Saturday 22 April 2023

इतनी दुर्दशा के बाद भी गजब का आत्मविश्वास देखा रहे है राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।

राजस्थान में मंत्रालयिक राजस्व पंचायती राज आदि विभागों के कर्मचारी विभिन्न मांगों को लेकर बेमियादी हड़ताल पर है, इससे प्रदेश भर में सरकार कामकाज ठप पड़ा हुआ है। कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, अशोक चांदना के साथ साथ कई विधायक अशोक गहलोत के नेतृत्व को खुली चुनौती दे रहे हैं। प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी में राजनीतिक संकट लगातार बरकरार है। इतना ही नहीं जयपुर में रामप्रसाद मीणा के शव का अंतिम संस्कार पिछले छह दिनों से नहीं हुआ है। मीणा ने आत्महत्या करने से पहले जो सुसाइड नोट लिखा उसमें प्रताडि़त करने वालों में जलदाय मंत्री महेश शर्मा का भी नाम शामिल है। शव को रखकर धरना प्रदर्शन की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। प्रदेश में कानून व्यवस्था का भी बुरा हाल है। लेकिन इसके बावजूद भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जबरदस्त आत्मविश्वास दिखा रहे हैं। गहलोत का कहना है कि उन्होंने एक सर्वे करवाया है, जिसमें उनकी सरकार  रिपीट हो रही है। प्रदेश में सात माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। गहलोत का मानना है कि उन्होंने जो कल्याणकारी योजनाएं घोषित की है, उसकी वजह से कांग्रेस की सरकार रिपीट हो जाएगी। गहलोत अब इस परंपरा से सहमत नहीं है कि एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार बने। सरकार रिपीट की लालसा में गहलोत अपने मिजाज के विपरीत सहनशीलता भी दिखा रहे हैं। विगत दिनों कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने जब प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट के भ्रष्टाचार विरोधी अनशन का समर्थन किया तो अगले ही दिन सीएम गहलोत खाचरियावास को अपने साथ पुलिस अकादमी के समारोह में ले गए। खाचरियावास पायलट के खेमे में न जाए इसके लिए गहलोत ने खाचरियावास को पटाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। खेल मंत्री अशोक चांदना ने जब एसएमएस स्टेडियम में आईपीएल मैच की तैयारियां पर सख्ती दिखाई तो गहलोत ने चांदना को बुलाया और सरकारी हेलीकॉप्टर में सफर करवाया। गहलोत चांदना को अपने साथ जयपुर से अजमेर लाए और बेरोजगारों को रोजगार देने वाले समारोह में उपस्थिति दर्ज करवाई। मुख्यमंत्री के साथ बैठने के बाद चांदना ने कहा कि थोड़ा बहुत विवाद हो जाता है, लेकिन अब में मुख्यमंत्री के साथ संतुष्ट हंू। यहां यह उल्लेखनीय है कि आईपीएल मैच की तैयारियों का विरोध इसलिए मायने रखता है कि राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष के पद पर सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत   बैठे हैं। असल में सीएम गहलोत यह दिखाना चाहते हैं कि राजस्थान में सत्ता और संगठन पर उनका पूर्ण नियंत्रण है। गहलोत ही अब कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन में भी जुट गए हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस विधायकों के कामकाज पर नजर रखी जा रही है। इसी प्रकार जिन क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक नहीं है वहां भी उम्मीदवारों की तलाश शुरू कर दी गई है। 

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पुष्कर के कानस में दलितों की दस करोड़ रुपए की भूमि पर दबंगों की जंग।पुलिस की बल्ले बल्ले।

अजमेर शहर के निकट पुष्कर घाटी स्थित स्काउट गाइड के कार्यालय से जुड़ी दलितों की 16 बीघा भूमि पर अब दबंगों की जंग हो रही है। यह भूमि पुष्कर के कानस गांव में आती है। मूलत: इस भूमि के मालिक भांबी जाति के लाडू और उनके परिवार के सदस्य हैं। क्योंकि बड़ा परिवार है इसलिए कुछ सदस्यों ने अपने अपने नजरियों से दबंगों के पहचान वालों को भूमि का बेचान कर दिया है। अब लाडू भांबी ने ही पुलिस में मुकदमा दर्ज कराया है कि दबंग लोग उसके परिवार की 16 बीघा भूमि पर कब्जा कर रहे हैं। चूंकि भूमि के पीछे दबंग और धनाढ्य खासकर रिसोर्ट मालिक खड़े हैं इसलिए पुलिस की बल्ले बल्ले हो गई है। भले ही सरकारी रिकॉर्ड में ब्यावर के जटिया कॉलोनी निवासी सुरेश कुमार पुरानी चुंगी चौकी देवेंद्र कुमार तंवर, देलवाड़ा गांव के ललित कुमार भाट आदि के नाम दर्ज हो गए हैं, लेकिन इसके पीछे भी दबंग सक्रिय हैं। आरोप है कि देवेंद्र कुमार तंवर ने भी दबंगों के इशारे पर जमीनों को अन्य को बेचान कर दिया। चूंकि इस मार्ग पर रिसोर्ट और होटल बने हुए हैं, इसलिए इस 16 बीघा भूमि की कीमत 10 करोड़ रुपए से भी ज्यादा आंकी जा रही है। नियमों के मुताबिक अनुसूचित जाति वर्ग की भूमि को सामान्य वर्ग के व्यक्ति को नहीं बेचा जा सकता है। इसलिए फिलहाल दबंगों ने अपने किसी कर्मचारी अथवा मिलने वाले एससी वर्ग के व्यक्ति के नाम जमीन खरीद ली है। नियमों के मुताबिक जब कृषि भूमि होटल के लिए परिवर्तित हो जाती है तो फिर भूमि को सामान्य वर्ग का व्यक्ति भी खरीद सकता है। दबंगों ने एससी वर्ग की भूमि कम कीमत पर खरीदी है और अब भूमि की किस्म बदलने के लिए सरकार को प्रार्थना पत्र भी दे दिया है। भूमि की किस्म बदलती इससे पहले ही मूल बेचानकर्ताओं में आपसी झगड़ा हो गया, जिसकी वजह से दबंगों के मालिकाना हक पर भी संकट हो गया है। यदि पुलिस ईमानदारी से पड़ताल करे तो इस दस करोड़ की भूमि के पीछे दबंगों के कई चेहरे नजर आएंगे। अजमेर नगर निगम के वार्ड 3 की पार्षद श्रीमती प्रतिभा पाराशर के पति और समाजसेवी अरविंद पाराशर का कहना है कि उन्हें इस मामले में बेवजह घसीटा जा रहा है। लाडू भांबी ने जो एफआईआर दर्ज कराई है, उसमें उनका और उनकी पत्नी का नाम राजनीतिक कारणों से लिखवाया गया है। उनका तो सिर्फ इतना ही कसूर है कि देवेंद्र कुमार तंवर ने जब इस जमीन को बेचा था तब उन्होंने दस्तावेजों पर गवाह के तौर पर हस्ताक्षर किए थे। पाराशर ने माना कि पारिवारिक विवाद के कारण इस भूमि को कई बार बेच दिया गया है। इससे यह भूमि फिलहाल विवादित हो गई है। वहीं इस भूमि के पीछे एक दबंग रिसोर्ट मालिक की भूमिका भी सामने आई है। यह रिसोर्ट मालिक भी फिलहाल पुलिस के पचड़ों में उलझ गया है। चूंकि यह मामला अब पुलिस के पास पहुंच गया है, इसलिए कई चेहरों के सामने आने की उम्मीद है। यहां यह खासतौर से उल्लेखनीय है कि पुष्कर घाटी से बूढ़ा पुष्कर तक के इस मार्ग पर कई रिसोर्ट और होटल बने हुए हैं। होटल और रिसोर्ट की अनुमति कैसे मिली यह भी जांच का विषय है। मुश्किल से दस फीट चौड़ी सड़क पर बड़े बड़े रिसोर्ट कैसे बन गए? किसी भी रिसोर्ट में पार्किंग की सुविधा नहीं है। यही वजह है कि जब शादी समारोह होता है तो बूढ़ा पुष्कर जाने वाला यह मार्ग जाम हो जाता है। मार्ग भी कच्चा है, जिस पर वाहनों को चलाने में भी परेशानी होती है। जानकारों की माने तो रिसोर्ट मालिकों ने चांदी के जूते के दम पर सभी विभागों से अनुमति प्राप्त कर रखी है। यदि रिसोर्ट निर्माणों और अनुमतियों की ईमानदारी से जांच हो तो संबंधित विभाग के अधिकारियों को जेल जाना पड़ेगा। पुष्कर पुलिस को इस 16 बीघा भूमि के मामले को सतर्कता के साथ देखना चाहिए। क्योंकि भूमि का यह विवाद कभी भी खूनी संघर्ष का रूप ले सकता है। अभी भी कई दबंग मौके पर जाकर अपनी ताकत का प्रदर्शन कर रहे हैं। जो लोग अनुसूचित जाति वर्ग की इस भूमि की किस्म को बदलना चाहते हैं उस पर भी सरकारी विभागों को सावधानी पूर्वक काम करना चाहिए।
 
पार्षद वालिया का निलंबन:
अजमेर नगर निगम के भाजपा पार्षद वीरेंद्र वालिया का स्वायत्त शासन विभाग ने हाल ही में पार्षद से निलंबन किया है। वालिया पर भी सरकारी जमीनों को खुर्द बुर्द करने और अपने वार्ड में अवैध निर्माण करवाने के गंभीर आरोप लगे हैं। एसीबी ने भी वालिया को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा था। हालांकि वालिया को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है, लेकिन स्वायत्त शासन विभाग ने आरोपों की गंभीरता को देखते पार्षद पद से निलंबित कर दिया है। 

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Wednesday 19 April 2023

काश! बाबूलाल कटारा की सरकार चलाने में भूमिका होती।रीट घोटाले के आरोपी अभी भी बचे हुए हैं, क्योंकि उन्हीं की वजह से गहलोत सरकार टिकी है।राजनीतिक दखल से दूर हो राजस्थान लोक सेवा आयोग।

सैकंड ग्रेड भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के मामले में एसओजी ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार कर लिया है। आयोग के लिए इससे बड़ी शर्म की बात नहीं हो सकती कि आयोग के जिस सदस्य के पास परीक्षा निष्पक्ष करवाने की जिम्मेदारी थी उसी सदस्य ने प्रश्न पत्र माफियाओं को बेच दिए। एसओजी और एसओजी के मुखिया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी पीठ थपथपा सकते हैं कि आयोग के सदस्य को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। सवाल उठता है कि ऐसी कार्यवाही गत वर्ष राज्य स्तरीय शिक्षक भर्ती परीक्षा रीट के पेपर आउट होने के बाद क्यों नहीं की गई। सरकार ने जांच एजेंसियों की रिपोर्ट पर रीट परीक्षा आयोजित करवाने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ डीपी जारोली को बर्खास्त किया,लेकिन उन्हीं जारोली को जांच में क्लीन चिट दे दी। स्वयं की पीठ थपथपाने वाले बताएं कि जांच एजेंसियों ने जारोली को क्लीन चिट क्यों दी? जबकि बर्खास्तगी के बाद जारोली ने मीडिया में बयान दिया कि रीट पेपर आउट करने वालों को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। सब जानते हैं कि एसओजी के जांच में राजीव गांधी स्टडी सर्किल से जुड़े पदाधिकारियों के नाम भी सामने आए। राजस्थान में इस संस्था की कमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे विश्वस्त राज्य मंत्री सुभाष गर्ग के हाथ में है। रीट परीक्षा भले ही शिक्षा बोर्ड ले रहा था, लेकिन परीक्षा पर सारा नियंत्रण सुभाष गर्ग का था। परीक्षा के अनुबंध के कार्य उन्हीं फर्मों को दिए गए जिन पर सुभाष गर्ग ने मुहर लगाई। कंप्यूटर फर्म हो या प्रिंटिंग प्रेस। इतना ही नहीं जयपुर में सरकारी ट्रेजरी में प्रश्न पत्र रखने की जगह शिक्षा संकुल के दफ्तर में रखे थे और इसी शिक्षा संकुल से रीट का प्रश्नपत्र चुराया गया। इतने सबूत होने के बाद भी एसओजी को जिन प्रभावशाली व्यक्तियों से पूछताछ की जानी थी उनसे कोई पूछताछ नहीं हुई, क्योंकि प्रभावशाली व्यक्तियों की अशोक गहलोत की सरकार को टिकाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका है। अगस्त 2019 में जब सियासी संकट हुआ तब सुभाष गर्ग जैसे मंत्रियों ने सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा की गिरफ्तारी दुर्भाग्य है, क्योंकि उन प्रभावशाली व्यक्तियों को संरक्षण नहीं मिला जिनके दम पर सरकार चल रही है। यदि आदिवासी क्षेत्र के कटारा को भी संरक्षण मिला होता तो आज उनकी गिरफ्तारी नहीं होती। जांच एजेंसियों को भी पता है कि कटारा की गिरफ्तारी से सरकार पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा गहलोत के नेतृत्व में सरकार चलती रहेगी।
 
