Monday 29 April 2019

अजमेर में मतदान के प्रति जबरदस्त उत्साह।

अजमेर में मतदान के प्रति जबरदस्त उत्साह।
2014 में 68.65 प्रतिशत मतदान हुआ था। 
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29 अप्रैल को अजमेर संसदीय क्षेत्र में मतदान के प्रति लोगों में जबरदस्त उत्साह देखा गया। भीषण गर्मी के बाद भी मतदाताओं ने बड़ी संख्या में अपने मताधिकार का उपयोग किया। अजमेर शहर के मुस्लिम बहुल्य खादिम मोहल्ला, अंदर कोट, तारागढ़ आदि क्षेत्रों में भी मतदाताओं में उत्साह देखा गया। 2014 के लोकसभा के चुनाव में 68.65 प्रतिशत मतदान हुआ था। माना जा रहा है कि इस बार भी मतदान का आंकड़ा 65 प्रतिशत के पार होगा। दोपहर तीन बजे तक पचास प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। सुबह मतदान की रफ्तार तेज थी, लेकिन दोपहर को गर्मी की वजह से कमजोर हो गई। दोपहर बाद शाम को छह बजे तक मतदान में तेजी देखी गई। जिला प्रशासन ने खासकर जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा और पुलिस अधीक्षक राष्ट्रदीप सिंह ने मतदाता जागरुकता अभियान के अंतर्गत जो प्रयास किए उनका भी असर मतदान पर देखा गया। संसदीय क्षेत्र में छुटपुट घटनाओं को छोड़ कर मतदान शांतिपूर्ण रहा। केसरगंज के एक मतदान केन्द्र पर हंगामे की स्थिति होने के बाद पुलिस ने जल्द ही हालात को नियंत्रण ले लिया। 
जातीय समीकरणों का भी असर:
मतदान के दौरान जातीय समीकरणों का भी असर देखा गया। भाजपा प्रत्याशी भागीरथ चौधरी के किशनगढ़ क्षेत्र में मतदाताओं की भीड़ मतदान केन्द्रों पर देखी गई। जाट बहुल्य इस विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को बड़ी उम्मीद है। इस प्रकार नसीराबाद क्षेत्र में गुर्जर मतदाताओं की संख्या को देखते हुए कांग्रेस को काफी उम्मीदे हैं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट की वजह से गुर्जर मतदाताओं का रुझान कांग्रेस की ओर माना जा रहा है। इसी प्रकार मसूदा विधानसभा क्षेत्र के मुस्लिम बहुल्य गांव में मतदान केन्द्रों पर मुस्लिम मतदाताओं की भीड़ देखी गई। चिकित्सा मंत्री रघु के केकड़ी विधानसभा क्षेत्रों के मतदान केन्द्रों पर भी मतदाताओं की लम्बी कतारें रही। मतदान पर जातीय समीकरण सुबह से ही हावी रहे। 
एस.पी.मित्तल) (29-04-19)
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तो रिजु झुनझुनवाला ने अपने दम पर लड़ा अजमेर से लोकसभा का चुनाव।

तो रिजु झुनझुनवाला ने अपने दम पर लड़ा अजमेर से लोकसभा का चुनाव। 
पूरे पृष्ठ के विज्ञापन में राहुल, गहलोत, पायलट आदि के फोटो से भी परहेज।
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अजमेर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला ने मतदान वाले दिन 29 अप्रैल को प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में पूरे पृष्ठ का रंगीन विज्ञापन प्रकाशित करवाया है। रिजु की ओर से जारी इस विज्ञान यही दर्शाया गया है कि लोकसभा का चुनाव उन्होंने अपने दम पर लड़ा है। उनका दावा रहा कि प्रचार के दौरान अजमेर के लोगों ने दिल से अपनाया है। यदि अजमेर के लोगों ने सांसद बनाया तो वे बिना भेदभाव के विकास कार्य करवाएंगे। औद्योगिक विकास के साथ साथ पानी की समस्या को भी दूर करेंगे। रिजु तीन हजार करोड़ रुपए से भी ज्यादा के कारोबारी हैं, इसलिए भरोसा दिलाया है कि जिस प्रकार अपना कारोबार संभाला है उसी प्रकार राजनीति में स्वाच्छता और प्रगति की नईमिसाल कायम करेंगे। इस विज्ञापन में स्वयं के फोटो के साथ-साथ कांग्रेस के चुनाव चिह्न का तो उपयोग किया गया है, लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट तथा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आदि बड़े नेताओं के फोटो से परहेज किया गया है। चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा रिजु को टिकट दिलवाने का दावा करते हों, लेकिन रिजु ने रघु का नाम तक नहीं लिखवाया। राहुल गांधी न्याय योजना में 72 हजार रुपए सालाना देने का वायदा कर वोट मांग रहे हैं तो मुख्यमंत्री गहलोत अपनी सरकार की तीन माह की उपलिब्धयां गिना रहे हैं। लेकिन रिजु ने अपने विज्ञापन में न तो राहुल की  न्याय योजना का जिक्र किया और न ही गहलोत सरकार की उपलब्धियां बताईं। सवाल उठता है कि जब रिजु कांग्रेस के प्रत्याशी हैं तो पूरे पृष्ठ के विज्ञापान में पार्टी के बड़े नेताओं के फोटो और वायदों का उल्लेख क्यों नहीं कर रहे? क्या रिजु को अपनी ही पार्टी पर भरोसा नहीं है? मतदान वाले दिन रिजु अजमेर के मतदाताओं को सिर्फ अपना चेहरा ही क्यों दिखाना चाहते हैं? क्या रिजु को राहुल गांधी जैसे बड़े नेता के चेहरे पर भरोसा नहीं है? इस विज्ञापन के पीछे रिजु के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन रिजु का यह विज्ञापन कांग्रेस में ही चर्चा का विषय बना हुआ है। 
खुद के लिए नहीं डाल सके वोट:
अजमेर के मतदाताओं से तो रिजु वोट मांग रहे हैं, लेकिन 29 अप्रैल को रिजु ने स्वयं को वोट नहीं दिया। रिजु ने अपना वोट भीलवाड़ा में डाला। असल में रिजु भीलवाड़ा के ही रहने वाले हैं, इसलिए अजमेर की मतदाता सूची में उनका नाम नहीं है। इसे रिजु का आत्म विश्वास ही कहा जाएगा कि मतदाता सूची में नाम तक नहीं होने पर भी अजमेर में सिर्फ अपने दम पर वोट मांग रहे हैं। यानि पिछले एक माह में रिजु ने अपनी इतनी पहचान बना ली कि अब किसी ओर चेहरे के सहारे की जरुरत नहीं है। यदि रिजु को फोटो मदद की जरुरत होती तो पूरे पृष्ठ के विज्ञापन में कम से कम राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी का तो फोटो लगवाते। 
एस.पी.मित्तल) (29-04-19)
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अबकी बार अजमेर में सचिन पायलट की हार का रिकॉर्ड टूटेगा-सारस्वत-हेड़ा।

