Monday 26 September 2022

अशोक गहलोत की बगावत से सदमे में है गांधी परिवार।भारत जोड़ों यात्रा कर रहे राहुल गांधी ने केसी वेणुगोपाल को केरल से दिल्ली भेजा।राजस्थान के संकट पर अब सोनिया गांधी फैसला लेंगी। अधिकांश विधायक पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं-अजय माकन।

राजस्थान में मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अशोक गहलोत ने जो खुली बगावत की है। उससे गांधी परिवार सदमे में है। भारत जोड़ों यात्रा कर रहे राहुल गांधी ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को केरल से दिल्ली भेज दिया है। विधायकों से रायशुमारी करने आए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडग़े और प्रदेश प्रभारी अजय माकन को दिल्ली बुला लिया गया है। गहलोत की बगावत का सबसे ज्यादा सदमा कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को लगा है। असल में गांधी परिवार में गहलोत की सबसे बड़ी समर्थक सोनिया गांधी ही थी। जानकार सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी को इस बात का मलाल है कि अशोक गहलोत ने अपने विधायकों का अलग गुट बना लिया है। गहलोत को तो हमेशा कांग्रेस और गांधी परिवार के साथ माना गया। अच्छा होता कि गहलोत के समर्थक विधायक अपनी भावनाओं को पर्यवेक्षक खडग़े और अजय माकन के समक्ष व्यक्त करते 93 विधायकों के इस्तीफों की धमकी दिलवाकर गहलोत ने कांग्रेस में गांधी परिवार के नेतृत्व को ही चुनौती देदी है। सवाल उठता है कि कपिल सिब्बल और अशोक गहलोत में क्या फर्क है। राज्यसभा का दोबारा सदस्य न बनाने पर सिब्बल ने कांग्रेस छोड़ दी। अब मर्जी का सीएम न बनाने पर गहलोत ने 93 विधायकों का अलग गुट बना लिया। सिब्बल तो कांग्रेस छोड़ कर चले गए, लेकिन गहलोत तो कांग्रेस में रह कर बगावत कर रहे हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार केरल में पदयात्रा कर रहे राहुल गांधी ने गहलोत की बगावत को गंभीरता से लिया है। हाल ही में गहलोत ने कोच्चि में जब राहुल गांधी से मुलाकात की, तभी राहुल गांधी ने नए मुख्यमंत्री के नाम के संकेत गहलोत को दे दिए थे। ऐसा प्रतीत होता है कि गहलोत तभी से अपना गुट बनाने में सक्रिय हो गए थे। 93 विधायकों को एकजुट करना कोई आसान काम नहीं है, लेकिन गहलोत ने कोच्चि से लौटने के दो दिन में 93 विधायकों को एकजुट कर दिया। राजनीति में ऐसा कार्य अशोक गहलोत जैसा नेता ही कर सकता है। असल में गहलोत चाहते थे कि नए मुख्यमंत्री का चयन कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के बाद हो। लेकिन गहलोत को हाईकमान की ओर से निर्देश दिए गए की नामांकन के साथ ही वे मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर दें। गहलोत को गांधी परिवार का यह निर्देश नागवार लगा। यही वजह रही कि सोनिया गांधी द्वारा नियुक्त पर्यवेक्षकों को जयपुर में बेइज्जत होना पड़ा। गांधी परिवार को अशोक गहलोत से ऐसी उम्मीद नहीं थी, जब गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ी, तब भी उन्हें सत्ता का लालची बताया गया। खुद अशोक गहलोत ने बताया कि गुलाम नबी आजाद कितने समय तक केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता रहे। गहलोत ने कांग्रेस छोड़ने पर आजाद की जमकर आलोचना की, लेकिन आज वही अशोक गहलोत गांधी परिवार के सामने सीना तान कर खड़े हैं। गहलोत के समर्थक विधायक खुलेआम कह रहे कि हम गांधी परिवार के निर्णय से सहमत नहीं है। गहलोत की इस बगावत से जाहिर है कि अब कांग्रेस में वही लाग रहेंगे, जिन्हें सत्ता मिली हुई है। जिस प्रकार गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस में रह कर सत्ता का सुख भोगा उसी प्रकार अशोक गहलोत ने भी कांग्रेस में रहकर सत्ता का मजा लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब जब गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटा कर संगठन की जिम्मेदारी दी जा रही है तो उन्होंने खुली बगावत कर दी है। जब अशोक गहलोत जैसा नेता ही बगावत कर रहा है, तब गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल की बगावत बेमानी है।

पायलट के पक्ष में नहीं:
26 सितंबर को दिल्ली रवाना होने से पहले जयपुर में कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा कि राजस्थान के ताजा राजनीतिक संकट पर अब कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ही फैसला लेंगी। उन्होंने कहा कि वे चाहते थे कि मुख्यमंत्री के बारे में कांग्रेस विधायकों की राय ली जाए। कांग्रेस के जो विधायक बैठक में नहीं आए उनसे संवाद किया जाएगा। माकन ने माना कि कांग्रेस के अधिकांश विधायक सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में नहीं है। उन्होंने हय भी कहा कि मुख्यमंत्री बनाने पर अभी किसी भी विधायक का नाम तय नहीं हुआ है। 
S.P.MITTAL BLOGGER (26-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से पहले ही अशोक गहलोत ने गांधी परिवार के मुकाबले में अपना गुट बनाया।खुली बगावत के बाद क्या अब अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनने के लायक रहे हैं?सवाल! अब सचिन पायलट की कांग्रेस में क्या भूमिका रहेगी?

गांधी परिवार का भरोसा था कि अशोक गहलोत उनके सबसे भरोसेमंद नेता हैं, इसलिए गांधी परिवार ने गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने पर सहमति जताई। 17 अक्टूबर को होने वाले चुनाव के लिए गहलोत को 27 सितंबर को नामांकन करना है, लेकिन अध्यक्ष बनने से पहले ही गहलोत ने कांग्रेस में गांधी परिवार के मुकाबले अपना गुट बना लिया है। 25 सितंबर को अशोक गहलोत (कांग्रेस नहीं) के शासन वाले राजस्थान के जयपुर में जो राजनीतिक संकट खड़ा हुआ, उसकी कल्पना गांधी परिवार खासकर सोनिया गांधी ने कभी नहीं की थी। गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर राजस्थान में सरकार के नए मुख्यमंत्री के बारे में राय जानने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के निर्देशों पर कांग्रेस के विधायकों की बैठक मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर रात 8 बजे बुलाई गई। चूंकि अभी सोनिया गांधी ही कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष है, इसलिए राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े और प्रदेश प्रभारी अजय माकन को ऑब्र्जवर बना कर भेजा गया। लेकिन इसे गांधी परिवार के लिए शर्मनाक स्थिति ही कहा जाएगा कि बैठक में गहलोत गुट का कोई भी विधायक नहीं आया। संभवत: कांग्रेस के इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब विधायकों ने कांग्रेस के ऑब्र्जवरों की इतनी बेईज्जती की हो। गांधी परिवार के लिए गंभीर बात तो यह है कि दिखाने के लिए अशोक गहलोत अपने सरकारी आवास पर बैठक की तैयारी करते रहे और समर्थक विधायक वरिष्ठ मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर एकत्रित होते रहे। नए मुख्यमंत्री के बारे में राय देने के बजाए गहलोत समर्थक विधायकों ने गांधी परिवार द्वारा बुलाई बैठक पर ही आपत्ति कर दी। गहलोत के विधायकों ने कहा कि नए मुख्यमंत्री के बारे में राय जानने का जो तरीका अपनाया है, उससे नाराज होकर हम सभी विधायक पद से इस्तीफा दे रहे हैं। प्रदेश में 200 में से 106 कांग्रेस के विधायक हैं और 93 विधायकों ने गहलोत के प्रति अपना समर्थन जताया है। गांधी परिवार किसे मुख्यमंत्री बनाएगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन गहलोत को आशंका है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। पायलट को रोकने के लिए ही गहलोत ने गांधी परिवार के खिलाफ खुली बगावत कर दी है। इसे कांग्रेस में होने वाला मजाक ही कहा जाएगा कि गहलोत गुट जिन सीपी जोशी को नया सीएम बनाने की मांग कर रहा है, उन्हीं सीपी जोशी को विधानसभा अध्यक्ष की हैसियत से इस्तीफे का सामूहिक पत्र दिया जा रहा है।
 
क्या गहलोत अब अध्यक्ष बनने के लायक हैं:
मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए अशोक गहलोत ने जो खुली बगावत की है, उसमें सवाल उठता है कि क्या अब गहलोत कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लायक रहे हैं? सवाल यह भी है कि आखिर पिछले 40 वर्षों से गांधी परिवार ने गहलोत को क्या नहीं दिया? परसराम मदेरणा से लेकर सचिन पायलट तक का हक मार कर गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया और अब जब गांधी परिवार के प्रति वफादारी दिखाने की बात सामने आई तो खुली बगावत कर दी। कांग्रेस में तो यही परंपरा रही है कि विधायक दल की बैठक में मुख्यमंत्री का निर्णय हाईकमान पर ही छोड़ा जाता है, लेकिन आज इस परंपरा को गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद अशोक गहलोत ने ही तोड़ दिया हे। सवाल उठता है कि 1998, 2008 और 2018 में गहलोत ने कांग्रेस विधायकों की राय को तवज्जो क्यों नहीं दी? असल में तब गांधी परिवार ने गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। हालांकि तब गहलोत को विधायकों का समर्थन नहीं था। लेकिन तब भी कांग्रेस विधायकों ने हाईकमान के निर्णय को स्वीकार किया। 2018 में तो हाईकमान ने गहलोत को तब सीएम बनाया, जब कांग्रेस को जीत सचिन पायलट के नेतृत्व में मिली थी। अशोक गहलोत बगावत तब कर रहे हैं, जब उनके नेतृत्व में कांग्रेस सरकार कभी रिपीट नहीं हुई। गहलोत के सीएम रहते एक बार 56 और दूसरी बार मात्र 21 सीटें मिली।
 
पायलट की अब क्या भूमिका होगी?
93 कांग्रेस विधायकों की राय के बाद सवाल उठता है कि कांग्रेस में अब सचिन पायलट की क्या भूमिका होगी? पायलट को मुख्यमंत्री पद से रोकने के लिए अशोक गहलोत को जो कुछ भी करना था वह उन्होंने कर दिया है। पायलट को भले ही कांग्रेस हाईकमान का समर्थन हो, लेकिन अब पायलट का राजस्थान का मुख्यमंत्री बनना संभव नहीं है। ऐसे में पायलट की भूमिका के बारे में आने वाले दिनों में पता चलेगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Saturday 24 September 2022

भारत में जो लोग मुस्लिम लड़कियों के लिए स्कूल-कॉलेजों में हिजाब पहनना जरूरी बता रहे हैं, वे मुस्लिम राष्ट्र ईरान की घटनाओं से सबक लें।धर्मनिरपेक्ष भारत में मुस्लिम महिलाएं हिजाब और बुर्का पहनने के लिए स्वतंत्र हैं।