राजनीतिक दखल हो बंद:
असल में आयोग में जबरदस्त राजनीतिक दखल है। आयोग के सदस्य की नियुक्ति राजनीतिक नजरिए से की जाती है। जब भाजपा की सरकार होती है तो भाजपा की विचारधारा वाले व्यक्तियों को ही आयोग का सदस्य बनाया जाता है। अशोक गहलोत ने तो मुख्यमंत्री रहते हुए राजनीतिक विचारधारा के रिकॉर्ड तोड़ दिए। गहलोत ने कांग्रेस ही नहीं स्वयं के समर्थकों को ही नियुक्त किया। कटारा की नियुक्ति भी 15 नवंबर 2020 को गहलोत ने अपने ही नजरिए से की। कटारा के साथ ही कवि कुमार विश्वास की पत्नी श्रीमती मंजू शर्मा और तत्कालीन मुख्य सचिव निरंजन आर्य की पत्नी श्रीमती संगीता आर्य और एक पुस्तक के लेखक जसवंत राठी की नियुक्ति की। गहलोत ही बता सकते हैं कि नियुक्त होने वाले सदस्यों में क्या योग्यता देखी गई? इतना जरूर है कि पत्नी मंजू शर्मा की नियुक्ति के बाद अब कुमार विश्वास ने मंचों से राहुल गांधी और कांग्रेस की आलोचना नहीं करते हैं। अब तो कांग्रेस के लोग कुमार विश्वास को अपने कवि सम्मेलनों में भी बुलाते हैं। सब जानते हैं कि निरंजन आर्य ने मुख्य सचिव के पद पर रहते हुए गहलोत सरकार के समर्थन में क्या-क्या किया। हाल ही में आईपीएस अधिकारी संजय श्रोत्रीय को आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। श्रोत्रीय की नियुक्ति में भी गहलोत की व्यक्तिगत रूचि रही। मौजूदा सदस्यों से आयोग के कामकाज का अंदाजा लगाया जा सकता है, जो आयोग आरएएस, आरपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर लेक्चरर आदि जैसे पदों पर भर्तियां करता है, उस आयोग में अशोक गहलोत ने कैसे-कैसे सदस्यों की नियुक्ति की है। यदि सदस्यों का स्तर ऐसा ही होगा तो फिर कटारा जैसे सदस्य प्रश्नों को बेचने का काम ही करेंगे। 

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राजनीति का मुकाम हासिल करने के बाद भी राजेंद्र राठौड़ के जन्मदिन पर 20 अप्रैल को प्रदेशभर में लगेंगे रक्तदान शिविर।गत वर्ष 45 हजार यूनिट रक्त एकत्रित हुआ था।समर्थक अजमेर में भी महेंद्र सिंह रलावता का जन्मदिन उत्साह से मना रहे हैं।

राजस्थान में भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़ का जन्मदिन 21 अप्रैल को है, लेकिन उनके समर्थक प्रतिवर्ष जन्मदिन से एक दिन पहले प्रदेश भर में रक्तदान शिविर लगाते हैं। इस बार यह शिविर 20 अप्रैल को प्रदेश भर में लग रहे हैं। गत वर्ष जब राठौड़ विधायक दल के उप नेता थे तब शिविर में 45 हजार यूनिट रक्त एकत्रित हुआ था, अब तो राठौड़ को विधानसभा में भी प्रतिपक्ष के नेता का पद मिल गया है। इसलिए पिछला रिकॉर्ड टूट ही जाएगा। किसी भी प्रदेश में राजनीति के क्षेत्र में दो प्रमुख पद होते हैं। सबसे पहले विधायक दल का नेता और दूसरे नंबर पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष का पद होता है। यदि दल के पास पूर्ण बहुमत हो तो विधायक दल का नेता ही मुख्यमंत्री बनता है। मौजूदा समय में 200 में से भाजपा के 71 विधायक हैं इसमें भाजपा विधायक दल के नेता के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है, लेकिन इसे समर्थकों का उत्साह ही कहा जाएगा कि प्रदेश की राजनीति में मुकाम हासिल करने के बाद भी रक्तदान शिविर लगाए जा रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि विपक्ष में रहते हुए राठौड़ ने गत साढ़े चार सालों में सरकार की जनविरोधी नीतियों का विरोध तो किया ही, साथ ही अपने मिलनसार व्यवहार की वजह से प्रदेश भर में लोकप्रियता भी हासिल की। यह भी सही है कि राठौड़ अपने कार्यकर्ताओं के साथ हमेशा खड़े नजर आते हैं। राठौड़ की राजनीतिक का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस विधायक के त्यागपत्र प्रकरण में हाईकोर्ट में स्वयं पैरवी कर रहे है। राठौड़ की जनहित याचिका पर हाईकोर्ट के किसी निर्णय से पहले विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा पर फैसला लेना पड़ा। राठौड़ विधानसभा में जो मुद्दे उठाते हैं, उससे सरकार को कई बार परेशानी का सामना करना पड़ा है। राठौड़ हमेशा की तरह इस बार भी 21 अप्रैल को अपना जन्मदिन अपने निर्वाचन क्षेत्र चूरू में मनाएंगे। प्रदेश भर के कार्यकर्ता भी 21 अप्रैल को चूरू पहुंचकर राठौड़ को शुभकामनाएं देंगे।
 
रलावता के समर्थक भी उत्साह में:
अजमेर की वरिष्ठ कांग्रेसी नेता महेंद्र सिंह रलावता का जन्मदिन भी 20 अप्रैल को उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। रलावता का इस बार जन्मदिन समारोह इसलिए भी महत्वपूर्ण है, इसी वर्ष नवंबर में विधानसभा का चुनाव होना है। गत वर्ष रलावता ने अजमेर उत्तर से कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था। रलावता को भले ही चुनाव में सफलता न मिली हो, लेकिन पराजित होने के बाद भी रलावता ने साढ़े चार सालों में उत्तर क्षेत्र के लोगों से संवाद बनाए रखा। कांग्रेस सरकार में यह परंपरा है कि पराजित उम्मीदवार को ही विधायक माना जाता है। इस परंपरा का रलावता ने पूरा फायदा उठाया। सभी सरकारी समारोह में आगे होकर जनता से संवाद बनाए रखा। वह किसी सरकारी स्कूल का वार्षिक समारोह हो या पीडब्ल्यूडी द्वारा निर्मित सड़क का उद्घाटन। रलावता ने ऐसे हर समारोह में उपस्थिति दर्ज करवाई। जयपुर रोड के मदन निवास स्थित कार्यालय में बैठकर जन समस्याओं का समाधान भी किया। जिन मतदाताओं ने गत चुनाव में वोट नहीं दिए उनके परिवार के सदस्यों के तबादले आवेदन पर भी रलावता ने सिफारिश की। आज भाजपा विचारधारा के ऐसे कई परिवार मिल जाएंगे जिनके सदस्यों का स्थानांतरण रलावता ने अजमेर में करवाया है। उठाने की रस्म हो या फिर बच्चे के मुंडन संस्कार का समारोह, उत्तर क्षेत्र के हर परिवार में रलावता ने अपनी दस्तक दी है। रलावता के समर्थक 20 अप्रैल को सायं साढ़े छह बजे वैशाली नगर स्थित गोविंदम समारोह स्थल पर सामूहिक भोज का आयोजन कर रहे हैं। इस समारोह में ही रलावता का जबरदस्त स्वागत किया जाएगा। मोबाइल नंबर 9414497073 और 8005710906 पर महेंद्र सिंह रलावता को जन्मदिन की बधाई दी जा सकती है। 

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Tuesday 18 April 2023

तो फिर आईपीएल की आड़ में हरभजन, सहवाग, पठान बंधु, युवराज जैसे खिलाडिय़ो पर बीसीसीआई पैसा क्यों लुटा रहा है?तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान के क्रिकेटर भी आईपीएल से पैसा कमा रहे हैं।

बीसीसीआई ने स्पष्ट किया है कि भारतीय क्रिकेट टीम के किसी भी सदस्य को विदेशी लीग में खेलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यानी जो क्रिकेटर बीसीसीआई से अनुबंधित है, वे सऊदी अरब क्रिकेट प्रीमियर लीग में नहीं खेल सकते हंै। बीसीसीआई का यह निर्णय सही है, क्योंकि विदेशी लीग में खेलने से हमारे खिलाड़ी अपने देश के मैचों पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाएंगे। मौजूदा समय में इंडियन टीम के कई पूर्व खिलाड़ी विदेशी लीग में क्रिकेट खेल रहे हैं। यह तभी संभव हुआ जब इन खिलाडिय़ों ने संन्यास की घोषणा की। यह सही है कि जो खिलाड़ी विदेशी लीग से पैसा कमा रहे हैं उन्हें बीसीसीआई द्वारा कोई लाभ नहीं दिया जाना चाहिए। लेकिन हरभजन सिंह, युवराज सिंह, वीरेंद्र सहवाग, इरफान पठान, यूसुफ पठान, सुरेश रैना जैसे अनेक खिलाड़ी है जो विदेशी लीग में खेलने के बाद भी आईपीएल में कॉमनट्रेटर बनकर लाखों रुपया कमा रहे हैं। बीसीसीआई को चाहिए कि जो भारतीय खिलाड़ी विदेशी लीग में खेल रहा है उसे किसी भी रूप में लाभ नहीं देना चाहिए। यह बात भी गंभीर है कि विदेशी लीग में खेलने वाले खिलाड़ी इंडियन प्रीमियर लीग में नहीं खेल रहे हैं। इन खिलाडिय़ों को अपने देश से ज्यादा विदेशों से प्रेम है। जो खिलाड़ी अपने देश में खेलने का इच्छुक नहीं है उसे बीसीसीआई से कोई लाभ नहीं मिलना चाहिए। उम्मीद है कि बीसीसीआई इन खिलाडिय़ों से आईपीएल की कॉमेंट्री नहीं करवाए जो विदेशी लीग में खेल रहे हैं।
 
अफगानिस्तान के खिलाड़ी मालामाल:
आईपीएल की टीमों में तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान के खिलाड़ी भी खेल रहे हैं। इन खिलाडिय़ों को टीम मालिक करोड़ों रुपए का भुगतान कर रहे हैं। अफगानिस्तान के खिलाड़ी राशिद खान तो गुजरात टाइटंस ने 15 करोड़ रुपए में खरीदा है। इसी प्रकार फजल हक फारुखी को सनराइजर्स हैदराबाद 50 लाख और नवीन उल हक को लखनऊ सुपर जायंट्स की ओर से पचास लाख रुपए दिए जा रहे हैं। आईपीएल की दस टीमों में चौबीस मुस्लिम खिलाड़ी शामिल है इनमें इंग्लैंड, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, जिम्बाब्वे देशों के खिलाड़ी भी शामिल हैं। चेन्नई सुपर किंग्स की टीम ने मोइन अली, शैक रशीद, दिल्ली कैपिटल्स की टीम ने सरफराज, मुस्तफिजुर रहमान, खलील अहमद, अमन खां, गुजरात टाइटंस में राशीद खान, मोहम्मद शमी, नूर मोहम्मद, कोलकाता नाइट राइडर्स की टीम में रहमानुल्लाह, लखनऊ सुपर जायंट्स में मोहसिन खान, नवीन उल हक, मुंबई इंडियंस में मोहम्मद अरशद खां, शम्श मुलानी, पंजाब किंग्स में शाहरुख खान, सिकंदर रजा, राजस्थान रॉयल्स में अब्दुल पीए, रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर में मोहम्मद सिराज, शाहबाज अहमद, सनराइज हैदराबाद में अब्दुल सनद, इमरान मलिक, फजल हक, आदिल रशीद, अकिल हुसैन शामिल है। इसके साथ ही मोहम्मद रहमान, लिटिल दास, नूर अहमद आदि खिलाड़ी भी जुड़े हुए हैं। 


