Sunday 29 April 2018

अजमेर में डिस्काॅम की शर्तों का पालन नहीं कर रहा टाटा पावर। उपभोक्ता पेरशान।
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अजमेर विद्युत वितरण निगम डिस्काॅम ने जिन शर्तों पर टाटा पावर कंपनी को अजमेर शहर की बिजली सप्लाई की जिम्मेदारी ठेके पर दी थी उन शर्तों का पालन अब टाटा पावर की ओर से नहीं किया जा रहा है। यह आरोप निगम के श्रमिक संघ के संयुक्त महासचिव विनीत जैन ने लगाया है। जैन ने बताया कि कंपनी को काम संभलाते समय अजमेर शहर में सात सब डिवीजन थे, जिनके माध्यम से उपभोक्ताओं को शिकायतों का समाधान किया जाता था। इन सब डिवीजन के माध्यम से ही उपभोक्ताओं को विद्युत कनेक्शन भी दिए जाते थे। टाटा पावर को जब सप्लाई की जिम्मेदारी दी गई तब यही उम्मीद थी कि उपभोक्ताओं को और अधिक सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन टाटा पावर ने पैसा बचाने की नीयत से मात्र पांच सब डिवीजन ही संचालित कर रखे हैं। इतना ही नहीं विद्य़ुत कनेक्शन भी वैशाली नगर स्थित मुख्य कार्यालय से ही स्वीकृत होतेे हैं। इसमें एक माह तक का समय लग जाता है, जबकि शर्तोके मुताबिक टाटा पावर को दो तीन दिनों में विद्युत कनेक्शन देना है। इतना ही नहीं टाटा पावर को श्रम कानून का पालन भी करना है, लेकिन कंपनी ने अप्रशिक्षित कार्मिकों को ठेके पर रखा हुआ है। बिजली सप्लाई के अधिकांश काम सबलेट कर दिए गए हैं। इससे भी उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है। आए दिन बिजली कटौती की वजह से भी हालात बिगड़े हुए हैं। डिस्काॅम ने हाल ही में 15 हजार उपभोक्ताओं पर एक सब डिजीवन का निर्णय लिया है। लेकिन अजमेर में ऐसा नहीं हो रहा। अजमेर शहर में करीब एक लाख बिजली उपभोक्ता हैं, लेकिन मात्र पांच सब डिवीजन ही काम कर रहे हैं। जैन ने आरोप लगाया कि उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान भी नहीं हो रहा है। 
डिस्काॅम के अधिकारियों की मेहरबानीः
जानकार सूत्रों के अनुसार टाटा पावर पर डिस्काॅम के संबंधित अधिकारियों की मेहरबानी है,इसलिए टाटा पावर के विरुद्ध की गई शिकायत पर डिस्काॅम के अधिकारी कोई कार्यवाही नहीं करते हैं। उपभोक्ताओं को मन मर्जी का बिल भेजा जा रहा है। लेकिन सेवा केन्द्रों पर उपभोक्ता को राहत नहीं मिलती। पहले मीटर को बंद दिखाकर औसत बिल दिया जाता है। बाद में मीटर बदले पर भी बिल की राशि में शुद्धिकरण नहीं होता।  उपभोक्ताओं के सारे आम लुटने पर भी डिस्काॅम के अधिकारी खामोश बैठे हैं।
सफाईः
टाटा पावर के कारर्पोरेट हेड आलोक श्रीवास्तव का कहना है कि जिन शर्तों पर सप्लाई का काम लिया गया है उसी के अनुरूप कंपनी काम कर रही है। शहर में अभी पांच सब डिवीजन केन्द्रों पर उपभोक्ताओं को सुविधा दी जा रही है। शीघ्र ही एक और केन्द्र पर ऐसी सुविधा दी जाएगी। जहां तक प्रतिमाह बिल का सवाल है तो डिस्काॅम जब अपने क्षेत्र में लागू करेगा, तभी से अजमेर शहर में भी प्रतिमाह उपभोक्ताओं को बिल दिए जाएंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो छूट मासिक मिली हुई है उसे दो माह की मिलाकर उपभोक्ताओं को दी जा रही है। कंपनी ने उपभोक्ताओं की शिकायतों का निराकरण भी प्रभावी तरीके होता है।
अजमेर में 14 जातियों के 34 जोड़ों का सामूहिक विवाह।
सेवा भारती की अनोखी पहल। 
गद्गद हो गए दूल्हा-दुल्हन।
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29 अप्रैल को अजमेर के पटेल मैदान पर सेवा भारती की ओर से श्रीराम जानकी सर्वजातीय सामूहिक विवाह का समारोह उत्साह के साथ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य संयोजक रामचरण बंसल ने बताया कि 14 जातियों के 34 जोड़ों का सामूहिक विवाह किया गया है। सेवा भारती प्रदेश भर में ऐसे समारोह वर्ष 2010 से आयोजित कर रही है। अब तक करीब 16 सौ जोड़ों का विवाह हो चुका है। पटेल मैदान के समारोह में सेवा भारती के क्षेत्रीय सेवा प्रमुख शिव लहरी, संगठन मंत्री मूलचंद सोनी, प्रदेश अध्यक्ष कैलाश शर्मा आदि उपस्थित रहे। तय कार्यक्रम के अनुसार प्रातः7 बजे से सामूहिक विवाह के कार्यक्रम शुरू हुए और दोपहर तीन बजे जोड़ों की विदाई कर दी गई। बारात अग्रवाल स्कूल से शुरू होकर पटेल मैदान पहुंची। सभी जोड़ों को घरेलू सामान समिति की ओर से उपलब्ध करवाया गया। अनेक भामाशाहों ने अपनी ओर से दुल्हन को सुहाग की अनेक वस्तुएं भी दी। बंसल ने कहा कि सर्वजातीय सामूहिक विवाह से जहां विवाह के खर्चों में कमी होती है वहीं जरुरत मंद परिवारों के विवाह भी धूमधाम से सम्पन्न हो जाते हैं। 
जब मुस्लिम बच्चियों ने फर्राटे से बोली अंग्रेजी।
अजमेर के ऊंटड़ा में हुआ शिक्षा का शानदार जलसा।
दीनी के साथ साथ दुनिया की शिक्षा भी जरूरी।
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29 अप्रैल को अजमेर के निकटवर्ती ऊंटड़ा में इदारा-ए-दावत-उल हक संस्था की ओर से शिक्षा से जुड़ा एक शानदार जलसा हुआ, इस जलसे में देश की प्रमुख मस्जिदों के मुफ्ती और मुस्लिम विद्वानों ने भाग लिया। संस्था के प्रमुख मौलाना मोहम्मद अयूब कासमी ने मुझे भी खास तौर से दावत दी। मुस्लिम धर्म गुरुओं विद्वानों और विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों से भरे हुए मंच पर मुझे भी बोलने का अवसर मिला। मैं अपनी बात कहने के बजाए यहां ऊंटड़ा के जलसे के बारे में लिख रहा हंू। जलसे में मदरसे में पढ़ने वाले मुस्लिम बच्चों को हाफिज और कारी की डिग्री दी गई। लेकिन वहीं सरकार के मापदंडों के अनुरूप स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करने वाले मुस्लिम बच्चों को भी सम्मानित किया गया, जिन बच्चों ने 10वीं और 12वीं की कक्षा में 70 प्रतिशत से भी ज्यादा अंक प्राप्त किए उन्हें समाज की शान मानते हुए प्रमाण पत्र दिए गए। मैंने देखा कि जिन मुस्लिम बच्चियों ने हाफिज और कारी की डिग्री ली वे बच्चियां फर्राटे से अंग्रेजी भी बोल रही थी। मौलाना कासमी ने जब खुले मंच से सवाल किए तो बच्चियों ने डिग्री के अनुरूप जवाब भी दिए। जिस आत्मविश्वास से बच्चियों ने अंग्रेजी में अपनी बात रखी उससे साफ जाहिर था कि ये बच्चियां आगे चल कर आसमान की ऊंचाईयां हांसिल करेंगी। लड़के और लड़कियों ने पवित्र कुरान शरीफ की आयते भी पूरे आत्मविश्वास के साथ सुनाई। 10 वर्ष से भी कम उम्र के बच्चों की याददाश्त वाकई काबिले तारीफ रही। मुस्लिम समाज में शिक्षा के महत्व को और बताते हुए मुस्लिम विद्वान और ख्वाजा साहब की दरगाह संस्था अंजुमन शेख जादगान के सदर एस जर्रार चिश्ती ने कहा कि 27 अप्रैल को यूपीएससी ने आईएएस की परीक्षा का जो परिणाम जारी किया है उसमें 40 सफल अभ्यर्थी मुस्लिम हैं। यानि अवसर मिले तो मुस्लिम युवा भी देश की सेवा करने में पीछे नहीं रहेगा। राजस्थान अल्पसंख्यक अधिकारी और कार्यकारी अध्यक्ष हारून खान ने कहा कि हमारा संघ जरुरतमंद बच्चों की पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाता है। इसके लिए मोबाइल नम्बर 8764419910 पर सम्पर्क किया जा सकता है। 
यूनिवर्सिटी की योजना भीः
ऊंटड़ा संस्था के प्रमुख मौलाना अयूब कासमी ने कहा कि मुस्लिम परिवारों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उनकी संस्था शिक्षण संस्थान चला रही है। अब ऊंटड़ा में एक यूनिवर्सिटी शुरू करने की एक योजना है। उम्मीद है कि अगले वर्ष तक काम शुरू हो जाएगा। अभी ऊंटड़ा के शिक्षण संस्थान में 72 कक्षाओं में पढ़ाई करवाई जाती है। कमरों की कमी की वजह से 14 कक्षाएं खुले मैदान में लगती। लेकिन अब जन सहयोग से नए कमरों का निर्माण हो रहा है। उन्हें उम्मीद है कि इसमें धन की कोई कमी नहीं आएगी। ऊंटड़ा की संस्था के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9950578600 पर मौलाना कासमी से ली जा सकती है। इस अवसर पर देश के प्रमुख मुस्लिम विद्वान हाजी शकील सैफी ने कहा कि ऊंटड़ा में शिक्षा के विकास में धन की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी।
निकाह भी हुएः
मुस्लिम समाज में उदाहरण प्रस्तुत करते हुए मौलाना अयूब कासमी ने अपनी बेटी का निकाह भी शैक्षिक जलसे में किया। यानि जलसे की दावत का खर्चा मौलाना कासमी ने वाहन किया, इतना ही नहीं अपनी बेटी के निकाह के साथ 6 अन्य मुस्लिम लड़कियों का निकाह भी करवाया। मौलाना कासमी समय समय पर सामूहिक विवाह के कार्यक्रम भी करवाते हैं।
ये विद्वान रहे मौजूदः
कफलेता जामिआतुल केरात के कारी अब्दुल हई, कड़ौदा के दारूल उलम के मुफ्ती आरीफ, खिरबा के दारुल उलूम देवबंद के मौलाना मेहमुदुल हसन, ख्वाजा साहब की दरगाह के गद्दीनशीन फकर काजमी, शेखजादा जुल्फिकार चिश्ती, अंजुमन के सचिव डाॅ अब्दुल माजिद चिश्ती, जयपुर की शाही मस्जिद के मौलाना अमजद साहब, बेनऊ के मौलाना रहीमुद्दीन, जमियत उलमा-ए-हिन्द के सचिव मौलाना हकीमुद्दीन, पोखरन के मौलाना मोहम्मद अमीन, जयपुर के शहर काजी मुफ्ती जकिर मौलाना, मोहम्मद मेहमूद खान, मौलाना काजिम अली, हाजी इंसाफ अली, इकबाल कुरैशी, आरीफ हुसैन, मेहराज खान, नवाब हिदायत उल्ला व आरिफ कुरैशी आदि उपस्थित रहे।
अजयमेरु प्रेस क्लब के वरिष्ठ सदस्यों का सम्मान  एक सकारात्मक पहल।
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29 अप्रैल को अजमेर के सूचना केन्द्र के सभागार में अजयमेरु प्रेस क्लब के वरिष्ठ सदस्यों का सम्मान किया गया, इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रताप सनकत और महासचिव विनीत लोहिया की यह सकारात्मक पहल है। प्रेस क्लब में गैर पत्रकार भी जुड़े हुए हैं जो समाज में सम्मानित है। 60 वर्ष की उम्र से अधिक के सदस्यों का सम्मान समाज में एक नई दिशा प्रदान करेगा। सम्मान समारोह में पुष्कर स्थित चित्रकूट धाम के उपासक पाठक जी महाराज, दैनिक भास्कर के अजमेर संस्करण के सम्पादक रमेश अग्रवाल और स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी अतिथि के तौर पर उपस्थित रहे। सम्मानित होने वाले सदस्यों का शाॅल ओढ़ाकर स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र और श्रीफल भेंट किया गया। इस सफल कार्यक्रम के लिए मोबाइल नम्बर 9983989111 पर क्लब के अध्यक्ष सनकत को बधाई दी जा सकती है। 
ये सदस्य हुए सम्मानितः
इन्दर सिंह चैहान, जगदीश मूलचंदानी, सीपी कटारिया, सत्यनारायण गर्ग, नवीन सोगानी, बख्शीश सिंह, प्यारे मोहन त्रिपाठी, सूर्य प्रकाश गांधी, राजेन्द्र मित्तल, डाॅ अशोक मित्तल, हरीश वरियानी, विनीत लोहिया, सरवर सिद्दिकी, गोमीरानी, मोहन सिंह टांक, अमर सिंह राठौड, सतीश शर्मा, रतन लाल बाकोलिया, पीके शर्मा, अनिल गुप्ता, नरेन्द्र चैहान, राजेन्द्र गुंजल, रामचन्दर विजरानी, विनोद कुमार शर्मा, योगेन्द्र सैन, नरेन्द्र कुमार जैन, अरविंद कुमार जैन, महेन्द्र विक्रम सिंह, देवीदास दीवाना, सोमरत्न आर्य, एसएन सिंह, सुरेश गर्ग, बीएल माथुर, वेद माथुर को सम्मानित किया।
तो राहुल गांधी को अंतिम समय भगवान शिव का ही ध्यान आया। इसलिए अब दर्शन के लिए कैलाश मानसरोवर जाएंगे।
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29 अप्रैल को दिल्ली में कांग्रेस की ओर से जन आक्रोश रैली की गई। रैली में सोनिया गांधी के साथ-साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी केन्द्र की भाजपा सरकार की नीतियों की आलोचना की, लेकिन इसके साथ ही राहुल गांधी ने अपने भाषण में गंभीर होते हुए विगत दिनों जब उनका हवाई जहाज 8 हजार फीट ऊंचाई से नीचे गिर रहा था, तब उन्हें लगा, गाड़ी गई, तभी उन्हें कैलाश मानसरोवर का भी ध्यान आया। उन्हें लगा कि वे तो कैलाश मानसरोवर जा रहे हैं, अब जब विमान सुरक्षित उतर गया तो मैं कैलाश मानसरोवर जाना चाहता हंू। मैं कर्नाटक के चुनाव के बाद 15 दिनों के लिए कैलाश मान सरोवर की यात्रा पर जाऊंगा।
यह है महिमाः
कैलाश पर्वत और मानसरोवर को धरती का केंद्र माना जाता है। यह हिमालय के केंद्र में है। मानसरोवर वह पवित्र जगह है, जिसे शिव का धाम माना जाता है। मानसरोवर के पास स्थित कैलाश पर्वत पर भगवान शिव साक्षात विराजमान हैं। यह हिन्दुओं के लिए प्रमुख तीर्थ स्थल है। संस्कृत शब्द मानसरोवर, मानस तथा सरोवर को मिल कर बना है जिसका शाब्दिक अर्थ होता है- मन का सरोवर।

