Wednesday 20 February 2019



550 करोड़ रुपए एक माह में नहीं चुकाए तो रिलायंस के मालिक अनिल अंबानी जेल जाएंगे।
इसे कहते हैं नादान की दोस्ती जी का जंजाल।
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बहु चर्चित राफेल विमान सौदे पर आॅफसेट की भूमिका निभाने वाले रिलायंस समूह के मालिक अनिल अंबानी की वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विपक्ष खास कर कांगे्रस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की आलोचना का शिकर होना पड़ रहा है। इस मुद्दे पर मोदी के लिए चोर जैसे शब्दों का इस्तेमाल हो रहा है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे को सही बताया है, लेकिन अब उन्हीं अनिल अंबानी को जेल जाना पड़ सकता है। 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश रोहिंगटन फली नरीमन और न्यायाधीश विनीत सरन की पीठ ने अनिल अंबानी को कोर्ट की अवमानना का दोषी मानते हुए आदेश दिए कि चार सप्ताह में एरिक्सन कंपनी को 550 करोड़ रुपए का भुगतान किया जाए। यदि रिलायंस कम्युनिकेशन कंपनी भुगतान करने में विफल रहेगी तो अनिल अबंानी को तीन माह के लिए  जेल जाना होगा। कोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जताई कि अंडरटेकिंग देने के बाद भी रिलायंस ने भुगतान नहीं किया। एरिक्सन कंपनी की बकाया राशि को लेकर अनिल अंबानी के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला तब सामने आया है जब अनिल अंबानी से दोस्ती को लेकर पीएम मोदी को आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है। राफेल विमान सौदे को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आगे रख कर जब प्रधानमंत्री अपना बचाव करते हैं तब उसी सुप्रीम कोर्ट ने उन्हीं अनिल अंबानी को जेल भेजने की धमकी दी है। माना कि अभी अनिल अंबानी पर धोखाधड़ी का आरोप नहीं लगा है, लेकिन उन्हें अंडरटेकिंग के बाद भी भुगतान नहीं करने का दोषी माना गया है। यानि रिलायंस के अनिल अंबानी की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। सवाल उठता है कि जब अंबानी की आर्थिक स्थिति खराब है तो फिर राफेल का तीस हजार करोड़ रुपए का काम फ्रांस सरकार ने क्यों दिया? सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से विपक्ष खासकर कांग्रेस को नरेन्द्र मोदी पर हमला करने का और अवसर मिलेगा। अनिल अंबानी पर यह कहावत सही चरितार्थ हो रही है नादान की दोस्ती जी का जंजाल। अनिल अंबानी के हालात तो अंबानी परिवार से ही लगाया जा सकते हैं। रिलायंस समूह के दूसरे मालिक और अनिल के भाई मुकेश अंबानी दुनिया के दो चार मालदारों में से एक हैं, जबकि अनिल अंबानी दिवालिएपन के कगार पर खड़े हैं। हो सकता है कि इसका असर राफेल विमान के आॅफसेट के काम काज पर भी पड़े।
एस.पी.मित्तल) (20-02-19)
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जयपुर जेल में पाकिस्तानी कैदी की मौत। 
हत्या की आशंका। जेल अफसरों की लापरवाही उजागर। 
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20 फरवरी को राजस्थान में जयपुर की सेंट्रल जेल में दोपहर को उस समय सनसनी फैल गई जब शाकिर नाम पाकिस्तानी कैदी की मौत हुई। बताया जा रहा है कि कैदियों के बीच आपसी झगड़े में शाकिर की मौत हुई है। इसमें जेल अधिकारियों की लापरवाही भी सामने आई है। सूत्रों के अनुसार पुलवामा में सुरक्षा बलों के 45 जवानों की शहादत के बाद से ही जयपुर की सेंट्रल जेल का माहौल गर्म था, गत रात्रि को भी कैदियों के बीच मारपीट हुई बताई। लेकिन जेल अफसरों ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया। सूत्रों के अनुसार बीस फरवरी को सुबह से जेल के अंदर तनावपूर्ण माहौल था। जिस बैरक में मृतक शाकिर बंद था उसमें पांच पाकिस्तानी कैदी भी रह रहे थे। पाकिस्तानी कैदी की मौत की खबर से जेल में सनसनी फैल गई। थोड़ी ही देर में जेल डीजी एनआरके रेड्डी मौके पर आ गए उन्होंने ने भी इस पूरे मामले को बेहद गंभीर माना है। राजस्थान के जेल मंत्री भजनलाल जाटव ने कहा है कि मामले की जांच करवाई जा रहा है। उन्होंने कहा कि जेल में कैदी की मौत गंभीर मामला है। इस मामले में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। 
ऐसी घटना उचित नहींः
पुलवामा हमले के बाद यदि किसी पाकिस्तानी कैदी की संदिग्ध मौत होती है तो यह किसी भी स्थिति में उचित नहीं है। सभी लोगों को संयम बरतना चाहिए। जो तत्व पुलवामा हमले के दोषी हैं उनके खिलाफ सरकार की ओर से कार्यवाही की जा रही है। किसी पाकिस्तानी कैदी की मौत बेवजह माहौल को और बिगाड़ेगी। अच्छा हो कि ऐसी घटनाओं से बचा जाए। प्रशासन को भी ऐसी घटनाओं को गंभीरता के साथ लेना चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की यह जिम्मेदारी है कि वे जेल में बंद लोगों की सुरक्षा का भरोसा दिलाए। यह मामला कानून व्यवस्था से भी जुड़ा हुआ है। इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी है उनके खिलाफ भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए। 
एस.पी.मित्तल) (20-02-19)
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इमरान खान ही नहीं, नरेन्द्र मोदी भी अच्छे दोस्ती हैं प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के।
जब अंटी में माल हो तो ऐसी ही होड़ होती है। 
पुलवामा हमले पर भारत में चुप रहे साऊदी अरब के प्रिंस।
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20 फरवरी को राष्ट्रपति भवन में साऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का शानदार इस्तकबाल हुआ। हमारे जवानों ने प्रिंस को सलामी दी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गले लगाया। 19 फरवरी की रात पीएम मोदी प्रोटोकाॅल तोड़ कर प्रिंस को लेने हवाई अड्डे पर गए और तब भी दोस्ताना अंदाज में प्रिंस को गले लगाया। साऊदी अरब के प्रिंस की आवभगत करने में भारत की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी गई। यह सब तब हो रहा है जब हमारे देश में पचास जवानों की चिताएं जल रही है और पूरे देश में गम का माहौल है। इससे बढ़ कर भी बात यह है कि प्रिंस सलमान उस पाकिस्तान से आ रहे हैं जो पुलवामा हमले का गुनाहगार है। एक ओर भारत पूरी ताकत लगा कर दुनिया के सामने पाकिस्तान को पुलवामा हमले का दोषी ठहरा रहा है तो वहीं प्रिंस सलमान ने पाकिस्तान को एक लाख चालीस हजार करोड़ रुपए (बीस मिलियन डाॅलर) की सहायता दी है। यह सहायता तब दी जब पाकिस्तान कंगाली के कगार पर खड़ा। साऊदी अरब की इस मदद से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। असल में प्रिंस का स्वागत करने में पाक पीएम इमरान खान ने भी कोई कसर नहीं छोड़ी थी। प्रिंस जिस कार में बैठे उसे इमरान ने चलाया यानि प्रिंस के सम्मान में इमरान ने ड्राइवर बनने से भी गुरेज नहीं किया। देखा जाए तो इमरान खान और नरेन्द्र मोदी में प्रिंस का अच्छा दोस्त दिखाने की होड़ मच गई। असल में जब किसी व्यक्ति की अंटी (जेब) में माल होता है तो इसी तरह दोस्ती दिखाई जाती है, भले ही दोस्ती दिखाने वाले आपस में दुश्मन हो। चूंकि साऊदी अरब तेल के कारोबार में मालामाल है, इसलिए भारत और पाकिस्तान दोनों दोस्ती चाहते हैं। नरेन्द्र मोदी को इस बात से कोई गुरेज नहीं है कि प्रिंस सलमान पाकिस्तान के भी दोस्त हैं। प्रिंस ने भी दोस्त के लिहाज से भारत को निराश नहीं किया है। पाकिस्तान में जहां 20 मिलियन डाॅलर का निवेश किया, वहीं भारत में सौ मिलियन डाॅलर की बात कही है। 
पुलवामा हमले पर चुप्पीः
20 फरवरी को साऊदी अरब और भारत के प्रतिनिधि मंडलों के बीच निवेशन को लेकर संवाद हुआ। इस बैठक में प्रिंस सलमान और भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी भी उपस्थित रहे। बैठक के बाद दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने प्रेस काॅन्फ्रेंस कर अपनी अपनी राय रखी। पीएम मोदी ने जहां प्रिंस सलमान के समक्ष पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों को रखा और पुलवामा हमले के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया वहीं प्रिंस सलमान ने पुलवामा हमले पर चुप्पी साध ली। प्रिंस ने अपने बयान में यह तो कहा कि आतंकी गतिविधियां नहीं होनी चाहिए, लेकिन पाकिस्तान पर कोई टिप्पणी नहीं की। प्रिंस के इस रुख से प्रतीत हो रहा था कि वे आतंक के मुद्दे पर पाकिस्तान को जिम्मेदार नहीं मानते हैं। 
एस.पी.मित्तल) (20-02-19)
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Tuesday 19 February 2019

