Thursday 25 January 2024

बंगाल में टीएमसी और पंजाब में आम अकेले दम पर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।बिहार में नीतीश कुमार का फिर हो रहा हृदय परिवर्तन। पंजाब में भाजपा और अकाली दल के बीच गठबंधन के प्रयास।यूपी, एमपी, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों में भाजपा की एकतरफा जीत की उम्मीद।मोदी पर रामजी की कृपा बरसना शुरू। जसवंत दारा ने बनाया सटीक और मजेदार कार्टून।

कांग्रेस की पहल पर विपक्षी दलों का इंडी गठबंधन इसलिए बनाया गया ताकि लोकसभा चुनाव में भाजपा और मोदी को हराया जा सके। गठबंधन का उद्देश्य पूरे देश में भाजपा के खिलाफ विपक्ष का एक उम्मीदवार खड़ा करना था, ताकि विपक्ष के वोटों का बंटवारा न हो। लेकिन अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले पीएम मोदी ने जो 11 दिनों तक कठोर तप किया, उससे अब मोदी पर रामजी की कृपा बरसना शुरू हो गई है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी की भारत जोड़ों न्याय यात्रा ने 25 जनवरी को पश्चिम बंगाल में की सीमा प्रवेश किया। चूंकि बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी की सरकार है और टीएमसी भी इंडी गठबंधन में शामिल है, इसलिए राहुल गांधी और उनके राजनीतिक सलाहकार कन्हैया कुमार (जेएनयू वाला) को उम्मीद थी कि बंगाल की सीमा पर टीएमसी के कार्यकर्ता भी स्वागत करेंगे, लेकिन राहुल के बंगाल में प्रवेश करने से पहले ही 24 जनवरी को सीएम ममता बनर्जी ने घोषणा कर दी कि उनकी पार्टी बंगाल में अकेले दम पर लोकसभा का चुनाव लड़ेगी। ममता ने कहा कि मैंने कांग्रेस को सीट शेयरिंग का जो प्रस्ताव दिया था उसे स्वीकार नहीं किया गया, इसलिए अब हम सभी 42 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे। ममता की इस घोषणा से बंगाल में विपक्ष के वोटों को एकजुट रखने का काम खत्म हो गया है। अब बंगाल में टीएमसी के खिलाफ कांग्रेस और वामपंथी दल मिलकर चुनाव लड़ेंगे। 2019 में बंगाल में भाजपा को 18 सीटें मिली थी और अब भाजपा का प्रयास है कि 30 से ज्यादा सीटें हासिल की जाए। ममता  की इस घोषणा से इंडी गठबंधन में टीएमसी के शामिल रहने का कोई मतलब नहीं है। ममता बनर्जी की तरह पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी घोषणा कर दी है कि पंजाब की सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार खड़े होंगे। बड़ी अजीब बात है कि आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सीटों की शेयरिंग के लिए कांग्रेस के नेताओं से वार्ता कर रहे हैं तो वहीं पंजाब में सीएम भगवंत मान अपनी ढपली अलग से बजा रहे हैं। यदि पंजाब में आप अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी तो फिर आप का इंडी गठबंधन में शामिल रहने का कोई मतलब नहीं है।
 
नीतीश का हृदय परिवर्तन?:
बिहार के समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मोदी सरकार द्वारा भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सराहना की है। नीतीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने कभी भी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया। नीतीश का निशाना लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार पर था। नीतीश कुमार मौजूदा समय में भी लालू की आरजेडी के समर्थन से मुख्यमंत्री है, लेकिन तेजी से बदलते राजनीतिक हालातों में नीतीश कुमार का एक बार फिर हृदय परिवर्तन हो रहा है। कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार और उनका जेडीयू लालू के परिवार से अलग हो जाएगा। हो सकता है कि भाजपा और जेडीयू मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़े। नीतीश कुमार अब किस दल के साथ गठबंधन कर रहे हैं यह बिहार की राजनीति में कोई मायने नहीं रखता।
 
एकतरफा जीत की उम्मीद:
एक और विपक्षी दलों का इंडी गठबंधन बिखरता जा रहा है तो वहीं यूपी, एमपी, हिमाचल, उत्तराखंड, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात आदि राज्यों में भाजपा और मोदी की एक तरफा जीत की उम्मीद जताई जा रही है। 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर इन राज्यों में उत्साह और उमंग का जो माहौल देखने को मिला उससे भी प्रतीत हो रहा है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को एक तरफा जीत मिलेगी। भाजपा इस माहौल को बनाए रखने के लिए ही अब स्पेशल ट्रेन चलाकर लोगों को अयोध्या में रामलला के दर्शन करवा रही है। भाजपा का यह अभियान 25 मार्च तक चलेगा।
 
दारा का कार्टून:
इंडी गठबंधन में जो बिखराव हो रहा है, इसको लेकर राजस्थान के मशहूर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने सटीक और मजेदार कार्टून बनाया है। इस कार्टून को मेरे फेसबुक पेज  www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। इस कार्टून के लिए मोबाइल नंबर 9828054045 पर दारा की हौसला अफजाई की जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (25-01-2024)

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Wednesday 24 January 2024

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों 25 जनवरी को जयपुर में हैंडीक्राफ्ट आइटम की खरीदारी करेंगे।इसे कहते हैं डबल इंजन की सरकार। अब राजस्थान में विदेशी निवेश बढ़ेगा।

राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद अनेक लोग जानना चाहते हैं कि डबल इंजन की सरकार का मतलब क्या है। पीएम मोदी ने चुनावी सभाओं में डबल इंजन वाली सरकार की बात अनेक बार कही। डबल इंजन की सरकार का मतलब है राजस्थान और केंद्र में एक ही दल की सरकार। अब जब प्रदेश की जनता ने राज्य में भाजपा को सत्ता देकर डबल इंजन की सरकार बना दी है तो पीएम मोदी ने भी विकास की ट्रेन को डबल इंजन के साथ चलना शुरू कर दिया है। 25 जनवरी को फ्रांस के राष्ट्रपति श्मानुएल मैक्रो एक दिवसीय यात्रा पर राजस्थान की राजधानी जयपुर में आ रहे हैं।  मैक्रों  इस बार दिल्ली में गणतंत्र दिवस के समारोह में मुख्य अतिथि हैं, लेकिन मैक्रों की भारत यात्रा की शुरुआत जयपुर से होगी। खुद पीएम मोदी जयपुर में मैक्रो का स्वागत करेंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार  मैक्रों  आमेर का किला देखेंगे और फिर हवा महल स्थित हैंडीक्राफ्ट मार्केट में खरीदारी करेंगे। राम निवास बाग के महल में  मैक्रों  और मोदी के बीच संवाद भी होगा। इतना ही नहीं मैक्रो और मोदी का रोड शो भी होगा। आमतौर पर विदेशी राष्ट्राध्यक्ष का दौरा देश की राजधानी तक सीमित होता है, लेकिन मोदी की पहल पर फ्रांस के राष्ट्रपति को जयपुर लाया जा रहा है। चूंकि राजस्थान में भाजपा की सरकार है, इसलिए राजस्थान को यह अवसर मिला है। स्वाभाविक है कि जब फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति आएंगे तो पूरी दुनिया में जयपुर का नाम होगा। विश्व के पर्यटन मंच पर गुलाबी नगरी जयपुर का नाम पहले से ही है और अब जब मैक्रो आएंगे तो विदेशी पर्यटकों की संख्या और बढेगी। मैक्रो के जयपुर दौरे का उद्देश्य विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ाना तो है ही साथ ही राजस्थान के हैंडीक्राफ्ट आइटमों की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करना भी है। मैक्रो के दौरे के बाद न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में राजस्थान के हैंडीक्राफ्ट उत्पादों की मांग भी बढ़ेगी। इसका फायदा राजस्थान के लोगों को ही मिलेगा। मैक्रो के दौरे के बाद राजस्थान में विदेशी निवेश भी बढ़ेगा। कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियां राजस्थान में अपना कारोबार शुरू करेंगी। बड़े उद्योग भी लगेंगे, इससे जो रोजगार उत्पन्न होगा, उसका फायदा भी प्रदेश के युवाओं को मिलेगा। हैंडीक्राफ्ट के उत्पाद तैयार करने में प्रदेश की महिलाओं की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। जब हैंडीक्राफ्ट उत्पादों की बिक्री बढ़ेगी तो महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनेगा और अवसर मिलेगा। फ्रांस के राष्ट्रपति के जयपुर दौरे के कई मायने भी हैं। 

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जब सचिन पायलट को विधानसभा में पांचवीं लाइन में बैठाया गया तब कांग्रेस और डोटासरा को शर्म क्यों नहीं आई?

23 जनवरी को राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि भाजपा ने विधानसभा में विधायकों के बैठने के लिए जो व्यवस्था निर्धारित की है, उसमें भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का अपमान किया गया है। राजे को पीछे की लाइन में विपक्ष और निर्दलीय विधायकों के साथ बैठने के लिए निर्देशित किया गया है। दो बार की मुख्यमंत्री के साथ ऐसा व्यवहार करने के लिए भाजपा को शर्म आनी चाहिए। डोटासरा ने यह भी कहा कि कांग्रेस अपने पूर्व मुख्यमंत्री  सम्मान करती है, इसलिए अशोक गहलोत को भी पहली लाइन में कांग्रेस विधायक दल के नेता के साथ बैठाया गया है। यहां यह उल्लेखनीय है कि वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत विधानसभा में एक विधायक के तौर पर बैठेंगे। डोटासरा के बयान का भाजपा पर कितना असर होता है यह तो आने वाले दिनों में ही पता चलेगा, लेकिन कांग्रेस और डोटासरा को तब शर्म क्यों नहीं आई जब अगस्त 2020 में सचिन पायलट को विधानसभा में पांचवीं लाइन में बैठने के लिए निर्देशित किया गया। सब जानते हैं कि पायलट जब अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में कांग्रेस हाईकमान से मुलाकात करने गए थे, तब जयपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट से प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम का पद छीन लिया था। इतना ही नहीं गहलोत ने डोटासरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाते हुए पायलट को मक्कार, निकम्मा और धोखेबाज तक कहा। तब डोटासरा ने भी पायलट की आलोचना करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष का पद छीनने के बाद पायलट जब सिर्फ विधायक की हैसियत से विधानसभा में आए तो उन्हें सत्ता पक्ष की पांचवीं लाइन में बैठाया गया। इस पर पायलट ने विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष सीपी जोशी से शिकायत की तो जोशी ने कहा कि यह व्यवस्था सरकार और कांग्रेस की और से की गई है। सवाल उठता है कि यदि डोटासरा के मन में वसुंधरा राजे के प्रति इतना ही सम्मान है तो फिर ऐसा सम्मान अपनी पार्टी के सचिन पायलट के प्रति क्यों नहीं दिखाया? वह भी तब जब 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में पायलट की महत्वपूर्ण भूमिका थी। भाजपा के शासन में सचिन पायलट ने जो संघर्ष किया उसी का परिणाम रहा कि कांग्रेस को बहुमत मिला। जिन सचिन पायलट ने कांग्रेस की सरकार बनवाई उन्हीं पायलट को विधानसभा में पांचवीं लाइन में बैठाया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस अपने नेताओं का कितना सम्मान करती है। 

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Tuesday 23 January 2024

अजमेर में कढ़ी कचौरी का प्रचलन इसलिए पेट रोग के मरीजों की संख्या ज्यादा।पंचशील में डॉ. आकाश माथुर ने लगाया निशुल्क परामर्श शिविर।

