Sunday 24 September 2023

85 हजार बीघा भूमि अडानी को देने पर राहुल गांधी अपने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल क्यों नहीं पूछते?राहुल ने जयपुर में जब केंद्र में सरकार बनाने का दावा किया, तब गुजरात में शरद पवार ने अडानी समूह के पावर प्लांट का उद्घाटन किया।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने 23 सितंबर को भी जयपुर प्रवास में उद्योगपति गौतम अडानी का मुद्दा उठाया। राहुल ने राजस्थान की जनता से कहा कि विधानसभा चुनाव में जब आप अडानी पर सवाल पूछेंगे तो भाजपाई भाग जाएंगे। राहुल गांधी प्रदेश की जनता से सवाल पूछने की बात कर रहे हैं, लेकिन अच्छा होता कि अडानी समूह को राजस्थान में 85 हजार बीघा भूमि देने पर अपनी पार्टी के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल पूछते। गहलोत ने गौतम अडानी को एक सफल उद्योगपति मानते हुए 85 हजार बीघा भूमि आवंटित की है ताकि सौर ऊर्जा का उत्पादन हो सके। इतना ही नहीं महंगे कोयले की खरीद पर भी अडानी को करोड़ों रुपए का मुआवजा दिया गया है। यदि राहुल गांधी की नजर में अडानी समूह लूटेरा है तो फिर अशोक गहलोत उसी समूह पर इतना मेहरबान क्यों है? राहुल गांधी को पहले इस हेमरबानी का राज गहलोत से जानना चाहिए। राहुल गांधी का कहना रहा कि अडानी का मुद्दा उठाते हैं, इसलिए कभी उनकी संसद सदस्यता छीनी जाती है तो कभी किसी केस को लेकर दबाव बनाया जाता है। बड़ी  अजीब बात है कि जिन अडानी के कारण केंद्र सरकार राहुल गांधी को तंग कर रही है, उन्हीं अडानी पर राजस्थान में कांग्रेस सरकार मेहरबान है। क्या अशोक गहलोत में इतनी हिम्मत है कि राहुल गांधी के दुश्मन को लगातार मदद करें? इस सवाल का जवाब तो राहुल गांधी को ही देना है।  

पंवार, अडानी और सरकार:
23 सितंबर को जयपुर में ही राहुल ने कहा कि केंद्र में हमारी सरकार बनते ही महिला आरक्षण को लागू कर दिया जाएगा। राहुल को उम्मीद है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के इंडिया गठबंधन को बहुमत मिलेगा। राहुल गांधी के दावे अपनी जगह है, लेकिन हकीकत यह है कि 23 सितंबर को जब राहुल सरकार बनने का दावा कर रहे थे, तभी गुजरात के बासणा में इंडिया गठबंधन के प्रमुख सदस्य एनसीपी के मुखिया शरद पवार देश के प्रमुख उद्योगपति और राहुल गांधी के दुश्मन नंबर एक गौतम अडानी के लेक्टोफेरिन पावर प्लांट एक्सिम का उद्घाटन कर रहे थे। पवार ने न केवल प्लांट का उद्घाटन किया बल्कि अडानी के घर और दफ्तर में भी मेहमान नवाजी का लुत्फ उठाया। यानी जिन शरद पंवार के दम पर राहुल गांधी केंद्र में सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, वो शरद पंवार तो मोदी सरकार के हमदर्द गौतम अडानी के प्लांट का उद्घाटन कर रहे हैं। इससे राहुल गांधी को अपने दावे की हकीकत का अंदाजा लगा लेना चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

दिल्ली और पंजाब के मतदाताओं को आम आदमी पार्टी का यह चेहरा भी देखना चाहिए।राघव चड्ढा की शाही शादी में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी बाराती बने।राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए अरविंद केजरीवाल की कोई तैयारी नहीं।

दिल्ली और पंजाब के मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी को सत्ता में बैठाया है। वोट देते वक्त मतदाताओं के जहन में पार्टी के उम्मीदवारों की छवि एक आम आदमी की रही होगी। अब पार्टी के नेताओं की आम आदमी वाली छवि राजस्थान के उदयपुर में भी देखनी चाहिए। झीलों की नगरी उदयपुर के लेक पैलेस और होटल लीला में पार्टी में सांसद और पंजाब के प्रभारी राघव चड्ढा की शाही शादी हो रही है। 23 और 24 सितंबर की रस्मों को देखने से जाहिर है कि यह शादी किसी आम आदमी की नहीं बल्कि राजा महाराजाओं की हो रही है। उदयपुर की संपूर्ण पिछोला झील पर राघव चड्ढा का कब्जा है। इन दो दिनों में झील में आम आदमी की नावें नहीं चलेगी। सभी नावों पर शादी में आए मेहमान तफरीह करेंगे। ऐसी ही एक आलीशान नाव में पार्टी के तेज तर्रार सांसद संजय सिंह को भी लुत्फ उठाते देखा गया है। यह सही है कि राघव चड्ढा जिन परिणीति चोपड़ा से शादी कर रहे हैं, वह फिल्म अभिनेत्री हैं और बहुत पैसे वाली है। परिणीति की वजह से उदयपुर में राजनीति और बॉलीवुड का कोकटेल हो गया है। इस कॉकटेल का आनंद लेने के लिए गांधीवादी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के सूफी मुख्यमंत्री भगवंत मान भी उदयपुर पहुंच गए हैं। पूरे मुंबईया फिल्म जगत की निगाहे राघव परिणीति की शादी पर लगी हुई है। इस शाही शादी पर दिल्ली और पंजाब का आम आदमी सोचता है, यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। लेकिन अब पार्टी के नेताओं को अपने चेहरे  से आम आदमी का नकाब उतार लेना चाहिए। जिन लोगों ने आम आदमी बन कर सत्ता हथियाई वही लोग सत्ता के मद में ऐसे भव्य आयोजन कर रहे हैं। सवाल उठता है कि यदि राघव चड्ढा सांसद और पंजाब के सुपर चीफ मिनिस्टर नहीं होते तो क्या फिल्म स्टार परिणीति चोपड़ा राघव से शादी करती? सत्ता की वजह से ही राघव चड्ढा फिल्म स्टार से शादी करने लायक बने हैँ। अब देखना होगा कि शादी की इतनी सफलता के बाद दिल्ली और पंजाब के आम आदमी को क्या हासिल होता है।
 
चुनाव की कोई तैयारी नहीं:
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पूर्व में घोषणा की थी कि राजस्थान की सभी 200 विधानसभा सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे। राजस्थान में नवंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं। लेकिन पार्टी की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष का गठबंधन बनने के बाद केजरीवाल राजस्थान में कांग्रेस को कोई चुनौती नहीं देना चाहते हैं। यही वजह है कि तैयारियों को लेकर कोई सक्रियता नहीं दिखाई जा रही है। सूत्रों का मानना है कि केजरीवाल कांग्रेस के साथ कुछ सीटों पर गठबंधन भी कर सकते हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-09-2023)

Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Friday 15 September 2023

सनातन धर्म को खत्म करने की सोच रखने वाले लोग प्रेस का ऐसे ही गला दबाएंगे।फिर भी कांग्रेस को राजस्थान, छत्तीसगढ़, और मध्यप्रदेश में सनातनियों के वोट चाहिए।

26 दलों के विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 14 सितंबर को देश के प्रमुख न्यूज चैनलों के एंकरों की एक सूची जारी की है और घोषणा की है कि गठबंधन का कोई भी प्रतिनिधि इन एंकरों के शो में नहीं जएगा। यानी विपक्ष का गठबंधन इन एंकरों का बहिष्कार करेगा। विपक्ष का आरोप है कि ऐसे एंकर अपना एजेंडा चलाते हैं, जो लोग अदिति त्यागी, अभीष देवगन, आनंद नरसिम्हा, अशोक श्रीवास्तव, चित्रा त्रिपाठी, गौरव सावंत, नविका कुमार, प्राची पाराशर, शिव अरूर, सुशांत सिंहा, सुधीर चौधरी, अर्णब गोस्वामी, रुबिका लियाकत और अमन चोपड़ा के शो देखते हैं, उन्हें पता है कि इन एंकरों का मकसद देश और सनातन धर्म की रक्षा करना होता है। देश के खिलाफ जो साजिश रची जाती हैं, उन्हें ये एंकर एक्सपोज करते हैं। इसी सनातन धर्म के खिलाफ जहर उगलने वालों को भी ऐसे एंकर एक्सपोज करते हैं, इन एंकरों के शो में देश और सनातन धर्म के खिलाफ कभी भी कोई टिप्पणी नहीं होती। क्या देश भक्ति और सनातन धर्म का बचाव करना अपराध है? आखिर जो लोग देश भक्ति और सनातन धर्म की बात करते हैं, वे विपक्ष के गठबंधन को इतना बुरा क्यों लगते हैं? अच्छा होता कि इंडिया गठबंधन खास कर कांग्रेस अपने सहयोगी दल डीएमके को हिदायत देता। सब जानते हैं कि डीएमके के प्रमुख व तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के पुत्र व सरकार में खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने वाला बयान दिया था। टीवी एंकरों के शो के बहिष्कार की घोषणा से जाहिर है कि इंडिया गठबंधन भी सनातन धर्म  से नफरत करता है। संभवत: देश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब विपक्ष के गठबंधन ने सूची जारी कर एंकरों के शो का बहिष्कार किया है। असल में इंडिया गठबंधन में शामिल दह सनातन धर्म का सम्मान करना ही नहीं चाहते। जब भी सनातन धर्म के सम्मान की बात होती है तो विपक्षी दलों को चिढ़ हो जाती है। यह सब सर्वविदित है कि सनातन ही सभी समुदायों और धर्मों को साथ लेकर चलने की क्षमता रखता है। सनातन धर्म को खत्म करने की बात कहने के बाद भी उदयनिधि स्टालिन बड़े आराम से मंत्री पद की भूमिका निभा रहे हैं। यही सनातन धर्म की विशेषता है। यदि किसी अन्य धर्म को समाप्त करने वाला बयान देते तो उयद निधि का क्या हश्र होता यह सब जानते हैं। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की महत्वपूर्ण भूमिका है। सनातन धर्म के इतने अपान के बाद भी कांग्रेस चाहती है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में सनातनियों के वोट मिल जाएं। एक तरफ सनातन धर्म को खत्म करने की बात कही जा रही है तो दूसरी तरफ सनातनियों के वोट से ही सत्ता हासिल करने का प्रयास हो रहा है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2023)

Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

अशोक गहलोत के महंगाई राहत शिविरों का जवाब है पेट्रोल पंप संचालकों की हड़ताल।आखिर महंगाई के लिए कौन जिम्मेदार?हड़ताल खत्म करवाने के लिए सरकार का डंडा तैयार।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश भर में महंगाई राहत शिविर लगा कर यह दर्शाने की कोशिश की है कि केंद्र की मोदी सरकार ने जो महंगाई कर रखी है, उसमें हम 500 रुपए में गैस सिलेंडर 100 यूनिट बिजली फ्री, मोबाइल फ्री देकर राहत प्रदान कर रहे हैं। शिविरों में मुफ्त की चीजें लेने आए व्यक्तियों का रजिस्ट्रेशन करवा कर सीएम ने कहा कि करोड़ों लोग मोदी सरकार से नाराज हैं। गहलोत के महंगाई राहत वाले प्रयासों का जवाब अब पेट्रोल पंप संचालकों की हड़ताल से दिया जा रहा है। इस हड़ताल के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि प्रदेश में महंगाई के लिए अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। गहलोत सरकार पेट्रोल पर 31 और डीजल पर 19 प्रतिशत वेट वसूल रही है। यानी एक लीटर पेट्रोल पर 33 रुपए और डीजल पर 19 रुपए गहलोत सरकार को मिलते हैं। यह वेट राजस्थान में सबसे ज्यादा है। सीएम गहलोत पेट्रोल डीजल पर सर्वाधिक वसूली कर लोगों को मुफ्त चीजें बांट रहे हैं। पंप संचालकों की हड़ताल से अब आम लोगों को पता हो गया है कि गहलोत सरकार पेट्रोल डीजल पर कितना वेट वसूल रही है। पंप संचालकों की एसोसिएशन का कहना है कि गहलोत को यदि महंगाई से राहत दिलाता है तो पंजाब और गुजरात की तरह पेट्रोल डीजल पर वेट लगाए। इन राज्यों में वेट कम है, इसलिए महंगाई से राहत है। केंद्र सरकार तो देश भर में समान रूप से एक्साइज ड्यूटी वसूलती है। राज्य अपने अपने हिसाब से वेट वसूलते हैं। जब पंजाब और गुजरात की सरकार वेट कम कर सकती हैं, तब राजस्थान में वेट क्यों नहीं घटाया जाता?

