Wednesday 30 June 2021

राजनीति में सफलता ही नहीं बल्कि भरोसा और विश्वास भी बनाया है भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव ने।

30 जून को अजमेर से लेकर दिल्ली तक भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव का 52वां जन्मदिन उत्साह के साथ मनाया गया। चूंकि यादव अजमेर के निवासी है, इसलिए उनके शुभचिंतकों ने जन्मदिन के अवसर पर केक काटे। इसी प्रकार दिल्ली में सरकारी आवास पर जन्मदिन की बधाई देने वालों का दिनभर तांता लगा रहा। कई केंद्रीय मंत्रियों और राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्विटर पर यादव को जन्मदिन की बधाई दी। अजमेर में जन्मदिन समारोह के आयोजन भाजपा के पार्षद जेके शर्मा और भांवता के पूर्व सरपंच गिरधारी सिंह ने किए। भूपेन्द्र यादव भाजपा के उन चुनिंदा नेताओं में से एक है, जिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का पूरा भरोसा है। राष्ट्रीय महासचिव बनकर यादव ने राजनीति में सफलता तो हासिल की है, साथ ही प्रधानमंत्री जैसे बड़े नेताओं का भरोसा और विश्वास भी जीता है। यादव राजनीति की सफलता के जिस मुकाम पर खड़े हैं उसमें आम कार्यकर्ता और प्रभावशाली व्यक्ति यादव को जन्मदिन की बधाई देने को आतुर है। यादव ने बेहद ही सरलता के साथ सभी की बधाइयां भी स्वीकार की है। यही सरलता और सज्जनता यादव को अन्य राजनेताओं से अलग करती है। मैंने ऐसे बहुत से नेताओं को देखा है जो विधायक, सांसद, मंत्री या पार्टी का बड़ा पदाधिकार बन जाने पर घमंडी हो जाते हैं। लेकिन भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनने और देश के प्रधानमंत्री तथा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से सीधे संवाद करने की कुवत रखने वाले भूपेन्द्र यादव अभी भी साधारण कार्यकर्ता की तरह बर्ताव करते हैं। यादव के प्रभाव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सरकार और संगठन के प्रमुख व्यक्तियों की जब कोई महत्वपूर्ण बैठक होती है तो बैठक का एजेंडा बनाने से लेकर समन्वय तक का कार्य यादव ही करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्वाचन क्षेत्र बनारस हो या फिर हैदराबाद का निगम का चुनाव। सभी में यादव की भूमिका होती है। गत वर्ष बिहार के चुनाव में प्रभारी की हैसियत से जेडीयू और भाजपा गठबंधन की सरकार बनवाई तो अब अगले वर्ष गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव की कमान यादव के पास है। गुजरात में भाजपा को छठी बार चुनाव जितवाने की चुनौती यादव ने स्वीकार की है। सब जानते हैं कि गुजरात के चुनाव में हर बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की प्रतिष्ठा दाव पर होती है। यादव के राजनीतिक महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संसद की 25 महत्वपूर्ण कमेटियों के अध्यक्ष हैं या फिर सदस्य। यादव इन सभी समितियों में सक्रिय रहते हैं। मालूम हो कि यादव दूसरी बार राजस्थान से राज्यसभा के सांसद हैं। यादव सुप्रीम कोर्ट के सफल वकीलों में रहे हैं, इसलिए भाजपा के कानूनी सलाहकार भी माने जाते हैं। चुनाव आयोग में जब भी कोई प्रतिवेदन देना होता है तो यादव ही भाजपा का शिष्टमंडल लेकर जाते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा उम्मीदवार का नामांकन पत्र भी यादव की देखरेख में भरा जाता है। कहा जा सकता है कि यादव आज देश के चुनिंदा नेताओं में से एक हैं। ऐसा नहीं कि यादव का सम्मान सिर्फ भाजपा में ही है विरोधी दलों में भी यादव को एक संजीदा
राजनीतिज्ञ माना जाता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

गांधी परिवार पंजाब के सिद्धू से मुलाकात करता है, लेकिन राजस्थान के सचिन पायलट से नहीं। ऐसा क्यों?जिला अध्यक्षों की नियुक्ति प्रदेश कांग्रेस की सहमति से ही होगी-डोटासरा।

30 जून को पंजाब कांग्रेस के असंतुष्ट नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने दिल्ली में गांधी परिवार की प्रमुख सदस्य और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात से उत्साहित होकर सिद्धू ने स्वयं सोशल मीडिया पर जानकारी पोस्ट की। सिद्धू ने प्रियंका गांधी के साथ वाला फोटो भी पोस्ट किया। प्रियंका गांधी ने सिद्धू से यह मुलाकात तब की है, जब सिद्धू ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अमरेन्द्र सिंह के मुकाबले में सिद्धू को गांधी परिवार की ओर से लगातार तरजीह मिल रही है। गांधी परिवार ने मल्लिकार्जुन खडग़े की अध्यक्षता में जो तीन सदसीय सुलह कमेटी बनाई, अमरेन्द्र सिंह उसके समक्ष भी उपस्थित हुए। सवाल उठता है कि गांधी परिवार पंजाब की राजनीति में जितनी तवज्जो नवजोत सिंह सिद्धू को दे रहा है, उतनी तवज्जों राजस्थान की राजनीति में सचिन पायलट को क्यो ंनहीं दी जा रही है? जबकि राजस्थान में पायलट के परिश्रम से ही 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी थी। पायलट और उनके समर्थक विधायक लगातार आरोप लगा रहे है कि हमारी ही सरकार में एससी एसटी वर्ग की उपेक्षा हो रही है तथा कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं हो रही है। खुद पायलट ने कहा कि गत वर्ष हुए समझौते के अनुरूप निर्णय होने चाहिए। लेकिन जयपुर और दिल्ली में पायलट का अपेक्षित सम्मान नहीं हो रहा है। पायलट ने अभी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लेकर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है, जबकि सिद्धू ने कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की तुलना प्रतिद्वंदी अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल से कर दी है। सिद्धू खुलेआम पंजाब में कांग्रेस को बचाने की बात कह रहे हैं। पायलट ने राजस्थान में सिद्धू की तरह तीखे तेवर नहीं दिखाते हैं।
जिला अध्यक्षों की नियुक्ति:
30 जून को जयपुर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि जिला अध्यक्षों की नियुक्ति प्रदेश कांग्रेस कमेटी की सहमति से ही होगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने जिला प्रभारियों से जिला अध्यक्षों के जो पैनल मांगे हैं वह एक सामान्य प्रक्रिया है। इसको लेकर संगठन ने कोई विवाद नहीं है। जो पैनल तैयार किया जाएगा, उस पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ही विचार करेगी। उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्षों के साथ साथ ब्लॉक अध्यक्षों की भी नियुक्ति की जाएगी। डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस संगठन में कोई विवाद नहीं है और सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर काम कर रहे हैं। रिटायर आईएएस जीएस संधु को स्वायत्त शासन विभाग में सलाहकार के पद पर नियुक्ति दिए जाने के संबंध में डोटासरा ने कहा कि संधु भ्रष्टाचार के मामले में अदालत से बरी हो गए हैं। अब उन पर कोई आरोप नहीं है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

कई बार झूठ की भी सजा भुगतनी होती है, इस बात का अहसास राजस्थान के एसीबी के एडीजी दिनेश एन एम को अच्छी तरह है। सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति के एनकाउंटर में बेकसूर होने के बाद भी सात साल जेल में रहे।अब दिनेश एनएम ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम से जुड़े कमीशन खेरी के प्रकरण में जांच कर रहे हैं।संघ के निंबाराम की जल्द गिरफ्तारी हो-कांग्रेस।

जयुपर ग्रेटर नगर निगम में बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि से रिश्वत मांगने के प्रकरण में एसीबी ने निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम और कंपनी के अधिकारी ओमकार को तो 29 जून को गिरफ्तार कर लिया है और अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम पर भी गिरफ्तारी की तलवार लटकी हुई है। इस प्रकरण में रिश्वत की राशि का लेन देन नहीं हुआ है और एसीबी ने दो तीन वीडियो के आधार पर मुकदमा दर्ज किया है7 यानी इस प्रकरण में शिकायतकर्ता भी नहीं है। बीवीजी कंपनी ने भ कमीशन मांगने के आरोपों से इंकार किया है। लेकिन राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। इसलिए जांच का दायरा संघ तक पहुंच गया है। गहलोत तो पहले ही संघ के घोर विरोधी है और जब वीडियो सोशल मीडिया पर मुफ्त में मिल गए हैं तो संघ को कैसे छोड़ा जा सकता है। गहलोत के पास जो वीडियो हैं उसमें राम मंदिर निर्माण के लिए बीवीजी कंपनी से डोनेशन लेने की भी बात है। यह बात अलग है कि यह डोनेशन कंपनी के सीएसआर फंड में से देने की बात हो रही है। गहलोत के पास ही गृह मंत्री का प्रभार है, इसलिए एसीबी की कमान सीधे तौर पर उन्हीं के हाथों में है। इसमें कोई दो राय नहीं कि एसीबी के डीजी बीएल सोनी और एडीजी दिनेश एनएम संजीदा और ईमानदार अधिकारी है। इन दोनों ने ही गहलोत सरकार के बड़े बड़े भ्रष्टाचारियों को रंगे हाथें रिश्वत लेते पकड़ा है। बीवीजी कंपनी से कमीशन मांगने के प्रकरण की जांच भी एडीजी दिनेश एनएम की देखरेख में ही हो रही है। एसीबी भले ही संघ के क्षेत्रीय प्रचारक निंबाराम की भूमिका की जांच करें, लेकिन एडीजी दिनेश एनएम को इस बात का अहसास है कि कई बार झूठ की भी सजा भुगतनी पड़ती है। देश के बहुचर्चित सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति एनकाउंटर में दिनेश एनएम बेकसूर थे, लेकिन फिर भी उन्हें सात वर्षों तक जेल में रहना पड़ा। 2007 में जब दिनेश एनएम को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया, तब सीबीआई की कमान केंद्र में स्थापित कांग्रेस के गठबंधन वाली यूपीए सरकार के पास थी। तब प्रदेशभर के लोगों ने चीख चीख कर कहा कि दिनेश एनएम निर्दोष हैं, लेकिन किसी ने नहीं सुनी 2014 में दिनेश एनएम तभी बाहर आए, जब केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी। हालांकि बाद में अदालत ने भी दिनेश एनएम को सभी आरोपों से बरी किया, लेकिन यह सही है कि सीबीआई ने बेवजह दिनेश एनएम जैसे ईमानदार और दिलेर अधिकारी को गिरफ्तार कर जेल में डाला। सवाल उठता है कि दिनेश एनएम को सात साल तक जेल में रखने का जिम्मेदार कौन है? क्या इन सात सालों की भरपाई दिनेश एनएम को जा सकती है? आज गहलोत सरकार माने या नहीं लेकिन निंबाराम बीवीजी कंपनी के प्रतिनिाि से कमीशन की राशि नहीं मांग सकते हैं। अशोक गहलोत भले ही संघ से कितने भी नाराज हो, लेकिन घर परिवार छोड़ कर संघ का प्रचारक बना जाता है। निम्बाराम पिछले 30 वर्षों से संघ में प्रचारक हैं और मौजूदा समय में राजस्थान के तीनों प्रांतों के प्रमुख हैं। सीएम गहलोत के संघ के साथ वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन संघ के किसी प्रचारक को वे भी बेईमान नहीं मान सकते। भले ही राजाराम पर 20 करोड़ रुपए का कमीशन मांगने का आरोप हो, लेकिन सवाल उठता है कि यदि राजाराम को ही कमीशन हड़पना होता तो वह बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि को संघ कार्यालय में निंबाराम के पास क्यों ले जाते? जानकारों की माने तो बीवीजी कंपनी के जो 200 करोड़ रुपए नगर निगम में अटके हुए थे, उन्हें निकालने के लिए वीडियो बनाया गया। लेकिन यह वीडियो अब कांग्रेस हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही है। भले ही इस हथियार पर एसीबी का मुखौटा लगा हो, लेकिन डोर कहीं और बंधी है। कांग्रेस के इस हथियार से भाजपा की राजनीति भी लहूलुहान हो रही है। कांग्रेस सरकार ने सौम्या गुर्जर को हटाकर भाजपा की पार्षद शील धाबाई को ही कार्यवाहक मेयर बनाया है। भाजपा की अब यह मजबूरी है कि कांग्रेस सरकार द्वारा बनाई मेयर को ही स्वीकार करना पड़ेगा। अनेक लोग बीवीजी कंपनी के रिश्वतखोरी के प्रकरण को भी भाजपा की आंतरिक खींचतान से जोड़ कर देख रहे हैं। भाजपा और संघ से जुड़े इस ताजा प्रकरण ने फिलहाल सचिन पायलट वाले असंतोष को धीमा कर दिया है।
जल्द गिरफ्तारी हो:
जयपुर ग्रेटर नगर निगम में कमीशनखोरी के प्रकरण में एसीबी की हुई कार्यवाही को लेकर 30 जून को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। डोटासरा ने कहा कि भाजपा और संघ के लोग राम मंदिर के नाम पर चंदा वसूलते हैं और फिर उसमें गड़बड़ी करते हैं। जयपुर में जो ऑडियो वीडियो प्रकाश में आए हैं उन से पता चलता है कि संघ के लोग भी कंपनियों से जबरन चंदा वसूली कर रहे हैं। डोटासरा ने कहा कि एसीबी की एफआईआर में संघ के जिन निंबाराम का नाम आया है उनकी गिरफ्तारी जल्द होनी चाहिए। उन्होंने माना कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है। लेकिन वे एक राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते निंबाराम की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि एसीबी के अधिकारी जल्द ही कार्यवाही करेंगे। डोटासरा ने कहा कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाना चाहिए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Tuesday 29 June 2021

