Saturday, 12 July 2025

मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में कोई बंगाली घूमने नहीं जाएगा, भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी का यह बयान गलत है। पश्चिम बंगाल और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्रियों ने घूमने की अपील की थी।

11 जुलाई को जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की। इस अवसर पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पश्चिम बंगाल के नागरिक जब घूमने का प्रोग्राम बनाए तो जम्मू कश्मीर को भी शामिल करे। उमर ने कहा कि कश्मीर में आने वाले हर पर्यटक की सुरक्षा की उनकी जिम्मेदारी है। बदले हालातों में जम्मू कश्मीर में किसी भी पर्यटक को कोई खतरा नहीं है। उमर अब्दुल्ला के कथन का समर्थन करते हुए ममता बनर्जी ने भी कहा कि पश्चिम बंगाल के लोगों को जम्मू कश्मीर घूमने जाना चाहिए। समय मिलने पर वह स्वयं भी जम्मू कश्मीर का भ्रमण करेगी। दोनों मुख्यमंत्रियों की इस अपील के बाद पश्चिम बंगाल के भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि हमारे प्रदेश से कोई भी बंगाली मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में घूमने नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में हिंदू पर्यटक सुरक्षित नहीं है। जब पश्चिम बंगाल में ही हिंदू सुरक्षित नहीं है तो मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सुरक्षित कैसे हो सकते हैं? शुभेंदु अधिकारी ने ऐसा बयान तब दिया है, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार भी देशवासियों से कश्मीर आने की अपील कर रही है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने भी लोगों से कश्मीर में पर्यटन करने की अपील की है। मालूम हो कि गत 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में जो 28 हिंदुओं की हत्या आतंकवादियों ने की, उसके बाद पर्यटकों का कश्मीर जाना बंद हो गया था। लेकिन अब धीरे धीरे पूरे जम्मू कश्मीर के हालात सुधर रहे हैं। पर्यटकें की संख्या भी बढ़ी है। केंद्र सरकार ने अमरनाथ यात्रियों के लिए भी सुरक्षा के माकूल इंतजाम किए है। हालांकि 22 अप्रैल की घटना को आधार बनाकर ही भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया। इसमें आतंकियों को पाकिस्तान में घुसकर मारा गया। शुभेंदु अधिकारी ने जो बयान दिया, वह केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के विरुद्ध भी है। जब जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला स्वयं अपील कर रहे है, तब शुभेंदु अधिकारी को गलत बयानी नहीं करनी चाहिए। जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की हार तभी होगी, जब भारत के नागरिक जम्मू कश्मीर में पर्यटन करने पहुंचेंगे। S.P.MITTAL BLOGGER (12-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Friday, 11 July 2025

तो क्या भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए एलिवेटेड रोड का मामला कांग्रेस अदालत में ले गई?

275 करोड़ की लागत से बने अजमेर के एलिवेटेड रोड के मामले में अब लोक अभियोजक का कहना है कि प्रशासन ने निर्माण कार्य की जांच की जो कार्यवाही शुरू की है उसे प्रभावित करने के लिए अदालत में मामले को लाया गया है। लोक अभियोजक की यह टिप्पणी बहुत ही गंभीर और महत्वपूर्ण है। उल्लेखनीय है कि विगत दिनों बरसात के कारण जब एलिवेटेड रोड क्षतिग्रस्त हुआ तब प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एलिवेटेड रोड में हुए भ्रष्टाचार की जांच के निर्देश दिए। एलिवेटेड रोड का निर्माण गत कांग्रेस के शासन में हुआ था और इस रोड का लोकार्पण भी कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 5 मई 2023 को किया था। उद्घाटन के समय भी यह बात सामने आई थी कि एलिवेटेड रोड के उद्घाटन से पहले टेक्निकल ऑडिट भी नहीं हुई है। टेक्निकल ऑडिट नहीं कराने के पीछे भ्रष्टाचार ही प्रमुख कारण रहा। यह आरोप है कि कांग्रेस शासन में निर्माण के दौरान एलिवेटेड रोड में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। यदि भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की जांच सामने आती इससे पहले ही कांग्रेस शासन में लोक अभियोजक रहे विवेक पाराशर ने जनहित में अदालत में एक याचिका दायर कर दी। इसी याचिका पर सिविल अदालत ने एलिवेटेड रोड पर आवागमन पर भी रोक लगा दी। इतना ही नहीं इस मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल भी पक्षकार बन गए हैं। जबकि डॉ. जयपाल कांग्रेस शासन में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की मैनेजिंग कमेटी के सदस्य रहे। अब देखना होगा कि अदालत में विचाराधीन रहते एलिवेटेड रोड के मामले में प्रशासनिक जांच रिपोर्ट का क्या होता है। अलबत्ता एलिवेटेड रोड पर ट्रैफिक बंद होने से शहर के लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। S.P.MITTAL BLOGGER (11-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

नेहरू से ज्यादा डॉ. मनमोहन सिंह का रहा विदेशी संसद में संबोधन। लेकिन कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्रियों के बराबर है नरेंद्र मोदी का संबोधन। मोदी को 27 देशों का सर्वोच्च सम्मान मिलना भी रिकॉर्ड है।

किसी भी देश के प्रधानमंत्री का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व और सम्मान का आकलन विदेशी संसद में संबोधन भी होता है। आजादी के बाद के आंकड़े बताते हैं कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने अपने 15 वर्ष के कार्यकाल में तीन बार विदेश की संसद में भाषण दिया, लेकिन वहीं दस वर्ष प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह ने विदेशों में 7 बार संसद को संबोधित किया। कांग्रेसी सरकार के प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 4, राजीव गांधी ने 3, पीवी नरसिम्हा राव ने एक बार विदेशी संसद को संबोधित किया। इन सभी कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों ने कुल मिलाकर 17 बार विदेशी संसद में भाषण दिया] लेकिन वही मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने 11 वर्ष के कार्यकाल में अब तक 17 बार विदेशी संसद में भाषण दे दिया है। यानी कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों और अकेले नरेंद्र मोदी के संबोधन की संख्या बराबर है। कांग्रेस प्रधानमंत्रियों का रिकॉर्ड इसलिए पीछे रह सकता है, क्योंकि नरेंद्र मोदी आने वाले दिनों में भी भारत के प्रधानमंत्री रहेंगे और विदेशी संसद में भाषण देने का अभियान जारी रहेगा। 11 वर्षों में 17 देशों की संसद में संबोधन बताता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी का कितना महत्व है ।यहां यह उल्लेखनीय है कि किसी प्रधानमंत्री की दुनिया भर में लोकप्रियता हो। नरेंद्र मोदी ने विदेश की धरती पर संबंधित देश का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त करने में भी रिकॉर्ड बनाया है। मोदी को दुनिया के 27 देशों ने अपना सर्वोच्च सम्मान देकर सम्मानित किया है। इनमें मुस्लिम देश भी शामिल है। 27 देशों का सर्वोच्च सम्मान मिलना भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को दर्शाता है। भारत में भी मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ी है इसलिए मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने। S.P.MITTAL BLOGGER (11-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

