Monday 31 May 2021

राजस्थान में 1 जून से बाजार खोलने पर राहत मिलना मुश्किल। जिला स्तर पर भी नहीं हो रही कोई प्रशासनिक कवायद। प्रदेश में 8 जून तक लागू है सख्त लॉकडाउन।अमरीका से आए 22 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर अजमेर में चिकित्सा विभाग को सौंपे।गौ सारथी मुहिम के तहत अब तक 300 ट्रॉली हरा चारा गायों को खिलाया।

हालांकि राजस्थान में 8 जून की सुबह 6 बजे तक सख्त लॉकडाउन की घोषणा हो रखी है। लेकिन जिस तरह पड़ौसी राज्यों में 1 जून से अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है, उसे देखते हुए राजस्थान में भी उम्मीद जताई जा रही है कि बाजार खोलने को लेकर कोई रात मिलेगी। लेकिन 31 मई को राज्य और जिला स्तर पर ऐसी कोई प्रशासनिक कवायद देखने को नहीं मिली। जिसके अंतर्गत बाजार खोले जा रहे हों। हालांकि अब प्रदेशभर में नए संक्रमित व्यक्तियों के मिलने की संख्या प्रतिदिन दो हजार ही रह गई है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बाजारों को खोलकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहते हैं। 31 मई को ही विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर वर्चुअल समारोह में गहलोत ने कहा कि पिछले दिनों संक्रमण की जो दूसरी लहर चली उसमें वेंटिलेटर भी काम नहीं आए। जिस तरह से घर परिवार और रिश्तेदारों का निधन हुआ वह अपने आप में दुखदायी है। सीएम गहलोत का यह कथन और भावनाएं बताती है कि राजस्थान में 1 जून से कोई राहत मिलना मुश्किल है। सीएम नहीं चाहते कि विगत दिनों की तरह सरकारी अस्पतालों में संक्रमित मरीजों की भीड़ आए और अनेक लोगों की मृत्यु हो जाए। जहां तक दिल्ली का सवाल है तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने औद्योगिक इकाइयों को शुरू करने और निर्माण कार्य चालू करने का निर्णय लिया है। राजस्थान में इन दोनों ही क्षेत्रों को लॉकडाउन में शामिल नहीं किया है। यानी राजस्थान में उद्योग और निर्माण स्थलों पर पहले से ही काम हो रहा है। हरियाणा में ऑड-ईवन व्यवस्था के अंतर्गत तीन-चार घंटे बाजारों को खोलने का निर्णय लिया गया है। इसी प्रकार पड़ौसी राज्य गुजरात में भी बाजारों को अनलॉक करने का काम शुरू हो गया है। लेकिन राजस्थान में ऐसी कोई प्रक्रिया अभी तक अपनाने का निर्णय नहीं लिया गया है। इससे प्रतीत होता है कि प्रदेश में 8 जून की सुबह तक सख्त लॉकडाउन लागू रहेगा। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में संक्रमण के मामले कम हो जाने के बाद भी 15 जून तक लॉकडाउन लगाए रखने की घोषणा कर दी गई है। राजस्थान में किराना, बेकरी, डेयरी आदि की दुकानें लॉकडाउन में भी सप्ताह में चार दिन प्रातः 6 बजे से 11 बजे तक खुली रखी जा रही है। इनमें शराब की दुकानें भी शामिल हैं। फल और सब्जी के ठेले को तो शाम पांच बजे तक माल बेचने की छूट है।
22 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर सौंपे:
राजस्थान महिला कल्याण मंडल चचियावास की ओर से 31 मई को 22 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर चिकित्सा विभाग को सौंपे गए हैं। संस्थान के निदेशक राकेश कौशिक ने बताया कि अमरीका में सक्रिय सामाजिक संस्था विभा ने यह कंसंट्रेटर भिजवाए हैं। महिला कल्याण मंडल की ओर से अमरीका की संस्थाओं को आग्रह किया गया था। कौशिक ने बताया कि सभी 22 कंसंट्रेटर अब अजमेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के स्वास्थ्य केन्द्रों पर दिए जाएंगे। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 7976157902 पर राकेश कौशिक से ली जा सकती है।
300 ट्रॉली चारा:
अजमेर की सामाजिक संस्था सारथी आपके साथ द्वारा चलाई गई गौ सारथी मुहिम में अब तक 300 ट्रॉली हरा चारा गायों को खिलाया जा चुका है। एक ट्रॉली चारे की कीमत करीब 1 हजार 500 रुपए प्रति है। संस्था के अध्यक्ष मनीष गोयल और देवेन्द्र गुप्ता ने बताया कि हरा चारा नगर निगम की पंचशील स्थित गौशाला में दिया जाता है। नगर निगम की ओर से गायों को इसी गौशाला में रखा जाता है। लोग अपने जन्मदिन, विवाह की वर्षगांठ आदि के अवसर पर गायों के लिए धनराशि दे इसके लिए लगातार मुहिम चलाई जा रही है। इस मुहिम के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9928086468 पर मनीष गोयल से ली जा सकती है। 
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डॉक्टरों के साथ विवाद में अब बाबा रामदेव ने अपनी ओर से फिल्म अभिनेता आमिर खान को मैदान में उतारा।राजस्थान के लोकप्रिय आईएएस समित शर्मा से जुड़ा सत्यमेव जयते के प्रोग्राम का वीडियो पोस्ट किया और कहा हिम्मत हो तो आमिर खान पर कार्यवाही करवाएं।इस प्रोग्राम में ब्रांडेड और जेनेरिक दवाइयों को लेकर चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं।बाबा को अपनी जुबान पर लगाम लगाने की भी जरूरत है।

देशभर के डॉक्टरों की प्रतिनिधि संस्थान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एलोपैथी पद्धति को लेकर चल रहे विवाद में अब योग गुरु बाबा रामदेव ने अपनी ओर से फिल्म अभिनेता आमिर खान को मैदान में उतार दिया है और चुनौती दी है कि यदि हिम्मत हो तो आमिर खान के खिलाफ कार्यवाही करवाएं। मालूम हो कि बाबा ने अपने एक संबोधन में एलोपैथी को मूर्खतापूर्ण विज्ञान कहा था। हालांकि बाबा ने यह बयान वापस ले लिया, लेकिन एसोसिएशन ने बाबा पर मानहानि का मुकदमा दर्ज करवा दिया और डॉक्टर वर्ग बाबा की गिरफ्तारी की मांग कर रहा है। इस विवाद में बाबा ने 29 मई को फिल्म अभिनेता आमिर खान के टीवी सीरियल सत्यमेव जयते के 27 मई 2012 को प्रसारित कडी का करीब ढाई मिनट का वीडियो पोस्ट किया है। बाबा के इस वीडियो को मेरे फेसबुक पेज  www.facebook.com/SPMittalblog   पर देखा जा सकता है। भले ही यह प्रोग्राम 9 वर्ष पहले प्रसारित हुआ हो, लेकिन बाबा ने अब इसे डॉक्टरों के साथ विवाद में हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है। आमिर खान के इस वीडियो के बारे में बताने से पहले वर्ष 2012 में राजस्थान की स्थिति के बारे में बताना जरूरी है। अशोक गहलोत दूसरी बार मुख्यमंत्री 2008 से 2013 के लिए बने थे, तब गहलोत ने प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क दवा योजना शुरू की थी। तब युवा आईएएस डॉ. समित शर्मा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के प्रदेश में निदेशक थे। डॉ. शर्मा ने ही सीएम गहलोत के समक्ष जेनरिक दवाओं का फार्मूला रखा और प्रदेशभर के अस्पतालों में जेनरिक दवाएं नि:शुल्क उपलब्ध करवाई। तब पूरे देश में सीएम गहलोत के साथ साथ डॉ .समित शर्मा की भी वाहवाही हुई। डॉ. शर्मा की लोकप्रियता को देखते हुए ही तब आमिर खान ने अपने टीवी सीरियल सत्यमेव जायते में डॉ. समित शर्मा को बुलाया और ब्रांडेड व जेनेरिक दवाओं के बारे में देशवासियों को जानकारी दी। इसी प्रोग्राम में डॉ. शर्मा ने बताया कि ब्रांडेड के नाम पर बाजार में किस तरह महंगी दवाइयां बेची जा रही है। आमिर के सवाल पर डॉ. शर्मा ने कहा कि मैं एक डॉक्टर होने के नाते एक पतली दुबली लड़की को सलाह देता हंू कि वह भैंस का एक गिलास दूध प्रतिदिन सेवन करे, लेकिन समस्या तब होती है जब लड़की को कहा जाता है कि दूध रामू की भैंस का ही होना चाहिए। ब्रांडेड होते ही दूध में 500 रुपए लीटर का हो जाता है, जबकि बाजार में भैंस का दूध मात्र 30 रुपए (2012 में) प्रति लीटर में मिल जाता है। आमिर के अगले सवाल पर डॉ. शर्मा ने कहा कि डायबिटीज की एक ब्रांडेड गोली 107 रुपए में मिलती है, जबकि इसी साल्ट की जेनरिक की दस गोलियां एक रुपए 95 पैसे में मिल जाएंगी। इसी प्रकार ब्लड कैंसर में काम आने वाली दवा का ब्रांडेड पाउडर का पैकेट सवा लाख रुपए में मिलता है, जबकि जेनरिक पाउडर की कीमत 1 हजार पांच सौ रुपए से लेकर 10 हजार 800 रुपए तक ही है। डॉ. शर्मा ने कहा कि मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं में कोई फर्क नहीं है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि मरीजों को ब्रांडेड दवाएं लेने के लिए ही कहा जाता है। डॉ. शर्मा ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़े बताते हुए कहा कि देश में 65 प्रतिशत आबादी को आवश्यक दवाएं भी उपलब्ध नहीं हो रही है इसका मुख्य कारण यही है कि बाजार में ब्रांडेड दवाएं वास्तविक कीमत से बहुत ज्यादा महंगी है। बाबा रामदेव ने भले ही इस वीडियो का अब इस्तेमाल किया हो, लेकिन 9 वर्ष पहले भी आमिर खान का यह प्रोग्राम बहुत लोकप्रिय हुआ था, क्योंकि तब लोगों को ब्रांडेड और जेनेरिक दवाओं के मूल्य का अंतर समझ में आया। डॉ. समित शर्मा का उद्देश्य भी लोगों को जेनरिक दवाओं के महत्व के बारे में समझाना रहा। मालूम हो कि मौजूदा समय में डॉ. समित शर्मा राजस्थान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभा में शासन सचिव के पद पर कार्यरत है।
जुबान पर लगाम जरूरी:
इसमें कोई दो राय नहीं कि कोरोना काल में देश भर के चिकित्सकों ने भी मरीजों के इलाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। बाबा रामदेव की जागरूकता की वजह से करोड़ों लोगों ने योग के माध्यम से स्वयं को स्वास्थ्य रखा है, लेकिन डॉक्टरों के साथ चल रहे विवाद में बाबा रामदेव को भी अपनी जुबान पर लगाम लगानी चाहिए। जब रामदेव अपने नाम से स्वामी और बाबा लगाते हैं तो उन्हें भाषा पर संयम रखना चाहिए। मुझे गिरफ्तार करने की हिम्मत किसी के बाप में नहीं है या मैं कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा जैसे कथनों से बाबा को बचना चाहिए। कई बार बेवजह के बयान भी उलझा देते हैं। 
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भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी की आफतों को अब कौन टालेगा?मुकेश दायमा निजी सहायक ही नहीं बल्कि विधायक के पुत्र से भी बढ़कर थे। दायमा का निधन देवनानी के लिए व्यक्तिगत क्षति है।