सरकार का डंडा तैयार:
पेट्रोल पंप संचालकों की हड़ताल तुड़वाने के लिए गहलोत सरकार का डंडा तैयार है। जिला कलेक्टरों ने 14 सितंबर की रात से ही पंप संचालकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि पंप संचालकों की एसोसिएशन ने 15 सितंबर से बेमियादी हड़ताल की घोषणा की है, लेकिन 15 सितंबर को देखा गया कि जयपुर,जोधपुर,कोटा,गंगानगर आदि में कई संचालकों ने अपने पेट्रोल पंप से बिक्री शुरू कर दी। ऐसे पंप संचालकों का कहना है कि यह निर्णय जनहित में लिया गया है। सब जानते हैं कि पेट्रोल पंप केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली तेल कंपनियों के होते हैं। कई पंप तो सीधे कंपनी द्वारा संचालित होते हैं तथा शेष पंप डीलरशिप के आधार पर संचालित होते हैं। पेट्रोल पंपों पर राज्य सरकार का भी नियंत्रण होता है। यही वजह है कि जिला कलेक्टरों के माध्यम से पंप संचालकों की हड़ताल को प्रभावहीन किया जा रहा है।  


S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2023)

Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

ब्राह्मणवाद का झंडा लेकर अजमेर के जिला लोक अभियोजक विवेक पाराशर ने भी पुष्कर से कांग्रेस का टिकट मांगा।श्रवण सिंह रावत ने भाजपा से जताई दावेदारी।

अजमेर के जिला लोक अभियोजक और पुष्कर निवासी विवेक पाराशर ने भी विधानसभा चुनाव में पुष्कर से कांग्रेस  टिकट की मांग की है। पाराशर ने यह दावेदारी तब जताई है, जब पूर्व विधायक श्रीमती नसीम अख्तर, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती,  डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी, एडवोकेट राजेंद्र रावत जैसे दिग्गज नेता भी पुष्कर से टिकट की मांग कर रहे हैं। नसीम, बाहेती, चौधरी भले ही अपने अपने तर्क दे रहे हों, लेकिन पाराशर ने ब्राह्मणवाद का झंडा उठा लिया है। पाराशर का कहना है कि पुष्कर एक तीर्थ स्थल है और यहां ब्राह्मण समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका है। इसलिए पुष्कर से किसी ब्राह्मण को ही कांग्रेस का टिकट मिलना चाहिए। यदि इस बार कांग्रेस ने पुष्कर से किसी ब्राह्मण को उम्मीदवार बनाया तो भाजपा के सभी जातिगत समीकरण धरे रह जाएंगे। पुष्कर के धार्मिक महत्व को देखते हुए पूर्व में कांग्रेस ने ब्राह्मण को ही उम्मीदवार बनाया था और इसलिए कांग्रेस चुनाव जीतती रही। पहली बार हुए 1952 के चुनाव में स्थानीय जयनारायण शर्मा को उम्मीदवार बनाया तो कांग्रेस ने जीत से शुरुआत की। फिर 1957, 1962 और 1972 में प्रभा मिश्रा को ब्राह्मण उम्मीदवार के रूप में  खड़ा किया तो कांग्रेस को जीत मिलती रही। 1980 में भी ब्राह्मण प्रत्याशी गुर्जर देवी मल्होत्रा ने भारी मतों से जीत हासिल की। लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने ब्राह्मण को टिकट देने के बजाए बाहरी व्यक्तियों को टिकट दिया इसलिए लंबे समय से हार का भी सामना करना पड़ रहा है। पुष्कर में ब्राह्मण समुदाय का कितना प्रभाव है, इसका अंदाजा पुष्कर नगर पालिका के अध्यक्ष पद से भी लगाया जा सकता है। 1952 से लेकर 2023 तक आरक्षण की अवधि को छोड़ कर ब्राह्मण समुदाय का व्यक्ति की अध्यक्ष बना है। इनमें पुष्कर नारायण शर्मा, जनार्दन शर्मा, सूरज नारायण पाराशर, दामोदर शर्मा, गोपाल शर्मा,  कमल पाठक और मौजूदा अध्यक्ष शिवस्वरूप महर्षि शामलि है। पाराशर ने कहा कि ब्राह्मण होने के नाते ही उन्होंने भी पुष्कर से अपनी दावेदारी जताई है। उनके परिवार की पृष्ठभूमि भी कांग्रेस की रही है। जब कांग्रेस में युवाओं को आगे लाने की मुहिम चल रही है तब मेरे जैसे व्यक्ति को ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। मैं हमेशा से पार्टी के प्रति वफादार रहा हूं, इसलिए दूसरी बार अजमेर का लोक अभियोजक बनाया गया है। एडवोकेट विवेक पाराशर की ताजा राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी मोबाइल नंबर 9983335001 ली जा सकती है।
 
रावत की भी दावेदारी:
जिले के पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से श्रवण सिंह रावत ने भी भाजपा में अपनी दावेदारी जताई है। रावत का कहना है कि जब रमजान खां पुष्कर से भाजपा के विधायक थे, तब वे पूरे क्षेत्र में सक्रिय रहे। उन्हें पूरे विधानसभा क्षेत्र की जानकारी है। भले ली वे कुछ वर्षों के लिए कांग्रेस में शामिल हो गए हों, लेकिन उनकी आत्मा भाजपा में ही रही। यही वजह है कि गत वर्ष जिला परिषद के चुनाव में भाजपा ने उन्हें वार्ड सदस्य का चुनाव लड़ाया तो भारी मतों से जीत हासिल की। रावत ने कहा कि पेराफेरी गांव की समस्याओं को लेकर उन्होंने कई बार आंदोलन किए हैं। उनके आंदोलन का लोगों को फायदा भी हुआ है। भाजपा में उम्मीदवार के चयन एक कारण पुष्कर में रावत मतदाताओं की संख्या भी है। मेरा संपूर्ण रावत समाज में मान सम्मान है। पूर्व में मैंने जब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा तो मुझे 20 हजार मत हासिल हुए। मैं जब निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बीस हजार वोट ले सकता हूं तो पार्टी का उम्मीदवार होने पर जीत सुनिश्चित है। श्रवण सिंह रावत की ताजा राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी मोबाइल नंबर 9928833766 पर ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Thursday 14 September 2023

2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान ही वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाने की चर्चा शुरू हो गई थी, इसलिए भाजपा 72 सीटों पर अटक गई।भाजपा के पास लाल डायरी है तो कांग्रेस के पास कैलाश मेघवाल। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल के मामले में खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ।

13 सितंबर को फस्र्ट इंडिया न्यूज चैनल पर रात 8 बजे बिग फाइट का जो लाइव प्रोग्राम हुआ, उसमें राजनीतिक विश्लेष के तौर पर मैं भी शामिल हुआ। मेरे साथ भाजपा के निलंबित और मौजूदा समय में चर्चित विधायक कैलाश मेघवाल के साथ साथ कांग्रेस के प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी और भाजपा के प्रवक्ता बारहट भी मौजूद रहे। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर सुर्खियों में आए और भाजपा की राजनीति में पूर्व सीएम वसुध्ंारा राजे के समर्थक कैलाश मेघवाल का कहना रहा कि वसुंधरा राजे को राजस्थान की राजनीति से अलग करने का षडय़ंत्र 2018 के विधानसभा चुनाव से ही हो गया थाच् चुनाव के दौरान ही यह चर्चा होने लगी थी कि बहुमत मिलने पर वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा। मेघवाल ने कहा कि इन चर्चाओं के कारण ही भाजपा 72 सीटों पर अटक गई। आज पांच साल बाद भी वसुंधरा की उपेक्षा का दौर जारी है। राजे के समर्थकों को भी अलग थलग किया जा रहा है। राजनीतिक दृष्टि से मेघवाल का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है। मेघवाल के इस बयान से पता चलता है कि 2018 में भाजपा की हार में किन लोगों की भूमिका रही। यानी भाजपा और वसुंधरा राजे के बीच मतभेद 2018 में ही हो गए थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि मेघवाल की वफादारी पूरी तरह वसुंधरा राजे के साथ है। सूत्रों के अनुसार गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद वसुंधरा राजे ने विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता बनाने के लिए कैलाश मेघवाल का नाम प्रस्तावित किया था। यह बात अलग है कि भाजपा हाईकमान ने उपनेता राजेंद्र राठौड़ को नेता की जिम्मेदारी दी।
 
अब कांग्रेस के पास कैलाश मेघवाल:
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यदि भाजपा लाल डायरी को सामने रख कर कांग्रेस को घेरना चाहती है तो अब कांग्रेस कैलाश मेघवाल आ गए हैं जो किसी भी भाजपा नेता पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा सकते हैं। पहले चरण में मेघवाल ने अपनी ही जाति के केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पर आरोप लगाए हैं। अब तो कैलाश मेघवाल ने भाजपा को ही हराने की घोषणा कर दी। यानी मेघवाल अब कांग्रेस के इशारे पर बयानबाजी करेंगे। मेघवाल का कहना है कि भले ही उनकी उम्र 90 वर्ष हो गई हो, लेकिन नाक, कान, आंख दिमाग आदि अंग सही तरीके से काम कर रहे हैं, इसलिए उम्र का शरीर पर कोई असर नहीं है। भाजपा ने भी आरोप लगाया है कि कैलाश मेघवाल अब कांग्रेस के साथ हैं। भाजपा लाल डायरी को लेकर जब भी कांग्रेस के भ्रष्टाचार को उजागर करेगी, तब कांग्रेस भी कैलाश मेघवाल को आगे कर देगी। मालूम हो कि आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ द्वारा लिखी तीन डायरियां ईडी ने जब्त कर रखी हैं। इन डायरियों में राठौड़ ने कांग्रेस और सरकार से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें लिख रखी हैं। इन बातों से करोड़ों के लेन देन का आभास होता है।
 
खोदा पहाड़ निकली चुहिया:
केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल पर भ्रष्टाचार के आरोपों के संदर्भ में खोदा पहाड़ निकली चुहिया वाली कहावत चरितार्थ हुई है। कैलाश मेघवाल ने ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया जो अर्जुन राम मेघवाल के मंत्री पद के दुरुपयोग से संबंधित हो। चूरू के जिला कलेक्टर रहते हुए भूमि आवंटन के मामले में भी पुलिस ने अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी है। पुष्कर के किसी संत को टिकट दिलवाने की एवज में डेढ़ करोड़ रुपए लेने का ऐसा आरोप है जो कोई भी व्यक्ति लगा सकता है। अच्छा होता कि मेघवाल उस संत का नाम भी बताते। कैलाश मेघवाल के सभी आरोप काजगी शिकायतों पर आधारित हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने ही खान मंत्री प्रमोद जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुहर लगाई।जिन कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने मुर्दाबाद का नारा लगाया उन्हीं के घर पहुंचे सीएम गहलोत।