निकिता ने पति के शव के ताबूत को चूम कर आईलव यू कहा।

निकिता ने पति के शव के ताबूत को चूम कर आईलव यू कहा। 
बाड़मेर में देशद्रोहियों ने शहीद सर्किल को तोड़ा।
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पूरी दुनिया में भारत एक मात्र देश होगा, जहां देशद्रोही  आराम और दादागिरी से रहते हैं। जब ऐसे देशद्रोहियों के खिलाफ कार्यवाही होती है तो देश में असहिष्णुता और डर का माहौल बता दिया जाता है। ऐसे लोगों में तथाकथित बुद्धिजीवी, कलाकार और मानवाधिकारों के झंडाबरदार शामिल होते हैं। सब जानते हैं कि 18 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में आतंकियों के साथ हो रहे एनकाउंटर में भारतीय सेना के मेजर विभूति शंकर ढोंढियाल और तीन जवान शहीद हुए थे। मेजर ढोंढियाल का एक वर्ष पहले ही विवाह हुआ था। 19 फरवरी को मेजर ढोंढियाल का शव जब एक ताबूत में रख कर अंतिम संस्कार के लिए लाया गया तो पत्नी निकिता बेसुध देखी गई। माहौल तब और गमगीन हो गया, जब निकिता ने ताबूत को चूमते हुए कहा आई लव यू। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह कैसा दृश्य रहा होगा। इसी प्रकार 19 फरवरी को ही राजस्थान के खेतड़ी (झुंझुनूं) में हवलदार श्योराम का अंतिम संस्कार हो रहा था, तब पत्नी एक बच्चे को जन्म दे रही थी। श्योराम भी 18 फरवरी को ही मेजर ढोंढियाल के साथ शहीद हुए थे। 14 फरवरी को पुलवामा में आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 44 जवानों की मौत  के बाद से ही देशभर में ऐसे दृश्य देखने को मिल रहे हैं। पूरे देश का माहौल गमगीन है। कहीं वृद्ध माता-पिता की पीडा है तो कहीं पत्नी और बच्चों का विलाप। ऐसे माहौल में जब हमारे सुरक्षा बलों की हौंसला अफजाई होनी चाहिए तब राजस्थान के बाड़मेर में शहीद सर्किल को क्षतिग्रस्त करने की शर्मनाक घटना हो रही है। बाड़मेर पाकिस्तान की सीमा से लगा शहर है। शहीदों की याद में ही यहां सर्किल बनाया गया है। यहां बने एक स्मारक पर देश के लिए जान न्यौंछावर करने वाले जवानों के नाम लिखे हैं तथा जांबाज सैनिक के चिन्ह टोपी, बंदूक आदि हैं, लेकिन 18 फरवरी की रात को देशद्रोहियों ने शहीद सर्किल को तोड़ दिया। यानि एक आरे निकिता अपने पति के शव के ताबूत को आईलवयू कह रही है तो दूसरी और देशद्रोही शहीद सर्किल को तोड़ रहे हैं। जिन तत्वों ने शहीद  स्मारक को तोड़ा, उनकी निष्ठा भारत के साथ नहीं है। यानि ऐसे देशद्रोही भी भारत में गर्व के साथ रह रहे हैं। शहीद स्मारक को तोड़ने की घटना असामाजिकतत्वों की नहीं, बल्कि देशद्रोहियों की है। बाड़मेर की पुलिस इस मामले में लीपापोती के अलावा कोई कार्यवाही नहीं करेगी। पुलिस का प्रयास होगा कि जैसे तैसे मामले को ठंडा कर दिया जाए। पुलिस की ऐसी गतिविधियों से ही देशद्रोहियों के हौंसले बुलंद होते हैं। जो बुद्धिजीवी कलाकार और प्रगतिशील लेखक देश में असहिष्णुता की बात करते हैं। वे बताएं कि बाड़मेर में शहीद स्मारक को क्यों तोड़ा गया? वो भी तब जब पूरे देश में हमारे जवानों की मौत पर मातम का माहौल है। ऐसे संवेदनशील माहौल में भी शहीद स्मारक को तोड़ा जा रहा है, तब भी भारत में असहिष्णुता का माहौल बताया जाता है। देशद्रोही आखिर इस देश में कितनी दादागिरी करेंगे? क्या यही धर्मनिरपेक्ष देश की परिभाषा है? असहिष्णुता की बात करने वाले लोग बाड़मेर के शहीद स्मारक को तोड़ने की घटना पर चुप क्यों हैं?
एस.पी.मित्तल) (19-02-19)
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कश्मीर में भारतीय सेना पाकिस्तानी आर्मी के साथ ही युद्ध कर रही है।