भारत में कुछ लोग चाहते हैं कि मुस्लिम लड़कियों को स्कूल कॉलेजों की कक्षाओं में हिजाब पहनने की स्वतंत्रता मिले। ऐसी मांग तब की जा रही है, जब लाखों मुस्लिम लड़कियां ईसाई मिशनरीज और पब्लिक स्कूलों व कॉलेजों में पढ़ रही हैं। सब जानते हैं कि मिशनरीज शिक्षण संस्थान में ड्रेस कोड है। सभी मुस्लिम छात्राएं भी निर्धारित ड्रेस कोड का पालन करती है। किसी भी मुस्लिम अभिभावक ने मिशनरीज के ड्रेस कोड पर एतराज नहीं किया है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग छात्राओं के हिजाब पहनने पर जोर दे रहे हैं। यहां तक की हिजाब की तुलना हिन्दू लड़कियों की साड़ी के पल्लू से की जा रही है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है। यहाँ हर व्यक्ति को अपने धर्म के अनुरूप रहने की स्वतंत्रता है। यदि कोई मुस्लिम महिला बुर्का या हिजाब पहन कर बाजार जाती है तो उस पर कोई प्रतिबंध नहीं है। यानी सरकार की ओर से बुर्का या हिजाब पहनने पर कोई रोक नहीं है। भले ही कुछ देशों में महिलाओं के बुर्का पहनने पर रोक लगा दी हो, लेकिन भारत में मुस्लिम महिलाएं बुर्का पहन कर वोट भी देती हैं। जो लोग भारत में मुस्लिम छात्राओ के लिए कक्षा में हिजाब को जरूरी बता रहे हैं, उन्हें मुस्लिम राष्ट्र ईरान की ताजा घटनाओं से सबक लेना चाहिए। सब जानते हैं कि ईरान में कट्टरपंथी सरकार है, लेकिन इसके बाद भी ईरानी महिलाएं सार्वजनिक स्थलों पर प्रदर्शन कर हिजाब को उतार रही हैं। मुस्लिम महिलाओं के हिजाब विरोधी प्रदर्शनों के वीडियो भारतीय न्यूज़ चैनलों पर भी प्रसारित हो रहे हैं। इन वीडियो से जाहिर है कि ईरान की मुस्लिम महिलाएं हिजाब की बंदिशों से बाहर आना चाहती है। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि ईरान में महिलाओं के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य है। सरकार की इस अनिवार्यता के बाद मुस्लिम महिलाएं हिजाब नहीं पहनना चाहती। सरकार की लाख कोशिशों के बाद भी ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन नहीं रुक रहे हैं। कई जगह तो पुलिस और प्रदर्शनकारी महिलाओं में झड़प हो रही है। भारत में कुछ लोग हिजाब का समर्थन में देशव्यापी अभियान चला रहे हैं। ऐसे लोगों को चाहिए कि पहले मुस्लिम लड़कियों को मिशनरी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने से रोकें। ऐसा नहीं हो सकता कि अनेक मुस्लिम परिवारों की लड़कियों ड्रेस कोड का पालन कर मिशनरी शिक्षण संस्थानों में पढ़ें और सामान्य मुस्लिम परिवारों की लड़कियां सरकारी स्कूलों में हिजाब पहन कर पढ़ाई करें। 


S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

नामांकन के साथ ही मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सकते हैं अशोक गहलोत।कांग्रेस विधायक दल की बैठक में नए मुख्यमंत्री का फैसला कांग्रेस हाईकमान पर छोड़ा जाएगा।कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने की जिम्मेदारी अशोक गहलोत की ही होगी।

अभी यह तो नहीं कहा जा सकता कि राजस्थान में अशोक गहलोत के बाद सचिन पायलट ही मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन माना जा रहा है कि अशोक गहलोत जब कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करेंगे तभी मुख्यमंत्री का पद छोड़ने का ऐलान कर देंगे। इसके बाद जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई जाएगी। कांग्रेस की परंपरा के अनुसार विधायक दल की बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पास किया जाएगा, जिसमें मुख्यमंत्री तय करने की जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान पर डाली जाएगी। इसी परंपरा को दिसंबर 2018 में भी अपनाया गया था, तब हाईकमान ने अशोक गहलोत के नाम पर मोहर लगाई। इस बार भी मुख्यमंत्री के नाम पर कांग्रेस का नेतृत्व करने वाला गांधी परिवार ही मोहर लगाएगा। जानकारों की माने तो गांधी परिवार का झुकाव सचिन पायलट की ओर है। हाईकमान की ओर से गहलोत को कहा गया है कि राजस्थान में कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने की जिम्मेदारी उन्हीं की है। यानी जिस प्रकार गहलोत ने अपनी सरकार के लिए विधायकों को एकजुट रखा उसी प्रकार अब कांग्रेस की सरकार के लिए भी विधायकों को एकजुट रखना होगा। जिस प्रकार दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री की दौड़ में पायलट सबसे आगे थे, उसी प्रकार अब सितंबर 2022 में भी पायलट सबसे आगे हैं। पायलट ने 23 सितंबर को ही विधानसभा पहुंच कर कांग्रेस विधायकों के साथ संवाद स्थापित किया। बाबूलाल नागर जैसे विधायक कल तक अशोक गहलोत के समर्थन में कसीदे पढ़ रहे थे, वही नागर अब पायलट की स्तुति करने लगे हैं। गहलोत के कई मंत्रियों ने भी पायलट से संपर्क किया है। पायलट के समर्थकों को उम्मीद है कि कांग्रेस हाईकमान अब सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करेगा। यह बात अलग है कि कोच्चि से लौटने के बाद पायलट और गहलोत के बीच कोई मुलाकात नहीं हुई है। हो सकता है कि जल्द ही दोनों के बीच मुलाकात हो, बदले हुए हालातों में पायलट के समर्थक बेहद उत्साहित है। जानकार सूत्रों के अनुसार गहलोत ने अपने स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा था, लेकिन हाईकमान ने जोशी के नाम पर कोई रुचि नहीं दिखाई। सब जानते हैं कि पायलट से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम का पद छीन लेने के बाद भी राजस्थान में पायलट की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई। पिछले दो वर्ष में बिना पद के ही पायलट जहां भी गए, वहां लोगों की भीड़ जमा हो गई। गत विधानसभा चुनाव में सचिन पायलट के प्रभाव की वजह से ही भाजपा का एक भी गुर्जर उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत सका, जबकि गुर्जर बाहुल्य क्षेत्रों से कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव जीत गए। जानकार सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत 27 सितंबर को कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए दिल्ली में नामांकन भरेंगे। इसके दो तीन दिन बाद ही जयपुर में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई जा सकती है। अध्यक्ष पद के नामांकन की अंतिम तिथि 30 सितंबर हैं। आवश्यकता होने पर 17 अक्टूबर को मतदान होगा। 19 अक्टूबर को परिणाम आएंगे। यदि 30 सितंबर तक किसी अन्य नेता का नामांकन नहीं होता है तो 1 अक्टूबर को अशोक गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया जाएगा। अशोक गहलोत के समर्थक चाहते हैं कि गहलोत को निर्विरोध अध्यक्ष बनाया जाए, इसके लिए गहलोत समर्थक सक्रिय हो गए हैं। गहलोत ने भी अब सारा ध्यान राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर केंद्रित कर लिया है। गहलोत अब धूमधाम से अध्यक्ष पद पर अपनी ताजपोशी करवाना चाहते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

राजनीतिक उथल-पुथल के बीच आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने पुष्कर में अपनी सक्रियता को और बढ़ाया।राठौड़ की पहल पर ही पुष्कर में हुआ, सरकारी वकीलों का प्रदेश स्तरीय सम्मेलन। राठौड़ का शानदार स्वागत।

राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्के समर्थक हैं, अब जब गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष और राजस्थान में नया मुख्यमंत्री बनाने की कवायद चल रही है, तब राठौड़ ने पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में अपनी सक्रियता और बढ़ा दी है। राठौड़ पुष्कर से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। चूंकि राठौड़ का पैतृक गांव नांद (पुष्कर) है, इसलिए कांग्रेस उम्मीदवारी पर उनका दावा सशक्त बताया जा रहा है। राठौड़ ने 24 सितंबर को पुष्कर में आयोजित प्रदेश भर के सरकारी वकीलों के सम्मेलन में भाग लिया। यह सम्मेलन राठौड़ की पहल पर ही पुष्कर में हुआ। अजमेर जिले की विभिन्न अदालतों में राठौड़ के प्रयासों से ही सरकारी वकील नियुक्त हुए हैं। आमतौर पर सत्तारूढ़ दल की विचारधारा वाले वकीलों को ही सरकारी वकील नियुक्त किया जाता है। अजमेर के राजकीय जिला अभिभाषक विवेक पाराशर भी कांग्रेस के कार्यकर्ता हैं। पाराशर का पुष्कर के पाराशर समाज में दखल है। सरकारी वकीलों के प्रांतीय सम्मेलन की बागडोर पाराशर के हाथ में ही है। हालांकि 24 सितंबर को राठौड़ को जयपुर में अनेक राजनीतिक बैठकों में भाग लेना था, लेकिन राठौड़ ने पुष्कर को प्राथमिकता दी। पुष्कर के विकास में भी राठौड़ पिछले एक वर्ष से सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। पुष्कर के ऐतिहासिक ब्रह्मा मंदिर के भवन की मरम्मत के कार्य की अनुमति भारतीय पुरातत्व विभाग से दिलवाने में राठौड़ के प्रयास ही सफल रहे। पुष्कर के पवित्र सरोवर में गंदा पानी न जाए। इसके लिए राज्य सरकार से अतिरिक्त धनराशि भी स्वीकृत करवाई। पुष्कर के टूरिस्ट बंगलों के जीर्णोद्धार के लिए एक करोड़ रुपया का आवंटन भी किया गया। राठौड़ पुष्कर में होने वाले धार्मिक समारोह में भी सक्रिय रहे हैं। तीर्थ गुरु होने के कारण पुष्कर में विभिन्न समाजों की धर्म शालाएं और राष्ट्रीय स्तर के कार्यालय है। समाजों के होने वाले राष्ट्रीय और प्रांतीय सम्मेलनों में भी राठौड़ मुख्य अतिथि के तौर पर भाग ले रहे हैं। हालांकि पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर का दावा भी सशक्त है, लेकिन अशोक गहलोत के संरक्षण के कारण राठौड़ का दावा भी मजबूत माना जा रहा है। राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद राजस्थान के टिकट बंटवारे में गहलोत की राय और अहम हो जाएगा। धर्मेन्द्र राठौड़ को गहलोत सरकार का संकट मोचक भी कहा जाता है। सियासी संकट के समय भी राठौड़ ने विधायकों को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Friday 23 September 2022

राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अशोक गहलोत ने कहा कि अब मैं ही कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनूंगा।40 साल के राजनीतिक जीवन में यह पहला अवसर है, जब अशोक गहलोत को गांधी परिवार के प्रति सही मायने में वफादारी दिखानी है।पहली बार नर्वस नजर आए गहलोत।

23 सितंबर को सुबह अशोक गहलोत ने केरल के कोच्चि में राहुल गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद गहलोत ने कहा कि अब मैं ही कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनूंगा। इसके लिए संभवत: 27 सितंबर नामांकन दाखिल करुंगा। यानी अब अध्यक्ष का चुनाव लडऩे में गहलोत के नाम पर कोई सस्पेंस नहीं रहा है। गहलोत की उम्र 71 के पार है और उनका राजनीतिक जीवन 40 वर्ष से अधिक है। गहलोत को राजनीति में जो सफलता मिली, वह शायद ही किसी कांग्रेस के नेता को नहीं मिली। पांच बार सांसद रह कर कई बार केंद्रीय मंत्री रहे। चार बार विधायक बन कर तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने। जब केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री नहीं होते, तब गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय महामंत्री बनते रहे हैं। गांधी परिवार की मेहरबानी के कारण गहलोत ने राजनीति में कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार ने परसराम मदेरणा, सीपी जोशी और सचिन पायलट जैसे कद्दावर नेताओं का हक मार कर गहलोत को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया। चूंकि गहलोत गांधी परिवार से कुछ न कुछ प्राप्त करते रहे, इसलिए वफादारी दिखाने में कभी कोई परेशानी नहीं हुई। लेकिन चालीस वर्ष के राजनीतिक जीवन में यह पहला अवसर है, जब गहलोत को सही मायने में गांधी परिवार के प्रति वफादारी दिखानी होगी। यह वफादारी भी तब दिखानी है, जब गहलोत से मुख्यमंत्री का पद वापस लिया जा रहा है। गहलोत के कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में कोई संशय नहीं है। लेकिन गहलोत के सामने सबसे बड़ी चुनौती राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को बनाए रखना है। अब तक गहलोत ने स्वयं की सरकार को बचाया, लेकिन अब कांग्रेस सरकार को बचाने की चुनौती है। गहलोत बार-बार कहते हैं कि मैं कांग्रेस का निष्ठावान कार्यकर्ता हंू। मेरे लिए पद कोई मायने नहीं रखता है। गहलोत को अब अपने इस बयान पर खरा उतरना है। सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री का पद छोड़ कर कांग्रेस का अध्यक्ष बनने में गहलोत की भी कोई रुचि नहीं थी। यानी यह पहला मौका है, जब गहलोत की अरुचि के बाद भी उन्हें मुख्यमंत्री के पद से राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर स्थानांतरित किया जा रहा है। चूंकि मुख्यमंत्री का पद जरबन लिया जा रहा है, इसलिए 23 सितंबर को राहुल गांधी से मुलाकात के बाद अशोक गहलोत बेहद नर्वस नजर आए। गहलोत ने जयपुर रवाना होने से पूर्व जब कोच्चि के मीडिया से संवाद किया तो गहलोत के चेहरे पर साफ लग रहा था कि इस बार वे गांधी परिवार के फैसले से खुश नहीं है। जानकारों की मानें तो सोनिया गांधी इस पर सहमत हो गई थी कि अशोक गहलोत अध्यक्ष पद के साथ साथ मुख्यमंत्री पद पर भी बने रहेंगे। लेकिन राहुल गांधी ने मुलाकात में गहलोत से दो टूक शब्दों में कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ेगा। सूत्रों के अनुसार गांधी परिवार की प्रमुख सदस्य और कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी भी गहलोत को सिर्फ कांग्रेस अध्यक्ष पद पर ही देखना चाहती है। जब देखना होगा कि अशोक गहलोत राजस्थान में कांग्रेस की सरकार किस तरह बचाते हैं। राजस्थान में कुल 200 विधायक है। बसपा के विधायकों के समर्थन से कांग्रेस के पास 107 विधायकों का बहुमत है। इसे गहलोत का राजनीतिक कौशल ही कहा जाएगा कि प्रदेश के सभी 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी ले रखा है। लेकिन बसपा वाले 6 विधायक और 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन अशोक गहलोत कांग्रेस सरकार को दिलाते रहेंगे। इसकी अब कोई गारंटी नहीं है, जो लोग अशोक गहलोत की राजनीति को समझते हैं उन्हें पता है कि अशोक गहलोत सरकार और कांग्रेस की सरकार में बहुत अंतर है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