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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी चाहते हैं-राजस्थान में पूर्ण शराबबंदी हो-पूनम छाबड़ा।

राजस्थान में पूर्ण शराबबंदी की मांग को लेकर पिछले दो तीन वर्षों से संघर्षरत श्रीमती पूनम छाबड़ा ने 17 अप्रैल को जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद श्रीमती छाबड़ा ने बताया कि सीएम गहलोत भी चाहते हैं कि राजस्थान में संपूर्ण शराबबंदी हो। सीएम पहले भी अपनी भावनाओं से अवगत करा चुके हैं। सीएम की भावनाओं को देखते हुए ही मुझे उम्मीद है कि राजस्थान में एक दिन पूर्ण शराबबंदी होगी। उन्होंने कहा कि जब सरकार का मुखिया शराबबंदी के पक्ष में है तो प्रशासनिक तंत्र को भी अमल करना ही होगा। मैंने जब भी सीएम से मुलाकात की है, तब उन्होंने पूर्ण शराब बंदी के संकल्प को दोहराया है। श्रीमती छाबड़ा ने कहा कि मेरे संघर्ष के लिए यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री मेरी मांग से सैद्धांतिक रूप से सहमत है। उन्होंने बताया कि मैंने जो ज्ञापन दिया उस में सीएम से आग्रह किया है कि पूर्ण शराबबंदी होने तक आबकारी नियमों के तहत शराब की दुकानों का संचालन किया जाए। सरकार ने रात 8 बजे शराब की दुकानें बंद करने के आदेश दे रखे हैं, लेकिन प्रदेश के अधिकांश शहरों में इस आदेश की पालना नहीं हो रही है। रात आठ बजे बाद भी शराब की दुकान खुली देखी गई है। जबकि सीएम गहलोत ने तो 8 बजे बाद दुकान खोलने पर संबंधित थानाधिकारी को सस्पेंड करने की बात कह रखी है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि पुलिस किसी से भी नहीं डरती है। श्रीमती छाबड़ा ने बताया कि उनके ससुर पूर्व विधायक गुरुशरण सिंह छाबड़ा ने शराबबंदी के अनशन के दौरान ही अपने प्राण त्याग दिए थे, मैं अपने ससुर के संघर्ष को ही आगे बढ़ा रही हंू। सीएम ने यह भी भरोसा दिलाया कि सूरतगढ़ को जिला बनाने का प्रयास भी किया जाएगा। शराबबंदी के अभियान के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9958980151 पर पूनम छाबड़ा से ली जा सकती है। 

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पेपर लीक मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा हिरासत में।कटारा का ड्राइवर गोपाल सिंह और भांजा विजय कटारा भी गिरफ्तार।

बहुचर्चित सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा प्रकरण में 18 अप्रैल को राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को हिरासत में ले लिया गया है। इसके साथ ही एसओजी ने कटारा के ड्राइवर गोपाल सिंह और भांजे विजय कटारा को भी गिरफ्तार किया है। मालूम हो कि गत वर्ष यह प्रश्न पत्र लीक हो गया था। एसओजी ने विगत दिनों ही पेपर लीक में शामिल शेर सिंह राणा को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में शेर सिंह ने आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा के साथ संबंध होने की बात स्वीकार की। रणा के बयानों के आधार पर ही कटारा को हिरासत में लिया गया है। आयोग के इतिहास में संभवत: यह पहला अवसर है जब पेपर लीक के मामले में किसी सदस्य को हिरासत में लिया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि कटारा की नियुक्ति मौजूदा गहलोत सरकार के द्वारा ही की गई थी। आयोग में नियुक्ति से पहले कटारा आदिवासी शोध संस्था में उपनिदेशक के पद पर कार्यरत थे। भाजपा के राज्यसभा के सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने पेपर आउट होने वाले दिन ही कहा था कि पेपर आउट होने में आयोग के एक सदस्य और अधिकारी जिम्मेदार है। हालांकि तब सरकार ने इन आरोपों को नकार दिया था, लेकिन शेर सिंह राणा की गिरफ्तारी के बाद एसओजी को बाबूलाल कटारा को हिरासत में लेना ही पड़ा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि शेर सिंह राणा को छपा हुआ प्रश्न पत्र हासिल नहीं हुआ था। बल्कि आयोग ने जो प्रश्न पत्र तैयार किया गया उसके मूल प्रश्न मिले थे। माना जा रहा है कि सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के प्रश्न पत्र में सदस्य कटारा की सक्रियता थी। कटारा ने ही मूल प्रश्न पत्र से प्रश्न चुराकर आरोपी शेर सिंह राणा को दिए बताए। राजस्थान के परीक्षा इतिहास में यह बहुत घटना है कि जो संस्था परीक्षा आयोजित कर रही है, उसी संस्था के जिम्मेदार सदस्य प्रश्न पत्र को लीक कर रहे है। सैकंड ग्रेड भर्ती परीक्षा के प्रश्नों की लूट में लाखों रुपए का लेनदेन हुआ और लाखों परीक्षार्थियों को परेशानी के दौर से भी गुजरना पड़ा। आयोग के सदस्य की यह गिरफ्तारी तब हुई है, जब मात्र छह माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं। विपक्ष पहले ही पेपर लीक के मामलों को आधार बनाकर गहलोत सरकार पर हमले कर रहा है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे को राजनीतिक दृष्टि से और मुखर किया जाएगा। 

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रघु शर्मा ने भी माना पायलट को साथ रखने पर ही कांग्रेस सरकार रिपीट होगी।अब अशोक गहलोत बताएं कि स्वयं के दम पर सरकार कैसे रिपीट होगी?रगड़ाई के जवाब में धुआं निकलने की बात आई।

रघु शर्मा कांग्रेस के उन चुनिंदा विधायकों में शामिल है, जिन्हें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सबसे ज्यादा सत्ता की मलाई चटाई है। केकड़ी से विधायक बनते ही राजस्थान का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री बनाया। तब स्वास्थ्य महकमे पर कितने आरोप लगे, यह सबको पता है। बाद में रघु को गुजरात का प्रभारी बनाकर गहलोत ने राजनीतिक कद ऊंचा कर दिया। अब इन्हीं रघु शर्मा का मानना है कि राजस्थान में सचिन पायलट के सहयोग के बगैर कांग्रेस सरकार रिपीट नहीं होगी। रघु ने यह बात तब कही है, जब सीएम गहलोत 17 से 20 अप्रैल तक खुद विधायकों से फीडबैक ले रहे हैं। जबकि गहलोत तो पायलट को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानते हैं। जब रघु शर्मा जैसे विधायक को ही गहलोत के दम पर भरोसा नहीं है तो फिर अन्य विधायकों की राय का अंदाजा लगाया जा सकता है। केकड़ी में जो स्थिति रघु शर्मा की है, वहीं स्थिति कांग्रेस के अन्य विधायकों की अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में है। कोई विधायक यह कहने की स्थिति में नहीं है कि अकेले अशोक गहलोत के दम पर चुनाव जीता जा सकता है। गहलोत ने विधायकों के फीडबैक का प्रोग्राम इसलिए रखा ताकि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के समक्ष अपनी ताकत का प्रदर्शन कर सके। गहलोत को उम्मीद थी कि 19 नए जिले बनाने, किसानों को दो हजार यूनिट फ्री बिजली देने, ओपीएस लागू करने आदि की वजह से कांग्रेस के विधायक फीडबैक में प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा की मौजूदगी में उनकी जय जयकार करेंगे। गहलोत ने जिला तो केकड़ी को भी बनाया है, लेकिन विधायक रघु शर्मा का मानना है कि चुनाव तो सचिन पायलट के सहयोग ही जीता जाएगा। सवाल उठता है कि जब गहलोत के सबसे खास और भरोसेमंद विधायक रघु शर्मा के ऐसे ख्याल है तो गहलोत ने पायलट की अनदेखी क्यों कर रखी है? रघु शर्मा ने गहलोत को जमीनी हकीकत से अवगत करा दिया है। फीडबैक अभियान 20 अप्रैल तक चलेगा, लेकिन रघु ने तो पहले दिन अभियान के उद्देश्य पर पानी फेर दिया है। गहलोत की तमाम बजट घोषणाएं धरी रह गई हैं।
 
रघु की लाचारी:
हालांकि रघु शर्मा ने गहलोत को जमीनी हकीकत से अवगत कराया है, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में केकड़ी से चुनाव जीतने के लिए रघु को पायलट के समर्थन की जरूरत है। रघु को भी पता है कि सत्ता के घमंड में उन्होंने सचिन पायलट का बहुत अपमान किया है। केकड़ी में पायलट के समर्थक खासकर गुर्जर समुदाय के लोग रघु से खास नाराज हैं। ऐसी परिस्थितियों में रघु का केकड़ी से चुनाव जीतना आसान नहीं है। मंत्री रहते हुए रघु ने केकड़ी के छोटे छोटे दुकानदारों को भी परेशान किया। यहां तक कि की गुड़ की गजक बेचने वालों पर स्वास्थ्य विभाग से छापे पड़वाएं। अपनी राजनीतिक स्थितियों को देखते हुए ही रघु अब सचिन पायलट की चमचागिरी करने लगे हैं। लेकिन सवाल उठता है कि रघु की चमचागिरी पर भरोसा कौन करेगा? सत्ता की इतनी मलाई चाटने के बाद भी जो व्यक्ति अशोक गहलोत का नहीं हुआ, वह सचिन पायलट का क्या होगा? रघु ने मंत्री रहते हुए जो भी किया उसका परिणाम छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में सामने आ जाएगा। रिपीट तो रघु शर्मा का भी मुश्किल है।
 
अब धुआं निकलेगा:
2019 के सियासी संकट में सीएम गहलोत का कहना रहा कि राजनीति में सचिन पायलट को रगड़ाई के बगैर ही बहुत कुछ मिल गया था। इसलिए उन्होंने केंद्रीय मंत्री, प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम पद का महत्व नहीं समझा। सीएम गहलोत ने जिस रगड़ाई शब्द का इस्तेमाल किया उसी के जवाब में अब 17 अप्रैल 2023 को सचिन पायलट ने धुआ निकालने की बात कही है। झुंझुनूं के खेतड़ी में आयोजित शहीद श्योराम गुर्जर की प्रतिमा के आनावरण समारोह में कहा कि मैं किसी के खिलाफ गलत शब्दों का इस्तेमाल नहीं करता,लेकिन जब विरोध करता हंू तो धुआ निकाल देता हंू। इसलिए मैं न डरुंगा न पीछे हटूंगा। मालूम हो कि पायलट ने गत 11 अप्रैल को पूर्ववर्ती भाजपा के भ्रष्टाचार के मामले की जांच करवाने की मांग को लेकर जयपुर में एक दिन का धरना दिया था। तभी से सीएम गहलोत के खेमे में हलचल मची हुई थी। सूत्रों की माने तो गहलोत ने पूरा दबाव बनाया कि अब पायलट को कांग्रेस से निकाल दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। गहलोत ने जो दबाव बनाया उसी के मद्देनजर पायलट का कहना रहा कि जब वे विरोध करते हैं तो धुआ निकाल देते हैं। 