पुष्कर में 100 बेड के अस्पताल के लिए अजमेर के सीएमएचओ ने भी राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा।धर्मेन्द्र राठौड़ ही हैं अब पुष्कर के ताकतवर नेता।

तीर्थ नगरी पुष्कर में बनने वाले 100 बेड के सरकारी अस्पताल का प्रस्ताव अजमेर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. केके सोनी ने भी राज्य सरकार को भिजवा दिया है। अब इस अस्पताल के लिए जल्द ही बजट का आवंटन होगा। शिलान्यास भी जल्द हो सकता है। अस्पताल के कार्य को पूरा करवाने में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धर्मेन्द्र राठौड़ की महत्वपूर्ण भूमिका है। राठौड़ पिछले कुछ माह से पुष्कर में सक्रिय हैं और अखबारों में विज्ञापन देकर स्वयं को पुष्कर के नांद गांव का निवासी बता रहे हैं। चूंकि राठौड़ को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का समर्थन है, इसलिए पुष्कर के अस्पताल के काम तेजी से हो रहा है। यह बात अलग है कि पुष्कर के अनेक लोग अस्पताल के स्थान को लेकर एतराज जता रहे हैं। नाखुश लोगों का कहना है कि अस्पताल के लिए खरेखड़ी रोड पर जो स्थान चिन्हित किया है, वह पुष्कर से तीन किलोमीटर दूर है तथा इस स्थान के पानी का बहाव पवित्र सरोवर की ओर है। ऐसे में बरसात के दिनों में अस्पताल की गंदगी भी सरोवर में आ सकती है। अस्पताल के स्थान को बदलने के लिए मुख्यमंत्री तक से गुहार लगाई गई है। संसार प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर में ब्रह्माजी की मूर्ति के समक्ष ज्ञापन भी रखा गया है, लेकिन धर्मेन्द्र राठौड़ की राजनीतिक ताकत के आगे किसी की भी सुनवाई नहीं हो रही है। पुष्कर की पूर्व विधायक और कांग्रेस की नेत्री नसीम अख्तर इंसाफ ने भी खरेखड़ी रोड की भूमि को अस्पताल के लिए अनुपयुक्त बताया है, लेकिन राठौड़ की ताकत के आगे नसीम की भी सुनवाई नहीं हो रही है। राठौड़ उन नेताओं में से हैं जो मुख्यमंत्री आवास पर सीधी एंट्री रखते हैं। अस्पताल के स्थान को लेकर पुष्कर में हो रहे विरोध की खबरें रोजाना अखबारों में छप रही है, लेकिन सरकार में इन खबरों को पढ़ने वाला कोई नहीं है। हो सकता है कि विरोध के बीच ही खरेखडी में अस्पताल के भवन का शिलान्यास भ हो जाए। जागरूक लोगों ने सरोवर के घाटों पर साधु संतों की श्रृंखला बनाने के साथ साथ जगत पिता ब्रह्मा जी तक के पास अर्जी लगा दी है, लेकिन अभी तक कोई असर नहीं हुआ है। जहां तक पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक का सवाल है तो उन्होंने समझदारी दिखाते हुए चुप्पी साध रखी है। आरोप यहां तक लग रहे हैं कि भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए खरेखडी रोड में भूमि चिन्हित की गई है, जबकि इससे उपयुक्त भूमि अजमेर रोड पर चुंगी नो के सामने उपलब्ध है। भूमि का आवंटन नगर पालिका ने ही किया है। यानी भूमि पर पालिकाध्यक्ष पाठक की भी सहमति है। पाठक भाजपा के हैं, लेकिन उनका भी प्रयास है कि पुष्कर में सरकारी अस्पताल जल्द बने। 
S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

आखिर 18 वर्षीय सिक्ख लड़की से 55 वर्ष के अधेड़ का निकाह कितना उचित। अधेड़ पहले ही दो बीवियों का शौहर है।यह घटना पाकिस्तान वाले कश्मीर में नहीं बल्कि हमारे कश्मीर में हुई है। देशभर में सिक्ख समुदाय में गुस्सा।

पंजाब के अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा दो दिन से जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में डेरा जमाए हैं। सिरसा और उनके समर्थक उस 18 वर्षीय सिक्ख लड़की को आजाद करवाना चाहते हैं जिसका निकाह 55 वर्षीय एक अधेड़ के साथ जबरन करवाया गया। सिरसा का आरोप है कि निकाह से पहले लड़की के चाचा को गिरफ्तार करवाया गया और रात 10 बजे लड़की को अदालत में पेश कर एक तरफा कार्यवाही कर ली गई। यहां तक लड़की के माता-पिता को भी अदालत में नहीं जाने दिया। सिरसा ने रात 10 बजे हमारे कश्मीर में अदालत के खुलने पर भी आश्चर्य जताया। सवाल उठता है कि क्या एक 18 वर्षीय लड़की का निकाह 55 वर्षीय अधेड़ के साथ करवाना उचित है? वह भी तब जब अधेड़ व्यक्ति पहले से ही दो बीवियों का शौहर है। इस घटना को लेकर सिरसा ने श्रीनगर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, इस कॉन्फ्रेंस में सिरसा ने कश्मीर के मुस्लिम नेताओं को भी आमंत्रित किया, लेकिन सिरसा को इस बात का अफसोस रहा कि एक भी मुस्लिम नेता शामिल नहीं हुआ। सिरसा ने स्पष्ट कहा है कि जब लड़की परिजनों को नहीं मिलेगी, तब तक देश में सिक्खों का प्रदर्शन जारी रहेगा। सिरसा की मांग है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जम्मू कश्मीर में भी उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की तरह धर्म परिवर्तन कानून बनना चाहिए। कश्मीर में इस तरह की घटनाएं बेहद शर्मनाक है, जिसे सिक्ख समुदाय कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद भी यदि ऐसी समाज विरोधी घटनाएं हो रही है तो यह बेहद अफसोसनाक है। क्या कोई 18 वर्षीय लड़की को दो बीवियों वाले 55 वर्ष के अधेड़ से निकाह करने पर सहमति दे सकती है? सिरसा ने कहा कि इस निकाह की भी जांच पड़ताल होनी चाहिए। इस मामले में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को सख्त कार्यवाही करनी चाहिए।
हमारे कश्मीर में हुई है यह घटना:
गैर मुस्लिम लड़कियों से जबरन निकाह की घटनाएं पाकिस्तान में होती रहती हैं, लेकिन ताजा घटना हमारे कश्मीर में हुई है। यह घटना तब हुई है जब कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया जा रहा है। रात 10 बजे अदालत खुलने से हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

राजस्थान के परिवार पड़ोसी राज्यों में जा कर विवाह समारोह कर रहे हैं इससे राजस्थान की वेडिंग इंडस्ट्री को भारी नुकसान।चालीस व्यक्तियों वाले आदेश का प्रदेशभर में विरोध हुआ।

29 जून को जयपुर सहित प्रदेशभर में वेडिंग इंडस्ट्री से जुड़े हलवाई, समारोह स्थल, बैंड बाजे, केटर्स, डेकोरेशन, टेंट आदि के कारोबार से जुड़े लोगों ने प्रदर्शन किया। जयपुर में जहां बड़ा प्रदर्शन हुआ तो वहीं कोटा में कलेक्ट्रेट पर बैंड बजाया गया। इस इंडस्ट्री से जुड़े पांच लाख लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 1 जुलाई से शादी समारोह में जो चालीस व्यक्तियों की छूट दी है वह बेमानी है। इन चालीस व्यक्तियों में 25 मेहमान बताए गए हैं,जबकि 15 में डेकोरेशन, बैंड, हलवाई, टेंट आदि को शामिल किया गया है। भले ही शादी का समारोह समारोह स्थल पर करने की छूट दी गई हो, लेकिन 40 व्यक्तियों की संख्या बहुत कम है। जबकि पड़ोसी राज्य गुजरात, मध्य प्रदेश, यूपी, हरियाणा, दिल्ली आदि में शादी समारोह में 200 व्यक्तियों तक की छूट दी गई है। यही वजह है कि राजस्थान के परिवार पड़ोसी राज्यों में जाकर विवाह समारोह कर रहे हैं। इससे राजस्थान की वेडिंग इंडस्ट्री को भारी नुकसान हो रहा है। पिछले डेढ़ वर्ष से वेडिंग इंडस्ट्री के लोग बेरोजगार हैं। पांच लाख लोगों के सामने भूखे मरने की स्थिति आ गई है। इस उद्योग से जुड़े लोग पहले ही गरीब तबके के हैं और उस पर डेढ़ वर्ष से रोजगार नहीं मिलने की वजह से हालात बेहद खराब हैं। जब पड़ोसी राज्यों में छूट मिल गई है तो फिर राजस्थान में 40 व्यक्तियों की पाबंदी क्यों लगा रखी है। सीएम अशोक गहलोत को पांच लाख गरीब वर्ग के लोगों का ख्याल रखना चाहिए। यदि शादी समारोह में शामिल होने वालों की संख्या नहीं बढ़ाई गई तो अधिकांश परिवार पड़ोसी राज्यों में जाकर धूमधाम से विवाह कर लेंगे। 29 जून को प्रदेशभर में हुए धरना प्रदर्शनों में मुख्यमंत्री से मांग की गई कि पड़ोसी राज्यों की तरह राजस्थान में भी शादी समारोह में छूट मिलनी चाहिए। टेंट हलवाई, कैटरिंग, डेकोरेशन आदि कारोबार करने वालों के पास लाखों रुपए का सामान है जो बेकार पड़ा हुआ है। अब तक यह परंपरा रही है कि दूसरे राज्यों के धनाढ्य व्यक्ति राजस्थान में आकर विवाह करते हैं, लेकिन अब राज्य सरकार की नीति की वजह से धनाढ्य परिवार राजस्थान में नहीं आ रहे हैं। इसके विपरीत राजस्थान के परिवार दूसरे राज्यों में जा रहे हैं। मुख्यमंत्री को इस गंभीर स्थिति की ओर ध्यान देना चाहिए। लॉकडाउन में पहले ही होटल उद्योग का भी बुरा हाल हो गया है। होटल उद्योग भी शादी समारोह से जुड़ा हुआ है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