15 जुलाई से राजस्थान के प्राइवेट अस्पतालों में सरकारी कार्मिकों, पेंशनरों और परिजनों का नि:शुल्क इलाज बंद। समय रहते समाधान नहीं हुआ तो भजन सरकार की छवि खराब होगी। कर्मचारियों की नाराजगी भारी पड़ सकती है।

राजस्थान के प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम की एसोसिएशन ने कहा है कि 15 जुलाई से हमारे अस्पतालों में सरकारी कार्मिकों, पेंशनरों और उनके परिजनों का इलाज आरजीएचएस स्कीम में नहीं होगा। एसोसिएशन की ओर से कहा गया है कि राज्य सरकार ने जहां एक हजार करोड़ रुपए की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया है ।वहीं जांच पड़ताल के नाम पर अस्पताल प्रबंधन को बेवजह परेशान किया जा रहा है। सरकार बेईमान प्राइवेट अस्पतालों के खिलाफ कार्यवाही करें, इस पर किसी को ऐतराज नहीं है, लेकिन यदि कुछ अस्पतालों का दंड सभी को दिया जाए तो यह बर्दाश्त नहीं होगा। सरकार प्रदेश के सभी प्राइवेट अस्पतालों को एक डंडे से हांक रही है। एक ओर मौखिक आदेश देकर मरीजों की संख्या सीमित करवाई जा रही है तो दूसरी ओ अस्पतालों में मरीजों के गुस्से का सामना प्रबंधन को करना पड़ रहा है। सरकार के समक्ष कई बार समस्याओं को रखा गया है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अफसरशाही हमारी बातों को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तक नहीं पहुंचा रही। ऐसे में सरकारी कार्मिकों पेंशनरों और उनके परिजन का इलाज बंद करने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। सरकार की छवि खराब होगी: राजस्थान में सरकारी कार्मिकों, पेंशनरों और उनके परिजन के पात्र व्यक्तियों की संख्या करीब 38 लाख हे। जब कोई व्यक्ति बीमार होता है तो आरजीएचएस स्कीम में प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाता है। सरकार ने करीब 800 प्राइवेट अस्पतालों को इस स्कीम में इलाज के लिए अधिकृत कर रखा है। अब यदि इतनी बड़ी संख्या में जरूरतमंद कार्मिकों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में नहीं होगा तो भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली सरकार की छवि खराब होगी। अच्छा हो कि इस मामले में खुद मुख्यमंत्री दखल दें और कार्मिकों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में सुनिश्चित करवावें। प्राइवेट अस्पतालों की एसोसिएशन की घोषणा के बाद से ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस हमलावर है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली ने भी इस मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। राजस्थान में गत पांच बार से एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस को सरकार बनाने का अवसर मिल रहा है। वर्ष 2028 में होने वाले चुनाव में इस बार कांग्रेस का नंबर है। 38 लाख लोगों से जुड़ी आरजीएचएस स्कीम का महत्व इसलिए भी है कि वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मात्र एक लाख 70 हजार मतों के अंतर के कारण भाजपा की सरकार रिपीट होने से रह गई। तब कांग्रेस को प्रदेश भर में भाजपा से एक लाख 70 हजार वोट ज्यादा मिले। और कांग्रेस की सरकार बनी। भाजपा की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस बार भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में सरकार रिपीट होगी। लेकिन यदि 38 लाख लोगों से जुड़ी समस्या का समाधान समय रहते नहीं हुआ तो राज्य कर्मचारियों की नाराजगी भजन सरकार को भारी पड़ सकती है। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि इस स्कीम के लिए राज्य कर्मचारियों के वेतन से प्रतिमाह राशि की कटौती होती है। यानी कर्मचारी अपने पैसे से ही प्राइवेट अस्पताला में इलाज करवाते हैं। अस्पतालों को बकाया राशि का भुगतान करने की जिम्मेदारी सरकार की ही है। ऐसा नहीं हो सकता है कि सरकार कर्मचारियों के वेतन में से कटौती कर दे और फिर प्राइवेट अस्पतालों को भुगतान न करें। S.P.MITTAL BLOGGER (11-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Saturday, 5 July 2025

ऑपरेशन सिंदूर में चीन हमारी सैन्य तैयारियों की लाइव जानकारी पाकिस्तान को दे रहा था। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह की इस बात को भारत के कारोबारी समझे। सामान का बहिष्कार कर चीन को जवाब दिया जा सकता है।

4 जुलाई को दिल्ली में देश के उद्योगपतियों के संगठन फिक्की का एक बड़ा सम्मेलन हुआ। इस सम्मेलन में उपसेना प्रमुख राहुल सिंह ने चौंकाने वाली जानकारी उद्योगपतियों को दी। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना की तैयारियों की लाइव जानकारी चीन, पाकिस्तान को दे रहा था। एक तरह से भारतीय सेना ने यह युद्ध चीन के साथ लड़ा। सब जानते हैं कि अंतरिक्ष में चीन का अपना स्पेस सेंटर है और चीन के उपग्रह भारत सहित दुनिया भर पर नजर रखते हैं। यही वजह रही कि चीन ने अपने उपग्रहों से भारतीय सेना की तैयारियां एकत्रित की और फिर तुरंत पाकिस्तान को दी। चीन द्वारा उपलब्ध करवाई जानकारियां पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण थी। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह की इस बात को भारत के उद्योगपतियों और कारोबारियों को समझना चाहिए। भारत में ऐसे अनेक उद्योगपति और कारोबारी है जो चीन के उत्पादक मंगाकर भारत में बेच रहे हैं। ऐसे उद्योगपतियों और कारोबारियों को चाहिए कि वे चीन के साथ व्यापार बंद कर दे। इसके साथ ही उपभोक्ता का भी यह कर्तव्य है कि चीन के सामान का बहिष्कार करें। सवाल पूछा जा सकता है कि सरकार अपने स्तर पर चीन के साथ कारोबार बंद क्यों नहीं करती? असल में यदि मौजूदा समय में सरकारी स्तर पर कारोबार बंद किया जाता है तो इसका असर दूसरे देशों के कारोबार पर भी पड़ेगा। अभी जितनी बड़ी मात्रा में चीन से ामल आ रहा है, उसकी आपूर्ति करना भारत के उद्योगपतियों के लिए संभव नहीं है। चीन के उत्पादों का भारत में जबरदस्त दखल है। चीन के साथ कारोबारी रिश्ते धीरे धीरे ही समाप्त किए जा सकते है। उपसेना प्रमुख राहुल सिंह ने देश के उद्योगपतियों के सामने चीन की वास्तविक स्थिति रख दी है। अब उद्योगपतियों और देशवासियों की जिम्मेदारी है कि चीन को सबक सिखाया जाए। S.P.MITTAL BLOGGER (05-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

कांग्रेस के नेता अशोक गहलोत के दामाद गौतम अश्विन बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बने। क्या अशोक गहलोत ब भी न्यायपालिका को मोदी सरकार के दबाव में बताएंगे?

