Monday, 30 June 2025
आखिर इंदौर की तरह अजमेर क्यों नहीं बन सकता स्मार्ट। 550 टन कचरे से रोजाना 19 टन सीएनजी, जिससे चार सौ बसे चलती है। 2015 में सफाई के क्षेत्र में 149वें नंबर, आज पहला स्थान। आरएएस हेमंत स्वरूप माथुर ने शेयर किया इंदौर का वीडियो।
देश में सफाई के क्षेत्र में अजमेर कौन से नंबर पर है, यह तो नगर निगम की मेयर श्रीमती ब्रजलता हाड़ा और मौजूदा आयुक्त देशल दान ही बता सकते हैं। लेकिन अजमेर निवासी राज्य प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हेमंत स्वरूप माथुर ने इंदौर शहर का एक वीडियो शेयर किया है। इस वीडियो को मेरे फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है। अजमेर में भाजपा का बोर्ड है, यानी अजमेर के विकास के लिए ट्रिपल इंजन वाली सरकार काम कर रही है, लेकिन थोड़ी सी ही बरसात में जब सड़कों पर मलमूत्र वाला पानी बहने लगता है तब अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अजमेर की कितनी दुर्गति हुई है। ऐसे में इंदौर वाले वीडियो को देखना चाहिए। वर्ष 2015 में स्वच्छता के क्षेत्र में देश में इंदौर 149वें नंबर पर था, लेकिन वहीं इंदौर पिछले सात वर्षों से स्वच्छता के क्षेत्र में पहले नंबर पर बना हुआ है। असल में इंदौर का देवगढिय़ा क्षेत्र कचरे का भंडार था, शहर में भी जगह जगह कचरे के ढेर नजर आते थे। लेकिन इंदौर के राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छा शक्ति की वजह से देवगढिय़ा को सीएनजी प्लांट में बदल दिया गया। आज देवगढिय़ा में दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा सीएनजी गैस प्लांट है। यहां 15 एकड़ भूमि पर प्रतिदिन 550 टन कचरे से 19 टन सीएनजी का उत्पादन होता है। इसी सीएनजी से इंदौर में 400 बसें चलाई जाती है। सफाई कार्यपर जीपीएस और स्मार्ट वॉच से नजर रखी जाती है। जितने सफाई कर्मियों की नियुक्ति है, उतने ही सफाई कर्मी इंदौर में सफाई का कार्य करते हैं। चूंकि घर घर कचरा संग्रहण प्रभावी तरीके से होता है,इसलिए इंदौर की सड़कों पर प्लास्टिक की थैलियां व अन्य प्रकार का कचरा नजर नहीं आता। यहां तक कि डिवाइडर के पास से भी तिनका तिनका उठाया जाता है। सीवरेज सिस्टम इतना मजबूत है की बरसात के दिनों में गंदा पानी सड़कों पर नहीं आ पाता। वीडियो को देखने से साफ जाहिर है कि स्वच्छता के क्षेत्र में पहले स्थान पर आने के लिए इंदौर के लोगों ने भी जागरुकता दिखाई है। असल में जब किसी शहर के लोग जागरुक होते हैं तो फिर राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों को भी ईमानदारी के साथ काम करना होता है। यदि अजमेर के लोगों को अपना शहर स्मार्ट बनाना है तो इंदौर की तरह जागरुक होना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि अजमेर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने 2 हजार करोड़ रुपए दिए। लेकिन राजनेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की वजह से दो हजार करोड़ रुपए की राशि पानी में चली गई। आज हालात इतने खराब है कि शहर की सड़कों पर पैदल चलना भी मुश्किल है। इतना ही नहीं स्मार्ट सिटी में हुए कार्यों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तुड़वाया जा रहा है।
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चारणों और राजपूत राजाओं के बीच कारोबारी रिश्ते रहे। गुजरात के चारण व्यापारी ने महाराणा प्रताप को एक नहीं तीन घोड़े दिए। 500 घोड़े उदयपुर महाराणा को भी। पाबू जी महाराज का घोड़ा भी चारण माता देवल का। राजपूत ठिकानों की वंशावली लिखने का काम चारणों ने कभी नहीं किया-मदनदान, रिटायर आरपीएस।
22 जून को अजमेर के निकट नांद गांव में गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूतों का एक सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन को लेकर मैंने गत 23 जून को 11 हजार 695 वां ब्लॉग लिखा। सम्मेलन में वक्ताओं के हवाले से ब्लॉग में लिखा गया कि राजपूत ठिकानों के इतिहास और वंशावली लिखने का काम अब राजपूत समाज के युवाओं को करना चाहिए। पूर्व में यह काम चारण विद्वानों द्वारा किया गया। मेरे इस ब्लॉग पर सेवा निवृत्त आरपीएस ओर चारण विद्वान मदन दान सिंह सहित कई चारणों ने ऐतराज जताया। ऐतराज में कहा गया कि चारणों ने कभी भी राजपूत ठिकानों की वंशावली का लेखन नहीं किया। वंशावली लिखने का काम राव, भाट आदि समुदाय के विद्वानों ने किया। आजकल धार्मिक स्थलों पर भी परिवारों की वंशावली लिखी जाती है। चारण विद्वानों ने इतिहास, समालोचना, साहित्य सर्जन, भक्ति रस, शृंगार रस, वीर रस पर तब की परिस्थितियों के अनुरूप लिखा। चारणों और राजपूत राजाओं के बीच आमतौर पर कारोबारी संबंध रहे। चूंकि चारण पशु पालन के कार्य से जुड़े रहे, इसलिए राजपूत राजाओं को युद्ध के लिए घोड़े उपलब्ध करवाने का काम भी चारणों ने किया। गुजरात के एक चारण व्यापारी ने महाराणा प्रताप को तीन घोड़े उपलब्ध करवाए। आमतौर पर इतिहास में महाराणा प्रताप के चेतक घोड़े का ही उल्लेख होता है, लेकिन गुजरात के कारोबारी ने चेतक के साथ साथ त्राटक और अटक नाम के घोड़े भी महाराणा प्रताप को उपलब्ध करवाए। इनमें से त्राटक नाम का घोड़ा प्रताप ने अपने छोटे भाई शक्ति सिंह को दे दिया और चेतक का उपयोग स्वयं ने किया। इसके बदल में महाराणा ने गढ़वाड़ा और भामोल नाम के दो गांव भेंट किए। नरूजी सौदा बारहठ ने महाराणा उदयपुर को पांच सौ घोड़े उपलब्ध करवाए। इतना ही नहीं पाबूजी महाराज का घोड़ा भी चारण माता देवल द्वारा उपलबध् करवाया गया। मदनदान ने बताया कि चारण विद्वान अनेक उच्च पदों पर कार्यरत रहे और उन्हें जांगीरे भी मिली। शांतिकाल में राज्यों के प्रबंधन और युद्ध के समय सैनिक सामंत के तौर पर काम किया। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कुछ लोग चारण समुदाय की बुद्धिमता और वीरता को कम आंक कर प्रस्तुत करते हैं। जबकि चारणों का इतिहास गौरवपूर्ण रहा है। चारण समुदाय के लोग मौजूदा दौर में अपनी बुद्धिमता और मेहनत से उच्च प्रशासनिक पदों पर भी नियुक्त है। चारणों के इतिहास के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829072294 पर खानदान से ली जा सकती है। इसी प्रकार ब्रजराज सिंह लखावत ने भी स्पष्ट किया है कि चारण विद्वानों ने किसी भी राजपूत ठिकाने की वंशावली लिखने का काम नहीं किया। नांद गांव में राजपूतों का सम्मेलन करवाने वाले आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने भी कहा है कि वंशावली लिखने का काम चारणों द्वारा नहीं किया गया। चारण विद्वानों ने राजपूत राजाओं के संघर्ष का इतिहास लिखा है।
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बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना की कहावत को चरितार्थ कर रहे है राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत। अपनी कांग्रेस के बजाए भाजपा की पंचायती कर रहे हैं।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चाहते हैं कि भजनलाल शर्मा राजस्थान में भाजपा सरकार के पांच वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन गहलोत के पास ऐसी सूचनाएं है कि भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री पद से हटाने के लिए भाजपा में बड़ा षडय़ंत्र हो रहा है। भाजपा में हो रहे षडय़ंत्र को लेकर अशोक गहलोत चिंतित हैं। उनका कहना है कि वे भजनलाल शर्मा को आगाह कर रहे है कि षडय़ंत्रकारियों से सावचेत रहे। सवाल उठता है कि गहलोत तो कांग्रेस के नेतो है तो फिर भाजपा की पंचायत क्यों कर रहे हैं? भजनलाल शर्मा मुख्यमंत्री रहे या नहीं इसको लेकर गहलोत क्यों चिंतित हो रहे हैं। शर्मा को मुख्यमंत्री के पद से हटाने की जानकारी गहलोत को कहां से मिली, यह तो वही बता सकते हैं, लेकिन भाजपा में शर्मा को मुख्यमंत्री पद से हटाने की कोई हिम्मत नहीं कर सकता। क्योंकि शर्मा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का खुला संरक्षण है। गहलोत कुछ भी कहे, लेकिन डेढ़ वर्ष पहले वसुंधरा राजे जैसे नेताओं की दावेदारी को खारिज करते हुए पहली बा रके विधायक भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया। भाजपा ने ऐसा ही प्रयोग गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीासा तक में किया। अशोक गहलोत को शायद मोदी और शाह की कार्यशैली की समझ नहीं है, इसलिए वे भजनलाल शर्मा के खिलाफ षडय़ंत्र की बातें कर रहे हैं। जबकि जगजाहिर है कि भजनलाल शर्मा बिना किसी डर और दबाव के मुख्यमंत्री का काम कर रहे है। राजस्थान में भूपेंद्र यादव, गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल जैसे सांसद केंद्र में मंत्री हैं, लेकिन इन दबंग मंत्रियों का भी भजनलाल शर्मा के कामकाज पर कोई दखल नहीं है। भाजपा के सभी दबंग नेताओं को अच्छी तरह पता है कि भजनलाल शर्मा पीएम मोदी और अमित शाह की पसंद है, इसलिए किसी प्रकार का षडय़ंत्र नहीं हो सकता। भाजपा की राजनीति में शर्मा की इतनी मजबूत पकड़ होने के बाद भी अशोक गहलोत को षडय़ंत्र की खबरें मिल रही है। गहलोत को अपनी कांग्रेस पार्टी की चिंता करनी चाहिए, लेकिन उनकी चिंता भाजपा के मुख्यमंत्री को लेकर है। यही वजह है कि अशोक गहलोत बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं।
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Sunday, 29 June 2025
अशोक गहलोत के बयानों को कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व ही गंभीरता से नहीं लेता। संघ का स्वयंसेवक होने पर गर्व है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का पूर्व सीएम गहलोत को करारा जवाब।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयानों को कांग्रेस का प्रदेश और राष्ट्रीय नेतृत्व ही गंभीरता से नहीं लेता है। ऐसे में गहलोत के बयानों के कोई मायने नहीं है। मालम हो कि 28 जून को जोधपुर में गहलोत ने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी भी भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में शामिल है। इससे पहले गहलोत ने कहा था कि भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री के पद से हटाने का षडय़ंत्र हो रहा है। गहलोत के ऐसे बयानों पर 29 जून को देवनानी ने कहा कि गहलोत तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री और तीन बार केंद्र में मंत्री रहे है। लेकिन उनके ताजा बयानों से लगता है कि इन दिनों उनका मानसिक संतुलन सही नहीं है। चूंकि मैं संवैधानिक पद पर बैठा हूं, इसलिए राजनीतिक बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा, लेकिन इतना कह सकता हूं कि गहलोत के ऐसे बयानों से भाजपा में कोई मतभेद नहीं होंगे। गहलोत चाहते हैं कि भाजपा के नेताओं में आपसी दूरियाँ हो, लेकिन गहलोत अपने मंसूबों में सफल नहीं होंगे। भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व में मुझे विधानसभा अध्यक्ष के रूप में जो जिम्मेदारी दी है, उसे मैं पूरी संतुष्टि के साथ निभा रहा हूं । मैं अपनी मौजूदा भूमिका से संतुष्ट हूं । जहां तक मेरे संघ का स्वयंसेवक होने का सवाल है तो मुझे इस बात गर्व है कि मैं राष्ट्रवादी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक हंू। आरएसएस का कट्टर स्वयंसेवक बता कर अशोक गहलोत मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते। गहलोत को यह पता ही नहीं है कि सर्वसमाज में संघ का कितना महत्व और सम्मान है। गहलोत आए दिन संघ पर गैर जिम्मेदाराना बयान देते है। असल में गहलोत को संघ के बारे में समझ ही नहीं है।
गहलोत ने पूर्व में बताया था दावेदार:
अशोक गहलोत कांग्रेस शासन में जब मुख्यमंत्री थे, तब गहलोत भाजपा के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में जिन भाजपा नेताओं का नाम गिनाते। उनमें वासुदेव देवनानी का नाम भी लेते थे। तब देवनानी भाजपा के विधायक थे। गहलोत का कहना था कि भाजपा में एक नहीं अनेक नेता मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं। अब जब देवनानी विधानसभा के अध्यक्ष बन गए है, तो गहलोत उन्हें मुख्यमंत्री की रेस में बता रहे है। गहलोत का प्रयास है कि देवनानी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के बीच मतभेद हो। लेकिन देवनानी ने स्पष्ट कर दिया है कि गहलोत मतभेद करवाने में सफल नहीं होंगे।
देवनानी के नवाचारों की देश भर में चर्चा:
यहां यह उल्लेखनीय है कि देवनानी ने विधानसभा में जो नवाचार किए हैं उसकी चर्चा देशभर में हो रही है। देवनानी के प्रयासों से ही विधानसभा पेपर लैस हुई है, सभी विधायकों को आईपैड दिए गए हैं। अधिकांश विधायक सदन में इन आईपैड का उपयोग भी कर रहे हैं। विधायक सदन में जो भाषण देते हैं उसका वीडियो भी तत्काल ही विधायक को उपलब्ध करवाया जाता है। ताकि वह सोशल मीडिया पर अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों को बता सके। सदन में अधिकारियों की उपस्थिति भी अनिवार्य की गई है। विधायकों के सवालों के जवाब जल्द से जल्द आए इसके लिए रिकॉर्ड काम किया गया है। यहां तक कि गत कांग्रेस सरकार के शेष रहे सवालों के जवाब भी देवनानी ने अपने कार्यकाल में सरकार से मंगवाए हैं। इतना ही नहीं विधानसभा की वार्षिक डायरी भी सनातन कैलेंडर के अनुरूप जारी करवाई जा रही है। देवनानी 27 जून को ही फ्रांस और जर्मनी की यात्रा से लौटे हैं। देवनानी विधायी कार्यों का अध्ययन करने के लिए एक सप्ताह की विदेश यात्रा पर रहे। विदेश यात्रा से लौटने पर उनके निर्वाचन क्षेत्र अजमेर उत्तर में भव्य स्वागत समारोह हो रहे हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2025)
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जब नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है तो फिर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को संविधान से हटाने पर सुनवाई क्यों नहीं? कांग्रेस तो अब सीजेआई बीआर गवई के खिलाफ भी हो जाएगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने जब से संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द को हटाने का विचार रखा है, तब से देश में राजनीति का माहौल गर्म है। अब देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी इन दोनों शब्दों की तुलना नासूर जैसे रोग से कर दी है। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दल इस विचार को संविधान को कुचलने की भावना से कर रहे हैं। लेकिन भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था है। लोकतंत्र में जनता जो चाहती है, वह होता है। सब जानते हैं कि कांग्रेस ने 1975 में जब आपातकाल लगाया तब धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी जोड़े गए। ऐसा नहीं कि संविधान में जोड़े गए शब्दों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती। कांग्रेस ने तो आपातकाल लगाकर धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द जबरन शामिल किए, जबकि मौजूदा मोदी सरकार ने तो संसदीय परंपराओं का पालन करते हुए संसद में नया वक्फ कानून बनाया। फिर भी सुप्रीम कोर्ट में इस नए कानून पर सुनवाई हो रही है। जब नए वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है, तो फिर समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द संविधान की प्रस्तावना से हटाने पर भी सुनवाई की जानी चाहिए। अच्छा हो कि इस नासूर को जल्द से जल्द जड़ से समाप्त किया जाए।
कांग्रेस अब सीजेआई के खिलाफ भी:
भारत के चीफ जस्टिस बीआर गवई ने 28 जून को महाराष्ट्र के नागपुर में संविधान प्रस्तावना पार्क के उद्घाटन समारोह में कहा कि जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लगाना संविधान निर्माता डॉ. बीआर अंबेडकर की भावनाओं के खिलाफ था। अंबेडकर ने तो एक संविधान और अखंड भारत की कल्पना कर संविधान तैयार किया। सीजेआई गवाई का यह कथन इसलिए महत्वपूर्ण है कि अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जो याचिकाएं दायर की गई, उनकी सुनवाई के लिए बनी पांच सदस्यीय संविधान पीठ में एक सदस्य गवाई भी थे। गवई ने भी तब माना कि अनुच्छेद 370 को हटाकर केंद्र सरकार ने सही फैसला किया है। अब जब सीजेआई बनने के बाद भी गवई ने अपने विचारों को सार्वजनिक किया है तो कांग्रेस के नेताओं को अच्छा नहीं लगेगा। कांग्रेस तो अनुच्छेद 370 की समर्थक रही है। लेकिन चीफ जस्टिस ने बता दिया है कि 370 संविधान निर्माता बीआर अंबेडकर की भावनाओं के खिलाफ थी। देखना होगा कि गवई के ताजा विचारों पर कांग्रेस के नेताओं की क्या प्रतिक्रिया आती है। यहां यह उल्लेखनीय है कि बीआर गवई दलित वर्ग से आते हैं।