अबकी बार अजमेर में सचिन पायलट की हार का रिकॉर्ड टूटेगा-सारस्वत-हेड़ा। 
कांग्रेस नेत्री बीना काक की अजमेर में मौजूदगी पर आपत्ति।
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अजमेर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला की सास और पूर्व मंत्री श्रीमती बीना काक की उपस्थिति पर भाजपा ने ऐतराज जताया। भाजपा के जिला अध्यक्ष बीपी सारस्वत ने कहा कि 29 अप्रैल को मतदान वाले दिन श्रीमती काक नसीराबाद शहर में अपने दामाद के लिए प्रचार करती हुई देखी गई। काक के साथ पूर्व विधायक डॉ राजकुमार जयपाल भी थे। चूंकि बीना काक अजमेर की निवासी नहीं है, इसलिए उन्हें 27 अप्रैल को शाम पांच बजे ही अजमेर छोड़कर चले जाना चाहिए था। लेकिन कांग्रेस के शासन में श्रीमती काक चुनाव आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रही है। सारस्वत ने आरोप लगाया कि नसीराबाद शहर के गल्र्स सीनियर सैकंडरी स्कूल के परिसर में मतदान केन्द्रों पर बीएलओ की कुर्सियों पर कांग्रेस के कार्यकर्ता बैठे देखे गए। इन सभी शिकायतों से संबंधित निर्वाचन अधिकारियों को अवगत कराया दिया गया है। सारस्वत ने आरोप लगाया कि चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता का दुरुपयोग किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि अजमेर के निर्वाचन विभाग के अधिकारियों ने भाजपा के वाहनों को रोककर जांच पड़ताल की, जबकि कांग्रेस के वाहनों को पूरी छूट दी गई। कांग्रेस प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला ने बाहर से वाहनों को मंगा कर अजमेर में खुलेआम आचार संहिता की धज्जियां उड़ाई, लेकिन जिला प्रशासन मूक दर्शक बना रहा। लेकिन फिर भी भाजपा उम्मीदवार भागीरथ चौधरी की जीत होगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार सांवरलाल जाट ने कांग्रेस के सचिन पायलट को 1 लाख 71 हजार 983 मतों से हराया था। लेकिन इस बार कांग्रेस की हार का यह रिकॉर्ड भी टूट जाएगा। भाजपा उम्मीदवार चौधरी दो लाख से भी ज्यादा मतों से जीत दर्ज करेंगे। सारस्वत ने कहा कि युवा और खासकर नवमतदाता का रुझान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर है। शहरी ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों के युवा भी मोदी के प्रति आकर्षित हैं। सरस्वत ने बताया कि मतदान के दौरान जब वे नसीराबाद क्षेत्र का दौरा कर रहे थे, तब भवानीखेड़ा के मतदान केन्द्र के बाहर कांग्रेस के टेंट में कोई कार्यकर्ता उपस्थित नहीं था। जबकि भगवान देवनारायण की कृपा से भाजपा के टेंट में मतदाताओं की भीड़ लगी हुई थी। उन्होंने दोनों ही टेंटों के बाहर खड़े होकर फोटो भी खिंचवाए। 
शहर में भी जीत:
शहर जिला भाजपा के अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने कहा कि अजमेर शहर के उत्तर और दक्षिण दोनों क्षेत्रों में भाजपा की जीत होगी। उन्होंने कहा कि 2014 के लोकसभा के चुनाव में उत्तर से 35 हजार तथा दक्षिण से 28 हजार मतों की बढ़त थी, इस बार यह बढ़त और बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रों में नरेन्द्र मोदी के प्रति मतदाताओं में जबरदस्त आकर्षण देखा गया है। 
दूदू में भी जीत-कड़वा:
अजमेर संसदीय क्षेत्र के दूदू विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रधान रामेश्वर कड़वा ने दावा किया कि भाजपा उम्मीदवार दूदू में भी रिकॉर्ड मतों से जीतेंगे। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं में पीएम मोदी के प्रति आकर्षण हैं। उन्होंने माना कि गत विधानसभा के चुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पाड़ा था, लेकिन अब हालात बदल गए है और मतदाताओं के सामने नरेन्द्र मोदी का चेहरा है। 
जीत के प्रति आश्वस्त रिजु:
कांग्रेस के प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला ने मतदान के दौरान मीडिया से कहा कि वे अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है। उन्होंने कहा कि प्रचार के दौरान उन्हें अजमेर के लोगों का जो स्नेह और प्यार मिला उससे जाहिर है कि 23 मई को मतगणना वाले दिन कांग्रेस की जीत होगी। मैंने अपना कार्य पूरी निष्ठा और मेहनत के साथ किया है। अब मतदाता पर निर्भर करता है कि वे मुझे कितना चाहते हैं। मुझे अजमेर में सभी का सहयोग मिला है। 
एस.पी.मित्तल) (29-04-19)
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देश की सुरक्षा और विकास मॉडल की वजह से मोदी केन्द्रीत हुआ चुनाव।



देश की सुरक्षा और विकास मॉडल की वजह से मोदी केन्द्रीत हुआ चुनाव।
गहलोत तो बेटे के चक्कर में उलझ कर रह गए। 
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव की बिहार पर दो टूक टिप्पणी।
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भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और लोकसभा चुनाव में बिहार के प्रभारी भूपेन्द्र यादव ने 29 अप्रैल को अजमेर के कुंदन नगर क्षेत्र के मतदान केन्द्र पर अपने मताधिकार का उपयोग किया। राष्ट्रीय राजनीति में व्यस्त होने के बाद भी यादव अपना वोट डालने के लिए अजमेर आए। यादव राजस्थान से राज्यसभा के सांसद हैं और उन्होंने स्थायी पता अजमेर का ही लिखवा रखा है। यादव अजमेर के ही रहने वाले हैं। वोट डालने के बाद यादव से मेरा सीधा संवाद हुआ। यादव मेरे ब्लॉग के नियमित पाठक हैं। मेरे सीधे और सपाट सवाल के जवाब में यादव ने कहा कि देश की सुरक्षा और विकास के मॉडल की वजह से लोकसभा का पूरा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर केन्द्रीत हो गया है। आजादी के बाद यह पहला अवसर है, जब देश में किसी प्रधानमंत्री की इतनी लोकप्रियता हुई है। विपक्ष के नेता चाहे कुछ भी कहें, लेकिन  जिस जरुरतमंद व्यक्ति को पांच लाख रुपए के स्वास्थ्य बीमा, रसोई गैस सिलेंडर, बिजली का कनेक्शन, किसान को छह हजार रुपए का अनुदान आदि का लाभ मिला है, उसे पाता है कि मोदी सरकार क्या कर रही है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी तो झूठ बोलने के अलावा कोई काम नहीं करते हैं। राफेल पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद चुप हैं, लेकिन अब कह रहे है कि मोदी के राज में रसोई गैस का सिलेंडर एक हजार रुपए का हो गया। जबकि आम उपभोक्ता सब्सिडी वाले सिलेंडर को पांच सौ रुपए में खरीद रहा है। चूंकि सब्सिडी  का भुगतान सीधे बैंक खाते में जा रहा है, इसलिए राहुल गांधी बिलबिला रहे हैं। पाकिस्तान में 80 किलोमीटर घुस कर हमारी वायु सेना ने आतंकी अड्डों पर जो हमला किया, उससे देश की जनता को भरोसा हो गया है कि नरेन्द्र मोदी ही देश की सुरक्षा कर सकते हैं।  यादव ने कहा कि 29 अप्रैल को चौथे चरण के मतदान के साथ ही देश में करीब 400 सीटों पर चुनाव हो जाएगा। इन सीटों पर रुझान बताता है कि मोदी जी के नेतृत्व में दोबारा से पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनने जा रही है। 
गहलोत बेटे के चक्कर में फंसे:
यादव ने कहा कि राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत जोधपुर में अपने बेटे वैभव गहलोत के चक्कर में फंसे रह गए। गहलोत ने अपने बेटे को जीताने के लिए पूरी कांग्रेस सरकार जोधपुर में लगा दी है, लेकिन फिर भी जोधपुर से भाजपा प्रत्याशी केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की जीत होगी। प्रधानमंत्री की चुनावी सभा और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह के रोड शो में जुटे जोधपुर के नागरिकों ने बता दिया कि परिणाम कैसा आएगा। यादव ने कहा कि भाजपा ने जो रणनीति बनाई है उसमें राजस्थान की सभी 25 सीटों पर भाजपा और सहयोगी दल आरएलपी की जीत होगी। प्रदेश की जनता ने तीन माह में अहसास कर लिया कि कांग्रेस ने झूठ बोल सत्ता हथियायी है। 
बेगूसराय में गिरिराज सिंह की जीत तय:
लोकसभा चुनाव में बिहार के प्रभारी महासचिव भूपेन्द्र यादव ने कहा कि बेगूसराय से भाजपा उम्मीदवार केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह की जीत तय है। दिल्ली में बैठे मीडिया कर्मी सीपीआई के उम्मीदवार कन्हैया कुमार को कितना भी हीरो बनाए, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि भाजपा का मुकाबला आरजेडी के उम्मीदवार तनवीर हसन से है। कन्हैया कुमार तो मुकाबलेे में ही नहीं है। यादव ने इस बात पर अफसोस जताया कि आरजेडी कांग्रेस के गठबंधन में नक्सली संगठन भी शामिल हैं। जो संगठन बेकसूर लोगों की हत्या करते हैं उनके साथ कांग्रेस चुनाव लड़ रही है। जहां तक बिहार में महागठबंधन का सवाल है तो लालू परिवार में ही आपसी तालमेल नहीं है। तेजस्वी के बड़े भाई तेजपाल यादव अलग होकर चुनाव लड़ रहे हैं। आरजेडी और कांग्रेस के गठबंधन की स्थिति का पता 23 मई को लग जाएगा। 
एस.पी.मित्तल) (29-04-19)
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Sunday 28 April 2019

क्या इस बार अजमेर में सचिन पायलट के नाम पर गुर्जरों के वोट कांग्रेस को मिल पाएंगे?



