Monday 31 October 2022

भाजपा से पैसे लेने वाले धर्मेन्द्र राठौड़ के बयान पर राजस्थान पुलिस को जांच करनी चाहिए।क्योंकि सचिन पायलट के साथ दिल्ली जाने वाले विधायकों में से अब कई मंत्री भी हैं।पुष्कर में आरोपी दे रहा है प्रशासन और पुलिस को निर्देश। सीएम गहलोत 1 नवंबर को आएंगे।

राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने कहा है कि जुलाई 2020 में कांग्रेस के जो विधायक दिल्ली गए थे, वो दिल्ली में भाजपा सरकार की गोदी में बैठ गए। इन्होंने ने पैसे लिए और गहलोत सरकार को गिराने की कोशिश की। राठौड़ ने यह बात पायलट समर्थक विधायक राम निवास गवाडिय़ा के ताजा बयान पर कही। गवाडिय़ा ने कहा कि जूते चप्पल उठा कर धर्मेन्द्र राठौड़ आरटीडीसी के चेयरमैन बन गए हैं, जबकि हम जैसे लोग चुनाव जीत कर जनता के प्रतिनिधि बनते हैं। गवाडिय़ा का बयान अपनी जगह है, लेकिन राठौड़ का बयन बहुत मायने रखता है। यह पहला अवसर है, जब गहलोत कैम्प से खुला आरोप लगाया गया है। अब पैसे लेने की बात घूमा फिरा कर कही गई, लेकिन राठौड़ ने तो पैसे लेने का सीधा आरोप लगा दिया है। जुलाई 2020 में दिल्ली जाने वाले कांग्रेस विधायकों ने यदि भाजपा से पैसा लिया है तो यह बहुत ही गंभीर बात है। गंभीरता इसलिए भी है कि दिल्ली जाने वाले 19 विधायकों में से तीन सरकार में मंत्री है तथा कुछ विधायक आयोग आदि का अध्यक्ष बन कर राज्य मंत्री की सुविधा ले रहे हैं। पायलट के नेतृत्व में जब 19 विधायक दिल्ली गए थे, तब जयपुर में पुलिस ने इन विधायकों पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर लिया था। यह मुकदमा अभी विचाराधीन है। अब इस मुकदमे में धर्मेंद्र राठौड़ से भी पूछताछ होनी चाहिए क्योंकि उनके पास पैसे लेने के सबूत हैं। यदि सबूत नहीं होते तो राठौड़ सार्वजनिक तौर पर ऐसा बयान नहीं देते। सब जानते हैं कि धर्मेन्द्र राठौड़ इस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे भरोसेमंद नेता हैं। 25 सितंबर को भी जब मंत्री शांति धारीवाल के निवास पर कांग्रेस विधायकों की समांतर बैठे हुई तो धर्मेन्द्र राठौड़ ने ही विधायकों को एकत्रित करने का कार्य किया। इससे राठौड़ की मुख्यमंत्री के साथ निकटता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
आरोपी के निर्देश:
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले के शुभारंभ पर 1 नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी आएंगे। गहलोत पुष्कर सरोवर के घाटों पर सवा लाख दीपदान के कार्यक्रम में भी भाग लेंगे। सीएम के दौरे की तैयारियों के लिए जिला और पुलिस प्रशासन के बड़े अधिकारी पुष्कर का लगातार दौरा कर रहे है। इसी क्रम में 30 अक्टूबर को जब पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने तैयारियों का जायजा लिया तो कांग्रेस के नेता वेदनाथ पाराशर ने आवश्यक निर्देश दिए। पाराशर ने अधिकारियों को बताया कि सीएम के स्वागत की तैयारियां किस प्रकार से की जाए। जानकार सूत्रों के अनुसार प्रशासन वेदनाथ पाराशर को इसलिए महत्व दे रहा है कि आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ ने पाराशर के बारे में अधिकारियों को निर्देश दिए रखे हैं। राठौड़ जब पुष्कर आते हं तब पाराशर साथ रहते है। पाराशर को पुष्कर में राठौड़ का प्रतिनिधि ही माना जाता है। जानकार सूत्रों के अनुसार पिछले दिनों नगर पालिका के ईओ अभिषेक गहलोत के साथ मारपीट की जो घटना हुई उसमें वेदनाथ पाराशर भी आरोपी है। कायदे से तो पुष्कर पुलिस को पाराशर की तलाश है, लेकिन इसे प्रशासन और पुलिस की मजबूरी ही कहा जाएगा कि अब पाराशर के निर्देशों पर ही अमल करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री की यात्रा को लेकर पाराशर की भूमिका पुष्कर में आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है। 

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मैं हूँ भारत अभियान के तहत अजमेर के खरेखड़ी में सैकड़ों ग्रामीणों ने शपथ ली।समारोह में संत महंतों ने अभियान का समर्थन किया। सुभाष काबरा की पहल पर गांव की छात्राओं की कबड्डी टीम का सम्मान भी किया।

मैं हूँ भारत अभियान के तहत 30 अक्टूबर को अजमेर के निकट अजय सर ग्राम पंचायत के खरेखड़ी गांव में एक बड़ा समारोह हुआ। इस समारोह में संतों महंतों की उपस्थिति में सैकड़ों ग्रामीणों ने देश को इंडिया के बजाए भारत कहने की शपथ ली। अभियान के राजस्थान के उपसभापति सुभाष काबरा ने कहा कि दुनिया भर में भारत एकमात्र देश है, जिसके दो नाम है। हमारे संविधान में भी भारत को इंडिया के नाम से संबोधित किया गया है। इतना ही नहीं करेंसी (नोट) पर भारतीय रिजर्व बैंक के साथ साथ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भी लिखा गया है। काबरा ने कहा कि इंडिया शब्द गुलामी का प्रतीक है, अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश भर से गुलामी के प्रतीकों को हटाया जा रहा है, तब भारत को सिर्फ भारत ही कहने की जरूरत है। इस संबंध में देश के 467 सांसदों ने राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी दिया है। इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट के 100 से भी ज्यादा वकीलों ने एक याचिका दायर कर संविधान में संशोधन करने की मांग भी की है। इस याचिका पर 16 नवंबर को सुनवाई होगी। समारोह में सैकड़ों ग्रामीणों ने भविष्य में देश को भारत कहकर संबोधित करने की शपथ भी ली। इस अवर पर ग्रामीणों के साथ साथ अजयपाल मंदिर के पुजारी मिट्ठू महाराज, काली माता मंदिर के पुजारी शंकर महाराज, रतन महाराज, तेजा मंदिर के पुजारी कान जी महाराज, बाईसा मंदिर के पुजारी प्रभु महाराज, देवनारायण मंदिर के पुजारी नाथू चौहान, नाग पहाड़ मंदिर के पुजारी छोटू महाराज, नंदराई माता मंदिर के पुजारी कालू महाराज, तेजा मंदिर के भोपा खाजू जी महाराज, रतन रावत के साथ साथ धर्म परायण परस राम, सूरज सिंह, समरा जी आदि उपस्थित रहे। इन सभी संतों और महंतों का मैं हूं भारत फाउंडेशन की ओर से सम्मान किया गया।
छात्राओं की टीम का सम्मान:
समारोह में खरेखड़ी की छात्राओं की कबड्डी टीम की सदस्य नाजिया, सोब, नासिम, रवीना, लक्ष्मी, डिम्पल, निशा, मुन्नी  आदि का ट्रैक सूट देकर सम्मान किया गया। टीम के रेफरी याकूब ने बताया कि छात्राओं ने हाल ही में संपन्न हुई ग्रामीण ओलंपिक प्रतियोगिता में जिला स्तर पर जीत हासिल की है। समारोह के दौरान आरएसएस के वरिष्ठ पदाधिकारी मोहनलाल खंडेलवाल ने देशभक्ति गीत भी प्रस्तुत किया। समारोह को सफल बनाने में ग्रामीण प्रतिनिधि साजन सिह, पांचू सिंह, मान सिंह, राम सिंह, लक्ष्मण सिंह, जवाहर सिंह, शक्ति सिंह, प्रेम प्रकाश पारीख, नारायण गुर्जर, खुर्शीद, मां भारती ग्रुप के पवन ढिल्लीवाल, महेंद्र सिंह आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मैं हूँ भारत अभियान के जिला संयोजक अरविंद ने बताया कि समारोह में प्रांतीय उपसभापति और समाजसेवी सुभाष काबरा का अभिनंदन भी किया गया। सभी ने काबरा के सामाजिक कार्यों की प्रशंसा की। ग्रामीण प्रतिनिधियों का कहना रहा कि काबरा सुख दुख में साथ खड़े रहते हैं। मैं हूँ भारत अभियान की गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9828071696 पर सुभाष  काबरा    से ली जा सकती है। 

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Sunday 30 October 2022

गुटके की आड़ में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कथावाचक संत मुरारी बापू पर भी निशाना साधा।तो अशोक गहलोत खुद राजस्थान में शराब का कारोबार बंद क्यों नहीं करते?

29 अक्टूबर को राजस्थान के नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची 369 फीट की शिव प्रतिमा विश्वास स्वरूपम का लोकार्पण सुप्रसिद्ध कथावाचक और संत मुरारी बापू ने किया। इस प्रतिमा का निर्माण मिराज  गुटका निर्माता मदन पालीवाल ने करवाया है। समारोह के खास मेहमान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंच से मुरारी बापू से आग्रह किया कि मदन पालीवाल से गुटके का कारोबार छुड़वा दीजिए, क्योंकि गुटका खाने से कैंसर जैसे जानलेवा रोग होते हैं। यह सही है कि तंबाकू युक्त गुटका खाने से शरीर में अनेक बीमारियां होती हैं, लेकिन सवाल उठता है कि गुटके का कारोबार बंद करने की सलाह देना, क्या सीएम गहलोत के लिए उपयुक्त मंच था? समारोह पूरी तरह धार्मिक और पूरा समारोह संत मुरारी बापू पर केंद्रित था। 29 अक्टूबर से ही बापू की 9 दिवसीय भागवत कथा भी शुरू हुई। सब जानते हैं कि मुरारी बापू भारत की सनातन संस्कृति के प्रबल समर्थक हैं। बापू अपने प्रवचनों में भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं। देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों के विकास को लेकर बापू ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा भी की है। सार्वजनिक  तौर पर गुटके का मुद्दा उछाल कर गहलोत ने एक तरह से मुरारी बापू पर भी निशाना साथा। गहलोत ने यह दिखाने की कोशिश की कि मुरारी बापू के शिष्य मदन पालीवाल सामाजिक बुराई गुटके का कारोबार करते हैं। हालांकि गहलोत के हमले का मुरारी बापू ने भी सटीक और संतुलित जवाब दिया। बापू ने कहा कि मैंने तो मदन पालीवाल को रामचरित मानस का गुटका दिया है। मेरी व्यास पीठ से सभी का सम्मान है। मुरारी बापू और गुटका कारोबारी मदन पालीवाल के पारिवारिक संबंधों के बारे में भी सब जानते हैं। लेकिन सवाल यह भी है कि क्या गुटके का कारोबार छोड़ने की सलाह देना सीएम गहलोत का नैतिक अधिकार है? गहलोत मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री की हैसियत से राजस्थान में शराब के कारोबार को बहुत बढ़ा रहे है। गहलोत की नीतियों से ही प्रदेश के गली कूचों में शराब की दुकानें खुल गई हैं। उदार नीति के कारण ही दुकान पर देशी और अंग्रेजी दोनों प्रकार की शराब बिक रही है। स्कूलों से लेकर धार्मिक स्थलों के निकट शराब की दुकानें खुली हैं। राजस्थान भर में शराब बेचने में गहलोत कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। संपूर्ण शराबबंदी की मांग को गहलोत पहले ही खारिज कर चुके हैं। जो अशोक गहलोत गांधीवादी होते हुए भी शराब का कारोबार कर रहे हैं, वो किस अधिकार से गुटके का कारोबार बंद करने की सलाह दे रहे हैं? यदि गहलोत को मदन पालीवाल का मिराज गुटखा बंद करवाना है तो पहले राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी करनी होगी। ऐसा नहीं हो सकता कि गुरुजी खुद तो बैंगन खाए और शिष्यों को न खाने की सलाह दें। गहलोत माने या नहीं, लेकिन मुरारी बापू की प्रेरणा से ही मदन पालीवाल ने नाथद्वारा में विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा बनवाई है। पालीवाल भी सनातन संस्कृति को मजबूत करने का हर संभव प्रयास करते हैं। मदन पालीवाल के अकेले गुटका बंद करने से कुछ नहीं होगा। इसके लिए देशव्यापी नीति बनानी चाहिए। मदन पालीवाल के धर्मप्रेमी होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समारोह में योग गुरु बाबा रामदेव, स्वामी चिन्मयानंद आदि भी उपस्थित रहे।