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पीएम मोदी को जैन आचार्य प्रज्ञा सागर महाराज ने धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से नवाजा, लेकिन साथ ही देश के सभी धार्मिक स्थलों को नशा मुक्त क्षेत्र और इंडिया गेट का नाम भारत द्वार घोषित करने की मांग की। ऑपरेशन सिंदूर कर बता दिया कि छेड़ोगे तो छोड़ेंगे नहीं।
28 जून को दिल्ली के विज्ञान भवन में जैन आचार्य विद्यानंद महाराज की 100वीं जयंती का ऐतिहासिक समारोह हुआ। इस समारोह में देश भर की जैन संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने तो भाग लिया ही, लेकिन साथ ही समारोह में प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और जैन आचार्य प्रज्ञासागर महाराज भी उपस्थित रहे। समारोह में बताया गया कि सुरेंद्र उपाध्याय से आचार्य विद्यानंद तक के सफर में आचार्य विद्यानंद ने जैन धर्म का व्यापक प्रचार प्रसार किया। उनकी विद्वता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें 18 भाषाओं का ज्ञान था। धर्म की बातों को सामान्य शब्दों में समझाने के लिए उन्होंने 150 ग्रंथ लिखे। पीएम मोदी ने कहा कि मेरा यह सौभाग्य रहा कि मुझे आचार्य विद्यानंद जी का मार्गदर्शन मिला। आज मैं जिस मुकाम पर खड़ा हूं उसमें आचार्य श्री का आशीर्वाद भी है। आचार्य श्री ने सेवा करने का जो ज्ञान दिया उसी के कारण आज देश में मेरी सरकार गरीबों को मुफ्त में राशन, मकान आदि सुविधाओं के साथ साथ अस्पतालों में इलाज भी करवा रही है। जरूरतमंद लोगों को पेंशन तक दी जा रही है। समारोह में जैन आचार्य प्रताप सागर ने पीएम मोदी को धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से नवाजा तो मोदी ने कहा कि मैं स्वयं को इस उपाधि के योग्य नहीं समझता, लेकिन आचार्य श्री का प्रसाद समझ कर स्वीकार कर रहा हूं और इस उपाधि को मां भारती के चरणों में समर्पित करता हंू। आचार्य प्रज्ञा सागर ने कहा कि नरेंद्र मोदी को धर्म चक्रवर्ती इस लिए कहा जा रहा है कि उन्होंने जो काम किए हैं, वो आज तक किसी भी प्रधानमंत्री ने नहीं किए। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर मोदी ने जो काम किया उसे कोई नहीं कर सकता। मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर कर यह बताया दिया कि हमें कोई छेड़ेगा तो हम उसे छोड़ेंगे नहीं। इसके साथ ही आचार्य श्री ने पीएम मोदी से आग्रह किया कि देश भर के धार्मिक स्थलों को नशामुक्त क्षेत्र घोषित किया जाए। आचार्य श्री ने कहा कि दिल्ली के इंडिया गेट का नाम भारत द्वार किया जाए। इंडिया गेट अंग्रेजों के जमाने का नाम है। अब जब अंग्रेजों का शासन खत्म हुए 75 वर्ष हो गए है, तब गुलामी के ऐसे प्रतीकों को नाम भी बदला जाना चाहिए।
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Saturday, 28 June 2025
आपातकाल में यदि संविधान में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं जोड़े जाते तो आज देश के हालात इतने खराब नहीं होते। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वालों के कारण ही कश्मीर में चार लाख हिंदुओं को घर छोड़ना पड़ा।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने ही नहीं बल्कि संघ के साप्ताहिक अखबार आर्गनाइजर ने भी भारतीय संविधान से समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की वकालत की हे। संघ के इस विचार के बाद कांग्रेस और मुस्लिम वोटों पर राज्यों में सत्ता हासिल करने वाली पार्टियों ने कड़ा विरोध किया है। संघ के इस विचार के बाद विपक्षी पार्टियां केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की मोदी सरकार पर भी हमलावर है। राहुल गांधी सहित अनेक नेताओं का कहना है कि यह विचार दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों के अधिकारियों के खिलाफ है। विपक्षी दलों के नेताओं का कुछ भी कहना हो, लेकिन यदि 1976 में आपातकाल के दौरान गैर संवैधानिक तरीके से संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं जोड़े जाते तो आज देश के हालात इतने खराब नहीं होते। इतिहास गवाह है कि 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपना प्रधानमंत्री का पद बचाने के लिए देश में आपातकाल लागू किया। इंदिरा गांधी का विचार रहा कि भारत पर राज करने का अधिकार सिर्फ उनके परिवार का ही है। सत्ता न छीने इसके लिए पहले आपातकाल लगाया और फिर संविधान की प्रस्तावना में समाजवादी और धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ दिए गए। आज कांग्रेस के नेता कह रहे है कि संघ और भाजपा मिलकर संविधान को बदलना चाहते हैं, लेकिन राहुल गांध बताए कि उनकी दादी श्रीमती इंदिरा गांधी ने संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी शब्द किस आधार पर शामिल किए? जबकि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जो संविधान बनाया उसमें यह दोनों शब्द शामिल नहीं है। क्या इन दोनों शब्दों को शामिल कर कांग्रेस ने संविधान बदलने का काम नहीं किया। आपातकाल में कांग्रेस ने संविधान ही नहीं बदला बल्कि लोकतंत्र की हत्या की। 1976 में संविधान में धर्मनिरपेक्षता का शब्द जोड़ने के बाद ही कश्मीर घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा मिला। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वालों के कारण ही कश्मीर घाटी से चार लाख हिंदुओं को प्रताड़ित कर भगा दिया गया। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देने वालों को बताना चाहिए कि गत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदू पर्यटकों की हत्या किस सोच के चलते की गई? क्या धर्मनिरपेक्षता का मतलब सिर्फ हिंदुओं पर अत्याचार करना है? आज ममता बनर्जी के शासन में पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर कितने अत्याचार हो रहे हैं, इसे पूरा देश देख रहा है। धर्मनिरपेक्षता की आड़ में ही भारत में बड़ी संख्या में बांग्लादेशी और पाकिस्तानियों को बसा दिया गया है। अब समय आ गया है, जब देश के संविधान से उन दो शब्दों को हटाया जाना चाहिए, जिसे कांग्रेस ने आपातकाल में जबरन शामिल किया था। जहां तक भारत में मुसलमानों की सुरक्षा का सवाल है तो दुनिया भर में मुसलमान भारत में ही सुरक्षित है। इसका मुख्य कारण ह यह है कि 25 करोड़ मुसलमान उन लोगों के साथ रह रहे हैं जो सनातन संस्कृति में भरोसा रखते है। दुनिया में एक मात्र सनातन धर्म है जिसमें सभी धर्मों का सम्मान होता है। जब तक मुसलमान भारत में सनातनियों के साथ रह रहे है, तब तक उन्हें कोई खतरा नहीं है। मुसलमानों के हालात बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में देखे जा सकते हैं। अच्छा हो कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मुसलमानों को उकसाने के बजाए सनातनियों के सम्मान की बात कहे।
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यह तो अशोक गहलोत का केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के सामने आत्मसमर्पण है। संजीवनी घोटाले में नाम घसीटे जाने का मामला। गहलोत को जेल जाने का डर।
राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रहे कांग्रेस के नेता अशोक गहलोत ने 27 जून को जोधपुर प्रवास के दौरान कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के मामले में केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत के उन पर मानहानि का जो मुकदमा कर रखा है, उसे शेखावत वापस ले लें। गहलोत चाहते हैं कि संजीवनी मामले को आपसी बातचीत के जरिए हल किया जाए। गहलोत का यह बयान केंद्रीय मंत्री शेखावत के सामने आत्मसमर्पण करना है। यह वे ही अशोक गहलोत है, जिन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए शेखावत को गिरफ्तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। खुद गहलोत ने आरोप लगाया कि संजीवनी घोटाले में शेखावत के साथ साथ उनकी पत्नी, माताजी और पिताजी तक शामिल हैं। यहां तक कहा गया कि घोटाले की राशि से दक्षिण अफ्रीका में करोड़ों रुपए का निवेश शेखावत ने किया है। तब शेखावत ने बार बार कहा कि निवेशकों ने पुलिस में जो रिपोर्ट लिखवाई है उसमें उनका व उनके परिवार के किसी भी सदस्य का नाम नहीं है। लेकिन गहलोत अपने आरोपों पर टिक रहे। गहलोत के आरोपों के मद्देनजर ही तब शेखावत ने दिल्ली में गहलोत के खिलाफ मानहानि का मामला अदालत में दायर किया। अदालत में यह साबित हो गया कि संजीवनी घोटाले की प्राथमिकी में शेखावत और उनके परिवार के सदस्यों का नाम नहीं है। मानहानि के मुकदमे में गहलोत वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कई बार उपस्थिति भी दर्ज करवा चुके हैं। हो सकता है कि इस मामले में गहलोत की गिरफ्तारी भी हो। जेल जाने के डर की वजह से ही गहलोत चाहते हैं कि शेखावत दिल्ली वाले मुकदमे को विड्रो (वापस) कर ले। सवाल उठता है कि जब गहलोत के पास सबूत नहीं थे, तो फिर संजीवनी घोटाले में शेखावत के नाम को क्यों घसीटा? और अब जेल जाने से क्यों डर रहे हैं। अशोक गहलोत का तो खुद मानना है कि हर गलती कीमत मांगती है। गहलोत ने यदि गलती की है तो उन्हें सजा भुगतने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। गहलोत को शेखावत के सामने आत्मसमर्पण करने के बजाए अदालत में मुकदमे का सामना करना चाहिए।
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जिसे मौका नहीं मिला, क्या अब वही ईमानदार रह गया है? पुलिस की 500 करोड़ रुपए की वसूली और एसीबी के अफसरों के पकड़े जाने के मामला।
27 जून को राजस्थान में एसीबी ने अपने ही एडिशनल एसपी जगराम मीणा की कार से 10 लाख रुपए और जयपुर स्थित घर से चालीस लाख रुपए नगद बरामद किए। इसके साथ ही करोड़ों रुपयों की संपत्तियों के कागजात भी उजागर हुए। मीणा झालावाड़ में एसीबी की चौकी के प्रभारी है। एसीबी के डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा को शिकायत मिली थी कि मीणा झालावाड़ में परिवहन, खनन, आबकारी और पुलिस विभाग के अधिकारियों से प्रतिमाह मोटी रिश्वत लेते हैं ताकि इन विभागों के अधिकारियों खुले आम भ्रष्टाचार कर सके। इन विभागों से वसूली गई राशि को 27 जून को जगराम मीणा झालावाड़ से जयपुर ला रहे थे, तभी शिवदासपुरा टोल नाके पर एसीबी ने पकड़ लिया। इससे पहले एसीबी ने अपने ही एएसपी सुरेंद्र कुमार शर्मा को भी ऐसे ही आरोपों में गिरफ्तार किया था। यानी एसीबी के जिन अधिकारियों के पास भ्रष्टाचारियों को पकड़ने की जिम्मेदारी है, वो ही भ्रष्टाचारियों से रिश्वत ले रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्थान में सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार कितना फैला हुआ है। चूंकि सिस्टम में कोई सुनने वाला नहीं है, इसलिए भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद है। यह भी पता चला है कि राजस्थान के बहुचर्चित नेक्सा एवरग्रीन चिटफंड घोटाले में 500 करोड़ रुपए की रिश्वत तो घोटाले की जांच करने वाले पुलिस अधिकारियों ने ही ले ली। यह घोटाला 2 हजार 700 करोड़ रुपए का है। यानी नेक्सा के जिन पदाधिकारियों ने निवेशकों के साथ धोखा किया उन्होंने बचने के लिए पुलिस को 500 करोड़ रुपए की रिश्वत दे दी। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि जिस व्यक्ति को मौका मिलता है, वह भ्रष्टाचारी हो जाता है। आज यदि कोई व्यक्ति कहे कि वह ईमानदार है, तो ऐसा लगता है कि उसे बेईमानी करने का अभी तक अवसर नहीं मिला है। हो सकता है कि कुछ लोग अवसर मिलने पर भी ईमानदार रहे हों, लेकिन मौजूदा हालातों में तो शायद किसी न किसी तरह अपने स्वार्थ की पूर्ति न की हो। राज चाहे किसी भी पार्टी का हो, लेकिन सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार चरम पर रहता है।
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Thursday, 26 June 2025
अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर फिर लगाया आरोप। गहलोत के रहते राजस्थान कांग्रेस में एकता नहीं हो सकती।
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 26 जून को अपने गृह जिले जोधपुर में एक बार फिर आरोप लगाया कि जुलाई 2020 में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, धर्मेन्द्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत ने मेरी सरकार को गिराने का प्रयास किया था। गहलोत ने दावे के साथ कहा कि उनके पास इस बात के सबूत है कि सरकार गिराने के लिए पैसे बांटे गए। गहलोत ने भले ही सरकार गिराने का आरोप भाजपा नेताओं पर लगाया हो, लेकिन सीधे तौर पर यह आरोप कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट पर है। जुलाई 2020 में जब पायलट कांग्रेस के 18 विधायकों को लेकर दिल्ली गए थे, तब जयपुर में अशोक गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि दिल्ली जाने वाले विधायकों ने 35-35 करोड़ रुपए भाजपा से लिए है। तभी गहलोत ने पायलट को नकारा, निकम्मा, धोखेबाज और गद्दार तक कहा। यह बात अलग है कि तब कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी ने गहलोत के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायक कांग्रेस हाईकमान से मिलने दिल्ली आए है। खुद पायलट ने भी गहलोत के आरोपों का खंडन किया। विगत दिनों सचिन पायलट जब जयपुर में गहलोत से मिलने के लिए उनके घर गए तो यह माना गया कि गहलोत और पायलट में मित्रता हो रही है। 11 जून को पायलट के पिता स्वर्गीय राजेश पायलट की पुण्यतिथि के समारोह में गहलोत ने कहा भी कि मेरे और सचिन पायलट के बीच कभी विवाद नहीं रहा। मीडिया वाले ही हम दोनों के बीच विवाद की खबरें चलाते हैं, लेकिन 26 जून को गहलोत ने एक बार फिर दर्शाया है कि सचिन पायलट के साथ उनकी कभी भी मित्रता नहीं हो सकती। गहलोत जब जब अपनी सरकार के गिराने का मुद्दा उठाते रहेंगे, तब तब सचिन पायलट पर आरोप लगते रहेंगे। सवाल उठता है कि जब कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने ही गहलोत के आरोपों को खारिज कर दिया है तब गहलोत सचिन पायलट पर आरोप क्यों लगाते हैं? जानकारों की मानें तो कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर ही पायलट जयपुर में गहलोत के घर गए थे। राष्ट्रीय नेतृत्व भी चाहता है कि राजस्थान में कांग्रेस मजबूत हो, लेकिन अशोक गहलोत के रहते राजस्थान में कांग्रेस मजबूत नहीं हो सकती। गहलोत माने या नहीं, राष्ट्रीय नेतृत्व का समर्थन इन दिनों पायलट के साथ है। यही वजह है कि पायलट को राष्ट्रीय महासचिव का पद भी दिया गया है, जबकि तीन बार के मुख्यमंत्री और तीन बार के केंद्रीय मंत्री गहलोत के पास संगठन की कोई जिम्मेदारी नहीं है। गहलोत भी अपनी उपेक्षा को समझ रहे है, इसलिए इन दिनों प्रदेश भर के दौरे कर रहे हैं। गहलोत सोशल मीडिया पर जबरदस्त तरीके से सक्रिय हैं। गहलोत यदि रात के समय भी ट्रेन से सफर करते हैं तो ट्रेन के ठहराव वाले हर स्टेशन पर समर्थकों को एकत्रित कर अशोक गहलोत जिंदाबाद के नारे लगवाए जाते हैं। ऐसे वीडियो को खुद गहलोत सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हैं। देखना होगा कि 26 जून को गहलोत ने पायलट पर जो हमला किया है, उसका जबवा पायलट किस प्रकार देते हैं।
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पधारों म्हारे देस का स्लोगन देने वाले पूर्व आईएएस ललित के पंवार अब नीति आयोग में सलाहकार बने। पंवार कमेटी की रिपोर्ट पर ही कांग्रेस सरकार में बने तीन संभाग और 9 जिलों को समाप्त किया गया। मौजूदा समय में भी राजस्थान के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव और सुधार पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
पधारो म्हारे देस का स्लोगन देकर पर्यटन के अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में राजस्थान की पहचान बनाने वाले पूर्व आईएएस डॉॅ. ललित के पंवार को एक बार फिर बड़ी जिम्मेदारी मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले नीति आयोग में डॉ. पंवार को विशेष आमंत्रित सलाहकार नियुक्त किया गया है। डॉ. पंवार देश में पर्यटन और अतिथि सत्कार के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सुझाव देंगे। भारतीय प्रशासनिक सेवा में रहते हुए डॉ. पंवार केंद्रीय पर्यटन सचिव भी रह चुके हैं। तब भी पंवार ने देश में पर्यटन खासकर विदेशी पर्यटन को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वसुंधरा राजे जब राजस्थान की मुख्यमंत्री थी, तब वर्ष 2015 में पंवार को राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया। आयोग के कामकाज में पारदर्शिता लाने में भी पंवार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज भले ही आयोग के अध्यक्ष सात पहरे में रहते हो, लेकिन डॉ. पंवार जब अध्यक्ष थे, तब कोई भी अभ्यर्थी उनसे बहुत आसानी से मिल सकता था। यही वजह रही कि पंवार के अध्यक्ष रहते आयोग मुख्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन नहीं हुए। पंवार का मानना रहा कि हर अभ्यर्थी की समस्या का समाधान करना जरूरी है। उनका प्रयास रहा कि भर्ती विज्ञप्ति में ही पारदर्शिता रखी जाए ताकि अभ्यर्थियों के सामने कोई समस्या न हो। राजस्थान में 2023 में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद डॉ. पंवार की अध्यक्षता में नवगठित जिलों की समीक्षा के लिए एक प्रशासनिक कमेटी का गठन किया गया। पंवार कमेटी की सिफारिश पर ही सरकार ने कांग्रेस शासन में बनाए गए तीन संभाग और 9 जिलों को समाप्त करने की सिफारिश की। इस सिफारिश पर सरकार ने अमल भी किया। मौजूदा समय में भी डॉ. पंवार उस कमेटी के अध्यक्ष है जो प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव और सुधार पर रिपोर्ट तैयार कर रही है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की सीमाओं में बदलाव होने के कारण तहसील, उपखंड और जिला स्तर के प्रशासनिक ढांचे में भी बदलाव हुआ है। कहा जा सकता है कि डॉ. पंवार को प्रशासनिक सिस्टम का व्यापक अनुभव है।