ममता जी! जगदीप धनखड़ भ्रष्ट नहीं हो सकते। यह राजस्थानियों का अपमान है।

मैं जगदीप धनखड़ को तब से जानता हूं जब वे राजस्थान के अजमेर जिले के किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। तब धनखड़ 1993 में विधायक बने थे। एक पत्रकार होने के नाते मेरी कई बार उनसे मुलाकात हुई। बाद में राजस्थान हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने पर भी धनखड़ से मेरा संपर्क करने पर भी धनखड़ से मेरा संपर्क बना रहा। धनखड़ भले ही राजनीति में ज्यादा सफल नहीं हुए हो, लेकिन उनकी वकालत हमेशा अच्छी चली। दिल्ली में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के माध्यम से धनखड़ गृहमंत्री अमित शाह के संपर्क में आए और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से हरी झंडी मिलने के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल नियुक्त किए गए। धनखड़ पर यह आरोप लग सकता है कि उन्होंने कई निर्णय केन्द्र सरकार के इशारे पर लिए, लेकिन धनखड़ पर भ्रष्ट होने का आरोप नहीं लग सकता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का यह कथन गलत है कि धनखड़ भ्रष्ट हैं। ममता ने धनखड़ को भ्रष्ट बता कर राजस्थानियों का अपमान किया है। जहां तक राज्यपाल पद का सम्मान करने की बात है तो ममता बनर्जी जब देश के प्रधानमंत्री पद का ही सम्मान नहीं करती हैं तो फिर राज्यपाल का क्या करेंगी? ममता बनर्जी अच्छी तरज जानती है कि पश्चिम बंगाल खास कोलकाता में अधिकांश कारोबार राजस्थान मूल के निवासियों के पास है। चूंकि राजस्थानियों ने ईमानदारी से अपना व्यवसाय किया, इसलिए ईमानदारी ही व्यापार की सफलता बन गई। जगदीप धनखड़ उसी राजस्थान के निवासी हैं, जिनके छोटे से व्यापारी पर भी बंगाल के लोग आंख मीच कर भरोसा करते हैं। जगदीप धनखड़ को भ्रष्ट बता कर ममता ने बंगाल में रह रहे राजस्थानियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। भले ही ऐसे राजस्थानी फिलहाल डर और भय की वजह से चुप रहे, लेकिन समय आने पर ममता को जवाब भी दिया जाएगा। सवाल यह भी उठता है कि जब ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की सत्ता पर इतना तगड़ा कब्जा है, तब धनखड़ राजभवन में रह कर भ्रष्टाचार कैसे कर सकते हैं? यदि एक रुपए की भी गड़बड़ हुई होती तो ममता बनर्जी अपनी पुलिस को राजभवन भेज देती। ममता बनर्जी के आरोप के बाद धनखड़ भावुक हो गए। लोगों ने न्यूज चैनलों पर धनखड़ की आंखों में आंसू देखे, लेकिन धनखड़ को यह साबित करने की जरुरत नहीं है कि वे ईमानदार हैं। जिन करोड़ों बंगालियों का कोलकाता के राजस्थानियों पर भरोसा है वे राजस्थानी धनखड़ को ईमानदार मानते हैं। धनखड़ को झूठे आरोपों से विचलित होने की जरुरत नहीं है। अलस में ऐसे आरोप जगदीप धनखड़ जैसे बोल्ड राज्यपाल की हिम्मत तोड़ने के लिए लगाए गए हैं। धनखड़ चुनिंदा राज्यपालों में से एक हैं कि शपथ ग्रहण समारोह में भी मुख्यमंत्री को टोकने की हिम्मत रखते हैं। पूरा देश जानता है कि ममता के तीसरी बार शपथ लेने के बाद पश्चिम बंगाल में कितनी हिंसा हुई है। लाखों हिन्दुओं को पड़ौसी राज्य असम में शरण लेनी पड़ी है। इन सब हालातों का मुकाबला धनखड़  ने किया है। लाचार और बेबस लोगों के हिम्मत बंधाने के लिए धनखड़ ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा भी किया। बंगाल में हो रही एकतरफा कार्यवाही का विरोध राज्यपाल धनखड़ ही कर रहे हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Monday 28 June 2021

जम्मू कश्मीर के पुलिसकर्मियों की हत्या और एयरफोर्स स्टेशन पर हमले पर आतंकियों और पाकिस्तान की निंदा क्यों नहीं करतीं ममता बनर्जी और महबूबा मुफ्ती?

27 जून की रात को पुलवामा में आतंकियों ने जम्मू कश्मीर पुलिस के एसपीओ फैयाज अहमद, उनकी पत्नी और बेटी की गोली मारकर हत्या कर दी। आतंकियों ने यह कायराना कृत्य फैयाज के घर में घुसकर किया। पिछले 10 दिनों में जम्मू कश्मीर पुलिस के तीन जवानों की इस तरह हत्या की गई है। 27 जून को ही जम्मू के एयरफोर्स  स्टेशन पर ड्रोन के माध्यम से विस्फोटक सामग्री गिराई गई। सूत्रों के अनुसार रात के अंधेरे में की गई, कार्यवाही में पाकिस्तान का हाथ है। सवाल उठता है कि जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों की हत्या और एयरफोर्स स्टेशन पर विस्फोटक गिराने के मामले में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती आतंकियों और पाकिस्तान की निंदा क्यों नहीं करती हैं? यह सवाल इसलिए उठा है कि ये दोनों महिला राजनेता जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ हैं। ममता को लगता है कि 370 को हटाने से दुनिया में भारत की बदनामी हुई है तथा महबूबा चाहती हैं कि 370 के प्रावधानों को फिर से बहाल किया जाए। महबूबा का तो मानना है कि जब तक पाकिस्तान से संवाद नहीं होगा, तब तक जम्मू कश्मीर में शांति नहीं होगी। अपनी ऐसी ही सोच के चलते दोनों महिला नेत्री आतंकियों और पाकिस्तान की निंदा नहीं करती हैं। किसी परिवार में मौत का मातम क्या होता है, यह इन दोनों नेत्रियों को शहीद फैयाज अहमद के घर जाकर देखना चाहिए। जिस घर में तीन तीन शव रखे हों, उस घर के सदस्यों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। ममता और महबूबा बताएं कि आखिर फैयाज अहमद का कसूर क्या था? क्या अपने प्रदेश की पुलिस में काम करना जुर्म हैं? वो आतंकी कितने निर्दयी होंगे जिन्होंने फैयाज के साथ साथ उनकी पत्नी और बेटी को भी गोली मार दी। ममता बनर्जी और महबूबा की सोच चाहे जो भी हो, लेकिन देश के सवा सौ करोड़ भी हैं कि शहीद फैयाज का इकलौता बेटा भी इंडियन आर्मी में है। फैयाज के परिवार की इससे बड़ी देशभक्ति नहीं हो सकती। जम्मू कश्मीर में शांति के लिए भले ही पाकिस्तान से संवाद करने के लिए दबाव बनाया जा रहा हो, लेकिन वहीं पाकिस्तान ड्रोन तकनीक से जम्मू के एयरफोर्स स्टेशन पर विस्फोटक सामग्री गिरवा रहा है। लेकिन इसके बावजूद भी दोनों नेत्री आतंकियों और पाकिस्तान की निंदा नहीं कर रही हैं। उल्टे पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर फायदा पहुंचाने वाले बयान दे रही हैं। यह भारत का ही लोकतंत्र हैं जिसमें ममता बनर्जी लगातार तीसरी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी हैं। असल में जैसे जैसे जम्मू कश्मीर में शांति मजबूत हो रही है, वैसे वैसे आतंकी अपने वजूद को कायम रखने के लिए कायराना हरकतें कर रहे हैं। 370 को निष्प्रभावी होने के बाद कश्मीरियों को रोजगार और समृद्धि भी मिलने लगी है। इससे परेशान होकर आतंकी गतिविधियां करवाई जा रही है। अब चूंकि विधानसभा चुनाव के लिए परिसीमन का कार्य हो रहा है, इसलिए पाकिस्तान और आतंकियों में कुछ ज्यादा ही बौखलाहट है। परिसीमन के बाद होने वाले चुनाव में महबूबा जैसी नेताओं की पोल खुल जाएगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

दरगाह कमेटी का दूसरा मामला एसीबी में पहुंचा। पार्षद मोहम्मद शाकिर ने शौचालय की आड़ में पांच दुकानें बनवाने का आरोप लगाया।ख्वाजा साहब की दरगाह में पुलिस के लिए आरक्षित स्थान को किराये पर देने का मामला पहले ही एसीबी में है।अमीन पठान इसी माह तीसरी बार दरगाह कमेटी के अध्यक्ष बने हैं।

अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह में आंतरिक प्रबंधन करने वाली दरगाह कमेटी से जुड़ा दूसरा मामला एसीबी में पहुंच गया है। मालूम हो कि दरगाह कमेटी केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन काम करती है। 28 जून को दरगाह क्षेत्र के पार्षद मोहम्मद शाकिर ने एसीबी के अजमेर स्थित पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एक पत्र दिया है। इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम और दरगाह कमेटी की मिली भगत से दरगाह के निकट सोल थम्बा क्षेत्र में पांच दुकानों का निर्माण किया जा रहा है। एसीबी के पुलिस अधीक्षक को बताया गया है कि दरगाह कमेटी सोल थम्बा क्षेत्र में सार्वजनिक शौचालय बनवाने का नक्शा नगर निगम से स्वीकृत करवाया था। स्वीकृत मानचित्र के अनुसार भूतल पर प्रतीक्षालय का निर्माण होना है तथा प्रथम तल पर शौचालय बनना है। लेकिन अब मौके पर भू-तल के निर्माण पर पांच शटर लगा दिए गए हैं, इससे प्रतीत होता है कि शौचालय की आड़ में दुकानें बनाई जा रही है। पार्षद शाकिर ने एसीबी को बताया कि जब उन्होंने नगर निगम के आयुक्त खुशाल यादव से शिकायत की तो यादव ने जांच के आदेश दिए। इस पर नगर निगम की उपायुक्त ने गत 12 अप्रैल को दरगाह कमेटी के नाजिम को नोटिस भी जारी किया। इस नोटिस में निगम ने स्वयं माना है कि ग्राउंड फ्लोर वेंटिंग हॉल के तौर पर स्वीकृत हैं, लेकिन मौके पर जो निर्माण हुआ है वह अवैध निर्माण की श्रेणी में आता है। इस नोटिस में अवैध निर्माण को रोकने की हिदायत दी गई। शाकिर ने आरोप लगाया कि इस नोटिस के बाद नगर निगम को नियमानुसार कार्यवाही करनी चाहिए थी, लेकिन आज तक भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। पार्षद शाकिर ने मांग की है कि नगर निगम और दरगाह कमेटी के दस्तावेज जब्त कर उच्चस्तरीय जांच की जाए।
पुलिस का स्थान किराये पर दिया:
ख्वाजा साहब की दरगाह के अंदर झालरे पर पुलिस के लिए आरक्षित स्थान को एक खादिम को किराये पर देने का मामला पहले ही एसीबी में पहुंच चुका है। दरगाह कमेटी के पूर्व उपाध्यक्ष और खादिम सैय्यद अब्दुल बारी ने एसीबी के महानिदेशक को इसी माह एक पत्र दिया है। इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि दरगाह कमेटी ने झालरे पर जो स्थान पुलिस के लिए आरक्षित किया था। उसे 50 लाख रुपए का डोनेशन लेकर खादिम मुबारक अली को किराये पर दे दिया। बारी ने एसीबी को दरगाह कमेटी के प्रस्ताव और किराये पर देने से जुड़े दस्तावेज भी उपलब्ध करवाए हैं। इन दस्तावेजों से पता चलता है कि कमेटी में एक ही दिन में सारे निर्णय ले लिया। सबसे गंभीर बात तो यह है कि दरगाह कमेटी की नोटशीट पर अध्यक्ष अमीन पठान और चार अन्य सदस्यों के हस्ताक्षर भी करवाए गए है। आमतौर पर कमेटी की नोटशीट इस तरह की कार्यवाही नहीं होती है। बारी ने पुलिस महानिदेशक से मांग की कि दरगाह कमेटी के स्थान को किारये पर देने के मामले की जांच करवाई जाए।
पठान तीसरी बार बने अध्यक्ष:
अमीन पठान इसी माह तीसरी बार दरगाह कमेटी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं। गत 15 जून को दिल्ली में हुई दरगाह कमेटी की बैठक में पठान को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुना गया है। अध्यक्ष बनने के बाद पठान ने दरगाह क्षेत्र में जायरीन की सुविधा के लिए अस्पताल आदि बनवाने की घोषणा भी की है। यहां यह उल्लेखनीय है कि अमीन पठान राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भी हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

श्रद्धालुओं ने पुष्कर के ब्रह्मा मंदिर में दर्शन किए तो ख्वाजा साहब की दरगाह में जायरीन ने जियारत। दरगाह में फूल पेश करने की अनुमति मिले।सीएम ने कहा कि राजस्थान में कोरोना का खतरनाक डेल्टा प्लस वेरिएंट आ चुका है तो बेरोजगार थानेदारों ने जान जोखिम में डाल कर जयपुर में बड़ा प्रदर्शन किया।

अनलॉक किए जाने के बाद 28 जून को सुबह 5 बजे से अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर खुल गया। फिलहाल ये दोनों प्रमुख धार्मिक स्थल सायं चार बजे तक खुले रहेंगे। दरगाह में जहां जायरीन ने जियारत की तो वहीं ब्रह्मा मंदिर में श्रद्धालुओं ने दर्शन किया दोनों ही धार्मिक स्थलों पर कोविड 19 के नियमों का सख्ती से पालन किया गया। दरगाह थाने के सीआई दलबीर सिंह ने बताया कि दरगाह से जुड़ी सभी संस्थाओं का आपसी तालमेल रहा, इसलिए दरगाह के अंदर भी सोशल डिस्टेंसिंग की पालना हुई। वहीं खादिमों की संस्था अंजुमन सैय्यद जादगान के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा शाह ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर जायरीन को मजार शरीफ पर फूल माला पेश करने की अनुमति देने की मांग की है। अंगारा शाह ने कहा कि फूल माला पेश (चढ़ाना) करना जायरीन की धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है। यदि जायरीन की आस्था ही पूरी नहीं होगी, तो फिर क्या फायदा होगा? उन्होंने कहा कि सभी धार्मिक स्थलों पर लोग दूर दराज से आते हें, ऐसे फूल माला आदि चढाने का अवसर मिलना ही चाहिए। 28 जून को पुष्कर स्थित ब्रह्मा मंदिर भी श्रद्धालुओं के लिए खुल गया। मंदिर के प्रमुख पुजारी कृष्ण गोपाल वशिष्ठ ने बताया कि ऑनलॉक के पहले दिन श्रद्धालुओं की संख्या कम रही है, लेकिन जैसे जैसे लोगों को मंदिर खुलने की जानकारी होगी, वैसे वैसे भीड़ बढ़ने लगेगी। मंदिर परिसर में सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कराया जा रहा है। पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक ने उम्मीद जताई कि धार्मिक स्थल खुलने से अब पुष्कर में पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी। लॉकडाउन की वजह से तीर्थ पुरोहितों के समक्ष भी रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था।
डेल्टा का प्रवेश और धरना प्रदर्शनों की शुरुआत:
28 जून को प्रदेश भर के प्रमुख अखबारों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से जारी एक विज्ञापन प्रकाशित हुआ है। इस विज्ञापन में कहा गया है कि कोरोना का खतरनाक डेल्टा प्लस वेरिएंट राजस्थान में प्रवेश कर चुका है, इसलिए लोगों को बेहद सतर्कता बरतने की हिदायत दी गई है। विज्ञापन में दूसरी लहर में आई मुसीबतों से भी अवगत कराया गया है। लेकिन वहीं 28 जून को बेरोजगार थानेदारों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सरकारी आवास के निकट ही धरना प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों का कहना रहा कि सरकार ने 511 सब इंस्पेक्टर पदों के लिए परिणाम जारी कर दिया है, लेकिन 10 माह गुजर जाने के बाद भी नियुक्ति नहीं दी है, इससे बेरोजगारों थानेदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारियों ने जयपुर में सिविल लाइन फाटक पर धरना भी दिया और फिर एक प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री के आवास पर जाकर ज्ञापन दिया। प्रदेश में लॉकडाउन में छूट मिलने के साथ ही धरना प्रदर्शनों का दौर भी शुरू हो गया है। 26 जून को भी किसानों और मजदूरों ने बड़ी संख्या में जयपुर में प्रदर्शन किया था। एक ओर मुख्यमंत्री डेल्टा प्लस वेरिएंट के प्रवेश की बात कर रहे हैं तो दूसरी ओर धरना प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

सौम्या गुर्जर की याचिका हाईकोर्ट से खारिज होने के बाद राजस्थान भाजपा में राजनीतिक संकट संभव।क्या कांग्रेस द्वारा बनाई गई शील धाबाई भाजपा ग्रेटर जयपुर का मेयर स्वीकार करेगी।

28 जून को हाईकोर्ट की जयपुर खंडपीठ ने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की निलंबित मेयर सौम्या गुर्जर की उस  याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार के निलंबन आदेश को चुनौती दी गई थी। अलबत्ता जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस पीके सोनगरा ने 6 माह में न्यायिक जांच करवाने के आदेश सरकार को दिए हैं। याचिका में नगर पालिका अधिनियम की धारा 39 को चुनौती दी गई थी। हालांकि याचिका खारिज होने से सौम्या को झटका है, लेकिन इसके साथ ही राजस्थान भाजपा में भी राजनीतिक संकट संभव है। राज्य की कांग्रेस सरकार ने निगम के आयुक्त यज्ञ मित्र सिंह की शिकायत पर सौम्या गुर्जर को मेयर के पद से निलंबित किया था। मेयर पर आरोप लगाया गया कि जब भाजपा के तीन पार्षद आयुक्त के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे, तब मेयर मूक दर्शक बनी रही। सौम्या गुर्जर को 6 जून को निलंबित किया गया था और दो दिन बाद ही कांग्रेस सरकार ने भाजपा की पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर मनोनित कर दिया। चूंकि जयपुर ग्रेटर नगर निगम के मेयर का पद ओबीसी वर्ग की महिला के लिए आरक्षित है, इसलिए सरकार ने ओबीसी वर्ग की भाजपा पार्षद को ही कार्यवाहक मेयर बनाया। नियमों के मुताबिक कार्यवाहक मेयर 60 दिन तक ही रह सकता है। सरकार चाहे तो एक बार ओर इस अवधि को बढ़ा सकती है। जानकार सूत्रों के अनुसार सरकार ने भले ही शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर मनोनित कर दिया हो, लेकिन भाजपा नेतृत्व शील धाबाई को स्वीकार नहीं करता है। यही वजह रही कि जब 8 जून को शील धाबाई ने मेयर पद की शपथ ली, तब भाजपा का कोई बड़ा नेता मौजूद नहीं था। भाजपा के सामने अब जयपुर ग्रेटर का नया मेयर चुनने का सवाल उठ खड़ा हुआ है। हालांकि 27 जून को ही शील धाबाई ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि शील धाबाई ने स्वयं को ही स्थाई मेयर बनाने का प्रस्ताव रखा है। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष पूनिया विवादों से बचते रहे हैं और वे किसी भी समस्या का समाधान सम्मानजनक तरीके से निकालने का प्रयास करते हैं। लेकिन अब पूनिया के सामने भी यह समस्या है कि आखिर मेयर किसे बनाया जाए। निगम में भाजपा को पूर्ण बहुमत है, लेकिन शील धाबाई को मेयर बनाए रखने में कांग्रेस की रुचि है। भाजपा में भी एक गुट ऐसा है जो शील धाबाई को ही मेयर बनाए रखना चाहता है। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाने वाले जयपुर शहर के भाजपा विधायक कालीचरण सराफ, अशोक लाहोटी और नरपत सिंह राजवी भी शील धाबाई के पक्ष में है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत वर्ष जब भाजपा पार्षद की बैठक में सौम्या गुर्जर के नाम पर मोहर लगी तब शील धाबाई ने भी अपना दावा प्रस्तुत किया था। भाजपा की इस खींचतान को देखते हुए ही कांग्रेस सरकार ने शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर मनोनीत किया। देखना है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद उपजे राजनीतिक संकट से प्रदेश नेतृत्व कैसे निपटता है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Sunday 27 June 2021