Friday 27 April 2018

लोकायुक्त का कार्यकाल बढ़ाने का मामला हाईकोर्ट पहुंचा। मुख्य न्यायाधीश सुनवाई से हटे।
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राजस्थान के लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी के कार्यकाल में तीन वर्ष की वृद्धि करने का मामला अब हाईकोर्ट में पहुंच गया है। अधिवक्ता डाॅ. विभूति भूषण शर्मा ने एक याचिका दायर कर लोकायुक्त का कार्यकाल पांच वर्ष से बढ़ा कर आठ वर्ष करने पर आपत्ति की है। याचिका में कहा गया है कि सरकार ने अध्यादेश ला कर कार्यकाल तब बढ़ाया जब विधानसभा सत्र कुछ दिन पहले ही समाप्त हुआ था। वैसे भी लोकायुक्त एक्ट के अनुरूप कार्यकाल बढ़ाने का प्रावधान नहीं है। लोकायुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया निर्धारित है। यह नियुक्ति पांच वर्ष के लिए की जाती है। सरकार ने नियुक्ति की प्रक्रिया को पूरा किए बिना ही कार्यकाल में वृद्धि कर दी। इस याचिका पर 26 अप्रैल को मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग व न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ में सुनवाई हुई, लेकिन सुनवाई शुरू होने से पहले ही मुख्य न्यायाधीश अलग हो गए। अब इस मामले में आगामी 10 मई को दूसरी बेंच सुनवाई करेगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि लोकायुक्त कोठारी राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश भी रह चुके हैं। कोठारी की नियुक्ति गत कांग्रेस के शासन में हुई थी और अब भाजपा के शासन में कार्यकाल में वृद्धि के लिए अध्यादेश लाया गया है। 
वसुंधरा जी, जब अमित शाह ही आपका चेहरा नहीं पढ़ पाए, तो ये बेचारे मीडिया वाले क्या समझेेंगे। आखिर गजेन्द्र सिंह शेखावत को नहीं बनने दिया प्रदेशाध्यक्ष।
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इसमें कोई दोराय नहीं कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे राजनीति की माहिर खिलाड़ी हैं। पिछले 12 दिनों से अटके पड़े प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद को लेकर राजे ने 26 अप्रैल को दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की। राजे कोई तीन घंटे तक शाह के साथ रही और जब बाहर निकली तो मीडिया कर्मियों से मुलाकात का निर्णय जानना चाहा तो राजे के चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए कहा, यू केन सी माई फेस यानि आप लोग मेरे चेहरे को देख कर वार्ता का अंदाजा लगा लें। जिस अंदाज में राजे ने मीडिया कर्मियों से कहा उससे यह जाहिर होता है कि राजे ने जोधपुर के संसद और केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष बनने से रोक दिया है यानि भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव रामलाल शेखावत की जो जिद कर बैठे थे, उस पर वसुंधरा राजे ने विराम लगा दिया है। जहां तक यू केन सी माई फेस का सवाल है तो अमित शाह जैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष ही राजे का चेहरा नहीं पढ़ सके तो बेचारे मीडिया कर्मियों की तो विसात ही क्या है? मीडिया में तो वो ही आता है जो मीडिया घरानों के मालिक चाहते हैं। कई बार पत्रकार साथी चेहरा पढ़ और समझ भी लेता है, लेकिन हकीकत बयां नहीं कर पाता और फिर वसुंधरा राजे जैसे राजनेता का चेहरा पढ़ना इतना आसान नहीं है। यदि राजनेताओं का चेहरा इतना ही मासूम और पारदर्शी होता तो राजनीति इतनी खराब नहीं होती? आमतौर पर कहा जाता है कि नेता की कथनी और करनी में अंतर होता है, यानि नेता कहता कुछ है और करता कुछ है। समझ में नहीं आता कि वसुंधरा राजे ने किस भाव से मीडिया को चेहरा पढ़ने के लिए कह दिया।
शेखावत को रोकाः
16 अप्रैल को अशोक परनामी ने जब से प्रदेशाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया, तभी से राजस्थान में सत्तारूढ़ भाजपा में उथल पुथल मची हुई थी। जब भाजपा हाई कमान ने गजेन्द्र सिंह शेखावत को प्रदेशाध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया तो वसुंधरा राजे ने अपने हिमायती मंत्रियों और विधायकों को दिल्ली भेज दिया। पहले शेखावत की घोषणा को रुकवाया गया और फिर 26 अप्रैल को अमित शाह की मुलाकात से घोषणा को कई दिनों के लिए टलवा दिया। अब कहा जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव के परिणाम के बाद राजस्थान में प्रदेशाध्यक्ष की घोषणा होगी। जिस तरह से राजे ने शेखावत को रोकने के लिए अपने वीटो पावर का इस्तेमाल किया है उससे राजपूत समाज में और नाराजगी बढ़ी है। पद्मावती फिल्म और अन्य कारणों से  राजपूत और रावणा राजपूत समाज पहले से ही वसुंधरा राजे से नाराज चल रहे हैं।
अजमेर के सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेजों में ग्रीष्मकालीन अवकाश निरस्त। शिक्षकों और कर्मचारियों में रोष। चुनाव के मौके पर प्राचार्य रंजन माहेश्वरी का बेतुका फरमान।
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राजस्थान में नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मौके पर जहां सरकार समाज के हर वर्ग की नाराजगी को दूर करने में लगी हुई है, तब अजमेर के सरकारी इंजीनियरिंग काॅलेजों में ग्रीष्मकालीन अवकाश निरस्त करने के आदेश जारी किए गए हैं। बाॅयज और गल्र्स काॅलेजों की प्राचार्य रंजन माहेश्वरी ने 26 अप्रैल को जारी अपने आदेश में कहा कि तकनीकी शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए चल रही विश्व बैंक की स्कीम के मद्देनजर अवकाश निरस्त किए जा रहे हैं। पूर्व में जिन शिक्षकों और कर्मचारियों के अवकाश स्वीकृत कर दिए गए हैं, उन्हें भी तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाता है। अब कोई भी स्टाफ अवकाश के लिए आवेदन नहीं करें। प्राचार्य के इस आदेश से शिक्षकों और कर्मचारियों में रोष है। शिक्षकों का कहना है कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के मद्देनजर ही पूर्व में रेल आदि के आरक्षण करवा लिए थे। लेकिन अब समस्या खड़ी हो गई है। विश्व बैंक की जिस स्कीम का बहाना कर अवकाश निरस्त किए हैं उस स्कीम में पहले से ही अनेक शिक्षक समायोजित हैं। अवकाश निरस्त करने से काॅलेजों पर आर्थिक भार भी पड़ेगा, क्योंकि शिक्षकों को अतिरिक्त भुगतान करना पड़ेगा। काॅलेजों की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि अतिरिक्त बोझ वहन कर सकें। शिक्षकों का पहले ही बकाया चल रहा है।
गल्र्स काॅलेज के प्राचार्य का पद छोड़ चुके हैंः
पिछले दिनों गल्र्स काॅलेज के प्राचार्य का पद माहेश्वरी ने छोड़ दिया था। तब काॅलेज की छात्राओं ने फीस वृद्धि का विरोध किया था, लेकिन दो माह गुजर जाने के बाद भी सरकार ने नए प्राचार्य की नियुक्ति नहीं की। अब जब माहेश्वरी ने गल्र्स काॅलेज में भी ग्रीष्मकालीन अवकाश निरस्त करने के आदेश दिए हैं तो जाहिर है कि माहेश्वरी इस काॅलेज के प्राचार्य का पद छोड़ा नहीं है। वैसे ही माहेश्वरी ने गल्र्स काॅलेज के संचालन के लिए शिक्षकों की एक कमेटी बना रखी है। कमेटी के सदस्य ई-मेल या वाट्सएप के जरिए ही माहेश्वरी से दिशा निर्देश प्राप्त करते हैं। यानि सीधे कोई संवाद नहीं होता। जानकारों के अनुसार रंजन माहेश्वरी प्रदेश की उच्च शिक्षा मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी के परिचित हैं, इसलिए विभाग के किसी अधिकारी की भी कुछ कहने की हिम्मत नहीं होती। यही वजह है कि अवकाश निरस्त के आदेश के बारे में काॅलेज के रजिस्ट्रार कार्यालय से जारी ही नहीं हुआ है, इसलिए मुझे कुछ पता नहीं है। वहीं 27 अप्रैल को प्राचार्य माहेश्वरी बाॅयज काॅलेज में नहीं आए और न ही मोबाइल पर संवाद हुआ। माहेश्वरी का मोबाइल स्वीच आॅफ ही रहा।

