Friday 28 July 2023

आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की डायरी पर पीएम मोदी का संपूर्ण कांग्रेस पर हमला।गांधी डायरी में काली लिखावट है इसलिए प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया ।राठौड़ बताएं कि जब डायरी में क्या लिखा है? अब राठौड़ के भी पैर में फ्रैक्चर हुआ।

इनकम टैक्स ईडी के अधिकारियों में राजस्थान पर्यटन विकास निगम आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के घर से जो तीन डायरियां जब्त की है उन डायरिया को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब संपूर्ण कांग्रेस पर हमला बोला है। 27 जुलाई को राजस्थान के सीकर में एक सभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि डायरियां कांग्रेस की लूट की दुकान का ताजा प्रोडक्ट है। जब इन डायरियों के पन्ने खुलेंगे तो अच्छे-अच्छे निपट जाएंगे। कांग्रेस का डिब्बा गोल हो जाएगा। डायरियों की लिखावट काली है। पीएम मोदी ने अपने भाषण में डायरियों का उल्लेख कर कांग्रेस के साथ-साथ अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार पर भी निशाना साधा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डायरियों की बात को काल्पनिक कहे, लेकिन यदि राठौड़ की डायरियों में काली लिखावट नहीं होती तो पीएम मोदी उल्लेेख नहीं करते। सीएम गहलोत ने सही कहा कि केंद्रीय जांच एजेंसी मोदी के अधीन काम करती हैं, जब जांच एजेंसियां मोदी के अधीन काम करती है तो डायरियों में लिखी जानकारियां भी मोदी के पास होंगी। सब जानते हैं कि धर्मेंद्र राठौड़ सीएम गहलोत के भरोसेमंद है। राजनीति में राठौड़ को गहलोत का हनुमान कहा जाता है। राठौड़ ने स्वयं स्वीकारा है कि वे डायरी में दिनभर की घटनाओं का उल्लेख करते हैं। स्वाभाविक है कि राठौड़ ने अपनी डायरियों में बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने से लेकर जुलाई 2020 में हुए राजनीतिक संकट का जिक्र किया होगा। इनकम टैक्स और ईडी ने 13 जुलाई 2020 में छापामार कार्यवाही कर धर्मेंद्र राठौड़ के घर से डायरियां जब्त की है। धर्मेंद्र राठौड़ तो पहले ही कांग्रेस हाईकमान के निशाने पर हैं। गत वर्ष 25 सितंबर को विधायकों की समानांतर बैठक बुलाने के मामले में हाईकोर्ट ने राठौड़ को अनुशासनहीनता का नोटिस भी दिया था, लेकिन अब राठौड़ की डायरियों ने संपूर्ण कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया है। क्योंकि राठौड़ को सीएम गहलोत का खुला संरक्षण है, इसलिए हाईकमान भी कार्रवाई करने से बच रहा है। लेकिन अब जब पीएम मोदी भी डायरियों का उल्लेख कर रही हैं तो राठौड़ एक बार फिर हाईकमान के निशाने पर आ गए हैं, क्योंकि राठौड़ को अभी तक भी आरटीडीसी का अध्यक्ष बनाए रखा गया है। गंभीर बात तो यह कि राठौड़ स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि उनकी लिखी डायरियां केंद्रीय जांच एजेंसियों के पास है लेकिन तब भी सीएम गहलोत डायरियों की बात को काल्पनिक बता रहे हैं।

राठौड़ करें खुलासा:
पीएम मोदी ने तो कह दिया है कि डायरियों में काली लिखावट है, अब धर्मेंद्र राठौड़ को डायरी में लिखी बातें सार्वजनिक करनी चाहिए। बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा ने 22 जुलाई को राठौड़ की डायरियों का जिक्र किया था, तब गुढ़ा ने कहा कि डायरियों में लिखी बातें सार्वजनिक हो जाए तो सीएम गहलोत को भी जेल जाना पड़ेगा। पहले तो डायरियो की बात को नकारा गया, लेकिन 26 जुलाई को एक बयान जारी कर राठौड़ ने स्वीकार किया कि जांच एजेंसियों ने उनके घर से 3 डायरियां जब्त की है। राठौड़ ने जिस प्रकार डायरियों की बात स्वीकार की है उसी प्रकार लिखावट को भी सार्वजनिक करना चाहिए।

राठौड़ के पैर में भी फ्रैक्चर:
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दोनों पैर के अंगूठों में फ्रैक्चर हुआ तभी आरटीडीसी के अध्यक्ष राठौड़ के पैर में भी फ्रैक्चर हो गया है। जानकारी के मुताबिक 27 जुलाई को बाएं पैर में चोट लगने के कारण राठौड़ को जयपुर के एसएमएस अस्पताल में लाना पड़ा। यहां डॉक्टरों की देखरेख में राठौड़ के पैर पर प्लास्टर चढ़ाया गया। चिकित्सकों ने राठौड़ को फिलहाल विश्राम की सलाह दी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्व में सीएम गहलोत जब कोरोना से संक्रमित हुए थे, तब राठौड़ को भी कोरोना का संक्रमण हुआ। अभी यह पता नहीं चल सका है कि राठौड़ के पैर में चोट कैसे लगी है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (28-07-2023)

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केकड़ी के विधायक रघु शर्मा के दबंगों से तंग आकर आग में झुलसे युवक अशोक गौतम की हालत गंभीर।पीड़ित के बयान के बाद ही पुलिस आरोपियों पर मुकदमा दर्ज करेगी।आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर भाजपा का प्रदर्शन।

27 जुलाई की दोपहर को अजमेर के केकड़ी में डिप्टी एसपी दफ्तर परिसर में जिस अशोक गौतम ने स्वयं को आग के हवाले किया उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। 85 प्रतिशत जले युवक गौतम को सांस लेने में तकलीफ  हो रही है। अजमेर के जेएलएन अस्पताल के अधीक्षक डॉ नीरज गुप्ता ने कहा कि हर संभव इलाज किया जा रहा है। वही केकड़ी के थाना प्रभारी राजवीर सिंह शेखावत का कहना है कि पीड़ित युवक अभी बयान देने की स्थिति में नहीं है बयान के बाद ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। अशोक गौतम ने स्वयं को आग के हवाले करने से पहले एक वीडियो बनाया। इस वीडियो में अपनी मौत का जिम्मेदार केकड़ी के कांग्रेसी विधायक और गुजरात के प्रभारी रघु शर्मा और उनके संरक्षित शिवराज चौधरी, कपिल सुवालका, अतुल दाधीच, अनिल दाधीच, राधेश्याम पोरवाल, सज्जन गुर्जर, राम गुर्जर, गोकुल विजय कांजी दूदूवाले, सुनील अग्रवाल, सुरेश गोयल, राजेश आरआर ग्रुप वाले को बताया है। पुलिस पर गौतम का आरोप रहा कि रघु शर्मा के दबाव के कारण उसे न्याय नहीं मिला केकड़ी पुलिस या तो रघु शर्मा की सुनती है या फिर पैसों की। गौतम ने अपने खान विभाग की जानकारी भी सांझा की। अशोक गौतम ने 27 जुलाई को डिप्टी एसपी दफ्तर के बाहर जिस प्रकार स्वयं को आग के हवाले किया उससे पूरी केकड़ी गमगीन है। गंभीर बात यह है कि इसी परिसर में एसडीएम दफ्तर और कोर्ट भी संचालित हैं। केकड़ी के लोगों का भी मानना है कि प्रशासनिक तंत्र में आम आदमी को न्याय नहीं मिल रहा है। जिन व्यक्तियों और दबंगों को सत्तारूढ़ पार्टी का संरक्षण है उनके काम हो रहे हैं। ऐसे संरक्षण के कारण जमीनों पर कब्जे भी हो रहे हैं। सब जानते हैं कि केकड़ी में विधायक रघु शर्मा का एक छात्र राज है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से लेकर नियुक्ति आईएएस और आईपीएस भी उन्हीं के इशारे पर काम करते हैं। केकड़ी में यदि न्यायपूर्ण कार्यवाही होती तो अशोक गौतम को आग में नहीं झुलसना पड़ता। इसे भी रघु शर्मा का दबदबा ही कहा जाएगा कि आरोपियों के खिलाफ अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ है, जबकि पुलिस के पास पीड़ित का वीडियो मौजूद है। पीडि़त ने पुलिस के उच्च अधिकारियों को पत्र भी लिखे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि विगत दिनों ही पार्षद इंदु कंवर राणावत ने कांग्रेस से इस्तीफा भी रघु शर्मा के व्यवहार के कारण दिया। इंदु कंवर का आरोप है कि विधायक शर्मा ने अपने ससुर मोड़ सिंह राणावत के साथ सार्वजनिक तौर पर अभद्र व्यवहार किया। जबकि उन्होंने तो नगर पालिका में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई थी। रघु शर्मा को भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने वाले लोग पसंद नहीं है।
 
भाजपा ने किया प्रदर्शन:
अशोक गौतम के प्रकरण में 28 जुलाई को केकड़ी में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। केकड़ी के विशेष अधिकारी को दिए गए ज्ञापन में मांग की गई कि प्रकरण के आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार कर दंडित किया जाए। विशेषाधिकारी को चेताया गया कि यदि जल्द ही आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होगी तो जन आंदोलन किया जाएगा। इस घटना से पूरे केकड़ी नगर में दहशत का माहौल है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (28-07-2023)

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Thursday 27 July 2023

तो राजेंद्र गुढ़ा के आधे से ज्यादा आरोप तो धर्मेंद्र राठौड़ ने स्वीकार कर लिए हैं।गांधी डायरी में लाल-काली लिखावट के बारे में मुख्यमंत्री के भरोसेमंद आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ही जानते हैं।अजमेर के कांग्रेसियों को अब यह समझ लेना चाहिए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, धर्मेन्द्र राठौड़ का पक्ष क्यों लेते हैं?