लोकतंत्र की दुहाई देने वाला मुस्लिम संगठन पीएफआई अब देश के संविधान पर भरोसा क्यों नहीं करता?सड़कों पर हिंसा करने के बजाए अदालत में स्वयं को निर्दोष साबित करे।

23 सितंबर को मुस्लिम संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यकर्ताओं के केरल और अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया। केरल में तो यह प्रदर्शन हिंसा में बदल गया। हिंसा में पेट्रोल बम तक का इस्तेमाल किया गया। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 22 सितंबर को छापामार कार्यवाही करते हुए देश के 15 राज्यों में करीब 100 पीएफआई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। पीएफआई पर आरोप है कि विदेशों से पैसा लेकर भारत में गैर कानूनी गतिविधियां की जा रही है। पीएफआई पर आतंक फैलाने का आरोप भी है। पीएफआई के पदाधिकारियों का कहना है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और हम लोकतांत्रिक व्यवस्था में रहकर ही संगठन की गतिविधियों का संचालन करते हैं। सवाल उठता है कि लोकतंत्र की दुहाई देने वाला पीएफआई भारत के संविधान पर भरोसा क्यों नहीं करता। यदि पुलिस ने किसी निर्दोष व्यक्ति को गिरफ्तार किया है तो उसे अदालत में स्वयं को निर्दोष साबित करने का अधिकार है। इस संवैधानिक प्रक्रिया को अपनाने के बजाए पीएफआई के कार्यकर्ता सड़कों पर हिंसा कर रहे हैं। एनआईए के पास इस बात के सबूत है कि पीएफआई को जो फंडिंग हो रही है उससे देश में अराजकता का माहौल बनाया जा रहा है। जांच एजेंसियों का यह आरोप गलत है तो पीएफआई को अदालत में कानूनी लड़ाई लड़नी चाहिए। पिछले दिनों देखा गया कि छोटी छोटी घटनाओं पर विरोध को लेकर समुदाय विशेष की भीड़ एकत्रित हो गई। सिर तन से जुदा अभियान में भी पीएफआई की सक्रिय भूमिका देखने को मिली है। एक ओर लोकतंत्र की दुहाई दी जाती है तो दूसरी ओर धार्मिक स्थलों से सिर तन से जुदा के नारे लगाए जाते हैं। जांच एजेंसियों की मानें तो पीएफआई के तार पाकिस्तान में बैठे कई कट्टरपंथी संगठन से जुड़े हुए हैं। पीएफआई के पदाधिकारियों का दावा है कि उनका संगठन जरूरतमंद मुसलमानों के लिए काम करता है। सवाल यह भी है कि जो संगठन समाज सेवा के काम में सक्रिय है उसके कार्यकर्ताओं पर आतंक फैलाने के आरोप क्यों लग रहे हैं। पूर्व में भी सिमी जैसे मुस्लिम संगठनों पर बेन गाया गया था। जांच एजेंसियों का कहना है कि सिमी के पदाधिकारी ही सक्रिय है। पीएफआई के पदाधिकारी अपने बचाव में कुछ भी कहे, लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश से ज्यादा सुरक्षित मुसलमान भारत में ही हैं। भारत में हिन्दू बाहुल्य कालोनियों में किसी भी मुस्लिम परिवार को कोई भय और डर नहीं है। इसके विपरीत कश्मीर में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में हिन्दुओं को टारगेट कर हत्या की जा रही है। सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मुस्लिम परिवारों को मिल रहे हैं। ऐसे माहौल में यदि पीएफआई जैसा संगठन मुसलमानों को गुमराह कर रहा है तो यह देशहित में नहीं है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

क्या अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री पद से हटने मात्र से सचिन पायलट का मकसद पूरा हो जाएगा?आखिर पायलट कैसे बनेंगे राजस्थान के मुख्यमंत्री।गुजरात के सीनियर ऑब्जर्वर के पद से भी गहलोत को हटना पड़ेगा।

दिसंबर 2018 में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट को पता था कि यदि इस बार चूके तो भविष्य में मुख्यमंत्री बनना बहुत मुश्किल होगा। इसलिए पायलट ने मुख्यमंत्री बनने के लिए पूरा दम लगाया। लेकिन तब पायलट को सफलता नहीं मिली। जुलाई 2020 में हालात ऐसे बदले की पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से बर्खास्त होना पड़ा। सितंबर 2022 में एक बार फिर बदले हैं। अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से स्थानांतरित कर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा रहा है। ऐसे में मुख्यमंत्री पद पर पायलट का दावा फिर से हो गया है। लेकिन जानकार सूत्रों के अनुसार अशोक गहलोत, पायलट को मुख्यमंत्री बनाने पर सहमत नहीं है। गहलोत ने अपनी ओर से विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी का नाम प्रस्तावित किया है। वहीं एससी वर्ग से मंत्री ममता भूपेश के नाम को आगे बढ़ाया गया है। सवाल यह भी है कि आखिर कांग्रेस का कौन सा हाईकमान मुख्यमंत्री निर्धारित करेगा? कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने पर हाईकमान को अशोक गहलोत ही होंगे। अशोक गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए गांधी परिवार की स्थिति क्या होगी, इसका पता आने वाले दिनों में ही चलेगा। सचिन पायलट भी इस हकीकत को जानते हैं कि अशोक गहलोत के समर्थन के बिना राजस्थान में कांग्रेस की सरकार नहीं चल सकती है। यदि पायलट मुख्यमंत्री बन भी गए तो सरकार चलाना आसान नहीं होगा। सचिन पायलट ने तो अपने समर्थक विधायकों को गहलोत के साथ बनाए रखा। लेकिन गहलोत के समर्थक पायलट को मुख्यमंत्री मान लेंगे, इसकी कोई गारंटी नहीं है। जिन पायलट को गहलोत ने सार्वजनिक तौर पर निकम्मा, धोखेबाज और मक्कार कहा, उन पायलट को गहलोत कैसे मुख्यमंत्री बनेंगे? हालांकि पायलट के समर्थक पायलट को ही मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। लेकिन जानकारों का मानना है कि पायलट की यह बहुत बड़ी उपलब्धि है गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाया जा रहा है। हालांकि गहलोत को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा रहा है, लेकिन मुख्यमंत्री के पद से हटाना अपने आप में बहुत बड़ी बात है। सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने के लिए गहलोत जो कुछ भी कर सकते थे, वो उन्होंने किया। उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर करवाया तो दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला। ईडी ने जितने दिन सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पूछताछ की उतने दिन अशोक गहलोत दिल्ली में ही रहे।
 
गुजरात से भी हटना पड़ेगा:
अशोक गहलोत मौजूदा समय में गुजरात में कांग्रेस के सीनियर आब्र्जवर भी हैं। गुजरात में दो माह बाद ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। अक्टूबर में गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाएंगे तब उन्हें गुजरात के सीनियर ऑब्जर्वर के पद से भी हटना पड़ेगा। अध्यक्ष बनने पर गहलोत के कंधों पर देश भर की जिम्मेदारी होगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Tuesday 20 September 2022

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की घटना से विद्यार्थी ही नहीं अभिभावक भी सबक लें।मोबाइल फोन अब एक घातक हथियार बन गया है।

पंजाब के मोहाली स्थित निजी क्षेत्र की चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी का मामला अब पूरे देश के सामने हैं। ओराप है कि यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में रहने वाली एक छात्रा ने अपने दोस्त के दबाव में हॉस्टल में रहने वाली अन्य लड़कियों के नहाते हुए वीडियो बनाए। पुलिस का दावा है कि आरोपी छात्रा ने सिर्फ एक वीडियो ही शिमला में रहने वाले अपने पुरुष दोस्त को भेजा है। आम आदमी पार्टी के शासन वाले पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और अरविंद केजरीवाल अब कुछ भी दावे करें, लेकिन इस घटना से एक भयावह तस्वीर सामने आई है। क्या कोई माता-पिता कल्पना कर सकता है कि हॉस्टल में रहने वाली उनकी बेटी का आपत्तिजनक वीडियो बना लिया जाए? भगवंत मान और केजरीवाल की पुलिस चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के इस शर्मनाक प्रकरण की जांच तो करेगी ही, लेकिन विद्यार्थियों और अभिभावकों को इस घटना से सबक सीखने की जरूरत है। यह माना कि स्टडी के लिए अब मोबाइल जरूरी हो गया है। अभिभावकों की मजबूरी है कि बच्चों को मोबाइल उपलब्ध करवाएं। धनाढ्य परिवार के बच्चे तो अपनी मर्जी से मोबाइल खरीदते हैं। लेकिन बच्चों को मोबाइल पर सतर्कता बरतने की जरूरत है। अच्छा हो कि मोबाइल का उपयोग सिर्फ स्टडी के लिए ही किया जाए, लेकिन हम देख रहे हैं कि मोबाइल का कितना दुरुपयोग हो रहा है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रकरण में नहाने वाली लड़कियों का कोई दोष नहीं है, लेकिन अनेक मामलों में देखा जाता है कि लड़के लड़कियां आपत्तिजनक मैसेज, फोटो और वीडियो एक दूसरे को भेजते हैं। यह बहुत ही खतरनाक स्थिति है। इसमें कई लड़कियां बाद में ब्लैकमेलिंग का शिकार भी हो जाती है। जो लड़के लड़कियां आपत्तिजनक मैसेज और वीडियो का आदान प्रदान करते हैं, उन्हें यह अच्छी तरह समझना चाहिए कि सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर प्राइवेसी नहीं है। कंपनियां चाहे कितना भी दावा करें, लेकिन ऐसे साइबर एक्सपर्ट सक्रिय है जो किसी के भी मोबाइल से कुछ भी चुरा सकते हैं। यदि किसी लड़की ने अपने दोस्त को कोई मैसेज भेजा है तो वह सुरक्षित रहेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है। यहां यह लिखना भी जरूरी है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के पास मोबाइल की सुविधा पर अभिभावकों को विचार करना चाहिए। सवाल उठता है कि स्कूल जाने वाली एक छात्रा को स्कूल और घर के बीच मोबाइल की क्या जरूरत है? कई मामलों में देखा गया है कि मोबाइल फोन लड़कियों के लिए मुसीबत बन जाते हैं। यह माना कि लड़कियां आजादी के साथ रहने का अधिकार रखती है, लेकिन मोबाइल से उत्पन्न होने वाली बुराइयों से लड़कियों को सावधान रहने की जरूरत है। स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली जब कोई लड़की बंद कमरे या अकेले में घंटों बात करती है तो फिर अभिभावकों के लिए यह चिंता की बात है। मॉर्डन पेरेंट्स माने या नहीं लेकिन मोबाइल उनके बच्चों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। अनेक अध्ययन बताते हैं कि मोबाइल से युवा वर्ग तनाव में रहने लगा है। इसका मुख्य कारण भावनाओं में बह कर आपत्तिजनक मैसेज और वीडियो का आदान प्रदान है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511


