Saturday 27 March 2021

रीट परीक्षा की तिथि में बदलाव की घोषणा, आखिर मुख्यमंत्री कब करेंगे?राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 25 अप्रैल को महावीर जयंती पर परीक्षा नहीं करवाने पर सहमत, प्रस्ताव भी दे दिया है। ई.डब्ल्यू.एस. के अभ्यर्थियों को उम्र में भी मिलेगी छूट।


राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा ली जाने वाली राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा अब 25 अप्रेल को नहीं होगी। इस पर आम सहमति बन गई है। तीन दिन पहले शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डी.पी.जारोली ने जयपुर में सीएमओ के अनेक अधिकारियों से मुलाकात की थी। जानकार सूत्रों के अनुसार जारोली ने भी 25 अप्रैल को रीट की परीक्षा नहीं करवाने को प्रस्ताव दे दिया है। राजस्थान के जैन समाज की लगातार मांग है कि रीट परीक्षा का आयोजन महावीर जयंती के दिन 25 अप्रैल को नहीं किया जाये। जैन समाज की इस मांग को लेकर कई मंत्रियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षामंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा का ध्यान आकर्षित किया है। इस बात को ध्यान में रखते हुए ही राज्य सरकार ने शिक्षा बोर्ड ने रिपोर्ट तलब की है। शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डी.पी. जारोली स्वयं भी ओसवाल जैन हैं। जारोली पर भी लगातार दबाव बन रहा है कि रीट की परीक्षा तिथि बदली जाए। सोशल मीडिया में जारोली को लेकर प्रतिकूल टिपप्पणियां भी हो रही हैं। तिथि बदलाव को लेकर आम सहमति तो बन गई है लेकिन इसकी घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के द्वारा की जानी है। माना जा रहा है कि तिथि बदलने की घोषणा का विधानसभा के उप चुनाव पर असर पड़ेगा, सुजानगढ़ और राजसमंद में बड़ी संख्या में जैन मतदाता है। यही वजह है कि अब मुख्यमंत्री की घोषणा इंतजार किया जा रहा है यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि परीक्षा तिथि में बदलाव के साथ-साथ ई.डब्ल्यू वर्ग के अभ्यर्थियों की उम्र में भी छूट मिलेगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार रीट परीक्षा के लिए 16 लाख से भी ज्यादा अभ्यर्थियों ने आवेदन कर दिया है। रीट की परीक्षा दो स्तर पर होगी। ऐसे अनेक अभ्यर्थी हैं जिन्होंने लेवल-प्रथम, द्वितीय दोनों के लिए आवेदन किया है। इस स्थिति को देखते हुए माना जा रहा है कि दोनों लेवल की परीक्षाओं में 12-12 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी भाग लेंगे। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-03-2021)
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आखिर होलीका दहन के लिए राजस्थान में गहलोत सरकार को छूट देनी ही पड़ी।सबसे पहले ब्लॉग में किया था ध्यान आकर्षित।यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठाएं प्रदेशवासी। सम्पन्न परिवार भी 850 रूपये का प्रीमियम देकर 5 लाख रूपये का बीमा करवाएं।कोरोना की गाइड लाइन का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने और कार्यकारी करने का अब अजमेर प्रशासन को नैतिक अधिकार नहीं। सरकारी गाइड लाइन की धज्जियां उड़ा कर नगर निगम के परिसर में हुआ होली का समारोह।


मैं यह तो दावा नही करता कि 25 मार्च को मेरे द्वारा ब्लॉग लिखे जाने के बाद राजस्थान सरकार ने प्रदेश में होलिका दहन को छूट दी है, लेकिन यह सही है कि 25 मार्च को सभी प्रकार के मीडिया में सबसे पहले मैंने होली का दहन पर रोक लगाने का मुद्दा उठाया था। इसके बाद ही 26 मार्च को प्रदेश के गृह विभाग को अपना 24 मार्च का आदेश संशोधित करना पड़ा। संशोधित आदेश के अनुसार 28 व 29 मार्च को सांय 4 बजे से रात्रि 10 बजे तक सार्वजनिक स्थलों पर होली और शब-ए-बारात का आयोजन हो सकेंगे। यानि हिन्दू समुदाय के लोग 28 मार्च को शुभ मुहूर्त में होलिका दहन कर सकेंगे तो 29 मार्च को शब-ए-बारात के अवसर पर शाम को मुस्लिम समुदाय के लोग कब्रिस्तान में जाकर अपने पूर्वजों की मजार पर दुआ कर सकेंगे। गृह विभाग के 24 मार्च को जो आदेश निकाला था उसमें 28 व 29 मार्च को होली और शब-ए-बारात के सभी आयोजनों पर प्रतिबंध लगाया गया था। इस आदेश के अनुरूप ही 25 मार्च को खबरों में खबर प्रकाशित हुई। विज्ञापनों के मोहताज कुछ मीडिया घरानों ने तो कोरोना के मद्देनजर सरकार के फैसले का स्वागत भी कर दिया। लेकिन मैंने अपने 25 मार्च के ब्लॉग में होली का दहन कर मुद्दा प्रभावी ढंग से उठाया। मेरा तर्क रहा कि होलिका दहन हमारी सनातन संस्$कति से जुड़ा है। इसलिए सरकार को कम से कम होली का दहन की छूट देनी ही चाहिए। इस ब्लॉग में शब-ए-बारात के अवसर मुस्लिम परम्पराओं का उल्लेख किया गया। मुझे इस बात का संतोष है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने दोनों संप्रदाओं की भावनाओं को समझा और अपने आदेश में संधोधन किया।
आज बीमा करवाएं :
27 मार्च को प्रदेश के सी.एम. अशोक गहलोत ने लोगों से अपील की है कि राज्य सरकार द्वारा घोषित योजना के अंतर्गत एक अप्रैल से यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाए। इस योजना में कोई भी व्यक्ति 850 रुपए का प्रीमियम देकर 5 लाख रुपए सालाना का बीमा करवा सकता है। गहलोत सरकार ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा घोषित आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा में लाखों लोग वंचित हो रहे हैं, इसलिए राज्य सरकार ने यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की है। आयुष्मान भारत में राज्य के लिए 350 करोड़ रुपए का प्रावधान है, जबकि हमारी यूनिवर्सल स्वास्थ्य बीमा योजना में तीन हजार करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। प्रदेश के प्रत्येक नागरिक को इस योजना का लाभ उठाना चाहिए।
कार्यवाही करने का नैतिक अधिकार नही :
26 मार्च को अजमेर और नगर निगम के अधिकारियों ने मिलकर जिस प्रकार होली का उत्सव मनाया, उसके बाद अब अजमेर प्रशासन को कोरोना गाइड लाइन का उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाने और कार्यवाही करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। जिला प्रशासन का दावा है कि जिला प्रशासन से अनुमति मिलने के बाद होली का समारोह आयोजित किया गया। सवाल उठता है कि क्या शर्तों के अनुरूप अनुमति देकर जिला प्रशासन की जिम्मेदारी पूरी हो जाती है? शर्तों की पालना करवाने की जिम्मेदारी किसकी है? प्रशासन ने जो शर्तें लगाई, उनकी पालना निगम के समारोह में नहीं हुई। निगम के समारोह में 200 से ज्यादा लोग उपस्थित रहे। पार्षदों, अधिकारियों और तमाशबीनों ने मुंह पर मास्क नहीं लगा रखा था तथा समारोह में एक-दूसरे से चिपक कर बैठे हुए थे। बाजारों में मास्क नहीं लगाने वाले दुकानदारों और ग्राहकों पर नगर निगम के अधिकारी ही जुर्माना लगा रहे हैं। कई बाजारों में तो दुकानें भी सील करवाई गई हैं। बताया जा रहा है कि निगम के समारोह में पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन पुलिस के जाबांज होली के हुंडदंग में शामिल हो गए। नगर निगम के आयुक्त और उपायुक्त सरकार के प्रतिनिधि होते हैं, लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि सरकार के प्रतिनिधि भी सरकारी गाइड लाइन की धज्जियां उड़वाने में शामिल हो गए हैं। निगम की मेयर श्रीमती ब्रजलता हाड़ा जिस प्रकार उत्साह दिखाया, उसके बाद अब उन्हें कोरोना नियंत्रण के किसी भी समारोह में भाग लेने का नैतिक अधिकार नहीं है। आखिर अब श्रीमती हाड़ा किस अधिकार से लोगों को कोरोना से बचने की सीख देंगी। गंभीर बात यह है कि होली का जश्न मनाने में भाजपा और कांग्रेस के पार्षद भी एकजुट नजर आए। सवाल उठता है कि क्या ऐसा जश्न कोरोनाकाल में आम लोग मना सकते हैं?
S.P.MITTAL BLOGGER (27-03-2021)
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दिल्ली में एफ आई आर दर्ज होने का मतलब है राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने की दूसरी साजिश - गोविंद सिंह डोटासरा । तो क्या सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 और तीन निर्दलीय विधायक फिर दिल्ली जायेंगे ।अब समझ में आया डीबी गुप्ता को हटाकर राजीव स्वरूप को मुख्य सचिव क्यों बनाया गया था ।


राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा है कि केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने फोन टेपिंग के प्रकरण में दिल्ली में जो एफआईआर दर्ज करवाई है उसका मकसद राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराने की दूसरी साजिश है। सब जानते हैं कि गत वर्ष जुलाई में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस के 18 व तीन निर्दलीय विधायक जब दिल्ली गए थे तब गहलोत सरकार को गिराने की पहली साजिश बताया गया था। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पायलट के नेतृत्व में एक बार फिर कांग्रेस के विधायक दिल्ली जा रहे हैं? क्या सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत में अभी भी समझौता नहीं हुआ है? क्या सचिन पायलट अभी भी मुख्यमंत्री बनने के लिए दबाव बना रहे हैं? आखिर डोटासरा दिल्ली की एफआईआर को सचिन पायलट की पहली बगावत से क्यों जोड़ रहे हैं? यदि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों से कोई खतरा नहीं है तो फिर डोटासरा को सरकार गिराने की साजिश क्यों नजर आ रही है? एफआईआर तो सिर्फ फोन टेपिंग को लेकर हुई है ऐसी एफआईआर का सरकार गिराने से क्या संबंध है? शेखावत की एफआईआर पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच यदि जांच को आगे बढ़ाती है तो फोन टेपिंग की इजाजत देने वाले अधिकारी या फिर मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा जांच के घेरे में आ सकते हैं । इससे सरकार गिरने का कोई खतरा नहीं है। अशोक गहलोत की सरकार तो तभी गिरेगी जब सचिन पायलट गत वर्ष जुलाई माह जैसी बगावत करेंगे। इसमें कोई दो राय नहीं सचिन पायलट की बगावत के बारे में ज्यादा जानकारी डोटासरा को ही होगी। डोटासरा सीएम गहलोत के ना केवल भरोसेमंद मंत्री हैं, बल्कि सत्तारूढ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं ऐसे डोटासरा को सरकार और संगठन की सारी जानकारी होती है। यदि सचिन पायलट फिर से बगावत कर रहे हैं तो इसे रोकने की जिम्मेदारी भी डोटासरा की ही है पायलट के समर्थकों की अपनी पीड़ा है, दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री का पद अशोक गहलोत ने हड़प लिया तो जुलाई 2020 में डोटासरा ने पायलट से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष का पद भी छीन लिया। ऐसे में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक क्या करेंगे यह डोटासरा ही अच्छी तरह जानते हैं इसलिए शायद शेखावत की एफआईआर को सरकार गिराने की साजिश से जोड़ा जा रहा है। सरकार गिराने की साजिश की बात कहने का मतलब सचिन पायलट पर अविश्वास प्रकट करना है । मौजूदा समय में गहलोत सरकार के पास 196 विधायकों में से 110 से भी ज्यादा का समर्थन प्राप्त है। भाजपा की 71 विधायक में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने पहले ही सेंध लगा रखी है, इसलिए भाजपा अपने विधायकों के दम पर सरकार गिराने की स्थिति में नहीं है।  
तो इसलिए बनाया राजीव स्वरूप को मुख्य सचिव :
गत वर्ष जब डीबी गुप्ता को हटाकर अचानक राजीव स्वरूप को प्रदेश का मुख्य सचिव बनाया गया था तो कई सवाल उठे थे । लेकिन अब फोन टेपिंग के प्रकरण से पता चला कि राजीव स्वरूप ने गृह सचिव की हैसियत से जो वफादारी की दिखाई उस कारण ही मुख्य सचिव के पद से नवाजा गया । क्योंकि ज्यादातर आईएएस लालची होते हैं इसलिए डीबी गुप्ता भी मुख्य सचिव के पद से हटाए जाने पर चुप रहे। अब सेवानिवृत्ति के बाद डीपी गुप्ता प्रदेश के मुख्य सूचना आयुक्त के पद पर कार्य कर रहे हैं । जानकारों की माने तो फोन टेपिंग की अनुमति गृह सचिव की हैसियत से राजीव स्वरूप ने ही दी थी इसलिए शेखावत ने एफआईआर में राजीव स्वरूप को भी आरोपी बनाया है । यदि राजीव स्वरूप की वफादारी नहीं होती तो पुलिस विभाग द्वारा टेप किए गए फोन की ऑडियो क्लिप मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा के पास नहीं पहुंचती । गहलोत के सबसे भरोसेमंद मंत्री शांति धारीवाल ने 17 मार्च को विधानसभा में स्वीकार किया कि ऑडियो क्लिप लोकेश शर्मा ने ही वायरल की है। धारीवाल ने भीलवाड़ा के अशोक सिंह व ब्यावर के भरत मालानी के फोन टेप करने की बात स्वीकारी है। शेखावत की एफआईआर के बाद राजीव स्वरूप की वफादारी की जरूरत और बढ़ गई है । हो सकता है कि अगले कुछ दिनों में राजीव स्वरूप को किसी सरकारी पद पर बैठा दिया जाए । फिलहाल आईएएस से सेवानिवृत्ति के बाद राजीव स्वरूप ठाले ही बैठे हैं । हालांकि गहलोत सरकार ने मुख्य सचिव के तौर पर राजीव स्वरूप का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव किया था लेकिन केन्द्र सरकार ने नामंजूर कर दिया । बाद में 10 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाया गया । आर्य की पांचों अंगुलियां घी में तथा सिर कढ़ाही में है । इसे गहलोत सरकार की मेहरबानी ही कहा जाएगा कि आर्य की पत्नी श्रीमती संगीता आर्य को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना रखा है ।
S.P.MITTAL BLOGGER (27-03-2021)
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Friday 26 March 2021