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अजमेर में पहली बार 60 चार्टर्ड अकाउंटेंट ने खेला बॉक्स क्रिकेट।अजमेर चैप्टर की चेयरपर्सन दिव्या सोमानी की उत्साहवर्धक पहल।

16 अप्रैल को अजमेर में यह पहला अवसर रहा, जब करीब साठ  चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बॉक्स क्रिकेट खेली। दी इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया के अजमेर चैप्टर की ओर से खेल का यह आयोजन किया गया। चेप्टर की चेयरपर्सन दिव्या सोमानी ने बताया कि पहले सीए बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। लाखों युवा परीक्षा देते हैं, लेकिन कुछ युवाओं को ही डिग्री मिल पाती है। सीए बनने का एक सपना होता है। डिग्री लेने के बाद युवा अपने करियर बनाने में लग जाता है, इसके बाद काम के बोझ में दब जाता है। ऐसे में उसे अपने स्वास्थ्य की भी चिंता नहीं रहती। सीए के इस काम काज की कार्यशैली को देखते हुए ही अजमेर चेप्टर ने बॉक्स क्रिकेट खेल का आयोजन किया। उन्हें खुशी है कि साठ सीए खिलाडिय़ों ने इस प्रतियोगिात में भाग लिया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि अजमेर के वरिष्ठ  चार्टर्ड अकाउंटेंटों ने भी खेल मैदान पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। इससे युवा सीए की हौंसला अफजाई भी हुई। दिव्या सोमानी ने बताया कि सीए के उत्साह को देखते हुए खेल की ऐसी प्रतियोगिताएं नियमित करवाई जाएगी। इस आयोजन को सफल बनाने में सीए अंशुल हेड़ा, राहुल जैन, सुरभि काबरा, रसीद कलानी, अरिहंत जैन, सुरेंद्र सोमानी, दीपक अम्वानी, अंकित सोमानी, विपुल खंडेलवाल, चर्चित जैन, सुभाष बडज़ात्या का उल्लेखनीय योगदान रहा। इस अवसर पर भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी, एडीए के पूर्व अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा, एसबीआई के एजीएम नरेंद्र गुप्ता, युवा नेता रचित कच्छावा आदि भी उपस्थित रहे। पांच घंटे चली इस प्रतियोगिता में कई टीमों ने भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। सीनियर  चार्टर्ड अकाउंटेंटों ने दिव्या सोमानी की इस पहल का स्वागत किया। 

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सचिन पायलट के बगैर अशोक गहलोत का विधायकों से फीडबैक शुरू।प्रभारी रंधावा सहमे नजर आए।

17 अप्रैल को जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने लिए कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों से फीडबैक लेने की शुरुआत की वही प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट ने शाहपुरा, खेतड़ी और जयपुर के कार्यक्रमों में भाग लिया। पायलट के समर्थकों का कहना है कि सचिन पायलट के कार्यक्रम पहले ही निर्धारित हो गए, जबकि गहलोत की ओर से फीडबैक लेने की घोषणा की गई। 17 अप्रैल को सीएम गहलोत ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ अजमेर और जोधपुर संभाग के विधायकों की राय जानी जब सीएम गहलोत स्वयं राय ले रहे है तो फिर विधायक की राय का अंदाजा भी लगाया जा सकता है। गहलोत ने अपने समर्थन में 80 विधायकों का इस्तीफा करवाकर अपना बहुमत पहले ही साबित कर रखा है। विधायकों का फीडबैक कितना मायने रखता है, यह तो सीएम अशोक गहलोत ही जानते हैं, लेकिन 17 अप्रैल को जयपुर में रहते हुए भी प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट फीडबैक के आयोजन में शामिल नहीं हुए। पायलट अजमेर संभाग के टोंक से विधायक है। पायलट ने अपने तय कार्यक्रम के अनुसार शाहपुरा, खेतड़ी और जयपुर के कार्यक्रम में भाग लिया। यानी पायलट के बगैर ही फीडबैक लिया जा रहा है। फीडबैक 20 अप्रैल तक चलेगा। गहलोत ये दिखाने चाहते हैं कि राजस्थान में अधिकांश विधायक और कांग्रेस संगठन उनके साथ है।
 
रंधावा सहमे नजर आए:
फीडबैक लेने वालों में गहलोत और डोटासरा के साथ-साथ प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी मौजूद रहे, लेकिन 17 अप्रैल को रंधावा सहमे हुए नजर आए। आमतौर पर रंधावा जब भी जयपुर आते हैं तो मीडिया के सामने कुछ न कुछ कहते हैं। 17 अप्रैल को सर्किट हाउस में मीडिया कर्मियों ने रंधावा से संवाद करने की बहुत कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। असल में गत सप्ताह दिल्ली में जो हलचल हुई उसमें रंधावा का बैकफुट पर आना पड़ा। पायलट की 11 अप्रैल के अनशन पर रंधावा ने पायलट के विरोध में कार्यवाही की बात कही, लेकिन बाद में अपने बयान से रंधावा को पलटना पड़ा। रंधावा को अभी भी पता है कि दिल्ली में कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व सचिन पायलट को महत्व देता है। जयपुर में कितना भी फीडबैक हासिल कर लिया जाए, लेकिन अंतिम फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व ही करेगा। गहलोत के समर्थक माने या नहीं लेकिन विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान में कांग्रेस में बड़े बदलाव होंगे। राष्ट्रीय नेतृत्व अकेले अशोक गहलोत के दम पर चुनाव लडऩे पर सहमत नहीं है। 

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अतीक के आतंक का अंत शोले फिल्म के गब्बर की तरह हुआ है।पुलिस को अब फिल्म के पात्र ठाकुर बलदेव सिंह को तलाशने की जरुरत।

15 अगस्त 1975 को एक हिन्दी फिल्म शोले रिलीज हुई थी, इस फिल्म की कहानी मौजूदा सुपर स्टार सलमान खान के पिता सलीम खान और अभिनेत्री शबाना आजमी के पति जावेद अख्तर ने लिखी थी। फिल्म का निर्माता तबके प्रसिद्ध निर्देशक रमेश सिप्पी थे। चूंकि यह फिल्म गब्बर के आतंक से जुड़ी हुई थी इसलिए लोकप्रिय हुई। फिल्म में दो पात्र जय और वीरू थे। जय और वीरू छोटे मोटे अपराधी थे, लेकिन दिलेर इंसान थे। जय और वीरू की दिलेरी को देखते हुए सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी ठाकुर बलदेव सिंह ने संपर्क साधा और फिर दोनों अपराधियों से गब्बर का आतंक खत्म करवाया। सलीम और जावेद ने कोई ऐसी कल्पना पचास वर्ष पहले की थी, आज उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश अतीक अहमद के आतंक का जो अंत हुआ है, वह शोले फिल्म की तरह ही है। अतीक की हत्या के आरोप में लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सन्नी सिंह को गिरफ्तार किया जा चुका है। इन तीनों की आपराधिक पृष्ठ भूमि है। पुलिस अब कड़ी से कड़ी जोड़ कर जांच कर रही है हो सकता है कि पुलिस को शोले फिल्म के पात्र ठाकुर बलदेव सिंह की भी तलाश हो। पचास वर्ष पहले सलीम खान और जावेद अख्तर ने जो कल्पना की वो दोनों लेखक आज भी जीवित है। जावेद अख्तर ऑर्थो तेल बिकवा कर बुजुर्गों के घुटनों के दर्द दूर कर रहे हैं तो सलीम खान ने अपने पुत्रों को सफल अभिनेता बनवा दिया है। यूपी पुलिस इन दोनों कहानीकारों से भी कुछ आइडिया ले सकती है। जिस प्रकार फिल्म में जय और वीरू ने गब्बर जैसे डकैत से लोहा लिया उसी प्रकार लवलेश, अरुण और सन्नी की भूमिका देखने को मिली है। फिल्म में भी बताया गया है कि गब्बर के आतंक के बाद रामगढ़ के लोगों ने जश्न मनाया था। अब प्रयागराज के लोग भी चैन की नींद सो सकते हैं। हालांकि अतीक की मौत के बाद देश में राजनीति चरम पर है। कुछ लोगों को अतीक की मौत में अपना स्वार्थ नजर आ रहा है जबकि शोले फिल्म में कोई सहानुभूति नहीं दिखाई गई थी। फिल्म में गब्बर का डर तो दिखाया, लेकिन ऐसे लोग नहीं थे जो गब्बर के साथ खड़े होते। गब्बर के साथ सिर्फ डकैत ही खड़े दिखाए गए। जिस प्रकार अतीक के आतंक का अंत हुआ है उस पर शोले टू फिल्म बनाई जा सकती है, क्योंकि पचास वर्ष पहले और आज के हालात में बहुत अंतर आ गया है। जो अंतर आया है उसको देखते हुए ही एक और शानदार फिल्म बनाई जा सकती है। कोई कल्पना नहीं कर सकता था कि अतीक जब सुरक्षा और मीडिया कर्मियों से घिरा था तब उसे मौत के घाट उतार दिया गया। 

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Friday 14 April 2023

सचिन पायलट पर कार्यवाही से पहले अशोक गहलोत की बगावत का मुद्दा उठा।रंधावा को दरकिनार कर अब कमलनाथ सक्रिय भूमिका में। पायलट और केसी वेणुगोपाल की भी मुलाकात।

राजस्थान में कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के 11 अप्रैल के अनशन को लेकर 14 अप्रैल को भी दिल्ली में कांग्रेस में हलचल तेज रही। बदली हुई परिस्थितियों में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को दरकिनार कर एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को सक्रिय किया गया है ताकि राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तालमेल बैठाया जा सके। कमलनाथ भी नहीं चाहते हैं कि पायलट पर कोई कार्यवाही हो। पायलट की अब तक कमलनाथ के साथ साथ संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुलाकात हो चुकी है। राजस्थान में सीएम गहलोत के साथ हेलीकॉप्टर घूमने और सत्ता का भरपूर मजा लेने वाले पंजाब के विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा ने 12 अप्रैल को ही कह दिया कि पायलट ने अनशन कर अनुशासनहीनता की है, इसलिए कार्यवाही होगी। रंधावा ने यह बात राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े सेस मुलाकात के बाद कही, लेकिन 13 अप्रैल को रंधावा की मुलाकात जब राहुल गांधी और केसी वेणुगोपाल से हुई तो रंधावा के पायलट विरोधी तेवर ठंडे पड़ गए। पायलट पर कार्यवाही करने से पहले 24 सितंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा की गई बगावत का मुद्दा उठा। पायलट समर्थक नेताओं का कहना रहा कि गहलोत ने तो विधायकों की समानांतर बैठक कर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को खुली चुनौती दी। इतना ही नहीं गहलात स्वयं को ही मुख्यमंत्री बनाए रखने के लिए 80-90 विधायकों के इस्तीफे भी दिलवा दिए। इस खुली बगावत पर न तो गहलोत और न उनके किसी समर्थक पर कार्यवाही हुई। जिन तीन मंत्रियों को नोटिस दिया गया, वे आज भी सत्ता की मलाई खा रहे हैं। जब खुली बगावत और राष्ट्रीय नेतृत्व को चुनौती देने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो पायलट पर कार्यवाही क्यों की जाए? 11 अप्रैल को पायलट ने तो पार्टी विरोधी कोई कार्य भी नहीं किया। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर ही पायलट ने जयपुर में एक दिवसीय अनशन किया था। इसमें अनुशासनहीनता की कोई बात नहीं थी। गहलोत की बगावत का मुद्दा उठने के बाद ही रंधावा को भी संयम बरतने के निर्देश दिए गए हैं। जानकार सूत्रों के अनुसार रंधावा की भूमिका का राजस्थान में निष्पक्ष नहीं मनाया गया, इसलिए अब एमपी के पूर्व सीएम कमलनाथ और संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल भी विधानसभा चुनाव में पायलट की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हैं। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत के जिद्दी रवैए से गांधी परिवार भी खुश नहीं है। गांधी परिवार की सहानुभूति पायलट के साथ ही मानी जा रही है।

