृत्व में कोई पांच सौ मार्बल कारोबारी सीएम का स्वागत करने के लिए जयपुर पहुंचे थे, लेकिन इस काफिले में किशनगढ़ के भाजपा विधायक भागीरथ चैधरी शामिल नहीं थे। असल में एसोसिएशन की ओर से विधायक चैधरी को आमंत्रित ही नहीं किया गया। चैधरी को जब यह पाता चला कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के सैकड़ों लोग सीएम का आभार प्रदर्शन करने जा रहे हैं तो चैधरी भी अपने कुछ समर्थकों को लेकर जयपुर पहुंच गए, लेकिन चैधरी सीएम आवास पहुंचते, इससे पहले ही अशोक पाटनी और सुरेश टांक के नेतृत्व में वसुंधरा राजे का स्वागत हो चुका था। स्वागत और आभार प्रदर्शन का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद विधायक चैधरी ने भी सीएम राजे को चुनरी ओढ़ाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। अलग-अलग हुए सम्मान समारोह की खास बात यह थी कि सीएम राजे ने अशोक पाटनी और सुरेश टांक से राज्य सरकार द्वारा ली जा रही राॅयल्टी पर भी चर्चा की। इस चर्चा का नतीजा रहा कि सरकार ने मार्बल पर 30 प्रतिशत राॅयल्टी की कटौती कर दी। अब दोनों ही पक्ष सीएम का स्वागत करने का श्रेय ले रहे हैं। विधायक चैधरी के समर्थकों ने भी सीएम को चुनरी ओढ़ाने वाला फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश टांक ने विधायक चैधरी को साथ नहीं ले जाने पर तो कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन कहा कि सीएम राजे की वजह से मार्बल कारोबार को नया जीवन मिला है। क्योंकि 28 प्रतिशत जीएसटी की वजह से यह कारोबार मृत प्राय हो गया था। राज्य सरकार ने भी राॅयल्टी कम कर इस कारोबार को राहत दी है। यह उल्लेखनीय है कि सुरेश टांक भाजपा की प्रदेश कार्य समिति के सदस्य भी हैं और पूर्व में किशनगढ़ नगर परिषद के सभापति भी रह चुके हैं।
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Saturday 18 November 2017

#3285
तो पाकिस्तान जाकर आतंकी हाफिज सईद से मुलाकात करने वाले पत्रकार वेद प्रताप वैदिक ने देख ली फिल्म पद्मावती। भास्कर ने कहा यह वैदिक के अपने विचार हैं। गृहमंत्री ने किया समर्थन।
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जिस पद्मावती फिल्म को लेकर राजस्थान सहित पूरे देश में घमासान मचा हुआ है, उस फिल्म को देखने का दावा देश के जाने माने पत्रकार डाॅ. वेद प्रताप वैदिक ने किया है। ये वो ही पत्रकार हैं जिन्होंने पाकिस्तान जाकर भारत के दुश्मन नम्बर वन आतंकी हाफिज सईद से मुलाकात की थी। तब भी वैदिक को लेकर हंगामा हुआ और अब फिर वैदिक फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली के समर्थक के तौर पर सामने आए हैं। फिल्म देखने के बाद वैदिक का एक लेख भास्कर के 18 नवम्बर के अंत में छपा है। वैदिक ने जिस प्रकार हाफिज सईद से अपनी मुलाकात को सही ठहराया था, उसी तरह वैदिक ने भास्कर में अपने लेख के माध्यम से पद्मावती फिल्म की वकालत की है। वैदिक का कहना है कि फिल्म को लेकर राजपूत समाज का विरोध बेकार है, क्योंकि फिल्म में ऐसा कोई दृश्य नहीं है, जिसमें अलाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के बीच प्रेस प्रसंग हो। बल्कि फिल्म में रानी पद्मावती की वीरता और बलिदान का चित्रण किया गया। साथ ही अलाउद्दीन खिलजी को धूर्त, अहंकारी, कपटी और रक्त पिपासु बताया गया है। वह अपनी चचेरी बहन से जबर्दस्ती शादी करता है, वह समलैंगिक है, वह