शिक्षा विभाग के वरिष्ठ लिपिक और अजमेर के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी के निजी सहायक 48 वर्षीय मुकेश दायमा के शव का अंतिम संस्कार 31 मई को अजमेर के पुष्कर रोड स्थित शमशान स्थल पर कर दिया गया। कोरोना से संक्रमित होने के बाद दायमा का इलाज जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में हो रहा था, लेकिन 30 मई को रात 8 बजे दायमा ने अंंतिम सांस ली। दायमा का निधन परिवार के लिए तो अपूर्णिय क्षति है ही, लेकिन साथ ही भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी के लिए व्यक्तिगत क्षति है। देवनानी के लिए मुकेश दायमा सिर्फ निजी सहायक ही नहीं थे, बल्कि उनके पुत्र से भी बढ़कर थे। देवनानी पिछले 17 साल से विधायक हैं और दायमा पिछले 15 साल से देवनानी के साथ हैं। देवनानी की राजनीति की जितनी जानकारी उनके पुत्र महेश देवनानी को नहीं होगी, उससे ज्यादा दायमा को थी। दायमा सरकारी तौर पर भले ही निजी सहायक थे, लेकिन देवनानी ने दायमा को हमेशा पुत्र के समान ही समझा। यही वजह रही कि स्कूली शिक्षा मंत्री रहते समय जब एक सड़क दुर्घटना में देवनानी के पैर में फ्रैक्चर हुआ तो दायमा हमेशा साथ रहे। जब डॉक्टरों ने घर से बाहर निकलने की इजाजत दी तो दायमा ही देवनानी को वाकर के साथ लेकर चलते थे। इस वाकर के सहारे ही देवनानी किसी समारोह के मंच तक पहुंचे थे। दायमा ने देवनानी को सहयोग करने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। देवनानी के चुनावों में भी एक कार्यकर्ता के तौर पर दायमा ने जिम्मेदारी निभाई। दायमा की सिफारिश से ही कई भाजपा कार्यकर्ताओं को पार्षद का टिकट तक मिला। देवनानी जब जब 2013 से 2018 के बीच प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री थे, तब अजमेर जिले के शिक्षकों के तबादलों का सारा दायित्व दायमा के पास ही था। जिलेभर में दायमा के फीडबैक से ही शिक्षकों के तबादले होते थे। इसे मुकेश दायमा की कार्यशैली ही कहा जाएगा कि उन्होंने वासुदेव देवनानी जैसे मंत्री विधायक का भरोसा बनाए रखा।यही वजह है कि दायमा का निधन देवनानी के लिए व्यक्तिगत क्षति है। निजी सहायक के तौर पर दायमा अनेक मौकों पर देवनानी की आफतों को भी टालते रहे। सवाल उठता है कि जब देवनानी की आफतों को कौन टालेगा? दायमा ने हाल ही में अपने मकान का गृह प्रवेश और भतीजे का विवाह किया। माना जा रहा है कि संक्रमित होने के ये दोनों समारोह कारण बने। दायमा की मिलन सरिता और कर्त्तव्य परायणता भी देवनानी और भाजपा कार्यकर्ताओं का लम्बे समय तक याद रहेगी। अंतिम संस्कार के समय भी देवनानी को बेहद मायूस देखा गया। देवनानी ने दायमा के निवास स्थान पर पहुंचकर परिजन को हिम्मत भी बंधाई है। 
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राजस्थान में 25 प्रतिशत तक वैक्सीन बर्बाद हो रही है। दैनिक भास्कर की यह खबर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को प्रधानमंत्री को पढ़कर सुनानी चाहिए।सरकार के वैक्सीनेशन सेंटरों के डस्टबिन से उठाई 500 वायल (शीशी) भास्कर ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा को सौंपी। अब जांच होगी।भास्कर ने तो आठ जिलों के 35 सेंटरों से ही वायल उठाई है। प्रदेशभर में बर्बाद हुई वैक्सीन का अंदाजा लगाया जा सकता है।दूसरे राज्यों में भी बर्बाद हुई है वैक्सीन-डोटासरा।

दैनिक भास्कर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पसंदीदा अखबार है, इसलिए विगत दिनों सीएम गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भास्कर में छपी खबर पढ़ कर सुनाई। इस खबर में बताया गया कि भर्ती मरीजों के अनुरूप राजस्थान को केंद्र सरकार से ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं हो रही है। सीएम को भास्कर की खबर पर इतना भरोसा था कि जांच किए बगैर ही खबर को सीधे प्रधानमंत्री के समक्ष प्रस्तुत कर दिया। अब 31 मई को इसी भास्कर अखबार में प्रथम पृष्ठ पर लिखा गया है कि राजस्थान के सरकारी वैक्सीनेशन सेंटरों पर कोरोना की 25 प्रतिशत तक वैक्सीन बर्बाद हो रही है। खबर की पुष्टि के लिए भास्कर ने प्रदेश के 8 जिलों के 35 वैक्सीनेशन सेंटरों के डस्टबिन से 500 वायल (शीशी) एकत्रित की। इसमें 2500 डोज बताए गए हैं। एक वायल से 10 व्यक्तियों को वैक्सीन लगाई जाती है, लेकिन संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों ने एक वायल से 4-5 व्यक्तियों को ही टीका लगाया और आधी भरी हुई वायल डस्टबिन में फेंक दी। डस्टबिन में फेंकी गई वैक्सीन से भरी वायल ही भास्कर ने एकत्रित की है। भास्कर ने तो ऐसी वायल 8 जिलों के सिर्फ 35 सेंटरों से ही एकत्रित की है। यदि प्रदेशभर के सेंटरों के डस्टबिन से वायल उठाई जाती तो वैक्सीन की बर्बादी का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसी सभी वायल 31 मई को भास्कर ने स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अखिल अरोड़ा के माध्यम से सरकार को सौंप दी है। अरोड़ा ने जांच का भरोसा दिलाया है। वैक्सीन की बर्बादी की यह खबर तब सामने आई है, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार आरोप लगा रहे हैं कि केन्द्र सरकार वैक्सीन उपलब्ध नहीं करवा पा रही है। यह माना कि उत्पादन में कमी के कारण राज्यों को वैक्सीन कम संख्या में दी जा रही है, लेकिन राजस्थान में जिस तरह वैक्सीन की बर्बादी हो रही है, उसका जिम्मेदार कौन होगा? पिछले दिनों ही राजस्थान पत्रिका की एक खबर में बताया गया था कि राजस्थान में 11 लाख 50 हजार डोज खराब हो गए हैं। वैक्सीन के डोज खराब होने का मतलब है कि 11 लाख 50 हजार लोगों को वैक्सीन से वंचित करना। जब वैक्सीन को कोरोना संक्रमण से बचाने का मुख्य उपाय माना जा रहा है, जब वायलों में वैक्सीन मिलना बेहद शर्मनाक है। जिन भी स्वास्थ्य कर्मियों ने ऐसा किया है उनके विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए। राजस्थान में वैक्सीन की बर्बादी तब से हो रही है, जब से वैक्सीन को लेकर कई बार ट्रायल किए गए। चिकित्सा कर्मियों को कई बार बताया गया कि वैक्सीन को किस प्रकार सुरक्षित रखना है तथा किस तरह लोगों को वैक्सीन लगानी है। जहां तक प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की जिम्मेदारी का सवाल है तो उनका ज्यादा समय केन्द्र सरकार को कोसने में जाता है। यदि रघु शर्मा चिकित्सा मंत्री की जिम्मेदारी निभाते तो इतनी बड़ी मात्रा में वैक्सीन बर्बाद नहीं होती।
दूसरे राज्यों में भी बर्बाद हुई है वैक्सीन:
31 मई को दैनिक भास्कर की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि देश के अन्य राज्यों में भी वैक्सीन की बर्बादी हुई है। केन्द्र सरकार ने पहले चरण में जिस तरह से वैक्सीन का वितरण किया, उसकी वजह से ही वैक्सीनेशन सेंटरों पर लोगों को वैक्सीन नहीं लग पाई। डोटासरा ने कहा कि वैक्सीन खराब होने की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। 
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Sunday 30 May 2021

लॉकडाउन में 2 हजार किलो चारा प्रतिदिन गायों को खिला रहे हैं हिन्दू क्रांति सेना के कार्यकर्ता।अजमेर जिले की गौशालाओं में भी पहुंचाया जा रहा है चारा।

कोरोना काल में जब पशुओं खासकर गायों को भी चारा उपलब्ध नहीं हो रहा है, तब अजमेर जिले की समाज सेवा के क्षेत्र में अग्रणी संस्था भारत हिन्दू क्रांति सेना के कार्यकर्ता प्रतिदिन दो हजार किलो हरा चारा गायों को उपलब्ध करवा रहे हैं। संस्था के अध्यक्ष आनंद सोनी ने बताया कि ब्यावर शहर में तो गायों को चारा उपलब्ध करवाया ही जा रहा है, साथ ही अजमेर जिले की गौशालाओं को भी चारे की सप्लाई की जा रही है ताकि लॉकडाउन में गौ माता को भूखा नहीं रहना पड़े। सोनी ने बताया कि जन सहयोग से प्रतिदिन दो हजार किलो चारे की खरीद की जाती है और फिर मांग के अनुरूप चारे का वितरण किया जाता है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में ऐसे अनेक पशुपालक हैं जो अपने पशुओं को चारा उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं। बाजार बंद होने के कारण गायों को बाजारों में भी खाने को कुछ भी नहीं मिल रहा है। इन स्थितियों को देखते हुए ही उनकी संस्था ने बड़ी मात्रा में चारा उपलबध करवाने का निर्णय लिया है। उनके कार्यकर्ता जिले भर में जरूरतमंद पशुओं को चारा उपलब्ध करवा रहे हैं। यदि किसी गौशाला को चारे की जरुरत होती है तो भी संस्था की ओर से उपलब्ध करवाया जाता है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9829103127 पर आनंद सोनी से ली जा सकती है। 
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देश के खिलाफ साजिश करने वालों को सात वर्षों में मुंह तोड़ जवाब मिला है।मन की बात में प्रधानमंत्री ने अपने सात वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियां भी गिनाई।कोरोना काल में चुनौतियों से कैसे निपटा यह भी बताया। 900 टन के मुकाबले में आज 9 हजार 500 मीट्रिक ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है।

30 मई को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने लोकप्रिय कार्यक्रम मन की बात की शुरुआत तो कोरोना काल की चुनौतियों से की, लेकिन चालीस मिनट के संबोधन में अंतिम दस मिनट उन्होंने अपने सात वर्ष के कार्यकाल की उपलब्धियों के बारे में बताया। मोदी ने कहा कि इन सात वर्षों में देश के खिलाफ साजिश करने वालों को जनता ने मुंह तोड़ जवाब दिया है। सद्भावना और शांतिपूर्ण तरीके से पुराने विवादों को सुलझाया गया है। इसी का परिणाम है कि आज कश्मीर तक में शांति है। इन सात वर्षों में देश में बहुत विकास किया। प्रधानमंत्री आवास योजना में बने मकानों के गृह प्रवेश के मौके पर जब उन्हें आमंत्रित किया जाता है तो बहुत खुशी होती है। पहले के सात वर्षों में देश के ग्रामीण क्षेत्रों में साढ़े तीन करोड़ घरों में पानी के कनेक्शन दिए। जबकि जल शक्ति मिशन के तहत पिछले दो वर्षों में साढ़े चार करोड़ घरों में पानी के कनेक्शन दिए गए हैं, पहली बार घर में बिजली का कनेक्शन पाकर करोड़ों लोगों ने खुशी प्राप्त की है। कोरोना संक्रमण के बाद भी देश में खाद्यान्न का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। लेकिन फिर भी सरसों की बिक्री एमएसपी से ज्यादा मूल्य पर हो रही है। हमारे कृषि क्षेत्र में भी कोरोना की चुनौतियों का सामना किया है। देश के अस्सी करोड़ लोगों को कोरोना काल में मुफ्त राशन सामग्री दी जा रही है। अब अगरतला का कटहल और बिहार की लीची इंग्लैंड तक जा रही है। किसान रेल के माध्यम से फल सब्जी बड़े महानगरों तक पहुंचाई जा रही है। प्रधानमंत्री ने बताया कि देश में कुछ दिनों पहले तक 900 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन होता था, लेकिन आज 9 हजार 500 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन हो रहा है। प्रधानमंत्री ने अपने प्रोग्राम में एयर फोर्स के ग्रुप कैप्टन एके पटनायक से भी बात की। पटनायक ने प्रधानमंत्री को बताया कि जब देश में अस्पतालों में ऑक्सीजन की जरुरत हुई तो एयरफोर्स ने किस तरह से मदद की। सड़क मार्ग से जिस टैंकर को तीन दिन लगते थे, उस टैंकर को एयरफोर्स के जहाजों से मात्र तीन घंटे में पहुंचाया गया। देश के अलावा सिंगापुर, जर्मनी, दुबई आदि देशों से भी ऑक्सीजन के टैंकर हवाई जहाज के जरिए लाए गए। कैप्टन पटनायक की 12 वर्षीय बेटी अदिति ने बताया कि इन दिनों उसके पापा कई दिनों तक घर पर नहीं आए। लेकिन उसे इस बात का गर्व है कि पिता ने हजारों लोगों की जान बचाई है। पीएम मोदी ने दिल्ली के लैब टेक्नीशियन प्रकाश कांडपाल से भी बात की। मोदी ने पूछा कि आप तो लैब में कोरोना जीवाणुओं के बीच काम करते हैं, तो क्या आपको डर नहीं लगता। इस पर कांडपाल ने कहा कि हम त्रिस्तरीय ड्रेस पहनकर लैब में काम करते हैं और हमें इस बात का गर्व है कि हमने कोरोना  का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पीएम ने बताया कि एक वर्ष पहले देश में कोरोना टेस्ट की मात्र एक लैब थी, लेकिन आज तीन हजार 500 लैब काम कर रही हैं। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने चिकित्सकों, स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंट लाइन वर्कर की भी जमकर प्रशंसा की। पीएम ने ऑक्सीजन टैंकर चालक दिनेश उपाध्याय से भी बात की। यूपी के जौनपुर के हसनपुर गांव के निवासी टैंकर चालक उपाध्याय ने बताया कि जब वे टैंकर को लेकर किसी अस्पताल में पहुंचे थे, तब अस्पताल के चिकित्सा कर्मी और मरीजों के परिजन किसी देवदूत से कम नहीं समझते थे। उसे इस बात की खुशी है कि रात दिन टेंकर चलाकर अस्पतालों तक ऑक्सीजन को पहुंचाया है। उनके इस कार्य से हजारों लोगों की जान बची है। पीएम ने ऑक्सीजन एक्सप्रेस की लोको पायलट शिरिषा गजनी से भी बात की। शिरिषा ने पीएम को बताया कि उसे इस बात गर्व है कि वह भारतीय रेल की चालक हैं। आमतौर पर मालगाड़ी के संचालन का करती है, लेकिन कोरोना काल में उसे ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी दी गई। उसने  पूरी मेहनत और सतर्कता के साथ ऑक्सीजन से भरे टैंकर को एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंचाया। पीएम ने कहा कि कोरोना काल में देश ने पूरी चुनौती के साथ कोरोना का मुकाबला किया है। कोरोना काल में ही देशवासियों को तूफान जैसी आफत से भी मुकाबला करना पड़ा, लेकिन इस संकट की घड़ी में पूरा देश एकजुट रहा है। 
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Saturday 29 May 2021