क्या इस बार अजमेर में सचिन पायलट के नाम पर गुर्जरों के वोट कांग्रेस को मिल पाएंगे? झुनझुनवाला की जीत का दारोमदार इन्हीं वोटों पर।
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अजमेर संसदीय क्षेत्र में 29 अप्रैल को प्रात: सात बजे से मतदान शुरू हो जाएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि बाहरी होने के बाद भी कांग्रेस के प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला ने जोरदार रणनीति बनाकर चुनाव को संघर्षपूर्ण कर दिया। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या विधानसभा चुनाव की तरह गुर्जर वोट लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को मिल पाएंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने अजमेर से दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ा है। इसलिए गुर्जर मतदाताओं पर उनकी खास पकड़ है। विधानसभा के चुनाव में यह माना जा रहा था कि पायलट ही मुख्यमंत्री होंगे, इसलिए गुर्जर समुदाय ने अजमेर में जमकर कांग्रेस के समर्थन में वोट दिए। लेकिन बहुमत मिलने के बाद भी पायलट मुख्यमंत्री नहीं बन सके ऐसे में गुर्जर मतदाताओं में निराशा देखी गई। हालांकि समाज के प्रतिनिधि अब भी यह दावा करते हैं कि गुर्जर समुदाय के वोट कांगे्रस को मिलेंगे, लेकिन इस बीच अजमेर के गुर्जर मतदाताओं को प्र्रभावित करने के लिए भाजपा ने कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को गुर्जर बाहुल्य गांव में घुमाया है। कर्नल बैंसला और उनके पुत्र विजय बैंसला ने अनेक गांवों का दौरा कर भरोसा दिलाया कि गुर्जर समुदाय का विकास भाजपा ही करवा सकती है। हालांकि कर्नल बैंसला को भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा ही सामने रखने की जरुरत पड़ी। अजमेर संसदीय क्षेत्र में जो जातीय गणित है उसमें गुर्जर मतदाताओं की निर्णायक भूमिका है। 23 मई को परिणाम वाले दिन ही पता चलेगा कि गुर्जर समुदाय पर अब सचिन पायलट का कितना असर है। 
रघु की प्रतिष्ठा भी दाव पर:
अजमेर में प्रदेश पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की प्रतिष्ठा भी दाव पर है। रिजु झुनझुनवाला को कांग्रेस का प्रत्याशी बनवाने में पायलट के साथ साथ रघु शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यदि झुनझुनवाला चुनाव नहीं जीत पाते हैं तो इसका असर पायलट के साथ साथ रघु शर्मा के राजनीतिक भविष्य पर भी पड़ेगा। भाजपा का प्रयास है कि रघु शर्मा के निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी से भी बढ़त हासिल की जाए। हालांकि केकड़ी में रघु ने काफी मेहनत की है। लेकिन चिकित्सा मंत्री बनने के बाद रघु का जो व्यवहार सामने आया है उससे केकड़ी ही नहीं बल्कि अजमेर जिले में भी नाराजगी बढ़ी है। रघु ने जनवरी 2018 में लोकसभा का उपचुनाव जीता था, लेकिन तीन माह पहले हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को आठ विधानसभा क्षेत्रों में से मात्र दो में ही जीत मिल सकी। 
एस.पी.मित्तल) (28-04-19)
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आखिर मतदान वाले दिन कहां चला जाता है राजनीतिक दलों का बूथ प्रबंधन।



आखिर मतदान वाले दिन कहां चला जाता है राजनीतिक दलों का बूथ प्रबंधन। 
क्या बूथवार धन राशि देकर होता है प्रबंधन?
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अजमेर संसदीय क्षेत्र में 29 अप्रैल को प्रात: 7 बजे से मतदान होना है। इसके लिए प्रशासन के साथ साथ प्रमुख राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने भी पूरी तैयारी कर ली है। संसदीय क्षेत्र में 1950 मतदान केन्द्र हैं। इन्हीं पर कोई साढ़े 18 लाख मतदाता अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। जिस प्रकार प्रशासन प्रत्येक मतदान केन्द्र पर कर्मचारी और सुरक्षाकर्मी तैनात करता है, उसी प्रकार भाजपा और कांग्रेस भी अपने अपने कार्यकर्ताओं की नियुक्ति करते हैं।  प्रशासन तो अपने कर्मचारियों को चुनाव ड्यूटी का अलाउंस आदि देता है, लेकिन यह माना जाता है कि भाजपा और कांग्रेस के कार्यकर्ता समर्पण भाव से मतदान केन्द्र पर नियुक्त रहते हैं। यानि मतदान केन्द्र के बाहर लगने वाली टेबल पर बैठने वाले कार्यकर्ता, मतदान केन्द्र के अंदर एजेंट की भूमिका निभाने वाले तथा मतदाताओं को घरो ंसे निकालने वाले सभी कार्यकर्ता कोई धनराशि लिए बगैर पार्टी के लिए कार्य करते हैं। यह भी माना जाता है कि कोई भी प्रत्याशी मतदान केन्द्र पर सक्रिय कार्यकर्ता को कोई राशि नहीं देता। चुनाव आयोग ने एक संसदीय क्षेत्र में मात्र 70 लाख रुपए का खर्च करने की सीमा निर्धारित कर रखी है। ऐसे में कोई भी प्रत्याशी अजमेर संसदीय क्षेत्र के 1950 केन्द्रों पर राशि खर्च कर ही नहीं सकता। इसलिए चुनाव प्रचार के दौरान हर राजनीतिक दल बूथ प्रबंधन का ढिंढोरा पीटता है। हर दल यह दावा करता है कि एक मतदान केन्द्र पर 15 से लेकर 25 कार्यकर्ताओं की टीम उनके पास है। भाजपा में अमितशाह से लेकर प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी और कांग्रेस में राहुल गांधी से लेकर प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट तक ऐसी टीम के सदस्यों के नाम और मोबाइल नम्बर तक भेजे जाते हैं। मतदान से पहले बूथ के ऐसे कार्यकर्ताओं की मीटिंग भी होती है। अखबारों में बड़ी बड़ी खबरें भी छपती है। अजमेर संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी भागीरथ चौधरी और कांगे्रस के रिजु झुनझुनवाला से कोई सवाल करेगा तो यही जवाब मिलेगा कि बूथ प्रबंधन तो पार्टी स्तर पर हो रहा है। सवाल उठता है कि दोनों प्रत्याशी क्या ईमानदारी के साथ जवाब दे रहे हैं? जो लोग चुनाव की रणनीति बनाते हैं उन्हें पता है कि मतदान वाले दिन बूथ पर प्रबंधन किस प्रकार से होता है। प्रत्यक्षदर्शियों को मतदान वाले दिन अलग से फंड रखना होता है। भले ही चुनाव खर्च की सीमा 70 लाख रुपए हो, लेकिन प्रबंधन का दावा करने वाले दलों को एक बूथ पर कम से कम 10 हजार रुपए तो खर्च करने ही होते हैं। यानि अजमेर संसदीय क्षेत्र के 1950 मतदान केन्द्रों पर एक दल का आंकड़ा करीब दो करोड़ रुपए का है। माना जाता है कि चुनाव में सबसे मोटा खर्च बूथ पर ही होता है। असल में मतदान वाले दिन ही दोनों दलों के संगठन की पोल खुलती है। जो जिलाध्यक्ष और ब्लॉक मंडल अध्यक्ष हर समय नेतागिरी करते हैं, वहीं मतदान से एक दिन पहले वितरण कार्य में लगे रहते हैं, ताकि अगले दिन बूथ के अंदर और बाहर कथित कार्यककर्ता बैठ जाए। चूंकि बेचारे प्रत्याशी को चुनाव जीतना होता है, इसलिए जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्षों से कोई सवाल भी नहीं कर सकता है। ऐसा नहीं कि ऐसी दशा सिर्फ अजमेर में ही है। ऐसे हाल राजस्थान और देशभर में होते हैं। किसी दल का नेता चाहे कितना भी दावा कर ले, लेकिन बूथ प्रबंधन की हकीकत प्रत्याशी को ही पता होती है। गंभीर बात तो यह है कि प्रत्याशी इस हकीकत को किसी को बता भी नहीं सकता। राजनीतिक दलों को इस हकीकत पर विचार करना चाहिए। हो सकता है कि कुछ कार्यकर्ता वाकई समर्पण भाव से बूथ पर कार्य करते हों, लेकिन ऐसे कार्यकर्ताओं की संख्या बहुत कम होगी। राजनीतिक दल भी लोकतंत्र का हिस्सा हैं। जो प्रत्याशी पैसा खर्च करता है वो फिर वसूलता भी है। 
एस.पी.मित्तल) (28-04-19)
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12 हजार से भी ज्यादा मतदान केन्द्रों पर बिजली सप्लाई के पुख्ता इंतजाम।

