Wednesday 31 May 2023

राजस्थान में केजरीवाल और कांग्रेस के बीच चुनावी समझौता संभव।दिल्ली की वार्ता के बाद राजस्थान में सचिन पायलट के समर्थकों में उत्साह।आखिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को झुकना ही पड़ा। चुनाव महंगाई राहत शिविर से नहीं पायलट के सहयोग से जीता जाएगा-हाईकमान।

कांग्रेस ने फैसला किया है कि मोदी सरकार दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की सरकार के अधिकारों की कटौती को लेकर जो प्रस्ताव लाएगी उसका संसद के दोनों सदनों में विरोध किया जाएगा। यानी कम से कम राजस्थान में तो प्रस्ताव को मंजूरी नहीं देने दी जाएगी। केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को समर्थन देने का कांग्रेस का यह बहुत बड़ा फैसला है। इसे 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्ष की एकता के तौर पर भी देखा जा रहा है। मोदी सरकार के प्रस्ताव के विरोध में केजरीवाल की विपक्षी दलों से समर्थन मांग रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले इसी वर्ष राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन चारों राज्यों में से राजस्थान में ही केजरीवाल ने पूरा जोर लगा रखा है। केजरीवाल राजस्थान में वैसे ही चुनाव लड़ना चाहते हैं जैसे गुजरात में लड़ा। केजरीवाल की पार्टी के उम्मीदवारों की वजह से गुजरात में 182 में से कांग्रेस को मात्र 19 सीटें ही मिल सके, जबकि 2018 के चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थी। सवाल उठता है कि जब दिल्ली में कांग्रेस केजरीवाल को सहयोग कर रही है। तब राजस्थान में केजरीवाल कांग्रेस को हराने का काम कैसे कर सकते हैं? सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से अरविंद केजरीवाल की जो बात हुई है, उसमें राजस्थान भी शामिल था।  राजस्थान पर सकारात्मक वार्ता के बाद ही खडग़े ने मोदी सरकार के प्रस्ताव का विरोध करने का निर्णय लिया है। दिल्ली में चल रही राजनीतिक गतिविधियों से ही यह निष्कर्ष निकाला जा रहा है कि अब राजस्थान में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि केजरीवाल को भी भाजपा को मात देनी है, इसलिए वह भी समझौते को तैयार है। यदि राजस्थान में कांग्रेस और केजरीवाल के बीच समझौता होता है तो यह राजस्थान की राजनीति के लिए बड़ी घटना होगी। क्योंकि इससे तीसरी राष्ट्रीय पार्टी को राजस्थान में पैर जमाने का अवसर मिलेगा, अब तक तो राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस में ही सीधा मुकाबला होता रहा है।
 
आखिर गहलोत को झुकना पड़ा:
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जिन सचिन पायलट को भाजपा से पैसा लेने वाला नेता बताया, उन्हीं पायलट के साथ 29 मई को दिल्ली में न केवल समझौता वार्ता करनी पड़ी बल्कि एकजुटता दिखाने के लिए मीडिया के सामने खड़ा भी होना पड़ा। गहलोत के चेहरे से साफ जाहिर हो रहा था कि वह कांग्रेस हाईकमान की इस भूमिका से खुश नहीं है। जबकि पायलट के चेहरे पर मुस्कान थी। सीएम गहलोत नहीं चाहते थे कि वह पायलट के साथ बैठे हैं, लेकिन राहुल गांधी का दबाव रहा कि गहलोत को पायलट के सामने बैठ कर बात करनी ही पड़ेगी। यही वजह रही कि बैठक में 2 घंटे बाद गहलोत को पायलट के सामने बैठाया गया। सूत्रों की मानें तो पायलट के आने से पहले 2 घंटे तक सीएम गहलोत अपनी सरकार की उपलब्धियां बताते रहे और राहुल गांधी व खडग़े को यह भरोसा दिलाते रहे कि उनकी सरकार खासकर महंगाई राहत शिविरों के दम पर सरकार रिपीट हो जाएगी। लेकिन राहुल और खडग़े ने स्पष्ट कहा कि राजस्थान में सचिन पायलट के सहयोग से ही सरकार रिपीट हो सकती है। राहुल और खडग़े का मानना रहा कि 2018 में पायलट की मेहनत से ही सरकार बनी थी। 29 मई को दिल्ली में जो बैठक हुई उसका पहला नतीजा यह है कि सचिन पायलट गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन की घोषणा नहीं कर पाएंगे। पायलट की तीन मांगों का क्या हुआ? यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।  लेकिन अब अशोक गहलोत को सचिन पायलट के साथ लेकर काम करना पड़ेगा। दिल्ली में जो बैठक हुई उस में राजस्थान में पायलट के समर्थक उत्साहित हैं। पायलट ने गत 11 मई से अजमेर से जब जन आक्रोश यात्रा शुरू की थी, तब कयास लगाए जा रहे थे कि पायलट अलग पार्टी बनाएंगे। लेकिन अब जब कांग्रेस हाईकमान ने अशोक गहलोत को पायलट के साथ खड़ा कर दिया है, तब पायलट समर्थकों को आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद हो गई है। पायलट उन्हीं को टिकट दिलाएंगे जिन्होंने मुसीबत के समय साथ दिया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (30-05-2023)
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नाबालिग पहलवान जांच में बालिग निकली। कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण सिंह पर अब छेड़छाड़ का ही आरोप।आंदोलनकारी पहलवानों को देश के अन्य पहलवानों के भविष्य के बारे में सोचना चाहिए।

अच्छा हुआ कि 30 मई को पहलवान विनेश फोगट, बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक ने अपने मेडल गंगा नदी में नहीं बहाए। इन पहलवानों को मेडल अपने पास ही सुरक्षित रखने चाहिए, क्योंकि पुलिस जांच में पता चला है कि जिस महिला पहलवान ने स्वयं को नाबालिग बता कर कुश्ती संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे ब्रज भूषण सिंह पर यौन शोषण का आरोप लगाया था, वह पहलवान बालिग निकली है। इस पहलवान ने रिपोर्ट दर्ज करवाते समय अपनी उम्र को दो वर्ष कम बताया। पुलिस ने ब्रज भूषण सिंह के विरुद्ध  पॉक्सो  एक्ट में भी मुकदमा दर्ज कर लिया। पोस्को एक्ट के आधार बता कर ही सिंह की गिरफ्तारी की मांग की जा रही थी। कुछ पहलवान और राजनीतिक दल चाहते थे कि जांच के बगैर ही सिंह को गिरफ्तार कर लिया जाए। गिरफ्तारी नहीं होने पर दिल्ली पुलिस से लेकर पीएम मोदी तक को कटघरे में खड़ा किया जा रहा था। लेकिन अब ब्रजभूषण सिंह के विरुद्ध दर्ज एफआईआर में पॉक्सो एक्ट की धाराएं हटाई जा सकती हैं। ऐसे में सिंह के विरुद्ध छेड़छाड़ के आरोप ही रह जाएंगे। इन आरोपों में भी कितना दम है यह जांच के बाद ही पता चलेगा। यदि छेड़छाड़ के आरोप साबित होते हैं तो यह भी गंभीर बात है। पीड़ित पहलवानों को न्याय मिलना ही चाहिए। यदि पहलवान पुलिस जांच से संतुष्ट नहीं है तो अदालत में चुनौती दी जा सकती है। लेकिन अच्छा हो कि आंदोलनकारी पहलवान देश के अन्य पहलवानों के भविष्य का ख्याल रखे। जब से आंदोलन की शुरुआत हुई है, तब से पहलवानों के प्रशिक्षण बंद हो गए हैं। कुश्ती महासंघ की ओर से राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं भी आयोजित नहीं हो रही है। अब विश्व कुश्ती संघ ने भी धमकी दी है कि यदि पहलवानों का विवाद नहीं निपटता है तो अगले 45 दिनों में भारत की सदस्यता रद्द कर दी जाएगी। यदि भारत की सदस्यता रद्द होती है तो देश का कोई भी पहलवान विश्व प्रतियोगिताओं में भाग नहीं ले सकेगा। जो पहलवान ब्रजभूषण सिंह पर आरोप लगा रहे हैं उन्हें देश की संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही अपना आवाज को उठाना चाहिए। इसमें कोई दो राय नहीं की हमारे पहलवानों ने विश्व प्रतियोगिताओं में मेडल प्राप्त कर देश का नाम रोशन किया है। ऐसे में पहलवानों को भी पूरा सम्मान मिलना चाहिए। 

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शिक्षकों के रिक्त पदों पर तदर्थ पदोन्नति का मतलब है बोतल में से जिन्न को बाहर निकालना।गहलोत सरकार नियमित पदोन्नति क्यों नहीं करती? राजस्थान के 7 हजार जनता जल कर्मियों को भी संविदा पर नियमितीकरण की उम्मीद।