राजस्थान छत्तीसगढ़ और गुजरात कांग्रेस ने राहुल गांधी के समर्थन में प्रस्ताव पास किया तो महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक आदि राज्यों में विरोध के स्वर।राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कई प्रदेशों के अध्यक्ष बदले जा सकते हैं।

राहुल गांधी ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने इसको लेकर राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात कांग्रेस कमेटियों ने प्रस्ताव पास कर दिए हैं। लेकिन वहीं महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक आदि राज्यों में विरोध के स्वर सामने आए हैं। असल में इन दिनों कांग्रेस संगठन में चुनाव प्रक्रिया चल रही है। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में वोट देने वाले प्रतिनिधियों का चुनाव हो रहा है। इसी प्रक्रिया में संबंधित प्रदेश के अध्यक्ष का चुनाव भी होता है। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और गुजरात में तो वोट देने वाले प्रतिनिधियों की सूची तैयार कर ली गई है और इन प्रदेशों के अध्यक्षों का निर्णय करने का अधिकार कांग्रेस हाईकमान को दे दिया गया है। लेकिन वहीं महाराष्ट्र, पंजाब और कर्नाटक आदि राज्यों में ऐसी सफलता नहीं मिल रही है। महाराष्ट्र में असंतुष्ट नेता पृथ्वीराज चौहान ने प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव लड़ने की बात कही। इसलिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्यों की सूची मांगी जा रही है। लेकिन जिस प्रकार राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ में सदस्यों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई है। उसी प्रकार महाराष्ट्र में भी सूची को गुप्त रखा गया है। राजस्थ्ज्ञान में महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरुपम को चुनाव अधिकारी बनाया गया था, लेकिन ऐन वक्त पर निरुपम को हटा कर राजेंद्र कुम्पावत को चुनाव अधिकारी नियुक्त कर दिया गया। असल में गांधी परिवार नहीं चाहता कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने पर किसी राज्य में कोई विवाद हो। यही वजह है कि अब कुछ राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा रहे हैं। कांग्रेस के मुख्य चुनाव अधिकारी मधुसूदन मिस्त्री भी नहीं चाहते हैं कि राहुल गांधी के नेतृत्व को लेकर कोई चुनौती खड़ी है। यही वजह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदाता सूची घोषित नहीं की जा रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी राहुल गांधी से आग्रह किया है कि वे अध्यक्ष पद स्वीकार करें। हालांकि अभी तक राहुल गांधी ने अध्यक्ष बनना स्वीकार नहीं किया है। अशोक गहलोत जैसे कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि राहुल गांधी के बगैर कांग्रेस का चलना मुश्किल है। आज देश को राहुल गांधी जैसा विपक्षी नेता चाहिए। सब जानते हैं कि इन दिनों गहलोत ही गांधी परिवार के मुख्य सलाहकार हैं। गहलोत के सुझाव पर ही राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की यात्रा कर रहे हैं। वहीं जानकारों का मानना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा से कांग्रेस और मुश्किल में फंस गई है। राहुल गांधी पहले ही अध्यक्ष बनने से इंकार कर रहे हैं और अब यदि कांग्रेस का कोई नेता अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करता है तो राहुल गांधी की नाराजगी और बढ़ेगी। राहुल गांधी परिवारवाद के आरोपों से बचना चाहते हैं। अशोक गहलोत जैसे वफादार नेता को कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया जाए और वे अध्यक्ष बने बगैर ही कांग्रेस का नेतृत्व करते रहे। यानी राहुल गांधी कांग्रेस में किंग मेकर की भूमिका में रहना चाहते हैं। यह सही है कि कांग्रेसियों का गांधी परिवार के बगैर गुजारा नहीं हो सकता। यदि गांधी परिवार अलग हो गया तो देश में कांग्रेस का अस्तित्व ही नहीं बचेगा। मौजूदा समय में कांग्रेस के वही नेता बचे हैं जो गांधी परिवार की मेहरबानी से सांसद विधायक और राज्यों के मुख्यमंत्री हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अभी भी कांग्रेस में बगावत का डर है।विधानसभा के सातवें सत्र को बंद नहीं करने का यही कारण बताया।केंद्र सरकार की साजिश में राज्यपाल कलराज मिश्र को भी शामिल बताया।विधायक सुरेश रावत की गाय भाग गई।

जुलाई 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में राजस्थान कांग्रेस में जो बगावत हुई थी, वैसी ही बगावत का डर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अब भी है। गहलोत का कहना है कि मौका मिलते ही केंद्र सरकार, मेरी सरकार को गिरा देगी, इसलिए मैं अब केंद्र सरकार को कोई मौका नहीं देना चाहता हंू। 15वीं विधानसभा के सातवें सत्र (मानसूत्र सत्र) को समाप्त (बंद सत्रावसान) नहीं करने की रणनीति के पीछे भी यही बात रही है। मालूम हो कि विधानसभा का सत्र 19 सितंबर से ही शुरू हुआ है। इस सत्र के लिए सरकार ने राज्यपाल कलराज मिश्र से अनुमति नहीं ली, क्योंकि विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने सातवें सत्र को समाप्त करने की घोषणा नहीं की, इसलिए 19 सितंबर से शुरू हुई विधानसभा की कार्यवाही को सातवें सत्र का दूसरा चरण माना गया। पूर्व में यदि सातवें सत्र का सत्रावसान (समाप्त) कर दिया जाता तो अब विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल की अनुमति लेनी होती। सीएम गहलोत ने कहा कि राज्यपाल पर केंद्र सरकार का दबाव है। इसलिए वे विधानसभा का सत्र बुलाने की अनुमति नहीं देते। जो जुलाई 2020 में जब सियासी संकट हुआ था, तब भी राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने में विलंब किया। तब हमने सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल को मजबूर किया। गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार की राज्य सरकारों को गिराने की नीति अभी भी चल रही है। मध्यप्रदेश, कर्नाटक आदि राज्यों में इसी तरह सरकार गिराई गई। हाल ही में ऐसा प्रयास झारखंड में भी किया गया। मैं नहीं चाहता कि मेरी सरकार पर दोबारा से कोई संकट आए। हमने संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही विधानसभा के सातवें सत्र को निरंतर जारी रखा है। हालांकि इससे हमें नुकसान ही हुआ है। हम कई बिल इस सत्र में नहीं ला पा रहे हैं। गहलोत ने जिस अंदाज में 19 सितंबर को यह बातें कहीं उस से प्रतीत होता है कि गहलोत को कांग्रेस विधायकों में बगावत का डर अभी भी बना हुआ है। सवाल उठता है कि यदि विधायकों में बगावत का डर न होता तो राज्यपाल क्या कर सकते थे। राज्यपाल यदि विलंब से सत्र बुलाते हैं तो कांग्रेस की सेहत पर क्या फर्क पड़ता है? फर्क तो पड़ेगा जब विधायकों में फूट की आशंका हो। गहलोत की सरकार तभी गिरेगी जब कांग्रेस के विधायक बगावत करें। सवाल उठता है कि मौजूदा समय में गहलोत को कांग्रेस में बगावत का डर क्यों हैं? जबकि अगस्त 2020 में दिल्ली से लौटने के बाद सचिन पायलट लगातार सीएम गहलोत के साथ खड़े हैं। पिछले दिनों राज्यसभा की तीन सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत का मामला हो या फिर हाल ही में राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव। सभी में पायलट ने पूरा सहयोग किया है। मौजूदा समय में पायलट और उनके समर्थकों की ओर से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है, जिसकी वजह से सरकार को खतरा हो। लेकिन इसके बावजूद भी गहलोत ने कांग्रेस में बगावत की आशंका जताई है। हो सकता है कि यह गहलोत की रणनीति का हिस्सा हो। यह सही है कि पिछले दिनों सचिन पायलट के समर्थक विधायकों ने पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग की थी। लेकिन किसी भी विधायक ने बगावत की बात नहीं की।
 
रावत की गाय भाग गई:
19 सितंबर को जयपुर में विधानसभा के बाहर एक रोचक मामला देखने को मिला। अजमेर के पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश रावत अपने साथ एक गाय को भी ले गए। रावत गाय के साथ खड़े होकर जब मीडिया के समक्ष लम्पी स्किन डिजीज के बारे में बोल रहे थे, तभी गाय भाग गई। मीडिया कर्मियों ने अपने कैमरे रावत से हटा कर भागती गाय की ओर लगा दिए। हालांकि गाय को नियंत्रित करने के लिए रावत एक ग्रामीण युवक को भी अपने साथ लाए थे, लेकिन मीडिया के कैमरे देखकर गाय बिदक गई। रावत ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की लापरवाही की वजह से प्रदेश में लम्पी रोग से गायों की मौत हो रही है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

वैदिक धर्म के प्रचार का प्रमुख केंद्र बनेगा अजमेर में आर्य समाज का नया भवन।सांसद भागीरथ चौधरी ने पांच लाख रुपए देने की घोषणा की। विधायक अनिता भदेल ने भी 10 लाख रुपए दे रखे हैं।समारोह में डॉ. धर्मवीर जी को भी याद किया गया।

18 सितंबर को अजमेर के कोटड़ा स्थित दाहरसेन स्मारक के निकट आर्य समाज के नए भवन का शुभारंभ यज्ञ, भजन और प्रवचनों के साथ हुआ। इस अवसर पर ब्रह्मा गुरुकुल आबू पर्वत के कुलपति आचार्य ओम प्रकाश, आचार्य प्रभाकर, डॉ. दिनेशचंद शर्मा, पंडित अमर सिंह, ब्यावर के ओम मुनि आदि ने उम्मीद जताई कि यह नया भवन वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार का प्रमुख केंद्र रहेगा। वक्ताओं ने कहा कि स्वामी दयानंद ने आर्य समाज के जो सिद्धांत बताए वे आज भी प्रासंगिक हैं। इस अवसर पर परोपकारिणी सभा के प्रधान रहे स्वर्गीय डॉ. धर्मवीर जी को भी याद किया गया। बताया गया कि डॉ. धर्मवीर ने अपने निजी कोष से इस भवन के लिए रियायती दर पर जमीन आवंटित करवाई। इसलिए इस भवन का नाम डॉ. धर्मवीर भवन रखा गया है। अनेक वक्ताओं ने कहा कि आर्य समाज के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने में डॉ. धर्मवीर की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। धर्मवीर के माध्यम से ही आर्य समाज को समझने का मौका मिला। आनासागर के किनारे बने ऋषि उद्यान में प्रति वर्ष ऋषि मेल का शुभारंभ भी धर्मवीर जी ने ही अपने जीवन काल में किया था। आज परोपकारिणी सभा और ऋषि उद्यान वैदिक धर्म के प्रचार प्रसार में लगा हुआ है। इस अवसर पर अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी ने कहा कि स्वामी दयानंद ने राष्ट्रवाद का पाठ लोगों को पढ़ाया। चौधरी ने नए भवन के विकास कार्यों के लिए पांच लाख रुपए की राशि सांसद कोष से देने की घोषणा की। समारोह में बताया गया कि चौधरी ने पूर्व में सांसद कोष से जो 10 लाख रुपए दिए उसका उपयोग सभागार बनाने में किया गया है। अब इस सभागार में नियमित रूप से हवन, यज्ञ और आर्य विद्वानों के प्रवचन होंगे। आसपास के परिवार भी अनेक संस्कार इस भवन में करवा सकते हैं। समारोह में भाजपा विधायक श्रीमती अनिता भदेल ने कहा कि स्वामी दयानंद ने समाज सुधार के अनेक कार्य किए। इनमें छुआछूत को समाप्त करना भी एक महत्वपूर्ण कार्य था। उन्होंने प्रत्येक नागरिक को समाज में समान अधिकार देने पर बल दिया। स्वामी दयानंद के विचारों से प्रभावित होकर ही दलित वर्ग के अनेक लोगों ने आर्य समाज को अपनाया। भदेल ने कहा कि नए भवन के लिए उन्होंने पूर्व में 10 लाख रुपए की अनुशंसा कर रखी है, लेकिन राज्य सरकार की अड़चनों के कारण इस राशि का उपयोग नहीं हो पा रहा है। भदेल ने कहा कि आने वाले दिनों में जब राजनीतिक बदलाव होगा, तब वे इस दस लाख रुपए की राशि का उपयोग इसी भवन में करवाएंगी। नए भवन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003468 पर आर्य समाज के मंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (19-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Saturday 17 September 2022

