Friday 30 June 2023

अजमेर में अब सिंधी साहित्य पर शोध हो सकेगा।-सिंधी भाषा में लिखी रामायण और महाभारत भी उपलब्ध।-हिंदी और अंग्रेजी से भी समृद्ध है सिंधी भाषा। इस भाषा को बोलने वाले ही सिंधी कहलाए।

जब सीमाओं का विभाजन नहीं था तब भारत में सिंधी भाषा बोलने वालों का दबदबा था। मौजूदा समय में पाकिस्तान में बहने वाली सिंधु नदी के किनारे जो आबादी क्षेत्र था उसे ही सिंध प्रांत कहा गया सिंधी भाषा को लेकर हिंदू और मुसलमान में भी कोई भेद नहीं था मुसलमान और हिंदू दोनों ही सिंधी भाषा बोलते थे विभाजन के समय मुसलमान सिंध प्रांत में ही रह गए जबकि सिंधी भाषा बोलने वाले हिंदू भारत आ गए भारत में आने वाले सिंधी भाषी लोगों को ही सिंधी कहा गया असल में सिंधी कोई जाति और समुदाय नहीं है सिंध से आने वाले हिंदू ही हैं क्योंकि सिंधी भाषी लोगों को मजबूरी में अपनी मातृभूमि छोड़नी पड़ी इसलिए सिंधी भाषा का अपेक्षित विकास नहीं हो सका माना जाता है कि विभाजन के समय सबसे ज्यादा सिंधी भाषा हिंदू अहमदाबाद और अजमेर में आए यही वजह है कि जब अजमेर में सिंधी समाज महासमिति ने सिंधी साहित्य को एकत्रित करने का अभियान चलाया है। समिति के अध्यक्ष कमल प्रकाश किशनानी और महासचिव हरी चंद्रनानी ने बताया कि अब तक सिंधी भाषा की चार हजार पुस्तकें एकत्रित की जा चुकी है इन पुस्तकों में रामायण और महाभारत जैसे सनातन संस्कृति के ग्रंथ भी हैं हमारा प्रयास है कि इस साहित्य को पहले देवनागरी और फिर हिंदी भाषा में लिखा जाए ताकि सिंधी साहित्य अधिक लोगों तक पहुंच सके इसके लिए अजमेर के कोटडा के प्रगति नगर में श्री अमरापुर सेवाघर के द्वितीय तल पर एक शोध केंद्र बनाया गया है इस केंद्र का शुभारंभ 2 जुलाई को प्रातः 10ः30 बजे होगा केंद्र के शुभारंभ के बाद कोई भी शोधार्थी यहां आकर शोध कार्य कर सकता है किशनानी ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के पास सिंधी भाषा का साहित्य उपलब्ध है तो वह स्वेच्छा से अपने साहित्य को इस केंद्र में जमा करवा सकता है। सिंधी साहित्य को सुरक्षित रखने के लिए अच्छी व्यवस्था की गई है केंद्र का प्रयास है कि सिंधी भाषा की सभी पुस्तकों का डिजिटाइजेशन करवाया जाए ताकि साहित्य को सुरक्षित रखा जा सके उन्होंने बताया कि 1857 में हुई क्रांति में भी सिंध प्रांत यानी सिंधी भाषा बोलने वाले की भूमिका थी अब भूमिका को लेकर लिखी पुस्तकें भी केंद्र पर उपलब्ध है उन्होंने बताया कि पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में हिंगलाज माता का जो मंदिर है। वही हिंगलाज माता सिंधी भाषा बोलने वाले हिंदुओं की कुलदेवी है सिंध इतिहास और साहित्य शोध संस्थान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 935139710, 9829070059 पर कमल प्रकाश किशनानी से ली जा सकती है।
S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2023)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

आखिर मुख्य सचिव उषा शर्मा का ही कार्यकाल क्यों बड़ा?-गहलोत सरकार ने तो निरंजन आर्य और डी.बी. गुप्ता का एक्सटेंशन भी केंद्र की मोदी सरकार से मांगा था-सी.पी. जोशी के जरिए ओम बिरला की भूमिका की चर्चा।-उषा शर्मा के पति बी.एन. शर्मा को भी उपकृत कर रखा है गहलोत सरकार ने।

राजस्थान के मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा 30 जून को सेवानिवृत्त होती है इससे पहले ही केंद्र की मोदी सरकार ने उषा शर्मा का कार्यकाल 6 माह के लिए बढ़ा दिया यानी उषा शर्मा अब राजस्थान में नई सरकार के गठन तक मुख्य सचिव बनी रहेगी प्रदेश प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्रों में उषा शर्मा के एक्सटेंशन पर आश्चर्य व्यक्त किया जा रहा है यह सही है कि केंद्र सरकार राज्य सरकार के प्रस्ताव पर ही कार्यकाल बढ़ाती है राजस्थान की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने तत्कालीन मुख्य सचिव निरंजन आर्य और डी.बी. गुप्ता के एक्सटेंशन का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा था लेकिन केंद्र ने आर्य और गुप्ता के प्रस्ताव को खारिज कर दिया आमतौर पर जब राज्य में विपक्षी दल की सरकार होती है तब मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के कार्यकाल में केंद्र सरकार वृद्धि नहीं करती यह माना जाता है कि मुख्य सचिव और डीजीपी राज्य सरकार के इशारे पर ही कार काम करते हैं जानकारी की माने तो उर्षा शर्मा के एक्सटेंशन में राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. सी.पी. जोशी और लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला की सकारात्मक भूमिका रही है ओम बिरला राजस्थान के कोटा से ही लोकसभा के सांसद हैं और उनका बहुत अच्छा संबंध डॉ. सी.पी. जोशी के साथ है विधानसभा के अध्यक्ष की हैसियत से डॉ. जोशी ने विधायी कार्यों को लेकर जो आयोजन किए उसमें ओम बिरला ने भी भागीदारी निभाई क्योंकि केंद्र सरकार में बिड़ला का अच्छा मान सम्मान है इसलिए वह उषा शर्मा को एक्सटेंशन दिलाने में सफल रहे सब जानते हैं कि उषा शर्मा डॉ सी.पी. जोशी के साले बी.एन. शर्मा की पत्नी है यहां यह भी उल्लेखनीय है कि उषा शर्मा के पति बी.एन. शर्मा को भी गहलोत सरकार ने राजस्थान इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन का चेयरमैन बना कर उपकृत कर रखा है सरकार ने यह नियुक्ति शर्मा को आईएएस से रिटायर होने के बाद दी है गहलोत अधिकांश मुख्य सचिव पर मेहरबान रहे हैं डीबी गुप्ता को सेवानिवृत्ति के बाद मुख्य सूचना आयुक्त नियुक्त किया तो निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य बनाया निरंजन आर्य को गहलोत ने अपना सलाहकार भी बना रखा है कुछ लोगों का कहना है कि उषा शर्मा केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर रही थी इसलिए अपने प्रशासनिक संबंधों के कारण केंद्र से एक टेंशन ले पाई है जबकि सब जानते हैं कि विपक्षी दल की सरकार में प्रशासनिक स्तर पर किसी मुख्य सचिव को टेंशन नहीं मिलता।
S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2023)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

तीन बार कोरोना संक्रमण एक बार एंजियोप्लास्टी अब दोनों पैर के अंगूठे में गंभीर चोट के बाद भी राजस्थान के 72 वर्षीय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकारी काम करते रहेंगे।-आखिर सालासर का चिंतन शिविर भी रद्द हो ही गया कांग्रेस हाईकमान की चुनावी कवायद भी रुकी।-सचिन पायलट ने सीएम गहलोत के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 29 जून को जयपुर स्थित अपने सरकारी आवास में चलते-फिरते गिर गए जिसकी वजह से उनके दोनों पैर के अंगूठे जख्मी हो गए। चोट की गंभीरता को देखते हुए सीएम को तुरंत एसएमएस अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टर ने एक्स-रे के बाद दाएं पैर पर पट्टा चढ़ा दिया जबकि बाएं पैर के अंगूठे की ड्रेसिंग करने के बाद रात 8ः00 बजे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। घर लौटते ही सीएम ने कहा कि अब वे सरकारी आवास से ही काम जारी रखेंगे। 72 वर्षीय गहलोत ने गंभीर चोट के बाद भी सरकारी काम जारी रखने की हिम्मत तब दिखाई है जब तीन बार कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। खुद गहलोत ने स्वीकार किया है कि कोरोना संक्रमण के कारण उनके पूरे शरीर पर प्रतिकूल असर पड़ा है। संक्रमण के असर के कारण ही गहलोत को गत वर्ष हार्ट अटैक की एंजियोप्लासटी भी करवानी पड़ी थी। आमतौर पर एंजियोप्लासटी के बाद मरीज विश्राम करता है लेकिन गहलोत ने सरकारी आवास से ही काम जारी रखा इस बार भी गहलोत ने अपने मुख्यमंत्री के दायित्व के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है सीएम गहलोत ने इस बात के लिए प्रशंसा की जानी चाहिए कि वह हर बार अपना इलाज जयपुर के सरकारी अस्पताल से ही करवाते हैं इससे प्रदेश के अन्य नेताओं और बड़े अधिकारियों को प्रेरणा लेनी चाहिए सीएम गहलोत ने ही सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज और दवाओं की सुविधा उपलब्ध करवाई है।

-चिंतन शिविर रद्द
सीएम गहलोत के जख्मी होने के बाद सालासर में 1 और 2 जुलाई को होने वाला प्रदेश कांग्रेस का चिंतन शिविर भी रद्द हो गया है इस शिविर में कांग्रेस के विधायकों और संगठन के पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया था। प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि चिंतन शिविर को लेकर हमारा आधा मन था लेकिन सीएम के जख्मी होने के बाद तो शिविर को रद्द करना ही पड़ रहा है। डोटासरा शिविर को रद्द करने को लेकर अब भले ही सीएम चोट की बात कह रहे हो लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने इस चिंतन शिविर पर नाराजगी जताई थी सूत्रों के अनुसार राष्ट्रीय संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने हाईकमान की भावनाओं से डोटासरा और प्रदेश प्रभारी सुखविंदर सिंह रंधावा को अवगत करा दिया था हाईकमान का मानना रहा कि जब विधानसभा चुनाव को लेकर दिल्ली में रणनीति बनाई जा रही है तब प्रदेश संगठन अपने स्तर पर सालासर में चिंतन शिविर क्यों कर रहा है।

-कवायद भी टली
सीएम गहलोत के अचानक जख्मी हो जाने से दिल्ली में चल रही चुनावी कवायद भी टल गई है। सूत्रों के अनुसार जिस प्रकार छत्तीसगढ़ में बड़े बदलाव किए गए उसी प्रकार राजस्थान में भी बदलाव की रणनीति बनाई जा रही थी। कांग्रेस हाईकमान सीएम गहलोत के दिल्ली आने का इंतजार कर रहा था। 27 जून की बैठक में भी सीएम गहलोत उपस्थित नहीं हो सके थे हाईकमान अगली रणनीति बनाता इससे पहले ही 29 जून की शाम को सीएम गहलोत जख्मी हो गए अलबत्ता कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मौजूदा अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के आदि नेताओं ने फोन पर गहलोत की कुशलक्षेम जानी है।

-जल्द स्वस्थ होने की कामना
कांग्रेस में गहलोत के प्रतिद्वंदी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के जल्द स्वस्थ होने की कामना की है मालूम हो कि 4 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष या फिर चुनाव संचालन समिति का प्रमुख बनाने की चर्चा है हाईकमान चाहता है कि विधानसभा अशोक गहलोत और सचिन पायलट मिलकर लड़े।
S.P.MITTAL BLOGGER (30-06-2023)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Thursday 29 June 2023