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एसओजी के वकील का तर्क मानहानि के केस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए मुसीबत बनेगा।

दिल्ली की एक कोर्ट में केंद्रीय मंत्री और जोधपुर के सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर रखा है। शेखावत ने कहा है कि संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसायटी के प्रकरण में एसओजी की किसी भी एफआईआर में उनका और उनके परिवार के सदस्यों को आरोपी के तौर पर नाम नहीं है, लेकिन सीएम गहलोत रोजाना उन्हें और उनके परिवार को संजीवनी घोटाले का आरोपी बताते हैं। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को इस मामले में तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है। दिल्ली पुलिस अभी राजस्थान पुलिस से संपर्क कर तथ्य जुटा ही रही थी कि 13 अप्रैल को एसओजी के वकील और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने हाईकोर्ट में कहा कि एसओजी ने संजीवनी प्रकरण में अब तक जितनी भी एफआईआर दर्ज की है, उनमें शेखावत और उनके परिवार के किसी भी सदस्य का नाम नहीं है। इतना ही नहीं, जांच में अभी शेखावत का नाम आरोपी के तौर पर नहीं आया है। यानी 13 अप्रैल 2023 तक शेखावत संजीवनी घोटाले के आरोप नहीं है। यह बात इसलिए भी मायने रखती है कि यह जांच एजेंसी एसओजी के वकील ने हाईकोर्ट में कही है। सवाल उठता है कि जब 13 अप्रैल में कोई आरोप ही नहीं है तो फिर सीएम गहलोत पिछले चार माह से शेखावत को संजीवनी घोटाले का आरोपी कैसे बता रहे हैं? गहलोत ने तो शेखावत के साथ साथ उनकी माताजी, पत्नी आदि को भी आरोपी घोषित कर रखा है। यह सही है कि गृह मंत्री  होने के नाते भी पुलिस और एसओजी गहलोत के अधीन आती है, लेकिन एसओजी के वकील सिंघवी के 13 अप्रैल के तर्क से दिल्ली हाईकोर्ट में चल रहे मानहानि के प्रकरण में सीएम गहलोत की मुसीबत बढ़ेगी। मानहानि के केस में जो आरोप शेखावत ने गहलोत पर लगाए हैं, उन्हीं की पुष्टि वकील सिंघवी ने की है। सिंघवी के कथन को आधार मानते हुए ही जोधपुर स्थित हाईकोर्ट के जस्टिस कुलदीप माथुर ने शेखावत की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। यह रोक एसओजी के साथ साथ राजस्थान पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों पर भी लागू होगी।
 
सिंघवी के कथन से पुलिस में खलबली:
सीएम गहलोत को मुसीबत में डालने वाले सिंघवी के तर्क से राजस्थान पुलिस में खलबली मच गई है। पुलिस के आला अफसरों को इस बात पर आश्चर्य रहा कि एसओजी और वकील सिंघवी के बीच तालमेल नहीं रहा। यही वजह रही कि 13 अप्रैल को शाम को ही एसओजी की डीजी अशोक राठौड़ ने कहा कि वकील सिंघवी ने कोर्ट में जो कुछ भी कहा वह हमारी जांच से बिल्कुल विपरीत है। सवाल उठता है कि सिंघवी एसओजी के वकील हैं या फिर गजेंद्र सिंह शेखावत के? यदि एसओजी की किसी जांच में शेखावत आरोपी है तो फिर वकील  सिंघवी को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए थी। सिंघवी यदि 13 अप्रैल को शेखावत को आरोपी नहीं मान रहे हैं तो सीएम गहलोत पर मानहानि का आरोप अपने आप सिद्ध हो जाता है। अब तो दिल्ली पुलिस को भी जांच करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि एसओजी के वकील ही 13 अप्रैल तक शेखावत को निर्दोष मान रहे हैं। लगता है कि संजीवनी प्रकरण में सीएम गहलोत को बहुत जल्दबाजी है। यहां यह उल्लेखनीय है कि शेखावत ने ही सीएम गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को चार लाख मतों से हराया था। जबकि जोधपुर मुख्यमंत्री का गृह जिला है। 

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जन्मदिन के जश्न से सुभाष काबरा को भी अजमेर उत्तर से भाजपा उम्मीदवारी की आस।एक हजार भाजपाई विचारधारा के लोगों ने फ्लेक्स लगाए। सामूहिक भोज के साथ होगा साधु-संतों का सम्मान। सांसद भागीरथ चौधरी और जिला प्रभारी वीरमदेव सिंह भी आएंगे।

छह माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में अजमेर जिले से भाजपा का उम्मीदवार बनने के लिए नेता और कार्यकर्ता अपने अपने नजरिए से भाग दौड़ कर रहे हैं। इनमें सबसे आसान तरीका जन्मदिन का जश्न है। ऐसा ही भव्य जन्म दिन अब भाजपा के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के संभागीय संयोजक और लम्बे अर्से से अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय सुभाष काबरा 15 अप्रैल को अपना 60वां जन्मदिन धूमधाम से मना रहे है। सुबह गौशालाओं में गौ माता का पूजन और प्रमुख धार्मिक स्थलों पर ढोक लगाने के  बाद सुभाष काबरा और उनके समर्थक सायं चार बजे पुष्कर रोड स्थित लक्ष्मी पैलेस समारोह स्थल पहुंचेंगे। सुंदर कांड के बाद उत्तर क्षेत्र के मंदिरों में पुजारियों उपासकों और साधु संतों का सम्मान किया जाएगा। इस कार्यक्रम में सांसद भागीरथ चौधरी और भाजपा के जिला प्रभारी  वीरमदेव  देव सिंह खासतौर से उपस्थित रहेंगे। साधु संतों के सम्मान के लिए समारोह स्थल पर विशेष इंतजाम किए गए हैं। काबरा के समर्थकों ने बताया कि एक हजार समर्थकों ने अपने फोटो के साथ जन्मदिन के फ्लेक्स शहर के खासकर उत्तर विधानसभा क्षेत्र में लगाए हैं। काबरा गत 35 वर्षों से भाजपा की राजनीति में सक्रिय हैं। समारोह स्थल पर एक डाक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएगी, जिसमें काबरा के राजनीतिक सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों का उल्लेख होगा। असल में अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र सामान्य श्रेणी का है इसलिए इस बार भाजपा के कई नेता अपनी दावेदारी जता रहे हैं। हर नेता अपने अपने नजरिए से राजनीतिक सामाजिक और धार्मिक आयोजन कर रहे हैं। काबरा को भी जन्मदिन के समारोह में भाजपा की उम्मीदवारी की आस है। यही वजह है कि काबरा के समर्थकों में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है। 15 अप्रैल को कई हजार लोगों का सामूहिक भोज लक्ष्मी पैलेस में रखा गया है। काबरा की माहेश्वरी समाज में भी अच्छी प्रतिष्ठा है। देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों पर माहेश्वरी धर्मशालाओं का संचालन करने वाली अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन पुष्कर से भी काबरा जुड़े हुए हैं। धार्मिक स्थलों पर भवन निर्माण और उनमें सुविधाएं उपलब्ध कराने में काबरा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। काबरा वैश्य महासभा में भी सक्रिय रहे हैं। मैं भारत हूं के अभियान के माध्यम से भी काबरा ने ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए। भाजपा के प्रदेश और राष्ट्रीय नेताओं से काबरा का सीधा संवाद है। काबरा लोक सभा के अध्यक्ष ओम बिरला के भी संपर्क में है। मोबाइल नंबर 9829071696 पर सुभाष काबरा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी जा सकती है। 

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Thursday 13 April 2023

तेलंगाना हाउस के विरोध में अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र के पचास हजार लोग एकजुट।भाजपा और कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए विधानसभा चुनाव का बहिष्कार भी हो सकता है।विधायक देवनानी ने केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात की।

अजमेर के कोटड़ा क्षेत्र में पत्रकार कॉलोनी के निकट तेलंगाना हाउस का निर्माण होना है। अजमेर विकास प्राधिकरण ने पांच हजार मीटर भूमि रियायती दर पर आवंटित कर भवन का मानचित्र भी स्वीकृत कर दिया है। अब चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली तेलंगाना सरकार कभी भी मौके पर निर्माण कार्य शुरू कर सकती है। अजमेर में तेलंगाना से आने वाले जायरीन की सुविधा के लिए भव्य भवन बनाया जा रहा है। तेलंगाना से ख्वाजा साहब की दरगाह में जियारत के लिए बड़ी संख्या में जायरीन आते हैं। तेलंगाना हाउस के निर्माण का पता चलते ही कोटड़ा क्षेत्र के करीब पचास हजार लोग एकजुट हो गए हैं और गेस्ट हाउस का विरोध कर रहे हैं। चूंकि अभी अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार है, इसलिए किसी भी स्तर पर विरोध को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। क्षेत्र वासी प्रत्येक शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं तथा आए दिन रास्ते भी जाम किए जाते हैं। भाजपा के क्षेत्रीय विधायक वासुदेव देवनानी ने कोटड़ा क्षेत्र के लोगों के विरोध का मामला विधानसभा में उठाया है, लेकिन देवनानी यह भरोसा नहीं देते कि भाजपा की सरकार बनने पर तेलंगाना हाउस को आवंटित भूमि निरस्त की जाएगी। इसकी वजह से यह है कि 2013 से 2018 के बीच राजस्थान में जब भाजपा की सरकार थी, तब अजमेर विकास प्राधिकरण के तत्कालीन अध्यक्ष शिव शंकर हेड़ा ने ही भूमि का आवंटन किया था। ऐसे में भाजपा के विरोध  की धार कम है। यही वजह है कि कोटड़ा क्षेत्र के लोगों को भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही सहयोग की उम्मीद नहीं है। अब कोटड़ा क्षेत्र के गुस्साए लोग 6 माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने का निर्णय भी ले सकते हैं। चुनाव में पचास हजार की संख्या बहुत मायने रखती है।
 
यादव से मुलाकात:
दिल्ली प्रवास के दौरान अजमेर उत्तर क्षेत्र के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने केंद्रीय श्रम एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से शिष्टाचार मुलाकात की। देवनानी ने यादव को देश के विभाजन की विभीषिका पुस्तक भेंट की। देवनानी के विधानसभा क्षेत्र अजय नगर में बायोलॉजिकल पार्क की स्थापना, काजीपुरा गांव की भैरव घाटी को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने, शास्त्री नगर के नगर वन उद्यान को विकसित करने आदि में केंद्रीय सहायता उपलब्ध करवाने का आग्रह भी किया गया। मुलाकात में देवनानी ने अजमेर में चल रहे स्मार्ट सिटी परियोजना एवं केंद्रीय योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर भी यादव का ध्यान आकर्षित किया। यादव ने भरोसा दिलाया कि अजमेर के विकास के लिए जो भी संभव होगा, वह किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि यादव अजमेर के निवासी है और राजस्थान से ही राज्य सभा के सांसद हैं। 

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Wednesday 12 April 2023

कांग्रेस अब किस मुंह से अडानी के मामले में जेपीसी की मांग करेगी?पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कथित भ्रष्टाचार की जांच की पायलट की मांग को सीएम गहलोत ने खारिज किया।पायलट दिल्ली पहुंचे। गांधी परिवार के संपर्क में।