S.P.MITTAL BLOGGER (30-10-2022)
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पुष्कर मेले में अराजकता का माहौल। प्रशासन का फोकस मुख्यमंत्री की सुरक्षा पर।पर्यटन विभाग के मेले में पर्यटन मंत्री का ही पता नहीं। सीएम गहलोत 1 नवंबर को सायं सवा चार बजे पुष्कर पहुंचेंगे।


अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेला शुरू होने से पहले ही अराजकता का शिकार हो गया है। पशु मेले पर प्रतिबंध लगने से पशु पालक और प्रशासन के कार्मिकों में रोजाना झड़प हो रही है। इसे प्रशासन का नासमझी भरा निर्णय ही कहा जाएगा कि एक ओर केमल सफारी के नाम पर पुष्कर में 400 ऊंट हैं। वहीं लंपी रोग का डर दिखाकर पशु मेले को रद्द कर दिया गया है। सैकड़ों पशु पालक दूर दराज के क्षेत्रों से अपने पशुओं को लेकर आ रहे हैं, लेकिन अब सरकारी करीदें डंडे के बल पर पशुपालकों और पशुओं को खदेड़ रहे हैं। मजे की बात यह है कि पशु मेला रद्द करने के बाद भी पशु मेले के नाम से पुष्कर मेले के निमंत्रण बांटे गए हैं। पुष्कर के जागरूक लोगों के अनुसार पुष्कर मेले की ऐसी दुर्दशा पूर्व में कभी नहीं देखी गई। जिला प्रशासन और संबंधित विभागों में तालमेल का अभाव भी देखा जा रहा है। किसी अधिकारी को मेले के आयोजन के बारे में कोई जानकारी नहीं है। पर्यटन विभाग ने मेले को लेकर जो कार्यक्रम घोषित किया है उस पर भी आपत्ति जताई जा रही है। मेले में पहले ही पशुपालकों की नाराजगी है, उस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रोग्राम ने और परेशानी खड़ी कर दी है। आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का दावा है कि पुष्कर मेले के शुभारंभ पर 1 नवंबर को सीएम गहलोत पुष्कर में ही रहेंगे। प्रशासन धर्मेन्द्र राठौड़ के दावे पर भरोसा कर रहा है। यही भरोसा है कि प्रशासन का फोकस अब मुख्यमंत्री की सुरक्षा पर हो गया है। किशनगढ़ एयरपोर्ट से लेकर पुष्कर घाटी तक एक हजार सुरक्षाकर्मी तैनात किए जा रहे है ताकि सीएम के दौरे में कोई अप्रिय घटना न हो। विगत दिनों गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के अस्थि विसर्जन के अवसर पर आयोजित सभा में गहलोत को लेकर प्रतिकूल नारे लगे। यहां तक कि सीएम के पुत्र वैभव गहलोत और सरकार के कई मंत्रियों को भाषण दिए बगैर ही लौटना पड़ा। 1 नवंबर को सीएम गहलोत पुष्कर में कई कार्यक्रमों में भाग लेंगे। सीएम के ठहराव की लंबी अवधि को देखते हुए भी प्रशासन चिंतित है। चूंकि देश का माहौल बहुत अच्छा है इसलिए प्रशासन का भी मानना है कि इस बार बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। मेले को कार्तिक माह का अष्टमी से यानी 1 नवंबर से शुरू माना जा रहा है। मेले का समापन धार्मिक दृष्टि से 8 नवंबर को पूर्णिमा स्नान के साथ होगा। मेले के घोषित कार्यक्रम को सीएम गहलोत के दौरे ने उलट पुलट कर दिया। सीएम का शाम को पुष्कर पहुंचने का कार्यक्रम है, जबकि मेले का झंडा रोहण प्रात: 10 बजे निर्धारित किया गया है। झंडा रोहण को लेकर अधिकारी अलग अलग बयान दे रहे हैं। मेले में पर्यटन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका है, लेकिन प्रदेश के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह की कोई सक्रियता नजर नहीं आ रही है। सीएम के दौरे की सारी पंचायत आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ कर रहे हैं।  राठौड़ की दखलंदाजी के कारण ही शायद विश्वेंद्र सिंह 1 नवंबर को सीएम गहलोत के साथ न आए। विश्वेंद्र सिंह के आने की सूचना पर्यटन विभाग के अधिकारियों के पास नहीं है।

सीएम का अधिकृत कार्यक्रम:
पुष्कर मेले के दौरान सीएम गहलोत के आने का अधिकृत कार्यक्रम घोषित हो गया है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा जारी प्रोग्राम के अनुसार सीएम गहलोत 1 नवंबर को दोपहर 3:45 मिनट पर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। इसके बाद हेलीकॉप्टर से सवा चार बजे पुष्कर पहुंच जाएंगे। मेले के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के बाद सायं 7 कार द्वारा पुष्कर से रवाना होकर 7:45 पर किशनगढ़ एयरपोर्ट पहुंचेंगे। यहां से गहलोत का जयपुर जाने का कार्यक्रम है।  गहलोत पुष्कर में मेले का शुभारंभ करने के साथ साथ सरोवर के घाटों पर दीपदान और महाआरती के कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। 

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पंजाब में महात्मा गांधी का फोटो हटवाने वाले अरविंद केजरीवाल को गुजरात में वोट मांगने का नैतिक अधिकार नहीं।अहमदाबाद में अशोक गहलोत ने भाजपा पर भी हमला बोला।लघु उद्यमी ही भारत को फिर से सोने की चिडिय़ा बना सकते हैं। केकड़ी में लघु उद्योग भारती का गठन।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधानसभा चुनाव के मद्देनजर चार दिवसीय गुजरात दौरे पर हैं। दौरे के तीसरे दिन 30 अक्टूबर को अहमदाबाद में गहलोत ने कहा कि आम आदमी पार्टी और उसके संयोजक अरविंद केजरीवाल को गुजरात में वोट मांगने का नैतिक अधिकार नहीं है। गहलोत ने कहा कि पंजाब में केजरीवाल की पार्टी सरकार बनने के बाद सार्वजनिक संस्थानों और सरकारी दफ्तरों में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के फोटो हटा दिए गए हैं। महात्मा गांधी के स्थान पर सरदार भगत सिंह के फोटो लगाए गए है। गहलोत ने कहा कि उन्हें भगत सिंह के फोटो लगाने पर कोई एतराज नहीं है, लेकिन राष्ट्रपिता गांधी का फोटो हटा कर केजरीवाल ने देश और खासकर गुजरात के लोगों का अपमान किया है। गुजरात महात्मा गांधी की कर्मस्थली भी रहा, इसलिए गुजरात के लोगों का महात्मा गांधी के साथ विशेष लगाव है। आज पूरी दुनिया में गुजरात की पहचान महात्मा गांधी के नाम की वजह से होती है। गहलोत ने कहा कि गुजरात के लोगों को मतदान करते समय इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह सही आम आदमी पार्टी है जिसने पंजाब में महात्मा गांधी के फोटो हटवाए हैं। गहलोत ने कहा कि केजरीवाल गुजरात में कितनी भी राजनीतिक नौटंकी कर ले, लेकिन गुजरात के मतदाता वोट नहीं देंगे। परिणाम आने पर केजरीवाल को उनकी हैसियत का पता चल जाएगा। गहलोत ने कहा कि इस बार भाजपा भी चुनाव हार रही है, इसलिए चुनाव की घोषणा से पहले कॉमन सिविल कोर्ट लागू करने का शिगूफा छोड़ा गया है। गहलोत ने कहा कि गुजरात के लोगों ने कांग्रेस की सरकार बनवाने का मन बा लिया है यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह को भी चिंता हो रही है। इन दोनों नेताओं के गुजरात में डेरा जमा रखा है।

भारत सोने की चिडिय़ां:
29 अक्टूबर को अजमेर जिले के केकड़ी उपखंड में लघु उद्योग समारोह में संस्था के राष्ट्रीय संगठन मंत्री प्रकाश चंद्र ने कहा कि लघु उद्यमी ही भारत को फिर से सोने की चिडिय़ा बना सकते हैं। लघु उद्यमियों में वो शक्ति है जिसके माध्यम से स्थानीय उत्पादों को विश्व बाजार में बेचा जा सकता है। सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए जिसमें लघु उद्यमियों को प्रोत्साहन मिल सके। एक लघु उद्योग मजबूत होता है तो स्थानीय स्तर पर कई लोगों को रोजगार मिलता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी लघु उद्यमियों के महत्व को समझते हैं। इसलिए आत्मनिर्भर भारत में लोक फॉर वोकल की बात पर जो दिया है। यदि ब्लॉक स्तर पर छोटे उद्योग लगेंगे तो भारत अपने आप फिर से सोने की चिडिय़ा बन जाएगा। उन्होंने कहा कि बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना माल बेच कर करोड़ों रुपए का मुनाफा अपने देश में ले जाते हैं। देश के नागरिकों को भी स्वदेशी उत्पाद खरीदने चाहिए। समारोह में राष्ट्रीय पदाधिकारी घनश्याम ओझा संस्था के प्रदेशाध्यक्ष शांतिलाल बालड, ताराचंद गोयल, योगेंद्र शर्मा, पवन गोयल आदि ने भी विचार रखे।
केकड़ी इकाई का गठन:
समारोह में लघु उद्योग भारती की केकड़ी इकाई का गठन भी किया गया। जिला अध्यक्ष अजीत अग्रवाल के सुझाव पर केकड़ी के उद्यमी और नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष अनिल मित्तल को इकाई का अध्यक्ष बनाया गया है। मित्तल ने भरोसा दिलाया कि केकड़ी उपखंड के सभी लघु उद्यमियों को एक मंच पर लाया जाएगा। लघु उद्योग भारत की केकड़ी की गतिविधियों की ओर अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9928021482 पर नवनियुक्त अध्यक्ष अनिल मित्तल से ली जा सकती है। 

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Saturday 29 October 2022

पुष्कर में जिस एंट्री प्लाजा का लोकार्पण वसुंधरा राजे ने 6 अक्टूबर 2018 को कर दिया था, उसी का लोकार्पण अब एक नवंबर को मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत करेंगे।पुष्कर में पशु मेले पर रोक लगाने वाले लोग ही सरोवर के घाटों पर सवा लाख दीपक जलाएंगे।मेले का नहीं, प्रशासनिक कैम्प का झंडारोहण करेंगे सीएम गहलोत।

अजमेर में प्रकाशित प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों के 29 अक्टूबर के अंक में छपा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक नवंबर को पुष्कर दौरे के दौरान ब्रह्मा मंदिर के एंट्री प्लाजा का भी लोकार्पण करेंगे। यह खबर राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और विधानसभा का अगला चुनाव पुष्कर से लड़ने के लिए लालायित धर्मेन्द्र राठौड़ के हवाले से छपी है। यानी एंट्री प्लाजा का लोकार्पण सीएम गहलोत करेंगे, यह बात पत्रकारों को राठौड़ ने बताई है। चूंकि राठौड़ ही सीएम गहलोत को पुष्कर ला रहे हैं, इसलिए पत्रकारों ने भी राठौड़ के बयान पर भरोसा किया है, लेकिन लोकार्पण की इस खबर पर पुष्कर और अजमेर के प्रशासनिक अधिकारियों और जागरूक लोगों को आश्चर्य हो रहा है, क्योंकि ब्रह्मा मंदिर के एंट्री प्लाजा का लोकार्पण तो 6 अक्टूबर 2018 को तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कर दिया था। जागरूक लोगों को होगा कि तब अजमेर स्थित माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सभागार में आयोजित एक समारोह में सीएम राजे ने अन्य कार्यों के साथ साथ एंट्री प्लाजा के लोकार्पण की घोषणा की थी। राजे के लोकार्पण के बाद पुष्कर नगर पालिका के चार पूर्व अध्यक्षों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर एंट्री प्लाजा के निर्माण में हुए घोटाले की जांच की मांग भी की थी। इन पूर्व अध्यक्षों में दामोदर शर्मा और मंजू कुर्डिया भी शामिल रही। सवाल उठता है कि क्या अब उसी एंट्री प्लाजा का लोकार्पण सीएम गहलोत करेंगे? हालांकि अभी सीएमओ से गहलोत के पुष्कर आने का कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है, लेकिन धर्मेन्द्र राठौड़ की सीएम गहलोत से मित्रता को देखते हुए प्रशासनिक अधिकारी भी मानते हैं कि गहलोत 1 नवंबर को पुष्कर आ जाएंगे। राठौड़ भी सीएम को पुष्कर बुलाकर अपना रुतबा बढ़ाना चाहते हैं। ये वही धर्मेन्द्र राठौड़ हैं जिन्हें अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने अनुशासनहीनता का नोटिस दे रखा है। इस नोटिस की वजह से ही राठौड़ के आरटीडीसी के अध्यक्ष पद पर तलवार लटकी हुई है। अध्यक्ष के पद से हटने से पहले राठौड़ पुष्कर में सीएम का दौरा करवाना चाहते हैं। इस बीच पुष्कर की एसडीएम सुखराम पिंडेल ने स्पष्ट कर दिया है कि श्री पुष्कर पशु मेले का ध्वजारोहण एक नवंबर को तय कार्यक्रम के मुताबिक मेला मैदान पर प्रात: 10 बजे ही होगा। पिंडेल ने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तो शाम को प्रशासनिक कैम्प का ध्वजारोहण करेंगे। सीएम के ध्वजारोहण का पुष्कर मेले के ध्वजारोहण से कोई संबंध नहीं है ।