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अजमेर के प्रतीक जैन रुद्रप्रयाग के डीएम बन कर केदारनाथ धाम के यात्रियों की सेवा कर रहे हैं। पहाड़ पर 18 किलोमीटर पैदल चल कर यात्री सुविधाओं का जायजा लिया। पिता राजेंद्र जैन अजमेर के शिक्षा बोर्ड में अधिकारी है।
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के जिला कलेक्टर प्रतीक जैन का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में प्रतीक जैन रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम तक की यात्रा करते दिखाए गए हैं। 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा के दौरान प्रतीक जैन यात्री सुविधाओं का जायजा भी ले रहे हैं। जैन यह सुनिश्चित कर रहे है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए जो व्यवस्था की गई है, उनका कितना लाभ मिल रहा है। यहां तक कि आपातकालीन टेलीफोन बूथ पर जाकर फोन को भी चेक कर रहे है। भले ही उनके साथ चलने वाले अधिकारी पहाड़ पर हाफ रहे हो, लेकिन डीएम प्रतीक जैन फुर्ती के साथ चढ़ाई कर रहे हैं। जैन ने गत 20 जून को ही रुद्रप्रयाग के जिला कलेक्टर का पद संभाला और अगले ही दिन 21 जून को रुद्रप्रयाग से केदारनाथ धाम की पैदल यात्रा की। 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर प्रतीक जैन ने यह दर्शा दिया है कि वे पहाड़ों के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने नहीं आए हैं बल्कि रुद्रप्रयाग आने वाले श्रद्धालुओं की सेवा करने के लिए आए है। चूंकि रुद्रप्रयाग जिले में बाबा केदारनाथ धाम के साथ अनेक धार्मिक स्थल है, इसलिए प्रतीक जैन पर्यटन विकास की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। उत्तराखंड में राजस्व का मुख्य स्रोत धार्मिक पर्यटन ही है।
अजमेर निवासी:
प्रतीक जैन के कार्यों की गूंज भले ही उत्तराखंड के पहाड़ी में गूंज रही हो, लेकिन उनका बचपन अजमेर में बीता है। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अजमेर स्थित मुख्यालय में अनुभाग अधिकारी के पद पर कार्यरत प्रतीक के पिता राजेंद्र जैन ने बताया कि अजमेर के सेंट स्टीफन स्कूल से पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रतीक ने आईआईटी की परीक्षा भी पास की, लेकिन इंजीनियरिंग की वांछित यूनिट नहीं मिलने के कारण प्रतीक ने बिरसा पिलानी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली और वर्ष 2016 में आईएएस की परीक्षा दी, लेकिन इंटरव्यू में प्रतीक का चयन नहीं हुआ। 2017 में प्रतीक को भारतीय वन सेवा में काम करने का मौका मिला, लेकिन इसे भी प्रतीक ने स्वीकार नहीं किया। प्रतीक ने लगातार तीसरे वर्ष आईएएस की परीक्षा दी और मेरिट में स्थान हासिल किया। तब प्रतीक को यूपी कैडर मिला और वे उत्तराखंड के कई जिलों में तैना रहे। इस बार 20 जून को प्रतीक ने देवभूमि रुद्रप्रयाग के जिला कलेक्टर का पद संभाला। चुनौती पूर्ण काम करने की प्रवृत्ति प्रतीक की शुरू से ही रही है। प्रतीक की माताजी श्रीमती नीलू जैन अजमेर स्थित कारखाना एवं बायलर विभाग में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर कार्यरत है। प्रतीक जैन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9460178816 पर राजेंद्र जैन से ली जा सकती है।
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Wednesday, 25 June 2025
पिता कृष्ण गोपाल जी गुप्ता ने भी आपातकाल के जख्म सहे थे। भभक देश के उन चुनिंदा अखबारों में शामिल है जिसका आपातकाल में ही प्रकाशन शुरू हुआ। संसद तक में गूंजा मामला। एक करोड़ की नसबंदी कर सवा लाख लोगों को जेल में डाला गया।
देश में आपातकाल लागू होने के पचास वर्ष पूरे होने के अवसर पर 24 जून को न्यूज 18 (राजस्थान) चैनल पर रात 8 बजे लाइव प्रोग्राम प्रसारित हुआ। इस प्रोग्राम में पत्रकार के नाते मैंने भी भाग लिया। न्यूज 18 के इस प्रोग्राम की खास बात यह रही कि कांग्रेस और भाजपा के प्रवक्ताओं के साथ साथ करीब 100 वर्ष की उम्र वाले पूर्व सांसद पंडित रामकिशन जी ने भी भाग लिया। चैनल के एंकर हेमंत कुमार के सवाल पर पंडित रामकिशन ने बताया कि 25 जून 1975 को जब आपातकाल लागू हुआ तो अगले ही दिन उन्हें जेल में डाल दिया गया। आरोप लगाया कि मैं सरकार के खिलाफ साजिश कर रहा हंू। जेल में हमें परिजन से भी नहीं मिलने दिया गया। पंडित रामकिशन ने आपातकाल का आंखों देखा हाल सुनाया। कोई 21 माह के आपातकाल में देश में एक करोड़ लोगों की नसबंदी की गई और सवा लाख लोगों को जेल में डाला गया। अखबारों पर सेंसरशिप लागू की कगइ्र। इस सेंसरशिप का जख्म मेरे पिता कृष्ण गोपाल जी गुप्ता ने भी झेला। तब एक ही आदेश में देश के अनेक अखबारों का प्रकाशन बंद करवा दिया गया। इसमें अजमेर से प्रकाशित भभक पाकिक्षक समाचार पत्र भी रहा। सरकार के इस आदेश को मेरे पिता और भभक के संपादक कृष्ण गोपाल जी गुप्ता ने प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया में चुनौती दी। कौंसिल ने यह माना कि भभक का प्रकाश नियमित होते हुए भी सरकार ने गलत तरीके से रोक लगाई हे। सरकार के आदेश को निरस्त कर कौंसिल ने आपातकाल में ही भभक का प्रकाशन शुरू करवाया। आपातकाल में सरकार के सिकी आदेश को चुनौती देना कठिन काम था, लेकिन मेरे पिता ने इस कठिन काम को करने की हिम्मत दिखाई। एक पैर खराब होने के बाद भी पिता ने कौंसिल के समक्ष भभक की नियमितता के जो सबूत दिखाए उसकी प्रशंसा काउंसिल के सदस्यों ने भी की। 1977 में सत्ता परिवर्तन के बाद जब मोरारजी देसाई के नेतृत्व में संयुक्त सरकार बनी तब तत्कालीन सूचना एवं प्रसारण मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में आपातकाल की ज्यादतियों के संबंध में भभक अखबार का भी उल्लेख किया। यहां यह उल्लेखनीय है कि आपातकाल में जिन अखबारों को बंद किया गया, उन्हें सत्ता परिवर्तन के बाद एक ही आदेश में पुन: शुरू किया गया। लेकिन भभक देश के उन चुनिंदा अखबारों में शामिल हैं, जिसका प्रकाशन आपातकाल में ही शुरू हुआ। इसमें कोई दो राय नहीं कि आपातकाल में लोकतंत्र की हत्या की गई। लोगों से अभिव्यक्ति की आजादी छीन ली गई। तमिलनाडु सहित कई राज्य सरकारों को बर्खास्त कर दिया गया। यहां तक कि संविधान में कई बदलाव किए गए। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपने फैसले को न्यायिक समीक्षा के दायरे से बाहर करवा दिया। चार चार जजों की वरिष्ठता को लांघकर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनाए गए। यह सब इसलिए किया गया ताकि इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री बनी रहे। यह बात अलग है कि आपातकाल के हटने और चुनाव होने पर खुद इंदिरा गांधी लोकसभा का चुनाव हार गई। आज कांग्रेस मौजूदा मोदी सरकार पर संविधान की हत्या करने का आरोप लगाती है। लेकिन आपातकाल बताता है कि लोकतंत्र की हत्या किस दल ने की है। आज भले ही समाजवादी पार्टी, राजद, डीएमके जैसे दल अपने राजनीतिक स्वार्थों की खातिर कांग्रेस का समर्थन कर रहे हो, लेकिन आपातकाल में मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, करुणानिधि जैसे नेताओं को भी जेल में डाला गया।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2025)
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ईरान अब परमाणु विहीन हो गया है-इजरायल। हमारा परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा-ईरान। युद्ध विराम का श्रेय लेने वाले डोनाल्ड ट्रंप बताएं कि कौन झूठ बोल रहा है।
24 जून को युद्ध विराम के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हमने जिस उद्देश्य से ईरान पर हमला किया वह पूरा हो गया। ईरान अब परमाणु विहीन हो गया है। हमने ईरान के सभी परमाणु सेंटर ध्वस्त कर दिए हैं। वहीं ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामनेई ने कहा कि हमारा परमाणु कार्यक्रम जारी रहेगा। इजरायल के हमले में हमारे किसी भी परमाणु सेंटर का नुकसान नहीं हुआ है। यहां यह उल्लेखनीय है कि इजरायल ने परमाणु सेंअर नष्ट करने के लिए ही ईरान पर हमला किया था। युद्ध विराम कर श्रेय अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ले रहे हैं। ट्रंप ने दावा किया है कि युद्ध विराम के लिए दोनों देशों के नेता उनके पास आए थे। चूंकि ट्रंप खुद श्रेय ले रहे हैं इसलिए ट्रंप को कौन झूठ बोल रहा है। जहां तक ईरान में परमाणु ऊर्जा बनाने का काम है तो उसमें रूस के वैज्ञानिक और इंजीनियर कार्यरत है। रूस ने अभी तक यह नहीं कहा कि इजरायल के हमले से ईरान में कोई परमाणु सेंटर नष्ट हुआ है। ईरान में रूस के 200 परमाणु वैज्ञानिक और इंजीनियर काम कर रहे हैं। वहीं ईरान में परमाणु सेंटारों को ध्वस्त करने के लिए खुद अमेरिका ने बम किराए। ईरान और इजरायल में कौन झूठ बोल रहा है इसकी हकीकत तो आने वाले दिनों में पता चलेगी। लेकिन ईरान और इजरायल के बीच युद्ध विराम होने से दुनिया ने राहत की महसूस की है। यदि दोनों देशों के बीच युद्ध और चलता तो दुनिया में भयावह स्थिति हो सकती थी। यदि डोनाल्ड ट्रंप ने युद्ध विराम में कोई भूमिका निभाई है तो ट्रंप की सराहना भी की जानी चाहिए।
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राजस्थान लोक सेवा आयोग का भी अपराध कम नहीं। सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी। अध्यक्ष यूआर साहू को आयोग के चंगुल से बाहर निकलना होगा। नहीं तो बेवजह जुबान खराब होती रहेगी।
24 जून को कुछ अभ्यर्थियों की जमानत याचिका और अध्यापक व कोच भर्ती परीक्षा को स्थगित करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस के वी विश्वनाथन और एन कोटीश्वर ने राजस्थान लोक सेवा आयोग पर तल्ख टिप्पणी की है। दोनों ने कहा कि आयोग का भी अपराध कम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी बताती है कि आयोग में किस तरह काम चल रहा है। सब जानते हैं कि आयोग के सदस्यों को ही परीक्षा के प्रश्न पत्र बेचने के आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। आज पूरे देश में आयोग बदनामी के दौर से गुजर रहा है। राज्य सरकार ने हाल ही में यू.आर. साहू के रूप में अध्यक्ष की नियुक्ति की है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पुलिस में सेवा में रहते हुए साहू ने उल्लेखनीय कार्य किया है। सरकार ने जो एसआईटी बनाई थी, उसके माध्यम से भी साहू ने आयोग की कार्य प्रणाली को बारीकी से समझा है। तब साहू राज्य के डीजीपी के पद पर कार्यरत थे। लेकिन आयोग में नियुक्त होने के बाद साहू को आयोग के कुछ लोगों के चंगुल से बचना होगा। यदि साहू कुछ लोगों के चंगुल से नहीं बचे तो उनकी जुबान बेवजह खराब होती रहेगी। अध्यक्ष का पद संभालने के बाद 19 जून को साहू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि अब आयोग के कैलेंडर के अनुसार ही निर्धारित तिथियों पर परीक्षाएं होंगी। लेकिन चार दिन बाद ही साहू को अपनी जुबान से पलटना पड़ा। अध्यापक और कोच भर्ती परीक्षा तिथियों के बीच का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो आयोग को इन परीक्षाओं की तिथियों में बदलाव करना पड़ा। असल में यूजीसी की नीट परीक्षा की तिथियां और आयोग की अध्यापक व कोच भर्ती परीक्षा समान तिथियों पर हो रही थी, तब यूआर साहू से कहलवाया गया कि 10 प्रतिशत परीक्षार्थियों के खातिर नब्बे प्रतिशत परीक्षार्थियों को सजा नहीं दी जा सकती। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के डर की वजह से आयोग ने अध्यापक व कोच भर्ती परीक्षा की तिथियां बदल दी। साहू को यह देखना होगा कि आयोग में जो लोग वर्षों से जमे हैं वे गुमराह तो नहीं कर रहे। साहू को यह भी पता लगाना होगा कि ऐसे कौन से प्रशासनिक अधिकारी है जो चार चार वर्षों से आयोग में जमे हुए है। प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति के बाद भी ऐसे अधिकारी आयोग का मोह नहीं छोड़ रहे हैं।
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Tuesday, 24 June 2025
अमेरिका ने तीन परमाणु ठिकानों को नष्ट किया, लेकिन रेडिएशन नहीं हुआ। ईरान ने कतर के अमेरिकी एयरबेस पर मिसाइलें गिराई, लेकिन एक प्लेन को भी खरोंच नहीं आई। आखिर यह कैसा युद्ध है। कौन किसे बेवकूफ बना रहा है? डोनाल्ड ट्रंप की सीजफायर की घोषणा क्या मायने रखती है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय समय के अनुसार 24 जून को तड़के चार बजे घोषणा कर दी की ईरान और इजरायल के बीच युद्ध विराम हो गया है। अगले चौबीस घंटे में युद्ध विराम की क्रियान्विति हो जाएगी। इसके बाद कोई भी देश एक दूसरे पर हमला नहीं करेगा। ट्रंप की इस घोषणा के क्या मायने हैं, यह अगले एक दो दिन में पता चलेगा, लेकिन इस घोषणा के बाद इजरायल का कहना है कि ईरान की मिसाइलें लगातार गिर रही है। डोनाल्ड ट्रंप ने युद्धविराम की घोषणा तब की जब ईरान ने मुस्लिम देश कतर के अमेरिकी एयरबेस पर हमला कर दिया। खाड़ी के देशों में कतर के साथ साथ कुवैत, बहरीन और इराक में भी अमेरिका के सैन्य अड्डे हैं। अमेरिका की पहली प्राथमिकता अपने सैन्य अड्डों को सुरक्षित रखना है। ईरान ने कतर के जिस अल मदद एयरबेस पर मिसाइलें गिराई, उस पर अमेरिका के 10 हजार सैनिक सौ से ज्यादा लड़ाकू विमान, टैंक आदि तैनात है। लेकिन ईरानी मिसाइलों के गिरने के बाद भी अमेरिका के एक भी विमान और टैंक को खरोंच तक नहीं आई है। सवाल उठता है कि आखिर ईरान की मिसाइलें कतर में कहा गिरी? ईरान का कहना है कि अमेरिका के उन पर जो बम गिराए उसका बदला कतर से ले लिया है। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान का अमेरिकी एयरबेस पर हमला वैसा ही है जैसा अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर किया। अमेरिका ने भी दावा किया कि 21 जून की रात को ईरान के तीन परमाणु ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। अमेरिका ने जो बम गिराए वे चट्टान वाली जमीन के अंदर 200 फीट गहराई तक जाने के बाद फटते हैं। एक बम में 13 हजार 500 किलो विस्फोटक पदार्थ होता है। दावा है कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर एक करोड़ 90 लाख किलो के वजन वाले बम गिराए गए, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि एक भी परमाणु केंद्र से रेडिएशन नहीं हुआ। जब कोई बम जमीन के नीचे 200 फीट गहराई में फटा है, तो थोड़ा बहुत तो रेडिएशन होना ही चाहिए। रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका का हमला भी वैसा ही है जैसा ईरान ने कतर पर किया है। सवाल उठता है कि इस युद्ध में कौन किसे बेवकूफ बना रहा है? ऐसा नहीं कि इस युद्ध में नुकसान न हुआ हो। ज्यादा नुकसान तो इजराइल का हुआ है। अब तक यह माना जाता था कि कोई देश इजरायल पर हमला नहीं कर सकता, लेकिन ईरानी मिसाइलों ने इजरायल में काफी नुकसान पहुंचाया है। इजरायल का नुकसान इसलिए भी मायने रखता है कि इजरायल की कुल आबादी मात्र 90 लाख की है। यह भी सही है कि इजरायल की मिसाइलों से ईरान को भी काफी नुकसान हुआ है। सूत्रों की मानें तो ईरान में 700 से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई है। अब यदि ईरान इजरायल के बीच युद्ध विराम होता है तो यह दुनिया के लिए सुकून की बात होगी।
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कांग्रेस के ट्वीट जाल में फंस गए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा। राजनीतिक बहस का स्थान कोई चौराहा नहीं बल्कि विधानसभा है। डोटासरा ने तो विधानसभा का बहिष्कार कर रखा है। अजमेर के अरुण गर्ग झुंझुनूं के कलेक्टर बने।