अजमेर में विनायक ज्वैलर्स का मालिक राजेश सोनी भागा नहीं, बल्कि दबंगों ने भगा दिया।अजमेर छोड़ने से पहले शोरूम और दो मकान भी बेचे, ताकि दबंगों को भुगतान कर सके।मणिरत्नम ज्वेलर्स और दरगाह बाजार का व्यापारी नरेश खरीददारों में।

अजमेर में जो लोग धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्र में रुचि रखते हैं उन्हें फॉयसागर रोड स्थित विनायक ज्वैलर्स के मालिक राजेश सोनी की सज्जनता के बारे में पता है। शायद ही कोई राजनेता होगा, जिसने कोटेश्वर महादेव मंदिर पर आयोजित राजेश सोनी की सहस्त्र धारा में प्रसादी न खाई हो। धर्म के क्षेत्र में भी राजेश सोनी की अच्छी पहचान रही। लेकिन यह सज्जन पहचान वाला राजेश सोनी गत 24 जून की रात को पूरे परिवार के साथ गायब हो गया।  सोनी   के विरुद्ध अभी तक हेमराज जैन नाम के व्यक्ति ने 800 ग्राम सोने की 25 चैन ले जाने का आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कराई है। सवाल उठता है कि करोड़ों की संपत्ति का मालिक आखिर इस तरह रात के अंधेरे में कैसे गायब हो गया। अपने साथ अपनी पत्नी, एक पुत्री तथा दो पुत्रों को भी ले गया। इतने लोग ज्यादा दिन तक एकांत में नहीं रह सकते हैं। यदि पूरे परिवार ने कोई अनहोनी नहीं की तो जल्द ही राजेश सोनी का पता लग जाएगा। कहा जा रहा है कि राजेश सोनी ने 10-15 करोड़ रुपए का कर्जदार था, इसलिए शहर छोड़ कर भाग गया। इस खबरों में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन बताया जा रहा है कि राजेश सोनी को दबंगों ने भगाया है। सोनी ने कुछ दबंगों से मोटी रकम उधार ली थी। हालांकि 3 प्रतिशत तक का ब्याज भी चुकाया, लेकिन जब ब्याज की राशि ज्यादा हो गई तो प्रतिमाह का भुगतान करना भी मुश्किल हो गया। हालांकि अजमेर छोड़ने से एक सप्ताह पहले राजेश सोनी ने फॉयसागर रोड स्थित विनायक ज्वैलर्स के शो रूम और दो मकानों का विधिवत बेचान भी किया है। शो रूम और पीछे वाला मकान नया बाजार स्थित सुप्रसिद्ध संस्था मणिरत्नम ज्वैलर्स के मालिकों तथा शो रूम के निकट एक अन्य मकान दरगाह बाजार स्थित मणिहारी सामान के विक्रेता नरेश ने खरीदा है। इन संपत्तियों से जो राशि मिली है उसे दबंगों को भी भुगतान किया गया है। शो रूम और पीछे वाले मकान पर एचडीएफसी बैंक का दो करोड़ 75 लाख रुपए बकाया है। मणिरत्नम के मालिक सुशील सोनी का कहना है कि बैंक का पूरा कर्ज चुकाया जाएगा। इस संपत्ति में से ही मणिरत्नम वाले स्वयं का बकाया भी वसूलेंगे। संपत्तियों के बेचने में राजेश सोनी ने सभी नियम कायदों का पालन किया है। अब राजेश सोनी कहां है यह सुशील सोनी और दुकानदार नरेश को भी पता नहीं है। बीके कौल नगर निवासी सर्राफा कारोबारी हेमराज जैन के अलावा पुलिस के पास अभी तक भी कोई और शिकायत नहीं आई है। पुलिस अब हेमराज की रिपोर्ट पर जांच कर रही है। पुलिस यह पता लगा रही है कि किन परिस्थितियों में 800 ग्राम सोने की 25 चैने हेमराज ने राजेश सोनी के शो रूम तक पहुंचाई। जबकि पिछले कई माह से शो रूम पर कोई व्यवसाय नहीं हो रहा था। राजेश सोनी की आर्थिक स्थिति के बारे में सभी सर्राफा कारोबारियों को पता था। बाजार से एक हजार रुपए का माल भी राजेश सोनी को उधार नहीं मिल रहा था, तब 40 लाख रुपए की सोने की चैन राजेश सोनी को कैसे मिल गई। बताया जा रहा है कि  हेमराज   से भी राजेश ने पैसे उधार ले रखे थे। जो भी राजेश सोनी के अचानक गायब होने से उन लोगों में खलबली है जिन्होंने बाजार में खास कर सर्राफ कारोबारियों को मोटी रकम ब्याज के लालच में दे रखी है। सूत्रों की माने तो दबंगों ने राजेश सोनी की कृषि भूमि भी हथियायी है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

तो क्या राजस्व आयुक्तालय बना देने से भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा? राजस्व मंडल का दर्जा घटाने के प्रकरण में बड़ा सवाल।फिर राजस्व मंडल के अध्यक्ष का क्या महत्व रहेगा? यह अजमेर के साथ ही विश्वासघात होगा।प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा निभा सकते हैं महत्वपूर्ण भूमिका। अजमेर ने रघु को सांसद भी बनाया है।28 जून को राजस्व मंडल के वकीलों से मिलेंगे मुख्य सचिव।

राजस्थान में अशोक गहलोत  के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार चाहती है कि राजस्व मंडल का दर्जा घटाकर प्रदेश में राजस्व आयुक्तालय बना दिया जाए। इस आयुक्तालय के माध्यम से ही प्रदेशभर के तहसीलदारों के तबादले और राजस्व के अन्य प्रशासनिक काम हों। अभी ये कार्य राजस्व मंडल के माध्यम से होते हैं। सीएम गहलोत के निर्देश पर मुख्य सचिव निरंजन आर्य की अध्यक्षता में गत 9 जून को एक बैठक हो भी चुकी है। इस बैठक में राजस्व आयुक्तालय के गठन की प्रक्रिया पर विचार हुआ। आयुक्तालय बनाने का निर्णय गहलोत सरकार ने तब लिया है, जब राजस्व मंडल में फैले भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ किया। जांच पड़ताल के लिए मंडल के अध्यक्ष आर वेंकटेश्वरन के कक्ष को भी सील किया गया। इससे भ्रष्टाचार की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। मंडल के दो सदस्य मनोज नाग और सुशील शर्मा के साथ दलाल की भूमिका निभाने वाले वकीलों को भी पकड़ा गया। अब इस मामले में क्या हो रहा है, यह गृह मंत्री की भूमिका निभाने वाले सीएम अशोक गहलोत और एसीबी के डीजी बीएल सोनी ही जानते हैं। लेकिन भ्रष्टाचार के उजागर होने से गहलोत सरकार ने राजस्व आयुक्तालय बनाने का निर्णय किया है। सवाल उठता है कि क्या आयुक्तालय बना देने से राजस्व महकमे में भ्रष्टाचार समाप्त हो जाएगा? क्या राजस्व आयुक्तालय में नियुक्त होने वाले आईएएस, आरएएस आदि अधिकारी राजा हरीश चन्द्र की तरह ईमानदार होंगे? आयुक्तालय में भी तो वही नौकरशाह नियुक्त होंगे जो राजस्व मंडल जैसे महकमों से अनुभव लेते हैं। गहलोत सरकार को यदि भ्रष्टाचार को समाप्त करना है तो प्रशासनिक कामकाज में पारदर्शिता लाने के साथ साथ राजनीतिक दखल बंद करवाना होगा। सब जानते हैं कि राजस्व मंडल के अध्यक्ष का पद राज्य के मुख्य सचिव के बराबर होता है, इसलिए राजस्व मंडल को प्रदेशभर के तहसीलदारों के तबादले और राजस्व के कामों पर निगरानी की जिम्मेदारी दी गई। मंडल के अध्यक्ष को राजस्व के न्यायिक कार्य के साथ साथ प्रशासनिक कार्यों को निपटाने का दायित्व भी दिया गया है। राजनीतिक कारणों से जो आईएएस मुख्य सचिव नहीं बनते उन्हें राजस्व मंडल का अध्यक्ष बना दिया जाता है। मुख्य सचिव के पद से वंचित आईएएस मंडल का अध्यक्ष बनकर जैसे तैसे अपना काम चला लेता है। गत वर्ष जब 7-8 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाया गया तो आर वेंकटेश्वरन को राजस्व मंडल का अध्यक्ष बनाया गया। वेंकटेश्वरण जैसे तैसे अपना काम चला रहे थे कि एसीबी ने मंडल पर छापामार कार्यवाही कर दी। चूंकि अब अनेक आईएएस और आईएएस सरकार के अहसानों से दबे पड़े हैं, इसलिए राजस्व मंडल का दर्जा घटाने की प्रक्रिया पर खामोशी है। मजे की बात देखिए जो निरंजन आर्य 7-8 आईएएस की वरिष्ठता को लांघ कर मुख्य सचिव बने वहीं निरंजन आर्य मुख्य सचिव के स्तर के पद वाले राजस्व मंडल के अध्यक्ष के अधिकार छीनने की प्रक्रिया तय कर रहे हैं। ऐसो सिर्फ अशोक गहलोत के शासन में ही हो सकता है। चूंकि राजस्व मंडल का मुख्यालय अजमेर में है, इसलिए दर्जा  घटाने की प्रक्रिया के विरोध में अजमेर में आंदोलन भी हो रहा है। लेकिन यह आंदोलन अथवा विरोध तभी सफल होगा, जब प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा साथ आएंगे। शर्मा अभी अजमेर के केकड़ी से विधायक हैं, लेकिन जिलेभर के लोगों ने शर्मा को जनवरी 2018 में उपचुनाव में सांसद भी बनवाया था। अब जब राजस्व मंडल का दर्जा घटाकर अजमेर का भी महत्व कम किया जा रहा है, तब रघु शर्मा की भी जिम्मेदारी है कि वे अजमेर के साथ खड़े हों। यह सही है कि 1956 में जब अजमेर राज्य राजस्थान में शामिल हुआ था, तब अजमेर के राज्य स्तरीय महत्व को बनाए रखने के लिए राजस्व मंडल, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राजस्थान लोक सेवा आयोग आदि के मुख्यालय रखे गए थे। अब यदि मंडल का दर्जा घटाया जाता है तो यह अजमेर की जनता के साथ भी विश्वासघात होगा। हालांकि राजनीति में विश्वासघात शब्द कोई मायने नहीं रखता है,क्योंकि राजस्व मंडल के सर्किट बेंच संभाग स्तर पर शुरू करवा कर पहले ही विश्वासघात किया जा चुका है। जो गहलोत सरकार आयुक्तालय बना कर राजस्व के प्रशासनिक अजमेर से जयपुर ले जाना चाहती है उसे यह समझना चाहिए कि भौगोलिक दृष्टि से अजमेर सेंटर में आता है। प्रदेशवासियों को जयपुर के बजाए अजमेर आना ज्यादा आसान होता है। राजस्व मंडल बार एसोसिएशन भी लगातार इस मुद्दे पर सक्रिय हैं। एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश कुमार शर्मा ने बताया कि मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने वकीलों के एक प्रतिनिधि मंडल को 28 जून को जयपुर बुलाया है। इस मुलाकात में प्रतिनिधि मंडल राजस्व मंडल के दर्जे को घटाने के बारे में विस्तृत जानकारी देगा।  इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 8107174171 पर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र शर्मा से ली जा सकती है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (27-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Saturday 26 June 2021