अजमेर के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और अनिता भदेल द्वारा स्वीकृत ऑक्सीजन प्लांटों के चबूतरों के शिलान्यास समारोह में राजनीति भी देखने को मिली।एक करोड़ की लागत वाले दोनों प्लांटों से 25 जून से ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

जनप्रतिनिधि कोई काम करें और राजनीति न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। 29 मई को अजमेर शहर के दोनों भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी और श्रीमती अनिता भदेल द्वारा विधायक कोष से स्वीकृत ऑक्सीजन जनरेशन प्लांटों का शिलान्यास हुआ। देवनानी ने अपने उत्तर विधानसभा क्षेत्र के पंचशील स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा भदेल ने अपने दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के चन्दबरदाई नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों परिसरों में भूमि पूजन का कार्यक्रम किया। दोनों ही स्थानों पर मेडिलाइव कंपनी द्वारा प्लांट सप्लाई किए जाने हैं,इसलिए कंपनी के अधिकारियों ने प्रातः 9 बजे भदेल और 11 बजे देवनानी के क्षेत्रों में समारोह संपन्न करवाया। हालांकि कंपनी रेडीमेड प्लांट लाएगी, लेकिन कंपनी के अधिकारियों ने दोनों स्वास्थ्य केन्द्रों पर 29 मई को चबूतरा (प्लांट को स्थापित करने का स्थान) निर्माण का काम शुरू किया। कंपनी के अधिकारियों का कहना है दोनों ही स्थानों पर 21 जून को प्लांट आ जाएंगे और 25 जून से ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू हो जाएगा। दोनों प्लांटों से प्रतिदिन 35-35 सिलेंडरों में ऑक्सीजन भरी जा सकेगी। दोनों विधायकों ने प्लांटों के लिए 55-55 लाख रुपए तब स्वीकृति किए थे, जब अजमेर में भी ऑक्सीजन की भारी किल्लत हो गई थी। कोरोना काल में ऑक्सीजन के अभाव में अस्पतालों में मरीज दम तोड़ रहे थे। हालांकि अब कोरोना का संक्रमण कम हो गया है, और ऑक्सीजन भी अस्पतालों में मांग से ज्यादा उपलब्ध है। लेकिन भविष्य की आवश्यकता हो देखते हुए ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। दोनों ही विधायकों ने अपने अपने कोष से 55-55 लाख रुपए की राशि इन प्लांटों के लिए स्वीकृत की है। 29 मई को विधायक देवनानी के समारोह में जहां मेयर बृजलता हाड़ा, डिप्टी मेयर नीरज जैन, शहर भाजपा जिला अध्यक्ष प्रियशील हाड़ा, मीडिया प्रभारी अनिश मोयल और उत्तर क्षेत्र के अनेक भाजपा पार्षद व पदाधिकारी उपस्थित रहे। वहीं भदेल के शिलान्यास समारोह में भाजपा आदर्श मंडल के अध्यक्ष अरुण शर्मा, पार्षद देवेन्द्र सिंह शेखावत, भाजपा नेता राजेन्द्र सिंह जादौन के साथ साथ कई पार्षद भी उपस्थित रहे। लेकिन भदेल के समारोह में मेयर और पार्टी अध्यक्ष की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही। दोनों प्लांटों पर करीब एक करोड़ 10 लाख रुपए की राशि खर्च होगी, लेकिन दोनों ही समारोह में जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग का कोई बड़ा अधिकारी उपस्थित नहीं रहा। हालांकि दोनों प्लांटों का लगना विकास से जुड़ा हुआ काम है,लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के नेता भी नजर नहीं आए। प्लांटों की राशि भाजपा के विधायकों ने विधायक कोष से दी है। 
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अजमेर के बिजली उपभोक्ताओं को टाटा पावर के शिकायत केन्द्र की नई और आधुनिक तकनीक समझना होगा।आंधी तूफान और बरसात में भी विद्युत आपूर्ति को बनाए रखा गया है-सीईओ, श्रीप्रकाश जोशी।

अजमेर विद्युत वितरण निगम के प्रबंध निदेशक वीएस भाटी और लोकप्रिय पार्षद ज्ञान सारस्वत की शिकायतों पर अजमेर में बिजली आपूर्ति करने वाली टाटा पावर कंपनी के सीईओ श्रीप्रकाश जोशी का कहना है कि उपभोक्ताओं को कंपनी के शिकायत केन्द्र की नई और आधुनिक तकनीक को समझना होगा। कंपनी के उपभोक्ताओं की बिजली संबंधी शिकायतों को दर्ज करने के लिए 30 लाइन वाला सिस्टम लगाया है। इस सिस्टम में चौबीस घंटे कंपनी के चार-पांच कर्मचारी बैठे रहते हैं, जो घंटी बजाने पर फोन उठाते हैं। यदि एक साथ चार पांच से भी ज्यादा उपभोक्ता फोन करेंगे तो छठे और सातवें उपभोक्ता को अपने फोन पर घंटी सुनाई देती रहेगी। तब उपभोक्ता को यह महसूस होगा कि उसका फोन शिकायत केन्द्र पर कोई कर्मचारी रिसीव नहीं कर रहा है, जबकि संबंधित उपभोक्ता का फोन कॉल वेटिंग में है। इस सिस्टम में सभी कॉल रिकॉर्ड भी किए जाते हैं, ताकि कंपनी को अपने कर्मचारियों के व्यवहार की भी जानकारी हो सके। जहां तक निगम के प्रबंध निदेशक वीएस भाटी ने 27 मई की रात को कंप्लेंट करने का सवाल है तो हो सकता है, तब बीएसएनएल की लाइन में ही कोई तकनीकी खराबी हो। कंपनी के पास बीएसएनएल का ही कनेक्शन है। यदि हमारे सिस्टम में कोई खामी होगी तो उसे सुधारा जाएगा। पिछले कुछ दिनों से अजमेर में भी आंधी तूफान और बरसात का दौर चल रहा है, लोगों ने स्वयं महसूस किया है कि आंधी तूफान से पेड़ भी गिर गए हैं, ऐसे में बिजली के खंबे, तार और ट्रांसफार्मर भी क्षतिग्रस्त हुए हैं। कई स्थानों पर बिजली आपूर्ति बाधित हुई है, लेकिन कंपनी के कर्मचारियों ने जल्द से जल्द सप्लाई को सुचारू किया है। कोरोना काल में शहर भर के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की बिजली को विपरीत परिस्थितियों में सुचारू रखा गया है ताकि एक भी मरीज को परेशानी नहीं हो। संभाग के सबसे बड़े जवाहरलाल नेहरू अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में एक मिनट भी बिजली बंद नहीं हुई है। पिछले दिनों जब इस अस्पताल में कोविड के 600 मरीज भर्ती थे, तब भी बिजली की सप्लाई सुचारू रखा गया। शहर के उपभोक्ताओं ने स्वयं महसूस किया है कि पिछले दो वर्ष से बिजली की आपूर्त में सुधार हुआ है। सीईओ जोशी ने कहा कि जहां तक कंप्लेंट सेंटर पर उपभोक्ता से बिजली के बिल पर अंकित नम्बर पूछने का सवाल है तो इससे संबंधित इलाके अथवा निवास स्थान की लोकेशन ट्रेस हो जाती है। समस्या वाले स्थान पर कंपनी के तकनीकी कर्मचारी तुरंत पहुंच जाते हैं। चूंकि सिस्टम को कम्प्यूटराइज्ड कर रखा है, इसलिए हर उपभोक्ता की जानकारी कम्प्यूटर पर उपलब्ध है। लॉकडाउन और कोरोना काल समाप्त होने के बाद अभियान चलाकर जागरुक उपभोक्ताओं को कंपनी के सिस्टम की जानकारी दी जाएगी। कोई भी उपभोक्ता टाटा पावर के टोल फ्री नम्बर 18001806531 पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है। शिकायत का समाधान नहीं होने पर कंपनी के वैशाली नगर स्थित कॉरपोरेट कार्यालय में आकर सीधे मुझ से भी मिल सकता है। उपखंड कार्यालयों में भी प्राप्त होने वाली शिकायतों को भी उच्च स्तर पर जांचा जाता है। निगम के एमडी वीएस भाटी के सभी निर्देशों का पालन किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि 28 मई को भाजपा पार्षद ज्ञान सारस्वत ने टाटा पावर की लापरवाही के विरोध में धरना दिया था। इसी प्रकार डिस्कॉम के एमडी भाटी ने भी कंप्लेंट सेंटर पर शिकायत दर्ज नहीं होने पर नाराजगी जताई थी। भाटी ने कंपनी पर जुर्माना लगाने की बात भी कही है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि गत वर्ष भी टाटा पावर के कर्मचारी भाटी के वैशाली नगर स्थित आवास का बिजली कनेक्शन काटने के लिए पहुंच गए थे, जबकि भाटी का कोई बिल बकाया नहीं था। 
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तो पुराने कानून में ही मिल जाएगी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थियों को भारत की नागरिकता। गृह मंत्रालय ने आवेदन मांगे हैं।राजस्थान में रह रहे हजारों पाकिस्तानी विस्थापितों को नागरिकता देने की मांग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पहले भी कर चुके हैं।हाईकोर्ट ने भी वैक्सीन लगाने के मामले में दिए हैं निर्देश।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए लाखों शरणार्थियों को भले ही संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के अंतर्गत भारत की नागरिकता नहीं मिली हो, लेकिन अब ऐसे शरणार्थियों को पुराने नागरिकता कानून के तहत ही नागरिकता मिल सकती है। इसके लिए केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके अंतर्गत 1944 व 2009 में बने नागरिकता कानून में संबंधित लोगों को आवेदन करना होगा। राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर आदि में भी बड़ी संख्या में पाकिस्तान से आए शरणार्थी रह रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पूर्व में ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखा था। हाल ही में राजस्थान हाईकोर्ट की मुख्य पीठ जोधपुर के न्यायाधीश रामेश्वर व्यास और न्यायाधीश विजय विश्नोई ने भी पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को कोरोना वैक्सीन लगाने के निर्देश दिए हैं। शरणार्थियों ने एक याचिका दायर कर कहा था कि भारत की नागरिकता नहीं होने के कारण उनका आधार कार्ड नहीं बना और आधार कार्ड के बगैर कोरोना की वैक्सीन भी नहीं लगाई जा रही है। नागरिकता नहीं मिलने के कारण ऐसे शरणार्थियों को केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी नहीं मिल रहा है। पाकिस्तान से भाग कर आए ऐसे शरणार्थी राजस्थान के साथ साथ गुजरात, पंजाब आदि राज्यों में भी बड़ी संख्या में रह रहे हैं। मालूम हो कि ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता देने के लिए ही गत वर्ष सीएए कानून बनाया गया, लेकिन इससे मुसलमानों को शामिल नहीं किया जाने को लेकर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने विरोध किया था। जबकि केन्द्र सरकार का कहना रहा कि यह कानून धर्म के आधार पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान तीनों मुस्लिम देश हैं, इसलिए इन देशों में किसी मुसलमान को धर्म के आधार पर प्रताड़ित नहीं किया जाएगा। जबकि इन देशों में हिन्दू, सिक्ख जैन ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर प्रताड़ित किया जा रहा है। ऐसे लोगों को भारत की नागरिकता मिलनी चाहिए। लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के चलते सीएए कानून के नियम ही नहीं बन पाए। इसलिए अब शरणार्थियों को पुराने कानून में ही नागरिकता देने की कार्यवाही शुरू की गई है। यह खबर लाखों शरणार्थियों के लिए राहत भरी है। 
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संविधान की दुहाई देने वाले सेक्युलर बुद्धिजीवी और विपक्ष के नेता बताएं कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का प्रधानमंत्री के साथ व्यवहार उचित है।आखिर पश्चिम बंगाल को कश्मीर के रास्ते पर क्यों ले जाया जा रहा है? मुख्य सचिव को केन्द्र में वापस बुला लेने से कुछ नहीं होगा।