कश्मीर में भारतीय सेना पाकिस्तानी आर्मी के साथ ही युद्ध कर रही है। 
कश्मीरियों को बचाया, इसलिए हमारे जवान शहीद हुए लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन।
समर्थकों की वजह से ही इमरान खान ने भारत को धमकाया।
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18 फरवरी को ब्लाॅग संख्या 5194 में मैंने लिखा था कि कश्मीर में भारतीय सुरक्षा बल पाकिस्तान की सेना के साथ ही युद्ध कर रहे हैं। जब तक पाकिस्तानी घुसपैठियों को नहीं मारा जाएगा, तब तक पाकिस्तान पर हमला संभव नहीं है। इसी तरह का बयान 19 फरवरी को भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने दिया है। जनरल ढिल्लन ने पुलवामा हमले के मद्देनजर 19 जनवरी को सीआरपीएफ और जम्मू कश्मीर पुलिस के आला अधिकारियों के साथ एक प्रेस काॅन्फ्रेंस की। जनरल ढिल्लन ने कहा कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद पकिस्तान की सेना का बच्चा है। जैश का कंट्रोल पाक सेना और आईएसआई के पास है। पाक सेना से प्रशिक्षित जैश के आतंकी कश्मीर में घुसपैठ करते हैं। हमारे सुरक्षा बल एक तरह से कश्मीर में पाक आर्मी के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। पाक सेना ने ही पुलवामा में आतंकी हमला करवाया। 18 फरवरी को आतंकियों के साथ एनकाउंटर में हमारे सुरक्षा बलों ने कश्मीरी नागरिकों का ख्याल रखा इसलिए एक मेजर सहित चार जवान शहीद हो गए। लेकिन अब आतंकियों के समर्थकों को बख्शा नहीं जाएगा। कश्मीर के जो युवक आतंकी गतिविधियों में लिप्त है उनके माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को समझाएं। मां अपने बेटों को वापस घर बुलाएं और सरकार की सरेंडर स्कीम में शामिल करवाएं। जनरल ढिल्लन ने कहा कि कई गाजी आए और चले गए। अब घुसपैठिए वापस पाकिस्तान नहीं जा पाएंगे। 14 फरवरी को आतंकियों ने जो हरकत की उसका जवाब सेना ने आतंकी राशिद उर्फ गाजी और उसके दो साथियों को मौत के घाट उतार कर दे दिया है। पाकिस्तान को इस गलत फलमी में नहीं रहना चाहिए कि वह आतंकियों के जरिए युद्ध जीत लेगा। हमारे सुरक्षा बलों के हौंसले बुलंद है और वे किसी भी युद्ध का मुकाबला करने को तैयार है।
भारत को धमकाया:
भारतीय सेना की प्रेस काॅन्फ्रेंस के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी टीवी चैनलों पर अपना बयान जारी करवाया। इमरान ने कहा कि यदि भारत ने हमला किया तो पाकिस्तान तगड़ा जवाब देगा। पाकिस्तान को कमजोर नहीं समझना चाहिए। कश्मीर में आज जो कुछ भी हो रहा है वह सबको पता है। पुलवामा हमले में बगैर सबूत के ही पाकिस्तान पर आरोप लगाए जा रहे हैं। चूंकि भारत में लोकसभा के चुनाव होने हैं इसलिए बेवजह पाकिस्तान को जिम्मेदार माना जा रहा है। इमरान खान ने जिस अंदाज में अपनी बात रखी उससे जाहिर था कि पाकिस्तान को भारत में रह रहे अपने हिमायतियों पर भरोसा है इसलिए वह भारत को धमका रहा है। इमरान खान को भी पता है कि भारत में नवजोत सिंह सिद्धू जैसे राजनेता उसके समर्थक है, इसलिए पाकिस्तान का कुछ भी नहीं बिगड़ सकता। इमरान खान अच्छी तरह जानते हैं कि पाकिस्तान की सेना और आईएसआई की वजह से ही कश्मीरी युवक गुमराह हो रहे हैं। जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तान में बैठ कर कश्मीर में आतंकी गतिविधियां करवाते हैं। यदि पाकिस्तान को हमारे देश द्रोहियों का समर्थन नहीं होता तो इमरान खान इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं करते। 19 फरवरी को इमरान खान का चैनलों पर जो बयान रिलीज हुआ, वह रिकाॅर्डेड था। बयान के  दौरान कई कट साफ दिखे इससे प्रतीत होता है कि यह बयान सेना और आईएसआई के दबाव में दिया गया है। जो प्रधानमंत्री इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर प्रेस काॅन्फ्रंेस भी नहीं कर सकता वह भारत को धमकी दे रहा है। 
एस.पी.मित्तल) (19-02-19)
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आशीष चतुर्वेदी भी उम्मीदवारी की जंग में कूदे।

आशीष चतुर्वेदी भी उम्मीदवारी की जंग में कूदे। 
भाजपा के नेताओं को हलवा नजर आ रहा है अजमेर लोकसभा का चुनाव।
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राजस्थान में भाजपा संगठन में आईटी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आशीष चतुर्वेदी भी अजमेर संसदीय क्षेत्र से उम्मीदवारी की जंग में कूद पड़े हैं। असल में हाल ही के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुकाबले भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा है। अजमेर संसदीय क्षेत्र की आठ सीटों में से चार पर भाजपा को तथा दो पर कांग्रेस को सफलता मिली है। जबकि दो सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीती हैं। किशनगढ़ में तो कांग्रेस उम्मीदवार की जमानत ही जब्त हो गई। चूंकि अब अजमेर को सुरक्षित माना जा रहा है इसलिए अधिकांश भाजपा नेता हलवा समझ कर खा जाना चाहते हैं। इसी जंग में आशीष चतुर्वेदी भी कूद पड़े हैं। आईआईटी दिल्ली से बीटेक करने के बाद आशीष चतुर्वेदी अजमेर में लम्बे समय तक शिक्षण कार्य कर चुके हैं। चतुर्वेदी भले ही अजमेर की राजनीति में सक्रिय नहीं रहे हो, लेकिन भाजपा के प्रदेश संगठन में चतुर्वेदी की खास भूमिका रही है। भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रह चुके चतुर्वेदी वर्तमान में ई-लाइब्रेरी के प्रभारी हैं। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह तक से चतुर्वेदी  का सम्पर्क बना हुआ है। दिल्ली में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा जैसे पेरोकार हैं तो राजस्थान में प्रदेश प्रभारी और केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर से भी सम्पर्क बना हुआ है। चूंकि चतुर्वेदी ने विधानसभा के चुनाव में सभी 200 सीटों का डेटा एकत्रित किया है, इसलिए उनके पास अजमेर संसदीय क्षेत्र की स्थिति का ब्यौरा तैयार है। उन्हें प्रत्येक मतदान केन्द्र और कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी है। चतुर्वेदी अजमेर से लोकसभा चुनाव में दावेदार हैं। इसकी जानकारी उन्होंने सभी बड़े नेताओं को दे दी है। चतुर्वेदी के अचानक मैदान में कूदने से संसदीय क्षेत्र के अनेक नेताओं को निराशा हो रही है। चतुर्वेदी ने भले ही अजमेर में शिक्षण कार्य किया हो, लेकिन स्थानीय भाजपा के नेता उन्हें अजमेर का नहीं मानते हैं। अब कहा जा रहा है कि बाहरी नेताओं को रोकने के लिए स्थानीय नेताओं एक समूह बनाया गया है। चतुर्वेदी की उम्मीदवारी से भाजपा का राजनीतिक माहौल गर्मा गया है।  अब चतुर्वेदी के साथ-साथ देहात जिला अध्यक्ष प्रो बीपी सारस्वत, पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाड़िया, पूर्व विधायक भागीरथ च ौधरी, शहर अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, नगर निगम के मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, वरिष्ठ नेता भंवर सिंह पलाड़ा, पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गैना, डाॅ. दीपक भाकर, पूर्व विधायक शत्रुघ्न गौतम, विकास च ौधरी, सुभाष काबरा, ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश भडाना, रामेश्वर प्रसाद कड़वा आदि भी जोर आजमाइश कर रहे हैं। मोबाइल नम्बर 9414279050 पर चतुर्वेदी से सम्पर्क किया जा सकता है।
सीआर च ौधरी की भी चर्चा:
वर्तमान में नागौर के सांसद और केन्द्रीय मंत्री सीआर च ौधरी  के भी अजमेर से चुनाव लड़ने की चर्चा हो रही है। हाल ही के विधानसभा चुनाव में नागौर में भाजपा के खराब प्रदर्शन की वजह से च ौधरी अपना चुनाव क्षेत्र बदलने की फिराक में हैं। इसको लेकर च ौधरी ने अजमेर में अपनी संभावनाओं को भी तलाशा है। लेकिन च ौधरी का जाट समुदाय में ही विरोध हो रहा है। अनेक जाट नेताओं का कहना है कि यदि सीआर च ौधरी जाट समुदाय में लोकप्रिय होते तो उन्हें नागौर से भागना नहीं पड़ता। चूंकि अजमेर के जाट नेताओं की भी मजबूत दावेदारी है इसलिए वे सीआर च ौधरी का अजमेर में विरोध कर रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (19-02-19)
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Friday 15 February 2019