भ्रष्टाचारियों की सूची में पीएम मोदी ने नाम नहीं गिनाया तो अगले ही दिन केजरीवाल की पार्टी ने यूसीसी का समर्थन कर दिया।केजरीवाल विपक्ष की एकता तोड़ने वाले नेता हैं- अजय माकन।

27 जून को भोपाल में भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद करते हुए पीएम मोदी ने विपक्षी दलों के नेताओं के भ्रष्टाचार गिनाएं। भ्रष्टाचारियों के परिवारों की सूची में पीएम मोदी ने मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, शरद पवार, फारुख अब्दुल्ला, करुणानिधि और के चंद्रशेखर राव के नामों का उल्लेख किया, लेकिन इसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का उल्लेख नहीं किया। जबकि दिल्ली के शराब घोटाले में उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया तिहाड़ जेल में बंद हैं। इस प्रकार हवाला के कारोबार के आरोप में स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन तो पिछले एक वर्ष से जेल में हैं। पचास करोड़ रुपए का बंगला बनवाने पर खुद केजरीवाल चर्चाओं में है। चूंकि पीएम ने केजरीवाल की पार्टी को भ्रष्टाचारी नहीं बताया, इसलिए अगले ही दिन 28 जून को आम के महासचिव और राज्यसभा सांसद डॉ. संदीप पाठक ने केंद्र सरकार के यूनिफॉर्म सिविल कोड यूसीसी के प्रस्ताव का समर्थन कर दिया। डॉ. पाठक ने कहा कि देश के संविधान का अनुच्छेद 44 भी कहता है कि यूसीसी लागू होना चाहिए। मालूम हो कि आईएएस के तबादले को लेकर केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश लागू किया है उसका संसद में विरोध करने के लिए केजरीवाल ने कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों से सहयोग मांगा था। लेकिन कांग्रेस ने समर्थन देने से इंकार कर दिया। कांग्रेस के समर्थन के बगैर संसद में प्रस्ताव को गिराया नहीं जा सकता। यही वजह रही कि पटना में हुई विपक्षी की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस का भी केजरीवाल की पार्टी ने बहिष्कार किया। जब विपक्ष का साथ नहीं मिला तो अब केजरीवाल ने केंद्र सरकार के निर्णयों का समर्थन करने लगे हैं। केजरीवाल के रंग बदलने के कारण ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और दिल्ली की राजनीति में दखल रखने वाले अजय माकन ने कहा कि केजरीवाल स्वार्थी राजनेता है। अब विपक्ष की एकता को तोड़ने के लिए केंद्र का समर्थन कर रहे हैं। केजरीवाल की राजनीति का उद्देश्य सिर्फ स्वयं के स्वार्थ पूरे करना है। पचास करोड़ रुपए का बंगला बनवाने से जाहिर होता है कि केजरीवाल को भी ऐश ओ आराम की जिंदगी गुजारनी है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

छत्तीसगढ़ जैसी कवायद राजस्थान में नहीं चाहते अशोक गहलोत।गहलोत के सालासर चिंतन शिविर से खुश नहीं है आला कमान। डोटासरा और रंधावा का दो दिवसीय दिल्ली दौरा निरर्थक।गहलोत दे सकते हैं तीखी प्रतिक्रिया।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ दोनों ही बड़े राज्यों में चार माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं।  अभी दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं। इसीलिए कांग्रेस आला मकान खास कर राहुल गांधी दोनों राज्यों में सक्रिय हैं। 28 जून को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेशाध्यक्ष टीएस सिंह देव, प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा आदि के साथ दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी ने लंबी मंत्रणा की। देर रात को प्रदेशाध्यक्ष सिंह देव को छत्तीसगढ़ का उपमुख्यमंत्री घोषित कर दिया। सिंह देव का भी छत्तीसगढ़ में वैसा ही प्रभाव है, जैसा राजस्थान में सचिन पायलट का। सीएम भूपेश बघेल कांग्रेस हाईकमान की इस बात से सहमत रहे कि टीएस सिंह देव के सहयोग से ही छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार रिपीट हो सकती है। उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद सिंह देव ने भी संतोष जाहिर किया है।

गहलोत नहीं चाहते ऐसी कवायद:
छत्तीसगढ़ सरकार में जो राजनीतिक कवायद हुई है, वैसी कवायद राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नहीं चाहते हैं। सूत्रों के अनुसार 28 जून को छत्तीसगढ़ को लेकर जो बड़ी बैठक हुई वैसी ही बैठक 27 जून को राजस्थान को लेकररखी गई थी, लेकिन इस बैठक में सीएम गहलोत नहीं गए। गहलोत के नहीं आने से बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े और राहुल गांधी ने भी भाग नहीं लिया। ऐसे में प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से ही बैठक करने का दिखावा करना पड़ा। डोटासरा और रंधावा 28 जून को भी दिल्ली में रहे, लेकिन दोनों की दो दिन की यात्रा निरर्थक रही है। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत एक और दो जुलाई को सालासर में कांग्रेस का जो चिंतन शिविर लग रहे हैं उससे कांग्रेस हाईकमान खुश नहीं है। हाईकमान का मानना है कि जब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक नहीं होते, तब तक ऐसे चिंतन शिविर कोई मायने नहीं रखते हैं। बदली हुई परिस्थितियों में प्रभारी रंधावा को भी हाईकमान का प्रतिनिधि नहीं माना जा रहा है। रंधावा भले ही सीएम गहलोत के साथ शिविर में कांग्रेस विधायकों और पदाधिकारियों सेसंवाद करे, लेकिन इस संवाद पर हाईकमान की सहमति नहीं है। सूत्रों के अनुसार 28 जून की शाम को रंधावा और डोटासरा से संक्षिप्त मुलाकात में राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े ने आला कमान की भावनाओं से अवगत करवा दिया है। कांग्रेस हाईकमान राजस्थान के प्रभारी रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा और सीएम गहलोत से नाराज है, इस बात का पता 85 प्रदेश सचिवों की नियुक्ति पर रोक लगाने से चलता है। हालांकि यह सूची डोटासरा ने रंधावा की सहमति से जारी की थी। यदि हाईकमान रंधावा को अपना प्रतिनिधि मानता तो सूची पर रोक नहीं लगाता। डोटासरा और रंधावा के दो दिवसीय दिल्ली दौरे में भी 85 सचिवों वाली सूची पर सहमति नहीं बनी हे, जबकि 10 दिन पहले रोक लगाने के समय डोटासरा ने कहा था कि हाईकमान की सहमति से सूची को जल्द ही पुन: जारी कर दिया जाएगा। हाईकमान द्वारा सूची जारी नहीं करने से रंधावा और डोटासरा को भी राजनीतिक दृष्टि से अपमानित होना पड़ रहा है। कांग्रेस में अभी 28 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति भी नहीं हुई है। ऐसी नियुक्तियां भी गहलोत और पायलट के झगड़े में उलझी हैं।
 
तीखी प्रतिक्रिया आ सकती है:
कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को लेकर जिस तरह दबाव बना रहा है, उससे सीएम गहलोत बेहद नाराज बताए जाते हैं। कांग्रेस हाईकमान ने गत वर्ष 25 सितंबर को जब गहलोत की सहमति के बगैर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई तो गहलोत ने समानांतर बैठक करवा दी और स्वयं के समर्थन में 90 विधायकों के इस्तीफे भी करवा दिए। सूत्रों के अनुसार गहलोत अब 25 सितंबर से भी बड़ी प्रतिक्रिया दे सकते हैं। एक और दो जुलाई वाला सालासर चिंतन शिविर गहलोत की तीखी प्रतिक्रिया की पृष्ठभूमि ही माना जा रहा है। गहलोत किसी भी कीमत पर सचिन पायलट का सहयोग नहीं चाहते हैं। गहलोत का रुख आला कमान के सामने बहुत बड़ी चुनौती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अख्तर के बाद अब कांग्रेस की मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ आपराधिक मुकदमा।यह कांग्रेस नेताओं की आपसी लड़ाई का नतीजा है। अधिकारियों के कंधों पर है बंदूक।तो क्या अब सौम्या गुर्जर की तरह मुनेश को भी हटाया जाएगा?

जयपुर हैरिटेज नगर निगम की कांग्रेसी मेयर मुनेश गुर्जर के खिलाफ निगम के ही अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा ने जयपुर के माणक चौक थाने  में आईपीसी की धारा 332, 352, 342 और 506 में मुकदमा दर्ज करवा दिया है। इस मुकदमे में डिप्टी मेयर असलम फारुखी सहित छह पार्षदों को भी आरोपी बनाया गया है। पिछले दिनों ही अजमेर के सिविल लाइन थाने पर सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष उनके पति इंसाफ अली, पुत्र अरशद सहित कांग्रेस के 20 कार्यकर्ताओं पर अजमेर ग्रामीण के बीडीओ विजय सिंह चौहान ने 9 आपराधिक धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया है। नसीम ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से लेकर प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तक से गुहार लगाई थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। सवाल उठता है कि क्या अधिकारियों में इतनी हिम्मत है कि सत्तारूढ़ पार्टी की मेयर और प्रदेश उपाध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करावाएं? असल में मुकदमों का खेल कांग्रेस के नेताओं की आपसी लड़ाई का नतीजा है। जयपुर शहर से विधायक और प्रदेश के खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने स्वयं स्वीकार किया है कि मेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाने से पहले अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा उनसे मिले थे। वर्मा का आरोप है कि मेयर  मुनेश ने पार्षदों के साथ उनसे बदतमीजी की है। राजेंद्र वर्मा को हटाने के लिए मेयर ने पचास पार्षदों के साथ धरना भी दिया, लेकिन हटने के बजाए वर्मा ने मेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवा दिया। वर्मा को मंत्री खाचरियावास का समर्थन है, इस बात का अंदाजा इससे भी लगता है कि खाचरियावास के विधानसभा क्षेत्र का एक भी पार्षद धरने में शामिल नहीं हुआ। खाचरियावास के वीटो पावर के कारण ही राजेंद्र वर्मा को निगम से नहीं हटाया जा सका। इस मुद्दे को लेकर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और खाचरियावास में भी तू तू मैं मैं हो चुकी है। यदि राजेंद्र वर्मा को खाचरियावास का समर्थन नहीं होता तो कांग्रेस की मेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता था। मेयर को जयपुर के विधायक और जलदाय मंत्री महेश जोशी का भी समर्थन है। कहा जा सकता है कि पार्टी में अपने विरोधियों को सबक सिखाने के लिए ही खाचरियावास ने पुलिस का दखल करवाया है।  इसी प्रकार कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अख्तर के खिलाफ जिस बीडीओ विजय सिंह चौहान ने मुकदमा दर्ज करवाया। उस पर भी आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का हाथ है। नसीम ने तो खुला आरोप लगाया है कि चौहान ने राठौड़ के दबाव में ही मुकदमा दर्ज करवाया है। जयपुर और अजमेर की दोनों  ही घटनाएं राजनीतिक हैं। जयपुर में राजेंद्र वर्मा ने निगम की मेयर द्वारा दुव्र्यवहार करने का आरोप लगाया तो अजमेर में बीडीओ चौहान ने नसीम उनके पति पर सरकारी कामकाज में बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगाया है। अधिकारियों के कंधों पर बंदूक रखकर अपनी ही पार्टी के विरोधियों पर निशाना लगाने के इन मामलों की जानकारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी है, लेकिन इसे गहलोत की राजनीतिक मजबूरी ही कहा जाएगा कि वे पार्टी के दबंग नेताओं के सामने लाचार हैं।
 
तो क्या मुनेश को हटाया जाएगा:
आपराधिक मुकदमा दर्ज होने के बाद सवाल उठता है कि क्या राज्य सरकार अब  मुनेश गुर्जर को मेयर के पद से हटाएगी? जो आरोप  मुनेश पर लगे हैं वो ही आरोप जयपुर ग्रेटर नगर निगम की भाजपा की मेयर सौम्या गुर्जर पर भी लगे थे। सौम्या के खिलाफ भी तत्कालीन आयुक्त ने ही मुकदमा दर्ज करवाया था।  सरकार ने इस मुकदमे को आधार बनाकर ही सौम्या को मेयर के पद से हटा दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सौम्या गुर्जर फिर से बहाल हो गई। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Wednesday 28 June 2023