उस राघव चेतन की भी हत्या कर देता है जो उसे पद्मावती के अलौकिक सौन्दर्य की कथा कह कर चित्तौैड़ पर हमले के लिए प्रेरित करता है। यानि अपने लेख में वैदिक ने संजय लीला भंसाली का पक्ष मजबूती के साथ रखा है। जिस काम को भंसाली नहीं कर सके, उसे वैदिक ने करने की कोशिश की है। हालांकि लेख के अंत में भास्कर ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुए साफ लिखा है कि ये लेखक के अपने विचार हैं। यानि भास्कर का प्रबंधन इन विचारों को सही नहीं मानता।
सवाल यह नहीं है कि फिल्म में क्या है और क्या नहीं? अहम सवाल यह है कि अपनी इज्जत बचाने के लिए अग्निकुंड में कूद कर जान देने वाली उस वीर महिला पर सिर्फ मनोरंजन और धन कमाने के लिए फिल्म क्यों बनाई गई? यह माना कि हमारे देश में लोकतंत्र है जिसमें अभिव्यक्ति की आजादी है। लेकिन अभिव्यक्ति की आड़ में आप सम्पूर्ण समाज की भावनाओं को आहत नहीं कर सकते। राजपूत समाज शुरू से ही इस फिल्म का विरोध कर रहा है, लेकिन इतने बड़े समाज की भावनाओं को दर किनार कर भंसाली ने फिल्म को बना ही लिया। इससे प्रतीत होता है कि भंसाली को किसी समाज के लोगों की कोई कद्र नहीं है। राजपूत  करणी सेना के संरक्षण लोकेन्द्र सिंह कालवी पहले ही कह चुके हैं कि इस फिल्म में पाकिस्तान में बैठे दाउद इब्राहिम का पैसा लगा हुआ है। और अब हाफिज सईद जैसे आतंकी से मुलाकात करने वाले पत्रकार वैदिक ने फिल्म को देखने का जो दावा किया है वह मायने रखता है। अपने लेख में वैदिक ने यह नहीं बताया कि फिल्म को किस प्रकार देखा गया। यानि क्या भंसाली ने फिल्म देखने का प्रस्ताव किया या फिर पत्रकारों के किसी दल में शामिल होकर वैदिक इस फिल्म को देखने गए। हालांकि कुछ न्यूज चैनल वालों ने भी फिल्म को देखने का दावा किया है। जिन चैनलों ने फिल्म देखी है, वे अब फिल्म के समर्थन में उतर आए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि भंसाली ने मीडिया के एक वर्ग नेे फिल्म के समर्थन में अभियान शुरू किया है। वहीं सेंसर बोर्ड ने फिल्म को दिखाए जाने पर नाराजगी जताई है। सेंसर बोर्ड की ओर से कहा गया है कि अनुमति के बिना फिल्म को दिखाया जाना पूरी तरह गैर कानूनी है।
वैदिक को मिला गृहमंत्री का समर्थनः
फिल्म पद्मावती पर पत्रकार वैदिक ने जो विचार प्रकट किए हैं उन्हें राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का भी समर्थन मिल गया है। 18 नवम्बर को उदयपुर में मीडिया से संवाद करते हुए कटारिया ने कहा कि पत्रकार वैदिक ने फिल्म को देखने के बाद जो विचार प्रकट किए हैं उसे देखते हुए अब इस फिल्म का कोई विरोध नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैदिक एक जाने माने पत्रकार हैं और उन्होंने फिल्म में जो देखा उसे ही अपने लेख में लिखा है। उन्होंने कहा कि अब फिल्म का विरोध समाप्त हो जाना चाहिए। 
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फिल्म पद्मावती पर खामोश रहकर आखिर किसे खुश कर रही हैं राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे।