घाटों पर जलेंगे दीपक:
आरटीडीसी के अध्यक्ष राठौड़ की पहल पर ही 1 नवंबर को मुख्यमंत्री गहलोत के आगमन पर पुष्कर सरोवर  के घाटों पर सवा लाख दीपक जलाए जाएंगे। ये दीपक अयोध्या में दीपावली के अवसर पर जलने वाले दीपकों की तरहे ही होंगे। राठौड़ की पर्यटन निगम भले ही अयोध्या की नकल कर रहा हो, लेकिन सब जानते हैं कि इस बार पुष्कर में पशु मेले के आयोजन पर राज्य सरकार ने ही रोक लगा रखी है, इससे पशु पालन और ग्रामीण बेहद नाराज हैं। सरकार ने यह रोक गोवंश में लंपी रोग की वजह से लगाई, जबकि इन दिनों राजस्थान में लंपी रोग समाप्त हो गया है। यानी जिन लोगों ने पशुपालकों और ग्रामीणों को नाराज कर रखा है, वही लोग पुष्कर के घाटों पर दीपक जला रहे हैं। मजे की बात तो यह भी है कि पुष्कर मेले के निमंत्रण पत्र में भी श्री पुष्कर पशु मेला 2022 के नाम पर छपवाए गए हैं। सवाल उठता है कि जब मेले में पशुओं के आने पर ही रोक है तो फिर विभिन्न आयोजन पशु मेले के नाम पर क्यों किए जा रहे हैं। जाहिर है कि मेले को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई तालमेल नहीं है। परंपरा के अनुसार ध्वजारोहण भी पुष्कर पशु मेले का ही होता है। लेकिन प्रशासन अपने नजरिए से धार्मिक मेले का ध्वजारोहण भी करवा रहा है। प्रति वर्ष कार्तिक माह की एकादशी से लेकर पूर्णिमा तक धार्मिक दृष्टि से पुष्कर मेला होता है, लेकिन सरकारी तंत्र में इसे पशु मेला ही माना जाता है। एक और प्रशासन धार्मिक मेले का ध्वजारोहण भी करवा रहा है तो दूसरी ओर एकादशी पर निकलने वाली साधु संतों की आध्यात्मिक यात्रा के इस बार शहरी क्षेत्र से निकालने की अनुमति नहीं दी गई है। प्रशासन ने इस परंपरागत आध्यात्मिक यात्रा को बाहरी क्षेत्रों में निकालने के निर्देश दिए हैं। यात्रा के आयोजकों का कहना है कि शहरी क्षेत्र में यात्रा के निकलने पर हजारों लोग साधु संतों पर पुष्प वर्षा करते हैं, लेकिन इस बार शहरवासियों को निराश होना पड़ेगा।

एक रुपए का भी बजट नहीं:
पुष्कर के सामाजिक कार्यकर्ता अरुण पाराशर ने कहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुष्कर आने का स्वागत है। लेकिन उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि पुष्कर मेले के लिए राज्य सरकार ने एक रुपए का भी बजट नहीं दिया है। मेले के शुरू होने से पहले उन्होंने मात्र पांच लाख रुपए के बजट की मांग की थी, लेकिन सरकार की ओर से एक रुपया भी नहीं दिया गया।
 
कैसे जलेंगे सवा लाख दीपक:
जानकारों के अनुसार दीपावली के अवसर पर अयोध्या में जो 15 लाख दीपक जलाए गए उनमें 20 हजार से भी ज्यादा स्कूली बच्चों और राम भक्तों का सहयोग रहा। इस हिसाब से पुष्कर के घाटों पर सवा लाख दीपक जलाने के लिए कम से कम दो हजार स्कूली बच्चे चाहिए। इन दिनों स्कूलों में दीपावली अवकाश चल रहा है, ऐसे में बच्चों को भी एकत्रित करना चुनौती भरा काम होगा। 

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पाकिस्तान परस्त कश्मीरी नेता पाकिस्तान के ताजा हालातों से सबक लें।

फारुख अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती जैसे कश्मीरी नेता अकसर पाकिस्तान के समर्थन में बयान देते हैं। ऐसे नेता चाहते हैं कि कश्मीर में आतंकी समस्या का समाधान पाकिस्तान से वार्ता कर निकाला जाए। हालांकि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने कश्मीरी नेताओं की इस मांग पर कभी भी सहमति नहीं जताई। अब ऐसे कश्मीरी नेताओं को पाकिस्तान के मौजूदा हालातों से सबक लेना चाहिए। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के नेतृत्व में लाहौर से इस्लामाबाद तक जैहादी मार्च निकाला जा रहा है तो पाकिस्तान की फौज ने इमरान खान के लिए चेतावनी जारी कर दी है। इस बीच मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ सऊदी अरब से लेकर चीन तक से मदद की गुहार लगा रहे हैं। शहबाज शरीफ की सरकार के खिलाफ इमरान खान के नेतृत्व में लाखों लोग सड़कों पर हैं, जब इमरान खान प्रधानमंत्री थे, तब उन्हें हटाने के लिए विपक्षी दलों के नेतृत्व में लाखों लोग सड़कों पर थे। कहा जा सकता है कि पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात उत्पन्न हो गए हैं। लोकतंत्र को कायम रखने के लिए राजनीतिक दलों में कोई तालमेल नहीं है, इसलिए पाकिस्तान में सेना का एक बार फिर से काबिज होना चाहती है। पाकिस्तान के मौजूदा सेना अध्यक्ष जनरल बाजवा का नवंबर के अंत में ही रिटायरमेंट है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि रिटायरमेंट से पहले ही जनरल बाजवा पाकिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लेंगे। इमरान खान के जैहादी मार्च से सेना को सत्ता पर काबिज होना आसान है। पाकिस्तान भी भारत की तरह अगस्त 1947 में ही आजाद हुआ था, लेकिन आजादी के 75 वर्षों में से 50 वर्षों तक पाकिस्तान में सैनिक शासन रहा। पाकिस्तान में अराजकता का जो माहौल है, उसी का परिणाम है। पाकिस्तान में अनेक कट्टरपंथी संगठन सक्रिय हैं। ऐसे संगठनों से भारत ही नहीं बल्कि अमरीका को भी खतरा है। भारत जहां 26/11 के आतंकी हमले को आज तक नहीं भूला है, वही अमरीका को भी 9/11 का आतंकी हमला हमेशा याद रहेगा। कश्मीर में बैठ कर पाकिस्तान का समर्थन करने वाले नेता एक बार पाकिस्तान के मुकाबले भारत की स्थिति का आकलन कर लें। आजादी के 75 वर्षों में भारत में कभी भी सैन्य शासन नहीं रहा। हर पांच साल में लोकसभा और राज्य की विधानसभा के चुनाव होते हैं। चुनाव परिणाम के बाद बहुत आसानी से सत्ता का हस्तांतरण हो जाता है। भारतीय सेना भी निर्वाचित सरकार के दिशा निर्देशों पर ही काम करती है। जबकि दुनिया देख रही है कि पाकिस्तान में राजनीतिक दल और सेना एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। भुखमरी के कारण पाकिस्तान के आम लोगों का जीवन दूभर हो गया है। पाकिस्तान के नागरिकों के सामने मौजूदा हालातों से निकलने का कोई रास्ता नहीं है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-10-2022)
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Friday 28 October 2022

गहलोत साहब! जब प्राइवेट अस्पतालों ने लूट मचा रखी है, तब आपकी मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की क्रियान्विति का अंदाजा लगाया जा सकता है।आखिर एसएमएस अस्पताल के सच को सीएम अशोक गहलोत ने एक वर्ष तक क्यों छिपाए रखा?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 27 अक्टूबर को प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्य से सीधा संवाद किया। इन प्राचार्य के अधीन ही बड़े सरकारी अस्पताल संचालित होते हैं। इस संवाद में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के तमाम अधिकारी भी उपस्थित रहे। सीएम गहलोत ने स्पष्ट कहा कि प्रदेश के प्राइवेट अस्पतालों ने लूट मचा रखी है। गरीब आदमी का प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना मुश्किल है। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्राइवेट अस्पतालों में इलाज बहुत महंगा है, जिन मरीजों के पास कोई हेल्थ पॉलिसी नहीं है, उन्हें तो घर का सोना चांदी, मकान, जायदाद आदि बेच कर इलाज करवाना पड़ता है। गरीब और मध्यवर्गीय परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजस्थान भर में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की है। एक परिवार में जितने भी सदस्य हो, लेकिन इस योजना में वार्षिक प्रीमियम मात्र 850 रुपए रखा गया है। बीपीएल कार्ड धारकों से तो प्रीमियम राशि भी नहीं ली जाती है। यही वजह है कि प्रदेश के अधिकांश परिवारों ने मुख्यमंत्री की हेल्थ पॉलिसी ले रखी है। सीएम गहलोत अपनी इस हेल्थ पॉलिसी को बहुत सफल मानते हैं, इसलिए इस पॉलिसी को देशभर में लागू करने की मांग बार बार प्रधानमंत्री से करते है। सीएम गहलोत का दावा है कि उनकी इस हेल्थ पॉलिसी में दस लाख रुपए तक का फ्री इलाज प्राइवेट अस्पतालों में हो रहा है। यानी सीएम की हेल्थ पॉलिसी लेने वाला व्यक्ति जयपुर के फोर्टिस, सोनी, संतोकबा दुर्लभ जी, इटर्नल, बिड़ला सहित अजमेर, उदयपुर, जोधपुर, बीकानेर आदि के प्राइवेट अस्पतालों में 10 लाख रुपए तक का इलाज फ्री करवा सकता है। इलाज का पैसा मरीज से नहीं सरकार से लिया जाएगा। सीएम गहलोत के इस दावे की पोल अब 27 अक्टूबर वाला उनका बयान ही खोल रहा है। सवाल उठता है कि जब प्राइवेट अस्पताल वाले मरीजों को लूट रहे हैं, तब चिरंजीवी हेल्थ पॉलिसी में मरीज का इलाज मुफ्त में कैसे हो सकता है। जिन प्राइवेट अस्पतालों में मरीज को प्राथमिक तौर पर देखने के लिए एक हजार रुपए तक शुल्क लिया जाता है, वही अस्पताल चिरंजीवी हेल्थ पॉलिसी में मात्र 135 रुपए के निर्धारित शुल्क में कैसे मरीज को देख सकता है? सीएम गहलोत की पॉलिसी में मरीज को भर्ती करने पर प्रतिदिन एक-दो हजार रुपए का शुल्क निर्धारित कर रखा है। जबकि प्राइवेट अस्पताल वाले तो भर्ती मरीज का एक दिन का भर्ती शुल्क 20 हजार रुपए तक वसूलते हैं। प्राइवेट रूम के ही 8 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब से लिए जाते हैं। सीएम गहलोत ने सही कहा कि प्राइवेट अस्पताल वालों ने लूट मचा रखी है। क्योंकि जो दवाई बाजार में 100 रुपए की उपलब्ध है, उसकी कीमत इन अस्पतालों में 500 रुपए से भी ज्यादा की वसूली जाती है। सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन चिरंजीवी हेल्थ पॉलिसी धारक को प्राइवेट अस्पतालों के चौकीदार ही घुसने नहीं देते है, जब कभी किसी दबाव में इस पॉलिसी धारक मरीज को भर्ती कर लिया जाता है तो उस मरीज के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। सीएम गहलोत अपनी हेल्थ पॉलिसी का चाहे जितना ढिंढोरा पीट ले, लेकिन प्राइवेट अस्पतालों में इस पॉलिसी का कोई महत्व नहीं है। सरकार इस पॉलिसी के नाम पर संबंधित कंपनी को जो करोड़ों रुपए का भुगतान कर रही है, उसका लाभ आम मरीज को नहीं मिल रहा है। जो प्राइवेट अस्पताल इस पॉलिसी में मानवीय दृष्टिकोण अपना कर इलाज कर रहे हैं उन अस्पतालों ने भी पूछा है कि सरकार के खजाने से समय पर भुगतान नहीं हो रहा है। बकाया राशि का भुगतान नहीं होने पर अनेक अस्पतालों में इलाज करना बंद कर दिया है। अच्छा हो कि सीएम गहलोत अपनी हेल्थ पॉलिसी की प्रभावी क्रियान्विति के लिए ठोस कदम उठाए। जहां तक सरकारी अस्पतालों का सवाल है तो सीएम गहलोत ने स्वयं स्वीकार कर लिया है कि अस्पतालों में सफाई तक नहीं हो रही है। सीएम ने कहा कि जब वे अपने हार्ट की एंजियोप्लास्टी के लिए जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भर्ती हुए थे, तब अस्पताल परिसर में जगह जगह गंदगी फैली हुई थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि सीएम की एंजियोप्लास्टी कोई साल भर पहले हुई थी। यानी सरकारी अस्पतालों में गंदगी होने की सच्चाई को गहलोत ने एक वर्ष तक छुपाए रखा। सब जानते हैं कि सरकारी अस्पतालों के वार्ड तो गंदे रहते ही है, साथ ही शौचालय बदबू से भरे होते हैं। शौचालय तक की खिड़कियां टूटी होती है। अब जब स्वयं मुख्यमंत्री ने सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों की सच्चाई स्वीकार कर ली है, तब उम्मीद की जानी चाहिए कि राजस्थान के चिकित्सा क्षेत्र में सुधार होगा। सीएम गहलोत ने आम आदमी की भावनाओं को समझ लिया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-10-2022)
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अजमेर में सोनी जी नसियां के बजाए आगरा गेट चौराहे तक ही एलिवेटेड रोड की भुजा रखी जाए।इस मांग को लेकर यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन अनशन पर बैठने को तैयार। खादिमों की संस्था अंजुमन के अध्यक्ष गुलाम किबरिया ने भी विरोध जताया।