12 हजार से भी ज्यादा मतदान केन्द्रों पर बिजली सप्लाई के पुख्ता इंतजाम।
अजमेर शहर में टाटा पावर भी मुस्तैद। 
बिजली बंद होने पर ईवीएम भी बंद हो सकती है।
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राजस्थान के जिन 13 संसदीय क्षेत्रों में 29 अप्रैल को मतदान होना है वहां के छह संसदीय क्षेत्रों के 9 जिलों में अजमेर विद्युत वितरण निगम के द्वारा बिजली सप्लाई की जाती है। निगम के प्रबंधन निदेशक वीएस भाटी ने बताया कि छह संसदीय क्षेत्रों के 12 हजार से भी मतदान केन्द्रों पर बिजली एक मिनट भी न जाए इसके पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। चूंकि सभी मतदान केन्द्रों पर ईवीएम और वीपीपेट से मतदान हो रहा है इसलिए बिजली की सप्लाई को बनाए रखना जरूरी है। हालांकि मतदान टीम के पास बेट्री बैकअप की सुविधा होती है, लेकिन ऐसी सुविधा एक घंटे के लिए ही मिल पाती है। ऐसे में बिजली की सप्लाई अनिवार्य है। यदि एक घंटे से ज्यादा बिजली बंद रहती है तो ईवीएम भी बंद हो सकती है। मतदान किसी भी तरह प्रभावित न हो इसके लिए निगम ने पुख्ता इंतजाम किए हैं। पिछले एक माह से तैयारियां चल रही थी। जिस फीडर से मतदान केन्द्र तक बिजली पहुंच रही है, वहां के तार आदि की जांच पड़ताल पहले ही कर ली गई। निगम की व्यवस्था के अनुरूप तीन चार बूथ पर एक कर्मचारी की नियुक्ति की गई है। इस कर्मचारी के मोबाइल नम्बर क्षेत्रीय चुनाव अधिकारियों को उपलब्ध करवाए गए हैं। ताकि सप्लाई में गड़बड़ी होने पर तत्काल सुधारा जा सके। फीडर पर भी एक कर्मचारी की अलग से नियुक्ति की गई है। हाल ही में डूंगरपुर, चित्तौड़, रामसमंद आदि जिलों में निर्वाचन विभाग ने अस्थाई कनेक्शन की मांग की थी। निगम ने मांग के अनुरूप सभी जगह कनेक्शन उपलब्ध करवाएं हैं। निगम का प्रयास है कि किसी भी मतदान केन्द्र पर एक मिनट के लिए भी बिजली बाधित न हो। जहां तक ड्यूटी में लगे निगम के कर्मचारियों के वोट डालने का सवाल है तो अधिकांश कर्मचारियों की नियुक्ति उनके मतदान केन्द्र के आसपास ही की गई है। सभी कर्मचारी अपना वोट भी डाल सकेंगे। फिर भी यदि किसी कर्मचारी को वोट डालने में कोई परेशानी हो रही है तो वह सीधा मुझ से सम्पर्क कर सकता है। इस संबंध में संबंधित अधिकारियों को भी निर्देश दिए गए हैं। यदि किसी कर्मचारी का मतदान केन्द्र दूर होगा तो  उसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था भी की कई है। मतदान वाले दिन किसी भी केन्द्र पर बिजली की समस्या होने पर उनके मोबाइल नम्बर 9829032509 पर भी किसी भी समय संवाद किया जा सकता है। मतदान बिना किसी बाधा के सम्पन्न हो इसके लिए निगम पूरी तरह तैयार है। 
टाटा पावर भी मुस्तैद:
अजमेर शहर में बिजली वितरण का कार्य टाटा पावर कंपनी के पास है। कंपनी के कॉरपोरेट हैड आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि शहर के सभी मतदान केन्द्रों पर बिजली नियमित सप्लाई के लिए एफआरटी टीम का गठन किया गया है। यह टीम मुश्किल से पांच मिनट में बिजली की बाधा को दूर करने में सक्षम है। जिन ट्रांसफार्मर से मतदान केन्द्र को बिजली की सप्लाई हो रही है उन ट्रांसफार्मर की जांच पहले ही मशीनों से करवा ली गई है। कंपनी का प्रयास है कि किसी भी मतदान केन्द्र की बिजली बंद नहीं हो। हालांकि जोन वार शिकायत केन्द्र बने हुए हैं, लेकिन फिर भी कोई समस्या होने पर मोबाइल नम्बर 9928979000 पर सीधे उनसे संवाद किया जा सकता है। श्रीवास्तव ने कहा कि मतदान लोकतंत्र का पर्व है। इसमें टाटा पावर भी अपनी भूमिका निभा रहा है। 
एस.पी.मित्तल) (28-04-19)
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कन्हैया कुमार भोपाल में दिग्विजय सिंह के लिए कांग्रेस का प्रचार करेंगे।

कन्हैया कुमार भोपाल में दिग्विजय सिंह के लिए कांग्रेस का प्रचार करेंगे। 
तो फिर कांग्रेस बेगूसराय में कन्हैया को क्यों हरवा रही है?
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28 अप्रैल को कांग्रेस के बहुचर्चित नेता और भोपाल से उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने कहा है कि कांगे्रस का प्रचार करने के लिए सीपीआई के युवा नेता कन्हैया कुमार 8 व 9 मई को भोपाल आएंगे। दिग्विजय सिंह ने कहा कि कन्हैया कुमार ने दिल्ली स्थित जेएनयू में कोई देश विरोधी नारे नहीं लगाए। मैं कन्हैया कुमार का समर्थक हूं इसलिए भोपाल में कांग्रेस का प्रचार करने के लिए बुला रहा हूं। दिग्विजय सिंह अपनी जीत के लिए किस से प्रचार करवाएं यह उनका आंतरिक मामला है, लेकिन सवाल उठता है कि जब कन्हैया कुमार को कांग्रेस के प्रचार के लिए भोपाल बुलाया जा रहा है तो फिर बिहार के बेगूसराय में कांग्रेस कन्हैया कुमार को क्यों हरवा रही है। उल्लेखनीय है कि कन्हैया कुमार बेगूसराय से सीपीआई के उम्मीदवार हैं। कन्हैया कुमार का मुकाबला भाजपा के गिरिराज सिंह से है और यहां कन्हैया कुमार को हराने के लिए कांग्रेस और आरजेडी के गठबंधन ने तनवीर हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है। तनवीर हसन का कहना है कि मुकाबले में कन्हैया कुमार तो हैं ही नहीं। उनका मुकाबला भाजपा के गिरिराज सिंह से है। यानि कांग्रेस बेगूसराय में कन्हैया कुमार को हारा हुआ मान रही है। इसे राजनीति का घालमेल ही कहा जाएगा कि जो कांग्रेस बेगूसराय में कन्हैया कुमार को हरवा रही है वही कांग्रेस भोपाल में अपनी जीत के लिए कन्हैया कुमार को बुलवा रही है। समझ में नहीं आता कि भोपाल में कन्हैया कुमार कांग्रेस का किस तरह से समर्थन करेंगे, जबकि बेगूसराय में तो कन्हैया कुमार ने कांग्रेस और आरजेडी के उम्मीदवार के खिलाफ ही जहर उगला है। जेएनयू में देशविरोधी नारे लगाने का मामला अभी न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय का आदेश आने से पहले ही दिग्विजय सिंह ने कन्हैया कुमार को निर्दोष घोषित कर दिया है। उल्लेखनीय है कि भोपाल में दिग्विजय सिंह का मुकाबला भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से हो रहा है। ऐसे में जब कन्हैया कुमार जैसे नेता भोपाल आएंगे तो भोपाल का माहौल दिलचस्प हो जाएगा। कन्हैया कुमार अक्सर अपने भाषणों में हिन्दुत्व के खिलाफ बोलते हैं। 
एस.पी.मित्तल) (28-04-19)
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Wednesday 24 April 2019

