Sunday 30 September 2018

पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर के दर्शन और सरोवर की पूजा अर्चना भी करेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी।

पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर के दर्शन और सरोवर की पूजा अर्चना भी करेंगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। 1989 में भी आए थे मोदी। जायरीन की विश्राम स्थली पर सभा भी।
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 6 अक्टूबर की पुष्कर यात्रा की तैयारियां इन दिनों युद्ध स्तर पर चल रही हैं। तैयारियों का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे 28 सितम्बर को पूरे लवाजमे के साथ आईं और उस विश्राम स्थली को देखा जहां प्रधानमंत्री की आम सभा होनी है। पीएम मोदी सीएम वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा के समापन पर ही अजमेर पुष्कर आ रहे हैं। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि प्रधानमंत्री अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह की जियारत करेंगे या नहीं, लेकिन पुष्कर के भाजपा विधायक और संसदीय सचिव सुरेश रावत ने बताया कि पीएम मोदी छह अक्टूबर को पुष्कर में संसार प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करेंगे और वैदिक रीति के अनुरूप पवित्र सरोवर की पूजा अर्चना भी करेंगे। इस संबंध में प्रधानमंत्री कार्यालय से दिशा निर्देश प्राप्त हो गए हैं। पुष्कर को तीर्थ गुरु कहा जाता है। ऐसे स्थान पर प्रधानमंत्री का आना देश के लिए शुभ संकेत है। रावत ने बताया कि राष्ट्रपति के चुनाव के समय वे भी भाजपा के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद के प्रस्तावक थे। तभी दिल्ली में उनकी मुलाकात प्रधानमंत्री से भी हुई थी। तब मैंने पीएम को पुष्कर आने का निमंत्रण दिया था। मुझे खुशी है कि पीएम ने मेरा निमंत्रण स्वीकार किया और पुष्कर तीर्थ आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि पीएम के स्वागत के लिए पुष्कर तीर्थ में जोरदार तैयारियां हो रही हैं। 
पूजा अर्चना से मिलता पुण्यः
धार्मिक मान्यता है कि पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। सरोवर का उद्गम सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी ने ही किया था। इसलिए माना जाता है कि सरोवर की पूजा अर्चना करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक ने बताया कि नरेन्द्र मोदी जब संगठन का कार्य देखते थे, तब वर्ष 1989 में पुष्कर आए थे। तभी रामसखा आश्रम में एक बैठक भी हुई थी। इस बैठक में भैरोसिंह शेखावत, ओम माथुर जैसे नेता साथ थे। पाठक ने बताया कि उसी दिन मोदी ने पवित्र सरोवर की पूजा अर्चना भी की थी। पुष्कर का यह सौभाग्य है कि अब प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी 6 अक्टूबर को आ रहे हैं। 
जायरीन की विश्राम स्थली पर सभाः
तय कार्यक्रम के अनुसार पीएम मोदी अजमेर पुष्कर के बीच कायड़ विश्राम स्थली पर एक बड़ी आम सभा को संबोधित करेंगे। इस सभा में प्रदेश भर से भाजपा के कार्यकर्ता भाग लेंगे। आम तौर पर इस विश्राम स्थली पर  ख्वाजा साहब की दरगाह में आने वाले जायरीन ठहरते हैं। यही वजह है कि विश्राम स्थली के  रख रखाव का जिम्मा केन्द्र सरकार के अधीन काम करने वाली दरगाह कमेटी के पास है। ऐसे में केन्द्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्रालय भी तैयारियों में जुटा हुआ है। 
एस.पी.मित्तल) (30-09-18)
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विधानसभा चुनाव में अग्रवाल समाज की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी।

विधानसभा चुनाव में अग्रवाल समाज की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं होगी। 
जयपुर में जुटे राजस्थान भर के अग्रवाल।
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30 सितम्बर को जयपुर में अग्रवाल समाज का महाकुंभ हुआ। इसमें अजमेर के अग्रवालों ने भी बड़ी संख्या में भाग लिया। कोई दस लक्जरी बस और पचास से भी ज्यादा छोटे वाहनों में भरकर समाज के लोग जयपुर पहुंचे। 30 सितम्बर को सुबह सभी वाहनों को मैंने झंडी दिखाकर अजमेर से रवाना किया। इस अवसर पर मेरे साथ विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय पदाधिकारी आनंद गोयल, लाॅयंस क्लब के प्रांतपाल सतीश बंसल आदि भी थे। जयपुर का महाकुंभ अखिल भारतीय अग्रवाल सम्मेलन की पहल पर आयोजित हुआ, लेकिन इस महाकुंभ में समाज के  सभी धड़ों के पदाधिकारी और प्रतिनिधि उपस्थित रहे। एक अनुमान के मुताबिक विद्याधर नगर स्टेडियम के निकट बालाजी टावर के परिसर में कोई पचास हजार अग्रवाल उपस्थित थे। प्रतिनिधियों ने एक स्वर से कहा कि नवम्बर में होने वाले राजस्थान के विधानसभा चुनाव में अग्रवाल समाज की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। चुनाव में सभी राजनीतिक दल अग्रवाल समाज के धनाढ्य लोगों से चंदा और सहयोग लेते हैं। लेकिन जब समाज को राजनीतिक दलों की जरूरत होती है तो फिर हमारा प्रतिनिधित्व बेहद कम और कमजोर होता है। सवाल भाजपा और कांग्रेस का नहीं सवाल समाज के प्रतिनिधित्व का है। महाकुंभ में यह भी निर्णय लिया गया कि जिस विधानसभा क्षेत्र में समाज का उम्मीदवार होगा, उसे प्राथमिकता दी जाएगी। महाकुंभ में केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल सम्मेलन के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल शरण गर्ग, पूर्ण केन्द्रीय मंत्री संतोष बागदोरिया, प्रदेश के चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ, विधायक विजय गोयल, बनवरी लाल सिंघल, कामनी जिंदल, मोहनलाल गुप्ता, सम्मेलन के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद नारायण अग्रवाल, केके गुप्ता, मुख्य संयोजक पवन गोयल आदि ने भी अपने विचार रखे। 
अजमेर में दिखा उत्साहः
महाकंुभ में भाग लेने के लिए अजमेर में उत्साह देखा गया। समाज की महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में जयपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। सम्मेलन के जिला संयोजक गिरधारी मंगल, रामचरण बंसल, प्रवीण अग्रवाल, विष्णु च ौधरी, नरेन्द्र बंसल, गिरिराज अग्रवाल, हेमंत तायल, राजकुमार गर्ग, दीपचंद श्रीया, विष्णु मंगल, पीयूष अग्रवाल, महेन्द्र मित्तल आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई। संभवतः यह पहला अवसर रहा,जब अग्रवाल समाज के किसी कार्यक्रम उत्साह व एकजुटता देखने को मिली। महत्वपूर्ण बात ये थी कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता सक्रिय रहे।
एस.पी.मित्तल) (30-09-18)
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अजमेर की होटल मानसिंह में दो अक्टूबर को रक्तदान शिविर।