14 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने घोर विरोधी कांग्रेस विधायक भरत सिंह के कोटा स्थित निवास स्थान पर पहुंचे और 15 मिनट तक बंद कमरे में बात चीत की। सीएम के साथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल भी रहे। भरत सिंह कांग्रेस के वही विधायक है जिन्होंने खान मंत्री प्रमोद जैन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। भरत सिंह का कहना रहा कि प्रमोद जैन ने भ्रष्टाचार के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि भ्रष्टाचार के पर्याप्त सबूत दिए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोई कार्यवाही नहीं की। सीएम गहलोत के 13 सितंबर के कोटा दौरे को देखते हुए भरत सिंह ने घोषणा की थी कि वे अपना सिर मुंडवाएंगे और गृहमंत्री के तौर पर अशोक गहलोत का पुतला जलाएंगे। भरत सिंह ने अपने ऐलान के मुताबिक विरोध प्रदर्शन किया भी। लेकिन विरोध के बावजूद सीएम गहलोत ने भरत सिंह से संवाद बनाए रखा। यही वजह रही कि 13 सितंबर की रात को भरत सिंह ने कोटा के सर्किट हाउस में सीएम गहलोत से मुलाकात की और 14 सितंबर की सुबह सीएम गहलोत कोटा में भरत सिंह से मिलने के लिए उनके निवास स्थान पर आए। सीएम गहलोत ने भरत सिंह के निवास पर जाकर प्रमोद जैन पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुहर लगा दी है। अब देखना होगा कि भरत सिंह ने जो आरोप लगाए हैं उन पर सीएम गहलोत क्या एक्शन लेते हैं। अलबत्ता गहलोत ने इस बात का प्रदर्शन कर दिया है कि भरत सिंह के मन में मुख्यमंत्री के प्रति कोई नाराजगी नहीं है। जहां तक खान मंत्री प्रमोद जैन का सवाल है तो उनकी प्रतिक्रिया आना शेष है। सीएम के भरत सिंह के घर पर जाने के कदम से प्रमोद जैन किस नजरिए से देखते हैं यह आने वाले दिनों में पता चलेगा। जानकार सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत का प्रयास है कि कांग्रेस का कोई भी विधायक उनसे नाराज न रहे। यही वजह है कि गहलोत अब उन विधायकों के घरों पर जा रहे हैं जिन्होंने मंत्रियों के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। 14 सितंबर को गहलोत ने भरत सिंह के प्रति ज्यादा ही स्नेह दिखाया। घर पर मुलाकात के बाद सीएम, भरत सिंह को अपने कार में बैठाकर कोटा बूंदी के बीच एक गांव में ले गए, वहां सीएम ने भरत सिंह के साथ कोटा के एयरपोर्ट के लिए प्रस्तावित भूमि को देखा। सीएम के इस स्नेह से भरत सिंह के तेवर भी नरम पड़ गए हैं। लेकिन कांग्रेस की राजनीति में सीएम का भरत सिंह के घर जाना महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

राष्ट्र और धर्म विरोधी ताकतों से मुकाबला करने के लिए 15 सितंबर से शौर्य जागरण यात्राएं।संघ के चित्तौड़ प्रांत में चार धार्मिक स्थलों से यात्राओं का शुभारंभ। अजमेर में पुष्कर से शुरुआत, शाम को धर्म सभा।

राष्ट्र और धर्म विरोधी ताकतों से मुकाबला करने और युवाओं में सनातन धर्म के लिए जागरूकता लाने के उद्देश्य से संघ के चित्तौड़ प्रांत के 24 जिलों में 15 सितंबर से 24 सितंबर तक शौर्य जागरण यात्राएं निकाली जाएंगी। ये यात्राएं चार धार्मिक स्थानों से रवाना होंगी। यात्रा में एक रथ होगा, जिसमें राजस्थान के शूरवीरों के चित्र होंगे। अजमेर में विश्व हिन्दू परिषद के प्रतिनिधि एडवोकेट शशि प्रकाश इंदौरिया ने बताया कि देश में लगातार ऐसी ताकतें सक्रिय हो रही हैं, जिनकी वजह से आतंकवाद, अलगाववाद जातिवाद, लव हिजाद, लैंड जिहाद, गौ हत्या, जनसंख्या का असंतुलन आदि बुराई पनप रही हैं। यह सब हिन्दू समाज पर हो रहे आक्रमण और युवाओं में सनातन धर्म के प्रति जागरुकता लाने के लिए ही युवाओं को हमारे बलिदानियों के जीवन के बारे में जानकारी दी जा रही है। हमारा प्रयास है कि सब हिंदू एक हो तथा सामाजिक समरसता का संकल्प ले। उन्होंने बताया कि कोटा बारा विभाग की शौर्य यात्रा प्रात: 11 केशवराय पाटन, बांसवाड़ा व चित्तौड़ विभाग की यात्रा डूंगरपुर के बेणेश्वर धाम व राजसमंद उदयपुर विभाग की यात्रा दिवेर से रवाना होगी। इसी प्रकार अजमेर-भीलवाड़ा विभाग की यात्रा पुष्कर से प्रातः 10 बजे आरंभ होगी। इससे पहले सभी यात्री पुष्कर सरोवर पर पूजा अर्चना करेंगे। सभी यात्राएं 24 सितंबर तक निकाली जाएंगी। ये यात्राएं प्रदेश के चौबीस जिलों से होकर गुजरेंगी। अजमेर की यात्रा के बारे में जानकारी देते हुए सुनील दत्त जैन ने बताया कि शौर्य जागरण यात्रा अजमेर शहर में रामप्रसाद घाट से शुरू होगी और फिर अग्रसेन सर्किल आगरा गेट, नया बाजार चौपड़, मदार गेट, पड़ाव, डिग्गी चौक, केसरगंज मार्टिंडल ब्रिज अलवर गेट होते हुए नगरा स्थित टोरेंटो समारोह स्थल पर पहुंचेगी यहां एक धर्म सभा भी होगी। इस धर्म सभा को अजमेर के प्रमुख संघ संबोधित करेंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (14-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Wednesday 13 September 2023

राजस्थान में तेल पर वेट घटाने के लिए अब पेट्रोल पंप संचालक कांग्रेस सरकार से भिड़े।13 व 14 सितंबर को सुबह 10 से सायं 6 बजे तक पंप बंद। 15 सितंबर से बेमियादी तालाबंदी।गहलोत सरकार जब मोबाइल, फूड पैकेट, सौ यूनिट बिजली आदि मुफ्त दे रही है, तब वेट क्यों नहीं हटाया जाता।पंजाब और गुजरात से राजस्थान में आ रहा है सस्ता पेट्रोल-डीजल।कोटा में बैटरी वाली कार में बैठकर सीएम गहलोत ने सिटी पार्क को देखा।

अब तक तो यही माना जाता रहा कि पेट्रोल और डीजल पर वेट का मुद्दा राजनीतिक से जुड़ा है, इसलिए राजस्थान में विपक्षी दल भाजपा वेट घटाने की मांग कांग्रेस सरकार से करती रही है। लेकिन इस बार तेल पर वेट घटाने के लिए राजस्थान के पंप संचालक, अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार से भिड़ गए हैं। संचालकों की एसोसिएशन ने 13 व 14 सितंबर को सुबह 10 से सायं 6 बजे तक पंप बंद रखने का ऐलान किया है। कोई भी पंप संचालक 13 सितंबर से तेल नहीं खरीदेगा। ऐसे में 15 सितंबर से सभी पंपों पर पेट्रोल डीजल खत्म हो जाएगा और स्वत: ही तालाबंदी हो जाएगी। देश के अन्य प्रदेशों से जो वाहन राजस्थान आ रहे हैं उनके चालकों और मालिकों को यह ध्यान में रखना होगा कि राजस्ािान में पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं। राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के संरक्षण सुनील दबे ने बताया कि प्रदेश में पेट्रोल पर 31 और डीजल पर 19 प्रतिशत वेट है, जो पड़ोसी राज्य पंजाब और गुजरात से बहुत ज्यादा है। पंजाब और गुजरात में पेट्रोल पर 15 रुपए और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर सस्ता है। यही वजह है कि पंजाब सीमा से लगे राजस्थान के गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, सीकर आदि जिलों में अधिकांश पंप बंद हो गए हैं। इसी प्रकार गुजरात सीमा से लगे डूंगरपुर, उदयपुर, बांसवाड़ा आदि जिलों के पंपों की बिक्री घट गई है। इतना ही नहीं इन सीमावर्ती जिलों में तेल माफिया पनप गया है जो पंजाब और गुजरात से सस्ता तेज लेकर आता है और इन जिलों में बेचता है। इससे पंप संचालकों को तो आर्थिक नुकसान है ही साथ ही राज्य सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। पंजाब और गुजरात की ओर से आने वाले बड़े वाहन भी अब राजस्थान में डीजल नहीं भरवाते हैं। इससे भी सरकार को बहुत नुकसान हो रहा है। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने वेट घटाने के लिए कई बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से आग्रह किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। फलस्वरूप प्रदेश के 7 हजार 500 पंप संचालकों को बेमियादी तालाबंदी करनी पड़ रही है। जब तक वेट कम नहीं होगा, तब तक तेज की बिक्री बंद रहेगी। सरकारी वाहनों को भी पंपों से तेल नहीं भरा जाएगा। वहीं अनेक पंप संचालकों का कहना है कि जब मोबाइल और फूड पैकेट, सौ यूनिट बिजली आदि मुफ्त दी जा रही है, तब तेल पर वेट क्यों नहीं घटाया जा रहा है? जाहिर है कि राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर अधिक वेट की वसूली कर रही है। अधिक वेट की वसूली कर लोगों को मुफ्त में वस्तुएं बांट रही है। इससे तो अच्छा होता वेट घटाकर सीधे ही जनता को फायदा दिया जाता। यदि कोई व्यक्ति अपनी दुपहिया वाहन में तीन लीटर डीजल भरवाता है तो राज्य सरकार को करीब 25 रुपए टैक्स के रूप में मिलते हैं। इसी प्रकार तीन लीटर पेट्रोल खरीदने पर सरकार को करीब 90 रुपए की प्राप्ति होती है। इससे राज्य सरकार के मुनाफे का अंदाजा लगाया जा सकता है।
 
बैटरी कार में सफर:
सीएम गहलोत को 13 सितंबर को कोटा प्रवास पर रहे। सीएम ने 75 एकड़ में 120 करोड़ रुपए की लागत से बने सिटी पार्क का लोकार्पण किया। लोकार्पण के बाद सीएम ने सिटी पार्क का अवलोकन भी किया। लंबे सिटी पार्क को देखने के लिए सीएम ने बैटरी वाली कार का उपयोग किया। सीएम के साथ कार में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल भी थे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (13-09-2023)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511


पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर युद्ध जैसे हालात। तालिबानी लड़ाके पाक सीमा में घुसे। सेना को भागना पड़ा।यदि पाकिस्तान का इलाका तालिबानियों के कब्जे में आता है तो भारत के लिए चिंता। हमारे कई मुस्लिम नेता तालिबान की नीतियों का समर्थन कर चुके हैं।

मुस्लिम कट्टरपंथी संगठन तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के मध्य 2 हजार 430 किलोमीटर की सीमा रेखा है। यह रेखा पश्तून आदिवासी क्षेत्र से होकर दक्षिण में बलूचिस्तान के बीच से होकर गुजरती है। इस सीमा रेखा से ही एक दूसरे देशों के लोगों का आवागमन होता है। लेकिन इन दिनों इस सीमा पर युद्ध जैसी स्थिति है। पाकिस्तान की सेना पर तालिबानी लड़ाके लगातार हावी हो रहे हैं। कई मौकों पर तो पाक सेना को भागना पड़ा है। जारी वीडियो में तालिबानी लड़ाके पाकिस्तानी झंडे पर पत्थर फेंकते दिख रहे हैं। अफगानिस्तान की सीमा पर युद्ध के हालात तब है, जब पाकिस्तान में कोई निर्वाचित प्रधानमंत्री नहीं है और देश की बागडोर सेना के पास है। आर्थिक तंगी के चलते पाकिस्तान के आंतरिक हालात बेहद खराब है। शायद इसी स्थिति का फायदा उठाते हुए तालिबान के लड़ाकों ने पाकिस्तान में घुसपैठ की है। यदि तालिबानी लड़ाके पाकिस्तान के कुछ इलाकों को अपने कब्जे में लेते हैं तो यह भारत के लिए चिंता की बात होगी। मालूम हो कि पूर्व में जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, तब सबसे ज्यादा जश्न पाकिस्तान में ही बना था। असल में पाकिस्तान में भी तालिबानी विचारधारा के कट्टरपंथी संगठन सक्रिय हैं। अब ऐसे कट्टरपंथी संगठनों का समर्थन तालिबानियों को मिल रहा है। जिसकी वजह से पाकिस्तान की सेना भी बेबस है। यदि पाकिस्तान फौज को मौके से भागना पड़े तो तालिबानी लड़कों की ताकत का अंदाजा लगाया जा सकता है। पाकिस्तान में यदि कट्टरपंथी संगठन और मजबूत होते हैं तो यह भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत की सेना सीमा पर तो किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार है, लेकिन आंतरिक चुनौतियों से मुकाबला करना मुश्किल होता है। सब जानते हैं कि तालिबानियों ने अफगानिस्तान में कब्जा किया था, तब भारत के अनेक मुस्लिम नेताओं ने तालिबान की तारीफ की थी। यानी भारत में ऐसे लोग हैं जो तालिबान की कट्टरपंथी नीतियों का समर्थन करते हैं। यही वजह है कि अफगानिस्तान पाकिस्तान की सीमा पर हो रही जंग पर भारत की नजर है। यह तो अच्छा हुआ कि जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त कर आतंकवाद पर काबू पा लिया गया। अब भारत का राज्य मानकर ही जम्मू कश्मीर में प्रशासन काम कर रहा है। जबकि अनुच्छेद 370 के प्रभावी रहते हुए पाकिस्तान को घुसपैठ करने का अवसर मिल रहा था। जम्मू कश्मीर के कुछ राजनीतिक चाहते हैं कि अनुच्छेद 370 फिर से प्रभाव में आ जाए ताकि पाकिस्तान को दखल देने का अवसर मिल जाए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (13-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

तो अशोक चांदना को मंत्री पद से बर्खास्त क्यों नहीं करते मुख्यमंत्री गहलोत!