बीकानेर स्थित शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश में रिक्त वरिष्ठ अध्यापकों के पदों को तदर्थ पदोन्नति की नीति से भरने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में हा गया है कि नियमित पदोन्नति नहीं होने और विभिन्न न्यायालयों में मुकदमें चलने की वजह से नियमित पदोन्नति प्रक्रिया संभव नहीं है। इसलिए फिलहाल तदर्थ (काम चलाऊ) पदोन्नति की अनुमति दी जाए। यदि सरकार तदर्थ पदोन्नति की अनुमति देती है तो बंद बोतल से जिन्न को बाहर निकालने जैसा होगा। पूर्व में भी सरकार ने शिक्षकों को तदर्थ पदोन्नति दी थी। यानी मौजूदा वेतन पर ही उच्च पद पर नियुक्ति। ऐसे पदोन्नत शिक्षकों को पातेय वेतन शिक्षक भी कहा गया। प्रदेश में आज भी ऐसे अनेक शिक्षक हैं जो तदर्थ पदोन्नति पर ही काम कर रहे हैं। जब सरकार ऐसे शिक्षकों को मूल पद पर लौटाना चाहती है तो फिर ये शिक्षक अदालत चले जाते हैं। सवाल उठता है कि सरकार नियमित पदोन्नति क्यों नहीं करती? पहले के विवाद सुलझे नहीं है और अब तदर्थ पदोन्नति कर मामलों को और उलझाया जा रहा है। तदर्थ पदोन्नति वाले शिक्षकों के लिए लंबे समय से संघर्ष कर रहे शिक्षक नेता दिनेश शर्मा ने राज्य सरकार को चेताया है कि वरिष्ठ अध्यापक के रिक्त पदों पर तदर्थ पदोन्नति नहीं की जाए। यदि सरकार पहले वाली गलती करती है तो पीड़ित शिक्षक आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों राज्य सरकार ने सेवा नियमों में परिवर्तन करते हुए स्नातक अधि स्नातक में एक ही विषय (समान विषय) होना अनिवार्य को ही पदोन्नति के अनुरूप माना था। ऐसे में अनेक शिक्षक जो कि स्नातक में एडिशनल विषय करके वरिष्ठता सूची में अपना नाम शामिल करा चुके हैं, वह इस पदोन्नति की दौड़ से बाहर हो गए। न्यायालय प्रकरण सामने आने का काम हुआ उसी का परिणाम है कि नियमित पदोन्नति न होकर पदोन्नति पर न्यायालय का प्रकरण होने के कारण बड़ी संख्या में द्वितीय श्रेणी के पद रिक्त हैं और द्वितीय श्रेणी पर पदोन्नति न होने के कारण तृतीय श्रेणी के रिक्त पद नहीं बन पा रहे। ऐसे में अब विभाग नई नियुक्ति के लिए तृतीय श्रेणी के शिक्षकों के पद रिक्त करना चाहता है, साथ ही द्वितीय श्रेणी के रिक्त पदों से शिक्षण व्यवस्था पर पड़ रहे प्रतिकूल प्रभाव को नए शैक्षणिक सत्र में कम करना चाहता है, क्योंकि अगला शैक्षणिक सत्र चुनावी वर्ष भी है सरकार अपनी साख बचाने के लिए और अपनी स्थिति को सही करने के लिए विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती इसलिए तदर्थ पदोन्नति के नाम पर पद भरना चाहती है परंतु इस तदर्थ पदोन्नति में कामचलाऊ व्यवस्था होने के कारण आने वाला समय तदर्थ पदोन्नति पाने वाले शिक्षकों के लिए कष्ट भरा हो सकता है क्योंकि जब नियमित पदोन्नति होने तक जब इनको लगाया जाएगा और अगर नियमित पदोन्नति में जब किसी का नंबर नहीं आएगा उसको जब वापस पूर्व पद पर भेजा जाएगा तो वह खिन्नता का भाव लेकर पुन: न्यायालय प्रकरण बनेंगे जैसा कि पहले हुआ था। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9664309124 पर दिनेश शर्मा से ली जा सकती है।
 
जनता जल कर्मी भी परेशान:
सरकार की नीतियों की वजह से राजस्थान में 60 हजार जनता जल कर्मी (पंप चालक) भी परेशान हैं। जल कर्मियों के लिए संघर्षरत पंप चालक अशोक वैष्णव ने बताया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 13 मार्च को आश्वासन दिया था कि जनता जल कर्मियों को  संविदा पर नियमितीकरण कर दिया जाएगा। इससे ऐसे कार्मिकों को प्रतिमाह 18 हजार रुपए का मानदेय भी मिलेगा। लेकिन मुख्यमंत्री के आश्वासन की क्रियान्विति अभी तक नहीं हुई है। अधिकारी बेवजह अड़ंगेबाजी कर रहे हैं। वैष्णव ने बताया कि जनता जल कर्मी मात्र 6 हजार 734 रुपए के मासिक पारिश्रमिक में पिछले बीस वर्षों से कार्य कर रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की सप्लाई में इन पंप चालकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। टंकियों में पानी भरने से लेकर सप्लाई तक का कार्य ये पंप चालक ही करते हैं। सरकार की टालमटोल नीति से 60 हजार जल कर्मियों में रोष है। जल कर्मियों की समस्याओं के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9828013288 पर अशोक वैष्णव से ली जा सकती है। 

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एयरपोर्ट पर जब लाइन में एक घंटा खड़ा रहना पड़ेगा तो राहुल गांधी अमेरिका में भारत और मोदी के खिलाफ जहर उगलेंगे ही।अमेरिका में जातिगत जनगणना तक का मुद्दा उठाया।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी 30 मई को अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर पहुंचे तो उन्हें अन्य यात्रियों के साथ एक घंटे तक लाइन में खड़ा रहना पड़ा। पासपोर्ट की जांच पड़ताल होने के बाद ही राहुल गांधी एयरपोर्ट से बाहर निकल सके। 52 वर्ष की जीवन यात्रा में यह पहला अवसर रहा, जब राहुल गांधी को किसी एयरपोर्ट पर एक घंटे लाइन में खड़ा रहना पड़ा। असल में पिछले दिनों राहुल गांधी ने अपना डिप्लोमेटिक पासपोर्ट जमा करवा दिया था। यह पासपोर्ट उन्हें सांसद होने के नाते मिला था। चूंकि अदालत ने एक आपराधिक मामले में राहुल को दो वर्ष की सजा सुना रखी है, इसलिए संसद सदस्यता भी समाप्त हो गई है। यही वजह है कि राहुल के पास अब आम भारतीय नागरिक वाला पासपोर्ट है। चूंकि राहुल के पास   डिप्लोमेटिक  की सुविधा नहीं रही, इसलिए 30 मई को उन्हें भी सैन फ्रांसिस्को एयरपोर्ट पर आम नागरिक की तरह चैकिंग करवानी पड़ी। राहुल गांधी भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के प्रपौत्र 15 वर्ष तक प्रधानमंत्री रहने वाली श्रीमती इंदिरा गांधी के पोते, पांच वर्ष तक प्रधानमंत्री रहने वाले राजीव गांधी के पुत्र तथा 10 वर्ष तक अपने इशारे पर डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार चलाने वाले भारत के राजनेता है, लेकिन अब यदि उन्हें एयरपोर्ट पर एक घंटे लाइन में खड़ा होना पड़ेगा तो भारत और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ जहर ही उगलेंगे। एक घंटा लाइन में खड़े होने के बाद राहुल ने सैन फ्रांसिस्को की यूनिवर्सिटी में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है, इसलिए डेमोक्रेसी को खतरा उत्पन्न हो गया है। कांग्रेस चाहती है कि भारत में जातिगत आधार पर जनगणना हो। राहुल ने पीएम मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वे भगवान को भी समझा सकते हैं कि ब्रह्मांड कैसे बना। मोदी को लगात है कि वे सब कुछ जानते हैं। सेना को वार और साइंटिस्ट को साइंस के बारे में भी मोदी बता सकते हैं। हाल में कर्नाटक की जीत से उत्साहित राहुल गांधी ने कहा कि मैंने नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान खोली है। राहुल ने कहा कि अस्सी के दशक में दलितों के जो हालात थे वही हालात आज मुसलमानों के हैं। मुस्लिम लड़कों को जेल में डाला जा रहा है। लेकिन राहुल गांधी ने कश्मीर में हो रही हिन्दुओं की टारगेट किलिंग पर कुछ नहीं बोला। 30 मई को भी कश्मीर में दो हिन्दुओं की हत्या कर दी गई।

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Monday 29 May 2023

सनातन संस्कृति का इतना भव्य प्रदर्शन नरेंद्र मोदी ही कर सकते हैं।नए संसद भवन के उद्घाटन पर 11 धर्मों के गुरुओं ने भी प्रार्थना की। सनातन संस्कृति में ही सभी धर्मों का सम्मान।आरजेडी ने ताबूत का फोटो ट्वीट किया।

आजाद भारत के इतिहास में 28 मई 2023 का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। आजादी के 75 वर्ष बाद उस संसद भवन को छोड़ दिया है जिसे गुलामी का प्रतीक माना जाता था। अब हमारे सांसद उस नए भवन में बैठेंगे जो पूरी तरह स्वदेशी है। सब जानते हैं कि देश के संचालन में संसद की ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही संसद में बैठकर कानून बनाते हैं और कानून के अनुसार ही देश चलता है। संसद में बनाए कानून की रक्षा सुप्रीम कोर्ट तय करती है। इससे संसद के महत्व को समझा जा सकता है। संसद के नए भवन के उद्घाटन पर 28 मई को भारत की सनातन संस्कृति का भव्य प्रदर्शन हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लिया। अध्यात्म से भरपूर माहौल में हवन पूजन मंत्र आदि का जाप हुआ। पीएम मोदी स्वयं अध्यात्म से भरे नजर आए। देश के सबसे ताकतवर स्थल पर सनातन संस्कृति का ऐसा भव्य प्रदर्शन नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री काल में ही संभव है। सनातन संस्कृति को मानने वाला हर भारतीय आज गर्व महसूस कर रहा है। सनातन संस्कृति ही एक मात्र संस्कृति है जिसमें सभी धर्मों का सम्मान होता है। इसलिए संसद के नए भवन के उद्घाटन पर 11 धर्मों के गुरुओं और विशेषज्ञों ने अपनी अपनी जुबान से दुआ प्रार्थना, वंदना आदि की। ऐसी भी संस्कृति है जो स्वयं के धर्म को सर्वश्रेष्ठ और जरूरी मानती है। ऐसी संस्कृति में दूसरे धर्म के सम्मान की गुंजाइश भी नहीं होती। कई बार ऐसी संस्कृति अपने ही धर्मों के लोग को मौत के घाट उतार देती है। 28 मई को जिस तरह नए संसद भवन का उद्घाटन हुआ उसमें उम्मीद की जानी चाहिए कि संसद में सनातन संस्कृति के अनुरूप प्रभावी काम होगा। अच्छा होता कि कुछ राजनीतिक दल बहिष्कार करने के बजाए उद्घाटन के विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होते। विपक्ष ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को न बुलाए जाने का बेवजह का मुद्दा उठाया है। मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने में नरेंद्र मोदी की ही भूमिका रही है। यदि विपक्ष का द्रौपदी मुर्मू के प्रति सम्मान होता तो राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार नहीं बनाते। संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार कर तो विपक्ष ने अपनी नाकारात्मक छवि पेश की है। 28 मई को जब पूरा देश उत्साहित था, तब बिहार में शासन करने वाली आरजेडी ने नए भवन के साथ ताबूत की फोटो लगा ट्वीट किया है। विपक्ष की यह मानसिकता दर्शाती है कि लोकतंत्र का कितना अपमान किया जा रहा है। सब जानते हैं कि चारा घोटाले में आरजेडी के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सजा हो रखी है और जमीन के बदले नौकरी घोटाले में बिहार के डिप्टी चीफ मिनिस्टर तेजस्वी यादव और उनका पूरा परिवार आरोपी है। परिवार के किसी न किसी सदस्य को आए दिन जांच एजेंसियां के सामने खड़ा रहना पड़ता है। नए संसद भवन के साथ ताबू का फोटो आरजेडी ने द्वेषतापूर्ण तरीके से लगाया है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (28-05-2023)
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29 मई को अजमेर में माहेश्वरी समाज की शोभायात्रा। अचीवर्स और एक्सीलेंट अवार्ड भी मिलेंगे।ब्रह्मा मंदिर में लिफ्ट निर्माण का शिलान्यास देवाचार्य श्याम शरण जी करेंगे।