अजमेर की होटल मानसिंह में दो अक्टूबर को रक्तदान शिविर।
जरुरतमंदों के लिए ग्रुप की सकारात्मक पहल।
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मानसिंह ग्रुपस आॅफ होटल की ओर से 2 अक्टूबर को अजमेर में वैशाली नगर स्थित पांच सितारा होटल मानसिंह में रक्तदान शिविर रखा गया है। होटल के जनरल मैनेजर अजय पीटर डेविड ने बताया कि साजाजिक सरोकारों के तहत गु्रप की ओर से प्रति वर्ष शिविर आयोजित किया जाता है। शिविर में रक्तदाता को प्रमाण पत्र दिया जाता है। जिसके आधार पर जरुरत मंद व्यक्ति के लिए रक्त लिया जा सकता है। शिविर में एकत्रित रक्त को अजमेर के सरकारी जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में दिया जाता है। होटल के स्टाफ के साथ-साथ युवा वर्ग भी बड़ी संख्या में इस शिविर में भाग ले रहा है। कोई 200 यूनिट रक्त प्रतिवर्ष सरकारी अस्पताल को दिया जाता है। उन्होंने बताया कि रक्त देने से पूर्व सभी युवाओं को ब्रेकफास्ट करवाया जाता है और फिर सब मिलकर लंच भी करते हैं। उन्होंने कहा कि कई मौकों पर रक्त जान बचाता है। इसी गंभीरता को ध्यान में रखते हुए प्रतिवर्ष शिविर आयोजित किया जा रहा है। इस स ंबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414004694 पर डेविड से ली जा सकती है।
एस.पी.मित्तल) (30-09-18)
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राजनीतिक भेदभाव भुलाकर अजमेर के नेता दम लगाएं तो चम्बल नदी का पानी मुफ्त में तत्काल बीसलपुर बांध में लाया जा सकता है।

राजनीतिक भेदभाव भुलाकर अजमेर के नेता दम लगाएं तो चम्बल नदी का पानी मुफ्त में तत्काल बीसलपुर बांध में लाया जा सकता है। जरुरत है एक जाजम की।
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कांग्रेस के नेता इन दिनों इस बात से खुश हों कि अजमेर जिले में इन दिनों जो भीषण पेयजल संकट हो रहा है उसका खामियाजा भाजपा को नवम्बर में होने वाले विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा, लेकिन कांग्रेसियों को यह भी समझना पड़ेगा कि यदि कांग्रेस की सरकार बन गई तो गर्मी के दिनों में सरकार के प्रति ज्यादा गुस्सा होगा। बीसलपुर बांध में पानी की कमी की वजह से अभी जो किल्लत है व गर्मी के दिनों में और बढ़ जाएगी। इसलिए किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को तत्कालीन लाभ नहीं देखना चाहिए। अब यह बात भी कोई मायने नहीं रखती है कि बीसलपुर बांध से सिर्फ अजमेर को ही पानी मिले। बांध से जयपुर को पानी दिए जाने के लिए कांग्रेस और भाजपा दोनों नेता जिम्मेदार हैं। कांग्रेस और भाजपा का कोई भी विधायक व सांसद सीना ठोक कर नहीं कह सकता है कि जयपुर की सप्लाई को रोक दिया जाए। जो नेता ऐसा दावा कर रहे हैं वे जयपुर में अपने ही दल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसलिए अब ऐसा रास्ता निकालना होगा, जिसमें अजमेर जिले के लोगों को पानी की किल्लत न हो। यह तभी संभव होगा, जब कांग्रेस और भाजपा के नेता एक जाजम पर बैठ कर दम लगाएं। यदि इतनी किल्लत में भी नेताओं ने राजनीति की तो ऐसे नेताओं को जनता कभी भी माफ नहीं करेगी।
यह है सुझावः
अजमेर के पड़ौसी जिले भीलवाड़ा की प्यास बुझाने के लिए कोटा में चम्बल नदी पर बने जवाहर सागर बांध से पानी लाया जा रहा है। हालांकि अभी भीलवाड़ा की मांग मात्र 100 एमएलडी पानी प्रतिदिन है, लेकिन 2045 तक की माग को ध्यान में रखते हुए 239 एमएलडी पानी रोजाना चम्बल नदी से लेने की व्यवस्था की गई है। इसलिए जवाहर सागर बांध से भीलवाड़ा के निकट आरोली फिल्टर प्लांट तक 1800 एमएम स्टील पाइप लाइन बिछा दी गई है। यानि इस पाइप लाइन के अंदर एक आदमी खड़ा हो सकता है। बांध से आरोली प्लांट की दूरी 50 किलोमीटर की है। भीलवाड़ा पेयजल प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियर केदार शर्मा ने बताया कि बीसलपुर की आरोली से दूरी मात्र 30 किलोमीटर है और त्रिवेणी से ग्रेविटी पद्धति के तहत बीलसपुर में पानी आता है। चूंकि पूर्व में भीलवाड़ा को त्रिवेणी से ही पानी सप्लाई होता था, इसलिए त्रिवेणी और आरोली के बीच पाइप लाइन भी बिछी हुई है। ऐसे में एक प्रशासनिक निर्णय से चम्मबल नदी का पानी आरोली होते हुए बीसलपुर बांध में आ सकता है। इससे अजमेर में पेयजल संकट को समाप्त किया जा सकता है। बाद में इसी पर कोई स्थायी प्रोजेक्ट भी बनाया जा सकता है। जहां तक भीलवाड़ा के हितों का सवाल है तो वर्तमान में 100 एमएलडी पानी ही सप्लाई हो रहा है, जबकि 239 एमएलडी तक पानी लिया जा सकता है। पानी अजमेर के लिए रोजाना डेढ़ सौ एमएलडी पानी चम्बल नदी से तत्काल लिया जा सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि अजमेर जिले की मांग 300 एमएलडी प्रतिदिन की है। कटौती के बाद अभी करीब ढाई सौ एमएलडी पानी बीसलपुर बांध से लिया जा रहा है। अजमेर में इन दिनों तीन चार दिन में एक बार मात्र एक घंटे के लिए पेयजल की सप्लाई हो रही है। इससे भीषण संकट का अंदाजा लगाया जा सकता है। इंजीनियर शर्मा ने बताया कि चम्बल नदी से भीलवाड़ा तक पानी लाने के तीन पम्पिंग स्टेशन भी बनाए गए हैं। बीसलपुर बांध में पानी डालने के लिए आरोली से फिल्टर किए बिना ही पानी को त्रिवेणी तक पहुंचाया जा सकता है। चम्बल का पानी बीसलपुर बांध तक लाने में फिलहाल कोई बड़ी राशि भी खर्च नहीं होगी। इंजीनियर शर्मा इन दिनों अजमेर में ही पीडब्ल्यूडी में पीपीपी के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414355369 पर इंजीनियर केदार शर्मा से ली जा सकता है।
बार एसोसिएशन करे प्रयासः
पेयजल संकट को लेकर अजमेर जिला बार एसोसिएशन ने पहल की है। एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय त्रिपाठी को चाहिए कि पहले कांग्रेस और भाजपा की विचारधारा वाले वकीलों को एक जाजम पर बैठाएं और इन्हीं वकीलों के माध्यम से कांग्रेस और भाजपा के सांसदोें, विधायकों, संगठन के पदाधिकारियों आदि को बुलाएं। इनमें शहर के जागरुक नागरिक भी शामिल हों। नहीं तो बार की यह पहल अखबरों की खबरों तक ही सीमित रह जाएगी। इंजीनियर शर्मा ने चम्बल का पानी बीसलपुर में तत्काल और मुफ्त में लाने का सुझव दे दिया है। इस पर अमल करने की जरुरत है। नेतागण खास कर भाजपा वाले यह समझें कि यदि पानी ही नहीं होगा तो अजमेर स्मार्ट सिटी कैसे बनेगा?
एस.पी.मित्तल) (30-09-18)
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Saturday 29 September 2018