राजस्थान के फोन टेपिंग मामले की जाँच अब दिल्ली पुलिस करेगी।केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दिल्ली में एफआईआर दर्ज करवाई।बढ़ सकती है राजस्थान पुलिस की मुसीबत, कोर्न टेपिंग के आधार पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ था।

राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार और पुलिस जिस फोन टेपिंग मामले को साधारण समझ रही थी। वह फोन टेपिंग का मामला अब सरकार और पुलिस के लिए मुसीबत बन सकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार केन्द्रीय जल कृषि मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत ने दिल्ली के तुगलक रोड़ स्थित पुलिस स्टेशन पर एफआईआर दर्ज करवा दी है। जानकारी के अनुसार शेखावत ने अपने शिकायत में राजस्थान के मंत्री शांति धारीवाल द्वारा विधानसभा में दिये गये बयान को आधार बनाया है। धारीवाल ने अपने बयान में स्वीकार किया है कि गत वर्ष जुलाई माह में पुलिस इंस्पेक्टर विजय कुमार राय ने ब्यावर, अजमेर के भरत मालानी और जोधपुर के अशोक सिंह दोनो के फोन टेप किए थे। उस फोन टेपिंग से पता चला कि राज्य में सरकार गिराने की साजिश हो रही है। धारीवाल ने यह भी स्वीकार किया कि फोन टेपिंग का ऑडियो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी लोकेश सिंह ने वायरल किया। इसी आधार पर सरकार के मुख्य संचेतक महेश जोशी ने राजद्रोह के 3 मुकदमें दर्ज करवाए। एक मुकदमा फोन टेप करने वाले इंस्पेक्टर विजय कुमार ने दर्ज करवाया। इन मुकदमों के आधार पर ही राजस्थान पुलिस गत वर्ष जुलाई और अगस्त माह में विधायकों और केन्द्रीय मंत्री शेखावत से पूछताछ करने के लिए दिल्ली तक गई। धारीवाल ने अपने बयान में स्पष्ट कहा कि सरकार ने किसी भी विधायक अथवा केन्द्रीय मंत्री का फोन टेप नहीं करवाया। लेकिन जिन दो व्यक्तियों के फोन नियमानुसार टेप किये गये उनकी बातचीत से कई लोगों के नाम सामने आये। धारीवाल का यह भी कहना रहा कि अशोक सिंह और भरत मालानी के फोन अवैध हथियारों और विस्फोटकों सामग्री की तस्करी की जानकारी लेने के लिए किए गए थे, लेकिन जब कोई जानकारी नहीं मिली तो मुकदमों में एफआर लगा दी गई। असल में फोन टेपिंग मामले को गहलोत सरकार और राजस्थान पुलिस जितना सरल समझ रही थी उतना मामला अब सरल नहीं रहा है। सू्त्रों के अनुसार केन्द्रीय मंत्री शेखावत ने दिल्ली पुलिस को जो सबूत दिए हैं उसमें आधार पर मामला बहुत गंभीर हो गया है। सवाल यह भी है कि भरत मालानी और अशोक सिंह क्या विस्फोटक प्रदार्थ और अवैध हथियारों के कारोबार से जुड़े हुए थे, क्या 2 व्यक्तियों की आपसी बातचीत को राजद्रोह माला जा सकता है? पूरा प्रदेश जानता है कि इन मुकदमों के आधार पर ही पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और कांग्रेस के विधायकों को नोटिस तक जारी किए गए थे। 
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हरियाणा और पंजाब को छोड़कर किसानों के भारत बंद का असर नहीं दिखा। कांग्रेस शासित राजस्थान में कुछ शहरों में सिर्फ प्रदर्शन हुआ।


दिल्ली की सीमा पर धरने को 120 दिन पूरे होने के उपलक्ष में भारतीय किसान यूनियन ने 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया था, लेकिन पंजाब-हरियाणा को छोड़कर भारत बंद का असर कहीं भी देखने को नहीं मिला। कृषि कानूनो के घोर विरोधी माने जाने वाले का न्यूज़ चैनल एनडीटीवी पर भी हरियाणा और पंजाब के ही दृश्य दिखाए गए। बंद के असर को देखते हुए रेल प्रशासन ने भी पंजाब और हरियाणा की ट्रेनों को ही रद्द किया हालांकि दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों ने 26 मार्च को अपने धरने को प्रभावी बनाया लेकिन दिल्ली महानगर में अधिकांश बाजार खुले रहे। हालांकि किसान यूनियन ने संपूर्ण भारत बंद का आह्वान किया था लेकिन यह आह्वान सफल नहीं हो सकता। उत्तर प्रदेश महाराज जैसे बड़े राज्यों में भी बंद नहीं देखा गया। केंद्र सरकार के किसी कानून के विरोध में किसान नेता राकेश टिकैत ने भले ही पंश्चिम बंगाल में किसान महापंचायत की थी, लेकिन बंद का असर बंगाल में भी नहीं देखा गया कांग्रेस ने भी बंद का समर्थन किया था लेकिन कांग्रेस शासित राजस्थान में भी बाजार बंद नहीं हो सके। कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं ने अनेक शहरों में सिर्फ प्रदर्शन किया कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने बाजार बंद नहीं करवाए। यानि कांग्रेस शासित राजस्थान में भी बंद का असर देखने को नहीं मिला है माना जा रहा है कि अब किसानों का आंदोलन कमजोर पड़ रहा है। इसकी मुख्य वजह किसान आंदोलन में राजनीतिक दलों खासकर कांग्रेस की भूमिका को माना जा रहा है राजस्थान में राज्य टिकट की महापंचायत कांग्रेस के विधायकों एवं नेताओं की उपस्थिति देखी गई। टिकैत ने जिस तरह पश्चिम बंगाल जाकर पंचायतें की उससे भी आंदोलन पर प्रतिकूल असर पड़ा। दिल्ली की सीमाओं पर धरने में भी किसानों की संख्या लगातार घट रही है भारत बंद की विफलता से ही आंदोलन को धक्का लगेगा।
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भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शानदार इस्तकबाल कर बांग्लादेश ने पाकिस्तान और उसके कट्टरपंथियों को करारा जवाब दिया। फारूक अब्दुल्लाह महबूबा मुफ्ती असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेता बताएं कि एक प्रधानमंत्री की इससे ज्यादा और क्या सफलता हो सकती है ?


पड़ोसी और मुस्लिम राष्ट्र बांग्लादेश में 26 मार्च को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शानदार इस्तकबाल हुआ । बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने राजधानी ढाका के एयरपोर्ट पर पहुंचकर नरेंद्र मोदी का स्वागत किया। मोदी के लिए बांग्लादेश में रेड कारपेट बिछाया गया। दो दिवसीय दौरे के पहले दिन मोदी ने बांग्लादेश के विपक्षी नेताओं से भी मुलाकात की। बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शेख मुजीब उर रहमान और भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन पर आधारित चित्रों की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी मोदी ने कियायानी मोदी की आवभगत में बांग्लादेश में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। प्रधानमंत्री शेख हसीना दिनभर मोदी के साथ रही। सब जानते हैं कि पाकिस्तान से अलग होकर ही बांग्लादेश बना है। पाकिस्तान की तरह बांग्लादेश भी मुस्लिम राष्ट्र है लेकिन भारत के प्रति जो रुख पाकिस्तान का है वैसा बांग्लादेश का नहीं है। पाकिस्तान की सरकार और पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथी जिस प्रकार भारत के खिलाफ जहर उगलते हैं वैसी स्थिति बांग्लादेश देश की नहीं है हालांकि बांग्लादेश में भी भारत विरोधी ताकते सक्रिय हैं लेकिन वहां शेख हसीना जैसी प्रधानमंत्री भी है जो भारत की एहसानमंद है। बांग्लादेश के सकारात्मक रुख को देखते हुए ही भारत ने कोरोना वैक्सीन के 90 लाख डोज बांग्लादेश को दिए हैं जबकि पाकिस्तान ने चीन से वैक्सीन मंगाई। गंभीर बात यह है कि चीन की वैक्सीन लगवाने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कोरोना संक्रमित हो गए 26 मार्च को जिस शानदार तरीके से नरेंद्र मोदी का इस्तकबाल हुआ उससे बांग्लादेश ने पाकिस्तान को भी करारा जवाब दे दिया है । पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और वहां कट्टरपंथी भले मोदी की आलोचना करें लेकिन बांग्लादेश ने बता दिया है कि भारत हमारा परम मित्र हैं। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने पर पाकिस्तान ने दुनियाभर के मुस्लिम राष्ट्रों का समर्थन मांगा था, लेकिन पाकिस्तान को पड़ोसी बांग्लादेश का भी समर्थन नहीं मिला। इससे पाकिस्तान को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए । पाकिस्तान ही नहीं बल्कि भारत में फारूक अब्दुल्लाह महबूबा मुफ्ती असदुद्दीन ओवैसी जैसे मोदी विरोधी नेताओं को भी बांग्लादेश के इस्तकबाल से सबक लेना चाहिए फारुख, महबूबा और ओवैसी जैसे नेता जिन नरेंद्र मोदी को मुस्लिम विरोधी बताते है, उन्हीं नरेंद्र मोदी का एक मुस्लिम राष्ट्र में शानदार इस्तकबाल हो रहा है। इससे ज्यादा ही एक प्रधानमंत्री की सफलता और क्या हो सकती है? यदि नरेंद्र मोदी की मुस्लिम विरोधी छवि होती तो बांग्लादेश में इस्तकबाल के लिए रेड कारपेट नहीं बिछाया जाता भारत और पाकिस्तान में बैठे मोदी विरोधी नेता कुछ भी कहे लेकिन भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव भी है। हमारे पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश का माहौल एक जैसा है। इतना ही नहीं 54 नदियां दोनों देशों में बहती है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि दोनों देश के बीच इन नदियों का कितना महत्व होगा। विधानसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भले ही नरेंद्र मोदी के लिए अभद्र भाषा का इस्तेमाल करें लेकिन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मोदी को एक मददगार इंसान बताया है। शेख हसीना का कहना है कि भारत ने बांग्लादेश की हर मौके पर मदद की है शेख हसीना ने दौरे के दौरान जिस प्रकार नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की उससे फारुख, महबूबा और ओवैसी जैसे नेताओं के कथन झूठे साबित हो रहे हैं। बांग्लादेश ने स्पष्ट कर दिया है कि भारत की कीमत पर चीन से दोस्ती नहीं की जाएगी। चीन जब भारत के पड़ोसी देशों को अपनी और करने में लगा हुआ है तब नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश में इस्तकबाल अंतरराष्ट्रीय मंच पर बहुत मायने रखता है। निसंदेह बांग्लादेश के दौरे का असर पश्चिम बंगाल के चुनाव पर भी पड़ेगा।
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Thursday 25 March 2021

पाथ-वे के निर्माण का मतलब आनासागर के भराव क्षेत्र के कब्जों को वैध ठहराया नहीं है-अविनाश शर्मा।अजमेर कब्जों पर स्थिति स्पष्ट करें अजमेर प्रशासन-धर्मेश जैन जी-माल के निकट पाथ-वे निर्माण पर खातेदार को हाईकोर्ट से स्टे मिला।


राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीट के न्यायाधीष अषोक कुमार गौड़ ने अजमेर के वैषाली नगर स्थित जी-माल के निकट पाथ-वे निर्माण को लेकर यथास्थिति कायम रखने के आदेष दिए हैं। इस आदेष के बाद अब जी-माल के निकट आनासागर में कोई चार बीघा भूमि पर पाथ-वे का निर्माण करना मुष्किल होगा। यह आदेष 25 मार्च को खातेदार रामेष्वर लाल की याचिका पर दिया गया है। खातेदार के वकील एस.के. सक्सैना और आषीष सक्सैना का कहना रहा कि अजमेर विकास प्राधिकरण ने भूमि अधिग्रहण की जो प्रक्रिया अपनाई है, वह दोषपूर्ण है। अधिग्रहण की अधिसूचना के दो वर्ष के अंदर अवार्ड जारी नहीं किया गया और ना ही अभी तक खातेदार को भूमि का मुआवजा दिया गया है। दोषपूर्ण अधिग्रहण के अंतर्गत ही खातेदार की भूमि पर स्मार्ट सिटी योजना में पाथ-वे बनाया जा रहा है। इस संबंध में प्राधिकरण के वकील का कहना रहा कि प्राधिकरण संबंधित खातेदार की भूमि पर कोई निर्माण कार्य नहीं कर रहा है।
कब्जों को वैध ठहराना उद्देष्य नहीं:
स्मार्ट सिटी परियोजना के एडिशनल चीफ इंजीनियर अविनाश शर्मा का हना रहा कि आनासागर के चारों तरफ पाथ-वे के निर्माण का यह मतलब नहीं है कि भराव क्षेत्र के अवैध कब्जों को वैद्य माना जा रहा है। कब्जाधारियों पर लगातार कार्यवाही हो रही है। जो मामले अदालतों में लम्बित है उनमें भी प्रभावी कार्यवाही की जा रही है। शर्मा ने माना कि पाथ-वे के निर्माण के बाद आनासागर में कुछ स्थानों पर मिट्टी डालकर कब्जा करने की कोषिष हो रही है, ऐसे तत्वों के खिलाफ प्रषासन को रिपोर्ट दे दी गई है। प्रषासन नियमों के अंतगत सख्त कार्यवाही करेगा। मौजूदा समय में बगैर किसी विवाद के पाथ-वे का निर्माण किया जा रहा है, ताकि शहरवासियों को आनासागर के किनारे घूमने का अवसर मिल सके। जिन भी व्यक्तियों ने आनासागर के भराव क्षेत्र में निर्माण किए है, उनके विरूद्व कार्यवाही हो रही है। आनासागर का भराव क्षेत्र नो कंस्ट्रेक्षन जोन घोषित है, इसलिए कोई पक्का निर्माण नहीं हो सकता है। शर्मा ने कहा कि अनेक खातेदारों ने पाथ-वे के निर्माण के लिए अपनी भूमि सरेंडर की है। यहां यह उल्लेखनीय है कि आनासागर की भूमि खातेदार की है, लेकिन खातेदार भूमि पर तभी काबिज होगा, जब पानी भरा न हो। खाली जमीन पर भी सिर्फ खेती की जा सकती है। आनासागर में पक्के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध है, लेकिन अनेक खातेदारों ने अधिकारियों से मिलीभगत कर भराव क्षेत्र में पक्के निर्माण कर लिए है। भराव क्षेत्र में ही कई आवासीय कॉलोनियां भी बन गई हैं।
प्रषासन स्थिति स्पष्ट करें: 
नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष रहे और वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मेष जैन ने कहा है कि आनासागर में हुए अवैध कब्जों पर प्रषासन को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। आनासागर के अंदर पाथ-वे के निर्माण से असमंजस की स्थिति हो गई है। स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत आनासागर के किनारे जो पाथ-वे का निर्माण हो रहा है, वह कई स्थानों पर आनासागर के एक किलोमीटर अंदर हो रहा है, ऐसे में सवाल उठता है कि पाथ-वे से पहले जो अवैध निर्माण हुए है, क्या वे वैध हो गए हैं। कई भू-माफियाओं ने पाथ-वे के निर्माण के बाद आनासागर के भराव क्षेत्र में मिट्टी डालकर भूमि पर कब्जा कर लिया है। जैन ने आरोप लगाया कि स्मार्ट सिटी के इंजीनियर और प्रषासन के अधिकारियों की मिलीभगत से आनासागर पर कब्जा किया जा रहा है। पाथ-वे का निर्माण भविष्य में आनासागर के लिए घातक होगा। प्रषासन को पाथ-वे से पहले वो सभी निर्माणों और कब्जों को तत्काल हटाना चाहिए। 
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पश्चिम बंगाल के चुनाव के मौके पर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपने देश की आजादी से जुड़े समारोह में मुख्य अतिथि बनाया है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी क्या कर सकते हैं ? लेकिन इस अक्लमंदी वाली राजनीति को विपक्ष को भी समझना होगा।

पश्चिम बंगाल में जब 27 मार्च को पहले चरण का मतदान होगा, तब 26 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बांग्लादेश की आजादी के 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर ढाका में मौजूद रहेंगे। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मोदी को खास तौर से आमंत्रित किया है। मुस्लिम राष्ट्र बांग्लादेश के समारोह में मोदी का मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित रहना राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने रखता है। सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल की सीमा बांग्लादेश से लगी हुई है और बंगाल में बांग्लादेश से घुसपैठ होने का मुद्दा हमेशा बना रहता है। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बांग्लादेशी घुसपैठियों का समर्थक माना जाता है। जबकि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा घुसपैठ की विरोधी रही है। लेकिन अब उसी बांग्लादेश के समारोह में नरेन्द्र मोदी को मुख्य बनाया गया है। विपक्ष इस मुद्दे को राजनीत से जोड़कर आलोचना भी कर सकता है, लेकिन सवल उठता है कि ऐसी अक्लमंदी वाली राजनीति विपक्ष क्यों नहीं करता ? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी बांग्लादेश की सरकार आमंत्रित कर सकती थी, लेकिन शायद ममता के नकारात्मक रवैए को देखते हुए आमंत्रित नहीं किया। ममता तो अपने ही देश में नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री मानने से इंकार करती हैं। बंगलादेश के सरकारी समारोह में आमंत्रित तो कांग्रेस के नेता राहुल गांधी को भी किया जाना चाहिए था, क्योंकि राहुल गांधी की दादीजी श्रीमती इंदिरा गांधी भारती की प्रधानमंत्री थी, तथी 1971 में भारतीय सेना ने बंगलादेष को आजाद करवाया। यह माना कि नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री के नाते आमंत्रित किया गया है, लेकिन एक मुस्लिम राष्ट्र के आजादी से जुड़े समारोह में भारत के प्रधानमंत्री की उपस्थिति अंतराष्ट्रीय मंच पर विषेष महत्व रखती है। कुछ लोग भारत में भले ही मोदी को मुस्लिम विरोधी करार दें, लेकिन शेख हसीना ने मोदी को ही मुख्य अतिथि बना कर विरोधियों को जवाब दे दिया है। 26 मार्च को बंगलादेश की आजादी की 50वीं सालगिरह के समारोह में जब मोदी भाषण देंगे तो पश्चिम बंगाल के मतदाता खास कर मुस्लिम मतदाता भी ध्यान से सुन रहे होंगे। बंगलादेश में होने वाली हर घटना का असर पश्चिम बंगाल पर पड़ता है। मोदी 26 मार्च को न केवल सार्वजनिक समारोहों में भाषण देंगे बल्कि अनेक मंदिरों में भगवान के दर्षन भी करेंगे। यानि मुस्लिम राष्ट्र में मौजूदगी के बाद भी अपनी सनातन संस्कृति का ख्याल रखेंगे। मोदी के बंगलादेश के दौरे का असर पश्चिम बंगाल के चुनाव पर पड़ता है तो इससे विपक्षी दलों को सीख लेनी चाहिए। बांग्लादेश का दौरा पश्चिम बंगाल के चुनाव के दौरान नहीं बना, बल्कि एक वर्ष पहले प्लानिंग की गई होगी, लेकिन ऐसी प्लानिंग तभी हो सकती है, जब आप अक्लमंद हों। मोदी को कवर करने के लिए देश-विदेश का मीडिया 24 मार्च को ही बांग्लादेश की राजधानी ढाका पहुंच गया है। टीवी चैनलों पर ढाका से लाइव प्रोग्राम शुरू हो गए हैं। 
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तो क्या राजस्थान में होलिका दहन नहीं हो सकेगागृह विभाग के प्रेस नोट से असंमजस की स्थितिराज्य सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर होली का त्यौहार मनाने और शब-ए-बारात के आयोजनों पर रोक लगाई।अजमेर नगर निगम के प्रोग्राम पर भी तलवार लटक


क्या राजस्थान में 28 मार्च को होलिका दहन के आयोजन नहीं हो सकेंगे? ये सवाल राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी एक प्रेस नोट के बाद उठा है। 23 मार्च को जारी प्रेस नोट के आधार पर ही 25 मार्च को प्रदेश के अखबारों में खबरें प्रकाशित हुई हैं, प्रेस नोट में कहा गया है कि कोरोना गाइड लाइन के अंतर्गत 28 व 29 मार्च को सभी सार्वजनिक स्थलों पर होली के त्यौहार के आयोजन और शब-ए-बारात के धार्मिक प्रोग्राम नहीं हो सकेंगे। सब जानते हैं कि समापन संस्कृति में विश्वास रखने वाले हिन्दू समुदाय के लोग होलिका दहन करते हैं। इस बार भी होलिका का दहन 28 मार्च को शाम को होगा। परम्परा के अनुसार गली-मौहल्लों और बाजारों के चौराहों पर होलिका को सजाया जाता है और फिर अग्मि को समर्पित किया जाता है। होलिका दहन के अवसर पर क्षेत्रवासी भी एकत्रित होते हैं। होलिका का दहन भक्त प्रहलाद की कहानी से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि होलिका दहन से बुराइयों को अन्त होता है। सनातन संस्कृति में होलिका दहन का धार्मिक दृष्टि से खास महत्व होता है। हालांकि सरकार के प्रेस नोट में होलिका दहन को लेकर कोई बात नहीं लिखी गई है, लेकिन स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 28 व 29 मार्च को सार्वजनिक स्थलों पर किसी भी प्रकार के आयोजनों पर रोक लगाई गई है। सरकार ने लोगों ने अपील की है कि वे होली और शब-ए-बारात के प्रोग्राम अपने घरों पर ही करें। सरकार के इस आदेश के बाद होलिका दहन के कार्यक्रमों को लेकर असमंजस की स्थिति हो गई है। क्योंकि होलिका दहन के कार्यक्रमों में क्षेत्रवासी एकत्रित होते हैं इसलिए लोगों को सरकारी कार्यवाही होने का डर भी सता रहा है। होलिका दहन के कार्यक्रमों को लेकर प्रशासन का कोई भी अधिकारी स्पष्ट बोलने को तैयार नहीं है। यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि शब-ए-बारात के अवसर पर मुस्लमान समुदाय के लोग कब्रिस्तान में जाकर अपने पूर्वजों की कब्रों पर दुआ करते हैं। अजमेर में ख्वाजा दरगाह के अन्दर रात भर इबादत के कार्यक्रम होते हैं। दरगाह में होने वाले इबादत के कार्यक्रम को लेकर भी असंमजस हो रहा है।
निगम के प्रोग्राम पर तलवार
होली के अवसर पर अजमेर नगर निगम के पार्षदों और अधिकारियों की ओर से प्रतिवर्ष फाग उत्सव का आयोजन किया जाता है इस बार भी 26 मार्च को निगम का कार्यक्रम होना है निगम के आयुक्त खुशाल यादव ने बताया कि फाग उत्सव के लिए जिला प्रशासन से अनुमति मांगी गई है। यदि अनुमति मिलती है तो प्रोग्राम आयोजित किया जाएगा। इस सम्बन्ध में सिटी मजिस्ट्रेट गजेन्द्र सिंह राठौड़ का कहना रहा कि अभी गृह विभाग के आदेशों का अध्ययन किया जा रहा है।
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महाराष्ट्र के गृहमंत्री की वसूली को लेकर पुलिस कमिश्नर द्वारा पत्र लिखा जाना बहुत गंभीर मामला है, लेकिन पहले इस मामले की सुनवाई हाईकोर्ट में हो - सुप्रीम कोर्ट100 करोड़ की वसूली के मामले में मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे को जवाब देने की जरूरत नहीं है। - शिवसेनालोकसभा में स्वास्थ्य बिल पर केन्द्र सरकार की प्रशंसा की शिवसेना ने