चीन और पाकिस्तान अब यह समझ लें कि भारत की चाल चीते जैसी हैं।देश विरोधी तत्व भी सावधान हो जाएं।चीतों को छोड़ने के अवसर पर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी पीएम मोदी के साथ रहे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने जन्मदिन पर मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 8 चीजों को छोड़ दिया है। भारत में चीतों की संख्या बढ़ाने के लिए इन चीतों को नामीबिया से खास तौर से लाया गया है। शेर की प्रजाति में चीते को सबसे तेज दौड़ने वाला वन्य जीव माना जाता है। विलुप्त हो चुके चीते को भारत लाना कोई वन्य जीव की साधारण बात नहीं है। चीतों को बसाने की बात भारत का दृष्टि भी प्रदर्शित करता है। नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत सामरिक दृष्टि से बहुत मजबूत किया है। विगत दिनों ही 20 हजार करोड़ रुपए की लागत वाले जल युद्धपोत को राष्ट्र को समर्पित किया है। भारत के दुश्मन माने जाने वाले चीन और पाकिस्तान को अब यह समझ लेना चाहिए कि भारत की चाल चीते जैसी है। वन क्षेत्र में चीते को सबसे ताकतवर जीव माना जाता है। भारत अब वो देश नहीं रहा हो जो अनुच्छेद 370 की आड़ में पाकिस्तान प्रायोजित आतंक को बर्दाश्त कर या फिर व्यापार के नाम पर चीन के सामने घुटने टेके। हमारा चीता अब चीन और पाकिस्तान को आंखें दिखाने की स्थिति में है। हमारा चीता पाकिस्तान को तो घर में घुसकर मारने की स्थिति में है। व्यापार के क्षेत्र में चीते ने जो लात मारी है, उससे चीन की कमर टूट गई है। यही वजह है कि अब लद्दाख सीमा पर चीन की सेना पीछे हटने लगी है। 17 सितंबर को चीतों को भारत के जंगलों में छोड़ कर पीएम मोदी ने अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कर दिया है। इससे देश विरोधी तत्वों को सबक ले लेना चाहिए। अब देश का अन्न खाने और पानी पीने वाले देश के साथ गद्दारी करेंगे तो उन्हें चीते की चाल से सबक सिखाया जाएगा। भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले भी अब सतर्क हो जाएं। असल में देश जब मजबूत हाथों में होता है, तब पुराने रोगों का इलाज भी हो जाता है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा कर ऐसे ही रोग का इलाज किया गया है। लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है। 545 सांसदों में से 350 सांसद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं, इसलिए भारत भी चीते जैसी दौड़ लगा रहा है। भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि देश चीते की चाल रहा है। चीतों को जंगल में एंट्री करवाते समय पीएम मोदी ने भी गजब का आत्मविश्वास दिखाया है। पिंजरे से बाहर निकालने के बाद मोदी ने अपने कैमरे से चीतों के फोटो भी खींचे। इस अवसर पर मोदी ने कहा कि कूनो में चीता फिर से दौड़ेगा तो यहां बायोडायवर्सिटी बढ़ेगी। यहां विकास की संभावनाएं जन्म लेंगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। मोदी ने लोगों से अपील की कि अभी धैर्य रखें, चीतों को देखने नहीं आएं। ये चीते मेहमान बनकर आए हैं। इस क्षेत्र से अनजान हैं। कूनो को ये अपना घर बना पाएं इसके लिए इनको सहयोग देना है। पीएम मोदी ने कहा कि हमने उस समय को भी देखा, जब प्रकृति के दोहन को शक्ति प्रदर्शन का प्रतीक मान लिया गया था। 1947 में जब देश में केवल 3 चीते बचे थे, तो उनका भी शिकार कर लिया गया। ये दुर्भाग्य रहा कि 1952 में हमने चीतों को विलुप्त तो घोषित कर दिया, लेकिन उनके पुनर्वास के लिए दशकों तक सार्थक प्रयास नहीं किए। आजादी के अमृत काल में देश नई ऊर्जा के साथ चीतों के पुनर्वास के लिए जुट गया है। यह एक ऐसा काम है राजनीतिक दृष्टि से जिसे कोई महत्व नहीं देता, इसके पीछे हमने वर्षों ऊर्जा लगाई। चीता एक्शन प्लान बनाया। हमारे वैज्ञानिकों ने नामीबिया के एक्सपर्ट के साथ काम किया। पूरे देश में वैज्ञानिक सर्वे के बाद नेशनल कूनो पार्क को शुभ शुरुआत के लिए चुना गया। प्रकृति और पर्यावरण, पशु और पक्षी भारत के लिए सस्टेनेबिलिटी और सिक्योरिटी के विषय नहीं हैं। हमारे लिए ये सेंसिबिलिटी और स्प्रिचुअलिटी का भी आधार हैं।

यादव भी साथ रहे:
17 सितंबर को कूनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ने के समय केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव भी पीएम मोदी के साथ रहे। इस मौके पर यादव ने मोदी को बताया कि 8 चीतों को किस तरह नामीबिया से कूनो नेशनल पार्क तक लाया गया है। हवाई जहाज के दौरान सभी चीते सुरक्षित रहे इसके लिए उन्हें नामीबिया में ही बेहोशी की दवा दे दी गई थी। यही वजह रही कि सभी चीते अपने अपने बॉक्स में हवाई सफर के दौरान शांत रहे। कूनो नेशनल पार्क में सभी चीते कुछ दिनों के लिए वन्य विशेषज्ञों की निगरानी में रहेंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

गांधीवादी अशोक गहलोत के शासन में राजस्थान भर में खुली शराब की मॉडल स्मार्ट शॉप।12 सौ और 2 हजार से अधिक कीमत वाली शराब ही स्मार्ट शॉप पर मिल सकेंगी।अजमेर के वैशाली नगर कांग्रेस नेता के कॉम्प्लेक्स में खुली स्मार्ट शॉप। किराया 3 लाख रुपए प्रतिमाह।

महात्मा गांधी ने शराब को एक सामाजिक बुराई मानते हुए कहा था, मुझे ऐसे स्कूल खोलना पसंद नहीं जो शराब की आय से संचालित होते हों। शराब से कमाई के बजाए न स्कूलों को बंद करना पसंद करता हंू। लेकिन अब राजस्थान में गांधीवादी छवि वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर जिले में शराब की मॉडल स्मार्ट शॉप खोल रहे हैं। राजस्थान में गहलोत ही वित्त और आबकारी मंत्री है। सरकार की योजना के मुताबिक प्रदेश के हर जिले में एक मॉडल स्मार्ट शॉप खोली जा रही है। एक हजार वर्ग फीट के शोम रूम में खुल रही इन स्मार्ट शॉप पर देसी और विदेशी ब्रांड की शराब मिलेंगी। लेकिन देसी शराब की एक बोतल 12 सौ रुपए से अधिक की होगी। इसी प्रकार विदेशी ब्रांड की एक लीटर की शराब 2 हजार रुपए से अधिक कीमत वाली होनी चाहिए। यानी गहलोत की इन स्मार्ट शॉप पर सस्ती शराब उपलब्ध नहीं होंगी। गली कूचों में चलने वाली शराब की दुकानों से स्मार्ट शॉप अलग होगी। इन स्मार्ट शॉप में ग्राहक शॉप के अंदर जाकर अपनी मन पसंद शराब देख कर और खरीद सकता है। जिस प्रकार मॉल में ग्राहकों को सामग्री देखने की सुविधा होती है, उसी प्रकार इन स्मार्ट शॉप पर शराबी ग्राहक शराब के ब्रांड देख सकेंगे। यदि किसी शराबी को ब्रांड पसंद न आए तो वह बिना खरीदे ही बाहर आ सकता है। गहलोत की यह स्मार्ट शॉप वातानुकूलित होंगी। सरकार ने सभी स्मार्ट शॉप का डिजाइन भी निर्धारित किया है। इस डिजाइन के अनुरूप ही शॉप को तैयार करना होगा। स्मार्ट शॉप पांच वर्ष की अवधि के लिए दी गई है। महिलाएं भी इन स्मार्ट शॉप पर जाकर आसानी से शराब खरीद सकती है। चूंकि एक जिले में एक मॉडल शॉप खोली गई, इसलिए इसकी लाइसेंस फीस भी बहुत ज्यादा है। लाइसेंस फीस अधिक वसूलने के कारण सरकार की ओर से कहा गया है कि ऐसे अनेक ब्रांड होंगे जो गली कूचों में चलने वाली शराब की दुकानों पर नहीं मिलेंगे। जानकार सूत्रों के अनुसार पर्यटन स्थल माउंट आबू में खुली स्मार्ट शॉप की लाइसेंस फीस प्रदेश भर में सर्वाधिक है। इन स्मार्ट शॉप के बाहर कार आदि वाहनों की पार्किंग की सुविधा भी अनिवार्य की गई है। सूत्रों के अनुसार द लिकर मार्ट समूह ने सबसे ज्यादा स्मार्ट शॉप हासिल की है। अजमेर में भी उसी समूह ने वैशाली नगर में स्मार्ट शॉप की शुरुआत की है। जिस कॉम्प्लैक्स में स्मार्ट शॉप खोली गई है, उसके मालिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र गोयल हैं। पूर्व में इस स्थान पर रॉयल इनफिल्ड दुपहिया वाहन की बिक्री होती थी, लेकिन अब दो हजार रुपए से महंगी शराब की बोतल इस स्थान पर उपलब्ध है। सूत्रों के अनुसार इस स्थान का किराया प्रतिमाह तीन लाख रुपए का है। सरकार के मापदंड के अनुसार इस स्मार्ट शॉप पर बहुत आसानी से देसी विदेशी ब्रांड उपलब्ध हो रहे हैं। अजमेर की स्मार्ट शॉप की लाइसेंस फीस 24 लाख रुपए वार्षिक है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

राजस्थान में सभी 400 पीसीसी सदस्य अशोक गहलोत और सचिन पायलट गुट के हैं, इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए अकेले राहुल गांधी के नाम पर मुहर।अजमेर के 16 पीसीसी सस्यों में से 9 सचिन पायलट के कट्टर समर्थक। डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी रूपनगढ़ से सदस्य बने। रघु शर्मा अपने पुत्र को सदस्य बनाने में सफल।पुष्कर का विधायक बनने का ख्वाब देखने वाले आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को बानसूर जाना पड़ा।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के घोषित चुनाव के मद्देनजर 17 सितंबर को जयपुर में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के 400 सदस्यों की एक बैठक हुई। हालांकि 400 सदस्यों के नामों की सूची सार्वजनिक नहीं की गई, लेकिन ऐसे सभी सदस्यों को बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने पर समर्थकों में भी कोई विवाद नहीं है। गहलोत और पायलट पहले ही राहुल गे समर्थन में बयान दे चुके हैं। यदि राहुल के स्थान पर अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाता है तो भी पायलट के समर्थकों को कोई एतराज नहीं है। उल्टे गहलोत के अध्यक्ष बनने से पायलट समर्थ खुश हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार प्रभारी महासचिव अजय माकन ने पीसीसी सदस्य बनवाने में पायलट गुट को प्राथमिकता दी है।
 