महेश जयंती के उपलक्ष में 29 मई को अजमेर में माहेश्वरी समाज द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी। जयंती समारोह के संयोजक सुभाष काबरा ने बताया कि यह शोभायात्रा प्रात: 8 बजे खाई लैंड मार्केट स्थित राजराजेश्वर महादेव मंदिर से रवाना होकर चूड़ी बाजार, नया बाजार, गणेश मंदिर, पीआर मार्ग होते हुए होटल कनक सागर पर संपन्न होगी। शोभायात्रा को लेकर समाज में उत्साह है। शोभायात्रा में भजन सम्राट अशोक तोषनीवाल भजनों की प्रस्तुति देंगे। शोभायात्रा में महिलाएं लाल चुनरी की साड़ी और पुरुष सफेद वस्त्र धारण कर शामिल होंगे। काबरा ने बताया कि इसी दिन सायं सात बजे विजय लक्ष्मी पार्क में  अचीवर्स  और एक्सीलेंट अवार्ड वितरण कर कार्यक्रम रखा गया है। समाज के जिन विद्यार्थियों ने पढ़ाई में अधिक अंक प्राप्त किए हैं उन्हें इन अवार्ड से नवाजा जाएगा। इस कार्यक्रम में उद्योगपति जुगल किशोर बिड़ला, भामाशाह बद्री चितलांग्या, राजीव मालू, अखिल भारतीय माहेश्वरी महासभा के सदस्य रमाकांत बाल्दी, जिला माहेश्वरी सभा के अध्यक्ष संदीप मूंदड़ा और अजमेर सेंट्रल जेल की अधीक्षक श्रीमती सुमन मालीवाल अतिथि के तौर पर उपस्थित रहेंगी। कार्यक्रम के बाद सह भोजन का भी आयोजन किया गया है। इन कार्यक्रमों के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829071696 पर सुभाष काबरा से ली जा सकती है।
 
शिलान्यास:
पुष्कर स्थित संसार प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर परिसर में लिफ्ट निर्माण का शिलान्यास 29 मई को दोपहर 12 बजे निंबार्क पीठ के आचार्य श्याम शरण देवाचार्य जी करेंगे। लिफ्ट की सुविधा नहीं होने से बुजुर्ग श्रद्धालु मंदिर में ब्रह्मा जी की प्रतिमा के दर्शन नहीं कर पा रहे हैं।  श्रद्धालुओं की इस परेशानी को देखते हुए ही मुंबई स्थित एमपी मानसिंगका चेरेटीज ने मंदिर परिसर में दो लिफ्ट लगाने का निर्णय लिया है। इस पर कोई एक करोड़ रुपए से भी ज्यादा की राशि खर्च होगी। समाजसेवी और मानसिंगका चैरिटीज़ से जुड़े सत्यनारायण पालड़ीवाला ने सभी श्रद्धालुओं से शिलान्यास समारोह में भाग लेने की अपील की है। लिफ्ट निर्माण के संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414002917 पर सत्यनारायण पालड़ीवाला से ली जा सकती है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (28-05-2023)

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नए संसद भवन में पहला दिन बेहद सुखद रहा।अजमेर के सांसद भागीरथ चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया।

28 मई को संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह में अजमेर के भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी भी उपस्थित रहे। चौधरी ने बताया कि नए भवन का पहला दिन बहुत ही सुखद रहा। पहले वाले भवन में लगातार दो तीन घंटे बैठना मुश्किल होता था। अनेक सांसद कुछ समय बैठने के बाद सेंट्रल हॉल में चले जाते थे, लेकिन नए भवन में बैठने की सुविधा भी बेहद आरामदायक है। हर सांसद के सामने टीवी स्क्रीन लगी हुई। इसमें संसद की कार्यवाही का विस्तृत ब्योरा है। अब किसी भी सांसद को कागज की जरुरत नहीं पड़ेगी और न ही किसी विधेयक का एजेंडा सांसद को देने की जरूरत है। इतना ही नहीं सांसद के पास जो माइक्रो फोन है उसमें भाषाओं का रूपांतरण भी है। यदि कोई सांसद तमिल भाषा में अपनी बात रख रहा है तो उसे हिंदी, अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में भी सुना जा सकता है। इसी प्रकार हिन्दी भाषा का रूपांतरण अन्य भाषाओं में भी रखा गया है। ऐसे में सभी सांसद एक दूसरे की बात को आसानी से सुन सकेंगे। चौधरी ने बताया कि पुराने संसद भवन में दर्शक दीर्घा ऐसी थी जिसमें बैठक कर सभी सांसदों को नहीं देखा जा सकता था। दर्शक दीर्घा का स्थान भी बहुत छोटा था। लेकिन अब दर्शक दीर्घा ऐसे स्थान पर रखी गई है ताकि कोई भी व्यक्ति उपस्थित सभी सांसदों को देख सकता है। उन्होंने कहा कि अनेक सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को लोकसभा दिखाने के लिए लाते हैं। लेकिन ऐसे दर्शक अपने क्षेत्र के सांसद को ही नहीं देख पाता था। लेकिन अब दर्शक दीर्घा में बैठा व्यक्ति अपने सांसद को आसानी से देख सकता है। यहां तक कि उसके संबोधन को सुन भी सकता है। चौधरी ने कहा कि नया संसद भवन सांसदों के लिए तो उपयोगी है ही  साथ ही सरकार के लिए भी आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार के अनेक मंत्रालय किराये के भवनों में चलते हैं,ऐसे अधिकांश भवन कांग्रेस के नेताओं के है। सरकार को मासिक करोड़ों रुपया किराये के तौर पर चुकाना पड़ता है, लेकिन अब संसद भवन के निकट ही बड़ी बिल्डिंग बनाई जा रही है, जिसमें मंत्रालयों के कार्यालय स्थापित हो जाएंगे, इससे सरकार को करोड़ों रुपए की बचत होगी। चौधरी ने कहा कि आगामी वर्षों में सांसदों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए भी 800 से ज्यादा सांसदों के बैठने की व्यवस्था नए भवन में की गई है। आने वाले दिनों में प्रत्येक सांसद को संसद भवन परिसर में ऑफिस भी मिलेगा ताकि कार्य की सुगमता हो सके। चौधरी ने नए संसद भवन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि यह पीएम मोदी की ही दृढ़ इच्छा शक्ति रही कि मात्र तीन वर्ष में नया संसद भवन बनकर तैयार हो गया। नए भवन में भारत के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व को भी दर्शाया गया है। मैं मानता हूं कि यह भवन संसद भवन नहीं है, बल्कि बेजोड़ कलाकृतियों को देखने का एक स्थान भी है। मेरा प्रयास होगा कि आने वाले दिनों में उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को संसद भवन दिखाया जाए। चौधरी ने कहा कि जिन राजनीतिक दलों के सांसदों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया उन्हें एक महत्वपूर्ण अवसर गवा दिया है। उद्घाटन समारोह को वर्षों तक याद रखा जाएगा। चौधरी ने इस बात पर भी खुशी जताई कि संसद भवन के ऐतिहासिक उद्घाटन के बाद पीएम मोदी 31 मई को अजमेर की यात्रा कर रहे हैं। अजमेर आगमन पर मोदी जी का भव्य स्वागत किया जाएगा। मोबाइल नंबर 9571396889 पर नए संसद भवन की और अधिक जानकारी सांसद भागीरथ चौधरी से ली जा सकती है। 

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अशोक गहलोत और सचिन पायलट मिल कर चुनाव लड़ेंगे, इसको लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष खडग़े भी उत्साहित नहीं।पायलट को कांग्रेस का प्रदेशाध्यक्ष बनाने पर गहलोत सहमत नहीं। पायलट भी 30 मई के बाद गहलोत के विरुद्ध मोर्चा खोलने को तैयार।

हालांकि 29 मई को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रतिद्वंदी नेता सचिन पायलट के बीच विवादों को निपटाने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े दिल्ली में दोनों से संवाद कर रहे हैं। लेकिन विवाद समाप्त करने को लेकर स्वयं खडग़े उत्साहित नहीं है। खडग़े का मानना है कि विवाद तभी समाप्त होंगे, जब दोनों नेता चाहेंगे। जहां तक गहलोत और पायलट के रुख का सवाल है तो दोनों के बीच अभी भी तलवारें खिंची हैं। सूत्रों के अनुसार सीएम गहलोत, पायलट से किसी भी तरह का समझौता करने के पक्ष में नहीं है। जबकि पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ 30 मई के बाद से जन आंदोलन शुरू करने का अल्टीमेटम दे रखा है। देखा जाए तो इस अल्टीमेटम में एक दो दिन का समय रह गया है। यदि अगले एक दो दिन में पायलट और गहलोत के बीच समझौता नहीं होता है तो फिर पायलट को जनआंदोलन की शुरुआत करनी ही पड़ेगी। खडग़े इस प्रयास में हैं कि जिस प्रकार कर्नाटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच समझौता करवाया गया, उसी प्रकार राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच समझौता करवाया जाए। इसके लिए पायलट को प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया जाना जरूरी है। हालांकि अभी विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर भी दोनों पक्षों में विवाद होगा, लेकिन फिलहाल गहलोत इस बात पर सहमत नहीं है कि पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए। जब तक पायलट और गहलोत आमने सामने बैठकर विवादों को नहीं सुलझाएंगे, तब तक समझौते की गुंजाइश नहीं है। पिछले साढ़े चार वर्षों में दोनों ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। गहलोत ने जहां पायलट पर भाजपा से करोड़ों रुपए लेने के आरोप लगाए तो वहीं पायलट का मानना है कि गहलोत की जनविरोधी नीतियों की वजह से कांग्रेस को नुकसान हुआ है। पायलट ने जन आंदोलन को लेकर जो तीन शर्तें रखी हैं उनमें पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच करवाने, राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने और पेपर लीक से प्रभावित युवाओं को मुआवजा देने की मांग रखी है। हालांकि  इन मांगों को सीएम अशोक गहलोत ने खारिज कर दिया है। ऐसे में पायलट की नाराजगी बरकरार है। कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब के विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा को राजस्थान का प्रभारी नियुक्त किया था, ताकि गहलोत और पायलट के विवादों को निपटा जा सके। लेकिन रंधावा भी सफल नहीं हुए। असल में रंधावा ने एक तरफा रुख अपनाते हुए गहलोत का समर्थन किया, जिसकी वजह से पायलट और उनके समर्थक विधायक असंतुष्ट नजर आए। पायलट ने अजमेर से जयपुर तक जो पदयात्रा निकाली उसे भी व्यापक जनसमर्थन मिला। गहलोत सरकार के खिलाफ निकाली गई इस पद यात्रा में 14 विधायक मंत्री और पार्टी के अनेक पदाधिकारी शामिल थे। पायलट को जो जनसमर्थन मिला उसे भी कांग्रेस हाईकमान गंभीरता से ले रहा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (29-05-2023)
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सृष्टि के रचयिता ब्रह्माजी ने पुष्कर के जिस स्थान पर यज्ञ किया उसी स्थान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूजा अर्चना करेंगे।31 मई को पुष्कर क्षेत्र से होगा लोकसभा चुनाव का आगाज। आमसभा से पहले पुष्कर का दौरा।ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम पीर नफीस मियां चिश्ती भी उत्साहित।