तो अजमेर जिले में कांग्रेस की जीत नहीं होगी।आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के संकल्प तोडऩे से ऐसा ही प्रतीत होता है।अजमेर के संतोष प्रजापति का परिवार वर्ष भर वर्षा जल ही पीता है। इसके लिए घर में 20 हजार लीटर वाला टेंक बना रखा है।

राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ पिछले दो वर्ष से अजमेर की राजनीति में जबर्दस्त रूप से सक्रिय हैं। राठौड़ ने बयानबाजी में केकड़ी के विधायक और पूर्व मंत्री रघु शर्मा को भी पीछे छोड़ दिया है। राठौड़ के समर्थन में अजमेर के कुछ कांग्रेसी जिस तरह न्यौछावर हुए उससे उत्साहित होकर राठौड़ ने जून माह की शुरुआत में संकल्प लिया कि अगले विधानसभा चुनाव में जब तक जिले की सभी आठों विधानसभा में कांग्रेस की जीत नहीं हो जाती, तब तक वे किसी भी समारोह में साफा और माला नहीं पहनेंगे। राठौड़ के इस संकल्प का अजमेर के कांग्रेसियों ने स्वागत भी किया। लेकिन मात्र एक पखवाड़े में ही राठौड़ ने अपना संकल्प तोड़ दिया। गत 25 जून को जयपुर में मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुए राजपूत समाज के एक समारोह में राठौड़ ने अपने समर्थकों के हाथों से साफ और मालाएं पहनी। चुनाव परिणाम आने से पहले ही राठौड़ ने जिस तरह अपना संकल्प तोड़ा, उसी से कांग्रेस की जीत पर प्रश्नचिन्ह लगा है। क्या अब धर्मेन्द्र राठौड़ को अजमेर में कांग्रेस की जीत की उम्मीद नहीं है? मजे की बात तो यह है कि राठौड़ खुद अजमेर उत्तर से विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। राठौड़ की इस लालसा की वजह से ही पिछले चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र सिंह रलावता और उनके समर्थक राठौड़ से बुरी तरह खफा है। रलावता समर्थकों ने राठौड़ के विरुद्ध मोर्चा खोल रखा है। राठौड़ के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने 25 जून को अपना ही संकल्प तोड़ने से रलावता के समर्थक उत्साहित हैं, क्योंकि अब अजमेर उत्तर से राठौड़ की जीतने पर भी संशय हो गया है। राठौड़ को अपनी जीत की भी उम्मीद होती तो संकल्प नहीं तोड़ते। राठौड़ उस अजमेर उत्तर से जीत का सपना देख रहे थे, जहां गत चार बार से लगातार भाजपा की जीत हो रही है। राठौड़ ने पहले पुष्कर पर नजर लगाई थी, लेकिन पुष्कर में नसीम अख्तर के विरोध के बाद राठौड़ अजमेर में आ गए। राठौड़ को अजमेर से भी भगाने में रलावता और उनके समर्थक कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। यह भी मजे की बात है कि जिन राठौड़ का अपना निर्वाचन क्षेत्र तय नहीं है, वे आठों सीटों पर जीत का दावा कर रहे हैं।
 
वर्षा जल:
अजमेर में नियुक्त जनसंपर्क अधिकारी संतोष प्रजापति और उनका परिवार वर्ष भर वर्षा जल ही पीता है। प्रजापति ने बताया कि वर्षा न केवल शुद्ध होता है बल्कि मिनरल युक्त भी होता है। वर्ष भर वर्षा जल के सेवन से उनका परिवार अनेक बीमारियों से बचा रहता है। उन्होंने बताया कि अजमेर के वैशाली नगर स्थित निवास पर करीब 20 हजार लीटर की क्षमता वाला एक टेंक बनाया गया है। इसमें बारिश का पानी इक_ा करके वर्ष भर पीने के लिए इस्तेमाल करते हैं। बारिश होने पर पहली बारिश का पानी आकाश साफ होने तथा छत के साफ होने तक बाहर डाला जाता है। छत की सफाई होने के पश्चात छत को ताला लगाकर बंद कर देते हैं। इसके बाद टैंक भरने तक कोई भी छत पर नहीं जाता है। टैंक के पानी का उपयोग हमारा परिवार वर्ष भर पीने के लिए करता है। यह पानी नल की सप्लाई होने वाले पानी से कई गुना बेहतर तथा शुद्ध है। इसे फिल्टर करने की भी आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह आसुत जल की श्रेणी में आता है। वर्तमान में चक्रवात के कारण जो वर्षा हुई थी। उनमें से पहली बारिश का पानी हमने टैंक की सफाई तथा छत की सफाई करने में लगाया। इसके बाद दूसरे चक्र की हुई बारिश से वर्ष भर का पानी जमा हो गया है। डेढ़ दिन के अंदर ही टैंक ओवरफ्लो हो गया। अभी हमें होने वाली बारिश का पानी बाहर गिराना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त हमारा परिवार नवंबर तक बारिश के पानी का इस्तेमाल ही स्नान करने तथा कपड़े धोने के लिए करता है। क्योंकि बड़े टैंक के पानी को छोटे वाले टैंक में स्थानांतरित करके उसे टंकियों में चढ़ा देते हैं। बारिश आने के साथ.साथ टैंक भी भरता रहता है और अतिरिक्त पानी का उपयोग टंकियों में भरकर कपड़े धोने तथा नहाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह पद्धति अधिकतर गांव में इस्तेमाल की जाती है। परंपरागत तरीके से यह कार्य पहले ही किया जाता रहा है। लेकिन नई पीढ़ी में पारंपरिक ज्ञान के प्रति उदासीनता के कारण यह पानी उपयोग नहीं हो पाता है। मुझसे भी कई बार पूछा जाता है कि इस पानी का स्वाद अलग कैसे है। तब हम बताते हैं कि यह बारिश का पानी है इसलिए इसका स्वाद अलग है। वर्षा जल संग्रहण और इसके उपयोग के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9461698959 पर संतोष प्रजापति से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

प्रधानमंत्री मोदी ने देश की दिशा तय कर दी।अब जनता को फैसला करना है।

भाजपा कार्यकर्ताओं के एक संवाद में 27 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की दिशा तय कर दी है। अब जनता को फैसला लेना है। यदि 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनाव में भाजपा को बहुमत देकर नरेंद्र मोदी को लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाया जाता है तो भारत में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी यानी सभी नागरिकों के समान कानून। इस कानून को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्देश दे रखे हैं, लेकिन भारत में वोटों की राजनीति के चलते यूसीसी लागू नहीं हो रहा। चूंकि कांग्रेस और अन्य क्षेत्रीय दलों को मुसलमानों के वोट चाहिए इसलिए समान कानून का विरोध किया जा रहा। आम मुसलमान को भी समान कानून पर कोई एतराज नहीं है, लेकिन ठेकेदार नुमा नेता बेवजह मुसलमानों को डराते हैं। जब तीन तलाक पर कानून बनाया गया, तब भी बहुत हो हल्ला हुआ। अब जब तीन तलाक पर कानून बन गया है, तब सवाल उठता है कि इसका फायदा किसे हुआ। इस कानून का फायदा मुस्लिम औरतों को ही हुआ है। पहले एक साथ तीन बार तलाक तलाक तलाक बोल कर कोई भी पुरुष अपनी पत्नी को छोड़ देता था। ऐसी मुस्लिम महिलाओं को दर दर की ठोकरें खानी पड़ती थी, क्योंकि पुलिस थाने से लेकर कोर्ट में सुनवाई नहीं होती थी। कानून बनने पर मुस्लिम महिलाओं को पुलिस में शिकायत करने का अधिकार मिल गया है। यूसीसी लागू होता है तो मुस्लिम महिलाओं को भी वह अधिकार मिलेंगे, जिनसे अभी तक वंचित हैं। आम मुसलमान को यूसीसी से फायदा ही होगा।  पीएम मोदी का यह कथन देश हित में है। एक परिवार में दो कानून से देश कैसे चलेगा? यूरोप के देशों में भी मुसलमान रहते हैं, लेकिन मुसलमानों को भी देश का ही कानून मानना पड़ता है। यूरोप के किसी भी देश में इस्लामिक परंपराएं लागू नहीं होती है। सवाल यह भी है कि क्या किसी मुस्लिम देश में ईसाइयों या हिन्दुओं के लिए अलग से कानून है? जब किसी मुस्लिम देश में अन्य धर्मों के लोगों के लिए अलग से कानून नहीं है तो फिर भारत में धर्म के आधार पर एक समुदाय के लिए अलग से व्यवस्था क्यों हैं? एक समान कानून होने से देश के हर नागरिक को फायदा होता है। 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को समाप्त किया और देशवासियों की भावनाओं के अनुरूप अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बनवाया। ये दोनों मामले वर्षों से अटके थे। अब जब दोनों कार्य हो गए है तो देश के मुसलमान बताएं कि उन्हें क्या नुकसान हुआ? वोट की राजनीति करने वाले नेता इन दोनों मुद्दों पर डर दिखा रहे थे। अनुच्छेद 370 के समाप्त होने से जम्मू कश्मीर में जो पर्यटन बढ़ाने का फायदा कश्मीर के मुसलमानों को ही हुआ। इसी प्रकार अयोध्या में राम मंदिर बनने से देश में सद्भावना ही बढ़ी। जो मुसलमान स्वयं को और देश की प्रगति चाहते हैं, उन्हें यूसीसी का समर्थन करना चाहिए। भारत में रहने वाले करीब 25 करोड़ मुसलमानों को पड़ोसी मुस्लिम देश पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हालात देख लेना चाहिए। अब तो पाकिस्तान का मुसलमान भी भारत की प्रशंसा कर रहे हैं। यूसीसी लागू होने पर भारत का मुसलमान और समृद्ध होगा। सबसे ज्यादा फायदा मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा। वोट के खातिर जो नेता पीएम मोदी को मुस्लिम विरोधी बताते हैं, उन्हीं मोदी ने मुस्लिम औरतों को बिना किसी पुरुष के हज पर जाने का अधिकार दिया है। अपनी ही परंपराओं से वंचित जिन मुस्लिम महिलाओं ने इस वर्ष हज की यात्रा की है, उनकी खुशी का अंदाजा लगाया जा सकता है। ऐसे बहुत से फायदे हैं जिनका लाभ मुसलमानों को सिविल कोड लागू होने पर ही मिलेगा। 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

राजस्थान कांग्रेस की बैठक क्यों डर रहे हैं राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली गए ही नहीं। जबकि छत्तीसगढ़ वाली बैठक में सीएम भूपेश बघेल शामिल हुए।