अजमेर में निर्माणाधीन एलिवेटेड रोड की एक भुजा जो ऐतिहासिक सोनी जी की नसियां के निकट रखी गई है उसका अब लगातार विरोध हो रहा है। अजमेर के प्रमुख व्यक्तियों ने जिला कलेक्टर और स्मार्ट सिटी के सीईओ अंशदीप को सुझाव दिया है कि रोड की भुजा नसियां के बजाए आगरा गेट चौराहे तक ही रखी जाए। नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन व ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिमों की संस्था अंजुमन सैयद जादगान के सदर गुलाम किबरिया, व्यापारिक एसोसिएशन के अध्यक्ष किशन गुप्ता, समाजसेवी रंजीतमल लोढ़ा, संजय अग्रवाल आदि का मानना है कि मौजूदा समय में एलिवेटेड रोड की भुजा के लिए नसियां के निकट जो दीवार खड़ी की गई है उसकी वजह से दोनों तरफ का यातायात जाम  रहने लगा है। नसियां और बीएसएनएल एक्सचेंज दीवार की तरफ ट्रैफिक के लिए 10 फिट चौड़ा रास्ता भी नहीं है। ऐसे में दोनों तरफ दिन में कई बार जाम लग रहा है। प्रमुख लोगों ने सुझाव दिया है कि इस भुजा को आगरा गेट चौराहे तक ही रखा जाए। आगरा गेट चौराहा खुला हुआ है। ऐसे में जाम की स्थिति नहीं होगी चूंकि आगरा गेट चौराहा और सोनी जी की नसियां की दूरी मुश्किल से 300 मीटर भी नहीं है, इसलिए एलिवेटेड रोड के डिजाइन पर भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इस 300 मीटर की दूरी पर जो दो तीन सीमेंट के पिलर बना है उस पर अभी स्टील के गार्डर भी नहीं रखे गए हैं। जब आगरा गेट चौराहे पर एलिवेटेड रोड की भुजा उतरने के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध है, तब नसिया और बीएसएनएल के एक्सचेंज के बीच सकरे स्थल पर भुजा क्यों उतारी जा रही है। खादिमों की संस्था अंजुमन के सदर गुलाम किबरिया का भी कहना है कि नसियां के निकट भुजा उतारने से दरगाह आने वाले जायरीन को भी परेशानी होगी। प्रशासन ने जो व्यवस्था की है उसके मुताबिक नसियां वाली भुजा से ट्रैफिक चढ़ सकेगा। ऐसे में जाहिर है कि जयपुर से आने वाले जायरीन के वाहनों को 10 से 12 फिट चौड़े मार्ग से ही दरगाह की ओर आना पड़ेगा। ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान हालात बिगड़ भी सकते हैं। इस मार्ग से धार्मिक, सामाजिक जुलूसों के साथ साथ बारात भी निकलती है। इन जुलूसों और बारात के समय नसियां के निकट यातायात की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। यदि रोड की भुजा को आगरा गेट चौराहे पर ही उतार दिया जाए तो अजमेर शहर को एक बड़ी मुसीबत से बचाया जा सकता है। जिला प्रशासन के अधिकारी और स्मार्ट सिटी के इंजीनियर तो अजमेर से चले जाएंगे, लेकिन इस दोषपूर्ण एलिवेटेड रोड की भुजा का खामियाजा अजमेर शहर के लोगों को उठाना पड़ेगा। यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र जैन तो इस मांग को लेकर अनशन पर बैठने को तैयार है। जैन का मानना है कि सरकार और प्रशासन को समय रहते सचेत हो जाना चाहिए। शहरी हित में यदि उनके जीवन का बलिदान भी हो जाए तो उन्हें कोई चिंता नहीं है। जैन ने सभी शहरवासियों से उनकी इस मुहिम से जुड़ने की अपील की है। इस मांग को लेकर चलाए जाने वाले आंदोलन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414227510 पर धर्मेश जैन से ली जा सकती है। 

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राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण के स्थापना दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत।30 अक्टूबर को होगा रीजनल कॉलेज चौपाटी पर हमराह।जय अंबे सेवा समिति ने मनाया दीपावली स्नेह मिलन।

राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण के 21 वें स्थापना दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। यह कार्यक्रम में 28 अक्टूबर से शुरू होकर 4 नवंबर तक चलेंगे। इसी के तहत वैशाली नगर स्थित पत्रिका के कार्यालय पर रंगोली भी सजाई गई है। पत्रिका के स्थानीय संपादक अनिल कैले ने बताया कि पिछले 22 वर्षों में पत्रिका को अजमेर वासियों का आपार स्नेह और सहयोग मिला है, इसलिए पत्रिका अजमेर जिले के लोगों का पसंदीदा अखबार बन गया है। खबरों को समझने वाले लोग सबसे पहले पत्रिका को ही पढ़ते हैं। पत्रिका प्रतिदिन सूर्योदय से पहले हर पाठक के घर पर दस्तक दे देता है। भरोसे के कारण ही पत्रिका आज पाठकों की कसौटी पर खरा उतरा है। पत्रिका संस्थान हर पाठक को अपना परिवार मानता है, इसलिए स्थापना दिवस की खुशियां भी पाठकों के साथ मिल कर मनाई जा रही है। सामाजिक सरोकार निभाने में भी पत्रिका हमेशा आगे रहा है। कैले ने बताया कि विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत ही 29 अक्टूबर को दोपहर साढ़े 12 बजे कोटड़ा स्थित मूक बधिर विद्यालय में ड्राइंग प्रतियोगिता रखी गई है। 30 अक्टूबर को सुबह छह से आठ बजे के बीच रीजनल कॉलेज चौपाटी पर हमराह का आयोजन होगा। इसमें सतोलिया, रुमाल झपट्टा, महिलाओं की म्यूजिकल चेयर रेस, रस्सा कस्सी, स्केटिंग, साइकिलिंग, क्रिकेट बॉल थ्रो आदि प्रतियोगिताएं होंगे। चित्रकार आनासागर झील के प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास पर उतारेंगे। हमराह के इस कार्यक्रम में शहरवासी झील के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी ले सकेंगे। इसी दिन सुबह 9 बजे से पड़ाव स्थित संत कंवर राम धर्मशाला में थैलेसिमिया वेलफेयर सोसायटी की ओर से थैलेसिमिया बच्चों के लिए रक्तदान शिविर होगा। कैले ने शहर के रक्तदाताओं से अपील की है कि वे थैलेसीमिया रोग से पीड़ित बच्चों की मदद के लिए रक्तदान करें। 31 अक्टूबर को चिकित्सा एवं जांच शिविर का आयोजन किया गया है। एक नवंबर को पुष्कर सरोवर के विभिन्न घाटों पर दीपदान किया जाएगा। यह कार्यक्रम शाम के समय होगा। 2 नवंबर को दोपहर एक बजे एमडीएस यूनिवर्सिटी के सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। 3 नवंबर को शहर के प्रमुख स्कूलों में रंगोली और ड्राइंग प्रतियोगिता रखी गई है। स्थापना दिवस के कार्यक्रमों का समापन 4 नवंबर को पुष्कर में वराह घाट पर महाआरती के साथ होगा। स्थापना दिवस के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829266008 पर पत्रिका के प्रतिनिधि सीपी जोशी से ली जा सकती है।
 
दीपावली स्नेह मिलन:
27 अक्टूबर को कोटड़ा स्थित वृद्धाश्रम में जय अंबे सेवा समिति की ओर से दीपावली स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया गया। समारोह के अतिथि दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी, समाजसेवी सुभाष काबरा, रमाकांत बाल्दी आदि ने आश्रम की विभिन्न गतिविधियों की सराहना की। अतिथियों ने कहा कि अब यह वृद्धाश्रम के बजाए सेवा धाम बन गया है। समिति के अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल और सचिव घनश्याम काबरा ने बताया कि आश्रम में वृद्धजनों को तो सुविधाजनक तरीके से रखा ही जाता है साथ ही जरूरतमंद परिवारों को राशन सामग्री भी उपलब्ध करवाई जाती है। गरीब परिवारों के बच्चों को पाठ्य सामग्री स्कूल की ड्रेस आदि भी नि:शुल्क दी जाती है। आश्रम और समिति की गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003357 पर अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल से ली जा सकती है। 

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राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण के स्थापना दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों की शुरुआत।30 अक्टूबर को होगा रीजनल कॉलेज चौपाटी पर हमराह।जय अंबे सेवा समिति ने मनाया दीपावली स्नेह मिलन।

राजस्थान पत्रिका के अजमेर संस्करण के 21 वें स्थापना दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। यह कार्यक्रम में 28 अक्टूबर से शुरू होकर 4 नवंबर तक चलेंगे। इसी के तहत वैशाली नगर स्थित पत्रिका के कार्यालय पर रंगोली भी सजाई गई है। पत्रिका के स्थानीय संपादक अनिल कैले ने बताया कि पिछले 22 वर्षों में पत्रिका को अजमेर वासियों का आपार स्नेह और सहयोग मिला है, इसलिए पत्रिका अजमेर जिले के लोगों का पसंदीदा अखबार बन गया है। खबरों को समझने वाले लोग सबसे पहले पत्रिका को ही पढ़ते हैं। पत्रिका प्रतिदिन सूर्योदय से पहले हर पाठक के घर पर दस्तक दे देता है। भरोसे के कारण ही पत्रिका आज पाठकों की कसौटी पर खरा उतरा है। पत्रिका संस्थान हर पाठक को अपना परिवार मानता है, इसलिए स्थापना दिवस की खुशियां भी पाठकों के साथ मिल कर मनाई जा रही है। सामाजिक सरोकार निभाने में भी पत्रिका हमेशा आगे रहा है। कैले ने बताया कि विभिन्न कार्यक्रमों के अंतर्गत ही 29 अक्टूबर को दोपहर साढ़े 12 बजे कोटड़ा स्थित मूक बधिर विद्यालय में ड्राइंग प्रतियोगिता रखी गई है। 30 अक्टूबर को सुबह छह से आठ बजे के बीच रीजनल कॉलेज चौपाटी पर हमराह का आयोजन होगा। इसमें सतोलिया, रुमाल झपट्टा, महिलाओं की म्यूजिकल चेयर रेस, रस्सा कस्सी, स्केटिंग, साइकिलिंग, क्रिकेट बॉल थ्रो आदि प्रतियोगिताएं होंगे। चित्रकार आनासागर झील के प्राकृतिक सौंदर्य को कैनवास पर उतारेंगे। हमराह के इस कार्यक्रम में शहरवासी झील के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी ले सकेंगे। इसी दिन सुबह 9 बजे से पड़ाव स्थित संत कंवर राम धर्मशाला में थैलेसिमिया वेलफेयर सोसायटी की ओर से थैलेसिमिया बच्चों के लिए रक्तदान शिविर होगा। कैले ने शहर के रक्तदाताओं से अपील की है कि वे थैलेसीमिया रोग से पीड़ित बच्चों की मदद के लिए रक्तदान करें। 31 अक्टूबर को चिकित्सा एवं जांच शिविर का आयोजन किया गया है। एक नवंबर को पुष्कर सरोवर के विभिन्न घाटों पर दीपदान किया जाएगा। यह कार्यक्रम शाम के समय होगा। 2 नवंबर को दोपहर एक बजे एमडीएस यूनिवर्सिटी के सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। 3 नवंबर को शहर के प्रमुख स्कूलों में रंगोली और ड्राइंग प्रतियोगिता रखी गई है। स्थापना दिवस के कार्यक्रमों का समापन 4 नवंबर को पुष्कर में वराह घाट पर महाआरती के साथ होगा। स्थापना दिवस के विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829266008 पर पत्रिका के प्रतिनिधि सीपी जोशी से ली जा सकती है।
 
