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Thursday, 3 July 2025
बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.25 मीटर के पार। गत वर्ष 17 अगस्त को हुआ था। एक ही दिन में पौन मीटर से ज्यादा पानी आया। अजमेर, जयपुर व टोंक के लिए राहत भरी खबर।
3 जुलाई को बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.25 मीटर के पार हो गया है। गत वर्ष 17 अगस्त को बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.15 मीटर मापा गया था। अजमेर, जयपुर और टोंक जिले की लाइफ लाइन माने जाने वाले बीसलपुर बांध में बरसात के पानी की आवक लगातार जारी है। 2 जुलाई को बांध का जलस्तर 312.67 मापा गया, जो 3 जुलाई को प्रात: 10 बजे 313.17 मीटर हो गया। बांध में प्रति दो घंटे में 10 सेंटीमीटर पानी की आवक हो रही है। बांध के जल स्तर पर निगरानी रखने वालों का मानना है कि अब जब बांध का जल स्तर 313.25 मीटर पार हो रहा है तो एक दिन में पौन मीटर से ज्यादा पानी आ गया है। बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर है। इंजीनियरों का मानना है कि इस बार बांध गत वर्ष के मुकाबले पहले ही ओवर फ्लो हो जाएगा। गत वर्ष 6 सितंबर को बांध ओवरफ्लो हुआ था। अजमेर, जयपुर और टोंक जिले के करीब एक करोड़ लोगों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध का ओवरफ्लो पानी इस बार ईसरदा बांध में एकत्रित होगा। राम सेतु परियोजना (ईआरसीपी) के अंतर्गत ईसरदा बांध का निर्माण करवाया गया है। बांध में इस मौसम में गत 17 जून से बरसात के पानी की आवक शुरू हुई थी। तब बांध का जल स्तर 312.45 मीटर रहा। इस बार बांध के भराव क्षेत्र में लगातार अच्छा बरसात हो रही है, यही वजह है कि तीन नदियों के संगम पर इस समय साढ़े चार मीटर ऊंची पानी की चादर चल रही है। इसी त्रिवेणी संगम से पानी बांध में जाता है। यह त्रिवेणी संगम बनास, मेनाली और कोठारी नदी के मिलन पर बना हुआ है। इस त्रिवेणी संगम की चादर से ही बांध में पानी की आवक का अनुमान लगाया जाता है। यह उल्लेखनीय है कि बांध से प्रतिदिन एक हजार एमएलडी पानी जयपुर, अजमेर और टोंक के लिए लिया जाता हे।
S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2025)
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अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह भी तालाब बनी। दरगाह का ऐतिहासिक सलीबी गेट क्षतिग्रस्त। स्मार्ट सिटी की फिर पोल खुली।
2 जुलाई को अजमेर में जो मूसलाधार वर्षा हुई उससे सुप्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह भी तालाब बन गई। 2 जुलाई को मोहर्रम माह की छठी का दिन होने के कारण जायरीन की संख्या भी बहुत ज्यादा थी। दरगाह का परिसर जब तालाब बना तो जायरीन को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। दरगाह के सेन चिराग के अंदर तक पानी का प्रवेश हो गया। इसी पानी में बच्चों को तैरते हुए भी देखा गया। चूंकि दरगाह परिसर में पानी के निकास की समुचित व्यवस्था नहीं है, इसलिए अभी तक भी परिसर में पानी भरा हुआ है। तेज बरसात के कारण दरगाह का ऐतिहासिक सलीबी गेट भी क्षतिग्रस्त हो गया है। सलीबी गेट के पास बने हुजरे (खादिमों के बैठने का स्थान) को भी नुकसान हुआ है। दरगाह परिसर के अंदर इंतजाम और रखरखाव करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीन संचालित दरगाह कमेटी की है। खादिमों का आरोप है कि दरगाह कमेटी दरगाह परिसर का रख रखाव करने में असमर्थ है। दो जुलाई की तेज बारिश के कारण दरगाह के अंदर तो जायरीन को परेशानी हुई ही, साथ ही दरगाह के बाहर अंदर कोट, नला बाजार क्षेत्र में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। दरगाह के बाहर चार फीट ऊंचाई पर पानी बह रहा था। जब बरसात होती है तो सीवरेज का गंदा पानी नालियों से उफन कर सड़कों पर आ जाता है। प्रशासन की लाख कोशिश के बाद भी सीवरेज सिस्टम को ठीक नहीं किया जा रहा है। दरगाह के निकट ही नला बाजार है, जो अपने नाम के अनुरूप नाले में तब्दील हो गया। नला बाजार ही नहीं अजमेर के मदार गेट कचहरी रोड स्टेशन रोड, कैसरगंज आदि बाजारों में भी चार चार फीट पानी भर गया। एक अनुमान के अनुसार इन बाजारों में खड़े एक हजार से भी ज्यादा दुपहिया वाहन खराब हो गए। मोटर साइकिल और स्कूलों को पानी में बहते हुए देखा गया। तेज बरसात की वजह से अजमेर के प्रमुख समारोह स्थल मेरवाड़ा एस्टेट की दीवार भी ढह गई। इससे मुख्य समाोह स्थल पर जाने में लोगों को परेशानी हो रही है। दीवार ढहने से चढ़ाई वाली रास्ता खतरनाक