2014 में जब से नरेन्द्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने हैं, तब से अनेक सेक्युलर बुद्धिजीवी और विपक्ष के नेता संविधान की दुहाई देते हैं। ऐसे लोग आरोप लगाते हैं कि देश में संविधान के अनुरूप शासन नहीं हो रहा है। अब ऐसे लोग ही बताएं कि 28 मई को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में जो व्यवहार देश के प्रधानमंत्री के साथ किया, वह उचित था? जबकि प्रधानमंत्री तो पश्चिम बंगाल में तूफान पीड़ितों की मदद करने के लिए ही कोलकाता आए थे। पहले तो प्रधानमंत्री को मीटिंग में आधा घंटा इंतजार करवाया गया और फिर मीटिंग में भाग लेने के बजाए प्रधानमंत्री को ज्ञापन थमा दिया गया। ममता का कहना रहा कि उन्हें दूसरी जरूरी मीटिंग में जाना है, इसलिए वे तूफान पीड़ितों की समस्याओं पर प्रधानमंत्री से बात नहीं कर सकती हैं। जिस प्रदेश में देश के प्रधानमंत्री उपस्थित हों, उस प्रदेश के मुख्यमंत्री को दूसरा कौन सा जरूरी काम हो सकता है, यह ममता बनर्जी ही बता सकती हैं। प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक में जानबूझ कर अनुपस्थित रह कर क्या ममता ने संविधान के विरुद्ध काम नहीं किया है? यह माना कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की टीएमसी ने नरेन्द्र मोदी की भाजपा को हराया है, लेकिन तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने पर ममता को संविधान के दायरे में रहकर काम करना होगा। हो सकता है कि ममता ने अभी प्रधानमंत्री के साथ जो गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया है उससे पश्चिम बंगाल के कुछ नेता खुश हो जाएं, जिन्होंने हर कीमत पर ममता को चुनाव जीतवाया, लेकिन ममता का यह रवैया पश्चिम बंगाल को कश्मीर के रास्ते पर ले जाने वाला हो सकता है। ममता ने पीएम नरेन्द्र मोदी के साथ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार नहीं किया, बल्कि देश के प्रधानमंत्री के साथ अमर्यादित व्यवहार किया है,जिसके परिणाम घातक हो सकते हैं। सब जानते हैं कि पश्चिम बंगाल सीमावर्ती प्रदेश है और यहां भी ऐसी ताकतें सक्रिय हैं जो अलगाववाद के विचार रखती हैं। ऐसी ताकतों से ममता को भ सावधान रहने की जरूरत है। चुनाव में जीत हासिल करना ही सब कुछ नहीं है। जीतने के बाद प्रदेश को संविधान के अनुरूप चलाना सबसे बड़ा दायित्व है। जहां तक केन्द्र सरकार का पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव ए बंदोपाध्याय को दिल्ली बुलाने का निर्णय है तो ऐसे निर्णयों से ममता पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है। पहले भी ममता ने अपने आईएएस को दिल्ली नहीं भेजा। अब केन्द्र सरकार ने बंदोपाध्याय को 31 मई को प्रात: 10 बजे दिल्ली में गृह मंत्रालय में तलब किया है। सवाल उठता है कि केन्द्र सरकार किसी प्रदेश के मुख्य सचिव का तबादला केन्द्र सरकार में कर सकती है?
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Friday 28 May 2021

वैक्सीन नहीं लगाई तो देश में कोरोना की पांचवीं लहर तक आएगी। नरेन्द्र मोदी के पास लीडर बनने का यही मौका है। वो प्रधानमंत्री नहीं, इवेंट मैनेजर है-राहुल गांधी।अजमेर में सेवा भारती संस्थान ने स्विगी के 70 डिलीवरी बॉय का सम्मान किया।नशीली दवाओं के प्रकरण में रिक्शा चालक साजिद गिरफ्तार। दवा कारोबारी मूंदड़ा बंधुओं की तलाश।

28 मई को कांग्रेस के सांसद और राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र सरकार पर जमकर हमला बोला। राहुल ने कहा कि यदि देशवासियों को कोरोना का टीका जल्द नहीं लगाया गया, तो देश में कोरोना की तीसरी, चौथी और पांचवीं लहर भी आएगी। इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि देश में अभी तक मात्र तीन प्रतिशत लोगों को ही कोरोना का टीका लगा है। यदि टीका लगाने की यही रफ्तार रही तो देश के लोगों को मई 2024 तक टीका लगेगा। राहुल ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने वाहवाही लूटने के लिए देश में बनी वैक्सीन विदेश में भेज दी। चूंकि वैक्सीन नहीं लगी इसलिए देश में दूसरी लहर आई। उन्होंने कहा कि मैं गत वर्ष फरवरी माह में ही आगह कर दिया था, लेकिन मोदी सरकार ने मेरी नहीं सुनी। यही वजह है कि कोरोना की दूसरी लहर में लाखों लोगों की मृत्यु हुई है। राहुल ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के पास लीडर बनने का यही सबसे अच्छा अवसर है। मैं उनके साथ खड़ा हंू। मोदी को डरना नहीं चाहिए। मोदी जितनी जल्दी देशवासियों को वैक्सीन लगवाएंगे, उतनी जल्द कोरोना का संक्रमण समाप्त होगा। लॉकडाउन कोरोना का इलाज नहीं है। कोरोना का स्थाई इलाज टीकाकरण ही है। नरेन्द्र मोदी को इवेंट मैनेजर की भूमिका निभाने के बजाए देश के प्रधानमंत्री की भूमिका निभानी चाहिए। देश  की जनता ने इवेंट मैनेजर नहीं चुना है। राहुल ने इस बात पर अफसोस जताया कि नरेन्द्र मोदी केन्द्र सरकार की गलतियों को राज्यों पर थोप रहे हैं। राज्यों ने तो केन्द्र सरकार की गाइड लाइन के अनुरूप ही काम किया है। मोदी को अपने देश में वैक्सीन का उत्पाद बढ़ाना चाहिए, इसका साथ ही विदेशों से भी वैक्सीन मंगवानी चाहिए।
डिलीवरी बॉय का सम्मान:
28 मई को अजमेर के राजहंस समारोह स्थल पर भोजन की होम डिलीवरी करने वाली स्विगी कंपनी के 70 डिलीवरी बॉय का सम्मान किया गया। यह सम्मान राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ी सेवा भारती संस्था के द्वारा किया गया। इस अवसर पर संस्था के क्षेत्रीय सेवा प्रमुख शिवलहरी, धर्म नारायण, मोहन खंडेलवाल आदि उपस्थित रहे। पार्षद देवेन्द्र सिंह शेखावत और समाजसेवी गिरीश भाषानी ने बताया कि फ्रंटलाइन वर्कर की तरह ही कोरोना काल में डिलीवरी बॉय भी चुनौती का सामना कर रहे हैं। ऐसे डिलीवरी बॉय ने छोटी से कमिशन की खातिर अपना जीवन दाव पर लगा रखा है। लोगों को भले ही घर बैठे स्वादिष्ट व्यंजन उपलब्ध होते हों, लेकिन डिलीवरी बॉय कोरोना काल में घर घर दस्तक देते हैं। होटल के कर्मचारियों से लेकर संबंधित घर के सदस्यों तक के संपर्क में आते हैं। एक डिलीवरी बॉय दिनभर में मुश्किल से पांच-सात घरों पर भोजन के पैकेज उपलब्ध करवाने का अवसर मिलता है,लेकिन ऐसे युवाओं को दिनभर अपने घर से बाहर रहना पड़ता है। डिलीवरी बॉय बड़ी मुश्किल से प्रतिदिन 300-400 रुपए कमा पाते हैं। चूंकि ये लोग असंगठित क्षेत्र के श्रमिक हैं, इसलिए इनकी कोई सामाजिक सुरक्षा भी नहीं है। डिलीवरी बॉय के चुनौतीपूर्ण कार्य को देखते हुए ही सेवाभारती ने न केवल सम्मान किया है, बल्कि कोरोना वायरस से बचने के लिए फेसशील्ड, मास्क, सेनेटाइजर आदि सामग्री भी उपलब्ध करवाई है।
रिक्शा चालक गिरफ्तार:
अजमेर के बहुचर्चित नशीली दवाओं के प्रकरण में 28 मई को पुलिस ने रिक्शा चालक साजिद उर्फ कलाम को गिरफ्तार किया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार साजिद विमला मार्केट स्थित विनायक मेडिकल स्टोर की दवाइयों को खुदरा मेडिकल स्टोरों तक पहुंचाने का काम करता है। लेकिन विगत दिनों जब सवा पांच करोड़ रुपए की नशीली दवाइयां ट्रांसपोर्ट नगर से जब्त की गई, तब से साजिद भी लापता हो गया था। साजिद ने पुलिस को अभी यही बताया है कि वह तो अपने ईरिक्शा में माल की सुपुर्दगी करता था। पुलिस अब विनायक मेडिकल के मालिक श्याम सुंदर मूंदड़ा, लक्ष्मीकांत मूंदड़ा और कमल मूंदड़ा की सरगर्मी से तलाश कर रही है। जिस प्रकार अजमेर के विनायक मेडिकल स्टोर के मालिक लापता है, उसी प्रकार जयपुर स्थित रम्या इंटरप्राइजेज के मालिक भी पुलिस को नहीं मिल रहे हैं। माना जा रहा है कि जयपुर से नशीली दवाइयों की खेप अजमेर में मूंदड़ा बंधुओं के पास भेजी गई थी। 
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चिकित्सा विज्ञान को मशहूर न्यूरो फिजीशियन डॉक्टर अशोक पनगड़िया को बचाना चाहिए।कोरोना संक्रमित होकर जयपुर के इटरनल अस्पताल में इलाज करवा रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार सेहत बेहद खराब है।