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भले ही सम्पूर्ण राजस्थान में फिल्म पद्मावती को लेकर बवाल मचा हुआ है लेकिन अभी तक भी राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। जबकि सीएम राजे स्वयं ग्वालियर और राजस्थान के धौलपुर राज घरानों से जुड़ी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर खामोश रह कर सीएम राजे किसे खुश कर रही हैं? इस फिल्म को लेकर पूरे प्रदेश में कानून व्यवस्था पर सवाल उठ खड़ा हुआ है। फिल्म का ट्रेलर दिखाने पर कोटा के एक सिनेमा घर में तोड़ फोड़ हो चुकी है, वहीं करणी सेना ने खुले आम धमकी दी है कि जिस सिनेमा घर में फिल्म चलेगी, उसे आग के हवाले कर दिया जाएगा। हालात इतनेे खराब है कि सिनेमा घरों के बाहर पोस्टर लगाए गए हैं कि जिसमें फिल्म को न चलाने की बात कही गई है। जगह-जगह धरना प्रदर्शन हो रहा है। 30 नवम्बर को राजस्थान बंद का भी आह्वान किया गया है। यूं तो इस फिल्म का विरोध पूरे देश में हो रहा है, लेकिन केन्द्र बिन्दू राजस्थान है। पद्मावती राजस्थान के चित्तौड़ घराने की ही रानी थी। फिल्म में भी चित्तौड़ घराने की कहानी ही दिखाई गई है। यूपी के सीएम योगी आदित्य नाथ ने तो इस फिल्म को बैन करने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिख दिया है, लेकिन राजस्थान सरकार की ओर से अभी तक भी ऐसी कोई पहल नहीं की गई है। सरकार की इस स्थिति को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं? सवाल यह भी उठता है कि कानून व्यवस्था को देखते हुए फिल्म को राजस्थान में क्यों नहीं रोका जा रहा है। हालांकि अभी फिल्म सेंसर बोर्ड से पास नहीं हुई है। लेकिन आंदोलनरत राजस्थान को देखते हुए सरकार की खास कर मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया तो सामने आनी ही चाहिए।
एस.पी.मित्तल) (18-11-17)
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#3283
तो क्या पुष्कर पालिका अध्यक्ष कमल पाठक और विधायक सुरेश रावत के बीच मतभेद हो गए हैं? जन सुनवाई में नहीं आ रही भीड़।
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अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर शहर में इन दिनों क्षेत्रीय भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत जन सुनवाई कर रहे हैं। रावत ने 18 नवम्बर को भी 7 वार्डों की जन समस्याएं सुनी। लेकिन विधायक की जनसुनवाई में न तो संबंधित वार्डों के पार्षद और न नागरिक आ रहे हैं। 17 नवम्बर की सुनवाई में तो 7 मे से 5 वार्डों के पार्षद  ही नहीं आए। जबकि 7 वार्डों के मुश्किल से पचास लोग उपस्थित थे। ये भी भाजपा के मंडल अध्यक्ष पुष्कर नारायण भाटी के साथ आए थे। इनमें से अधिकांश भाजपा के कार्यकर्ता थे। बताया जा रहा है कि विधायक की जनसुनवाई को फेल करने में पालिकाध्यक्ष कमल पाठक के साथ चल रहे मतभेद कारण रहे हैं। हालांकि पूर्व में तो विधायक और पालिकाध्यक्ष के बीच चोली दामन का साथ था, लेकिन गत कुछ माह से दोनों के बीच मतभेद हो गए हैं। पूरा पुष्कर विधानसभा क्षेत्र जानता है कि दोनों के बीच अदृश्य कारोबारी रिश्ते हैं। इन्हीं रिश्तों की वजह से विधायक के एक इशारे पर पालिकाध्यक्ष ने लाखों रुपए खर्च किए हैं। अखबारों में पालिकाध्यक्ष से भी बड़ी फोटो विधायक की छपने के पीछे भी पाठक का ही योगदान रहा। विधायक ने पालिका के बूते अनेक कार्य किए और वाह-वाही लूटी। ऐसे मजबूत रिश्ते के चलते यदि पाठक के इलाके में विधायक की जनसुनवाई में लोग न आए तो फिर सवाल तो उठते ही हैं। 