प्रधानमंत्री की सभा के लिए जायरीन की विश्राम स्थली पर भूमि पूजन।

प्रधानमंत्री की सभा के लिए जायरीन की विश्राम स्थली पर भूमि पूजन। दिग्गज भाजपाई जुटे।
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6 अक्टूबर को अजमेर में होने वाली प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आम सभा को लेकर 29 सितम्बर को कायड़ स्थित जायरीन की विश्राम स्थली पर भूमि पूजन किया गया। प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष मदनलाल सैनी ने कहा कि हमारी संस्कृति के अनुरूप जब कोई बड़ा और शुभ कार्य होता है तो भूमि का पूजन भी किया जाता है। चूंकि इसी विश्राम स्थली पर प्रधानमंत्री की बड़ी सभा होगी, इसलिए भूमि पूजन करना जरूरी हो गया था। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस पूजा के बाद प्रधानमंत्री की सभा बिना किसी बाधा के सम्पन्न होगा। इस अवसर पर धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत,स्कूल शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, एडीए के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, डिप्टी मेयर सम्पत सांखला, पूर्व मंत्री श्रीकिशन सोनगरा, देहात भाजपा के अध्यक्ष बीपी सारस्वत, किशनगढ़ के विधायक भागीरथ च ौधरी आदि उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा का समापन 6 अक्टूबर को पुष्कर में होगा। इस अवसर पर प्रधानमंत्री की सभा रखी गई है। इसी विश्राम स्थली में ख्वाजा साहब की उर्स में लाखों जायरीन ठहरते हैं। 
एस.पी.मित्तल) (29-09-18)
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बीकानेर से लेकर जयपुर तक सरकार के विरोध में मुंडन ही मंुडन।

बीकानेर से लेकर जयपुर तक सरकार के विरोध में मुंडन ही मंुडन। आखिर क्यों नहीं हो रही सुनवाई।
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29 सितम्बर को बीकानेर स्थित शिक्षा निदेशालय के बाहर आमरण अनशन पर बैठे बेरोजगारों ने मुंडन करवाया तो जयपुर में रोडवेज के हड़ताली कर्मचारियों ने अपने सिर के बाल राज्य सरकार को उपहार में दिए। बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव ने बताया कि 28 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती के लिए बीकानेर में प्रदेश भर के युवक आमरण अनशन पर बैठे हैं। तबीयत बिगड़ने की वजह से तीन अनशनकारियों को अस्पताल में भर्ती कराया है। युवक मरने की स्थिति में है, लेकिन राज्य की भाजपा सरकार पर कोई असर नहीं हो रहा है। सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए ही 29 सितम्बर को 52 युवाओं ने मुंडन करवा कर रोष जताया है।
जयपुर में भी मुंडनः
29 सितम्बर को रोडवेज की हड़ताल को 13 दिन पूरे हो गए। 13 दिन के उपलक्ष में रोडवेज के 13 कर्मचारियों ने मुंडन करवाया। रोडवेज की हड़ताल को अब कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है। 29 सितम्बर को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व परिवहन मंत्री बृजकिशोर शर्मा के नेतृत्व में सैकड़ों कांग्रेसियों ने हड़ताली कर्मचारियों के समर्थन में प्रदर्शन किया। कांग्रेस के नेता प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सरकार को रोडवेज कर्मचारियों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए। मंत्रालयिक, पंचायतीराज आदि के कर्मचारी भी बेमियादी हड़ताल पर हैं। प्रदेश भर में चारों तरफ हड़ताल का माहौल है।
एस.पी.मित्तल) (29-09-18)
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तो सीधे अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को चुनौती है।