राजस्थान में पूर्व भाजपा सरकार के दौरान हुए कथित भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच की मांग को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने 11 अप्रैल को जयपुर में एक दिवसीय अनशन किया। कांग्रेस के हजारों पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने अनशन स्थल पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा कर पायलट की मांग का समर्थन किया, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कोई प्रतिक्रिया दिए बगैर भाजपा शासन के भ्रष्टाचार की जांच की मांग को खारिज कर दिया। पायलट की मांग को खारिज करने के साथ सीएम गहलोत ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार को भी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर क्लीन चिट दे दी है। यानी अब गहलोत ने भी मान लिया है कि वसुंधरा राजे की सरकार में कोई भ्रष्टाचार हुआ ही नहीं। पायलट की मांग को खारिज करने के बाद सवाल उठता है कि अब अडानी मुद्दे पर कांग्रेस किस मुंह से जेपीसी की मांग करेगी? अडानी के औद्योगिक घराने पर जिस तरह वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं, उससे भी गंभीर आरोप अशोक गहलोत ने वर्ष 2013 से 2018 तक विपक्ष में रहते हुए भाजपा पर लगाए थे। कांग्रेस जब राजस्थान में भाजपा को ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे सकती है तो फिर दिल्ली में अडानी को लुटेरा क्यों बताया जा रहा है? अडानी पर जेपीसी की मांग पर कांग्रेस के साथ खड़े विपक्षी दलों को भी कांग्रेस से पूछना चाहिए कि राजस्थान में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर लगे आरोपों की जांच कांग्रेस सरकार में क्यों नहीं करवाई जा रही? क्या भ्रष्टाचार के मुद्दे पर कांग्रेस का नजरिया अलग अलग हैं? राहुल गांधी अडानी समूह पर पीएम मोदी का संरक्षण होने का आरोप लगाते हैं, जबकि राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार अडानी के पावर प्रोजेक्टों पर मेहरबान है। न केवल रियायती दरों पर जमीन दी गई, बल्कि बिजली भी महंगी खरीदी जा रही है। गहलोत  के  संरक्षण के कारण ही अडानी समूह ने राजस्थान में अपना औद्योगिक विस्तार किया है। यानी दिल्ली में राहुल गांधी जिन नेताओं को लुटेरा बता रहे हैं, उन्हीं को राजस्थान में सीएम गहलोत ईमानदार का सर्टिफिकेट दे रहे हैं।
 
पायलट दिल्ली में:
11 अप्रैल को अनशन समाप्त होने के बाद सचिन पायलट देर रात ही दिल्ली पहुंच गए। जानकार सूत्रों के अनुसार पायलट कांग्रेस के बड़े नेताओं के बुलावे पर दिल्ली पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि अब पायलट की प्रमुख नेताओं से मुलाकात होगी, इनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े भी शामिल हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और गांधी परिवार की प्रमुख सदस्य श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा से भी पायलट का संपर्क बना हुआ है। सूत्रों के अनुसार पायलट प्रियंका गांधी से भी मुलाकात कर सकते हैं। इधर एक दिवसीय अनशन सफल होने पर राजस्थान भर में पायलट के समर्थकों में भारी उत्साह है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (12-04-2023)

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पायलट के अनशन में जुटे कांग्रेसियों से रघु और राठौड़ अजमेर में अपनी राजनीतिक हैसियत का अंदाजा लगा लें।

सत्ता के संरक्षण के कारण केकड़ी के विधायक रघु शर्मा और पुष्कर का विधायक बनने का सपना देख रहे आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ पिछले कुछ दिनों स्वयं को अजमेर जिले का सबसे बड़ा नेता समझने लगे हैं। इन दिनों उनके पैर जमीन पर नहीं टिक रहे हैं। प्रशासनिक और पुलिस के अधिकारी भी इन दोनों नेताओं के इशारे पर कोई भी कत्थक नृत्य करने को तैयार है, लेकिन 11 अप्रैल को जयपुर में सचिन पायलट के एक दिवसीय अनशन में जुट कांग्रेस नेताओं की संख्या से रघु और राठौड़ को अजमेर में राजनीतिक हैसियत का अंदाजा लगा लेना चाहिए। सत्ता के घमंड में रघु शर्मा और धर्मेन्द्र राठौड़ ने सचिन पायलट का अपमान करने की कोई कसर नहीं छोड़ी। पायलट जब डिप्टी सीएम और प्रदेशाध्यक्ष थे, तब पायलट के विरोध की शुरुआत ही रघु शर्मा ने की थी। धर्मेन्द्र राठौड़ ने तो पायलट को गद्दार तक कहा। 11 अप्रैल को पायलट के अनशन पर जिले के 16 पीसीसी सदस्यों में से 12 मौजूद रहे। इसी प्रकार अधिकांश ब्लॉक और मंडल अध्यक्ष मौजूद रहे। सैकड़ों कार्यकर्ता अपने खर्चे पर जयपुर पहुंचे। अजमेर उत्तर पर भी बुरी नजरों से देखने वाले धर्मेन्द्र राठौड़ के रवैये से खफा महेंद्र सिंह रलावता ने अनशन स्थल पर पायलट के साथ न केवल फोटो खिंचवाया बल्कि वाहनों में भर कर कार्यकर्ताओं को भी ले गए। कहा जा सकता है कि रघु और धर्मेन्द्र राठौड़ को छोड़कर अजमेर जिले के अधिकांश कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता सचिन पायलट के साथ है। कांग्रेसियों ने यह उपस्थिति तब दर्ज करवाई है, जब प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पायलट के अनशन को पार्टी विरोधी करार दे दिया था। यानी जयपुर जाने वाले नेताओं ने पहली प्राथमिकता पायलट को दी है। रघु और धर्मेन्द्र माने या नहीं लेकिन यह प्राथमिकता विधानसभा चुनाव तक रहेगी। रघु और राठौड़ का चुनाव में यही पायलट समर्थक कार्यकर्ता क्या हश्र करेंगे, इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है। केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के गुर्जर समुदाय के लोग तो पहले भी रघु के विरुद्ध नाराजगी जता चुके हैं। यही वजह है कि रघु शर्मा अपने साथ पायलट समर्थक मसूदा के विधायक राकेश पारीक को साथ लेकर घूमते हैं। लेकिन पारीक, रघु को अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है। पायलट ने अनशन में कार्यकर्ताओं को पहुंचाने के लिए पारीक की खूब मेहनत की है। रघु और राठौड़ को भी अब अहसास हो गया होगा कि सत्ता का फायदा उठाने वाले ही उनके साथ है। कांग्रेस के प्रमुख नेता तो पायलट के साथ ही हैं। पुष्कर की पूर्व विधायक नसीम अख्तर अपने पति इंसाफ अली के साथ हज पर हैं, लेकिन अपने पुत्र अशरा इंसाफ को पायलट के अनशन में भेजा। इसी प्रकार नसीराबाद के पूर्व विधायक रामनारायण गुर्जर और गुर्जर नेता एडवोकेट हरिसिंह गुर्जर ने भी अपने समर्थकों के साथ अनशन पर उपस्थिति दर्ज करवाई। 

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राजनीति की आपाधापी और संकट के बीच विकास से जुड़े कार्यक्रम में आने पर पीएम मोदी ने सीएम अशोक गहलोत का आभार जताया।रेल कर्मचारी विरोध नहीं करते तो वंदे भारत के शुभारंभ पर जो भव्य समारोह जयपुर में हुआ वह अजमेर में होता। पीएम मोदी भी अजमेर से जुड़ते।जनशताब्दी ट्रेन का अजमेर से दिल्ली का किराया मात्र 180 रुपए। यह ट्रेन भी मात्र पांच घंटे में पहुंचाती है।केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की पहल पर अजमेर के समाजसेवी निरंजन शर्मा ने वंदे भारत में सफर किया।

12 अप्रैल को राजस्थान की पहली वंदे भारत ट्रेन के शुभारंभ समारोह में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की उपस्थिति को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी महत्वपूर्ण माना है। पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के 11 अप्रैल अनशन की ओर इशारा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सीएम अशोक गहलोत इन दिनों राजनीति की आपाधापी और संकट के दौर से गुजर रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी हमारे रेल मंत्रालय के विकास के कार्यक्रम में उपस्थित हैं, इसलिए मैं दिल से आभार प्रकट करता हूं। चूंकि गहलोत का मुझ पर भरोसा है, इसलिए वे समस्याओं को मेरे सामने रखते हैं। इस भरोसे के कारण ही मैं गहलोत को अपना मित्र मानता हंू। गहलोत को इस बात का अहसास है कि मोदी को समस्या बताने के बाद समाधान हो जाएगा। सीएम गहलोत ने रेल से जुड़ी जो समस्याएं रखी हैं, उसका समाधान भी जल्द से जल्द कर दिया जाएगा। लेकिन इसके साथ ही पीएम मोदी ने कहा आजादी के बाद रेलवे का विकास राजनीतिक स्वार्थों के कारण नहीं हो पाया। रेल मंत्री बने व्यक्तियों ने अपने राजनीतिक स्वार्थ की खातिर नई ट्रेनों की घोषणा कर दी, इतना ही नहीं गरीबों की भूमि लेकर रेलवे में नौकरियां तक दे दी। भ्रष्टाचार की वजह से रेलवे का बुरा हाल रहा। लेकिन 2014 के बाद जब देश में मजबूत और स्थिर सरकार बनी तो देश में कनेक्टिविटी को आधार बना कर रेलवे का विकास किया गया। यही वजह है कि आज देश में रेल लाइन का जाल लगातार बढ़ रहा है और रेल मंत्रालय अपने दम पर वंदे भारत जैसी सेमी हाई स्पीड ट्रेन का निर्माण करने लगा है। देशवासियों के लिए यह गर्व की बात है कि अत्याधुनिक तकनीक वाली यह ट्रेन पूरी तरह स्वदेशी है। इससे पहले सीएम गहलोत ने अपने संबोधन में राजस्थान के आदिवासी क्षेत्रों में अधूरे पड़े रेलवे प्रोजेक्टों को पूरा करवाने का आग्रह किया।
 
भव्य समारोह अजमेर में होता:
11 अप्रैल को वंदे भारत ट्रेन के शुभारंभ पर जयपुर के रेलवे स्टेशन पर भव्य समारोह हुआ। इस समारोह में पीएम मोदी तो वर्चुअल तकनीक से जुड़े लेकिन समारोह में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी सहित प्रदेश के अनेक सांसद विधायक मंत्री आदि उपस्थित रहे। असल में यह भव्य समारोह अजमेर में होना था। क्योंकि वंदे भारत अजमेर से ही चलनी है, लेकिन अजमेर के रेल कर्मियों ने ट्रेन में चलने वाले स्टाफ को लेकर लगातार आंदोलन किया। कार्मिकों के आंदोलन को देखते हुए ही रेल मंत्रालय ने ट्रेन के शुभारंभ का समारोह अजमेर के बजाए जयपुर में रखा। सवाल उठता है कि ट्रेन में जयपुर का स्टाफ चले या अजमेर का इससे आम यात्रियों का क्या सरोकार है। यदि भव्य समारोह अजमेर में होता तो तमाम वीआईपी अजमेर आते। इससे रेल से जुड़ी समस्याओं का भी समाधान होता। इतना ही नहीं प्रधानमंत्री का ध्यान भी अजमेर की ओर आकर्षित होता, लेकिन विरोध के चलते अजमेर के लोग एक भव्य समारोह से वंचित हो गए। बड़ी अजीब बात है कि जो ट्रेन अजमेर से चलनी है उसका शुभारंभ समारोह जयपुर में हुआ।
 
किराया मात्र 180 रुपए:
वंदे भारत ट्रेन 13 अप्रैल को अजमेर से प्रात: 6:20 मिनट पर रवाना होगी। यह ट्रेन पांच घंटे में दिल्ली पहुंचेगी। इस ट्रेन में चेयर कार का किराया एक हजार 58 रुपए और एग्जीक्यूटिव क्लास का किराया 2 हजार 75 रुपए रखा गया है। यह सही है कि इस ट्रेन में यात्रियों को ब्रेकफास्ट आदि की सुविधाएं भी मिलेंगी और ट्रेन भी आराम दायक है। लेकिन यह भी सही है कि अजमेर से जनशताब्दी ट्रेन भी दिल्ली जाती है, यह ट्रेन गुरुवार और रविवार को छोड़कर अजमेर प्रातः 5:45 मिनट पर रवाना होती है और अगले पांच घंटे में दिल्ली पहुंच जाती है। इस ट्रेन में साधारण श्रेणी का किराया मात्र 180 रुपए है। जबकि एसी चेयर कार का किराया प्रति यात्री 605 रुपए निर्धारित है। फर्क इतना ही है कि जनशताब्दी अजमेर से रींगस होते हुए दिल्ली पहुंचती है, जबकि वंदे भारत अजमेर से जयपुर होते हुए दिल्ली कैंट पहुंचेगी।
 