पुष्कर तीर्थ के पुरोहितों से लेकर प्रसाद बेचने या चाय का ठेला लगाने वाले तक जानते हैं कि पालिकाध्यक्ष के तौर पर कमल पाठक का पुष्कर नगरी में एक छत्र राज है। यही वजह है कि सरोवर के घाट से लेकर पालिका के कार्यालय तक में किसी के भी बोलने की हिम्मत नहीं है। भले ही राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार हो, लेकिन दबंग छवि की वजह से पुष्कर में तो पाठक सरकार का ही बोलबाला है। दिखाने को तो कमल पाठक भी विधायक की जनसुनवाई में उपस्थित थे, लेकिन सुनवाई में आम जनों  के नहीं आने से पाठक की पर्दे के पीछे की नाराजगी को समझा जा सकता है। सवाल उठता है कि क्या पाठक जनसुनवाई करें तो किसी पाषर्द के न आने की हिम्मत हो सकती है? पुष्कर का शायद ही कोई पार्षद होगा जो पाठक सरकार से नाखुश हो। सूत्रों की माने तो गत 10 अक्टूबर कोे जब सीएम वसुंधरा राजे पुष्कर आईं थी तभी दोनों भाजपा नेताओं मंे विवाद हो गया था। कोई पांच दिन पहले भी दोनों में पालिका के कार्यालय में कोई दो घंटे तक बंद कमरे में वार्ता हुई, लेकिन मतभेद दूर नहीं हो सके हैं। चूंकि कारोबारी रिश्ते फिलहाल अदृश्य हैं, इसलिए कारण उजागर होने में समय लगेगा। वैसे यह कहा जा सकता है कि शुरुआत हो गई और यह शुरुआत भी लोक सभा के उपचुनाव के मौके पर हुई है। वैसे विधायक की जनसुनवाई में भीड़ नहीं आने का कारण पालिकाध्यक्ष यह बता रहे हैं कि उनके कार्यकाल में पुष्कर में कोई समस्या है ही नहीं। जब समस्या है ही नहीं तो लोग विधायक की जनसुनवाई में क्यों आएंगे?
एस.पी.मित्तल) (18-11-17)
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Friday 17 November 2017

#3281
नरेन्द्र मोदी को सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बताने के बाद अब विश्व स्तरीय संस्था मूडीज ने भारत के बाॅन्डों की रेटिंग बढ़ाई। आलोचक मायूस, समर्थक खुश।
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पीएम नरेन्द्र मोदी की हर बात पर आलोचना करने वालों को 17 नवम्बर को तब मायूस होना पड़ा, जब आर्थिक मामलों में सुप्रसिद्ध विश्वस्तरीय संस्था मूडीज ने भारत सरकार के बाॅन्डों की रेटिंग बढ़ा दी। यह रेटिंग वर्ष 2004 के बाद पहली बार बढ़ाई गई है। वर्ष 2004 में जो रेटिंग बीएए-3 थी जो बीएए-2 कर दिया गया। आर्थिक मामलों के जानकारों का मानना है कि रेटिंग में इस सुधार से विदेशी निवेश बढ़ेगा तथा विदेशी संस्थाओं से लोन भी आसानी से मिलेगा। यानि अब विदेशी निवेशकों को भारत में पैसा डूबने का डर नहीं रहेगा। मूडीज ने यह रेटिंग नरेन्द्र मोदी के नोटबंदी, जीएसटी, बैंकों का समायोजन जैसे कार्यो से बढ़ाई है। मूडीज के रेटिंग बढ़ाने के साथ ही शेयर बाजार में भी उछाल आ गया। इससे एक दिन पहले 16 नवम्बर को अमरीका की संथा थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर ने अपने एक सर्वे में भारत में नरेन्द्र मोदी को सर्वाधिक लोकप्रिय नेता माना। इन दोनों ही खबरों से मोदी के आलोचक मायूस और समर्थक खुश हैं। यदि ये दोनों ही संस्थाएं सरकार और मोदी के खिलाफ टिप्पणी करतीं तो आलोचकों को एक और अवसर मिल जाता। राजनीतिक दलों के नेता तो मोदी से इस्तीफे की मांग कर लेते। हालांकि सोशल मीडिया पर आलोचक इन संस्थानों का मजाक उड़ाने से बाज नहीं आ रहे हैं, लेकिन समर्थकों को भी अपनी बात कहने का अवसर मिल गया है।
एस.पी.मित्तल) (17-11-17)
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#3280
सचिन पायलट के घर में ही उपचुनाव के मौके पर घमासान। उद्योगपति के पैलेस में बैठक करने पर नाराजगी। बड़े नेताओं में एकता नहीं हुई तो धौलपुर जैसे हालात-प्रमोद जैन।