तो सीधे अजमेर के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को चुनौती है। काॅम्प्लेक्सों को गलत तरीके से मंजूरी के मामले में अफसरों पर गिर सकती है गाज।
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अजमेर नगर निगम के आयुक्त हिमांशु गुप्ता (आईएएस) ने शहर के 13 काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्सों की स्वीकृति के मामले में जो सख्त कार्यवाही करवाई है, वह सीधे मेयर धर्मेन्द्र गहलोत  को चुनौती है। आयुक्त का आरोप है कि उनके अवकाश पर होने से काॅम्प्लेक्सों के नक्शे गलत तरीके से स्वीकृत कर दिए, जबकि मेयर गहलोत का कहना है कि एक बार स्वीकृति जारी होने के बाद नक्शों को निरस्त नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि यह मुद्दा जनहित से जुड़ा है। वहीं जानकारों की माने तो स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक पवन अरोड़ा ने निगम की एम्पावर्ड कमेटी के फैसले पर रोक लगाने से पहले स्वायत्त शासन मंत्री श्रीचंद कृपलानी से सहमति ली है। अरोड़ा को भी पता है कि निगम में भाजपा का मेयर है, इसलिए वे अपने स्तर पर इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकते थे। अब इस मामले में तो वो ही होगा, जो कृपलानी चाहेंगे। अरोड़ा द्वारा रोक लगाया जाना, इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि एम्पावर्ड कमेटी ने विवादित नक्शों को तब मंजूरी दी थी, जब आयुक्त गुप्ता ने नक्शों की स्वीकृति को निरस्त कर दिया था। यानि एम्पावर्ड कमेटी ने अपने ही आयुक्त के आदेश को पलट दिया। ऐसा तभी संभव था जब मेयर की सहमति थी। यही वजह रही कि आयुक्त ने अपने विशेषाधिकारों का उपयोग करते हुए नक्शों की क्रियान्विति का मामला राज्य सरकार को भिजवा दिया। चूंकि सरकार ने सभी 13 प्रकरणों के दस्तावेज तलब कर रोक लगा दी है। इसलिए इसे मेयर को चुनौती देना माना जा रहा है। फिलहाल आयुक्त गुप्ता का तबादला होना मुश्किल है। नक्शों का यह मामला आयुक्त और मेयर की प्रतिष्ठा से भी जुड़ गया है।
अफसरों पर हो सकती है कार्यवाहीः
जो लोग नगर निगम से नक्शे स्वीकृत करवाते हैं उन्हें पता है कि स्वीकृति की प्रक्रिया कितनी जटिल है। ऐसा नहीं हो सकता कि आयुक्त एक-दो दिन की छुट्टी पर चले जाएं, तो पीछे से उपायुक्त नक्शों को स्वीकृत कर दें। यदि ऐसा संभव हो तो आयुक्त उपायुक्त आदि के अवकाश पर होने इंजीनियर नक्शा स्वीकृत कर दें। 13 काॅमर्शियल नक्शों को उपायुक्त से मंजूर करवाने में योजनाबद्ध तरीके से काम किया गया होगा। ऐसे सभी नक्शों की स्वीकृति निगम के तत्कालीन उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता द्वारा जारी की गई है। आयुक्त के अवकाश के दौरान रलावता ने काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्सों को मंजूर करने की जोखिम क्यों ली यह तो वे ही बता सकते हैं। इस संबंध में आयुक्त गुप्ता का कहना है कि रलावता ने न केवल अपने अधिकारों से परे जाकर कार्य किया, बल्कि त्रुटिपूर्ण नक्शों को स्वीकृत किया है। यह बात जांच में भी सामने आई है। ऐसे निगम के उन कार्मिकों के विरुद्ध कार्यवाही हो सकती है जिन्होंने आयुक्त के छुट्टी पर होने के दिन मौके का फायदा उठा लिया।
इन काॅम्प्लेक्सों पर लगी रोकः
सरकार ने अब केसरगंज स्थित विजय कुमार की पत्नी पूनम, शिव कुमार की पत्नी ईश्वरी देवी, मयंक खंडेलवाल, धानमंडी स्थित नंदलाल, महावीर सर्किल स्थित सुनील सेठी, ब्ल्यूकेसल स्थित रमेश हेलवानी, पुरानी मंडी स्थित अनूप कुवेरा, रामगंज स्थित ललित गुप्ता, पुलिस लाइन स्थित भगवान सिंह चैहान, लोहागल स्थित नारायण दास, डिग्गी बाजार में आशा देवी जादम, सोनी जी की नसिया के सामने उमराव कंवर तथा रामगंज स्थित ओम प्रकाश माहेश्वरी के काॅमर्शियल काॅम्प्लेक्सों के निर्माण पर रोक लगा दी है। 
एस.पी.मित्तल) (29-09-18)
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अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी का भाजपा से मोह भंग हो रहा है?

अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी का भाजपा से मोह भंग हो रहा है? आम सभा में नहीं बुलाया भाजपा नेताओं को। 
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29 सितम्बर को अजमेर डेयरी की आम सभा श्रीराम धर्मशाला में हुई। इसमें ंिजले भर की 600 दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसी सभा में डेयरी का 700 करोड़ रुपए का वार्षिक बजट भी स्वीकृत किया गया। डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी ने बताया कि दुग्ध उत्पादकों को इन दिनों कितनी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। घी पर भी जीएसटी लग जाने से सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाली डेयरियों को घाटा हो रहा है। हजारों किलो घी बेकार पड़ा है। च ौधरी ने जिस तरह से दुग्ध उत्पादकों की समस्याओं को रखा, उससे प्रतीत हो रहा था कि अब सत्तारूढ़ भाजपा से उनका मोह भंग हो गया है। लम्बे अर्से बाद डेयरी की आमसभा में किसी भाजपा नेता को नहीं बुलाया। अब तक अजमेर के भाजपा विधायकों को बुलाकार स्वागत किया जाता रहा है। मंत्रियों को बुला कर साफा आदि पहनाया जाता था। लेकिन इस बार डेयरी की सभा में च ौधरी स्वयं ही सर्वेसर्वा बने रहे। असल में भाजपा के पांच वर्ष के शासन में च ौधरी को कोई राजनीतिक लाभ नहीं पहुंचा। जबकि गत विधानसभा के चुनाव में च ौधरी जब कांग्रेस को छोड़ कर भाजपा में आए, तब च ौधरी ने अजमेर के आजाद पार्क की सभा में वसुंधरा राजे को भरोसा दिलाया था कि जिले की सभी आठ विधानसभा सीटों पर भाजपा की जीत दर्ज करवाई जाएगी। च ौधरी अपने इस कथन पर खरे भी उतरे। लेकिन इसकी एवज में च ौधरी को कोई उपहार नहीं मिला। नसीराबाद का उपचुनाव हो या लोकसभा का। भाजपा की ओर से कोई तवज्जों नहीं मिली। इतना ही नहीं अजमेर डेयरी को राज्य सरकार की ओर से कोई राहत भी नहीं दी गई। हालांकि वसुंधरा राजे को सीएम के तौर पर माला पहनाने में च ौधरी कभी भी पीछे नहीं रहे। लेकिन च ौधरी के समर्थकों का मानना है कि भाजपा के शासन में उचित सम्मान नहीं मिला है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि च ौधरी कांग्रेस में फिर से घर वापसी करेंगे या नहीं, लेकिन जानकारों की माने तो च ौधरी के तार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट से जुड़ चुके हैं। इसमें सांसद रघु शर्मा की भी भूमिका बताई जाती है। शर्मा ने लोकसभा का उपचुनाव जीता था, लेकिन अब वे केकड़ी से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। च ौधरी के समर्थकों का मानना है कि यदि विधानसभा चुनाव में मसूदा से टिकिट नहीं मिलता है तो लोकसभा में दावेदारी मजबूत है। कांग्रेस के बड़े नेता भी लोकसभा के चुनाव में अजमेर से च ौधरी को मजबूत उम्मीदवार मानते हैं। असल में डेयरी में च ौधरी अपने दम पर राजनीति करते हैं। पिछले 15 वर्षो से च ौधरी डेयरी के अध्यक्ष बने हुए हैं। इस अवधि में 10-10 वर्ष भाजपा-कांग्रेस का शासन रह चुका है, लेकिन च ौधरी का डेयरी में दबदबा बना रहा। डेयरी में दबदबे को बनाए रखने के लिए च ौधरी अपने संचालक मंडल के सदस्यों को हवाई सफर भी करवाते हैं। जिले की अधिकांश दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों पर च ौधरी की सीधी पकड़ है। वैसे भी च ौधरी ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण नहीं की है, ऐसे में इस्तीफा देने की जरुरत भी नहीं है। देखना है कि विधानसभा चुनाव से पहले राजनीति का ऊंट किस करवट बैठता है।
एस.पी.मित्तल) (29-09-18)
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अजमेर के पेयजल संकट को लेकर वकील समुदाय प्रधानमंत्री से मिलेगा।