Thursday 26 April 2018

आखिर कब सुनेंगे राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री।

स्कूल क्रमोन्नत करवाने के लिए छात्राओं को धरना प्रदर्शन करना पड़े तो किसी भी सरकार के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक बात नहीं हो सकती। आखिर कब सुनेंगे राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री।
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अजमेर जिले के मसूदा विधानसभा क्षेत्र में आने वाले भरकाला गांव के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय को लेकर एक ब्लाॅग मैंने 25 अप्रैल को लिखा था। इस ब्लाॅग के बाद गांव में उत्साह का संचार हुआ और 26 अप्रैल को स्कूल की छात्राओं और उनके अभिभावकों ने मसूदा उपखंड कार्यालय पर जोरदार धरना प्रदर्शन किया। तपती धूप में छात्राएं बैठी रही और स्कूल को क्रमोन्नत करने की मांग की। छात्राओं की ओर से उपखंड अधिकारी सुरेश चावला को जो ज्ञापन दिया गया उसमें कहा गया कि स्कूल को 12वीं कक्षा तक क्रमोन्नत करने के लिए पिछले एक वर्ष से मांग की जा रही हैं। सरकार के मापदंडों पर हमारा स्कूल खरा उतरता है, लेकिन इसके बाद भी स्कूल को क्रमोन्नत नहीं किया जा रहा। 299 विद्यार्थियों में से 155 छात्राएं हैं। चूंकि आठवीं के बाद पढ़ाई के लिए कोई आठ किलोमीटर दूर दूसरे गांव में जाना होता है, इसलिए अनेक छात्राएं आगे की पढ़ाई से वंचित हो जाती है। सुरक्षा के अभाव में अनेक अभिभावक अपनी बच्चियों को दूसरे गांव में पढ़ने के लिए नहीं भेजते। वैसे भी भरकाला से आसपास के गांव में जाने के लिए यातायात की सुविधा नहीं है। अभिभावकों के प्रतिनिधि मनोज काठात, रोशन काठात, अजीत आदि ने बताया कि स्कूल को क्रमोन्नत करने के लिए प्रदेश के शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी से कई बार मुलाकात की गई। लेकिन आज तक भी स्कूल क्रमोन्नत नहीं हुई है। यदि अब भी स्कूल को क्रमोन्नत नहीं किया गया तो स्कूली छात्राएं और अभिभावक अजमेर में जिला मुख्यालय पर बेमियादी धरना देंगे। 26 अप्रैल के धरने के लिए छात्राएं और उनके अभिभावक भरकाला गांव से सुबह ही मसूदा कस्बे में आ गए थे। पहले छात्राओं ने मसूदा में रैली निकाली और फिर शाम तक उपखंड कार्यालय के बाहर धरना दिया। छात्राओं ने जमकर नारेबाजी भी की। 

मौलाना की गिरफ्तारी क्यों नहीं?

जब आसाराम को उम्रकैद हो सकती है तो दिल्ली के मौलाना की गिरफ्तारी क्यों नहीं? 10 वर्षीय मासूम के साथ मदरसे में हुआ रेप।
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हालांकि कानून धर्म को नहीं देखता और न ही लोगों की धार्मिक भावनाओं से अदालत प्रभावित होती है। यही वजह है कि आसाराम जैसा सुविख्यात संत कथा वाचक आध्यात्मिक गुरु भी अब ताउम्र जेल में ही रहेगा। न्यायाधीश ने अपने फैसले में भी कहा कि आसाराम ने एक संत की मर्यादाओं को भी तोड़ा है। इसलिए अब यह सवाल उठ रहा है कि दिल्ली के गाजीपुर में चलने वाले मदरसे के एक मौलाना को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा? 10 वर्षीय बच्ची के साथ इसी परिसर में रेप हुआ। पुलिस ने एक नाबालिग युवक को तो गिरफ्तार कर लिया, लेकिन मादसे के मौलाना को गिरफ्तार नहीं किया है, जबकि पीड़िता के पिता का कहना है कि मदरसे से जुड़ी मस्जिद में वे भी नमाज पढ़ने जाते हैं और उन्होंने मौलाना को संदिग्ध निगाह से भी देखा है। उनकी बेटी के रेप के षड़यंत्र में मदरसे का एक और व्यक्ति जुड़ा हुआ है। हमारी शिकायत पर पुलिस ने बच्ची को मदरसे से ही बरामद किया और आरोपी युवक के साथ मौलाना और एक अन्य व्यक्ति को भी थाने लाया गया था, लेकिन दबाव में पुलिस ने मौलाना और उसके साथी को छोड़ दिया। पिता का आरोप है कि गाजीपुर पुलिस स्टेशन की पुलिस मौलाना के रसूकातों से प्रभावित है। जिस तरह 10 वर्षीय मासूम के साथ रेप की वारदात सामने आई है, वह अपने आप में गंभीर है। आसाराम ने भी जोधपुर के आश्रम में पाप किया तो दिल्ली में भी मदरसे का उपयोग किया। इन दोनों ही स्थानों पर भरोसे को तोड़ा गया है। दिल्ली पुलिस को निष्पक्ष जांच कर मौलाना की भी गिरफ्तारी करनी चाहिए, ताकि लोगों का भरोसा कानून पर बना रहे।

सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन तो अजमेर सहित राजस्थान भर में नहीं हो रहा स्कूली वाहनों पर।

सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन का पालन तो अजमेर सहित राजस्थान भर में नहीं हो रहा स्कूली वाहनों पर। कुशीनगर में 13 और दिल्ली में एक मासूम की दर्दनाक मौत।
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26 अप्रैल को यूपी के कुशीनगर में एक स्कूली वाहन के ट्रेन से टकरा जाने से 13 मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई। इसी प्रकार दिल्ली में स्कूल वाहन एक दूध के टेंकर से टकरा गया, जिससे एक बच्चे की मौत हो गई। कुशीनगर के हादसे पर तो प्रधानमंत्री  ने भी दुःख जताया है। स्कूल के बच्चों के काम आने वाले वाहनों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गाइड लाइन जारी कर रखी है। इसमें वाहन का रंग पीला, वाहन पर स्कूल का नाम, फोन नम्बर व चालक का नाम फोन नम्बर, आग बुझाने का उपकरण, चिकित्सा बाॅक्स, आपात कालीन खिड़की दरवाजे पर लाॅक  आदि की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही कोई भी स्कूली वाहन 40 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से ज्यादा न चले। लेकिन सब जानते है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन की पालना अजमेर सहित पूरे राजस्थान में नहीं होती है। अजमेर के अधिकांश बड़े स्कूलों ने तो अपने वाहन ही हटा दिए हैं। ऐसे में बच्चे वैन, आॅटो आदि वाहनों से ही सफर करते हैं। इसमें अधिकांश वैन ही है। कई वैन तो गैस किट से संचालित हो रही है। एक वैन में दो स्कूलों के बच्चों को भरा जाता है। वैन और आॅटो चालक का मकसद अधिक से अधिक धन कमाना होता है। चालक को बच्चों की सुरक्षा से कोई मतलब नहीं होता। अजमेर में तो टेªफिक पुलिस ने वाहनों को टोकन नम्बर देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है। अधिकांश वाहनों में सुरक्षा के कोई उपाय नहीं है। गंभीर बात तो यह है कि टोकन लेने के साथ जिस चालक की फोटो, ड्राइविंग लाइसेंस आदि दस्तावेज दिए, वह ड्राइवर वर्तमान में वाहन चला ही नहीं रहा है। लेकिन एक बार टोकन देने के बाद कोई जांच पड़ताल नहीं होती।
अभिभावक भी खामोशः
व्यस्त जिन्दगी की वजह से अभिभावक भी खामोश हैं। कोई भी अभिभावक इस मुद्दे पर जागरुकता नहीं दिखाता है। जबकि वाहन चालक मनमाना शुल्क वसूलते हैं। स्कूल के संचालक भी कोई जिम्मेदारी नहीं लेते। सवाल उठता है कि जब फीस के नाम पर मोटी राशि ली जाती है तो बच्चों का ख्याल क्यों नहीं रखा जाता? यातायात विभाग के अधिकारी भी पुलिस की तरह अपने स्वार्थ पूरे करने में लगे रहते हैं।

सात वर्षीय मासूम के साथ मंदिर में 70 वर्षीय पुजारी ने अश्लील हरकतें की।

सात वर्षीय मासूम के साथ मंदिर में 70 वर्षीय पुजारी ने अश्लील हरकतें की। पिता की शिकायत पर बाबा सेवानंद पाॅक्सो एक्ट में गिरफ्तार। अजमेर के कल्याणीपुरा का मामला।
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कथा वाचक आसाराम को उम्रकैद का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि 26 अप्रैल को अजमेर के कल्याणीपुरा क्षेत्र के एक मंदिर में सात वर्षीय मासूम के साथ 70 वर्षीय मंदिर के पुजारी बाबा सेवानंद उर्फ बलवंत सिंह के द्वारा अश्लील हरकतें करने का मामला उजागर हो गया। पुलिस ने देररात को ही बाबा को पाॅक्सो एक्ट में गिरफ्तार कर लिया है। पीड़िता के पिता ने जो शिकायत दर्ज करवाई उसमें कहा गया कि 25 अप्रैल को दिन में वे अपनी सात वर्षीय बेटी को मंदिर में छोड़ कर गए थे और मंदिर के पुजारी बाबा सेवानंद से ध्यान रखने का आग्रह किया था। लेकिन जब वह लौटा तो देखा कि बाबा सेवानंद मासूम बच्ची के साथ संदिग्ध अवस्था में है। पिता का कहना रहा कि बाबा ने उसके भरोसे को तोड़ा है। हालांकि पूर्व में आपसी समझाइश से मामले को खत्म करने की कोशिश की गई, लेकिन जब पिता नहीं माना तो अलवर गेट पुलिस को मुकदमा दर्ज करना पड़ा। 70 वर्षीय बाबा सेवानंद ने सभी आरोपों से इंकार किया है। बाबा का कहना रहा कि सात वर्षीय बच्ची तो उसकी पोती के समान है। कल्याणीपुरा क्षेत्र के लोगों के अनुसार बाबा सेवानंद पिछले चालीस वर्षों से मंदिर में पूजा पाठ का काम कर रहा है। बाबा का असली नाम बलवंत सिंह है जो मध्यप्रदेश के जबलपुर का रहने वाला बताया जाता है। पुलिस अब पीड़िता का मेडिकल करवा कर जांच कर रही है। 

दिल्ली में मुलाकात से पहले अमित शाह नागपुर में मोहन भागवत से मिले तो।

दिल्ली में मुलाकात से पहले अमित शाह नागपुर में मोहन भागवत से मिले तो। वसुंधरा राजे ने बांसवाड़ा के त्रिपुरासुंदरी मंदिर में अनुष्ठान किया। अब हो सकती है राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष की घोषणा।
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26 अप्रैल को दिल्ली में भाजपा मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच कोई दो घंटे तक मुलाकात हुई। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष की घोषणा को लेकर इस मुलाकात को राजनीति दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 16 अप्रैल को अशोक परनामी के इस्तीफे के बाद से ही प्रदेश अध्यक्ष को लेकर राष्ट्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच खींचतान शुरू हो गई थी। राजे के हिमायती मंत्रियों और विधायकों ने राष्ट्रीय संगठन महासचिव रामलाल से मुलाकात की, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसलिए अमित शाह और वसुंधरा राजे की मुलाकात का निर्णय लिया गया। मुलाकात से पहले अमित शाह ने 25 अप्रैल को नागपुर पहुंच कर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत से मुलाकात की। अन्य मुद्दों के साथ-साथ राजस्थान के भाजपा अध्यक्ष के विवाद पर भी चर्चा हुई। शाह की ओर से भागवत को राजे के व्यवहार की जानकारी दी गई। इसी प्रकार 26 अप्रैल की सुबह वसुंधरा राजे ने बांसवाड़ा के त्रिपुरासुंदरी मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान किया। राजे का कहना रहा कि वे महत्वपूर्ण अवसरों पर इस मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आती रहती हैं। हालांकि राजे का मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान का कोई कार्यक्रम तय नहीं था। तय कार्यक्रम के अनुसार राजे को बांसवाड़ा में बाबा रामदेव के योग शिविर के समापन समारोह में भाग लेना था। राजे के लिए धार्मिक अनुष्ठान कितना महत्व रखता है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ट्राइबल यूनिवर्सिटी के भवनों के शिलान्यास की रस्म भी राजे ने योग शिविर में ही कर दी। यदि राजे यूनिवर्सिटी के परिसर में जाकर शिलान्यास करती तो फिर धार्मिक अनुष्ठान में विलम्ब हो सकता था। सीएम बांसवाड़ा से सीधे दिल्ली के लिए रवाना हो गई। सीएम के साथ बाबा रामदेव भी सरकारी चार्टर प्लेन में सवार थे। 
माना जा रहा है कि शाह और राजे की मुलाकात के बाद अब कभी भी प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा हो सकती है। राजे अपने साथ कागजों का पुलिंदा भी ले गई थी। इसके माध्यम से राजे ने प्रदेश के जातीय समीकरणों से अमित शाह को अवगत कराया। सूत्रों के अनुसार राजे ने बताया कि केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत किन कारणों से प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए उपयुक्त नहीं रहे। मालूम हो कि भाजपा हाईकमान शेखावत के पक्ष में है, लेकिन मुख्यमंत्री राजे और उनके समर्थक लगातार शेखावत का विरोध कर रहे हैं। इसलिए प्रदेश अध्यक्ष का मामला अटका हुआ है। हालांकि मुलाकात के दौरान कई बार मतभेद की स्थिति भी सामने आई। बैठक में राष्ट्रीय महासचिव रामलाल भी उपस्थित रहे। जाकारों का मानना है कि राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेतृत्व चुनाव के मौके पर कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते हैं। 

Tuesday 24 April 2018

तो क्या सलमान खुर्शीद का बयान कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ेगा।