28 जून को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस की जो बैठक हुई उसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी मौजूद रहे। बैठक में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष टी एस सिंह देव, प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा भी शामिल है। छत्तीसगढ़ में भी चार माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने के लिए बैठक में रणनीति बनाई गई। राजस्थान में भी चार माह बाद विधानसभा के चुनाव होने है और कांग्रेस हाईकमान छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी सत्ता वापसी चाहता है। इसलिए राजस्थान कांग्रेस के नेताओं की बैठक भी 27 जून को दिल्ली में हुई, लेकिन इस बैठक में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खडग़े ने भाग नहीं लिया। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा तथा तीनों सह प्रभारियों के साथ राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ही चर्चा की। छत्तीसगढ़ वाली बैठक में सीएम बघेल मौजूद रहे, जबकि राजस्थान वाली बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उपस्थित नहीं थे। सीएम गहलोत का दिल्ली नहीं जाना भी चर्चा का विषय बना हुआ है।  डोटासरा और रंधावा 28 जून को भी दिल्ली में जमे रहे, लेकिन इन दोनों नेताओं की मुलाकात राहुल गांधी और खडग़े से होने के कोई समाचार नहीं है। सवाल उठता है कि राहुल और खडग़े छत्तीसगढ़ कांग्रेस की बैठक में उपस्थित रहे, जबकि राजस्थान की बैठक में क्यों नहीं आए। जानकारों की माने तो राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच जो खींचतान चल रही है उससे कांग्रेस हाईकमान खुश नहीं है। हालांकि मुख्यमंत्री गहलोत का दावा है कि उनकी सरकार रिपीट होगी, लेकिन हाईकमान राहुल गांधी का मानना है कि सरकार रिपीट में पायलट का सहयोग जरूरी है। सूत्रों के अनुसार पायलट के मुद्दे पर गहलोत और राहुल गांधी आमने-सामने हैं। सीएम गहलोत से फिलहाल विवाद टालने के लिए राहुल गांधी राजस्थान की बैठक में शामिल नहीं हो रहे हैं। सीएम गहलोत ने विगत दिनों दिल्ली में बार बार और लंबी दौर की बैठक पर भी ऐतराज जताया था। गहलोत का तो यहां तक कहना रहा कि उम्मीदवारों की घोषणा मतदान से 2 माह पहले ही हो जानी चाहिए। गहलोत के इन सुझावों का हाईकमान पर कितना असर हुआ यह तो गहलोत ही बता सकते हैं, लेकिन उन सुझावों के बाद भी हाईकमान ने 85 प्रदेश सचिवों की नियुक्ति पर रोक लगा दी, जिन्हें सीएम गहलोत के पसंदीदा प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा ने बनाया था। गहलोत और डोटासरा तो अपने जिला अध्यक्ष भी बनवाना चाहते हैं, लेकिन हाईकमान मंजूरी नहीं दे रहा। जानकारों की मानें तो जो झगड़ा अब तक गहलोत और पायलट के बीच था, वह अब गहलोत और हाईकमान के बीच हो गया है। पिछले दिनों ही केसी वेणुगोपाल ने दिल्ली में गहलोत और पायलट का फोटो सेशन करवाया था, लेकिन 27 जून की बैठक बताती है कि वेणू गोपाल का फोटो सेशन भी बेकार गया। असल में जब तक गहलोत और पायलट में तालमेल नहीं होता, तब तक राजस्थान में कांग्रेस मजबूत नहीं हो सकती। सीएम गहलोत अपने दम पर सरकार रिपीट के कितने भी दावे करें, लेकिन सच्चाई है कि 2018 में पायलट के दम पर ही कांग्रेस को बहुमत मिला था। 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

164 करोड़ रुपए के लोन पर अजमेर डेयरी 100 करोड़ रुपए का ब्याज चुकाएगी।एनसीडीसी से लोन तो कोई भी ले सकता है। इसमें मोदी सरकार का कोई अहसान नहीं।अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को ही पशुपालकों और किसानों का हितैषी बताया।

केंद्र में मोदी सरकार के 9 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में 24 जून को अजमेर के भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपलब्धियां गिनाते हुए बताया कि अजमेर जिले के पशुपालकों की भलाई के लिए मोदी सरकार ने सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाली अजमेर डेयरी को 200 करोड़ रुपए उपलब्ध करवाए हैं। केंद्र के इसी सहयोग से डेयरी परिसर में नया प्लांट लगा है। सांसद चौधरी के इस कथन पर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी का कहना है कि मोदी सरकार ने कोई अनुदान नहीं दिया है। डेयरी ने राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) से 164 करोड़ रुपए का लोन लिया है। इस लोन पर अजमेर डेयरी 100 करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुकाएगी। एनसीडीसी ने जो लोन दिया है, उसके बाद भी डेयरी ने 98 करोड़ 35 लाख का अपना शेयर दिया है। पचास करोड 53 लाख की सब्सिडी के नया प्लांट 313 करोड़ 11 लाख रुपए में बन कर तैयार हुआ है। जिस 164 करोड़ के लोन पर 100 करोड़ रुपए ब्याज के चुकाने हो, उसमें अहसान की क्या बात है? चौधरी ने बताया कि अभी भी अजमेर डेयरी के सब्सिडी के 6 करोड़ 50 लाख रुपए बकाया है। सांसद चौधरी अपने प्रभाव से बकाया सब्सिडी दिलवाएं। रामचंद्र चौधरी ने कहा कि सांसद चौधरी अपनी और मोदी सरकार की उपलब्धियां तो गिना रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि डेयरी के रेलवे फाटक पर बनने वाला ओवर ब्रिज पिछले दस वर्षों से अधूरा पड़ा है। सांसद चौधरी रेल मंत्री से मिल कर ब्रिज को पूरा क्यों नहीं करवाते? डेयरी अध्यक्ष चौधरी ने कहा कि सही मायने में पशु पालकों और किसानों के हितैषी तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही हैं। केंद्र सरकार ने क्रेडिट कार्ड पर लोन देने के लिए पशु पालकों से ऑनलाइन आवेदन मांगे थे। हमने भी पोर्टल पर 36 हजार फार्म भरवाए। लेकिन आज तक एक भी पशु पाको को केंद्र से लोन नहीं मिला है, जबकि सीएम गहलोत ने 60 हजार से लेकर दो लाख रुपए तक के लोन दिए हैं। इस राशि से किसान वर्ग पशु खरीद रहा है। गहलोत सरकार बिना प्रीमियम के पशुओं का बीमा भी कर रही है। इतना ही नहीं लम्पी रोग से मरी गायों के मालिकों को एक गाय पर चालीस हजार रुपए का मुआवजा दिया जा रहा है। डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि गहलोत सरकार पशु पालकों को प्रति लीटर दूध पर पांच रुपए अनुदान भी दे रही है। प्रदेश के पशु पालकों ने जो भी मांग रखी उसे मुख्यमंत्री गहलोत ने पूरा किया है। चौधरी ने इस बात पर अफसोस जताया कि केंद्र सरकार डेयरी उत्पादों पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी वसूल रही है। प्रदेश के पशु पालकों को दी जा री अन्य सुविधाओं की जानकारी मोबाइल नंबर 9414004111 पर रामचंद्र चौधरी से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

राजेंद्र राठौड़ ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बयान का समर्थन किया।शेखावत ने राजेंद्र राज में ईआरसीपी को पूरा करने की बात कही है।राजस्थान में भाजपा का राजनीतिक माहौल गर्म।

सवाई माधोपुर में भाजपा कार्यकर्ताओं से अनौपचारिक बातचीत करते हुए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा-राजेंद्र जी (राजस्थान में भाजपा विधायक दल के नेता) राजेंद्र जी का राज लाओ तो मैं ईआरसीपी को भी पूरा करवा दूंगा। हालांकि शेखावत ने राठौड़ को मुख्यमंत्री बनवाने की कोई बात नहीं कही, लेकिन राजेंद्र जी के राज की बात कह कर शेखावत ने भाजपा के राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया। शेखावत के इस बयान का अब राजेंद्र राठौड़ ने समर्थन किया है। 27 जून को राजेंद्र राठौड़ भरतपुर के डीग कुम्हेर में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ रहे। यहां उन्होंने पीएम मोदी को वर्चुअल संबोधन सुना। तभी राठौड़ ने कहा कि शेखावत के बयान का मतलब है भाजपा का राज। यह सही है कि ईआरसीपी जैसे समस्याओं का समाधान भाजपा के शासन में ही होगा। इस जल परियोजना में कांग्रेस सरकार ने जो बाधाएं खड़ी की है, उन्हें भाजपा के शासन में ही हटाया जाएगा। राठौड़ ने कहा कि जब नदी से नदी जुड़ेगी, तो अनेक समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाएगा। शेखावत के बयान में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे मुद्दा बनाया जाए। जब आगामी विधानसभा चुनाव कमल के फूल पर लड़ा जाएगा, तब अभी से मुख्यमंत्री बनने की बात बेमानी है। जहां तक गजेंद्र सिंह के बयान वाला वीडियो कांग्रेस के ट्विटर हैंडल पर पोस्ट करने का सवाल है तो कांग्रेस को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। 19 नए जिलों के गठन का फैसला खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए मुसीबत बन गया है। सीएम को अब अपनी ही घोषणा से पलटना पड़ रहा है। भाजपा में तो पीएम मोदी बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस में तो अभी प्रदेश के अधिकांश जिलों में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति तक नहीं हुई है। गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान तो पूरा प्रदेश देख रहा है। राठौड़ ने कहा कि वे भाजपा के साधारण कार्यकर्ता हैं। साथ ही नेतृत्व में उन्हें जो भी जिम्मेदारी दी है, उसे पूरी निष्ठा के साथ निभाया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

राजस्थान के उदयपुर की जिस गली में एक वर्ष पहले कन्हैयालाल की गर्दन कटी, वहां आज भी दहशत का माहौल। 20 में से 18 दुकानें बंद हो गई। बाजार में कर्फ्यू जैसा माहौल।मुसलमानों की सुरक्षा की चिंता करने वाले राजनेता, बुद्धिजीवी और कलाकार जमीनी हकीकत देखने के लिए उदयपुर आएं।हिन्दू, मुस्लिम भाईचारे के झंडा बरदार कहां हैं? मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का 26 कौमों का प्यार भी कहां हैँ? हत्यारों को पकड़वाने वाले भी दहशत में।

भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के जागरूक नागरिक 28 जून 2022 की उस घटना को नहीं भूले होंगे, जिसमें राजस्थान के उदयपुर के मालदास स्ट्रीट बाजार की भूत महल वाली गली में कन्हैयालाल टेलर की गर्दन तालिबानी अंदाज में काट दी गई। तब देश भर में सिर तन से जुदा के नारे लग रहे थे। देश भर में गर्दन काटने की पहली घटना उदयपुर में ही हुई थी। मुख्य आरोपी रियाज अतार और सहयोगी गौस मोहम्मद अब जेल में है, लेकिन एक वर्ष बाद भी उदयपुर के मालदास स्ट्रीट बाजार का माहौल सामान्य नहीं हो पाया है। गर्दन काटने की घटना के एक वर्ष पूरा होने पर जारी मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 300 दुकानों वाले बाजार में सन्नाटा पसरा है। यंू तो अधिकांश दुकानें बंद रहती हैं, लेकिन जो दुकानें खुलती हैं वे भी सूरज ढलने से पहल पहले बंद हो जाती हैं। कन्हैयालाल टेलर वाली भूत महल गली में 20 दुकानें थी, इनमें से मात्र दो दुकानें ही खुलती है। कन्हैयालाल की जिस बेरहमी से गर्दन काटी, उसका असर एक वर्ष बाद आज भी साफ देखने को मिल रहा है। माहौल इतना दहशत भरा है कि कन्हैयालाल वाली घटना पर बात करने से डर लगता है। घटना के समय गंभीर बात तो यह थी कि गर्दन काटने का वीडियो भी पूरी प्लानिंग से बनाया गया। तब इससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया था।
 
जमीनी हकीकत उदयपुर आकर देंखे:
जो राजनेता, बुद्धिजीवी और कलाकार बार बार भारत में मुसलमानों की सुरक्षा को लेकर चिंता प्रकट करते हैं, उन्हें राजस्थान के उदयपुर आकर जमीनी हकीकत देखनी चाहिए। राजस्थान में अभी पश्चिम बंगाल, केरल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश जैसे हालात नहीं बने हैं, लेकिन उदयपुर का मालदास स्ट्रीट बाजार का माहौल बहुत कुछ कह रहा है। चिंता प्रकट करने वाले लोग उदयपुर आकर देखें कि कौन सा वर्ग दहशत में है। यदि एक वर्ष बाद भी गर्दन कटने की दहशत खत्म न हो तो फिर हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। दिल्ली में बैठ कर राजनेता कुछ भी बयान दे दें, लेकिन जमीनी हकीकत अलग है।
 