राजस्थान के राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा कांग्रेस के ट्वीट जाल में फंस गए हैं। 23 जून को एक समारोह में सीएम शर्मा ने कहा कि कांग्रेस के नेता सिर्फ सोशल मीडिया पर मेरी सरकार के कामकाज पर ट्वीट करते हैं जबकि सच्चाई यह है कि कांग्रेस के पिछले पांच वर्ष के कार्यों की तुलना की जाए तो उनके डेढ़ वर्ष के कार्यकाल में हुए काम भारी पड़ेंगे। जितना काम कांग्रेस के पांच वर्ष में नहीं हुआ उससे ज्यादा भाजपा के डेढ़ वर्ष के शासन में हुआ है। सीएम शर्मा ने कहा कि इस मुद्दे पर वह कांग्रेस के साथ किसी सार्वजनिक स्थल पर बहस करने को तैयार है। सीएम शर्मा ने सार्वजनिक स्थल पर जो बहस करने की चुनौती दी, उसे 23 जून को ही कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने स्वीकार कर लिया। बारां में आयोजित पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के समारोह में डोटासरा और जूली ने कहा कि हम जयपुर के अल्बर्ट हॉल के बाहर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से बहस करने को तैयार है। मुख्यमंत्री बताएं कि डेढ़ वर्ष में कितना काम किया है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री शर्मा किस तरह से कांग्रेस के नेताओं के साथ बहस करते हैं, लेकिन सवाल उठता है कि क्या मुख्यमंत्री विपक्षी के नेताओं के साथ सार्वजनिक स्थल पर बहस करेगा? आज तक तो ऐसा कोई मुख्यमंत्री देखने को नहीं मिला है, जिसने किसी चौराहे पर खड़ा हो कर विपक्षी नेताओं के साथ बहस की हो। लोकतंत्र में बहस का सबसे उपयुक्त स्थान विधानसभा है। विधानसभा में ही सरकार अपनी उपलब्धियों को गिनाती है और विपक्ष सरकार की विफलताओं को बताता है। अच्छा होता कि मुख्यमंत्री विपक्ष को विधानसभा में बहस करने की चुनौती देते। जो गोविंद सिंह डोटासरा आज मुख्यमंत्री को जयपुर के अल्बर्ट हॉल के बाहर बहस के लिए बुला रहे हैं, वो डोटासरा तो विधानसभा जाते ही नहीं है। पिछले सत्र में जब प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने डोटासरा की ओर से विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी से माफी मांगी तो डोटासरा नाराज हो गए। जूली के माफीनामे के बाद से ही डोटासरा विधानसभा नहीं गए। जूली को माफी इसलिए मांगनी पड़ी क्योंकि डोटासरा ने अध्यक्ष देवनानी के विरुद्ध अमर्यादित टिप्पणियां की थी।
गर्ग झुंझुनूं के कलेक्टर:
भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारी अरुण गर्ग ने झुंझुनूं के जिला कलेक्टर का पद संभाल लिया है। गर्ग अजमेर के निवासी है और उनकी स्कूली शिक्षा भी अजमेर में ही हुई है। उनके पिता स्वर्गीय अनिल गर्ग अजमेर के मदार गेट पर जनरल स्टोर का संचालन करते रहे। गर्ग के चाचा डॉ. जीके अग्रवाल मदार गेट पर ही डायग्नोस्टिक सेंटर का संचालन करते हैं। गर्ग के पिता समाज सेवा के क्षेत्र से भी जुड़े रहे। 24 जून को पद ग्रहण के अवसर पर अजमेर के सामाजिक कार्यकर्ता और परम मित्र दिनेश गर्ग (जीडी सर्राफ) भी मौजूद रहे। पद ग्रहण के अवसर पर झुंझुनूं के श्री श्याम आशीर्वाद सेवा संस्थान के प्रमुख डीएन तुल्सीयानी ने भी कलेक्टर अरुण गर्ग का स्वागत किया। मालूम हो कि अरुण गर्ग आरएएस से पदोन्नत होकर आईएएस बने। यह पहला अवसर है जब कलेक्टर के तौर पर गर्ग की नियुक्ति हुई है। अरुण गर्ग अजमेर में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर भी काम कर चुके हैं। प्रशासनिक सेवा में गर्ग को एक योग्य और ईमानदार अधिकारी माना जाता है। अरुण गर्ग के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414004630 पर दिनेश गर्ग से ली जा सकती है।
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राहुल गांधी ने कहा था मोदी और भाजपा को गुजरात में ही हराएंगे, लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई। केजरीवाल का अब राज्यसभा में जाने का रास्ता साफ।
23 जून को घोषित उपचुनावों के परिणाम में गुजरात के विसावदर विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार गोपाल इटालिया ने जीत हासिल की है। इटालिया ने भाजपा के प्रत्याशी को 17 हजार 581 मतों से हराया। इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई है। यहां यह उल्लेखनीय है कि लोकसभा के गत सत्र में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए कहा था कि गुजरात में आपको और भाजपा को हम हराएंगे। गुजरात पीएम मोदी का गृहप्रदेश है और मोदी 12 वर्ष तक गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। लेकिन 23 जून को उपचुनाव का परिणाम बताता है कि गुजरात में कांग्रेस की स्थिति कैसी है।
केजरीवाल का रास्ता साफ:
23 जून को घोषित विधानसभा उपचुनाव के परिणाम में पंजाब के लुधियाना पश्चिम की सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने जीत दर्ज की है। अरोड़ा मौजूदा समय में राज्यसभा के सांसद हैं। विधायक बनने के बाद अरोड़ा अब राज्यसभा से इस्तीफा देंगेे। माना जा रहा है कि राज्यसभा की रिक्त हुई सीट पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ेंगे। चूंकि पंजाब में केजरीवाल की पार्टी की ही सरकार है, इसलिए राज्यसभा का चुनाव जीतने में कोई परेशानी नहीं होगी। उम्मीद है कि संजीव अरोड़ा को भगवंत मान मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाए। उपचुनावों में दो स्थानों पर जीत दर्ज कर केजरीवाल ने एक बार फिर अपनी पार्टी के राजनीतिक महत्व को दर्शाया है। पिछले दिनों दिल्ली के चुनावों में हार के बाद केजरीवाल को विपरीत हालातों का सामना करना पड़ रहा था। दिल्ली चुनाव में हार के बाद केजरीवाल ने मीडिया से भी दूरी बना ली थी। केजरीवाल का अब ज्यादातर समय पंजाब में गुजर रहा है।
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Monday, 23 June 2025
वंशावली और इतिहास देखकर ही राजपूत समाज में विवाह आदि होने चाहिए। समाज के युवा अब स्वयं वंशावली और इतिहास लिखें। अजमेर के निकट नांद गांव में हुआ गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूतों का सम्मेलन। आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की पूर्व पहल।
22 जून को अजमेर के निकट ऐतिहासिक नांद गांव में गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूत समाज का सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में निकटवर्ती गोविंदगढ़ के ठिकानेदार गोविंद दास जी से जुड़े 24 गांवों की वंशावली और इतिहास पर विमर्श हुआ। वंशावली और इतिहास लिखने का काम नंदलाल सिंह मोर और महेंद्र सिंह तंवर की ओर से किया गया। सम्मेलन में दोनों ने गोयंद दासोत जोधा राठौड़ की वंशावली और इतिहास को गौरवपूर्ण बताया। इनका कहना रहा कि राजपूत समाज में अपनी वंशावली को देखकर विवाह आदि करने चाहिए। आजकल देखा गया है कि राजपूत समाज में अपनी वंशावली और इतिहास को देखे बगैर ही संबंध हो जाते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि समाज के लोगों को अपनी वंशावली की जानकारी नहीं होती है। उन्होंने कहा कि राजपूतों की वंशावली और इतिहास लिखने का काम चारण विद्वानों द्वारा किया गया है। लेकिन अब समय आ गया है कि जब राजपूत समाज के युवाओं को अपनी वंशावली और इतिहास का लेखन करना चाहिए। हम यदि अपनी वंशावली और इतिहास को लिखेंगे तो पूरा समाज गौरवान्वित होगा। उन्होंने कहा कि चार सौ वर्ष पहले गोविंद दास जी ने गोविंदगढ़ की स्थापना की थी, तब 25 गांव शामिल किए गए। आज जब गोविंद दास जी की वंशावली लिखी गई है, तब गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूत समाज के लोग गौरवान्वित हैं।
धर्मेन्द्र राठौड़ की पहल:
नांद गांव में गोयंद दासोत जोधा राठौड़ राजपूत समाज का सम्मेलन करवाने में आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता धर्मेन्द्र राठौड़ की पहल रही। राठौड़ ने कहा कि नांद उनका पैतृक गांव है और उन्हें आज इस बात की खुशी है कि समाज के प्रमुख लोग नांद गांव में आए हैं। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसा सम्मेलन करवाने का अवसर मिला है। जल्द ही हमारे पूर्वज गोविंद दास जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। उन्होंने बताया कि वंशावली और इतिहास का लेखन का कार्य गोयंद दासोत जोधा राठौड़ शोध संस्था के माध्यम से किया गया है। नांद गांव में सम्मेलन करवाने में सरपंच विष्णु सिंह का भी सक्रिय योगदान मिला है। मुझे इस बात का भी संतोष है कि सम्मेलन को सफल बनाने में समाज के युवाओं में सक्रिय भूमिका निभाई है। उनका अनुभव रहा कि जब किसी समाज का युवा जागरूक हो जाता है तो वह समाज तेजी से आगे बढ़ता है। धर्मेन्द्र राठौड़ ने जोधपुर राजघराने के प्रमुख गज सिंह जी का विशेष आभार प्रकट किया। इस सम्मेलन की सफलता के लिए गज सिंह ने अपना वीडियो संदेश भेजा और सम्मेलन में न आने के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा कि भविष्य में जब कभी ऐसा सम्मेलन होगा, तब वे जरूर आएंगे। उन्होंने मौजूदा समय में ऐसे सम्मेलनों की आवश्यकता पर बल दिया। सम्मेलन में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश करणी सिंह राठौड़, कर्नल मोहन सिंह राठौड़, महेंद्र सिंह मझेवला, विक्रम सिंह टापरवाड़ा, डॉ. सुमन राठौड़, कृतिका जोधा, वंशावली बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष रामसिंह राव, भाजपा के प्रदेश महामंत्री श्रवण सिंह बगड़ी, जिला प्रमुख सुशील कंवर पलाड़ा, समाजसेवी भंवर सिंह पलाड़ा, नौरत सिंह राव, जयमल सिंह, भवानी सिंह राठौड़, नाहर सिंह पाटवी, मेजर आरती सिंह आदि ने भी अपने विचार रखे। इस सम्मेलन के बारे में मोबाइल नंबर 9571684444 पर धर्मेन्द्र राठौड़ से ली जा सकती है।
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नए वक्फ कानून का विरोध करने वाले समझे की दुनिया में मुसलमान सबसे ज्यादा सुरक्षित भारत में है। इजरायल ईरान युद्ध में अमेरिका के कूदने से भयावह स्थिति। पहलगाम हमले के आतंकियों को शरण देने के मामले में दो कश्मीरियों का पकड़ा जाना अफसोसनाक
इजरायल ईरान के युद्ध में अमेरिका के शामिल हो जाने के बाद दुनिया में भयावह स्थिति उत्पन्न हो गई है। पूरी दुनिया में भय का माहौल है। मुस्लिम देश ईरान में पिछले दस दिनों से एक हजार से भी ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। वहीं इजरायल में भी मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ईरान की आबादी 11 करोड़ है, जबकि इजरायल की आबादी मात्र 90 लाख है। अमेरिका के हमले के बाद भी ईरान ने इजरायल पर मिसाइलें गिराना जारी रखा है, इससे जाहिर है कि ईरान को अमेरिका का डर नहीं है। दुनिया में मुस्लिम देशों की संख्या 57 है, लेकिन मुसलमान सबसे ज्यादा सुरक्षित भारत में है। जबकि मुसलमानों की सबसे ज्यादा संख्या 25 करोड़ भारत में ही है। जब कभी किसी मुस्लिम देश में संकट होता है तो मोदी सरकार ही भारतीय मुसलमानों को सुरक्षित तरीके से निकालती है। ईरान में भी 10 हजार भारतीय है, इनमें से अधिकांश मुस्लिम है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की धाक होने के कारण हर बार संकट के समय भारतीयों को सुरक्षित निकाला जाता है। असल में भारत में मुसलमानों के कल्याण और विकास के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। आम मुसलमान को और फायदा हो, इसलिए नया वक्फ कानून बनाया गया है, लेकिन कुछ लोग बेजवह नए कानून का विरोध कर रहे हैं। वक्फ कानून का विरोध करने वालों को एक बार मुस्लिम देशों के नागरिकों के हालात देखने चाहिए। यदि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान जैसे देशों के नागरिकों के हालात देखे जाए तो भारत में रहने वाले मुसलमानों में अंतर साफ नजर आएगा। आज दुनिया में जो तनावपूर्ण हालात है, उसमें भारत में हिंदू और मुसलमान के बीच एकता जरूरी है। मौजूदा संकट के समय भारत दुनिया के सामने एक मिसाल बन सकता है। नए वक्फ कानून से भारत के गरीब और पिछड़े मुसलमान की मजबूती मिलेगी। जब 25 करोड़ मुसलमान भी मजबूत होंगे तो भारत भी मजबूत होगा। पिछले 11 वर्षों में भारत को जो मजबूती मिली है, उसी का परिणाम है कि संकट के समय में भी ईरान के विदेश मंत्री भारत के नेताओं से सीधा संवाद कर रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रयास है कि किसी भी तरह इजरायल ईरान के युद्ध को समाप्त करवाया जाए। यदि यह युद्ध लंबा चलता है तो इसका असर भारत पर भी पड़ेगा। सबसे ज्यादा परेशानी ईंधन के क्षेत्र में आएगी।
अफसोसनाक:
पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में सुरक्षा एजेंसियों ने कश्मीर से परवेज अहमद जोठार और वसीर अहमद जोठार को गिरफ्तार किया है। आरोप है कि जो तीन आतंकी पाकिस्तान से आए उन्हें शरण देने का काम इन दोनों कश्मीरियों ने किया। मालूम हो कि तीनों आतंकियों ने 22 अप्रैल को धर्म पूछकर 26 हिंदुओं की हत्या की थी। जिन आतंकियों ने हिंदुओं की हत्या की उन्हें दो कश्मीरी शरण देते हैं तो यह बेहद अफसोसनाक है। एक और अनुच्छेद 370 को हटाकर आम कश्मीरियों को जीवन खुशहाल बनाया जा रहा है तो दूसरी और कश्मीरी ही आतंकियों को शरण देेंगे तो यह माहौल बिगाड़ने वाली कार्यवाही होगी।
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Sunday, 22 June 2025
पाकिस्तान की सहमति के बाद ही अमेरिका ने मुस्लिम देश ईरान पर बस्टर बम गिराए। पाकिस्तान के इस दोगलेपन को भारत के 25 करोड़ मुसलमानों को समझना चाहिए। युद्ध में यदि चीन और रूस कूदते हैं तो वर्ल्ड वार तय।
भारतीय समय के अनुसार 21 जून की रात को अमेरिका ने मुस्लिम देश ईरान पर बस्टर बम गिरा दिए हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मीडिया को बताया कि उनके बी-2 स्टील्थ बॉम्बर प्लेन ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर बम गिरा कर सफलतापूर्वक अमेरिका लौट आए हैं। ईरान पर अमेरिका की बमबारी से दुनियाभर में खलबली मच गई है, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर मुस्लिम देश ईरान पर बम गिराने की ताकत अमेरिका के पास कहां से आई है, सब जानते हैं कि डोनाल्ड ट्रंप ने 18 जून को पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिफ मुनीर को अमेरिका आमंत्रित किया और ईरान पर हमले पर सहमति हासिल की। आसिफ मुनीर की सहमति के बाद ही 21 जून की रात को अमेरिका ने ईरान पर भीषण बमबारी कर दी। प्राथमिक सूचनाओं में बताया जा रहा है कि ईरान पर बमबारी के लिए अमेरिका के विमानों ने पाकिस्तान का एयरस्पेस काम में लिया। यदि यह सूचना सही है तो जाहिर है कि अमेरिका ने पाकिस्तान की मदद से ईरान पर हमला किया है। भारत के 25 करोड़ मुसलमानों को पाकिस्तान के इस दोगलेपन को समझने की जरूरत है। भारत में ऐसे अनेक मुस्लिम नेता है जो पाकिस्तान का समर्थन करते हैं। ऐसे नेताओं को यह देखना चाहिए कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ मुनीर ने अपने व्यक्तिगत स्वार्थों की खातिर अमेरिका को मुस्लिम देश ईरान पर हमला करने में मदद की है। इसके विपरीत ईरान में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने में भारत की मोदी सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई है। इन छात्रों में अधिकांश मुस्लिम छात्र-छात्राएं हैं। यानी मोदी सरकार अपने छात्रों को ईरान से सुरक्षित निकाल रही है। तो पाकिस्तान की सेना ईरान पर हमले में अमेरिका की मदद कर रही है। मालूम हो कि 57 मुस्लिम देशों में अकेला पाकिस्तान है, जिसके पास परमाणु हथियार है। मुस्लिम देशों को उम्मीद थी कि इजरायल के साथ युद्ध में पाकिस्तान ईरान की मदद करेगा। लेकिन इसके उलट पाकिस्तान ने अमेरिका की मदद की है।
वर्ल्ड वार की आशंका:
21 जून की रात को अमेरिका ने ईरान पर जो हमला किया है उसके बाद वर्ल्ड वार की आशंका हो गई है। चीन और रूस ने पहले ही चेताया था कि यदि अमेरिका ने ईरान पर हमला किया तो चीन और रूस ईरान की मदद करेंगे। अब यदि अपनी चेतावनी के अनुरूप इजरायल ईरान के युद्ध में चीन और रूस कूदते हैं तो वर्ल्ड वार तय है। इस बीच अनेक मुस्लिम देशों ने घोषणा की है कि अब समुद्र में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के जहाजों पर हमले किए जाएंगे। यानी जो युद्ध अभी तक जमीन और हवा में हो रहा था, वह अब पानी में भी होने जा रहा है। यदि अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के जहाजों पर समुद्र में हमले होते हैं तो पूरी दुनिया में तबाही मच जाएगी।
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झारखंड की तरह यदि राजस्थान का मेवाड़-बांगड़ क्षेत्र बांग्लादेश बन रहा है तो इसे रोकने की जिम्मेदारी भाजपा की ही है। तो क्या सांसद राजकुमार रौत के नेतृत्व में भारत आदिवासी पार्टी लुटेरी गैंग बन गई है?