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भरोसेमंद आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने यह स्वीकार कर लिया है कि 13 जुलाई 2020 को जयपुर में जब इनकम टैक्स और ईडी के अधिकारियों ने उनके निवास पर छापामार कार्यवाही की थी, जब अधिकारियों ने मेरे हाथ से लिखी तीन डारियां भी जब्त की थी। राठौड़ ने यह भी स्वीकार किया कि घटना के समय राजेंद्र गुढ़ा उनसे मिलने आए थे। राजेंद्र गुढ़ा उनके पारिवारिक मित्र हैं। राठौड की इस स्वीकारोक्ति के बाद बर्खास्त मंत्री और मौजूदा समय में कांग्रेस के विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और धर्मेन्द्र राठौड़ को लेकर जो गंभीर आरोप लगाए हैं वे आधे से ज्यादा सच हो गए हैं। यह बात अलग है कि आधा सच स्वीकारने में धर्मेन्द्र राठौड़ को छह दिन लग गए। अपनी ही सरकार पर प्रतिकूल टिप्पणी करने पर सीएम गहलोत ने 21 जुलाई की रात को राजेंद्र गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। अगले ही दिन गुढ़ा ने लाल डायरी का जिक्र कर कांग्रेस की राजनीति में भूचाल ला दिया। गुढ़ा ने कहा कि 13 जुलाई 2020 को जब धर्मेंद्र राठौड़ के घर पर छापामारी हो रही थी, सीएम गहलोत ने मुझे राठौड़ के घर भेजा और करोड़ों के हिसाब किताब  वाली डायरी लाने को कहा। मैं अपनी जान जोखिम में डालकर राठौड़ के घर गया और डायरी लेकर आया। यदि मैं यह डायरी नहीं लाता तो अशोक गहलोत जेल में होते। गुढ़ा ने जब यह आरोप लगाया, तब यही माना गया कि गुढ़ा झूठ बोल रहे हैं। कोई डायरी होती तो अब तक बाहर आ जाती, लेकिन अब जब खुद धर्मेन्द्र राठौड़ ने ही डायरी जब्त होने और गुढ़ा के आने की बात स्वीकार कर ली है तो लाल डायरी के बहुचर्चित  प्रकरण में दम आ गया है। भाजपा ने पहले ही कह दिया है कि लाल डायरी को चुनावी मुद्दा बनाया जाएगा। चूंकि जब्त डायरियां इनकम टैक्स के अधिकारियों के पास हैं, इसलिए उसमें लिखी बातों की जानकारी अब राजेंद्र गुढ़ा को आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी। धर्मेन्द्र राठौड़ भले ही डायरियों को गांधीवादी बताएं, लेकिन इस गांधी डायरी में क्या लाल-काल लिखा गया है, यह धर्मेन्द्र राठौड़ अच्छी तरह जानते हैं। कांग्रेस के ही एक विधायक ने राठौड़ को सत्ता का दलाल कहा है। वैसे सब जानते हैं कि अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद पर टिकाए रखने में धर्मेन्द्र राठौड़ जैसे लोगों की ही भूमिका है। बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवाने का मामला हो या फिर गत वर्ष 25 सितंबर को  अशोक गहलोत के समर्थन में कांग्रेस विधायकों की समांनतर बैठक बुलाने का। सभी राठौड़ की सक्रिय भूमिका रही। कांग्रेस के विधायकों को कैसे बुलाया जाता है, यह सच्चाई तो खुद सीएम गहलोत ने बताई है। गहलोत ने अपनी ही पार्टी के विधायकों पर 20-20 करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया है। धर्मेन्द्र राठौड़ ने यह भी स्वीकार किया है कि वे गांधी डायरी में अपनी दिन भर की गतिविधियां लिखते हैं। स्वाभाविक है कि राठौड़ ने बसपा वाले विधायकों को कांग्रेस में लाने और 25 सितंबर को समानांतर बैठक बुलाने की सच्चाई भी लिखी होगी। चूंकि कांग्रेस के विधायक ही सत्ता का दलाल मानते हैं, इसलिए राठौड़ ने डायरी में बहुत कुछ लिखा होगा। राजेंद्र गुढ़ा ने तो सिर्फ एक डायरी की बात कही है, जबकि धर्मेन्द्र राठौड़ तीन डायरियों की बात कह रहे हैं। गुढ़ा ने कैबिनेट मंत्री शांति धारीवाल और महेश जोशी के चरित्र को लेकर भी गंभीर आरोप लगाए। महेश जोशी ने गुढ़ा पर मानहानि का मुकदमा दर्ज करने की बात कही है, लेकिन अब महेश जोशी को सोच विचार कर मुकदमा करना चाहिए, क्योंकि गांधी डायरी में धर्मेन्द्र राठौड़ की लिखावट है।
 
सीएम गहलोत इसलिए लेते हैं पक्ष:
इनकम टैक्स और ईडी के अधिकारियों ने तीन डायरियां जब्त की है, इस सच के उजागर होने के बाद अजमेर के कांग्रेसियों खास कर पूर्व मंत्री नसीम अख्तर, उनके पति इंसाफ अली, वरिष्ठ नेता महेंद्र सिंह रलावता, शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन आदि को यह समझ में आ जाना चाहिए कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, धर्मेन्द्र राठौड़ का इतना पक्ष क्यों लेते हैं? सीएम गहलोत के संरक्षण के कारण ही प्रदेश कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष रहते हुए नसीम अख्तर और उनके पति के खिलाफ 9 आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज हो गया। एक मुकदमा रलावता के पुत्र के खिलाफ दर्ज हुआ। राठौड़ का अजमेर पुलिस में इतना दबदबा है कि नियमों के विरुद्ध एसकॉर्ट वाहन उपलब्ध करवाया जाता है। सीएम गहलोत का डर दिखा कर ही राठौड़ ने अजमेर में कांग्रेस को अपने कब्जे में कर लिया है। दो वर्ष पहले अजमेर की राजनीति में सक्रिय हुए राठौड़ के सामने सभी नेता नतमस्तक हैं। इसलिए राठौड़ कभी पुष्कर तो कभी अजमेर उत्तर में चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हैं। कभी पुष्कर के विकास के लिए पांच सौ करोड़ रुपए लाने का दावा करते हैं तो कभी अजमेर उत्तर क्षेत्र के मंदिरों का विकास देवस्थान विभाग से करवाने की बात करते हैं। फिलहाल राठौड़ ने अपना फोकस अजमेर उत्तर पर कर खा है। अजमेर के नेताओं को यह समझना चाहिए कि धर्मेन्द्र राठौड़ की लिखी डायरियां जब्त होने से सीएम गहलोत कितने दबाव में होंगे। विरोधियों को अब राजेंद्र गुढ़ा एक हथियार के तौर पर मिल गए हैं। यह बात अलग है कि यही डायरियां धर्मेन्द्र राठौड़ को राजनीति से बाहर भी कर सकती हैं। अशोक गहलोत भी एक सीमा तक दबाव बर्दाश्त करेंगे। 


S.P.MITTAL BLOGGER (27-07-2023)

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यूरिया की बोरी विदेशों में तीन हजार रुपए तक में मिलती है, जबकि भारत में मात्र 266 रुपए में। यह है मोदी सरकार की गारंटी।सीकर में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में श्याम बाबा का नाम भी पुकारा।राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीखे अंदाज पर पीएम मोदी ने दिखाई विनम्रता।आखिर गफलत कहां हुई?

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गारंटी योजनाओं और महंगाई राहत शिविर का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यूरिया खाद की जो बोरी भारत में मात्र 266 रुपए मिलती है, वह अमेरिका में 3 हजार रुपए तक में मिल रही है। यही बोरी पाकिस्तान में 800 रुपए, बांग्लादेश में 720 रुपए और चीन में 21 सौ रुपए में मिल रही है। पहले कोरोना काल और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया भर में महंगाई बढ़ी लेकिन भारत में इसका असर नहीं हुआ। हमने जो नीतियां बनाई उसी का परिणाम है कि आज भारत के किसानों को मात्र 266 रुपए में यूरिया की बोरी उपलब्ध हो रही है। 27 जुलाई को राजस्थान के सीकर में विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास के साथ साथ देश के साढ़े आठ करोड़ किसानों के खाते में 18 हजार करोड़ रुपए की राशि ट्रांसफर करने के बाद एक समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार किसानों के साथ खड़ी है। राजस्थान में बाजरा उत्पादन की स्थिति को देखते हुए मोदी ने कहा कि अब दुनिया भर में मोटे अनाज की मांग होने लगी है। मोटे अनाज का नाम श्री अन्न दिया है और दुनिया भर के बाजार में श्री अन्न की पहचान बनाई है। मोदी ने कहा कि किसानों को एक ही स्थान पर सब चीजें उपलब्ध हो जाए इसलिए प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र की शुरुआत की गई है। आज ही एक लाख 25 हजार ऐसे केंद्र शुरू किए गए हैं। साल के अंत तक इनकी संख्या पौने दो लाख हो जाएगी। इन केंद्रों पर किसान को खाद, बीज, औजार, मशीन और कृषि की आधुनिक जानकारियां भी उपलब्ध होंगी। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे इन केंद्रों का एक बार अवलोकन जरूर करें। पीएम ने अपने संबोधन में सीकर स्थित खाटू श्याम बाबा के नाम का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि श्याम बाबा के आशीर्वाद से राजस्थान का और विकास किया जाएगा। पीएम ने कहा कि केंद्र सरकार की योजनाओं के कारण राजस्थान में इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा मिला है। अब यहां वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें चल रही हैं, तो वहीं एक्सप्रेस हाइवे का जाल बिछा हुआ है। अब कोई पर्यटक राजस्थान आएगा तो उसे अच्छा लगेगा। पीएम ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना भी की। उन्होंने कहा कि गहलोत को इस कार्यक्रम में शामिल होना था, लेकिन बीमार होने के कारण वे शामिल नहीं हुए।

पीएम मोदी ने दिखाई विनम्रता:
27 जुलाई को राजस्थान के सीकर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान सम्मान निधि के हस्तांतरण, मेडिकल कॉलेजों के शिलान्यास आदि के सरकारी कार्यक्रम में भाग लिया। इसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी शामिल होना था। पीएमओ की ओर से जारी प्रोग्राम में सीएम गहलोत का तीन मिनट का संबोधन निर्धारित किया गया, लेकिन ऐन मौके पर गहलोत का कार्यक्रम हटा दिया गया। इससे नाराज होकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट के जरिए कहा कि प्रधानमंत्री जी आप राजस्थान पधार रहे हैं, आपके कार्यालय पीएमओ ने मेरा पूर्व निर्धारित तीन मिनट का संबोधन कार्यक्रम से हटा दिया है, इसलिए मैं आपका भाषण के माध्यम से स्वागत नहीं कर सकंूंगा। अत: मैं इस ट्वीट के माध्यम से आपका राजस्थान में तहे दिल से स्वागत करता हंू। इसी ट्वीट में सीएम की ओर से कहा गया कि जिन 12 मेडिकल कॉलेजों का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है उसमें एक हजार 476 करोड़ रुपए का अंशदान राज्य सरकार करेगी। इसके साथ ही सीएम ने प्रदेश से जुड़ी मांगों को भी प्रधानमंत्री के सामने रखे। सीएम गहलोत के इस ट्वीट के बाद पीएमओ ने ट्वीट के जरिए अपना पक्ष रखा। पीएमओ के ट्वीट में सीएम गहलोत को संबोधित करते हुए कहा गया कि प्रोटोकॉल के तहत आपको विधिवत आमंत्रित किया गया है और आपका भाषण भी निर्धारित है, लेकिन आपके कार्यालय से बताया गया कि आप कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछली यात्राओं के दौरान भी आपको आमंत्रित किया गया, आपने उपस्थित होकर कार्यक्रमों की शोभा भी बढ़ाई। आज के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आपका हार्दिक स्वागत है। विकास कार्यों की पट्टिका पर भी आपका नाम लिखा हुआ है। पीएमओ के ट्वीट में यह भी कहा गया कि हाल ही में लगी चोट के कारण आपको शारीरिक परेशानी न हो। आपकी उपस्थिति को बहुत महत्व दिया जाएगा। पीएमओ और सीएमओ के ट्वीट से प्रतीत होता है कि दोनों दफ्तरों के बीच कोई गफलत हुई है। सवाल उठता है कि आखिर सीएमओ की ओर से पीएमओ को यह सूचना किसने भिजवाई की मुख्यमंत्री कार्यक्रम में भाग नहीं ले पाएंगे। यदि ऐसी सूचना नहीं आती तो पीएमओ के कार्यक्रम से सीएम गहलोत के संबोधन का कार्यक्रम नहीं हटाया जाता। प्रधानमंत्री कार्यालय ने तो बड़ा दिल दिखाते हुए नाराजगी के बाद भी सीएम गहलोत को कार्यक्रम में आमंत्रित कर दिया, यह बात अलग है कि जयपुर में सीएम का सरकारी कार्यक्रम होने के कारण सीएम गहलोत सीकर वाले समारोह में शामिल नहीं हो सके। 


S.P.MITTAL BLOGGER (27-07-2023)