राजस्थान ही नहीं, बल्कि देश के मशहूर न्यूरो फिजिशियन डॉक्टर अशोक पनगडिय़ा कोरोना संक्रमित होकर जयपुर के इटरनल अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। 28 मई की जांच पड़ताल के बाद डॉ. पनगडिय़ा की सेहत बेहद खराब हैं। चिकित्सा विाान के लोगों को चाहिए कि डॉ. पनगडिय़ा को किसी भ तरह स्वास्थ्य किया जाए। एलोपैथी की वे सभी दवाइयां दी जाएं, जिससे डॉ. पनगडिय़ा को बचाया जा सके। देश और प्रदेश को डॉ.पनगडिय़ा की सख्त जरुरत है। न्यूरो रोग के इलाज में डॉ. पनगडिय़ा का पूरे देश में नाम है। भारत ही नहीं बल्कि विदेशों तक में बैठे लोग फोन पर संवाद कर अपना इलाज करवाते हैं। डॉ. पनगडिय़ा उन चुनिंदा चिकित्सकों में से एक हैं, जिन्होंने चिकित्सा विज्ञान को आध्यात्म से जोड़ा है। उन्होंने अखबरों में लेख लिख बताया कि इलाज के दौरान प्रार्थना का मरीज पर कितना असर होता है। कहा जा सकता है कि डॉ. पनगडिय़ा दिमाग से संबंधित रोगों का शर्तियां इलाज करते हैं। उनकी याददाश्त भी बहुत अच्छी है। यदि कोई मरीज 10 वर्ष बाद भी दिखाने आएगा तो डॉ. पनगडिय़ा पहचान लेंगे। कोरोना काल में तो पिछले एक डेढ़ वर्ष से वे ऑनलाइन तरीके से ही मरीजों का इलाज कर रहे थे। मोबाइल पर रोग जानकार वे वाट्सएप पर दवाएं लिखकर भेजते थे। इसे डॉ. पनगडिय़ा पर ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि मोबाइल पर दवाएं लिखने से भी मरीजों को लाभ प्राप्त हो रहा है। ऐसे हजारों लोग मिल जाएंगे जिनका जीवन डॉ. पनगडिय़ा की वजह से ही बचा है। चिकित्सा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के कारण ही वर्ष 2014 में राष्ट्रपति ने पद्मश्री अवार्ड देकर डॉ. पनगडिय़ा को सम्मानित किया। चिकित्सा क्षेत्र का सर्वोच्च डॉ.वीसी राय अवार्ड भी डॉ. पनगडिय़ा को मिल चुका है। जिन चिकित्सकों को वाकई भगवान माना जाता है, उनमें डॉ. पनगडिय़ा एक हैं। डॉ. पनगडिय़ा की उम्र अभी 71 वर्ष ही है। इस उम्र को ज्यादा नहीं माना जा सकता। कोरोना वायरस के बारे में चिकित्सक काफी कुछ जान चुके हैं। इटरनल अस्पताल के जो चिकित्सक डॉ. पनगडिय़ा का इलाज कर रहे हैं उनकी जिम्मेदारी है कि वे उन्हें जल्द से जल्द स्वास्थ्य करें। डॉ. पनगडिय़ा एक व्यक्ति नहीं है, बल्कि एक संस्था हैं जो हजारों लोगो ंका जीवन बचाती है। चूंकि डॉ. पनगडिय़ा मरीज के इलाज में ईश्वर से प्रार्थना का योगदान भी मानते हैं, इसीलिए मैं यह ब्लॉग लिख रहा हंू जो लोग डॉ. पनगडिय़ा के इलाज से स्वास्थ्य हुए हैं या नया जीवन पाया है, उन सबकी जिम्मेदारी है कि डॉ. पनगडिय़ा के स्वास्थ्य को लेकर ईश्वर से प्रार्थना करें। मेरा मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग ईश्वर से प्रार्थना करेंगे तो इटरनल अस्पताल के चिकित्सकों को भी डॉ. पनगडिय़ा के इलाज करने में मदद मिलेगी। 
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भारत में अभिव्यक्ति की आजादी की चिंता ट्विटर नहीं करे। टीवी चैनलों पर ही मरजा मोदी के नारे प्रसारित होते हैं।सरकार की आलोचना के लिए ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के बयान ही काफी हैं।

सोशल मीडिया के प्लेट फार्म ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने तो कहा है कि वे भारत सरकार के बनाए कानूनों का पालन करेंगे, लेकिन साथ ही लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी पर भी चिंता जताई है। ट्विटर को भारत में लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि जितनी आजादी भारत में उतनी अमरीका और इंग्लैंड में भी नहीं होगाी। जैक डोर्सी को अपने ट्विटर को भारत के लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी का झंडा बरदार नहीं समझना चाहिए, क्योंकि हमारे देश के न्यूज चैनलों पर ही मरजा मोदी के नारे प्रमुखता से प्रसारित किए जाते हैं। जब हमारे चैनल ही प्रधानमंत्री के लिए इतना सब कुछ दिखा रहे हैं, तब ट्विटर को कोई चिंता नहीं करनी चाहिए। गली मोहल्लों की हैसियत रखने वाले नेता टीवी चैनलों पर बैठ कर केन्द्र सरकार की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। गंभीर बात तो यह है कि चैनलों के ऐसे प्रोग्राम लाइव प्रसारित होते हैं। ऐसे नेता देश के प्रधानमंत्री को विदेश नीति से लेकर फाइनेंस तक की सीख देते हैं। इतना ही नहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और 52 सांसदों की कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी प्रतिदिन ट्विटर पर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्र सरकार की आलोचना करते हैं। ऐसे नेताओं के बयान न्यूज चैनल पर तो प्रसारित होते ही हैं, साथ ही अखबारों में भी छपते हैं। जैक डोर्सी अपने दिल पर हाथ रख कर बताएं कि भारत में विपख के नेताओं को बोलने की जितनी आजादी है, उनती किसी और देश में हैं? क्या कभी केन्द्र सरकार ने किसी विपक्षी नेता के ट्वीट को हटाने के लिए ट्विटर से कहा? केन्द्र सरकार को असली चिंता सोशल मीडिया के प्लेट फार्मो के दुरुपयोग की है। कई आंदोलनों में देखा गया है कि अराजकतत्व सोशल मीडिया पर भ्रामक वीडियो और सूचनाएं प्रसारित करते हैं, इससे कानून व्यवस्था की स्थिति पर तो प्रतिकूल असर पड़ता ही है, साथ ही देश की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाती है। ऐसे कृत्यों को रोकने का केन्द्र सरकार को पूरा अधिकार है। ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी को यह समझना चाहिए कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और मौजूदा समय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार को 545 सांसदों में से करीब 350 सांसदों का समर्थन है। ऐसे में लोगों की अभिव्यक्ति की आजादी की चिंता सबसे पहले केन्द्र सरकार को होगी। जब तक ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी के बयानों पर रोक नहीं लगाई जाती, तब तक ट्विटर को भारतवासियों की अभिव्यक्ति की आजादी की चिंता नहीं करनी चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं कि आज भारत में ट्विटर सूचना का आदान प्रदान करने का प्रमुख प्लेट फार्म बन गया है। देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसी प्लेट फार्म का प्रमुखता से उपयोग करते हैं। ट्विटर को टकराव का रास्ता छोड़कर केन्द्र सरकार को सहयोग करना चाहिए। ट्विटर के लिए भारत बहुत बडा बाजार भी है। 
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Thursday 27 May 2021

अक्टूबर से प्रतिमाह 10 करोड़ वैक्सीन भारत में बनने लगेगी। साल के अंत तक 200 करोड़ डोज बन जाएंगे।अब तक 20 करोड़ वैक्सीन राज्यों को केन्द्र ने निशुल्क दी है।दिल्ली में केजरीवाल सरकार से ज्यादा प्राइवेट अस्पतालों ने वैक्सीन लगाई।

कोरोना वैक्सीन को लेकर देश भर में आरोप प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है। विपक्ष के नेताओं का कहना है कि भारत में तैयार वैक्सीन को विदेशों में बेचने की अनुमति केन्द्र सरकार ने ही दी है। अब अपने देश में वैक्सीन की कमी हो गई है। ऐसे आरोपों के बीच ही 27 मई को केन्द्र सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट की है। सरकार ने कहा कि कोरोना की वैक्सीन आम दवा नहीं है, जिसे कहीं से भी खरीद कर लोगों को दे दी जाए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों पर खरी उतरने के बाद ही कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध करवाई जा सकती है। भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल रहा, जहां कोरोना काल में वैक्सीन का उत्पादन संभव हुआ। यही वजह है कि केन्द्र सरकार ने अब तक राज्यों को 20 करोड़ वैक्सीन नि:शुल्क उपलब्ध करवाई है। यह वैक्सीन देशवासियों को ही लगी है। चूंकि भारत बड़ी आबादी वाला देश है,इसलिए वैश्विक स्तर पर भी वैक्सीन को भारत में तैयार करने और विदेश से मंगाने की प्रक्रिया को तेज किया गया है। पूर्व में को वैक्सीन बनाने वाली एक कंपनी थी, लेकिन अब देश में छह कंपनियां यह वैक्सीन बनाने का काम कर रही है। केन्द्र सरकार ने रूस की स्पूतनिक और भारत की डॉक्टर रेडी कंपनी के साथ करार भी किया है। इन सभी प्रयासों का परिणाम है कि अक्टूबर से देश में ही प्रतिमाह करोड़ वैक्सीन तैयार होने लगेगी। वर्ष के अंत तक 200 करोड़ डोज उपलब्ध होंगे। कोविशील्ड बनाने वाली सीरम कंपनी की उत्पादन क्षमता को भी लगातार बढ़ाया जा रहा है। इसके अतिरिक्त फाइजर, जोंसन, मॉडर्न जैसी विदेशी कंपनियों से भी डोज खरीदने की बात हो रही है। यह आरोप गलत है कि स्वदेशी वैक्सीन को विदेशों में निर्यात कर दिया गया। कोविशील्ड वैक्सीन बनाने वाली कंपनी का अनुबंध पहले से ही विदेशों से हो रखा था। लेकिन इसके बावजूद भी केन्द्र सरकार के प्रयासों से कोविशील्ड वैक्सीन देशवासियों को सबसे पहले लगाई गई। सरकार का प्रयास है कि देश के हर नागरिक को कोरोना की वैक्सीन जल्द से जल्द उपलब्ध करवाई जाए। अभी भी देश में वैक्सीन लगवाने के प्रति जागरूकता की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी लोग वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं।
दिल्ली की भी स्थिति स्पष्ट की:
केन्द्र ने 27 मई को दिल्ली की स्थिति भी स्पष्ट की। बताया गया कि दिल्ली को अभी तक वैक्सीन के 46 लाख डोज नि:शुल्क दिए गए हैं। जबकि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने मात्र 8 लाख 17 हजार डोज खरीद कर 18 वर्ष की उम्र वालों को लगाए हैं। दिल्ली सरकार से ज्यादा डोज दिल्ली के प्राइवेट अस्पतालों ने लगाए हैं। प्राप्त आंकड़ों के अनुसार दिल्ली में प्राइवेट अस्पतालों में 9 लाख 4 हजार 720 व्यक्तियों के वैक्सीन लगाई है 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-05-2021)
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सरकारी अस्पताल की भूमि को लेकर पुष्कर तीर्थ के राजनेता एकमत नहीं।चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा चाहते हैं तीर्थनगरी में 100 बेड का अस्पताल बने।अस्पताल का जल्द बनना जरूरी-विधायक रावत।