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की उस सिफारिश को स्वीकार कर लिया है, जिसमें मुंबई के युवा वकील गौतम अश्विन अनखड को बॉम्बे हाईकोर्ट का जज बनाने के लिए कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने यह सिफारिश 24 सितंबर 2024 को की थी, लेकिन विस्तृत छानबीन के बाद केंद्र सरकार ने अब वकील कोटे से गौतम अश्विन को जज बनाने की स्वीकृति दी है। मोदी सरकार की यह स्वीकृति इसलिए मायने रखती है कि गौतम अश्विन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दामाद हैं। गहलोत की पुत्री सोनिया का विवाह गौतम अश्विन के साथ हुआ है। गहलोत जब भी मुंबई जाते हैं तो अपनी बेटी के आवास पर ही रुकते हैं। गहलोत कांग्रेस के उन नेताओं में शामिल हैं जो अकसर आरोप लगाते हैं कि देश की न्यायपालिका भी मोदी सरकार के दबाव में काम कर रही है। श्रीमती सोनिया गांधी, राहुल गांधी के विरुद्ध नेशनल हेराल्ड प्रकरण में प्रसंज्ञान लेने के मामले भी गहलोत ने न्यायपालिका की निष्पक्षता से सवाल उठाए हैं। गहलोत जब राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, तब कई मौकों पर सुप्रीम कोर्ट के जजों की उपस्थिति में भी गहलोत ने न्यायपालिका के दबाव की बात कह। देखना होगा कि अब जब दामाद गौतम अश्विन बॉम्बे हाईकोर्ट के जज बन गए हैं, तब न्यायपालिका के बारे में अशोक गहलोत की क्या राय सामने आती है। गहलोत जिस मोदी सरकार पर दबाव डालने का आरोप लगाते रहे, उसी मोदी सरकार ने गहलोत के दामाद को हाईकोर्ट का जज बनाने की स्वीकृति दी है। S.P.MITTAL BLOGGER (05-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

डूंगरपुर में डोटासरा और रंधावा जब कांग्रेस नेताओं में बिखराव की बात कह रहे थे, तब हिंडौन में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगा रहे थे। मुख्यमंत्री कैसा हो अशोक गहलोत जैसा हो नारे वाला वीडियो खुद गहलोत ने पोस्ट किया। डूंगरपुर के सम्मेलन में सचिन पायलट भी नदारद।

राजस्थान देश के उन कुछ प्रदेशों में से एक हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत मानी जा सकती है। मौजूदा समय में भी 200 में से 66 विधायक और 24 में से 9 सांसद कांग्रेस के हैं। श्रीमती सोनिया गांधी भी राजस्थान से ही राज्यसभा की सांसद है। चूंकि पिछले 25 वर्षों से राजस्थान में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार की परंपरा रही है, इसलिए राजस्थान में विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ज्यादा ही उत्साहित है। क्षेत्रवार कार्यकर्ता सम्मेलन भी किए जा रहे हैं। इसी के अंतर्गत चार जुलाई को आदिवासी क्षेत्र डूंगरपुर में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नेताओं में बिखराव के कारण कांग्रेस कमजोर हो जाती है। इन दोनों नेताओं ने किसी बड़े नेता का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा पूर्व सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की आपसी गुटबाजी की ओर ही था। डोटासरा ने तो यहां तक कह दिया कि अब राजस्थान कांग्रेस में एक ही जूली फैक्टर रह गया है। डोटासरा ने कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली की जमकर प्रशंसा की। रंधावा और डोटासरा जब बड़े नेताओं में बिखराव की बात कह रहे थे, तब करौली के हिंडौन में कांग्रेस के कार्यकर्ता हमारा मुख्यमंत्री कैसा हो, अशोक गहलोत जैसा हो के नारे लगा रहे थे। 4 जुलाई को एक सार्वजनिक समारोह में भाग लेने के लिए गहलोत हिंडौन में थे। स्वयं को मुख्यमंत्री बनाने के नारा वाला वीडियो खुद गहलोत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। समारोह में गहलोत को लेकर आकर्षण भी देखा गया। इस वीडियो को पोस्ट करने से राजस्थान में अशोक गहलोत की रणनीति को समझा जा सकता है। मौजूदा समय में गहलोत कांग्रेस में उपेक्षित चल रहे हैं। गहलोत के चालीस वर्ष के राजनीतिक सफर में संभवत: यह पहला अवसर है, जब कांग्रेस संगठन में उनके पास कोई पद नहीं है। पायलट भी नदारद: 4 जुलाई को डूंगरपुर में कार्यकर्ताओं का जो बड़ा सम्मेलन हुआ उस में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी नदारद थे। राजस्थान में अब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट ही कांग्रेस के चेहरे रहे, लेकिन डूंगरपुर में हुए सम्मेलन में ये दोनों नेता मौजूद नहीं थे। गहलोत तो राजस्थान में ही सक्रिय थे। गहलोत और पायलट की गैर मौजूदगी में हुए सम्मेलन को लेकर भी कांग्रेस में कई चर्चाएं हो रही है। क्या अब राजस्थान में गहलोत और पायलट के बगैर कांग्रेस को मजबूत किए जाने की रणनीति बन रही है? S.P.MITTAL BLOGGER (05-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Friday, 4 July 2025

हाथ वाले पंखे का फोटो पोस्ट कर भाजपा नेत्री ज्योति मिर्धा ने नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल पर कटाक्ष किया। इसे कहते हैं .... और सीना जोरी।