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Tuesday 25 July 2023

फॉयसागर और आनासागर के बीच बने एनीकट, नाड़ी और तालाबों की मरम्मत नहीं की गई तो दो इंच वर्षा में ही अजमेर में तबाही हो जाएगी।फॉयसागर से जुड़े नालों से अतिक्रमण हटाने की भी जरुरत। भाजपा के प्रबुद्धजन प्रकोष्ठ ने कलेक्टर से गुहार लगाई।

पहले बिपरजॉय तूफान और अब मानसून की अच्छी बरसात के कारण अजमेर की फॉयसागर और आनासागर झील ओवरफ्लो है। फॉयसागर का ओवरफ्लो पानी बाड़ी नदी (अब नाला) के माध्यम से आनासागर झील में आता है और आनासागर का पानी एस्केप चैनल से शहर से बाहर निकलता है। यानी पूरा अजमेर इन दोनों झीलों से ओवरफ्लो पानी से प्रभावित है। भाजपा के प्रबुद्धजन प्रकोष्ठ के संभाग प्रभारी और सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष काबरा ने ग्रामीण क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ दोनों झील के ओवर फ्लो होने के बाद हाल ही में ग्रामीण क्षेत्रों का दौरा किया। इस दौरे में जाना गया कि दोनों झीलों के बीच आने वाले खरेकड़ी, अजयसर, काजीपुरा, बोराज, हाथी खेड़ा, नौसर, चौरसियावास आदि गांवों में 28 नाड़ी, चार एनीकट और चार तालाब बने हुए हैं। यह सभी जल क्षेत्र ओवर फ्लो है, लेकिन अधिकांश जल स्रोत क्षतिग्रस्त है। ऐसे में कभी भी अप्रिय घटना हो सकती है। वर्ष 2000 में अजय सर की नाड़ी टूटने से 11 लोगों की मौत हो गई थी। नाड़ी का पानी इतना तेज था कि ग्रामीण स्वयं को संभाल ही नहीं सके। काबरा की टीम ने अपने दौरे की एक रिपोर्ट जिला कलेक्टर डॉ. भारती दीक्षित को सौंपी है। इस रिपोर्ट में आग्रह किया गया है कि फॉयसागर और आनासागर के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में बने जल भराव के स्थानों की तत्काल प्रभाव से मरम्मत करवाई जाए। रिपोर्ट में आशंका जताई गई कि यदि दो इंच बारिश हो गई तो ग्रामीण क्षेत्र के जलभराव वाले स्थान टूट सकते हैं। ऐसे में जो पानी फॉयसागर और बाड़ी नदी में आएगा उसका असर आनासागर पर भी पड़ेगा और जब आनासागर का पानी तेज गति से निकाला जाएगा तो एस्केप चैनल भी शहर भर के लोगों को प्रभावित करेगा। काबरा ने कलेक्टर को यह भी सुझाव दिया कि क्षतिग्रस्त जलभराव वाले स्थानों पर मिट्टी के कट्टे अभी से ही एकत्रित कर दिए जाए ताकि जल रिसाव के समय कट्टों को लगाया जा सके। काबरा ने बताया कि जिला कलेक्टर ने उनकी रिपोर्ट ज्ञापन पर गंभीरता दिखाई है और संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं। कलेक्टर ने काबरा और उनकी टीम की जागरूकता की भी प्रशंसा की है। कलेक्टर ने माना है कि ऐसे सुझावों से प्रशासन को मदद मिलेगी। कलेक्टर को ज्ञापन देने वालों में सुभाष काबरा के साथ साथ उमेश गर्ग, सुभाष चंद शर्मा, प्रेम प्रकाश पारीक, साजन चौहान, बबलू चीता, बीरमा चीता, ओम रावत, हरजी सिंह रावत, बोम सिंह रावत, जय सिंह रावत, लक्ष्मण सिंह, रूप सिंह रावत, मदन सिंह रावत, विमल काबरा, निजाम, गुलाब आदि मौजूद थे। रिपोर्ट के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829071696 पर सुभाष काबरा से ली जा सकती है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (25-07-2023)

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अंजू रफाइल वापस भारत आना चाहती है, जबकि सीमा हैदर पाकिस्तान नहीं जाना चाहती।यही फर्क है भारत और पाकिस्तान में।

राजस्थान के अलवर क्षेत्र के भिवाड़ी में रहने वाली दो बच्चों की मां श्रीमती अंजू रफाइल इन दिनों पाकिस्तान में है। कहां जा रहा है कि अंजू अपने मुस्लिम मित्र नसरुल्ला से मिलने पाकिस्तान गई है। पाकिस्तान पहुंचने के बाद अंजू ने कहा है कि वह पासपोर्ट और वेद्य वीजा लेकर पाकिस्तान थोड़ा घूमने के बाद जल्द ही अपने देश लौट आएगी। अंजू ने कहा कि वे भिवाड़ी में अपने पति और बच्चों के साथ ही रहेगी। यानी पाकिस्तानी से लौटने के बाद भी अंजू को अपने देश में कोई खतरा नहीं है। भले ही वह अपने किसी पुरुष मित्र के साथ इधर-उधर घूमी हो। अंजू का पति भी उसे स्वीकारने को तैयार है। जबकि वहीं पाकिस्तान से आई सीमा हैदर वापस अपने देश लौटना नहीं चाहती है। सीमा हैदर का कहना है कि यदि उसे जबरदस्ती पाकिस्तान में धकेला गया तो कट्टरपंथी मुसलमान उसे जान से मार देंगे। सीमा हैदर भी अपने भारतीय पुरुष मित्र सचिन मीणा से मिलने नोएडा आई है। सीमा ने तो सचिन के साथ विवाह भी कर लिया है। हालांकि सुरक्षा की दृष्टि से भारतीय जांच एजेंसियों ने सीमा हैदर से पूछताछ की है। लेकिन अभी तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिसमें सीमा हैदर को पाकिस्तान का जासूस माना जाए। अंजू और सीमा  के प्रकरण से भारत और पाकिस्तान के बीच के फर्क हो समझा जा सकता है। पाकिस्तान में जो हालात हैं, उन्हें सीमा हैदर भारतीय मीडिया में लगातार बता रही हैं। जबकि अंजू रफाइल पाकिस्तान में रहने के बाद भी अपने देश वापस आना चाहती है। भारत के किसी भी संगठन ने अभी तक अंजू की वापसी का विरोध नहीं किया है। जबकि पाकिस्तान में सीमा की वापसी का लगातार विरोध हो रहा है और विवाह के बाद तो सीमा को इस्लाम धर्म से खारिज कर दिया गया है। सीमा हैदर के भारत आने पर पाकिस्तान ने हिन्दू महिलाओं के अपहरण की घटनाएं सामने आई है। जबकि अंजू के पाकिस्तान जाने के बाद भारत में ऐसी कोई घटना नहीं हो रही। इससे भारत की सनातन संस्कृति की उदारता ही कहा जाएगा कि पाकिस्तान में मुस्लिम पुरुष मित्र से मिलने पर भी अंजू का भारत में कोई विरोध नहीं हो रहा है। अंजू बेधड़क अपने देश वापस आ सकती है। अंजू तो वेद्य पासपोर्ट और वीजा के माध्यम से पाकिस्तान गई है, जबकि सीमा हैदर तो अवैध तरीके से बिना वीजा के भारत में आई है। सीमा को एक माह से ज्यादा हो गया, लेकिन अभी तक भी अवैध उपस्थिति को लेकर सीमा के विरुद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हुई है। 

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क्या फर्क है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा के बयानों में।गहलोत ने भी अपनी ही पार्टी के विधायकों पर भाजपा से बीस बीस करोड़ रुपए लेने के आरोप लगाए थे।लाल डायरी के मामले में आखिर धर्मेन्द्र राठौड़ चुप क्यों हैं?लोकतंत्र का इतना पाठ पढ़ने के बाद भी राजस्थान विधानसभा में शर्मसार करने वाली वारदातें।कार्टूनिस्ट जसवंत दारा का सटीक कार्टून।

कांग्रेस के निलंबित विधायक और बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा का लाल डायरी वाला बयान इन दिनों मीडिया में छाया हुआ है। गुढ़ा का कहना है कि 13 जुलाई 2020 को जब इनकम टैक्स और ईडी रेड आरटीडीसी के अध्यक्ष  धर्मेन्द्र राठौड़ के यहां हुई तब वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आग्रह पर रेड वाले स्थान पर गए और एक डायरी निकाल कर लाए। गुढ़ा का कहना है कि इस डायरी में विधायकों की खरीद फरोख्त का हिसाब किताब है। इस डायरी में लिखावट धर्मेन्द्र राठौड़ की है। यह सही है कि राजेंद्र गुढ़ा भी सीएम गहलोत के भरोसेमंद विधायकों में से रहे, लेकिन अब जब विधानसभा चुनाव में 70 दिनों से भी कम समय रह गया है, तब राजेंद्र गुढ़ा मुख्यमंत्री की पोल खोलने में लगे हुए हैं। गुढ़ा के लाल डायरी वाले बयान पर अनेक सवाल हैं, लेकिन गुढ़ा का यह बयान भी वैसा ही है, जैसा सीएम गहलोत ने अपनी ही पार्टी के विधायकों पर आरोप लगाए थे। जुलाई 2020 में कांग्रेस के जो 18 विधायक सचिन पायलट के नेतृत्व में दिल्ली गए उनके बारे में गहलोत का कहना है कि इन्होंने भाजपा से 20-20 करोड़ रुपए लिए हैं। सीएम गहलोत का यह भी कहना रहा कि ऐसे विधायकों को 20 करोड़ रुपए वाली राशि वापस लौटा देनी चाहिए ताकि भाजपा का कोई दबाव न रहे। यह बात अलग है कि 20-20 करोड़ रुपए लेने का कोई सबूत गहलोत ने आज तक प्रस्तुत नहीं किया है। लेकिन अपनी ही पार्टी के विधायकों के बिक जाने के बात गहलोत ने बार बार कही है। सवाल उठता है कि जब सीएम गहलोत अपनी ही बात सच बता रहे हैं तब राजेंद्र गुढ़ा की बात को झूठा कैसे बताया जा सकता है। यदि गुढ़ा का कथन झूठा है तो फिर गहलोत का कथन भी झूठा माना जाना चाहिए। सब जानते हैं कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते गहलोत ने सचिन पायलट के समर्थक विधायकों पर आरोप लगाए थे।  अब वो ही रास्ता राजेंद्र गुढ़ा अख्तियार कर रहे हैं। गहलोत ने जिन हालातों में अपनी सरकार चलाई वह किसी से छिपा नहीं है। राजेंद्र गुढ़ा तो इतने भरोसे के थे कि गहलोत ने सार्वजनिक मंच से कहा यदि राजेंद्र गुढ़ा नहीं होते तो मैं मुख्यमंत्री के पद पर भी नहीं होता। यानी राजेंद्र गुढ़ा को यह पता है कि किन तौर तरीकों से सीएम के पद पर बने हुए हैं। भले ही अब राजेंद्र गुढ़ा का पास अपनी लाल डायरी न हो, लेकिन लाल डायरी किस्से कहानी सुनाने में गुढ़ा कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। स्वाभाविक है कि भाजपा भी राजेंद्र गुढ़ा के बयान को राजनीतिक मुद्दा बनाएगी। आगामी विधानसभा चुनाव में जगह जगह लाल डायरी का जिक्र होगा। लाल डायरी की काली लिखावट से गहलोत का आसानी से पीछा नहीं छुटेगा। जहां तक राजेंद्र गुढ़ा का रेड के दौरान कोई डायरी निकालने की बात है तो यह अजीबो गरीब है। इनकम टैक्स और ईडी की रेड के समय जयपुर में केंद्रीय सुरक्षा बल तैनात थे। ऐसे में कोई भी व्यक्ति रेड वाले स्थान पर प्रवेश नहीं कर सकता है। यदि गुढ़ा ने रेड के दौरान कोई डायरी हासिल की है तो यह आपराधिक कृत्य माना जाएगा। इनकम टैक्स और ईडी को तत्काल राजेंद्र गुढ़ा के खिलाफ आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए। सब जानते हैं कि राजेंद्र गुढ़ा ने दो बार बसपा को धोखा दिया है। वर्ष 2008 और 2018 में गुढ़ा ने उदयपुरवाटी से बसपा के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा और विधायक बनने के बाद कांग्रेस में शामिल हो गए।  बसपा जैसी पार्टी को दो दो बार धोखा देने वाले गुढ़ा इतने भोले नहीं है कि रेड वाली डायरी चुप चाप सीएम गहलोत को दे दें। यदि वाकई डायरी थी तो गुढ़ा ने फोटो कॉपी जरूर करवाई होगी। 24 जुलाई को विधानसभा में गुढ़ा ने कोई डायरी नहीं बल्कि लाल फाइल लहराई। इस फाइल में क्या है यह गुढ़ा ही जानते हैं।
 
