Tuesday, 9 September 2025
राजस्थान की विवादित एसआई भर्ती परीक्षा 2021 पर हाईकोर्ट समय बर्बाद न करे। एकल पीठ के फैसले पर रोक लगने से मामला और उलझा।
लम्बी कानूनी प्रक्रिया के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने गत 28 अगस्त को राजस्थान की विवादित एसआई भर्ती परीक्षा 2021 को रद्द कर दिया था। लेकिन 8 सितम्बर को हाई-कोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के फैसले पर अंतरिम रोक लगा दी। खंडपीठ अब इस मामले में 8 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। यह सही है कि देश में जो न्याय व्यवस्था है उसके अन्तर्गत हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में अपील की जाती है और सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही अंतिम माना जाता है। जब एकलपीठ के फैसले के खिलाफ अपील दायर कर खंडपीठ से विपरीत निर्णय हासिल किया गया है तो स्वाभाविक है कि जब खंडपीठ का कोई फैसला आएगा तो सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की जाएगी। यानि कोई भी पक्ष हाईकोर्ट के फैसले को अंतिम नहीं मानेगा। यानि हाईकोर्ट में समय की बर्बादी हो रही है। एकल पीठ के न्यायाधीश समीर जैन ने एसआई भर्ती परीक्षा को रद्द करने का जो आधार बनाया वह मौजूदा भाजपा सरकार की जांच एजेंसियों की रिपोर्ट, मंत्रियों की कमेठी और महाअधिवक्ता का निष्कर्ष था। सभी ने वर्ष 2021 में हुई 859 पदों वाली एसआई भर्ती की परीक्षा को रद्द करने की सिफारिश की थी। इतना ही नहीं न्यायाधीश समीर जैन ने भर्ती प्रक्रिया करवाने वाले राजस्थान लोक सेवा आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष संजय क्षौत्रिय, सदस्य बाबूलाल कटारा, रामूराम रायका तथा मौजूदा सदस्य श्रीमति संगीता आर्य और मंजू शर्मा (अब इस्तीफा दे दिया है) को भी परीक्षा का पेपर लीक करने और अन्य गड़बदियों के लिए जिम्मेदार माना। एकलपीठ का आदेश कांच की तरह साफ था, लेकिन फिर भी जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने अंतरिम रोक लगा दी। स्वाभाविक है कि अब खंडपीठ में भी लम्बी कानूनी प्रक्रिया चलेगी। असल में इस विवादित र्ती परीक्षा में दो पक्ष है। एक पक्ष चाहता है कि परीक्षा रद्द हो जाए और दूसरा पक्ष चाहता है कि परीक्षा रद्द न हो और उन अभ्यर्थियों के खिलाफ ही कार्यवाही हो जिन्होनें परीक्षा से पूर्व प्रश्नपत्र हासिल किया। जो पक्ष परीक्षा रद्द करवाना चाहता है उसके भरोसे कांग्रेस और आरएलपी जैसे राजनैतिक दल खड़े है जबकि परीक्षा रद्द न हो वाले पक्ष के साथ भाजपा की सरकार खड़ी है। यही वजह रही कि 8 सितम्बर को जब खंडपीठ ने एकलपीठ के फैसले पर अंतरिम रोक लगायी तो सरकार ने अपनी और से कोई विचार नहीं रखा। असत में मुख्यमंत्री भाजनलाल शर्मा भी चाहते है कि इस मामले में पृथकीकरण की नीति अपनायी जाए। यानि जिन अभ्यर्थियों ने गड़बड़ी की है उन्हें ही चयन प्रक्रिया से अलग कर दिया जाए तथा जिन अभ्यर्थियों ने ईमानदारी और मेहनत के साथ परीक्षा उत्तीर्ण की है उन्हें थानेदार पद पर नियुक्ति दे दी जाए । आयोग ने 859 अभ्यर्थियों का चयन किया था। सरकार द्वारा इन चयनित थानेदारों को ट्रेनिंग भी दे दी गई। लेकिन इस बीच पेपर लीक का कांड उजागर हो गया। एसओजी और एसआईटी ने अब तक 55 ऐसे थानेदारों को जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ कोई आरोप सावित पकड़ा है। जिन्होनें गड़बड़ी कर परीक्षा उत्तीर्णकी। नहीं हुआ है वे की सजा उन्हें न मिले । अभी भी 8 सो से भी ज्यादा वे भी चाहते है कि बेईमान अभ्यर्थियों ऐसे अभ्यर्थी है जो स्वय को इमानदार बताते है। परीक्षा रद्द न हो इसके लिए सभी चयनित 8 सौ अभ्यर्थी एकजुट है। एसआई भर्ती का यह मामला खंडपीठ के आदेश से और उलझ गया है। सवाल यह भी है कि जब सरकार और जांच एजेंसियों ने यह मान लिया कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बडी हुई है तो अब क्यों जोर दिया जा रहा पृथकीकरण की नीति पूर क च्छा हो कि इस मामले में जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट का आदेश सामने आए। रहा है?
S.P.MITTAL BLOGGER (09-09-2025)
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