स्थिति में आ गया है। बरसात से पहले आनासागर का जल स्तर तीन फीट घटाया गया था, लेकिन एक ही बरसात में आनासागर फिर से भर गया है। तेज बारिश की वजह से स्मार्ट सिटी की एक बार फिर पोल खुल गई है। हालांकि सड़कों पर पानी जमा होने से होने वाली परेशानी होना शहरवासियों के लिए आम बात है, लेकिन सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी परियोजना पर जो दो हजार करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई इसका लाभ देखने को नहीं क्यों नहीं मिलता। हर बार बरसात में जल जमाव हो जाता है। सबसे बड़ी समस्या तो सीवरेज सिस्टम की है। बेवकूफ इंजीनियरों ने सड़क के बीच में सीवरेज के पाइप डाले हैं। जब भी बरसात होती है तो सीवरेज का पानी उफन कर सड़कों पर आ जाता है। सीवरेज के पानी को शुद्ध करने के लिए आनासागर में ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया था, लेकिन यह प्लांट भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, इसलिए आनासागर में भी मलमूत्र वाला पानी समा रहा है। बरसात की वजह से आनासागर गंदे कुंड में तब्दील हो गया है। आनासागर से लगातार दुर्गंध आ रही है।
सीवरेज के लिए खोदा गड्ढा:
अजमेर के वार्ड संख्या 36 की पंचवटी कॉलोनी के मुख्य मार्ग पर सीवरेज लाइन के लिए बीस फीट गहरा गड्ढा खोदा गया है। यह गड्ढा भी बरसात के पानी से भर गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि इस मार्ग पर दो स्कूल संचालित है और बच्चों को भी इसी मार्ग से होकर स्कूल आना जाना पड़ता है। गड्ढे की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसी स्थिति शहरभर में है।
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अब जब 16 नए आईएएस मिल गए है तो राजस्थान राजस्व मंडल में सदस्यों की नियुक्ति होनी चाहिए। नए सदस्यों की नियुक्ति पर ही अध्यक्ष हेमंत गेरा के प्रयास सफल होंगे। आखिर राजस्व मंडल का सदस्य क्यों नहीं बनना चाहते आईएएस?
अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व मंडल में मौजूदा समय में 70 हजार मुकदमें लंबित हैं। मुकदमों की इतनी संख्या को देखते हुए अध्यक्ष हेमंत गेरा ने विशेष प्रयास किए हैं। इसके अंतर्गत अब मंडल के सदस्य लंच बाद भी मुकदमों की सुनवाई करने लगे हैं। पूर्व में लंच से पहले तक ही मुकदमों की सुनवाई होती थी। लंच बाद भी मुकदमों की सुनवाई होने से काम को गति तो मिली है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या सदस्यों के पद रिक्त होना है। मंडल में 20 में से 10 पद रिक्त पड़े हैं। मंडल में अध्यक्ष सहित आईएएस कोटे के सात पद है, लेकिन इनमें से अध्यक्ष गेरा और एक सदस्य आरडी मीणा ही कार्यरत हैं। शेष पांच पद रिक्त होने से मुकदमों की सुनवाई होने असर पड़ रहा है। अब जब हाल ही में आरएएस से 16 अधिकारी आईएएस बने हैं तब उम्मीद की जानी चाहिए कि राजस्व मंडल में भी आईएएस के रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति होगी। आमतौर पर देखा गया है कि आईएएस बनने के बाद अधिकांश अधिकारी राजस्व मंडल का सदस्य बनने से परहेज करते हैं। इसलिए मौजूदा समय में भी आईएएस कोटे के पांच पद रिक्त है। यदि इन पदों पर नियुक्ति हो जाए तो मुकदमों का निस्तारण भी जल्द हो सकता है। चूंकि जयपुर में राजस्व मंडल की स्थाई बैंच लगती है, इसलिए कई सदस्य तो जयपुर में ही डेरा जमाए रहते हैं, 20 में 10 पद रिक्त होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्व मंडल का कामकाज कितना प्रभावित हो रहा होगा। मंडल में आरएएस कोटे के 11 पद हैं, इनमें से चार रिक्त हैं। जबकि वकील कोटे के दोनों पद रिक्त हैं। वकील कोटे से राजनीतिक नजरिए से ही नियुक्ति होती हैं। लेकिन राजस्थान में भाजपा की सरकार बने डेढ़ वर्ष हो गया है, लेकिन अभी तक भी वकील कोटा नहीं भरा गया है।
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अब यदि हाईकोर्ट एसआई भर्ती की परीक्षा रद्द करता है तो चयनित ईमानदार थानेदारों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का बहुत आधार है। सबसे बड़ी गवाही तो भजन सरकार की ही होगी।
