Saturday, 12 July 2025

मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में कोई बंगाली घूमने नहीं जाएगा, भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का यह बयान गलत है। पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्रियों ने घूमने की अपील की थी।

11 जुलाई को जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इस अवसर पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पश्चिम बंगाल के नागरिक जब घूमने का प्रोग्राम बनाए तो जम्मू कश्मीर को भी शामिल करे। उमर ने कहा कि कश्मीर में आने वाले हर पर्यटक की सुरक्षा की उनकी जिम्मेदारी है। बदले हालातों में जम्मू कश्मीर में किसी भी पर्यटक को कोई खतरा नहीं है। उमर अब्दुल्ला के कथन का समर्थन करते हुए ममता बनर्जी ने भी कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों को जम्मू कश्मीर घूमने जाना चाहिए। समय मिलने पर वह स्वयं भी जम्मू कश्मीर का भ्रमण करेगी। दोनों मुख्यमंत्रियों की इस अपील के बाद पश्चिम बंगाल के भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हमारे प्रदेश से कोई भी बंगाली मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में घूमने नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हिंदू पर्यटक सुरक्षित नहीं है। जब पश्चिम बंगाल में ही हिंदू सुरक्षित नहीं है तो मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सुरक्षित कैसे हो सकते हैं? शुभेंदु अधिकारी ने ऐसा बयान तब दिया है, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भी देशवासियों से कश्मीर आने की अपील कर रही है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने भी लोगों से कश्मीर में पर्यटन करने की अपील की है। मालूम हो कि गत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में जो 28 हिंदुओं की हत्या आतंकवादियों ने की, उसके बाद पर्यटकों का कश्मीर जाना बंद हो गया था। लेकिन अब धीरे धीरे पूरे जम्मू कश्मीर के हालात सुधर रहे हैं। पर्यटकें की संख्या भी बढ़ी है। केंद्र सरकार ने अमरनाथ यात्रियों के लिए भी सुरक्षा के माकूल इंतजाम किए है। हालांकि 22 अप्रैल की घटना को आधार बनाकर ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इसमें आतंकियों को पाकिस्तान में घुसकर मारा गया। शुभेंदु अधिकारी ने जो बयान दिया, वह केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के विरुद्ध भी है। जब जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला स्वयं अपील कर रहे है, तब शुभेंदु अधिकारी को गलत बयानी नहीं करनी चाहिए। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की हार तभी होगी, जब भारत के नागरिक जम्मू कश्मीर में पर्यटन करने पहुंचेंगे। S.P.MITTAL BLOGGER (12-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Friday, 11 July 2025

तो क्या भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए एलिवेटेड रोड का मामला कांग्रेस अदालत में ले गई?

275 करोड़ की लागत से बने अजमेर के एलिवेटेड रोड के मामले में अब लोक अभियोजक का कहना है कि प्रशासन ने निर्माण कार्य की जांच की जो कार्यवाही शुरू की है उसे प्रभावित करने के लिए अदालत में मामले को लाया गया है। लोक अभियोजक की यह टिप्पणी बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि विगत दिनों बरसात के कारण जब एलिवेटेड रोड क्षतिग्रस्त हुआ तब प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एलिवेटेड रोड में हुए भ्रष्टाचार की जांच के निर्देश दिए। एलिवेटेड रोड का निर्माण गत कांग्रेस के शासन में हुआ था और इस रोड का लोकार्पण भी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 5 मई 2023 को किया था। उद्घाटन के समय भी यह बात सामने आई थी कि एलिवेटेड रोड के उद्घाटन से पहले टेक्निकल ऑडिट भी नहीं हुई है। टेक्निकल ऑडिट नहीं कराने के पीछे भ्रष्टाचार ही प्रमुख कारण रहा। यह आरोप है कि कांग्रेस शासन में निर्माण के दौरान एलिवेटेड रोड में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। यदि भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की जांच सामने आती इससे पहले ही कांग्रेस शासन में लोक अभियोजक रहे विवेक पाराशर ने जनहित में अदालत में एक याचिका दायर कर दी। इसी याचिका पर सिविल अदालत ने एलिवेटेड रोड पर आवागमन पर भी रोक लगा दी। इतना ही नहीं इस मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल भी पक्षकार बन गए हैं। जबकि डॉ. जयपाल कांग्रेस शासन में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मैनेजिंग कमेटी के सदस्य रहे। अब देखना होगा कि अदालत में विचाराधीन रहते एलिवेटेड रोड के मामले में प्रशासनिक जांच रिपोर्ट का क्या होता है। अलबत्ता एलिवेटेड रोड पर ट्रैफिक बंद होने से शहर के लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। S.P.MITTAL BLOGGER (11-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