प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा तो चाहते हैं कि तीर्थ नगरी पुष्कर में 100 बेड का सरकारी अस्पताल जल्द से जल्द बन जाए। इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति भी जारी हो गई है। लेकिन पुष्कर के राजनेता अस्पताल की भूमि को लेकर एकमत नहीं हो रहे हैं, जिसकी वजह से अस्पताल का निर्माण कार्य शुरू होने में विलंब हो सकता है। पूर्व में पुष्कर के एसडीएम कार्यालय ने तहसील के पीछे 120 फिट वाले मार्ग पर भूमि चिह्नित की थी, लेकिन बाद में यह 20 बीघा भूमि ग्रीन बेल्ट की निकली, इसलिए इस भूमि को निरस्त कर खरेखड़ी रोड पर अस्पताल के लिए भूमि तय की गई और राज्य सरकार को प्रस्ताव भी भिजवा दिया, लेकिन अब पुष्कर के कांग्रेस पार्षदों और पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर ने खरेखड़ी वाली भूमि के प्रस्ताव पर एतराज जताया है। पार्षदों ने एसडीएम दिलीप सिंह राठौड़ को एक ज्ञापन देकर पुरानी चयनित भूमि पर ही अस्पताल के निर्माण मांग की है। श्रीमती अख्तर का कहना है कि भूमि का ग्रीन बेल्ट में होना कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। तहसील वाली भूमि से अजमेर का जनाना अस्पताल भी निकट ही है तथा यह स्थान शहर के बीच में ही है। इससे लोगों को सुविधा भी रहेगी। जबकि खरेखड़ी वाली भूमि के आसपास अभी जंगल जैसी स्थिति है। सरकार को जनहित में निर्णय लेना चाहिए। वे स्वयं भी चिकित्सा मंत्री रघु  शर्मा से संवाद करेंगी। उन्होंने बताया कि जब रघु शर्मा मंत्री बन कर पहली बार पुष्कर आए थे, तब उन्होंने ही अस्पताल का प्रस्ताव रखा था। पुष्कर में 100 बेड का अस्पताल बनना रघु शर्मा का ड्रीम प्रोजेक्ट हैं। वहीं नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस का शासन है, इसलिए कांग्रेस को ही तय करना है कि अस्पताल कहां बने। जहां तक प्रशासनिक अधिकारियों की राय है तो उन्होंने खरे खड़ी रोड वाला प्रस्ताव भिजवा दिया है। यहां पर अस्पताल के विस्तार की भी संभावना है। खेल मैदान, कॉलेज आदि बनने जा रहे हैं। खरे खड़ी रोड की दूरी पुष्कर से मात्र 3 किलोमीटर है। वाहन के युग में तीन किलोमीटर की दूरी कोई मायने नहीं रखती है। पूर्व में अजमेर में जनाना अस्पताल लोहागल क्षेत्र में बनाया गया, तब भी शहर से दूर होने का तर्क देकर विरोध किया गया लेकिन आज यही जनाना अस्पताल शहरी और ग्रामीण गर्भवती महिलाओं के लिए उपयोगी साबित हो रहा है। चूंकि नगर पालिका प्रशासन विकास में रुचि रखता है, इसलिए हम चाहते हैं कि अस्पताल का निर्माण कार्य जल्द शुरू हो। विकास के मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
जल्द बने अस्पताल  विधायक रावत  :
पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश रावत ने कहा कि अस्पताल किसी भी स्थान पर बने, लेकिन जल्द बनना चाहिए। 100 बेड के अस्पताल के लिए मैंने भी मुख्यमंत्री और चिकित्सा मंत्री को पत्र लिखे थे। मैंने अपने विधायक कोष से 1 करोड़ रुपए की राशि अस्पताल के निर्माण पर देने की घोषणा कर रखी है। पुष्कर में 100 बेड का अस्पताल बनने से अजमेर के जेएलएन अस्पताल का भार कम होगा। पुष्कर नागौर जिले की सीमा से जुड़ा हुआ है,इसलिए मेड़ता उपखंड के लोग इलाज के लिए अजमेर ही आते हैं। पुष्कर में अस्पताल बनेगा तो पुष्कर के नागरिकों के साथ साथ आसपास के क्षेत्रों के लोगों को भी सुविधा मिलेगी। रावत ने बताया कि भूमि को लेकर उनकी पुष्कर के एसडीएम से बात हुई है। एसडीएम ने बताया है कि खरेखड़ी रोड वाली भूमि पूरी तरह क्लीयर है और इस पर निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है। रावत ने कहा कि इसी रोड पर कॉलेज चल रहा है और यह स्थान ब्रह्मा मंदिर के निकट ही है। इस स्थान की दूरी तीन किलोमीटर से भी कम है। चूंकि प्रदेश में कांग्रेस का शासन है, इसलिए जमीन का निर्णय कांग्रेस सरकार को ही करना है। अस्पताल किसी भी भूमि पर बने मेरा पूर्ण सहयोग है। विकास के मुद्दे पर मैं कोई राजनीति नहीं करना चाहता हंू। विधायक रावत ने कांग्रेस के नेताओं को भी सलाह दी कि वे अड़चन पैदा करने के बजाए अस्पताल के जल्द निर्माण में सहयोग करें। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-05-2021)
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योग गुरु बाबा रामदेव देशद्रोही तो नहीं हो सकते। आयुर्वेद और योग के माध्यम से बाबा ने हमारी ऋषि और सनातन संस्कृति को मजबूत ही किया है।भारत तेरे टुकड़े होंगे, जैसे नारे लगाने वाले ही देश के हीरो बने हुए हैं।राजस्थान के सीएम गहलोत के सचिव रांका तो प्राकृतिक चिकित्सा से ही कोरोना मुक्त हुए।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर कर योग गुरु बाबा रामदेव पर देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की है। एसोसिएशन का आरोप है कि बाबा ने कोरोना काल में दस हजार डॉक्टरों की मृत्यु को लेकर जो बयान दिया, वह देशद्रोह के दायरे में आता है। मैं एसोसिएशन की मांग पर तो कोई टिप्पणी नहीं कर रहा, क्योंकि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी को भी मांग करने का अधिकार है, लेकिन यह कहा जा सकता है कि बाबा रामदेव देशद्रोही नहीं हो सकते। बाबा ने ऐसा कोई काम नहीं किया जो दुश्मन देश पाकिस्तान और चीन की मदद करता हो। बाबा ने कभी भी पाकिस्तान और उसके इशारे पर भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने वालों का समर्थन नहीं किया। बल्कि बाबा ने योग और आयुर्वेद के माध्यम से भारत की सनातन और ऋषि संस्कृति को मजबूत किया है। जो आयुर्वेद और योग भारत में कमजोर हो गया था, उसके प्रति बाबा ने जागरूकता बढ़ाई। आज करोड़ों लोग प्रतिदिन योग कि क्रियाएं कर स्वयं को स्वस्थ रखे हुए हैं। पतंजलि संस्थान द्वारा तैयार आयुर्वेदिक दवाओं का उपयोग भी करोड़ों लोग कर रहे हैं। यदि पतंजलि की दवाओं में दम नहीं होता तो करोड़ों लोग क्यों खरीदते? यह माना कि पतंजलि का अब करोड़ों रुपया का कारोबार हो गया है, लेकिन बाबा रामदेव इस पैसे को देश से बाहर नहीं ले जा रहे हैं। आज पतंजलि के माध्यम से लाखों देशवासियों को रोजगार मिल रहा है। जब भारत  में बहुराष्ट्रीय कंपनियां आयुर्वेद के स्वदेशी उत्पादों को पूर्ण प्रमाणित के साथ बेच रहे हैं। यदि और कोई देश होता तो बाबा रामदेव के लिए बहुत कुछ करता। हो सकता है कि अति उत्साह में बाबा ने एलोपैथी चिकित्सा के बारे में कोई प्रतिकूल टिप्पणी कर दी है। बाबा को ऐसी टिप्पणियों से बचना चाहिए। लेकिन बाबा को देशद्रोही नहीं कहा जा सकता। सब जानते हैं कि हमारे यहां तो अभिव्यक्ति की इतनी आजादी है कि कुछ लोग भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे भी लगा लेते हैं। गंभीर बात यह है कि ऐसे देशद्रोही नारे लगाने वाले कई लोग आज हीरों बन गए हैं। जो लोग बाबा रामदेव की आलोचना कर रहे हैं, वे भी बताएं कि आखिर बाबा ने देशद्रोह का कौन सा काम किया है? क्या योग करवा लोगों को स्वस्थ रखना देशद्रोह है? यह माना कि एलोपैथी चिकित्सक के डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों ने कोरोना काल में लोगों की सेवा की है, लेकिन बाबा के योग और आयुर्वेद ने करोड़ों लोगों को कोरोना संक्रमण से बचाया है। जो बुजुर्ग प्रतिदिन योग करते हैं, उनमें से अधिकांश संक्रमण से बचे हुए हैं। योग में वे सब क्रियाएं हैं जो कोरोना काल में व्यक्ति को ऑक्सीजन लेवल बढ़ाती है। इसलिए एलोपैथी के चिकित्सकों ने कोरोना काल में अनुलोम-विलोम, कपालभाति, प्राणायाम आदि करने की सलाह दी है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका तो प्राकृतिक चिकित्सा से ही ठीक हो गए। रांका के साथ ही सीएम गहलोत भी संक्रमित हुए थे। गहलोत ने एलोपैथी की दवाइयां ली, जबकि रांका ने स्वयं को प्राकृतिक चिकित्सा से ही ठीक कर लिया। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को इस स्थिति को समझना चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-05-2021)
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Wednesday 26 May 2021

राजस्थान के 108 प्रबुद्धजनों ने बंगाल हिंसा पर राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की मांग।राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को दिया ज्ञापन।

25 मई को पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव परिणाम के पश्चात घटित व्यापक हिंसा के विरोध में राजस्थान के प्रबुद्धजनों ने राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल कलराज मिश्र को ज्ञापन भेजा। ज्ञापन देने वालों में राजस्थान के वरिष्ठ सेवानिवृत्त प्रशासनिक, न्यायिक वरिष्ठ अधिवक्ता, सेना व पुलिस से निवृत्त अधिकारी, अनुसूचित जाति-जनजाति समाज व संस्थाओं के प्रतिनिधि, पद्मश्री सम्मानित, पदक विजेता खिलाड़ी व पत्रकार-स्तम्भ लेखक सहित सामाजिक जीवन के महत्वपूर्ण स्थानों से अनुभव प्राप्त हस्तियों ने बंगाल की हिंसक त्रासदी को स्वस्थ लोकतंत्र और सद्भाव के लिए गहरा आघात बताया। संवैधानिक व सामाजिक संकट मानते हुए स्वत: स्फूर्त होकर सामान्य जन के सुरक्षा को लेकर चिंतित होते हुए संवेदनशील मन के साथ राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति जेपी सिंघल व पूर्व आईपीएस अधिकारी केएल बैरवा ने अपने साथियों के साथ बंगाल हिंसा के पीड़ित नागरिकों के साथ कष्ट की इस घड़ी में खड़े होने व उनको न्याय दिलाने के लिए राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति जी को राजस्थान के लगभग सभी जिलों से प्रतिनिधिक अग्रणी जनों के हस्ताक्षर प्राप्त कर ज्ञापन भेजा। ज्ञापन पर 18 प्रशासनिक, 20 न्यायिक व वरिष्ठ अधिवक्ता, 14 शिक्षाविद, 22 सामाजिक, 6 सेना व  पद्मश्री प्राप्त, 15 पदक विजेता खिलाड़ी और 13 वरिष्ठ पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए है। ज्ञापन को मेल के माध्यम से भेजा गया है। ज्ञापन के माध्यम से पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा पर गंभीरता पूर्वक ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि पश्चिम बंगाल में हिंसा के कारण न केवल लोकतंत्र के आधारभूत सिद्धांत स्वतंत्र चुनाव को गहरी चोट पहुंची है, वरन संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित गरिमामय जीवन के अधिकार का व्यापक स्तर पर हनन हुआ है। वहां नागरिकों के जीवन, संपत्ति व अधिकारों की रक्षा करने के पवित्र दायित्व से राज्य शासन विमुख हो रहा है। ज्ञापन के माध्यम से राष्ट्रपति महोदय से हस्तक्षेप करने की अपील करते हुए संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार निम्न विषय में शीघ्र कदम उठाने की मांग की है, जिसमें तत्काल हिंसा रोकी जाए, हिंसा के जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाए, हिंसा पीड़ितों को पर्याप्त सुरक्षा देने के साथ ही उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए, स्थानीय पुलिस एवं प्रशासन की असफलता को देखते हुए केंद्रीय बलों की पं बंगाल में नियुक्ति की जाए, पीड़ितों के सुरक्षित पुनर्वास एवं सुरक्षित भविष्य को सुनिश्चित किया जाए।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-05-2021)
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11 करोड़ रुपए की नशीली दवाइयों के प्रकरण में अजमेर के मूंदड़ा बंधुओं की तलाश। निर्माता कंपनी से खरीद के बाद दवाइयों के दुरुपयोग की आशंका।जोधपुर के फलौदी में एक लाख 80 हजार नशे की गोलियां बरामद।