गुर्जर आंदोलन को खत्म करने के लिए सीएम गहलोत ने कर्नल बैंसला से फोन पर बात की।

गुर्जर आंदोलन को खत्म करने के लिए सीएम गहलोत ने कर्नल बैंसला से फोन पर बात की।
गुर्जरों को कांग्रेस सरकार के बिल पर भरोसा नहीं।
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15 फरवरी को आठवें दिन भी कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला शाम तक सवाई माधोपुर के दिल्ली मुम्बई ट्रैक पर बैठे रहे। 13 फरवरी को राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का जो बिल स्वीकृत करवाया उस पर अभी तक भी गुर्जरों को भरोसा नहीं हुआ है। इसलिए यह वायदा करवाया जा रहा है कि यदि आरक्षण का मामला हाईकोर्ट में जाता है तो सरकार पूरा सहयोग करेगी। यानि ऐसा न हो कि कोर्ट में सुनवाई के समय सरकार निष्पक्ष हो जाए और गुर्जरों को आरक्षण मिलने पर रोक लग जाए। कर्नल बैंसला चाहते थे कि इस पर सरकार लिखित वायदा करे और कोई मंत्री ट्रैक पर आए। लेकिन सरकार के मुख्य पैरोकार पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने ट्रैक पर जाने से इंकार कर दिया। विश्वेन्द्र सिंह ने कहा कि सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में धरना स्थल (रेल ट्रैक) पर कोई वार्ता नहीं हो सकती। हालांकि कर्नल बैंसला से वार्ता के लिए विश्वेन्द्र सिंह मलारना डूंगर स्टेशन के निकट भी आ गए, लेकिन कर्नल बैंसला मंत्री को ट्रैक पर ही बुलाने पर अड़े रहे। कर्नल की इस जिद पर विश्वेन्द्र सिंह का कहना रहा कि गुर्जर आंदोलन कर्नल बैंसला नहीं बल्कि उनके पुत्र विजय बैंसला चला रहे हैं।  बात बिगड़ती देख आईएएस नीरज के पवन ने सीधे सीएम अशोक गहलोत से सम्पर्क साधा। पवन ने जब कर्नल बैंसला और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के रुख के बारे में बताया तो सीएम गहलोत मोबाइल पर कर्नल बैंसला से बात करने को तैयार हो गए। चूंकि पवन भी बैंसला के साथ ही ट्रैक पर जमे हुए हैं, इसलिए उन्होंने हाथों हाथ सीएम की बात कर्नल बैंसला से करवा दी। सीएम ने भरोसा दिलाया कि यदि पांच प्रतिशत आरक्षण का मामला कोर्ट में जाता है तो सरकार गुर्जरों के पक्ष में खड़ी होगी। सीएम ने बैंसला से कहा कि रेल और सड़क मार्ग जाम होने से लोगों को परेशानी हो रही है। इसलिए जल्द से जल्द आंदोलन समाप्त किया जाए। हालांकि सीएम से मोबाइल पर वार्ता के बाद भी कर्नल बैंसला संतुष्ट नजर नहीं आए। 15 फरवरी को शाम तक भी कर्नल बैंसला रेल ट्रैक पर ही जमे हुए थे। वहीं आईएएस पवन को उम्मीद है कि गुर्जर आंदोलन जल्द समाप्त हो जाएगा। असल में अब पवन ही सरकार और गुर्जरों के बीच मध्यस्थ बने हुए हैं। अब जब पवन ने कर्नल बैंसला की बात सीधे सीएम गहलोत से करवा दी है तो उनकी भूमिका और महत्वपूर्ण हो गई है। पवन का अब प्रयास है कि कर्नल बैंसला को सम्मान जनक तरीके से ट्रैक से उठाया जावे। इसलिए पवन अब बैंसला के पुत्र विजय बैंसला और मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के बीच वार्ता करवाने में लगे हुए हैं। माना जा रहा है कि यदि बैंसला के पुत्र की वार्ता सफल हो गई तो फिर विश्वेन्द्र सिंह रेल ट्रैक पर आ कर कर्नल बैंसला का आंदोलन समाप्त करवाएंगे। 
एस.पी.मित्तल) (15-02-19)
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अजमेर नगर निगम की सीईओ के खिलाफ पहले निंदा प्रस्ताव पास फिर निरस्त किया।

अजमेर नगर निगम की सीईओ के खिलाफ पहले निंदा प्रस्ताव पास फिर निरस्त किया।
अजमेर क्लब की भूमि के दुरुपयोग की भी जांच होगी।
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15 फरवरी को अजमेर नगर निगम की साधारण सभा में 37146.87 लाख रुपए का वार्षिक बजट स्वीकृत कर दिया। साधारण सभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा के पार्षदों ने निगम की सीईओ चिनमया गोपाल की अनुपस्थिति पर नाराजगी जताई। पार्षदों का कहना रहा कि सीईओ 14 फरवरी को भी सभा में उपस्थित नहीं हुई थी। सीईओ की गैर मौजूदगी पार्षदों का अपमान है। इस पर पार्षदों ने सीईओ के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास कर दिया। कुछ देर बाद सीईओ गोपाल सभा में उपस्थित हो गई तब मेयर धर्मेन्द्र गहलोत का कहना रहा कि अब निंदा प्रस्ताव को निरस्त कर दिया जाना चाहिए। सभा में गोपाल का कहना रहा कि 14 फरवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के अजमेर आने की वजह से विश्राम स्थली पर व्यस्त थी तथा 15 फरवरी को कलेक्टर की मीटिंग में चली गई। उन्होंने कहा कि पार्षदों का अपमान करने का उनका कोई इरादा नहीं है। इस पर सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया। 
अजमेर क्लब की जांच होगी:
साधारण सभा में मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने पार्षदों को भरोसा दिलाया कि अजमेर क्लब द्वारा नगर निगम की भूमि के दुरुपयोग के मामले की जांच करवाई जाएगी। पार्षदों ने आरोप लगाया था कि निगम ने जो जमीन रियायती दर पर क्लब की लीज पर दी है, उसका क्लब के प्रबंधक दुरुपयोग कर रहे हैं। क्लब में शादी समारोह आयोजित कर प्रतिमाह लाखों रुपया कमाया जाता है। क्लब परिसर में ही बार भी धड़ल्ले से चल रही है। जिस उद्देश्य के लिए क्लब को जमीन दी गई वह पूरा नहीं हो रहा है। सभा में हसबैंड स्कूल के सभागार को रातों रात चर्च में तब्दील कर दिए जाने पर भी चर्चा हुई। चूंकि स्कूल की जमीन भी निगम ने लीज पर दी है इसलिए जमीन पर चर्च का निर्माण नहीं हो सकता है। हालांकि इस संबंध में स्कूल को चलाने वाली संस्था का कहना है कि स्कूल बंद होने की कगार पर है, इसलिए सभागार में धार्मिक शिक्षा दी जा रही है। 
एस.पी.मित्तल) (15-02-19)
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टीवी चैनलों पर पाकिस्तानी पत्रकारों और भारतीय फिल्म उद्योग में कलाकारों की एंट्री भी बंद हो।