अजमेर में 16 में से 9 पायलट के समर्थक:
अजमेर जिले के 8 विधानसभा क्षेत्रों में जिन 16 कांग्रेसियों को प्रदेश कांग्रेस कार्य समिति का सदस्य बनाया गया है जिनमें से 9 सचिन पायलट के कट्टर समर्थक है। इनमें पुष्कर से श्रीमती नसीम अख्तर, अजमेर उत्तर से महेंद्र सिंह रलावता, विजय जैन, अजमेर दक्षिण से हेमंत भाटी, नसीराबाद से रामनारायण गुर्जर, मसूदा से राकेश पारीक और संग्राम सिंह, किशनगढ़ से राजू गुप्ता तथा ब्यावर से पारस पंच शामिल हैं। इसी प्रकार रूपनगढ़ (पुष्कर) से रामचंद्र चौधरी, अजमेर दक्षिण से डॉ. राजकुमार जयपाल, नसीराबाद से महेंद्र सिंह गुर्जर, किशनगढ़ से नाथूराम सिनोदिया, केकड़ी सागर शर्मा, भूपेंद्र सिंह राठौड़ तथा ब्यावर से सहदेव सिंह रावत को गहलोत गुट का माना जाता है। इन 16 नामों में पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती का नाम न आने को राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। डॉ. बाहेती को सीएम गहलोत का समर्थक माना जाता है। पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के रूपनगढ़ ब्लॉक से अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी का पीसीसी सदस्य बनना भी महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है। हालांकि चौधरी की दावेदारी मसूदा में रही है। लेकिन इस बार उन्हें रूपनगढ़ से सदस्य बनाया गया है। रूपनगढ़ भले ही पुष्कर में आता हो, लेकिन यह क्षेत्र किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से सटा हुआ है। माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने खास नजरिए से चौधरी को रूपनगढ़ से सदस्य बनाया है। चौधरी का जाट समुदाय में खास प्रभाव है और किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र जाट बाहुल्य माना जाता है। वर्ष 2018 के चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी की किशनगढ़ से जमानत जब्त हो गई थी। केकड़ी के विधायक और मौजूदा समय में गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा केकड़ी से अपने पुत्र सागर शर्मा को सदस्य बनाने में सफल रहे हैं। पिछले दिनों ही सागर को यूथ कांग्रेस का प्रदेश उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। माना जा रहा है कि अगले विधानसभा चुनाव में रघु शर्मा की जगह उनके पुत्र ही कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। रघु शर्मा की सिफारिश से ही देहात कांग्रेस के निवर्तमान अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह राठौड़ भी सदस्य बने हैं। लेकिन रघु शर्मा अपने समर्थक दीपक हसानी को अजमेर उत्तर से सदस्य बनवाने में विफल रहे हैं। अभी तक हासानी ही उत्तर क्षेत्र से सदस्य थे।
 
राठौड़ को बानसूर जाना पड़ा:
जो आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ उद्योगपति रिजु झुनझुनवाला को अजमेर का सांसद और डॉ. श्रीगोपाल बाहेती को विधायक बनवाने का दावा कर रहे थे, उन राठौड़ को अजमेर के बजाए अलवर के बानसूर विधानसभा क्षेत्र से सदस्य बनाया गया है। राठौड़ पुष्कर से विधायक बनने का ख्वाब देख रहे हैं। राठौड़ पुष्कर में लगातार सक्रिय हैं। लेकिन पुष्कर से पीसीसी सदस्य न बनने से राठौड़ को राजनीतिक झटका लगा है। राठौड़ को सीएम अशोक गहलोत का समर्थक माना जाता है। जानकारों की मानें तो प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा की वजह से धर्मेन्द्र राठौड़ को बानसूर जाना पड़ा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Friday 16 September 2022

एक बार सांसद और पांच बार के विधायक राम नारायण मीणा अब कांग्रेस के हालातों से दुखी हैं।चिंता! आखिर राजस्थान में कांग्रेस सरकार कैसे रिपीट होगी?

राजस्थान में राम नारायण मीणा कांग्रेस के उन चुनिंदा विधायकों में शामिल हैं जो पिछले 45 वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं। मीणा एक बार कोटा के सांसद रहे तो पांच बार विधायक का चुनाव जीते, दो-तीन बार मीणा को हार का सामना भी करना पड़ा। लेकिन मीणा ने कभी भी कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा। हर परिस्थिति में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा। बड़े नेताओं ने जब कोटा संभाग से हटा कर अजमेर संभाग के टोंक के देवली से चुनाव लड़वाया तब भी राम नारायण मीणा कांग्रेस की अपेक्षाओं पर खरे उतरे। अनेक बड़े नेताओं ने मीणा को नीचा दिखाने का काम किया, लेकिन मीणा ने कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी बनाए रखी। आज भी इसे कांग्रेस के प्रति वफादारी ही कहा जाएगा कि मीणा सिर्फ विधायक की भूमिका में हैं। जिन राम नारायण मीणा का हक कैबिनेट मंत्री के पद पर हैं, उन मीणा को सिर्फ विधायक बनाए रखा गया है। मीणा को भले ही मंत्री न बनाया गया हो, लेकिन कांग्रेस के मौजूदा हालातों से मीणा बेहद दुखी हैं। अपने विधानसभा क्षेत्र पीपल्दा (कोटा) की सभाओं में भी मीणा को इस बात की चिंता रहती है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार कैसे रिपीट होगी। नाराजगी इस बात को लेकर नहीं है कि एक बार सांसद और पांच बार के विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। दुख इस बात का है कि रामनारायण मीणा जैसे विधायक को युवा मंत्रियों के सरकारी बंगलों पर मिलने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। यदि 79 साल की उम्र में एक वफादार नेता को मंत्रियों के बंगले पर बैठे रहना पड़े तो यह अफसोस की बात है। सत्ता का नशा ऐसा है कि मीणा की वरिष्ठता और पार्टी के प्रति वफादारी का ख्याल भी नहीं रखा जा रहा है। जो विधायक कांग्रेस सरकार की आलोचना करते हैं वे मंत्री बन गए और मीणा जैसे पांच बार के विधायक को इधर उधर भटकना पड़ता है। ऐसा नहीं कि मीणा अपने विधानसभा क्षेत्र में लोकप्रिय नहीं है। आज भी पीपल्दा के अपने खेत पर ही ग्रामीणों से मुलाकात करते हैं। जयपुर तभी आते हैं, जब ग्रामीणों का कोई कार्य होता है। जुलाई 2020 में जब राजस्थान में सियासी संकट हुआ तब मीणा ने पूरी वफादारी के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पक्ष में रहे। लेकिन अब मीणा को इस बात का दुख है कि सीएम गहलोत के पुत्र और मंत्रियों को सार्वजनिक सभाओं में बोलने तक नहीं दिया जा रहा है। कांग्रेस के विधायकों और मंत्रियों के अपने ही सरकार के आरोपों से भी आहात है। जब कभी मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते हैं तो उन्हें अपनी स्थिति को देखकर गर्व होता है। मीणा ने अपने राजनीतिक जीवन में जो ईमानदारी दिखाई है उसे नैनवा, देवली और पीपल्दा के मतदाता भी अजूबा मानते हैं। ग्रामीण मतदाता इस बात से खुश है कि मीणा की उपलब्धता बहुत सरल और आसान है। भले ही मीणा अपनी जुबान से न कहे, लेकिन पीपल्दा के मतदाताओं के मन में मीणा को मंत्री न बनाए जाने पर गुस्सा है। मीणा ने 1977 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़ा, उन्हें दूसरी बार बूंदी जिले के नैनवां से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 1993 के चुनाव में जीत हासिल हुई। बूंदी में लोकप्रियता को ध्यान में रखते हुए ही कांग्रेस ने 1996 में कोटा से लोकसभा का चुनाव लड़वाया। लेकिन मीणा को संसदीय चुनाव में मात्र 185 मतों से हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2 वर्ष बाद दुबारा से हुए चुनाव में मीणा ने जीत हासिल की। 2008 में मीणा  नैनवां अब हिंडोली से उम्मीदवार बनाए जाने के बजाए टोंक के देवली से उम्मीदवार बनाया गया। मीणा ने देवली में भी चुनाव जीते, तभी मीणा को विधानसभा का उपाध्यक्ष भी बनाया गया। 2013 में मीणा को देवली में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन 2018 में कोटा के पीपल्दा से मीणा 5वीं बार चुनाव जीत गए। यानी हर परिस्थिति में रामनारायण मीणा कांग्रेस के साथ रहे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (16-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

70 साल बाद 8 चीतों को भारत में लाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 72वां जन्मदिन मनाएंगे। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव भी साथ रहेंगे।आतंक के पर्यायवाची माने जाने वाले चीन और पाकिस्तान से सीधे संवाद नहीं किया। लेकिन भारत को सस्ता तेल देने वाले रूस से सीधी बात की। अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसा सिर्फ मोदी ही कर सकते हैं।

वन्य जीव विशेषज्ञों की मानें तो बिल्ली प्रजाति के चीते भारत में 1950 से पहले ही विलुप्त हो गए। भारत में 1949 में अंतिम बार छत्तीसगढ़ के जंगलों में चीतों को देखा गया था। लेकिन अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के प्रयासों से नामीबिया के जंगलों से 8 चीतों को भारत लाया गया है। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को जब अपना 72वां जन्मदिन मनाएंगे, तब 70 साल बाद चीतों को मध्य प्रदेश स्थित कूनो नेशनल पार्क के जंगलों में छोड़ा जाएगा। पीएम मोदी खुद दो चीतों को बाड़े में एंट्री दिलवाएंगे। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि विलुप्त हो चुके चीतों को भारत लाने में पीएम मोदी की प्रेरणा रही है। पिछले 8 सालों से वन्य जीव शेर की संख्या भारत में लगातार बढ़ी है। पीएम चाहते हैं कि भारत के जंगलों में अब चीतों से भी आबाद हो। यही वजह है कि नामीबिया से विशेष विमान के जरिए 8 चीतों को भारत लाया गया। चूंकि इनमें नर-मादा दोनों है, इसलिए जब कुनो नेशनल पार्क में इनकी संख्या बढ़ेगी तो फिर देश के अन्य जंगलों में भी चीतों को छोड़ा जाएगा। वन और पर्यावरण मंत्रालय के लिए यह गर्व की बात है कि 17 सितंबर को ही पीएम मोदी का जन्मदिन भी है। इस दिन भारत के वन क्षेत्रों में एक नया इतिहास रचा जाएगा।
 
समरकंद में भारत की धाक:
16 सितंबर को उज्बेकिस्तान के समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) का 22वां सम्मेलन हुआ। सम्मेलन में पीएम मोदी ने भारत की धाक जमाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसे मोदी की कूटनीति ही कहा जाएगा कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाह नवाज से मोदी ने द्विपक्षीय वार्ता नहीं की। इसके विपरीत रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन से वन टू वन बात की। भारत की आंतरिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी से भी अलग से बात की। असल में एससीओ का गठन आतंकवाद को समाप्त करने और 8 देशों में आपसी सहयोग बढ़ाने का था, लेकिन पूरी दुनिया देख रही है कि चीन और पाकिस्तान आतंकवाद के पर्यायवाची बन गए हैं। दोनों देशों को सबक सिखाने की दृष्टि से मोदी ने इनके राष्ट्राध्यक्षों से बात नहीं की। जबकि सस्ता कच्चा तेल देने वाले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अकेले में बात की। यूक्रेन पर हमले के बाद जब अमरीका के आव्हान पर कई देश रूस से तेल खरीदने पर रोक लगा दी, तब भारत ने रूस से तेल खरीदने की हिम्मत दिखाई। भारत की इस हिम्मत को देखते हुए ही रूस प्रति बैरल पर 30 डॉलर का डिस्काउंट दे रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर ऐसी दिलेरी पीएम मोदी ही दिखा सकते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि रूस से सस्ता तेल खरीदने के बाद भारत, अमरीका का पक्का दोस्त बना हुआ है। ईरान के राष्ट्रपति रईसी से भी अलग से बात कर मोदी ने इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत की आंतरिक राजनीति पर भी उनकी नजर है। हो सकता है कि जल्द ही रईसी का भारत दौरा हो। हालांकि एससीओ मात्र 8 देशों का संगठन है, लेकिन पीएम मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मंच पर यह दर्शा दिया है कि भारत की नीति स्वतंत्र हैं। भारत अब किसी महाशक्ति के दबाव में काम नहीं कर रहा है। यही वजह रही कि सम्मेलन में मोदी ने आतंकवाद को समाप्त करने पर प्रभावी तरीके से भारत का पक्ष रखा। मोदी 16 सितंबर की देर रात समरकंद से दिल्ली पहुंचेंगे।  इसे मोदी की रात दिन मेहनत करने वाली बात ही कहा जाएगा कि 17 सितंबर को दोपहर तक मोदी मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क पहुंच जाएंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (16-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Thursday 15 September 2022