यदि अखबारों में छपी खबरें सही हैं तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को खेल राज्यमंत्री अशोक चांदना को बर्खास्त कर देना चाहिए। यदि चांदना बर्खास्त नहीं होते हैं तो फिर अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री होने पर ही सवाल उठते हैं। 12 सितंबर को प्रदेश के सभी दैनिक अखबारों में छपा कि कांग्रेस की कैंपेन कमेटी की बैठक में सीएम गहलोत और मंत्री चांदना के बीच जमकर विवाद हुआ। चांदना के 10 सितंबर के धरना प्रदर्शन पर सीएम गहलोत ने नाराजगी जताई। इस पर चांदना ने कहा कि मैं मंत्री होकर बिजली का एक ट्रांसफार्मर भी नहीं बदलवा सकता तो यह मंत्री पद आप अपने पास रख लो। मुझे ऐसा मंत्री पद नहीं चाहिए। मैं जनता की भलाई के लिए आंदोलन करता रहंूगा। अशोक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं। गहलोत स्वयं बताएं कि चांदना ने भरी मीटिंग में मुख्यमंत्री के पद को जो चुनौती दी, उसके बाद क्या चांदना का मंत्री पद रहना चाहिए? कोई मंत्री 20 लोगों की मौजूदगी में अपने मुख्यमंत्री से कहे कि यह मंत्री पद आप अपने पास रख लो, मुझे नहीं चाहिए और तब भी ऐसा विधायक मंत्री बना रहे तो कौन जिम्मेदार हैं? क्या चांदना ने सीधे मुख्यमंत्री को चुनौती नहीं दी है? यह सही है कि चांदना को मंत्री बनाए रखना अशोक गहलोत की राजनीतिक मजबूरी है, लेकिन मुख्यमंत्री पद का कुछ तो स्वाभिमान और सम्मान होना चाहिए। कैंपेन कमेटी की बैठक में सीएम ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से कहा कि जो मंत्री अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना देता है उसे पार्टी अनुशासनहीनता का नोटिस जाए। डोटासरा चांदना को नोटिस देंगे या नहीं, यह तो अभी पता नहीं है, लेकिन चांदना ने कांग्रेस का अनुशासन नहीं बल्कि मंत्रिपरिषद में अनुशासन हीनता की है। ऐसे में कार्यवाही पार्टी अध्यक्ष को नहीं बल्कि मुख्यमंत्री को ही करनी है। खेल मंत्री चांदना पहले भी मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी कर चुके हैं। तब सीएम गहलोत ने कहा था कि अशोक चांदना पर काम का बोझ ज्यादा है, इसलिए ऐसी बातें कहीं हैं। तब गहलोत ने चांदना को कोई हिदायत देने के बाए पीठ थपथपा दी। यदि कुलदीप रांका वाले प्रकरण में सीएम गहलोत सख्त रवैया अपनाते तो आज अशोक चांदना की हिम्मत मुख्यमंत्री को आंखें दिखाने की नहीं होती। सीएम अशोक गहलोत माने या नहीं, लेकिन मंत्रियों और कुछ विधायकों की दादागिरी से प्रशासन के बड़े आईएएस और आईपीएस भी दुखी और परेशान हैं। अफसरों का गुस्सा भी कभी भी फूट सकता है।


S.P.MITTAL BLOGGER (13-09-2023)

Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Tuesday 12 September 2023

सचिन पायलट के लिए अजमेर के सर्किट हाउस में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की जबरदस्त भीड़।एक ही रात में पूरा शहर फ्लैक्स और पोस्टरों से भार।साथ मिलकर चुनाव लड़ने की नसीहत।

पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस की वर्किंग कमेटी के सदस्य सचिन पायलट 12 सितंबर को अल्प प्रवास पर अजमेर आए। अजमेर जिले की सीमा में प्रवेश करने के साथ ही पायलट का जगह-जगह भव्य स्वागत किया गया। सर्किट हाउस पहुंचने पर पायलट का बैंड बाजों के साथ स्वागत हुआ। केकड़ी के विधायक रघु शर्मा, विधायक राकेश पारीक, कांग्रेस के शहर जिला अध्यक्ष विजय जैन, महेंद्र सिंह रलावता, हेमंत भाटी, पूर्व विधायक डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, श्रीमती नसीम अख्तर, नाथुराम सिनोदिया, रामनारायण गुर्जर, प्रताप यादव आदि नेताओं और उनके समर्थकों ने पायलट का जोरदार स्वागत किया। सर्किट हाउस खचाखच भर ही गया साथ ही बाहर भी जबरदस्त भीड़ देखी गई। सर्किट हाउस के ऊपर जाम की स्थिति हो गई। खुद पायलट को भी बड़ी मशक्कत के बाद ऊपर तक पहुंचना पड़ा। लोगों ने मालाओं से पायलट को लाद दिया। कार्यकर्ताओं का उत्साह देखकर पायलट भी बेहद उत्साहित नजर आए। असल में पायलट की राजनीति में अजमेर महत्वपूर्ण स्थान है। पायलट ने अजमेर से दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ा, एक बार जीते और दूसरे बार पायलट को हार का सामना करना पड़ा। लेकिन पायलट का प्रभाव कभी कम नहीं हुआ। यही वजह है कि पायलट ने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अजमेर में जिन भूपेंद्र सिंह राठौड़ को देहात और विजय जैन को शहर जिला कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया वे आज भी अपने पदों पर कायम है। कांग्रेस की राजनीति में अजमेर को पायलट का जिला माना जाता है। भले ही पायलट ने विधानसभा का पिछला चुनाव टोंक से लड़ा हो, लेकिन पायलट भी अजमेर को अपना सबसे मजबूत गढ़ मानते हैं। पायलट ने जनसंघर्ष यात्रा की शुरुआत भी अजमेर से ही की थी।  पायलट का स्वागत करने के लिए शहर के कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि जिले भर के कार्यकर्ता सर्किट हाउस पहुंचे। यह बात अलग है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थक कांग्रेसी पायलट के स्वागत सत्कार से दूर रहे। अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के लिए लालायित आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ 12 सितंबर को कोटा रिवर फ्रंट पर ई रिक्शा में घूमते देखे गए। वहीं गत बार के उम्मीदवार महेंद्र सिंह रलावता ने पायलट का स्वागत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रलावता को उम्मीद है कि इस बार भी पायलट ही उन्हें कांग्रेस का टिकट दिलवाएंगे। वहीं दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि अजमेर जिले में कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन में पायलट की राय महत्वपूर्ण होगी। स्वागत सत्कार के दौरान ही पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल द्वारा कांग्रेस नेता हेमंत भाटी के विरुद्ध दायर किए गए मानहानि के मुकदमे की भी चर्चा रही। जयपाल को गहलोत गुट का माना जाता है। जयपाल ने पायलट गुट के हेमंत भाटी पर उनकी छवि खराब करने का आरोप लगाया है। वहीं अपने दौरे में पायलट ने सभी कार्यकर्ताओं और नेताओं को नसीहत दी है कि सब मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़े और कांग्रेस को जीत दिलवाए। पायलट ने कुछ नेताओं से बंद कमरे में भी संवाद किया। पायलट ने जिले भर की ताजा राजनीति को समझा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (12-09-2023)

Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

भाजपा की परिवर्तन यात्रा से पहले अजमेर में कांग्रेस के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन।सुभाष काबरा, कुंदन वैष्णव और लाल सिंह रावत की मुहिम।केसरपुरा के सरपंच शक्ति सिंह रावत ने भाजपा में पुष्कर और नसीराबाद से दावेदारी जताई।

भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा 12 सितंबर को सायं 7 बजे से अजमेर के ब्यावर सीमा में प्रवेश कर किया। इससे पहले 12 सितंबर को को दोपहर 12 बजे पानी, बिजली और मकानों के मकानों के पट्टों की मांग को लेकर कांग्रेस सरकार के खिलाफ कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन हुआ। अजमेर की शहरी सीमा से लगे गांव के ग्रामीणों और पिछड़ी बस्तियों के सैकड़ों लोगों को एकत्रित करने वाले भाजपा के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के संभागीय संयोजक सुभाष काबरा, पार्षद कुंदन वैष्णव और सरपंच लाल सिंह रावत ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने गरीबों को मकान और भूमि के पट्टे देने की घोषणा की है। लेकिन अजमेर विकास प्राधिकरण द्वारा पट्टे नहीं दिए जा रहे है। सरकार की यह घोषणा थोथी साबित हुई है। पट्टे नहीं मिलने से पेराफेरी क्षेत्र के लोगों को भारी परेशानी हो रही है। आरोप लगाया गया कि शहरी क्षेत्र में चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। गर्मी के दिनों में लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी प्रकार बिजली के बिल भी ज्यादा आ रहे हैं। इस संबंध में जब शिकायत की जाती है तो तो निजी कंपनी टाटा पावर द्वारा कोई सुनवाई नहीं होती। कंपनी के अधिकारियों का कहना रहता है कि राज्य सरकार ने जो दिशा निर्देश दिए हैं उसी के अनुरूप उपभोक्ताओं को बिल भेजे जा रहे हैं। तीनों नेताओं ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार की जनविरोधी नीतियों की वजह से लोगों को परेशानी हो रही है। लोगों की आवास सरकार तक पहुंचाने के लिए आज धरना प्रदर्शन किया गया है। तय कार्यक्रम के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के लोग सुबह 11 बजे जवाहर रंगमंच पर एकत्रित हुए और फिर कलेक्ट्रेट पर पहुंचे। यहां सभी लोगों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में जिला कलेक्टर को एक ज्ञापन भी दिया गया।
 