अजमेर के पेयजल संकट को लेकर वकील समुदाय प्रधानमंत्री से मिलेगा। बीसलपुर बांध से जयपुर को पानी दिए जाने पर रोष। कांग्रेस वकीलों के साथ।
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अजमेर के भीषण पेयजल संकट को लेकर 29 सितम्बर को जिला बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित एक बैठक में कांग्रेस के नेताओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि एसोसिएशन आंदोलन की जो रणनीति बनाएगी उसमें कांग्रेस का पूरा सहयोग मिलेगा। इस बैठक में बीसलपुर बांध से जयपुर जिले को पानी दिए जाने पर रोष जताया गया। बैठक के आरंभ में एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष अजय त्रिपाठी ने कहा कि तीन और चार दिन में एक बार पानी मिलने से अजमेर जिले में त्राहि त्राहि मची हुई है।  एक ओर अजमेर को पानी नहीं मिल रहा, वहीं बीसलपुर बांध से जयपुर को रोजाना करीब चार लाख एमएलडी पानी की सप्लाई की जा रही है। जबकि बीसलपुर बांध का निर्माण अजमेर की प्यास बुझाने के लिए ही किया गया था। भाजपा के वरिष्ठ नेता और यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन ने कहा कि जयपुर को पानी दिए जाने का उन्होंने पहले भी विरोध किया था और वे आज भी अपनी मांग पर कायम हैं। भाजपा के युवा नेता और पीसांगन पंचायत समिति के प्रधान अशोक सिंह रावत ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की स्थिति बहुत ही खराब है। इसके लिए सरकार को जल्द से जल्द कार्यवाही करनी चाहिए। वहीं कांग्रेस के प्रदेश मंत्री महेन्द्र सिंह रलावता, शहर अध्यक्ष विजय जैन, पूर्व मंत्री ललित भाटी, महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सबा खान, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य दीपक हासानी, राजेश टंडन, विवेक पाराशर आदि ने भी पेयजल संकट पर चिंता जताई। बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि छह अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित अजमेर यात्रा के दौरान शहर का एक प्रतिनिधि मंडल मुलाकात करने का प्रयास करेगा। ताकि प्रधानमंत्री को पेयजल के संकट से अवगत कराया जाए। इसके लिए जिला प्रशासन के माध्यम से समय मांगा जाएगा। बैठक में सर्वसम्मति से तय हुआ कि अजमेर को मांग के अनुरूप पेयजल देने और जयपुर की सप्लाई पर रोक लगाने को लेकर एक बड़ा जनआंदोलन किया जाएगा। 
मंत्री और मेयर ने दिलाया भरोसाः
बैठक समाप्ति से कुछ देर पहले पहुंचे स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी और मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने भरोसा दिलाया कि जल्द ही अजमेर की पेयजल व्यवस्था में सुधार किया जाएगा। देवनानी ने कहा कि एक अक्टूबर से जो 50 प्रतिशत पेयजल की कटौती की जानी थी, उसे स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि बीसलपुर बांध में पिछले बीस दिनों में एक मीटर से ज्यादा पानी की आवक हो गई है और अभी भी बांध में आवक जारी है। ऐसे में अगले वर्ष जून तक पेयजल की सप्लाई आसानी के साथ की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार पेयजल की समस्या को लेकर संवेदनशील है।
एस.पी.मित्तल) (29-09-18)
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Friday 28 September 2018

जायरीन की कायड़ विश्राम स्थली पर होगी प्रधानमंत्री की आम सभा।

जायरीन की कायड़ विश्राम स्थली पर होगी प्रधानमंत्री की आम सभा। सीएम वसुंधरा राजे ने लिया जायजा। 
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आम सभा 6 अक्टूबर को अजमेर के निकट उस कायड़ विश्राम स्थली पर होगी, जहां ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए आने वाले जायरीन ठहरते हैं। ख्वाजा साहब के सालाना उर्स में मालदार जायरीन तो दरगाह के आसपास बने खादिमों के गेस्ट हाउस और शहर की होटलों में ठहर जाते हैं, लेकिन बसों और ट्रेनों से आने वाले गरीब जायरीन दरगाह से कोई दस किलोमीटर दूर कायड़ विश्राम स्थली में ठहरते हैं। यहीं पर सरकार की ओर से जायरीन के लिए थोड़े बहुत इंतजाम किए जाते हैं। चूंकि इस विश्राम स्थली में हजारों बसें और लाखों जायरीन एक साथ समा जाते हैं इसलिए प्रधानमंत्री की सभा इसी विश्राम स्थली पर करने का निर्णय लिया गया है। भाजपा की ओर से तीन लाख लोगों को एकत्रित करने का दावा किया जा रहा है। प्रधानमंत्री की सभा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा के समापन पर हो रही है। यही वजह रही कि 28 सितम्बर को सीएम राजे ने स्वयं कायड़ विश्राम स्थली पर पहुंच कर सभा की तैयारियों का जायजा लिया। हालांकि पूर्व में गौरव यात्रा का समापन हिन्दुओं के तीर्थ गुरु पुष्कर में किया जाना था, लेकिन प्रधानमंत्री की सभा को ध्यान में रखते हुए अब गौरव यात्रा का समापन कायड़ विश्राम स्थली पर होगा। 6 अक्टूबर को इसी सभा स्थल से अजमेर की अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यस भी प्रधानमंत्री के द्वारा होगा। 28 सितम्बर को कायड़ विश्राम स्थली पर सीएम के साथ स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती अनिता भदेल, परिवहन मंत्री यूनुस खान आदि भी थे।  भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष प्रो. बीपी सारस्वत ने बताया कि जिला कलेक्टर आरती डोगरा और एडीएम अबू सूफीयान ने सभा के मंच और लोगों के बैठने के बारे में मुख्यमंत्री को विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने सभी नेताओं को प्रधानमंत्री की सभा में अधिक से अधिक लोगों को जुटाने के लिए कहा है। देहात के सभी छह विधान सभा क्षेत्रों में मंडल स्तर पर बैठेे की जा रही हैं। इससे पहले सीएम राजे किशनगढ़ के एयरपोर्ट पर हवाई जहाज से उतरीं और फिर हेलीकाॅप्टर के जरिए विश्राम स्थली के निकट घूघरा हेलीपैड पर पहुंची। 
चेतन च ौधरी को दी बधाईः
घूघरा हेलीपैड पर सीएम राजे ने अजमेर भूमि विकास बैंक के नवनिर्वाचित अध्यक्ष चेतन चैधरी को बधाई दी। राजे ने च ौधरी से कहा कि वे किसानों की समस्याओं के समाधान में सक्रिय भूमिका निभाए और अजमेर जिले के किसानों को सरकार की योजनाओं के बारे में जानकारी दे। उन्होंने कहा कि सहकारिता के क्षेत्र में भाजपा की स्थिति मजबूत होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि च ौधरी हाल ही में निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं। च ौधरी ने सीएम को भरोसा दिलाया है कि आगामी विधानसभा चुनाव में जिले भर में भाजपा को जिताने में सक्रिय भूमिका निभाई जाएगी।  इसी अवसर पर संघ परिवार के एकल विद्यालय के जिला प्रभारी सुभाष काबरा, एडीए के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश टांक, आदि ने भी सीएम से मुलाकात की। 
महिला आईएएस की बिगड़ी तबीयतः
28 सितम्बर को सीएम राजे जब किशनगढ़ एयरपोर्ट पर पहुंची, तब प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ की अचानक तबीयत बिगड़ गई। सीएम ने एम्बुलैंस मंगाई और राठौड़ का प्राथमिक उपचार करवाया। सीएम एयरपोर्ट पर तब तक रही, जब तक इलाज शुरू न हुआ। 
एस.पी.मित्तल) (28-09-18)
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अजमेर में पीने के पानी की जंग में अब वकील समुदाय भी कूदा।