चौतरफा घिरे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अब कबड्डी खेल रहे हैं, ताकि निराशा नहीं झलके।कबड्डी खेलना कांग्रेस के असंतुष्टों को चुनौती भी है।

14 सितंबर को रात 8 बजे फर्स्ट इंडिया न्यूज़ चैनल पर लाइव डिबेट (बिग फाइट) का प्रसारण हुआ। इस डिबेट में पत्रकार के तौर पर मैंने भी भाग लिया। मेरे साथ सरकार के मंत्री गोविंद राम मेघवाल और भाजपा विधायक व प्रदेश प्रवक्ता रामलाल शर्मा भी मौजूद रहे। अशोक गहलोत एक विचारधारा है शीर्षक पर आयोजित डिबेट में मंत्री और विधायक ने तो अपनी अपनी पार्टी का पक्ष रखा, लेकिन मेरा कहना रहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत इन दिनों चौतरफा घिरे हुए हैं और विरोधियों से अकेले ही जूझ रहे हैं। चेहरे पर निराशा का भाव न आए, इसलिए 14 सितंबर को उदयपुर के गोगुंदा में आयोजित ग्रामीण ओलंपिक खेलों में स्वयं ने भी युवाओं के साथ कबड्डी खेली। गहलोत की उम्र 71 वर्ष के पार है और अब कबड्डी जैसा जोखिम भरा खेल खेलना संभव नहीं है, लेकिन विरोधियों को चुनौती देने के लिए गहलोत ने गोगुंदा में कबड्डी खेली। असल में गहलोत को भाजपा से ज्यादा कांग्रेस के असंतुष्टों से खतरा है। 12 सितंबर को पुष्कर में आयोजित गुर्जरों के प्रोग्राम में जिस तरह से गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत और सरकार के मंत्रियों को बोलने तक नहीं दिया, उससे जाहिर है कि गहलोत को अपनों से ही ज्यादा परेशानी है। कांग्रेस के नेताओं को जब मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना नि:शुल्क दवा एवं जांच, सवा करोड़ महिलाओं को नि:शुल्क स्मार्ट फोन, मनरेगा की तरह शहरी क्षेत्र में युवाओं को 100 दिन के रोजगार देने की गारंटी, बिजली के बिल में मोटी सब्सिडी जैसी योजनाओं का प्रचार करना चाहिए, तब कांग्रेस के ही नेताओं और विधायक गुर्जरों के प्रोग्राम में मंत्रियों और वैभव गहलोत को नहीं बोलने देने का मुद्दा उछाल रहे हैं, सब जानते हैं कि गहलोत एक वर्ष से कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति में भी सक्रिय है। दिल्ली जाकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का नतीजा ही है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जोधपुर (गहलोत के गृह जिले) में आकर सार्वजनिक सभा की। इतना ही नहीं गहलोत के गृहराज्य मंत्री राजेंद्र यादव के परिवार के सदस्यों के व्यावसायिक ठिकानों पर आयकर के छापे दर्शाते हैं कि आने वाले दिनों में गहलोत के मंत्रियों और पहचान वालों पर छापामार कार्यवाही होगी। राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस का ऐसा कोई नेता नहीं है जो चौतरफा घिरे अशोक गहलोत का बचाव कर सके। कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले गांधी परिवार का बचाव तो खुद गहलोत ही कर रहे हैं। कांग्रेस में राष्ट्रीय पर गहलोत के मुकाबले कोई नेता नहीं है, इसलिए गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव है। पुष्कर में पुत्र और मंत्रियों के साथ जो व्यवहार हुआ उससे अशोक गहलोत बेहद आहत हैं। लेकिन अभी गहलोत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। गहलोत शायद सचिन पायलट की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहे हैं। पुष्कर में पायलट समर्थकों ने ही अपनी भावनाओं को ही प्रदर्शित किया था। 12 सितंबर की घटना के बाद अभी तक भी दोनों नेताओं की प्रतिक्रिया सामने नहीं आना बहुत कुछ प्रदर्शित कर रही है। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो राजनीतिक संघर्ष चल रहा है उसके परिणाम अब जल्द ही देखने को मिलेंगे। कांग्रेस में आला कमान का मतलब अब अशोक गहलोत ही है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों को राहत देने के मामले में भी हिन्दुओं के साथ भेदभाव।एनआरसी का विरोध करने वाले बताएं कि ऐसे हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देने में क्या हर्ज है?

पाकिस्तान में इन दिनों बाढ़ की वजह से हालात बेहद ही गंभीर है। सिंध प्रांत के हालात कुछ ज्यादा ही खराब हैं। ऐसे में सरकार और स्वयंसेवी संगठनों की ओर से बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री उपलब्ध करवाई जा रही है। इसमें भोजन भी शामिल है। इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि जो बाढ़ पीड़ित हिन्दू हैं उन्हें भोजन सामग्री नहीं दी जा रही है। जबकि मुस्लिम बाढ़ पीड़ितों को पर्याप्त मात्रा में सामग्री दी जा रही है। हिन्दुओं को राहत सामग्री नहीं देने के वीडियो न्यूज़ चैनलों पर प्रसारित हो रहे हैं। यूं तो पाकिस्तान में हिन्दुओं की संख्या बहुत कम है, लेकिन जो हिंदू रह रहे हैं उन को धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता है। इसका ताजा उदाहरण बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री देने में भेदभाव का है। पाकिस्तान में धर्म के आधार पर प्रताड़ित हिन्दुओं को भारत की नागरिकता देने के लिए ही नागरिकता कानून में संशोधन किया गया, लेकिन भारत में कुछ लोगों ने इसका विरोध किया। दिल्ली के मुस्लिम बाहुल्य शाहीन बाग में दिए गया धरना, जबकि नए कानून (एनआरसी) इसमें भारत के किसी भी मुसलमान की नागरिकता को कोई खतरा नहीं था। जिन लोगों ने एनआरसी का विरोध किया वे अब बताए कि पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ित हिन्दुओं को राहत सामग्री क्यों नहीं दी जा रही है? क्या पाकिस्तान में जल्लाद किस्म के ऐसे लोग हैं जो हिन्दुओं को भूखा मारना चाहते हैं? इसे भारत में दुर्भाग्य स्थित ही कहा जाएगा कि जिन लोगों ने एनआरसी का विरोध किया था, वे अब बताए कि पाकिस्तान में हो रहे भेदभाव पर चुप क्यों हैं? सवाल उठता है कि पाकिस्तान में धर्म के आधार पर हिन्दुओं को किस तरह प्रताड़ित किया जा रहा है उसमें पाकिस्तान के हिन्द कहां शरण लें। ऐसे पाकिस्तानी हिन्दुओं की नजर भारत पर ही रहती है। सब जानते हैं कि 1947 में धर्म के आधार पर ही पाकिस्तान को मुस्लिम राष्ट्र घोषित किया गया, जबकि भारत को धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र कहा गया। धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देकर हर धर्म का व्यक्ति भारत में अपने धर्म के अनुरूप रह रहा है, लेकिन जब पाकिस्तान के हिंदुओं को भारत की नागरिकता देने की बात होती है तो धर्मनिरपेक्षता झंडाबरदार ही विरोध करते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

अजमेर में अग्रसेन जयंती के 13 दिवसीय कार्यक्रम 16 सितंबर से होंगे। 26 सितंबर को निकलेगी शोभायात्रा।

अजमेर में इस बार अग्रसेन जयंती 13 दिनों तक धूमधाम और उत्साह के साथ मनाई जाएगी। जयंती महोत्सव समिति के मुख्य संयोजक अशोक पंसारी एवं शिव शंकर फतेहपुरिया ने 15 सितंबर को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि 16 सितंबर को प्रात: 9 बजे अग्रवाल पाठशाला प्रांगण में ध्वजारोहण होगा। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संजीव अग्रवाल तथा मुक्ता अग्रवाल होंगी, महोत्सव का समापन 28 सितम्बर को होगा। उन्होंने बताया कि युवाओं के क्रिकेट के प्रति आकर्षण को देखते हुए चार दिवसीय अग्रसेन प्रीमियम लीग से होगी यह लीग 16 से 19 सितंबर तक जीएलओ ग्राउंड पर होगी जिसमे समाज के युवा, महिला व पुरुष वर्ग की टीमों के बीच मैच होंगे। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सूरज नारायण गर्ग (कंदोई) व लोकेश अग्रवाल (मुंशी) होंगे, इसके अलावा 20 सितम्बर को श्याम भजन संध्या नया बाजार चौप़्उ पर होगी, इसमें कलकत्ता के सुप्रसिद्ध भजन गायक सौरभ शर्मा, मनीष घीवाला एवं दिल्ली से ऋतु पांचाल व नीमच के अशरफ अली भजनों की प्रस्तुति देंगे। दिल्ली का मनीष म्यूजिकल ग्रुप संगीत की प्रस्तुति देंगा। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रमेशचंद अग्रवाल व डॉ विष्णु चौधरी होंगे। मुख्य संयोजक शैलेंद्र अग्रवाल व विष्णु मंगल ने बताया कि 21 सितंबर को सीताराम बाजार कैसरगंज से प्रात: एक वाहन रैली निकाली जाएगी जो शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए अग्रवाल पाठशाला भवन पर समाप्त होगी। इसी दिन शाम को पाठशाला भवन परिसर में म्यूजिकल हाऊजी का कार्यक्रम होगा। इस कार्यक्रम की कांता गर्ग व शकुंतला गर्ग होंगी। सतीश बंसल एवं दिनेश परनामी ने बताया कि 22 सितंबर को अग्र समाज का सद्भावना का कार्यक्रम पाठशाला परिसर में होगा। जिसमें कई मनोरंजन कार्यक्रम होंगे, खाने पीने और गेम्स की स्टॉल लगेंगी। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हनुमान दयाल बंसल होंगे। 23 सितंबर को दोपहर साढ़े तीन बजे पाठशाला परिसर में ही ड्राइंग व पेंटिंग की प्रतियोगिता होगी, इसमें कक्षा एक से लेकर 12 आयु तक के बच्चे भाग ले सकेंगे। इसी दिन शाम को मिलाजुला मनोरंजक कार्यक्रम आनंद उत्सव भी होगा। इसमें देश के विख्यात कवि बुद्धि प्रकाश दाधीच अपनी कविताओं का पाठ करेंगे। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दीपचंद श्रीया होंगे। राकेश हटूका व आनंद प्रकाश गोयल ने बताया कि 24 सितम्बर को महिला खेलकूद प्रतियोगिताएं होगी, इसमें एक वर्ष की बालिका से लेकर पचास साल साल से ऊपर की महिलाएं भी भाग ले सकेंगी। मुख्य अतिथि श्रीमती कोमल गोयल होंगी। 24 सितंबर को ही शाम को म्यूजिकल नाइट एवं डांडिया का आयोजन रखा गया है, इसमें सुप्रसिद्ध गायिका चेताली अपनी गायकी प्रस्तुत करेंगी। 25 सितंबर रविवार को प्रातः मस्ती की पाठशाला, कैरम व शतरंज प्रतियोगिता, शाम को अग्रसेन स्कूल पर महाराज अग्रसेन की महाआरती होगी, इसी दिन अग्रवाल पाठशाला भवन में रक्तदान शिविर होगा, इसके मुख्य अतिथि हरीश गर्ग होंगे तथा इसी दिन दोपहर को महिला सांस्कृतिक प्रतियोगिता होगी, इसमें श्रीमती नील मित्तल मुख्य अतिथि होंगी। अशोक पंसारी व शिवशंकर फतेहपुरिया ने बताया कि 26 सितंबर को प्रात: आगरा गेट से प्रभात फेरी निकाली जाएगी जो विभिन्न मार्गों से होते हुए सीताराम बाजार केसर गंज में समाप्त होगी तथा इसी दिन महाराजा अग्रसेन की शोभायात्रा शाम चार बजे से ब्लू केसल कैसरगंज से प्रारंभ होकर शहर के प्रमुख मार्गो से होती हुई अग्रसेन नगर समाप्त होगी। 27 सितंबर को सांस्कृतिक संध्या एवं प्रतिभा सम्मान सम्मारोह होगा तथा 28 सितंबर को भोजन प्रसादी के साथ जयंती महोत्सव का समापन होगा। संवाददाता सम्मेलन में अग्रवाल पाठशाला सभा के अध्यक्ष शंकर लाल बंसल, सचिव प्रेम प्रकाश मंडल, कोषाध्यक्ष गोपाल गोयल कांच वाले, सीताराम गोयल आदि उपस्थित रहे। जयंती से जुड़े कार्यक्रमों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003159 पर अशोक पंसारी तथा 9829070050 पर शिवशंकर फतेहपुरिया से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Wednesday 14 September 2022