अजमेर में स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी भी है चुनाव का मुद्दा।

अजमेर में स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी भी है चुनाव का मुद्दा। 
प्रचार में कांग्रेस के झुनझुनवाला आगे।
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अजमेर में 29 अप्रैल को मतदान होना है। कांग्रेस प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला को जीतवाने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी 25 अप्रैल को अजमेर के बांदनवाड़ा कस्बे में चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। हालांकि दोनों ही दलों ने ताकत लगा रखी है, लेकिन धीरे धीरे अब स्थानीय और बाहरी प्रत्याशी होने का मुद्दा भी बनता जा रहा है। मीडिया रिर्पोटों में भी कांग्रेस के रिजु को बाहरी प्रत्याशी माना जा रहा है। रिजु का कपड़े का कारोबार भीलवाड़ा में ही है। वे मयूर सूटिंग जैसी मिलों के मालिक हैं। रिजु के मालिकाना हक वाले एलएनजे समूह का देशभर में तीन हजार करोड़ रुपए का कारोबार है, इसलिए रिजु साल में चार-छह महा विदेश में ही रहते हैं। ऐसे में रिजु को अजमेर में बाहरी प्रत्याशी माना जा रहा है, जबकि भाजपा के प्रत्याशी भागीरथ चौधरी को स्थानीय प्रत्याशी बता कर भाजपा प्रचार कर रही है। चौधरी किशनगढ़ से दो बार विधायक रह चुके हैं और पूरे संसदीय क्षेत्र में उनकी पहचान है। जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी को अपनी पहचान बनानी पड़ रही है। हालांकि रिजु का अपना बड़ा कारोबार है, लेकिन अजमेर में उनका कोई स्थायी निवास नहीं है। कांग्रेस के पदाधिकारी ही रिजु की गारंटी ले रहे हैं, जबकि भाजपा प्रत्याशी का स्थायी निवास किशनगढ में ही है। बाहरी और स्थानीय के मुद्दे पर चुनाव में भाजपा का पलड़ा भारी है, लेकिन वहीं प्रचार में कांग्रेस आगे नजर आ रही है। रिजु के बैनर पोस्टर पूरे संसदीय क्षेत्र में जगह जगह लगे हुए हैं। पेशेवर लोग सोशल मीडिया पर भी प्रचार कर रहे हैं। इतना ही नहीं रोजाना विभिन्न समाजों के सामूहिक भोज भी हो रहे हैं। पिछले दो दिन में अग्रवाल, वैश्य, ब्राह्मण, जांगिड़, जैन आदि समाजों के कार्यक्रम हो चुके हैं। सभी में कांग्रेस प्रत्याशी ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। चूंकि रिजु का अपना तीन हजार करोड़ रुपए का कारोबार है, इसलिए देशभर से बड़े कारोबारियों ने अजमेर में डेरा जमा लिया है। ऐसे कारोबारी ही विभिन्न समाजों के कार्यक्रम आयोजित करवा रहे हैं। ऐसे सामूहिक भोज वाले महंगे कार्यक्रमों से कितना फायदा होगा, इसका पता 23 मई को ही चलेगा। वहीं भाजपा संगठन और कार्यकर्ता के भरोसे भाजपा प्रत्याशी अपने धोती कुर्ता के साधारण लिबास में सक्रिय हैं। चौधरी की छवि ग्रामीण परिवेश वाले राजनेता की मानी जाती है। रिजु की उम्मीदवारी  में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। ये दोनों ही अजमेर से सांसद रहे चुके हैं। रिजु की हार होती है तो रघु का चिकित्सा मंत्री का पद भी खतरे में पड़ जाएगा। 

विपक्षी दलों को फिर लगा ईवीएम से डर।

विपक्षी दलों को फिर लगा ईवीएम से डर।
सुपीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर।
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24 अप्रैल को कांग्रेस सहित 21 विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर एक बार फिर मांग की है कि वीवीपेट से निकली पर्चियों में से पचास प्रतिशत पर्चियों का मिलान ईवीएम में दर्ज वोटों से करवाया जाए।  इन दलों ने ईवीएम में दर्ज वोटों में गड़बड़ी की आशंका जताई है। विपक्षी दलों के नेता पहले भी कह चुके हैं कि ईवीएम का बटन कोई भी दबाए पर वोट तो भाजपा को जाता है। हालांकि ऐसी सभी आशंकाओं को चुनाव आयोग  ने पहले ही खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी पचास प्रतिशत वीवीपेट की पॢचयों के मिलान की मांग को खारिज कर दिया है। इस संबंध में चुनाव आयोग का कहना है कि यदि पचास प्रतिशत पर्चियों का मिलान किया जाता है तो एक संसदीय क्षेत्र की मतगणना में कम से कम छह दिन लगेंगे। आयोग के पास इतने संसाधन नहीं है कि छह दिनों तक मतगणना करवाई जाए। विपक्षी दलों ने पुनर्विचार याचिका तब दायर की है जब देश में आधे से ज्यादा संसदीय क्षेत्रों में मतदान हो चुका है। भाजपा का आरोप है कि जैसे जैसे मतदान हो रहा है वैसे वैसे विपक्षी दलों को अपनी हार नजर आ रही है। इसलिए अभी से बहाना ढूंढा जा रहा है। 
कैसे हो सकती है गड़बड़ी:
हालांकि चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि ईवीएम में गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है और जब वीवीपेट पर मतदाता अपनी पर्ची देख रहा है तो फिर गुंजाइश की कोई संभावना नहीं है। सवाल यह भी है कि जिन राज्यों में कांग्रेस और विपक्षी दलों की सरकार हैं वहां की ईवीएम एक तरह से सरकार के नियंत्रण में ही होती है। चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग के पास अपने कोई कर्मचारी नहीं होते।  संबंधित सरकारों के कर्मचारियों को ही चुनाव आयोग का कर्मचारी मान लिया जाता है। चुनाव के दौरान कलेक्टर की भूमिका जिला निर्वाचन अधिकारी की हो जाती है। हर राज्य सरकार चुनाव से पहले कलेक्टर के पद पर अपने मर्जीदान अफसर की नियुक्ति करती है। सवाल उठता है कि जब राज्य सरकार द्वारा नियुक्त निर्वाचन अधिकारी की देखरेख में ईवीएम मशीने रखी गई है तब गड़बड़ी कैसे हो सकती है? चुनाव आयोग के पास ऐसी कोई जादू की छड़ी नहीं है जिसको घूमाते ही ईवीएम के वोट भाजपा उम्मीदवार को चले जाएंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि विपक्षी दलों को अपनी हार नजर आ रही है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। 
एस.पी.मित्तल) (24-04-19)
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ममता दीदी तो मेरे लिए कुर्ते और बंगाली मिठाई भेजती हैं। चुनावी जंग में कितना मायने रखता है प्रधानमंत्री मोदी का गैर राजनीतिक इंटरव्यू।