36 कौमों का प्यार:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दावा करते हैं कि उन्हें 36 कौमों का प्यार मिलता है, इसलिए तीसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। सवाल उठता है कि उदयपुर में 36 कौमों का प्यार कहा चला गया? आखिर सीएम गहलोत मालदास स्ट्रीट बाजार में दहशत के माहौल को खत्म क्यों नहीं करवाते? बाजार में भयमुक्त माहौल बनाने की जिम्मेदारी भी मुख्यमंत्री की है। एक साल बाद भी उदयपुर में तनाव और दहशत का माहौल हिन्दू-मुस्लिम भाई चारे के झंडाबरदारों पर भी सवाल उठता है। रोजा इफ्तार की दावतों में भी भाई चारे के दावे किए जाते हैं, लेकिन उदयपुर में ऐसा भाई चारा देखने को नहीं मिल रहा है। सवाल उठता है कि उदयपुर में भाई चारा कहां चला गया है? इतना ही नहीं जिन दो युवक शक्ति सिंह और प्रहलाद सिंह ने कन्हैयालाल के हत्यारों रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को पकड़वाने में पुलिस की मदद की, वे दोनों युवक भी दहशत में जी रहे हैं। दोनों युवकों ने क्षेत्रीय विधायक सुदर्शन सिंह रावत से लेकर मुख्यमंत्री तक से सुरक्षा की गुहार लगाई है, लेकिन दोनों युवकों को हथियार रखने का लाइसेंस तक नहीं मिल रहा। 29 जून 2022 को जब हत्यारों को पकड़वाया था, तब शक्ति सिंह प्रहलाद सिंह की बहादुरी की सभी ने प्रशंसा की थी, लेकिन इन दोनों युवकों की सुरक्षा की कोई चिंता नहीं कर रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Monday 26 June 2023

बजरी पर रॉयल्टी वसूली को लेकर हनुमान बेनीवाल और राजपूत समाज आमने-सामने।राजस्थान में दो बड़ी जातियों के बीच टकराव पर गहलोत सरकार को मूकदर्शक बने नहीं रहना चाहिए।बजरी लीज धारक और सेवाभावी मेघराज सिंह रॉयल की जैसलमेर की सूर्यागढ़ होटल में ही ठहरे थे गहलोत समर्थक विधायक।

26 जून को में राजपूत समाज की ओर से अजमेर कलेक्ट्रेट पर एक बड़ा प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में राजपूत विकास परिषद, क्षत्रिय प्रतिभा एवं शोध संस्थान, राजवंश संस्थान, क्षत्रिय महासभा, परमवीर मेजर शैतान सिंह राजपूत छात्रावास आदि संस्थानों से जुड़े सैकड़ों लोग शामिल रहे। समाज के लोग पहले कुंदन नगर स्थित राजपूत छात्रावास पर एकत्रित हुए और फिर जुलूस के रूप में कलेक्ट्रेट पर पहुंचे। प्रदर्शन के बाद राजपूत प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के नाम ज्ञापन देकर आरएलपी के अध्यक्ष और नागौर के सांसद हनुमान बेनीवाल पर कार्रवाई करने की मांग की है। आरोप रहा कि राजपूत समाज के प्रतिष्ठित सेवाभावी मेघराज सिंह रॉयल को लेकर बेनीवाल अभद्र भाषा का उपयोग कर रहे हैं जिसे राजपूत समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। प्रतिनिधियों ने बेनीवाल के उन समर्थकों पर भी कार्यवाही की मांग की है जो राजपूत समाज पर प्रतिकूल टिप्पणी का वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे हैं। समर्थक ऐसी भाषा बेनीवाल की उपस्थिति में ही बोल रहे हैं और बेनीवाल चुप है। इससे  एक जाति विशेष की हौसला अफजाई हो रही है। जबकि राजपूत समाज में नाराजगी है। अजमेर जैसे प्रदर्शन प्रदेश भर में हो रहे हैं। इससे हनुमान बेनीवाल और राजपूत समाज आमने सामने हो गए हैं। असल में विगत दिनों नागौर से लेकर हनुमानगढ़ तक बेनीवाल ने रैलियां कर बजरी रॉयल्टी वसूली का विरोध किया। बेनीवाल का आरोप रहा कि सामंती सोच वाले लोग रॉयल्टी वसूली के नाम पर किसानों को परेशान कर रहे हैं। मालूम होगी रैलियों में समर्थकों ने जेसीबी से बेनीवाल पर फूलों की वर्षा की थी। रैलियों से समर्थकों में एक नया जोश उत्पन्न हुआ है। बेनीवाल की रैलियों के बाद राजपूत समाज के प्रदर्शन भी शुरू हुए हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार राजपूत समाज के मेघराज सिंह रॉयल और उनके साझेदारों के पास ही प्रदेश में बजरी पर रॉयल्टी वसूलने का ठेका है। पूर्व में इस ठेके के लिए मेघराज सिंह की फर्म ने 500 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की राशि राज्य सरकार को जमा करवाई थी। तब एनजीटी ने बजरी खनन पर रोक लगा दी थी। इसलिए सरकार ठेके की क्रियान्वित नहीं कर सकी, लेकिन मिलीभगत से बजरी की चोरी होती रही।  इससे प्रदेश में एक नया बजरी माफिया पनप गया। नदियों से बजरी निकालने के लिए जेसीबी और डंपर की खरीदे गए। तब यह आरोप लगा कि राजनीतिक संरक्षण में बजरी की चोरी हो रही है। इससे उपभोक्ताओं को महंगी बजरी मिल रही है, लेकिन माफिया से लेकर पुलिस, खान आदि विभागों के कार्मिक मालामाल हो गए हैं। अब जब 2022 में एनजीटी ने बजरी खनन पर रोक हटाई तो गहलोत सरकार ने खनन के लिए लाइसेंस जारी कर दिए। राजपूत समाज के मेघराज सिंह और उनके साझेदारों के पास ही अधिकांश लाइसेंस है। चूंकि लाइसेंसधारी को सरकार में शुल्क जमा कराना होता है इसलिए अब किसी को भी चोरी नहीं करने दी जाती। इससे उन लोगों को परेशानी हो रही है जो अब तक की चोरी कर मालामाल हो रहे थे। भले ही यह मुद्दा बजरी पर रॉयल्टी वसूली का है लेकिन राजस्थान की दो बड़ी जातियों में टकराव की स्थिति हो गई है। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को  इस टकराव पर मूकदर्शक नहीं रहना चाहिए। यदि जल्द ही इस टकराव को खत्म नहीं किया गया तो प्रदेश में कानून व्यवस्था बिगड़ने का संकट उत्पन्न हो जाएगा। यह सही है कि जुलाई-अगस्त 2020 में जब गहलोत सरकार के सामने राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ था, गहलोत समर्थक विधायक जैसलमेर में मेघराज सिंह रॉयल की होटल सूर्या गढ़ में ही ठहरे थे। कहा जा सकता है कि गहलोत सरकार बचाने में सूर्या गढ़ होटल की महत्वपूर्ण भूमिका रही। चूंकि मेघराज सिंह सेवाभावी प्रवृत्ति के इंसान हैं इसलिए उनके संबंध हर मुख्यमंत्री से रहते हैं। भाजपा सरकार की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी अच्छे संबंध रहे।

S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

भारत के मुसलमानों के मुद्दे पर बराक ओबामा को मुस्लिम देश मिस्र ने मुंहतोड़ जवाब दिया।इस्लाम के प्रति सम्मान है इसलिए पीएम मोदी ने अल हाकिम मस्जिद का दौरा किया।सवाल-ओबामा जब अमेरिका के राष्ट्रपति थे तब मुसलमानों का मुद्दा क्यों नहीं उठाया?

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही की अमेरिका यात्रा की पूरे विश्व में प्रशंसा हो रही है। खुद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक बताया है, लेकिन वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को मोदी की सफलता रास नहीं आई है। ओबामा ने कहा है कि यदि मुझे मिलने का अवसर मिलता तो मैं मोदी के समक्ष भारत के अल्पसंख्यकों की हिफाजत का जिक्र करता। ओबामा का यह बयान वैसा ही है जैसा भारत के विपक्षी दलों के नेताओं का होता है। मुस्लिम मतदाताओं के दम पर राज्यों में सत्ता का सुख भोग रहे नेताओं को भी मुसलमानों की चिंता सताती है। ऐसे नेता राज्यों के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन मुसलमानों के साथ भेदभाव के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराते हैं। बराक ओबामा के बयान का मुस्लिम देश मिस्र ने ही मुंह तोड़ जवाब दिया है। पीएम मोदी 4 दिन की अमेरिकी यात्रा के बाद 24 जून को मुस्लिम देश मिस्र की दो दिवसीय यात्रा पर रहे। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने मोदी को अपने देश के सर्वोच्च सम्मान आर्डर ऑफ द नाइल से सम्मानित किया है। भारत में यदि अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं होते तो मुस्लिम देश  मिस्र पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान नहीं देता। मिस्र भी मानता है की भारत में रहने वाला मुसलमान दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश में रहने वाले मुसलमानों से ज्यादा सम्मान और सुरक्षा के साथ रह रहे हैं। पीएम मोदी का इस्लाम के प्रति मान सम्मान है, इसलिए मिस्र के दौरे के दौरान 11 वीं सदी की ऐतिहासिक मस्जिद अल हाकिम का जायजा भी लिया। मोदी ने इस्लाम की परंपरा के अनुरूप मस्जिद के बारे में जानकारी ली। सवाल यह भी है कि बराक ओबामा को भारत के अल्पसंख्यकों की इतनी ही चिंता है तो उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर रहते हुए इस मुद्दे को मोदी के समक्ष क्यों नहीं उठाया? वर्ष 2014 में मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तब अमेरिका में बराक ओबामा ही राष्ट्रपति थे। तब अपने भारत दौरे में ओबामा ने मोदी को अपना सबसे अच्छा मित्र बताया था। भारत के नागरिकों को वह दृश्य आज भी याद है। जब दिल्ली में ओबामा और मोदी एक दूसरे के हाथ पर हाथ धरकर बैठे थे। क्योंकि ओबामा उम्र में मोदी से छोटे हैं, इसलिए मोदी ने अपने संबोधन में मित्र ओबामा ही कहा। अच्छा होता है कि ओबामा अपने कार्यकाल में मोदी के समक्ष भारत के अल्पसंख्यकों की हिफाजत का मुद्दा उठाते। यह भारत में मोदी की लोकप्रियता ही है कि पिछले 9 वर्षों में अमेरिका में 3 राष्ट्रपति बदल गए और मोदी लगातार प्रधानमंत्री बने हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि बराक ओबामा को अब अपनी ही डेमोक्रेटिक पार्टी पर भरोसा नहीं है। मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी के ही सदस्य हैं। ओबामा जब राष्ट्रपति थे तब जो बाइडेन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे, लेकिन इन दिनों बराक ओबामा अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी में पीछे धकेल दिए गए हैं। जब पूरे अमेरिका में मोदी के दौरे की प्रशंसा हो रही है, तब भारत के अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाकर ओबामा अमेरिका की राजनीति में बने रहना चाहते हैं। शायद ओबामा अमेरिका पर हुए आतंकी हमले को भी भूल गए हैं।

S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Sunday 25 June 2023

रंधावा जी! जिन मंत्रियों ने सरकार बचाई, उन पर लगाम नहीं लगा सकते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष नसीम अख्तर पर 9 धाराओं में मुकदमे पर आप भी चुप हैं। नाथूराम सिनोदिया और रामस्वरूप चौधरी में विवाद और धर्मेन्द्र राठौड़ की हंसी।