नेहरू से ज्यादा डॉ. मनमोहन सिंह का रहा विदेशी संसद में संबोधन। लेकिन कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों के बराबर है नरेंद्र मोदी का संबोधन। मोदी को 27 देशों का सर्वोच्च सम्मान मिलना भी रिकॉर्ड है।

किसी भी देश के प्रधानमंत्री का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व और सम्मान का आकलन विदेशी संसद में संबोधन भी होता है। आजादी के बाद के आंकड़े बताते हैं कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने 15 वर्ष के कार्यकाल में तीन बार विदेश की संसद में भाषण दिया, लेकिन वहीं दस वर्ष प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह ने विदेशों में 7 बार संसद को संबोधित किया। कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 4, राजीव गांधी ने 3, पीवी नरसिम्हा राव ने एक बार विदेशी संसद को संबोधित किया। इन सभी कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने कुल मिलाकर 17 बार विदेशी संसद में भाषण दिया] लेकिन वही मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 11 वर्ष के कार्यकाल में अब तक 17 बार विदेशी संसद में भाषण दे दिया है। यानी कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों और अकेले नरेंद्र मोदी के संबोधन की संख्या बराबर है। कांग्रेस प्रधानमंत्रियों का रिकॉर्ड इसलिए पीछे रह सकता है, क्योंकि नरेंद्र मोदी आने वाले दिनों में भी भारत के प्रधानमंत्री रहेंगे और विदेशी संसद में भाषण देने का अभियान जारी रहेगा। 11 वर्षों में 17 देशों की संसद में संबोधन बताता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी का कितना महत्व है ।यहां यह उल्लेखनीय है कि किसी प्रधानमंत्री की दुनिया भर में लोकप्रियता हो। नरेंद्र मोदी ने विदेश की धरती पर संबंधित देश का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करने में भी रिकॉर्ड बनाया है। मोदी को दुनिया के 27 देशों ने अपना सर्वोच्च सम्मान देकर सम्मानित किया है। इनमें मुस्लिम देश भी शामिल है। 27 देशों का सर्वोच्च सम्मान मिलना भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को दर्शाता है। भारत में भी मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है इसलिए मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने। S.P.MITTAL BLOGGER (11-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

15 जुलाई से राजस्थान के प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी कार्मिकों, पेंशनरों और परिजनों का नि:शुल्क इलाज बंद। समय रहते समाधान नहीं हुआ तो भजन सरकार की छवि खराब होगी। कर्मचारियों की नाराजगी भारी पड़ सकती है।