सनातन संस्कृति में धार्मिक मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता जगत पिता ब्रह्मा जी ने पुष्कर में यज्ञ किया था, इसलिए पुष्कर को देश के सभी तीर्थ स्थलों का गुरु माना जाता है। ब्रह्मा जी ने पुष्कर के जिस रेतीले स्थान पर यज्ञ किया, वहां अब सरोवर है और सरोवर के किनारे 52 घाट बने हुए हैं। श्रद्धालु इन्हीं 52 घाटों में सबसे ज्यादा धार्मिक महत्व ब्रह्म घाट का है। सनातन संस्कृति में भरोसा रखने वाले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 मई को पुष्कर क्षेत्र में आ रहे हैं। पहले उनका कार्यक्रम पुष्कर के निकट कायड़ क्षेत्र में एक जनसभा को संबोधित करना था। इस जनसभा से ही लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा के राष्ट्रव्यापी महाजनसंपर्क अभियान की शुरुआत होनी है। लेकिन अब बदले हुए कार्यक्रम में पीएम मोदी का पुष्कर सरोवर की पूजा अर्चना और ब्रह्मा मंदिर के दर्शन का प्रोग्राम भी जुड़ गया है। यानी पीएम मोदी पुष्कर के उसी स्थान पर पूजा अर्चना करेंगे, जहां सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने यज्ञ किया था। ब्रह्मा जी के यज्ञ के समय सभी 33 करोड़ देवी देवता उपस्थित रहे। पुष्कर के भाजपा विधायक सुरेश सिंह रावत और नगर पालिका के अध्यक्ष कमल पाठक पीएम मोदी के प्रोग्राम को लेकर बेहद उत्साहित हैं। दोनों का कहना है कि मोदी जी का शानदार स्वागत किया जाएगा। जिस प्रकार पुष्कर का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है, उसी प्रकार नरेंद्र मोदी ने भी प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भारत की मजबूत पहचान विश्व मंच पर बनाई है। संसार प्रसिद्ध ब्रह्मा मंदिर के पुजारी परिवार के वरिष्ठ सदस्य कृष्ण गोपाल वशिष्ठ भी बेहद उत्साहित हैं। वशिष्ठ ने बताया कि 31 मई को जब पीएम मोदी मंदिर में दर्शन के लिए आएंगे, तब ब्रह्माजी की प्रतिमा का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। इस अवसर पर मोदी जी को ब्रह्मा जी की तस्वीर भेंट करने के साथ साथ दुपट्टा भी ओढ़ाया जाएगा। मंदिर की परंपरा के अनुसार मोदी जी संक्षिप्त आरती भी करेंगे।
 
आमसभा से पहले पूजा अर्चना:
31 मई को पीएम मोदी की पुष्कर के निकट कायड़ में आमसभा भी होगी। इसी आमसभा से अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव का आगाज होगा, क्योंकि इस सभा में ही भाजपा के महाजनसंपर्क अभियान की घोषणा की जाएगी। हालांकि राजस्थान सहित चार राज्यों में विधानसभा चुनाव भी इसी वर्ष होने हैं, लेकिन मोदी की आमसभा लोकसभा चुनाव पर ही फोकस रहेगा। भाजपा ने आमसभा का समय दोपहर दो बजे का रखा है, लेकिन मोदी इस सभा को सायं चार बजे संबोधित करेंगे, क्योंकि सभा से पहले पुष्कर में पूजा अर्चना और ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करेंगे। ब्रह्मा मंदिर प्रतिदिन दोपहर को डेढ़ से तीन बजे तक बंद रहता है। यानी मोदी तीन बजे बाद मंदिर के दर्शन करेंगे। इससे पहले सरोवर की पूजा अर्चना की जाएगी।
 
नफीस मियां भी उत्साहित:
अजमेर स्थित ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम पीर नफीस मियां चिश्ती भी पीएम मोदी की अजमेर यात्रा को लेकर उत्साहित हैं। नफीस मियां ने बताया कि मोदी जब भाजपा के संगठन महामंत्री थे, तब उन्होंने दिल्ली में भाजपा कार्यालय में मोदी से मुलाकात की थी। चिश्ती ने मुलाकात वाला फोटो भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। मोदी के साथ हुई इस मुलाकात के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829179858  पर पीर नफीस मियां चिश्ती से ली जा सकती है। 

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Saturday 27 May 2023

सनातन संस्कृति के प्रतीक राजदंड (सेंगोल) को संसद भवन में रखने पर कांग्रेस को आपत्ति क्यों?

नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराए जाने वाला मुद्दा फुस्स हो जाने के बाद कांग्रेस को अब संसद भवन सनातन संस्कृति के प्रतीक राजदंड (सेंगोल) को रखे जाने पर एतराज है। जबकि यह राजदंड 1947 में सत्ता हस्तांतरण के समय तब अंग्रेज गवर्नर लॉर्ड माउंटबेटन ने घोषित प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को दिया था। कांग्रेस अब इस ऐतिहासिक तथ्य को ही नकार रही है। मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास ही सनातन संस्कृति के प्रतीक राजदंड को भी रखा जाएगा। देशभर में राजदंड को संसद में रखने की प्रशंसा हो रही है, लेकिन कांग्रेस को लगता है कि राजदंड को रखने में भाजपा राजनीति कर रही है। कांग्रेस को लगता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए राजदंड को नए संसद में रखा जा रहा है। कांग्रेस प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की उपलब्धियों का तो फायदा लेना चाहती है, लेकिन उस राजदंड से परहेज कर रही है जो स्वयं नेहरू जी ने ग्रहण किया था। कांग्रेस को उन धर्मगुरुओं पर भी भरोसा नहीं है जिनके पूर्व के धर्मगुरुओं ने तमिलनाडु में राजदंड बनवाया था। इतिहासकारों की माने तो अंग्रेज शासक लार्ड माउंटबेटन ने ही सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक का सुझाव दिया था, तब नेहरू जी ने ही तमिलनाडु में सेंगोल को बनवाया । अब जब उसी सेंगोल को नए संसद भवन में स्थापित किया जा रहा है, तब कांग्रेस को ही आपत्ति है। वैसे भी संसद भवन में राजदंड होना ही चाहिए, क्योंकि अनेक सांसद उद्दंडता करते हैं। ऐसी उद्दंडता पर लोकसभा अध्यक्ष कठोर टिप्पणी भी करते हैं, लेकिन सांसदों पर कोई असर नहीं होता। इसे शर्मनाक ही कहा जाएगा कि सांसद नारेबाजी करते हैं और आसन पर कागज के गोले तक फेंकते हैं। सांसदों की उद्दंडता की ही वजह से शीतकालीन सत्र चल ही नहीं सका। हालांकि उदंड सांसदों को बाहर निकालने में मार्शल का प्रावधान है, लेकिन अब लोकसभा अध्यक्ष के पास राजदंड की ताकत भी होगी। वैसे भी राजदंड संसद में स्थापित होने से देशवासियों का सम्मान बढ़ेगा। 


S.P.MITTAL BLOGGER (27-05-2023)

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मुस्लिम प्रतिनिधियों ने पीएम मोदी की अजमेर में होने वाली जनसभा का स्वागत किया।कांग्रेस सरकार अजमेर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष किसी मुसलमान को बनाए। विधानसभा चुनाव में स्थानीय को महत्व मिले।पुष्कर से महंत सेवानंद गिरी को भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाए-जूना अखाड़ा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसभा 31 मई को दोपहर दो बजे अजमेर में कायड़ विश्राम स्थली पर होगी। पीएम  की सभा की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। 27 मई को भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह अजमेर पहुंच कर जनसभा की तैयारियों का जायजा लिया। वहीं प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी, भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़, विधायक वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल आदि भीड़ जुटाने की कवायद कर रहे हैं। इस बीच अजमेर के मुस्लिम प्रतिनिधियों ने भी पीएम मोदी की जनसभा का स्वागत किया। 27 मई को मुस्लिम प्रतिनिधियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पीएम मोदी अजमेर के साम्प्रदायिक सद्भाव में महत्व को समझते हैं, इसलिए  पीएम मोदी अपनी सरकार के 9 वर्ष पूरे होने पर अजमेर में जनसभा कर रहे हैं। यह जनसभा उसी कायड़ विश्राम स्थली पर हो रही है, जहां ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान लाखों जायरीन ठहरते हैं। मुस्लिम प्रतिनिधियों ने कहा कि पीएम मोदी प्रतिवर्ष उर्स में अपनी ओर से सूफी परंपरा के अनुरूप मजार शरीफ पर चादर भी पेश करवाते हैं। अजमेर के मुस्लिम प्रतिनिधि पीएम मोदी की सभा का स्वागत करते हैं। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में  मुस्लिम प्रतिनिधि,नवाब हिदायत उल्ला, पीर सैय्यद फखर काजमी, पीर नफीस मियां चिश्ती, हाजी सरवर सिद्दीकी, काज़ी मुन्नवर अली, हाजी फय्याज उल्ला (एडवोकेट), अब्दूल नईम खान, सय्यद गुलज़ार चिश्ती, हाजी रईस कुरैशी, उस्मान घडिय़ाली, इक़बाल चिश्ती, अंजुमन सदस्य सैय्यद फजले   हसन चिश्ती, असलम चिश्ती, सैय्यद अल्तमश चिश्ती, गफ्फार काजमी, सलमान खान, वसीम सिद्धिकी, सलमान खान, पार्षद मोहम्मद शाकिर, सैय्यद फैसल चिश्ती, आरिफ हुसैन, अहसान मिजऱ्ा, शेखजादा इमरान चिश्ती, अब्दुल देशवाली, कय्यूम खान, हुमायूं खान, शफीक खान, पूर्व पार्षद अहसान सुल्तानी, मौलाना मोहम्मद मकबूल आदि उपस्थित रहे।
 
