पाक के सामने मोदी का सख्त रुख
भारत के पीएम नरेन्द्र मोदी की इस बात के लिए प्रशंसा की जानी चाहिए कि 26 नवम्बर को नेपाल में सार्क सम्मेलन में पाकिस्तान के सामने सख्त रुख अपनाया। मोदी ने सम्मेलन में न तो पाक सीएम मियां नवाज शरीफ की ओर देखा और नहीं वार्ता करने में कोई रुचि दिखाई। इतना ही नहीं मोदी ने अपने भाषण में 26 नवम्बर, 2008 के मुम्बई हमले का उल्लेख भी कर दिया। मोदी ने कहा कि आज 2014 की 26 नवम्बर है और हम 2008 की 26 नवम्बर की घटना नहीं भूले हैं। आज भी भारतीय नागरिकों की मौत का हमें दर्द है। सार्क सम्मेलन में मोदी के सख्त रुख की प्रशंसा होनी ही चाहिए, क्योंकि इससे पहले ऐसे मौकों पर भारत की ओर से लचीला रवैया अपनाया जाता रहा है। हमारे पीएम न केवल गर्मजोशी से पाक पीएम से मिलते रहे, बल्कि वार्ता करने के लिए उतावले भी नजर आते थे। पाक इसे भात की कमजोरी मान कर नई-नई आतंकवादी हरकतें करता रहा। आज भी मुम्बई हमले का मास्टर माइंड हाफिज सईद पाक में खुलेआम रहा है। आज भी हाफिज सईद भारत के खिलाफ जेहाद करने का फतवा दे रहा है। ऐसे माहौल में मोदी ने पाक के प्रति सख्त रवैया अपना कर अच्छा किया। पाक के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने की ताकत पीएम को कश्मीर से भी मिली है। यह पहला अवसर रहा कि 70 प्रतिशत से भी ज्यादा कश्मीरियों ने भारतीय संविधान के अनुरूप हुए चुनावों में मतदान किया। इससे अलगाववादियों का यह दावा झूठा हो जाता है कि कश्मीर के नागरिक भारत का हिस्सा नहीं रहना चाहते। यदि पारिणामों में भाजपा की जीत होती है तो इसका श्रेय भी मोदी को ही जाएगा। क्योंकि मोदी ने ही सवा सौ करोड़ देशवासियों के विकास का नारा दिया है। कांग्रेस ने अब तक साम्प्रदायिकता का डर दिखा कर मुसलमानों का जो शोषण किया, उसका भी अंत नजर आ रहा है। यदि कश्मीर में राजनीतिक हालातों में बदलाव आता है तो इसका असर देशभर की मुस्लिम राजनीति पर पड़ेगा। मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, ममता बनर्जी, मायावती, नीतिश कुमार जैसे नेताओं को भी अपनी राजनीति बदलनी पड़ेगी। (एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)
No comments:
Post a Comment