ममता दीदी तो मेरे लिए कुर्ते और बंगाली मिठाई भेजती हैं।
चुनावी जंग में कितना मायने रखता है प्रधानमंत्री मोदी का गैर राजनीतिक इंटरव्यू। 
आरएसएस की जमकर प्रशंसा। 
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24 अप्रैल को सरकारी चैनल डीडी न्यूज पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का जो दिलचस्प इंटरव्यू प्रसारित हुआ, उसे गैर राजनीतिक कहा जा रहा है। यह इंटरव्यू किसी अखबार अथवा न्यूज चैनल के पत्रकार ने नहीं लिया, बल्कि मुम्बईया फिल्मों के मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार ने लिया। अक्षय ने अपने ही अंदाज में मोदी से सवाल किए। यह इंटरव्यू प्रधानमंत्री के दिल्ली स्थित आवास पर लिया गया। चूंकि इंटरव्यू अक्षय जैसा अभिनेता ले रहा था, इसलिए ड्रोन क्रेन आदि कैमरों का भी उपयोग किया गया। अक्षय ने टांग पर टांग रख कर सवाल किए तो साफ लग रहा था कि अक्षय भी स्वयं को फिल्म जगत का प्रधानमंत्री समझते हैं। अक्षय ने जब विपक्षी नेताओं से संबंधों के बारे में सवाल किया तो मोदी ने अपने सबसे बड़े आलोचक कांग्रेस के गुलामनबी आजाद और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के नामों का उल्लेख किया। लोकसभा चुनाव के दौरान जिन ममता बनर्जी को मोदी स्पीडब्रेकर दीदी आदि कह कर संबोधित करते हैं, वही ममता दीदी मोदी के लिए प्रतिवर्ष कुर्ते और बंगाली मिठाईयां भेजती हैं। मोदी ने कहा कि ममताजी पहले सिर्फ कुर्ते देती थीं, लेकिन जब उन्हें पता चला कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना बंगाली मिठाई भेजती हैं तो ममता दीदी भी अब मिठाई भेजने लगी है। एक बार जब मैं और गुलाम नबी आजाद डिनर लेकर बाहर आ रहे थे, तब अखबारों वालों के सवालों के जवाब में आजाद ने कहा कि हमारे बीच पारिवारिक रिश्ते भी हैं। यह गुलाम नबी का माकूल जवाब था। 
काम के लिए दबाव नहीं:
अक्षय ने कहा कि आपकी छवि एक सख्त प्रशासक की है। इस पर मोदी ने कहा कि यह गलत धारणा है। मैं किसी से भी दबाव डालकर काम नहीं करवाता। अफसर की गलती होने पर स्वयं सुधारता हंू। मेरे साथ ज्यादा काम करना पड़ता है, यह शिकायत हो सकती है लेकिन जब मैं स्वयं इतना कार्य करता हंू तो फिर मेरे साथी भी खुशी खुशी करते हैं। यह सही है कि मैं चौबीस घंटे में मात्र तीन-चार घंटे ही सोता हंू। मैं कभी भी पलंग पर फालतू में नहीं लेटा रहता। आंख खुलते ही पलंग से उठ जाता हंू। गुस्सा, नाराजगी यह सब स्वभाव के हिस्से हैं, लेकिन अब तो मुझे गुस्सा नहीं आता। पूर्व में जब गुस्सा आता था, तब संबंधित घटना को कागज पर लिखता था। 
साधारण कपड़े:
अक्षय ने जब कपड़ों की डिजाइन के बारे में सवाल किया तो प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे परिवार में तो इतनी गरीबी थी कि घर में कोयले की प्रेस भी नहीं थी। मैं पानी वाले लौटे में गर्म कोयले डाल कर कपड़ों पर प्रेस करता था। एक बार मुझे लगा कि कुर्ते की बांह में ज्यादा कपड़ा खर्च होता है और अटैची में जगह भी ज्यादा घेरता है तो मैंने आधी बांह के कुर्ते पहनने शुरू कर दिए। मेरे कपड़े बहुत ही साधारण होते हैं। 
विधायक कोटे का प्लाट भी पार्टी को दे दिया:
मोदी ने कहा कि गुजरात में विधायक कोटे का प्लाट भी मैंने पार्टी को दे दिया है। मैं जब प्रधानमंत्री बना तब मेरे पास कुछ भी नहीं था। मैंने कभी भी सम्पत्ति का संग्रह नहीं किया। मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के तौर पर मिली सुविधाओं से कभी मोह नहीं किया। मेरी आवश्यकताएं बहुत सीमित है। जीवन का अधिकांश समय दो जोड़ी कपड़ों और एक थैले में निकल गया। 
परिवार नहीं लेता कोई सुविधा:
मोदी ने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य प्रधानमंत्री के परिवार को मिलने वाली सुविधा नहीं लेता है। चूंकि मैंने छोटी उम्र से ही घर परिवार त्याग दिया था, इसलिए मेरे परिवार के सदस्य भी अपेक्षा नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपनी माताजी को कुछ दिनों के लिए प्रधानमंत्री आवास पर लाया था, लेकिन मेरे देर रात तक काम करने और सुबह जल्दी उठने की वजह से मुझे लगा कि मेरी माताजी कष्ट में हैं। मेरी मां ने कहा भी कि मुझे गांव में ही रहना है क्योंकि वहां मैं अपने लोगों से संवाद कर सकती हंू। जहां तक माताजी को आर्थिक मदद करने का सवाल है तो आज भी मेरी मां मुझे सवा रुपया देती है। 
संघ की प्रशंसा:
मोदी ने अपने इंटरव्यू में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की जमकर प्रशंसा की। मोदी ने कहा कि मैं शुरू से ही संघ की शाखाओं में जाता रहा हंू। मैंने एक प्रचारक की भूमिका में भी संघ का काम किया है। संघ की शाखाओं में खेल भावना के साथ ही बौद्धिक विकास किया जाता है। संघ एक देशभक्त संगठन है। 
कितना मायने रखता है इंटरव्यू:
इसमें कोई दो राय नहीं कि अक्षय ने मोदी से कोई राजनीतिक सवाल नहीं पूछे, लेकिन पूरे इंटरव्यू में प्रधानमंत्री की साफ-सुथरी छवि उभर कर सामने आई। चुनावी माहौल में ऐसे इंटरव्यू का प्रसारण सभी न्यूज चैनलों पर भी हुआ। 25 अप्रैल को आखबारों में भी छपेगा। सोशल मीडिया के सभी प्लेटफार्मो पर अब इंटरव्यूज धड़ल्ले से प्रसारित हो रहा है। इसे नरेन्द्र मोदी का चुनावी प्रबंधन ही कहा जाएगा कि आचार संहिता से बचते हुए शानदार इंटरव्यू प्रसारित करवा दिया। अभिनेता अक्षय कुमार की भी बल्ले बल्ले हो रही है। 
एस.पी.मित्तल) (24-04-19)
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अजमेर की साध्वी अनादि भी भोपाल पहुंची प्रज्ञा ठाकुर को जीताने।