जब जयपुर में राजभवन के घेराव के लिए हजारों श्रमिक व किसान जुट सकते हैं और मंत्री की जनसुनवाई में सैकड़ों लोग आ सकते हैं तब राजस्थान में सायं चार बजे बाजारों को बंद क्यों करवाया जा रहा है। क्या ऐसे राजनीतिक प्रदर्शनों से कोरोना की तीसरी लहर नहीं आएगी?गहलोत सरकार ने राजनीतिक प्रदर्शनों पर रोक लगा रखी है।

राजस्थान के लोगों को कोरोना की तीसरी लहर से बचाने के लिए प्रदेशभर में सायं चार बजे बाजारों को बंद करवाया जा रहा है तथा सरकार ने राजनीतिक प्रदर्शनों पर भी रोक लगा रखी है। लेकिन 26 जून को जयपुर में केन्द्र सरकार के श्रम और कृषि कानूनों के विरोध में हजारों लोगों ने धड़ल्ले से प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनकारियों का उद्देश्य राज्यपाल कलराज मिश्र के सरकारी आवास (राजभवन) का घेराव करना था। प्रदर्शनकारियों ने कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाते हुए जमकर नारेबाजी की। इस मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस के अधिकारी और जवान भी मौजूद थे। लेकिन किसी भी प्रदर्शनकारी को रोकने में पुलिस ने भूमिका नहीं निभाई। इसी प्रकार प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष व स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा बीकानेर के सर्किट हाउस में जो जनसुनवाई कर रहे हैं उसमें भी सैकड़ों लोग भाग ले रहे हैं। यह माना कि ऐसी राजनीतिक गतिविधियां राजस्थान की कांग्रेस सरकार के लिए फायदे मंद हैं, लेकिन जब यह सब हो सकता है तो प्रदेश में कोरोना का डर दिखाकर बाजारों को सायं चार बजे बंद क्यों कराया जा रहा है। क्या ऐसे राजनीतिक प्रदर्शनों से तीसरी लहर नहीं आएंगी? या फिर बाजार खुलने से ही तीसरी लहर आएगी, यह ऐसे सवाल है कि जिन के जवाब प्रदेशभर के व्यापारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से चाहते हैं। यदि कोई व्यापारी अपनी दुकान पर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की पालना नहीं करता है तो उस पर जुर्माना लगाया जाता है। कई बार तो दुकान भी सीज कर दी जाती है। जबकि 26 जून को जयपुर में हजारों लोग एक साथ एकत्रित हुए और पुलिस मूक दर्शक बनी रही। प्रदर्शनकारियों ने न तो मास्क लगा रखा था और न ही सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर रखी थी। प्रदेशभर के व्यापारिक संगठनों ने मुख्यमंत्री गहलोत से कई बार आग्रह किया है कि बाजारों को रात 8 बजे तक खोला जाए। चार बजे बाजार बंद होने से दुकानदार और ग्राहक दोनों परेशान हो रहे हैं। यदि बाजारों में भीड़ से कोरोना की तीसरी लहर की आशंका है तो फिर राजनीतिक प्रदर्शनों से भी तीसरी लहर आ सकती है। जब कोरोना का डर दिखाकर बाजारों को चार बजे बंद कराया जा रहा है तब राजनीतिक प्रदर्शनों को छूट क्यों हैं? गंभीर बात तो यह है कि सरकार की रोक के बाद ऐसे प्रदर्शन धड़ल्ले से हो रहे हैं।
डेल्टा वेरिएंट का पहला मामला बीकानेर में मिला:
प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा भले ही बीकानेर में जनसुनवाई कर भीड़ एकत्रित कर रहे हों, लेकिन यह भी सही है कि डेल्टा वेरिएंट का पहला केस बीकानेर में ही मिला है। इससे पूरे राजस्थान को खतरा उत्पन्न हो गया है। सवाल उठता है कि तीसरी लहर की आड़ में सिर्फ व्यापारी वर्ग को ही परेशान क्यों किया जा रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

बिजली चोरी के 48 ट्रांसफार्मर जब्त। इनमें 42 नागौर के हैं।अजमेर डिस्कॉम के एमडी वीएस भाटी के नेतृत्व में चल रहा है बिजली चोरों को पकड़ने का अभियान।

अजमेर डिस्कॉम ने अपने बिजली चोरी पकड़ने के अभियान में 26 जून को बिजली चोरी के काम आने वाले 48 ट्रांसफार्मरों को जब्त किया है। यह सभी ट्रांसफार्मर हरियाणा निर्मित हैं। सबसे ज्यादा 42 ट्रांसफार्मर नागौर में जब्त किए गए हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली चोरी नागौर जिले में ही हो रही है। अजमेर डिस्कॉम के एमडी वीएस भाटी ने बताया कि अजमेर के अधीन 13 जिले आते हैं। यूं तो बिजली चोरी को पकड़ने का काम निरंतर जारी रहता है, लेकिन पिछले दिनों एक गुप्त निर्णय लेकर शनिवार को संदिग्ध स्थानों पर छापामार कार्यवाही करने का निर्णय लिया गया। इस निर्णय के अंतर्गत ही 26 जून को झुंझुनूं और नागौर जिले में एक साथ छापामार कार्यवाही की गई। जो 48 ट्रांसफार्मर जब्त किए गए उनमें से 42 अकेले नागौर जिले के हैं। नागौर में भी सबसे ज्यादा बिजली चोरी खींवसर में हो रही है। भाटी ने इस बात पर ताज्जूब बताया कि बिजली चोरी ट्रांसफार्मर का उपयोग कर रहे हैं। हाईटेंशन लाइन में अवैध रूप से तार डालकर ट्रांसफार्मर के जरिए बड़ी मात्रा में बिजली की चोरी की जा रही है। अजमेर डिस्कॉम के अधीन आने वाले 13 जिलों में से सीकर, झुंझुनूं, चित्तौड़ और बांसवाड़ा ऐसे जिले हैं, जहां दस प्रतिशत से अधिक बिजली छीजत (चोरी) है। जबकि नागौर में तीस प्रतिशत बिजली छीजत है। इसलिए 26 जून को बड़े पैमाने पर झुंझुनूं और नागौर जिले में छापामार कार्यवाही की गई। भाटी ने बताया कि पूर्व में नागौर में 38 प्रतिशत बिजली चोरी होती थी, जिसे घटाकर 30 प्रतिशत किया गया है। डिस्कॉम का प्रयास है कि सभी जिलों में बिजली की छीजत को समाप्त किया जा जाए। उन्होंने आम लोगों से भी अपील की कि बिजली चोरी की सूचना निकटतम उपखंड स्तर पर दी जाए। भाटी ने बिजली चोरों को भी चेतावनी दी कि वे चोरों का काम बंद कर दें क्योंकि अब नए कानूनों में सख्त कार्यवाही की जाएगी। भाटी ने बताया कि बिजली चोर हरियाणा निर्मित ट्रांसफार्मर का उपयोग कर रहे हैं। ट्रांसफार्मर बनाने वाली कंपनियों पर भी कार्यवाही की जा सकती है। डिस्कॉम की ताजा कार्यवाही से बिजली चोरों में खलबली मच गई है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

कांग्रेस सरकार में एससी एसटी वर्ग की कोई उपेक्षा नहीं हो रही है-डोटासरा।राजस्थान में प्रादेशिक मीडिया अब सही रास्ते पर है। राष्ट्रीय मीडिया को समझना होगा।कहां है अर्जुनराम मेघवाल और कैलाश चौधरी।

असंतुष्ट नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थक विधायकों के आरोपों का जवाब देते हुए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में एससी एसटी वर्ग के कोई उपेक्षा नहीं हो रही है। दो दिवसीय बीकानेर प्रवास पर पहुंचे डोटासरा ने 26 जून को बीकानेर में मीडिया से संवाद करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार में सभी वर्गों को मान सम्मान मिल रहा है। कांग्रेस में कोई असंतोष नहीं है, सभी मंत्री और विधायक एकजुट होकर कोरोना वायरस से मुकाबला कर रहे हैं। जहां तक मंत्रिमंडल के विस्तार का सवाल है तो सतत प्रक्रिया है। जब जरूरत होगी, तब मंत्रिमंडल का विस्तार भी हो जाएगा। डोटासरा ने कहा कि मैं बीकानेर आकर जनसुनवाई कर रहा हंू। ऐसी हिम्मत कांग्रेस के मंत्री ही दिखा सकते हैं। डोटासरा ने सवाल उठाया कि बीकानेर संभाग से केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और कैलाश चौधरी कहां हैं? क्या इन दोनों केन्द्रीय मंत्रियों ने जनसुनवाई की हिम्मत दिखाई? राजस्थान से तीन-चार भाजपा के सांसद केन्द्रीय मंत्री हैं, लेकिन प्रदेश की जनता की भलाई के लिए इन मंत्रियों की कोई भूमिका नहीं है। जबकि राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार जन सेवा में जुटी हुई है। जनसुनवाई में सोशल डिस्टेंसिंग की पालना नहीं होने पर डोटासरा ने कहा कि मंत्री की जनसुनवाई में लोग तो आएंगे ही। डोटासरा ने कहा कि अब राजस्थान का प्रादेशिक मीडिया सही रास्ते पर हैं। लेकिन राष्ट्रीय मीडिया अभी भी नरेंद्र मोदी की गोदी में बैठा है। हालांकि अब लोग सोशल मीडिया पर बहुत सक्रिय हैं। महंगाई और तेल कीमतों में वृद्धि पर मोदी सरकार की जमकर आलोचना हो रही है।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

जब देश के कानून मंत्री का ही अकाउंट ब्लॉक हो गया तो अब ट्विटर के खिलाफ कार्यवाही कौन करेगा?ट्विटर भारत का कानून नहीं मानता, लेकिन अमरीका के कानून का इस्तेमाल कर हमारे कानून मंत्री का अकाउंट ब्लॉक कर सकता है।