तो क्या सलमान खुर्शीद का बयान कांग्रेस के लिए उल्टा पड़ेगा।  मेरे और पार्टी के दामन पर लगे हैं मुसलमानों के खून के धब्बे।
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कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद के बयान से अब एक नया बवाल शुरू हो गया है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के वार्षिकोत्सव में हिस्सा लेने पहुंचे सलमान खुर्शीद ने कहा कि कांग्रेस के दामन पर मुसलमानों के खून के दाग लगे हैं और कांग्रेस का नेता होने के नाते ये दाग मेरे दामन पर भी है। इस बयान पर सलमान खुर्शीद की एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। दरअसल एएमयू के डॉ. बीआर आंबेडकर हॉल में आयोजित वार्षिकोत्सव में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद ने छात्रों से सीधे संवाद किया. इस दौरान छात्रों ने खुर्शीद से तीखे सवाल किए, जिनका उन्होंने खुलकर जवाब दिया। सलमान खुर्शीद ने ट्रिपल तलाक पर छात्रों को जागरूक करते हुए अलीगढ़ से अपने पुराने रिश्ते को याद किया। उन्होंने कहा, इसी यूनिवर्सिटी के वीसी लॉज में पैदाइश हुई थी, लेकिन मुझे इस बात का अफसोस है कि मेरी तरबियत यहां से नहीं हुई।
कांग्रेस नेता का भाषण खत्म होते ही एएमयू के छात्रों ने चुभते हुए सवालों की झड़ी लगा दी। यहां एक छात्र के सवाल के जवाब में उन्होंने कह दिया कि कांग्रेस के दामन पर मुसलमानों के खून के दाग लगे हैं. मैं कांग्रेस का नेता हूं। इस नाते मुसलमानों के खून के यह धब्बे मेरे अपने दामन पर भी हैं। एएमयू के निलंबित छात्र आमिर मिंटोई ने खुर्शीद से पूछा कि 1947 में देश की आजादी के बाद ही 1948 में एएमयू एक्ट में पहले संशोधन, 1950 प्रेसिडेंशल ऑर्डर, जिसमें मुस्लिम दलितों से एसटीध्एससी आरक्षण का हक छिना गया. इसके बाद हाशिमपुरा, मलियाना, मेरठ, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, भागलपुर, अलीगढ़ आदि में मुसलमानों के नरसंहार हुआ. इसके अलावा बाबरी मस्जिद के दरवाजे खुलना, बाबरी मस्जिद में मूर्तियों का रखना और फिर बाबरी मस्जिद की शहादत जो कि कांग्रेस की नरसिम्हा राव सरकार में हुई। इन सारी घटनाओं का हवाला देते हुए आमिर मिंटोई ने सलमान खुर्शीद से पूछा कि कांग्रेस के दामन पर मुसलमानों के खून के जो धब्बे हैं, इन धब्बों को आप किन अल्फाजों से धोना चाहेंगे? इस सवाल के जवाब में सलमान खुर्शीद ने आमिर मिंटोई के लगाए हुए इल्जामों से बचते हुए, ना चाहते हुए भी यह कह गए की कांग्रेस का नेता होने के नाते मुसलमानों के खून के यह धब्बे मेरे अपने दामन पर हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद ने आखिर में छात्रों से इतनी अपील की कि आप गुजरे हुए वक्त से सबक सीखो। उन्होंने छात्रों से कहा कि आप आगे इस बात का ख्याल रखो कि जब कभी आप अलीगढ़ लौटकर आओ तो आपको भी अलीगढ़ में सवाल पूछने वाले मिलें।
अदालत में भी अपने 164 के बयान पर कायम रही थी पीड़िता।
कहा बापू ने दूध पिलाया और फिर गलत काम किया।
आसाराम पर 25 अप्रैल को आएगा फैसला।
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24 अप्रैल को देशभर की मीडिया का जमावड़ा राजस्थान के जोधपुर शहर में हो गया है। जोधपुर की एससीएसटी अदालत के न्यायाधीश मधु सुदन शर्मा 25 अप्रैल को यौन शोषण के मुकदमे में आरोपी आसाराम बापू पर फैसला सुनाएंगे। गुरमीत राम रहीम के फैसले की तरह जोधपुर में कोई हिंसक वारदात न हो इसलिए जोधपुर शहर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है। पुलिस ने शहर वासियों को भी चेतावनी दी है कि वे अपने घरों पर आसाराम के समर्थकों को नहीं ठहराए। होटल वालों को तो पहले ही पाबंद कर दिया गया है। आसाराम के मणाई आश्रम को भी पूरी तरह खाली करा लिया गया है। इतना ही नहीं जोधपुर के खेल स्टेडियम को अस्थाई जेल में तब्दील कर दिया गया है। ताकि आवश्यकता होने पर समर्थकों को इस जेल में रखा जा सके। चूंकि आसाराम सुविख्यात संत और कथा वाचक रहे हैं, इसलिए टीवी चैनलों और अखबारों का सारा ध्यान जोधपुर पर केन्द्रित है। लाइव ओबी वेन आदि उपकरण जोधपुर पहुंच चुके हैं। जोधपुर सेंट्रल जेल में भी अस्थाई अदालत बना दी गई है। न्यायाधीश शर्मा 25 अप्रैल को जेल में बनी इसी अदालत में फैसला सुनाएंगे।
बयान पर कायम रही पीड़िताः
यौन शोषण के आरोपी अदालत में पीड़िता के बदल जाने और गवाहों के मुकरने की वजह से बच जाते हैं। आसाराम के मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से 44 और बचाव पक्ष की ओर से 31 गवाह पेश किए गए। इस मामले में महत्वपूर्ण बात यह है कि यौन शोषण की शिकार नाबालिग बच्ची सुनवाई के दौरान अदालत में भी अपने धारा 164 के बयान पर कायम रही, पीड़िता का कहना रहा कि 24 अगस्त 2013 को आसाराम बापू ने अपने जोधपुर स्थित मणाई आश्रम में बुलाया आसाराम का कहना रहा कि बच्ची पर भूतप्रेत का साया है। ऐसे में अकेले में इलाज करना होगा, जब माता-पिता कमरे से बाहर चले गए तब आसाराम ने नशीला दूध पिलाया और फिर शरीर के सारे कपडे़ उतार दिए। पीड़िता ने अदालत में कहा कि फिर मेरा यौन शोषण किया गया। पीड़िता यूपी के शाहजहांपुर की रहने वाली है। शाहजहांपुर पहुंच कर जब पीड़िता ने अपने माता-पिता को आसाराम बापू की करतूत बताई तो दिल्ली के कमला नगर पुलिस स्टेशन पर रिपोर्ट दर्ज करवाई गई। बाद में यह एफआईआर राजस्थान के जोधपुर में भेज दी गई। उस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक गहलोत मुख्यमंत्री थे। जोधपुर पुलिस ने ही 31 अक्टूबर 2013 को मध्यप्रदेश से आसाराम को गिरफ्तार किया और तभी से आसाराम जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद है। पीड़िता के वकील पीसी सोलंकी का मानना है कि बलात्कार की धारा 376 और नाबालिग से बलात्कार के पोक्सो एक्ट में उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। सोलंकी का मानना है कि पीड़िता के बयानों पर ही उम्र कैद तक की सजा असाराम को होगी। इसी प्रकार अभियोजन पक्ष का भी कहना है कि सजा के लिए पर्याप्त सबूत अदालत में प्रस्तुत किए गए हैं।

यह तो वसुंधरा राजे की नरेन्द्र मोदी और अमितशाह के नेतृत्व को चुनौती है।

यह तो वसुंधरा राजे की नरेन्द्र मोदी और अमितशाह के नेतृत्व को चुनौती है।
हिमायती मंत्रियों का दिल्ली में ही डेरा। राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष का मामला 9 दिन से लटका।
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24 अप्रैल को भी राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष का मामला अटका पड़ा रहा। अशोक परनामी ने गत 16 अप्रैल को इस्तीफा दे दिया था, तभी से अध्यक्ष का पद रिक्त है। कहा जा रहा है कि भाजपा हाईकमान जिस नेता को अध्यक्ष बनाना चाहता है उस पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की सहमति नहीं है। राजे के विरोध के चलते ही आलाकमान की हिम्मत घोषणा करने की नहीं हो रही। नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री और अमितशाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद संभवतः यह पहला अवसर होगा, जब उनके नेतृत्व को चुनौती मिल रही है। अब तक तो यही माना जाता रहा कि मोदी-शाह का फैसला ही अंतिम होता है, लेकिन राजस्थान में वसुंधरा राजे ने इस धारणा को तोड़ दिया है। मोदी-शाह को साफ संकेत दिए हैं कि यदि प्रदेश नेतृत्व की सहमति से फैसला नहीं हुआ तो राजस्थान में संगठन में दरार भी हो सकती है। पहले यह संदेश प्रदेश के संगठन महासचिव चन्द्रशेखर के जरिए भिजवाया गया, लेकिन जब चन्द्रशेखर की नहीं चली तो फिर समर्थक विधायकों और मंत्रियों को भेजा गया। अभी सारी गतिविधियां जयपुर की ओर से हो रही है। दिल्ली ने कोई जवाब नहीं दिया है। जानकारों की माने तो राष्ट्रीय नेतृत्व प्रदेश नेतृत्व की ताकत का आंकलन कर रहा है। यह देखा जा रहा है कि 160 भाजपा विधायकों में कितने विधायक प्रदेश नेतृत्व के साथ ही रहेंगे। हालांकि अभी सरकार का नेतृत्व बदलने का अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। लेकिन ऐसी परिस्थितियों का भी अध्ययन किया जा रहा है। प्रदेश नेतृत्व के समर्थक माने या नहीं, लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व बेहद खफा है। यही वजह है कि मोदी-शाह की ओर से वसुंधरा राजे से मिलने की कोई पहल नहीं की जा रही है। यानि प्रदेश नेतृत्व को एक के एक बाद विरोध वाले कदम उठाने की छूट दी जा रही है। इससे प्रदेश नेतृत्व की ताकत का अंदाजा लग जाएगा। राजनीति के जानकारों का मानना है कि जब प्रदेश नेतृत्व में बदलाव होगा तो फिलहाल समर्थन में खड़े विधायक रातों रात पाला बदल लेंगे। मुख्यमंत्री ने अपने तय कार्यक्रम के अनुरूप 24 अप्रैल को दिन भी पाली जिले में बिताया। वहीं शाम तक राष्ट्रीय नेतृत्व ने रोजाना की तरह चुप्पी साधे रखी। राजस्थान भाजपा में ऐसे समय खींचतान सामने आ रही है। जब नवम्बर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और हाल के लोकसभा चुनाव में भाजपा सभी 17 विधानसभा क्षेत्र में हार चुकी है।
मंत्रियों का दिल्ली में डेराः
मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के जो समर्थक मंत्री 23 अप्रैल को दिल्ली गए थे, उन्होंने 24 अप्रैल को भी दिल्ली में ही डेरा डाले रखा। कहा जा रहा है कि ऐसे मंत्रियों को दिल्ली में अपेक्षित सफलता नहीं मिली है। उम्मीद की जा रही है कि 24 अप्रैल की रात को राजस्थान के मुद्दे पर अमित शाह और राष्ट्रीय संगठन महासचिव रामलाल के मध्य कोई वार्ता हो।

सोजत के तहसीलदार को रिश्वत लेते समय मुख्यमंत्री का भी डर नहीं रहा।

सोजत के तहसीलदार को रिश्वत लेते समय मुख्यमंत्री का भी डर नहीं रहा। एसीबी ने रंगे हाथों पकड़ा।
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राजस्थान में भ्रष्टाचारियों के हौंसले कितने बुलंद हैं इसका अंदाजा 24 अप्रैल को सोजत में एसीबी द्वारा की गई कार्यवाही से पता चलता है। सोजत उपखंड पाली जिले में आता है और प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तीन दिवसीय दौरे पर हैं। 24 अप्रैल को मुख्यमंत्री ने दूसरे दिन सुमेरपुर उपखंड में जनसंवाद किया। मुख्यमंत्री जब जनसंवाद में लोगों को ईमानदार प्रशासन देने का दावा कर रही थी कि तभी भीलवाड़ा की एसीबी की टीम ने सोजत के तहसीलदार सत्यनारायण वर्मा को दस हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। तहसीलदार के साथ उसके ड्रावर दुर्गाराम को भी गिरफ्तार किया गया। सीआई हनुमान सिंह के अनुसार तहसीलदार ने एक काश्तकार से नामांतरण करने की एवज में रिश्वत मांगी थी। एसीबी के अधिकारियों को भी इस बात का आश्चर्य रहा कि तहसीलदार को अपने ही जिले में मुख्यमंत्री की उपस्थिति का भी डर नहीं रहा। इससे प्रतीत होता है कि सरकारी महकमों में भ्रष्टाचार किस तरह फैला हुआ है। सोजत का तहसीलदार तो पकड़ा गया, लेकिन राजस्थान भर में जिन लोगों का कोई काम ग्राम पंचायत से लेकर उपाखंड अधिकारी तक के कार्यालयों में पड़ता, उन्हें अच्छी तरह पता है कि फाइल को एक टेबल से दूसरी टेबल तक पहुंचाने के लिए नजराना देना पड़ता है। ऐसे मामलों में कोई सिफारिश काम नहीं आती है। यदि सिफारिश करवाई गई तो पटवारी ही खेल बिगाड़ देता है। राजस्व रिकाॅर्ड में पटवारी स्तर पर पहले गलत इन्द्राज किया जाता है और फिर शुद्धिकरण के लिए रिश्वत मांगी जाती है। सरकार कांग्रेस की हो या भाजपा की गलत इन्द्राज के मामले में किसी भी सरकार ने पीड़ित व्यक्ति को राहत नहीं दी है। न्याय आपके द्वार जैसे अभियान सिर्फ दिखावा साबित हुए हैं।