राजस्थान के नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल के भाई के घर के मकान की बिजली का कनेक्शन काट दिए जाने के बाद भाजपा की नेत्री और गत लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल से पराजित होने वाली ज्योति मिर्धा ने सोशल मीडिया पर हाथ वाले पंखे का फोटो पोस्ट किया है। हनुमान बेनीवाल या अन्य किसी का नाम लिए बगैर ज्योति ने कहा कि अब इस पंखे की जरूरत हो सकती हे। मालूम हो कि 10 लाख रुपए से भी ज्यादा का बिल बकाया होने के कारण बेनीवाल के भाई के घर का बिजली का कनेक्शन काट दिया गया था। इसके बाद से ही बेनीवाल राज्य की भाजपा सरकार के खिलाफ आग बबूला है। बेनीवाल का आरोप है कि राजनीतिक कारणों की वजह से बिजली का कनेक्शन काटा गया है। इस बीच ज्योति मिर्धा ने हाथ में पंखे वाला फोटो पोस्ट कर जले पर नमक छिड़कने वाला काम किया हे। हालांकि बेनीवाल और ज्योति मिर्धा एक ही समुदाय के है, लेकिन राजनीति के कारण दोनों में छत्तीस का आंकड़ा है। बिजली का कनेक्शन कटने के बाद विरोधी भी बेनीवाल पर हमलावर है। बेनीवाल ने अपने राजनीतिक प्रभाव से जिन लोगों को नुकसान पहुंचाया वे अब एकजुट हो कर बेनीवाल को घेर रहे हैं। इस बीच जयपुर में विधायकों के आवास पर नियमों के विरुद्ध कब्जा बनाए रखने को लेकर हनुमान बेनीवाल उनके भाई नारायण बेनीवाल और उनकी पार्टी के विधायक रहे पुखराज गर्ग पर भी कार्यवाही शुरू हो गई है। नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग वर्ष 2018 से 2023 के बीच विधायक थे, लेकिन इन दोनों ने अभी तक भी जयपुर में विधायकों वाला सरकारी आवास खाली नहीं किया है। इसी प्रकार हनुमान बेनीवाल दिसंबर 2023 में नागौर के खींवसर से विधायक बने तो उन्हें जयपुर में विधानसभा के सामने चार कमरों वाला आलीशान फ्लैट आवंटित हुआ। इस फ्लैट पर बेनीवाल अभी तक काबिज है, जबकि मई 2024 में ही बेनीवाल नागौर से सांसद बन गए थे। सांसद बनने पर बेनीवाल ने दिल्ली में भी सरकारी आवास प्राप्त कर लिया। यानी मौजूदा समय में हनुमान बेनीवाल के पास विधायक और सांसद वाले सरकारी आवास हैं। जबकि उनके भाई और पार्टी के नेता के पास जयपुर में नियम विरुद्ध विधायकों वाले आवास हैं। बेनीवाल से इन आवासों को खाली कराने के लिए नोटिस दे दिए गए हैं। बेनीवाल का कहना है कि हम नियमानुसार किराया जमा कराने को तैयार है। नारायण बेनीवाल और पुखराज गर्ग की तो विधायकों वाली पेंशन भी रोकी जा चुकी है। S.P.MITTAL BLOGGER (04-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

सिर्फ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पसंद है राजस्थान के नए डीजीपी राजीव शर्मा। विरोधियों को करारा जवाब।

राजस्थान में कांग्रेस के नेता खासकर प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अक्सर आरोप लगाते हैं कि भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा नाम मात्र के मुख्यमंत्री हैं। दिल्ली से जो आदेश मिलते हैं, उसकी पालना भजनलाल शर्मा करते हैं। कांग्रेस के ऐसे नेताओं को प्रदेश के नए डीजीपी की नियुक्ति के मामले में सीएम शर्मा ने करारा जवाब दिया है। नए डीजीपी राजीव शर्मा ने 3 जुलाई को पदभार संभालते ही सबसे पहले मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से शिष्टाचार मुलाकात की। भले ही यह परंपरा हो, लेकिन इन दोनों की मुलाकात बहुत मायने रखती है। कांग्रेस के नेता कुछ भी कहे, लेकिन राजीव शर्मा के मामले में सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की चली है। यू आर साहू को डीजीपी के पद से हटाकर राजस्थान लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाने के साथ्ज्ञ ही सीएम शर्मा ने यह तय कर लिया था कि अब डीजीपी के पद पर राजीव शर्मा ही नियुक्त होंगे। सीएम शर्मा ने अपनी पसंद पहले ही केंद्र सरकार को बात दी थी। परंपरा के अनुरूप डीजीपी के लिए तीन नामों का सलेक्शन हुआ। राजेश निर्वाण का नाम तो सिर्फ औचारिकता पूरी करने के लिए था। दूसरे आईपीएस संजय अग्रवाल की पत्नी श्रीमती मालिनी अग्रवाल को डीजी के पद पर पदोन्नत कर कह दिया कि आपको राजीव शर्मा की सेवानिवृत्ति के बाद डीजीपी बनाया जाएगा। चूंकि प्रदेश में डबल इंजन की सरकार है, इसलिए राजीव शर्मा को केंद्र में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (बीपीआरडी) के डीजी के पद से भी आसानी के साथ रिलीव कर दिया। राजीव शर्मा राजस्थान कैडर के आईपीएस है और प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में सेवाएं दे रहे थे। राजीव शर्मा जब जुलाई 2027 में सेवानिवृत्त होंगे तब संजय अग्रवाल को डीजीपी बनने का अवसर मिल सकता है। अग्रवाल की सेवानिवृत्ति दिसंबर 2028 में होनी है। चूंकि राजीव शर्मा मुख्यमंत्री शर्मा की पसंद रहे, इसलिए उन्हें आईपीएस की एक वर्ष और अधिक नौकरी करने का अवसर भी मिल गया है। राजीव शर्मा के 60 वर्ष मार्च 2026 में पूरे हो रहे हैं यदि राजीव शर्मा डीजीपी नहीं बनते तो आईपीएस के तौर पर मार्च 2026 में सेवानिवृत्ति हो जाती, लेकिन डीजी बनने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप सेवाकाल में एक वर्ष की वृद्धि स्वत: ही हो गई हे। यानी मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कारण राजीव शर्मा को डबल फायदा हुआ है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गृह विभाग भी सीएम शर्मा के पास ही है। ऐसे में सीएम शर्मा को डीजीपी के पद पर अपने भरोसे का आईपीएस चाहिए था। कहा जा सकता है कि राजस्थान के पुलिस बेड़े में आईपीएस राजीव शर्मा मुख्यमंत्री के सबसे भरोसेमंद हैं। जब किसी मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग होने के सााि साथ भरोसे का डीजीपी होता है तो ऐसा मुख्यमंत्री बेहद ताकतवर होता है। उम्मीद है कि भजनलाल शर्मा ने जो भरोसा जताया है उस पर राजीव शर्मा खरे उतरेंगे। S.P.MITTAL BLOGGER (04-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Thursday, 3 July 2025

बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.25 मीटर के पार। गत वर्ष 17 अगस्त को हुआ था। एक ही दिन में पौन मीटर से ज्यादा पानी आया। अजमेर, जयपुर व टोंक के लिए राहत भरी खबर।