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27 अक्टूबर को कोटड़ा स्थित वृद्धाश्रम में जय अंबे सेवा समिति की ओर से दीपावली स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया गया। समारोह के अतिथि दैनिक नवज्योति के प्रधान संपादक दीनबंधु चौधरी, समाजसेवी सुभाष काबरा, रमाकांत बाल्दी आदि ने आश्रम की विभिन्न गतिविधियों की सराहना की। अतिथियों ने कहा कि अब यह वृद्धाश्रम के बजाए सेवा धाम बन गया है। समिति के अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल और सचिव घनश्याम काबरा ने बताया कि आश्रम में वृद्धजनों को तो सुविधाजनक तरीके से रखा ही जाता है साथ ही जरूरतमंद परिवारों को राशन सामग्री भी उपलब्ध करवाई जाती है। गरीब परिवारों के बच्चों को पाठ्य सामग्री स्कूल की ड्रेस आदि भी नि:शुल्क दी जाती है। आश्रम और समिति की गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003357 पर अध्यक्ष कालीचरण खंडेलवाल से ली जा सकती है। 

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Thursday 27 October 2022

जिस अब्दुल्ला खानदान ने कश्मीर में आतंक को पन पाया आज उसी खानदान को हिन्दुओं की चिंता हो रही है।

देश के विभाजन के बाद जम्मू कश्मीर पर सबसे ज्यादा शासन अब्दुल्ला खानदान ने किया। पहले शेख अब्दुल्ला, फिर उनके पुत्र फारुख अब्दुल्ला और बाद में पौत्र उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री रहे। इतिहास गवाह है कि अब्दुल्ला खानदान के शासन में ही जम्मू कश्मीर खास कर मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर घाटी में आतंक पनपा। 90 के दशक में तो चार लाख हिन्दुओं को कश्मीर छोड़ना पड़ा। लेकिन कभी भी अब्दुल्ला खानदान के सदस्यों ने आतंक का विरोध नहीं किया। हिन्दुओं पर अत्याचार होते रहे और खानदान के लोग आतंकवादियों से ही वार्ता करते रहे। अनुच्छेद 370 की आड़ लेकर केंद्र सरकार और सेना को भी दखल देने से रोक रखा। खानदान के सदस्यों की हरकतें किसी से भी छिपी नहीं है। लेकिन अब खानदान के प्रमुख सदस्य फारुख अब्दुल्ला ने हिन्दुओं को लेकर चिंता जताई है। घाटी में आए दिन हो रही हिन्दुओं की हत्या पर फारुख अब्दुल्ला का कहना है कि यही हालात रहे तो संपूर्ण कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो जाएगी। फारुख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कश्मीर के मुद्दे पर दखल देने की मांग की है। फारुख के इस बयान से प्रतीत होता है कि उन्हें हिन्दुओं की चिंता है। जबकि ऐसा नहीं है। जब अनुच्छेद 370 को हटाया गया, तब फारुख ने ही सबसे ज्यादा विरोध किया था। चूंकि इस समय नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार चल रही है, इसलिए राजनीतिक कारणों से फारुख अब्दुल्ला हिन्दुओं के प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं। अब्दुल्ला खानदान उस समय चुप बैठा रहा, जब कश्मीर घाटी की मस्जिदों से हिन्दुओं के विरोध में फतवे जारी हो रहे थे। अब्दुल्ला खानदान ने कभी हिन्दुओं पर अत्याचार करने वाले चरमपंथियों की आलोचना नहीं की। खानदान को यदि हिन्दुओं की इतनी ही चिंता है तो उन आतंकियों की निंदा करें जो लक्ष्य बना कर हिन्दुओं को मार रहे हैं। पीएम मोदी पर राजनीतिक हमला करने के लिए फारुख अब्दुल्ला हिन्दुओं के प्रति हमदर्दी तो दिखा रहे हैं, लेकिन कश्मीर घाटी में हिन्दू सुकून और बिना किसी डर के रह सकें, इसके लिए आज तक कोई कार्य नहीं किया है। हिन्दुओं की हत्या मौजूदा समय में आतंकियों की बौखलाहट है। असल में अनुच्छेद 370 हटने के बाद कश्मीर घाटी में आतंकी की कमर टूट चुकी है। अब श्रीनगर के लालचौक में तिरंगा भी लहराता है तो डल झील में पर्यटक भी लाखों में नजर आते हैं। हिन्दुओं के सहयोग और हिम्मत से ही कश्मीर में हालात सामान्य हो रहे हैं। यही स्थिति पाकिस्तान परस्त आतंकियों को रास नहीं हो रही है। अपने वजूद को बनाए रखने के लिए आतंकवादी अब हिन्दुओं को निशाना बना रहे हैं। जहां तक आम कश्मीरियों का सवाल है तो पर्यटन बढ़ने से खुश है। कश्मीरियों की कमाई का मुख्य स्त्रोत पर्यटन उद्योग ही है। अधिकांश कश्मीरी नहीं चाहते कि घाटी का माहौल फिर से खराब हो। अब आतंकियों के बारे में कश्मीरी ही पुलिस और सुरक्षा बलों को सूचना देने लगे है। यही वजह है कि आतंकवादी भी रोजाना मारे जा रहे हैं। पिछले 70 सालों की समस्या के समाधान में समय तो लगेगा ही। लेकिन फारुख अब्दुल्ला जैसे पाकिस्तान परस्त नेताओं को घडिय़ाली आसंू बहाने की जरुरत नहीं है। देशवासी और कश्मीर के लोग अब्दुल्ला खानदान को अच्छी तरह जानते हैं। यह सही है कि कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या रुकनी चाहिए। 

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1998 में मुख्यमंत्री बनने पर राजनीति में जितनी रगड़ाई अशोक गहलोत की हुई, उतनी रगड़ाई अब तक सचिन पायलट की भी हो चुकी है।तो पायलट को मुख्यमंत्री बनने से क्यों रोक रहे हैं गहलोत?

राजनीति में रगड़ाई शब्द का उपयोग सबसे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही किया। गहलोत ने अपने प्रतिद्वंदी सचिन पायलट को सलाह दी कि मुख्यमंत्री बनने से पहले राजनीतिक रगड़ाई करवाई या नहीं, यह गहलोत और पायलट ही जाने, लेकिन राजस्थान के सबसे बड़े अखबार राजस्थान पत्रिका का आकलन है कि 1998 में मुख्यमंत्री बनने पर गहलोत ने जितनी रगड़ाई करवाई थी, उतनी अब तक सचिन पायलट ने भी करवा ली है। चूंकि रगड़ाई का मुद्दा गहलोत ने ही उठाया था, इसलिए अब पायलट को मुख्यमंत्री बनाने में गहलोत को सहयोग करना चाहिए। 1980 में सांसद बनने के बाद 1998 में जब गहलोत सीएम बने तब, उनकी उम्र 47 साल थी। 2004 में जब पायलट पहली बार सांसद बने तो उनकी उम्र 27 वर्ष थी, लेकिन अब 2022 में पायलट की उम्र भी 45 वर्ष हो गई है। इन 18 वर्षों में पायलट ने भी सत्ता और संगठन के विभिन्न पदों पर रहते हुए खूब रगड़़ाई करवा ली है। रगड़ाई की कसौटी पर पत्रिका में 27 अक्टूबर को प्रकाशित आर्टिकल को ब्लॉग में ज्यों का त्यों लिखा जा रहा है। राजस्थान के नागरिक खुद आकलन करें। यह आर्टिकल राजनीतिक समीक्षक अनंत मिश्रा ने लिखा है।
 
पत्रिका का आर्टिकल:
राजस्थान में सियासी उठापटक के दौर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछले दिनों दिए गए बयानों की गहराई समझने वालों को यह सहज अंदाजा हो सकता है कि वे पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर संकेतों में ही सियासी अनुभव को लेकर तंज कसते रहते हैं। लेकिन हर कोई यह समझना जरूर चाहता होगा कि बार.बार रगड़ाई जैसे शब्द का इस्तेमाल करने वाले सीएम आखिर क्या संदेश देना चाहते हैं। जैसा वे कहते आए हैं कि उनके हर बयान के मायने होते हैं. ऐसे में यह माना जा सकता है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर चल रहे संग्राम के दौर में वे पायलट को कम रगड़ाई यानी कम अनुभव वाला बता रहे हैं।
न केवल कांग्रेस पार्टी बल्कि प्रमुख प्रतिपक्ष दल भाजपा का समर्थन करने वाले और नौकरशाही में सियासी बयानों की चीर.फाड़ करने वाले अशोक गहलोत के रगड़ाई फितूर बाजी जैसे शब्दों की मीमांसा अपने तरीके से कर रहे हैं। सीएम साफ कह रहे हैं कि रगड़ाई नहीं होने से फितूरबाजी वे ही कर रहे हैं जिन्हें जल्दी मौका मिल गया। यह बात सही है कि राजनीति में उम्र के मुकाबले अनुभव का अपना महत्व है। जब बात सचिन पायलट की होती है तो ऐसे बयानों का यही मतलब निकाला जाने लगा है कि सचिन पायलट को अभी अधिक अनुभव नहीं है। यह भी कहा जाने लगा है कि ऐसे बयान देकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सचिन को सीएम पद पर इतना जल्द बैठने योग्य भी नहीं मानते। सियासी तंज के अपने निहितार्थ होते हैं। ऐसे में दोनों नेताओं की उम्र व अनुभव की पड़ताल भी जरूरी हो जाती है। अतीत के पन्नों को पलटें तो अशोक गहलोत 1980 में पहली बार जोधपुर से लोकसभा का चुनाव जीते। 1998 में वे राजस्थान के मुख्यमंत्री बन गए। यानी 18 साल बाद। इस बीच वे कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रहेए केंद्र में चार साल मंत्री भी रहे। सिक्के के दूसरे पहलू पर गौर करें तो सचिन के सियासी अनुभव को भी कसौटी पर कसना होगा। सचिन 2004 में पहली बार सांसद बने। 2009 में फिर सांसद बने। मनमोहन सिंह सरकार में पांच साल मंत्री भी रहे। फिर कांग्रेस के साढ़े छह साल तक प्रदेशाध्यक्ष भी रहे। 2018 में पहली बार विधायक बने। राज्य सरकार में पंचायत राज व पीडब्ल्यूडी जैसे विभागों को संभालने के साथ उपमुख्यमंत्री भी रहे। यानी पहली बार मुख्यमंत्री बनने तक गहलोत की जितनी रगड़ाई हुई थी, मुख्यमंत्री पद के दावेदार सचिन की भी उतनी ही रगड़ाई हो चुकी है।

S.P.MITTAL BLOGGER (27-10-2022)
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धर्मेन्द्र राठौड़ पर अनुशासनहीनता की तलवार लटकने से पुष्कर में नसीम अख्तर के समर्थकों में खुशी।रिज्जू झुनझुनवाला अजमेर के बजाए भीलवाड़ा में चलाएंगे इंदिरा रसोई।

राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ पर अनुशासनहीनता की तलवार लटकने से अजमेर के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर के समर्थकों में खुशी देखी गई है। राठौड़ को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खुला संरक्षण है, मुख्यमंत्री के कारण ही धर्मेन्द्र राठौड़ पिछले एक वर्ष से पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय हैं। राठौड़ की राजनीतिक सक्रियता की वजह से ही अगले विधानसभा चुनाव में नसीम अख्तर का टिकट कटने की चर्चा होने लगी है। राठौड़ ने भी अपनी सक्रियता से यह दिखाने का प्रयास किया कि अगले वर्ष होने वाले चुनाव में उन्हें ही कांग्रेस का टिकि मिलेगा। लेकिन गत 15 सितंबर को जयपुर में होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक को लेकर धर्मेन्द्र राठौड़ ने जो भूमिका अदा की, उस पर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व में गहरी नाराजगी दिखाई। यहां तक कि पार्टी का अनुशासन तोडऩे के लिए राठौड़ को नोटिस तक दिया गया। माना जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खडग़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद अब राठौड़ पर अनुशासनहीनता करने की कार्यवाही हो सकती है। जानकारों की मानें तो राठौड़ का आरटीडीसी अध्यक्ष पद भी जा सकता है। इधर राठौड़ पर अनुशासनहीनता की तलवार लटकी तो उधर नसीम अख्तर और उनके पति इंसाफ अली ने पुष्कर से लेकर जयपुर और दिल्ली तक में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। पति और पत्नी दोनों कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं। 26 अक्टूबर को खडग़े ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभाला, तब दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में नसीम दम्पत्ति भी उपस्थित रहे। दोनों ने बड़े नेताओं के साथ अपने फोटो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किए। 19 अक्टूबर को जब चुनाव की मतगणना हुई तब भी नसीम दंपत्ति दिल्ली में मौजूद रहे। नसीम की सक्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में वे राजस्थान में खडग़े की पॉलिंग एजेंट भी रही। यानी नसीम का खडग़े से सीधा संवाद है। नसीम अख्तर मौजूदा समय में भी प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष हैं। नसीम दंपत्ति को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट का समर्थक माना जाता है। नसीम दंपत्ति के रहते हुए धर्मेन्द्र राठौड़ को पुष्कर से टिकट मिलना आसान नहीं है।
 
भीलवाड़ा में चलेगी इंदिरा रसोई:
मयूर शूटिंग के मालिक और देश के प्रमुख कपड़ा उद्योगपति रिज्जू झुनझुनवाला ने गत लोकसभा का चुनाव अजमेर से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था। चार लाख मतों से हारने के बाद भी झुनझुनवाला ने कहा कि अगले चुनाव तक अजमेर में ही सक्रिय रहेंगे। लेकिन पिछले साढ़े तीन वर्ष में झुनझुनवाला एक बार भी अजमेर नहीं आए। हालांकि दिखाने के लिए उनके जवाहर फाउंडेशन ट्रस्ट के माध्यम से अजमेर में पौधा रोपण जैसे कार्य किए गए, लेकिन झुनझुनवाला की अधिकांश सामाजिक सक्रियता भीलवाड़ा में ही देखी गई। 26 अक्टूबर को ही झुनझुनवाला ने भीलवाड़ा में सरकार की इंदिरा रसोई चलाने का एमओयू जिला प्रशासन से किया। भीलवाड़ा में जवाहर फाउंडेशन के सहयोग से कई प्रोजेक्ट चला रहे थे, जिसका फायदा भीलवाड़ा के लोगों को मिल रहा है। झुनझुनवाला की फैक्ट्रियां भीलवाड़ा में ही संचालित है, लेकिन झुनझुनवाला चाहते हैं कि अजमेर जिले के लोग उन्हें वोट दे, यानी झुनझुनवाला सामाजिक काम तो भीलवाड़ा में करेंगे, लेकिन वोट अजमेर में मांगेंगे। सवाल तो यह भी है कि जब झुनझुनवाला की कर्मस्थली भीलवाड़ा है तो फिर वे अजमेर से चुनाव क्यों लड़ते हैं? क्या अजमेर में कांग्रेस के नेता चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है? अजमेर में डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी जैसे कई नेता है जो लोकसभा का चुनाव लड़ने का दम रखते हैं। यह बात अलग है कि झुनझुनवाला अपने पैसे के बल पर ही टिकट प्राप्त करने में सक्षम है। जहां तक झुनझुनवाला का सामाजिक कार्य करने का सवाल है तो किसी भी उद्योगपति को सीएसआर फंड में सामाजिक कार्यो के लिए राशि खर्च करना अनिवार्य है। झुनझुनवाला उसी सीएसआर फंड से अजमेर में भी कुछ राशि खर्च करते हैं तो अजमेर में झुनझुनवाला के कुछ समर्थक सक्रिय नजर आते हैं, लेकिन कांग्रेस के किसी भी आंदोलन और कार्यक्रमों में झुनझुनवाला शामिल नहीं होते हैं। 

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Friday 21 October 2022

गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए राजस्थान भाजपा की कोर कमेटी की बैठक 21 अक्टूबर को दिल्ली में होगी।पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का विवाद हल किए बगैर विरोध को धार नहीं दी जा सकती।

राजस्थान में 14 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा की कोर कमेटी की बैठक 21 अक्टूबर को दिल्ली में होगी। इस बैठक की अध्यक्षता भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नडड़ा करेंगे। बैठक में कांग्रेस सरकार के खिलाफ संभाग स्तर पर होने वाली जनआक्रोश रैली को लेकर रणनीति बनाई जाएगी। जानकार सूत्रों के अनुसार रैलियों का समापन जयपुर में होगा। समापन रैली को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संबोधित करेंगे। इसलिए जयपुर रैली में पांच लाख से भी ज्यादा लोगों की भीड़ जुटाने की रणनीति है। भाजपा की कोर कमेटी में प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, विधायक दल के नेता गुलाब चंद कटारिया, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, ओम प्रकाश माथुर, संगठन महासचिव चंद्रशेखर, राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, राजेंद्र गहलोत, कनकमल कटारा, सांसद सीपी जोशी शामिल हैं। इसके साथ ही विशेष आमंत्रित सदस्यों में प्रभारी महासचिव अरुण सिंह, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती भारती बेन तथा राष्ट्रीय सचिव श्रीमती अल्का गुर्जर शामिल किया गया है। एक राजनीतिक दल के नाते भाजपा की यह अच्छी कवायद है, लेकिन राजस्थान भाजपा में जब तक पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का विवाद खत्म नहीं होता, तब तक भाजपा के विरोध को धार नहीं दी जा सकती है। सब जानते हैं कि राजे को अमित शाह के कार्यकाल में ही पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना रखा है, लेकिन राजे की रुचि राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय होने के बजाए राजस्थान में ही है। यही वजह है कि राजे कभी अपने जन्मदिन पर तो कभी धार्मिक पर्यटन की आड़ में शक्ति प्रदर्शन करती रहती हैं। अभी जब कांग्रेस में आंतरिक विवाद चरम पर है, तब भी राजे का धार्मिक पर्यटन जारी है। राजे जब भी सक्रिय होती हैं तब भाजपा की फूट उजागर होती है। इससे कांग्रेस नेताओं को भी हमला करने का अवसर मिल जाता है। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व से चल रहे विवाद का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पार्टी के प्रादेशिक कार्यक्रमों में राजे शामिल नहीं होती हैं। नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की उपस्थिति में होने वाले कार्यक्रमों में ही राजे शामिल होती हैं। प्रादेशिक नेता भी राजे के बगैर ही कार्यक्रम करते रहते है। राजे जब पार्टी के अधिकृत कार्यक्रमों के बजाए अपने निजी कार्यक्रमों में सक्रिय होती हैं तो कांग्रेस की तरह भाजपा की फूट भी उजागर होती है। समर्थक चाहते हैं कि आगामी विधानसभा चुनाव में वसुंधरा  राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए, जबकि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व इस बार पीएम मोदी और पार्टी के चिन्ह पर ही चुनाव लड़ना चाहता है। देखना होगा कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व राजे के विवाद का समाधान किस प्रकार करता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (20-10-2022)
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भारत की सनातन संस्कृति के प्रतीक बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। केदारनाथ मंदिर में किया अनुष्ठान।प्रकृति ने भी मोदी का अभिवादन किया।गीता और बाइबल भी जिहाद की शिक्षा देती हैं-शिवराज पाटिल। इसलिए कांग्रेस लगातार हार रही है।

21 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार भारत की सनातन संस्कृति का जर्बदस्त प्रदर्शन किया। दीपावली के मौके पर अपनी तीन दिवसीय धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा के तहत मोदी पहले दिन 21 अक्टूबर को केदारनाथ धाम पहुंचे। एक सनातनी की तरह मोदी सुबह सुबह ही बाबा के मंदिर में पहुंच गए। हिमाचली संस्कृति की प्रतीक चोला डोरा ड्रेस पहन कर मोदी ने मंदिर में पूजा अर्चना की। आदिकाल में जब सनातन संस्कृति कमजोर पड़ रही थी, तब आदि शंकराचार्य ने चारों दिशाओं में धर्मपीठ स्थापित कर हमारे वेद पुराणों का प्रचार प्रसार किया। 21 अक्टूबर को मोदी ने केदारनाथ धाम परिसर में लगी आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के भी दर्शन किए। बाबा के दरबार में हर श्रद्धालु आ सके, इसके लिए मोदी ने 34 हजार करोड़ रुपए की कनेक्टिविटी परियोजना का शिलान्यास भी किया। रोपवे के निर्माण से मात्र 30 मिनट में दिर तक पहुंचा जा सके। अभी 19 किलोमीटर के पहाड़ी सफर को पूरा करने में 8 घंटे लगते हैं। यानी आठ घंटे का सफर मात्र 30 मिनट का हो जाएगा। मोदी की पहल पर उत्तराखंड के चारों प्रमुख धामों को सड़क मार्ग से जोड़ने का कार्य पहले से ही चल रहा है। अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर निर्माण, बनारस में मंदिर का जीर्णोद्धार, उज्जैन में महाकाल का विशाल कॉरिडोर के कार्य देशवासियों के सामने हैं। यानी सनातन संस्कृति का परचम फैलाने में मोदी कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। देश की विपरीत परिस्थितियों में भी मोदी भारत की सनातन संस्कृति के प्रतीक बने हुए हैं। ऐसा तभी संभव है, जब आध्यात्मिक शक्ति मिले। मोदी पिछले 8 वर्ष से देश के प्रधानमंत्री हैं और 6 बजार केदारनाथ धाम आ चुके हैं। मोदी बाबा के मंदिर में सिर्फ दर्शन ही नहीं करते, बल्कि कई घंटो का अनुष्ठान भी करते हैं। मोदी की सनातन भक्ति को देखते हुए 21 अक्टूबर को प्रकृति ने भी मोदी का अभिवादन किया। 19 अक्टूबर से ही केदारनाथ में बर्फबारी हो रही है, लेकिन 21 अक्टूबर को सुबह केदारनाथ धाम में लोगों ने धूप का अहसास किया। आसमान एकदम साफ देखा गया। यही वजह रही कि मोदी ने शांति और सद्भाव के साथ पूजा अर्चना की। तय कार्यक्रम के अनुसार मोदी 21 अक्टूबर को रात्रि विश्राम बद्रीनाथ में करेंगे। 22 अक्टूबर को चीन की सीमा से लगे भारत के अंतिम गांव माणा का जायजा लेंगे। 23 अक्टूबर को छोटी दीपावली पर मोदी भगवान राम के जन्म स्थल अयोध्या में होंगे। इस दिन अयोध्या में पांच लाख दीपक जला कर विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। दीपावली पर अयोध्या में मोदी की उपस्थिति भी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी। मोदी इस दौरान मंदिर निर्माण कार्यों का जायजा भी लेंगे। मोदी की इस धार्मिक और आध्यात्मिक यात्रा से देश विदेश में रहने वाले सनातनी भी बेहद उत्साहित हैं।
 
जिहाद की शिक्षा देती है गीता:
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवराज पाटिल ने कहा है कि महाभारत पर लिखी गीता जिहाद करने की शिक्षा देती है। पाटिल ने बाइबल को भी जिहाद की शिक्षा देने वाला धार्मिक ग्रंथ बताया। शिवराज पाटिल ऐसे तर्क कहां से लाए हैं, यह तो वे ही जाने, लेकिन कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयानों से ही पार्टी लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है। नरेंद्र मोदी जहां भारत की सनातन संस्कृति को मजबूत करने वाले कार्य करते हैं, वहीं कांग्रेस के नेता हमारी संस्कृति को अपमानित और नीचा दिखाने वाले बयान देते हैं। शिवराज पाटिल को यह समझना चाहिए कि गीता कभी भी किसी निर्दोष व्यक्ति की गर्दन काटने की शिक्षा नहीं देती है। पाटिल ने गीता का अध्ययन समझदारी से नहीं किया है। गीता तो हमें कर्तव्य पथ पर चलने की शिक्षा देती है। क्या शिवराज पाटिल ने यह बयान सिर्फ गांधी परिवार को खुश करने के लिए दिया है?