राजस्थान और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने कहा है कि राजस्थान का आदिवासी क्षेत्र मेवाड़ और बांगड़ अब बांग्लादेश बनता जा रहा है। भाजपा ने ऐसा ही आरोप पूर्व में झारखंड को लेकर लगाया था। माना कि झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सरकार के कारण नियंत्रण नहीं हो पा रहा, लेकिन राजस्थान में तो भाजपा की सरकार है। यदि भाजपा की सरकार में भी मेवाड़ और बांगड़ क्षेत्र बांग्लादेश बन रहा है तो इसे रोकने की जिम्मेदारी भी भाजपा की ही है। डॉ. मन्नालाल रावत खुद आदिवासी बाहुल्य उदयपुर से सांसद हैँ। ऐसे में आदिवासियों को धर्म परिवर्तन से रोकने की जिम्मेदार भी डॉ. रावत की ही है। इसमें कोई दो राय नहीं कि मेवाड़-बांगड़ के आदिवासी क्षेत्रों में भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) का प्रभावी तेजी से बढ़ रहा है। बांसवाड़ा-डूंगरपुर संसदीय क्षेत्र से बीएपी के राजकुमार रौत सांसद हैं तथा इसी आदिवासी क्षेत्र से बीएपी के चार विधायक हैं। राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के बाद सबसे ज्यादा चार विधायक और एक सांसद बीएपी के ही है। कांग्रेस और भाजपा की लाख कोशिश के बाद भी आदिवासी क्षेत्र में बीएपी के प्रभाव को कम नहीं किया जा रहा। कांग्रेस ने तो कई मौकों पर बीएपी के साथ राजनीतिक गठबंधन भी किया है। पिछली कांग्रेस सरकार में पूरे पांच वर्ष बीएपी के विधायकों ने अशोक गहलोत को समर्थन दिया। यह बात अलग है कि विधायकों ने समर्थन की पूरी कीमत वसूली। हाल ही में बीएपी के एक विधायक जय कृष्णा पटेल को रिश्वत लेते एसीबी ने पकड़ा है। विधायक पटेल अब जेल में है। भाजपा के सांसद डॉ. रावत ने बीएपी की तुलना लुटेरी गैंग से की है और इस गैंग का सरगना बीएपी के सांसद राजकुमार रौत को बताया है। एक राजनीतिक पार्टी पर ऐसा आरोप लगाना बहुत मायने रखता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि विधायक पटेल की गिरफ्तारी पर सांसद रौत ने अपनी पार्टी के विधायक का पक्ष लिया था। झारखंड में बांग्लादेश से आए पुरुषों ने आदिवासी महिलाओं के साथ निकाह कर अपना परिवार बसा लिया है। ऐसे मुस्लिम परिवार अब जेएमएम के वोट बैंक बन गए है। यदि ऐसे हालात बांगड़ और मेवाड़ क्षेत्र में हो रहे हैं तो यह पूरे राजस्थान के लिए खतरनाक स्थिति होगी। चूंकि प्रदेश में इस समय भाजपा की सरकार है, इसलिए मेवाड़ और बांगड़ को झारखंड बनने से रोकने की जिम्मेदारी भी भाजपा की ही है।
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Saturday, 21 June 2025
ईरान- इजरायल युद्ध भडक़ने से हमास हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों का मकसद पूरा हुआ। तो क्या अमेरिका ने इजरायल को अधर में छोड़ दिया है? रूस और चीन की मदद के चलते ईरान को अब नियंत्रण में करना आसान नहीं।
11 जून से शुरू हुआ इजरायल और ईरान के बीच का युद्ध अब और भडक़ गया है। ईरान और इजरायल में जमीनी दूरी 2500 और हवाई दूरी एक हजार किलोमीटर है, लेकिन फिर भी एक दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमले करने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जिस इजरायल को अब तक सुरक्षित माना जाता था उसे काफी नुकसना हो गया है। इस युद्ध के भडक़ने से हमास हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों का मकसद पूरा हो गया है। मध्य पूर्व में ऐसे चरमपंथी संगठन लाख कोशिश के बाद भी इजरायल को नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे थे। गत वर्ष हमास ने इजरायल पर जो हमला किया उसके बाद में इजरायल ने गाजा पटटी को अपने नियंत्रण में ले लिया है, लेकिन ईरान के हमले से इजरायल को काफी नुकसान हो रहा है। इजरायल जितना कमजोर होगा, उतने ही हमास और हिजबुल्ला जैसे संगठन मजबूत होंगे। कहा जा सकता है कि ईरान, हमास और हिजबुल्ला जैसे चरमपंथी संगठनों को ही लड़ाई लड़ रहा है। सब जानते हैं कि इजरायल की आबादी मात्र 90 लाख लोगों की है, लेकिन इजरायल इजरायल ने चरमपंथी संगठनों के साथ साथ आसपास के मुस्लिम देशों को भी नियंत्रित कर रखा था। लेकिन अब जब ईरान ने इजरायल पर हमला किया है तो मौजूदा समय में इजरायल को काफी नुकसान हो रहा है। भले ही इस युद्ध में ईरान को भी काफी नुकसान हुआ हो, लेकिन मध्य पूर्व में इजरायल का नुकसान अमेरिका के लिए बहुत मायने रखता है। सवाल यह भी है कि क्या अमेरिका ने इजरायल को अधर में छोड़ दिया है? एक और ईरान की मिसाइलें इजरायल को नुकसान पहुंचा रही है। वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि इस युद्ध में अमेरिका की भूमिका जुलाई के प्रथम सप्ताह में तय की जाएगी। यानी अभी अकेले इजरायल ही ईरान से मुकाबला करेगा। जबकि इजरायल, अमेरिका की मदद के बगैर ईरान जैसे ताकतवर देश से मुकाबला नहीं कर सकता है। इजरायल ने परमाणु हथियार नष्ट करने की आड़ लेकर ईरान पर जो हमला किया उसके पीछे भी अमेरिका को ही सुरक्षित करना था। अमेरिका नहीं चाहता है कि ईरान परमाणु संपन्न देश बने। इसलिए इजरायल से हमला करवाया गया। माना जा रहा है कि चीन और रूस की ईरान को सीधी मदद के कारण ही अमेरिका पीछे हट रहा है। अमेरिका को लगता है कि यदि इस युद्ध में उसने इजरायल की मदद की उस का मुकाबला ईरान से नहीं बल्कि रूस और चीन से होगा। ईरान में परमाणु रिएक्टर केंद्रों पर रूस के 200 नागरिक काम कर रहे हैं। इसी प्रकार युद्ध शुरू होने के साथ ही चीन ने बड़ी मात्रा में हथियार ईरान पहुंचा दिए है। रूस और चीन की मदद से ही ईरान एक हजार किलोमीटर की हवाई दूरी के बाद भी इजरायल पर हमले कर रहा है। मौजूदा समय में देखा जाए तो ईरान को नियंत्रण में करना अब आसान नहीं है।
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अजमेर में राम सेतु पुल (एलिवेटेड रोड) रोड के नीचे अवैध पार्किंग से पीआर मार्ग, स्टेशन रोड, कचहरी रोड की यातायात व्यवस्था बिगड़ी। लाल फाटक बंद करने के बाद रेलवे को पुल की चौड़ाई बढ़ानी चाहिए। डबल इंजन की सरकार का दावा करने वाले नेता ध्यान दें। अजमेर स्मार्ट सिटी के हालात पर दारा का कार्टून।
स्मार्ट सिटी योजना के तहत जब अजमेर शहर में एलिवेटेड रोड (रामसेतु पुल) बनाया गया, तब यह उम्मीद जताई गई थी कि इस पुल के नीचे वाले पीआर मार्ग, कचहरी रोड और स्टेशन रोड पर यातायात का दबाव कम होगा। इन मार्गों से गुजरने वाला ट्रैफिक व्यवस्था सुधर जाएगी, लेकिन एलिवेटेड रोड के नीचे अवैध पार्किंग की वजह से यातायात सुधरने की उम्मीद पर पानी फिर गया है। 20 जून को अजमेर फोरम के संस्थापक सदस्य और दैनिक भास्कर के पूर्व संपादक डॉ. रमेश अग्रवाल के नेतृत्व में फोरम के सदस्यों ने एलिवेटेड रोड के नीचे के मार्गों का जायजा लिया। पीआर मार्ग, कचहरी रोड और संपूर्ण स्टेशन रोड के बीच में कार जीप और दुपहिया वाहन खड़े हुए थे। बेतरतीब तरीके से खड़े वाहनों की वजह से यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा था। इन मार्ग के दोनों ओर दुकानदारों ने अपने दुपहिया वाहन सडक पर खड़े कर रखे थे, तो लोगों ने अपने वाहन एलिवेटेड रोड के नीचे खड़े किए। यानी एलिवेटेड रोड के नीचे के मार्ग अवैध पार्किंग से भरे थे। ऐसे में इन मार्गों पर ट्रैफिक का चलना मुश्किल हो रहा था। कोढ़ में खाज वाली कहावत तो तब चरितार्थ हुई, जब रेलवे स्टेशन के बाहर सिटी बस और टैम् पों वालों ने कब्जा कर लिया। इस मार्ग पर यातायात को नियंत्रित करने वाला कोई नहीं था। ऐसा प्रतीत हुआ कि बेरिकेड्स लगाकर ट्रैफिक पुलिस अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गई। जब सामान्य दिनों में यह स्थिति है, तब अजमेर में किसी बड़ी परीक्षा होने पर यातायात की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। स्मार्ट सिटी योजना में तय हुआ था कि एलिवेटेड रोड के नीचे सिविल पार्किंग को ठेके पर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि नगर निगम यातायात व्यवस्था को सुधारने में कुछ भी नहीं करना चाहता। दो चार दुकानदारों के विरोध के कारण सिविल पार्किंग को ठेके पर नहीं दिया जा सका। यदि एलिवेटेड रोड के नीचे नियमों के अनुरूप पार्किंग हो तो इस पूरे मार्ग की यातायात व्यवस्था सुधर सकती है।
लाल फाटक बंद:
रेलवे ने अपनी सुविधा को ध्यान में रखते हुए लाल फाटक को बंद कर दिया। यह फाटक अलवर गेट वाले मार्ग और ब्यावर रोड को जोड़ता था। इस फाटक के ऊपर रेलवे पुलिया है, लेकिन फाटक बंद हो जाने के बाद अब सारा ट्रैफिक इस पुलिया से होकर गुजरता है। अच्छा हो कि रेलवे इस पुलिया की चौड़ाई को बढ़ाए ताकि यातायात सुगम हो सके। इस फाटक के बंद हो जाने से जीसीए चौराहे से श्रीनगर रोड अथवा अलवर गेट जाने के लिए लोगों को संत फ्रांसिस अस्पताल से होते हुए मार्टिंडल ब्रिज तक जाना होता है। जबकि मार्टिंडल ब्रिज की पहले ही दुर्दशा है। ब्रिज के ऊपर जो ट्रैफिक गुमटी बनी हुई थी, उसे हटाकर बेरिकेड्स लगा दिए गए है। इसका परिणाम यह हुआ कि श्रीनगर रोड और अलवर गेट की ओर से आने वाले लोगों को रेलवे स्टेशन, केसर गंज आने के लिए पहले जीसीए चौराहे तक जाना होता है। इस वजह से जीसीए चौराहे पर भी यातायात का दबाव बढ़ गया है। संत फ्रांसिस अस्पताल के बाहर सकड़े स्थान पर भी अस्पताल के वाहन खड़े होते हैं। ट्रेफिक पुलिस अस्पताल के बाहर खड़े वाहनों को हटाने तक की जहमत नहीं करती। जबकि इस निजी अस्पताल को स्वयं अपने स्तर पर पार्किंग की व्यवस्था करनी चाहिए। अजमेर की बिगड़ी ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की और उन नेताओं को ध्यान देने की जरूरत है जो प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने का दावा करते हैं।
दारा का कार्टून:
21 जून को योग दिवस के अवसर पर अजमेर स्मार्ट सिटी के हालात को लेकर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने एक सटीक कार्टून बनाया है। दारा के इस कार्टून से स्मार्ट सिटी के लोगों के हालात को समझा जा सकता है। कार्टून को मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है।
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Friday, 20 June 2025
प्रतियोगी परीक्षाओं को स्थगित किए जाने की मांग पर सरकार के मंत्रियों को जब सहमति नहीं देनी चाहिए। अभ्यर्थी भी हनुमान बेनीवाल जैसे नेताओं के दम पर धरना प्रदर्शन न करे। राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं अब यूपीएससी की तर्ज पर वार्षिक कलेंडर के अनुरूप ही होगी।
राजस्थान लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष यूआर साहू, सचिव रामनिवास मेहता और परीक्षा नियंत्रक आशुतोष गुप्ता ने स्पष्ट कर दिया है कि आयोग की सभी परीक्षाएं यूपीएससी की तर्ज पर घोषित वार्षिक कलेंडर के अनुरूप ही होगी। आयोग ने जनवरी 2025 से फरवरी 26 तक होने वाली परीक्षाओं का कैलेंडर जारी कर दिया है, इसलिए सभी अभ्यर्थियों को घोषित कैलेंडर के अनुरूप ही निर्धारित तिथियों पर परीक्षा देनी होगी। 19 जून की रात को अचानक बुलाई गई प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीनों पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि स्कूल लेक्चरार व खेल कोच प्रतियोगिता परीक्षा 2024 निर्धारित तिथि 23 जून से ही होगी। प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा गया कि परीक्षा का वार्षिक कैलेंडर सोच विचार कर बनाया गया है और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तिथियों का भी ख्याल रखा गया है। जब कोई परीक्षा स्थगित होती है तो ज्यादातर अभ्यर्थियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आयोग के अध्यक्ष साहू ने कहा कि जब वे डीजीपी के पद पर कार्यरत थे, तब यह मांग की जाती थी कि राजस्थान में भी प्रतियोगी परीक्षा यूपीएससी की तर्ज पर ही घोषित तिथियों पर ही होनी चाहिए। अब जब राजस्थान में भी आयोग वार्षिक कैलेंडर के अनुरूप परीक्षा आयोजित कर रहा है, तब आए दिन परीक्षाओं को स्थगित करने की मांग होती है। इस प्रवृत्ति से उन अभ्यर्थियों को नुकसान होता है जो पूरी मेहनत के साथ परीक्षा की तैयारी करते हैं। कॉन्फ्रेंस में परीक्षा नियंत्रक आशुतोष गुप्ता ने बताया कि दिसंबर 2023 से अब तक 250 परीक्षाएं हुई है, लेकिन एक भी परीक्षा में पेपर लीक जैसी कोई घटना नहीं हुई। यानी राजस्थान में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनने के बाद आयोग की सभी परीक्षाएं पारदर्शिता और ईमानदारी के साथ हो रही है।
बहकावे में न आए:
आयोग के अध्यक्ष, सचिव और परीक्षा नियंत्रक की प्रेस कॉन्फ्रेंस से जाहिर है कि अब नेताओं को धरना प्रदर्शन और सरकार के मंत्रियों की सहमति के बाद भी कोई परीक्षा स्थगित नहीं होगी। मालूम हो कि आरएएस 2024 की मुख्य परीक्षा को स्थगित करने पर उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी, डॉ. प्रेमचंद बैरवा, कैबिनेट मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ सहित चालीस विधायकों ने लिखित में सहमति दी थी, लेकिन आयोग ने मंत्रियों, विधायकों आदि सभी की सहमतियों को दरकिनार कर 17 व 18 जून को ही परीक्षा करवाई। नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल भी आयोग की परीक्षाओं स्थगित कराने को लेकर अभ्यर्थियों के साथ धरना प्रदर्शन करने में आगे रहते हैं। मौजूदा समय में भी स्कूल लेक्चरर और खेल कोच परीक्षा स्थगित करने की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन हो रहा है। जो अभ्यर्थी हनुमान बेनीवाल जैसे नेताओं के झांसे में आकर परीक्षा स्थगन को लेकर धरना प्रदर्शन करते हैं, उन्हें यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि अब राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षाएं घोषित कैलेंडर के अनुरूप ही होगी। साथ ही सरकार के मंत्रियों को भी किसी परीक्षा को स्थगित करने के लिए सहमति वाला पत्र नहीं लिखना चाहिए। आयोग का यह प्रयास सराहनीय है कि परीक्षा एवं वार्षिक कैलेंडर के अनुरूप हो।
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जब हजारों शिक्षकों ने तबादले के आवेदन क्षेत्रीय विधायकों और भाजपा नेताओं के पास जमा करवा दिए तब राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री दिलावर ने कहा, यह सब फर्जीवाड़ा है। अभी कोई तबादले नहीं हो रहे हैँ।
राजस्थान के स्कूली शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने 19 जून को जयपुर में स्पष्ट किया कि अभी स्कूली शिक्षा में किसी भी स्तर के शिक्षक का तबादला नहीं हो रहा और न ही क्षेत्रीय विधायकों तथा भाजपा नेताओं के पास किसी शिक्षक को अपना तबादला आवेदन जमा करने की जरूरत है। यदि किसी स्थान पर आवेदन लिए जा रहे है ते इसे फर्जीवाड़ा माना जाएगा। सरकार के स्तर पर अभी तक तबादले के कोई आवेदन नहीं लिए जा रहे। तबादले कब होंगे, इस बारे में सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है। दिलावर के इस बयान से तबादले के इच्छुक लाखों शिक्षकों में एक बार फिर निराशा छा गई है। असल में पिछले कई दिनों से हजारों शिक्षक क्षेत्रीय भाजपा विधायक तथा गति विधानसभा में पराजित भाजपा प्रत्याशी के पास तबादले के आवेदन जमा करवा रहे थे। विधायकगण और भाजपा नेता भी शिक्षकों से आवेदन ले रहे थे। अधिकांश विधायकों ने आवेदन लेने पर कोई ऐतराज नहीं किया। विधायक आवेदन ले रहे है, इसकी खबरें अखबारें में प्रमुखता से प्रकाशित हुई, लेकिन फिर भी सरकारी स्तर पर इसका कोई खंडन नहीं किया गया। मुख्यमंत्री भजनलाल शमा्र चाहे तो जांच करवा ले, लेकिन किन किन विधायकों ने शिक्षकों से तबादला आवेदन लिए, लेकिन अब 9 जून को भी मदन दिलावर ने कह दिया कि शिक्षकों के तबादले हो ही नहीं रहे। यहां तक कि विधायकों वाली प्रक्रिया को भी फर्जी बता दिया गया। यदि विधायकों वाली प्रक्रिया फर्जी थी तो फिर सरकार को पहले ही खंडन करना चाहिए था। सवाल उठता है कि इससे शिक्षकों को जो परेशानी हुई, उस का जिम्मेदार कौन होगा? यह हकीकत है कि प्रदेश के 18 हजार स्कूलों में 44 हजार व्याख्याताओं के पद रिक्त पड़े हैं। और तृतीय श्रेणी के लाखों शिक्षक पिछले 8 वर्षों से तबादले का इंतजार कर रहे हैं। पिछली कांग्रेस सरकार ने भी पांच वर्ष तक तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं किए और अब डेढ़ वर्ष गुजर जाने के बाद भी भाजपा सरकार तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं कर रही। सीएम शर्मा और मंत्री दिलावर माने या नहीं लेकिन सरकार की नीति से शिक्षकों में भारी रोष व्याप्त है। गत कांग्रेस के शासन में जिन शिक्षकों के तबादले राजनीतिक कारणों से हुए उन्हें भी मौजूदा भाजपा सरकार में राहत नहीं मिली है। कहा जा सकता है कि भाजपा की विचारधारा वाले शिक्षक भी मौजूदा सरकार से दुखी और परेशान है।
