Sunday, 7 September 2025
लिव इन रिलेशनशिप से उत्पन्न संतान को भी मुआवजा मिलेगा। आखिर हमारा समाज किधर जा रहा है? ऐसे युवाओं के माता-पिता कहां है?
राजस्थान के जोधपुर के अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट संख्या-2 प्रवीण चौधरी ने घरेलू हिंसा के एक मामले में पीड़ित और उसकी नाबालिग पुत्री को प्रतिमाह दस हजार रुपए का अंतरिम भरण पोषण मुआवजे के रूप में देने के आदेश दिए हैं। अदालत में पीड़िता ने बताया कि वह प्रेम सिंह नाम के युवक के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह रही थी और तभी एक बच्ची का जन्म हो गया। लेकिन बच्ची के जन्म के बाद प्रेम सिंह ने उसके साथ रहना छोड़ दिया। अदालत को बताया गया कि लिव इन रिलेशनशिप का इकरारनामा भी हुआ है। इसी आधार पर अदालत ने पीडि़ता को प्रेम सिंह की पत्नी मानते हुए भरण पोषण की राशि दिलवाने के आदेश दिए। लेकिन सवाल उठता है कि आखिर हमारा समाज किधर जा रहा है। जब युवा बगैर शादी के साथ रहेंगे और संतान उत्पन्न करेंगे तो फिर समाज के हालातों का भी अंदाजा लगाया जा सकता है। जोधपुर के प्रकरण में सवाल उठता है कि जो बच्ची शादी के बगैर ही उत्पन्न हो गई उसका भविष्य क्या होगा? देश के लोकतंत्र में अब लिव इन रिलेशनशिप को भी कानूनी मान्यता मिल रही है। लेकिन भारत के समाज के लिए यह बेहद खतरनाक स्थिति है। सवाल यह भी उठता है कि जो युवक युवती शादी से पहले एक साथ रह रहे हैं, आखिर उनके माता पिता कहां हैं? क्या माता पिता का यह दायित्व नहीं की वे लिव इन रिलेशनशिप जैसी कुप्रथा को रोके। एक माता पिता आखिर ये कैसे स्वीकार कर रहे हैं कि उनका लड़का या लड़की बिना शादी के कैसे रह रहे हैं। अदालत ने भले ही पीड़ित लड़की को भरण पोषण का खर्चा दिलवा दिया हो, लेकिन लिव इन रिलेशनशिप की प्रथा भारतीय समाज के लिए बेहद खतरनाक है। जो माता पिता अपने बच्चों को बड़े महानगर में पढ़ने या नौकरी करने के लिए भेजते हैं, उन्हें ऐसे संस्कार देने चाहिए कि विवाह से पहले बच्चों को जन्म न हो।
S.P.MITTAL BLOGGER (07-09-2025)
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