22 जनवरी को अयोध्या में जब प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो रहा था, तभी अजमेर में पंचशील हाउसिंग बोर्ड के आवास संख्या 1/27 पर स्थित निदान डाइजेस्टिव हेल्थ सेंटर पर डॉ. आकाश माथुर की ओर से निशुल्क परामर्श शिविर लगाया गया। डॉ. माथुर और उनके पिता वेद माथुर (पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व महाप्रबंधक) ने इस शिविर का उद्घाटन मुझ से कराया। इसमें कोई दो राय नहीं कि खानपान के कारण पेट के रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राजस्थान के अजमेर में पेट के रोगियों की संख्या इसलिए भी ज्यादा है, यहां बेसन से तैयार कड़ी और मैदा  मसालों से बनने वाली कचौड़ी का प्रचलन है। अजमेर की कढ़ी-कचौड़ी का नाश्ता कराया जाता है। अजमेर में ऐसे हजारों लोग मिल जाएंगे जो प्रतिदिन केसर गंज, नया बाजार, पड़ाव, मदार गेट, वैशाली नगर आदि में पहुंचकर कढ़ी कचौरी का सेवन करते हैं। पेट रोग के विशेषज्ञ भले ही मिर्च न खाने या कम खाने की सलाह देते हो, लेकिन अत्यधिक मिर्च वाली कढ़ी को कचौड़ी के साथ खाया जाता है। मिर्ची के बीज पीसकर भी कढी में मिलाए जाते हैं। ऐसी कढ़ी कचौरी खाने वाले पेट के रोगी होंगे ही। अजमेर में पेट रोग के जितने भी चिकित्सक हैं, उन सब के अस्पतालों पर मरीजों की भीड़ रहती है। मेरा कहना रहा कि यदि व्यक्ति खानपान का ध्यान रखेगा तो उसे पेट की बीमारी नहीं होगी और जब पेट की बीमारी नहीं होगी तो अन्य रोग भी नहीं होंगे। सभी रोगों की जड़ पेट रोग ही है। मेरा कहना रहा कि चिकित्सा का पेशा सेवा से जुड़ा हुआ है, लेकिन मरीजों को भी निजी चिकित्सकों और अस्पतालों के संसाधनों को ध्यान में रखते हुए सहयोग करना चाहिए। चूंकि सरकारी अस्पतालों में मरीज के प्रति उदासीनता बरती जाती है, इसलिए निजी अस्पतालों में मरीजों को आना पड़ता है।
 
एसजीपीजीआई लखनऊ से डिग्री:
निदान डाइजेस्टिव हेल्थ सेंटर के संचालक डॉ. आकाश माथुर ने पेट और लीवर रोगों के संबंध में लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई से डीएम की डिग्री प्राप्त की है। डॉ. आकाश माथुर ने कहा कि मेरे लिए गर्व की बात है कि अब मैं अपनी मातृभूमि अजमेर में सेवा की भावना से काम कर रहा हंू। निशुल्क परामर्श का उद्देश्य भी यही है कि जरूरतमंद मरीजों का सरलता के साथ इलाज किया जा सके। इस अवसर पर डॉ. माथुर के पिता और पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व महाप्रबंधक वेद माथुर ने कहा कि डॉ. आकाश शुरू से ही मेहनती रहे हैं,इसलिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी सम्मानित किया है। डॉ. आकाश इन दिनों पंचशील स्थित क्षेत्रपाल अस्पताल में प्रातः 10 से सायं 5 बजे तक अपनी सेवाएं दे रहे हैं, जबकि सायं 6 से रात 8 बजे तक पंचशील स्थित निदान डाइजेस्टिव हेल्थ सेंटर पर मरीजों को परामर्श देते हैं। पेट की बीमारियों से संबंधित जानकारी और निदान के लिए मोबाइल नंबर 9257505335 पर डॉ. आकाश माथुर से संवाद किया जा सकता है। 

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अमिताभ बच्चन और कुमार विश्वास पर वाकई रामजी की कृपा है।दोनों की पत्नियां दूसरी विचारधारा से जुड़ी है, लेकिन फिर भी अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का वीवीआईपी निमंत्रण मिला।पुष्कर तीर्थ से जुड़े स्वामी गोविंद गिरि महाराज ने चरणा मृत पिलाकर पीएम मोदी का उपवास पूरा करवाया।

इसे भगवान राम की कृपा ही कहा जाएगा कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास भी वीवीआईपी अतिथियों के साथ उपस्थित थे। अमिताभ बच्चन और कुमार विश्वास मानते हैं कि उनकी सफलता में पत्नियों का बड़ा योगदान है। सब जानते हैं कि अमिताभ की पत्नी जया बच्चन समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं और कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा राजस्थान लोक सेवा आयोग की सदस्य हैं। मंजू शर्मा की नियुक्ति कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की थी। अयोध्या में मंदिर निर्माण में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कितनी बाधाएं खड़ी की यह हर सनातनी अच्छी तरह जनता है। 22 जनवरी को अयोध्या में कुमार विश्वास राष्ट्रीय चैनलों पर स्वयं को रामभक्त और मोदी भक्त प्रदर्शित करते रहे। कुमार विश्वास ने कहा कि मोदी की वजह से ही अयोध्या में मंदिर बना है। ये कुमार विश्वास वही है जिन्होंने कांग्रेस की कृपा से अपनी पत्नी को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य होना स्वीकार किया। एक आरे कुमार विश्वास कांग्रेस की कृपा से पत्नी को महत्वपूर्ण पद दिलवाते हैं तो दूसरी ओर अयोध्या में खड़े होकर पीएम मोदी का गुणगान करते हैं। ऐसा दोहरा चरित्र कुमार विश्वास जैसा राजनेता ही कर सकता है। यह भी सब जानते हैं कि आम आदमी पार्टी में रहते हुए कुमार विश्वास ने 2014 में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा। जब आम आदमी पार्टी से बाहर निकले तो कांग्रेस ने घुसपैठ कर ली। मंचों से राहुल गांधी की प्रशंसा की तो अशोक गहलोत ने उनकी पत्नी मंजू शर्मा को लाभ का पद दे दिया। अब मंजू शर्मा राजस्थान में आरएएस, आरपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर लेक्चर जैसे पदों पर युवाओं का चयन करती है। इसके साथ ही कुमार विश्वास ने अब पीएम मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की प्रशंसा करना शुरू कर दिया है। कुमार विश्वास को अब यह एहसास हो गया है कि कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है, इसलिए भाजपा की स्तुति करने में लग गए हैं।
 
पीएम मोदी को चरणामृत पिलाया:
22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा के सामने राष्ट्रीय संत स्वामी गोविंद गिरि महाराज ने पीएम मोदी को चम्मच से चरणामृत पिला कर उपवास पूरा कराया। मालूम हो कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए पीएम मोदी ने 11 दिन का उपवास किया। इन 11 दिनों में मोदी ने सिर्फ नारियल का पानी पीया और सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुरूप जमीन पर रात्रि में विश्राम किया। इन 11 दिनों में यह भी ध्यान रखा गया कि अपने शब्दों से किसी की भावनाएं आहत न हो। यानी 11 दिनों के कठोर तप के बाद ही पीएम मोदी भगवान राम के सामने उपस्थित हुए। पुष्कर के लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि पीएम मोदी का उपवास पुष्कर से जुड़े स्वामी गिरि ने पूरा कराया। गोविंद गिरि महाराज न केवल धर्मगुरु है बल्कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष भी हैं। मंदिर निर्माण में गोविंद गिरि जी की महत्वपूर्ण भूमिका है। अब जब पीएम मोदी का उपवास पूरा कराया है तो उनके प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। मोदी ने भी एक धर्मगुरु के तोर पर गोविंद गिरि महाराज का पूरा सम्मान किया। 

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अमिताभ बच्चन और कुमार विश्वास पर वाकई रामजी की कृपा है।दोनों की पत्नियां दूसरी विचारधारा से जुड़ी है, लेकिन फिर भी अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का वीवीआईपी निमंत्रण मिला।पुष्कर तीर्थ से जुड़े स्वामी गोविंद गिरि महाराज ने चरणा मृत पिलाकर पीएम मोदी का उपवास पूरा करवाया।

इसे भगवान राम की कृपा ही कहा जाएगा कि 22 जनवरी को अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह में फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन और प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास भी वीवीआईपी अतिथियों के साथ उपस्थित थे। अमिताभ बच्चन और कुमार विश्वास मानते हैं कि उनकी सफलता में पत्नियों का बड़ा योगदान है। सब जानते हैं कि अमिताभ की पत्नी जया बच्चन समाजवादी पार्टी की राज्यसभा सांसद हैं और कुमार विश्वास की पत्नी मंजू शर्मा राजस्थान लोक सेवा आयोग की सदस्य हैं। मंजू शर्मा की नियुक्ति कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने की थी। अयोध्या में मंदिर निर्माण में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कितनी बाधाएं खड़ी की यह हर सनातनी अच्छी तरह जनता है। 22 जनवरी को अयोध्या में कुमार विश्वास राष्ट्रीय चैनलों पर स्वयं को रामभक्त और मोदी भक्त प्रदर्शित करते रहे। कुमार विश्वास ने कहा कि मोदी की वजह से ही अयोध्या में मंदिर बना है। ये कुमार विश्वास वही है जिन्होंने कांग्रेस की कृपा से अपनी पत्नी को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य होना स्वीकार किया। एक आरे कुमार विश्वास कांग्रेस की कृपा से पत्नी को महत्वपूर्ण पद दिलवाते हैं तो दूसरी ओर अयोध्या में खड़े होकर पीएम मोदी का गुणगान करते हैं। ऐसा दोहरा चरित्र कुमार विश्वास जैसा राजनेता ही कर सकता है। यह भी सब जानते हैं कि आम आदमी पार्टी में रहते हुए कुमार विश्वास ने 2014 में अमेठी से राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा। जब आम आदमी पार्टी से बाहर निकले तो कांग्रेस ने घुसपैठ कर ली। मंचों से राहुल गांधी की प्रशंसा की तो अशोक गहलोत ने उनकी पत्नी मंजू शर्मा को लाभ का पद दे दिया। अब मंजू शर्मा राजस्थान में आरएएस, आरपीएस, डॉक्टर, इंजीनियर लेक्चर जैसे पदों पर युवाओं का चयन करती है। इसके साथ ही कुमार विश्वास ने अब पीएम मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत की प्रशंसा करना शुरू कर दिया है। कुमार विश्वास को अब यह एहसास हो गया है कि कांग्रेस का कोई भविष्य नहीं है, इसलिए भाजपा की स्तुति करने में लग गए हैं।
 
पीएम मोदी को चरणामृत पिलाया:
22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्रतिमा के सामने राष्ट्रीय संत स्वामी गोविंद गिरि महाराज ने पीएम मोदी को चम्मच से चरणामृत पिला कर उपवास पूरा कराया। मालूम हो कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए पीएम मोदी ने 11 दिन का उपवास किया। इन 11 दिनों में मोदी ने सिर्फ नारियल का पानी पीया और सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुरूप जमीन पर रात्रि में विश्राम किया। इन 11 दिनों में यह भी ध्यान रखा गया कि अपने शब्दों से किसी की भावनाएं आहत न हो। यानी 11 दिनों के कठोर तप के बाद ही पीएम मोदी भगवान राम के सामने उपस्थित हुए। पुष्कर के लोगों के लिए यह गर्व की बात है कि पीएम मोदी का उपवास पुष्कर से जुड़े स्वामी गिरि ने पूरा कराया। गोविंद गिरि महाराज न केवल धर्मगुरु है बल्कि श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष भी हैं। मंदिर निर्माण में गोविंद गिरि जी की महत्वपूर्ण भूमिका है। अब जब पीएम मोदी का उपवास पूरा कराया है तो उनके प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है। मोदी ने भी एक धर्मगुरु के तोर पर गोविंद गिरि महाराज का पूरा सम्मान किया। 