जयपुर के विकास और कांग्रेस की राजनीति को लेकर नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और खाद्य आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के बीच जो विरोधाभासी बयानबाजी हुई, उससे कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा खफा है। रंधावा ने कहा कि ऐसी बयानबाजी से सरकार की छवि खराब हो रही है। मुख्यमंत्री अशोक को ऐसे मंत्रियों पर लगाम लगानी चाहिए। रंधावा पिछले सात माह से राजस्थान की राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने अभी भी कांग्रेस की राजनीति को समझा नहीं है। यदि समझते तो मंत्री धारीवाल और खाचरियावास पर लगाम लगाने की बात नहीं कहते। सवाल उठता है कि क्या सीएम गहलोत दोनों मंत्रियों के तेवर और बयानबाजी देेख रहे हैं? लेकिन गहलोत जानते हैं कि इन दोनों मंत्रियों के कारण ही उनकी सरकार बची है। गहलोत का मकसद सिर्फ अपनी सरकार को अगले पांच माह तक चलाने का है। विधानसभा चुनाव के परिणाम से गहलोत अवगत हैं। सब जानते हैं कि गत वर्ष 25 सितंबर को धारीवाल के घर पर ही कांग्रेस विधायकों की समानांतर बैठक हुई थी और तभी गहलोत को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए 90 विधायकों ने इस्तीफे दिए। यदि धारीवाल अपने घर पर बैठक नहीं करवाते तो एआईसीसी द्वारा आयोजित बैठक में नए मुख्यमंत्री के लिए प्रस्ताव पास हो जाता। तब गहलोत को सीएम के पद से हटना ही पड़ता। इससे पहले जुलाई 2020 में जब सचिन पायलट के साथ 18 विधायक दिल्ली गए थे, तब कम से कम दस विधायकों को खाचरियावास के साथ दिल्ली जाना था, लेकिन ऐन मौके पर खाचरियावास गहलोत के जादू से प्रभावित हो गए। यदि खाचरियावास वाले विधायक भी दिल्ली चले जाते तो जुलाई 2020 में ही गहलोत को सीएम पद से हटना पड़ता। जिन मंत्रियों की वजह से गहलोत मुख्यमंत्री बने बैठे हैं, उन पर लगाम कैसे लगा सकते हैं? खाचरियावास ने तो आईएएस की एसीआर भरने को लेकर भी सीएम पर सीधा हमला किया। मुफ्त में मिलने वाले अन्नपूर्णा फूट पैकेट को लेकर खाचरियावास के निशाने पर सीएम गहलोत ही हैं। लेकिन गहलोत सारा अपमान इसलिए बर्दाश्त कर रहे हैं ताकि सरकार चार माह और चल जाए।
 
रंधावा खुद चुप:
प्रदेश प्रभारी रंधावा चाहते हैं कि धारीवाल और खाचरियावास जैसे मंत्रियों पर सीएम गहलोत लगाम लगाएं, लेकिन  कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष और एआईसीसी की सदस्य नसीम अख्तर पर 9 आपराधिक धाराओं में दर्ज मुकदमे पर खुद रंधावा चुप हैं। जबकि नसीम ने खुला आरोप लगाया है कि यह मुकदमा राजनीतिक द्वेषवश आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ ने अपने चेहते बीडीओ विजय सिंह चौहान पर दबाव डाल कर दर्ज करवाया है। यह घटना भी राजनीतिक थी, लेकिन फिर भी धर्मेन्द्र राठौड़ ने सरकार के प्रभाव का दुरुपयोग कर मुकदमा दर्ज करवाया। 12 दिन गुजर जाने के बाद भी रंधावा पीड़ित कांग्रेसी नेता को कोई राहत नहीं दिलवा सके हैं। इससे ब्लॉक स्तर  के एक अधिकारी की हिम्मत का अंदाजा लगाया जा सकता है कि सत्तारूढ़ पार्टी की प्रदेश उपाध्यक्ष के खिलाफ ही प्रकरण दर्ज करवा दिया है।
 
सिनोदिया और चौधरी में विवाद:
24 जून को अजमेर के सुरसुरा स्थित तेजाजी मंदिर परिसर में एक समारोह में जब राजस्थान पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ का संबोधन हो रहा था, तभी पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया और पूर्व जिला प्रमुख रामस्वरूप चौधरी के बीच विवाद हो गया। मौजूद लोगों के अनुसार रामस्वरूप चौधरी का कहना रहा कि नागौर की राजनीति में नाथूराम मिर्धा (नाथू बाबा) की महत्वपूर्ण भूमिका रही। इसी दौरान एक व्यक्ति ने कहा कि अजमेर जिले में भी हमारे नाथू बाबा (नाथूराम सिनोदिया) सक्रिय हैं। यह बात चौधरी को नागवार गुजरी। इस पर सिनोदिया ने कड़ा एतराज जताया। वीडियो से जाहिर है कि सिनोदिया अपनी ही पार्टी के नेता से खफा हैं। गंभीर बात यह है कि जब सिनोदिया और चौधरी ने विवाद हो रहा था, तब  आरटीडीसी के अध्यक्ष हंस रहे थे। ऐसा प्रतीत हुआ कि दोनों के बीच हो रहे झगड़े का राठौड़ मचा ले रहे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि आगामी विधानसभा चुनाव में किशनगढ़ से सिनोदिया और चौधरी दोनों की दावेदार हैं। वीडियो को मेरे फेसबुक पेज www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

अजमेर डेयरी के नए प्लांट के लिए 200 करोड़ रुपए मोदी सरकार ने दिए हैं। सीधा फायदा पशुपालकों को।गहलोत सरकार तो पानी के टैंकरों तक का भुगतान नहीं कर रही है।सांसद भागीरथ चौधरी ने अपनी उपलब्धियां और गहलोत सरकार की नाकामियां गिनाईं।

केंद्र में मोदी सरकार के 9 वर्ष पूरे होने पर अजमेर के भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी ने 24 जून को स्वामी कॉम्प्लेक्स  में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस कॉन्फ्रेंस में सांसद चौधरी ने अपनी और मोदी सरकार की उपलब्धियां तो गिनाईं, साथ ही प्रदेश की गहलोत सरकार की नाकामियां भी बताई। चौधरी ने कहा कि जिले के पशुपालकों को सीधा लाभ पहुंचाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने सहकारिता के क्षेत्र में चलने वाली अजमेर डेयरी को 200 करोड़ रुपए दिए हैं। इसी राशि से डेयरी परिसर में नया प्लांट लगा है। चौधरी ने बताया कि इस राशि को स्वीकृत करवाने के लिए वे कई बार अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी को लेकर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर से मिले। आज अजमेर में डेयरी की दूध प्रोसेसिंग क्षमता प्रतिदिन 10 लाख लीटर की हो गई। अब किसी भी पशु पालक को अपने पशुओं के दूध को अन्यत्र बेचने की जरूरत नहीं है। नए प्लांट की वजह से ही डेयरी अब दूध का पाउडर, चीज, मक्खन, पनीर, घी, आइसक्रीम आदि उत्पाद बना रही है। इसका लाभ पशुपालकों को ही मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने वो सब कुछ किया है जिसका फायदा किसानों, पशुपालकों और गरीब वर्ग को मिला है। सांसद चौधरी ने कहा कि उन्हीं के प्रयासों से अजमेर में राज्य कर्मचारी बीमा निगम का सौ बेड का अस्पताल, सेमी हाईस्पीड ट्रेन वंदे भारत का संचालन, पीएम सड़क योजना में 143 करोड़ रुपए की सड़कें। पीएम सहायता कोष से सात व्यक्तियों को 80 लाख रुपए की मदद, उज्ज्वला योजना में दो लाख 22 हजार से अधिक गैस कनेक्शन, अजमेर से मेड़ता तक रेल लाइन बनाने की स्वीकृति, किशनगढ़ को सेरेमिक हब घोषित करवाने के महत्वपूर्ण कार्य हुए हैं। वहीं सांसद चौधरी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के आपसी विवाद के कारण अजमेर और राज्य का विकास नहीं हो सका है। सरकार ने जो सौ यूनिट मुफ्त बिजली देने की घोषणा की है, उसके मुकाबले में पहले ही फ्यूल चार्ज में वृद्धि कर दी गई है। गहलोत ने मुख्यमंत्री बनने पर घोषणा की थी कि पांच वर्ष तक बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी नहीं करेंगे, लेकिन इन पांच वर्षों में छह बार बिजली दरों को बढ़ाया गया है। किसानों को पर्याप्त बिजली भी नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं गर्मी के दिनों में अभावग्रस्त गांवों में टैंकरों से पेयजल की सप्लाई तो करवा दी, लेकिन टैंकर मालिकों को करोड़ों रुपए का भुगतान नहीं किया गया है। सांसद चौधरी ने बताया कि जिला कलेक्ट्रेट परिसर में सांसद कक्ष हमेशा लोगों की सेवा में लगा रहता है। जिले का कोई भी नागरिक सांसद कक्ष में आकर अपनी समस्या बता सकता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (25-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Saturday 24 June 2023

अजमेर के फोटो ब्लैकमेल कांड से देशभर की लड़कियां सबक लें। स्वामी अनादि सरस्वती की फोटो वाली टी शर्ट पहन कर डेढ़ सौ छात्राओं ने बदमाशों को ठिकाने लगाने का संकल्प लिया।मौसी के घर पुलिस के पहरे में रह रहे हैं भगवान जगन्नाथ।

24 जून को अजमेर के धोलाभाटा रोड स्थित मन्ना हवेली में छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने वाले एक सप्ताह से प्रशिक्षण शिविर का समापन हुआ। इस समारोह में फायर ब्रांड स्वामी अनादि सरस्वती के साथ मैं भी अतिथि के तौर पर उपस्थित रहा। छात्राओं ने तायक्वांडो, लट्ठबाजी और सेल्फ डिफेंस के जो करतब दिखाए उससे मुझे नहीं लगा कि प्रशिक्षित छात्राएं किसी भी बदमाश और बुरी नजर रखने वाले को ठिकाने लगा सकती है। छात्राएं शारीरिक दृष्टि से मजबूत होंगी ही साथ ही उनका बौद्धिक और शैक्षिक विकास अपने आप हो जाएगा। मैंने प्रशिक्षकों और प्रशिक्षित छात्राओं को प्रमाण पत्र भी दिए। इस अवसर पर स्वामी अनादि सरस्वती ने फायर अंदाज में छात्राओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि देशभर की लड़कियों खास कर स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को अजमेर के फोटो ब्लैकमेल कांड से सबक लेना चाहिए। समुदाय विशेष के लड़के पहले हिन्दू लड़कियों को अपने प्रेम जाल में फंसाते हैं और फिर अश्लील फोटो खींचकर ब्लैकमेल करते हैं। उन्होंने कहा कि समुदाय विशेष और हमारी सनातन संस्कृति का कोई मेल नहीं है। ऐसे में प्रेम की बात बेमानी है। हिन्दू लड़कियों का शोषण करने के लिए ही प्रेम का बहाना बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि एक लड़की पूरे परिवार की इज्जत होती है। इस बात को स्कूल कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को गंभीरता के साथ समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी भी लड़की को स्वयं को कमजोर नहीं समझना चाहिए। अनादि सरस्वती ने प्रशिक्षण शिविर की आयोजक संस्था ऑल इंडिया एंटी करप्शन एंड सोशल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के पदाधिकारियों का इस बात के लिए आभार जताया कि उन्होंने देश की छात्राओं को शारीरिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाया है। उन्होंने कहा कि यह प्रयास लगातार जारी रहने चाहिए। प्रशिक्षित छात्राओं ने स्वामी अनादि सरस्वती के फोटो वाली टी शर्ट पहनकर संकल्प लिया कि वे बुरी नजर रखने वाले लड़कों को सबक सिखाएंगी। समारोह में राष्ट्रीय बॉक्सिंग संघ के उपाध्यक्ष नरेंद्र कुमार निर्वाण, अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सिंग कोच विशाल निर्वाण, वरिष्ठ नागरिक महासंघ के राष्ट्रीय प्रतिनिधि केके गौड भी उपस्थित रहे। आयोजक संस्था के प्रदेश अध्यक्ष बीके चौहान, उपाध्यक्ष गणपत किशोर, कुंती परलानी, जगदीश प्रसाद, मनोज राजावत, देवीलाल सोनी, प्रहलाद यादव, रचना यादव आदि ने बताया कि संस्था का उद्देश्य समाज से भ्रष्टाचार मिटाना तो है ही साथ ही सामाजिक दायित्व को निभाना भी है। इसलिए छात्राओं के लिए आत्मनिर्भर प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। इस शिविर का नाम लाडो रानी लक्ष्मी बाई रखा गया ताकि छात्राएं रानी लक्ष्मी बाई की तरह  वीर बने। संस्था के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 8279238679 पर बीके चौहान और 8739898100 पर गणपत किशोर से ली जा सकती है।
 