अजमेर में पीने के पानी की जंग में अब वकील समुदाय भी कूदा। भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को बुलाया।
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बीसलपुर बांध में बरसात के दिनों में पानी की आवक कम होने से इन दिनों अजमेर जिले में पेयजल का गहरा संकट है। तीन चार दिनों में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। इस संकट को देखते हुए ही जिला बार एसोसिएशन ने 29 सितम्बर को दोपहर डेढ़ बजे एसोसिएशन के सभागार में जिलेभर के जनप्रतिनिधियों की एक बैठक बुलाई है। बैठक में कांग्रेस और भाजपा के  नेताओं को आमंत्रित किया गया है। एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष अजय त्रिपाठी और आंदोलन से जुड़े प्रमुख वकील विवेक पाराशर ने बताया कि पूर्व में बार एसोसिएशन ने ही बीसलपुर बांध से जयपुर को  पानी सप्लाई करने पर रोक लगवाई थी। जयपुर को पानी तभी दिया जाए, जब अजमेर में प्रतिदिन पेयजल की सप्लाई सुनिश्चित हो। यदि अजमेर में तीन-चार दिन में एक बार सप्लाई दी जा रही है तो जयपुर को पानी नहीं दिया जाना चाहिए। इस मामले में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को एकजुट करने के लिए ही बार एसोसिएशन ने पहल की है। 29 सितम्बर की बैठक के बाद आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। 
एस.पी.मित्तल) (28-09-18)
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मासिक धर्म की वजह से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता-सुप्रीम कोर्ट।

मासिक धर्म की वजह से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से नहीं रोका जा सकता-सुप्रीम कोर्ट।
ख्वाजा साहब की दरगाह में तो महिलाएं जियारत और इबादत करती हैं।
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महिलाओं में नैचुरल प्रोसेस पानी जानी वाली मासिक धर्म की आड़ लेकर पुजारियों ने केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर जो रोक लगा रखी थी, उसे 28 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक घोषित कर दिया है। यानि अब महिलाएं भी सबरीमाला मंदिर में प्रवेश कर भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकेंगी। इसमें कोई दो राय नहीं कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला महिलाओं को समान अधिकार दिलवाने के लिए हैं। लेकिन मंदिर के जिन पुजारियों और प्रबंधकों ने मासिक धर्म में महिलाओं के अपवित्र होने की बात कह कर रोक लगाई हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि भारतीय संस्कृति के अनुरूप सनातन धर्म का पालन करने वाली भारतीय महिलाएं पहले ही सावधान रहती हैं। अधिकांश घरों में महिलाएं घर के मंदिर में पूजा पाठ नहीं करती और खाना बनाने से भी परहेज करती हैं। इन दिनों में महिलाएं जो कुछ भी कर सकती हैं वो सब करती हैं। हर मां अपनी बेटी को ऐसी सीख देती है। जब भारत की महिलाए घर में ही पूजा पाठ रोक देती है तो किसी बड़े मंदिर में जाने का तो सवाल ही नहीं उठता। चूंकि यह प्राकृतिक क्रिया है। इसलिए कई बार धार्मिक यात्राओं के दौरान भी महिलाएं इसका शिकार हो जाती है, लेकिन ऐसी महिलाएं स्वतः ही मंदिर में प्रवेश नहीं करती है। पुजारियों ने भी देखा होगा कि दूर दराज से केरल तक आने के बाद भी अनेक महिलाएं मंदिर के बाहर ही खड़ी रहती हैं। यह बात किसी को सीखाने की नहीं है कि मासिक धर्म के दौरान मंदिर में प्रवेश नहीं किया जाए। अब जब सुप्रमी कोर्ट ने भी मंदिर प्रवेश की इजाजत दे दी है, तब भी वे महिलाएं मासिक धर्म के दिनों में मंदिर में प्रवेश नहीं करेंगी। ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ लोग बेवजह विवाद खड़े करते हैं। किसी भी कानून और कोर्ट से बढ़कर है हमारी धार्मिक आस्था। व्यक्ति धर्म पर चल कर नेक इंसान बनता है।
दरगाह में खुला प्रवेशः
कथित तौर पर यह माना जाता है कि मुस्लिम सप्रदाय में महिलाओं के साथ भेदभाव होता है, लेकिन अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में महिलाएं न केवल पवित्र मजार पर जियारत की रस्म अदा करती हैं, बल्कि आस्थाना शरीफ के बाहर बैठ कर इबादत भी करती हैं। दरगाह के प्रमुख खादिम एसएफ हसन चिश्ती ने बताया कि ख्वाजा साहब की दरगाह में इबादत के जो अधिकार मर्दों को मिले हैं वो ही औरतों को भी हैं। मजार शरीफ पर मर्दों के साथ औरत भी जियारत करती है। सूफी परंपराओं के अनुरूप जियारत करने वाले मर्द के सिर पर पगड़ी बांधी जाती है तो औरत को बडे़ अदब के साथ चुनरी ओढ़ाई जाती है। पवित्र मजार पर पेश हुआ धागा महिलाओं के गले में पहनाया जाता है। यही वजह है कि ख्वाजा साहब की दरगाह में बड़ी संख्या में मुस्लिम महिलाएं भी आती हैं। दरगाह में महिलाओं को पूरा सम्मान मिलता है। दरगाह की धार्मिक रस्मों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414496884 पर खादिम एसएफ हसन चिश्ती से ली जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (28-09-18)
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अश्विनी पाठक के सुंदरकांड पाठ की तैयारी पूरी।