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Wednesday 19 October 2022

जोधपुर में पटवारी बीरबल राम को 25 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा। इससे राजस्थान के राजस्व विभाग में फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है।क्या एक पटवारी अकेले दम पर इतनी मोटी रकम हजम कर सकता है। एसीबी ने नकली नोटों का सहारा लिया।

19 अक्टूबर को जोधपुर में पटवारी बीरबल राम को 25 लाख रुपए 21 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। राजस्व विभाग में पटवारी सबसे छोटा कार्मिक होता है। अब यदि पटवारी ही 25 लाख रुपए की रिश्वत ले रहा है तो राजस्थान के राजस्व विभाग में फैले भ्रष्टाचार का अंदाजा लगाया जा सकता है। सवाल यह भी है कि क्या एक पटवारी अपने दम पर 25 लाख रुपए की रिश्वत हजम कर सकता है? पटवारी के ऊपर नायब तहसीलदार, तहसीलदार, एसडीएम और कलेक्टर तक के अधिकारी होते हैं। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का गृह जिला है। जब मुख्यमंत्री के गृह जिले में रिश्वतखोरी का यह हाल है तो अन्य जिलों में फैले भ्रष्टाचार का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जोधपुर की खराब सड़कों के संदर्भ में सीएम गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि जब मुख्यमंत्री के घर की सड़कों की हालत इतनी खराब है तो फिर प्रदेश की सड़कें भी खराब होंगी। जोधपुर स्थित एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक दुर्ग सिंह राजपुरोहित ने बताया कि परिवादी मनोज ने लिखित में शिकायत दी कि उसकी जमीन की तरमीन (नाप चौप) करवाने के लिए पटवारी बीरबल राम ने 26 लाख रुपए की रिश्वत मांगी है। एसीबी की योजना के अनुसार मनोज ने कुछ राशि पटवारी को पहले दी। योजना के मुताबिक 19 अक्टूबर को पटवारी बीरबल को जब 25 लाख 21 हजार रुपए की राशि दी जा रही थी, तभी उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पटवारी के घर से शिकायतकर्ता मनोज की जमीन के कागजात भी बरामद हुए हैं। मनोज ने बताया कि उसकी जमीन करीब 8 करोड़ रुपए की है। इसलिए पटवारी का लालच बढ़ गया। पहले रिश्वत के बतौर 30 x 60 वर्ग गज वाला भूखंड मांगा गया, लेकिन बाद में इस भूखंड की एवज में 26 लाख रुपए की राशि मांगी। पुरोहित ने बताया कि फोन रिकॉर्डिंग से पता चलता है कि पटवारी बीरबल राम अधिकांश मामलों में रिश्वत की मांग कर रहा है। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि बीरबल राम को नेवी के हवलदार के पद से सेवानिवृत्ति के बाद सैनिक कोटे में पटवारी की नौकरी मिली। लेकिन इसके बावजूद भी बीरबल राम मोटी मोटी राशि रिश्वत के तौर पर ले रहा है। पुरोहित ने बताया कि गिरफ्तार पटवारी रसूक वाला है, इसलिए पिछले कई वर्षों से जोधपुर के महत्वपूर्ण क्षेत्र में नियुक्त है। पटवारी के अब तक के कार्यकाल की जांच पड़ताल की जाएगी। यदि इस प्रकरण में कोई अन्य अधिकारी लिप्त पाया गया तो उसके विरुद्ध भी कार्यवाही होगी।

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अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाए रखने के साथ साथ राजस्थान की बिगड़ती कानून व्यवस्था को भी संभालना चाहिए।ढिलाई की वजह से राजस्थान में कई अपराधी गिरोह सक्रिय। यूपी में पुलिस से डरते हैं अपराधी।

अशोक गहलोत भारत के पहले ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जो हर परिस्थिति में अपने मुख्यमंत्री पद को बचाए रखते हैं। सचिन पायलट दिल्ली जाकर सरकार गिराने की कोशिश करें या फिर कांग्रेस हाईकमान हटाने का प्रयास करें, सभी कोशिशें और प्रयोग को गहलोत विफल कर देते हैं। देश के संसदीय इतिहास में भी यह पहला अवसर होगा, जब अशोक गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए कांग्रेस के 106 में 92 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। कांग्रेस हाईकमान यदि गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाने की हिमाकत करता तो अब तक इस्तीफे मंजूर हो जाते। यह सही है कि मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए गहलोत राजनीति के सभी करतब कर रहे हैं, लेकिन राजस्थान की कानून व्यवस्था लगातार बिगड़ रही है। 18 अक्टूबर को ही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने देशव्यापी छापेमारी के तहत राजस्थान में भी गुंडा तत्वों पर कार्यवाही की है। एनआईए के सूत्रों के अनुसार राजस्थान में कुख्यात आपराधिक गिरोह के करीब 500 बदमाश सक्रिय हैं जो वसूली का कार्य करते हैं। यदि कोई धनाढ्य व्यक्ति पैसा नहीं देता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है। गुंडा तत्वों के लिए राजस्थान सुरक्षित माना जाता है। उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के शासन में 150 से भी ज्यादा बदमाशों को पुलिस ने मुठभेड़ में मार डाला है। आंकड़े बताते हैं कि राजस्थान में पिछले 15 वर्षों में सिर्फ पांच बदमाश मुठभेड़ में मारे गए हैं। यही वजह है कि बदमाश अब यूपी पुलिस से डरते हैं। राजस्थान में सीएम गहलोत के पास ही गृह विभाग भी है, इसलिए बिगड़ती कानून व्यवस्था के लिए गहलोत सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। यह माना कि गहलोत मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री और गृहमंत्री होने के नाते कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी भी गहलोत की है। यदि किसी प्रदेश को गुंडा तत्व सुरक्षित मानने लगे तो उस प्रदेश की कानून व्यवस्था का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह बात भी अपने आप में गंभीर है कि एनआईए को राजस्थान में गुंडा तत्वों के खिलाफ कार्यवाही करनी पड़ रही है। गहलोत के मुख्यमंत्री रहते पुलिस में जबरदस्त राजनीतिक दखल हुआ है। थानाधिकारी तक विधायकों की सिफारिश पर लगे हैं। विधायकों को हर दृष्टि से खुश रखा गया है, इसलिए अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए 90 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। सरकार की कमजोर स्थिति का फायदा गुंडा तत्व भी उठा रहे हैं। गुंडा तत्व अब अवैध खनन, नशीले पदार्थों की बिक्री जैसे कार्यों में सक्रिय हो गए है। गुंडा तत्वों की सक्रियता का खामियाजा राजस्थान की जनता को उठाना पड़ सकता है। 

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वेबसाइट पर ऑनलाइन बिल जमा नहीं होने से अजमेर में टाटा पावर के उपभोक्ता परेशान।केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के 200 गांवों में स्ट्रीट वेंडर को मिल रहे हैं दीपावली पर लक्ष्मी पूजन सामग्री के किट।सहकार भारती उपलब्ध कराएगा रियायती दर पर मिठाई।

अजमेर में बिजली वितरण की व्यवस्था निजी क्षेत्र की कंपनी टाटा पावर के पास है। लेकिन पिछले दस दिनों से कंपनी की वेबसाइट के माध्यम से बिजली के बिल ऑनलाइन जमा नहीं हो रहे हैं। इससे हजारों उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है। ऑनलाइन बिल जमा नहीं होने से कंपनी के विभिन्न काउंटरों पर नगद राशि से बिल जमा करवाने वालों की लंबी कतारें देखी गई है। एक उपभोक्ता का दो घंटे में नंबर आ रहा है। अब जब अधिकांश उपभोक्ता बिजली का बिल ऑनलाइन ही जमा करवाते हैं, तब लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। ई-मित्र सेंटरों पर भी टाटा पावर के बिल जमा नहीं हो रहे हैं। इस संबंध में एक जागरूक उपभोक्ता बसंत वर्मा ने टाटा पावर के सीईओ मनोज साल्वी को अवगत भी कराया है। साल्वी ने माना की कुछ तकनीकी खराबी की वजह से बिजली के बिल जमा होने में परेशानी हो रही है। कंपनी के आईटी इंजीनियरों का प्रयास है कि तकनीकी गड़बड़ी को जल्द से जल्द दूर किया जाए। साल्वी ने कहा कि वेबसाइट की गड़बड़ी की वजह से जिन उपभोक्ताओं को बिल देय तिथि पर जमा नहीं हो पा रहे हैं, उन्हें विलंब शुल्क में छूट देने का निर्णय लिया जाएगा।
 
लक्ष्मी पूजन के किट:
अजमेर जिले के केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के 200 गांवों में सभी स्ट्रीट वेंडर्स (हाथ ठेला फुटपाथ) आदि को दीपावली पर लक्ष्मी पूजन सामग्री निशुल्क वितरित किए जा रहे हैं। यह किट भाजपा के युवा नेता और केकड़ी नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष अनिल मित्तल की ओर से दिए जा रहे हैं। मित्तल ने बताया कि किट में लक्ष्मी पूजन की संपूर्ण सामग्री है। उनकी भावना है कि स्ट्रीट वेंडर्स का परिवार भी सम्मान पूर्वक तरीके से लक्ष्मी पूजन कर सके। पार्टी के कार्यकर्ता स्ट्रीट वेंडर्स को उनके निर्धारित स्थान पर लक्ष्मी पूजन का किट उपलब्ध करवा रहे हैं। यदि किसी वेंडर्स को किट नहीं मिला है तो मोबाइल नंबर 9928021482 पर अनिल मित्तल से संपर्क कर सकते हैं। केकड़ी विधानसभा क्षेत्र में केकड़ी शहर के साथ सरवाड़, सावर, देवगांव,फतेहगढ़, डूंगर आदि बड़े कस्बे भी आते हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि अनिल मित्तल ने अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 51 लाख रुपए की सहयोग राशि भी पूर्व में दी थी।
 
रियायती दर पर मिठाई:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ परिवार से जुड़े सहकार भारती संस्था द्वारा प्रांत भर में रियायती दर पर दीपावली के अवसर पर मिठाई उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रांत संयोजक अमृत अग्रवाल ने बताया कि जिला स्तर के पदाधिकारी अपने अपने क्षेत्रों में मिठाई निर्माण करवा रहे हैं। अजमेर में भी दीपावली के अवसर पर काजू की कतली 580 रुपए पंचमेवा 680, मूंग दाल की बर्फी 380, गोंद के लड्डू 380, पंछी ब्रांड का आगरे का पेठा 100 रुपए प्रति किलों के भाव से उपलब्ध कराया जाएगा। इसी प्रकार डालडा घी से निर्मित सोन पापड़ी मात्र 140 रुपए प्रति किलो के मूल्य पर उपलब्ध करवाई जाएगी। अजमेर की व्यवस्था अध्यक्ष अशोक शर्मा, महामंत्री संजय शर्मा और कोषाध्यक्ष कैलाश काबरा के पास है। रियायती दर की मिठाई के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9460793369 पर अमृत अग्रवाल से ली जा सकती है। सोयाबीन तेल से निर्मित नमकी 130 रुपए प्रति किलो के मूल्य पर उपलब्ध है। अग्रवाल ने बताया कि बाजार में महंगी दर पर मिठाई मिल रही है, तब सहकार की भावना को बढ़ाने के लिए दीपावली के मौके पर रियायती दर पर मिठाई उपलब्ध करवाई जा रही है ।

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Tuesday 18 October 2022

राजस्थान में कांग्रेस के शासन में किसान और कृषि बेहाल। मंडी कार्मिकों को वेतन तक नहीं मिल रहा है।सीधी खरीद और संविदा खेती का कानून तो राजस्थान में 2005 में ही बन गया था।पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी ने गहलोत सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।