शर्मा दम्पत्ति का सफर:
अजमेर के समाजसेवी और कपड़ा कारोबारी निरंजन शर्मा ने 12 अप्रैल को वंदे भारत ट्रेन में शुभारंभ सफर किया। शर्मा के साथ उनकी पत्नी भी रही। शर्मा रेलवे की जेडआरयूसीसी के सदस्य है। शर्मा दंपत्ति ने शुभारंभ सफर केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की पहल पर किया है। मोबाइल नंबर 9828171560 पर शुभारंभ सफर के लिए निरंजन शर्मा को बधाई दी जा सकती है। 

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Sunday 9 April 2023

सरकारी योजना का लाभ लेने वाले मतदाताओं से जीत की गारंटी चाहते हैं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।24 अप्रैल से राजस्थान भर में महंगाई राहत कैंप लगेंगे।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा है कि जो लोग सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। वे इस बात की गारंटी भी दे कि नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को ही वोट दे। यानी लाभ देने की एवज में सीएम गहलोत जीत की गारंटी चाहते हैं। यही वजह है कि लाभार्थी मतदाता को मुख्यमंत्री गारंटी कार्ड भी दिया जाएगा। इस कार्ड पर सीएम गहलोत का फोटो भी लगा होगा। सीएम गहलोत ने गत माह अपनी बजट घोषणाओं में वादा किया था कि उज्ज्वला योजना में रसोई गैस कनेक्शन लेने वाले परिवारों को राज्य सरकार मात्र पांच सौ रुपए में सिलेंडर देगी। इसी प्रकार घरेलू उपभोक्ताओं को सौ यूनिट और कृषि उपभोक्ताओं को दो हजार यूनिट प्रतिमाह बिजली नि:शुल्क मिलेगी। जरुरत मंद परिवारों को नि:शुल्क अन्नपूर्णा फूड पैकेट मिलेंगे। मनरेगा में अतिरिक्त दिवस और शहरी क्षेत्र में शहरी रोजगारी गारंटी योजना का लाभ भी मिलेगा। विधानसभा में सीएम गहलोत ने यह नहीं कहा था कि इसके लिए लाभार्थी को कोई रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत होगी। लेकिन अब कहा जा रहा है कि सरकार की योजनाओं का लाभ उन्हें ही मिलेगा जिनके पास मुख्यमंत्री गारंटी कार्ड होगा। गारंटी कार्ड प्राप्त करने के लिए 24 अप्रैल से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई राहत कैंप लगाए जा रहे हैं। इन कैम्पों को जो व्यक्ति महंगाई का अहसास कर रजिस्ट्रेशन करवाएगा उसे ही गहलोत सरकार की योजनाओं का लाभ मिलेगा। यानी जो मतदाता महंगाई का अहसास नहीं कर रहा है उसे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। सरकार ने ऐसी कई घोषणाएं की है जिसका लाभ राजस्थान का प्रत्येक मतदाता लेना चाहेगा। इनमें पशु पालकों से जुड़ी योजना, महिलाओं को नि:शुल्क स्मार्ट फोन, श्रमिक संबल विश्वकर्मा कामगार, चिरंजीवी स्वास्थ्य जीवन बीमा योजना आदि शामिल है। स्वाभाविक है कि इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए हर मतदाता सरकारी कैम्प में जाकर मुख्यमंत्री गारंटी योजना कार्ड प्राप्त करना चाहेगा। सूत्रों की माने तो सभी कैम्पों में सरकार की योजनाओं का प्रचार प्रसार भी होगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि सीएम गहलोत ने कई आकर्षक योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन सीएम को लगता है कि लोग योजनाओं का लाभ तो प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन चुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं देते हैं। मतदाताओं को कांग्रेस की मदद का अहसास रहे इसलिए ही महंगाई राहत कैम्प लगाए जा रहे हैं। अब देखना होगा कि नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री गारंटी कार्ड का कितना असर मतदाताओं पर होता है। अलबत्ता सीएम गहलोत अपनी ओर से चुनाव जीतने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इसी के अंतर्गत एक साथ 19 नए जिलों की भी घोषणा की गई है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (09-04-2023)
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जिन धर्मेश जैन से पीएम मोदी ने फोन पर हाल चाल जाने, उन्हीं पर अब भाजपा शासित अजमेर नगर निगम ज्यादती कर रहा है।राजस्थान रावत महासभा का कार्यकाल दिसंबर 2023 तक बढ़ा। आम सभा में सर्वसम्मति से निर्णय।

अजमेर से वरिष्ठ भाजपा नेता धर्मेश जैन देश के उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जिन से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फोन पर हालचाल जानते हैं। पीएम मोदी ने गत वर्ष जैन से फोन पर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी। जैन अजमेर नगर सुधार न्यास के अध्यक्ष और भाजपा संगठन में अनेक पदों पर रह चुके हैं। अभी भी भाजपा की गतिविधियों और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं। लेकिन जैन को इस बात का अफसोस है कि भाजपा शासित अजमेर नगर निगम में उनके परिवार पर ज्यादती हो रही है। पार्षद से लेकर भाजपा की मेयर भी कोई मदद नहीं कर रही है। धर्मेश जैन के परिवार की सांझेदारी में रेलवे स्टेशन परिसर स्थित तालेड़ा स्क्वायर में स्काई ग्रिल रेस्टोरेंट संचालित होता है। 13 लाख रुपए का नगरीय कर जमा नहीं करवाने पर निगम ने तालेड़ा स्क्वायर को सीज कर दिया। निगम की इस कार्यवाही में भाजपा नेता धर्मेश जैन का स्काई ग्रिल रेस्टोरेंट भी आज गया है। जैन के पुत्र अमित जैन का कहना है कि निगम को तालेड़ा स्क्वायर को ही सीज करना था, क्योंकि रेस्टोरेंट का स्थान तो सब लीज पर लिया गया है। तालेड़ा स्क्वायर के मालिकों का रेलवे से जो अनुबंध हुआ है, उसमें सब लीज देने का अधिकार है। चूंकि निगम का स्काई ग्रिल पर कोई कर बकाया नहीं है, इसलिए सीज का प्रभाव हमारे रेस्टोरेंट पर नहीं पड़ना चाहिए। इस संबंध में जैन के परिवार ने नगर निगम की मेयर श्रीमती ब्रज लता हाड़ा और आयुक्त सुशील कुमार को भी अपना स्पष्टीकरण दिया है। लेकिन दो दिन गुजर जाने के बाद भी जैन के परिवार को कोई राहत नहीं मिल पाई है। इस संबंध में तालेड़ा स्क्वायर के प्रबंधन का भी कहना है कि  उनकी संपत्ति रेलवे की भूमि पर है, इसलिए स्थानीय निकाय को किसी भी प्रकार का टैक्स लेने का अधिकार नहीं है। इस मामले में रेल अधिकारियों ने भी निगम प्रशासन को सूचित कर दिया है। वहीं निगम की मेयर श्रीमती हाड़ा का कहना है कि तालेड़ा स्क्वायर के विरुद्ध कार्यवाही नियमानुसार की गई है। कोई संपत्ति भले ही रेलवे की भूमि पर बनी हो लेकिन नगरीय कर लेने का अधिकार निगम को है।
 
महासभा का कार्यकाल बढ़ा:
रावत महासभा राजस्थान का कार्यकाल 23 दिसंबर 2023 बढ़ा दिया गया है। महासभा के अध्यक्ष डॉ. शैतान सिंह रावत ने बताया कि हाल ही में पुष्कर में महासभा की साधारण सभा हुई थी। इस सभा में मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल 23 दिसंबर 2023 तक बढ़ाने का सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। साधारण सभा में दो हजार से भी ज्यादा प्रतिनिधि और सदस्य उपस्थित थे। महासभा के सभी सर्किलों के प्रतिनिधियों ने भी कार्यकाल बढ़ाने पर सहमति दे रखी है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल के कारण चुनाव में विलंब हुआ है और इसी वजह से प्रस्तावित कार्यों की क्रियान्विति में भी विलंब हुआ। यही वजह रही कि साधारण सभा में पुष्कर स्थित भवन की भूमि का पट्टा लेने, अतिरिक्त जमीन आवंटन कराने, भवन का अधूरा कार्य पूरा करवाने, संविधान में संशोधन करने मौजूदा सर्किल की सीमाओं का पुनर्गठन करने के कार्य का अधिकार भी मौजूदा कार्यकारिणी को दिया गया। इन सभी कार्यों पर तेजी से काम हो रहा है। वहीं दूसरी ओर अजमेर स्थित सहकारी संस्था के रजिस्ट्रार ने महासभा के अध्यक्ष और सचिव को एक पत्र लिखकर निर्देशित किया है कि संस्था का संचालन राजस्थान सोसायटी रजिस्ट्रेशन अधिनियम 1958 की धारा 4 व 4(क) की पालना सुनिश्चित की जाए। यह हिदायत भूडोल निवासी मोहन सिंह रावत की शिकायत पर की गई है। मोहन सिंह ने रजिस्ट्रार को पत्र लिखकर रावत महासभा के चुनाव कराने की मांग की थी। इस पत्र में कहा गया कि मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल समाप्त हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी चुनाव नहीं करवाए जा रहे है। 

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अजमेर में जोधपुरी पत्थरों से बनेगी आर्य समाज की भव्य यज्ञशाला।

अजमेर के नगर आर्य समाज के हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार स्थित परिसर में भव्य यज्ञशाला का निर्माण कराया जाएगा। स्वामी नित्यानंद की स्मृति में जोधपुर के पत्थरों से बनने वाली इस यज्ञ शाला पर करीब पच्चीस लाख रुपए की लागत आएगी। 9 अप्रैल को वैदिक विधि विधान से शिलान्यास हुआ। शिलान्यास शाहपुरा के पूर्व राजपरिवार के जयसिंह ने किया। करीब सौ साल पुराने नगर आर्य समाज का हाल तक अपना भवन नहीं था। साप्ताहिक सत्संग और अन्य गतिविधियां केसरगंज स्थित दयानंद आश्रम में होती थीं। प्रख्यात वैदिक विद्वान डॉक्टर धर्मवीर संस्था के प्रधान बने तो उन्होंने भवन का काम हाथ में लिया। उनके असामयिक निधन के कारण यह पूरा नहीं हो पाया। समाज से जुड़े श्रद्धालुओं ने गत वर्ष इसे पूरा कराया। उनकी स्मृति में इसका नामकरण आचार्य डॉक्टर धर्मवीर भवन किया गया है। हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार में स्थित इस परिसर में एक बड़ा सभागार और कुछ कक्ष हैं। सभागार में करीब पांच सौ लोग बैठ सकते हैं। पंडित गणपति शर्मा शास्त्रार्थ महारथी पुस्तकालय है। इसमें वेद उपनिषद आदि ग्रंथों के साथ इतिहास एवं अन्य विषयों की करीब पंद्रह सौ पुस्तकें हैं। संस्था के मंत्री डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा के अनुसार श्रद्धालुओं के आग्रह पर अब यज्ञशाला बनाने का काम हाथ में लिया गया है। आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती द्वारा रचित संस्कारविधि में विहित विधि अनुसार यह यज्ञशाला 12 खंभों वाली होगी । प्रत्येक खंभे पर दो-दो हाथी विराजमान होंगे। इस यज्ञशाला की ऊंचाई 24 फीट होगी। इस की लम्बाई व चौडाई साढ़े चौदह फीट तय की गई है । यह सम चौरस यज्ञशाला है। आर्य समाज के संरक्षक ओम मुनि ने बताया कि यज्ञशाला के शिखर पर ताम्र कलश व ताम्र स्तम्भ स्थापित किया जाएगा जिस पर ओ३म् पताका शोभायमान रहेगी। इसके निर्माण में केवल जोधपुरी पत्थर का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे इसकी छटा देखने लायक होगी। प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला के अनुसार ही इस यज्ञशाला का निर्माण होगा। उन्होंने बताया कि स्वामी नित्यानंद सरस्वती वैदिक धर्म के महान प्रचारक थे। शाहपुरा और कश्मीर आदि राज परिवारों से उनकी काफी नजदीकी रही और यहां वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार किया। यज्ञशाला का शिलान्यास पूर्व शाहपुरा राज परिवार के जयसिंह ने किया। इस अवसर पर राजस्थान के पूर्व लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी व मुंबई के वरिष्ठ सीए श्रुतिशील झंवर सहित बड़ी संख्या में आर्यजन उपस्थित थे। बाद में पूर्व लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी अध्यक्षता में आयोजित समारोह में कई अतिथियों के उद्बोधन हुए। इस अवसर पर आयोजित विशेष यज्ञ कन्या गुरुकुल शिवगंज की आचार्या और प्रख्यात विदुषी सूर्या देवी चतुर्वेदी ने संपन्न कराया। यज्ञ शाला के निर्माण के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414003468 पर डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा से ली जा सकती है। 