अश्विनी पाठक के सुंदरकांड पाठ की तैयारी पूरी। अजमेर के दाहरसेन स्मारक को सजाया।
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सुप्रसिद्ध सुंदरकांड वाचक अश्विनी पाठक के द्वारा 29 सितम्बर को सायं छह बजे अजमेर के कोटड़ा स्थित दाहर सेन स्मारक पर  सुंदरकांड पाठ किया जाएगा। श्रीसिद्धेश्वर महादेव सुंदरकांड प्रबंध समिति के राजेन्द्र नरचल, पूर्व पार्षद कमल बैरव, शंकर सिंह राठौड, अनिता नरचल, नीता गुप्ता, नेहा जोशी, लता तायल, पिंकी गुप्ता, शीला शर्मा, अभिषेक शुक्ला, अनिश कपूर, सुरेश शर्मा आदि ने बताया कि आसन की बुकिंग करवाने वाले व्यक्ति को समिति की ओर से सुंदरकांड पुस्तिका, तुलसी का पौधा, बैठने का आसन आदि सामग्री दी जाएगी। सुंदरकांड पाठ की सभी तैयारियां पूरी हो गई है। उन्होंने बताया कि अश्विनी पाठक पिछले 19 वर्षों से रोजाना सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं। अजमेर में यह छह हजार 851वां सुंदरकांड का पाठ होगा। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल न म्बर 9414300154 तथा 9928010011 पर कमल बैरवा से ली जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (28-09-18)
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बहुत मायने रखता है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीनों सेनाओं के कमांडरों की काॅन्फ्रेंस को संबोधित करना।

बहुत मायने रखता है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तीनों सेनाओं के कमांडरों की काॅन्फ्रेंस को संबोधित करना। सैन्य इतिहास में हो सकता है बड़ा बदलाव।
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मैं कोई रक्षा विशेषज्ञ नहीं हंूं और न ही मैंने कभी सेना में काम किया है, लेकिन पत्रकारिता के चालीस वर्ष के अनुभव में मुझे पहली बार पता चला कि देश के प्रधानमंत्री हमारी सेना के तीनों अंगों के चीफ और प्रमुख क्षेत्रों के कमांडरों की संयुक्त काॅन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे हैं। हो सकता है कि आजाद भारत में किसी मौके पर ऐसा पहले भी हुआ हो, लेकिन यह तो पहली ही बार है कि ऐसी काॅन्फ्रेंस दिल्ली से बाहर वायु सेना के किसी प्रमुख स्थान पर हो। 28 सितम्बर को प्रधानमंत्री ने हमारी पश्चिमी सीमा के जोधपुर सैन्य क्षेत्र के वायु सेना के प्रमुख स्टेशन पर जिस काॅन्फ्रेंस को संबोधित किया, उसमें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ-साथ थल सेनाध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ तथा नौ सेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा उपस्थित थे। साथ ही तीनों सेनाओं के 19 आॅपरेशन कमान के कमांडर भी उपस्थित रहे। देश में अभी ऐसी कोई आपात स्थिति नहीं है, जिसमें इतनी बड़ी काॅन्फ्रेंस प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हो, लेकिन आगे के हालातों का अंदाजा लगाते हुए की जा रही इस काॅन्फ्रेंस के बहुत मायने हैं। कहा तो यह गया है कि यह काॅन्फ्रेंस 27-28 सितम्बर 2011 को की गई सर्जिकल स्ट्राइक की दूसरी वर्षगांठ पर हुई है, लेकिन सब जानते है। कि हमारे देश में तीनों सेनाओं के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति माने जाते हैं। इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सैन्य राणनीति का हिस्सा ही कहा जाएगा कि जोधपुर की काॅन्फ्रेंस में वे स्वयं उपस्थित रहे हैं। सीमाओं पर देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सेना की ही होतीे है। यदि सेना मजबूत हो तो नरेन्द्र मोदी जैसा प्रधानमंत्री बड़ा फैसला भी कर सकता है।
हालांकि अभी यह तय नहीं है कि तीनों सेनाओं का एक सेनापति बनाया जाए, लेकिन 28 सितम्बर की काॅन्फ्रेंस में यह भी सहमति बनी है कि साबइर, एयर स्पेस आदि के क्षेत्रों में संयुक्त रूप से कार्य किया जाए। इसके लिए तीनों सेनाओं के जवानों की एक सर्विस एजेंसी का गठन हो। हालांकि देश की सुरक्षा के मुद्दे पर तीनों सेनाएं एकजुट हैं, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तीनों सेनाओं का एक कमांडर होना चाहिए, ताकि रणनीति में एक नजरिया बना रहे। अमरीका और चीन जैसे शक्तिशाली देशों में भी राष्ट्रापति ही सेना के कमांडर इन चीफ होते हैं। हमारे यहां की व्यवस्था प्रधानमंत्री शासन के प्रमुख होते हैं। ऐसे में सेनाध्यक्षों और प्रमुख कमांडरों की काॅन्फ्रेंस में नरेन्द्र मोदी का उपस्थित रहना बहुत मायने रखता है। 28 सितम्बर को मोदी ने न केवल काॅन्फ्रेंस को संबोधित किया, बल्कि दोपहर का भोजन भी अपने कमांडरों के साथ किया। प्रधानमंत्री की इस पहल का सैन्य अधिकारियों ने स्वागत किया। प्रधानमंत्री को भी सेना के काम काज को और नजदीक से समझने का अवसर मिला है। जब एक टेबल पर सब लोग मिलकर भोजन करते हैं तो मित्रवत संबंध भी कायम होते हैं। जानकारों की माने तो 28 सितम्बर को सैन्य अधिकारियों के साथ प्रधानमंत्री ने बेहद ही मित्रतापूर्ण प्रकट किया। आने वाले दिनों में इस काॅन्फ्रेंस के परिणाम देश की जनता के सामने आएंगे। 
एस.पी.मित्तल) (28-09-18)
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Thursday 27 September 2018