राजस्थान के जयपुर और अजमेर में 11 करोड़ रुपए की नशीली दवाइयों के प्रकरण में अब अजमरे के दवा कारोबारी श्याम सुंदर मूंदड़ा के साथ साथ उनके भाई लक्ष्मीकांत मूंदड़ा और कमल कांत मूंदड़ा की पुलिस को तलाश है। अजमेर में इस प्रकरण का अनुसंधान अधिकारी और क्लाक टावर के थानाधिकारी दिनेश कुमावत ने बताया कि 24 मई को जब मूंदड़ा बंधुओं के विमला मार्केट स्थित विनायक मेडिकल स्टोर की तलाशी ली गई, तब कोई भी सामग्री नहीं मिली। इससे प्रतीत होता है कि 23 मई को जयपुर में जो 5 करोड़ रुपए की प्रतिबंधित दवाइयां जब्त की गई, उसकी सूना मूंदड़ा बंधुओं को लग गई थी। हालांकि पुलिस का मुख्य तौर पर श्याम सुंदर मूंदड़ा से पूछताछ करनी है, लेकिन अब उनके भाई लक्ष्मीकांत और कमलकांत मूंदड़ा भी उपलब्ध नहीं हो रहे हैं। तीनों के मोबाइल भी बंद हैं। परिवार वाले भी कोई जानकारी नहीं दे रहे हैं। भले ही निर्माता कंपनी हिमालय मेडिटेक ने नियमानुसार बिक्री की हो, लेकिन बाद में इन दवाइयों के दुरुपयोग की आशंका बनी हुई है। अजमेर में कालूराम जाट और मोमिन नाम के जिन दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, वे सामान्य श्रमिक हैं। इस प्रकरण में गिरोह सक्रिय है जो युवा पीढ़ी को नशे की दवाइयां उपलब्ध करवाता है। पुलिस ऐसे गिरोह का ही पता लगा रही है। यदि मूंदड़ा परिवार के सदस्य निर्दोष है तो उन्हें पुलिस की जांच में सहयोग करना चाहिए। पुलिस तथ्यों के आधार पर ही नियमानुसार कार्यवाही करेगी। पुलिस को शेख साजिद उर्फ कलाम की भी तलाश है। साजिद भी मूंदड़ा बंधुओं से सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। पुलिस के लिए यह भी जांच का विषय है कि सवा पांच करोड़ रुपए की दवाइयां अजमेर के ट्रांसपोर्ट नगर के गोदाम में कैसी पहुंची? जबकि ऐसी दवाइयां लाइसेंस धारी व्यक्ति के गोदाम अथवा दुकान में ही होनी चाहिए। जयपुर में जिन फर्मों के पास ये दवाइयां आई, उनकी भी जांच पड़ताल की जा रही है। चूंकि यह मामला युवा पीढ़ी से जुड़ा है, इसलिए पुलिस पूरी गंभीरता दिखा रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि मूंदड़ा बंधुओं की अजमेर के गेगल स्थित औद्योगिक क्षेत्र में दवाइयों की फैक्ट्री है। इस फैक्ट्री में ब्रांडेड जेनेरिक दवाइयां का भी निर्माण होता है। इस प्रकरण से अजमेर के दवा कारोबारियों में हड़कंप मचा हुआ है ।
फलोदी में नशे की गोलियां बरामद:
26 मई को जोधपुर के फलौदी में पुलिस ने एक वाहन से एक लाख अस्सी हजार नशे की गोलियां जब्त की है। ये गोलियां भी अजमेर और जयपुर में बरामद हुई ट्रामाडोल गोलियां ही हैं। पुलिस ने वाहन चालक को हिरासत में ले लिया है। पुलिस अब उन व्यक्तियों का पता लगा रही है, जिन्होंने इतनी बड़ी मात्रा में नशीली दवाओं को इस वाहन में रखवाया। फलोदी की ताजा कार्यवाही से प्रतीत होता है कि राजस्थान में नशे की गोलियों का कारोबार जोरों पर है। इससे युवा पीढ़ी को काफी नुकसान हो रहा है। 
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अजमेर के जेएलएन अस्पताल को पिछले 50 दिनों में एक लाख ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाए गए।अब सेना के इंजीनियरों का कहना है कि जो सिलेंडर 75 मिनट चलना चाहिए, वह लीकेज के कारण 45 मिनट ही काम में आया।अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक लाख सिलेंडरों से ऑक्सीजन की कितनी बर्बादी हुई। यह स्थिति तो अकेले अजमेर के एक सरकारी अस्पताल की है। क्या मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रदेशभर के अस्पतालों में बर्बाद हुई ऑक्सीजन की जांच करवाएंगे?सेना की कार्यवाही के बाद मेरे आरोप सही-विधायक भदेल।

अजमेर के जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित को शाबाशी मिलनी चाहिए कि उन्होंने नसीराबाद स्थित सैन्य छावनी के इंजीनियरों को बुलाकर संभाग के सबसे बड़े अजमेर स्थित जेएलएन अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडरों के लीकेज की जांच पड़ताल करवाई। 25 मई को सेना के इंजीनियरों ने अस्पताल पहुंचकर सिलेंडरों की जांच पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इंजीनियरों ने देखा कि जिन सिलेंडरों से अस्पताल की सेंट्रल पाइप लाइन जुड़ी है, वे सभी लीकेज हैं। इससे बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन बर्बाद हो रहा है। लीकेज को रोकने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों ने जो टेप लगाए वो भी सही तरीके से नहीं लगाए गए। किसी सिलेंडर का वाल्व खराब था तो किसी सिलेंडर का नट ढीला था। इंजीनियरों का मानना रहा कि जो सिलेंडर 75 मिनट काम में आना चाहिए वह 45 मिनट में खत्म हो रहा है। सेना के इंजीनियरों ने तो अपना काम पूरा कर दिया, लेकिन सवाल उठता है कि कोरोना काल में जो ऑक्सीजन बर्बाद हुई, उसका जिम्मेदार कौन होगा? सरकारी आंकड़े बताते हैं कि अस्पताल में रोजाना औसतन 2200 ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई हो रहे हैं। यह स्थिति पिछले 50 दिनों से निरंतर जारी है। यानी 50 दिनों में अस्पताल को एक लाख से भी ज्यादा ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध करवाए गए हैं। मात्र 50 दिनों में एक लाख सिलेंडर से बर्बाद हुई ऑक्सीजन का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऑक्सीजन के जानकारों के अनुसार एक सिलेंडर में 7 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन भरी जाती है। एक क्यूबिक मीटर का मतलब एक हजार लीटर ऑक्सीजन होता है। यानी एक सिलेंडर में 7 हजार लीटर ऑक्सीजन होती है। 2200 सिलेंडर की ऑक्सीजन मापी जाए तो एक करोड़ 54 लाख लीटर होती है। यह ऑक्सीजन तब बर्बाद हुई है, जब ऑक्सीजन के अभाव में जेएलएन अस्पताल के बाहर मरीज दम तोड़ रहे थे। यानी अस्पताल के अंदर ऑक्सीजन बर्बाद हो रही थी और बाहर ऑक्सीजन के अभाव में संक्रमित मरीज मर रहे थे। ऑक्सीजन के लीकेज या बर्बादी में अस्पताल के चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों का कोई दोष नहीं है, क्योंकि चिकित्सकों का काम तो मरीज का इलाज करना है।  ऑक्सीजन लीकेज की जिम्मेदारी सरकारी के तकनीशियनों की है। अब यदि सरकार ने अस्पताल में तकनीशियनों की नियुक्ति नहीं कर रखी है तो जेएलएन अस्पताल का प्रबंधन क्या कर सकता है? एमबीबीएस और एमडी की डिग्री लेने के बाद चिकित्सक ऑक्सीजन सिलेंडर के लीकेज को तो ठीक नहीं करेंगे। इतनी बड़ी मात्रा में ऑक्सीजन की बर्बादी के लिए अस्पताल प्रशासन को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। सवाल उठता है कि जिस प्रकार अजमेर में ऑक्सीजन सिलेंडरों के लीकेज का पता चलता, क्या उसी प्रकार प्रदेशभर के अस्पतालों की जांच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करवाएंगे? सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन यह बहुत ही गंभीर मामला है। ऑक्सीजन की कमी का सामना प्रदेशभर के अस्पतालों को करना पड़ा है। सेना के इंजीनियरों ने तो अकेले अजमेर के अस्पताल की जांच की है, लेकिन यदि प्रदेशभर के अस्पतालों की जांच करवाई जाए तो ऑक्सीजन की बर्बादी की सच्चाई सामने आ सकती है। सब जानते हैं कि अजमेर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा का गृह जिला है। जब चिकित्सा मंत्री के गृह जिले में ऑक्सीजन की बर्बादी की ऐसी स्थिति है तो अन्य जिलों का अंदाजा लगाया जा सकता है। सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन बर्बाद हुई करोड़ों लीटर ऑक्सीजन से सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकती थी। सीएम गहलोत को तत्काल प्रभाव से सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की बर्बादी को रोकना चाहिए। सीएम खुदा मान रहे हैं कि अभी कोरोना संक्रमण का खतरा टला नहीं है।
मेरे आरोप सही निकले:
26 मई को मीडिया कर्मियों से संवाद करते हुए अजमेर दक्षिण क्षेत्र की भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने कहा कि जेएलएन अस्पताल प्रशासन पर मैंने लापरवाही बरतने के जो आरोप लगाए थे वे सेना की कार्यवाही से सही साबित हुए हैं। इतनी बड़ी मात्रा में यदि ऑक्सीजन लीकेज हो रहा है तो इसके लिए अस्पताल प्रशासन ही जिम्मेदार है। भदेल ने कहा कि उनके आरोपों के बाद रेजीडेंट डॉक्टर लगातार मेरे विरुद्ध बयानबाजी कर रहे हैं, जबकि मैंने चिकित्सकों और चिकित्सा कर्मियों के विरुद्ध कोई बयान नहीं दिया। मैं अपने स्टैंड पर कायम हूं इसलिए चिकित्सकों से माफी मांगने की कोई बात ही नहीं है। मैंने जो भी आरोप लगाए वे किसी सार्वजनिक स्थल पर नहीं लगाए, मैंने अपनी बात अस्पताल के प्राचार्य डॉ. वीर बहादुर सिंह के कक्ष में कही। क्या एक जनप्रतिनिधि को अस्पताल प्रशासन के समक्ष लोगों की भावनाएं व्यक्त करने का अधिकार भी नहीं है? 
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Tuesday 25 May 2021

आईएमए की आपत्ति के बाद लाइव डिबेट के प्रोग्राम में आज तक न्‍यूज चैनल को पतंजलि के विज्ञापनों का प्रसारण रोकना पड़ा।बाबा रामदेव बताए की उनके डेयरी उत्पाद के सीईओ सुनील बंसल की मौत कोरोना संक्रमण से क्यों हो गई-आईएमए।तो क्या अब डॉक्टर समुदाय मेरी जान लेगा-बाबा रामदेव।

देश के लोकप्रिय आजतक न्यूज चैनल पर 25 मई को दोपहर 12 बजे योग गुरु और पतंजलि उत्पादों के प्रमुख बाबा रामदेव और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ. जयश लेले और एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा के बीच लाइव डिबेट का प्रोग्राम हुआ। चैनल एंकर अंजना ओम कश्यप चाहती थी कि बाबा रामदेव और देश के डॉक्टरों के बीच जो विवाद हुआ है, उस पर दोनों पक्षों के तर्क देश के समक्ष आ जाए। एंकर ने सबसे पहले बाबा रामदेव से उनके विवादित बयान पर सफाई देने को कहा। बाबा जब बोल रहे थे, तब आज तक चैनल की स्क्रीन के नीचे और लेफ्ट साइड में पतंजलि के कोरोलीन उत्पाद का विज्ञापन भी प्रसारित हो रहा था। इस पर डॉक्टर राजन शर्मा और डॉ. जयश लेले ने आरोप लगाया कि आज तक का यह प्रोग्राम पतंजलि का प्रयोजित है इसलिए लाइव डेबिट के प्रोग्राम में पतंजलि उत्पादों के विज्ञापन आ रहे हैं। हालांकि एंकर अंजना ने दोनों डॉक्टरों के आरोपों का खंडन किया, लेकिन आपत्ति के बाद चैनल की स्क्रीन पर पतंजलि का कोई विज्ञापन नजर नहीं आया। एक घंटे के लाइव प्रोग्राम में कोई ब्रेक भी नहीं हुआ। डॉक्टर राजन शर्मा और डॉ. जयश लेले ने कहा कि यदि बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि के उत्पाद कोरोलीन से कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज हो रहा है, तो फिर पतंजलि के डेयरी उत्पादक के सीईओ सुनील बंसल की 23 मई को जयपुर के अस्पताल में कोरोना से मौत कैसे हो गई? चिकित्सकों ने कहा कि बाबा रामदेव के सहयोगी और उनकी कंपनी के सीईओ बालकृष्ण को भी पिछले दिनों दिल्ली के एम्स अस्पताल में एलोपैथी पद्धति से अपना इलाज करवाना पड़ा। दोनों चिकित्सकों ने कहा कि बाबा रामदेव अपने उत्पादों का प्रचार करें, इस पर हमें कोई एतराज नहीं है, लेकिन कोरोना काल में डॉक्टरों और एलोपैथी का मजाक उड़ाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बाबा रामदेव ने एलोपैथी को मुर्खतापूर्ण विज्ञान बताया है। बाबा के इस बयान से भारत की दुनिया भर में मजाक उड़ रही है। जब कोरोना काल में लोगों को इसी एलोपैथिक पद्धति से बचाया जा रहा है, जब बाबा का ऐसा बयान दुर्भाग्यपूर्ण हैं। दोनों चिकित्सकों ने कहा कि कोरोना काल में लोगों की सेवा करते हुए देश के एक हजार डॉक्टर मर गए हैं। उन्होंने माना कि लोगों को स्वास्थ्य रखने में योग और आयुर्वेद का महत्व है। बाबा ने योग और आयुर्वेद के प्रति जागरुकता भी की है। लेकिन बाबा को एलोपैथी का मजाक उड़ाने का कोई अधिकार नहीं है। अब बाबा रामदेव का एक ताजा वीडियो सामने आया है, जिसमें वे योग करते हुए टर्र टर्र कर डॉक्टरों का मजाक उड़ा रहे हैं। दोनों चिकित्सकों ने कहा कि भाजपा की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को दो दिन पहले ही एयरलिफ्ट कर मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। साध्वी भी कोरोना संक्रमित हैं। डेबिट के दौरान बाबा रामदेव ने कहा कि विवादित बयान को उन्होंने वापस ले लिया है। तो क्या अब डॉक्टर समुदाय उनकी जान लेगा? बाबा ने कहा कि एलोपैथी लाइफ सेविंग ड्रग है, इस पर किसी को भी एतराज नहीं है। लेकिन मैं आज भी यह बात प्रमाणिक तौर पर कहता हूं कि एलोपैथी में कब्ज जैसे साधारण रोग का स्थाई इलाज नहीं है। दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया और मेदांता अस्पताल के प्रमुख डॉ. नरेश त्रेहान ने भी माना है कि योग से शरीर का ऑक्सीजन लेवल बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में मैंने लाखों करोड़ों लोगों को  प्राणायाम, अनुलोम विलोम, कपालभाति जैसे योग कराकर कोरोना से बचाया है। भले ही चिकित्सक समुदाय न माने लेकिन मेरे योग से कोरोना संक्रमित व्यक्ति स्वास्थ्य हुए हैं। उन्होंने कहा कि मैं एलोपैथी और चिकित्सकों की कोई आलोचना नहीं कर रहा, लेकिन आयुर्वेद की दवाओं और योग से कोरोना संक्रमण का इलाज संभव है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-05-2021)
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50 दिनों में 25 ग्रामीण जिलों में कोरोना से 3 हजार 918 की मौत हुई-राजस्थान सरकार।इन्हीं 25 जिलों के मात्र 512 गांवों में 50 दिनों में 14 हजार 482 व्यक्तियों की मौत हुई-दैनिक भास्कर। मौत के आंकड़ों में इतना फर्क है तो फिर मृतक के परिवार को सहायता कैसे मिलेगी? कोरोना के दौरान लंग्स और हार्ट फेल्योर को भी कोरोना की मृत्यु माना जाए।

