Sunday, 12 October 2025

अजमेर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। भाग - 14 ================ 93 वर्ष की उम्र में भी संघ की शाखा में जाते रहे सर्वेश्वर जी अग्रवाल। संघ कार्य के खातिर रेलवे की नौकरी भी छोड़ी। त्रिशूल दीक्षा के कार्यक्रम के कारण जेल भी जाना पड़ा। अजमेर नगर सुधार न्यास के मनोनीत सदस्य भी रहे।

1947 में जब देश के विभाजन को लेकर डर और भय का माहौल था, तब सनातन धर्म की रक्षार्थ सर्वेश्वर जी अग्रवाल ने अजमेर की चन्द्र कुंड शाखा में स्वयंसेवक के रूप में जाना शुरू किया। उस समय सर्वेश्वर जी की उम्र 12 वर्ष रही होगी। इसे संघ शिक्षा का प्रभाव ही कहा जाएगा कि सर्वेश्वर जी जीवन के अंतिम समय तक संघ की शाखा में जाते रहे। 93 वर्ष की उम्र में जून 2023 में जब निधन हुआ, तब सर्वेश्वर जी अजमेर के बीके कौल नगर स्थित हनुमान वाटिका में लगने वाली प्रौढ़ शाखा के सक्रिय सदस्य थे। सर्दी के मौसम में भी सर्वेश्वर जी 3 पहिए वाले स्कूटर पर घर से शाखा स्थान तक आते थे। शाखा में अन्य बुजुर्ग सदस्यों के लिए सर्वेश्वर जी प्रेरणा स्त्रोत थे। सर्दी के मौसम में प्रात: साढ़े छह बजे शाखा में आना बुजुर्गों के लिए मुश्किल रहता है, लेकिन सर्वेश्वर गर्म कपड़े पहनकर प्रतिदिन आते रहे। 1948 में जब झूठे आरोपों में संघ पर प्रतिबंध लगा, तब सर्वेश्वर जी को भूमिगत होना पड़ा। सर्वेश्वर जी ने दस वर्षों तक रेलवे में नौकरी की, लेकिन संघ के प्रचारकों का इतना प्रभाव पड़ा कि उन्होंने संघ कार्य के खातिर रेलवे की नौकरी छोड़ दी। बाद में परिवार चलाने के लिए पट्टी कटला में किराने की दुकान खोली। संघ के सभी कार्यक्रमों में भोजन की व्यवस्था सर्वेश्वर जी के पास ही होती थी। संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों का मानना था कि सर्वेश्वर जी के नियोजन के कारण भोजन की बर्बादी नहीं होती है। 1975 में जब आपातकाल लगा तो सर्वेश्वर जी जेल जाने को तैयार थे, लेकिन संघ योजना के कारण सर्वेश्वर जी गिरफ्तार नहीं हुए। उन्होंने बाहर रहकर ही संघ के कार्यों को संचालित किया। लेकिन 1998 में जब त्रिशूल दीक्षा का कार्यक्रम हुआ तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। तब सर्वेश्वर जी को 14 दिनों तक जेल में रहना पड़ा। राम जन्मभूमि आंदोलन में भी सर्वेश्वर जी ने सक्रिय भूमिका निभाई। वर्ष 1990 में जब स्वयंसेवकों को अयोध्या जाना हुआ, तब सबसे पहले तोलाराम जी के नेतृत्व में अजमेर से 135 कार्यकर्ताओं का जाना तय हुआ, लेकिन किन्हीं कारणों से तोलाराम जी नहीं जा सके। जब झंवरीलाल जी ने भी असमर्थता प्रकट की तब प्रचारक उमाशंकर जी ने मुझे निर्देश दिया कि अब आपके नेतृत्व में स्वयंसेवकों का दल अयोध्या जाएगा। मेरे लिए यह गर्व की बात थी, क्योंकि उस समय अयोध्या में कार सेवा के लिए हर सनातनी जाना चाहता था। हम सभी पहले दिल्ली पहुंचे और यहां हमारी मुलाकात संघ कार्यालय में माननीय सोहन सिंह जी से हुई। स्नान और अल्पाहार के बाद हम सभी ट्रेन से लखनऊ के लिए रवाना हुए, लेकिन लखनऊ से पहले ही ट्रेन को रोक दिया गया। चूंकि ट्रेन आगे नहीं बढ़ी इसलिए सभी स्वयंसेवक निकट के एक मंदिर में चले गए। दोपहर बाद पता चला कि लखनऊ में कर्फ्यू लगा दिया गया है, इसलिए अब अयोध्या नहीं जा सकते। भले ही हमारा दल उस समय अयोध्या नहीं पहुंच सका हो, लेकिन उन दिनों राम मंदिर के पक्ष में जो माहौल बना उसी के बाद में मंदिर निर्माण मार्ग प्रशस्त हुआ। सर्वेश्वर जी ने संघ के निर्देश पर ही विश्व हिंदू परिषद में अपनी सेवाएं दी। बाद में भाजपा में भी अनेक पदों पर रहे। वर्ष 1995 में भाजपा सरकार के दौरान जब ओंकार सिंह लखावत नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष बने तो सर्वेश्वर जी का भी सदस्य के तौर पर मनोनयन हुआ। सर्वेश्वर जी चाहते तो उस समय अपने चार पुत्रों और दो पुत्रियों के लिए कोई भूखंड आसानी से ले सकते थे, लेकिन न्यास का सदस्य रहते हुए सर्वेश्वर जी ने एक इंच जमीन का भी आवंटन नहीं करवाया और न ही अपने परिवार के किसी सदस्य को नियमानुसार न्यास में भूखंड के लिए आवेदन करवाया। सर्वेश्वर जी का कहना रहा कि मैं मौजूदा समय में इस संस्था का ट्रस्टी हंू। मेरे रहते हुए मेरे परिवार का कोई सदस्य नियमानुसार भी भूखंड प्राप्त नहीं कर सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि राजनीति में रहकर सर्वेश्वर जी ने ईमानदारी के उच्च मापदंड निर्धारित किए। सर्वेश्वर जी ऐसा इसलिए कर पाए क्योंकि उन पर संघ शिक्षा का प्रभाव था। उन्होंने जीवन भर राष्ट्र सेवा को महत्व दिया। आजीविका चलाने के लिए परचूनी की दुकान पर बैठते थे और समय निकालकर संघ, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा का कार्य किया। सर्वेश्वर जी ने अपने जीवन में कभी भी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। कुछ लोग उनके सख्त और कड़े रुख को पसंद नहीं करते थे, लेकिन सर्वेश्वर जी ने ऐसे लोगों की कभी परवाह नहीं की। स्पष्टवादिता के कारण भी अजमेर में उनकी चर्चा हमेशा रही। अग्रवाल समाज की गतिविधियों में भी सर्वेश्वर जी ने बढ़चढ़ कर भाग लिया। सर्वेश्वर जी के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9251447809 पर उनके पुत्र गोविंद बंसल से ली जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (12-10-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

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