Monday 23 April 2018

तो अजमेर के मदार गेट चैराहे पर ही आते हैं श्याम बाबा।
26 को शोभायात्रा तथा 27 को भजन संध्या होगी।
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इसे आयोजकों और भक्तों की आस्था ही कहा जाएगा कि अजमेर के मदारगेट चैराहे पर इस साल भी खाटू वाले श्याम बाबा का वार्षिकोत्सव 26 व 27 अप्रैल को धूमधाम से मनाया जाएगा। भक्तों का मानना है कि श्याम बाबा मदारगेट चैराहे पर ही आते हैं। इसलिए प्रतिवर्ष इसी चैराहे पर विशाल भजन संध्या की जाती है। श्री श्याम प्रेम मंडल के प्रतिनिधि गोपाल गोयल (9414008244), विमल गर्ग (9214071182) तथा देवेश्वर प्रसाद गुप्ता (9414008220) ने बताया कि आज से 25 वर्ष पहले मदार गेट स्थित बालाजी मंदिर में खाटू वाले श्याम बाबा की प्रतिमा स्थापित की गई थी और तभी से मदारगेट चैराहे पर वार्षिकोत्सव मनाया जा रहा है। चूंकि इस बार 25वां वार्षिकोत्सव है, इसलिए शहर भर में सजावट की जा रही है। 26 अप्रैल को सायं साढ़े छह बजे मदार गेट चैराहे से ही विशाल शोभायात्रा शुरू होगी जो विभिन्न मार्गों से होते हुए पनुः मदार गेट पर ही समाप्त होगी। शोभायात्रा में झांकियों को सजाने के लिए दिल्ली और कोलकाता से कलाकार बुलाए गए हैं। इसी प्रकार 27 अप्रैल को रात्रि आठ बजे से चैराहे पर ही भजन संध्या शुरू होगी। यह भजन संध्या खाटू स्थित श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मोहनदास महाराज के सान्निध्य में होगी। इसमें सुप्रसिद्ध भजन गायक लखवीर सिंह लक्खा, राजू बावरा और विलम गर्ग भजनों की प्रस्तुति देंगे। भजन संध्या में महिलाओं और पुरुषों के बैठने के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गई है। उचित व्यवस्था के लिए श्रद्धालुओं को निमंत्रण पत्र साथ लाना होगा। उन्होंने बताया कि भजन संध्या के लिए मदार गेट चैराहे का स्थान छोटा पड़ता है, लेकिन फिर भी इसी स्थान पर भजन संध्या की जाती है। भक्तों का मानना है कि मदार गेट पर भजन संध्या होने की वजह से ही खाटू वाले श्याम बाबा शामिल होते हैं। भजनों के दौरान मदारगेट चैराहे का पूरा माहौल श्याममय हो जाता है। 
जयपुर में सात दिनों से आमरण अनशन पर बैठे विद्यार्थी जगप्रवेश मान की सुनने वाला कोई नहीं। आखिर कैसीे निर्दयी है ये सरकार। अब सीएम से पाली मिलने जाएगा विद्यार्थियों का दल।
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जयपुर में राजस्थान यूनिवर्सिटी के परिसर में चलने वाले पांच वर्षीय लाॅ काॅलेज को बंद होने से रोकने और स्थाई मान्यता दिलवाने के लिए काॅलेज के ही विद्यार्थी जगप्रवेश मान पिछले सात दिनों से आमरण अनशन पर बैठे है। लेकिन इस विद्यार्थी की कोई सुनने वाला नहीं है। काॅलेज को बचाने के लिए मान को अधिकांश विद्यार्थियों का समर्थन प्राप्त है। मान के अनशन से जुड़े विद्यार्थी सिद्धार्थ मजिठिया ने बताया कि काॅलेज को बीसीआई से स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से ही वर्ष 2018-19 में प्रथम वर्ष में प्रवेश नहीं हो पा रहे हैं। चूंकि काॅलेज में स्थाई फैकल्टी और अन्य सुविधाएं नहीं है इसलिए बीसीआई ने मान्यता देने से इंकार कर दिया है। काॅलेज को बंद होने से बचाने के लिए ही जगप्रवेश मान आमरण अनशन पर बैठे हैं। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने विस्तृत रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। इसमें कोई तीन करोड़ रुपए की मांग की गई है ताकि यह काॅलेज चलता रहे। मजिठिया ने बताया कि इस लाॅ काॅलेज में प्रदेश भर के विद्यार्थी पढ़ाने आते हैं पूरे देश में इस लाॅ काॅलेज की ख्याति है। लेकिन इसके बावजूद भी राज्य सरकार कोई सुनवाई नहीं कर रही है। विद्यार्थियों ने 23 अप्रैल को राजभवन में भी सम्पर्क साधा। राजभवन की ओर से भरोसा दिलाया गया कि इस संबंध में राज्य सरकार को पत्र लिखा जाएगा। वहीं प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर डूडी ने भी विद्यार्थियों की मांगों का समर्थन किया है।
पाली जाएगा दलः
मजिठिया ने बताया कि सीएम वसुंधरा राजे से मिलने के लिए विद्यार्थियों का एक दल पाली जाएगा। सीएम राजे 23 अप्रैल से तीन दिवसीय दौरे पर पाली में हैं। सीएम को आमरण अनशन पर बैठे विद्यार्थी की जानकारी और काॅलेज के बंद होने के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी।
स्वास्थ बिगड़ाः
आमरण अनशन पर बैठे विद्यार्थी मान का 23 अप्रैल की शाम को स्वास्थ्य बिगड़ गया। फलस्वरूप उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। 
सीजेआई के खिलाफ महा अभियोग का प्रस्ताव खारिज।
अब न्यायपालिका को और जवाबदेही के साथ काम करना चाहिए।
आज भी भगवान माने जाते हैं माननीय न्यायाधीश।
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सवाल यह नहीं है कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ विपक्षी दलों द्वारा प्रस्तुत महा अभियोग के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। अहम सवाल यह है कि अब क्या न्याय पालिका और जवाबदेही से काम करेगी? इसमें कोई दो राय नहीं कि नायडू ने हमारी नयाय पालिका को संदेह के घेरे में आने से बचा लिया है। यदि प्रस्ताव मंजूर कर लिया जाता और राज्यसभा में बहस होती तो न्याय पालिका पर गंभीर आरोप लगते। चूंकि ऐसे आरोप राज्यसभा के अंदर लगाए जाते, इसलिए न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में भी नहीं आते। यानि देश की सर्वोच्च अदालत के न्यायाधीश अपने ही खिलाफ लगने वाले आरोपों को चुपचाप सुनते और देखते रहते। भारत ही नहीं विदेश में बैठे लोग भी टीवी पर राज्यसभा का लाइव प्रसारण देखते हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि तब हमारी न्यायपालिका की स्थिति कैसी होती। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के साथ सांसद ऐसे-ऐसे आरोप लगाते जिनको सुनकर आम व्यक्ति के मन से न्यायपालिका के प्रति भरोसा ही उठ जाता। न्यायपालिका माने या नहीं आज भी न्यायालय में बैठे न्यायाधीश को भगवान माना जाता है। जिन लोगों के मामले न्यायालयों में चल रहे हैं वे तो न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठे इंसान को भगवान से भी ज्यादा मानते हैं। वेंकैया नायडू ने भले 7 रिटायर्ड सदस्यों के हस्ताक्षर को आधार बना कर प्रस्ताव खारिज किया हो, लेकिन मेरा मानना है कि नायडू ने न्याय पालिका की गरिमा को बचा लिया है ऐसे में अब न्यायपालिका को और जवाबदेही के साथ काम करना चाहिए। सवाल सिर्फ सीजेआई दीपक मिश्रा का ही नहीं है, बलिक उपखंड स्तर पर बैठे मुंसिफ मजिस्ट्रेट से भी जुड़ा है। लोगों को यह भरोसा कायम रखना चाहिए कि आदलतों में न्याय होता है।
यह तो होना ही थाः
यदि केन्द्र में कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार होती और भाजपा की ओर से महा अभियोग प्रस्ताव रखा जाता, तब भी प्रस्ताव तो खारिज होता ही। विपक्ष में रहते कोई कुछ भी बोल ले, लेकिन कोई भी सरकार अपनी न्याय पालिका को बदनाम नहीं होने देगी। आखिर सरकारों को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी जवाब देना होता है। बहु राष्ट्रीय कंपनियों के भरत में पैर पसारने के बाद तो न्याय पालिका का महत्व और बढ़ जाता है। अच्छा हो कि अब इस पूरे मुद्दे को यही समाप्त कर दिया जाए। जहां तक केन्द्र की भाजपा सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के अभियान का सवाल है तो देश में और भी मुद्दे हैं। जिनके माध्यम से सरकार को घेरा जा सकता है।
तो नरेन्द्र मोदी को राहुल गांधी की चुनौती स्वीकार कर लेनी चाहिए।
संसद में 15 मिनट नहीं 30 मिनट का समय दिया जाए।
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23 अप्रैल को दिल्ली में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि संसद में यदि उन्हें 15 मिनट बोलने का समय दिया जाए तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके सामने खड़े नहीं रह सकते हैं। मोदी मुझ से घबराते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि राहुल गांधी देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उन्हें संसद में बोलने का पूरा हक हैं। वैसे भी सांसद होने के नाते राहुल गांधी लोकसभा में बोल सकते हैं। अब जब राहुल गांधी ने सीएम मोदी को सीधे चुनौती दे दी है तो फिर इस चुनौती को स्वीकार कर लिया जाना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि राहुल के बोलने पर मोदी को कोई एतराज  होगा। बल्कि राहुल को 30 मिनट का समय देना चाहिए, ताकि वे अपनी बात अच्छी तरह रख सकें। राहुल की इस चुनौती को भाजपा को गंभीरता के साथ लेना चाहिए, क्योंकि इससे संसद भी सुचारू चल सकेगी। सबने देखा है कि पहले कांग्रेस और फिर टीडीपी के सांसदों के हंगामे की वजह से संसद के दोनों सदन चल ही नहीं पाए। पूरा बजट सत्र बर्बाद हो गया। जब राहुल गांधी ने स्वयं ही संसद में बोलने की इच्छा जता दी है तो इसका सम्मान किया जाना चाहिए। हालांकि इन दिनों संसद नहीं चल रही है, लेकिन जब वर्षाकालीन सत्र शुरू हो तो राहुल गांधी के भाषाण से ही होना चाहिए। राहुल के बाद पीएम मोदी भी अपनी बात रख सके हैं। यदि इस मामले में लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन कोई भूमिका निभा सकती हैं तो उन्हें भी निभानी चाहिए, क्योंकि संसद में हंगामा होने पर सबसे ज्यादा परेशानी उन्हीं को होती है। यदि राहुल गांधी के भाषण से संसद का संचालन सुचारू होता है तो इससे किसी को भी एतराज नहीं हो सकता।