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जयपुर, अजमेर और टोंक के एक करोड़ लोगों के लिए राहत भरी खबर। बीसलपुर बांध में बरसात के पानी की आवक शुरू। एक हजार एमएलडी पानी रोजाना लेने के बाद भी पांच दिनों से जल्द स्तर यथावत। योग दिवस पर 101 योगी करेंगे सूर्य नमस्तार।
अजमेर, जयपुर और टोंक जिले के एक करोड़ लोगों की प्रतिदिन प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध में बरसात के पानी की आवक शुरू हो गई है। बांध के नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 जून को बांध का जलस्तर 312.45 मीटर मापा गया था। यह जलस्तर 20 जून को भी यथावत है। यानी पिछले पांच दिनों में जल स्तर में कोई कमी नहीं हुई है। जबकि बांध से प्रतिदिन जयपुर में लिए 650 एमएलडी, अजमेर के लिए 350 एमएलडी और टोंक के लिए 50 एमएलडी पानी लिया जा रहा है। यानी प्रतिदिन एक हजार एमएलडी पानी लेने के बाद भी बांध के जलस्तर में कोई कमी नहीं हुई है। 16 जून को बरसात से पूर्व बांध में प्रतिदिन दो सेंटीमीटर पानी की कमी हो रही थी, बांध से पानी लेने और वाष्पीकरण की वजह से जलस्तर लगातार घट रहा था, लेकिन मानसून की बरसात में पानी की आवक हो जाने से पिछले पांच दिनों से बांध के जलस्तर में कोई कमी नहीं आई है। हालांकि अभी तेज रफ्तार से पानी की आवक शुरू नहीं हुई है, लेकिन बांध के भराव क्षेत्र में वर्षा होने के कारण जलस्तर बढ़ना शुरू हो गया है। बीसलपुर बांध में बरसात का पानी आना अजमेर, जयपुर और टोंक के लोगां के लिए राहत भरी खबर है। मालूम हो कि बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर है। गत वर्ष बांध ओवरफ्लो हो गया था।
सूर्य नमस्कार:
21 जून को योग दिवस पर अजमेर के आनासागर सर्कुलर रोड स्थित शिवाजी पार्क में 101 योगी सूर्य नमस्कार करेंगे। अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन और विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के सहयोग से शिवाजी पार्क में गत 13 जून से योग शिविर आयोजित किया गया। शिविर में प्रमुख रूप से सूर्य नमस्कार का प्रशिक्षण दिया गया। महासम्मेलन के जिला अध्यक्ष रमेश तापडिय़ा और महामंत्री उमेश गर्ग ने बताया कि इस योग शिविर के प्रति महिलाओं ने भी रुचि दिखाई। यही वजह रही कि 21 जून को 101 योगी सफलतापूर्वक सूर्य नमस्कार करेंगे। उन्होंने बताया कि सूर्य नमस्कार भी योग की एक प्रक्रिया है। सूर्य नमस्कार करने से शरीर स्वस्थ रहता है, जो व्यक्ति सूर्य नमस्कार का योग कर सकता है उसकी काया हमेशा निरोगी रहेगी। सूर्य नमस्कार के महत्व को देखते हुए ही योग शिविर में विशेष प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण देने का काम प्रमुख योगाचार्य स्वतंत्र शर्मा के द्वारा संपन्न हुआ। इस योग शिविर के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9214349812 पर रमेश तापडिय़ा तथा 9829793705 पर उमेश गर्ग से ली जा सकती है।
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Thursday, 19 June 2025
देश में राष्ट्रीय पद यात्री सुरक्षा आयोग बनाया जाए ताकि जैन साधू-संत व साध्वियां सुरक्षित विहार कर सके। अजमेर में सकल जैन समाज ने कलेक्टर को दिया प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन।
17 जून को अजमेर में सकल जैन समाज के आव्हान पर बड़ी संख्या में जैन समाज के स्त्री-पुरुष कलेक्ट्रेट पर एकत्रित हुए। जैन समाज के लोगों ने धार्मिक परम्परा के अनुरूप नमोकार मंत्र पढ़ा और सडक दुर्घटनाओं में मारे जा रहे साधु-संतो एवं साध्वियां के प्रति अपनी श्रद्धांजलि दी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम जिला कलेक्टर लोक बंधु को एक ज्ञापन दिया गया। इस ज्ञापन में पीएम मोदी से आग्रह किया गया कि देश में 4 राष्ट्रीय पदयात्री सुरक्षा आयोग बनाया जाए ताकि जैन साधु संत और साध्वियां सुरक्षित तरीके से विहार कर सके । चूंकि अभी पद यात्रियों के लिए कोई सख्त कानून और प्रशासनिक व्यवस्था नहीं है इसलिए विहार के समय जैन साधु संत सड़क दुर्घटना के शिकार हो रहे है। देश के कई स्थानों पर तो साधु संतों के साथ मारपीट और लुटपाट तक की जाती है। ज्ञापन में कहा गया कि धार्मिक परम्परा के अनुसार जैन साधु और साध्वियां पैदल ही देश में भ्रमण करते है । साधु संतो और साध्वियां की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है इसलिए आयोग बनाकर ऐसी व्यवस्था की जाए जिसमें जैन साधु साधवियो को पद यात्रा के समय पुलिस सुरक्षा मिले । ज्ञापन में यह भी कहा गया कि मौजूदा कानून में जैन साधु साध्वियो पर वाहन चढ़ाने वाले ड्राइवरों पर कार्यवाही नहीं होती इसके लिए धारा 106 बीएनएस में मुकदमा दर्ज करवाया जाए। राजमार्गो पर तीन-चार फीट चौड़ा फुटपाथ बनाया जाए ताकि जैन साधु, साध्वियां सुरक्षित तरीके से पदयात्रा कर सके। ज्ञापन मे बताया गया कि इन दिनों देश भर में साधु-संत सडक दुघर्टना के शिकार हो रहे है। इससे जैन समाज में भारी आक्रोश है। जैन समाज में साधु संतो को भगवान के रूप में माना जाता है। ऐसे में सड़क दुघर्टना में मारे जाने वाले साधु संतों के साथ जैन समुदाय की, धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है। सकल जैन समाज के प्रतिनिधि बंसत सेठी ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जैन साधु संतों के प्रति गहरी आस्था है। पीएम मोदी समय-समय पर जैन संतों से आशीर्वाद लेते रहे है। देश के सम्पूर्ण जैन समाज को उम्मीद है कि पीएम मोदी राष्ट्रीय पद यात्री सुरक्षा आयोग, बनाने के प्रयास कर रहे है। देशभर में जैन समुदाय की और से प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों की जानकारी मो. नं. 9414154825 से ली जा सकती है।
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ट्रंप की मोदी से फोन पर बात और फिर पाकिस्तान के आर्मी चीफ को भोज देने का मामला इजरायल-ईरान युद्ध से जुड़ा है। अब युद्ध में पाकिस्तान, ईरान की मदद नहीं करेगा। नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप ने पुराना राग अलापा।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर 35 मिनट बात और फिर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिफ मुनीर को भोज देने का मामला मीडिया में छाया हुआ है। मीडिया पंडित अपने-अपने नजरिए से भारत और पाकिस्तान के साथ अमेरिका की मित्रता का आकलन कर रहे है। जबकि हकीकत यह है कि मोदी से फोन पर बात और मुनीर को भोज देने का मामला इजरायल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान अपने परमाणु हथियार ईरान को न दे, इसके लिए ट्रंप ने आसिफ मुनीर को भोज दिया, लेकिन इस भोज से भारत नाराज न हो, इसके लिए पहले नरेंद्र मोदी से 35 मिनट तक फोन पर बात की। आसिफ मुनीर को भोज देने पर भारत ने अभी तक भी डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया है। कुछ लोग डोनाल्ड ट्रंप के बारे में कुछ भी कहे, लेकिन ट्रंप वाकई ही दुनिया के सबसे बडे सौदे बाज है। यूं तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ है, लेकिन ट्रंप ने सारे प्रोटोकॉल दरकिनार करते हुए आर्मी चीफ मुनीर को अमेरिका आमंत्रित किया। ट्रंप ने मुनीर को यूं ही भोज नहीं दिया। इस भोजन के बाद यह तय हो गया है कि अब इजरायल के साथ युद्ध में पाकिस्तान ईरान की कोई मदद नहीं करेगा। किसी देश के राष्ट्राध्यक्ष के बजाए आर्मी चीफ को भोज देने की हिम्मत डोनाल्ड ट्रंप जैसा राष्ट्रपति ही दिखा सकता है। अब ईरान चाले कितना भी दावा कर ले उसे पाकिस्तान से परमाणु हथियार मिल जाएंगे, लेकिन डोनाल्ड ट्रंप का स्वादिष्ट भोजन खाने के बाद अब आसिफ मुनीर की इतनी हिम्मत नहीं कि वह ईरना को कोई मदद करे। अब आसिफ मुनीर और पाकिस्तान वो ही करेगा जो डोनाल्ड ट्रंप चाहेंगे। ट्रंप ने शहबाज शरीफ को भी बता दिया है कि प्रधानमंत्री होने के बावजूद भी पाकिस्तान में उनकी कोई हैसियत नहीं है। पाकिस्तान में आसिफ मुनीर ही सबसे ताकतवर है। मुनीर का पाकिस्तान की सेना पर ही नहीं, बल्कि सरकार पर भी पूरा नियंत्रण है। जानकारों की मानें तो आसिफ मुनीर को अपनी मुट्ठी में लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप अब ईरान पर बड़ा हमला कर सकते हैं। दुनिया में पचास मुस्लिम देश है। इनमें से अकेले पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार है। परमाणु हथियार की ताकत के कारण ही डोनाल्ड ट्रंप के आसिफ मुनीर को अमेरिका आमंत्रित कर भोज देना पड़ा है। असल में अब तक मुस्लिम देशों में पाकिस्तान की स्थिति भिखारी देश की थी, लेकिन आसिफ मुनीर ने जब पाकिस्तान को अच्छी स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। यानी आसिफ मुनीर ने आपदा में भी फायदा उठा लिया। मुस्लिम देशों में पाकिस्तान की इमेज कैसी बनेगी, इससे डोनाल्ड ट्रंप को कोई मतलब नहीं है। ट्रंप का उद्देश्य तो युद्ध में मुस्लिम देश ईरान को हराना है। यदि डोनाल्ड ट्रंप को कोई मतलब नहीं हैं। ट्रंप का उद्देश्य तो युद्ध में मुस्लिम देश ईरान को हराना है। यदि डोनाल्ड ट्रंप सौदेबाज नहीं होते तो पाकिस्तान कभी भी नियंत्रण में नहीं आता जहां तक भारत का सवाल है तो भारत अपनी रक्षा करने में समर्थ है। उसे अमेरिका की मदद की जरूरत नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सेना ने पाकिस्तान को उसके घर में मारा है और आगे भी हमारी सेना पाकिस्तान को मारने में सक्षम है। भले ही पाकिस्तान को अमेरिका की मदद मिले।
पुराना राग:
18 जून को ट्रंप से हुई बातचीत में भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर भारत किसी की भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं करेगा। पाकिस्तान के साथ सैन्य संघर्ष भी किसी भी देश के दबाव में नहीं रोका गया। यह निर्णय दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच का मामला है। मोदी ने ट्रंप को यह भी कहा कि ऑपरेशन सिंदूर जारी है और पाकिस्तान ने यदि कोई आतंकी वारदात करवाई तो भारतीय सेना घर में घुसकर पाकिस्तान को फिर से मारेगी। मोदी के इस कथन के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम अमेरिका की मध्यस्थता से हुआ है। ट्रंप ने कहा कि मैं दोनों देशों के साथ व्यापार की डील कर रहा हंू। यानी मोदी और ट्रंप पुराना राग ही अलापा रहे हैं।
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भजनलाल शर्मा के मुख्यमंत्री होने के कारण राजस्थान में अच्छी वर्षा हो रही है। गत वर्ष 7 करोड़ तो इस बार 10 करोड़ पौधे लगाए जाएंगे।
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 18 जून को सांचौर में सीलू नर्बदेश्वर घाट पर पूजा अर्चना कर वंदे गंगाजल संरक्षण के अभियान में भाग लिया। इस मौके पर सीएम शर्मा ने कहा कि यह ईश्वर की कृपा है कि राजस्थान में गत वर्ष भी मानसून की अच्छी बरसात हुई और इस बार भी मानसून के शुरुआती चरण में ही प्रदेशभर में अच्छी बरसात हो रही है। उन्होंने कहा कि जब अच्छे लोग काम करते है तो ईश्वर की कृपा से परिणाम भी अच्छे आते है। उन्होंने बताया कि वर्षा के पानी को संरक्षित करने के लिए प्रदेश में वंदे गंगाजल संरक्षण अभियान की शुरुआत जून से की गई थी। प्रदेश की 10 हजार ग्राम पंचायतों में जल स्त्रोतों से मिट्टी निकालने निकालने का काम हुआ। कोई एक करोड़ लोगों ने श्रमदान किया। एक करोड़ लोगों की संख्या बताती है कि सरकार के अभियान को कितना जनसमर्थन मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जब गांव के तालाबों में पानी भरा होगा तो भूमिगत जलस्तर भी बढ़ जाएगा। इसका सीधा फायदा प्रदेश के किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस बार गर्मी के मौसम में प्रदेश भर में बिजली कटौती नहीं की गई। स्थानीय फाल्ट की वजह से किसी जगह बिजली की सप्लाई बंद हो सकती है। लेकिन सरकार की ओर से इस बार एक घंटे की भी कटौती नहीं की गई। यह डबल इंजन की सरकार का फायदा है। सीएम शर्मा ने कहा कि गत वर्ष बरसात के मौसम में प्रदेश में 7 करोड़ पौधे लगाए गए, लेकिन इस बार 10 करोड़ पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है। सीएम शर्मा ने कहा कि हर व्यक्ति को अपनी मां के नाम एक पौधा अवश्य लगाना चाहिए।
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Tuesday, 17 June 2025
तो क्या भजन सरकार में डिप्टी सीएम, भाजपा अध्यक्ष और चालीस विधायकों की सहमति कोई मायने नहीं रखती है? आरएएस की मुख्य परीक्षा को 17 व 18 जून को कराने का मामला।
राजस्थान लोक सेवा द्वारा आयोजित आरएएस 2024 की 17 व 18 जून को होने वाली मुख्य परीक्षा को स्थगित किए जाने पर डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा, दीया कुमारी, सत्तारूढ़ भाजपा के अध्यक्ष मदन राठौड़ और प्रदेश के 40 विधायकों ने अपनी सहमति दी है। इन सभी का मानना है कि 2024 की मुख्य परीक्षा को आरएएस 2023 के इंटरव्यू के बाद लिया जाना चाहिए। जब सरकार के दोनों उप मुख्यमंत्रियों और भाजपा अध्यक्ष ने सार्वजनिक तौर पर सहमति दी तब यह माना गया कि आरएएस की मुख्य परीक्षा स्थगित हो जाएगी, लेकिन आयोग की तैयारियों से साफ जाहिर है कि परीक्षा 17 और 18 जून को ही होगी। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार में उप मुख्यमंत्रियों और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की कोई अहमियत नहीं है। सवाल यह भी है कि जब दोनों उपमुख्यमंत्रियों और प्रदेश अध्यक्ष को अपनी हैसियत के बारे में पता था, तो फिर परीक्षा स्थगित करने पर सहमति क्यों जताई? डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा और दीया कुमारी तथा भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ माने या नहीं, लेकिन परीक्षा के स्थगित न होने से इन तीनों की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है। सवाल यह भी है कि जब सरकार के उपमुख्यमंत्रियों की ही नहीं सुनी जा रही है तो फिर सरकार किसके निर्देश पर चल रही है। कैबिनेट मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने तो इस मामले में बड़ा ही दिलचस्प बयान दिया है। आरएएस की मुख्य परीक्षा को स्थगित करने के लिए जयपुर में धरना प्रदर्शन कर अभ्यर्थियों के समक्ष मंत्री मीणा ने कहा कि जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जयपुर में होंगे तब वे अभ्यर्थियों को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने चलेंगे। अब जब परीक्षा 17 जून से शुरू होनी है, तब भी मंत्री मीणा की मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं हो सकी। यानी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जयपुर में अपने कैबिनेट मंत्री को मिलने का समय ही नहीं दे रहे हैं।