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राजस्थान में कांग्रेस की राजनीति में अजमेर जिले का महत्व इसलिए है कि अजमेर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट का चुनाव क्षेत्र है। इसलिए पायलट अजमेर में होने वाले लोकसभा के उपचुनाव को लेकर चिंतित हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि अजमेर के लोग पायलट के सांसद के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को भी आज भी याद करते हैं, लेकिन पायलट के लिए यह निराशाजनक है कि उपचुनाव के ऐन मौके पर उनके घर में ही घमासान मचा हुआ है। इसका प्रमुख कारण यह है कि पायलट ने जिन लोगों को संगठन की जिम्मेदारी सौंपी है वे अभी तक भी अपनी पकड़ नहीं बना पाए हैं। इसका ताजा उदाहरण 16 नवम्बर को अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी की बैठक में देखने को मिला। कमेटी की बैठक से पहले बूथ स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ। अजमेर शहर के दो विधानसभाओं में 367 बूथ हैं, इस लिहाज से सम्मेलन में 367 कार्यकर्ता तो उपस्थित रहने ही चाहिए थे, लेकिन कुल मिलाकर कर 200 कार्यकर्ता भी उपस्थित नहीं थे। इसमें से भी 100 से ज्यादा व्यक्ति तो हेमंत भाटी के समर्थक थे। भाटी दक्षिण क्षेत्र से विधानसभा चुनाव में टिकिट के दावेदार हैं। सम्मेलन में जब बूथ स्तर के कार्यकर्ता की उपस्थिति जांचने की बात आई तो शहर अध्यक्ष विजय जैन ने सूची नहीं लाने की बात कही। हालांकि प्रदेश उपाध्यक्ष और अजमेर के प्रभारी प्रमोद जैन भाया ने दफ्तर से सूची मंगवाने की बात कही, लेकिन विजय जैन सूची नहीं मंगवा सके। इससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस का बूथ मैनेजमेंट सिर्फ कागजों में है। अब जब उपचुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है, तब बूथ स्तर पर कार्यकर्ता ही सक्रिय नहीं है तो संगठन के हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है।
पैलेस में सम्मेलन पर एतराजः
विजय जैन ने नगरा स्थित नानकी पैलेस पर जहां सम्मेलन किया, उस स्थान को लेकर पूर्व मंत्री ललित भाटी, पूर्व मेयर कमल बाकोलिया, पूर्व विधायक डाॅ. राजकुमार जयपाल आदि ने एतराज किया। नाराजगी दिखाते हुए ही ये तीनों बड़े नेता सम्मेलन में शामिल भी नहीं हुए। असल में नानकी भवन हेमंत भाटी का है और हेमंत भाटी ही जयपाल, बाकोलिया और ललित भाटी के प्रतिद्वंदी हैं। आरोप है कि विजय जैन ने जयपाल बाकोलिया और ललित भाटी को रोकने के लिए हेमंत भाटी के पैलेस का उपयोग किया। हालांकि विजय जैन का कहना है कि इन तीनों नेताओं को व्यक्तिगत तौर भी सूचना दी गई थी। आरोप प्रत्यारोप कुछ भी हो, लेकिन सच्चाई यह है कि सम्मेलन का खर्चा वहन करने की क्षमता हेमंत भाटी में ही है। बीडी उद्योगपति हेमंत भाटी ही कांग्रेस संगठन का हर खर्चा वहन कर सकते हैं। यह बात अलग है कि इसकी एवज में वे विधानसभा चुनाव में दक्षिण क्षेत्र से उम्मीदवारी चाहते हैं। हेमंत भाटी को संगठन से ज्यादा अपने धन बल पर भरोसा है। भाटी को भी पता है कि उनके बिना अजमेर में कांग्रेस का काम नहीं चल सकता है।
धौलपुर जैसे होंगे हालात-भायाः