पुलिस पहरे में भगवान:
इसे ईश्वर की कृपा ही कहा जाएगा कि 23 जून को मुझे अपने परिवार के साथ भगवान जगन्नाथ  की आरती का अवसर प्राप्त हुआ। सनातन संस्कृति की मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ इन दिनों अपनी मौसी के घर विश्राम कर रहे हैं। चूंकि अजमेर में भी इस धार्मिक मान्यता का पालन किया जाता है, इसलिए गंज स्थित जनकपुरी में भगवान की प्रतिमाओं को स्थापित किया गया है। गत बीस जून से जनक पुरी में धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं। 23 जून को भी पंडित हरीश चंद्र व्यास की कथा के बाद महाआरती हुई। 23 जून को सामाजिक कार्यकर्ता विष्णु चौधरी द्वारा तैयार करवाए गए प्रसाद का भोग लगाया गया। हालांकि भगवान जगन्नाथ के प्रति सभी की आस्था है, लेकिन फिर भी जनकपुरी में पुलिस का पहरा रखा गया है। कहा जा सकता है कि अजमेर में भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर पुलिस के पहरे में विश्राम कर रहे हैं। इस धार्मिक आयोजन से जुड़े  नरेंद्र डिडवानिया, संजय कंदोई, दिनेश परनामी,  प्रहलाद गर्ग, उमेश गर्ग आदि ने बताया कि 28 जून को भगवान जगन्नाथ नगर भ्रमण करते हुए पुन: जगदीश पुरी लौटेंगे। 25 जून को कथा के बाद दिल्ली के राजेश लोहिया और लुधियाना की तृप्ति लढ्ढा भजनों की प्रस्तुति देंगे, इसी प्रकार 26 जून को सायं सात बजे कोटा के अनुराग मित्तल और जयपुर की संजू शर्मा भजनों की प्रस्तुति देंगी। 27 जून को सुप्रसिद्ध भजन गायक विमल गर्ग के भजनों के साथ फाग उत्सव मनाया जाएगा। 28 जून को सायं साढ़े पांच बजे भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा जनक पुरी से रवाना होकर आगरा गेट, नया बाजार, मदार गेट, नला बाजार, दरगाह बाजार होते हुए पुन ऋषि घाटी स्थित जगदीश मंदिर पहुंचेगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

तो अब बीसलपुर के पानी से जयपुर का रामगढ़ बांध भरा जाएगा।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस घोषणा का अजमेर जिले के जनप्रतिनिधियों को कुछ तो शर्म आनी चाहिए। अजमेर के 315 के मुकाबले 950 एमएलडी पानी रोजाना जयपुर को।आना सागर के पानी से 100 किलोमीटर तक सब्जियों की फसल नष्ट। अजमेर में अनुभवहीन और न समझ अधिकारियों एवं इंजीनियरों की भरमार।

23 जून को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर के निकट जमवारामगढ़ में आयोजित महंगाई राहत शिविर का जायजा लिया। इसी अवसर पर एक सभा को संबोधित करते हुए सीएम गहलोत ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त मुख्य सचिव सुबोध अग्रवाल से बीसलपुर बांध का पानी जयपुर के सूखे पड़े रामगढ़ बांध में लाने के लिए सर्वे करने को कहा है। यानी सरकार अब बीसलपुर बांध का पानी रामगढ़ बांध में ले जाना चाहते हैं।  सीएम गहलोत की इस घोषणा पर अजमेर जिले के जनप्रतिनिधियों को कुछ तो शर्म आनी चाहिए। मौजूदा समय में भी बीसलपुर के पानी पर अजमेर के साथ भेदभाव किया जा रहा है। जबकि बीसलपुर बांध का निर्माण अजमेर की प्यास बुझाने के लिए ही किया गया था। लेकिन आज बांध से प्रतिदिन जयपुर को 950 एमएलडी पानी दिया जा रहा है, जबकि अजमेर को मात्र 350 एमएलडी पानी दिया जाता है। अजमेर में तीन और चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। जबकि बीसलपुर बांध के पानी से जयपुर में रोजाना सप्लाई होती है। इतने भेदभाव के बाद भी अजमेर के जनप्रतिनिधि शांत बैठे हैं। अब जब बांध का पानी जयपुर के बांध में डालने का सर्वे हो रहा है तब अजमेर के जनप्रतिनिधियों के खून में कुछ तो गर्मी होनी चाहिए। शासन भाजपा का हो या कांग्रेस का दोनों ही शासन में अजमेर के जनप्रतिनिधि जयपुर के मुकाबले में कमजोर साबित हुए हैं। भाजपा के जनप्रतिनिधि अपनी सरकार में मुख्यमंत्री के सामने बीसलपुर के मुद्दे पर जुबान खोलने की हिम्मत नहीं रखते थे तो अब कांग्रेस के शासन में कांग्रेस के जनप्रतिनिधि शांत हैं। केकड़ी के विधायक रघु शर्मा ताकतवर माने जाते हैं, लेकिन इन दिनों वे अपने निर्वाचन क्षेत्र केकड़ी में ही सिमट कर रह गए हैं। चूंकि रघु शर्मा को आगामी चुनाव में हार का डर सता रहा है, इसलिए इन दिनों मतदाताओं से लगातार संपर्क बना रहे है। यह बात अलग है कि जब वे चिकित्सा मंत्री थे, तब उन्होंने केकड़ी के लोगों का अपमान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मसूदा के कांग्रेसी विधायक राकेश पारीक सचिन पायलट गुट में हैं, इसलिए सरकार में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही। सब जानते हैं कि जयपुर का रामगढ़ बांध इसलिए सूखा है, क्योंकि बांध में पानी के आवक वाले रास्तों पर अतिक्रमण हो गए हैं। हाईकोर्ट के आदेशों के बाद भी अतिक्रमणों को नहीं हटाया जा सका है। सीएम गहलोत चाहते हैं कि अब रामगढ़ बांध को बीसलपुर बांध के पानी से भर दिया जाए। मौजूदा समय में पाइप लाइन के जरिए बीसलपुर से जयपुर को पानी की सप्लाई होती है। यदि पाइप लाइन से ही रामगढ़ बांध को भरने का निर्णय लिया जाता है तो यह अजमेर के  साथ अन्याय होगा। अच्छा हो कि अजमेर जिले के जनप्रतिनिधि इस अन्याय को रोकने के लिए आवाज बुलंद करें। यदि जनप्रतिनिधियों ने विरोध नहीं किया तो अजमेर की जनता ऐसे जनप्रतिनिधियां को काफ नहीं करेगी।
 
अनुभव और न समझ अधिकारी:
बहुत कम लोग जानते होंगे कि अजमेर के आना सागर से निकला पानी गुजरात के रण ऑफ कच्छ तक जाता है। गुजरात के कच्छ से आए बिपरजॉय तूफान की वजह से ही आनासागर लबालब हो गया है। आनासागर के भराव क्षेत्र में बनी कॉलोनियों के मकान डूबे पड़े हैं। लोगों को बचाने के लिए आनासागर से पानी की निकासी तेज गति से हो रही है। अजमेर में नियुक्त अनुभवहीन और न समझ अधिकारियों-इंजीनियरों ने पहले तो बिपरजॉय तूफान की बरसात का आकलन नहीं किया और जब आवासीय कॉलोनियों में पानी भर कर तो आनासागर के पानी की निकासी तेज रफ्तार से की जा रही है। अभी भी आनासागर के 13 फिट के जल स्तर तक आने में एक सप्ताह का समय लग जाएगा। यानी एक सप्ताह तक पानी की निकासी होती रहेगी। पिछले पांच छह दिनों में जो निकासी हुई है, उससे आनासागर का पानी 75 किलोमीटर दूर गोविंदगढ़ तक पहुंच गया है। क्षेत्र में आने वाले खान पुरा, दौराई, तबीजी, सराधना डुमाडा, भांवता, नूरियावास, बुधवाड़ा, पीसांगन आदि के क्षेत्रों में मिर्ची, भिंडी, गोभी, लौकी, ककड़ी, धनिया, आदि की फसलें नष्ट हो गई है। यही वजह है कि अजमेर में सब्जियां महंगी हो गई है। न समझ अधिकारियों और इंजीनियरों ने पहले जहां तूफान की बरसात का आकलन नहीं किया वहीं अब आनासागर  के पानी से होने वाले नुकसान को ध्यान में नहीं रखा। यदि अधिकारी और इंजीनियर थोड़े अक्लमंद होते तो तूफान की बरसात से पहले आनासागर को खाली कर देते। लेकिन प्रशासनिक अधिकारी तो तूफान का अलर्ट जारी करने में ही रह गए। अधिकारियों की न समझी की वजह से ही हजारों गरीब किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। इस पानी की वजह से गांव ढाणी के बीच संपर्क भी कट गया है। जैसे जैसे आनासागर का पानी बढ़ेगा वैसे वैसे तबाही होती जाएगी। जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर रहे अनिल जैन ने कहा कि आनासागर का पानी अजमेर जिले से निकल कर नागौर, पाली जोधपुर होते हुए लूणी नदी के माध्यम से गुजरात के कच्छ तक पहुंचता है। लूणी नदी रेगिस्तान की सबसे महत्वपूर्ण और लंबी नदी है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

चलो! विपक्षी दलों की बैठक में राहुल गांधी की शादी तो पक्की हुई।मोदी को पीएम पद से हटाने के लिए कांग्रेस बलि देने को तैयार।केजरीवाल के रुख के बाद विपक्षी एकता पर सवाल। अध्यादेश के विरोध पर अड़े।विपक्ष की एकता पर जसवंत दारा का कार्टून।

23 जून को पटना में हुई विपक्षी दलों की बैठक में एकता के परिणाम तो अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद ही आएंगे, लेकिन देशभर के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए यह खुशी की बात है कि राहुल गांधी ने अपनी शादी की घोषणा कर दी है। असल में बैठक में राजद के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने राहुल से कहा, अब आपको शादी कर लेनी चाहिए। आपकी मम्मी सोनिया गांधी को भी शिकायत है कि आप शादी नहीं कर रहे। इस पर राहुल गांधी ने गंभीरता के साथ कहा, आपने कहा है तो अब शादी भी हो जाएगी। राहुल की इस घोषणा का उपस्थित नेताओं ने तालियां बजाकर स्वागत किया। मालम हो कि गत 19 जून को ही राहुल ने अपना 54वां जन्मदिन मनाया है।
 