रावत की पुष्कर और नसीराबाद से दावेदारी:
जिले के केसरपुरा ग्राम पंचायत के सरपंच शक्ति सिंह रावत ने भाजपा की ओर से पुष्कर और नसीराबाद विधानसभा क्षेत्रों में दावेदारी जताई है। रावत ने कहा कि वे पिछले बीस वर्षों से भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं। अब तक तीन बार केसरपुरा के सरपंच चुने गए हैं। सरपंच के पद पर रहते हुए उन्होंने केसरपुरा का जबरदस्त विकास करवाया है। नरेगा योजना में खेल मैदान बनाया है, जिसमें आज महिलाएं भी मॉर्निंग वॉक कर रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में अब तक 200 मकानों का निर्माण करवाया गया है। शिक्षा बोर्ड का परीक्षा केंद्र भी गांव में ही शुरू करवाया। यही वजह है कि आज गांव की एक भी बच्ची अनपढ़ नहीं है। शत प्रतिशत बच्चियां स्कूलों में पढ़ाई कर रही हैं। केसरपुरा गांव को जो स्कूल है उसमें छात्राओं की संख्या 450 है। शक्ति सिंह रावत मौजूदा समय में भी भाजपा की परिवर्तन यात्रा के जिला संयोजक है। पार्टी के नहीं सहेगा राजस्थान अभियान में भी रावत ने सक्रिय भूमिका निभाई है। रावत का कहना है कि नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र से रावत उम्मीदवार के जीतने की अच्छी संभावना है। गोविंद सिंह गुर्जर जब लगातार नसीराबाद से विधायक बनते रहे तब रावत उम्मीदवार मदन सिंह रावत के सामने जीत का अंतर बहुत कम रहा। मदन सिंह रावत एक बार तो मात्र 6 मतों से पराजित हुए। दूसरी बार हार का अंतर सौ वोटों का रहा। इस प्रकार तीसरी बार हार का अंतर चार सौ वोटों का रहा। विधानसभा चुनाव में इन मतों की हार खास मायने नहीं रखती है। यदि इस बार भाजपा मेरे जैसे युवा और प्रगतिशील सरपंच को नसीराबाद से उम्मीदवार बनाती है तो भाजपा की जीत बहुत आसान होगी। रावत ने कहा कि अजमेर ग्राम पंचायत में किए गए कार्यों की प्रशंसा रावत बाहुल्य पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में हो रही है। पुष्कर के आम लोग भी मेरा जैसा जनप्रतिनिधि चाहते हैं। मेरी संभावित उम्मीदवारी को लेकर पुष्कर के रावत समुदाय में भी उत्साह है। उन्होंने कहा कि मैं अपना कार्य पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ करता हूं, इसलिए भाजपा के प्रदेश के नेता भी भरोसा करते हैं। मुझे कोई भी जरूरतमंद व्यक्ति आधी रात को फोन कर सकता है। मैं कभी भी अपना मोबाइल बंद नहीं रखता। रावत ने बताया कि पिछले कई वर्षों से पृथ्वीराज चौहान गौरव कावड़ यात्रा क्षेत्र में निकाली जा रही है। इस कावड़ यात्रा में मुस्लिम रिवाजों को मानने वाले चीता मेहरात समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। इस कावड़ यात्रा को संपन्न करवाने में हर बार उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। मोबाइल नंबर 9829648672 पर शक्ति सिंह रावत की सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक गतिविधियों की जानकारी ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (12-09-2023)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

लोकसभा चुनाव में अजमेर से सीआर चौधरी हो सकते हैं भाजपा के उम्मीदवार।ज्योति मिर्धा को भाजपा में शामिल करवाने में अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी की भी भूमिका।नागौर में हनुमान बेनीवाल को खतरा।सीएम गहलोत का कोटा दौरा अचानक रद्द।

राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ नहीं कहा जा सकता। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार ज्योति मिर्धा को हराने के लिए भाजपा ने आरएलपी के हनुमान बेनीवाल को समर्थन दिया, लेकिन 2024 में नागौर से ही बेनीवाल को हरवाने के लिए ज्योति मिर्धा को शामिल कर भाजपा ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं। पहला तो जाट बाहुल्य नागौर में कांग्रेस को कमजोर किया। दूसरा हनुमान बेनीवाल के मुकाबले में एक मजबूत उम्मीदवार तैयार कर लिया है। नागौर में बेनीवाल का जो दबदबा है, उसका मुकाबला ज्योति मिर्धा और मिर्धा परिवार ही कर सकता है। जानकारों की मानें तो विगत दिनों पीएम मोदी का एक कार्यक्रम नागौर में होना था, लेकिन बेनीवाल के समर्थकों के विरोध को देखते हुए पीएम का कार्यक्रम स्थल बदल दिया गया। तभी से बेनीवाल भाजपा को खटक रहे थे। ज्योति के समर्थकों का कहना है कि ज्योति भले ही दो बार नागौर से चुनाव हार गई हों, लेकिन नाथुराम मिर्धा की पोती ज्योति का प्रभाव आज भी कायम है। 2019 में जब देश में मोदी लहर चल रही थी, तब नागौर से सटे अजमेर में भाजपा उम्मीदवार भागीरथ चौधरी की चार लाख मतों से जीत हुई। अजमेर से सटे भीलवाड़ा में भाजपा का चार लाख मतों की बढ़त मिली। लेकिन वहीं नागौर में बेनीवाल पौने दो लाख मतों से जीत पाए। ज्योति का प्रभाव था, इसलिए हार का अंतर कम रहा, जबकि स्वयं बेनीवाल और भाजपा की ताकत लगी हुई थी। अब यदि भाजपा की ताकत के साथ ज्योति मिर्धा चुनाव लड़ती है तो नागौर में हनुमान बेनीवाल के लिए मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी। बेनीवाल के लिए परेशानी का सबब यह भी है कि पूर्व आईपीएस सवाई सिंह चौधरी भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। चौधरी 2018 में खींवसर से ही कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर हनुमान बेनीवाल से मुकाबला किया था। अब यदि चौधरी भाजपा उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते हैं तो खींवसर में भी बेनीवाल को खतरा हो जाएगा। सांसद बनने के बाद बेनीवाल ने अपने छोटे भाई नारायण बेनीवाल को उप चुनाव जीतवाया था, तब भी भाजपा का समर्थन था। लेकिन अब विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बेनीवाल को भाजपा से ही मुकाबला करना होगा। ज्योति के भाजपा में शामिल होने पर भले ही बेनीवाल ने ज्योति को फिर हराने की बात कही हो, लेकिन इस बार बेनीवाल के लिए आसान नहीं होगा। यदि बेनीवाल अब कांग्रेस का समर्थन लेते हैं तो भाजपा की राह और आसानी हो जाएगी।
 
सीआर चौधरी अजमेर से:
ज्योति मिर्धा के भाजपा में शामिल होने से नागौर की राजनीति में जो बदलाव आया है, उसमें पूर्व सांसद सीआर चौधरी अजमेर से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। अजमेर के मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी की रुचि इस बार किशनगढ़ से विधानसभा चुनाव लडऩे में है। चौधरी को लगता है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर उनका मंत्री पद पक्का है। 2019 में जब सीआर चौधरी का टिकट काट कर भाजपा ने हनुमान बेनीवाल को समर्थन दिया था, तब भी सीआर चौधरी अजमेर आने को इच्छुक थे, लेकिन तब भाजपा ने साथ नहीं दिया और चौधरी को बिना पद के ही रहना पड़ा। अब जो हालात बदले हैं, उनमें चौधरी का भविष्य उज्ज्वल नजर आ रहा है। भागीरथ चौधरी और सीआर दोनों ही जाट समुदाय के हैं, इसलिए जाट समुदाय में कोई नाराजगी भी नहीं होगी। सीआर चौधरी भले ही नागौर के रहने वाले हों, लेकिन उनकी कर्म स्थली अजमेर रही है। आरएएस रहते हुए सीआर ने अधिकांश समय अजमेर में ही गुजारा। आरएएस रहते हुए सीआर को कांग्रेस सरकार ने राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बना दिया। सीआर प्रशासनिक सेवा में रहे हों या राजनीति में दोनों में ही तकदीर के धनी रहे हैं। सीआर का अजमेर में भी खास प्रभाव है और मौजूदा समय में सीआर भाजपा की प्रदेश स्तरीय राजनीति में सक्रिय हैं।
 
सांसद चौधरी की भूमिका:
11 सितंबर को दिल्ली के भाजपा मुख्यालय में जब राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ज्योति मिर्धा को सदस्यता दिलवाई तब प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के साथ अजमरे के सांसद और भाजपा किसान मोर्चे के प्रदेशाध्यक्ष भागीरथ चौधरी भी उपस्थित थे। सूत्रों के अनुसार ज्योति को भाजपा में शामिल करवाने में सांसद चौधरी की महत्वपूर्ण रही है। सूत्रों के अनुसार सांसद चौधरी ने ज्योति मिर्धा और  भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच सेतु का काम किया है। ज्योति को भाजपा में शामिल करवाने से सांसद चौधरी का भाजपा में और प्रभाव बढ़ा है। चौधरी की गिनती पर प्रदेश के प्रमुख नेताओं में होने लगी है।
 
कोटा दौरा रद्द:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 12 सितंबर का कोटा दौरा अचानक रद्द हो गया है। सीएम को कोटा में पांच हजार करोड़ रुपए की लागत से हुए विकास कार्यों का लोकार्पण करना था। इसमें चंबल नदी पर बने रिवर फ्रंट का लोकार्पण भी शामिल था। तय कार्यक्रम के अनुसार 12 और 13 सितंबर को सीएम को कोटा में ही रहना था। इस दौरान मंत्री परिषद की बैठक प्रस्तावित थी। कोटा नगर सुधार न्यास की ओर से 12 सितंबर को अखबारों में जो विज्ञापन प्रकाशित हुआ, उसमें भी सीएम गहलोत की उपस्थिति बताई गई, लेकिन सीएम गहलोत कोटा नहीं गए। रिवर फ्रंट का लोकार्पण नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी की उपस्थिति में ही हुआ। इस अवसर पर कई मंत्री भी शामिल रहे। सीएम का दौरा अचानक रद्द होने को लेकर अनेक कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि सीएम का स्वास्थ्य नासाज है, वहीं कुछ सूत्रों का कहना है कि चंबल नदी पर बने रिवर फ्रंट में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्धारित माप दंडों का उल्लंघन किया गया है। इसको लेकर ट्रिब्यूनल में शिकायत भी दर्ज करवाई गई है। पर्यावरण के नियमों के उल्लंघन के मद्देनजर ही सीएम लोकार्पण समारोह से दूर रहे। सीएम के नहीं जाने से लोकार्पण समारोह फीका नजर आया। सबसे ज्यादा मायूसी मंत्री धारीवाल को हुई। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 11 सितंबर को जयपुर में हुई पार्टी की एक बैठक में सीएम गहलोत और अशोक चांदना के बीच जो विवाद हुआ, उससे गहलोत बेहद खफा बताए गए। गहलोत को इस बात का अफसोस रहा कि जिन अशोक चांदना को उन्होंने राजनीति में आगे बढ़ाया वही चांदना अब सबके सामने उनसे बहस कर रहे हैं। मालूम हो कि दो दिन पहले बिजली की समस्या को लेकर चांदना ने अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दिया था। इस धरने से ही सीएम गहलोत नाराज थे। नाराजगी भी इतनी की गहलोत ने प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से कहा कि जो मंत्री अपनी ही सरकार के खिलाफ धरना दे उसके विरुद्ध अनुशासनहीनता का नोटिस जारी किया जाए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (12-09-2023)

Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Sunday 10 September 2023

अब युवा पीढ़ी भी रामचरितमानस को सरलता के साथ पढ़ सकेगी। अजमेर के डॉ. धीरज भटनागर ने धर्म के क्षेत्र में किया अनूठा कार्य।डे-नाईट क्रिकेट मैच प्रतियोगिता से वैश्य समाज के युवा एकजुट हुए।