महाराष्ट्र के पुलिस महानिरीक्षक (होमगार्ड) परमबीर सिंह ने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह वसूली को जो आरोप लगाया है उस प्रकरण की सुनवाई 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में हुई। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि यह मामला बहुत गंभीर है। कुछ चीजे सार्वजनिक होने से कई लोगों की छवि खराब होती है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकत्र्ता परमबीर सिंह के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि इस मामले को हाईकोर्ट में दायर क्यों नहीं किया गया? इस पर रोहतगी ने महाराष्ट्र की आंतरिक स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यथा निर्देश जारी करने चाहिए। रोहतगी को कहना रहा कि परमबीर सिंह ने पूरे मामले की जाँच सीबीआई से करवाने की मांग की है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को महाराष्ट्र के हाईकोर्ट में दायर किया जाए। कोर्ट का यह भी कहना रहा कि पत्र में जिन लोगों पर आरोप लगाये गये हैं उन्हें भी पक्षकार बनाया जावे। इसके साथ ही कोर्ट ने परमबीर की याचिका खारिज कर दी। परमबीर के वकील रोहतगी ने कहा कि 24 मार्च को ही हाईकोर्ट में नई याचिका दायर की जायेगी। इस बीच शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि परमबीर ने जो आरोप लगाये हैं उनका जवाब मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे को देने की जरुरत नहीं है उन्होंने कहा कि पत्र के आधार पर कोई दोषी नहीं हो जाता। संजय राउत ने गृहमंत्री अनिल देशमुख के इस्तीफे से भी इंकार कर दिया। वहीं 24 मार्च को लोकसभा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखरेख आयोग विधेयक 2021 पर बोलते हुए शिवसेना के सांसद डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदे ने केन्द्र सरकार की जमकर प्रशंसा की। शिंदे ने कहा कि कोरोना काल में केन्द्र सरकार ने शानदार प्रबंधन किये। उन्होंने कहा कि इस बिल से स्वास्थ्यकर्मियों के साथ-साथ आम लोगों को भी अच्छी सेवाएं मिलेंगी। उन्होंने माना कि डॉ. हर्षवर्धन के नेतृत्व में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय बेहतरीन काम कर रहा है। डॉ. शिंदे महाराष्ट्र के कल्याण संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं।
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शक्तिसिंह शेखावत ने सचिव के पद पर रहते हुए अजमेर विधिक सेवा प्रदाधिकरण को प्रभावी पहचान दिलवाई।


सत्र न्यायाधीश स्तर के न्यायिक अधिकारी शक्तिसिंह शेखावत ने अब दिल्ली स्थित राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार (मुख्यालय) का पद संभाल लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान से संबंधित प्रकरणों में हाईकोर्ट का यह न्यायिक पद बहुत महत्वपूर्ण होता है। शेखावत इससे पहले अजमेर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव रहे। एडीजे स्तर के अधिकारी शेखावत ने अजमेर में रहते हुए विधिक सेवा प्राधिकरण को प्रभावी पहचान दिलवाई। आम लोगों को कानून और उनके अधिकारों की जानकारी देने के लिए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में शिविर लगाए तथा लोक अदालत के माध्यम से आपसी सहमति से प्रकरणों का निपटारा भी करवाया। वर्षों पुराने तलाक के मामलों पति-पत्नी के बीच राजीनामा भी करवाया। आज कई परिवार खुशी के साथ रह रहे हैं। जन समस्याओं के निराकरण में भी प्राधिकरण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई शिकायतों का तो स्थायी लोक अदालत के माध्यम से निपटारा करवाया तथा अनेक शिकायतों के संबंध में उच्च अधिकारियों को पत्र लिखे। विधिक सेवा प्राधिकरण के पत्रों को संबंधित अधिकारियों ने भी गंभीरता के साथ लिया। इस मामले में शेखावत की साफ-सुथरी और प्रभावी छवि काम आई। शेखावत ने लगातार सक्रियता से पुलिस थानों पर रिपोर्ट ही लिखें के मामले भी आने लगे। इसे शेखावत की संवेदनशीलता ही कहा जाएगा कि प्राधिकरण में आने वाली हर शिकायत को गंभीरता के साथ देखा गया। जिला और पुलिस प्रशासन के साथ अच्छे संबंध होने के कारण ही प्राधिकरण का तालमेल बना रहा। प्रशासन ने भी प्राधिकरण के काम-काज को सफल बनाने में सक्रियता दिखाई। ग्रामीण क्षेत्रों में विधिक शिविर लगाने में प्राधिकरण को प्रशासन को पूरा सहयोग मिला। इसमें कोई दो राय नहीं की शेखावत ने अपने ढ़ाई वर्ष के कार्यकाल में अजमेर जिला विधिक एवं प्राधिकरण की प्रभावी पहचान बनाई। प्राधिकरण के अध्यक्ष जिला एवं सत्र न्यायधीश होते हैं। शेखावत को अपने कार्यकाल में अध्यक्ष का भी पूरा सहयोग मिला। 
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युवाओं के जोश और उत्साह के साथ अजमेर में लगी शहीदे आजम भगत सिंह की प्रतिमा।युवा पीढ़ी ले सकेगी प्रेरणा - शोभाराम गहरवाल स्वतंत्रता सैनानी।शहीद भगत सिंह नौजवान सभी की प्रेरणादायक पहल।अजमेर के सुभाष उद्यान की दुर्दशा सुधारने की मांग।


क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह, सुखदेव एवं राजगुरु के बलिदान दिवस पर 23 मार्च को अजमेर के बी.के.कौल नगर स्थित अम्बे विहार आवासीय कॉलोनी के सार्वजनिक पार्क में सरदार भगत सिंह की प्रतिमा का अनावरण हुआ। प्रतिमा का अनावरण करते हुए 93 वर्षीय स्वतंत्रता सैनानी शोभाराम गहरवाल ने कहा कि इस प्रतिमा से युवा पीढ़ी देशभक्ति की प्रेरणा ले सकेगी। गहरवाल ने कॉलोनी की विकास समिति के पदाधिकारियों से आग्रह किया कि पार्क में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े साहित्य को भी रखा जाए। प्रतिमा स्थापित करने के लिए गहलवाल ने शहीद भगत सिंह नौजवान सभा का आभार जताया। इस अवसर पर मौजूद आरएएस अधिकारी हेमंत स्वरूप माथुर ने कहा कि जब युवा पीढी का ध्यान कम्प्यूटर और टीवी पर केन्द्रित है तब भगत सिंह नौजवान संस्था ने क्रांतिकारी भगत सिंह की प्रतिमा लगाने का काम किया है जो युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक है। अजमेर के पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत ने कहा कि कॉलोनी के पार्क में भगत सिंह के उन पत्रों को रखा जाए, जो उन्होंने जेल में रहते अपने परिजनों को लिखे। भगत सिंह के पत्र पढ़कर युवा पीढ़ी को पता चलेगा कि आजादी की कितनी कीमत चुकानी पड़ी है। समाजसेवी सुभाष काबरा ने कहा कि आज देश का जो माहौल है उसमें देशभक्ति की सख्त जरूरत है। देशभक्ति भगत सिंह को पढऩे और समझने से ही मिल सकती है। भगत सिंह नौजवान सभा के प्रमुख विजय तत्ववेदी ने कहा कि देशभक्ति के जज्बे को और मजबूत करने के लिए उनकी संस्था लगातार प्रयासरत है। बजरंग चौराहे के निकट शहीद स्मारक का जीर्णोद्धार भी संस्था की ओर से किया गया। भगत सिंह की प्रतिमा को बनवाने और पार्क में स्थापित करने का खर्च भी संस्था के पदाधिकारियों ने वहन किया है। अम्बे विहार समिति के प्रमुख कुलवंत सिंह ने पार्क में प्रतिमा स्थापित करने के लिए संस्था का आभार प्रकट किया। प्रतिमा अनावरण के अवसर पर देशभक्ति के गीतों की प्रस्तुति भी दी गई। गायक यशवंत, महेश, चंचल, एतराज आदि ने अपने गीतों से माहौल को देशभक्तिपूर्ण बना दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में गुरुविंदर सिंह, सेहमी, पवित्र कोठारी, प्रमोद जैन , विरल काबरा, रमेश सोनी, शिवरतन वैष्णव, गोविन्द स्वरूप उपाध्याय, अशोक पहलवाल, धर्मेन्द्र सिंह चौहान, मनोज सेन, भुपेन्द्र सिंह राठौड़, पुनीत दाधिच, चन्द्र मोहन प्रजापति, शेर सिंह मुकुल खत्री आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई। नौजवान सभा की गतिविधियों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9636007744 पर विजय तत्ववेदी (मिन्नी भाई) से ली जा सकती है।
सुभाष उद्यान की दुर्दशा सुधारी जाए :- 
अजमेर शहर व्यापारिक महासंघ के अध्यक्ष किशन गुप्ता, अशोक जिंदल और प्रवीण जैन ने नगर निगम के आयुक्त खुशाल पारख को एक पत्र लिखकर सुभाष उद्यान की दुर्दशा को सुधारने की मांग की है। गुप्ता ने कहा कि केन्द्र सरकार की योजना के अंतर्गत 13 करोड़ रुपए खर्च कर सुभाष उद्यान का सौन्दर्यीकरण किया गया, लेकिन मात्र एक वर्ष बाद ही उद्यान का बुरा हाल हो गया है। पानी के अभाव में पेड़-पौधे और घास सूख रही है। उद्यान में पांच-पांच हजार रुपए की कीमत वाले पेड़ लगाए गए। इसी प्रकार करोड़ों रुपया लाइट डेकोरेशन पर खर्च किया, लेकिन अब लाइटें भी बंद पड़ी है। फव्वारे बंद पड़े हैं। यहाँ तक की व्यायामशाला के उपद्राण भी खराब पड़े हैं। पत्र में मांग कई गई है कि उद्यान की समुचित देखभाल की जाए। यह दुर्दशा तब हो रही है जब लोगों से 5 रुपया प्रवेश शुल्क लिया जा रहा है। हालांकि सुबह घुमने वालों के लिए प्रवेश नि:शुल्क है। 
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Wednesday 24 March 2021

मगरा-मेरवाड़ा क्षेत्र के समुचित विकास हेतु बजट आवंटन हेतु रखी मांग- सांसद भागीरथ चौधरी नियम 377 के तहत अविलम्बनीय लोक महत्व के बिन्दू के तहत उठाया मुद्दा मगरा विकास बोर्ड को संवैधानिक दर्जा देकर केन्द्र सरकार के अधीन लिया जाए


अजमेर सांसद श्री भागीरथ चौधरी ने लोकसभा बजट सत्र मंे आज नियम 377 के तहत  बेलट में नाम आने पर अविलम्बनिय लोक महत्व के बिन्दू के अन्तर्गत आज अजमेर संसदीय क्षेत्र के मगरा-मेरवाड़ा क्षेत्र के समुचित विकास  हेतु बजट आवंटन एवं आवश्यक स्वीकृतियां जारी कराने हेतु पुरजोर ढंग से मांग रखी और संसद में लिखित माध्यम से केन्द्र सरकार को अवगत कराया कि राजस्थान का हृदय स्थल अरावली क्षेत्र अजमेर के पास नरवर से कामली घाट के पास दिवेर के बीच 125 किलोमीटर लम्बे व 20 किलोमीटर चौड़े छोटे-छोटे पहाडी क्षेत्र को मगरा नाम से जाना जाता हैं जो वर्तमान में दो लोकसभा क्षेत्रों यथा राजसमन्द व अजमेर मे फैला हुआ है जिसमें अजमेर संसदीय क्षेत्र के मसूदा, नसीराबाद तथा राजसमन्द संसदीय क्षेत्र के ब्यावर, जैतारण, भीम आदि कुल 5 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। इस परिक्षेत्र से मुख्य रूप से रावत व मेहरात जाति का बाहुल्य हैं। हालांकि  बाकी अन्य जातियां भी यहां निवासरत हैं। सन् 1822 में इस क्षेत्र के वासिंदों के लिए ब्रिटिश हुकुमत ने 144 अजमेर मेरवाड़ा लोकल बटालियन का गठन किया था  जिसका मुख्यालय नया नगर (ब्यावर) था। जिसे 1944 में बिना किसी कारणवश उक्त बटालियन को भंग कर दिया गया था। ब्रिटिश काल में मेरवाड़ा जिला अलग था जिसका मुख्यालय ब्यावर था। गत वर्षों में दमदार राजनितिक प्रतिनिधित्व नहीं होने के कारण इस मगरा क्षेत्र का उचित विकास नहीं हो पाया हैं। इस परिक्षेत्र की प्रमुख आवश्यकता एवं मांगे निम्नानुसार हैं उस पर शीघ्र सक्षम कार्यवाही निष्पादित करावें -
01. वर्ष 1998 तक सेना भर्ती मुख्यालय जो अजमेर में था उसे पुनः अजमेर लाया जाये।
02. कश्मीरी स्काउट की भर्ती की तर्ज पर अविभाजित मगरा वासियों के लिए विशेष भर्तीयों की कम्पनीयां खुलनी चाहिए।
03. मगरा विकास बोर्ड को संवैधानिक दर्जा देकर केन्द्र सरकार के अधीन लाना चाहिए।
04. मगरा क्षेत्र में सैनिकों एवं पूर्व सेनिकों की संख्या को दृष्टिगत रखते हुए नये सेनिक स्कूल खोले जाने चाहिए।
05. पूर्व में एन टी सी (नेशनल टेक्सटाइल कॉर्पोरेशन ऑफ इण्डिया) की तीन कपड़ा मीलें चलती थी उन्हें पुनः शुरू कराने के प्रयास करने चाहिए। ताकि समुचित रोजगार की उपलब्धता हो सके।
यदि उक्त सभी आवश्यकताओं पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह पथरीला क्षेत्र फिर से पिछड़ जायेगा। अतः आप अविलम्ब अजमेर संसदीय क्षेत्र के मगरा-मेरवाड़ा क्षेत्र का समुचित विकास कराने हेतु आगामी बजट 2021 -22 के विभागीय कार्ययोजनाओं में आवश्यक सक्षम स्वीकृति जारी करा कर राहत प्रदान करावें। ताकि समूचे मगरा मेरवाड़ा क्षेत्र एवं इसके वासिन्दों को विभिन्न सरकारी जनकल्याणकारी योजनाओं का समुचित लाभ मिल सके।
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Tuesday 23 March 2021