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गहलोत शासन में सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक पताकाओ पर भी प्रतिबंध था, लेकिन अब भजन सरकार में भगवा पताकाओं की लहर। अजमेर में तूफान।यह होता है सत्ता परिवर्तन का असर।तमिलनाडु में 22 जनवरी को मंदिरों में नहीं हो सके धार्मिक आयोजन क्यों यहां अभी सनातन विरोधी स्टालिन सरकार है।

22 जनवरी को जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा समारोह हुआ तो अजमेर सहित राजस्थान भर में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रही। सनातन धर्म के मानने वालों ने मंदिरों को सजाया, बाजारों में भंडारे किए, युवाओं ने भगवा रैली निकाली तथा जगह जगह सनातन धर्म के प्रतीक भगवा पताकाओं को लहराया। इन धार्मिक आयोजनों के लिए किसी भी संस्था ने प्रशासन से अनुमति नहीं ली। लोगों ने स्वतंत्र होकर अपनी धार्मिक भावनाओं को प्रकट किया।पूरे प्रदेश में 22 जनवरी को उत्साह और उमंग का माहौल देखा गया। गली कूचों तक में जय श्री राम का उद्घोष हुआ, लेकिन प्रदेश के किसी भी स्थान से विवाद या तनाव की घटना सामने नहीं आई। यह परिवर्तन राजस्थान में सत्ता में बदलाव की वजह से हुआ है। गत 3 दिसंबर को विधानसभा चुनाव में नतीजों में प्रदेश की जनता ने कांग्रेस से सत्ता छीनकर भाजपा को दे दी। भजनलाल शर्मा भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री बने तो अब स्वतंत्रता के साथ सनातन धर्म के आयोजन हो रहे हैं। सब जानते हैं कि विधानसभा चुनाव से पहले तक राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी। गहलोत सरकार ने समय सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक पताकाओं को लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर होने वाली भजन संध्याओं की अनुमति की अनिवार्यता भी लागू की गई। धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी अनुमति लेने के लिए गिड़गिड़ाते देखे गए। कई धार्मिक संस्थाओं को तो जुलूस निकालने की अनुमति इसलिए नहीं दी गई कि जुलूस में सांप्रदायिक तनाव हो जाएगा। खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राम नवमी और अन्य धार्मिक पर्वों के समय जो जोशीले नारे लगाए जाते हैं उसे सांप्रदायिक तनाव होता है। गहलोत ने कांग्रेस शासन में हुए करौली से लेकर जोधपुर तक के दंगों के लिए हिंदू संगठनों को जिम्मेदार ठहराया। पूरे प्रदेश ने देखा कि सिक तरह घरों की छतों से हिंदू संगठनों के जुलूस पर पथराव किया गया। गहलोत सरकार ने अपनी तुष्टिकरण की नीति पर अमल करते हुए धार्मिक पताकाओं तक पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन 22 जनवरी को प्रदेश की जनता ने देखा कि कहीं कोई विवाद नहीं हुआ। लोगों ने पूरी स्वतंत्रता के साथ धार्मिक भावनाओं को प्रकट किया। कांग्रेस के शासन में जो प्रशासन जुलूस निकालने के लिए अनुमति चाहता था, वही प्रशासन 22 जनवरी को धार्मिक आयोजनों की व्यवस्था और सुरक्षा देने में व्यस्त रहा। असल में प्रशासनिक तंत्र सरकार के इशारे पर ही काम करता है। राजस्थान की जनता ने 22 जनवरी को अहसास किया कि सत्ता परिवर्तन हो गया है।
 
तमिलनाडु में रोक:
सब जानते हैं कि तमिलनाडु राज्य में मौजूदा समय में डीएमके की सरकार है और एमके स्टालिन मुख्यमंत्री है। स्टालिन के पुत्र और सरकार में मंत्री उदयनिधि ने विगत दिनों कहा था कि सनातन धर्म को खत्म किया जाना चाहिए। सरकार का इशारा समझते हुए तमिलनाडु के प्रशासन ने 22 जनवरी को मंदिरों में अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह से जुडे धार्मिक आयोजनों को नहीं होने दिया। पहले कहा गया कि मंदिरों में होने वाले आयोजनों के लिए  प्रशासन से अनुमति ली जाए। जब धार्मिक संस्थाओं ने अनुमति के लिए आवेदन किया तो ऐसे आवेदनों पर कोई निर्णय नहीं लिया। यानि 22 जनवरी को तमिलनाडु के अधिकांश मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का लाइव प्रसारण नहीं हुआ और न ही धार्मिक अनुष्ठान हो सके। सरकार की इस बुरी नीयत पर अब हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किए हैं। स्टालिन सरकार से पूछा गया है कि 22 जनवरी के आयोजन के लिए कितने आवेदन प्राप्त हुए। और प्रशासन ने उस पर क्या कार्यवाही की। आरोप है कि स्टालिन सरकार ने मौखिक आदेश दिए इसलिए धार्मिक आयोजनों की अनुमति नहीं दी गई। स्टालिन सरकार में ऐसी विचारधारा के लोग बैठे हैं जो यह मानते हैं कि सनातन धर्म के आयोजनों से दूसरे धर्मों के लोगों की भावनाएं आहत होंगी। इस विचार को दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि क्योंकि भगवान राम ने तो बुराई को समाप्त करने के लिए तमिलनाडु के समुद्र से ही लंका की यात्रा की शुरुआत की थी। एक और भगवान राम की विचारधारा है जिसने रावण जैसी प्रगति को समाप्त किया वहीं अब तमिलनाडु में ऐसी विचारधारा सत्ता में है जिसे भगवान राम के समारोहों से भी डर लगता है। देखना है कि तमिलनाडु में राजस्थान की तरह सत्ता परिवर्तन कब होता है।
 
अजमेर में भी भगवा लहर:
22 जनवरी को अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर अजमेर में भी भगवा लहर देखने को मिली। नया बाजार व्यापारिक एसोसिएशन ने विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए और एसोसिएशन के अध्यक्ष अमित ढाणी के नेतृत्व में पदाधिकारियों ने एक एक दुकान पर जाकर दुकान मालिक को राम दुपट्टा ओढ़ा तथा चार-चार लड्डू दिए। एसोसिएशन की इस पहल का सभी व्यापारियों ने स्वागत किया। इसी प्रकार नया बाजार चौपड़ स्थित जीडी सर्राफ प्रतिष्ठान के मालिक दिनेश गर्ग ने बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाकर समारोह का लाइव प्रसारण दिखाया। गर्ग की ओर से प्रसाद के तौर पर हलवा वितरित किया गया। प्राण प्रतिष्ठा के समय महाआरती भी की गई। बीके कौल नगर स्थित हनुमान विहार में प्राचीन बाल वीर हनुमान मंदिर में महाआरती के साथ-साथ मीठे चावल का प्रसाद श्रद्धालुओं को वितरित किया गया। मंदिर के उपासक भूपेश सांखला ने बताया कि सुबह से ही मंदिर में भजन कीर्तन के आयोजन हुए। इसी प्रकार दाहरसेन स्मारक स्थित सिद्धेश्वर मंदिर में भी प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया। हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार विकास समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संदीप धाबाई ने बताया कि समारोह में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने भी शिकरत की। इस अवसर पर देवनानी ने अजमेर के राममय माहौल की प्रशंसा की। इसी प्रकार कोटड़ा स्थित राधा विहार कॉलोनी की महिलाओं ने भी प्रभात फेरी निकाली और मंदिर में आरती की। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-01-2024)

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16वीं विधानसभा के पहले ही प्रश्नकाल में अध्यक्ष देवनानी को सरकार के मंत्रियों को चेतावनी देनी पड़ी।नाथी का बाड़ा और सीकर के कलाम कोचिंग की भी गूंज। पेपर लीक के मामलों को लेकर हंगामा।

16वीं विधानसभा का पहला प्रश्नकाल 23 जनवरी को हंगामेदार रहा। हंगामे के दौरान जब मंत्रियों ने खड़े होकर विपक्ष के विधायकों का विरोध करना चाहा तो विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को सरकार के मंत्रियों को चेतावनी देनी पड़ी। देवनानी ने कहा कि मंत्रियों को बिना अनुमति के नहीं बोलना चाहिए। मंत्री तभी बोले जब मेरे द्वारा कहा जाए। उन्होंने कहा कि मंत्रियों को अपनी मर्यादा में रहने की जरूरत है। प्रश्न काल के अंत में देवनानी ने अधिकारियों के रवैये को लेकर भी नाराजगी प्रकट की। असल में देवरानी ने खड़े होकर जब प्रश्नकाल समाप्त होने की घोषणा की तो सदन में बैठे कई अधिकारी बाहर जाने लगे। इस पर देवनानी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जब तक मैं अनुमति न दूं तब तक कोई अधिकारी सदन से बाहर न जाए। उन्होंने कहा कि यदि अधिकारियों ने अपना रवैया नहीं सुधारा तो उन्हें मुख्यमंत्री से कहना पड़ेगा। 23 जनवरी को देवनानी ने मंत्रियों और अधिकारियों को लेकर जो तेवर दिखाए उससे प्रतीत होता है कि देवनानी सरकार के प्रति भी सख्त है। प्रश्नकाल के दौरान जब विपक्ष के सदस्यों ने हंगामा किया तो देवनानी ने स्पष्ट कहा कि यदि सदन अनियंत्रित रहता है तो वे हंगामा करने वाले सदस्यों को निलंबित कर देंगे। उन्होंने कांग्रेस विधायक शांति धारीवाल का नाम लेकर चेतावनी दी। असल में कांग्रेस शासन में हुए पेपर लीक के मामलों की जांच को लेकर आरएलपी विधायक हनुमान बेनीवाल ने सवाल उठाया था। बेनीवाल का कहना रहा कि भाजपा जब विपक्ष में थी, तब पेपर लीक के मामलों की जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रही थी। लेकिन अब जब भाजपा सरकार में है तो सीबीआई जांच से बच रही है। इस पर मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि पेपर लीक के मामलों की जांच के लिए सरकार ने एसआईटी का गठन कर दिया है। एसआईटी की जांच के बाद भी सीबीआई से जांच कराने का निर्णय लिया जाएगा। इसी बीच कांग्रेस विधायक गोविंद सिंह डोटासरा ने जानना चाहा कि मंत्री की ओर से पेपर लीक के जो मामले बताए गए हैं उसमें पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय के कितने मामले हैं, इस पर सदन में हंगामा हो गया। सरकार के मंत्रियों और विधायकों ने कहा कि नाथी के बाड़े वाले लोगों को पेपर लीक पर सवाल पूछने का अधिकार नहीं है। इसके साथ ही नाथी के बाड़े की गूंज होने लगी। मंत्री खींवसर ने कहा कि प्राथमिक जांच में सीकर स्थित कलाम कोचिंग सेंटर का नाम भी सामने आया है। खींवसर के इस कथन पर भी विपक्ष सदस्यों ने हंगामा किया। एक सवाल के जवाब में मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस शासन में एक करोड़ से ज्यादा महिलाओं को स्मार्ट फोन देने की घोषणा की गई थी, लेकिन सिर्फ 24 लाख महिलाओं को ही फोन दिए गए। राठौड़ ने कहा कि अब हमारी सरकार स्मार्ट योजना का परीक्षण करवा रही है। परीक्षण के बाद ही शेष महिलाओं को स्मार्ट फोन देने का निर्णय होगा। प्रश्न काल के दौरान कई बार मंत्रियों ने सवालों के जवाब सही प्रकार से नहीं दिए। जो सवाल पूछे गए उनके जवाब न देकर दूसरे सवालों के जवाब दिए गए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि मंत्रीगण तैयारी करके नहीं आए हैं, इसलिए सदन में गलत जवाब दिए जा रहे हैं। इस पर अध्यक्ष देवनानी का कहना रहा कि मंत्रियों से जवाब दिलवाने की जिम्मेदारी उनकी है। सदन में जो सवाल रखे जाएंगे उन सभी के जवाब दिए जाएंगे। 