अजमेर के श्रमजीवी कॉलेज के प्राचार्य अनंत भटनागर के बड़े भाई और प्रधान आयकर आयुक्त रहे डॉ. धीरज भटनागर ने धर्म के क्षेत्र में अनूठा कार्य किया है। उनके इस कार्य से युवा पीढ़ी अब रामचरितमानस को सरलता के साथ पढ़ सकेगी। 9 सितंबर को अजमेर क्लब में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में डॉ. भटनागर ने बताया  कि कविता को अवधी भाषा से  हिंदी में कविता रूप में अनुवाद करना चुनौतीपूर्ण कार्य था लेकिन भगवान राम ने उन्हें  इतनी शक्ति दी कि वे इस चुनौती को पार पाया जा सका। भटनागर ने उम्मीद जताई है कि हिन्दी में अनुवाद होने के बाद देश का हर धर्म प्रेमी तथा खासकर युवा पीढ़ी रामचरित मानस की भावना को समझ सकेगी और उसके पाठ पर चल सकेगी। उन्होंने बताया कि सुप्रसिद्ध गायक सुरेश वाडेकर ने  उनके द्वारा  अनुदित हिंदी के सुंदर कांड को अपनी आवाज भी दी है। जिसका ऑडियो पर घर घर राम पोर्टल पर सुना जा सकता है। इस सुंदर कांड में सुप्रसिद्ध हास्य कलाकार कपिल शर्मा ने भी अपना स्वर दिया है। उनके द्वारा अनूदित पुस्तक शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, जगतगुरु रामानंदाचार्य, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज, महाराष्ट्र की श्रीनाथ पीठ के आचार्य स्वामी जितेंद्र नाथ, अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती की सहमति प्राप्त हुई। है। अत्यंत सुंदर साज सज्जा तथा चिताकृतियो द्वारा सजी यह पुस्तक  से प्राप्त की जा सकती है। व्यक्तिगत रूप से लेखक द्वारा हस्ताक्षरित  प्रति   tulsidaskripa@ gmail.com  से मंगवाई जा सकती है।
संवाद में पद्मश्री चंद्रप्रकाश देवल ने कहा कि धीरज भटनागर का यह कार्य  पीढिय़ों तक उपयोगी रहेगा। अनुवाद  अत्यंत मुश्किल विधा है तथा कविता का अनुवाद और भी जटिल। मुझे आश्चर्य है कि इतनी व्यस्त में इन्होंने यह कैसे संभव कर लिया। साहित्यकार बीना शर्मा ने संवाद में किताब के साहित्यिक पक्ष के महत्व पर चर्चा की। संवाद में उमेश चौरसिया,वेद माथुर, हर प्रकाश गौड़, संतोष गुप्ता, अरविंद मोहन, राजकुमार नाहर, सुनीता तंवर, सुरेश अग्रवाल संदीप पांडे, सुरेश माथुर  आदि ने भी भाग लिया। पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी धीरज भटनागर से 9868910682 पर प्राप्त कर सकते हैं।
ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है, जब कोई वरिष्ठ अधिकारी सेवा में रहते हुए  सनातन संस्कृति के  लिए अनुकरणीय कार्य करे। अजमेर में जन्मे, पले बढ़े, पढ़े लिखे डॉ. धीरज  भटनागर ने यह अद्भुत कार्य संभव कर दिखाया है। भारत सरकार में विगत फरवरी में प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए धीरज भटनागर  ने सरकारी सेवा में रहते हुए अंत: प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा  लिखी गई रामचरितमानस को हिन्दी कविता के  रूप में अनूदित कर ऐतिहासिक कार्य किया है। अजमेर के कैलाशपुरी निवासी तथा आरएसएस के  वरिष्ठ कार्यकर्ता स्व.ज्ञान प्रकाश भटनागर के पुत्र धीरज भटनागर ने जेएलएन मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस किया उसके पश्चात 1988 में उनका भारतीय राजस्व सेवा में चयन हुआ। दिल्ली में आयकर विभाग के साथ साथ वित्त मंत्रालय के विभागों में   महत्वपूर्ण पदों पर रहे धीरज भटनागर की अध्यात्म में रुचि ने उन्हें रामचरित मानस की ओर प्रेरित किया।

युवा एकजुट:
अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के बैनर तले अजमेर के जीएलओ ग्राउंड पर चार से 10 सितंबर के बीच वैश्य क्रिकेट प्रीमियर लीग का आयोजन हुआ। इस लीग में वैश्य समुदाय के युवाओं ने अपनी अपनी टीम बनाकर क्रिकेट का शानदार प्रदर्शन किया। इस डे-नाईट क्रिकेट मैच की वजह से वैश्य समाज के युवा एकजुट हुए हैं। कार्यक्रम के मुख्य संयोजक सुभाष काबरा ने बताया कि अजमेर के इतिहास में यह पहला अवसर रहा है, जब इतने बड़े पैमाने पर क्रिकेट प्रतियोगिता आयोजित की गई है। प्रतियोगिता में विजेता रही टीम को 1 लाख 11 हजार रुपए की नगद राशि दी जा रही है। उपविजेता को 55 हजार 500 रुपए दिए गए हैं। 9 सितंबर की रात को जीएलओ ग्राउंड पर आयोजित एक समारोह में वैश्य समाज के प्रतिनिधि नीरज जैन, शिव शंकर हेड़ा, विजय जैन, ओम प्रकाश, सत्यनारायण भंसाली, धर्मेश जैन, मनोज भंसाली, मुकुल डाणी, एडवोकेट गणेशी लाल अग्रवाल, विष्णु चौधरी, सुबोध जैन, विष्णु गर्ग, रमेश अग्रवाल आदि ने इस बात की प्रशंसा की कि अजमेर में क्रिकेट का इतना सुंदर आयोजन किया गया है।  अतिथियों को काबरा ने बताया कि क्रिकेट मैच में भी राष्ट्रीय स्तर के मापदंड रखे गए हैं। इस प्रतियोगिता को लेकर युवाओं में खास उत्साह देखा गया। प्रतियोगिता को सफल बनाने में पुष्पेंद्र पहाडिय़ा, कमल खंडेलवाल, साकेत काबरा, अनुज गांधी, अंकित फतेहपुरिया, अभिनव बाल्दी आदि की सक्रिय भूमिका रही। 

S.P.MITTAL BLOGGER (10-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

महात्मा गांधी को इतना सम्मान तो कांग्रेस ने 60 वर्षों में भी नहीं दिलवाया।साउथ एशिया की ताकत अब चीन नहीं भारत है। 24 घंटे में तीन बार भारत के पीएम मोदी ने राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया।ब्राजील अब होगा 21 देशों के समूह का अध्यक्ष।

10 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए जबरदस्त प्रदर्शन किया। जी-20 की बैठक में भाग लेने आए सभी राष्ट्राध्यक्षों को दिल्ली स्थित गांधी जी के समाधि स्थल राजघाट पर एकत्रित किया और फिर सभी ने अपने अपने देश की ओर से समाधि स्थल पर पुष्प चक्र अर्पित किए।  अमेरिका से लेकर इंडोनेशिया तक के राष्ट्राध्यक्षों ने हमारे महात्मा गांधी के सामने अपना सिर झुकाया। देश में आजादी के बाद साठ वर्षों तक कांग्रेस का शासन रहा, लेकिन इतिहास गवाह है कि 10 सितंबर वाला सम्मान महात्मा गांधी को कभी नहीं मिला। कांग्रेस महात्मा गांधी को अपनी व्यक्तिगत धरोहर मानती है। लेकिन पीएम मोदी ने गांधी जी को देश की धरोहर मानते हुए 21 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को समाधि स्थल पर एकत्रित कर दिया। मोदी ने बहुत ही व्यवस्थित तरीके से राष्ट्राध्यक्षों से महात्मा गांधी को सम्मान दिलवाया। समाधि स्थल पर पहले से ही सभी देशों के झंडे के साथ पुष्प चक्र रखे गए थे। सभी राष्ट्राध्यक्ष अपने अपने देश के पुष्प चक्र के सामने खड़े हुए और हाथ लगाकर पुष्प चक्र को अर्पित करने की रस्म निभाई। जब गांधी जी की समाधि पर एक साथ 21 देशों के राष्ट्राध्यक्ष खड़े थे, तब महात्मा गांधी के प्रति सम्मान का अंदाजा लगाया जा सकता है। इन राष्ट्राध्यक्षों में दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन भी शामिल थे। सभी राष्ट्राध्यक्षों ने इस बात की प्रशंसा की कि जी-20 के शिखर सम्मेलन के अवसर पर पीएम मोदी ने बड़े ही व्यवस्थित तरीके से महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दिलाई है। इससे अंतरराष्ट्रीय मंच पर महात्मा गांधी के सम्मान में और वृद्धि होगी। राष्ट्राध्यक्ष गांधी की समाधि पर एकत्रित हों यह निर्णय भी पीएम मोदी का रहा।
 
अब भारत होगा नेता:
चीन भले ही साउथ एशिया में स्वयं को सबसे शक्तिशाली देश मानता हो, लेकिन दिल्ली में जी-20 का सम्मेलन करवा कर पीएम मोदी ने यह दर्शा दिया है कि अब भारत साउथ एशिया की सबसे बड़ी ताकत होगा। चीन भले ही अपनी विस्तारवादी नीति को अपनाए, लेकिन साउथ एशिया में भारत की आवाज को अब गंभीरता के साथ लिया जाएगा। असल में चीन को यह पता था कि जी-20 समूह के माध्यम से पीएम मोदी भारत को शक्तिशाली देश के रूप में प्रस्तुत करेंगे। इसलिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं आए। शी जिनपिंग की गैर मौजूदगी का इस सम्मेलन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। सम्मेलन की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि अब जी-20 का अफ्रीकन यूनियन को भी सदस्य बना लिया गया है। यानी अफ्रीका में जितने भी देश हैं वे सब इस समूह के सदस्य बन गए हैं। मोदी ने इस समूह का स्वरूप भी बदल दिया है। अब जी-20 के बजाए जी-21 कहा जाएगा। इसे मोदी की विदेश नीति की सफलता ही कहा जाएगा कि अफ्रीकन यूनियन को सदस्य बनाने के लिए 20 देशों में पहले ही सहमति बना ली गई। यही वजह रही कि जब 9 सितंबर को अफ्रीकन यूनियन को सदस्यता दी गई तो किसी ने भी विरोध नहीं किया।
 
24 घंटे में तीन बार स्वागत:
किसी भी अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब मेजबान देश के किसी प्रधानमंत्री ने 24 घंटे में 3 बार अलग अलग राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत किया हो। 10 सितंबर को सुबह जब महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर राष्ट्राध्यक्ष आए तो पीएम मोदी ने एक एक राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत किया और उन्हें खादी का शॉल ओढ़ाया। संक्षेप में महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम की जानकारी भी दी। इतने राष्ट्राध्यक्षों का स्वागत करने में मोदी को एक घंटे से भी ज्यादा का समय लगा। लेकिन मोदी ने इस बात को दिखाया कि भारत में मेहमान नवाजी बड़ी आत्मीयता के साथ की जाती है। इससे पहले 9 सितंबर की रात को राष्ट्रपति भवन में डिनर के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ खड़े हो कर पीएम मोदी ने एक एक राष्ट्राध्यक्ष का स्वागत किया। इतना ही नहीं 9 सितंबर की सुबह जी-20 की बैठक में शामिल होने आए राष्ट्राध्यक्षों का भी पीएम ने एक एक कर स्वागत किया। इसके साथ ही इन तीनों महत्वपूर्ण अवसरों पर भारत की सनातन संस्कृति और सभ्यता का भी प्रदर्शन किया गया। राजघाट पर जिस स्थान पर खड़े होकर मोदी ने स्वागत किया उसके पीछे महात्मा गांधी के साबरमती आश्रम की तस्वीर थी। 9 सितंबर की रात को राष्ट्रपति भवन में नालंदा विश्वविद्यालय की तस्वीर के सामने खड़े होकर मोदी ने मेहमानों का स्वागत किया। 9 सितंबर की सुबह सनातन संस्कृति की प्रतीक कोणार्क चक्र के सामने खड़े होकर स्वागत किया गया।
 
अब ब्राजील करेगा अध्यक्षता:
जी-20 के शिखर सम्मेलन के संपन्न होने के साथ ही अब भारत की अध्यक्षता भी पूरी हो गई है। अब अगले वर्ष के लिए ब्राजील जी-20 की अध्यक्षता करेगा। दिल्ली में हुई बैठक में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा भी मौजूद रहे। महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्राजील अब जी-21 की अध्यक्षता करेगा। उल्लेखनीय है कि पिछले एक वर्ष में भारत में जी-20 देशों अनेक बैठकें हुई। 

S.P.MITTAL BLOGGER (10-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Saturday 9 September 2023

गहलोत सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति की कथनी और करनी में फर्क है।बड़ी मछली को पकड़ते हैं तो सरकार में बेचैनी हो जाती है।सवाल, आखिर एसीबी के डीजी बीएल सोनी ने ऐसा बयान क्यों दिया?