कंगना के बाद अब महाराष्ट्र की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने खोला मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे के खिलाफ मोर्चा।शिव सेना के सांसद अरविंद सांवत की धमकी पर कहा - हिम्मत है तो मुझे जेल में डालकर दिखाएँ?उद्योगपति मुकेश अंबानी के ब्लैकमेल करने के मामले में उलझी हुई है ठाकरे सरकार।


22 मार्च को अमरावती (महाराष्ट्र) की निर्दलीय सांसद नवनीत राणा ने लोकसभा में उद्वव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की सरकार पर जमकर हमला बोला। मुंबई के पुलिस कमीश्नर रहे परमबीर सिंह और इंस्पेक्टर सचिन वाजे के रिश्तों को लेकर राणा ने सीधे मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे को कटघरे में खड़ा किया है। राणा ने कहा कि जब किसी सरकारी कर्मचारी का निलम्बन होता है तो उसके घर में दो वक्त की रोटी का भी संकट खड़ा हो जाता है, लेकिन 17 वर्ष तक निलम्बित रहे सचिव वाजे लग्जरी कारों में घूमते रहे। शिव सैनिक बन कर वाजे ने ऐश-ओ-आराम की जिन्दगी व्यतीत की और जब उद्वव ठाकरे मुख्यमंत्री बने तो वाजे का निलम्बन रद्द हो गया। लोकसभा में जिस तीखे अंदाज में राणा ने सीधे सीएम ठाकरे पर हमला बोला उसके मद्देनजर शिवसेना के सांसद अरविंद सांवत ने लोकसभा परिसर में ही राणा को धमकी दे दी। इस धमकी के बाद राणा और भड़क गईं। राणा ने कहा कि यदि हिम्मत है तो उसे जेल में डालकर दिखाएँ। इसमें कोई दो राय नहीं कि नवनीत राणा अब शेरनी की दहाड़ लगा रही है। शिव सेना का बचाव करना मुश्किल हो रहा है। पूर्व में जब अभिनेत्री कंगना रनौत ने उद्वव ठाकरे पर हमला बोला था तो कंगना का मुंबई स्थित दफ्तर तोड़ डाला गया। शिव सेना के इशारे पर फिल्मी कलाकारों ने कंगना की आलोचना की। यहाँ तक कहा गया कि कंगना मुंबई और महाराष्ट्र की संस्कृति को नहीं समझती है, लेकिन सवाल उठता है अब राणा के हमले पर शिव सेना क्या कहेगी? नवनीत राणा न केवल मराठी है, बल्कि 15-20 लाख मतदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाली जन प्रतिनिधि भी है। पार्टी के टिकट पर तो जीत आसान होती है, लेकिन राणा तो अमरावती से संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय जीत कर आई है। लोकसभा के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार की जीत बहुत मायने रखती है। शिव सेना और उद्वव ठाकरे अभिनेत्री कंगना की तरह नवनीत राणा पर द्वेषतापूर्ण कार्यवाही करते हैं तो इस बार महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार को महंगा पड़ेगा। कांग्रेस और शरद पंवार के समर्थन से चल रही शिव सेना की गठबंधन सरकार पहले ही उद्योगपति मुकेश अंबानी को ब्लैकमेल करने के प्रकरण में उलझी हुई है। अब तक की जाँच में यह साफ हो गया है कि जिस पुलिस इंस्पेक्टर सचिन वाजे को मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे ने बहाल किया, उसी वाजे ने मुकेश अंबानी को ब्लैकमेल करने की योजना बनाई थी। योजना के तहत ही अंबानी के घर के निकट स्कॉर्पियो कार में विस्फोटक सामग्री रखी गई। बाद में कार के मालिक हिरेन मनसेख को भी मौत के घाट उतार दिया गया। अब तो महाराष्ट्र के डीजी पद पर रहते हुए परमबीर सिंह ने ही गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। सचिव वाजे अभी शिव सेना और उद्वव ठाकरे के कई राज खोल सकता है। वाजे एनआईए के रिमांड पर है।
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राकेश टिकैत की महापंचायत के लिए कांग्रेस ने जयपुर में आलीशान पंडाल तो बनवाया,लेकिन किसान नहीं आए।कोरोना की गाइड लाइन के बीच जयपुर पुलिस ने कैसे दी महा पंचायत की अनुमतिl


23 मार्च को राजस्थान के जयपुर में विद्याधर नगर के स्टेडियम में कांग्रेस ने किसान नेता राकेश टिकैत की महा पंचायत के लिए आलीशान पांडाल तो बनवा दिया, लेकिन किसान नहीं आए। यही वजह रही कि मंच पर भी टिकैत के साथ किसानों से ज्यादा कांग्रेस नेता मौजूद थे। किसानों की भीड़ नहीं जुटने के कारण पांडाल खाली पड़ रहा। प्रचार माध्यमों में कहा गया था कि तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की महा पंचायत दोपहर 12 बजे शुरु होगी, लेकिन डेढ़ बजे तक विद्याधर नगर के स्टेडियम में मुश्किल से 300 लोग भी एकत्रित नहीं हुए। उम्मीद थी कि राकेश टिकैत का नाम सुनकर जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र के लोग आ जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अलबत्ता जयपुर शहर के कांग्रेस विधायकों और पार्षदों की पहल पर कुछ शहरी लोग एकत्रित हुए। दावा किया गया था कि महा पंचायत में एक लाख लोग जुटेंगे। लेकिन पांडाल में कुछ हजार लोग ही नजर आए। आलीशान पांडाल बनवाने में कांग्रेस की ओर से कोई कसर नहीं छोड़ी गई। भीड़ नहीं जुटने से राकेश टिकैत भी मायूस नजर आए। इस महा पंचायत का महत्व इसलिए भी था कि यह शहीदे आजम भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान दिवस पर विशेष तौर से आयोजित की गई थी। लेकिन राजनीति के चलते ऐसे पवित्र मौके पर भी लोग नहीं जुटे। ऐसा नहीं कि देश के लिए बलिदान देने वालों के प्रति लोगों की आस्था कम है, लेकिन जब कोई आयोजन राजनीति से प्रेरित होता है तो उसके उद्देश्य को भी धक्का लगता है। यहाँ यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि प्रदेश में कोरोना के बढ़ते केसेज को देखते हुए राज्य सरकार ने दो दिन पहले ही नई गाइड लाइन जारी की है। इसमें प्रमुख शहरों में नाइट कफ्र्यू के साथ शादी-ब्याह के समारोहों में 200 लोगों की संख्या सीमित की गई है। 31 मार्च तक पूरे देश में धारा 144 लागू की गई है। आम लोगों के लिए इतनी पाबंदियों के बावजूद भी जयपुर पुलिस ने राकेश टिकैत को जयपुर शहर में किसान महा पंचायत करने की अनुमति दे दी। एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंदिरों में भगवान के दर्शन करने के लिए ऑनलाइन दर्शन के निर्देश दे रहे हैं, वहीं कोरोना वायरस की परवाह किए बगैर जयपुर शहर में महा पंचायत करवाई जा रही है। राकेश टिकैत को यदि कांग्रेस का समर्थन नहीं होता तो जयपुर पुलिस कभी भी किसान महा पंचायत की अनुमति नहीं देती। जब अंतिम संस्कार में 20 व्यक्तियों की अनुमति दी जा रही है, तब हजारों लोगों के एक साथ जुटने की अनुमति देना, कितना घातक होगा? इसका जवाब सिर्फ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही दे सकते हैं। असल में केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को कोसने वाला कोई व्यक्ति कोरोनाकाल में भी राजस्थान में सार्वजनिक समारोह कर सकता है। राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। खुद मुख्यमंत्री गहलोत केन्द्र सरकार के घोर विरोधी हैं। गहलोत की भावनाओं के अनुरूप ही राकेश टिकैत से जयपुर में केन्द्र सरकार और प्रधानमंत्री की आलोचना की।
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Monday 22 March 2021

पश्चिम बंगाल के चुनाव में एनआरसी का मुद्दा महत्वपूर्ण होगा। भाजपा की सरकार बनी तो कानून लागू हो जाएगा।

देश के पाँच राज्यों में हो रहे चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव की है। दोनों प्रमुख राजनीतिक दल टीएमसी और भाजपा ने अपना-अपना घोषणा-पत्र जारी कर दिया है। दोनों के घोषणा पत्र में विकास के अनेक वायदे किए हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा संशोधित नागरिकता कानून (एनआरसी) को लेकर है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी की ओर से कहा गया है कि तीसरी बार सरकार बनी तो हम पश्चिम बंगाल में एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे। जबकि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में साफ कहा है कि भाजपा की सरकार बनने पर एनआरसी को लागू करेंगे। कहा जा सकता है कि अब पश्चिम बंगाल का पूरा चुनाव एनआरसी के मुद्दे पर ही लड़ा जाएगा। चूंकि बंगाल में 27 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम है इसलिए एनआरसी का मुद्दा महत्वपूर्ण है। ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के लोग इस कानून को भले ही मुस्लिम विरोधी करार दें, लेकिन भाजपा का मानना है कि एनआरसी के मुद्दे पर बंगाल के मुसलमानों के वोट भी भाजपा को मिलेंगे। कानून लागू होने से बंगाल के मुसलमानों के वोट भी भाजपा को मिलेगा। कानून लागू होने से बंगाल के मौजूदा किसी भी मुसलमान की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है। यह कानून पड़ौसी देशों से घुसपैठ रोकने के लिए है तथा पाकिस्तान और बंगाल देश से धर्म के आधार पर प्रताडि़त होकर आने वालों के नागरिकता देने के लिए है। जब यह कानून बंगाल के मुसलमानों के विरुद्ध है ही नहीं तो कानून से डरने की कोई जरूरत नहीं है। यही वजह है कि भाजपा की सभाओं में इस कानून के बारे में विस्तार से जानकारी दी जा रही है। हालांकि ममता बनर्जी अपनी हर सभा में भाजपा को मुस्लिम विरोधी बता रही है। ममता का प्रयास है कि 27 प्रतिशत मुसलमानों के वोट एक मुश्त प्राप्त कर लिए जाए तथा कुछ प्रतिशत वोट बंगालियों के प्राप्त कर तीसरी बार भी सरकार बना ली जाए, लेकिन इस बार मुस्लिम मतदाताओं पर कांग्रेस और लेफ्ट के गठबंधन ने भी मजबूत दावेदारी जताई है। इस गठबंधन में फुर-फुरा शरीफ भी शामिल हो गये है। इससे इस बार मुसलमानों के कुछ वोट ममता से छिटकने की संभावना है। असदुद्दीन औवेसी का पार्टी एआईएनआईएम के उम्मीदवार भी इस बार प्रभावी तरीके से बंगाल में चुनाव लड़ रहे हैं। 
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अजमेर के गौरव पथ के डिवाइडर पर खुले आम हो रहा है पक्का निर्माण। स्मार्ट सिटी बनाने वाले अधिकारियों और इंजीनियरों की आंखों पर पट्टी।