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बीसलपुर बांध से प्रतिदिन दो सेंटीमीटर पानी घट रहा है, लेकिन अगले चार माह तक कोई चिंता नहीं। जयपुर के मुकाबले अजमेर के साथ भेदभाव जारी। कामकाजी महिलाओं में कथक नृत्य के प्रति आकर्षण
राजस्थान में पड़ रही भीषण गर्मी के चलते टोंक स्थित बीसलपुर बांध से प्रतिदिन दो सेंटीमीटर पानी घट रहा है। इसी बांध से जयपुर, अजमेर, और टोंक जिले के करीब एक करोड़ लोगों की प्यास बुझाई जाती है, इसलिए इस बांध को इन तीनों जिलों की लाइफ लाइन माना जाता है। हालांकि अभी मानसून की बरसात शुरू नहीं हुई है, लेकिन सिंचाई विभाग ने बाढ़ नियंत्रण कक्ष की शुरुआत कर दी है। इस कक्ष ने 16 जून को बीसलपुर बांध का जलस्तर बताया है। 16 जून को सुबह 6 बजे बांध का जलस्तर 312.45 मीटर मापा गया। नियंत्रण कक्ष के सूत्रों के अनुसार गर्मी के दिनों में प्रतिदिन दो सेंटीमीटर पानी की कमी हो रही है। लेकिन अगले चार माह तक पेयजल को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है। बीसलपुर बांध से मौजूदा समय में प्रतिदिन 650 एमएलडी पानी जयपुर को तथा 350 एमएलडी अजमेर को सप्लाई किया जा रहा है। करीब एक हजार एमएलडी पानी को लेने के बाद भी आगामी चार माह तक पेयजल की सप्लाई की जाती रहेगी। नियंत्रण कक्ष सूत्रों के अनुसार वर्ष 2023 के मुकाबले में वर्ष 2024 में बीसलपुर बांध में 9 टीएमसी ज्यादा भरा गया। गत वर्ष मानसून में बीसलपुर बांध ओवर फ्लो हो गया था। बांध की कुल भराव क्षमता 315.50 मीटर की है। चूंकि इस बार बांध में पर्याप्त मात्रा में पानी इसलिए वाष्पीकरण को रोकने के लिए कोई विशेष उपाय नहीं किए गए। गर्मी की वजह से भी बांध का जलस्तर घट रहा है।
अजमेर के साथ भेदभाव जारी:
भीषण गर्मी में भी जयपुर के मुकाबले में अजमेर के साथ पेयजल सप्लाई में भेदभाव जारी है। इस बांध का निर्माण अजमेर की पेयजल समस्या के समाधान के लिए हुआ था। लेकिन आज इस बांध से जयपुर को 650 और अजमेर को मात्र 350 एमएलडी पानी प्रतिदिन दिया जा रहा है। असल में जयपुर को पानी पिलाने के लिए पाइप लाइन की सुदृढ़ व्यवस्था की गई जबकि अजमेर के लिए पुरानी पाइप लाइन से ही काम चलाया जा रहा है। यही वजह है कि अजमेर की मांग के अनुरूप बांध से पानी नहीं लिया जा रहा है। बीसलपुर बांध से पानी लेकर जयपुर में प्रतिदिन पेयजल की सप्लाई हो रही है। जबकि अजमेर में दो और तीन दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई की जा रही है।
कथक के प्रति आकर्षण:
अजमेर के सूचना केंद्र में कथक कला केंद्र की ओर से 15 दिवसीय कथक नृत्य प्रशिक्षण शिविर का समापन 14 जून को हुआ। केंद्र की निदेशक और सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना दृष्टि रॉय ने बताया कि अजमेर में कामकाजी महिलाओं में कथक के प्रति ज्यादा आकर्षण देखने को मिला है। शिविर में बालिकाओं के साथ साथ कामकाजी महिलाओं ने भी अपना रजिस्ट्रेशन करवाया और पूरी शिद्दत के साथ कथक नृत्य को सीखा। अनेक महिलाओं का कहना रहा कि कथक नृत्य शरीर को भी स्वस्थ रखता है। दृष्टि रॉय ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि कथक कला के प्रति अजमेर की महिलाओं ने भी रुचि दिखाई है। इस 15 दिवसीय शिविर में शामिल सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किए गए। उन्होंने बताया कि उनका संस्थान पिछले तीस वर्षों से अजमेर में महिलाओं को कथक नृत्य का प्रशिक्षण दे रहा है। इस शिविर में ईटीवी मनोरंजन के सीरियल ड्रामेबाज की विजेता एंजल सुखवानी ने भी कथक के गुर सिखाए। कथक नृत्य और शिविर के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9982201133 पर निदेशक दृष्टि रॉय से ली जा सकती है।
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अजमेर का मोइनिया इस्लामिया स्कूल वक्फ की संपत्ति नहीं। जल्द बदला जाएगा नाम।
अजमेर के स्टेशन रोड स्थित राजकीय मोइनिया इस्लामिया स्कूल का भवन वक्फ की संपत्ति नहीं है। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने राज्य सरकार को अवगत करा दिया है। शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से मोइनिया इस्लामिया स्कूल राज्य सरकार के नियंत्रण में है। स्कूल में सरकार ही शिक्षकों की नियुक्ति करती है तथा स्कूल भवन की मरम्मत और संसाधन जुटाने का काम भी सरकार की ओर से ही किया जाता है। स्कूल के संचालन में किसी भी मुस्लिम संस्था का कोई योगदान नहीं है। जब कोई स्कूल सरकारी नियंत्रण में चल रहा तो वह वक्फ की संपत्ति नहीं हो सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों जब मोइनिया इस्लामिया स्कूल का नाम बदलने की कवायद की गई तो कुछ मुस्लिम संगठनों ने स्कूल की संपत्ति को वक्फ की बताया था, लेकिन मुस्लिम किसी भी संस्था ने यह नहीं बताया कि किन लोगों ने स्कूल की जमीन या इमारत को वक्फ किया। लेकिन मुस्लिम संगठनों के दावे के बाद शिक्षा विभाग से विस्तृत जांच पड़ताल की तो एक भी दस्तावेज ऐसा नहीं मिला जो स्कूल को वक्फ संपत्ति साबित करता हो। यही वजह है कि अजमेर के शिक्षा अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट से राज्य सरकार को अवगत करा दिया है। इस रिपोर्ट के बाद ही अब जल्द मोइनिया इस्लामिया स्कूल के नाम में बदलाव किया जाएगा। यहां यह उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर अजमेर के फॉयसागर का नाम वरुण सागर किंग एडवर्ड मेमोरियल होटल का नाम स्वामी दयानंद विश्रांति गृह, खादिम टूरिस्ट होटल का नाम अजयमेरू होटल किया गया है। ये सभी संस्थान सरकार के नियंत्रण में चलते हैं।
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कांग्रेस में पंचायती राज और निकाय चुनावों में पदाधिकारियों को प्राथमिकता मिलेगी। यानी राजस्थान में रेस के घोड़े तैयार किए जा रहे हैं।
राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने 16 जून को कहा है कि कांग्रेस के पदाधिकारियों को आगामी पंचायती राज और स्थानीय निकायों के चुनावों में प्राथमिकता दी जाएगी। मालूम हो कि वन स्टेट वन इलेक्शन के अंतर्गत राजस्थान में इसी वर्ष पंचायती राज और स्थानीय निकाय के चुनाव होने हैं। डोटासरा ने जो बात कही उसे जाहिर है कि राजस्थान में कांग्रेस में रेस के घोड़े तैयार किए जा रहे हैं। कांग्रेस के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की तुलना बारात, रेस और लंगडे घोड़े से की है। राहुल गांधी का कहना है कि संगठन में काम करने का अवसर उन्हीं कार्यकर्ताओं से मिलेगा जो घोड़े की रफ्तार से दौड़ सके। डोटासरा ने पदाधिकारियों को चुनाव में टिकट देने की बात कह कर रेस के घोड़े तैयार करने पर अमल शुरू कर दिया है। इससे अब कांग्रेस संगठन को भी मजबूती मिलेगी। पदाधिकारी टिकट की लालसा में संगठन का काम तत्परता से करेगा। मौजूदा समय में पदाधिकारी अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं कर रहे हैं, लेकिन डोटासरा के फार्मूले से पदाधिकारी संगठन में सक्रियता दिखाएंगे। डोटासरा का यह भी कहना है कि चुनाव में पचास प्रतिशत टिकट, पचास वर्ष से कम उम्र वाले कार्यकर्ताओं को टिकट दिए जाएंगे। यानी कांग्रेस में रेस के घोड़े युवा भी होंगे।
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जिन मुस्लिम आतंकियों ने पहलगाम में 26 हिंदुओं की हत्या की उनके संरक्षक समझ लें कि ईरान में फंसे 1200 कश्मीरी छात्रों को भारत की मोदी सरकार ही बचाकर लाएगी। इजरायल और ईरान के युद्ध में पाकिस्तान चौधरी बना। ईरान को परमाणु हथियार भी दे सकता है।
सब जानते हैँ कि गत 22 अप्रैल को पाकिस्तान परस्त मुस्लिम आतंकियों ने हमारे कश्मीर के पहलगाम में धर्म पूछ कर 26 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया। यह भी सब जानते हैं कि इन मुस्लिम आतंकियों के आका पाकिस्तान में रहते हैं। अब इन आकाओं को यह समझना चाहिए कि इजरायल के साथ चल रहे युद्ध में ईरान में जो 1200 कश्मीरी छात्र फंसे हुए हैं उन्हें भारत की मोदी सरकार ही बचाकर लाएगी। युद्ध ग्रस्त क्षेत्र में फंसे कश्मीरी छात्रों का कहना हे कि मौत हो जाएगी। मोदी सरकार ईरान से लगातार संपर्क में है और कश्मीरी छात्रों को सुरक्षित निकालने का काम शुरू कर दिया गया है। ईरन स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार ईरान में 1500 छात्र छात्राओं में से अकेले जम्मू कश्मीर के 12 सौ विद्यार्थी हैं। सभी मुस्लिम विद्यार्थी मेडिकल की पढ़ाई के लिए ईरान गए हैं। इधर कश्मीर में भी विद्यार्थियों की मुस्लिम माताओं ने सरकार से आग्रह किया है कि उनके बच्चों को सुरक्षित वापस लाया जाए। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुस्लिम माताओं को भरोसा दिलाया है कि उनके बच्चों को सुरक्षित लाया जाएगा। पाकिस्तान में बैठकर जो कट्टरपंथी कश्मीर में हिंदुओं की हत्या करवा रहे हैं उन्हें अब मोदी सरकार के प्रयासों को देखना चाहिए। इतना ही नहीं कश्मीर में जो मुस्लिम परिवार आतंकियों को संरक्षण देते हैं उन्हें भी मोदी सरकार के इस प्रयासों को समझने की जरूरत है। मोदी सरकार के लिए देश के हर नागरिक का जीवन कीमती है। इसलिए कश्मीरी छात्रों के साथ साथ अन्य दस हजार भारतीयों को भी सुरक्षित निकालने का काम हो रहा है। पाकिस्तान चौधरी बना: दुनिया में भले ही पाकिस्तान की इमेज एक भिखारी देश की हो लेकिन इजरायल और ईरान के ताजा युद्ध में पाकिस्तान चौधरी बन गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अब ईरान के समर्थन में दुनिया के सभी मुस्लिम देशों को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। पाकिस्तान मुस्लिम देशों का चौधरी इसलिए बन रहा है कि उसके पास परमाणु हथियार बनाने की तकनीक है। 50 मुस्लिम देशों में अकेले पाकिस्तान है जिसके पास अपने परमाणु हथियार है। चूंकि पाकिस्तान ईरान का खुलकर समर्थन कर रहा है, इसलिए ईरान की सेना के जनरल मोहसिन रेजाई ने दावा किया है कि जरूरत पड़ने पर पाकिस्तान ईरान को परमाणु हथियार देगा। इस बीच इजरायल की वायुसेना ने ईरान के आसमान पर कब्जा कर लिया है। अब इजरायल हर जगह ईरान पर बमबारी क रहा है। हालात इतने खराब है कि ईरान के लोग पड़ोसी देशों में शरण ले रहे हैं। अमेरिका भी खुलकर इजरायल के समर्थन में आ गया है।
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Thursday, 5 June 2025
25 मई को जो ब्लॉग लिखा उस पर 5 जून को सरकार ने अमल किया। गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम वित्त विभाग से लेकर स्वास्थ्य विभाग को देने से निजी अस्पतालों, सरकारी कार्मिकों आदि सभी को राहत मिलेगी।
5 जून को सरकार ने एक आदेश जारी कर फैसला किया कि राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) का नियंत्रण अब वित्त विभाग के बजाए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन होगा। सरकार की इस खबर को प्रकाशित करने के साथ दैनिक भास्कर ने श्रेय लिया है, यह फैसला भास्कर की 30 और 31 मई को प्रकाशित खबरों के आधार पर लिया गया। इसमें कोई दो राय नहीं कि भास्कर में प्रकाशित हर खबर का सरकार पर असर पड़ता है, लेकिन जो पाठक मेरे ब्लॉग को नियमित पढ़ते हैं, उन्हें पता है कि गत 25 मई को ब्लॉग संख्या 11 हजार 617 में मैंने वित्त विभाग आरजीएचएस, निजी अस्पताल, पीड़ित सरकारी कर्मचारियों आदि की परेशानियों को उजागर किया था। इस ब्लॉग में मेरा फोकस यही था कि वित्त विभाग में जो आईएएस है, उन्हें चिकित्सा प्रणाली का ज्ञान नहीं है। चूंकि नवीन जैन (सचिव वित्त व्यय) जेसे आईएएस चिकित्सा प्रणाली को नहीं समझते हैं, इसलिए वे ऐसे फैसले कर रहे थे, जिसकी वजह से आरजीएचएस का उद्देश्य ही समाप्त हो रहा था। मेरा सुझाव था कि सरकार को आरजीएचएस की स्कीम को वित्त विभाग से लेकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को दी जाए और मेडिकल चिकित्सा के डॉक्टर समिति शर्मा जैसे आईएएस को जिम्मेदारी दी जाए। सरकार ने भले ही फिलहाल समित शर्मा को यह जिम्मेदारी न दी हो, लेकिन आरजीएचएस को वित्त विभाग से हटाकर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन कर दिया है। सरकार के इस फैसले से निजी अस्पतालों, सरकारी कर्मचारियों आदि सभी को राहत मिलेगी। अब कम से कम अस्पताल में भर्ती मरीज की सच्चाई के बारे में समझा जा सकेगा। आरजीएचएस की आड़ में जिन निजी अस्पतालों ने फर्जीवाड़ा किया, उसका कारण भी अधिकारियों की नासमझी था। कुछ बेईमान निजी अस्पतालों का खामियाजा अधिकांश निजी अस्पतालों को उठाना पड़ रहा था। प्रदेश के जो निजी अस्पताल पूरी तरह पारदर्शिता के साथ करीब 12 लाख सरकारी और सेवा नियुक्त कर्मियों का इलाज कर रहे थे, उन्हें भी बिना किसी कारण के बेईमान समझा जा रहा था। इसका खामियाजा सरकारी कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा था। वित्त विभाग में बैठे आईएएस को इतनी समझ ही नहीं थी कि कौन से निजी अस्पताल बेईमान है या ईमानदार। बजट घटाने की आड़ में अंट शंट फैसले किए जा रहे थे। इसमें कोई दो राय नहीं की जो निजी अस्पताल फर्जीवाड़ा कर रहे हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही होनी चाहिए, लेकिन इसके साथ ही उन निजी अस्पतालों को प्रोत्साहन मिलना चाहिए जो सरकारी कार्मिकों का पारदर्शिता के साथ इलाज कर रहे हैं। अब ब आरजीएचएस चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन आ गया है, तब उम्मीद की जानी चाहिए कि पारदर्शी और बेईमान निजी अस्पताल में फर्क होगा। सरकार को चाहिए कि समित शर्मा जैसे आईएएस अफसरों को सरकारी स्कीमों की क्रियाविधि की जिम्मेदारी दी जाए। डॉ. समित शर्मा पहले भी सरकार की निशुल्क दवा योजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। डॉ. शर्मा की ईमानदारी पर आज तक कोई संदेह व्यक्त नहीं किया गया है। मौजूदा समय में डॉ. शर्मा पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव है।
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प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत किसी विश्वविद्यालय के कुलपति (कुलगुरु) तो 10 वर्ष पहले ही बन सकते थे। कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु की नियुक्ति का मामला