अब जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने ही वाली है, तब एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) के रिटायर डीजी बीएल सोनी ने गहलोत सरकार के भ्रष्टाचार को लेकर बड़ा बयान दिया है। सोनी हाल ही में डीजी के पद से रिटायर हुए हैं। सोनी ने कहा कि सरकार की ओर से दावा किया जाता है कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस नीति है। लेकिन डीजी के तौर पर मेरा अनुभव है कि कथनी और करनी में अंतर है। हम जब छोटे कार्मिक को पकड़ते थे तो कोई प्रतिक्रिया नहीं होती थी, लेकिन जब कोई बड़ा अधिकारी पकड़ा जाता था तो सरकार में बेचैनी हो जाती थी। इधर उधर से दबाव भी डलवाया जाता था। मेरे कार्यकाल में खान विभाग के संयुक्त सचिव को तीन लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया। पूरी सरकार में हलचल हो गई। हमारी लाख कोशिश के बाद भी सरकार ने संबंधित अधिकारी के लिए अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी। सोनी ने कहा कि पीसी एक्ट की धारा 17 क में एसीबी को पद के दुरुपयोग करने वाले अधिकारी पर कार्यवाही करने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। हमारे पास सबूत सहित शिकायतें आई। हमने इन शिकायतों के आधार पर सरकार से अनुमति मांगी, लेकिन अधिकांश मामलों में अनुमति नहीं मिली। सोनी ने कहा कि प्रशासनिक सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए सरकार की ईमानदारी जीरो टॉलरेंस की नीति होनी चाहिए। एक राष्ट्रीय न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू का वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। सवाल उठता है कि आखिर बीएल सोनी ने गहलोत सरकार पर ऐसा बयान क्यों दिया? जबकि सरकारी सेवा में रहते हुए सोनी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भरोसेमंद अधिकारी माना गया। गहलोत ने कई बार सार्वजनिक मंचों से सोनी की प्रशंसा भी की। इसमें कोई दो राय नहीं कि सोनी ने एसीबी का डीजी रहते बड़े बड़े अधिकारियों को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ़्तार किया।लेकिन अब पता चला है कि सोनी ने कितने दबावों और विपरीत परिस्थितियों में काम किया। यदि वाकई जीरो टॉलरेंस वाली नीति होती तो भ्रष्टाचारियों के खिलाफ ज्यादा कार्यवाही होती। खान विभाग के संयुक्त सचिव के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिलना गहलोत सरकार की नीयत पर कई सवाल खड़े करता है। यहां उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के ही विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने खान मंत्री प्रमोद जैन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। भरत सिंह भी इस बात से नाराज हैं कि सबूत दिए जाने के बाद भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रमोद जैन पर कोई कार्यवाही नहीं की। भरत सिंह तो भ्रष्टाचार रूपी रावण का पुतला भी जला रहे हैं। जानकार लोगों का कहना है कि सीएम गहलोत ने बीएल सोनी का हक मार कर जूनियर आईपीएस को डीजीपी बना दिया। डीजीपी नहीं बनने का गुस्सा ही अब सोनी निकाल रहे हैं। लेकिन सोनी के बयान ने राजस्थान में भाजपा को बड़ा मुद्दा दे दिया है। 

अजमेर जिले में भाजपा की परिवर्तन यात्रा से चार लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य। 12 सितंबर को पाली की सीमा से प्रवेश और 15 को पुष्कर से विदाई।स्वर्गीय मूलचंद चौहान की स्मृति में राजस्थान रैंकिंग टेबल टेनिस टूर्नामेंट शुरू। 350 प्रतिभागी।नसीराबाद से भाजपा उम्मीदवार के लिए पूर्व प्रधान दिलीप पचार की भी दावेदारी।

5 सितंबर को रामदेवरा तीर्थ स्थल से आरंभ हुई भाजपा की परिवर्तन संकल्प यात्रा 12 सितंबर को पाली से अजमेर क्षेत्र में प्रवेश करेगी। नवगठित ब्यावर जिले की सीमा में शाम सात बजे यात्रा का प्रवेश होगा। देहात के साथ साथ अजमेर शहर में भी यात्रा के दौरान सभाएं और जगह जगह स्वागत के कार्यक्रम हैं इसलिए भाजपा ने यात्रा से चार लाख लोगों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है। भाजपा के देहात जिला अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा ने तीन लाख और शहर जिला अध्यक्ष रमेश सोनी ने एक लाख लोगों को जोड़ने की योजना बनाई है। यात्रा को सफल बनाने के लिए भाजपा के वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, सुरेश रावत, शंकर सिंह रावत और रामस्वरूप लांबा सक्रिय हैं। टिकट मांगने वाले भाजपा नेता भी यात्रा के बहाने अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। देहात जिला अध्यक्ष भूतड़ा ने बताया कि यात्रा 12 सितंबर को सायं सात बजे ब्यावर की सीमा में प्रवेश करेगी। रात्रि को ही ब्यावर शहर के चांग गेट पर आम सभा रखी गई है। शहर में यात्रा का जगह जगह स्वागत होगा। 13 सितंबर को सुबह यात्रा का रथ ब्यावर से खरवा, मसूदा, विजयनगर (27 मील चौराहा), बांदनवाड़ा, भिनाय, नागेलाव होते हुए शाम को केकड़ी पहुंचेगी। केकड़ी में भी सभा होगी। रात्रि विश्राम केकड़ी में ही रखा गया है। 14 सितंबर को सुबह केकड़ी से रवाना होकर सरवाड़, नसीराबाद, श्रीनगर, किशनगढ़ होते हुए शाम को अजमेर शहर में प्रवेश करेगी। शहर जिला अध्यक्ष रमेश सोनी ने बताया कि यात्रा का एमडीएस चौराहे पर भव्य स्वागत होगा। यहां से 300 बाइकर्स के साथ परिवर्तन रथ केसरगंज गोल चक्कर पर पहुंचेगा। यही पर ही शाम को सभा होगी। रात्रि विश्राम अजमेर में ही रखा गया है। यात्रा 15 सितंबर को सुबह अजमेर से रवाना होकर पुष्कर पहुंचेगी और फिर नागौर की सीमा में प्रवेश करेगी। भूतड़ा और सोनी की यात्रा को लेकर भाजपा के कार्यकर्ताओं में भारी उत्साह है। अजमेर क्षेत्र में जो तीन बड़ी सभाएं होंगी, उनमें प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के नेता भी भाग लेंगे। यात्रा की तैयारियों के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414010555 पर देवीशंकर भूतड़ा और 9660368449 पर शहर अध्यक्ष रमेश सोनी से ली जा सकती है।
 
रैंकिंग टूर्नामेंट:
देश के जाने माने खेल अधिकारी स्वर्गीय मूलचंद चौहान की स्मृति में तृतीय राजस्थान रैंकिंग टेबल टेनिस टूर्नामेंट का शुभारंभ 9 सितंबर को अजमेर के पटेल मैदान स्थित इंडोर स्टेडियम में हुआ। स्वर्गीय चौहान की पुत्री और अजमेर की आयकर अधिकारी श्रीमती मधु सैनी ने बताया कि यह टूर्नामेंट 11 सितंबर तक चलेगा। इस टूर्नामेंट में प्रदेश के 12 जिलों के 350 से भी ज्यादा खिलाड़ी भाग ले रहे हैं। इनमें प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर के टीटी खिलाड़ी भी शामिल हैं। यह प्रतियोगिता बालक-बालिका, पुरुष-महिला वर्ग में अलग-अलग (भार वर्ग) में होगी। सभी विजेता खिलाडिय़ों को नकद ईनाम के साथ साथ सर्टिफिकेट स्मृति चिह्न भी दिया जाएगा। सभी वर्गों में विजेता को एक लाख तथा उपविजेता को पचास हजार रुपए की नकद राशि दी जाएगी। श्रीमती सैनी ने बताया कि अजमेर के सभी खेलप्रेमी इस टूर्नामेंट में सक्रिय हैं। खिलाडिय़ों को ब्यावर रोड स्थित कच्छावा रिसोर्ट में ठहराया गया है। समाजसेवी हनुमान प्रसाद कच्छावा का टूर्नामेंट में विशेष योगदान है। उन्होंने बताया कि उनके पिता मूलचंद चौहान कई वर्षों तक अखिल भारतीय टेबिल टेनिस एसोसिएशन के महासचिव रहे। चौहान के कार्यकाल में खिलाडिय़ों ने अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में अनेक पदक हासिल किए। उन्हीं के कार्यकाल में अजमेर के इंडोर स्टेडियम में पेट्रोलियम एकेडमी की शुरुआत हुई। यही वजह  रही कि अजमेर में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के टीटी खिलाड़ी तैयार हुए। इंडोर स्टेडियम को स्पोट्र्स कॉम्प्लैक्स बनाने में भी उनके पिता का विशेष योगदान रहा। खेलों में योगदान की वजह से ही स्वर्गीय चौहान को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई बार सम्मानित किया गया है। आयोजन से जुड़े अजमेर डिस्कॉम के पूर्व एमडी वीएस भाटी ने बताया कि भाग लेने वाले सभी खिलाडिय़ों के लिए आवास और भोजन की व्यवस्था टूर्नामेंट कमेटी की ओर से की गई है। टूर्नामेंट के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9530400569 पर मधु सैनी और 9829032509 पर बीएस भाटी से ली जा सकती है।
 
पचार की दावेदारी:
अजमेर की नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के पीसांगन पंचायत समिति के पूर्व प्रधान और मौजूदा समय में जिला परिषद के सदस्य दिलीप पचार ने भी भाजपा उम्मीदवार के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। पचार पिछले 18 वर्षों से भाजपा में सक्रिय हैं और समय समय पर भाजपा के जन आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई है। पचार का कहना है कि उनकी पार्टी में सक्रियता को देखते हुए आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जावे। पचार ने कहा कि अब तक का यह अनुभव रहा है कि नसीराबाद से बाहर के नेता आकर विधायक बन जाते हैं। बाद में क्षेत्र की उपेक्षा होती है। विधायक बनने वालों का निवास नसीराबाद नहीं होने की वजह से लोगों को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वे हमेशा नसीराबाद में सक्रिय रहे और अभी भी गांव जेठाना में उनका निवास है। पचार की राजनीतिक गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9929944334 पर ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (09-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Friday 8 September 2023

किशनगढ़ से भाजपा का टिकट मिले तो शिवजी राम जाट 11 साल पहले सरकारी नौकरी छोड़ने को तैयार।स्वर्गीय सांवरलाल जाट के निजी सहायक रहे शिवजीराम अभी परिवहन मंत्री के सहायक शासन सचिव हैं। अजमेर के जाट समुदाय में अच्छी पकड़ का दावा।

अजमेर के किशनगढ़ विधानसभा क्षेत्र से अब शिवजीराम जाट ने भी भाजपा उम्मीदवार के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर दी है। जाट को आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाता है तो वे 11 वर्ष पहले ही सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे देंगे। जाट अभी प्रदेश के परिवहन मंत्री बृजेंद्र ओला के पास सहायक शासन सचिव के पद पर कार्यरत हैं। चूंकि जाट समुदाय में अच्छी पकड़ है इसलिए शिवजी जाट बाहुल्य किशनगढ़ से चुनाव लड़ना चाहते हैं। किशनगढ़ ही नहीं बल्कि अजमेर जिले के जाट समुदाय से शिवजी का सीधा संबंध रहा है। अजमेर के दिग्गज भाजपा नेता सांवरलाल जाट जब प्रदेश के जल संसाधन मंत्री थे, तब शिवजी उनके निजी सहायक थे। अजमेर जिले की अधिकांश जिम्मेदारी शिवजी के पास ही रही। जाट समुदाय में सांवरलाल जाट की जबरदस्त लोकप्रियता थी। स्वर्गीय जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा अभी नसीराबाद से भाजपा के विधायक हैं। सांवरलाल जाट के निजी सहायक रहते हुए अजमेर में जो संबंध बने उसी की बदौलत अब शिवजी किशनगढ़ से दावेदारी जता रहे हैं। किशनगढ़ के सुरसुरा स्थित तेजाजी मंदिर से भी शिवजी जुड़े हुए हैं। मंदिर के विकास में भी शिवजी का सहयोग है। सांवरलाल जाट के निधन के बाद भी शिवजी किशनगढ़ की विभिन्न सामाजिक और धार्मिक से जुड़े रहे। अपने मिलनसार व्यवहार के कारण ही शिवजी दो बार जयपुर स्थित सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 2015 से 2017 तक जब शिवजी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष थे, तब वसुंधरा राजे भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री थी। यही वजह रही कि शिवजी के भाजपा के बड़े नेताओं के साथ भी अच्छे संबंध रहे। इनमें भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़ भी शामिल हैं। यही वजह है कि किशनगढ़ से दावेदार में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का भी संरक्षण हैं। भाजपा के अनेक नेता शिवजी की सज्जनता से प्रभावित हैं। शिवजी ने हाल ही में किशनगढ़ क्षेत्र का दौरा कर अपनी जीत की संभावनाओं को तलाशा है। शिवजी की कहना है कि यदि पार्टी मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी को किशनगढ़ से उम्मीदवार बनाती है तो वे पूरी निष्ठा के साथ चौधरी को सहयोग करेंगे। लेकिन यदि किसी अन्य पर विचार किया जाता है तो उनकी दावेदारी सबसे मजबूत है। पिछली बार चुनाव में जाट समुदाय के मतों में विभाजन हो गया, इसलिए भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा। किशनगढ़ में उनकी छवि निर्विवाद है। जाट समुदाय के अलावा भी शिवजी की लोकप्रियता का दावा किया जा रहा है। सलेमाबाद स्थित निंबार्क पीठ से भी शिवजी को आशीर्वाद मिला है। इतना ही नहीं अहमदाबाद स्थित जगन्नाथ धाम के महंत दिलीप दास महाराज ने भी शिवजी को आशीर्वाद दिया है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जब अहमदाबाद प्रवास पर होते हैं, तब महंत दिलीप दास महाराज से मुलाकात करते हैं। अमित शाह महंत जी को अपना गुरु मानते हैं। मोबाइल नंबर 9929165406 व 9414320857 पर शिवजी जाट से गतिविधियों की जानकारी ली जा सकती है।  