सांसद रघु शर्मा ने अजमेर रेलवे स्टेशन पर सुविधाओं का उद्घाटन किया।

सांसद रघु शर्मा ने अजमेर रेलवे स्टेशन पर सुविधाओं का उद्घाटन किया। भाजपा के मंत्री भी रहे मौजूद। पर ट्रेन रवानगी तक नहीं रुके भाजपाई।
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27 सितम्बर को अजमेर से कांग्रेस के सांसद रघु शर्मा ने अजमेर रेलवे स्टेशन पर वातानुकूलित विश्राम गृह, लिफ्ट तथा तीन एस्केलेटर  का उद्घाटन किया। इस अवसर पर स्कूली शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री अनिता भदेल और कांग्रेस व भाजपा के कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। सांसद शर्मा ने उम्मीद जताई कि इन सुविधाओं से यात्रियों को आसानी के साथ एक प्लेट फार्म से दूसरे प्लेट फार्म पर जाना हो सकेगा। उन्होंने इसके लिए रेल प्रशासन का भी आभार जताया। सांसद शर्मा को दोपहर तीन बजे अजमेर से रामेश्वर के लिए भी ट्रेन को हरी झंडी दिखानी थी, इसके लिए उद्घाटन के बाद सांसद शर्मा और कांग्रेस के कार्यकर्ता रेलवे स्टेशन पर ही मौजूद रहे, लेकिन मंत्री देवनानी, भदेल और भाजपा के कार्यकर्ता उद्घाटन के बाद चले गए। भाजपा का कोई भी कार्यकर्ता टेªन रवानगी के समय रेलवे स्टेशन पर मौजूद नहीं था। अजमेर रामेश्वरम के लिए साप्ताहिक ट्रेन शुरू की गई है। इसका विधिवत शुभारंभ भोपाल रेलवे स्टेशन पर लोकसभा की अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने किया, लेकिन तय कार्यक्रम के अनुसार अजमेर रेलवे स्टेशन पर सांसद शर्मा ने हरी झंडी दिखाकर टेªन को रवाना किया। भाजपा के कुछ नेताओं का कहना था कि रेल प्रशासन ने  ट्रेन के शुभारंभ के समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किया था। इसलिए वे दूसरे समारोह में नहीं रुके। वहीं कांग्रेस के शहर अध्यक्ष विजय जैन का कहना रहा कि भाजपा के मंत्रियों और कार्यकर्ताओं को ट्रेन के शुभारंभ तक स्टेशन पर रुकना चाहिए था। 
एस.पी.मित्तल) (27-09-18)
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अब 29 अक्टूबर से अयोध्या प्रकरण में हो सकेगी सुनवाई।

अब 29 अक्टूबर से अयोध्या प्रकरण में हो सकेगी सुनवाई।
मस्जिद में नमाज के मुद्दे को ऊंची बेंच में भेजने से इंकार
जस्टिस अब्दुल नजीर दो साथी जजों के फैसले से सहमत नहीं।
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अयोध्या स्थित विवादित भूमि पर नमाज के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट की ऊंची संविधान पीठ में सुनवाई के लिए भेजने से चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने बहुमत से इंकार कर दिया है। 27 सितम्बर के इस सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब 29 अक्टूबर से अध्योया प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकेगी। 27 सितम्बर को चीफ जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को अयोध्या में विवादित भूमि पर नमाज के मुद्दे पर निर्णय देना था। पूर्व में प्रस्तुत प्रार्थना पत्र में कहा गया कि की वर्ष 1994 में सुप्रीम कोर्ट ने इस्माइल फारुखी प्रकरण में टिप्पणी की थी कि मस्जिद में नमाज इस्लाम का जरूरी हिस्सा नहीं है। प्रार्थना पत्र में इस निर्णय पर पुर्नविचार करने का आग्रह किया गया। साथ ही इस मुद्दे को ऊंची बेंच में भेजने की मांग की गई। लेकिन जस्टिस दीपक मिश्रा और अशोक भूषण ने कहा कि इस समय सुप्रीम कोर्ट में विवादित भूमि के टाईटल पर सुनवाई हो रही है। ऐसे में पूर्व के किसी निर्णय अथवा राय को पुनर्विचार के लिए नहीं भेजा जा सकता। तीन सदस्यीय इस पीठ में जस्टिस एस अब्दुल नजीर भी शामिल हैं, लेकिन जस्टिस नजीर ने इस फैसले पर अपनी असहमति जताई। ऐसे में बहुमत के आधार पर फैसला हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले का मंदिर समर्थकों ने स्वागत किया है। 
एस.पी.मित्तल) (27-09-18)
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शादी के बाद गैर मर्द से शारीरिक संबंध बनाना अब अपराध नहीं।

शादी के बाद गैर मर्द से शारीरिक संबंध बनाना अब अपराध नहीं। कितना उचित है सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला। क्या सनातन संस्कृति वाला भारत पश्चिम की खुली हवा खाने को तैयार है?
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कहा तो यही जाता है कि भारत सनातन संस्कृति वाला देश है। इसी संस्कृति मंे शक होने पर सीता माता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। लेकिन 27 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शादी के बाद गैर मर्द से शारीरिक संबंध अब किसी औरत के लिए अपराध नहीं होगा। सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ का माानना रहा कि शादी हो जाने से पत्नी, पति की सम्पत्ति नहीं हो जाती। जितना स्वतंत्रता का अधिकार पुरुष को है, उतना ही महिला को भी है। इसी के साथ कोर्ट ने आईपीसी की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित कर दिया। अब तक इस धारा मंे जुर्माना और सजा का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कई मायने में महत्वपूर्ण है। निःसंदेह इससे  महिलाओं के अधिकारों में वृद्धि होगी और महिलाएं भी अपने विचारों के अनुरूप जीवन व्यतीत कर सकेंगी। यानि अब यह कहावत बदल जाएगी कि पत्नी तो पति के पैर की जूती होती है। पतियों को भी अब पता चलेगा कि पत्नी क्या होती है? जिस तरह पश्चिम के देशों में किसी समुन्द्र के किनारे महिलाएं जिस तरह नजर आती हैं, उसी तरह अब भारत में महिलाएं खुली हवा का आनंद ले सकेंगी। पश्चिम की संस्कृति में किसी भी पति को अपनी पत्नी की स्वतंत्रता पर कोई ऐतराज नहीं होता है। वहां दोनों के समान अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अनेक महिलाएं अत्याचार से भी बचेंगी। लेकिन सवाल उठता है कि क्या सनातन संस्कृति को मानने वाली भारतीय महिलाएं खुली हवा का आनंद ले सकती हैं? पति कैसा भी नशेड़ी हो लेकिन पत्नी तो उसी के लिए करवा चैथ का व्रत करती है। पति अपने दफ्तर या अन्य किसी भी स्थान पर गुल खिलाए, लेकिन भारतीय पत्नी तो पति को ही परमेश्वर मानेगी। पति की सफलता के लिए न जाने कितने व्रत रखे जाते हैं। अब पश्चिम के लोग भी मानने लगे हैं कि समाज को बनाए रखने में भारत की सनातन संस्कृति ही अच्छी है। इसलिए हमारे वेद ग्रंथों पर पश्चिम के देशों में शोध हो रहा है। सनातन संस्कृति तो महिला को देवी का दर्जा देती है। यहां तक कि कोई पिता कन्या दान नहीं करता है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति नहीं होती। यानि जिस संस्कृति में महिलाओं का इतना सम्मान है, उसी देश में कहा जा रहा है कि शादी के बाद गैर मर्द से शारीरिक संबंध बनाना किसी महिला के लिए अपराध नहीं होगा। देखना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सनातन संस्कृति वाला भारतीय समाज किस प्रकार से ग्रहण करता है। 
एस.पी.मित्तल) (27-09-18)
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