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Wednesday 17 January 2024

कांग्रेस सरकार में सभी संस्थाओं के भूमि आवंटन निरस्त नहीं होंगे।इंदौर और सूरत के मेयर-आयुक्त जयपुर आएंगे।22 जनवरी को स्थानीय निकाय भवनों पर रोशनी। मन में राम का होना जरूरी।फर्स्ट इंडिया के मैनेजिंग एडिटर पवन अरोड़ा से राजस्थान के नगरीय विकास मंत्री झाबर लाल खर्रा।

आईएएस की नौकरी बीच में ही छोड़ कर  फर्स्ट  इंडिया न्यूज के मैनेजिंग एडिटर और सीईओ का पद संभालने वाले पवन अरोड़ा ने अपने पहले कीनोट प्रोग्राम में राजस्थान के नगरीय विकास मंत्री झाबर लाल खर्रा से बेबाक बात की। 16 जनवरी को सायं सात बजे प्रसारित हुए इस इंटरव्यू में पवन अरोड़ा ने तीखे और जनउपयोगी सवाल किए जिनका जवाब खर्रा ने शालीनता और तर्क पूर्ण तरीके से दिए। खर्रा ने कहा कि कांग्रेस के शासन में अनेक संस्थाओं को भूमि का आवंटन हुआ। हमने इन सभी आवंटनों की जांच करवाई है। उन्होंने कहा कि जो संस्थाएं जनहित में काम कर रही है उनके आवंटन निरस्त नहीं होंगे। खर्रा ने कहा कि ऐसी कई संस्थाएं है जो सिर्फ कागजों में चल रही है। ऐसी संस्थाओं के पदाधिकारियों ने मिलीभगत कर भूमि का आवंटन करवा लिया है। जो संस्थाएं कागजी है उनके आवंटन निरस्त होंगे। खर्रा ने कहा कि 22 जनवरी का दिन देश के प्रत्येक नागरिक के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन अयोध्या में राम की प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठित किए जाएंगे। राजस्थान की स्थानीय निकायों के भवनों पर रोशनी की जाएगी। खर्रा ने कहा कि जिस व्यक्ति के मन में राम होता है वही इंसान कहलाता है। जिसके मन में राम नहीं है वह इंसान नहीं हो सकता। पवन अरोड़ा के गांव से युवाओं के शहरों में पलायन के जवाब में खर्रा ने कहा कि इसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। केंद्र की कांग्रेस गठबंधन सरकार ने 2013 में भूमि अधिग्रहण के लिए जो कानून बनाए उससे देश में नदियों को जोड़ने का काम रोका गया। खर्रा ने कहा कि यदि नदियों को जोड़ कर गांव में पानी पहुंचाया जाता है तो खेती को बढ़ावा मिलेगा। जब गांव में ही खेत पर काम मिलेगा तो युवा रोजगार के लिए शहरों में नहीं आएगा। खर्रा ने कहा कि नदियों को जोड़ने के लिए अब पीएम मोदी काम कर रहे हैं। आने वाले दिनों में राजस्थान में नदियों को जोड़ने का काम होगा, जिससे युवाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध होगा। खर्रा ने इस बात को स्वीकार किया कि कांग्रेस के शासन में शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता का काम प्रभावी तरीके से नहीं हुआ। यही वजह रही कि राष्ट्रीय स्वच्छता की रैंकिंग में राजस्थान का नंबर 25वें स्थान पर रहा। खर्रा ने कहा कि वे जल्द ही सूरज और इंदौर महानगर पालिका के मेयर व आयुक्त को जयपुर बुलाएंगे और स्वच्छता की टिप्स लेंगे। ये दोनों ही शहर हाल ही में पहले और दूसरे स्थान पर आए हैं। खर्रा ने शहरी विकास के लिए सरकार कोई नया टैक्स नहीं लगाएगी। उनका प्रयास होगा कि मौजूदा टैक्स की प्रभावी वसूली है, जिससे स्थानीय निकाय संस्थाओं के राजस्व में वृद्धि हो। बकाया राशि वसूलने का अभियान भी चलाया जाएगा। खर्रा ने कहा कि मौजूदा संसाधनों से ही शहरी विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के गलत निर्णयों से नगर पालिकाओं का गठन किया गया। दो तीन ग्राम पंचायतों को मिलाकर नगर पालिका बना दी गई इसमें जनसंख्या के नियमों का ध्यान नहीं रखा गया। आज अनेक नगर पालिकाओं में 15 हजार से ज्यादा जनसंख्या है। एक ओर ऐसी पालिकाओं के पास राजस्व की कमी है तो दूसरी ओर क्षेत्रफल भी ज्यादा है। खर्रा ने कहा कि अब योजनाबद्ध तरीके से नगर पालिकाओं में विकास करवाया जाएगा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने अनेक योजनाओं को मंजूरी दे दी। लेकिन बजट का प्रावधान नहीं किया। यही वजह है कि सरकार की सौ दिनों की कार्ययोजना में पिछले सरकार की योजनाओं को शामिल किया गया है। चूंकि हम पुरानी सरकार की किसी भी योजना को रोकना नहीं चाहते इसलिए सौ दिनों की कार्य योजना में पुरानी योजनाओं की क्रियान्विति करवाई जा रही है। खर्रा ने पवन अरोड़ा का आभार जताया कि उन्होंने जनहित से जुड़े सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा कि अरोड़ा ने एक सच्चे पत्रकार की भूमिका निभाई है। उल्लेखनीय है कि पवन अरोड़ा ने प्रोग्राम की शुरुआत की है। आने वाले दिनों में राजनेताओं के साथ साथ प्रदेश के प्रमुख व्यापारियों उद्योगपतियों और प्रभावशाली नेताओं के इंटरव्यू फर्स्ट इंडिया पर देखने को मिलेंगीे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (17-01-2024)

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Tuesday 16 January 2024

शाकाहारियों में विटामिन की कमी होने की बात कहने वाला मैनकाइंड का विज्ञापन गलत।कंपनी के साथ फिल्म अभिनेता रणवीर सिंह के विरुद्ध भी कार्यवाही हो।

16 जनवरी को देश के प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में मैनकाइंड कंपनी का एक विज्ञापन छपा है। इस विज्ञापन में बताया गया है कि हर तीन में से एक भारतीय शाकाहारी है और शाकाहारियों में विटामिन की कमी का खतरा रहता है। यह बात लिखने के बाद कंपनी ने ताकत बढ़ाने वाले उत्पाद बताए हैं। कंपनी की ओर से कहा गया कि उनकी दवाई (टेबलेट) खाने से विटामिन की कमी पूरी होगी। इस विज्ञापन  से जाहिर है कि भारत का जो नागरिक शाकाहारी है, उसके शरीर में विटामिन की कमी का खतरा है। ऐसे में हर शाकाहारी को मैनकाइंड के उत्पादों का सेवन करना चाहिए। इस विज्ञापन में फिल्म अभिनेता रणवीर सिंह की फोटो भी लगाई है। यानी रणवीर सिंह भी मानते हैं कि शाकाहार व्यक्तियों में विटामिन की कमी होती है। कंपनी का यह विज्ञापन देश के शाकाहारियों पर सीधा हमला है। मैनकाइंड कंपनी ने अपने उत्पाद बेचने के लिए शाकाहार को ही दांव पर लगा दिया है। कंपनी का यह तर्क भी बेहूदा पूर्ण है कि हर तीन भारतीय में से सिर्फ एक शाकाहारी है। यानी देश में शाकाहारियों के मुकाबले मांस खाने वाले नागरिकों की संख्या ज्यादा हे। भारत में शाकाहार तो सनातन संस्कृति से जुड़ा हुआ है। आयुर्वेद में शाकाहार का विशेष महत्व बताया गया है। उल्टे मांसाहारियों में बीमारियां ज्यादा होती है। आयुर्वेद में तो हरी सब्जियों में भी विटामिन होने की बात कही गई है। आमतौर पर देखा गया है कि मांसाहार के मुकाबले शाकाहारी व्यक्ति ज्यादा स्वस्थ रहता है। यह तर्क एकदम गलत है कि शाकाहारी व्यक्तियों के शरीर में विटामिन की कमी हो सकती है। केंद्र सरकार के औषधि नियंत्रक विभाग को तत्काल मैनकाइंड कंपनी और फिल्म अभिनेता रणवीर सिंह के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए। देश में जो लोग शाकाहार को लेकर अभियान चला रहे हैं उन्हें भी मैनकाइंड कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (16-01-2024)

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चंद्रशेखर के जाने के बाद राजस्थान भाजपा का नया स्वरूप सामने आएगा।कांग्रेस में विधायक दल के नेता का चयन भी नहीं।

पिछले सात वर्षों में राजस्थान भाजपा में वही हुआ जो संगठन महामंत्री चंद्रशेखर ने चाहा। चंद्रशेखर संगठन महामंत्री के पद पर सबसे अधिक समय तक रहने वाले नेता तो हैं ही साथ ही उनके कार्यकाल में भाजपा में बड़े उतार चढ़ाव हुए। 2018 में भाजपा को विधानसभा चुनावों में हार का सामना करना पड़ा तो वहीं लोकसभा की सभी 25 सीटों पर भाजपा की जीत हुई। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत हासिल हुई। अब चंद्रशेखर को राजस्थान से स्थानांतरित कर तेलंगाना भाजपा का संगठन महामंत्री नियुक्ति किया गया है। भाजपा में संगठन महामंत्री का सर्वाधिक महत्व होता है, क्योंकि संगठन महामंत्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा भेजा जाता है। आमतौर पर संघ के किसी प्रचारक को संगठन महामंत्री का दायित्व दिया जाता है। चंद्रशेखर के जाने के बाद राजस्थान भाजपा का अब नया स्वरूप सामने आएगा। जिस प्रकार पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को सीधे मुख्यमंत्री नबा दिया गया उसी प्रकार भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष भी किसी युवा को बनाया जाएगा। मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी को भी बदलने की तैयारी है। जोशी को बदलने से पहले राजस्थान में संगठन महासचिव की नियुक्ति होगी। माना जा रहा है कि संघ से आए संगठन महासचिव की नया अध्यक्ष बनाने में भूमिका निभाएंगे। मौजूद संगठन में भी बड़ा बदलाव किया जाएगा। संघ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि सरकार को इस तरह चलाया जाएगा जिससे पांच वर्ष बाद सरकार रिपीट हो सके। हालांकि अभी लोकसभा की सभी 25 सीटें जीतने का लक्ष्य है। इसके लिए भाजपा में तैयारियां शुरू हो गई है।
 