S.P.MITTAL BLOGGER (08-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

अजमेर में रीजनल कॉलेज वाली चौपाटी फेस्टिवल पॉइंट बनी, लेकिन ट्रैफिक मैनेजमेंट और पार्किंग के इंतजाम नहीं।जन्माष्टमी के जश्न में हजारों लोग परेशान। आना सागर से दुर्गंध।

अजमेर के रीजनल कॉलेज वाली चौपाटी अब फेस्टिवल पॉइंट बन गई है। 7 सितंबर को भी जब नगर निगम ने जन्माष्टमी पर्व पर चौपाटी पर झांकियां सजाई गई तो पूरा शहर उमड़ पड़ा। रात 12 बजे तक चौपाटी के सामने 100 फिट चौड़ी सड़क पर पैर रखने की जगह नहीं थी। झांकियां देखने आए हजारों लोगों को भारी परेशानी का सामना भी करना पड़ा। असल में विभिन्न संस्थाएं इस चौपाटी पर फेस्टिवल के आयोजन तो करती है, लेकिन ट्रैफिक मैनेजमेंट और पार्किंग का कोई ख्याल नहीं रखा जाता। 7 सितंबर को भी जन्माष्टमी की झांकी देखने आए हजारों लोगों के वाहनों के लिए पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं की गई। फलस्वरूप लोगों में अपने चौपहिया और दोपहिया वाहनों को पुष्कर रोड से जुड़ी आवासीय कॉलोनी की गलियों में खड़ा कर दिया। इससे इन कॉलोनियों में भी जाम की स्थिति हो गई। हालांकि पुलिस मौके पर मौजूद थी, लेकिन ट्रैफिक जाम को खुलवाने में पुलिस की कोई रुचि नहीं देखी गई। पुलिस कर्मियों का सारा ध्यान जो बेरीकेड लगाए उन पर था, ताकि लोग भीड़ वाली जगह पर अपने वाहन न ले जा सके। जन्माष्टमी के पर्व पर पुलिस ने पुष्कर रोड के वैशाली नगर की ओर जाने वाले ट्रैफिक को तो रोक दिया, लेकिन वैशाली नगर से पुष्कर रोड आने वाले वाहनों पर रोक नहीं लगाई। यही वजह रही कि चौपाटी पर जब हजारों लोग झांकियां देखने के लिए उपस्थित थे, तब सड़क पर वैशाली नगर से वाहन आ रहे थे। कई वाहन तो बीच सड़क पर खड़े हो गए ताकि वाहन में बैठे लोग झांकियों का आनंद ले सके। चौपाटी पर सामाजिक और धार्मिक आयोजन हो यह अच्छी बात है, लेकिन भीड़ को देखते हुए प्रशासन को ट्रैफिक मैनेजमेंट और पार्किंग के इंतजाम अनिवार्य रूप से करने चाहिए।
 
आनंद सागर में दुर्गंध:
7 सितंबर की रात को जब आनासागर के किनारे बनी चौपाटी पर हजारों लोग उपस्थित थे, तभी आनासागर से दुर्गंध आ रही थी। भगवान श्रीकृष्ण की झांकियां देखने आए लोगों को अपनी नाक पर रुमाल रखना पड़ा। असल में आनासागर का पानी निरंतर कम हो रहा है। फलस्वरूप किनारे पर एकत्रित गंगदी में से दुर्गंध आ रही है। इसके साथ ही आनासागर में अभी भी नालों का गंदा पानी गिर रहा है। इसलिए पानी में भी दुर्गंध है। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत आनासागर कि किनारे चारों तरफ चौपाटी और पाथवे का निर्माण कर दिया गया है। लेकिन आनासागर से उठने वाली दुर्गंध को रोकने के अभी तक भी पुख्ता इंतजाम नहीं हुए हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

जिन संतों ने अशोक गहलोत को सरकार रिपीट का आशीर्वाद दिया, क्या उन संतों ने गहलोत से सनातन धर्म की रक्षा करने का संकल्प करवाया?तो क्या अशोक गहलोत के दो सिर हैं? कांग्रेस विधायक भरत सिंह ही रावण का पुतला जाएंगे ताकि भ्रष्टाचार की विदाई हो सके।गहलोत जी, वसुंधरा राजे वाले संतों की बात अलग है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 7 सितंबर को चित्तौडग़ढ़ के अनगढ़बावजी स्थित शिरोमणि अमरा भगत जी के मंदिर में रहे। मंदिर में गहलोत की मुलाकात स्वामी अवधेश चैतन्य जी महाराज से हुई। यहां सूरजकुंड आश्रम में इन दिनों करीब दो सौ संत चातुर्मास कर रहे हैं। आश्रम और मंदिर से बाहर आने पर सीएम गहलोत ने कहा कि संतों ने मुझे सरकार रिपीट का आशीर्वाद दिया है। अब मैं जब चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लूंगा तो सौ, दो सौ संतों को भी शपथ ग्रहण समारोह में बुलाउंगा। स्वामी अवधेश चैतन्य जी और अन्य संतों ने कांग्रेस सरकार के रिपीट होने का आशीर्वाद दिया है, यह बात खुद मुख्यमंत्री गहलोत ने कही है, इसलिए इस कथन को सही माना जाना चाहिए, लेकिन सवाल उठता है कि जिन संतों ने गहलोत को कांग्रेस सरकार के रिपीट होने का आशीर्वाद दिया, क्या उन्होंने गहलोत से सनातन धर्म की रक्षा करने का संकल्प कराया है? यह सवाल इसलिए उठा है कि कांग्रेस के गठबंधन में शामिल डीएमके नेता और तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को खत्म करने की बात कही है। उदयनिधि के पिता एमके स्टालिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री हैं और डीएमके के प्रमुख भी हैं। कांग्रेस के सहयोगी दल डीएमके ने सनातन धर्म को खत्म करने वाला जो बयान दिया है, उसका अभी तक भी सीएम गहलोत ने खंडन नहीं किया है। गहलोत की चुप्पी आश्चर्यचकित करने वाली है, क्योंकि यदि 2024 में केंद्र में कांग्रेस गठबंधन वाले इंडिया की सरकार बन गई तो डीएमके तो सनातन धर्म को समाप्त करने वाली कार्यवाही करेगी। 2024 के लोकसभा चुनाव के परिणाम दिसंबर 2023 में होने वाले राजस्थान विधानसभा के परिणाम से प्रभावित होंगे। यदि राजस्थान में कांग्रेस सरकार रिपीट होती है तो 2024 में केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बनने में मदद मिलेगी। जिन संतों ने गहलोत को सरकार रिपीट का आशीर्वाद दिया है, वे अंदाजा लगा लें कि केंद्र में जब इंडिया गठबंधन की सरकार बनेगी, तब सनातन धर्म का क्या होगा? साधु संतों की पहचान तो सनातन धर्म से ही है। यदि डीएमके वाले सनातन धर्म को ही समाप्त कर देंगे तो साधु संतों का क्या होगा? अच्छा होता कि सरकार रिपीट का आशीर्वाद देने से पहले अशोक गहलोत से सनातन धर्म की रक्षा का संकल्प कराया जाता। बिना संकल्प के आशीर्वाद देना सनातन धर्म की जड़ों पर कुल्हाड़ी चलाना है। अभी स्वामी अवधेश चैतन्य जी को भी स्पष्ट करना चाहिए कि उन्होंने कांग्रेस सरकार के रिपीट वाला आशीर्वाद दिया है या नहीं।

बहुत फर्क है राजे वाले संतों में:
चित्तौडग़ढ़ में संतों के आशीर्वाद के बाद सीएम गहलोत ने कहा कि 2013 के शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी संतों को बुलाया था। इसलिए मैं भी अपने शपथ ग्रहण समारोह में इस बार संतों को बुलाउंगा। गहलोत संतों के आशीर्वाद से लेकर शपथ लेने तक के चाहे जितने दावे करें, लेकिन वसुंधरा राजे वाले संतों और संतों के प्रति श्रद्धा का मुकाबला नहीं हो सकता। वसुंधरा राजे भाजपा से जुड़ी हैं। भाजपा का कोई भी नेता सनातन धर्म को खत्म करने की बात नहीं कहता। उल्टे अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण करवा कर सनातन धर्म को मजबूत किया है। भाजपा के सबसे बड़े नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सनातन धर्म के अनुरूप ही आचरण करते हैं। खुद वसुंधरा राजे भी मंदिरों में धोक लगाकर संतों और महंतों से आशीर्वाद लेती हैं। वसुंधरा राजे ने कभी उन नेताओं के साथ मंच साझा नहीं किया जो सनातन धर्म को समाप्त करने की बात करते हैं। वसुंधरा राजे ने तो डीएमके के नेताओं के बयानों का खंडन भी किया है। वसुंधरा राजे की भक्ति भाव को देखते हुए साधु संत वाकई आशीर्वाद देते हैं।
 
दो सिर?:
कोटा के सांगोद से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भरत सिंह कुंदनपुर ने प्रदेश की जनता से अशोक गहलोत जिंदाबाद और राजस्थान के गृहमंत्री मुर्दाबाद की आवाज बुलंद करने की अपील की है। भरत सिंह का कहना है कि उन्होंने प्रदेश के खान मंत्री प्रमोद जैन के भ्रष्टाचार के सबूत दिए, लेकिन प्रदेश के गृहमंत्री का संरक्षण होने के कारण भ्रष्टाचार पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। यहां यह उल्लेखनीय है कि प्रदेश में गृह विभाग का प्रभार भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है। अब भरत सिंह, अशोक गहलोत के तो जिंदाबाद के नारे लगवाना चाहते हैं, लेकिन गृहमंत्री वाले अशोक गहलोत के खिलाफ मुर्दाबाद की आवाज बुलंद करवाना चाहते हैं। तो क्या भरत सिंह मुख्यमंत्री के दो सिर मानते हैं? भरत सिंह ने यह बयान तब दिया है, जब 12 व 13 सितंबर को सीएम गहलोत कोटा में रहेंगे। इन दो दिनों में कोटा में मंत्रिमंडल की बैठक भी होगी और गहलोत कई कार्यों का उद्घाटन व शिलान्यास भी करेंगे। भरत सिंह ने घोषणा की है कि जब सीएम गहलोत कोटा में रहेंगे तभी भ्रष्टाचार रूपी रावण का पुतला भी जलाया जाएगा। भरत सिंह की इस घोषणा से कांग्रेस पार्टी में खलबली मच गई है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (08-09-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511