मुसलमान को अध्यक्ष बनाए:
मुस्लिम प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मांग की कि अजमेर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष किसी मुस्लिम प्रतिनिधि को बनाया जाए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस मुसलमानों के वोट तो हासिल कर लेती है, लेकिन मुसलमानों को सम्मान नहीं देती। मुस्लिम प्रतिनिधियों ने यह  भी आरोप लगाया कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों में बाहर से आए नेताओं को प्राथमिकता दे दी जाती है, जबकि वर्षों से राजनीति में सक्रिय स्थानीय लोगों की उपेक्षा की जाती है। आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ की सक्रियता को निशाना बनाते हुए मुस्लिम प्रतिनिधियों ने कहा कि कुछ लोग सरकार के दम पर सक्रिय हैं। जबकि ऐसे लोगों का अजमेर की राजनीति से कोई वास्ता नहीं है। उन्होंने भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों से आग्रह किया है कि अजमेर में स्थानीय नेताओं को ही आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जाए।  मुस्लिम प्रतिनिधियों की राजनीतिक सक्रियता की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9214003786 पर नवाब हिदायत उल्ला से ली जा सकती है।
सेवानंद गिरी को बनाए उम्मीदवार:
दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष संत प्रेम गिरी महाराज ने मांग की है कि पुष्कर तीर्थ से आगामी विधानसभा चुनाव में कपालेश्वर महादेव मंदिर के महंत सेवानंद गिरी को भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाए। 26 मई को पुष्कर प्रवास के दौरान प्रेम गिरी महाराज ने कहा कि पुष्कर साधु संतों की स्थली है। ऐसे में इस क्षेत्र का प्रतिनिधि किसी संत महात्मा के पास ही होना चाहिए। कपालेश्वर मंदिर के महंत सेवानंद गिरी पुष्कर में धार्मिक दृष्टि से तो सक्रिय हैं ही साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य कर रहे हैं। भाजपा को संत महात्माओं की पार्टी भी माना जाता है। ऐसे में सभी संत महात्मा एकजुट होकर मांग कर रहे हैं कि सेवानंद गिरी को पुष्कर से भाजपा का उम्मीदवार बनाया जाए। यदि सेवानंद गिरी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो पुष्कर से भाजपा की जीत सुनिश्चित है। देशभर के साधु संत पुष्कर आकर भाजपा का प्रचार करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अलवर के महंत बालक नाथ को उम्मीदवार बनाया तो राजघराने के भंवर जितेंद्र सिंह तक हार गए। जब बालक नाथ अलवर से सांसद हो सकते हैं तब सेवानंद गिरी पुष्कर से विधायक क्यों नहीं बन सकते? उन्होंने कहा कि भाजपा में संत महात्माओं को सम्मान मिलना चाहिए। पुष्कर स्थित कपालेश्वर महादेव मंदिर की धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों की और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414415450 पर महंत सेवानंद गिरी से ली जा सकती है। 


S.P.MITTAL BLOGGER (27-05-2023)

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31 मई को अजमेर में होने वाली प्रधानमंत्री मोदी की सभा में आंधी बरसात की आशंका।लेकिन मौसम विभाग का आकलन दिन में सामान्य रहेगा मौसम।2 लाख लोगों के बैठने के लिए बनाया जा रहा है वाटरप्रूफ पंडाल। विधायक देवनानी पेंट-टी शर्ट में नजर आए।राजस्थान में डबल इंजन की सरकार की बुनियाद होगी जनसभा-राजेंद्र राठौड़।

प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी के 9 वर्ष पूरे होने पर 31 मई को अजमेर में पीएम मोदी की जनसभा होनी है। इस जनसभा को पीएम मोदी स्वयं संबोधित करेंगे,इसके लिए अजमेर स्थित कायड़ विश्राम स्थली पर युद्धस्तर पर तैयारियां हो रही है। लेकिन जनसभा की तैयारियों के बीच ही आंधी-बरसात की आशंका भी जताई जा रही है। पिछले दो तीन दिनों से अजमेर उसके आसपास के जिले नागौर, जयपुर, भीलवाड़ा, टोंक आदि में प्रतिदिन आंधी के साथ बरसात हो रही है। 26 मई को तेज आंधी बरसात से लोगों के घरों के छप्पर और टीनशेड तो उड़े ही साथ ही पुराने पेड़ और मजबूत खंभे भी उखड़ गए। 16 लोगों की जान भी चली गई। बिजली के खंभे उखडऩे से बिजली आपूर्ति भी प्रभावित हो रही है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार अजमेर और उसके आसपास के क्षेत्रों में 31 मई तक ऐसा ही मौसम रहेगा। हालांकि लोगों को भीषण गर्मी से राहत मिली है, लेकिन आंधी और बरसात की वजह से नई मुसीबत खड़ी हो गई है। भाजपा की ओर से सभा स्थल कायड़ विश्राम स्थली पर दो लाख लोगों के बैठने के लिए वाटरप्रूफ पंडाल बनाया जा रहा है। जो कि बरसात आने पर किसी को भीगना न पड़े। इसके साथ ही मजबूत मंच भी बनाया जा रहा है। आंधी और बरसात को लेकर जहां भाजपा नेता चिंतित है, वहीं मौसम वैज्ञानिकों का अंकलन है कि अजमेर क्षेत्र का मौसम दिन में सामान्य रहेगा। पिछले दो तीन दिन के आंकड़े बताते हैं कि आंधी और बरसात रात के समय हुई है। यानि दिन में जब पीएम मोदी की सभा होगी तब आंधी और बरसात का मौसम नहीं होगा। भाजपा के नेता मौसम वैज्ञानिकों के लगातार संपर्क में हैं। असल में पीएम की जनसभा के लिए अजमेर और उसके आसपास के 45 विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा कार्यकर्ता और आम लोगों को आमंत्रित किया गया है। भाजपा की परंपरा के अनुसार इन क्षेत्रों में पीले चावल भी बांटे जा रहे हैं ताकि अधिक से अधिक लोग पीएम मोदी का संबोधन सुन सके। 27 मई को भी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने अजमेर आ कर अब तक कि तैयारियां का जायजा लिया। अरुण सिंह के साथ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़, विधायक वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, मेयर ब्रज लता हाड़ा, डिप्टी मेयर नीरज जैन, देहात अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा, शहर अध्यक्ष रमेश सोनी आदि रहे।
 
पेंट-शर्ट में नजर आए देवनानी:
अजमेर उत्तर के भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी अकसर कुर्ता पायजामा पहनते हैं, लेकिन 27 मई को स्वयं को चुस्त दुरुस्त दिखाने के लिए देवनानी ने राष्ट्रीय महासचिव के सामने भगवा रंग वाली टीशर्ट और काले रंग की पेंट पहनी। देवनानी की यह ड्रेस राजनीति में चर्चा का विषय रही क्योंकि उनकी 74 वर्ष  की उम्र को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। देवनानी गत चार बार से विधायक हैं और पांच माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में एक बार फिर मजबूत दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं।
 
बुनियाद होगी जनसभा:
भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि 31 मई को होने वाली पीएम मोदी की जनसभा राजस्थान में डबल इंजन की सरकार की बुनियाद होगी। उन्होंने कहा कि यह राजस्थान का सौभाग्य है कि 9 वर्ष के कार्यकाल पर अजमेर में जनसभा हो रही है। पीएम की इस जनसभा का आगामी विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद राजस्थान में भाजपा की सरकार बनेगी और डबल इंजन की गति से राजस्थान का विकास होगा। 

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Thursday 25 May 2023

अपने ही विधायकों पर 20-20 करोड़ रूपए भाजपा से लेने का आरोप खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगाते है और झगड़े का ठीकरा मीडिया पर फोड़ते हैं - यदि सचिन पायलट से कोई विवाद नहीं है तो अपने कथनों पर माफी क्यों नहीं मांगते ?

पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के साथ चल रहे विवादों के सम्बन्ध में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि यह सब मीडिया के वजह से हो रहा है। हमारे विवादों को मीडिया बढ़ा-चढ़ा कर दिखाता है। जबकि कांग्रेस में कोई विवाद नहीं है और पूरी पार्टी एकजुट हैं। गहलोत ने 24 मई को यह बयान तब दिया है जब गत दिनों गहलोत ने पायलट समर्थक कांग्रेस विधायकों पर भाजपा से 20-20 करोड़ रुपये लेने के आरोप लगाए। गहलोत ने यह भी कहा कि यदि भाजपा से ली गई राशि में से कुछ लाख रुपये खर्च हो गए हो तो मुझे बताए, मैं अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के कोष से खर्च की गई राशि दिलवा दूंगा। गहलोत ने पायलट समर्थक विधायकों से कहा कि वे भाजपा की राशि को लौटा दें। यदि राशि नहीं लौटायी तो उन पर भाजपा का दबाव रहेगा। सवाल उठता है कि क्या यह बयान गहलोत ने मीडिया के कहने पर दिया ? सब जानते हैं कि अपने प्रतिद्वंधी नेता पायलट की छवि खराब करने के लिए गहलोत ने अपनी मर्जी से यह बयान दिया। इस बयान के बाद ही पायलट ने गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला और अब आन्दोलन के लिए 31 मई तक का एल्टीमेटम दे रखा है। जब बात बिगड़ रही तब सीएम गहलोत अपने झगड़ों का ठीकरा मीडिया घर फोड़ रहे है। सब जानते हैं कि गत 11 मई को जब पायलट ने अजमेर से जन संघर्ष यात्रा शुरू की थी तब गहलोत ने इस बात के प्रयास किए थे कि पायलट को कांग्रेस से निष्कासित कर दिया जाए। लेकिन कांग्रेस हाईकमान ने ऐसा नहीं किया। हाईकमान खासकर गांधी परिवार का अभी भी प्रयास है कि आगामी विधानसभा चुनाव पायलट और गहलोत साथ मिलकर लड़े। हाईकमान पायलट को छोड़ना नहीं चाहता है। हाईकमान का प्रयास है कि 26 और 27 मई को दिल्ली में होने वाली बैठक में राजस्थान के मतभेदों को 'दूर किया जाए। इस बैठक में गहलोत के साथ-साथ पायलट को भी बुलाने की चर्चा है। 
तो माफी मांगे गहलोत
यदि पायलट के साथ गहलोत का कोई विवाद नहीं है तो गहलोत को अपने पूर्व के वचनों पर माफी मांगनी चाहिए। वर्ष 2020 में जब प्रदेश में राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ तब गहलोत ने पायलट के लिए नकारा, धोखेबाज, मक्कार जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया। हालांकि अगस्त 2020 में पायलट के समर्थन से ही गहलोत ने विधानसभा में अपना बहुमत साबित किया, लेकिन गहलोत ने अभी तक भी अपशब्दों के लिए पायलट से माफी नहीं मांगी है। राजनीति में यह उम्मीद की जाती है कि मुख्यमंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति झूठ नहीं बोलेगा। और जब किसी मुख्यमंत्री की छवि गांधीवादी हो तो यह अपेक्षा और बढ़ जाती है, लेकिन सीएम गहलोत एकतरफ पायलट समर्थक विधायकों पर 20-20 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने का आरोप लगाते है तो दूसरी तरफ पायलट के साथ कोई विवाद होने से इंकार करते है। गहलोत का कौनसा बयान सही है यह वे ही बता सकते है।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-05-2023)
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सृष्टि के रचियता ब्रहमा जी की भूमि से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा के राष्ट्रव्यापी जनसम्पर्क अभियान की शुरूआत करेंगे।पांच माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर भी नजर, 31 मई को पुष्कर के निकट कायड़ में मोदी की आमसभा

यह माना जाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के हर एक्शन के पीछे कुछ न कुछ महत्व की बात छिपी रहती है। यह बात मोदी के सहयोगी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भीं सार्वजनिक तौर पर स्वीकारी है। शाह का कहना है कि मोदी के एक्शन का अध्ययन किया जाना चाहिए क्योंकि एक्शन के पीछे महत्व होता है। 31 मई को जब पीएम मोदी की जनसभा अजमेर में करवानी की बात सामने आयी तभी से सभा को लेकर चर्चाएं हो रही है। सवाल में जब उठाया जा रहा कि विधानसभा चुनाव 5 महीने शेष है तब इतनी जल्दी प्रधानमंत्री की सभा क्यों करवाई के जा रही है? ऐसे कई सवालों जवाब तलाशे जा रहे है, लेकिन एक्शन के पीछे के महत्व का अध्ययन करने वालों का मानना है कि मोदी की अजमेर की सभा सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी से जुड़ी हुई हैं। इस सभा का ज्यादा महत्व अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए है। चूंकि ब्रह्मा जी ने पुष्कर में ही यज्ञ किया इसलिए मोदी की सभा 'भी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पुष्कर से सटे कायड में हो रही है। जिस भूमि पर सभा होगी वह भूमि पुष्कर तीर्थ क्षेत्र भी मानी जाती है। राजनैतिक नजरिए से यह क्षेत्र पुष्कर विधानसभा में ही आता है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा पूरे देश में महा जनसम्पर्क अभियान चलायेगी। इस अभियान में मोदी सरकार की उपलब्धियों को घर-घर तक पहुंचाया जाएगा। इस अभियान की शुरूआत के स्थान को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर भाजपा मुख्यालय तक में बहुत अध्ययन हुआ। व्यापक अध्ययन के बाद ही यह निष्कर्ष निकला की अभियान की शुरुआत सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की भूमि से किया जाए। यही वजह रही कि पीएम मोदी की सभा 31मई को दोपहर दो बजे पुष्कर के निकट कायड़ में हो रही है। इस जनसभा में ही महाजनसम्पर्क अभियान की घोषणा की जाएगी। इसकी घोषणा स्वयं प्रधानमंत्री करेंगे। यानि लोकसभा चुनाव का आगाज सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की भूमि से होगा। पुष्कर क्षेत्र के भाजपा विधायक लोकसभा चुनाव के मद्देनजर हो रही पीएम मोदी की सभा का लाभ पांच माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा। लेकिन मोदी की यह सभा लोकसभा चुनाव के आगाज के लिए है। पुष्कर क्षेत्र के भाजपा विधायक सुरेश रावत ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री के आगमन को बहुत महत्वपूर्ण माना है। रावत ने पीएमओ में संदेश भिजवाया है कि पीएम मोदी पुष्कर के पवित्र सरोवर की पूजा-अर्चना के साथ-साथ मंदिर में ब्रहमा जी की प्रतिमा के दर्शन भी करें।
रावत को उम्मीद है कि पीएम मोदी धार्मिक अनुष्ठान के लिए पुष्कर जायेंगे। वहीं पीएम की सभा की तैयारियों में जुटे भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने बताया कि पीएम की सभा में दो लाख भाजपा कार्यकर्ता और आमजन शामिल होंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी और विधायक दल के नेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में तैयारियां की जा रही है। सभा स्थल के निकट ही हैलीपेड का निर्माण करवाया जा रहा है ताकि पीएम मोदी का हेलिकोप्टर उतर सके। देवनानी ने कहा कि मोदी की घोषणा के साथ ही देश भर में भाजपा के कार्यकर्ता घर-घर जाकर जनसम्पर्क करेंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (25-05-2023)
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Wednesday 24 May 2023

अजमेर में जिस कायड़ विश्राम स्थली पर ख्वाजा उर्स के दौरान एक लाख जायरीन ठहरते हैं, उसी पर 31 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा होगी।सभा में कोई विघ्न उत्पन्न नहीं हो, इसके लिए राजस्थान भाजपा के अध्यक्ष सीपी जोशी के नेतृत्व में भूमि पूजन हुआ।पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया से भी राजस्थान के विधानसभा चुनाव पर नजर रखी। जयपुर की जलेबी का उल्लेख।

24 मई को अजमेर में जयपुर रोड स्थित कायड़ विश्राम स्थल पर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी के नेतृत्व में भूमि पूजन हुआ। इस अवसर पर भाजपा सांसद भागीरथ चौधरी, विधायक वासुदेव देवनानी, अनिता भदेल, सुरेश रावत, देहात भाजपा के अध्यक्ष देवी शंकर भूतड़ा, शहर अध्यक्ष रमेश सोनी, डिप्टी मेयर नीरज जैन, पूर्व मेयर धर्मेन्द्र गहलोत, एडवोकेट गजवीर सिंह चुंडावत आदि नेता उपस्थित रहे। वैदिक रीति से हुए यज्ञ में आहुतियां देते हुए सभी भाजपा नेताओं ने ईश्वर से प्रार्थना की कि 31 मई को होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभा में कोई विघ्न उत्पन्न न हो। यज्ञ करवाने वाले पंडित जी ने भी कहा कि इससे इस क्षेत्र में सक्रिय आसुरी शक्तियों का नाश होगा। भूमि पूजन के साथ ही सभा स्थल कायड़ विश्राम स्थली पर तैयारियां शुरू हो गई है। विशाल मंच के साथ एक लाख लोगों के बैठने की व्यवस्था की जा रही है। राजस्थान में पांच माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, इसलिए पीएम की सभा को लेकर भाजपा के कार्यकर्ता उत्साहित हैं।
 
उर्स में ठहरते हैं जायरीन:
31 मई को दोपहर दो बजे जिस कायड़ विश्राम स्थली पर पीएम मोदी की सभा होगी, वह अजमेर में भरने वाले ख्वाजा उर्स में जायरीन के ठहरने के काम आती है। उर्स के दौरान प्रतिवर्ष यहां एक लाख जायरीन ठहरते हैं। अभी चार माह पहले ही जनवरी के अंत में जो उर्स हुआ, उसमें भी इसी विश्राम स्थली का उपयोग हुआ। इस विश्राम स्थली का निर्माण ही उर्स के जायरीन के लिए किया गया है। कोई दो सौ बीघा में फैली इस विश्राम स्थली पर जायरीन के वाहन भी बड़ी संख्या में खड़े होते हैं। इस विश्राम स्थली का मालिकाना हक ख्वाजा साहब की दरगाह में आंतरिक इंतजाम देखने वाली दरगाह कमेटी का है और यह दरगाह कमेटी केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय के अधीन आती है। मौजूदा समय में अल्पसंख्यक मंत्रालय का प्रभार केंद्रीय कपड़ा मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी के पास है। ऐसे में विश्राम स्थली पर सुविधाएं जुटाने में कोई परेशानी नहीं है।
 
ऑस्ट्रेलिया से भी नजर:
राजस्थान में आठ माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया से भी नजर रखे हुए हैं। 23 मई को अपने ऑस्ट्रेलियाई दौरे में जब ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज ने जब सिडनी के हैरिस पार्क का नाम लिटिल इंडिया रखने की घोषणा की तो मोदी ने कहा कि भारत वंशी अब इस लिटिल इंडिया में अल्बानीज को जयपुर की जलेबी जरूर खिलाएं। मोदी ने राजस्थान की लजीज मिठाई का उल्लेख कर चुनाव पर निशाना साधा है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (24-05-2023)
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आईपीएल के मैचों में राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग का महंगा विज्ञापन पधारो म्हारे देश।लेकिन राजस्थान की होटलों में तो रात को अंधेरा रहता है। पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह का महंगे विज्ञापन पर पानी फेरने वाला बयान।

इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के क्रिकेट मैचों के दौरान जो महंंगे दर वाले विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं, उनमें राजस्थान सरकार के पर्यटन विभाग का पधारो म्हारे देश वाला विज्ञापन भी है। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राजस्थान सरकार संभवत:पहली ऐसी राज्य सरकार होगी जो अपने किसी विभाग का विज्ञापन आईपीएल के प्रसारण में दे रही है। आईपीएल के मीडिया राइट विदेशी कंपनी स्टार स्पोर्ट्स के पास है। न्यूज चैनलों पर जो विज्ञापन प्रसारित होते हैं, उससे तीन-चार गुना महंंगे विज्ञापन आईपीएल में प्रसारित होते हैं। इस महंगे विज्ञापन में ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत देशी विदेशी पर्यटकों से राजस्थान के पर्यटक स्थलों की सैर करने की अपील कर रहे हैं। इसमें पर्यटन विभाग के लोकप्रिय स्लोगन पधारो म्हारे देश का भी उल्लेख किया गया है।
 
मंत्री ने पानी फेरा:
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के इस महंगे विज्ञापन पर प्रदेश के पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने ही पानी फेर दिया। सिंह ने सवाल उठाया कि पर्यटक राजस्थान कैसे आएंगे? राजस्थान की होटलों में तो रात के समय अंधेरा रहता है। सिंह ने कहा कि ऊर्जा विभाग ने बिजली की कमी को देखते हुए औद्योगिक इकाइयों पर सायं सात बजे से सुबह पांच बजे तक बिजली कटौती का जो आदेश जारी किया है, उसे होटलों पर भी लागू कर दिया है। सिंह ने माना कि सरकार ने होटलों को भी उद्योग का दर्जा दे रखा है, लेकिन ऊर्जा विभाग के इंजीनियरों को यह समझना चाहिए कि होटल और एक फैक्ट्री में अंतर है। फैक्ट्री में तो मशीनें लगी होती है और उत्पादन होता है, जबकि होटल में न तो मशीन होती है और न कोई उत्पादन। फैक्ट्री तो दिन में भी चलाई जा सकती है, लेकिन होटल में यदि रात के समय एसी, कूलर और पंखे नहीं चले तो पर्यटक कैसे ठहरेंगे। विश्वेंद्र सिंह ने कहा कि ऊर्जा विभाग तो खुद ही राजस्थान के पर्यटन कारोबार को चौपट करने में लगा हुआ है। यहां खास तौर से उल्लेखनीय है कि प्रदेश के 800 से भी ज्यादा होटल मालिकों ने अपना होटल पर्यटन विभाग से अनुबंधित करवा रखा है। यानी जो पर्यटन विभाग पर्यटकों को आमंत्रित कर रहा है, उसी पर्यटन विभाग के होटलों में रात के समय अंधेरा है। ऊर्जा विभाग ने उद्योगों को रात के समय मात्र पांच प्रतिशत बिजली का उपयोग करने की छूट दी है। यदि कोई उद्योग या होटल मालिक पांच प्रतिशत से अधिक का उपयोग करता तो उसका बिजली कनेक्शन काट दिया जाएगा। 

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दिल्ली बैठक में नहीं बुलाया जाता है तो सचिन पायलट 11 जून से गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करेंगे।पायलट के साथ वन टू वन बात करने से सीएम गहलोत का इंकार।

पांच माह बाद होने वाले चार राज्य राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्किार्जुन खडग़े ने 26 और 27 मई को दिल्ली में इन राज्यों के कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई है। इस बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ साथ चारों सह प्रभारियों को भी आमंत्रित किया गया है। लेकिन पूर्व डिप्टी सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सचिन पायलट को बुलाने पर अभी भी संशय बना हुआ है। जानकार सूत्रों के अनुसार यदि 26 मई वाली बैठक में पायलट को शामिल नहीं किया जाता है तो फिर आगामी 11 जून से पायलट गहलोत सरकार के खिलाफ जन आंदोलन शुरू करेंगे। पायलट ने गत 11 मई को अजमेर से जनसंघर्ष पद यात्रा निकाली थी। इस यात्रा के समापन पर पायलट ने तीन मांगे रखी एक पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार की जांच, दो प्रतियोगिता परीक्षा कराने वाली संस्था लोक सेवा आयोग को भंग किया जाए तथा तीन पेपर लीक के मामले की उच्च स्तरीय जांच हो। हालांकि पायलट की इन तीनों मांगों पर सीएम गहलोत की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। लेकिन प्रदेश प्रभारी रंधावा ने मांगों को यह कह कर खारिज कर दिया कि पायलट ने भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं दिए हैं। माना जा रहा है कि पिछले दिनों सीएम गहलोत और सचिन पायलट के बीच जो बयानबाजी हुई उससे और माहौल बिगड़ गया है। गहलोत ने पायलट से वन टू वन बात करने से इंकार कर दिया है। कांग्रेस आला कमान खासकर गांधी परिवार अभी भी चाहता है कि राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत मिलकर चुनाव लड़े। आला कमान ने पायलट की भूमिका को खारिज नहीं किया है। लेकिन सीएम गहलोत के सख्त रुख को देखते हुए हाईकमान के सामने भी पायलट को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। यदि 26-27 मई वाली बैठक में सचिन पायलट उपस्थित नहीं रहते हैं तो फिर आगामी विधानसभा चुनाव में पायलट कांग्रेस के लिए नकारात्मक भूमिका में नजर आएंगे। जानकारों का मानना है कि पायलट आम आदमी पार्टी के लिए मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकते हैं। आम पूरे दमखम से राजस्थान में चुनाव लडेगी। पायलट और आप के गठन बंधन में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी भी शामिल होगी। बेनीवाल तो पहले ही अपनी पार्टी में पायलट का स्वागत कर चुके हैं। लेकिन यदि पायलट को दिल्ली की बैठक में बुलाया जाता है तो फिर राजस्थान की राजनीति में बदलाव देखने को मिलेगा। भले ही मुख्यमंत्री पद पर कोई बदलाव न हो, लेकिन संगठन में बदलाव तय है। देखना होगा कि चुनाव में पायलट की भूमिका को अशोक गहलोत किस प्रकार स्वीकार करते है। 

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सात बेटियों के बाद बेटा जन्म ले और वह भी दिवंगत हो जाए तो ऐसे दम्पत्ति के दर्द का अंदाजा लगाया जा सकता है। लेखक विनोद सोमानी हंस ने अपनी 34वीं पुस्तक चौराहे के तीन रास्ते दिवंगत पत्नी विद्या को समर्पित की।फादर थॉमस को मिला राजीव गांधी समरसता रत्न अवार्ड।दाहरसेन स्मारक पर खेलों का महाकुंभ।

किसी दंपत्ति के सात पुत्रियों के बाद पुत्र का जन्म हो और तीन माह बाद उस पुत्र की मृत्यु हो जाए तो ऐसे दंपत्ति के दर्द का अंदाजा लगाया जा सकता है। प्रदेश के सुप्रसिद्ध लेखक और साहित्यकार डॉ. विनोद सोमानी हंस ने 34वीं पुस्तक - चौराहे के तीन रास्ते दिवंगत पत्नी विद्या सोमानी को समर्पित की है। इस पुस्तक में ही हंस ने अपने दर्द को बयां किया है। हंस ने इस बात को स्वीकारा कि जब सातवीं पुत्री हुई तो घर परिवार और समाज में कैसे कैसे ताने सुनने पड़े। लेकिन विपरीत परिस्थितियों में उन दोनों ने धैर्य बनाए रखा। इसमें ज्यादा योगदान उनकी पत्नी विद्या सोमानी का रहा। दिवंगत पत्नी को समर्पित यह पुस्तक घर परिवार में होने वाली छोटी छोटी घटनाओं पर लिखी गई है। इसलिए युवा पीढ़ी को इस पुस्तक को जरूर पढ़ना चाहिए। सबसे खास बात यह है कि 34वीं पुस्तक हंस ने 85 वर्ष की उम्र में लिखी है। एक पिता का प्यार और एक पत्नी के समर्पण भाव का अहसास भी यह पुस्तक करवाती है। यूं तो एक चौराहे के चार रास्ते होते है, लेकिन विनोद सोमानी हंस को अब जीवन के तीन रास्ते ही नजर आ रहे है। क्योंकि गत 23 मार्च को पत्नी विद्या के निधन के बाद एक रास्ता बंद हो गया है। अब इस पुस्तक में कल्पना के आधार पर हंस ने अपनी पत्नी की उपस्थिति को दर्ज करवाया है। सामाजिक सरोकारों से जुड़ी इस पुस्तक का विमोचन 23 मई को अजमेर की जिला कलेक्टर डॉ. भारती दीक्षित ने किया। इस अवसर पर विनोद सोमानी के पुत्र  चार्टर्ड एकाउंटेंट श्याम सोमानी उपस्थित रहे। मालूम हो कि श्याम सोमानी मित्तल अस्पताल के वाइस प्रेसीडेंट है। श्याम सोमानी का कहना है कि उन्हें गर्व है कि वे विनोद सोमानी हंस के पुत्र है। उनके पिता ने जीवन भर संघर्ष किया, लेकिन वे हमेशा लेखन के कार्य से जुड़े रहे। आने वाले समय में उनके पिता द्वारा लिखी गई पुस्तकें समाज का मार्ग दर्शन करेंगी। हंस की साहित्यिक उपलब्धियों के मोबाइल नंबर 9351090005 पर विनोद सोमानी हंस और मोबाइल नंबर 9314390005 पर श्याम सोमानी की हौसला अफजाई की जा सकती है। पुस्तक का प्रकाशन जयुपर स्थित साहित्यगार संस्थान द्वारा किया गया है।
 
समरसता रत्न अवार्ड:
अजमेर के फादर थॉमस को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में राजीव गांधी समरसता अवार्ड सम्मानित किया गया। राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर आयोजित इस समारोह में पूर्व गृहराज्यमंत्री सुबोधकांत सहाय, कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव रोणित डिमेलो आदि उपस्थित थे। यह अवार्ड समाज में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए देश भर के 71 लोगों दिया गया है। कार्यक्रम में 22 राष्ट्रों के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे। मोबाइल नंबर 80790733019 पर फादर थॉमस को बधाई दी जा सकती है।
 