सवाल यह नहीं है कि एक घंटे बाद ही भारत के कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद का अकाउंट ट्विटर के अधिकारियों ने फिर से शुरू कर दिया। अहम सवाल यह है कि क्या एक डिजिटल प्लेटफार्म भारत जैसे ताकतवर देश से ज्यादा बड़ा और हिम्मत वाला है? हमारे कानून मंत्री प्रसाद माने या नहीं, लेकिन ट्विटर की यह जवाबी कार्यवाही है। जब गाजियाबाद के एक प्रकरण में ट्विटर को भी आरोपी बनाया गया तो ट्विटर के अधिकारियों ने देश के कानून मंत्री का ही अकाउंट ब्लॉक कर दिया। ऐसा नहीं कि यह अकाउंट गलती से बंद किया गया। बल्कि ट्विटर ने सीना चौड़ा करते हुए कहा कि कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद को सबक सिखाने के लिए ऐसी कार्यवाही की गई है। यानी 17 दिसम्बर 2017 के ट्वीट पर शिकायत मिलने पर कार्यवाही हुई है। यह कार्यवाही अमरीकी डिजिटल मिलेनियम कॉपराइट कानून के तहत हुई है। यानी जिस ट्विटर को भारत का कानून मानने के लिए बाध्य किया जा रहा था, उसने देश के कानून मंत्री का ही अकाउंट ब्लॉक कर दिया। इससे अब ट्विटर के सामने रवि शंकर प्रसाद को अपनी स्थिति का अंदाजा लगा लेना चाहिए। जो लोग टीवी न्यूज सुनते हैं, उन्होंने देखा होगा कि रवि शंकर प्रसाद रौबीले अंदाज में अपना कथन रखते हैं। इसी रौबिले अंदाज में उन्होंने ट्विटर को भी चेताया था। प्रसाद का कहना था कि यदि ट्विटर को भारत में अपना कारोबार करना है तो उसे हमारे देश का कानून मानना ही पड़ेगा। पता नहीं इस धमकी के बाद ट्विटर की कमाई पर कोई असर पड़ा या नहीं लेकिन धमकी देनेवाले कानून मंत्री का अकाउंट ब्लॉक हो गया। प्रसाद माने या नहीं लेकिन जब कोई व्यक्ति मुफ्त में कोई चीज देता है तो उस पर कोई दबाव नहीं डाला जा सकता है। ट्विटर वाले सामग्री को पोस्ट करने पर किसी से भी पैसा नहीं लेते हैं। यानी रविशंकर प्रसाद भी अपने ट्वीट का कोई पैसा ट्विटर को नहीं देते। प्रसाद का यह ट्वीट (संदेश) करोड़ों लोगों तक पहुंच जाता है। यह बात अलग है कि ट्विटर विज्ञापन के माध्यम से करोड़ों रुपया कमाता है, लेकिन ट्वीट पोस्ट करने का पैसा नहीं लेता है। ट्विटर के माध्यम से कई लोगों ने देश दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। जब हम डिजिटल क्रांति का फायदा उठाना चाहते हैं तो ऐसी बुराइयों का भी सामना करना पड़ेगा। भारत सरकार ने जब-जब भी ट्विटर पर कार्यवाही का प्रयास किया है, तब तब ट्विटर ने करारा जवाब दिया है। कानून मंत्री का अकाउंट एक घंटे के लिए ब्लॉक कर ट्विटर ने बता दिया कि वह धमकियों से डरने वाला नहीं है। अब देखना है कि रविशंकर प्रसाद ट्विटर पर क्या कार्यवाही करते हैं?
S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Friday 25 June 2021

केन्द्र सरकार के पैसे पर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा वाहवाही क्यों ले रहे हैं? भाजपा विधायक देवनानी ने अजमेर में 45 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले सर्जरी ब्लॉक का मुद्दा उठाया।कांग्रेस पार्टी लोकतंत्र की हत्यारी है। राहुल गांधी के बयान अब कोई मायने नहीं रखते हैं।

पूर्व मंत्री और अजमेर उत्तर क्षेत्र के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा द्वारा अजमेर में जेएलएन अस्पताल परिसर में 300 बेड का नया सर्जरी ब्लॉक बनाने की घोषणा पर सवाल उठाया है। देवनानी ने कहा कि सरकार ने जो प्रेस नोट जारी किया है, उसमें बताया गया है कि सर्जरी ब्लॉक का निर्माण स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत किया जाएगा, लेकिन इसे चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा की सौगात बताया गया है। प्रेस नोट की भाषा से ऐसा लगता है कि यह काम राज्य सरकार करवा रही है। देवनानी ने कहा कि स्मार्ट सिटी परियोजना के कार्यों में केन्द्र सरकार का पैसा खर्च हो रहा है, जब 300 बेड का नया अस्पताल भवन स्मार्ट सिटी में बनवाया जा रहा है तो फिर चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा इसे अपनी सौगात क्यों बता रहे हैं? देवनानी ने कहा कि अजमेर में नया अस्पताल भवन बने यह अच्छी बात है, लेकिन इसका श्रेय केन्द्र सरकार को दिया जाना चाहिए। देवनानी ने कहा कि रघु शर्मा झूठी वाहवाही लेने में माहिर हैं। देवनानी ने फिर आरोप लगाया कि स्मार्ट सिटी के कार्यों में वित्तीय अनियमितताओं हो रही हैं। जल्द ही एक जांच रिपोर्ट केन्द्र सरकार को भेजी जाएगी।
लोकतंत्र की हत्यारी है कांग्रेस:
देवनानी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि आज 25 जून है और आज के दिन ही वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किया था। पूरा देश जानता है कि आपातकाल में किस तरह लोकतंत्र की हत्या की गई। आज कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर संवैधानिक संस्थाओं को बंधक बनाने का आरोप लगते है, जबकि कांग्रेस को पहले आपातकाल के अपने कारनामों को याद करना चाहिए। किस तरह मीडिया पर सेंसरशिप लगाई गई। लाखों राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेलों में डाला गया। इसके विपरीत आज एनडीए के शासन में महबूबा मुफ्ती जैसी नेता को भी बोलने की पूरी छूट है। पाकिस्तान की तरफदारी करने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महबूबा से संवाद कर रहे हैं। इससे ज्यादा आजादी और लोकतंत्र की मजबूती और क्या चाहिए।
राहुल का बयान अब कोई मायने नहीं:
देवनानी ने बताया कि कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी के बयान अब कोई मायने नहीं रखते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने मोदी उपनाम वाले व्यक्तियों को चोर बताया था। लेकिन इस संबंध में जब सूरत में मानहानि का मामला दर्ज हुआ तो 24 जून को अदालत में उपस्थित होकर राहुल गांधी ने कहा कि मुझे मेरे बयान के बारे में कोई जानकारी नहीं है। देवनानी ने कहा कि इससे पहले भी राहुल गांधी अपने बयानों पर माफी मांग चुके हैं। राहुल गांधी आरोप लगाने के बाद भाग जाते हैं। इसलिए देश की जनता अब राहुल गांधी के बयानों को गंभीरता के साथ नहीं लेती है। राहुल के बयान और आरोप अक्सर सच्चाई से दूर होते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

आखिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने साथ राजस्थान के लोगों को भी क्वारंटीन क्यों कर रखा है?बाजारों को सायं चार बजे बंद करवाने का तुक दुकानदारों के समझ में नहीं आ रहा है। प्रदेश में लाखों लोगों का रोजगार छिन गया है।

सब जानते हैं कि कांग्रेस में चल रहे सियासी घमासान को देखते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने स्वयं को क्वारंटीन कर लिया है। गहलोत ने घोषणा की है कि अब वे 15 अगस्त से पहले मुख्यमंत्री आवास पर किसी भी व्यक्ति से नहीं मिलेंगे और न ही बाहर निकलेंगे। यानी वे कोविड-19 के क्वारंटीन नियमों का सख्ती से पालन करेंगे। गहलोत अप्रैल माह में कोरोना संक्रमित हुए थे, लेकिन अब जून माह से स्वयं को 15 अगस्त तक के लिए क्वारंटीन कर रहे हैं, यह कांग्रेस पार्टी का आंतरिक मामला है, लेकिन सवाल उठता है कि प्रदेश की जनता को क्वारंटीन रहने के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है? यह सवाल इसलिए उठा है कि अभी भी प्रदेशभर को सायं चार बजे लॉकडाउन किया जा रहा है तथा रविवार को चौबीस घंटे बंद रखा जा रहा है। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि पड़ोसी राज्य अब रात 8 बजे तक खुल रहे हैं। इन राज्यों में आर्थिक और रोजगार की स्थिति पुन: बहाल हो रही है। चिकित्सा विभाग के भी आंकड़े बताते हैं कि 24 जून को जिन 44 हजार 194 लोगों के सैम्पल लिए गए उनमें से मात्र 147 लोग ही संक्रमित पाए गए हैं। प्रदेश के 8 जिले तो ऐसे हैं, जहां एक भी व्यक्ति संक्रमित नहीं मिला है। 24 जून को प्रदेशभर में कोरोना से एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई। यानी अब ऐसा कोई कारण नहीं है, जिसकी वजह से प्रदेशभर में सायं चार बजे लॉकडाउन करवाया जाए। यह माना कि तीसरी लहर का खतरा बना हुआ है, लेकिन यह खतरा अकेले राजस्थान में ही नहीं है। तीसरी लहर आएगी तो पड़ोसी राज्यों पर भी असर पड़ेगा।  रात 8 बजे तक बाजार खोलकर पड़ोसी राज्य तीसरी लहर से मुकाबला करने की तैयारी भी कर रहे हैं। क्या 4 बजे लॉकडाउन करवा कर सीएम गहलोत राजस्थान को तीसरी लहर से बचा लेंगे? सीएम गहलोत और उनके सलाहकार माने या नहीं, लेकिन चार बजे बाजार बंद होने से आम दुकानदार बेहद दुखी और परेशान है। जिन व्यापारियों और स्ट्रीट वेंडरों का कारोबार शाम को ही होता है उनके लिए तो अभी भी सपंूर्ण लॉकडाउन ही है। शाम चार बजे बाजारों को बंद करवाने का तुक किसी भी व्यापारी के समझ में नहीं आ रहा है। दुकान एक घंटा खुले या 10 घंटे खर्च तो बराबर ही होगा। चार बजे तक बाजार खुलने से व्यापारियों को खर्च तो दिनभर जितना ही करना पड़ रहा है, लेकिन सायं चार बजे बाद माल की बिक्री नहीं हो रही है। व्यापारी तीन बजे से दुकान को बंद करने की प्रक्रिया शुरू कर देता है। साढ़े तीन बजे भी कोई ग्राहक आता है तो माल देने में असमर्थता बताई जाती है, क्योंकि अधिकांश बाजारों में चार बजे पुलिस वाले डंडा लेकर आ जाते हैं। सरकार को लाखों रुपए का टैक्स चुकाने वाला व्यापारी किसी पुलिस वाले से मां बहन की गालियां सुनना पसंद नहीं करता है। व्यापारी वर्ग ही जानता है कि लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की आड़ में पुलिस ने कितना परेशान किया है। हो सकता है कि कुछ सज्जन पुलिस वालों ने परेशान न किया हो, लेकिन अधिकांश दुनकदारों ने पुलिस को भुगता है। क्वारंटीन रह कर सीएम गहलोत रोजाना डिजीटल तकनीक से अपने मंत्रियों और अधिकारियों से संवाद करते हैं, लेकिन आम लोगों को कोई राहत नहीं मिल रही है। पता नहीं असंतुष्ट नेता सचिन पायलट अपनी सरकार की सांसें कब तक फुला कर रखेंगे। पायलट राहत देंगे तो सभी दुकानदारों को भी राहत मिलेगी। फिलहाल दो तीन दिन से पायलट गुट के विधायक शांत हैं, उम्मीद की जानी चाहिए कि 28 जून सोमवार से दुकानें रात 8 बजे तक खुलने लगें। 
S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

महबूबा मुफ्ती और ममता बनर्जी जैसी नेताओं से देश को सावधान रहने की जरुरत।कश्मीर में एक विधानसभा में 20 हजार मतदाता और जम्मू में 2 लाख। क्या यह लोकतंत्र का मजाक नहीं है?

जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए 24 जून को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में जो बैठक हुई उसमें जम्मू कश्मीर के 8 राजनीतिक दलों के 14 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक के बाद पीडीपी की नेता और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 को बहाल करने और दुश्मन देश पाकिस्तान से बात करने की वकालत की। भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद का सुख भोगने वाली महबूबा का मानना है कि पाकिस्तान की मध्यस्थता के बगैर जम्मू कश्मीर की समस्या का हल नहीं हो सकता है। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 24 जून की बैठक में भाग नहीं लिया,लेकिन उन्होंने भी पाकिस्तान को खुश करने वाला बयान दिया। ममता ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों की आजादी नहीं छीननी चाहिए। अनुच्छेद 370 को हटाने से दुनिया में भारत की बदनामी हुई है। सवाल उठता है कि जब जम्मू कश्मीर में शांति कायम हो रही है तथा पाकिस्तान को आतंकी गतिविधियों का अवसर नहीं मिल रहा है, तब क्या ऐसे बयान दिए जाने चाहिए? अब कांग्रेस पार्टी भी मानती है कि 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में हालात बदले हैं। अब किसी आतंकी के जनाजे में कश्मीरियों की भीड़ नहीं जुटी है तथा सुरक्षाबलों पर पत्थर भी नहीं फेंके जा रहे हैं। 370 के निष्प्रभावी होने के बाद जम्मू और कश्मीर घाटी खास कर मुस्लिम महिलाओं को अनेक अधिकार मिले हैं तथा सरकारी योजनाओं का भी लाभ मिलने लगा है। यही वजह है कि अब आम कश्मीरी  सुकून के साथ रह रहा है। ममता बनर्जी को यदि कश्मीरियों की आजादी की इतनी ही चिंता है तो उन्हें एक बार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के मुसलमानों से संवाद करना चाहिए। यहां के मुसलमान पाकिस्तान की सेना के जवानों के बूटों से कुचले जा रहे हैं। हमारे कश्मीर में तो महबूबा मुफ्ती खुलेआम पाकिस्तान का समर्थन करती है, इससे ज्यादा और क्या आजादी चाहिए? ममता बनर्जी और महबूबा मुफ्ती जैसी नेता यह समझ लें कि अब तक जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र का मजाक उड़ रहा था। कश्मीर में एक विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ 20 हजार मतदाता और जम्मू में 2 लाख मतदाता। ऐसा क्यों हो रहा था, यह महबूबा और ममता दोनों अच्छी तरह समझती है,  क्या यह भेदभाव समाप्त नहीं होना चाहिए? अब परिसीमन के माध्यम से यही भेदभाव समाप्त किया जा रहा है। अब हर विधानसभा क्षेत्र में समान मतदाता होंगे तो विधायक भी मतदाताओं की सहमति से चुने जाएंगे। जो उम्मीदवार लोकप्रिय होगा, वो चुनाव जीतेगा। महबूबा और ममता भी जानती है कि 370 के हटने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात बेहतर हुए हैं, लेकिन अपने तुच्छ राजनीतिक स्वार्थ की खातिर पाकिस्तान परस्त बयान दे रही हैं। 370 के हटने पर जिस पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक भी मुस्लिम देश का समर्थन नहीं मिला, उसी पाकिस्तान को अब महबूबा और ममता बनर्जी तवज्जो दे रही है। महबूबा और ममता बनर्जी के बयानों को आगे रखकर पाकिस्तान को भारत पर हमला करने का अवसर मिलेगा। भले ही पश्चिम बंगाल के लोगों ने ममता को तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया हो, लेकिन आम बंगाली भी कश्मीर पर दिए ममता के बयान से सहमत नहीं होंगे। ममता को जब देश के साथ खड़े होने की जरूरत है, तब ममता पाकिस्तान के समर्थन में बोल रही हैं। माना कि प्रधानमंत्री मोदी से ममता की नाराजगी है, लेकिन राजनीतिक नाराजगी को देश की एकता और अखंडता से नहीं निकालना चाहिए।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

Thursday 24 June 2021

11 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार और हत्या के जघन्य अपराध में घटना के मात्र तीन दिन बाद 25 जून को अजमेर पुलिस आरोपी के विरुद्ध अदालत में चार्जशीट पेश करेगी।आरोपी को 15 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेजा।

अजमेर के निकट पुष्कर क्षेत्र की बैजनाथ की पहाड़ी पर 21 जून को 11 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार और हत्या की जो घटना हुई उसमें आरोपी के विरुद्ध 25 जून को अदालत में चार्जशीट पेश कर दी जाएगी। जिला पुलिस अधीक्षक जगदीश चन्द्र शर्मा ने बताया कि बेहद ही जघन्य अपराध है इसलिए मैंने यह वादा किया था कि अगले 48 घंटे में आरोपी को गिरफ्तार कर अदालत में चार्जशीट पेश कर दी जाएगी। मैंने अपने वायदे के मुताबिक घटना के तुरंत बाद आरोपी सुंदर उर्फ संतु को गिरफ्तार करवाया और 24 जून को आरोपी को अदालत में पेश कर 15 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भिजवा दिया। अब वायदे के अनुसार 25 जून को अदालत में आरोपी के विरुद्ध चार्जशीट पेश कर दी जाएगी। शर्मा ने बताया कि इन दिनों अदालतों में वीसी के जरिए कामकाज हो रहा है। इस स्थिति को देखते हुए वे स्वयं संबंधित न्यायिक अधिकारी से बात करेंगे और चार्जशीट को पेश किया जाना सुनिश्चित करेंगे। एसपी शर्मा ने बताया कि 24 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए ही आरोपी को पोस्को में पेश किया गया था। आरोपी के विरुद्ध पुलिस के पास पुख्ता सबूत हैं। हालांकि आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है। आरोपी ने माना है कि वह नशे की हालात में था इसलिए बलात्कार और हत्या जैसा जघन्य अपराध किया है। एसपी ने कहा कि यह घटना एक सामाजिक बुराई है। समाज में ऐसी घटनाओं को बढ़ावा न मिले इसलिए हम जल्द से जल्द आरोपी को सजा दिलाना चाहते हैं। एसपी ने अभिभावकों से भी आग्रह किया कि वे अपने बच्चों की देखभाल अच्छी तरह करें। यदि 24 वर्षीय सुंदर उर्फ संतु शराब पीकर आपराधिक घटनाएं करता है तो यह समाज के लिए भी अच्छी बात नहीं है।
सोशल मीडिया पर धमकी:
11 वर्षीय बालिका के साथ बलात्कार और हत्या की घटना को गंभीर मानते हुए सोशल मीडिया पर आरोपी और उसके वकील को धमकियां दी गई है। पुलिस का कहना है कि यदि इस संबंध में कोई शिकायत करेंगा तो कानूनी कार्यवाही भी की जाएगी। ग्रामीण क्षेत्र के डीएसपी पार्थ शर्मा ने कहा कि इस जघन्य मामले में पुलिस ने तत्परता के साथ कार्यवाही की है। किसी को भी कानून अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है। सभी पक्ष के लोगों को अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए। पुलिस का प्रयास होगा कि अदालत की कार्यवाही भी तेजी से करवाई जाए। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511

ब्लॉग के नियमित पाठक हैं राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेन्द्र यादव।जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली जरूरी। लेकिन अनुच्छेद 370 पर कोई समझौता नहीं।

देश भर में मीडिया के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध रखने वाले राज्यसभा सांसद और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव अपने गृह नगर अजमेर के दो दिवसीय प्रवास पर हैं। इस प्रवास के दौरान ही यादव 24 जून को सुबह मेरे पुष्कर रोड स्थित निवास पर चाय पीने के लिए आए। यादव दिल्ली में बैठक कर देश की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन 24 जून को मेरे परिवार के सदस्यों से आत्मीयता के साथ मुलाकात की। राजस्थान हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले मेरे पुत्र हर्षित मित्तल के हाल चाल जाने तो चार्टेड अकाउंटेंट पुत्रवधू सलोनी को आशीर्वाद दिया। इतना ही नहीं मेरे लेखन को आगे बढ़ाने वाली मेरी पत्नी श्रीमती अंचला मित्तल को शुभकामनाएं भी दी। इस अवसर पर क्षेत्र के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी, पार्षद जेके शर्मा, निजी सहायक अनिल जैन, गिरधारी सिंह आदि भी उपस्थित रहे। बातचीत के दौरान यादव ने कहा कि वे मेरे ब्लॉग के नियमित पाठक हैं। चाहें वे दिल्ली से बाहर हो या फिर विदेश में लेकिन ब्लॉग नियमित पढ़ते हैं। यादव का मानना रहा कि मैंने पत्रकारिता के क्षेत्र में सोशल मीडिया का सही उपयोग किया है। यही वजह है कि आज ब्लॉग के लाखों पाठक हैं। मेरे लिए यह संतोष की बात है कि राष्ट्रीय स्तर का कोई बड़ा राजनेता मेरे ब्लॉग की प्रशंसा कर रहा है। इसमें कोई दो राय नहीं कि देश चलाने में इतनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले भूपेन्द्र यादव  सरल स्वभाव के व्यक्ति हैं। यादव कोई आधा घंटे मेरे निवास पर रुके, लेकिन इस बीच मोबाइल पर कई केंद्रीय मंत्रियों से संवाद भी किया। देश के हालातों को लेकर भी यादव के साथ विचार मंथन हुआ। मैं यहां सभी बातों का तो उल्लेख नहीं कर सकता है, लेकिन जम्मू कश्मीर पर यादव की राय जरूर लिखना चाहता हंू। यादव ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश और जम्मू कश्मीर को लोकतांत्रिक प्रक्रिया से ज्यादा समय तक वंचित नहीं किया जा सकता है। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से संवाद कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा मजबूत लोकतंत्र में भरोसा रखती है, इसलिए पहले जम्मू कश्मीर में स्थानीय निकाय और पंचायतों के चुनाव करवाए गए और अब विधानसभा के चुनाव करवाने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। भाजपा चाहती है कि जम्मू कश्मीर के लोग ही अपने प्रदेश पर शासन करें। यादव ने दो टूक शब्दों में कहा कि अब अनुच्छेद 370 को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। जम्मू कश्मीर के लोग भी मानते हैं कि अनुच्छेद 370 के हटने से उन्हें अनेक लाभ मिले हैं। अनुच्छेद 35ए तो कश्मीर की महिलाओं में भी भेदभाव करता था। चूंकि अब 370 निष्प्रभावी हो गया है, इसलिए 35ए का वजूद भी समाप्त हो गया है। जम्मू कश्मीर की महिलाओं को भी अब समान रूप से अधिकार मिल रहे हैं। यादव ने कहा कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद केन्द्रीय योजनाओं का लाभ आम कश्मीरियों को मिलने लगा है। जो नेता अभी भी 370 के पक्ष में बयान दे रहे हैं उनका कश्मीर में कोई वजूद नहीं है। भूपेन्द्र यादव गुजरात के प्रभारी महासचिव हैं। गुजरात में अगले वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। गुजरात के चुनाव के संदर्भ में यादव ने कहा कि भाजपा छठी बार सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा कि  पहले नरेन्द्र मोदी और फिर विजय रूपाणी की सरकारों ने जो विकास कार्य किए हैं, उन्हें गुजरात की जनता ने पसंद किया है। भाजपा अपने विकास कार्यों को आगे रखकर चुनाव लड़ेगी। 
S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2021)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511