कांग्रेस बलि देने को तैयार:
विपक्षी दलों की बैठक में सबसे बड़े दल कांग्रेस के राहुल गांधी ने इस बात के संकेत दिए कि नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद से हटाने के लिए वे लोकसभा की सीटों पर समझौता कर सकते हैं। यानी लोकसभा की कई सीटें क्षेत्रीय दलों की दी जा सकती है। राहुल गांधी के इन संकेतों का सभी विपक्षी दलों ने स्वागत किया है, क्योंकि पहले ही पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब आदि राज्यों में कांग्रेस को हराकर ही क्षेत्रीय दल मजबूत हुए हैं। राहुल गांधी चाहते हैं कि अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का साझा उम्मीदवार खड़ा किया जाए। यदि विपक्ष के वोटों का बंटवारा नहीं होता है तो भाजपा को आसानी से हराया जा सकता है। चूंकि क्षेत्रीय दलों के उम्मीदवारों और कांग्रेस के उम्मीदवार के कारण विपक्ष के वोट बंट जाते हैं, इसलिए भाजपा की जीत हो जाती है। राहुल गांधी वोटों के इसी बंटवारे को कांग्रेस की बलि देकर रोकना चाहते हैं। राहुल गांधी का असली मकसद मोदी को पीएम पद से हटाना है। भले ही इसके लिए कांग्रेस की हार हो जाए।
 
एकता पर सवाल:
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवत मान ने बैठक के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करवाई। केजरीवाल चाहते थे कि बैठक में कांग्रेस केंद्र के उस अध्यादेश पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें, जिसमें दिल्ली सरकार के अधिकारों में कटौती की गई है। चूंकि इस अध्यादेश में के लिए अब संसद में प्रस्ताव लाया जाएगा। केजरीवाल चाहते हैं कि इस प्रस्ताव का कांग्रेस विरोध करने की घोषणा करें। केजरीवाल की इस बात से विपक्षी दलों के कई नेता असहमत नजर आए। फारुख अब्दुल्ला का कहना रहा कि जब संसद में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का प्रस्ताव रखा गया, तब केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने समर्थन किया। केजरीवाल अब यह उम्मीद कैसे कर रहे हैं कि उनकी सरकार पर लाए गए अध्यादेश का विपक्षी दल विरोध करें। सवाल उठता है कि केजरीवाल के रुख के बाद क्या विपक्षी दलों में एकता हो चुकी है? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कांग्रेस और वामपंथियों के साथ मतभेद जगजाहिर है। विपक्षी दलों की अलग अलग विचारधाराओं की वजह से भी एकता होना संभव नजर नहीं आता। यदि किन्हीं मुद्दों पर सहमति होती है जो सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होगा।
 
दारा का कार्टून:
विपक्षी एकता पर  कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने एक प्रतीक कार्टून बनाया है। दारा के इस कार्टून को मेरे फेसबुक पर www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

Friday 23 June 2023

मुफ्त की योजनाओं का लाभ घर घर पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 270 करोड़ रुपए और खर्च करेंगे।राजस्थान में चुनाव से ठीक पहले 50 हजार युवा महात्मा सेवा प्रेरकों की भर्ती का मामला।ऐसे सेवा प्रेरकों से शराब का सेवन न करने वाला शपथ पत्र भी लिया जाए।मुफ्त की योजनाओं पर जसवंत दारा का कार्टून।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर कीमत पर अगला विधानसभा चुनाव जीतना चाहते हैं। इसीलिए 19 हजार करोड़  की मुफ्त मोबाइल, प्रतिमाह 309 करोड़ की रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी, 3 हजार करोड़ की मुफ्त फूड पैकेट, 222 करोड़ के टेबलेट, घरेलू उपभोक्ताओं को 100 और कृषि उपभोक्ताओं को 2 हजार यूनिट बिजली फ्री जैसी अनेक घोषणाएं की है। इन घोषणाओं का लाभ देने के लिए महंगाई राहत शिविर भी लगाए गए हैं। करोड़ों लोगों ने शिविरों में पहुंच कर रजिस्ट्रेशन भी करवाया है। खुद सीएम गहलोत ने जिला स्तर पर जाकर शिविरों का जायजा लिया है। हजारों करोड़ रुपए बांटने के बाद भी सीएम गहलोत को लगता है कि जीत पक्की नहीं हुई है, इसलिए अब प्रदेश भर में पचास हजार युवाओं को महात्मा गांधी सेवा प्रेरक के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। इन प्रेरकों को प्रतिमाह साढ़े चार हजार रुपए मानदेय दिया जाएगा। यह भर्ती एक वर्ष के लिए है, इसलिए 270 करोड़ रुपए खर्च होंगे। चयन होने वाले प्रेरक घर घर जाकर महात्मा गांधी के शांति अहिंसा के संदेश के साथ साथ राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी देंगे। सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन यह योजना चुनाव से ठीक पहले युवाओं को प्रतिमाह चार हजार पांच सौ रुपए बांटने की है। पचास हजार युवाओं पर कितना असर होगा, यह चुनाव के परिणाम ही बताएंगे। अलबत्ता 21 से 50 वर्ष की उम्र वाले 12वीं पास युवा आवेदन कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में उपखंड अधिकारी और शहरी क्षेत्र में भर्ती का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। ऐसी नियुक्तियां ग्राम पंचायत और शहरी क्षेत्र में वार्ड स्तर पर होगी। यानी मुफ्त की योजनाओं के लिए भी 270 करोड़ मुफ्त में बांटे जा रहे हैँ। सीएम गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि वे जादू से पैसा लाएंगे। युवा प्रेरकों की भर्ती की घोषणा से कांग्रेस के कार्यकर्ता बेहद खुश है। क्योंकि उन्हें ही सेवा का अवसर मिलेगा।
 
शपथ पत्र:
सेवा प्रेरकों के पद पर साथ महात्मा गांधी का नाम जुड़ा हुआ है, इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि उन्हीं युवाओं की भर्ती करे जो शराब न पीते हों। आवेदन के साथ ही शराब न पीने का शपथ पत्र लिया जाए। यदि शराब पीने वाले युवा को सेवा प्रेरक बनाया गया तो वह महात्मा गांधी का संदेश घर घर तक कैसे पहुंचाएगा? सीएम गहलोत स्वयं को गांधीवादी मानते हैं। उन्हें भी पता है कि महात्मा गांधी अपने जीवन काल में शराब के कितना खिलाफ थे। महात्मा गांधी का कहना था कि शराब की कमाई से मुझे स्कूल चलानी पड़े तो मैं स्कूल को बंद करना पसंद करुंगा। स्वाभाविक है कि शराब का सेवन करने वाला युवा महात्मा गांधी के संदेश का प्रेरक नहीं हो सकता। यदि सीएम गहलोत शराब पीने का शपथ पत्र नहीं ले सकते हैं तो सेवा प्रेरकों के नाम से पहले महात्मा गांधी शब्द हटाना चाहिए।
 
दारा का कार्टून:
राजस्थान में सीएम गहलोत द्वारा मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं पर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने एक सटीक कार्टून बनाया है। इस कार्टून को मेरे फेसबुक पेजwww.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। कार्टूनिस्ट दारा का नजरिया है कि आने वाले दिनों में राज्य सरकार की ओर से परीक्षाओं के प्रश्न पत्र भी परीक्षा से पूर्व नि:शुल्क दिए जा सकते हैं। इस कार्टून के लिए मोबाइल नंबर 9828054045 पर जसवंत दारा की हौसला अफजाई की जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511

माता चंद्रकांता की इच्छा पूरी करने के लिए पुत्र अमित करवा रहे हैं 75 हजार श्रद्धालुओं के लिए शिवपुराण।पुष्कर के जिस मेला मैदान पर मुरारी बापू की रामकथा हुई, उसी पर पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवपुराण होगी। होटल और धर्मशालाएं फुल। कथा का लाइव प्रसारण आस्था चैनल पर।भंवर सिंह पलाड़ा के जन्मदिन पर 24 जून को वाहन रैली।

तीर्थ गुरु पुष्कर के जिस मेला मैदान पर संत मुरारी बापू की रामकथा हुई थी, उसी मेला मैदान पर 5 से 11 जुलाई के बीच सुप्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा शिवपुराण का वाचन करेंगे। यह कथा रोजाना दोपहर एक से सायं पांच बजे तक होगी। मेल मैदान पर 75 हजार श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था की गई है। बरसात के मौसम को देखते हुए वाटर प्रूफ पंडाल बनाया गया है। यह कथा अजमेर के युवा कारोबारी अमित खंडेलवाल की ओर से करवाई जा रही है। अमित का कहना है कि उनकी माता जी चंद्रकांता खंडेलवाल पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा को आस्था चैनल पर सुनती है। माताजी की इच्छा थी कि वे भी पंडित मिश्रा की कथा करवाए। माताजी की इस इच्छा को पूरा करने के लिए ही पुष्कर में शिवपुराण का वाचन करवाया जा रहा है। उन्हें इस बात की खुशी है कि वे पंडित प्रदीप मिश्रा की कथा करवाने के लिए आर्थिक दृष्टि से समर्थ है। अमित का मानना है कि उन पर माताजी की ही कृपा है। अमित की इन धार्मिक भावनाओं से पिता कैलाश चंद खंडेलवाल भी गौरवान्वित हैं। कथा के आयोजन में प्रमुख भूमिका निभा रहे सामाजिक कार्यकर्ता उमेश गर्ग ने बताया कि शिवपुराण के वाचन के दौरान पंडित मिश्रा लोगों की समस्याओं का समाधान भी बताते हैं, इसलिए उनकी हर कथा में श्रद्धालुओं की जबरदस्त भीड़ होती है। पंडित मिश्रा का मानना है कि दुनिया की ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान शिवपुराण में न हो। यहां तक कि शिवपुराण सुनने मात्र से बीमारियां भी दूर हो जाती है। इसे सनातन संस्कृति का महत्व ही कहा जाएगा कि शिवपुराण जैसे ग्रंथ हैं। पंडित मिश्रा जिस स्थान पर कथा करते हैं उस स्थान पर बाहर से दस हजार अनुयायी आते हैं, ऐसे अनुयायी पंडित मिश्रा की हर कथा में उपस्थित रहते हैं। चूंकि पांच जुलाई से शुरू होने वाली इस कथा में भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु बाहर से आएंगे, इसलिए पुष्कर के अधिकांश होटल और धर्मशालाएं फुल हो गई है। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आयोजक परिवार की ओर से भोजन की व्यवस्था भी की गई है। गर्ग ने बताया कि 25 जून को प्रात: साढ़े नौ बजे कथा स्थल मेला मैदान पर भूमि पूजन किया जाएगा। शिवपुराण कथा का रोजाना आस्था चैनल पर लाइव प्रसारण होगा। कथा के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829793705 पर उमेश गर्ग से ली जा सकती है।
 
जन्मदिन पर वाहन रैली:
अजमेर की जिला प्रमुख श्रीमती सुशील कंवर पलाड़ा के पति समाजसेवी भंवर सिंह पलाड़ा के जन्मदिन पर 24 जून को एक विशाल वाहन रैली निकाली जाएगी। यह वाहन रैली माखुपुरा चौराहे से रवाना होकर आदर्श नगर, नगरा, मार्टिंडल ब्रिज, रेलवे स्टेशन गांधी भवन, आगरा गेट महावीर सर्किल, बजरंगगढ़ चौराहा, वैशाली नगर स्टीफन चौराहा, झलकारी बाई स्मारक, पंचशील रोड होते हुए लोहा गल जनाना अस्पताल के निकट बने पलाड़ा फार्म हाउस पर पहुंचेगी। इस रैली में जिले भर के लोग शामिल होंगे। इससे पहले पलाड़ा दंपत्ति अपने परिवार के सदस्यों के साथ विभिन्न धार्मिक आयोजन में शामिल होंगे। प्रात: 11 बजे से पलाड़ा दंपत्ति जनाना अस्पताल के निकट बने अपने फार्म हाउस पर ही लोगों से मुलाकात करेंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-06-2023)
Website- www.spmittal.in
To Add in WhatsApp Group- 9929383123
To Contact- 9829071511