Saturday, 22 November 2025
उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफे के बाद जगदीप धनखड़ नाराज होते तो न संघ के कार्यक्रम में आते और न भोपाल के राजभवन में ठहरते।
जगदीप धनखड़ ने गत जुलाई माह में उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दिया था। तभी से देश में यह चर्चा रही कि धनखड़ ने नाराजगी की वजह से इस्तीफा दिया है। हालांकि धनखड़ ने अभी तक भी कोई नाराजगी प्रकट नहीं की है। इस्तीफे के बाद 21 नवंबर को पहला अवसर है, जब धनखड़ किसी सार्वजनिक समारोह में नजर आए और भाषण भी दिया। 21 नवंबर को धनखड़ ने भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य की पुस्तक हम और यह विश्व का विमोचन किया। अपने संबोधन में धनखड़ ने सिर्फ इतना ही कहा कि देश ऐसे दौरे में है जहां धारणा और नेरेटिव सच तय करते हैं, भगवान करे कोई नेरेटिव न फंसे। मैं अपना उदाहरण नहीं दे रहा, पर मुझे नैरेटिव का शिकार बनाना चाहते हैं। धनखड़ का यह कथन बताता है कि उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफे को लेकर बहुत कुछ घटित हुआ है। जिसका धनखड़ को दुख है, लेकिन वे कोई नाराजगी नहीं दिखाना चाहते। उनका प्रयास है कि जो भ्रांति हुई उसे दूर किया जाए। यदि धनखड़ के मन में मोदी सरकार के प्रति कोई नाराजगी होती है तो उन्हें संघ के कार्यक्रम में नहीं बुलाया जाता। 21 नवंबर को धनखड़ भोपाल प्रवास के दौरान राजभवन में ही ठहरें। राजभवन में ठहरना भी यह दर्शाता है कि धनखड़ और सरकार के बीच कोई विवाद नहीं है। भले ही भोपाल प्रवास में धनखड़ की मुलाकात मध्यप्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल से न हुई हो, लेकिन राजभवन में चार घंटे तक धनखड़ का ठहराव राज्यपाल की सहमति से ही हुआ है। धनखड़ के इस्तीफे के बाद विपक्ष भी धनखड़ से विरोध की उम्मीद लगाए बैठा है, लेकिन अभी तक भी धनखड़ ने विपक्ष को कोई मुद्दा नहीं दिया है। 21 नवंबर को भी भोपाल यात्रा के बाद तो यह उम्मीद लगाई जा रही है कि धनखड़ एक बार फिर देश की राजनीति की मुख्यधारा से जुड़ सकते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (22-11-2025)
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