टीवी चैनलों पर पाकिस्तानी पत्रकारों और भारतीय फिल्म उद्योग में कलाकारों की एंट्री भी बंद हो।
भारत से मोटी रकम कमाने वाले पाकिस्तानी पुलवामा हमले की निंदा क्यों नहीं करते? 
सिद्धू का शर्मनाक बयान।
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15 फरवरी को टीवी चैनलों पर उन परिवारों के हृदय विदारक दृश्य दिखाए गए, जिनके सदस्यों की शहादत 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में हुई। टीवी पर दृश्य देखने वालों की आंखों में भी आसंू थे। अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहीद परिवार के सदस्यों मां, पत्नी, बेटी, बेटा, पिता आदि की स्थिति क्या रही होगी। देश के ऐसे गमगीन माहौल में किसी टीवी चैनल पर कोई पाकिस्तानी पत्रकार हमारे ही सुरक्षा बलों पर अंगुली उठाए तो कैसा लगेगा? देश के आम नागरिक की भावनाओं को न्यूज चैनल के मालिकों को भी समझना चाहिए। अच्छा हो कि चैनलों पर बहस के दौरान पाकिस्तान के किसी पत्रकार या आतंकियों के हिमायतियों को नहीं बैठाया जावे। माना कि भारत की प्रेस को अभिव्यक्ति की आजादी है, लेकिन प्रेस खास कर न्यूज चैनलों को देशवासियों की भावनाओं का भी ख्याल रखना चाहिए। इसी प्रकार भारत के फिल्म और मनोरंजन उद्योग में जो लोग पाकिस्तानी कलाकारों को काम दे रहे हैं, उन्हें भी ऐसे कलाकारों पर रोक लगानी चाहिए। भारत में काम के वो ही हकदार है जो भारत के प्रति सहानुभूति रखते हैं। ऐसे कलाकारों को करोड़ों रुपए देने से कोई फायदा नहीं जो हमारे 45 जवानों की शहादत पर जश्न मनाते हों। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि हमारे फिल्म उद्योग से करोड़ों रुपए कमाने वाले किसी भी पाकिस्तानी ने पुलवामा हमले की निंदा नहीं की। यह बात अब कोई मायने नहीं रखती कि कला और संस्कृति की वजह से दोनों देशों के संबंधों में सुधार होगा। ऐसे तर्क देते हुए 70 वर्ष गुजर गए, लेकिन पाकिस्तान ने कभी भी भारत के साथ मित्रतापूर्ण व्यवहार नहीं किया। जिन कथित कलाकारों को पाकिस्तान में अपनी कला के लिए एक हजार रुपए का पारिश्रमिक भी नहीं मिल रहा है उन्हें भारत के फिल्म और मनोरंजन उद्योग में करोड़ों रुपए दिए जा रहे हैं। सवाल उठता है कि जिन पाकिस्तानियों की आतंकियों के साथ सहानुभूति है उन्हें हमारा फिल्म उद्योग मालामाल क्यों कर रहा है? हो सकता है कि भारत से पैसा कमा कर आतंकियों को ही दिया जा रहा हो? जो लोग पाकिस्तानी कलाकारों के हिमायती है वे जरा पुलवामा के शहीदों के परिवारों की स्थिति देख लें। मुझे पता है कि भारत में अनेक लोग पाकिस्तानी कलाकारों के समर्थन में खड़े हो जाएंगे। असल में ऐसे लोग ही भारत की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचा रहे हैं। सरकार को भी चाहिए कि पाकिस्तानी कलाकारों को तत्काल प्रभाव से भारत छोड़ने के आदेश दे। जब तक पाकिस्तान पर हर मोर्चे पर मार नहीं की जाएगी तब तक पाकिस्तान को समझ नहीं आएगी।
सिद्धू का शर्मनाक बयान:
एक ओर पुलवामा हमले पर पूरा देश पाकिस्तान के खिलाफ उठ खड़ा हुआ है, तब कांग्रेस के नेता और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है भारत सरकार को पाकिस्तान के साथ वार्ता करनी चाहिए। सिद्धू ने कहा कि गोलियों से कश्मीर समस्या का हल नहीं हो सकता है। सिद्धू ने हमले की निंदा तो की लेकिन इस मुद्दे पर पाकिस्तान को पाक साफ कहा। सिद्धू का यह बयान बेहद ही शर्मनाक माना जा रहा है। गंभीर बात ये है कि पंजाब विधानसभा में पाकिस्तान से वार्ता नहीं करने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पास किया गया। सिद्धू उसी पंजाब सरकार के मंत्री हैं। पंजाब की कांग्रेस सरकार के सीएम सरदार अमरेन्द्र सिंह ने पाकिस्तान की जमकर आलोचना की है। 
एस.पी.मित्तल) (15-02-19)
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कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हिन्दुओं को वापस बसाना होगा, तभी आतंकवाद समाप्त होगा।

कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना हिन्दुओं को वापस बसाना होगा, तभी आतंकवाद समाप्त होगा। 
आज कश्मीर में एक तरफा माहौल है, इसलिए 45 जवान एक साथ शहीद हो जाते हैं।
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14 फरवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी जब अजमेर में नरेन्द्र मोदी और भाजपा को हराने के लिए प्यार मोहब्बत का भाषण दे रहे थे, तब शाम को हमारे ही प्रांत कश्मीर में आतंकियों ने सुरक्षा बलों पर हमला कर 45 जवानों की जान ले जी। यह सही है कि इस समय केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्ववाली भाजपा सरकार है और विपक्षीदल केन्द्र व मोदी की नीतियों की आलोचना करेंगे ही, लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि कश्मीर घाटी के इन हालातों के लिए कौन जिम्मेदार है। आजादी के बाद से ही कश्मीर में कांग्रेस, नेशनल कान्फ्रंेस और पीडीपी की सरकारें रही हैं। नेशनल कान्फ्रेंस को चलाने वाले अब्दुल्ला परिवार की तो तीन पीढ़ियां राज कर चुकी हैं। 14 फरवरी को पुलवामा हमले के बाद भी पूर्व सीएम फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि इसमें पाकिस्तान की कोई भूमिका नहीं है और यह हमला कश्मीरियों ने ही किया है। यह बात अलग है कि हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान में बैठे जैश-ए-मोहम्मद के सरगनाओं ने ले ली। असल में कश्मीर में जिन दलों ने राज किया, उन्हीें की नीतियों ने कश्मीर घाटी को भारत की धर्मनिरपेक्षता की नीति से अलग किया है। पूरे देश में कांग्रेस और उनके सहयोगी दल  धर्मनिरपेक्षता का ढिंढोरा पीटते हैं, लेकिन कश्मीर में ऐसे  लोगों की बोलती बंद हो जाती है। आज कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन है। कांग्रेस और नेशनल काॅन्फ्रेंस की सरकारों में चार लाख हिन्दुओं को घाटी से डरा धमका कर भगा दिया। आज भी ऐसे हिन्दू कश्मीरी दर दर की ठोकरें खा रहे हैं। आतंकियों की समर्थक पीडीपी के साथ तीन वर्ष तक सरकार चलाने के बाद भी भाजपा हिन्दुओं की वापसी नहीं करा पाई। आज पूरे कश्मीर घाटी के हालात एक तरफा हैं। इससे ज्यादा शर्मनाक बात और क्या हो सकती है कि जब सुरक्षा बल आतंकियों से मुकाबला कर रहे होते हैं, तब कश्मीरी युवा पत्थर फेंकते हैं। यही फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पत्थरबाजों के पैरोकार बन कर खड़े हो जाते हैं। हद तो तब होती है जब यही लोग कहते हैं कि कश्मीरी तो आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसलिए उन्हें आतंकी नहीं कहा जा सकता। जब हमारे राजनीतिक दलों के नेता आतंकियों की इस तरह हिमायत करेंगे तो फिर आतंक पर काबू कैसे पाया जाएगा। फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती यह स्पष्ट करें कि क्या वे कश्मीर को भारत से अलग देखना चाहते है? पुलवामा हमले के बाद 15 फरवरी को केबिनेट की सुरक्षा समिति की बैठक भी हो गई और नरेन्द्र मोदी से लेकर अरुण जेटली तक ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की घोषणा भी कर दी। ऐसा पहले भी कई बार किया जा चुका है। 16 फरवरी को सर्वदलीय बैठक भी बुलाई गई है तथा पाकिस्तान का मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी समाप्त कर दिया गया है। इन सबसे कुछ नहीं होगा। मुम्बई के 26/11 हमले के बाद भी ऐसा ही किया गया था। नरेन्द्र मोदी के शासन के पांच वर्ष भी गुजर गए, लेकिन कश्मीर के हालातों में कोई सुधार नहीं हुआ। मोदी के शासन में तो पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक भी हो गई। असल में जब तक कश्मीर से अनुच्छेद 370 नहीं हटाया जाता, तब तक हालात नहीं सुधरेंगे। घाटी के एक तरफा माहौल को समाप्त करने के लिए हिन्दुओं खास कर सिक्ख परिवारों को वापस बसाना होगा। 14 फरवरी के पुलवामा हमले में भी यह बात सामने आई है कि विस्फोटक पदार्थ से भरी कार के बारे में सुरक्षा बलों को भनक तक नहीं लगी। भनक कैसे लगती, पूरा माहौल एक तरफा है यदि हमारे सुरक्षा बलों की चिंता करने वाले देशभक्त नागरिक होते तो सूचना मिल भी जाती। कोई भी सरकार पाकिस्तान पर कितनी भी कार्यवाही कर ले कुछ नहीं होगा। असर तभी होगा जब कश्मीर घाटी का माहौल सुधरेगा और कश्मीर घाटी का माहौल सुधारने के लिए अनुच्छेद 370 को हटाना और हिन्दुओं को वापस बसाना होगा। यदि पांच वर्ष में 370 को हटाने और हिन्दुओं को बसाने का काम हो जाता तो आज नरेन्द्र मोदी को दोबारा से प्रधानमंत्री बनने में कोई परेशानी नहीं होती। देश का आम मुसलमान भी कश्मीर में शांति चाहता है। सरकार को कश्मीर में शांति के लिए मुसलमानों का भी सहयोग मिलता। कोई मुसलमान नहीं चाहता कि आतंकी हमारे सुरक्षा बलों के 45 जवानों को एक साथ शहीद कर दें। लेकिन इसे अफसोसानाक ही कहा जाएगा  कि नरेन्द्र मोदी ने भी उसी महबूबा मुफ्ती के साथ कश्मीर में गठबंधन की सरकार बनाई जो आतंकियों की समर्थक है। नरेन्द्र मोदी भी यह अच्छी तरह समझ लें कि जब 45 जवान एक साथ शहीद होते हैं तो सारा विकास धरा रह जाता है। कश्मीर की वजह से देश बहुत कुर्बानी दे चुका है।
कांग्रेस सरकार के साथ:
15 फरवरी को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व पीएम डाॅ. मनमोहन सिंह ने एक प्रेस काॅन्फ्रेंस कर केन्द्र सरकार का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि पूरा देश सुरक्षा बलों के शहीद जवानों के परिवारों तथा सरकार के साथ खड़ा है। 
प्रेस क्लब में श्रद्धांजलि:
पुलवामा हमले में शहीद हुए जवानों को 15 फरवरी को अजमेर के वैशाली नगर स्थित अजयमेरु प्रेस क्लब में भी श्रद्धांजलि दी गई। प्रेस क्लब के अध्यक्ष सुरेश कासलीवाल और महासचिव नवाब हिदायतउल्ला ने उपस्थित पत्रकारों के साथ दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की। 
एस.पी.मित्तल) (15-02-19)
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Sunday 10 February 2019