3 जुलाई को बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.25 मीटर के पार हो गया है। गत वर्ष 17 अगस्त को बीसलपुर बांध का जल स्तर 313.15 मीटर मापा गया था। अजमेर, जयपुर और टोंक जिले की लाइफ लाइन माने जाने वाले बीसलपुर बांध में बरसात के पानी की आवक लगातार जारी है। 2 जुलाई को बांध का जलस्तर 312.67 मापा गया, जो 3 जुलाई को प्रात: 10 बजे 313.17 मीटर हो गया। बांध में प्रति दो घंटे में 10 सेंटीमीटर पानी की आवक हो रही है। बांध के जल स्तर पर निगरानी रखने वालों का मानना है कि अब जब बांध का जल स्तर 313.25 मीटर पार हो रहा है तो एक दिन में पौन मीटर से ज्यादा पानी आ गया है। बांध की भराव क्षमता 315.50 मीटर है। इंजीनियरों का मानना है कि इस बार बांध गत वर्ष के मुकाबले पहले ही ओवर फ्लो हो जाएगा। गत वर्ष 6 सितंबर को बांध ओवरफ्लो हुआ था। अजमेर, जयपुर और टोंक जिले के करीब एक करोड़ लोगों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध का ओवरफ्लो पानी इस बार ईसरदा बांध में एकत्रित होगा। राम सेतु परियोजना (ईआरसीपी) के अंतर्गत ईसरदा बांध का निर्माण करवाया गया है। बांध में इस मौसम में गत 17 जून से बरसात के पानी की आवक शुरू हुई थी। तब बांध का जल स्तर 312.45 मीटर रहा। इस बार बांध के भराव क्षेत्र में लगातार अच्छा बरसात हो रही है, यही वजह है कि तीन नदियों के संगम पर इस समय साढ़े चार मीटर ऊंची पानी की चादर चल रही है। इसी त्रिवेणी संगम से पानी बांध में जाता है। यह त्रिवेणी संगम बनास, मेनाली और कोठारी नदी के मिलन पर बना हुआ है। इस त्रिवेणी संगम की चादर से ही बांध में पानी की आवक का अनुमान लगाया जाता है। यह उल्लेखनीय है कि बांध से प्रतिदिन एक हजार एमएलडी पानी जयपुर, अजमेर और टोंक के लिए लिया जाता हे। S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह भी तालाब बनी। दरगाह का ऐतिहासिक सलीबी गेट क्षतिग्रस्त। स्मार्ट सिटी की फिर पोल खुली।

2 जुलाई को अजमेर में जो मूसलाधार वर्षा हुई उससे सुप्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह भी तालाब बन गई। 2 जुलाई को मोहर्रम माह की छठी का दिन होने के कारण जायरीन की संख्या भी बहुत ज्यादा थी। दरगाह का परिसर जब तालाब बना तो जायरीन को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। दरगाह के सेन चिराग के अंदर तक पानी का प्रवेश हो गया। इसी पानी में बच्चों को तैरते हुए भी देखा गया। चूंकि दरगाह परिसर में पानी के निकास की समुचित व्यवस्था नहीं है, इसलिए अभी तक भी परिसर में पानी भरा हुआ है। तेज बरसात के कारण दरगाह का ऐतिहासिक सलीबी गेट भी क्षतिग्रस्त हो गया है। सलीबी गेट के पास बने हुजरे (खादिमों के बैठने का स्थान) को भी नुकसान हुआ है। दरगाह परिसर के अंदर इंतजाम और रखरखाव करने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के अधीन संचालित दरगाह कमेटी की है। खादिमों का आरोप है कि दरगाह कमेटी दरगाह परिसर का रख रखाव करने में असमर्थ है। दो जुलाई की तेज बारिश के कारण दरगाह के अंदर तो जायरीन को परेशानी हुई ही, साथ ही दरगाह के बाहर अंदर कोट, नला बाजार क्षेत्र में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। दरगाह के बाहर चार फीट ऊंचाई पर पानी बह रहा था। जब बरसात होती है तो सीवरेज का गंदा पानी नालियों से उफन कर सड़कों पर आ जाता है। प्रशासन की लाख कोशिश के बाद भी सीवरेज सिस्टम को ठीक नहीं किया जा रहा है। दरगाह के निकट ही नला बाजार है, जो अपने नाम के अनुरूप नाले में तब्दील हो गया। नला बाजार ही नहीं अजमेर के मदार गेट कचहरी रोड स्टेशन रोड, कैसरगंज आदि बाजारों में भी चार चार फीट पानी भर गया। एक अनुमान के अनुसार इन बाजारों में खड़े एक हजार से भी ज्यादा दुपहिया वाहन खराब हो गए। मोटर साइकिल और स्कूलों को पानी में बहते हुए देखा गया। तेज बरसात की वजह से अजमेर के प्रमुख समारोह स्थल मेरवाड़ा एस्टेट की दीवार भी ढह गई। इससे मुख्य समाोह स्थल पर जाने में लोगों को परेशानी हो रही है। दीवार ढहने से चढ़ाई वाली रास्ता खतरनाक स्थिति में आ गया है। बरसात से पहले आनासागर का जल स्तर तीन फीट घटाया गया था, लेकिन एक ही बरसात में आनासागर फिर से भर गया है। तेज बारिश की वजह से स्मार्ट सिटी की एक बार फिर पोल खुल गई है। हालांकि सड़कों पर पानी जमा होने से होने वाली परेशानी होना शहरवासियों के लिए आम बात है, लेकिन सवाल उठता है कि स्मार्ट सिटी परियोजना पर जो दो हजार करोड़ रुपए की राशि खर्च की गई इसका लाभ देखने को नहीं क्यों नहीं मिलता। हर बार बरसात में जल जमाव हो जाता है। सबसे बड़ी समस्या तो सीवरेज सिस्टम की है। बेवकूफ इंजीनियरों ने सड़क के बीच में सीवरेज के पाइप डाले हैं। जब भी बरसात होती है तो सीवरेज का पानी उफन कर सड़कों पर आ जाता है। सीवरेज के पानी को शुद्ध करने के लिए आनासागर में ट्रीटमेंट प्लांट बनाया गया था, लेकिन यह प्लांट भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, इसलिए आनासागर में भी मलमूत्र वाला पानी समा रहा है। बरसात की वजह से आनासागर गंदे कुंड में तब्दील हो गया है। आनासागर से लगातार दुर्गंध आ रही है। सीवरेज के लिए खोदा गड्ढा: अजमेर के वार्ड संख्या 36 की पंचवटी कॉलोनी के मुख्य मार्ग पर सीवरेज लाइन के लिए बीस फीट गहरा गड्ढा खोदा गया है। यह गड्ढा भी बरसात के पानी से भर गया है। सबसे गंभीर बात यह है कि इस मार्ग पर दो स्कूल संचालित है और बच्चों को भी इसी मार्ग से होकर स्कूल आना जाना पड़ता है। गड्ढे की वजह से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसी स्थिति शहरभर में है। S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अब जब 16 नए आईएएस मिल गए है तो राजस्थान राजस्व मंडल में सदस्यों की नियुक्ति होनी चाहिए। नए सदस्यों की नियुक्ति पर ही अध्यक्ष हेमंत गेरा के प्रयास सफल होंगे। आखिर राजस्व मंडल का सदस्य क्यों नहीं बनना चाहते आईएएस?