कांग्रेस में विधायक दल का नेता भी नहीं:
एक और भाजपा में तेजी से बदलाव हो रहा है, तो वही राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल के नेता का चयन भी नहीं हो पा रहा है। विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर को आए थे, लेकिन डेढ़ महीना गुजर जाने के बाद भी नेता के नाम की घोषणा नहीं हो पाई है, जबकि विधानसभा का सत्र 19 जनवरी से शुरू हो रहा है। प्रदेश के कांग्रेस विधायकों ने नेता घोषित करने का जिम्मा कांग्रेस हाईकमान को दे रखा है। दिल्ली में कई दौर की बैठक भी हो गई है, लेकिन फिर भी नेता के नाम की घोषणा नहीं हो रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस अभी भी पूर्व सीएम अशोक गहलोत और राष्ट्रीय महासचिव सचिन पायलट के गुटों में बंटी हुई है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (16-01-2024)

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Monday 15 January 2024

जो लोग ताप (गर्मी) से जल रहे हैं उन्हें राम नाम का जाप करना चाहिए-निम्बार्क पीठाधीश्वर श्याम शरण महाराज।रावण और कंस का नहीं आज अयोध्या के राम मंदिर निर्माण वाला सनातन धर्म चाहिए-निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज।अजमेर में दो प्रमुख धर्मगुरुओं ने 100 अरब राम नाम मंत्र वाली पुस्तकों की परिक्रमा की शुरुआत की।

जब पूरे देश में अयोध्या के राम मंदिर निर्माण की धूम हो रही है, तब 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर्व पर देश के दो प्रमुख धर्म गुरुओं की गरिमामय उपस्थिति रही। निम्बार्क पीठाधीश्वर श्री श्याम शरण महाराज और निरंजन पीठाधीश्वर स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने अजमेर के आजाद पार्क पहुंचकर 100 अरब हस्तलिखित राम नाम मंत्र पुस्तिकाओं की परिक्रमा की शुरुआत की। दोनों धर्म गुरुओं ने कहा कि जो लोग सौ अरब राम नाम मंत्र वाली पुस्तिकाओं की परिक्रमा करेंगे वे बहुत भाग्यशाली होंगे। राम नाम जपने मात्र से बड़े बड़े कष्टों का निवारण हो जाता है, तब सौ अरब राम नाम मंत्र की परिक्रमा करने से जीवन सफल और समृद्ध होगा। समारोह में संत श्यामसुंदर शरण, हनुमान राम, रामा कृष्ण देव, साध्वी समदर्शी के साथ साथ जल संसाधन मंत्री सुरेश रावत, सांसद भागीरथ चौधरी, राज्यसभा के पूर्व  सांसद ओंकार सिंह लखावत, मेयर ब्रज लता हाड़ा, सुनीत दत्त जैन आदि भी उपस्थिति रहे। कार्यक्रम के संयोजक कंवल प्रकाश किशनानी ने बताया कि श्रद्धालु 22 जनवरी तक प्रांत 8 बजे से रात्रि 8 बजे तक परिक्रमा कर सकेंगे।
 
जलने वाले राम नाम का जाप करें:
आजाद पार्क के धार्मिक समारोह में निम्बार्क पीठ के आचार्य श्री श्याम शरण महाराज ने कांग्रेस के किसी भी नेता का नाम लिए बेगार कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर जो समारोह हो रहा है, उसमें कुछ लोगों ने जाने से इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण से जो ताप (गर्मी) निकल रहा है, उससे अनेक लोग जलने लगे हैं। ऐसे लोगों को राम नाम जपना चाहिए ताकि जलने से बच सके। श्याम शरण महाराज ने कहा कि देश के हर सनातनी के लिए यह गर्व और सम्मान की बात है कि अयोध्या में जन्म स्थल पर भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है। उन्होंने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के दिन और समय को लेकर कोई विवाद नहीं है। प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा भगवान राम के लिए हो रही है तो हर दिन और समय शुभ है, जो लोग अयोध्या जाने से इंकार कर रहे हैं, वे स्वयं अपना नुकसान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें भी प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भाग लेने का निमंत्रण मिला है। वे पूरे उत्साह के साथ 22 जनवरी को अयोध्या में मौजूद रहेंगे।
 
मंदिर वाला सनातन धर्म:
समारोह में निरंजन पीठ के आचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म तो रावण और कंस के समय भी था, लेकिन आज हमें अयोध्या में मंदिर निर्माण वाला सनातन धर्म चाहिए। रावण और कंस के समय सनातन धर्म को नुकसान पहुंचाने वाले काम हुए। बाद में आक्रमणकारियों ने भी भारत के मंदिरों को तोड़कर सनातन धर्म को नुकसान पहुंचाया, लेकिन आज अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर बन गया है। हमें आज के दौर का सनातन धर्म चाहिए, जिसमें नए मंदिरों का निर्माण हो और हमारे पुराने क्षतिग्रस्त मंदिरों का जीर्णोद्धार हो। उन्होंने कहा कि आज देश में सनातन धर्म मजबूत हो रहा है, इसलिए काशी विश्वनाथ और उज्जैन में महाकाल मंदिर का नवीनीकरण भी हुआ है। स्वामी प्रज्ञानानंद ने कहा कि अयोध्या में एक मंदिर निर्माण से पूरा देश राममय हो गया है, इससे हमें राम नाम के महत्व को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों को संस्कारवान बनाना चाहिए ताकि  सनातन धर्म मजबूत बना रहे। उन्होंने माना कि आज देश में कुछ ऐसी ताकतें सक्रिय हैं जो सनातन धर्म को कमजोर करना चाहती है। 

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152 शंकराचार्य कहां से आए? निरंजन पीठ के आचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद ने सवाल उठाया?

निरंजन पीठ के आचार्य स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज 14 जनवरी को अजमेर प्रवास पर रहे, यहां उन्होंने आजाद पार्क में आयोजित सौ अरब राम नाम मंत्र वाली पुस्तकों की परिक्रमा का शुभारंभ किया। अजमेर प्रवास के दौरान ही स्वामी जी मेरे पुष्कर रोड स्थित आवास पर परिजनों को आशीर्वाद देने भी पधारे। मेरी 90 वर्षी माताजी कुंती देवी, पत्नी अचला मित्तल, पुत्र एडवोकेट हर्षित मित्तल, पुत्रवधु सीएम सलोनी मित्तल आदि ने आचार्य श्री का स्वागत किया और चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया। आचार्य श्री हमारे नवनिर्मित ऑफिस में कुछ धर्म प्रेमियों से संवाद भी किया। हमारे परिवार के सदस्य और मेड़ता के समाजसेवी जुगल किशोर अग्रवाल ने आचार्य श्री से जानना चाहा कि देश में कितने शंकराचार्य हैं और इन शंकराचार्यों की धर्म के क्षेत्र में क्या भूमिका है। इस पर आचार्य श्री ने कहा कि यंू तो देश में शंकराचार्य की चार पीठ है, इनमें ज्योतिष पीठ, गोवर्धन पीठ, श्रृंगेरी पीठ तथा द्वारिका पीठ है। लेकिन आचार्य श्री ने इस पर अफसोस जताया कि आज देश में 152 व्यक्ति स्वयं को शंकराचार्य होने का दावा कर रहे हैं। उन्होंने माना कि इन सब बातों से सनातन धर्म को नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि जो चार प्रमुख पीठ है उनमें से भी सिर्फ एक गोवर्धन पीठ पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी की शास्त्र सम्मत शंकराचार्य के पद पर नियुक्ति है। श्रृंगेरी और द्वारिका पीठ के शंकराचार्य के पद रिक्त हैं। जो जोग शंकराचार्य होने का दावा कर रहे हैं, वे स्वघोषित हैं। ज्योतिष पीठ पर अभिमुक्तेशानंद की नियुक्ति का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि जब पूरे देश में सनातन धर्म के पक्ष में सकारात्मक माहौल है, जब वे शंकराचार्यों को लेकर कोई विवाद खड़ा नहीं करना चाहते। लेकिन जो लोग स्वयं को शंकराचार्य घोषित कर रहे हैं, उन्हें सनातन धर्म की मर्यादाओं का ख्याल रखना चाहिए। हमारी चारों पीठ बेहद ही सम्मानजनक है। समाजसेवी और अजमेर के प्रमुख व्यवसायी भगवान चंदीराम ने सनातन धर्म के महत्व के बारे में जानना चाहा तो आचार्य श्री ने कहा कि अन्य धर्मों के मुकाबले सनातन धर्म बहुत उदार और सहनशील है। सनातन धर्म को मानने वाले लोग ही बिना डरे अपने धर्म की आलोचना कर लेते हैं। जबकि ऐसा अन्य धर्म में देखने को नहीं मिलता। मुस्लिम धर्म का व्यक्ति अपने धर्म के विपरीत कोई बात कहता तो सबसे पहले मुस्लिम धर्म के लोग ही नियंत्रण का काम करते हैं। अन्य धर्म की आलोचना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि एक सीमा तक तो आलोचना हो सकती है, लेकिन जब धर्म को नुकसान हो तो सभी सनातनियों को एकजुट होकर विरोध करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय देश में जो माहौल है, उसकी वजह से अयोध्या में राम मंदिर बना है। राम मंदिर बनने के कारण देश का हर नागरिक खुश है। आचार्य श्री अपने अजमेर प्रवास में समाजसेवी अमित डाणी के जयपुर रोड स्थित निवास पर भी पहुंचे, यहां श्री सीताराम गोयल, पार्षद भारती श्रीवास्तव, अशोक मुदगल, सुभाष काबरा, अशोक पंसारी, उमेश गोयल, रमेश अग्रवाल, ओम प्रकाश मंगल, गिरधारी मंगल, रमाकांत बाल्दी, मुकुल डाणी, विजय गोयल, एसके ऐरन, सुनील गोयल, यश डाणी, ओझा जी आदि गणमान्य नागरिकों ने स्वागत किया। इसी प्रकार पुष्कर रोड स्थित एसपी मित्तल के आवास पर दिनेश गर्ग, राजेंद्र गुप्ता, प्रवीण अग्रवाल, अरविंद गर्ग, कमल मित्तल, संतोष कंसवा, चांदमल बंजारा, नारायण सोनी आदि ने स्वागत किया। ऋषि घाटी स्थित जगदीशपुरी मंदिर परिसर में समाजसेवी विष्णु चौधरी की ओर से आचार्य श्री का अभिनंदन किया गया। इसी प्रकार रोडवेज बस स्टैंड के पीछे मिशन कंपाउंड में प्रमुख व्यवसायी राजेश मालवीय के निकवास पर भी आचार्य श्री ने परिजन को आशीर्वाद दिया। 

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Monday 8 January 2024

निंबार्क पीठ के पीठाधीश्वर श्याम शरण महाराज को अजमेर से लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार बनाने पर मंथन।देश भर में निंबार्क पीठ के करोड़ों अनुयायी हैं।