आर्य विद्वान स्वर्गीय धर्मवीर जी की भावनाओं के अनुरूप अजमेर नगर आर्य समाज का भवन वैदिक धर्म का प्रमुख केंद्र बनेगा।18 सितंबर को नवनिर्मित भवन में यज्ञ और सत्संग की शुरुआत होगी। सांसद भागीरथ चौधरी मुख्य अतिथि होंगे।जयपुर में दो अक्टूबर को लगेंगे कृत्रिम हाथ।

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद के कार्य को आगे बढ़ाने वाली परोपकारिणी सभा के प्रधान रहे डॉ. धर्मवीर शास्त्री चाहते थे कि अजमेर नगर आर्य समाज के माध्यम से वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार हो। इसके लिए धर्मवीर जी ने अजमेर में दाहरसेन स्मारक के निकट 500 वर्ग गज भूमि नगर सुधार न्यास के तत्कालीन अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत से आवंटित करवाई। बाद में 300 वर्ग गज भूमि तत्कालीन कलेक्टर करणी सिंह राठौड़ ने भी आवंटित की हालांकि अब धर्मवीर जी इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन 800 वर्ग गज भूमि पर नगर आर्य समाज का भवन तैयार हो गया है। नगर आर्य समाज के मौजूदा मंत्री डॉ. दिनेश चंद शर्मा ने बताया कि इस भवन को डॉ. धर्मवीर का प्रमुख केंद्र बनाया जाएगा। इस भवन में अभी कई कार्य शेष हैं, लेकिन आगामी 18 सितंबर से नवनिर्मित भवन में यज्ञ और सत्संग की शुरुआत की जा रही है। इस अवसर पर होने वाले समारोह में अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी होंगे, जबकि ब्रह्मा गुरुकुल आबू पर्वत के कुलपति आचार्य ओम प्रकाश, आचार्य प्रभाकर, ओम मुनि, पंडित अमर सिंह आदि आर्य विद्वानों के प्रवचन होंगे। डॉ. शर्मा ने बताया कि धर्मवीर जी ने अपने जीवन काल में स्वामी दयानंद के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आनासागर के किनारे ऋषि उद्यान को विकसित कर राष्ट्रीय स्तर के आयोजन करवाए। आज भी प्रतिवर्ष आर्य समाज का राष्ट्रीय सम्मेलन होता है। धर्मवीर जी के जीवन पर सेवानिवृत्त आईएएस तपेंद्र कुमार ने लोकोत्तर धर्मवीर नामक पुस्तक भी लिखी है, आज भले ही धर्मवीर जी हमारे बीच में न हो, लेकिन आर्य समाज को लेकर जो विचार उन्होंने रखे थे, आज भी विद्यमान हैं। आर्य समाज के सिद्धांतों में विश्वास रखने वाला हर व्यक्ति चाहता है कि अजमेर के कोटड़ा स्थित दाहरसेन स्मारक के निकट बना भवन वैदिक कार्यों का प्रमुख केंद्र बने। यही धर्मवीर जी के प्रति सच्ची कहानी होगी। आर्य समाज के इस नवनिर्मित भवन में होने वाली वैदिक गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003468 पर डॉ. दिनेश शर्मा से ली जा सकती है। डॉ. शर्मा ने सभी आर्य प्रेमियों से 18 सितंबर को होने वाले समारोह में प्रात: 8 बजे भाग लेने की अपील की है।
 
जयपुर में लगेंगे कृत्रिम हाथ:
राजस्थान के जयपुर में 2 अक्टूबर को जवाहर नगर के सेक्टर चार में स्थित जनउपयोगी केंद्र में आयोजित शिविर में जरूरतमंद व्यक्तियों को नि:शुल्क कृत्रिम हाथ लगाए जाएंगे। इसके लिए जयपुर में शास्त्री नगर, आरपी रोड, स्थित राजस्थान योग परिषद (योग भवन) में रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9116113380 पर डॉ. राजेंद्र छाबड़ा तथा 9829235039 पर हनुमान सहाय शर्मा से ली जा सकती है। यह नि:शुल्क रोटरी क्लब के सहयोग से लगाया जा रहा है। डॉ. छाबड़ा और शर्मा ने बताया कि कृत्रिम हाथ लगाने के बाद संबंधित व्यक्ति सामान्य कामकाज कर सकेगा। महिलाएं रसोई का काम भी कर सकेंगी। कृत्रिम हाथ के लिए जरूरी है कि कोहनी के नीचे मूल हाथ का चार इंच का हिस्सा हो। कृत्रिम हाथ का वजन मात्र चार सौ ग्राम है। इसमें अंगुलियां भी सामान्य रूप से काम करती हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

जिन गृह राज्यमंत्री राजेंद्र यादव के कारोबार पर आईटी की रेड हुई, उन मंत्री जी को अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकारी दौरों में अपने साथ रख रहे हैं। ताकि हौसला अफजाई हो सके।

14 सितंबर को जयपुर में हुए हिन्दी दिवस के सरकारी समारोह में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ गृह राज्यमंत्री राजेंद्र यादव भी उपस्थित रहे। इससे पहले 13 सितंबर को भी राजेंद्र यादव दिनभर मुख्यमंत्री के साथ रहे। 13 सितंबर को सीएम गहलोत ने प्रदेश के उपखंड में ग्रामीण ओलंपिक खेलों के समारोह में भाग लिया। इस दौरान हेलीकॉप्टर में राजेंद्र यादव भी साथ रहे। जानकारों की मानें तो मंत्री यादव की हौसला अफजाई के लिए सीएम गहलोत सरकारी दौरों में साथ रख रहे हैं। राजेंद्र यादव पिछले एक वर्ष से मंत्री हैं, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ, जब उन्होंने सीएम के साथ लगातार यात्रा की हो। सूत्रों के अनुसार विगत दिनों यादव के परिवार से जुड़े सदस्यों के कारोबारी ठिकानों पर आईटी की रेड हुई, इसमें करीब 100 करोड़ से भी ज्यादा अघोषित संपत्ति का पता चला।  हालांकि रेड के पहले दिन राजेंद्र यादव गुस्से में भी नजर आए और आरोप लगाया कि राजनीतिक द्वेषता की वजह से उनके परिवार के सदस्यों पर आयकर विभाग छापेमार रहे हैं। यादव का कहना रहा कि सरकार की मिड डे मील योजना में उनके परिवार की ओर से कोई सप्लाई नहीं दी जाती है। उनका कारोबार पिछले 50 वर्ष से चल रहा है। परिवार की फैक्ट्रियों में पैकिंग के काम में आने वाली सामग्री तैयार होती है, लेकिन आयकर विभाग को यह भी पता चला कि बागन कंपनियां बना कर मिड डे मील योजना में सप्लाई भी दिखाई गई। यही वजह रही कि 14 सितंबर को राजेंद्र यादव के स्वर बदले हुए थे।  यादव ने कहा कि आयकर विभाग के छापों का मामला कारोबार से जुड़ा पाया है। ऐसा होता रहता है। 14 सितंबर को यादव ने छापामार कार्यवाही पर कोई नाराजगी नहीं जताई। प्रायोजित तरीके से मीडिया कर्मियों को राजेंद्र यादव सरकारी आवास पर बुलाया और कैमरे के सामने यह जताने की कोशिश की कि छापेमारी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। सीएम गहलोत भी यादव को इसलिए अपने साथ सरकारी दौरे करवा रहे हैं ताकि उनकी हौसला अफजाई हो सके। गहलोत भी यह दिखाने चाहते हैं कि छापों से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (14-09-2022)

Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

जब सरकार के प्रति जन आक्रोश होता है, तब बाबूलाल नागर जैसे बयान ही सामने आते हैं।क्या नागर के बयान को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बयान माना जाए, क्योंकि नागर मुख्यमंत्री के घोथ्षत सलाहकार हैं।गुर्जरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने से नाराजगी और बढ़ेगी।

13 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर जिले के  दूदू  उपखंड में एक खेल समारोह में भाग लिया। सीएम गहलोत के सभा स्थल पर पहुंचने से पहले दूदू के विधायक और मुख्यमंत्री के अधिकृत सलाहकार ने उपस्थित लोगों से कहा कि मुख्यमंत्री के आने पर वे सिर्फ अशोक गहलोत जिंदाबाद और राजीव गांधी अमर रहे के नारे ही लगाएं। यदि किसी ने इन दोनों नारों के अतिरिक्त नारे लगाए तो पुलिस उठा कर ले जाएगी। मुझे अनुशासनहीनता पसंद नहीं है। नागर ने यह भी कहा कि पड़ोसी के विरोध करने पर पास वाले के खिलाफ कार्यवाही हो जाएगी। दूदू जैसी सभा नागौर के नावां में भी हुई। सीएम गहलोत के सामने काले झंडे न दिखाए जाएं, इसके लिए काली टी शर्ट या कमीज पहनने वालों को सभा स्थल पर नहीं जाने दिया। असल में जब सरकार के प्रति जनआक्रोश होता है, तब  बाबूलाल नागर जैसे बयान ही सामने आते हैंं। जो लोग सत्ता की मलाई खा रहे होते हैं, वे नहीं चाहते कि राजा के सामने लोगों का आक्रोश फूटे। इसलिए राजा के आने से पहले हिदायत जारी कर दी जाती है। मलाई खाने वाले 12 सितंबर को पुष्कर में हुए विरोध से चिंतित हैं। पुष्कर में गुर्जरों के एक समारोह में गहलोत सरकार के मंत्री अशोक चांदना शकुंतला यादव (गुर्जर), धर्मेन्द्र राठौड़ आदि को बोलने तक नहीं दिया। चप्पल जूतों की बरसात के बीच मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत को भी सभा स्थल से चुपचाप पुलिस संरक्षण में निकलना पड़ा। मलाई खाने वाले अब नहीं चाहते हैं कि पुष्कर जैसा दृश्य फिर उपस्थित हो। लेकिन सवाल उठता है कि क्या पुलिस के दम पर जन आक्रोश को दबा दिया जाएगा? फिलहाल तो ऐसा ही प्रतीत हो रहा है कि सरकार पुलिस के दम पर जनआक्रोश को दबाने में लगी हुई है, इसलिए मुख्यमंत्री के सलाहकार सरकार विरोधी नारे लगाने वालों को पुलिस से उठवाने की बात करते हैं, वहीं पुष्कर के प्रकरण में अनेक गुर्जरों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए जाते हेैं। सरकार पुलिस के माध्यम से जो मुकदमा दर्ज करवाएं हैं, उससे गुर्जरों में और नाराजगी बढ़ेगी। गहलोत सरकार से गुर्जर समुदाय पहले ही खफा है। स्वर्गीय किरोड़ी सिंह बैंसला के पुत्र विजय बैंसला ने 12 सितंबर की घटना में कार्यवाही की मांग कर माहौल को और बिगाडऩे वाला काम किया है। वहीं नागर का वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। चूंकि नागर मुख्यमंत्री के अधिकृत सलाहकार हैं, इसलिए सीएम गहलोत को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या नागर वाला बयान उनका है? सब जानते हैं कि नागर शुरू से ही गहलोत के समर्थक रहे हैं। गहलोत जब दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे तो नागर को कैबिनेट मंत्री बनाया था। लेकिन तब नागर पर बलात्कार का आरोप लगाने से उन्हें मंत्री पद से हटाना पड़ा। 2018 में कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने पर नागर ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते। नागर की वफादारी को देखते हुए गहलोत ने उन्हें अपना सलाहकार बनाया। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-09-2022)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511