राजस्थान के प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम की एसोसिएशन ने कहा है कि 15 जुलाई से हमारे अस्पतालों में सरकारी कार्मिकों, पेंशनरों और उनके परिजनों का इलाज आरजीएचएस स्कीम में नहीं होगा। एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने जहां एक हजार करोड़ रुपए की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है ।वहीं जांच पड़ताल के नाम पर अस्पताल प्रबंधन को बेवजह परेशान किया जा रहा है। सरकार बेईमान प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाही करें, इस पर किसी को ऐतराज नहीं है, लेकिन यदि कुछ अस्पतालों का दंड सभी को दिया जाए तो यह बर्दाश्त नहीं होगा। सरकार प्रदेश के सभी प्राइवेट अस्पतालों को एक डंडे से हांक रही है। एक ओर मौखिक आदेश देकर मरीजों की संख्या सीमित करवाई जा रही है तो दूसरी ओ अस्पतालों में मरीजों के गुस्से का सामना प्रबंधन को करना पड़ रहा है। सरकार के समक्ष कई बार समस्याओं को रखा गया है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अफसरशाही हमारी बातों को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक नहीं पहुंचा रही। ऐसे में सरकारी कार्मिकों पेंशनरों और उनके परिजन का इलाज बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार की छवि खराब होगी: राजस्थान में सरकारी कार्मिकों, पेंशनरों और उनके परिजन के पात्र व्यक्तियों की संख्या करीब 38 लाख हे। जब कोई व्यक्ति बीमार होता है तो आरजीएचएस स्कीम में प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाता है। सरकार ने करीब 800 प्राइवेट अस्पतालों को इस स्कीम में इलाज के लिए अधिकृत कर रखा है। अब यदि इतनी बड़ी संख्या में जरूरतमंद कार्मिकों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में नहीं होगा तो भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार की छवि खराब होगी। अच्छा हो कि इस मामले में खुद मुख्यमंत्री दखल दें और कार्मिकों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में सुनिश्चित करवावें। प्राइवेट अस्पतालों की एसोसिएशन की घोषणा के बाद से ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली ने भी इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। राजस्थान में गत पांच बार से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को सरकार बनाने का अवसर मिल रहा है। वर्ष 2028 में होने वाले चुनाव में इस बार कांग्रेस का नंबर है। 38 लाख लोगों से जुड़ी आरजीएचएस स्कीम का महत्व इसलिए भी है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मात्र एक लाख 70 हजार मतों के अंतर के कारण भाजपा की सरकार रिपीट होने से रह गई। तब कांग्रेस को प्रदेश भर में भाजपा से एक लाख 70 हजार वोट ज्यादा मिले। और कांग्रेस की सरकार बनी। भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस बार भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार रिपीट होगी। लेकिन यदि 38 लाख लोगों से जुड़ी समस्या का समाधान समय रहते नहीं हुआ तो राज्य कर्मचारियों की नाराजगी भजन सरकार को भारी पड़ सकती है। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि इस स्कीम के लिए राज्य कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह राशि की कटौती होती है। यानी कर्मचारी अपने पैसे से ही प्राइवेट अस्पताला में इलाज करवाते हैं। अस्पतालों को बकाया राशि का भुगतान करने की जिम्मेदारी सरकार की ही है। ऐसा नहीं हो सकता है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन में से कटौती कर दे और फिर प्राइवेट अस्पतालों को भुगतान न करें। S.P.MITTAL BLOGGER (11-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Saturday, 5 July 2025

ऑपरेशन सिंदूर में चीन हमारी सैन्य तैयारियों की लाइव जानकारी पाकिस्तान को दे रहा था। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह की इस बात को भारत के कारोबारी समझे। सामान का बहिष्कार कर चीन को जवाब दिया जा सकता है।

4 जुलाई को दिल्ली में देश के उद्योगपतियों के संगठन फिक्की का एक बड़ा सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में उपसेना प्रमुख राहुल सिंह ने चौंकाने वाली जानकारी उद्योगपतियों को दी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की तैयारियों की लाइव जानकारी चीन, पाकिस्तान को दे रहा था। एक तरह से भारतीय सेना ने यह युद्ध चीन के साथ लड़ा। सब जानते हैं कि अंतरिक्ष में चीन का अपना स्पेस सेंटर है और चीन के उपग्रह भारत सहित दुनिया भर पर नजर रखते हैं। यही वजह रही कि चीन ने अपने उपग्रहों से भारतीय सेना की तैयारियां एकत्रित की और फिर तुरंत पाकिस्तान को दी। चीन द्वारा उपलब्ध करवाई जानकारियां पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण थी। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह की इस बात को भारत के उद्योगपतियों और कारोबारियों को समझना चाहिए। भारत में ऐसे अनेक उद्योगपति और कारोबारी है जो चीन के उत्पादक मंगाकर भारत में बेच रहे हैं। ऐसे उद्योगपतियों और कारोबारियों को चाहिए कि वे चीन के साथ व्यापार बंद कर दे। इसके साथ ही उपभोक्ता का भी यह कर्तव्य है कि चीन के सामान का बहिष्कार करें। सवाल पूछा जा सकता है कि सरकार अपने स्तर पर चीन के साथ कारोबार बंद क्यों नहीं करती? असल में यदि मौजूदा समय में सरकारी स्तर पर कारोबार बंद किया जाता है तो इसका असर दूसरे देशों के कारोबार पर भी पड़ेगा। अभी जितनी बड़ी मात्रा में चीन से ामल आ रहा है, उसकी आपूर्ति करना भारत के उद्योगपतियों के लिए संभव नहीं है। चीन के उत्पादों का भारत में जबरदस्त दखल है। चीन के साथ कारोबारी रिश्ते धीरे धीरे ही समाप्त किए जा सकते है। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह ने देश के उद्योगपतियों के सामने चीन की वास्तविक स्थिति रख दी है। अब उद्योगपतियों और देशवासियों की जिम्मेदारी है कि चीन को सबक सिखाया जाए। S.P.MITTAL BLOGGER (05-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511