प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर कोई दो हजार करोड़ रुपए की लागत से अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजमेर शहर को इन दिनों स्मार्ट सिटी बनाया जा रहा है। लेकिन इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि अजमेर के वैशालीनगर स्थित गौरव पथ (क्रिश्चियनगंज) के डिवाइडर पर खुले आम पक्का निर्माण हो रहा है। डिवाइडर पर पहले से ही एक धार्मिक स्थल बना हुआ है और इस स्थल के पास ही पान की दुकान, गन्ने का रस का ठेला आदि भी लगे हुए हैं। अब अतिक्रमणकारी और पक्का निर्माण कर रहे हैं। गंभीर बात यह है कि डिवाइडर पर पक्का निर्माण पिछले दो-तीन दिन से हो रहा है। सीमेन्ट, बजरी, सरिया, कंकरीट आदि सामग्री बड़ी मात्र में पड़ी हुई है, लेकिन स्मार्ट सिटी बनाने वाले किसी भी अधिकारी, इंजीनियर आदि को यह पक्का निर्माण नजर नहीं आ रहा है। क्षेत्रीय पार्षद भी आंखों पर पट्टी बांधे बैठे हैं। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि डिवाइडर पर बनी अवैध दुकानों से जब लोग सामान खरीदते हैं तो सड़के दोनों ओर खड़े हो जाते हैं, जिससे दुर्घटना की संभावना बनी रहती है। स्मार्ट सिटी बनाने वाले अधिकारियों और इंजीनियरों पर पहले ही आनासागर के भराव क्षेत्र से अतिक्रमण नहीं हटाने के आरोप लग रहे हैं। सवाल किसी एक विभाग का नहीं है, जब शहर को स्मार्ट बनाया जा रहा है तो सभी विभागों की जिम्मेदारी है। स्मार्ट सिटी योजना का महत्व इसी से लगाय जा सकता है कि सरकार ने जिला कलेक्टर को योजना का सीईओ बना रखा है और प्रदेश के नगरीय विकास विभाग के प्रमुख शासन सचिव को चेयरमैन बनाया गया है। इतने महत्व के बाद भी गौरवपथ के डिवाइडर पर पक्का निर्माण हो तो फिर सरकारी अमले पर सवालिया निशान लगता है। डिवाइडर पर निर्माण होने से स्मार्ट सिटी की खुबसूरती भी प्रभावित होती है। एक ओर गौरव पथ के निकट आनासागर के किनारे शानदार पाथ-वे बनाया गया है तो दूसरी ओर सामने बने डिवाइडर पर पक्का निर्माण हो रहा है।
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अनिल देशमुख के मामले में शरद पंवार का झूंठ उजागर।आखिर शरद पंवार और उद्वव ठाकरे महाराष्ट्र के डीजी परमवीर सिंह पर कार्यवाही क्यों नहीं करते?आजादी के बाद देश में सत्ता की लूट-खसोट का यह पहला उदाहरण है। गांधी परिवार का कोई भी सदस्य नहीं कर रहा ट्वीट

22 मार्च को एनसीपी अध्यक्ष शरद पंवार ने एक प्रेस कांफ्रेस पर कहा कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख कोरोना के कारण 5 से 15 फरवरी तक नागपुर के अस्पताल में भर्ती थे तथा 16 से 27 फरवरी तक घर पर आइसोलेट थे ऐसे में मुंबई पुलिस के आयुक्त परमबीर का यह आरोप गलत है कि फरवरी में अनिल देशमुख ने इंस्पेक्टर सचिन वाजे को बुलाकर 100 करोड़ रुपए मांगे थे। पंवार की प्रेस कांफ्रेंस के दौरान ही भाजपा ने अनिल देशमुख की 15 फरवरी की प्रेस कांफ्रेंस का वीडियो जारी कर दिया जब देशमुख प्रेस कांफ्रेंस कर सकते हैं तो फिर सचिव वाजे ने मुलाकात क्यों नहीं कर सकते? भाजपा ने कहा कि शरद पंवार का झूठ पकड़ा गया है। 
22 मार्च को एनसीपी के प्रमुख शरद पंवार का बयान सामने आया है, जिसमें कहा गया है कि महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के रुतबे में कोई कमी नहीं होगी। पंवार अपनी पार्टी के मंत्रियों को बचाने के लिए ऐसा ही बयान देंगे, लेकिन आजादी के बाद देश में सत्ता की लूट खसोट का यह पहला उदाहरण होगा। पंवार का कहना है कि परमवीर सिंह ने मुंबई पुलिस के कमीशनर पद पर रहते हुए गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रुपए का वसूली वाला आरोप क्यों नहीं लगाया? पंवार का यह बयान बेहद हास्यास्पद है क्योंकि परमवीर सिंह अभी भी महाराष्ट्र के पुलिस महा निदेशक (होमगार्ड) के पद पर कार्यरत हैं। यानि अभी भी परमबीर सिंह मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे और गृहमंत्री अनिल देशमुख के अधीन ही कार्य कर रहे हैं। यदि परमवीर ने गलत आरोप लगाएं हैं तो शरद पंवार को सख्त कार्यवाही करवानी चाहिए। उद्वव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार आखिर शरद पंवार के समर्थन में चल रही है। यदि शरद पंवार एनसीपी का समर्थन वापस ले लें तो ठाकरे सरकार तत्काल गिर जाएगी। सवाल उठता है कि पंवार उस ठाकरे सरकार को क्यों टिकाए हुए हैं जिसका एक डीजी गृहमंत्री अनिल देशमुख को बेईमान ठहरा रहा है? देशमुख मानहानि का मुकदमा तो करते रहेंगे, लेकिन पहली कार्यवाही सीएम उद्वव ठाकरे को करनी चाहिए। महत्वपूर्ण बात यह है कि परमवीर ने अनिल देशमुख के गृहमंत्री के पद पर रहते हुए 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह रिश्वत मांगने का आरोप लगाया है। पंवार का कहना है कि आरोप के साथ सबूत नहीं है। पंवार का यह बयान यहाँ भारत की गांधीवादी के पक्ष वाला ही है। जिस प्रकार गांधारी ने अपनी आंखों पर जानबूझकर पट्टी बांध रखी थी, उसी प्रकार शरद पंवार ने परमवीर सिंह को पढऩे के लिए आंखों पर पट्टी बांध रखी है। पत्र में दिए सबूतों के बाद भी यदि पंवार को नजर नहीं आ रहे हैं तो फिर पत्र की जाँच सीबीआई या एनआईए के करवा लेनी चाहिए। एनआईए ने जिस प्रकार उद्योगपित मुकेश अंबानी के प्रकरण में सबूत जुटाए है, उसी प्रकार परमवीर के पत्र के मद्देनजर भी भ्रष्टाचार के सबूत एकत्रित कर लिए जाएंगे। जहाँ तक उद्वव ठाकरे का सवाल है तो वे अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी को बचाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं। शरद पंवार कहेंगे तो वे अनिल देशमुख को गृह विभाग की जगह वित्त विभाग का प्रभारी बना देंगे, ताकि प्रतिमाह एक हजार करोड़ तक की वसूली हो सके। देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई और कृषि के क्षेत्र में अग्रणीय महाराष्ट्र से एक हजार करोड़ रुपए प्रतिमाह वसूले जा सकते हैं। छोटे-बड़े उद्योगपति सत्ता के संरक्षण की एवज में रिश्वत देने के लिए लाइन में खड़े हैं। शिवसेना माने या नहीं 100 करोड़ रुपए की वसूली वाले प्रकरण में मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे भी संदेह के घेरे में हैं। सबसे बड़ा संदेह तो यही है कि इतनी बदनामी के बाद भी अनिल देशमुख गृहमंत्री और परमवीर सिंह महाराष्ट्र के पुलिस महा निदेशक के पद पर बने हुए हैं। डीजी स्तर के अधिकारी खुले आरोप के बाद भी उद्वव ठाकरे अनिल देशमुख को मंत्री बनाए हुए हैं। सवाल कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे गांधी परिवार के सदस्यों पर भी उठता है। सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी तक छोटी-छोटी घटनाओं पर ट्वीट करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र की इतनी बड़ी घटना पर गांधी परिवार का कोई ट्वीट देखने को नहीं मिला, जबकि इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने का गांधी परिवार को पूरा अधिकार है। शिवसेना के नेतृत्व वाली ठाकरे सरकार को कांग्रेस के 44 विधायकों का समर्थन है। यदि गांधी परिवार भी समर्थन वापस ले ले तो महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार गिर जाएगी। हालांकि कांग्रेस के लिए 100 करोड़ रुपए का मामला कोई बड़ा नहीं होगा, क्योंकि अकेला टू जी स्क्रेप्टम घोटाला एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का था। लेकिन महाराष्ट्र वाले प्रकरण में गांधी परिवार के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि मंत्री और डीजी दोनों अपने पदों पर कायम हैं।
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Saturday 20 March 2021

राजस्थान में 75 अरब में से 62 अरब रुपए की राशि किसानों के नाम से गलत लोगों ने ले ली।क्या अशोक गहलोत की सरकार अब ये राशि वापस केन्द्र सरकार के खाते में जमा करवाएगी?चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के परिवार द्वारा ली जा रही किसान सम्मान निधि की भी जांच हो-भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी।

20 मार्च को दैनिक भास्कर के अंदर के पृष्ठों पर एक महत्वपूर्ण खबर प्रकाशित हुई है, इस खबर में बताया गया है कि कांग्रेस शासित राजस्थान में किस तरह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की राशि का दुरुपयोग हो रहा है। केन्द्र सरकार इस योजना की राशि राज्य सरकार द्वारा दी गई सूची के आधार पर ही जरूरतमंद किसानों को भुगतान करती है। 6 हजार रुपए प्रतिवर्ष दी जाने वाली यह राशि सीधे पात्र किसानों के खाते में डाली जाती है। यदि भास्कर की खबर सही है तो राजस्थान में अब तक सात किश्तों में 75 अरब 66 करोड़ 59 लाख 84 हजार रुपए का भुगतान किया जा चुका है। लेकिन जांच में यह पाया गया कि 62 अरब 16 करोड़ 64 लाख 68 हजार रुपए की राशि उन किसानों या अमीरों को दी गई, जो इस योजना के दायरे में नहीं आते हैं। अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान में इस योजना का किस तरह दुरुपयोग हो रहा है। विभाग के प्रमुख शासन सचिव कुंजीलाल मीणा कहना है कि अब अपात्र किसानों से राशि वसूल कर केन्द्र सरकार के खाते में जमा करवाई जाएगी। लेकिन सवाल उठता है कि क्या अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अपात्र किसानों से राशि वापस ले पाएगी। सवाल यह भी है कि आखिर अपात्र किसानों की सूची राज्य सरकार ने केन्द्र को क्यों दी? जांच में पता चला है कि जिन मालदार लोगों के पास कृषि भूमि है उन्होंने भी गरीब किसान बनकर किसान सम्मान निधि की राशि प्राप्त कर ली। ऐसे लोगों के पास लक्जरी कारें शानदार बंगले आदि की सुविधाएं हैं। यहां तक कि डॉक्टर, इंजीनियर, उद्योगपति, सांसदों और विधायकों के परिवार के सदस्यों तथा सरकारी अधिकारियों तक ने गरीब किसान बनकर राशि हड़प ली। जबकि नियमानुसार इनकम टैक्स देने वाला व्यक्ति इस योजना में शामिल नहीं हो सकता है। इसी प्रकार 10 हजार रुपए से अधिक पेंशन प्राप्त करने वाला व्यक्ति भी किसानों की यह राशि नहीं ले सकता। डॉक्टर, इंजीनियर, सीए, वकील आर्किटेक्ट आदि वर्ग के लोगों को भी योजना के दायरे से बाहर रखा गया है। भले ही ऐसे लोगों को पास कृषि भूमि हो। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि उन्हीं गरीब किसानों के लिए है, जिन्हें खेती के समय बीज खरीदने के लिए भी पैसों की जरूरत होती है। लेकिन राजस्थान में इस योजना का लाभ मालदार और प्रभावशाली लोगों ने उठाया।
चिकित्सा मंत्री के परिवार की जांच हो:
भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने मांग की है कि प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा के परिवार से जुड़े जिन लोगों ने किसान सम्मान निधि प्राप्त की है, उसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए। देवनानी ने बताया कि रघु शर्मा के परिवार के सदस्यों द्वारा सम्मान निधि प्राप्त किए जाने का मामला हाल ही में विधानसभा में भी उठा था। देवनानी ने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है प्रभावशाली लोग गरीब किसानों का हक मार रहे हैं। 
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राजस्थान के फोन टैपिंग का मामला भूपेन्द्र यादव ने राज्यसभा में उठाया। कांग्रेस का हंगामा।पश्चिम बंगाल में मतदान केन्द्रों पर सीआरपीएफ के जवानों को मिले वोटर आईडी चेक करने का अधिकार।

राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग मामले को 19 मार्च को भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में पुरजोर तरीके से उठाया। यादव राजस्थान से ही राज्यसभा के सांसद हैं। यादव ने कहा कि सरकार द्वारा फोन टैपिंग कराए जाने की घटना पर सत्तारूढ़ कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों की निजता को भी खतरा हो गया है। पूरे प्रदेश में भय का माहौल है। यादव के आरोपों पर कांग्रेस के सांसदों ने हंगामा किया, लेकिन यादव ने अपनी बात को पुरजोर तरीके से सदन में रखा। बाद में मीडिया से संवाद करते हुए यादव ने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को लेकर अपना विरोध जताती रहेगी। क्योंकि यह मामला प्रदेश की छह करोड़ जनता की स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। पहले खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था कि हमने किसी भी व्यक्ति का फोन टैप नहीं करवाया, लेकिन अब विधानसभा में सरकार ने स्वीकार किया है कि जोधपुर के अशोक सिंह और अजमेर ब्यावर के भरत मालानी के फोन टैप किए गए और इस ऑडियो टैप के आधार पर ही सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने राजद्रोह के तीन मुकदमें दर्ज करवाए। यादव ने कहा कि सरकार के जवाब से जाहिर है कि फोन टैपिंग कर जनप्रतिनिधियों को प्रताडि़त किया गया। अशोक गहलोत सिर्फ अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं। यादव ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस में खुद का असंतोष है, लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत हर बार भाजपा पर दोष मढ़ते हैं।
वोटर आईडी चेक करने का अधिकार मिले:
सांसद भूपेंद्र यादव भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भी हैं, इस नाते 19 मार्च को ही यादव ने एक प्रतिनिधि मंडल के साथ दिल्ली में चुनाव आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की। आयोग को दिए गए ज्ञापन में भाजपा ने मांग की कि पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए विधानसभा चुनाव में मतदान केन्द्रों पर नियुक्त सीआरपीएफ के जवानों को वोटर आईडी चेक करने का अधिकार भी दिया जाए। ताकि बंगाल में निष्पक्ष चुनाव हो सके। यादव ने कहा कि चुनाव की घोषणा के बाद भी बंगाल में हिंसा का दौर जारी है। सांसद के घरों पर बम फेंके जा रहे हैं। सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े आपराधिक तत्वों को किसी का भी डर नहीं है। पुलिस और प्रशासनिक तंत्र भी कोई प्रभावी कार्यवाही नहीं कर रहा है। ऐसे में चुनाव आयोग को ही सख्त दिशा निर्देश देने होंगे। यादव ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर बेबुनियाद आरोप लगा रही हैं। इतना ही नहीं चुनाव आयोग पर भी अपमानजनक टिप्पणियां की जा रही है। यादव ने कहा कि आयोग की पहली प्राथमिकता बंगाल में निष्पक्ष चुनाव करवाने की होनी चाहिए। 
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Friday 19 March 2021

महाराष्ट्र में अब शिवसेना को कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार चलाना मुश्किल हो रहा है।मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को हटाने के मुद्दे पर एनसीपी और शिवसेना आमने-सामने।उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटक के मामले में एनआईए की जांच सरकार के लिए मुसीबत बनी।

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ शिवसेना के मुख्य पत्र सामना में 19 मार्च को जो संपादकीय प्रकाशित हुआ है, वह गृहमंत्री अनिल देशमुख के बयान से एकदम अलग हैं। देशमुख सहयोगी दल एनसीपी के कोटे से गृहमंत्री हैं। सामना में कहा गया है कि परमबीर सिंह को पुलिस आयुक्त के पद से हटाने का मतलब यह नहीं है कि वे कोई आरोपी हैं। परमबीर ने आयुक्त के पद पर रहते हुए मुंबई पुलिस का मान बढ़ाया है। टीआरपी घोटाला, कंगना रनौत प्रकरण आदि में परमबीर ने निष्पक्ष  जांच करवाई। यही वजह है कि दिल्ली में बैठे कुछ लोग नाराज हो गए। कोरोना काल की विपरीत परिस्थितियों में भी परमबीर ने मुंबई पुलिस को सक्रिय रखा। पुलिस के कई अधिकारियों और जवानों के संक्रमित होने के बाद भी पुलिस का हौसला बुलंद रखा। जहां एक ओर शिवसेना परमबीर को मुंबई का सफल आयुक्त मान रही है, वहीं गृहमंत्री अनिल देशमुख ने स्पष्ट कहा है कि परमबीर को पुलिस के आयुक्त पद से हटाना कोई सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है। परमबीर ने आयुक्त के पद पर रहते हुए ऐसी अनेक गलतियां की है जिन्हें क्षमा नहीं किया जा सकता। देशमुख के इस बयान से साफ जाहिर है कि परमबीर को विफलताओं की वजह से हटाया गया है। देशमुख एनसीपी के कोटे से मंत्री बने हैं। देशमुख के बयान और सामना में प्रकाशित संपादकीय से जाहिर है कि महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी में दरार हो गई है और इस दरार की वजह से अब शिवसेना को सरकार चलाने में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है।  इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट मिले विस्फोटक पदार्थ का है। इस मामले में मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर अनिल वाजे की जो भूमिका सामने आई है उससे प्रतीत होता है कि वाजे को शिवसेना के कुछ नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। इतना ही नहीं वाजे अपने कार्य की रिपोर्टिंग परमबीर को करते थे। ऐसे में माना जा रहा है कि परमबीर और वाजे के बीच अनेक मामलो को लेकर तालमेल रहा। एनआईए की जांच रिपोर्ट से यह पता चला है कि मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी स्कॉर्पियो खड़ी करने और फिर स्कॉर्पियो के मालिक की मौत में सचिन वाजे की भूमिका रही है। शिवसेना की सहयोगी पार्टी एनसीपी का भी मानना है कि इससे मुंबई पुलिस की छवि खराब हुई है। परमबीर को हटाए जाने और फिर उन्हें होमगार्ड का डीजी बनाए जाने पर वरिष्ठ आईपीएस संजय पांडे भी नाराज हो गए हैं। होमगार्ड के डीजी के पद से पांडे को हटाकर ही परमबीर को नियुक्त किया गया है। पांडे का कहना है कि वे परमबीर से वरिष्ठ हैं। उनकी वरिष्ठता की अनदेखी कर उन्हें कारपोरेशन सुरक्षा का डीजी बनाया गया है। यानी अब महाराष्ट्र के पुलिस महकमे में भी खींचतान शुरू हो गई है। यह खींचतान तब हो रही है, जब मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में कोरोना की दूसरी लहर फैल रही है। देश में सर्वाधिक पॉजिटिव मरीज अब मुंबई और महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं। सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती कोरोना की दूसरी लहर से मुकाबला करने की है। लेकिन सरकार अपने ही अंतर्विरोधों में उलझी हुई है। 
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अजमेर की अरबन बैंक के मामले में सहकारिता विभाग के अधिकारी अपने ही मंत्री को गुमराह कर रहे हैं।आखिर बैंक की संपत्तियों को बेचकर जमा कर्ताओं को भुगतान क्यों नहीं किया जाता?एडीए की आयुक्त रेणु जयपाल असम में चुनाव ऑब्जर्वर नियुक्त।अग्रवाल समाज अजमेर का फाग महोत्सव 20 मार्च को।

दी अजमेर अरबन कॉ-ऑपरेटिव बैंक के जमाकर्ताओं को भुगतान नहीं मिलने के प्रकरण में 18 मार्च को विधानसभा में सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। इस पर अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा कि अगली बार मंत्री जी पूरी तैयारी के साथ आएं और प्रश्नकर्ता भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल को भरोसा दिलाया कि इस सवाल को दोबारा से सूचीबद्ध करवाया जाएगा। श्रीमती भदेल जानना चाहती थी कि बैंक के जमा कर्ताओं को भुगतान कब होगा, और बैंक के बकायेदारों कौन कौन हैं। असल में सहकारिता विभाग के अधिकारी अपने मंत्री को भी गुमराह कर रहे हैं। अजमेर में नियुक्त विभाग के अधिकारी रजिस्ट्रार के आदेशों की पालना भी नहीं कर रहे हैं। हालांकि बैंक अब दिवालिया घोषित हो चुकी है। लेकिन बैंक के पास अनेक संपत्तियां हैं। जिन्हें बेचकर जमाकर्ताओं को भुगतान दिया जा सकता है। इसके साथ ही अनेक बकायादार बैंक को बकाया राशि चुकाने को तैयार हैं। लेकिन सहकारिता विभाग के अधिकारी बैंक पर कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। बैंक में लेनदेन का कोई काम नहीं हो रहा, लेकिन फिर भी 7 कर्मचारियों को प्रतिमाह वेतन का भुगतान किया जा रहा है। जानकारों का मानना है कि यदि आपसी समझौता कर बकायादारों से भुगतान ले लिया जाए और बैंक की केसरगंज स्थित बिल्डिंग और वैशाली नगर स्थित भूखंड को बेच दिया जाए तो जमाकर्ताओं की राशि लौटाई जा सकती है। बैंक को करीब 6 हजार जमाकर्ताओं को 24 करोड़ रुपए का भुगतान करना है। भुगतान नहीं मिलने से जमाकर्ता दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। कई जमाकर्ताओं की तो मृत्यु भी हो गई है।
जयपाल चुनाव 

ऑब्जर्वर

   नियुक्त:

अजमेर विकास प्राधिकरण की आयुक्त रेणु जयपाल को असम में विधानसभा चुनाव के दौरान ऑब्जर्वर नियुक्त किया है। जयपाल के साथ राजस्थान के आईएएस केके पाठक और पी रमेश को भी ऑब्जर्वर लगाया गया है। जयपाल इन दिनों असम में ही हैं। संभवत: 22 मार्च को वे प्राधिकरण में आएंगी। राजस्थान से अनेक आईएएस को पांच राज्यों में होने वाले चुनावों में ऑब्जर्वर , पर्यवेक्षक नियुक्त किया है।
फाग महोत्सव 20 को:
अग्रवाल समाज अजमेर का फाग महोत्सव 20 मार्च को सायं चार बजे विजय लक्ष्मी पार्क में होगा। समाज के अध्यक्ष शैलेन्द्र अग्रवाल और महासचिव प्रवीण अग्रवाल ने बताया कि फाग महोत्सव में समाज के वरिष्ठजनों और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय परिणाम हासिल करने वाले विद्यार्थियों को सम्मानित किया जाएगा। इस अवसर पर भजन गायक विमल गर्ग एंड पार्टी की ओर से फाग गीतों पर भजनों की प्रस्तुति भी दी जाएगी। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9414280962 पर शैलेन्द्र अग्रवाल तथा 9530254798 पर प्रवीण अग्रवाल से ली जा सकती है। 
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राजस्थान में न खाता न बही, जो अशोक गहलोत कहे वो सही।भाजपा के प्रस्ताव पर विधायक फंड 5 करोड़ रुपए का किया। पीएम की आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा की तर्ज पर मुख्यमंत्री चिरंजीवी हेल्थ बीमा।अपनों को ही आईएएस में पदोन्नति दिलवाई। आरएएस एसोसिएशन का विरोध धरा रह गया।


मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर साफ किया है कि राजस्थान में न खाता, न बही, लेकिन गहलोत कहें वो सही। 18 मार्च को विधानसभा में जब अध्यक्ष सीपी जोशी ने विधायक फंड को बढ़ाने की बात कही तो सीएम गहलोत ने कहा कि अध्यक्ष जो आदेश करेंगे, उसके मुताबिक फंड बैठा दिया जाएगा। अध्यक्ष जोशी ने भाजपा विधायक दल के नेता और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका निभाने वाले गुलाबचंद कटारिया से विधायक फंड की राशि बताने को कहा। कटारिया ने कहा कि विधायक फंड की राशि 5 करोड़ रुपए कर दी जाए। सीएम गहलोत ने बगैर सोच विचार किए विधायक फंड को ढाई करोड़ से बढ़ाकर पांच करोड़ रुपए करने की घोषणा विधानसभा में कर दी। यानि अब एक विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र में प्रतिवर्ष 5 करोड़ रुपए के विकास कार्य करवा सकेगा। मालूम हो कि सांसद कोष भी 5 करोड़ रुपए का ही है। यानि अब राजस्थान में विधायक का फंड भी सांसद की तरह 5 करोड़ रुपए का हो गया है। यह बात अलग है कि सांसद को 8-10 विधानसभा वाले संसदीय क्षेत्र में राशि खर्च करनी पड़ती है। जबकि विधायक तो सिर्फ अपने अपने एक विधानसभा क्षेत्र में राशि खर्च करेगा। गहलोत देश के पहले एक मात्र सीएम होंगे, जिन्होंने प्रतिपक्ष के नेता के प्रस्ताव पर विधायक फंड बढ़ाया है। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा योजना की तर्ज पर राजस्थान में मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना को एक मई से लागू करने की घोषणा की। गहलोत की यह योजना कैशलेस होगी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना के दायरे में आने वाले लोगों को यह सुविधा नि:शुल्क मिलेगी, जबकि शेष जरुरतमंदों को मात्र 850 रुपए सालाना प्रीमियम पर यह सुविधा मिल जाएगी। सीएम गहलोत लोगों को राहत देने वाली घोषणाएं लगातार कर रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ विधायक कैलाश मेघवाल तो सीएम गहलोत की सार्वजनिक प्रशंसा करने लगे हैं। 18 मार्च को विधानसभा का पूरा माहौल गहलोत के पक्ष में नजर आया। विधायक फंड 5 करोड़ रुपए का होने पर भाजपा के विधायक भी खुश नजर आए। 
आईएएस में पदोन्नति:
राजस्थान प्रशासनिक सेवा को छोड़ कर सहकारिता चिकित्सा लेखा आदि की सेवाओं से जुड़े अधिकारियों की पदोन्नति के मामले में भी आखिर सीएम गहलोत की चली। आरएएस एसोसिएशन के विरोध को दरकिनार कर गहलोत सरकार ने अपने चहेतों को ही आईएएस में पदोन्नति दिलवाई। न खाता न बही की कहावत को आईएएस की पदोन्नति में भी चरितार्थ किया गया है। अन्य सेवा के जिन चार अधिकारियों को आईएएस बनवाया है, वे सभी किसी न किसी तौर पर सीएम गहलोत से जुड़े हुए हैं। गहलोत मंत्रिमंडल में महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री श्रीमती ममता भूपेश के चिकित्सक पति डॉ. घनश्याम को आईएएस बनवाया गया है। इसी प्रकार मुख्यमंत्री के सलाहकार और पूर्व आईएएस डॉ. गोविंद शर्मा की बहन हेम पुष्पा शर्मा (लेखा अधिकारी) को भी आईएएस बनवाया। कृषि मंत्री लालचंद कटारिया के निकट के रिश्तेदार सीताराम जाट को आईएएस बनवा दिया। इतना ही नहीं पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल के ओएसडी रहे शरद मेहरा को भी आईएएस बनवा कर उपकृत किया गया। इससे पहले मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना कर भी गहलोत ने कहावत को चरितार्थ किया था। डीबी गुप्ता को मुख्य सचिव और भूपेन्द्र यादव को पुलिस महानिदेशक के पद से हटाने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त और राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया, ताकि रिटायरमेंट के बाद भी वफादार अधिकारी सरकारी सुख सुविधाओं का उपयोग कर सके। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक कितना भी गहलोत का विरोध कर ले, लेकिन अब प्रदेश के राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को यह अहसास हो गया है कि वो ही होगा, जो अशोक गहलोत चाहेंगे। गहलोत की मेहरबानी होगी, तो पति मुख्य सचिव और पत्नी राजस्थान लोक सेवा आयोग की सदस्य बन जाएगी। और यदि मेहरबानी नहीं होगी, तो विधानसभा में बोलने के लिए माइक भी नहीं मिलेगा। फिर भले ही सचिन पायलट हो या रमेश मीणा। 
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Thursday 18 March 2021

आखिर कुछ प्रगतिशील महिलाओं की फंटी जींस क्यों सिलवाना चाहते हैं उत्तराखंड के सीएम तीरथ सिंह रावत। टीवी चैनलों से लेकर राज्यसभा तक में गुस्सा। जया बच्चन और प्रियंका चतुर्वेदी ने भी जताई नाराजगी।

उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत अब देश की कुछ प्रगतिशील महिलाओं के निशाने पर आ गए हैं। सीएम बनने के बाद रावत ने अतिउत्साह में 17 मार्च को एक समारोह में हवाई जहाज की यात्रा का एक संस्मरण सुना दिया। रावत का कहना रहा कि हवाई जहाज में उनकी सीट के पास दो बच्चों वाली एक महिला भी बैठी हुई थी। महिला ने पैरों में गमबूट पहने थे तथा जींस घुटनों से फटी थी। महिला ने बातचीत के दौरान बताया कि वे एक एनजीओ के साथ जुड़ कर समाज सेवा का काम करती हैं। सीएम ने कहा कि जो महिला समाज सेवा का काम करती हैं, उन्हें हमारी संस्कृति के अनुरूप आचरण भी करना चाहिए। यानी सीएम ने किसी महिला के फटी जींस पहनने पर ऐतराज जताया। अब देश की कुछ प्रगतिशील महिलाएं मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की सोच पर गुस्सा जता रही हैं। टीवी चैनलों की बहस में कहा जा रहा है कि क्या एक मुख्यमंत्री महिलाओं की फटी जींस ही देखते हैं? टीवी चैनलों पर बैठ कर फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाली महिलाओं का कहना है कि महिलाओं के संस्कार कपड़ों से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है। सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों पर अनेक प्रगतिशील महिलाएं फटी हुई जींस वाली फोटो पोस्ट कर मुख्यमंत्री को कोस रही हैं। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति का कहना है कि तीरथ सिंह भले ही मुख्यमंत्री बन गए हों, लेकिन उनका दिमाग सड़क छाप ही है। 18 मार्च को मुख्यमंत्री के बयान पर राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन और शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी नाराजगी जताई। दोनों नेत्रियों ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को महिलाओं के बारे में ऐसी अभद्र टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। कोई महिला क्या पहने और क्या नहीं? इसे तय करने का अधिकार मुख्यमंत्री को नहीं है। दोनों नेत्रियों ने सवाल उठाया कि आखिर पुरुष महिलाओं के कपड़े ही क्यों देखते हैं? हालांकि सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वाली अनेक महिलाएं मुख्यमंत्री के बचाव में आई हैं। लेकिन टीवी चैनलों पर ज्यादा शोर प्रगतिशील महिलाओं का है। इस टीवी बहस में एंकर की भूमिका महिला निभा रही है, उसमें तो पूरा माहौल ही एक तरफा है। वो सारे तर्क रखे जा रहे हैं, जिनमें महिलाओं को फटी जींस पहनने पड़ती है। टीवी चैनलों की बहस को देखते हुए ही यह सवाल उठ रहा है कि आखिर तीरथ सिंह रावत को महिलाओं की फटी जींस को सिलवाने की क्या जरुरत है? महिलाओं खासकर स्कूल, कॉलेज में पढऩे वाली बच्चियों के परिधान में अभिभावकों की भी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह माना कि विवाह के बाद कोई महिला स्वतंत्र रूप से अपने वस्त्रों का चयन कर सकती है, लेकिन जब तक वे अपने माता पिता के पास रह रही है, तब तक उन्हें अपने घर परिवार की संस्कृति के अनुरूप परिधान पहनने पड़ेंगे। अब यदि किन्हीं अभिभावकों को फटी जींस या छोटी नेकर पहनने पर ऐतराज नहीं है तो फिर अन्य लोगों को भी ऐतराज करने की जरुरत नहीं है। माता पिता की सहमति से ही बच्चियां फटी जींस अथवा छोटी नेकर पहनती हैं। तीरथ सिंह रावत को यह समझना चाहिए कि फटी जींस पहनने पर पहला ऐतराज माता-पिता या फिर ससुराल में पति और सास-ससुर का होता है। एक मुख्यमंत्री को यह अधिकार नहीं कि किन्हीं प्रगतिशील महिलाओं की फटी जींस पर टिप्पणी करें। जहां तक भारत की सनातन संस्कृति का सवाल है तो देश की करोड़ों महिलाएं परंपरागत परिधान पहनती हैं। ऐसा नहीं की साड़ी पहनने वाली महिलाएं प्रतिस्पर्धा की दौड़ में पीछे हैं। साड़ी पहनने वाली महिलाएं भी आज देश और समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभा रही हैं। साड़ी पहनने वाली महिलाएं देश के उच्च पदों पर विराजमान हैं। 
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राजस्थान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा का कहना है कि आदिवासी हिन्दू नहीं है। आदिवासियों का धर्म कोड अलग होना चाहिए।क्या राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, घोघरा के बयान से सहमत हैं? कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा ने भी नहीं दी है प्रतिक्रिया।चम्बल अभ्यारण विकास क्षेत्र का उपवन संरक्षक फुरकान अली 3 लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार

राजस्थान विधानसभा के चालू बजट सत्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस के विधायक और यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गणेश घोघरा ने कहा कि हमारा आदिवासी धर्म अलग है। हमारी संस्कृति अलग हैं। हम प्रकृति को पूजते हैं। हमें हिन्दू कहा जाता है, जबकि हिन्दू के नाम पर हमारा भी शोषण हो रहा है। हम हिन्दू नहीं है, हमारा आदिवासी धर्म कोड अलग होना चाहिए। हम पर हिन्दू धर्म थोपना बंद होना चाहिए। गणेश घोघरा का यह बयान अपने आप में महत्वपूर्ण है। अब तक तो आदिवासियों को हिन्दू ही माना जाता रहा है। जंगल में रहने वाले वनवासियों से तो भगवान राम भी जुड़े रहे। राम ने 14 वर्ष इन्हीं वनवासियों के बीच गुजारे। अब वनवासी या आदिवासियों के प्रतिनिधि राजनीतिक कारणों से हिन्दू समाज को विभाजित करने वाले बयान दे तो इसका असर संपूर्ण समाज पर पड़ेगा। चूंकि यह बयान यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश घोघरा ने दिया है, इसलिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। सचिन पायलट को कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाने के बाद गहलोत ने ही मुकेश भाकर को यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष पद से हटाकर गणेश घोघरा को अध्यक्ष नियुक्त करवाया था। गत वर्ष राजनीतिक संकट के समय गणेश घोघरा ने बीटीपी के दो विधायकों का समर्थन गहलोत को दिलवाया। यानी गणेश घोघरा सीएम गहलोत के भरोसे के हैं। यदि मुख्यमंत्री का विश्वास पात्र विधायक विधानसभा में वनवासियों को हिन्दू मानने से इंकार करे तो यह बड़ी बात है। आदिवासी वर्ग तो हमेशा से ही हिन्दू समाज की ताकत रहा है। देश के अधिकांश वन क्षेत्रों में हिन्दू परंपराओं का पालन होता है। भले ही स्थानीय स्तर पर कुछ रिवाज अलग हो, लेकिन वनवासियों को कभी भी हिन्दू समाज से अलग नहीं माना गया। कुछ वनवासी इधर-उधर चले भी गए तो उन्हें वापस लौटना पड़ा। हो सकता है कि गणेश घोघरा का बयान प्रदेश के आदिवासी क्षेत्र डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ आदि में कांग्रेस को तात्कालिक तौर पर राजनीतिक फायदा पहुंचाए, लेकिन इसके दूरगामी परिणाम देश के लिए घातक होंगे। सीएम गहलोत और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को बताना चाहिए कि वे आदिवासियों को हिन्दू मानते हैं या नहीं।
फुरकान अली गिरफ्तार:
गणेश घोघरा भले ही हिन्दू धर्म में आदिवासियों के शोषण का आरोप लगाए, लेकिन शोषण की एक वजह विकास कार्यों में भ्रष्टाचार भी होना है। सरकार जो पैसा स्वीकृत करती है उसका पूरा लाभ आदिवासियों को नहीं मिलता। बड़े अधिकारी लाखों करोड़ों रुपया डकार जाते हैं। इसका ताजा उदाहरण  18 मार्च को सवाई माधोपुर स्थित राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभ्यारण के उपवन संरक्षक फुरकान अली खत्री को 3 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा जाना है। एसीबी के डीजी बीएल सोनी ने बताया कि वन्य जीवन क्षेत्र में जल संरक्षण एवं अन्य कार्यों को करने वाले एक ठेकेदार से खत्री ने चार लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। खत्री ने कहा कि रिश्वत देने पर ही ठेकेदार के बिल पास किए जाएंगे। ठेकेदार एक लाख रुपए की राशि पहले दे चुका था। 18 मार्च को एसीबी की योजना के मुताबिक जब ठेकेदार ने 3 लाख रुपए की राशि दी तो खत्री को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया गया। अब खत्री के कोटा स्थित अनंतपुरा और सवाई माधोपुर स्थित सरकारी आवास पर तलाशी चल रही है। खत्री की गिरफ्तार से पता चलता है कि जो धनराशि वन क्षेत्रों के विकास के लिए आती है उसे सरकारी अमला हड़प कर जाता है। राजस्थान में गणेश घोघरा की पार्टी का ही शासन है। यदि उपवन संरक्षक स्तर का अधिकारी चार-चार लाख रुपए की रिश्वत ले रहा है तो आदिवासी क्षेत्रों के अन्य अधिकारियों के भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। घोघरा को यदि अपने वनवासी भाइयों को शोषण से मुक्ति दिलानी है तो भ्रष्टाचार को समाप्त करवाना होगा। 
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