17 अक्टूबर को राजस्थान के पूर्व कृषि मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभुलाल सैनी ने अजमेर स्थित हमारे नवनिर्मित ऑफिस का अवलोकन किया। इसी दौरान सैनी से राजस्थान के किसानों और कृषि को लेकर चर्चा हुई। सैनी ने बताया कि भाजपा शासन में उनके कृषि मंत्री रहते हुए किसानों के हितों के लिए जो योजनाएं लागू की गई थी, उन्हें गहलोत सरकार ने बंद कर दिया। इसकी वजह से आज किसानों और कृषि की हालत बदतर हो गई है। केंद्र सरकार में जब तीन कृषि कानून बनाए तब कांग्रेस ने भी पुरजोर तरीके से विरोध किया। लेकिन आज कांग्रेस की नीतियों से प्रदेश की कृषि उपज मंडियों का बुरा हाल है। सरकार बनने के बाद गहलोत ने मंडी शुल्क समाप्त कर वाहवाही लूटने का काम किया। लेकिन आज मंडी कर्मियों को समय पर वेतन तक नहीं मिल रहा है। प्रदेश की अधिकांश मंडियां बदहाल स्थिति में है। गंभीर बात तो यह है कि सरकार ने मंडी शुल्क तो समाप्त किया, लेकिन दलालों का छह प्रतिशत कमीशन जारी रखा। हालत इतने खराब है कि मंडी के अधिकारी अब अपनी ही संपत्तियों को बेच रहे हैं। सैनी ने कहा कि कांग्रेस ने भले ही केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध किया हो, लेकिन हकीकत यह है कि राजस्थान में वर्ष 2005 में ही किसानों से सीधी खरीद और संविदा खेती का कानून बन गया था। कृषि उपज मंडी अधिनियम की धारा 22 जे में आज भी सीधी खरीद और संविदा खेती का प्रावधान है। प्रदेश के कई जिलों में इन कानूनों पर अमल भी किया जा रहा है। सैनी ने माना कि जब किसान से सीधी खरीद होगी तो दलालों की भूमिका समाप्त हो जाएगी। इसी प्रकार संविदा खेती में किसानों को उच्च तकनीक मिलेगी। सैनी ने बताया कि किसानों को अपनी उपज का सही दाम दिलवाने के लिए ही भाजपा के शासन में प्रदेश के 20 जिलों में विशिष्ट मंडियां बनाई गई थी। अजमेर में फूल, गंगानगर में किन्नू, चित्तौड़ में सीताफल, कोटा में संतरा, जोधपुर में जीरा, टोंक में अमरूद, बाड़मेर में अनार, बीकानेर में खजूर की मंडियां इसलिए शुरू की गई ताकि किसान को फायदा हो सके। ऐसा निर्णय इसलिए लिया गया कि इन्हीं जिलों में इन्हीं उत्पादों को बहुतायत है। लेकिन अब ऐसी विशिष्ट मंडियां बंद हो गई है। सैनी ने बताया कि गहलोत सरकार की कृषि विरोधी नीतियों के कारण ही दलहन की खेती भी बिगड़ रही है। मूंग, उड़द, तुअर, मसूर, चावला, मोठ आदि की फसलों में इलिया रोक लग गया है। सरकार ने इस रोग को रोकने में कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किया है, जबकि उनकी कार्यकाल में दलहन की खेती को बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाया गया। यही वजह रही कि राजस्थान में सात लाख हैक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर दलहन की खेती की गई। अतिरिक्त भूमि पर खेती होने के कारण ही राजस्थान के वार्षिक उत्पादन में वृद्धि भी हुई। बाद में हमारी इस उपलब्धि पर केंद्र सरकार ने उत्पादकता पुरस्कार भी दिया। सैनी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया कि वे किसान और कृषि के नाम पर राजनीति नहीं करें। राजस्थान के किसान तो पानी के अभाव में पहले ही विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। यदि सरकार भी बेरुखी दिखाई गई तो फिर किसान का गुजारा होना मुश्किल है। सैनी ने इस बात पर भी अफसोस जताया कि गहलोत सरकार ने अपने वादे के मुताबिक किसानों की संपूर्ण कर्ज माफी नहीं की है। राजस्थान में किसान और कृषि के हालातों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर मोबाइल नंबर 9828243339 पर पूर्व कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी से ली जा सकती है। 

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कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के मामले में ऐसा फैसला दूंगा, जो देश के संसदीय इतिहास में नजीर बनेगा-सीपी जोशी, राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष।भाजपा नेताओं ने कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने के लिए ज्ञापन दिया तो पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने जयपुर के मोती डूंगरी मंदिर में पुष्य नक्षत्र में विशेष पूजा की।अहमदाबाद में सीएम गहलोत के घेराव से पहले ही राजस्थान के बेरोजगार युवकों को हिरासत में लिया। गहलोत दिल्ली में।

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने कहा है कि कांग्रेस विधायकों के सामूहिक इस्तीफे के प्रकरण में वे ऐसा फैसला देंगे जो देश के संसदीय इतिहास में नजीर बनेगा। 18 अक्टूबर को भाजपा विधायक दल के नेता गुलाबचंद कटारिया, उपनेता राजेंद्र राठौड़ और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में 25 से भी ज्यादा विधायकों ने सीपी जोशी से मुलाकात की। जोशी को एक ज्ञापन देते हुए भाजपा विधायकों ने जानना चाहा कि 25 सितंबर को कांग्रेस के जिन 90 विधायकों ने इस्तीफा दिया, उस प्रकरण में क्या हुआ। भाजपा नेताओं ने कहा कि यह इस्तीफे सामूहिक तौर पर सीधे आपको (विधानसभा अध्यक्ष) दिए गए थे, इसलिए संवैधानिक दृष्टि से यह मामला बहुत महत्वपूर्ण है। चूंकि इन विधायकों में मंत्री भी शामिल हैं, इसलिए राजस्थान में सरकार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। प्रदेश की जनता यह जानना चाहती है कि इस्तीफों पर विधानसभा अध्यक्ष ने क्या निर्णय लिया है। इस पर डॉ. सीपी जोशी ने कहा कि यह संवैधानिक मामला है और इस मामले पर विशेषज्ञों से राय ली जा रही है। देश की अन्य विधानसभाओं में जो ऐसे मामले हुए हैं उनका भी अध्ययन करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकरण में फैसला देेने का उनका विशेषाधिकार है। इसलिए जल्द निर्णय करने पर कोई दबाव नहीं डाला जा सकता है। वहीं डॉ. जोशी से मुलाकात के बाद कटारिया, पूनिया और राठौड़ ने कहा कि इस मामले में जोशी को जल्द से जल्द निर्णय करना चाहिए। कटारिया का कहना रहा कि इससे प्रदेश भर में अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस्तीफा देने के बाद भी मंत्री सरकार की सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। यदि कांग्रेस के मंत्रियों में थोड़ी भी नैतिकता है तो उन्हें विधानसभा अध्यक्ष के फैसले तक मंत्री पद की सुविधाएं बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में राजस्थान में सरकार को लेकर संवैधानिक संकट खड़ा हो गया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पूनिया ने आरोप लगाया कि सीएम गहलोत अब अपनी ही पार्टी के हाईकमान को ब्लैकमेल करने में लगे हुए हैं। हालांकि यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है। लेकिन फिर भी विधानसभा अध्यक्ष को अपना निर्णय जल्द देना चाहिए।
 
वसुंधरा की पुष्य नक्षत्र में पूजा:
18 अक्टूबर को सुबह जब भाजपा के नेता कांग्रेस के विधायकों के इस्तीफे को लेकर विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर रहे थे, तभी भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जयपुर में ही सुप्रसिद्ध मोती डूंगरी मंदिर में पुष्य नक्षत्र के समय विशेष पूजा अर्चना कर रही थी। राजे भी भाजपा की विधायक हैं, लेकिन उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष के पास जाने के बजाए मंदिर में पूजा अर्चना की। माना जाता है कि पुष्य नक्षत्र में पूजा अर्चना करने से मनोकामना पूर्ण होती है। कांग्रेस विधायकों का इस्तीफा राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। राजे के समर्थक पहले भी कह चुके हैं कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए। हालांकि समर्थकों की इस मांग को भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने नकार दिया है। भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने कई बार कहा है कि अगला चुनाव भाजपा के चुनाव चिन्ह कमल के फूल पर लड़ा जाएगा। यानी भाजपा के किसी भी नेता को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया जाएगा।
 
युवाओं को लिया हिरासत में:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 18 अक्टूबर को गुजरात के चुनावी दौरे पर रहे, गहलोत के आने से पहले ही राजस्थान बेरोजगार एकत्रित महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने अहमदाबाद में गहलोत का घेराव करने की घोषणा कर दी। उपेन यादव के नेतृत्व में राजस्थान के सैकड़ों बेरोजगार युवक इन दिनों अहमदाबाद में कांग्रेस के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। 18 अक्टूबर को उपेन यादव के नेतृत्व में सीएम गहलोत का घेराव होगा इससे पहले ही यादव और उनके समर्थकों को अहमदाबाद पुलिस ने हिरासत में ले लिया। यही वजह रही कि घोषणा के मुताबिक गहलोत का घेराव नहीं हो सका। उपेन यादव का आरोप है कि राजस्थान में घोषणा के मुताबिक गहलोत सरकार ने भर्तियां नहीं निकाली है तथा पूर्व में ली गई परीक्षाओं के परिणाम भी घोषित नहीं हो रहे हैं। इससे राजस्थान का युवा बेरोजगारी का सामना कर रहा है। 

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आखिर इस चुनाव से कांग्रेस को क्या हासिल होगा?

19 अक्टूबर को मल्लिकार्जुन खडग़े का कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनना तय है, क्योंकि 17 अक्टूबर को शशि थरूर के मुकाबले में खडग़े के पक्ष में एक तरफा वोटिंग हुई है। परिणाम आने से पहले ही खडग़े ने कह दिया है कि गांधी परिवार के बगैर कांग्रेस चल नहीं सकती है। खडग़े के इस कथन के बाद सवाल उठता है कि कांग्रेस अध्यक्ष के इस चुनाव से आखिर कांग्रेस को क्या हासिल होगा? जानकारों की माने तो ये चुनाव सिर्फ राहुल गांधी की जिद के कारण हो रहे हैं। राहुल गांधी यह नहीं चाहते थे कि कांग्रेस पर परिवार वादी पार्टी होने का आरोप लगे। इसलिए राहुल न तो स्वयं अध्यक्ष बने और न ही अपने परिवार के किसी सदस्य को अध्यक्ष बनने दिया। खडग़े को अध्यक्ष बना कर राहुल ने कांग्रेस को बचा लिया, लेकिन कांग्रेस की मजबूती का क्या होगा? लोकतंत्र में जो राजनीतिक दल चुनाव जीतता है वही सफल माना जाता है। राहुल गांधी खुद देख रहे हैं कि चुनावों में कांग्रेस को लगातार विफलता मिल रही है। 545 में मात्र 52 सांसद कांग्रेस के है तथा सिर्फ दो राज्यों में कांग्रेस की सरकार है। अब जब हिमाचल और गुजरात में विधानसभा के चुनाव हो रहे तो राहुल गांधी कर्नाटक में पद यात्रा कर रहे हैं। हिमाचल और गुजरात में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल लगातार दौरे कर रहे हैं। केजरीवाल का दावा है कि गुजरात में उनका मुकाबला भाजपा से है। कांग्रेस को तीसरे नंबर पर माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के गृह प्रदेश गुजरात में यदि कांग्रेस, भाजपा को हराना है तो राहुल गांधी को पद यात्रा भी नहीं करनी पड़ती। जब लोकतंत्र में सफलता चुनाव जीतना ही है तो किस बात के लिए पदयात्रा निकाली जा रही है? गुजरात में यदि लगातार छठी बार भाजपा जीतती है तो मोदी और शाह का देश की राजनीति में दबदबा और बढ़ेगा। यही वजह है कि गुजरात का चुनाव जीतने के लिए मोदी-शाह ने पूरी ताकत लगा रखी है। राहुल गांधी खुद विचार करें कि यदि गुजरात में कांग्रेस के मुकाबले केजरीवाल की पार्टी को ज्यादा सीटें मिली तो फिर उनकी पदयात्रा का क्या हश्र होगा? यह बात भी अपने आप में गंभीर है कि कांग्रेस ने उन अशोक गहलोत को गुजरात का सीनियर ऑर्ब्जवर बना रखा है जो राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी से चिपक कर कांग्रेस नेतृत्व को खुली चुनौती दे रहे हैं। गहलोत के कारण ही राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक तक नहीं हो रही है। क्या ऐसी स्थिति में गहलोत गुजरात में कांग्रेस को चुनाव जीतने का काम करेंगे? राहुल गांधी की पहचान कांग्रेस से ही है और जब कांग्रेस ही कमजोर हो जाएगी तो फिर राहुल गांधी किस दल का नेतृत्व करेंगे? पद यात्रा अपनी जगह है लेकिन कांग्रेस को मजबूत करना भी जरूरी है। मल्लिकार्जुन खडग़े ने सही कहा है कि गांधी परिवार यानी राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी के बगैर कांग्रेस नहीं चल सकती है। यदि कांग्रेस से गांधी परिवार अलग हो जाता है तो राजस्थान में भी गहलोत कांग्रेस बन जाएगी। राहुल गांधी को पहले कांग्रेस को संभालने की जरूरत है। परिवारवादी पार्टी होने के आरोप तो लगते रहेंगे। 

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