1 जुलाई को हाईकोर्ट में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि कांग्रेस के शासन में हुई सब इंस्पेक्टर पुलिस भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द नहीं किया जाएगा। सरकार के इस शपथ पत्र के बाद जस्टिस समीर जैन ने मामले की सुनवाई के लिए 7 जुलाई की तारीख निर्धारित की है। माना जा रहा है कि जस्टिस जैन 7 जुलाई को परीक्षा को रद्द करने अथवा नहीं करने के बारे में फैसला सुनाएंगे। परीक्षा के अनेक अभ्यर्थियों ने परीक्षा को रद्द करने की याचिका प्रस्तुत कर रखी है। यह वही बहुचर्चित एसआई भर्ती परीक्षा है, जिसको लेकर कांग्रेस शासन में भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन अब सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार का कहना है कि परीक्षा में जिन अभ्यर्थियों ने बेईमानी की उन्हें परीक्षा प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। ऐसे बेईमान अभ्यर्थी मात्र 6 प्रतिशत ही है। इसलिए पूरी परीक्षा को रद्द कर 94 प्रतिशत चयनित ईमानदार थानेदारों को सजा नहीं दी जा सकती। सरकार की ओर से कहा गया है कि चयनित थानेदारों में से 312 पहली बार किसी नौकरी में आए हैं, जबकि 550 ऐसे चयनित थानेदार है जो पूर्व में किसी न किसी पद पर कार्यरत थे। थानेदार के पद पर चयन होने के बाद ऐसे 550 अभ्यर्थियों ने पूर्व की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। अब यदि यह परीक्षा रद्द की जाती है तो ऐसे अभ्यर्थियों के साथ कुठाराघात होगा। सरकार ने शपथ पत्र देकर कहा के एसआईटी की जांच में जिन अभ्यर्थियों को निर्दोष माना गया है उन्हें ही थानेदार के पद पर नियुक्ति दी जा रही है। जिन अभ्यर्थियों ने राजस्थान लोक सेवा आयोग से प्रश्न पत्र हासिल कर परीक्षा दी, या डमी परीक्षार्थी के माध्यम से परीक्षा पास की उन सभी की पहचान कर ली गई है। ऐसे 55 चयनित अभ्यर्थियों से थानेदार बनने का सर्टिफिकेट छीन लिया गया है। सरकार ने हाईकोर्ट में परीक्षा रद्द न करने को लेकर जो तर्क दिए है उससे साफ जाहिर है कि अब यदि हाईकोर्ट परीक्षा को रद्द करता है तो चयनित थानेदारों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का बड़ा आधार होगा। सबसे बड़ी गवाही तो खुद राज्य की भजन सरकार की होगी। यह बात अलग है कि पूर्व में जांच एजेंसी एसओजी पुलिस मुख्यालय और कैबिनेट सब कमेटी ने परीक्षा को रद्द करने की सिफारिश की थी, लेकिन रद्द करने वाली सभी सिफारिशों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री कार्यालय ने परीक्षा को रद्द करने से इंकार कर दिया। सरकार का अब कहना है कि कांग्रेस के शासन में इन परीक्षा में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई है।
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पर्यटन को घरेलू उद्योग के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं। इसमें महिलाओं की भागीदारी भी महत्वपूर्ण। ललित के पंवार ने रखे नीति आयोग में सुझाव।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता वाले नीति आयोग की पर्यटन क्षेत्र की समिति की एक बैठक एक जुलाई को दिल्ली में आयोग के सदस्य राजीव गौबा की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में आयोग के नवनियुक्त पर्यटन क्षेत्र के सलाहकार पूर्व आईएएस ललित के पंवार ने सुझाव रखे। पंवार ने कहा कि पर्यटन को घरेलू उद्योग के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। अनेक धार्मिक स्थलों के आसपास के मकान आज होम स्टे जी भूमिका निभा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उत्तराखंड के आदि कैलाश तीर्थ यात्रा का है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र से आदि कैलाश पर्वत के बीच जो गांव बसे हैं, उनके अधिकांश मकान होम स्टे बन गए हैं। तीर्थ यात्री इन्हीं घरेलू होमस्टे में ठहरते हैं। घर की महिलाएं ही भोजन आदि का प्रबंध करती है। यानी पर्यटन के घरेलू उद्योग में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती जा रही है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चाहते हैं कि भारत में पर्यटन विकास हो और उसे घरेलू उद्योग के रूप में विकसित किया जाए। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने पर्यटन नीति में बड़ा बदलाव किया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि ललित के पंवार राजस्थान में पर्यटन सचिव और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पंवार ने ही पधारो म्हारे देश का स्लोगन देकर पर्यटन के क्षेत्र में राजस्थान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। एक जुलाई की बैठक में आयोग के संयुक्त सचिव राजीव ठाकुर भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि पंवार की पर्यटन क्षेत्र में भूमिका को देखते हुए नीति आयोग में विशेष आमंत्रित सलाहकार सदस्य के रूप में नियुक्ति हुई है।
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