Friday, 3 October 2025
अजमेर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ। भाग - 6 पाकिस्तान से आकर अजमेर में पार्षद बने सेवकराम सोनी। आपातकाल में बेटे के साथ रहे जेल में। हिंदुओं की बहन-बेटियों को तंग करने वालों को सबक भी सिखाया।
देश के विभाजन के समय 1948 में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से जो सिंधी हिंदू परिवार किसी तरह जान बचाकर अजमेर आए, उनमें नारूमल सोनी का परिवार भी शामिल था। नारूमल अपने भरे पूरे परिवार के साथ अजमेर आए थे। उनके साथ पांच वर्षीय पुत्र सेवकराम सोनी भी था। चूंकि नारूमल स्वयं भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुड़े रहे इसलिए अजमेर आते ही पुत्र सेवकराम को शाखा में भेजना शुरू कर दिया। सेवकराम को बचपन से ही गीत लिखने का शौक रहा। 'यह हिमालय से उठा शीर्षक वाला गीत तो सुनने वालों के रोंगटे खड़े कर देता था। सेवकराम का संघ के प्रति समर्पण के कारण ही आपातकाल में उन्हें जेल जाना पड़ा। हालांकि विभाजन के समय पूरे परिवार ने विभाजन की त्रासदी को झेला और बड़ी मुश्किल से अजमेर में दो वक्त की रोटी का इंतजाम किया। लेकिन आपातकाल में तत्कालीन सरकार का संघ के प्रति दमनात्मक रुख था, इसलिए संघ के अधिकांश स्वयंसेवकों को जेल में डाला। सेवकराम जब अजमेर की सेंट्रल जेल में थे, तभी दूसरी बैरक से गीत की आवाज सुनाई दी। यह आवाज सेवकराम के पुत्र कन्हैया की थी। सेवकराम को जेल में ही पता चला कि उनका पुत्र भी आ गया है। पिता पहले से ही जेल में थे और ऊपर से पुत्र भी आ गया। यदि सेवकराम के पास संघ की शिक्षा दीक्षा नहीं होता तो वे टूट जाते, लेकिन संघ का पक्का और मजबूत स्वयंसेवक होने के कारण सेवकराम ने इस बात पर गर्व जताया कि अत्याचारी सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए उनके पुत्र कन्हैया सोनी का भी योगदान शामिल हो गया है। बाद में पिता-पुत्र दोनों ने गीतों से सेंट्रल जेल का माहौल देशभक्ति पूर्ण कर दिया। जेल में ही सेवकराम, भानु कुमार शास्त्री के साथ पूजा-पाठ करते थे। आपातकाल के समय धर्मनारायण, जयंती जी, शंकरलाल जी आदि स्वयंसेवकों ने सेवक राम के परिवार की देखभाल की। वर्ष 1956-57 के समय जब अजमेर में मोती कटला क्षेत्र में हिंदू बहन-बेटियों के साथ छेड़छाड़ की जाती थी, तब सेवकराम ही अपने साथी ठाकुरमल सोनी, हरीश आदि के साथ बदमाशों को सबक सिखाते थे। इसे सेवकराम जी की कड़ी मेहनत ही कहा जाएगा कि शरणार्थी बनकर अजमेर आने के बाद इसी अजमेर शहर में नगर परिषद के पार्षद भी बने। 1990 में वैशाली नगर के वार्ड 2 से सेवकराम तब पार्षद बने जब नगर परिषद के अध्यक्ष रतनलाल यादव होते थे। इतना ही नहीं वर्ष 2005 में वैशाली नगर क्षेत्र से ही सेवकराम जी के दूसरे नंबर के पुत्र मनोहर सोनी की पत्नी रीना देवी पार्षद चुनी गई। सेवकराम जी का निधन 2 अक्टूबर 2011 को हुआ, लेकिन आज उनका पूरा भरा परिवार अजमेर में अच्छे मुकाम पर खड़ा है। सेवकराम जी के छह पुत्रों में से एक कन्हैया सोनी का स्वर्गवास हुआ है, जबकि मनोहर, लक्ष्मण, पुरुषोत्तम, मोहन, नारायण (राजाजी) अभी संघ में सक्रिय हैं। नारायण यानी राजा सोनी का एक पुत्र हिमांशु संघ में घोष प्रमुख तथा दूसरा पुत्र पार्थ शाखा प्रमुख है। इसे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रभाव ही कहा जाएगा कि पीढ़ी दर पीढ़ी संघ के कार्य में सक्रिय रहती है। सेवकराम जी के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9214675492 पर पुत्र राजा सोनी से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-10-2025)
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