राजस्थान में मार्बल नगरी किशनगढ़ के निकट स्थापित निम्बार्क पीठ के पीठाधीश्वर श्री श्याम शरण महाराज को अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा में उच्च स्तर पर मंथन हो रहा है। अंतिम निर्णय श्री श्याम शरण महाराज की सहमति के बाद होगा। यदि श्याम शरण महाराज को भाजपा उम्मीदवार बनाया जाता है तो देश भर में भाजपा के पक्ष में सकारात्मक माहौल बनेगा। निम्बार्क पीठ के अनुयायी देश भर में है। इनकी संख्या करोड़ों में बताई जाती है। निम्बार्क पीठ को सनातन धर्म का प्रतीक ही माना जाता है। यही वजह है कि निम्बार्क तीर्थ में भगवान विष्णु के अवतार माने वाले सूक्ष्म शालिग्राम विराजित हैं। अजमेर जिले में भी निम्बार्क पीठ को बहुत मान सम्मान के साथ देखा जाता है। पीठाधीश्वर श्याम शरण महाराज जो प्रवचन देते हैं उसे सनातन धर्म को मानने वाले गंभीरता से सुनते हैं। निम्बार्क पीठ में भाजपा और कांग्रेस के नेता भी श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं। भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के नेता भी आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। पीठाधीश्वर श्याम शरण महाराज का राजनीति में सीधा कोई दखल नहीं है, लेकिन उनका झुकाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रति हे। श्याम शरण जी महाराज ने अनेक अवसरों पर संघ के हिंदुत्व का समर्थन किया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी निम्बार्क पीठ आकर श्याम शरण महाराज का आशीर्वाद लिया है। संघ की ओर से जब धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया जाता है, तब निम्बार्क पीठ के पीठाधीश्वर  की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है। 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जिन चुनिंदा धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया गया है, उसमें श्यम शरण महाराज भी शामिल हैं। अयोध्या में मंदिर निर्माण में निम्बार्क पीठ की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। निम्बार्क पीठ के प्रति आदर को देखते हुए ही पीठाधीश्वर श्याम शरण महाराज को लोकसभा चुनाव में अजमेर संसदीय क्षेत्र से भाजपा का उम्मीदवार बनाने पर मंथन हो रहा है। यूं तो श्याम शरण महाराज की उम्मीदवारी का असर देश भर में होगा, लेकिन राजस्थान में ज्यादा असर माना जा रहा है। यदि श्याम शरण महाराज की सहमति होती है तो भाजपा को उम्मीदवार बनाने पर कोई ऐतराज नहीं है। यहां यह उल्लेखनीय है कि हाल ही के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने चार धर्म गुरुओं को उम्मीदवार बनाया था, इन सभी की जीत हुई। इनमें बाबा बालक नाथ, महंत प्रतापपुरी, ओटाराम देवासी और बालमुकुंद आचार्य है। हालांकि अजमेर से भाजपा के कई दिग्गज नेता भी चुनाव लड़ने के इच्छुक है, लेकिन इन सब में श्याम शरण महाराज का पलड़ा सबसे भारी हैं। यदि श्याम शरण महाराज भाजपा के उम्मीदवार होते हैं तो कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती होगी। कांग्रेस श्याम शरण महाराज पर कोई आरोप नहीं लगा सकेगी। 

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विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का जन्मदिन इस बार अजमेर उत्तर क्षेत्र के मतदाताओं को समर्पित होगा। 11 जनवरी को धूमधाम से मनेगा।भाजपा विधायक देवी सिंह शेखावत का किशनगढ़ में शानदार स्वागत।

राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी इस बार अपने जन्मदिन को अजमेर उत्तर क्षेत्र के मतदाताओं को समर्पित करेंगे। देवनानी इस क्षेत्र से लगातार पांचवीं बार चुनाव जीते हैं। 11 जनवरी को जन्मदिन के अवसर पर शहर भर में अनेक कार्यक्रम होंगे। भाजपा के शहर जिला अध्यक्ष रमेश सोनी ने बताया कि देवनानी सुबह धार्मिक स्थलों के दर्शन करेंगे तथा गौशालाओं में गायों को चारा खिलाएंगे। अस्पतालों में मरीजों को फल वितरित किए जाएंगे। दोपहर को देवनानी के फॉयसागर रोड स्थित निवास स्थान पर सुंदर कांड का पाठ होगा तथा शाम को हंस पैराडाइज समारोह स्थल पर स्नेह भोज भी रखा गया है। समारोह स्थल पर लोग अपनी शुभकामनाएं भी देवनानी को दे सकेंगे। सोनी ने बताया कि इस बार देवनानी के जन्मदिन को लेकर लोगों में भारी उत्साह देखा जा रहा है। मालूम हो कि देवनानी हाल ही के विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर से कड़े संघर्ष में चुनाव जीते हैं। देवनानी ने कहा है कि यह चुनाव अजमेर उत्तर जनता की जीत है और जनता के आशीर्वाद से ही वे विधानसभा के अध्यक्ष बने हैं। यही वजह है कि उनका जन्मदिन क्षेत्र के मतदाताओं को समर्पित है। देवनानी ने कहा कि चुनाव में जो वादे किए हैं उन्हें पूरा किया जाएगा। क्षेत्र की पेयजल समस्या के समाधान के लिए उच्च अधिकारियों से संवाद किया गया है। बीसलपुर बांध से अजमेर शहर तक जिन स्थानों पर पाइप लाइन बदलनी है उसका कार्य शीघ्र ही शुरू होगा। देवनानी ने बताया कि अजमेर में जल वितरण का काम देखने वाले इंजीनियरों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जिन क्षेत्रों में तीन दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है उसे जल्द ही दो दिन के अंतराल में किया जाए। देवनानी ने कहा कि उनका प्रयास है कि क्षेत्र के लोगों को चौबीस घंटे में पेयजल की सप्लाई हो।
 
शेखावत का स्वागत:
7 जनवरी को किशनगढ़ में भाजपा के विधायक देवी सिंह शेखावत का जोरदार स्वागत किया गया। शेखावत ने कांग्रेस सरकार की उद्योगमंत्री रहीं शकुंतला रावत को हराया है। शेखावत के भाई प्रताप सिंह शेखावत किशनगढ़ में ही रहते हैं। अपने भाई के निवास पर आने पर किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन की ओर से विधायक शेखावत का स्वागत किया गया। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि मार्बल कारोबारियों की समस्याओं के समाधान में शेखावत का सहयोग मिलता रहेगा। इस अवसर पर शेखावत ने कहा कि मार्बल कारोबारियों की समस्याओं के समाधान का हर संभव प्रयास किया जाएगा। मार्बल एरिया में कई स्थानों पर विधायक शेखावत का स्वागत किया गया। आरके मार्बल बाहर भी शेखावत का जोरदार स्वागत हुआ। विधायक शेखावत के सम्मान में रात्रि भोज का आयोजन भी किया गया, जिसमें जिला कलेक्टर डॉ. भारती दीक्षित, सांसद भागीरथ चौधरी, किशनगढ़ के पूर्व विधायक सुरेश टाक, प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी तथा गणमान्य लोग उपस्थित रहे। 

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Sunday 7 January 2024

आखिर राजस्थान में प्रशासनिक तंत्र को राजनीति के चंगुल से निकाला।अब रात के अंधेरे में नहीं, बल्कि दिन के उजाले में अफसरों की तबादला सूची जारी होती है।36 जिलों के कलेक्टर बदले, पर अजमेर का नहीं। निगम आयुक्त सुशील कुमार को भी बालोतरा का कलेक्टर बनाया।

इसे राजस्थान में भजनलाल शर्मा सरकार की उपलब्धि ही कहा जाएगा कि प्रशासनिक तंत्र को राजनीति के चंगुल से निकाला गया है। 6 जनवरी को 72 आईपीएस और 121 आरएएस की जो तबादला सूची जारी हुई उसमें  कोई राजनीतिक दखल नहीं रहा। सत्तारूढ़ भाजपा का कोई भी नेता विधायक और मंत्री यह दावा नहीं कर सकता है कि उसकी सिफारिश पर किसी अधिकारी की नियुक्ति हुई है। जाहिर है कि मुख्य सचिव सुधांश पंत ने अपने विवेक से इन सभी अधिकारियों के तबादले किए हैं। तबादला सूची 6 जनवरी को सुबह जारी हुई। इससे पहले 5 जनवरी को पीएम मोदी ने जयपुर में भाजपा पदाधिकारियों, विधायकों और मंत्रियों से साफ कहा कि उन्हें अधिकारियों के तबादले में सिफारिश नहीं करनी चाहिए। अधिकारी किसी सरकार का चहेता नहीं होता। हम जो नीति बनाते हैं उसकी क्रियान्विति प्रशासनिक तंत्र करता है। हमें क्रियान्विति के लिए प्रशासनिक तंत्र पर सिर्फ निगरानी करनी चाहिए। यदि राजनीतिक दखल नहीं होगा तो प्रशासनिक तंत्र ज्यादा प्रभावी तरीके से काम कर सकेगा। भाजपा के नेताओं पर पीएम के कथन का प्रभाव रहा। इसलिए 6 जनवरी को जब प्रदेश के 36 कलेक्टरों को बदला गया तो कोई चुंचपड़ नहीं हुई। कहा जा सकता है कि दो सौ प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले में राजनीति का कोई दखल नहीं रहा। राजस्थान में लंबे समय बाद यह पहला अवसर रहा, जब तबादलों में किसी भी नेता का दखल नहीं रहा। राजस्थान के जागरूक लोगों ने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का पिछला कार्यकाल भी देखा है। छोटे छोटे से अधिकारी की नियुक्ति भी कांग्रेस के नेता, विधायक और मंत्री की सिफारिश पर होती थी। जिस विधायक ने चाहा व अपनी मर्जी का कलेक्टर, एसडीएम नियुक्त करवाने में सफल रहा। अधिकारियों को भी पता था कि कांग्रेस नेताओं की सिफारिश के बगैर नियुक्ति नहीं होगी। कहा जा सकता है कि गहलोत के शासन में कांग्रेस नेताओं और अधिकारियों का गठजोड़ हो गया था। यही वजह रही कि प्रशासन और राजनीति में भ्रष्टाचार चरम पर रहा। राजनीति में प्रशासनिक तंत्र को जकड़ लिया था। जो अधिकारी जिस नेता की सिफारिश पर नियुक्त हुआ, वजह उस नेता के प्रति वफादार रहा। नेताओं की वजह से अफसरों ने भी खूब माल कमाया। सब जानते हैं कि गहलोत के शासन में मुख्य सचिव का कोई महत्व नहीं था। आईएएस और आरएएस की तबादला सूची मुख्यमंत्री सचिवालय में तैयार होती थी। सूची तैयार होने के बाद सीधे कार्मिक विभाग को भेज दी जाती थी। कार्मिक विभाग सूची को चुपचाप जारी कर देता था। लेकिन  6 जनवरी को गहलोत सरकार की परंपरा टूट गई। सभी 200 अधिकारियों की तबादला सूची मुख्य सचिव के स्तर पर तैयार हुई और फिर कार्मिक विभाग ने जारी कर दी। किस आईएएस को कलेक्टर लगाना है यह मंथन भी मुख्य सचिव के स्तर पर ही हुआ। इससे मुख्य सचिव के पद का महत्व भी बढ़ा है। मौजूदा मुख्य सचिव सुधांश पंत को सेवानिवृत्ति के बाद किसी लाभ के पद का लालच भी नहीं है। गहलोत के शासन में मुख्य सचिव रहे डीबी गुप्ता और उनकी पत्नी वीनू गुप्ता को रिटायरमेंट के बाद लाभ के पद दिए गए। निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य को राजस्थान लोक सेवा आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया तो निरंजन आर्य को विधानसभा चुनाव में सोजत से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन मुख्य सचिवों ने अपने पद की जिम्मेदारी कैसे निभाई होगी।
 