आखिर वसुंधरा राजे के हिमायती मंत्री दिल्ली क्यों गए?

आखिर वसुंधरा राजे के हिमायती मंत्री दिल्ली क्यों गए?
8वें दिन भी घोषित नहीं हो सका भाजपा अध्यक्ष का नाम।
कांग्रेस ने दिखाई एकता।
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23 अप्रैल को भी राजस्थान के भाजपा अध्यक्ष का नाम घोषित नहीं हो सका है। इस बीच तेजी से बदलते घटनाक्रम में सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाने वाले मंत्री राजपाल सिंह शेखावत, राजकुमार रिंणवा, अजय सिंह किलक, प्रभुलाल सैनी, सुरेन्द्र पाल टीटी, यूनुस खान, हेम सिंह भडाना आदि 23 को दिल्ली पहुंच गए हैं। इन मंत्रियों को भाजपा के राष्ट्रीय संगठन के महासचिव रामलाल से मुलाकात करने का प्रोग्राम है। जिस तरह से हिमायती मंत्री दिल्ली पहुंचे हैं, उससे प्रतीत होता है कि प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष का मामला सीएम वसुंधरा राजे और भाजपा हाईकमान के बीच जोरदार तरीके से उलझ गया है। अशोक परनामी ने गत 16 अप्रैल को इस्तीफा दिया था, लेकिन लाख कोशिश के बाद आलाकमान नए अध्यक्ष की घोषणा नहीं कर सका है। कहा जा रहा है कि आला कमान जिस नेता को अध्यक्ष बनाना चाहता है उस पर सीएम राजे की सहमति नहीं है। भाजपा के मंत्री और विधायक वसुंधरा राजे के साथ हैं, यह दिखाने और बताने के लिए ही मंत्रियों के एक दल को दिल्ली भेजा गया है। अब देखना है कि दिल्ली में इन हिमायती मंत्रियों को कितनी सफलता मिलती है। वसुंधरा राजे पहले भी दिल्ली में अपनी ताकत का प्रदर्शन कर चुकी है। 2008 के चुनाव में हारने के बाद जब विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनने का सवाल आया तो राजे ने अपने समर्थन में भाजपा विधायकों की परेड तबके राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और प्रमुख नेता लालकृष्ण आडवानी के सामने करवाई थी। विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनने के लिए भी राजे ने इसी तरह दबाव की राजनीति बनाई थी। हालांकि तब दोनों ही बार भाजपा हाईकमान को राजे के सामने झुकना पड़ा, लेकिन इस बार नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की वजह से भाजपा आलाकमान भी तक मजबूत बना हुआ है।
सिरोही में खड़ा है चार्टर प्लेनः
23 अप्रैल को सीएम राजे एक दिवसीय पाली दौरे पर हैं। सीएम 23 अप्रैल की सुबह ही चार्टर प्लेन से सिरोही पहुंची और हेलीकाॅप्टर से पाली आईं। सिरोही में प्लेन के खडे़ रहने को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि दिल्ली दरबार में राजे को कभी भी तलब किया जा सकता है। चूंकि दिल्ली एयरपोर्ट पर हैलीकाॅप्टर उतरने में परेशानी है, इसलिए चार्टर प्लेन को पहले से सिरोही में तैयार रखा गया है।
कांग्रेस ने दिखाई एकताः
भाजपा में जहां प्रदेशाध्यक्ष को लेकर राजनीतिक खींचतान चल रही है वहीं कांग्रेस ने नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 23 अप्रैल को कोटा में हाड़ौती क्षेत्र के कार्यकर्ताओं का मेरा बूथ मेरा गौरव समारोह किया। हाड़ौती क्षेत्र में ही सीएम राजे और उनके सांसद पुत्र दुष्यंत सिंह का झालावाड़ जिला आता है। इस कार्यक्रम में हाड़ौती क्षेत्र के कार्यकर्ताओं ने उत्साह के साथ भाग लिया। कांग्रेस के सभी बड़े नेता प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट की अगुवाई में मौजूद थे। पायलट के साथ राष्ट्रीय महासचिव सीपी जोशी, मोहन प्रकाश, अविनाश पांडे, विवेक बंसल आदि के साथ-साथ हाड़ौती क्षेत्र के सभी कांग्रेसी नेता उपस्थित रहे। पायलट का कहना रहा कि अब भाजपा का नेतृत्व किसी को भी सौंपा जाए, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि जनता ने भाजपा को हराने का मन बना लिया है।

Sunday 22 April 2018

पुलिस इंस्पेक्टर नरेश कुमार शर्मा की बहाली में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई

पुलिस इंस्पेक्टर नरेश कुमार शर्मा की बहाली में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई? कैसे मिटेगा भ्रष्टाचार।
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सरकारें भ्रष्टाचार मिटाने का दावा तो करती हैं, लेकिन जब क्रियान्विति करनी होती हैं तो मुंह मोड़ लिया जाता है। 8 मार्च 2014 को नागौर के लाडनू पुलिस स्टेशन के सीआई नरेश कुमार शर्मा को एसीबी ने दो लाख रुपए नकद और दस बीघा भूमि के विक्रय पत्र के साथ गिरफ्तार किया था। निर्मल भरतिया की शिकायत पर एसीबी ने विस्तृत जांच पड़ताल के बाद ये कार्यवाही की। तब यह मामला सुर्खियों में आया और सरकार को शर्मा को निलंबित करना पड़ा। लेकिन एसीबी के जांच अधिकारी न्यायालय में शर्मा के खिलाफ सबूत पेश नहीं कर सके और कोर्ट ने दो माह पहले ही शर्मा को बहाल कर दिया। जिन परिस्थितियों में एसीबी ने जांच की उन पर भी अब सवाल उठ रहे हैं। एसीबी मुख्यालय में शर्मा का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है। इस मामले में सभी को यह उम्मीद थी कि सरकार अपील करेगी। लेकिन दो माह में बहाली यह बताती है कि मामले में कुछ गड़बड़ है। दो दिन पहले ही शर्मा को अजमेर जिला भी आवंटित कर दिया गया। हालांकि शर्मा पूर्व में भी ब्यावर के थानाधिकारी रह चुके हैं। अब भी उनका प्रयास है कि ब्यावर में ही नियुक्ति हो जाए। लेकिन सरकार ने जितनी जल्दबाजी में बहाली की है उससे सवाल उठता है कि आखिर भ्रष्टाचार कैसे मिटेगा? वैसे भी एसीबी के लिए भी यह शर्मसार करने वाली बात है कि इतनी मजबूत कार्यवाही के बाद भी न्यायालय में पुख्ता सबूत पेश नहीं किए जा सके। 
शिक्षा राज्यमंत्री देवनानी के खिलाफ जयपुर में पातेय वेतन अध्यापकों का धरना।
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पातेय वेतन अध्यापक/प्रधानाध्यापक संघ की ओर से 23 अप्रैल को जयपुर में विधानसभा के निकट टी पाॅइंट पर राज्यस्तरीय धरना दिया जाएगा। संघ के प्रदेश संयोजक दिनेश शर्मा 9413300946 और सहसंयोजक विजय सिंह गौड 9314267496 ने बताया कि पातेय वेतन शिक्षक पिछले कई वर्षों से आंदोलन कर रहे हैं। इस संबंध में शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी से कई दौर की वार्ता की गई, लेकिन इसके बावजूद भी संघ से जुड़े शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हो पाई है। पातेय वेतन शिक्षक से जूनियर शिक्षकों को सैकंड ग्रेड में पदोन्नत कर दिया गया है, लेकिन पातेय वेतन वाले शिक्षकों की पदोन्नति नहीं हो पाई है। विसंगति की बात तो ये है कि ऐसे शिक्षक कई स्कूलों में प्रधानाध्यापक के पद पर कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि सरकार के इस रवैये से प्रदेश भर के शिक्षकों में नाराजगी है। इसलिए 23 अप्रैल को जयपुर में विभाग के मंत्री के खिलाफ धरना दिया जाएगा। 