10 रुपए में घर बैठक कर सकते हैं गौ सेवा।

10 रुपए में घर बैठक कर सकते हैं गौ सेवा। अजमेर में सारथी आपके साथ सामाजिक संगठन की अनूठी पहल।
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भारत की सनातन संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। जीवन में कष्ट होने पर पंडित और ज्योतिष विद्वान भी गौ सेवा का संकल्प करवाते हैं। सनातन संस्कृति के परिवारों में आज भी पहली रोटी गौ माता की बनाई जाती है लेकिन वर्तमान हालातों में गौ माता की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। गाय जब तक दूध देती है तब तक तो गौ पालक ख्याल रखता है, लेकिन जब दूध देना बंद कर देती है तो उसे लावारिस छोड़ दिया जाता है। यही वजह है कि सरकारी स्तर पर भी गौ शालाएं खोली गई है। ऐसी ही एक गौशाला का संचालन अजमेर नगर निगम द्वारा किया जा रहा है। लेकिन अब निगम की गौशाला में गायों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसलिए हरे चारे की मांग भी बढ़ने लगी है। निगम की गौशाला में गायों को भरपेट चारा खिलाने के लिए सामाजिक संस्था सारथी आपके साथ ने अखिल भारतीय अग्रवाल संगठन की युवा शाखा के सहयोग से गौमाता की सेवा की अनूठी पहल शुरू की है। इस पहल के मुखिया मनीष गोयल ने बताया कि कोई भी व्यक्ति दस रुपए की राशि देकर गौ माता की सेवा घर बैठ कर सकता है। उनके संस्थान ने निगम की गौशाला में प्रतिदिन एक हजार रुपए का हरा चारा उपलब्ध करवाने का संकल्प लिया है। इसमें जनसहयोग की भी आवश्यकता है। यदि सौ लोग प्रतिदिन दस रुपए की राशि जमा कराएंगे तो रोजाना एक हजार रुपए का चारा उपलब्ध करवाया जा सकता है। इसमें जनसहयोग अपेक्षित है। गोयल ने बताया कि सारथी संस्था के पेटीएम नम्बर 7665533228 पर चारे की राशि जमा करवाई जा सकती है। इसी प्रकार अजमेर की पंजाब एंड सिंध बैंक के बैंक अकाउंट नम्बर 05271100001604 (आईएफएससी कोड पीएसआईबी 0000527) में भी तीन सौ रुपए की राशि जमा करवाई जा सकती है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9928086426 पर मनीष गोयल से ली जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (10-02-19)
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सत्ता बदलती है व्यवस्था नहीं।

सत्ता बदलती है व्यवस्था नहीं। सरकारी अस्पतालों में पुरुष सफाई कर्मी करवाते हैं महिलाओं का प्रसव।
राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का अजीब बयान।
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दैनिक भास्कर में 10 फरवरी को एक खोजपूर्ण रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इस रिपोर्ट में बताया गया कि बांसवाड़ा के घाटोल स्वास्थ्य केन्द्र में सफाई कर्मचारी हीरालाल एक ग्रामीण महिला का प्रसव करवाता मिला। लेबर में गर्भवती महिला की एक बृहद रिश्तेदार भी मौजूद थी। रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान के सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में कमोबेश ऐसी ही स्थिति है। किसी प्रदेश की सरकार के लिए इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति नहीं हो सकती। राजस्थान में तो ये हालात तब हैं, जब कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को जननायक का तमंगा मिला हुआ है। जिस प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में महिलाओं के प्रसव पुरुष सफाई कर्मचारी करवाते हों, उस प्रदेश का मुख्यमंत्री जननायक कैसे हो सकता है? यह माना कि गहलोत को सीएम बने अभी दो माह भी नहीं हुए हैं, लेकिन यह भी सही है कि पिछले बीस वर्षों से अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे (भाजपा) ही राजस्थान की सीएम रही है। गहलोत तीसरी बार प्रदेश के सीएम बने हैं। यानि इस बिगड़ी व्यवस्था के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों की सरकार जिम्मेदार हैं। असल में राजस्थान में सत्ता बदलती है, व्यवस्था नहीं। गत बीस वर्षों में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की दशा सुधारने के लिए करोड़ों नहीं, अरबों रुपए खर्च हुआ है, लेकिन जाहिर है कि व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ। भास्कर की रिपोर्ट यदि नवम्बर 2018 में प्रकाशित होती तो अशोक गहलोत सीधे मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर हमला करते। गहलोत का कहना होता कि वसुंधरा राजे तो महारानी हैं और ग्रामीण महिलाओं की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं होता है। घाटोल की यह शर्मनाक घटना के लिए अशोक गहलोत भाजपा सरकार को बेशर्म सरकार तक कह देते। लेकिन अब तो गहलोत स्वयं सीएम हैं देखना होगा कि उनकी क्या प्रतिक्रिया होती है। अलबत्ता इस घटना पर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा का अजीब बयान आया है। शर्मा का कहना है कि अफसरों की एक टीम निजी अस्पतालों के लेबर रूप का अध्ययन कर रही है। अफसरों की रिपोर्ट के बाद सरकारी अस्पतालों के लेबर रूम की दशा भी सुधारी जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री की इस समझ को भगवान ही समझ सकते हैं। यानि सरकार के डाॅक्टर अस्पतालों के लेबर रूम की दशा नहीं सुधार सकते? जबकि निजी अस्पतालों के डाॅक्टर भी सरकारी मेडिकल काॅलेजों में पढ़कर डाॅक्टर बने हैं। सरकार को जब अपने लेबर रूम सुधारने के लिए निजी अस्पतालों के अध्ययन की जरुरत हो, तब ऐसे चिकित्सामंत्री की अक्ल पर तरस ही आएगा। यही वजह है कि व्यवस्था नहीं बदली है और रघु शर्मा जैसे मंत्री सत्ता का भोग करके चले जाते हैं। सवाल यह भी है कि केन्द्र सरकार का जो अरबों का बजट जाता है वह कहां जाता? जब स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव करवाने की समुचित सुविधा नहीं है तब इन केन्द्रों पर पानी की तरह पैसा कयों बहाया जा रहा है।
एस.पी.मित्तल) (10-02-19)
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स्वामी दयानंद की निर्वाण स्थली को सुरक्षित और समृद्ध बनाए रखने में डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती की महत्वपूर्ण भूमिका।