दिन के उजाले में सूची:
अशोक गहलोत के शासन में प्रशासनिक अधिकारियों की तबादला सूची रात के अंधेरे में जारी होती थी, क्योंकि रात 12 बजे बाद सूची जारी होती इसलिए अखबारों में आधी अधूरी सूचियां ही छपी थी। मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी रात के अंधेरे में तबादला सूची क्यों जारी करते थे यह तो अशोक गहलोत और उनके प्रमुख सचिव कुलदीप रांका ही बता सकते हैं। लेकिन अब भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में दिन के उजाले में तबादला सूची जारी हो रही है। 6 जनवरी को 72 आईएएस और 121 आरएएस की तबादला सूची दिन में जारी हुई। सोशल मीडिया के जमाने में तबादला सूची दोपहर 12 बजे तक प्रदेश की जनता के पास पहुंच गई। माना जाता है कि जो काम दिन के उजाले में होता है उसमें ईमानदारी होती है।
 
डॉ. दीक्षित कलेक्टर बनी रहेंगी:
6 जनवरी को जो तबादला सूची जारी हुई, उसमें 50 में से 36 जिलों के कलेक्टर बदले गए हैं, लेकिन अजमेर में डॉ. भारती दीक्षित को कलेक्टर के पद पर बनाए रखा है। माना जा रहा है कि डॉ. दीक्षित की कार्य कुशलता को देखते हुए अजमेर में ही यथावत रखा गया है। इसी महीने होने वाले ख्वाजा साहब के उर्स को ध्यान में रखते हुए ही डॉ. दीक्षित को अजमेर में बनाए रखा है। अजमेर नगर निगम के आयुक्त सुशील कुमार को लेकर भाजपा के कई नेता खफा थे। कांग्रेस के शासन में भाजपा नेताओं ने कहा था कि हमारी बनने पर सुशील कुमार को सबक सिखाया जाएगा, लेकिन अब सुशील कुमार को बालोतरा का कलेक्टर नियुक्त कर दिया गया है। यानि भाजपा नेताओं का गुस्सा धारा रह गया है। अलबत्ता कांग्रेस शासन में केकड़ी के विधायक रघु शर्मा  की सिफारिश पर नियुक्त हुए कलेक्टर विश्व मोहन शर्मा को केकड़ी से हटाकर मिड डे मील का आयुक्त नियुक्त किया गया है। शर्मा को जब नव गठित केकड़ी जिले का कलेक्टर नियुक्त किया , तब प्रशासनिक क्षेत्रों में आश्चर्य व्यक्त किया गया। क्योंकि शर्मा पूर्व में अजमेर जिले के कलेक्टर रहे चुके थे और केकड़ी उपखंड था। यानी शर्मा ने एक उपखंड का कलेक्टर बनना स्वीकार किया। शर्मा ने केकड़ी में नियुक्ति क्यों ली यह तो रघु शर्मा ही बता सकते हैं। शर्मा को कलेक्टर बनने के बाद भी रघु शर्मा केकड़ी से विधानसभा का चुनाव हार गए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (07-01-2024)

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पीएम मोदी ने 12 घंटे तक देश भर के दिग्गज पुलिस अफसरों के विचारों को सुना।क्या किसी देश का प्रधानमंत्री ऐस धैर्य दिखा सकता है।

जयपुर में चल रही देशभर के पुलिस महानिदेशकों और पुलिस निरीक्षकों की कॉन्फ्रेंस में 6 जनवरी को दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार 12 घंटे तक उपस्थित रहे। गंभीर बात तो यह है कि मोदी ने दिग्गज पुलिस अधिकारियों के विचारों को सुना। संभवत: देश के इतिहास में यह पहला अवसर होगा। जब पुलिस की अधिकारियों की कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री उपस्थित हों और एक शब्द भी न कहे। पीएम मोदी का 12 घंटे तक पुलिस अधिकारियों के विचारों को सुनना यह बताता है कि मोदी किस गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ प्रधानमंत्री का दायित्व निभा रहे हैं। सरकार में परिपाटी रही कि ऐसी कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री भाषण देकर चले जाते हैं, लेकिन मोदी ने भाषण देने के बजाए पुलिस अधिकारियों के विचारों को सुना। हालांकि पीएम मोदी 7 जनवरी को कॉन्फ्रेंस के समापन सत्र पर अपने विचार रख रहे हैं, लेकिन अपने विचारों से पहले अधिकारियों के विचारों को सुनना बहुत महत्वपूर्ण बात है। असल में पीएम मोदी को पता है कि देश में कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस महानिदेशकों और महानिरीक्षकों की है। ऐसे में इन अधिकारियों के सामने आने वाली समस्याओं को भी समझना जरूरी है। जब समस्या सामने आएगी तभी सरकार की ओर से समाधान किया जाएगा। सवाल उठता है कि क्या किसी देश का प्रधानमंत्री इतना धैर्य दिखा सकता है? जबकि पीएम मोदी के सामने 140 करोड़ की आबादी वाले भारत की जिम्मेदारी है। इतने बड़े देश के प्रधानमंत्री यदि पुलिस अधिकारियों के विचारों को सुनते हैं तो इसके कई मायने भी है। इसमें कोई दो राय नहीं कि 12 घंटे तक विचारों को सुनकर मोदी ने देश में एक नई परंपरा कायम की है। देश में जिस तरह से अपराध बढ़ रहे हैं और अपराधी नई नई टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं उसमें पुलिस अधिकारियों के विचारों को समझना भी जरूरी है। मीडिया रिपोर्टो में कहा गया है कि भारत में प्रतिमाह 200 करोड़ रुपए की सरबइर ठगी होती है। यानी लोगों के बैंक खातों से पैसे निकल जाते हैं। इसके साथ ही आतंकवाद की घटनाएं भी बढ़ रही है। आतंकवादी अब ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। 

S.P.MITTAL BLOGGER (07-01-2024)

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Friday 5 January 2024

तो क्या हमारे सुरक्षा बल पश्चिम बंगाल में हालातों को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं है।आखिर बंगाल में ममता सरकार को बर्खास्त करने में विलंब क्यों हो रहा है।

5 जनवरी को राशन घोटाले में आरोपी शेख शाहजहां को पकडऩे के लिए जब ईडी की टीम पश्चिम बंगाल गई तो आरोपी के समर्थकों ने टीम पर हमला कर दिया। इस हमले में टीम की कार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई तथा एक अधिकारी का सिर फट गया। सीआरपीएफ के जवान नहीं होते तो ईडी अधिकारियों की जान भी जा सकती थी। आरोपी शाहजहां पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ टीएमसी का नेता है। इस हिंसक वारदात के बाद कांग्रेस ने भी कहा है कि बंगाल में कानून व्यवस्था बुरी तरह खराब हो गई है। बंगाल में माफिया और गुंडों का राज है। वहीं प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने आरोप लगाया कि बंगाल में गुंडागर्दी को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का संरक्षण है। यह पहला अवसर नहीं है, जब केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ मारपीट की गई हो। इससे पहले भी ऐसी कई घटनाएं हुई है। स्वयं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि पश्चिम बंगाल के हालात बेहद खराब है। शाह ने ममता सरकार पर बांग्लादेशी नागरिकों को पश्चिम बंगाल में बसाने तक का आरोप लगाया है। बंगाल में नियुक्त होने वाले राज्यपाल भी बिगड़े हालातों की रिपोर्ट केंद्र सरकार को लगातार भेज रहे हैं। ममता बनर्जी ने भी केंद्र सरकार के खिलाफ बगावत कर रखी है। केंद्र की अनेक योजनाओं की क्रियान्विति बंगाल में नहीं हो रही है। अब सब तरफ से मांग हो रही है कि ममता सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाए। लेकिन सवाल उठता है कि ममता सरकार को बर्खास्त करने में विलंब क्यों हो रहा है? क्या राष्ट्रपति शासन के दौरान उत्पन्न हालातों से निपटने के लिए हमारे सुरक्षा बल समक्ष नहीं है? जानकारों का मानना है कि ममता सरकार को बर्खास्त किए जाने पर पश्चिम बंगाल पर कई स्थानों में उपद्रव हो सकते हैं। ये वो इलाके हैं, जहां हिंदू समुदाय पर अत्याचार हो रहे हैं। यह सही है कि मौजूदा समय में बंगाल पुलिस सरकार के इशारे पर काम कर रही है। चूंकि गुंडा तत्वों को पुलिस का संरक्षण है, इसलिए हिंदू समुदाय पर हमले होते हैं। जब ममता सरकार बर्खास्त हो जाएगी तो बंगाल पुलिस भी निष्पक्षता से काम करेगी। हमारे सुरक्षा बल बंगाल के हालातों को नियंत्रित करने में पूरी तरह सक्षम हैं। अब समय आ गया है, जब ममता सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (06-01-2024)

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पीएम मोदी के संवाद में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे अनुपस्थिति रहीं।आखिर कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत जल संसाधन विभाग में क्या काम करेंगे?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 जनवरी को जयपुर में भाजपा के कार्यालय में राजस्थान के भाजपा विधायकों और पदाधिकारियों से संवाद किया। पीएम मोदी शाम छह बजे पार्टी कार्यालय पहुंचे और रात 9 बजे तक विधायकों और पदाधिकारियों के साथ रहे। पीएम ने भोजन भी सबके साथ किया। जो विधायक और पार्टी पदाधिकारी इस संवाद में शामिल रहे वे अब गदगद हैं। पीएम ने सभी के साथ आत्मीयता से मुलाकात की। पीएम ने भले ही अपने संबोधन में विधायकों को सख्त लहजे में समझाया है, लेकिन अनेक विधायकों को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया। कहा जा सकता है कि राजस्थान में भाजपा की राजनीति में पीएम का संवाद बहुत महत्वपूर्ण है। जिन वरिष्ठ विधायकों को मंत्री नहीं बताया वे भी अब पीएम मोदी के साथ संवाद कर खुश हैं। पीएम ने सभी विधायकों को एहसास करा दिया कि मंत्री बनना ही सब कुछ नहीं है। सिर्फ विधायक रह कर भी जनता की सेवा की जा सकती है। पीएम के इस संवाद की महत्वपूर्ण बात यह भी रही कि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे उपस्थित नहीं थी। राजे की अनुपस्थिति भाजपा में अब चर्चा का विषय है अलबत्ता पीएम मोदी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का रुतबा बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। मोदी ने जिस प्रकार सीएम शर्मा को महत्व दिया उससे प्रतीत होता है कि अब राजस्थान भाजपा में सबसे बड़े नेता भजनलाल शर्मा ही है। शर्मा को अपने विवेक से सरकार चलाने की पूरी छूट दी जाएगी।
 