एटीएस की छापामार कार्यवाही से अजमेर के उच्च वर्ग में खलबली।

एटीएस की छापामार कार्यवाही से अजमेर के उच्च वर्ग में खलबली। 
गलत तरीके से हथियार के लाइसेंस लेने का मामला।
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22 अप्रैल को एटीएस के एएसपी बजरंग सिंह के नेतृत्व में अजमेर में तीन स्थानों पर छापामार कार्यवाही की गई। यह कार्यवाही हथियारों के फर्जी लाइसेंस लेने से जुड़ी हुई है। एटीएस ने आनासागर लिंक रोड स्थित जुबेर खान के मकान पर कार्यवाही करते हुए रियाजुद्दीन उर्फ राजा को हिरासत में लिया है। अब पुलिस रियाजुद्दीन से गहन पूछताछ कर रही है। इसी प्रकार नया बाजार के आरआर ज्वैलर्स के मालिक संजय शर्मा से पूछताछ के लिए एटीएस ने उनके कुंदन नगर स्थित आवास पर दबिश दी। लेकिन संजय शर्मा अपने घर पर नहीं मिले। फलस्वरूप एटीएस ने मकान पर नोटिस चस्पा कर दिया। इसी प्रकार वैशाली नगर के आनंद नगर में रहने वाले कोमल अल्फ्रेड का भी पता लगाने के लिए कार्यवाही की गई। लेकिन अल्फ्रेड के बारे में एटीएस को कोई ठोस जानकारी नहीं मिल सकी। एसपी बजरंग सिंह ने बताया कि इन तीनों व्यक्तियों को तलब किया गया था, लेकिन निर्धारित समय तक तीनों ही नहीं आए। ऐसे में एटीएस को छापामार कार्यवाही करनी पड़ी है। उन्होंने बताया कि जुबेर खान और उसके पिता उस्मान खान के माध्यम से अजमेर के उच्च वर्ग के लोगों ने कश्मीर से हथियार के लाईसेंस बनवाए हैं। अब जानकारी मिल रही है कि लाइसेंस का मामला आतंकी वारदातों से भी जुड़ा हुआ है। इसलिए एटीएस गंभीरता के साथ जांच पड़ताल कर रही है। एटीएस ने अब तक अजमेर, उदयपुर और देश के अन्य हिस्सों से इस मामले में 45 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। 
अजमेर में खलबलीः
एटीएस की कार्यवाही से अजमेर के उच्च वर्ग में खलबली मच गई है। असल में अजमेर के धनाढ्य व्यक्तियों ने जुबेर और उसके पिता उस्मान के माध्यम से रिवाल्वर, पिस्तोल और बंदूक के लाइसेंस हासिल किए, बाद में ये पता चला कि इनमें से अनेक लाइसेंस अधिकृत नहीं है। चूंकि ये सभी लाइसेंस कश्मीर से जारी हुए इसलिए एटीएस ने गंभीर मानते हुए कई मुकदमे दर्ज किए हैं। इस मामले में चाचियावास क्षेत्र में खुली डीपीएस वल्र्ड स्कूल के निदेशक करण सिंह च ौहान, मुख्यमंत्री जनआवास योजना में अरावली होम्स का निर्माण करने वाले बिल्डर राजीव मालू, पुष्कर के कारोबारी पप्पी च ौधरी आदि पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। 

तो क्या वसुंधरा राजे के सामने सरेंडर करेगा भाजपा आला कमान?

तो क्या वसुंधरा राजे के सामने सरेंडर करेगा भाजपा आला कमान? 
राजस्थान में प्रदेश अध्यक्ष का मामला नहीं सुलझ रहा।
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22 अप्रैल को राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे ने राजनीतिक उथल पुथल के बीच करौली में योग गुरु बाबा रामदेव के साथ योग किया। बाबा रामदेव के पंतजलि संस्थान को सरकार ने रियायती दर पर भूमि का आवंटन किया है। 22 अप्रैल की शाम तक भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का मामला नहीं सुलझा है। अशोक परनामी ने गत 16 अप्रैल को भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन 7 दिन गुजर जाने के बाद भी अध्यक्ष पद का विवाद सुलझा नहीं है। 21 अप्रैल को तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दिल्ली आ गए। संभवतः यह पहला अवसर रहा है जब किसी प्रदेशाध्यक्ष की नियुक्ति में इतना विलम्ब हो रहा है। इस विवाद से एक बात तो साफ हो गई है कि राजस्थान में वसुंधरा राजे की सहमति के बिना भाजपा संगठन में कोई बदलाव नहीं हो सकता। वसुंधरा राजे जब तक सीएम के पद पर कायम रहेंगी तब तक सत्ता और संगठन में वो ही होगा जो राजे चाहंेगी। भाजपा आला कमान ने अशोक परनामी को अध्यक्ष पद से हटा तो दिया, लेकिन नए अध्यक्ष की एक तरफा घोषणा करने की हिम्मत नहीं दिखा रहा है। अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या वसुंधरा राजे को हटा कर सत्ता और संगठन में बड़ा बदलाव किया जाएगा? भाजपा की राजानीति को समझने वाले भी कह रहे हैं कि पिछले सात दिनों में भाजपा में जो राजनीतिक हालात उपजे हैं उसमें हो सकता है कि आला कमान को वसुंधरा राजे के सामने सरेंडर करना पड़े। भाजपा का आला कमान राजे के अनुशासन को भी अच्छी तरह समझता है। कांग्रेस के शासन में प्रतिपक्ष के नेता बनने और बाद में प्रदेशाध्यक्ष बनने में राजे ने जो करतब दिखाए उसे आला कमान भूला नहीं है। कहा यह जाता है कि नरेन्द्र मोदी और अमितशाह की वजह से भाजपा का आला कमान मजबूत हुआ है। लेकिन राजस्थान के हालातों में भाजपा के आला कमान की मजबूती का अंदाजा लगाया जा सकता है। गंभीर बात तो ये हैं कि यह उथल पुथल तब हो रही है, जब मात्र छह माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। कहा जा रहा था कि मंडल स्तर पर बूथवार कार्यक्रम होंगे। लेकिन अभी तो प्रदेशाध्यक्ष का मामला ही उलझ गया है। सीएम राजे ने परनामी से इस्तीफा लेने के बाद अभी तक भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। यदि राजस्थान में सब कुछ ठीक होता तो अब तक नए प्रदेशाध्यक्ष की घोषणा हो चुकी होती। 
एक सप्ताह बाद ही प्रदेश के मुख्य सचिव एनसी गोयल की सेवानिवृत्ति होनी वाली है। सूत्रों के अनुसार सीएम राजे गोयल का कार्यकाल बढ़ाना चाहती हैं। लेकिन इसके लिए उन्हें केन्द्र सरकार से अनुमति लेनी होगी। अब जब संगठन के अध्यक्ष का मामला ही दिल्ली और जयपुर के बीच फंसा हुआ है, तब यह सवाल उठता है कि मुख्य सचिव के कार्यकाल में वृद्धि कैसे होगी? स्वयं मुख्य सचिव गोयल को भी यह पता है कि इन दिनों जयपुर और दिल्ली के तार टूटे हैं या कमजोर हो गए हैं। ऐसे में कार्यकाल की वृद्धि संभव नजर नहीं आ रही है। गोयल ने सेवानिवृत्ति का मन बना लिया है।

Friday 20 April 2018

मेरे सीएम बनने की खबरे फर्जी हैं-अर्जुन मेघवाल।
पांच दिन बाद भी तय नहीं हो पाया राजस्थान भाजपा का अध्यक्ष।
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केन्द्रीय जल संसाधन राज्यमंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा है कि मेरे राजस्थान का सीएम बनने की खबरें पूरी तरह फर्जी हैं। मैं न तो प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में हंू और न ही सीएम की। जो लोग ऐसी खबरें चला रहे हैं वे मेरे हितेषी नहीं हो सकते हैं। मैं भाजपा का साधारण कार्यकर्ता हंू और यही बने रहना चाहता हंू। असल में बीस अप्रैल को बीकानेर में मेघवाल से जब सीएम और प्रदेश अध्यक्ष बनने की खबरों के बारे में मीडिया ने सवाल किए तो मेघवाल ने कुछ इसी अंदाज में जवाब दिए। असल में मेघवाल भी यह अच्छी तरह समझते हैं कि राजस्थान में सीएम वसुंधरा राजे का फिलहाल कोई विकल्प नहीं है। ऐसे में यदि सीएम को लेकर उनका नाम चलता है तो उन्हें राजनीतिक नुकसान होगा। मेघवाल को यह भी पता है कि उनके प्रदेशाध्यक्ष बनने में भी किसने आपत्ति  दर्ज करवाई है। ऐसे में मेघवाल वर्तमान हालातों में कोई जोखिम नहीं लेना चाहते। 
तय नहीं हुआ प्रदेशाध्यक्षः
अशोक परनामी ने गत 16 अप्रैल को ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन पांच दिन गुजर जाने के बाद भी नए अध्यक्ष की घोषणा नहीं हो सकी है। माना जा रहा है कि अध्यक्ष के नाम को लेकर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और भाजपा हाईकमान के बीच सहमति नहीं बन रही है। पिछले दो दिनों में गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम प्रदेशाध्यक्ष के लिए तेजी से उभरा है, लेकिन वहीं ये सवाल भी उठा है कि क्या राजस्थान में सीएम और प्रदेशाध्यक्ष एक ही जाति के होंगे? राजनीति में जब जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर निर्णय होते हैं तो फिर सीएम और प्रदेश अध्यक्ष एक ही जाति का कैसे बनाए जा सकते हैं। यह बात अलग है कि यदि गजेन्द्र सिंह शेखावत को भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया जाता है तो फिर सीएम वसुंधरा राजे के विकल्प की तलाश भी शुरू हो जाएगी। इस बीच राजपूत समाज में भी हलचल हो गई है। चाहे आनंदपाल का मामला हो या फिर पदमावती फिल्म का इन मामलों को लेकर राजपूत समाज में सक्रिय प्रतिनिधियों का कहना है कि अब शेखावत को आगे कर राजपूत समाज की नाराजगी को दूर करने की कोशिश की जा रही हैं। असल में दोनों ही मामलों में सरकार की भूमिका को लेकर नाराजगी थी। जब तक सरकार के नेतृत्व में बदलाव नहीं होगा, तब तक राजपूत समाज संतुष्ट नहीं हो सकता। हालांकि समाज के प्रतिनिधियों को शेखावत के अध्यक्ष बनने पर कोई ऐतराज नहीं है, लेकिन इस बात की नाराजगी तो है ही पद्मावती और आनंदपाल के मामले के समय शेखावत भी चुप्पी साधे रहे।