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वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर सचिन पायलट का मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर सबसे बड़ा हमला। 11 अप्रैल को अनशन।पायलट के बदले रुख से कांग्रेस में जबरदस्त खलबली।

9 अप्रैल को जयपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अब तक का सबसे बड़ा राजनीतिक हमला किया है। पायलट ने कहा कि अशोक गहलोत जब विपक्ष में थे तब भाजपा सरकार की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते थे। पायलट ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अशोक गहलोत का वो वीडियो पर प्रदर्शित किया गया, जिसमें कह रहे हैं कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने पर भाजपा सरकार के भ्रष्टाचारों की जांच करवाई जाएगी। खुद गहलोत ने माना कि वसुंधरा राजे की सरकार अब तक की सबसे भ्रष्ट सरकार है। पायलट ने कहा कि सीएम गहलोत के कथन के संदर्भ में ही उन्होंने 28 मार्च 2022 और 2 नवंबर 2022 को अलग अलग पत्र लिखे  इन पत्रों में गहलोत से आग्रह किया गया कि भाजपा के शासन में जो घोटाले हुए उनकी जांच करवाई जाए। मैंने अपने पत्रों के साथ भ्रष्टाचार के सबूत और अखबारों में छपी खबरें भी प्रेषित की, लेकिन मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ता है कि गहलोत ने मेरे किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया और न ही जांच करवाने के आदेश दिए। अकेला खनन घोटाला ही 45 हजार करोड़ रुपए का है। पायलट ने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं को परेशान कर रही है, यहां तक कि नेशनल हेराल्ड केस में गांधी परिवार के सदस्यों को भी परेशान किया जा रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग के विरोध में विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वहीं दूसरी ओर हमारी ही प्रदेश सरकार में भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचारों की जांच नहीं हो रही है। पायलट ने कहा कि 2013 के चुनाव में भाजपा को 163 सीटें और कांग्रेस को मात्र 21 सीटें मिली थी, तब राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुझे प्रदेश कांग्रेस का कमेटी का अध्यक्ष बनाया। हमने भाजपा के शासन में लगातार संघर्ष किया और प्रदेश की जनता को यह भरोसा दिलाया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर न केवल भ्रष्टाचारों की जांच करवाई जाएगी, बल्कि जनता को एक पारदर्शी और ईमानदार शासन दिया जाएगा। जनता ने हमारी बात पर भरोसा किया और 2018 में कांग्रेस की सरकार बनवाई। पायलट ने कहा कि अब जब विधानसभा चुनाव में छह माह भी शेष नहीं रहे हैं तब जनता का सवाल वाजिब है कि हमने अपने वादे पूरे क्यों नहीं किए। पायलट ने कहा कि कई राजनीतिक दल यह आरोप लगाते हैं कि वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत में सांठ-गांठ है, इसलिए सत्ता में आने पर अपने ही वादे के अनुरूप जांच नहीं करवाई जाती। पायलट ने कहा कि मैं नहीं चाहता कि यह आरोप सही साबित हो। अब यदि हमें अगला चुनाव जीतना है तो अपने वादे के मुताबिक वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचारों की जांच करवानी चाहिए।
 
11 अप्रैल को पायलट का अनशन:
पायलट ने कहा कि भाजपा सरकार के घोटालों की जांच के लिए वे 11 अप्रैल को जयपुर के शहीद स्मारक पर अनशन करेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का हर कार्यकर्ता चाहता है कि भ्रष्टाचार की जांच हो।
 
कांग्रेस में जबरदस्त खलबली:
सचिन पायलट के बयान आते ही कांग्रेस में जबरदस्त खलबली शुरू हो गई है, अब तक पायलट बचाव की मुद्रा में सीएम गहलोत पर आरोप लगाते थे, लेकिन आज उन्होंने गहलोत पर सबसे बड़ा राजनीतिक हमला कर दिया है। चूंकि पायलट के निशाने पर सीएम गहलोत के साथ साथ भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी रही, इसलिए राजनीतिक क्षेत्रों में यह माना जा रहा है कि पायलट अगले चुनावों में कांग्रेस और भाजपा दोनों से दूरी बना सकते हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पायलट को अगले चुनाव में उनकी पार्टी का मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने का प्रस्ताव किया है। इस प्रस्ताव पर आरएलपी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने भी सहमति जताई है। 

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Saturday 8 April 2023

जनाब गुलाम नबी जी! पूरा देश जानना चाहता है कि राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों नहीं बने।

गत वर्ष कांग्रेस से बाहर हुए और अब जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय दल बनाकर राजनीति कर रहे गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि उन्हें पता है कि राहुल गांधी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष क्यों नहीं बने। यदि न बनने का कारण मैंने बता दिया तो कांग्रेस की राजनीति में भूचाल आ जाएगा। कांग्रेस छोड़ने के बाद जो कुछ कांग्रेसी मुझ पर पद का लालची होने का आरोप लगा रहे हैं, ऐसे नेताओं से सावधान हो जाना चाहिए। पचास वर्षों से भी ज्यादा समय तक कांग्रेस में रहने वाले गुलाम नबी ने यह सब बातें एक राष्ट्रीय चैनल पर 7 अप्रैल को कही। गुलाम नबी के इस इंटरव्यू की चर्चा अब देशभर में हो रही है। सब जानते हैं कि गुलाम नबी गांधी परिवार के भी निकट रहे हैं। इंदिरा गांधी के कार्यकाल से ही गुलाम नबी केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल रहे तथा एक बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री भी रहे। इतनी वफादारी के बाद भी आजाद को कांग्रेस छोड़नी पड़ी। अब उन्होंने राहुल गांधी पर चौंकाने वाला बयान दिया है। राहुल गांधी न केवल कांग्रेस के नेता है, बल्कि विपक्षी दलों का चेहरा भी हैं। राहुल जब कोई आरोप लगाते हैं तो कई केंद्रीय मंत्री जवाब देने के लिए टीवी चैनलों पर आते हैं। भले ही संसद सदस्यता छीन गई हो, लेकिन देश की राजनीति में राहुल गांधी का महत्व बना हुआ है। ऐसे में पूरा देश जानना चाहता है कि राहुल ने कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने में क्यों इनकार किया? जबकि आम कांग्रेसी चाहता था कि राहुल ही अध्यक्ष बने। मौजूदा समय में भले ही मल्लिकार्जुन खडग़े राष्ट्रीय अध्यक्ष हों, लेकिन असल भूमिका तो राहुल गांधी के इर्द-गिर्द ही घूमती है। सवाल यह भी है कि गुलाम नबी आजाद आखिर राहुल के अध्यक्ष न बनने के मुद्दे का देश से क्यों छुपा रहे हैं? यदि वाकई आजाद को सच्चाई पता है तो देश के सामने रखनी चाहिए। जिस कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष बनने के लिए बड़े बड़े नेता सपने देखते हैं, उस पद को आखिर राहुल गांधी ने क्यों ठुकराया? आजाद को चाहिए कि देश के सामने उन तथ्यों को रखे, जिनके कारण राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बने।

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सेवानिवृत्ति के जश्न से रावत महासभा के अध्यक्ष डॉ. शैतान सिंह को पुष्कर से भाजपा उम्मीदवारी की आस।

राजस्थान रावत महासभा के अध्यक्ष डॉ. शैतान सिंह रावत गत 15 मार्च को राजकीय सेटेलाइट अस्पताल आदर्श नगर अजमेर के मुख्य चिकित्साधिकारी के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं, लेकिन इस सेवानिवृत्ति का जश्न 9 अप्रैल को अजमेर के बड़लिया चौराहा स्थित केसर रिसोर्ट में मनाया जा रहा है। आमतौर पर सरकारी सेवा से रिटायर होने वाला कार्मिक अधिकतम एक हजार व्यक्तियों का भोजन रखता है, लेकिन डॉ. शैतान सिंह ने एक हजार में एक जीरो और बढ़ा कर सामूहिक भोज का आयोजन किया है। यह भोजन सायं चार बजे से शुरू होगा जो देर रात तक चलेगा। सेवानिवृत्ति के जश्न के कार्ड पूरे पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में वितरित किए हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि सामाजिक क्षेत्र में शैतान सिंह ने उल्लेखनीय कार्य किए हैं। चीता मेहरात में घर वापसी हो या फिर रावत महासभा के माध्यम से संपूर्ण मगरा क्षेत्र में रावत समाज के लोगों को एकजुट करने का कार्य हो। सभी में शैतान सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। छोटे भाई ज्ञान सिंह भी बड़लिया के सरपंच हैं। मौजूदा समय में पुष्कर से भाजपा के सुरेश सिंह रावत ही विधायक है। सुरेश सिंह के लगातार दो बार विधायक बनने का कारण पुष्कर के रावत मतदाता भी है। रावत महासभा की सक्रियता भी सबसे ज्यादा पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में है। शैतान सिंह ने विधानसभा का चुनाव भाजपा उम्मीदवार के तौर पर लड़ने की मंशा रावत महासभा के पदाधिकारियों को भी बता दी है। जानकार सूत्रों के अनुसार शैतान सिंह को भाजपा के केंद्रीय नेताओं का भी समर्थन प्राप्त है। रावत महासभा का कार्यक्षेत्र अजमेर, भीलवाड़ा, पाली, नागौर और जोधपुर तक है। यानी रावत महासभा इन जिलों के कई विधानसभा क्षेत्रों में प्रभावित करती है। डॉ. शैतान सिंह का पूरा परिवार पढ़ा लिखा है। पत्नी डॉ. प्रीति सिंह अजमेर के डीएवी कॉलेज में लेक्चरर हैं तो बेटा डॉक्टर है। भाई भी रेलवे में इंजीनियर हैं। डॉ. शैतान सिंह के चुनाव लड़ने की मंशा का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि साढ़े छह साल पहले ही स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति ली है। विधानसभा के चुनाव नवंबर में होने हैं। सेवानिवृत्ति के सामूहिक भोज में हिन्दू समाज के साधु संतों और बड़े राजनेताओं को भी आमंत्रित किया है। सेवानिवृत्ति के जश्न को राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है। सेवानिवृत्ति की शुभकामनाएं डॉ. शैतान सिंह को मोबाइल नंबर 9414008177 पर दी जा सकती है। वहीं रावत महासभा से जुड़े एडवोकेट सुरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि महासभा रावत समाज के लिए उल्लेखनीय  कार्य कर रही है। डॉ. शैतान सिंह के नेतृत्व में अनेक सामाजिक बुराइयों पर रोक लगाई गई है तो जरूरतमंद परिवारों को आर्थिक मदद भी दी जाती है। कोराना काल में डॉ. सिंह सरकारी अस्पतालों में समाज के लोगों को मदद दिलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सरल स्वभाव वाले शैतान सिंह की रावत सर्किल में सेवाभावी की छवि है। महासभा की गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9460074818 पर एडवोकेट सुरेंद्र सिंह रावत से ली जा सकती है। 


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