रावत का काम:
5 जनवरी को मुख्यमंत्री शर्मा ने मंत्रियों के विभागों का जो वितरण किया है उसमें कैबिनेट मंत्री सुरेश रावत (पुष्कर विधायक) को जल संसाधन विभाग दिया गया है। विभागों के वितरण में कन्हैयालाल चौधरी को जलदाय (पीएचईडी) व भूजल विभाग की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रकार सुरेंद्र पाल टीटी को नहरी तंत्र का विभाग दिया गया है। सुरेश रावत और कन्हैयालाल चौधरी के कैबिनेट मंत्री है, जबकि सुरेंद्र पाल स्वतंत्र प्रभारी के राज्यमंत्री हैं। कहा जा सकता है कि जल प्रबंधन को तीन मंत्रियों के बीच बांटा गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि कैबिनेट मंत्री सुरेश रवत के पास जल प्रबंधन का कौन सा काम होगा। जानकारों के अनुसार रावत को सिंचाई का काम मिलेगा। कुछ लोगों का कहना है कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) का काम भी रावत को मिलेगा। यह बात अलग है कि इस योजना को अभी तक भी मंजूरी नहीं मिली है। यदि मंजूरी मिलती है तो यह योजना केंद्र के अधीन आएगी। वैसे जल संसाधन विभाग में प्रदेश के बांध और तालाब ही आते हैं। ऐसे में बीसलपुर बांध के पानी के बंटवारे में सुरेश रावत अजमेर के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अजमेर के लिए बीसलपुर बांध में 7 टीएमसी पानी सुरक्षित रखने की मांग है। लेकिन अभी सिर्फ पांच टीएमसी पानी ही आरक्षित कर रखा है। बांध के पानी में अजमेर की हिस्सेदारी बढ़ाने में रावत का प्रभाव काम आएगा। मालूम हो कि अजमेर जिले में पेयजल का एक मात्र स्त्रोत बीसलपुर बांध ही है। बांध से मांग के अनुरूप पानी नहीं मिलने के कारण अभी सर्दी के दिनों में भी चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई हो रही है। अब जब जल संसाधन विभाग सुरेश रावत के अधीन आ गया है, तब देखना होगा कि अजमेर जिले की पेयजल समस्या का समाधान कब तक होगा है। पुष्कर सरोवर में भी बीसलपुर का पानी डालने की योजना बनी हुई है, लेकिन इसकी प्रभावी क्रियान्विति नहीं हो रही है। 

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जब 22 जनवरी को दीपावली पर्व है तो फिर इस दिन राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित हो।अजमेर में भी 22 जनवरी को मीट की दुकानें बंद हों।सफाई कर्मी देंगे, मंदिर आने का निमंत्रण।

विश्व हिन्दू परिषद राजस्थान के चित्तौड़ प्रांत के सह मंत्री शशि प्रकाश इंदौरिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजकर 22 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किए जाने का आग्रह किया है। इंदौरिया ने प्रधानमंत्री को याद दिलाया कि 30 दिसंबर को अयोध्या में उन्होंने कहा था कि 22 जनवरी को जब मंदिर में भगवान राम की प्रतिमाएं स्थापित हों तब घरों पर दीपक जलाए जाएं। पीएम ने इस दिन को दीपावली पर्व की तरह मनाने का आह्वान किया। इंदौरिया ने कहा कि पीएम मोदी जब कोई आह्वान करते हैं तो देश की जनता उस पर अमल भी करती है। इंदौरिया ने कहा कि जब हम 22 जनवरी को दीपावली पर्व मना रहे हैं तब राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनना देशवासियों की आस्था से जुड़ा हुआ है। पीएम को देशवासियों की आस्था का भी ख्याल रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद के आह्वान पर देश का हर नागरिक 22 जनवरी को निकटतम मंदिरों में उपस्थित रहेगा। अयोध्या में प्रातः 11  से दोपहर 1 बजे तक उपस्थित रहेगा। अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का जो समारोह होगा उसे मंदिरों में टीवी स्क्रीन लगाकर देखा जाएगा। ऐसे में सरकारी कर्मचारियों के लिए अवकाश घोषित होना चाहिए। इंदौरिया ने बताया कि इस संबंध में विहिप के राष्ट्रीय पदाधिकारी पीएम मोदी से लगातार संपर्क में है। राम मंदिर से जुड़ी विहिप की ताजा घटनाओं की जानकारी मोबाइल नंबर 9414666774 पर शशि प्रकाश इंदौरिया से ली जा सकती है।
 
मीट की दुकानें बंद हों:
इंदौरिया ने अजमेर की मेयर ब्रज लता हाड़ा से भी आग्रह किया है कि 22 जनवरी को नगर निगम के क्षेत्र में आने वाली मीट की दुकानों को बंद रखने के आदेश दिए जाए। इंदौरिया ने बताया कि जनभावनाओं का ख्याल रखते हुए जयपुर में मीट की दुकानें बंद रखने का निर्णय लिया गया है। जयपुर की तरह अजमेर में भी 22 जनवरी को मीट की दुकानें बंद रखनी चाहिए।
 
सफाई कर्मी देंगे निमंत्रण:
अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण देने के लिए अजमेर के वार्ड 38 के भाजपा पार्षद एडवोकेट देवेंद्र सिंह शेखावत ने सामाजिक समरसता का काम किया है। उन्होंने अपने वार्ड के सफाई कर्मियों से कहा है कि वे घर घर जाकर लोगों को समारोह में शामिल होने का निमंत्रण दें। इसके लिए शेखावत ने सफाई कर्मियों को राम मंदिर के फोटो वाला कैलेंडर भी दिया है। सफाई कर्मी निमंत्रण के साथ साथ कैलेंडर भी लोगों को देंगे। निमंत्रण में  मंदिर के बारे में जानकारी दी जाएगी, जहां से टीवी पर अयोध्या धाम के समारोह को लाइव देखा जाएगा। शेखावत ने बताया कि उनके वार्ड के सभी मंदिरों में टीवी लगाकर लाइव प्रोग्राम को दिखाया जाएगा। उन्होंने कहा कि भगवान राम ने अपने जीवन काल में सामाजिक समरसता को विशेष महत्व दिया था। राम के सिद्धांतों का पालन करते हुए ही उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण के लिए अपने वार्ड के सफाई कर्मियों का चयन किया है। उन्होंने बताया कि जो रंगीन कैलेंडर छपवाए गए हैं उन्हें शहर भर में वितरित किया जाएगा। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9749922222 पर देवेंद्र सिंह शेखावत से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (05-01-2024)

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Thursday 4 January 2024

पीएम मोदी की कवायद राजस्थान के सीएम भजनलाल शर्मा की हौसला अफजाई भी करेगी।22 जनवरी को राजस्थान भर में मीट की दुकानें बंद हो।छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी पिछली आरएएस परीक्षाओं और परिणाम की जांच सीबीआई से कराई जाए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर के डीजी और आईजी की कॉन्फ्रेंस में भाग लेने के लिए 5 से 7 जनवरी तक जयपुर में रहेंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार पीएम मोदी 5 जनवरी को शाम को जयपुर स्थित भाजपा के मुख्यालय में प्रदेश पदाधिकारियों और विधायकों से संवाद भी करेंगे। मोदी ने पीएम बनने के बाद यह पहला अवसर है जब वे भाजपा मुख्यालय में कोई बैठक करेंगे। इस बैठक के पीछे पीएम मोदी का उद्देश्य आगामी लोकसभा चुनाव की जीत का मंत्र देना भी है, लेकिन इस बैठक से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की हौसला अफजाई भी होगी। हो सकता है कि बैठक में पीएम मोदी सीएम शर्मा के 22 दिन के कार्यकाल की प्रशंसा भी करें। सब जानते हैं कि सीएम शर्मा पिछले 21 दिनों से अकेले दम पर राजस्थान जैसे बड़े प्रदेश की सरकार चला रहे हैं। शर्मा ने 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 30 दिसंबर को मंत्रिमंडल का विस्तार भी किया। मौजूदा समय में शर्मा सहित 25 मंत्री हैं, लेकिन किसी भी मंत्री को अभी तक भी विभाग आवंटित नहीं किए हैं। यानी शर्मा ही अकेले ही पूरी सरकार चला रहे हैं। जब मंत्रियों के पास विभाग नहीं होते हैं तो सभी विभागों का काम मुख्यमंत्री के पास ही होता है। संसदीय इतिहास में यह पहला अवसर होगा, जब कोई मुख्यमंत्री चौबीस मंत्री होते हुए भी अकेले दम पर सरकार चला रहा है। वह भी तब जब भजनलाल शर्मा पहली बार विधायक चुने गए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान और उससे पहले राजस्थान भाजपा में वसुंधरा राजे गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल, कैलाश चौधरी, राजेंद्र सिंह राठौड़, सतीश पूनिया, सीपी जोशी जैसे दिग्गजों का दबदबा था, लेकिन आज भाजपा ही नहीं पूरे प्रदेश में भजनलाल शर्मा का चेहरा ही नजर आता है। बड़े बड़े दिग्गज कहां चले गए किसी को पता नहीं। वहीं सीएम शर्मा सुबह सुबह जयपुर की सड़कों पर दौड़ लगाने से लेकर अस्पताल का आकस्मिक निरीक्षण, विकसित भारत संकल्प यात्रा के शिविर, सरकारी बैठकों में उपस्थिति तक के कार्य करते नजर आ रहे हैं। भले ही मंत्रियों के पास कोई कार्य न हो, लेकिन सीएम शर्मा को एक मिनट की भी फुर्सत नहीं है। सीएम शर्मा ने बड़ी आसानी से मुख्य सचिव और डीजीपी जैसे पदों पर बदलाव कर दिया। कहा जा सकता है कि पूरी सरकार शर्मा के नियंत्रण में है। शर्मा ने यह दिखा दिया है कि मुख्यमंत्री बनने के लिए अनुभव की जरूरत होती है। बिना अनुभव के भी पहली बार का विधायक अकेले ही सरकार चला सकता है। आज भाजपा का कोई नेता यह दावा नहीं कर सकता है कि उसके भरोसे सरकार चल रही है। अब जब 5 जनवरी को पीएम मोदी भी प्रशंसा करेंगे तो सीएम शर्मा का दबदबा सातवें आसमान पर होगा।
 
प्रदेश भर में बंद हो मीट की दुकान:
अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के मद्देनजर जयपुर स्थित हेरिटेज नगर निगम ने निर्णय लिया कि 22 जनवरी को मीट की दुकानें बंद रहेंगी। इसके लिए दुकानदारों को निर्देशित किया जा रहा है। निगम प्रशासन का कहना है कि जयपुर के भी मंदिरों में दीपावली जैसा माहौल होगा। इसलिए दुकानों पर खुले रूप से मीट की बिक्री नहीं होनी चाहिए। मीट की दुकानें बंद रहने से सद्भावना का माहौल भी बनेगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि जयपुर हेरिटेज नगर निगम का यह निर्णय जन भावना के अनुरूप है। अयोध्या धाम में प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने से देश भर में उत्साह और उमंग का माहौल है। अच्छा हो कि 22 जनवरी को राजस्थान भर में मीट की दुकानें बंद रहे। इसके लिए राज्य सरकार के स्तर पर दिशा निर्देश जारी होने चाहिए।

आरएएस परीक्षा की सीबीआई जांच हो:
3 जनवरी को भाजपा शासित छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्रिमंडल की पहली बैठक हुई। इस बैठक में राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा 2021 की जांच सीबीआई से कराने का फैसला लिया गया। यह परीक्षा गत कांग्रेस के शासन में हुई थी। तब भाजपा नेताओं ने परीक्षा की निष्पक्षता पर सवाल उठाए थे। भाजपा की सरकार बनते ही वादे के मुताबिक इस परीक्षा प्रक्रिया की जांच सीबीआई से कराने का निर्णय लिया गया। मालूम हो कि राजस्थान में भी राज्य प्रशासनिक सेवा की परीक्षा और उसके परिणाम को लेकर अनेक सवाल खड़े हुए थे। मौजूदा समय में कैबिनेट मंत्री और पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने कहा था कि भाजपा सरकार बनने पर आरएएस परीक्षा और परिणाम की जांच सीबीआई से करवाई जाएगी। माना जा रहा है कि राजस्थान में भी जब मंत्रिमंडल की पहली बैठक होगी तो आरएएस की परीक्षा की जांच सीबीआई से करवाने का फैसला लिया जाएगा। 

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