अजमेर स्थित राजस्थान राजस्व मंडल में मौजूदा समय में 70 हजार मुकदमें लंबित हैं। मुकदमों की इतनी संख्या को देखते हुए अध्यक्ष हेमंत गेरा ने विशेष प्रयास किए हैं। इसके अंतर्गत अब मंडल के सदस्य लंच बाद भी मुकदमों की सुनवाई करने लगे हैं। पूर्व में लंच से पहले तक ही मुकदमों की सुनवाई होती थी। लंच बाद भी मुकदमों की सुनवाई होने से काम को गति तो मिली है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या सदस्यों के पद रिक्त होना है। मंडल में 20 में से 10 पद रिक्त पड़े हैं। मंडल में अध्यक्ष सहित आईएएस कोटे के सात पद है, लेकिन इनमें से अध्यक्ष गेरा और एक सदस्य आरडी मीणा ही कार्यरत हैं। शेष पांच पद रिक्त होने से मुकदमों की सुनवाई होने असर पड़ रहा है। अब जब हाल ही में आरएएस से 16 अधिकारी आईएएस बने हैं तब उम्मीद की जानी चाहिए कि राजस्व मंडल में भी आईएएस के रिक्त पदों पर जल्द नियुक्ति होगी। आमतौर पर देखा गया है कि आईएएस बनने के बाद अधिकांश अधिकारी राजस्व मंडल का सदस्य बनने से परहेज करते हैं। इसलिए मौजूदा समय में भी आईएएस कोटे के पांच पद रिक्त है। यदि इन पदों पर नियुक्ति हो जाए तो मुकदमों का निस्तारण भी जल्द हो सकता है। चूंकि जयपुर में राजस्व मंडल की स्थाई बैंच लगती है, इसलिए कई सदस्य तो जयपुर में ही डेरा जमाए रहते हैं, 20 में 10 पद रिक्त होने से अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्व मंडल का कामकाज कितना प्रभावित हो रहा होगा। मंडल में आरएएस कोटे के 11 पद हैं, इनमें से चार रिक्त हैं। जबकि वकील कोटे के दोनों पद रिक्त हैं। वकील कोटे से राजनीतिक नजरिए से ही नियुक्ति होती हैं। लेकिन राजस्थान में भाजपा की सरकार बने डेढ़ वर्ष हो गया है, लेकिन अभी तक भी वकील कोटा नहीं भरा गया है। S.P.MITTAL BLOGGER (03-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

अब यदि हाईकोर्ट एसआई भर्ती की परीक्षा रद्द करता है तो चयनित ईमानदार थानेदारों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का बहुत आधार है। सबसे बड़ी गवाही तो भजन सरकार की ही होगी।

1 जुलाई को हाईकोर्ट में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने स्पष्ट कह दिया है कि कांग्रेस के शासन में हुई सब इंस्पेक्टर पुलिस भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द नहीं किया जाएगा। सरकार के इस शपथ पत्र के बाद जस्टिस समीर जैन ने मामले की सुनवाई के लिए 7 जुलाई की तारीख निर्धारित की है। माना जा रहा है कि जस्टिस जैन 7 जुलाई को परीक्षा को रद्द करने अथवा नहीं करने के बारे में फैसला सुनाएंगे। परीक्षा के अनेक अभ्यर्थियों ने परीक्षा को रद्द करने की याचिका प्रस्तुत कर रखी है। यह वही बहुचर्चित एसआई भर्ती परीक्षा है, जिसको लेकर कांग्रेस शासन में भाजपा नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन अब सत्ता में आने के बाद भाजपा सरकार का कहना है कि परीक्षा में जिन अभ्यर्थियों ने बेईमानी की उन्हें परीक्षा प्रक्रिया से बाहर कर दिया है। ऐसे बेईमान अभ्यर्थी मात्र 6 प्रतिशत ही है। इसलिए पूरी परीक्षा को रद्द कर 94 प्रतिशत चयनित ईमानदार थानेदारों को सजा नहीं दी जा सकती। सरकार की ओर से कहा गया है कि चयनित थानेदारों में से 312 पहली बार किसी नौकरी में आए हैं, जबकि 550 ऐसे चयनित थानेदार है जो पूर्व में किसी न किसी पद पर कार्यरत थे। थानेदार के पद पर चयन होने के बाद ऐसे 550 अभ्यर्थियों ने पूर्व की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। अब यदि यह परीक्षा रद्द की जाती है तो ऐसे अभ्यर्थियों के साथ कुठाराघात होगा। सरकार ने शपथ पत्र देकर कहा के एसआईटी की जांच में जिन अभ्यर्थियों को निर्दोष माना गया है उन्हें ही थानेदार के पद पर नियुक्ति दी जा रही है। जिन अभ्यर्थियों ने राजस्थान लोक सेवा आयोग से प्रश्न पत्र हासिल कर परीक्षा दी, या डमी परीक्षार्थी के माध्यम से परीक्षा पास की उन सभी की पहचान कर ली गई है। ऐसे 55 चयनित अभ्यर्थियों से थानेदार बनने का सर्टिफिकेट छीन लिया गया है। सरकार ने हाईकोर्ट में परीक्षा रद्द न करने को लेकर जो तर्क दिए है उससे साफ जाहिर है कि अब यदि हाईकोर्ट परीक्षा को रद्द करता है तो चयनित थानेदारों के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का बड़ा आधार होगा। सबसे बड़ी गवाही तो खुद राज्य की भजन सरकार की होगी। यह बात अलग है कि पूर्व में जांच एजेंसी एसओजी पुलिस मुख्यालय और कैबिनेट सब कमेटी ने परीक्षा को रद्द करने की सिफारिश की थी, लेकिन रद्द करने वाली सभी सिफारिशों को दरकिनार कर मुख्यमंत्री कार्यालय ने परीक्षा को रद्द करने से इंकार कर दिया। सरकार का अब कहना है कि कांग्रेस के शासन में इन परीक्षा में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