अजमेर की साध्वी अनादि भी भोपाल पहुंची प्रज्ञा ठाकुर को जीताने।
लोकतंत्र में वोट ही सबसे बड़ा हथियार।
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अजमेर चित्ती संघान योग संस्थान की प्रमुख स्वामी अनादि सरस्वती भी अब साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को जीताने के लिए भोपाल पहुंच गई। 23 अप्रैल को जब प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया तब स्वामी अनादि भी साथ थी। नामांकन के बाद हुई सभा में स्वामी अनादि ने भी भाषण दिया। कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को उम्मीदवार बनाया है। स्वामी अनादि ने फोन पर संवाद करते हुए कहा कि प्रज्ञा ठाकुर को लेकर भोपाल के लोगों में जबरदस्त उत्साह है। कांग्रेस के शासन में दिग्विजय सिंह ने जिस प्रकार भगवा आतंकवाद को लेकर बयान दिए उससे भोपाल में कांग्रेस के प्रति गुस्सा है। उन्होंने कहा कि भोपाल का चुनाव कोई साधारण चुनाव नहीं है बल्कि एक धर्मयुद्ध है। लोकतंत्र में मतदाता का वोट ही सबसे बड़ा हथियार होता है। इसलिए वोट के हथियार से दिग्विजय सिंह को हराया जाएगा। जेल में जिस तरह साध्वी प्रज्ञा को यातनाए दी गई उसको लेकर देशभर के लोगों में गुस्सा है। अब इस गुस्से को उजागर करने का मौका भोपाल के मतदाताओं को मिल गया है। उन्होंने कहा कि साध्वी प्रज्ञा भाजपा की उम्मीदवार नहीं बल्कि हमारी सनातन संस्कृति की प्रतिनिधि हैं। साध्वी प्रज्ञा के लिए मेरे जैसे साधु संत भोपाल में ही डेरा जमाएंगे। उन्होंने कहा कि वे 29 अपै्रल को अजमेर में अपने मताधिकार का उपयोग करने के बाद तीस अप्रैल से ही भोपाल में डेरा जमा लेंगी। उनके साथ साध्वियों की पूरी टीम भी होगी। भोपाल में 19 मई को मतदान होना है। उन्होंने कहा कि 24 अप्रैल को भोपाल में साध्वी प्रज्ञा का जो रोड शो हुआ उसमें भी जबरदस्त भीड़ थी। स्वामी अनादि सरस्वती का कहना रहा कि इस बार का लोकसभा का चुनाव देश के लिए ही नहीं बल्कि हमारी संस्कृति के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। देश के सभी नागरिकों का दायित्व है कि वे ऐसे उम्मीदवारों को जीताएं जो राष्ट्रहित में सोचते हो। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि ऐसे राजनीतिक दल सक्रिय हैं जो देश के खिलाफ ही साजिश करते हैं। 
एस.पी.मित्तल) (24-04-19)
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Tuesday 23 April 2019

भीलवाड़ा से चम्बल का पानी अजमेर कैसे लाएंगे कांग्रेस प्रत्याशी झुनझुनवाला, योजना बताएं।

भीलवाड़ा से चम्बल का पानी अजमेर कैसे लाएंगे कांग्रेस प्रत्याशी झुनझुनवाला, योजना बताएं। देहात भाजपाध्यक्ष प्रो. सारस्वत ने हमला बोला। कांग्रेस के प्रचार के लिए वैश्य और ब्राह्मण समाज के सामूहिक भोज।
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अजमेर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी रिजु झुनझुनवाला का इन दिनों चुनावी सभाओं में यह कहना कि सांसद बनने पर भीलवाड़ा से चम्बल नदी का पानी अजमेर तक लाया जाएगा। चूंकि अजमेर जिले में इन दिनों तीन चार दिन में मात्र 45 मिनट के लिए पेयजल की सप्लाई हो रही है, इसलिए रिजु का यह दावा मतदाताओं पर असर कर रहा है। हालांकि अजमेर का पेयजल का एक मात्र स्त्रोत बीसलपुर बांध है। गत मानसून में बरसात कम होने से बांध में पानी की आवक कम होने से अजमेर में राशनिंग की गई है। इसलिए पेयजल को लेकर जिले भर में त्राहि त्राहि मची हुई है। कोटा में बह रही चम्बल नदी का पानी अजमेर तक लाने की फिलहाल कोई योजना नहीं है, ऐसे में कांग्रेस प्रत्याशी का दावा बहुत मायने रखता है। भाजपा के देहात अध्यक्ष बीपी सारस्वत ने रिजु झुनझुनवाला से यह जानना चाहा कि वे भीलवाड़ा से चम्बल नदी का पानी अजमेर कैसे लाएंगे? सारस्वत ने कहा कि वर्तमान में पाइप लाइन के जरिए कोटा से चम्बल का पानी भीलवाड़ा तक आ रहा है। भीलवाड़ा से अजमेर या फिर बीसलपुर बांध तक पानी लाने की कोई योजना नहीं है। भीलवाड़ा की मांग को देखते हुए चम्बल के पानी की योजना बनाई है। अब यदि कांग्रेस प्रत्याशी भीलवाड़ा का पानी अजमेर लाने का वायदा कर रहे हैं तो उन्हें अजमेर के मतदाताओं को योजना बतानी चाहिए। क्या ऐसा वायदा करने से पहले रिजु ने भीलवाड़ा के लोगों को विश्वास में लिया है? प्रो. सारस्वत ने कहा कि रिजु सिर्फ चुनाव जीतने के लिए ऐसे वायदे कर रहे हैं। जब भीलवाड़ा से चम्बल का पानी अजमेर लाने की कोई योजना ही नहीं है तो फिर अजमेर के लोगों से झूठा वायदा क्यों किया जा रहा है? कांग्रेस के ऐसे झूठे वायदों से ही आज पूरा देश दु:खी है। रिजु स्वयं को बड़ा उद्योगपति बताते हुए अजमेर में भी औद्योगिक क्रांति लाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन यह क्रांति कैसे आएगी नहीं बता रहे। सारस्वत ने मतदाताओं से कांगे्रस के झूठे वायदों से सावधान रहने की अपील की है। 
सामूहिक भोज:
कांग्रेस के प्रत्याशी रिजु के समर्थन में 23 अप्रैल की रात को ब्राह्मण समाज का सामूहिक भोज पुष्कर रोड स्थित लालगढिय़ा समारोह स्थल पर तथा वैश्य समाज का भोज सिविल लाइन स्थित लोढ़ा ग्रीन समारोह स्थल पर आयोजित किया गया है। सर्व ब्राह्मण महासभा के बलराम शर्मा ने समाज के लोगों से समारोह में भाग लेने की अपील की है। वहीं राजस्थान ब्राह्मण महासभा के जिलाध्यक्ष पंडित सुदामा शर्मा ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया है कि ब्राह्मण समाज से पूछे बगैर ही लाल गढिय़ा समारोह स्थल पर भोज का आयोजित किया गया है। सम्मेलन का औचित्य तब होता, जब चुनाव में कोई ब्राह्मण प्रत्याशी होता और पूरा समाज एकजुट होकर वोट की अपील करता। सम्मेलन का उद्देश्य ब्राह्मण समाज को भ्रमित कर राजनीतिक करण करना है। सुदामा ने कहा कि कुछ लोग कांग्रेस प्रत्याशी को बुलाकर खुश हो रहे हैं, जबकि राजस्थान में कांग्रेस के शासन में अभी तक भी सामान्य वर्ग के गरीबों को दस प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिला है। सुदामा ने ऐसे सम्मेलन से समाज के लोगों को सावधान रहने की अपील की है। मोबाइल नम्बर 9828279376 पर पंडित सुदामा से और जानकारी ली जा सकती है। 
ब्राह्मण समाज की तरह ही रिजु के समर्थन में वैश्य समाज का भी एक सामूहिक भोज सिविल लाइन में हो रहा है। इस समारोह के अगवा रमेश तापडिय़ा और अशोक पंसारी हैं। दोनों ने समाज के लोगों से सामूहिक भोज में भाग लेने की अपील की है। दोनों का कहना है कि कांग्रेस ने वैश्य समाज के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है, इसलिए समाज को समर्थन करना चाहिए। हालांकि इस तरह के राजनीतिक आयोजन से समाज के अनेक लोग नाराज हैं। तापडिय़ा और पंसारी जिस अखिल भारतीय वैश्य फैडरेशन के पदाधिकारी है उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक अग्रवाल तो पहले से ही भाजपा और नरेन्द्र मोदी को समर्थन दे चुके हैं। अनेक लोगों को वैश्य समाज के नाम पर सम्मेलन कर कांग्रेस प्रत्याशी को बुलाए जाने पर भी एतराज है। 
एस.पी.मित्तल) (23-04-19)
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पायलट के हवाई दौरे के बाद कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का अजमेर में जमीनी दौरा।