बूथ स्तरीय सम्मेलन में संगठन की फजीहत और बड़े नेताओं के स्थिति को देखते हुए कांग्रेस कमेटी की बैठक में प्रभारी प्रमोद जैन भाया का कहना रहा कि यदि बड़े नेेताओं मे ंएकता नहीं हुई तो अजमेर उपचुनाव के परिणाम भी धौलपुर जैसे रहेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार के प्रति लोगों में गुस्सा है, इसका फायदा उपचुनाव में उठाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए पार्टी के सभी नेताओं को एकजुट होकर काम करना होगा। भाया ने कहा कि अजमेर में होने वाली गतिविधियों पर प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की खास नजर रहती है।
एस.पी.मित्तल) (17-11-17)
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#3279
दो दिसम्बर को जश्ने ईद मिलादुन्नबी पर्व है, इसलिए एक दिसम्बर को पद्मावती फिल्म रिलीज नहीं हो सकती। विवाद फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्ट में। विरोध जारी। बूंदी घराना समर्थन में। अजमेर के सिनेमा घरों में नहीं चलेगी फिल्म।
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17 नवम्बर को भी राजस्थान सहित देशभर में फिल्म पद्मावती  का विरोध होता रहा। पद्मावती जिस चित्तौड़ की रानी थी वह चित्तौड़ 17 नवम्बर को पूरी तरह बंद रहा। देशव्यापी विरोध के बीच ही अब उच्च स्तर पर यह तय हो गया है कि फिल्म एक दिसम्बर को रिलीज नहीं होगी, क्योंकि दो दिसम्बर को देशभर पैगम्बर मोहम्मद साहब का जन्म दिन जश्ने ईद मिलादुन्नबी पर्व के तौर पर मनाया जाएगा। कोई भी राज्य सरकार और केन्द्र सरकार यह नहीं चाहेगी कि दो दिसम्बर को किन्हीं कारणों से हालात तनावपूर्ण हों। हालांकि फिल्म के निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली ने फिल्म के रिलीज की तारीख एक दिसम्बर बताई है, लेकिन अभी तक भी इस फिल्म को सेंसर बोर्ड से अनुमति नहीं मिली है। कहा जा रहा है कि केन्द्र सरकार सेंसर बोर्ड के माध्यम से ही फिल्म के रिलीज को स्थगित करवा देगी।
बूंदी घराना समर्थन में आयाः
जहां पद्मावती फिल्म को लेकर लोगों में खास कर राजपूत समाज में जबर्दस्त आक्रोश है, वहीं राजस्थान का बूंदी घराना फिल्म के समर्थन में उतर आया है। पूर्व राजघराने की बहु मयूरी सिंह ने एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि फिल्म को देखे बिना विरोध नहीं करना चाहिए। फिल्म देखने के बार समीक्षा हो और कोई आपत्तिजनक दृश्य हो तो विरोध होना चाहिए। 
अजमेर के सिनेमा घरों में नहीं चलेगी फिल्मः
17 नवम्बर को श्री राजपूत करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने शहर भर में जमकर प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करने के बाद शहर के सभी प्रमुख सिनेमा घरों के बाहर भी प्रदर्शन किया। इस उग्र प्रदर्शन को देखते हुए सिनेमा घरों के प्रबंधकों ने भरोसा दिलाया है कि वे फिल्म पद्मावती का प्रदर्शन नहीं करेंगे इसके साथ इन सिनेमा घरों के बाहर एक पोस्टर चस्पा किया गया है जिसमें यह लिखा गया है कि हमारे सिनेमा घर में फिल्म पद्मावती बैन है। करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने उम्मीद जताई है कि सिनेमा घर के मालिक अपने वायदे पर कायम रहेंगे। कुंदन नगर स्थित राजपूत छात्रावास में भी 17 नवम्बर को राजपूत महिलाओं की एक सभा हुई जिसमें फिल्म पद्मावती का जमकर विरोध किया गया। 
विवाद फिर पहुंचा सुप्रीम कोर्टः