लोकतंत्र का पाठ:
पौने पांच साल पहले सीपी जोशी जब राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष बने तभी से विधानसभा में लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने के लिए लगातार आयोजन हो रहे हैं। लोकतंत्र के जानकार विशेषज्ञों को बुलाकर विधायकों को जानकारी दिलवाई जा रही है। हर विशेष का कहना रहा कि विधायकों को सदन में मर्यादित आचरण करना चाहिए। सभी ने सदन में हंगामे को अमर्यादित आचरण बताया। मौजूदा मानसून सत्र की शुरुआत पर तो सीपी जोशी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को बुलाकर संबोधन करवाया। राष्ट्रपति ने भी सूचारू सदन चलाने की सीख दी। खुद सीपी जोशी भी सदन में सख्ती के साथ नियमों की पालना करवाते हैं। लेकिन इसके बाद भी 24 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में जो कुछ हुआ वह लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला रहा। विधायकों और मंत्रियों के बीच लात घूसे चले। एक विधायक को जमीन पर पटक कर पीटा गया। हालात इतने खराब हुए कि अध्यक्ष जोशी को विधानसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। अभी भी विधानसभा 2 अगस्त तक के लिए स्थगित है। यानी सीपी जोशी जैसे अध्यक्ष के लिए भी विधानसभा का संचालन कठिन हो रहा है। सवाल उठता है कि लोकतंत्र की मर्यादा का इतना पाठ पढ़ने के बाद भी विधानसभा में शर्मसार करने वाले वारदातें क्यों हो रही हैं।
 
दारा का कार्टून:
राजस्थान में लाल डायरी को लेकर अशोक गहलोत की सरकार जिस तरह उलझी है, उस पर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने सटीक कार्टून बनाया है। कार्टून को मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (25-07-2023)

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Monday 24 July 2023

यह तो सही है कि 1669 में काशी विश्वनाथ के मंदिर को औरंगजेब ने तोड़ा था।मंदिर का तो इतिहास है, लेकिन ज्ञानवापी मस्जिद का नहीं। सर्वे से सच्चाई तो सामने आएगी।26 जुलाई को सायं पांच बजे तक सर्वे पर रोक। अब हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।

वाराणसी की जिला अदालत के आदेश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की 30 सदस्यीय टीम ने 24 जुलाई से काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर का साइंटिफिक सर्वे का काम शुरू कर दिया है। एएसआई को आगामी 4 अगस्त को अपनी रिपोर्ट देनी है। इसी मंदिर परिसर में मुस्लिम समुदाय की ज्ञानवापी मस्जिद भी बनी हुई है। जो सर्वे हो रहा है उसका मस्जिद की उपस्थिति से कोई संबंध नहीं है। यही वजह है कि कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को भी सर्वे में शामिल करने के निर्देश दिए हैं। मुस्लिम पक्ष एएसआई के सर्वे का लगातार विरोध कर रहा है। सर्वे से मंदिर परिसर में बनी मस्जिद के इतिहास की भी जानकारी हो जाएगी, लेकिन यह ऐतिहासिक तथ्य है कि 1669 में अत्याचारी मुगल शासक औरंगजेब ने भारत के अन्य मंदिरों के साथ साथ वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में भी तोडफ़ोड़ की थी। मंदिर को तोडऩे की घटना से कोई इंकार नहीं कर रहा है। जहां तक मंदिर निर्माणका सवाल है तो इतिहासकारों के अनुसार 2050 वर्ष पहले हिन्दू राजा विक्रमादित्य ने मंदिर का निर्माण करवाया था क्यों यही पर भगवान शिव के 12  ज्योर्तिलिंगों में से एक ज्योर्तिलिंग स्थापित था। ज्योर्तिलिंग की वजह से ही इस मंदिर का विशेष धार्मिक महत्व है। काशी विश्वनाथ मंदिर के विवाद को अदालत में ले जाने वाली हिन्दू महिला रेखा पाठक, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और  मंजू व्यास का कहना है कि मंदिर परिसर में जो मस्जिद बनी है, वह भी टूटे मंदिर के अवशेषों से बनी है। यह मस्जिद जबरन बनाई गई है। इस्लाम में विवादित स्थान पर मस्जिद को जायज नहीं माना गया है। ऐसे में मुस्लिम पक्ष को मस्जिद वाला स्थान स्वेच्छा से हिन्दू पक्ष को सौंप देना चाहिए। इसमें न्यायालय का तो कोई हस्तक्षेप होना ही नहीं चाहिए। मुस्लिम समुदाय भी जानता है कि अत्याचारी मुगल शासकों ने हिन्दुओं और उनके धार्मिक स्थलों पर किसने आक्रमण किया। चूंकि काशी विश्वनाथ मंदिर से करोड़ों हिन्दुओं की आस्था जुड़ी है, इसलिए मुस्लिम पक्ष को हिन्दुओं की भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए। हिन्दुओं ने हमेशा मुसलमानों के प्रति उदार रुख अपनाया है। यही वजह है कि हिन्दू समुदाय के लाखों लोग मुस्लिम सूफी संतों की मजारों और दरगाहों में जाकर जियारत करते हैं। यह सही है कि 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत मौजूदा धर्म स्थलों को कानूनी संरक्षण मिला हुआ है, इसलिए कोई भी अदालत अब पुरान किसी धार्मिक स्थल को हटाने के आदेश नहीं दे सकती। ऐसे में वाराणसी में बनी ज्ञानवापी का हटना मुश्किल है। भले ही एएसआई के सर्वे में मस्जिद की इमारत में हिन्दू संस्कृति और धर्म के चिह्नों की बात साबित हो जाए। हालांकि पूर्व में कोर्ट द्वारा नियुक्त रिसीवर की रिपोर्ट में माना गया है कि मस्जिद में मंदिर के अवशेषों का उपयोग हुआ है। काशी विश्वनाथ मंदिर का मामला कानून से ज्यादा दोनों पक्षों के धर्म से जुड़ा हुआ है। जिस मस्जिद की इमारत में दूसरे धर्म के चिह्न हो उस मस्जिद में नमाज कैसे पढ़ी जा सकती है? यह बात अलग है कि ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर अब राजनीति भी शुरू हो गई है। टीवी चैनलों पर बैठ कर दोनों ही पक्षों के लोग उकसाने वाली कार्यवाही कर रहे है। जबकि यह मामला झगड़े फंसद का है ही नहीं। दोनों पक्षों के धर्मगुरु आपस में बैठ कर मामले को निपटा सकते हैं। यदि मंदिर के अवशेषों से बनी मस्जिद में नमाज जायज है तो फिर हिन्दू पक्ष को अपने दावे पर पुनर्विचार करना चाहिए। यहां यह उल्लेखनीय है कि अयोध्या में राम मंदिर का प्रकरण भूमि के मालिकाना हक से संबंधित था, इसलिए न्यायालय का हस्तक्षेप हुआ। जबकि वाराणसी के काशी विश्वनाथ और ज्ञानवापी मस्जिद का मामला पूरी तरह धार्मिक आस्था से जुड़ा है।
 
सर्वे पर रोक:
ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई के सर्वे पर 26 जुलाई को शाम पांच बजे रोक लगा दी है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि मुस्लिम पक्ष इस मामले को हाईकोर्ट  ले जाए। कोर्ट की ओर से कहा गया कि मामले में 25 जुलाई को ही हाईकोर्ट सुनवाई करे। सुनवाई के दौरान एएसआई ओर से कहा गया कि सर्वे के दौरान खुदाई का काम नहीं किया जा रहा है। सर्वे में सिर्फ मंदिर परिसर की वीडियोग्राफी और पैमाइश का काम हो रहा है। लेकिन मुस्लिम पक्ष का कहना रहा कि यदि सर्वे के काम पर रोक नहीं लगाई जाती है तो मस्जिद में होने वाली धार्मिक गतिविधियां प्रभावित होंगी। मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि बनारस की जिला अदालत ने 21 जुलाई को आदेश दिया कि और आज 24 जुलाई को सर्वे का काम शुरू हो गया। ऐसे में हाईकोर्ट आने का मौका ही नहीं मिला। सुप्रीम कोर्ट का मानना रहा कि मुस्लिम पक्ष को अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है। इसलिए सर्वे पर 26 जुलाई तक रोक लगाई जा रही है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (24-07-2023)

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तो कांग्रेस बर्खास्ती मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को विधानसभा में लाल डायरी का राज खोलने नहीं देगी।हंगामे के बाद गुढ़ा को सदन से बाहर फेंकवाया।मंत्रियों और कांग्रेस के विधायकों ने मुझे पीटा। अब मैं सरकार की पोल खोलूंगा।

24 जुलाई को राजस्थान विधानसभा में जम कर हंगामा हुआ। यहां तक कि बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को सदन से बाहर फेंक दिया। बाहर निकले गुढ़ा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के मंत्रियों और विधायकों ने मुझे सदन में पीटा। मंत्री शांति धारीवाल ने लात मारी। गुढ़ा ने कहा कि वे लाल डायरी के दस्तावेज सदन में रखना चाहते थे, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने अनुमति नहीं दी। इसलिए वे अध्यक्ष के आसान तक पहुंचे और लाल डायरी रखने की अनुमति मांगी। वे यह भी जानना चाहते थे कि उन्हें गत 21 जुलाई को बिना कारण बताए बर्खास्त क्यों कर दिया गया। बर्खास्तगी के बाद कांग्रेस के नेताओं ने जो आरोप लगाए उनका जवाब भी विधानसभा में देना चाहता था, लेकिन कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों ने मुझे बोलने का अवसर नहीं दिया। इतना ही नहीं मेरे हाथ से लाल डायरी भी छीन ली। लेकिन मैं अब चुप बैठने वाला नहीं हंू। मैंने राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार को दो दो बार बचाया है और आज मुझे ही सदन में पीटा जा रहा है। गुढ़ा ने कहा कि पूर्व में जब आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के यहां इनकम टैक्स और ईडी की रेड़ हुई थी, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें ही अंदर भिजवाया और डायरी लाने की जिम्मेदारी दी, मैंने अपनी जान जोखिम में डालकर वो डायरी हासिल की। यदि वो डायरी इनकम टैक्स और ईडी के अधिकारियों के पास पहुंच जाती तो अशोक गहलोत को जेल जाना पड़ता। जिस व्यक्ति को मैंने जेल जाने से बचाया आज उसी व्यक्ति के मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा में मुझे अपमानित किया गया है। गुढ़ा ने कहा कि अब मैं चुप रहने वाला नहीं हंू। मुझे सब पता है कि राज्य सभा के चुनावों में निर्दलीय विधायकों के वोट कांग्रेस ने किस प्रकार हासिल किए। विधायकों ने वोट के बदले क्या प्राप्त किया मुझे जानकारी है।  मेरे पास भी सात लाख रुपए का ऑफर आ गया था, लेकिन मैंने इस ऑफर को ठुकरा कर सीएम गहलोत के कहने से कांग्रेस उम्मीदवार को वोट दिया। पहले भी और इस बार भी कांग्रेस की लंगड़ी सरकार को मजबूत करने के लिए बसपा के छह विधायकों का समर्थन दिलवाया। 24 जुलाई को जिस प्रकार राजेंद्र गुढ़ा को विधानसभा से बाहर फेंकवाया गया, इससे प्रतीत होता है कि अब गुढ़ा को विधानसभा में बोलने का अवसर नहीं दिया जाएगा। विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी ने भी गुढ़ा के आचरण पर भारी एतराज जताया है। हंगामे के बाद ही विधानसभा की कार्यवाही को भी स्थगित करना पड़ा। गुढ़ा ने विधानसभा में जो लाल फाइल उसे मीडिया के सामने भी दिखाया गया। गुढ़ा ने कहा कि यदि विधानसभा के अंदर बोलने नहीं दिया जाता है तो मैं ये सभी दस्तावेज मीडिया के सामने रख दूंगा। गुढ़ा ने कहा कि मेरे परिवार की तीन पीढिय़ों ने महिलाओं की रक्षा के लिए बलिदान दिया है। मैं भी कोई भी बलिदान देने को तैयार हंू। उल्लेखनीय है कि 21 जुलाई को मंत्री रहते हुए गुढ़ा ने विधानसभा में कहा था कि कांग्रेस सरकार महिलाओं को सुरक्षा देने में विफल रही है। इसी के बाद गुढ़ा को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-07-2023)
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Saturday 22 July 2023

बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए?निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के भी बागी तेवर। सरकार व कांग्रेस में अभी और बिखरा होगा।मंत्री पद से बर्खास्तगी के बाद राजेंद्र गुढ़ा 24 जुलाई को विधानसभा में पोल खोलेंगे।

राजस्थान के सैनिक कल्याण राज्य मंत्री राजेंद्र गुढ़ा को 21 जुलाई की रात को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया। गुढा ने दिन में विधानसभा में अपनी ही सरकार पर आरोप लगाया था कि महिलाओं को सुरक्षा देने में गहलोत सरकार विफल रही है। गुढा ने कांग्रेस के विधायकों को नसीहत देते हुए कहा कि मणिपुर की घटना पर हंगामा करने के बजाए सरकार को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। हालांकि राजेंद्र गुढ़ा पहले भी सीएम गहलोत और सरकार के खिलाफ बोलते रहे हैं। लेकिन 21 जुलाई को गुढा के कथन को गंभीरता से लेते हुए मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया। अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर यह कहावत सही तौर पर चरितार्थ होती है, बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए? सब जानते हैं कि राजेंद्र गुढा ने गत चुनाव बसपा उम्मीदवार के तौर पर लड़ा था। विधायक बनने के बाद गहलोत सरकार को बनाए रखने के लिए गुढा और बसपा के पांच अन्य विधायक रातों रात कांग्रेस में शामिल हो गए।  हालांकि बसपा विधायकों मामला आज भी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लेकिन गुढा और पांच अन्य विधायकों के समर्थन से पांच वर्ष तक चल गई। सीएम गहलोत को पता था कि बसपा के विधायकों की विचारधारा कांग्रेस से मेल नहीं खाती है, लेकिन फिर भी सरकार को बनाए रखने के लिए गहलोत ने बसपा विधायकों को गले लगाया। स्वाभाविक है कि अब जब विधानसभा चुनाव में 70 दिन रह गए है, तब गुढा जैसे विधायक आंखें दिखा रहे हैं। क्योंकि गुढा को अपना निर्वाचन क्षेत्र में फिर से राजनीतिक जाजम बिछानी है, इसलिए कांग्रेस और सरकार का विरोध कर रहे हैं। गुढा को पता था कि उनके ऐसे बयानों से बर्खास्तगी तय है। बर्खास्तगी के बाद गुढा ने कहा है कि वे 24 जुलाई को विधानसभा में सरकार और कांग्रेस की पोल खोलेंगे। यानी बबूल के कांटे भी कांग्रेस और गहलोत सरकार को सहन करने पड़ेंगे। गहलोत ने किन परिस्थितियों में सरकार को चलाया, संभवत: इसी की जानकारी राजेंद्र गुढ़ा विधानसभा में देंगे। यहां यह खास तौर से उल्लेखनीय है कि जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के समय सीएम गहलोत ने कहा था कि आज जो विधायक मेरे साथ हैं, उन्हें मैं ब्याज सहित भुगतान करुंगा। इसमें कोई दो राय नहीं की कि पिछले तीन वर्षों में समर्थक विधायकों ने ब्याज के अलावा मूल रकम भी वसूल ली।  अब चूंकि हिसाब बराबर हो गए है, इसलिए  आने वाले दिनों में सरकार समर्थक विधायक और मंत्री बिखराव की राह पर चल सकते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि गहलोत ने सभी 13 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन ले रखा है। निर्दलीय विधायक भी सरकार से पीछा छुड़ाना चाहते हैं। 24 जुलाई को विधानसभा सत्र का अंतिम दिन माना जा रहा है। चूंकि चुनाव से पहले कोई सत्र होने की उम्मीद नहीं है इसलिए राजस्थान की राजनीति में कई बदलाव देखने को मिलेंगे।
 
संयम लोढ़ा के बागी तेवर:
21 जुलाई को ही विधानसभा में सरकार समर्थक और मुख्यमंत्री के सलाहकार निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने भी बागी तेवर दिखाए। प्रदेश में हो रहे पेपर लीक के मामलों को उठाते हुए लोढ़ा ने कहा कि यदि पेपर आउट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही नहीं हुई तो प्रदेश की जनता इस सरकार को रुखसत कर देगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के भर्ती बोर्डों को गैंगरीन हो गया है। ऐसे में गैंगरीन वाले हिस्से को काटने की जरूरत है। यदि नहीं काटा तो गैंगरीन पूरे शरीर में फैल जाएगा। संयम लोढ़ा ने कहा कि हाल ही में जब अधिशाषी अधिकारी भर्ती परीक्षा में उत्तीर्ण करवाने के मामले में कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री को गिरफ्तार किया गया तो एसीबी के डीजी ने मीडिया में गलत बयान दिया।  डीजी ने जांच परिणाम आए बगैर ही कहा दिया कि परीक्षा आयोजित करने वाला राजस्थान लोक सेवा आयोग निर्दोष है। लोढ़ा ने सवाल उठाया कि जब अध्यापक भर्ती परीक्षा का पेपर आउट करने के आरोप में आयोग के सदस्य कटारा को गिरफ्तार किया गया है, तब ईओ परीक्षा के मामले में आयोग को क्लीन चिट क्यों दी गई। संयम लोढ़ा ने पेपर लीक के मामले में जिस प्रकार अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा किया, उससे प्रतीत होता है कि संयम लोढ़ा भी गहलोत सरकार से पीछा छुड़ाना चाहते हैं।
 
भाजपा भी हमलावर:
महिला अत्याचार और पेपर लीक के मामलों को लेकर भाजपा पहले ही हमलावर है। 21 जुलाई को भी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, भाजपा के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और पूर्व मंत्री वसुंधरा राजे ने बलात्कार के आंकड़े प्रस्तुत कर कांग्रेस सरकार को घेरने का काम किया। पेपर लीक के मामले भी लगातार उठाए जा रहे हैं। जब प्रमुख विपक्षी दल गहलोत सरकार पर हमले कर रहा है, तभी सरकार में बैठे मंत्री और समर्थन दे रहे विधायक भी हमला कर रहे हैं। मौजूदा समय में गहलोत सरकार अपने लोगों से ही घिरी हुई है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (22-07-2023)

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Friday 21 July 2023

तो देवी शंकर भूतड़ा अजमेर देहात भाजपा के पद पर बने रहेंगे। देहात की पांचों विधानसभा जीतने का दावा।साधु संतों की उपस्थिति में 22 जुलाई को सायं छह बजे किशनगढ़ में महा हनुमान चालीसा का पाठ।

राजस्थान भाजपा के प्रदेश संगठन ने 20 जुलाई को पांच जिलों के अध्यक्षों में बदलाव किया। इनमें प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के गृह जिले चित्तौड़ के अध्यक्ष भी शामिल हैं। अजमेर देहात के भाजपा अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा का तीन वर्ष का कार्यकाल गत वर्ष नवंबर में ही पूरा होने के बाद से ही उम्मीद जताई जा रही थी कि अजमेर देहात के अध्यक्ष के पद पर भी बदलाव होगा। लेकिन अब यह माना जा रहा है कि जिन अध्यक्षों को हटाया जाना था उन्हें हटा दिया गया, अब विधानसभा चुनाव के पहले कोई बदलाव नहीं होगा। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने हाल ही में पीसांगन में कार्यकर्ताओं की एक बैठक में भूतड़ा के कामकाज की प्रशंसा की। इससे पहले डॉ. सतीश पूनिया ने भी अपने अध्यक्षीय कार्यकाल में भूतड़ा के कार्यों की प्रशंसा सार्वजनिक तौर पर की। भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़ का तो कहना रहा कि देवी शंकर भूतड़ा जैसा कर्मठ और मेहनती  नेता ही अध्यक्ष होना चाहिए। यह दूसरा अवसर है जब भूतड़ा देहात अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे हैं। इससे पहले 2005 से 2011 तक भी भूतड़ा भी देहात अध्यक्ष थे। मौजूदा समय में भूतड़ा का कार्यकाल पौने चार वर्ष का हो गया है। वरिष्ठ नेताओं की हौसला अफजाई से उत्साहित भूतड़ा ने दावा किया है कि तीन माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में अजमेर देहात की सभी पांचों सीटों पर भाजपा की जीत होगी। इनमें केकड़ी विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। केकड़ी में भले ही अभी रघु शर्मा कांग्रेस के विधायक हैं, लेकिन केकड़ी के लोगों को पता है कि स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए रघु शर्मा ने केकड़ी में कितनी ज्यादतियां की है। भूतड़ा ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व के कारण प्रदेश भर में भाजपा के पक्ष में माहौल है, यह माहौल बना हुआ है।
 
किशनगढ़ में हनुमान चालीसा का पाठ:
22 जुलाई को सायं छह बजे अजमेर के किशनगढ़ शहर में कटला बाजार स्थित बालाजी के मंदिर पर महा हनुमान चालीसा का पाठ होगा। इसके लिए पूरे बाजार में टेंट लगाए गए हैं ताकि बरसात में भी हनुमान भक्तों को परेशानी न हो। इस धार्मिक कार्यक्रम के प्रमुख लक्ष्मी नारायण सोनगरा ने बताया कि पाठ के दौरान प्रमुख साधु संत भी उपस्थित रहेंगे। इनमें सालासर बालाजी मंदिर के महंत अजय पुजारी, स्वामी श्यामदास उदासी, दादू धाम के महाराज गोपाल दास, नोहरिया बालाजी महंत गोपाल शर्मा प्रमुख है। इस धार्मिक आयोजन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9214435610 पर लक्ष्मीनारायण सोनगरा से ली जा सकती है। 

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अब सचिन पायलट बताएं कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार के रिपीट होने की कितने प्रतिशत संभावना है।या फिर विधानसभा चुनाव के परिणाम तक पायलट चुप रहेंगे।

