Monday, 17 November 2025

मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपलों और अस्पताल अधीक्षकों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाने के मामले में राजस्थान के सरकारी डॉक्टरों में दो फाड़। सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर्स सरकार के समर्थन में आए।

17 नवंबर को जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज से जुड़े 12 अस्पतालों के अधीक्षकों ने कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। यह इस्तीफा राज्य सरकार के उस फैसले के विरोध में दिया गया, जिसमें प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों और अस्पताल अधीक्षकों की निजी प्रैक्टिस पर रोक लगाई गई थी। यानी जो डॉक्टर मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल और अस्पताल का अधीक्षक बन जाएगा वह अपने घर पर मरीजों को नहीं देख सकेगा। इस आदेश के पीछे सरकार का तर्क रहा कि कॉलेज के प्रिंसिपल और अधीक्षक को अनेक प्रशासनिक काम करने होते हैं। इसलिए उन्हें ज्यादा समय कॉलेज और अस्पताल में देना होता है। यदि घर पर मरीजों को देखेंगे तो फिर कॉलेज और अस्पताल का प्रबंधन नहीं कर पाएंगे। सरकार के इस फैसले के खिलाफ ही जयपुर में अधीक्षकों ने इस्तीफे दिए हैं। ऐसे इस्तीफे प्रदेश भर के मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों के प्रिंसिपल व अधीक्षक भी दे सकते हैं। इस्तीफा देने वाले चाहते हैं कि वे प्रिंसिपल और अधीक्षक के पद भी कार्य करते रहे और घर पर मरीजों को भी देखते रहे। फिलहाल सरकार ने इस्तीफों की धमकी के सामने झुकने से इंकार कर दिया है। सरकार में बैठे बड़े अधिकारियों का कहना है कि जो अधीक्षक इस्तीफा दे रहे हैं, उनकी जगह नए अधीक्षकों की नियुक्ति कर दी जाएगी। लेकिन अब मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वो ही प्रिंसिपल और अधीक्षक रहेंगे जो घर पर प्रैक्टिस नहीं करेंगे। सरकार के इस फैसले के समर्थन में सेवारत डॉक्टर्स भी आ गए हैं। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश महामंत्री दुर्गाशंकर सैनी ने कहा कि प्रदेश के 15 हजार सरकारी डॉक्टर्स सरकार के साथ है। यदि कोई अधीक्षक काम नहीं करना चाहता है तो सेवारत डॉक्टर्स अपनी सेवाएं देने को तैयार है। डॉक्टर सैनी ने कहा कि सरकार को कुछ अधीक्षकों की ब्लैकमेलिंग के सामने नहीं झुकना चाहिए। सेवारत चिकित्सकों के समर्थन से प्रदेश के सरकारी चिकित्सकों में दो फाड़ हो गई है। यह सही है कि सरकारी डॉक्टरों के घरों पर इसलिए भीड़ लगती है कि वे सरकारी अस्पतालों में काम करते हैं। ऐसे अनेक चिकित्सक मिल जाएंगे जो घर पर मोटी फीस लेकर अस्पताल में मरीज का इलाज फ्री करते हैं। सरकार ने प्रिंसिपल और अधीक्षक की निजी प्रैक्टिस पर जो रोक लगाई है उसका समर्थन प्राइवेट हॉस्पिटल्स एसोसिएशन ने भी किया है। यानी सरकार को सरकारी डॉक्टरों के साथ साथ प्राइवेट डॉक्टरों का भी समर्थन मिल गया है। S.P.MITTAL BLOGGER (18-11-2025) Website- www.spmittal.in Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11 Blog- spmittal.blogspot.com To Add in WhatsApp Group- 9166157932 To Contact- 9829071511

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