241 कॉलेज और 3 लाख विद्यार्थियों वाले कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु का पद प्रोफेसर भगवती प्रसाद सारस्वत 7 नजू को सायं चार बजे संभाल लेंगे। सत्तारूढ़ भाजपा के दिग्गज नेता प्रोफेसर सारस्वत ही कुलगुरु के पद पर नियुक्त 5 जून को राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने की है। विश्वविद्यालयों में नियुक्तियां राजनीतिक नजरिए से ही होती है, इसलिए स्वाभाविक है कि प्रो. सारस्वत की नियुक्ति में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सहमति रही। इसमें कोई दो राय नहीं कि प्रो. सारस्वत भाजपा के प्रभावशाली नेता होने के साथ साथ योग्य शिक्षाविद् भी हैं। मैं सारस्वत को तब से जानता हंू जब वे ब्यावर के कॉलेज में शिक्षक थे और तब भी हिंदुत्व के लिए सक्रिय थे। ब्यावर क्षेत्र के चीता मेहरात बाहुल्य गांवों में धर्म परिवर्तन न हो इसके लिए सारस्वत को कई बार संघर्ष भी करना पड़ा। मुझे अच्छी तरह ध्यान है कि वर्ष 2013 में जब वसुंधरा राजे भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री बनी तब सारस्वत बड़ी आसानी से अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी या अन्य किसी यूनिवर्सिटी के कुलपति बन सकते थे, लेकिन तब राजे ने सारस्वत का उपयोग भाजपा संगठन के लिया किया। चूंकि यूनिवर्सिटी के शिक्षक राजनीति में खुलकर भाग ले सकते हैं, इसलिए प्रो. सारस्वत को एमडीएस यूनिवर्सिटी के वाणिज्य संकाय का डीन होते हुए अजमरे देहात भाजपा का जिला अध्यक्ष भी बना दिया। सीएम वसुंधरा राजे को प्रो. सारस्वत की योग्यता का पता था, इसलिए राज्य स्तरीय बीएचटी और बीएड जैसी प्री परीक्षा की जिम्मेदारी प्रो. सारस्वत को दी गई। वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए राजनीति में प्रो. सारस्वत का जबरदस्त रुतबा था। उस समय सारस्वत चाहते तो किसी भी विश्वविद्यालय के कुलपति बन सकते थे। प्रो. सारस्वत की उम्र अभी 65 वर्ष है, यानी वे कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरु के पद पर निर्धारित तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे। कुलगुरु के पद पर 70 वर्ष तक काम किया जा सकता है। सारस्वत ने प्रदेश स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण देने का काम भी किया है। चूंकि सारस्वत के संबंध मौजूदा मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से भी अच्छे रहे इसलिए उन्हें कोटा विश्वविद्यालय का कुलगुरु नियुक्त किया गया है। यह अच्छी बात है कि राजस्थान के किसी शिक्षाविद को ही कुलगुरु के पद पर नियुक्ति मिली है। इससे पहले राज्यपाल रहे कल्याण सिंह और कलराज मिश्र के कार्यकाल में राजस्थान के अधिकांश विश्वविद्यालयों में उत्तर प्रदेश के कुलपतियों की नियुक्तियां हुई। कलराज मिश्र तो इतने होशियार राज्यपाल थे कि उन्होंने कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी अपने प्रदेश के शिक्षाविदों की सिफारिश करवा दी। मोबाइल नंबर 9414007655 पर नवनियुक्त कुलगुरु प्रो. सारस्वत को बधाई दी जा सकती है।
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65 करोड़ की भीड़ वाले महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर अंगुली उठाने वाले बेंगलुरु में 4 लाख की भीड़ को नहीं संभाल सके। इस्तीफा तो कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को देना चाहिए।
4 जून को कर्नाटक के बेंगलुरु में चार लाख की भीड़ को नियंत्रित नहीं करने के मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर सहित कई बड़े अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। आरोप है कि रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु क्रिकेट टीम जब आईपीएल का कप लेकर आई तो पुलिस ने भीड़ का आकलन नहीं किया। 35 जार की क्षमता वाले चिन्नास्वामी क्रिकेट स्टेडियम में चार लाख क्रिकेट प्रेमी आ गए। स्टेडियम के बाहर जो भगदड़ मची उसमें 11 क्रिकेट प्रेमियों की मौत हो गई। इस समारोह में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया भी मौजूद थे और उन्हीं की सहमति से आरसीबी की क्रिकेट टीम के लिए जश्न मनाया गया, लेकिन सिद्धारमैया ने सारी जिम्मेदारी बैंगलुरू पुलिस पर डाल दी। ये वो ही सिद्धारमैया है जिन्होंने प्रयागराज में हुए महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर अंगुली उठाई थी। सिद्धारमैया ही नहीं कांग्रेस के सभी नेताओं ने महाकुंभ की व्यवस्थाओं को लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की आलोचना की। सब जानते हैं कि महाकुंभी की 45 दिनों की अवधि में 65 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने प्रयागराज में गंगा नदी में डुबकी लगाई। एक दिन में आठ करोड़ लोगों ने भी गंगा स्नान किया। जो लोग 65 करोड़ वाले महाकुंभ की व्यवस्थाओं पर अंगुली उठा रहे थे, वे अब चार लाख की भीड़ को भी नियंत्रित करने में विफल रहने के बाद भी चुप है। बेंगलुरु में हुई 11 लोगों की मौत और सरकार की विफलता पर लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक्स पर कोई टिप्पणी नहीं की। अच्छा होता कि पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड करने के बजाए सिद्धारमैया खुद कर्नाटक के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देते। अधिकारियों को सस्पेंड करने की कार्यवाही भी तब की है, जब कर्नाटक हाईकोर्ट ने भगदड़ की घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार से रिपोर्ट तलब की है।
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Wednesday, 4 June 2025
डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने पुष्कर के जिस रिसोर्ट का एमओयू किया उसे नगर परिषद ने सीज कर दिया। राइजिंग राजस्थान के अंतर्गत सौ करोड़ का निवेश।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट राइजिंग राजस्थान के अंतर्गत 29 अक्टूबर 2024 को प्रदेश की डिप्टी सीएम दीया कुमारी ने अजमेर के कारोबारी गुरविंदर सिंह के साथ एक एमओयू किया। इस एमओयू के अंतर्गत सरकार ने भरोसा दिलाया कि पर्यटन नीति के अंतर्गत पुष्कर के वाम रोड पर सौ करोड़ रुपए की लागत वाले रिसोर्ट के निर्माण में पूरा सहयोग किया जाएगा। दीया कुमारी की उपस्थिति में हुए इस एमओयू पर अजमेर के जिला कलेक्टर लोकबंधु और प्रोजेक्ट के मालिक गुरविंदर सिंह के डिजिटल हस्ताक्षर भी हैं। दीया कुमारी ने अजमेर के ग्रेड जिनिया होटल में हुए राइजिंग राजस्थान के भव्य समारोह में कलेक्टर को निर्देश दिए कि छोटे निवेशकों का पूरा ख्याल रखा जाए, लेकिन 3 जून को पुष्कर नगर परिषद के गुरविंदर सिंह के इसी रिसोर्ट को सीज कर दिया। परिषद के आयुक्त जर्नादन शर्मा का कहना है कि रिसोर्ट के निर्माण के लिए नगर परिषद से कोई अनुमति नहीं ली गई। जबकि रिसोर्ट के मालिक गुरविंदर सिंह का कहना है कि यह निर्माण सरकार की एमएसएमई और पर्यटन नीति के तहत हो रहा है, इसलिए सभी स्वीकृतियां चरणबद्ध तरीके से ली जा रही है। जिस 18 हजार 813 वर्ग मीटर के दो भूखंडों पर रिसोर्ट का निर्माण हो रहा है, उसकी भूमि के पट्टे भी अजमेर विकास प्राधिकरण से लिए गए हैं। इसके बाद ही नगर परिषद के बायलॉज के अनुसार सैड बैक छोड़कर रिसोर्ट का निर्माण किया गया। पिछले वर्ष से निर्माण हो रहा है और अब जब 90 प्रतिशत निर्माण पूरा हो चुका है, तब रिसोर्ट को सीज किया गया है। जब कोई निर्माण नियम विरुद्ध है ही नहीं तो फिर सीज क्यों किया गया? जहां तक मानचित्र स्वीकृत करवाने का सवाल है तो एमएसएमई और पर्यटन नीति के तहत प्रक्रिया जारी है। हमने इस नीति के नियमों के अनुसार ही रिसोर्ट बनाया है। नगर परिषद ने जो द्वेषतापूर्ण कार्यवाही की है उसकी और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी और क्षेत्र के विधायक व कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत का ध्यान आकर्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि परिषद की इस कार्यवाही से भारी आर्थिक नुकसान शुरू हो गया है, क्योंकि रिसोर्ट पर करोड़ों रुपए का लोन बैंकों से लिया गया है। इस पूरे प्रकरण की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9828171421 पर गुरविंदर सिंह से ली जा सकती है।
राइजिंग राजस्थान को धक्का:
गुरविंदर सिंह के रिसोर्ट को सीज किए जाने से प्रतीत होता है कि प्रशासन में ऐसे अधिकारी बैठे है जो पीएम मोदी और सीएम शर्मा के राइजिंग राजस्थान को धक्का लगा रहे हैं। खबरें आ रही है कि जिन लोगों ने राइजिंग राजस्थान में एमओयू किए उनमें से अधिकांश लोग सरकार से रियायती दर पर जमीन मांग रहे है। जबकि गुरविंदर सिंह तो अपनी खातेदारी और पट्टे शुदा भूमि पर रिसोर्ट बना रहे हैं। पुष्कर में कृषि भूमि पर रिसोर्ट बने हैं, उन पर नगर परिषद ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की। इसके विपरीत उस रिसोर्ट को सीज कर दिया जो पट्टे शुदा भूमि पर सरकार की नीति के अनुरूप बन रहा है। इतने बड़े प्रोजेक्ट को सीज करने से पहले परिषद के अधिकारियों ने जिला कलेक्टर लोकबंधु को भी विश्वास में नहीं लिया। पुष्कर नगर परिषद में भ्रष्टाचार की शिकायत चमर पर है, लेकिन परिषद के अधिकांश अधिकारी चुप है।
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नागौर में जाट राजपूत एकता को बनाए रखने के लिए सकारात्मक प्रयास। इसलिए क्षत्रिय करणी सेना के राज शेखावत की 8 जून वाली रैली को समर्थन नहीं मिल रहा।
श्री अमर एज्युकेशनल सोसायटी और श्री अमर राजपूत छात्रावास के पदाधिकारियों ने नागौर के जिला कलेक्टर को एक पत्र लिखकर आग्रह किया है कि क्षत्रिय करणी सेना के राज शेखावत को 8 जून को नागौर में रैली करने की अनुमति नहीं दी जाए। क्योंकि इस रैली से कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावना है। नागौर का संपूर्ण राजपूत समाज ऐसी रैली का समर्थन नहीं करता है। कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन पर अध्यक्ष नारायण सिंह भाटी, उपाध्यक्ष करण सिंह राठौड़, सचिव मनोहर सिंह सांखला, छैल सिंह चौहान, लक्ष्मण सिंह, नरेंद्र सिंह, राम सिंह आदि के भी हस्ताक्षर है। राजपूत समाज की सकारात्मक पहल का स्वागत अभिनव राजस्थान के डॉक्टर अशोक चौधरी और सामाजिक कार्यकर्ता विक्रम टापरवाड़ा ने स्वागत करते हुए जाट समाज से भी ऐसा ही प्रयास करने की अपील की है। डॉ. चौधरी और टापरवाड़ा का कहना है कि कुछ लोग खरनाल मंदिर और लोक देवता तेजाजी के नाम वाले मंच का दुरुपयोग कर समाज में वैमनस्यता फैलाने का काम कर रहे है। जाट समाज के ऐसे नेताओं से समाज को नुकसान हो रहा है। लोक देवता तेजाजी सभी कौमों के पूज्य है, इसलिए उनकी गरिमा को ऐसे कृत्यों से कम न किया जाए। तेजाजी के मंदिर को राजनीति से दूर रखा जाए। उन्होंने कहा कि क्ष9ीय करणी सेना के राज शेखावत की रैली का राजपूत समाज द्वारा ही विरोध किया जाना यह दर्शाता है कि राजपूत समाज, जाट समाज से कोई टकराव नहीं चाहता। मालूम हो कि विगत दिनों नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल ने राजस्थान की रियासतों को लेकर जो टिप्पणी की उसके विरोध में ही राज शेखावत ने 8 जून को नागौर में क्षत्रिय करणी सेना की रैली करने की घोषणा की है। इसके जवाब में जाट समाज के कुछ नेताओं ने भी मुकाबले में रैली करने की घोषणा की, लेकिन नागौर के जाट और राजपूत समाज की प्रमुख संस्थाएं और अधिकांश नेता नहीं चाहते कि 8 जून की नागौर में कोई विवाद हो। इसलिए दोनों जातियों के नेताओं ने एकता के सकारात्मक प्रयास शुरू किए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि सर्वसमाज में जाट और राजपूत जातियों का बड़ा योगदान है। देश के मौजूदा हालात में इन दोनों प्रमुख जातियों में एकजुट रहना जरूरी है। दोनों ही जातियों के लोग खेती किसानी से भी जुड़े हुए हैं। दोनों जातियों की प्रमुख संस्थाओं और नेताओं के प्रयासों का ही परिणाम है कि राज शेखावत की 8 जून वाली रैली को समर्थन नहीं मिल रहा। राजपूत समाज की सकारात्मक पहल के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 7869697439 पर नारायण सिंह भाटी से ली जा सकती है।
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85 वर्षीय राजेंद्र दनगसिया ने जाग्रत अवस्था में सल्लेखना व्रत धारण कर मोक्ष प्राप्त किया। जैन मुनि संयम सागर महाराज के सानिध्य में जबलपुर में हुआ चमत्कार। पिछले 30 वर्षों से मुनि जैसी साधना का जीवन। अजमेर में 8 जून को होगी श्रद्धांजलि सभा।
अजमेर के प्रमुख समाजसेवी अजय कुमार दनगसिया के 85 वर्षीय पिता राजेंद्र कुमार दनगसिया ने गत 29 मई को जबलपुर में जाग्रत अवस्था में सल्लेखना व्रत के दौरान मोक्ष की प्राप्ति की। दिवंगत राजेंद्र कुमार को श्रद्धांजलि देने के लिए 8 जून को दोपहर 3 बजे सिविल लाइन स्थित राज भवन में सभा रखी गई है। अजय दनगसिया ने बताया कि जबलपुर में जैन आचार्य संयम सागर महाराज के सानिध्य में उनके पिता ने सल्लेखना व्रत धारण किया। व्रत शुरू करने के चौथे दिन उनके पिता ने मोक्ष की प्राप्ति की। ऐसा लाखों में एक बार होता है, जब कोई जैन अनुयायी जाग्रत अवस्था में सल्लेखना व्रत का संकल्प ले और फिर देह परिवर्तन कर मोक्ष की प्राप्ति करे। उनके परिवार के लिए यह गर्व की बात है कि आचार्य संयम सागर महाराज की उपस्थिति में उनके पिता को मोक्ष मिला। उन्होंने बताया कि उनके पिता पिछले तीस वर्षों से जैन मुनि जैसी साधना ही कर रहे थे। पिता का अधिकांश समय जैन आचार्य विद्यासागर महाराज के सानिध्य में ही व्यतीत हुआ। आहार के रूप में नाममात्र का दलिया और दूध ले रहे थे। सकल दिगम्बर जैन समाज अजमेर, श्री शांतिनाथ दिगंबर जैन मंदिर सहित अनेक संस्थाओं ने राजेंद्र कुमार दनगसिया के मोक्ष प्राप्ति पर अपनी श्रद्धांजलि दी है। राजेंद्र कुमार के मोक्ष प्राप्ति पर मोबाइल नंबर 9414002911 पर उनके पुत्र अजय कुमार दनगसिया को अपनी भावनाओं से अवगत कराया जा सकता है।
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अजमेर कांग्रेस में अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट आमने सामने।
अजमेर शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन और गत विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता ने 3 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आरोप लगाया कि आरटीडीसी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ अजमेर में कांग्रेस संगठन का भट्टा बैठाने में लगे हुए हैं। राठौड़ की सभी गतिविधियां संगठन को नुकसान पहुंचाने वाली है। गत विधानसभा चुनाव के दौरान भी राठौड़ और उनके समर्थकों ने शहर के दोनों क्षेत्रों में कांग्रेस को हराने वाला काम किया। विजय जैन और रलावता को पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के गुट का माना जाता है, जबकि धर्मेन्द्र राठौड़ की पहचान पूर्व सीएम अशोक गहलोत के कारण है। गहलोत के मुख्यमंत्री रहते हुए ही राठौड़ आरटीडीसी के अध्यक्ष बने। तभी से राठौड़ अजमेर की राजनीति में सक्रिय है। राठौड़ के साथ कांग्रेस के विभिन्न कार्यक्रमों में पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती आदि को देखा जाता है। इसके साथ ही शहर कांग्रेस के तीन ब्लॉकों में राठौड़ के समर्थक ही अध्यक्ष पद पर कायम है। राठौड़ और उनके समर्थक भी समय समय पर संगठन की गतिविधियां करते है। प्रदेश स्तर पर जो झगड़ा गहलोत और पायलट के बीच है वो ही झगड़ा अजमेर में समर्थकों के बीच नजर आता है। विजय जैन और रलावता ने जो आरोप लगाए है उनके जवाब में धर्मेन्द्र राठौड़ का कहना है कि यह मौका आपस में लड़ने का नहीं है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को एकजुट होकर भाजपा से मुकाबला करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अजमेर में उन्होंने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसकी वजह से कांग्रेस को नुकसान हो। अजमेर कांग्रेस में जो लोग बरसों से जमे बैठे हैं, उन्हें यह बताना चाहिए कि आखिर गत पांच बार से शहर के दोनों विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस की हार क्यों हो रही है? उनका प्रयास तो आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलवाने का है। मेरा बोरिया बिस्तार बंधवाने की धमकी देने वालों को यह समझना चाहिए कि मेरा जन्म स्थान तो पुष्कर का ही है। यह सही है कि मुझे राजनीति में पूर्व सीएम अशोक गहलोत और मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का सहयोग है।
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