राजस्थान में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने अपनी चुनाव संचालन समिति की भी घोषणा कर दी है। आमतौर पर चुनाव समिति का अध्यक्ष ऐसे नेता को बनाया जाता है जो स्वयं चुनाव न लड़े और जिसे चुनाव संचालन का अनुभव हो, लेकिन राजस्थान में मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को ही चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाया है। समिति के जो 28 सदस्य होंगे उनमें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी शामिल हैं। डोटासरा को चुनाव समिति का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब यह बात कोई मायने नहीं रखती है कि समिति में पायलट गुट के कितने सदस्य बने हैं। कांग्रेस हाईकमान ने अब स्पष्ट कर दिया है कि चुनाव की रणनीति सीएम गहलोत ही बनाएंगे। डोटासरा को गहलोत का ही कट्टर समर्थक माना जाता है। जुलाई 2020 में सियासी संकट के समय पायलट को प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष के पद से बर्खास्त कर डोटासरा को ही अध्यक्ष बनाया गया। संगठन और सरकार ने फिलहाल पायलट की कोई भूमिका देखने को नहीं मिल रही है। गत माह दिल्ली में पायलट और गहलोत की उपस्थिति में हाईकमान की जो बैठक हुई उसके बाद जयपुर में पायलट और गहलोत की कोई मुलाकात नहीं हुई है। पिछले दिनों सीएम गहलोत के दोनों पैर के अंगूठों में चोट लगने के बाद भी पायलट ने गहलोत से मुलाकात नहीं की। सिर्फ ट्विटर पर शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। अब जब चुनाव समिति की घोषणा ही हो गई है, तब पायलट को यह बताना चाहिए कि गहलोत के नेतृत्व वाली सरकार के रिपीट होने की कितने प्रतिशत संभावना है। हाईकमान के हस्तक्षेप होने के बाद पायलट ने कहा था कि यदि सभी नेता मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो कांग्रेस की जीत होगी। हालांकि संगठन के दो कार्यक्रमों में पायलट ने जयपुर में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। लेकिन चुनाव तैयारियों में फिलहाल पायलट की भूमिका देखने को नहीं मिली है। अपनी जन संघर्ष यात्रा में पायलट ने जो तीन मुद्दे उठाए थे, उन पर भी अभी सीएम गहलोत की ओर से कोई एक्शन नहीं लिया गया है। राजस्थान लोक सेवा आयोग में अभी भी तीन पद खाली पड़े हैं और आयोग के पेपर लीक होने के मामले लगातार हो रहे हैं। इसी प्रकार पेपर लीक  से प्रभावित अभ्यर्थियों को मुआवजे को लेकर कोई प्रक्रिया शुरू नहीं की गई है। चुनाव संचालन समिति का सदस्य बनकर पायलट अपने कितने समर्थकों को टिकट दिलवा पाते हैं यह आने वाला समय ही बताएगा। गत बार विधानसभा चुनाव की घोषणा 6 अक्टूबर 2018 हो गई थी। इस लिहाज से अब विधानसभा चुनाव में मात्र 70 दिन शेष रह गए हैं। जानकार सूत्रों का मानना है कि पायलट विधानसभा चुनाव के परिणाम तक चुप रहेंगे भले ही कांग्रेस में उनकी स्थिति कैसी भी रहे। पायलट के कांग्रेस से बाहर निकलने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है। पायलट भी इस तथ्य को जानते है कि अशोक गहलोत के रहते हुए कांग्रेस सरकार कभी रिपीट नहीं हुई है, लेकिन कांग्रेस की राजनीति में यह पहला अवसर है, जब गहलोत के अकेले दम पर ही चुनाव लड़ा जा रहा है। 2018 के चुनाव में सचिन पायलट की महत्वपूर्ण भूमिका थी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-07-2023)
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Thursday 20 July 2023

कोई डर नहीं है तो कर्नाटक की कांग्रेस सरकार कुमार नंदी दिगंबर जैन आचार्य महाराज की हत्या की जांच सीबीआई से क्यों नहीं करवाती?हत्या के बाद जैन आचार्य के शव के टुकड़े कर बोरवेल में डालने का प्रयास।राजस्थान में व्यापारिक प्रतिष्ठान आधे दिन बंद रहे। जैन संतों ने नाराजगी जताई।फ्यूल चार्ज के विरोध में अजमेर के व्यापारिक संगठनों ने कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया।

कर्नाटक में दिगंबर जैन आचार्य काम कुमार नंदी महाराज की हत्या के विरोध में 20 जुलाई को राजस्थान भर के व्यापारिक प्रतिष्ठान आधे दिन बंद रहे। कई शहरों में बंद पूरे दिन का रखा गया। श्वेतांबर जैन समाज और उनके संतों ने भी हत्या का विरोध जताया। 20 जुलाई को अजमेर में भ जुलूस निकाला और नया बाजार पर एक सभा भ हुई। इस सभा को जैन आचार्य विवेक सागर, मुनि वैराग्य सागर, अर्पित सागर, मुनि संकल्प सागर, सद्भाव सागर, मुनि सौम्य दर्शन, हरीश मुनि आदि ने संबोधित किया। सभी जैन संतों का कहना रहा कि हम तो अहिंसा का पाठ पढ़ाते हैं और हमारे ही संत की निर्मम   हत्या की गई है। समाज को उसका प्रतिकार करना चाहिए। जैन संतों और समाज के प्रतिनिधियों ने सवाल उठाया कि कर्नाटक की सरकार इस मामले की जांच सीबीआई से क्यों नहीं करवा रही है। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार को कोई डर नहीं है तो फिर मामले की जांच सीबीआई से करवानी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पहले तो साधु संतों को सुरक्षा देने में विफल रही और अब मामले की जांच सही तरीके से भी नहीं की जा रही है। राज्य सरकार को कर्नाटक में ऐसा माहौल बनाना चाहिए जिसमें साधु संत ही नहीं आम व्यक्ति भी अपने आप को सुरक्षित समझे। देश भर में जैन समुदाय का रोष बताता है कि कर्नाटक की घटना से देशभर में गुस्सा है। यहां यह उल्लेखनीय है कि गत 6 जुलाई को कर्नाटक के बेलगाम जिले के चिक्कोडी तालुका के हीरेकोडी गांव स्थित नंदी परबत आश्रम में जैन संत कामकुमार नंदी की निर्मम हत्या की गई। आरोप है कि नारायण माली और उसके साथी हसन दलायत ने पहले जैन संत के बिजली का करंट लगाया और फिर तौलिये से गला घोंट दिया। मृत्यु के बाद शव के टुकड़े टुकड़े किए गए। बाद में इन टुकड़ों को एक बोरे में भर कर बाइक पर 35 किलोमीटर दूर ले जाया गया। यहां शव के टुकड़ों को एक बोरवेल में डालने का प्रयास किया ताकि हत्या के सबूत मिटाए जा सके। इस निर्मम हत्या को लेकर जैन समाज ही नहीं सर्वसमाज में नाराजगी है। यही वजह रही कि 20 जुलाई को जब व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद करने का निर्णय जैन समाज द्वारा लिया गया तो प्रदेश भर में अन्य समाजों ने भी एकजुटता दिखाते हुए अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।
 
कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन:
अजमेर जिले के विभिन्न व्यापारिक संगठनों के समूह उद्योग व्यापार संगठन, विद्युत उपभोक्ता संघर्ष समिति के बैनर तले 20 जुलाई को कलेक्ट्रेट पर विशाल प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि फ्यूल चार्ज और स्पेशल फ्यूल चार्ज के नाम पर बिजली के बिलों में डेढ़ गुना वृद्धि हो गई है, जिसे तुरंत प्रभाव से रोका जाए। फ्यूल चार्ज से लघु उद्योगों के सामने तो आर्थिक संकट खड़ा हो ही गया है, साथ ही घरेलू उपभोक्ताओं के सामने भी बिल जमा कराने की समस्या हो गई है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सौ यूनिट बिजली फ्री देने का जो वादा किया उस पर फ्यूल चार्ज ने पानी फेर दिया है। कई उद्योग तो बंद पड़े हैं, लेकिन फिर भी फ्यूल चार्ज की हजारों रुपए की राशि जमा करानी पड़ रही है। गंभीर बात तो यह है कि यह फ्यूल चार्ज पिछले दस माह का वसूला जा रहा है। व्यापारिक संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि फ्यूल चार्ज पर रोक नहीं लगाई गई तो सरकार के खिलाफ जन आंदोलन किया जाएगा। संघर्ष समिति के प्रतिनिधि   गिरिराज अग्रवाल  ने बताया कि फ्यूल चार्ज के विरोध में सभी को साथ लेकर जन आंदोलन शुरू करने का काम किया जा रहा है। इस आंदोलन के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9413345456 पर गिरिराज अग्रवाल से ली जा सकती है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (20-07-2023)

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परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह छात्रावास व शिक्षण संस्थान का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का मामला अटकने से दो सांसदों की पचास लाख रुपए की राशि भी फंसी।राजपूत समाज का आपसी विवाद।

अजमेर के कुंदन नगर स्थित परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह छात्रावास व शिक्षण संस्थान में लाइब्रेरी निर्माण और सोलर प्लांट लगाने के लिए राज्यसभा के भाजपा सांसद व केंद्रीय भूपेंद्र यादव तथा कांग्रेस के सांसद नीरज डांगी ने 25-25 लाख रुपए की राशि स्वीकृत की। इस स्वीकृत राशि के लिए दोनों सांसदों ने अपने पत्र अजमेर की जिला परिषद को भिजवा दिए ताकि नियम अनुसार काम शुरू हो सके। सांसदों के कोष के उपयोग के जो नियम बने हैं उसके मुताबिक उन्हीं संस्थाओं को राशि दी जा सकती है, जिनका रजिस्ट्रेशन दर्पण पोर्टल पर हो। दर्पण पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन करने के लिए ही संस्था के अध्यक्ष सुमेर सिंह शेखावत ने आवेदन किया। लेकिन अब इस आवेदन पर राजपूत समाज के ही प्रतिनिधि नरेंद्र सिंह शेखावत ने आपत्ति दर्ज करवा दी है। अजमेर स्थित सहकारिता विभाग की डिप्टी रजिस्ट्रार अभिलाषा पारीक को लिखे एक पत्र में शेखावत ने आरोप लगाया है कि सुमेर सिंह शेखावत की अध्यक्ष वाली कार्यकारिणी असंवैधानिक है, क्योंकि संस्था का चुनाव नियमों के विपरीत हुआ है। इसलिए संस्थान के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए। सहकारिता विभाग को बताया कि नए कार्यकारिणी के चुनाव का मामला अजमेर की एडीजे कोर्ट में विचाराधीन है। ऐसे में कोर्ट के निर्णय से पहले कोई कार्यवाही नहीं हो सकती है। इस संबंध में अध्यक्ष शेखावत का कहना है कि हमने संस्था के नाम में कोई बदलाव नहीं किया है। वर्ष 2014 में ही संस्था के नाम से राजपूत शब्द हटा दिया गया था, क्योंकि जनप्रतिनिधियों के कोष का उपयोग किसी समाज की संस्था के लिए नहीं हो सकता है। यही वजह रही कि पूर्व में वासुदेव देवनानी सहित कई विधायकों द्वारा स्वीकृत राशि का उपयोग किया गया। चूंकि सांसदों की राशि के उपयोग के लिए संस्थान का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होना जरूरी है, इसलिए नई प्रक्रिया को अपनाया गया है। इस संबंध में शिकायतकर्ता नरेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि संस्था के नाम में बदलाव का अधिकार कार्यकारिणी को नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व में जो आर्थिक अनियमितताएं हुई है उन्हें मिटाने के लिए संस्था के नाम में बदलाव किया गया है। उन्होंने कहा कि जिन पुराने लोगों ने संस्था को खड़ा करने में मेहनत की उन्हें अब नजरअंदाज किया जा रहा है। यहां तक कि संस्थापक सदस्यों को भी हटा दिया गया है। समाज के आपसी विवाद की वजह से ही दो सांसदों द्वारा स्वीकृत पचास लाख रुपए की राशि भी फिलहाल फंस गई है। नरेंद्र सिंह शेखावत की लिखित आपत्ति के बाद संस्थान के रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन किया जाना मुश्किल हो रहा है। इस संबंध में सहकारिता विभाग की डिप्टी रजिस्ट्रार अभिलाषा पारीक का कहना है कि 2021 के बाद से ही रजिस्ट्रेशन को ऑनलाइन किए जाने की प्रक्रिया शुरू है। किसी भी संस्था के नाम में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। पूर्व में जिस नाम से रजिस्ट्रेशन हो रखा है उसी नाम को दर्पण पोर्टल पर अपलोड किया जाएगा। 