स्वामी दयानंद की निर्वाण स्थली को सुरक्षित और समृद्ध बनाए रखने में डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती की महत्वपूर्ण भूमिका। स्वामी जी के जीवनकाल की वस्तुओं को देखने के लिए देश-विदेश से अजमेर आते हैं पर्यटक।
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अजमेर के जयपुर रोड स्थित भिनाय कोठी में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद की निर्वाण स्थली है। स्वामी जी इसी कोठी के बड़े कक्ष में अंतिम सांस ली थी। यही वजह है कि इस स्थान का अब ऐतिहासिक महत्व हो गया है। स्वामीजी के निर्वाण स्थल को संरक्षित और समृद्ध करने के लिए महर्षि दायनंद निर्वाण न्यास बनाया गया। इस न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. श्रीगोपाल बाहेती हैं। डाॅ. बाहेती ने भिनाय कोठी और स्वामीजी के जीवन काल की वस्तुओं को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही वजह है कि निर्वाण स्थली पर संत महात्माओं के प्रवचनों के लिए एक बड़ा हाल निर्मित किया गया है तथा बाहर से आने वालों के कमरों का निर्माण भी किया गया है। यहां पर आज भी वो तख्त सुरक्षित है जिस पर स्वामीजी अंतिम सांस ली थी। स्वामी की खड़ाऊ और अन्य सामग्री भी रखी हुई है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि स्वामीजी के कक्ष को ज्यों का त्यों रखा गया है, ताकि युवा पीढ़ी को पता चल सके कि स्वामीजी का जीवन कितना सरल और सादगीपूर्ण था। डाॅ. बाहेती का मानना है कि स्वामीजी की निर्वाण स्थली को समृद्ध बनाने और नवीनीकरण करने में अन्य दानदाताओं के साथ-साथ एमडीएच मसालों के मालिक महाशय धर्मपाल का खास सहयोग है। महाशयजी भी स्वामीजी की निर्वाण स्थली को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं। स्वामीजी की निर्वाण स्थली को देखने के लिए देश विदेश से पर्यटक आते हैं। डाॅ बाहेती के अनुसार निर्वाण स्थली पर प्रतिदिन हवन-यज्ञ के आयोजन होते हैं तथा होम्योपैथी व आयुर्वेद चिकित्सा के विशेषज्ञ अपनी सेवाएं देते हैं। आर्य समाज से संत महात्माओं के प्रवचन चलते रहते हैं। आज समाज में जो कुरीतियां व्याप्त है उन्हें आर्य समाज के सिद्धांतों से ही खत्म किया जा सकता है। हालांकि डाॅ बाहेती कांग्रेस की राजनीति से जुड़े हैं और वे एक बार विधायक तथा अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रह चुके हैं। लेकिन उनके संस्कृत ज्ञान की सर्वत्र चर्चा रहती हैं। डाॅ. बाहेती ने दस फरवरी को अपना 68वां जन्मदिन सादगी और विनम्रता के साथ मनाया। आगरा गेट स्थित उनकी क्लीनिक पर दिन भर बधाई देने वालों का तांता लगा रहा। मई में होने वाले लोकसभा चुनाव में डाॅ. बाहेती की अजमेर संसदीय क्षेत्र से मजबूत दावेदारी है। कांग्रेस की राजनीति में डाॅ. बाहेती को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थक माना जाता है। मोबाइल नम्बर 9829070186 पर डाॅ. बाहेती को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (10-02-19)
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राजस्थान में गुर्जर आंदोलन उग्र हुआ।

राजस्थान में गुर्जर आंदोलन उग्र हुआ। रेल ट्रेक के साथ साथ जगह जगह नेशनल हाइवे भी जाम।
कर्नल बैंसला के रवैये से सरकार के पेरोकार क्षुब्ध। अजमेर में भी जाम। रद्द हो सकता है राहुल गांधी का अजमेर दौरा।
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10 फरवरी को राजस्थान में गुर्जर आंदोलन उग्र हो गया। पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के मुखिया कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला आठ फरवरी से ही सवाई माधोपुर मलारना डूंगर स्टेशन के निकट रेलपटरियों पर बैठे हुए हैं। इससे कई ट्रेन रद्द कर दी गई है। दस फरवरी को प्रदेशभर में गुर्जर समुदाय के लोगों ने नेशनल हाइवे जाम कर दिए। कर्नल बैंसला ने कहा कि यदि पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग को पूरा नहीं किया गया तो प्रदेश में हालात और बिगड़ेंगे। इस बीच धौलपुर में आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच जमकर पथराव हुआ। इसमें कई आंदोलन कारी और पुलिस कर्मी जख्मी हो गए। कर्नल बैंसला ने साफ कर दिया है कि अब सरकार से किसी भी मसौदे पर वार्ता नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वार्ता कई बार हो चुकी है सरकार अब हमारे हाथ में पांच प्रतिशत आरक्षण दे देने की चिट्ठी देगी तभी आंदोलन समाप्त होगा। उन्होंने कहा कि भले ही लोगों को परेशानी हो रही हो, लेकिन गुर्जरों की पीढ़ा उनके लिए सबसे पहले है। प्रदेश भर में गुर्जर बहुल्य क्षेत्रों में नेशनल हाइवे जाम होने से सम्पूर्ण राजस्थान में जाम की स्थिति हो गई है। जगह जगह ट्रकों की कई किलोमीटर लम्बी लाइन लग गई है। आंदोलन कारियों ने चेतावनी दी है कि 11 फरवरी से जयपुर-दिल्ली रेल मार्ग भी जाम कर दिया जाएगा। 
सरकार के पेरोकार क्षुब्धः
कर्नल बैंसला ने सवाईमाधोपुर की रेल पटरियों पर बैठ कर जो रवैया अपनाया है उससे राज्य सरकार के प्रमुख पेरोकार पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह भी क्षुब्ध हैं। सिंह ने मीडिया से कहा कि वार्ता के लिए बैंसला को सवाई माधोपुर अथवा जयपुर में आमंत्रित किया गया है, लेकिन बैंसला वार्ता के लिए नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि रेल पटरियों पर सैकड़ों लोगों के सामने कोई वार्ता नहीं हो सकती है। उन्होंने बैंसला से आग्रह किया कि वे माहौल को सुधारने में सहयोग करें। इस बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने फिर दोहराया है कि गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण देने का मामला केन्द्र सरकार से जुड़ा हुआ है। इसलिए आंदोलन कारियों को केन्द्र के समक्ष अपनी मांगों को रखना चाहिए। आरक्षण देना राज्य की कांग्रेस सरकार के हाथ में नहीं है। सरकार तो आरक्षण दिलवाने में सहयोग कर सकती है। 
अजमेर में जामः
10 फरवरी को अजमेर में नारेली तीर्थ के सामने से गुजर रहे नेशनल हाईवे को भी गुर्जर समुदाय के सैकड़ों लोगों ने जाम कर दिया है। इससे दिल्ली मुम्बई का सड़क मार्ग प्रभावित हुआ है। जाम से पहले गुर्जर समुदाय ने नारेली के निकट देवनारायण मंदिर में बैठक की और फिर पांच प्रतिशत आरक्षण की मांग करते हुए जाम लगा दिया। हालांकि गुर्जरों की इस बैठक पर प्रशासन की नजर सुबह से ही थी, लेकिन सैकड़ों गुर्जर हाइवे पर आए तो प्रशासन और पुलिस बेबस नजर आए। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि गुर्जर समुदाय के लोगों  के खिलाफ कार्यवाही कर सके। गुर्जरों के प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द ही मांग को पूरा नहीं किया तो रेल ट्रेक भी जाम कर दिया जाएगा। अजमेर के आंदोलन में सौरभ बजाड़, ओम प्रकाश भडाना, नौरत गुर्जर, महावीर खटना, शिवजी फावड़ा, हरचंद गुर्जर, सूरजकरण आदि सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।  
रद्द हो सकता है राहुल का दौराः
तय कार्यक्रम के अनुसार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को 14 फरवरी को अजमेर में होने वाले सेवा दल के राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेना है। राहुल की यात्रा के मद्देनजर दस फरवरी को चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने कायड़ विश्राम स्थल का दौरा किया। यहीं पर राहुल गांधी की सभा भी होनी है। लेनिक जानकार सूत्रों के अनुसार गुर्जर आंदोलन की वजह से प्रदेश भर में जो हालात उत्पन्न हुए हैं उन्हें देखते हुए 14 फरवरी का राहुल का दौरा रद्द हो सकता है। प्रदेश में जगह जगह रेल ट्रेक और सड़क मार्ग जाम हो रहे हैं। अब आंदोलन भी उग्र हो रहा है। ऐसे में सीएम अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम सचिन पायलट राहुल के अजमेर दौरे के पक्ष में नहीं है। हालांकि अभी यह तय नहीं है कि राहुल के नहीं आने पर सेवादल का दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यक्रम स्थगित होगा या नहीं? जानकारों की माने तो राहुल गांधी की सभा को लेकर भीड़ जुटाने आदि की जो तैयारी होनीचाहिए वे भी अभी शुरू नहीं हुई है जबकि दौरे में मात्र तीन दिन शेष रह गए हैं अभी तक भी गहलोत और पायलट ने भी सभा स्थल का जायजा नहीं लिया है। आमतौर पर राहुल गांधी की सभा से पहले दो तीन बार गहलोत और पायलट मौका मुआयना करते हैं। 
एस.पी.मित्तल) (10-02-19)
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दूधियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी ने सीएम गहलोत की प्रशंसा की।



दूधियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी ने सीएम गहलोत की प्रशंसा की। कांग्रेस के विधायक राकेश पारीक ने लिया देहदान का संकल्प।
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बिहार की राजधानी पटना में हुए इंडिया डेयरी एसोसिएशन के तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचन्द्र च ौधरी ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की जमकर प्रशंसा की। इस सम्मेलन में देश भर के दुग्ध उत्पादक शामिल हुए। सात से नौ फरवरी तक आयोजित दूधियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में च ौधरी के नेतृत्व में अजमेर के दो सौ से भी ज्यादा दुग्धत्पादकों ने भाग लिया। इनमें पचास से ज्यादा महिलाएं शामिल थी। सम्मेलन में बिहार के सीएम और वरिष्ठ मंत्री सुशील मोदी भी शामिल हुए। इसी मौके पर अजमेर डेयरी के अध्यक्ष च ौधरी ने कहा कि अशोक गहलोत ने राजस्थान का सीएम बनते ही प्रदेशभर के दुग्ध उत्पादकों को प्रति लीटर दो रुपए अनुदान देने की घोषणा कर दी। उन्होंने बताया कि पूर्व में गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने ही अनुदान देने की घोषणा की थी जिसे वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने बंद कर दिया। लेकिन अब जब राजस्थान में गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो गहलोत ने पुरानी घोषणा के अनुरूप दो रुपए का अनुदान देना शुरू कर दिया। राजस्थान में एक फरवरी से दुग्धउत्पादकों को प्रति लीटर दो रुपए का अनुदान मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इस अनुदान से दुग्धउत्पादकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। च ौधरी ने दुग्ध उत्पादकों की अनेक समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए मांग की कि डेयरी उत्पादों पर वर्तमान में 12 प्रतिशत जीएसटी लागू है। जिसे तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाना चाहिए। दुग्ध उत्पादक भी किसान की श्रेणी में आते हैं और दूध से बनी चीजे कृषि क्षेत्र की ही होती है। उन्होंने कहा कि दुग्ध डेयरियों को नए प्लांट लगाने के लिए चार प्रतिशत ब्याज की दर पर लोन की सुविधा मिलनी चाहिए। उन्होंने नेशनल मिल्क ग्रिड की स्थापना की मांग की। च ौधरी के नेतृत्व में पटना गया दुग्ध उत्पादकों का दल दस फरवरी को अजमेर लौट आया है। च ौधरी ने दुग्ध उत्पादकों को जनशताब्दी जैसी वातानुकूलित ट्रेनों में सफर करवाया। इससे पहले भी च ौधरी जिले के दुग्ध उत्पादकों को हवाई सफर भी करवा चुके हैं। 
देहदान का संकल्पः
दस फरवरी को अजमेर के भिनाय कस्बे में महावीर इंटरनेशनल विवेकानंद संस्था के द्वारा स्वर्गीय टीकमचंद सुराणा की स्मृति में निःशुल्क मेगा मल्टी सुपर स्पेशलिटी हेल्थ चैकअप शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में प्रदेश कांग्रेस सेवादल के अध्यक्ष और विधायक राकेश पारीक ने देहदान की घोषणा की। पारीक ने कहा कि मृत्यु के बाद उनका शरीर चिकित्सा विज्ञान के लिए काम आए इससे बड़ी बात और कोई नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि लोगों को भी देहदान का संकल्प लेना चाहिए। पारीक की इस घोषणा का शिविर में उपस्थित सभी लोगों ने स्वागत किया। शिविर की संयोजिका डाॅ. अर्चना सुराणा, गजेन्द्र बोहरा, शिवकुमार बंसल ने आदि ने बताया कि शिविर में वरिष्ठ चिकित्सकों ने करीब सात सौ मरीजों की जांच की और उन्हें पन्द्रह दिन की निःशुल्क दवाई दी गई। 
एस.पी.मित्तल) (10-02-19)
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Thursday 7 February 2019

इसलिए 25 वर्षों से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष है रामचन्द्र च ौधरी।

इसलिए 25 वर्षों से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष है रामचन्द्र च ौधरी।
200 दुग्धउत्पादकों के साथ राष्ट्रीय सम्मेलन में ले रहे हैं भाग।
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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रामचन्द्र च ौधरी पिछले 25 वर्षों से अजमेर दुग्ध डेयरी के अध्यक्ष बने हुए हैं। राजनीति में ऐसा कम ही होता है जब कोई व्यक्ति एक संस्था पर लगातार 25 वर्षों तक काबिज रहे। असल में च ौधरी हर दिन जिले भर के दुग्धउत्पादकों और पशुपालकों से जुड़े रहते हैं। इसलिए हर पांच वर्ष में जब चुनाव होते हैं तो जिले भर के दुग्ध उत्पादक स्वेच्छा से च ौधरी को ही अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठाते हैं। च ौधरी भी अपने जिले के पशुपालकों के मान सम्मान में कोई कमी नहीं करते। सात फरवरी से बिहार की राजधानी पटना में इंडिया डेयरी एसोसिएशन का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन हो रहा हैं इस सम्मेलन में च ौधरी अजमेर जिले के दो सौ दुग्ध उत्पादकों के साथ भाग ले रहे हैं। सात फरवरी को पहले दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने अजमेर जिले की केलू महिला दुग्ध उत्पादक सहकारी समिति की अध्यक्ष मधुलता वैष्णव को पुरस्कार भी दिया। उल्लेखनीय कार्य करने के लिए वैष्णव का राष्ट्रीय स्तर पर चयन हुआ है। इस अधिवेशन में पशुपालकों और दुग्ध उत्पादकों की समस्याओं पर भी विचार विमर्श होगा। तीन दिवसीय अधिवेशन में जिले के दुग्ध उत्पादकों की आवभगत में च ौधरी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अजमेर से जनशताब्दी एक्सप्रेस जैसी वातानुकूलित ट्रेन में पशुपालकों को ले जाया गया है। पशु पालकों के इस दल में करीग साठ महिलाएं भी शामिल हैं। इन सभी का च ौधरी बराबर ख्याल रखे हुए हैं। इससे पहले भी च ौधरी डेयरी के अन्य कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में जिले के पशुपालकों को लेजाते रहे हैं। कई बार तो पशुपालकों को हवाई यात्रा भी करवाई गई है। च ौधरी प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर पशुपालकों की समस्याओं के समाधान में भागीदारी निभाते हैं। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर पशुपालकों को दो रुपए प्रतिलीटर अनुदान दिलवाने में भी च ौधरी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अजमेर जिले के साथ-साथ प्रदेशभर के पशुपालकों को एक फरवरी से दो रुपए का अनुदान मिलना शुरू हो गया है। अजमेर डेयरी परिसर में करीब 250 करोड़ रुपए की लागत से नया प्लांट लग रहा है। इसमें भारत सरकार की ओर से कोई पचास करोड़ रुपए की सब्सिडी भी दी जाएगी। इन दिनों अजमेर में भले ही लोकसभा चुनाव की सरगर्मियां चल रही हो, लेकिन च ौधरी अपने पशुपालकों के साथ तीन दिनों तक पटना में डटे हुए हैं। हालांकि च ौधरी भी कांग्रेस में दावेदारी जता रहे हैं। लेकिन उनकी पहली प्राथमिकता जिले भर के दुग्ध उत्पादकों के हित में हैं। जिले भर के ग्रामीणों में लोकप्रिय होने की वजह से ही कांग्रेस में च ौधरी के नाम पर गंभीरता के साथ विचार हो रहा है। 
एस.पी.मित्तल) (07-02-19)
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