पायलट के हवाई दौरे के बाद कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का अजमेर में जमीनी दौरा। 
बैंसला का गुर्जर बहुल्य गांवों पर फोकस। 
सरकार से वार्ता का अब क्या मतलब है? विजय बैंसला।
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22 अप्रैल को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अजमेर संसदीय क्षेत्र का हैलीकॉप्टर से दौरा किया और एक दिन में फटाफट 6 चुनावी सभाओं को संबोधित कर दिया। पायलट के इस हवाई दौरे के बाद 23 अप्रैल को राजस्थान गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसल का अजमेर में जमीनी दौरा रहा। स्वास्थ्य ठीक नहीं होने के बाद भी बैंसला ने अजमेर में नसीराबाद और पुष्कर विधानसभा क्षेत्रों के गुर्जर बहुल्य गांवों का सघन दौरा किया। बैंसला का कहना रहा कि गुर्जर समुदाय को पांच प्रतिशत आरक्षण दिलवाने में कांग्रेस की सरकार ने प्रभावी कार्यवाही नहीं की। सचिन पायलट की ओर इशारा करते हुए बैंसला ने कहा कि ऐसे लोग गुर्जर समुदाय के वोटों पर मुख्यमंत्री बनने का ख्वाब तो देखते हैं, लेकिन समाज के लिए कुछ नहीं करते। विधानसभा चुनाव में गुर्जर समुदाय ने कांगे्रस के लिए क्या नहीं किया, लेकिन सरकार बनने पर गुर्जरों को कुछ नहीं मिला। बैंसला ने कहा कि लोकसभा चुनाव में किसी एक समुदाय का सवाल नहीं है यह चुनाव देश के लिए महत्व रखता है। मैं एक सैनिक हंू और मुझे पता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को मजबूत करने के लिए कितना कार्य किया है। आज पूरा देश चाहता है कि नरेन्द्र मोदी दोबारा से प्रधानमंत्री बने। मैं भी इसी प्रयास में लगा हंू। हमें ऐसे भारत का निर्माण करना है जिसमें हर नागरिक स्वयं को सुरक्षित समझे। मोदी आम आदमी के दर्द को समझते हैं। मोदी ने जहां दुनिया में भारत का सम्मान बढ़ाया वहीं आर्थिक दृष्टि से देश को मजबूती प्रदान की। बैंसला ने आगामी 29 अप्रैल को अजमेर से भाजपा प्रत्याशी भागीरथ चौधरी को वोट देने की अपील की। 
गुर्जर बहुल्य गांवों पर फोकस:
कर्नल बैंसला के साथ उनके पुत्र विजय बैंसला भी साथ रहे। अजमेर के भाजपा नेताओं ने विजय बैंसला के साथ ही चुनावी रणनीति के तहत ही कर्नल बैंसला की सभाएं गुर्जर बहुल्य गांवों में ही करवाई। कर्नल को सुनने के लिए दूर दराज से भी ग्रामीण आए। भाजपा नेताओं को इस बात पर संतोष रहा कि कर्नल बैंसला का गुर्जर समुदाय पर आज भी खासा असर है। यही वजह रही कि गांवों में कर्नल का जोरदार स्वागत हुआ। अजमेर संसदीय क्षेत्र में पुष्कर और नसीराबाद को गुर्जर बहुल्य माना जाता है। कर्नल बैंसला के दौरे में पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत और नसीराबाद के विधायक रामस्वरूप लाम्बा भी साथ रहे। भाजपा के देहात जिलाध्यक्ष बीपी सरस्वत और ओबीसी मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश भडाना भी साथ रहे। गुर्जर समुदाय को आरक्षण दिलाने में भडाना भी कर्नल बैंसला के साथ संघर्ष करते देखे गए हैं। भाजपा प्रत्याशी चौधरी ने भीषण गर्मी में चुनावी दौरे के लिए कर्नल बैंसला का आभार जताया। दौरे में सुआलाल गुंजल, जयदीप सिंह, रामा प्रधान, भैरू गुर्जर, गोपाल गुर्जर, भोलाराम गुर्जर, सावताराम कुवाड़ा आदि ने भी बैंसला का जगह-जगह स्वागत किया। अजमेर लोकसभा क्षेत्र के संयोजक विधायक सुरेश रावत ने बैंसला के दौरे को प्रभावी बताया। 
वार्ता का क्या तुक-विजय बैंसला:
कर्नल बैंसला के पुत्र और आरक्षण आंदोलन की कमान संभालने वाले विजय बैंसला ने कहा कि राज्य सरकार से होने वाली वार्ता को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। जब विधानसभा में बिल पास हो गया है तो अब कांग्रेस सरकार की जिम्मेदारी है कि इसे केन्द्र 9वीं अनुसूची में शामिल करवा कर गुर्जरों को लाभ दिलवावे। वैसे भी विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने अपने घोषण पत्र में वायदा किया है। तब प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा सचिन पायलट थे। गुर्जर समुदाय ने कांग्रेस को भरपूर वोट दिए। अब पायलट का नैतिक दायित्व बनता है कि वे गुर्जरों को आरक्षण दिलवावें। जब पायलट स्वयं सरकार में डिप्टी सीएम है, तब वार्ता का क्या मतलब है। कांग्रेस की सरकार अपना वायदा निभाए। बिल के पास होने पर पायलट ने कहा था कि हमारा बिल फुलप्रूफ है। यह किसी भी कोर्ट में नहीं अटकेगा। सरकार ने इसमें लिखित में समझौता भी किया है। ऐसे में अब कोई वार्ता मायने नहीं रखती है। कर्नल बैंसला ने देशभक्ति की भावना से भाजपा को समर्थन दिया है। 
एस.पी.मित्तल) (23-04-19)
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क्या पाकिस्तान की तरफदारी करने से भारत में मिलते हैं वोट?



क्या पाकिस्तान की तरफदारी करने से भारत में मिलते हैं वोट?
महबूबा के बयानों से तो ऐसा ही लगता है।
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21 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पाकिस्तान की सीमा से लगे राजस्थान के बाड़मेर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि पाकिस्तान हमें बार बार परमाणु बम की धौंस देता है तो क्या भारत ने अपने परमाणु बम दीपावली पर फोडऩे के लिए रखे हैं? एक तरह से हमारे प्रधानमंत्री ने परमाणु बम के मुद्दे पर पाकिस्तान को चेतावनी थी। मोदी के इस बयान पर पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की कोई प्रतिक्रिया आती इससे पहले ही जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कह दिया कि पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु बम ईद पर फोडऩे के लिए नहीं रखे हैं। यानि पाकिस्तान अपने परमाणु बम भारत पर गिरा सकता है। भारत में इन दिनों लोकसभा के चुनाव चल रहे हैं। महबूबा का बयान 22 अप्रैल को सामने आया, जबकि भारत में लोकसभा के तीसरे चरण का मतदान 23 अप्रैल को हो रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान की तरफदारी करने से भारत में किन्हीं राजनीतिक दलों को वोट मिलते हैं? ऐसा नहीं होता तो हमारे देश के राजनेता पाकिस्तान के प्रति प्रेमभाव नहीं दिखाते। पाकिस्तान की तरफदारी करने में महबूबा अकेली नहीं है, बल्कि नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस आदि के नेता भी शामिल हैं। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि जो पाकिस्तान हमारे देश में आतंकी गतिविधियां करवाता है, उस पाकिस्तान की तरफदारी हमारे ही नेता करते हैं। दुनिया में भारत एक ऐसा मुल्क होगा, जहां के राजनेता खुलेआम अपने देश की ही बुराई और दुश्मन देश पाकिस्तान की बढ़ाई करते हैं। महबूबा जैसे पाकिस्तान परस्त नेताओं से यह पूछा जाना चाहिए कि यदि पाकिस्तान ने भारत पर परमाणु बम फोड़ा तो उनका क्या होगा? क्या वे बम फूटने से पहले पाकिस्तान चली जाएंगी? असल में ऐसे बयान देकर महबूबा पाकिस्तान के हुक्मरानों को खुश करना चाहती है ताकि पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों के पदाधिकारी कश्मीर को भारत से छीन कर पाकिस्तान परस्त नेताओं को दे दें। भारत को तोडऩे का ख्वाब महबूबा का कभी पूरा नहीं होगा। मौजूदा समय में हमारी सेनाओं ने आतंकियों की कमर तोड़ दी है तथा अब हमारी सेनाएं पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मार रही है। भारत का हर नागरिक चाहता है कि आतंकियों को इसी तरह जवाब दिया जाए। अब कश्मीर के अलगाववादियों को भी दिल्ली में बिरयानी नहीं खिलाई जाती। बल्कि कुछ अलगाववादियों को तो कश्मीर की जेलों से दिल्ली की तिहाड़ जेल में रखा गया है। इससे उनके आका भी बिलबिला रहे हैं। 
एस.पी.मित्तल) (23-04-19)
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