S.P.MITTAL BLOGGER (20-07-2023)

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Tuesday 18 July 2023

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सिफारिश से ही संगीता आर्य और मंजू शर्मा राजस्थान लोक सेवा आयोग की सदस्य बनी हैं।इन दोनों महिला सदस्यों के नाम पर परीक्षा के प्रतिभागियों से दलाल किस्म के लोग पैसा वसूल रहे हैं।आयोग से अनुबंधित कम्प्यूटर फर्म के कामकाज की भी जांच हो। आखिर परीक्षा की ओएमआर और मार्कशीट दलालों तक कैसे पहुंच रही है?

राजस्थान के युवाओं को सरकारी नौकरी देने वाला राज्य लोक सेवा आयोग इन दिनों भारी बदनामी के दौर से गुजर रहा है। कुछ दिनों पहले ही आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को वरिष्ठ अध्यापक परीक्षा के पेपर आउट करने के आरोप में गिरफ्तार किया जा चुका है और अब ईओ की परीक्षा में उत्तीर्ण करवाने के प्रकरण में आयोग की  सदस्य श्रीमती संगीता आर्य और श्रीमती मंजू शर्मा के नाम उछल रहे हैं। ईओ परीक्षा में लाखों रुपए की राशि वसूलने के प्रकरण में एसीबी ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें इन दोनों महिला सदस्यों के नामों का उल्लेख है। हालांकि एसीबी के पास महिला सदस्यों की जुबान की रिकॉर्डिंग नहीं है, लेकिन गिरफ्तार दलालों ने स्वीकार किया है कि राशि महिला सदस्यों तक जाएगी। गंभीर बात तो यह है कि दलाल ने एसीबी के अधिकारी राजेश जांगिड़ से कही। जांगिड़ ने एक अभ्यर्थी का रिश्तेदार बन कर दलाल से बात की थी। सब जानते हैं कि आयोग के सदस्य के महत्वपूर्ण पद पर मुख्यमंत्री का निर्णय ही अंतिम होता है। इन दोनों महिला सदस्यों की नियुक्ति में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सहमति रही। संगीता आर्य की नियुक्ति तब हुई थी, जब उनके पति निरंजन आर्य प्रदेश के मुख्य सचिव थे। सीएस आर्य सीएम गहलोत के इशारे पर काम करते रहे, इसलिए पत्नी संगीता को आयोग के सदस्य के पद पर बैठा दिया गया। संगीता आर्य की सबसे बड़ी योग्यता यही थी कि वे मुख्य सचिव की पत्नी हैं। ऐसी ही नियुक्ति मंजू शर्मा की है। मंजू शर्मा की भी यही योग्यता है कि वे कवि और अब धार्मिक उपदेशक कुमार विश्वास की पत्नी हैं। जब से पत्नी मंजू शर्मा कांग्रेस शासित राजस्थान में भर्ती आयोग की सदस्य बनी हैं, तब से कुमार विश्वास ने कवि सम्मेलनों में राहुल गांधी और कांग्रेस पर कटाक्ष करना बंद कर दिया है। अब जब सदस्यों की नियुक्ति स्वार्थपूर्ण नजरिए से होगी तो प्रदेश के अभ्यर्थियों को ऐसे ही लूटा जाएगा। आयोग में इन दिनों जो कुछ भी हो रहा है, उसमें सीएम गहलोत अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं।
 
कम्प्यूटर फर्म की जांच हो:
राजस्थान लोक सेवा आयोग में प्रतियोगी परीक्षाओं का अधिकांश कार्य निजी कम्प्यूटर फर्मों के द्वारा करवाया जाता है। ऐसी फर्म ही अभ्यर्थियों से आवेदन मांगती है और फिर कम्प्यूटर के जरिए ही परीक्षा के प्रवेश पत्र भिजवाए जाते हैं। परीक्षा के बाद ओएमआर शीट की जांच और अंक तालिका तैयार करने तक का काम कम्प्यूटर फर्में ही करती हैं। एसीबी की जांच पड़ताल में यह सामने आया है कि दलालों के पास अभ्यर्थियों की ओएमआर व मार्कशीट तक उपलब्ध थी। यानी दलालों की पहुंच आयोग के साथ साथ कम्प्यूटर फर्म तक थी। माना जा रहा है कि कम्प्यूटर फर्म के कर्मचारियों की मिलीभगत से ही ओएमआर शीट दलालों तक पहुंचती है। ऐसे में आयोग से अनुबंधित कम्प्यूटर फर्मों के कार्मिकों की भी जांच पड़ताल होनी चाहिए। 


S.P.MITTAL BLOGGER (18-07-2023)

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अखबार प्रबंधन, जांच अधिकारी और अब अजमेर जेल के अफसरों के खिलाफ न्यायालय में इस्तगासा।कानून की पालना करवाने वालों को ही कानून का पाठ पढ़ा रही हैं निलंबित डीएसपी दिव्या मित्तल। गलत व्यवहार करने वाले पुलिस अफसरों के चेहरे भी उजागर करुंगी।ब्यावर के डीएसपी हीरालाल सैनी के अश्लील वीडियो के मामले में इतना डर क्यों?

राजस्थान के बहुचर्चित नशीली दवाईयों के प्रकरण में निलंबित डीएसपी दिव्या मित्तल का कहना है कि समय आने पर पुलिस के उन बड़े अफसरों के चेहरे भी उजागर करुंगी तो गलत व्यवहार करते हैं। नशीली दवाइयों के प्रकरण की जांच अधिकारी रहीं दिव्या मित्तल ने कहा कि एसीबी के पास मेरे द्वारा दो करोड़ रुपए की राशि मांगने की कोई रिकॉर्डिंग नहीं है। सिर्फ आरोपी के बयान के आधार पर मुझे दो बार गिरफ्तार किया। मेरी गिरफ्तारी में कानून की अवहेलना की गई, इसलिए मैंने जांच अधिकारी कमल सिंह के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा किया। मैं चाहती हंू कि मेरी गिरफ्तारी के तथ्य और सबूत न्यायालय में बताए जाएं। दिव्या ने कहा कि अखबारों में भी अधिकारियों के हवाले से झूठी खबरें प्रकाशित होती हैं। यही वजह है कि देश के सबसे बड़े अखबार होने का दावा करने वाले दैनिक समाचार पत्र के स्थानीय रिपोर्टर से लेकर मालिक तक के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया है। एसीबी के अधिकारी कुछ भी कहें, लेकिन प्रकाशित खबर की जिम्मेदारी अखबार मालिक और संपादक की है। पुलिस अधिकारी तो अपनी मौखिक बात से पलट जाएंगे, लेकिन खबार प्रकाशन की जिम्मेदारी अखबार प्रबंधन पर बनी रहेगी। चूंकि संबंधित अखबार ने तथ्यों से परे जाकर खबरें छापी, इसलिए मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है। कोई भी मीडिया किसी अधिकारी के हवाले से खबर प्रकाशित करता है तो सबसे पहली जिम्मेदारी संबंधित मीडिया की होती है। दिव्या ने बताया कि उन्हें 20 जनवरी से एक अप्रैल तक अजमेर की सेंट्रल जेल में रखा गया। तब जेल की महिला बैरिक के फोटो खिंचवा कर सार्वजनिक किए गए। महिला कैदी जब कतार में खड़ी थीं, तब भी फोटो खिंचवाए गए। जबकि जेल नियमों के तहत किसी भी कैदी का फोटो नहीं खींचा जा सकता है। महिला कैदी का फोटो खींचकर सार्वजनिक करना तो अपराध की श्रेणी में आता है। मेरा फोटो जानबूझकर खींचा और फिर मेरी सहमति के बगैर ही प्रकाशित करवा दिया। चूंकि जेल नियमों का उल्लंघन हुआ है, इसलिए सेंट्रल जेल की अधीक्षक सुमन मालीवाल, उपअधीक्षक हिना खान आदि के खिलाफ भी न्यायालय में मानहानि का इस्तगासा किया है। दिव्या ने कहा कि मुझे किसी भी न्यायालय ने दोषी नहीं ठहराया है। फिर भी मेरे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। न्यायालय में जन सुनवाई होगी तो सच्चाई सामने आ जाएगी। किसी के कह देने मात्र से कोई अपराधी नहीं हो जाता। जिन अधिकारियों की जांच पर मुझे गिरफ्तार किया, उनमें से कई अधिकारियों की जांच पर कोर्ट ने प्रतिकूल टिप्पणी की है। सुनवाई के दौरान ऐसे तथ्य न्यायालय में रखे जाएंगे।
 
अश्लील वीडियो के मामले में डर क्यों?:
दिव्या मित्तल गत वर्ष जब अजमेर में एसओजी की डीएसपी थी तब ब्यावर के डीएसपी हीरालाल सैनी का जयपुर की एक महिला कांस्टेबल के साथ अश्लील वीडियो वायरल हुआ। यह वीडियो पुष्कर के एक रिसोर्ट के स्विमिंग पुल का बतायागया। इस मामले को लेकर जब हंगामा हुआ तो सरकार ने मामले की जांच दिव्या मित्तल से  ही करवाई थी। हालांकि दिव्या ने उस जांच पर तो सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की, इतना जरूर कहा कि पुलिस विभाग के कुछ अफसर अभी भी डरे हुए हैं। क्योंकि उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट उन्हीं दिनों उच्च अधिकारियों ाके प्रस्तुत कर दी थी। यहां यह उल्लेखनीय है कि अश्लील वीडियो वायरल होने के बाद सरकार में खलबली मच गई थी, क्योंकि उन लोगों के नाम भी चर्चा में आए जिनकी मेहरबानी से हीरालाल सैनी ब्यावर जैसे बड़े शहर में ढाई वर्ष से डीएसपी बने हुए थे। जबकि ब्यावर के महत्व को देखते हुए जूनियर आईपीएस को ही डीएसपी नियुक्त किया जाता है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (18-07-2023)

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Saturday 15 July 2023

पेपर लीक के फरार एक लाख के ईनामी आरोपी सुरेश ढाका के पास आखिर कांग्रेस नेता और वकील सलमान खुर्शीद की फीस देने के लिए रुपया कहां से आया?सियासी संकट में सचिन पायलट गुट की पैरवी हरीश साल्वे द्वारा किए जाने पर यही सवाल मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उठाया था।

वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा के एलडीसी सीएचओ, जेईएन सहित करीब छह परीक्षाओं के प्रश्न पत्र आउट करने और फिर करोड़ों रुपए में बेचने के आरोपी सुरेश ढाका अब किसी भी तरह अदालतों से अग्रिम जमानत लेना चाहता है। राज्य सरकार ने ढाका पर एक लाख रुपए का इनाम भी घोषित कर रखा है। 14 जुलाई को राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्य पीठ में अग्रिम जमानत के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। तो ढाका की ओर से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील सलमान खुर्शीद ने पैरवी की। हाईकोर्ट को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने मामले के जरूरी तथ्य हाईकोर्ट में रखने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट को बताया गया कि पेपर लीक की किसी भी एफआईआर में सुरेश ढाका का नाम नहीं है। हालांकि अब इस मामले में 20 जुलाई को सुनवाई होगी, लेकिन सवाल उठता है कि सुरेश ढाका के पास सलमान खुर्शीद जैसे नामी वकील को करने के लिए रुपया कहां से आया? खुर्शीद ने कितनी फीस ली, यह तो वे ही बता सकते हैं, लेकिन खुर्शीद उन वकीलों में शामिल हैं जो प्रति पेशी पर लाखों रुपए की फीस लेते हैं, भले ही उस दिन अदालत में सुनवाई न हो। सलमान खुर्शीद की फीस का सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है कि वर्ष 2020 में सियासी संकट के समय जब सचिन पायलट गुट के विधायकों की ओर से नामी वकील हरीश साल्वे ने पैरवी की थी, तब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने साल्वे की मोटी फस पर सवाल उठाया था। हालांकि बाद में मुख्यमंत्री गहलोत ने खुद ही स्पष्ट कर दिया कि पायलट के साथ दिल्ली जाने वाले विधायकों ने 10-20 करोड़ रुपए भाजपा से लिए हैं। जाहिर है कि सीएम गहलोत के पास भाजपा से 20 करोड़ रुपए लेने के सबूत भी होंगे। जब सीएम गहलोत अपने विधायकों द्वारा भाजपा से रुपए लेने के सबूत जुटा सकते हैं, जब यह भी पता लगाना चाहिए कि फरार सुरेश ढाका के पास सलमान खुर्शीद की फीस के पैसे कहां से आए? यदि सलमान खुर्शीद को वकील कर सुरेश ढाका अग्रिम जमानत करवाने में सफल होता है तो यह जांच एजेंसियों के लिए झटका होगा। सवाल यह भी है कि आखिर सुरेश ढाका ने कांग्रेस विचारधारा के सलमान खुर्शीद को ही वकील क्यों किया? आरोप है कि सुरेश ढाका के संबंध कांग्रेस के बड़े नेताओं से भी हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (15-07-2023)
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तो इस बार हनुमान बेनीवाल के गढ़ में पीएम मोदी की दस्तक।28 जुलाई को नागौर के खींवसर में बड़ी सभा। 9 करोड़ किसानों को सम्मान निधि भी मिलेगी।जाट समुदाय के आराध्य देव तेजाजी महाराज के जन्म स्थल पर पूजा अर्चना भी करेंगे पीएम मोदी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वर्ष 8वीं बार राजस्थान के दौरे पर आ रहे हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार पीएम मोदी 28 जुलाई को नागौर के खरनाल में एक सभा को संबोधित करेंगे तथा देश के 9 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 18 हजार करोड़ रुपए की सम्मान निधि ट्रांसफर करेंगे। पीएम का खरनाल दौरा दो कारणों से महत्व रखता है। खरनाल को ही जाट समुदाय के आराध्य देव तेजाजी महाराज का जन्म स्थल माना जाता है। यही वजह है कि प्रदेश और देश के जाट समुदाय में खरनाल के प्रति गहरी आस्था है। पीएम मोदी की खरनाल के तेजाजी मंदिर में पूजा अर्चना भी करेंगे। नागौर के जाट समुदाय के नेता अमर चंद जाजड़ा ने बताया कि पीएम मोदी के खरनाल आने से जाट समुदाय में भारी उत्साह है। यह पहला अवसर है जब देश के प्रधानमंत्री जाट समुदाय के आराध्य देव तेजाजी के जन्म स्थल पर आ रहे हैं। पीएम के दौरे की तैयारियों को लेकर 15 जुलाई को केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी भी खरनाल का दौर कर रहे हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार नागौर के खरनाल में पीएम मोदी की सभा करवाने में नागौर के पूर्व भाजपा सांसद सीआर चौधरी की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। चौधरी ने खरनाल के धार्मिक महत्व के बारे में पीएमओ में बताया था। पीएम की सभा का राजनीतिक महत्व भी है, क्योंकि नागौर को आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल का गढ़ माना जाता है। मौजूदा समय में खुद हनुमान बेनीवाल नागौर से सांसद है और नागौर के खींवसर विधानसभा क्षेत्र से उनके भाई नारायण बेनीवाल विधायक हैं। खरनाल गांव खींवसर विधानसभा क्षेत्र में ही आता है। हनुमान बेनीवाल ने लोकसभा का पिछला चुनाव भाजपा के समर्थन से ही जीता था, लेकिन राजनीतिक टकराव के बाद बेनीवाल अलग हो गए और अब अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। चूंकि बेनीवाल का जाट समुदाय के युवाओं में खास प्रभाव है, इसलिए पीएम मोदी की सभा को बेनीवाल के संदर्भ में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। किसान सम्मान निधि को ट्रांसफर करने का कार्यक्रम केंद्रीय कृषि और फर्टिलाइजर मंत्रालय का है, लेकिन सभा में भीड़ जुटाने का काम भाजपा के नेताओं का है। यही वजह है कि भाजपा नेता भी सक्रिय हो गए हैं। पीएम की  सभा के लिए निकटवर्ती जिले अजमेर, जयपुर बीकानेर, जोधपुर, सीकर आदि से तीन लाख लोगों को एकत्रित करने का लक्ष्य रखा गया है ।

S.P.MITTAL BLOGGER (15-07-2023)

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अजमेर के देवलिया कलां में इस बार एल्युमिनियम का ताजिया बन रहा है।मुस्लिम समुदाय के आग्रह पर सत्यनारायण खाती ने पूरी शिद्दत के साथ निर्माण कार्य में जुटे हैं।

चांद दिखने पर मोहर्रम माह की शुरुआत 18 जुलाई से होगी। मोहर्रम के शुरू के दस दिनों में मुस्लिम धार्मिक स्थलों पर ताजिए रखने की परंपरा है। आमतौर पर ताजिया बांस की लकडिय़ों का बनाया जाता है, लेकिन इस बार अजमेर की भिनाय तहसील के गांव देवलियाकलां में एल्युमिनियम का ताजिया बनाया जा रहा है। ताजिया का निर्माण करने वाले गांव के सत्यनारायण खाती ने बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोगों का आग्रह था कि इस बार ताजिए के निर्माण में एल्युमिनियम का भी उपयोग किया जाए ताकि ताजिया आकर्षक हो सके। मुस्लिम समुदाय के आग्रह पर ही उन्होंने एल्युमिनियम का ताजिया बनाया है। यह ताजिया मुस्लिम समुदाय के लोगों को पसंद आ रहा है। चूंकि ताजिए के अंदर मुस्लिम धर्म स्थलों के चित्रों को भी प्रदर्शित किया गया है, इसलिए जब यह ताजिया धार्मिक संगीत के साथ घूमता है तो लोगों को आकर्षित करता है। इस घूमते ताजिए को गांव के इमाम बाड़े में रखा जाएगा। खाती ने बताया कि ताजियों को तैयार करने में काफी समय और श्रम लगा है। लेकिन उन्हें इस बात का संतोष है कि यह ताजिया गांव के मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं के अनुरूप बनकर तैयार हुआ है। उल्लेखनीय है कि मोहर्रम में का प्रदर्शन पैगम्बर मोहम्मद साहब के नवासों की शहादत के तौर पर किया जाता है। मोहर्रम माह मुस्लिम समुदाय में इबादत का माना जाता है। नवासों की शहादत पर मुस्लिम समुदाय अफसोस भी जाहिर करता है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह पर चांदी का ताजिया भी रखा जाता है। इसके साथ ही बांस की लकड़ी के कई ताजिए रखे जाते हैं। ताजिए का जुलूस निकालने की परंपरा भी है। देवलिया कलां में बने एल्युमिनियम के ताजिए के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 8955130571 पर सत्यनारायण खाती से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (15-07-2023)
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Friday 14 July 2023

सचिन पायलट की मौजूदगी में रंधावा को कांग्रेस संगठन का कमांडर इन चीफ और डोटासरा को कमांडर बताया गया।मंडल अध्यक्षों की बैठक में डोटासरा ने अपना भाषण लाइव करवाने के बाद न्यूज चैनल वालों को बाहर निकाला।सुनील लारा ने रंधावा और डोटासरा को चरखा भेंट किया।

राजस्थान विधानसभा के चुनाव में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की क्या भूमिका होगी यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा, लेकिन 13 जुलाई को जयपुर स्थित कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय में प्रदेशभर के मंडल अध्यक्षों की जो बैठक हुई। उस में मुख्य वक्ता मोहन प्रकाश सचिन पायलट की मौजूदगी में मंडल अध्यक्षों से कहा कि भले ही आपकी नियुक्ति किसी नेता की सिफारिश से हुई हो, लेकिन अब आपको कांग्रेस संगठन का कमांडर इन चीफ प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और कमांडर प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को ही मानना है। आप इन दोनों के निर्देश पर ही विधानसभा चुनाव का काम करें। पायलट की मौजूदगी में कही इन बातों के कांग्रेस में अब अनेक मायने निकाले जा रहे हैं। जब चुनाव के लिए कमांडर इन चीफ और कमांडर ही घोषित कर दिए हैं, तब सचिन पायलट की क्या भूमिका होगी? अशोक गहलोत तो मुख्यमंत्री पद पर है, जबकि पायलट तो संगठन में किसी पद पर नहीं है। मोहन प्रकाश को सीएम गहलोत का समर्थक माना जाता है। जुलाई 2020 में सियासी संकट के समय मोहन प्रकाश ने भी पायलट के खिलाफ तीखी भाषा का इस्तेमाल किया था। मोहन प्रकाश ने यह बयान तब दिया है, जब सचिन पायलट का दावा कर रहे हैं कि हम मिल कर विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे और जीतेंगे। पायलट के दावे अपनी जगह हैं, लेकिन 13 जुलाई को मंडल अध्यक्षों की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा ने अपना भाषण तो न्यूज चैनलों पर लाइव प्रसारित करवा लिया, लेकिन स्वयं के भाषण के बाद चैनल वालों को बैठक स्थल से बाहर करवा दिया। सवाल उठता है कि डोटासरा ने सिर्फ अपना भाषण ही कवर करने की छूट क्यों दी? जबकि मीडिया वाले पायलट के भाषण को लेकर उत्सुक थे। मंडल अध्यक्षों ने कहा कि विधानसभा चुनाव में जब कोई समय नहीं बचा है, इसलिए मंडल अध्यक्षों को आज से ही चुनाव कार्य में जुट जाना चाहिए।
 
चरखा भेंट:
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नवनियुक्त सचिव अजमेर निवासी सुनील लारा ने जयपुर में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा को चरखा भेंट किया। इस मुलाकात के दौरान लारा ने दोनों नेताओं से राजनीतिक विमर्श भी किया। उल्लेखनीय है कि सुनील लारा लंबे समय से अजमेर दक्षिण क्षेत्र में सक्रिय हैं। हाल ही में उन्हें प्रदेश सचिव नियुक्त कर राजनीतिक प्रमोशन दिया गया है। रंधावा और डोटासरा से हुई मुलाकात के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9828430478 पर सुनील लारा से ली जा सकती है। 

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