पर्यटन को घरेलू उद्योग के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं। इसमें महिलाओं की भागीदारी भी महत्वपूर्ण। ललित के पंवार ने रखे नीति आयोग में सुझाव।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अध्यक्षता वाले नीति आयोग की पर्यटन क्षेत्र की समिति की एक बैठक एक जुलाई को दिल्ली में आयोग के सदस्य राजीव गौबा की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में आयोग के नवनियुक्त पर्यटन क्षेत्र के सलाहकार पूर्व आईएएस ललित के पंवार ने सुझाव रखे। पंवार ने कहा कि पर्यटन को घरेलू उद्योग के रूप में विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। अनेक धार्मिक स्थलों के आसपास के मकान आज होम स्टे जी भूमिका निभा रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण उत्तराखंड के आदि कैलाश तीर्थ यात्रा का है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला क्षेत्र से आदि कैलाश पर्वत के बीच जो गांव बसे हैं, उनके अधिकांश मकान होम स्टे बन गए हैं। तीर्थ यात्री इन्हीं घरेलू होमस्टे में ठहरते हैं। घर की महिलाएं ही भोजन आदि का प्रबंध करती है। यानी पर्यटन के घरेलू उद्योग में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती जा रही है। स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी चाहते हैं कि भारत में पर्यटन विकास हो और उसे घरेलू उद्योग के रूप में विकसित किया जाए। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने पर्यटन नीति में बड़ा बदलाव किया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि ललित के पंवार राजस्थान में पर्यटन सचिव और पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पंवार ने ही पधारो म्हारे देश का स्लोगन देकर पर्यटन के क्षेत्र में राजस्थान की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। एक जुलाई की बैठक में आयोग के संयुक्त सचिव राजीव ठाकुर भी उपस्थित रहे। उल्लेखनीय है कि पंवार की पर्यटन क्षेत्र में भूमिका को देखते हुए नीति आयोग में विशेष आमंत्रित सलाहकार सदस्य के रूप में नियुक्ति हुई है। S.P.MITTAL BLOGGER (02-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

Tuesday, 1 July 2025

अजमेर के मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आरके गोखरू ने 69 साल की उम्र में एलएलबी की। वकालत करने के लिए राष्ट्रपति से गुहार लगाएंगे।

अजमेर के जवाहर लाल नेहरू अस्पताल के प्राचार्य रहे मशहूर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आरके गोखरू ने 69 वर्ष की उम्र में एलएलबी की डिग्री ली है। वह डिग्री एमडीएस यूनिवर्सिटी से संबद्ध भगवंत यूनिवर्सिटी से प्राप्त की। 28 जून को ही एलएलबी अंतिम वर्ष का परिणाम आया। डॉ. गोखरू ने 70 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। डॉ. गोखरू सरकारी सेवा में रहते हुए प्रतिदिन दो तीन घंटे मेडिकल कॉलेज के छात्रों को पढ़ाने का काम करते थे। लेकिन अब जब 2021 में 65 वर्ष की उम्र होने पर सेवानिवृत्त हुए तो कॉलेज में पढ़ाने का काम भी बंद हो गया। तब डॉ. गोखरू ने स्वयं पढ़ने का निर्णय लिया और एलएलबी की पढ़ाई शुरू कर दी। यानी जो डॉ. गोखरू बरसों तक कॉलेज में पढ़ाते रहे, उन्होंने 66 वर्ष की उम्र में छात्र बनने में कोई हिचक नहीं दिखाई। भगवंत यूनिवर्सिटी के अध्यापक बताते हैं कि डॉ. गोखरू नियमित छात्र की तरह उपस्थित रहे। 70 प्रतिशत अंक बताते हैं कि डॉ. गोखरू ने एलएलबी की पढ़ाई पर उम्र को हावी नहीं होने दिया। यही वजह है कि 69 वर्ष की उम्र में भी डॉ. गोखरू युवा नजर आते हैं। डॉ. गोखरू आज भी अजमेर के जवाहर रंगमंच के निकट इंदिरा कॉम्प्लेक्स स्थित अपने हार्ट सेंटर में मरीजों को देखने का काम करते हैं। डॉ. गोखरू जब जेएलएन अस्पताल में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख रहे, तब उन्हें पूरे अजमेर संभाग में गरीबों का डॉक्टर कहा जाता था। सरकारी अस्पतालों में एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी और हार्अ सर्जरी के लाखों रुपए लगते हैं, तब डॉ. गोखरू सरकारी अस्पताल में गरीबों का नि:शुल्क इलाज करते रहे। अजमेर संभाग में हजारों लोग मिल जाएंगे जो डॉक्टर गोखरू की वजह से ही आज सांस ले पा रहे हैं। राष्ट्रपति से गुहार: एलएलबी की डिग्री लेने के बाद भी डॉ. गोखरू अदालतों में पैरवी नहीं कर सकेंगे। डॉ. गोखरू ने बताया कि देश में मौजूदा व्यवस्ािा के अनुसार एक व्यक्ति एक प्रोफेशनल काम ही कर सकता है। चूंकि वे चिकित्सा का कार्य कर रहे हैं, इसलिए वकालत नहीं कर सकते। वकालत करने के लिए उन्हें डॉक्टरी का काम बंद करना होगा। यानी मेडिकल कौंसिल ऑफ इंडिया के रजिस्ट्रेशन को रद्द करवाना होगा। डॉ. गोखरू का कहना है कि जब व्यक्ति बहुआयामी हो रहा है, तब इस तरह के प्रतिबंध हटाए जाने चाहिए। यदि कोई डॉ. वकील के तौर पर अदालत में पैरवी करेगा तो पैरवी ज्यादा प्रभावी होगी। अभी चिकित्सा से जुड़े मुकदमों में भी एलएलबी डिग्री वाले वकील पैरवी करते हैं। जबकि ऐसे वकीलों की चिकित्सा क्षेत्र की तकनीकी बातों की जानकारी नहीं होती है। डॉ. गोखरू ने कहा कि मोदी सरकार ने देश के बहुत से कानूनों को हटा दिया है। ऐसे में एक व्यक्ति एक प्रोफेशनल के नियम को भी हटाना चाहिए। इसके लिए वह राष्ट्रपति को पत्र लिख रहे है। एलएलबी की डिग्री हासिल करने के लिए मोबाइल नंबर 9414002135 पर डॉ. आरके गोखरू को बधाई दी जा सकती है। S.P.MITTAL BLOGGER (01-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

यह माना कि हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं, लेकिन कश्मीर, बंगाल आदि राज्यों में हिंदुओं का रहना मुश्किल। बिहार में चुनाव के मद्देनजर नए वक्फ कानून की आड़ में पांच लाख मुसलमानों का जलसा।