राजस्थान में ऐसे हजारों परिवार हैं, जिनमें कमाई करने वाले प्रमुख सदस्य की मृत्यु कोरोना काल में हो गई है। अब ऐसे परिवारों के सामने भूखों मरने की स्थिति है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवेदनशीलता दिखाते हुए ऐसे परिवार के लिए विशेष पैकेज जारी करने की घोषणा की है। सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार ऐसे सभी जरूरतमंद परिवारों के साथ खड़ी है। लेकिन सवाल उठता है कि क्या सभी जरूरतमंद परिवार को सरकारी सहायता मिल पाएगी? यह सवाल इसलिए उठा है कि सरकार मौत के जो आंकड़े जारी कर रही है, उसमें और हकीकत के आंकड़ों में बहुत फर्क है। सरकार उन्हीं को कोरोना संक्रमण से मरा हुआ मानती है, जिनकी व्यक्तियों की मृत्यु संक्रमित रहते हुई है। संक्रमण के दौरान यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु लंग्स और हार्ट फेल्योर से हो जाए तो उसे भी कोरोना से मृत्यु होना नहीं माना जाता है। ऐसे बहुत से मामले हैं, जिनमें संक्रमित व्यक्ति अस्पताल से ठीक होकर अपने घर चला गया और फिर दो चार दिन में उसकी मौत हो गई। ऐसी मौत को भी सरकार कोरोना की मौत नहीं मानती है। जबकि ऐसे व्यक्तियों का अंतिम संस्कार कोरोना प्रोटोकॉल के तहत ही होता है। सरकार किसी जिले में भले ही 24 घंटे में 4-5 मौतें स्वीकार करें, लेकिन ऐसे संबंधित जिले के श्मशान स्थलों पर रात-दिन चिताएं जलती रही हैं। 25 मई को ही दैनिक भास्कर ने प्रदेश के 25 ग्रामीण जिलों के 50 दिनों की स्थिति की रिपोर्ट प्रकाशित की है। एक अप्रैल से 20 मई की 50 दिनों की अवधि में सरकार ने इन जिलों में कोरोना संक्रमण से मात्र 3 हजार 918 मरीजों की मौत होना माना है, जबकि भास्कर के जमीनी सर्वे में इन्हीं जिलों के मात्र 512 गांवों का 50 दिनों का रिकॉर्ड देखा गया तो 14 हजार 482 ग्रामीण की मौत हुई है। इनमें से अधिकांश ग्रामीणों की मौत का कारण कोरोना संक्रमण ही है। लेकिन उनकी मौत का कारण सरकार की तकनीक में उलझ गया है। यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सिर्फ सरकारी आंकड़ों के अनुरूप ही परिवारों को सहायता देते हैं तो यह उन जरूरतमंद परिवारों के साथ अन्याय होगा, जिनके मुखिया या परिवार चलाने वाले सदस्य की मौत कोरोना संक्रमण के बाद हुई है। या फिर संक्रमण के दौरान लंग्स या हार्ट फेल्योर की वजह से मौत हुई है। अच्छा हो कि कोरोना काल में हुई सभी मौतों का ईमानदारी और मेहनत के साथ सर्वे करवाया जाए और हर जरूरतमंद परिवार को मदद की जाए। सीएम गहलोत को अपने कार्मिकों से ज्यादा उस परिवार के सदस्यों पर भरोसा करना चाहिए जिन्होंने अपना प्रमुख सदस्य खोया है। सरकारी सहायता लेने के लिए कोई पिता कोई विधवा कोई बूढ़ी मां या छोटे बच्चे कभी भी झूठ नहीं बोलेंगे। कोरोना की दूसरी लहर में ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सीएम गहलोत माने या नहीं हजारों ग्रामीण तो चिकित्सा सुविधा सही समय पर नहीं मिलने से मर गए। S.P.MITTAL BLOGGER (25-05-2021)Website- www.spmittal.inFacebook Page- www.facebook.com/SPMittalblogFollow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11Blog- spmittal.blogspot.comTo Add in WhatsApp Group- 9602016852To Contact- 9829071511

वैक्सीन के लिए बिना रजिस्ट्रेशन के सेंटरों पर बुलाने से और परेशानी बढ़ेगी। अभी स्लॉट बुक करवाने के बाद भी वैक्सीन नहीं लग रही है।जिस सेंटर पर 100 डोज होंगे, वहां एक हजार लोग पहुंचेंगे, तब क्या होगा? सेंटरों पर झगड़े होने की आशंका। वैसे भी 18 से 44 वर्ष वालों के लिए राज्य सरकारों को जुगाड़ करना है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि 18 से 44 वर्ष वाले युवाओं को वैक्सीन के लिए कोविन एप पर रजिस्ट्रेशन करने पर स्लॉट बुक करवाने की जरुरत नहीं है। ऐसे युवा सरकारी स्वास्थ्य सेंटरों पर जाकर वैक्सीन लगवा सकते हैं। सेंटर पर ही रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को यह दिशा निर्देश तब जारी किए हैं, जब रजिस्ट्रेशन और स्लॉट बुक करवाने के बाद भी सेंटरों पर वैक्सीन नहीं लगाई जा रही है। केन्द्र सरकार ने 18 से 44 वर्ष वाले युवाओं को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी है। लाख कोशिश के बाद भी राज्यों को खुले बाजार से कोरोना की वैक्सीन नहीं मिल रही है। बड़ी कंपनियों ने राज्यों को वैक्सीन देने से इंकार कर दिया है। ऐसे में अनेक राज्यों ने 18 वर्ष से ऊपर वालों को वैक्सीन लगाने का काम बंद कर दिया हे। अब यदि बिना रजिस्ट्रेशन के सैकड़ों युवा अपने निकटतम सेंटर पर वैक्सीन लगवाने पहुंच जाएंगे तब क्या होगा? यदि किसी सेंटर पर 100 डोज हैं और वैक्सीन लगवाने के लिए एक हजार लोग पहुंच गए, तब चिकित्सा कर्मी हालातों से कैसे निपटेंगे? केन्द्र सरकार ने ताजा आदेश से लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ेगी। अभी ऑनलाइन स्लॉट नहीं मिलने से युवाओं को घर पर ही परेशानी हो रही है, लेकिन यदि बिना स्लॉट के सेंटर पर पहुंचे और वैक्सीन नहीं लगी तब क्या होगा? यदि ऐसा रोज होगा तो सेंटरों के बाहर झगड़े होंगे। चिकित्सा कर्मियों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी। हो सकता है कि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ जाएगी। जब केन्द्र सरकार ने 18 वर्ष वालों को वैक्सीन लगाने की जिम्मेदारी राज्यों पर डाल दी है तो फिर वैक्सीन लगाने को लेकर दखल क्यों दिया जा रहा है? अच्छा हो कि पहले वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। जब पर्याप्त मात्र में वैक्सीन हो, तब लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन के सेंटरों पर बुलाए जाए। कुछ लोगों का तर्क है कि ग्रामीणों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है, इसलिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करवा पा रहे हैं। यह तर्क कूड़ेदान में फेंकने वाला है, क्योंकि शहर के ज्यादा गांव के युवाओं के पास एंड्रॉयड फोन है। गांव का शायद ही कोई परिवार होगा, जिसमें एंड्रॉयड फोन न हो। ऐसे तर्क देने के बजाए गांवों में वैक्सीन के प्रति जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। चुनाव में भी तो राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता घर घर संपर्क करते हैं। खुद उम्मीदवार एक घर पर कई बार दस्तक देता है। वैक्सीन के लिए वार्ड पंच, सरपंच, प्रधान, अपने अपने क्षेत्रों में जाकर नहीं कर सकते? क्या ऐसी जागरूकता सिर्फ वोट लेने के लिए ही होती है? 
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नशीली दवाइयां बेचने वाली उत्तराखंड की हिमालय मेडिटेक कंपनी सामने आई। जयपुर और अजमेर जब्त की गई 11 करोड़ की दवाइयों का बिल भी बताया।लेकिन अजमेर के ट्रांसपोर्ट नगर में सवा पांच करोड़ की दवाइयां कैसे पहुंची, यह जांच का विषय है।अजमेर पुलिस को अभी भी श्यामसुंदर मूंदड़ा और शेख साजिद की तलाश। मूंदड़ा की गेगल स्थित दवा फैक्ट्री की भी जानकारी ली गई।

पुलिस ने 23 और 24 मई को जयपुर व अजमेर से जो 11 करोड़ रुपए की नशीली दवाइयां बरामद की थी उस प्रकरण में 25 मई को नया मोड़ आ गया है। इन दवाइयों को बनाने वाली उत्तराखंड की हिमालय मेडिटेक कंपनी ने पुलिस को सूचित किया है कि जब्त दवाइयों को नियमानुसार बेचा गया है। जीएसटी सहित बिक्री के बिल भी बनाए गए हैं। पुलिस ने अब कंपनी से बिक्री के बिल भेजने को कहा है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि दवाइयों की बिक्री और खरीद पर अब कोई संशय नहीं है। लेकिन पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सवा पांच करोड़ रुपए की प्रतिबंधित दवाइयां अजमेर के ट्रांसपोर्ट नगर के एक गोदाम में कैसे पहुंची? जानकारों के अनुसार ऐसे प्रतिबंधित दवाइयों को लाइसेंस धारी ही अपने गोदाम में रख सकता है। लेकिन सवा पांच करोड़ रुपए की दवाइयां गैर अनुमोदित स्थान पर मिली है। यही वजह है कि पुलिस को अभी अजमेर के दवा कारोबारी श्याम सुंदर मूंदड़ा और प्रकरण में लिप्त बताए जा रहे शेख साजिद की तलाश है। 24 मई को ही पुलिस ने मूंदड़ा के स्टेशन रोड स्थित विमला मार्केट के विनायक मेडिकल स्टोर पर जांच पड़ताल भी की थी। पुलिस सूत्रों के अनुसार बीके कौल नगर निवासी मूंदड़ा के दो अन्य भाई कमलकांत मूंदड़ा और लक्ष्मीकांत मूंदड़ा भी दवा कारोबार से जुड़े हुए हैं। मूंदड़ा परिवार की दवा फैक्ट्री गेगल के औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित है। पुलिस ने इस फैक्ट्री के बारे में भी जानकारी एकत्रित की है। लेकिन जब्त दवाइयों और फैक्ट्री में बनने वाली दवाइयों के बीच कोई तालमेल नहीं है। गेगल की फैक्ट्री में दर्द निवारक दवाओं का निर्माण होना बताया गया है। कमल और लक्ष्मीकांत मूंदड़ा की कोई संदिग्ध भूमिका सामने नहीं आई है। जानकारों की मानें तो श्याम सुंदर मूंदड़ा कई मौकों पर अपने स्तर पर दवा का कारोबार करता है। उल्लेखनीय है कि 23 मई को जयपुर पुलिस ने छापामार कार्यवाही कर करीब पांच करोड़ रुपए की दवाइयां बरामद की थी। इसी के आधार पर अजमेर पुलिस ने कार्यवाही करते हुए ट्रांसपोर्ट नगर के गोदाम से सवा पांच करोड़ रुपए की दवाइयां बरामद की। पुलिस ने इस प्रकरण में कालूराम जाट और मोमिन को हिरासत में लिया है। 
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