हालांकि सुप्रीम कोर्ट पूर्व में एक बार फिल्म पद्मावती को लेकर दायर याचिका को खारिज कर चुका है, लेकिन 17 नवम्बर को वरिष्ठ वकील एमएल शर्मा ने जब कोर्ट का ध्यान देश भर में बढ़ते विवाद की ओर दिलाया तो चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले याचिका दायर की जाए। सीजेआई के इस बदले रुख से प्रतीत होता है कि अब सुप्रीम कोर्ट फिल्म के विवाद पर सुनवाई कर लेगा। इस बीच राजस्थान के मशहूर वकील एके जैन का कहना है कि केन्द्र अथवा कोई भी राज्य सरकार कानून व्यवस्था के मद्देनजर फिल्म को बैन कर सकती है। इससे पहले भी कई बार फिल्मों को बैन किया गया। चूंकि राजस्थान में इस फिल्म को लेकर ज्यादा आक्रोश है इसलिए सरकार को चाहिए कि तत्काल प्रभाव से बैन की घोषणा करें।
महाराष्ट्र में मिलेगी सुरक्षाः
एक ओर राजस्थान सहित अनेक हिन्दी भाषी राज्यों में फिल्म पद्मावती को लेकर लोगों का आक्रोश सड़कों पर है वहीं महाराष्ट्र सरकार ने दो टूक शब्दों में कहा है कि पद्मावती फिल्म का प्रदर्शन करने वाले सिनेमा घरों और फिल्म के कलाकारों को सरकार पूर्ण सुरक्षा देगी।
एस.पी.मित्तल) (17-11-17)
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Wednesday 15 November 2017

#3273
कश्मीर में शांति बहाली के लिए पुष्कर के चित्रकूट धाम के उपासक पाठक महाराज सूफी संतों के साथ सक्रिय। गृहमंत्री राजनाथ सिंह से भी की मुलाकात।
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इसे शुभ संकेत ही माना जाना चाहिए कि हिन्दुओं के तीर्थ गुरु पुष्कर स्थित सुप्रसिद्ध चित्रकूट धाम के उपासक पाठक जी महाराज इन दिनों मुस्लिम सूफी संतों के साथ कश्मीर घाटी में शांति बहाली के लिए सक्रिय हैं। 14 नवम्बर को ही पाठक जी महाराज ने सूफी संतों के साथ दिल्ली में केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। राजनाथ ने पाठक जी महाराज के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए उम्मीद जताई कि कश्मीर में जल्द ही शांति होगी। राजनाथ सिंह का कहना रहा कि कश्मीर का युवा भी अमन-चैन चाहता है तथा उसे भी रोजगार चाहिए। लेकिन कुछ अलगाववादी तत्व युवाओं को गुमराह करते हैं। यदि सूफी संतों के माध्यम से प्रयास किए जाएं तो युवाओं को अलगाववादियों के चंगुल से निकाला जा सकता है। पाठक जी महाराज और सूफी संतों ने राजनाथ सिंह को भरोसा दिलाया कि शांति बहाली के प्रयासों के तहत वे शीघ्र ही कश्मीर घाटी का दौरा करेंगे। इसके लिए कश्मीरी लीडर पीरजादा अकबर हुसैन की भी मदद ली जाएगी। अकबर हुसैन कश्मीर घाटी में ही रहकर युवाओं को जागरुक कर रहे हैं। अकबर की सभाओं में बड़ी संख्या में युवा आने लगे हैं।
पीएम और वार्ताकार से भी हो सकती है मुलाकातः
पाठक जी महाराज ने बताया कि अब उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा से होगी। उनका प्रयास है कि कश्मीर घाटी में जाने से पहले हालातों का अध्ययन कर लिया जाए। उन्होंने इस बात पर संतोष जताया कि देश की प्रमुख दरगाहों से जुड़े सूफी संत उनके अभियान में सक्रिय हैं। सूफीवाद ही एक ऐसा माध्यम है जिसके जरिए कश्मीर के गुमराह युवकों को देश की मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता हैं। सूफी विचारधारा की वजह से दरगाहों पर हिन्दू भी जियारत के लिए जाता है। उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों में अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह से जुड़े फखर काजमी, दिल्ली स्थिति निजामुद्दीन औलिया की दरगाह के सैयद नियाजी इलाहीजानी, महरौली के सैयद जुबिन नियाजी आदि शामिल हैं।