बिहार में इसी वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं। चुनाव के मद्देनजर ही 30 जून को राजधानी पटना में मुस्लिम संगठनों ने एक बड़ा जलसा किया। दावा किया जा रहा है कि इस जलसे में पांच लाख मुसलमान एकत्रित हुए। यह जलसा नए वक्फ कानून के विरोध में किया गया। जलसे का राजनीतिक मकसद इसी से समझा जा सकता है कि भाषण देने वालों में आरजेडी, कांग्रेस, वामपंथी आदि दलों के नेता शामिल रहे। जलसे को संबोधित करते हुए आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं है। देश की आजादी में मुसलमानों का भी योगदान रहा है। इसलिए वक्फ संपत्तियों पर सरकार का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। आज केंद्र की मोदी सरकार को मुसलमानों की ताकत को देख लेना चाहिए। यह सही है कि हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं है, लेकिन यह भी हकीकत है कि इसी हिंदुस्तान के कश्मीर, पश्चिम बंगाल आदि राज्यों में हिंदुओं का रहना मुश्किल है। कश्मीर से तो चार लाख हिंदुओं को प्रताड़ित कर भगा दिया गया। आज जब अमरनाथ यात्रा हो रही है तो श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पचास हजार सुरक्षा बल तैनात किए गए है। सवाल उठता है कि जब हिंदुस्तान किसी के बाप का नहीं है तो फिर हिंदुओं का रहना मुश्किल क्यों हो रहा है? क्या कांग्रेस, आरजेडी जैसे दलों के नेताओं को हिंदुओं की सुरक्षा की चिंता नहीं करनी चाहिए। जब मंदिर जाने और भगवान के दर्शन करने वाले हिंदुओं की रक्षा करनी पड़ रही हो, तब हिंदुस्तान के हालातों का अंदाजा लगा लेना चाहिए। अच्छा हो कि कांग्रेस और आरजेडी जैसे दलों के नेता हिंदुओं के प्रति भी वैसा ही प्रेमभाव दिखाए, जैसा मुसलमानों के प्रति दिखाते हैं। जब कोई मुसलमान धार्मिक यात्रा पर जाता है तो उसे देश के किसी भी कोने में सुरक्षा की जरुरत नहीं होती। क्योंकि पूरी दुनिया में मुसलमान सबसे ज्यादा हिंदुस्तान में सुरक्षित है। लेकिन इसी हिंदुस्तान में हिंदू श्रद्धालुओं को सुरक्षा की जरुरत होती है। जहां तक नए वक्फ कानून का सवाल है तो केंद्र सरकार की ओर से पहले ही स्पष्ट किया जा चुका है कि वक्फ संपत्तियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होगा। नए कानून से वक्फ संपत्तियों को इनकम में वृद्धि होगी और इस इनकम को मुसलमानों पर ही खर्च किया जाएगा। बिहार में 20 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, इस में से अधिकांश पसमांदा (पिछड़े और गरीब) गरीब मुसलमान है। यदि पिछड़े और गरीब मुसलमानों को वक्फ संपत्तियों का लाभ मिलता है तो फिर आरजेडी और कांग्रेस के नेताओं को कोई एतराज नहीं होना चाहिए। बिहार के पसमांदा मुसलमानों को भी अपने समाज के नेताओं से सावधान रहने की जरूरत है। इन्हीं नेताओं के कारण मुसलमानों का विकास नहीं हो पाया है। S.P.MITTAL BLOGGER (01-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का पलड़ा भारी। शिवराज सिंह, मनोहर लाल खट्टर, वीडी शर्मा के नाम की भी चर्चा।

इन दिनों देश भर में भाजपा के प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए कम से कम पचास प्रतिशत राज्य इकाइयों में अध्यक्ष का होना जरूरी है। देश भर में भाजपा की 37 इकाइयां हैं और भाजपा संगठन का प्रयास है कि सभी इकाइयों पर अध्यक्ष का चुनाव हो जाए। भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा इसका फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के स्तर पर होगा। भाजपा के किसी भी नेता को यह नहीं पता कि राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनेगा, जिस नेता को अध्यक्ष बनना है उसे भी पता नहीं है। अब मीडिया भी भाजपा के पदाधिकारियों, मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों के नाम चलाने में संकोच करता है, क्योंकि हर बार मीडिया के कयास गलत साबित होता है। लेकिन अब जब प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव हो रहा है, तब राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भी केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर तथा मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नाम राष्ट्रीय मीडिया में चल रहे है। इनमें से कोई भी नेता राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए दौड़ नहीं लगा रहा। चर्चा में आने वाले नेताओं को भी पता है कि ज्यादा चर्चा होने पर नुकसान भी हो सकता है। कई मौकों पर खुद पीएम मोदी ने कहा कि मीडिया में जिन नामों की चर्चा होती है, उन पर संबंधित नेताओं को विश्वास नहीं करना चाहिए। भाजपा में काम और निष्ठा को देखकर ही चयन होता है। मीडिया में इन दिनों राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए जिन नेताओं के नाम चल रहे हैं, उनमें राजस्थान से अलवर के सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का पलड़ा सबसे भारी है। यादव पर पीएम मोदी और अमित शाह का भी भरोसा है। भाजपा की रणनीति बनाने में यादव की हमेशा सक्रिय भूमिका रहती है। अमित शाह के बाद भी राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए भूपेंद्र यादव का नाम चला था, लेकिन ऐन मौके पर जेपी नड्डा को बनाया गया। अब जब नड्डा के उत्तराधिकारी की चर्चा हो रही है तो एक बार फिर भूपेंद्र यादव का नाम सुर्खियों में है। यादव भले ही भाजपा के रणनीतिकार हो, लेकिन वे हमेशा लो प्रोफाइल में रहते हैं। यादव की उन नेताओं में पहचान है, जिन्हें कभी भी असंतुष्ट नहीं देखा गया। संगठन में जो जिम्मेदारी मिली, उसे सहर्ष स्वीकार किया। सब जानते हैं कि वर्ष 2023 में जब मोहन यादव को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया, तब शिवराज सिंह चौहान की क्या प्रतिक्रिया थी। चौहान को लगता था कि उनके मुख्यमंत्री रहते ही मध्यप्रदेश में भाजपा की जीत हुई है, इसलिए मुख्यमंत्री उन्हें ही बनाया जाएगा। हालांकि बाद में चौहान ने केंद्र में कृषि मंत्री का पद भी स्वीकार कर लिया। मनोहर लाल खट्टर को भी हरियाणा से चुनाव से पहले रातों रात हटाया गया, लेकिन भूपेंद्र यादव को संगठन और सरकार में जिन हालातों में रखा गया, उन सभी में संतोष जाहिर किया । भूपेंद्र यादव में संगठनात्मक क्षमता भी जबरदस्त है। S.P.MITTAL BLOGGER (01-07-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511