राजनीति से प्रेरित नहीं है अभियानः
पाठक जी महाराज ने स्पष्ट किया कि उनका अभियान किसी राजनीति से प्रेरित नहीं है। चूंकि उनका अध्यात्म में विश्वास है इसलिए वे चाहते है कि दोनों धर्मों की शक्तियां मिलकर कश्मीर में शांतिबहाली करवाएं। हमें कश्मीरी युवकों की तकलीफों को भी समझना होगा। बंदूक की नोक पर आज तक किसी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। अलगाववाद की वजह से कश्मीर का बहुत नुकसान हो चुका है। 
श्रीश्री से भी मुलाकातः
14 नवम्बर को पाठक जी महाराज ने दिल्ली में आर्ट आॅफ लिविंग के प्रणेता श्रीश्री रविशंकर से भी मुलाकात की। पूर्व में श्रीश्री भी कश्मीर में शांति प्रयास कर चुके हैं। पाठक जी महाराज ने श्रीश्री के अनुभवों को भी साझा किया। श्रीश्री ने अभियान के प्रति अपनी शुभकामनाएं दी हैं। पाठक जी महाराज ने कहा कि इस संबध्ंा में कोई सूफी संत अपने सुझाव देना चाहते हैं तो उनके मोबाइल नम्बर 9772255376 व 9772798482 पर दे सकते हैं।
एस.पी.मित्तल) (15-11-17)
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#3272
हथियारों के फर्जी लाइसेंस के मामले में अजमेर के बिल्डर राजीव मालू और डूंगरपुर के खान मालिक डीके खेड़ा ने और राज उगले। आरआर ज्वैलर्स के संजय शर्मा से भी हो रही है पूछताछ। निगम के पार्षद भी जांच के दायरे में।
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देश के बहुचर्चित हथियारों के फर्जी लाइसेंस के मामले में गिरफ्तार हुए अजमेर के बिल्डर व मिराज माॅल (श्रीनाथ माॅल) से जुड़े राजीव मालू तथा डूंगरपुर के सुप्रसिद्ध खान मालिक डीके खेड़ा ने 15 नवम्बर को पूछताछ के दौरान और सनसनीखेज राज उजागर किए हैं। देश की सुरक्षा से जुड़े इस मामले में अजमेर के ही आरआर ज्वैलर्स के मालिक संजय शर्मा से भी पूछताछ हो रही है। बताया जा रहा है कि नगर निगम के कुछ पार्षद भी जांच के दायरे में हैं। हथियारों के फर्जी लाइसेंस का केन्द्र बिंदु अजमेर रहा है। हथियारों की मरम्मत करने और बेचने वाले उस्मान मोहम्मद के पुत्र जुबेर के माध्यम से बड़ी संख्या में फर्जी लाइसेंस बनाने का काम हो रहा था। इस समय उस्मान फरार है, जबकि उसका पुत्र जुबेर राजस्थान एटीएस के शिकंजे में है। जुबेर ने ही बताया कि अब तक कितने लोगों को हथियारों के फर्जी लाइसेंस दिए गए। इस मामले में सबसे गंभीर बात ये है कि अधिकांश लाइसेंस कश्मीर से बनवाए गए। जुबेर ने धनाढ्य परिवारांे के युवाओं को अपने शिकंजे में फांसा और फिर मोटी रकम लेकर बंदूक, रिवाल्वर आदि हथियार बेच दिए। जुबेर ऐसे धनाढ्य लोगों को लाइसेंस भी उपलब्ध करवाता था। हथियार खरीदने वाले लोगों ने एटीएस को बताया है कि लाइसेंस फर्जी है, इसकी जानकारी उन्हें नहीं थी। राजीव मालू और डीके खेड़ा ने पूछताछ के दौरान यह भी माना कि जुबेर से बड़ी संख्या में कारतूस भी खरीदे गए हैं। एटीएस के पुलिस अधीक्षक विकास कुमार इन दिनों कश्मीर में ही डेरा जमाए हुए हैं। विकास कुमार यह पता लगा रहे हैं कि कश्मीर से कितने फर्जी लाइसेंस जारी हुए। एटीएस ने अब तक राजस्थान भर में कोई 32 लोगों को गिरफ्तार किया है। एटीएस के सूत्रों ने बताया कि अजमेर नगर निगम के कुछ पार्षद भी जांच के दायरे में हैं। एटीएस यह पता लगा रही है कि किन पार्षदों के पास हथियार के लाइसेंस हैं।
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