खेलों का महाकुंभ:
अजमेर के पुष्कर रोड स्थित हरिभाऊ उपाध्याय नगर विस्तार विकास समिति का खेल महोत्सव इन दिनों दाहरसेन स्मारक और खेल मैदान पर हो रहा है। समिति के अध्यक्ष एडवोकेट संदीप धाबाई ने बताया कि 22 मई से शुरू हुए इस महोत्सव में 27 खेलों के 800 प्रतियोगी भाग ले रहे हैं। युवाओं की रुचि को ध्यान में रखते हुए क्रिकेट, फुटबॉल, वालीबॉल, हॉकी की खेल प्रतियोगिताएं भी रखी गई है। महिला कबड्डी के मैच भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। खेलों के आयोजन में विकास समिति से जुड़े परिवार के सदस्य बड़ी संख्या में भाग ले रहे है, खेलों का आयोजन 28 मई तक होगा। खेल महाकुंभ के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9413828292 पर संदीप धाबाई से ली जा सकती है। 

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Monday 22 May 2023

महाराणा प्रताप के वंशज डॉ. लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने मध्यप्रदेश सरकार के समारोह में भाग लिया। क्योंकि प्रताप जयंती पर राजस्थान सरकार की ओर से कोई बड़ा आयोजन नहीं हुआ।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उदयपुर में राजपूत सहित विभिन्न समाजों के कार्यक्रमों में भाग लिया।

22 मई को देशभर में महाराणा प्रताप जयंती उत्साह से मनाई गई। राजस्थान का उदयपुर राजघराना महाराणा प्रताप के वंश से है। यही वजह रही कि राजस्थान के प्रमुख सदस्य डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने 22 मई को सुबह उदयपुर स्थित मोती मंगरी पर महाराणा प्रताप के घोड़े चेतक के स्मारक पर अनुष्ठान किया और फिर राज परिवार की परंपरा के अनुरूप 483 किलो का प्रसाद अर्पित किया। 22 मई को महाराणा प्रताप की 483 वीं जयंती रही। मोती मगरी के इस धार्मिक अनुष्ठान का वीडियो मेरे फेसबुक पेज   www.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। सब जानते हैं कि राजस्थान के मेवाड़ क्षेत्र के महाराणा प्रताप ने कभी भी मुगल बादशाह जलालुद्दीन अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की। प्रताप को भले ही जंगल में घास की रोटियां खानी पड़ी लेकि प्रताप ने अपने स्वाभिमान से कभी समझौता नहीं किया। यूं तो पूरे देश में महाराणा प्रताप का नाम गर्व और सम्मान के साथ लिया जाता है, लेकिन राजस्थान में प्रताप जयंती का विशेष महत्व है। यह बात अलग है कि अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार की ओर से प्रदेश में कोई बड़ा आयोजन प्रताप जयंती पर नहीं किया गया, जबकि पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में प्रताप जयंती पर भव्य आयोजन किया गया। राजधानी भोपाल के परेड ग्राउंड पर आयोजित समारोह की अध्यक्षता महाराणा प्रताप के वंशज डॉ. लक्ष्यराज सिंह ने की। जबकि मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समारोह के विशिष्ट अतिथि रहे। डॉ. लक्ष्यराज सिंह और शिवराज सिंह ने महाराणा प्रताप की वीरता के बारे में युवा पीढ़ी को बताया। राजस्थान में गहलोत सरकार की ओर से अधिकांश महापुरुषों की जयंती या पुण्यतिथि पर अखबारों में विज्ञापन दिए जाते हैं और भव्य कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। अनेक कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भाग लेते हैं, लेकिन 22 मई को महाराणा प्रताप की जयंती पर सरकार की ओर से बड़ा कार्यक्रम नहीं हुआ। यही वजह रही कि प्रताप के वंशजों को भी मध्यप्रदेश के कार्यक्रम में जाना पड़ा। यदि राजस्थान सरकार की कोई कार्यक्रम करती तो प्रताप के वंशज की पहली प्राथमिकता राजस्थान को देते।  आखिर राजस्थान का मेवाड़ क्षेत्र प्रताप की कर्मस्थली रहा है। भोपाल के परेड ग्राउंड में जो समारोह हुआ उसमें महारानी पद्मावती की प्रतिमा का लोकार्पण भी किया गया। राजनीतिक क्षेत्रों में इस बात की चर्चा है कि जिस राजस्थान में प्रताप जयंती का भव्य समारोह होना चाहिए था, वहां क्यों नहीं हुआ? जबकि मध्यप्रदेश में महाराणा प्रताप के वंशज को बुलाकर भव्य समारोह किया गया।
 
मुख्यमंत्री उदयपुर में
22 मई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उदयपुर के दौरे पर रहे। गहलोत ने जैन समाज, नारायण सेवा संस्थान, सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित समारोह में तो भाग लिया ही साथ ही मेवाड़ के क्षत्रिय समुदाय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। क्षत्रिय समाज का यह कार्यक्रम प्रताप जयंती पर ही था। सीएम ने भरोसा दिलाया कि राजपूत समाज की समस्याओं का जल्द समाधान किया जाएगा। 

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सोशल मीडिया पर हो रही रायशुमारी से विधायक वासुदेव देवनानी, अजमेर उत्तर से कांग्रेस प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता अनभिज्ञ। धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस का उम्मीदवार बताया गया।प्रताप जयंती के समारोह में उम्मीदवारों की दस्तक।समाजसेवी विक्रम सिंह टापरवाड़ा की माता जी का निधन।

अजमेर उत्तर विधानसभा क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उम्मीदवारों को लेकर सोशल मीडिया पर इन दिनों रायशुमारी हो रही है। आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस का उम्मीदवार बताते हुए मोबाइल का एक नंबर दबाने का आग्रह किया जा रहा है, जबकि दो नंबर के लिए भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी का नाम लिया जा रहा है। गत चुनावों में कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता का नाम तीसरे नंबर पर तो है, लेकिन रलावता के नाम के साथ पार्टी नहीं हे। अन्यों के लिए चार नंबर का बटन दबाने की बात रायशुमारी में कही गई है। लेकिन सोशल मीडिया पर हो रही इस रायशुमारी से विधायक देवनानी और कांग्रेस के प्रत्याशी रहे रलावता दोनों ही अनभिज्ञ हैं। दोनों ने कहा कि यह रायशुमारी उनकी सहमति से नहीं हो रही है। देवनानी ने आरोप लगाया कि ऐसी रायशुमारी प्रायोजित नजर आ रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस में जो गुटबाजी चल रही है उसकी वजह से ही गैर जिम्मेदाराना रायशुमारी करवाई जा रही है। वहीं रलावता ने कहा कि इस रायशुमारी को लेकर वे कानून राय ले रहे हैं। आवश्यकता होने पर सोशल मीडिया पर सक्रिय ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। हालांकि रायशुमारी में यह नहीं बताया गया कि किस की ओर से रायशुमारी करवाई जा रही है। लेकिन जानकारों का मानना है कि इस रायशुमारी में आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ को प्राथमिकता दी गई है। इस रायशुमारी से पता चलता है कि राठौड़ आगामी चुनाव में अजमेर उत्तर से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे।
 
उम्मीदवारों की दस्तक:
महाराणा प्रताप जयंती के अवसर पर 22 मई को अजमेर के पुष्कर घाटी स्थित प्रताप स्मारक और कुंदन नगर नगर स्थित राजपूत छात्रावास के परिसर में दो बड़े आयोजन हुए। हालांकि दोनों समारोह में भाजपा विधायक दल के नेता राजेंद्र सिंह राठौड़ उपस्थित रहे, लेकिन इन दोनों ही समारोह में अजमेर जिले से विधानसभा का चुनाव लड़ने वाले नेताओं ने भी दस्तक दी। प्रताप स्मारक पर हुए कार्यक्रम में आयोजन समिति की अध्यक्ष व नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन ने कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के नेताओं को आमंत्रित किया। ये वही नेता है जो किसी न किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। कुंदन नगर स्थित राजपूत छात्रावास के समारोह में राजपूत समाज के प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे, लेकिन मंच पर ज्यादा संख्या उम्मीदवारों की रही। इनमें आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़, पूर्व आईएएस हनुमान सिंह भाटी, पूर्व सभापति सुरेंद्र सिंह शेखावत, महेंद्र सिंह रलावता, देवेंद्र सिंह शेखावत आदि मौजूद रहे। हनुमान सिंह भाटी के समर्थक भी पुष्कर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर संभावनाएं तलाश रहे हैं।  धर्मेन्द्र राठौड़ ने तो अजमेर उत्तर में अपना झंडा गाड़ दिया है। वहीं राठौड़ के झंडे को उखाड़ने में महेंद्र सिंह रलावता कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। सुरेंद्र सिंह शेखावत भी उत्तर क्षेत्र में सक्रिय हैं। पुष्कर घाटी स्थित स्मारक पर हुए समारोह में अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी भी उपस्थित रहे। चौधरी कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर अजमेर से लोकसभा का चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। राजपूत छात्रावास के प्रतिनिधि लक्ष्मण सिंह बेगलियावास की समारोह में समाज की स्मारिका का विमोचन भी हुआ। उन्होंने बताया कि राजपूत समाज के  युवक-युवतियों की पढ़ाई में यह छात्रावास पिछले अनेक वर्षों से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
 
टापरवाड़ा की माता जी का निधन:
नागौर क्षेत्र के प्रमुख समाजसेवी विक्रम सिंह टापरवाड़ा और अजमेर स्थित पंचायती राज प्रशिक्षण केंद्र के आचार्य दीपेंद्र सिंह की 84 वर्षीय माताजी श्रीमती शायर कंवर का 22 मई की सुबह निधन हो गया। उनका अंतिम संस्कार परबतसर स्थित पैतृक गांव टापरवाड़ा में दोपहर एक बजे किया गया। श्रीमती शायर कंवर अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गई है। मोबाइल नंबर 9460752009 पर विक्रम सिंह टापरवाड़ा और 9782236331 पर दीपेंद्र सिंह को दिवंगत आत्मा के प्रति संवेदना दी जा सकती है।

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Saturday 20 May 2023

अजमेर डेयरी बूथों पर अब फ्लेवर्ड आइसक्रीम और कढ़ी के लिए खट्टी छाछ भी मिलेगी।सेवा भारती का सर्वधर्म विवाह सम्मेलन 27 जून को पुष्कर में।किफायती दर वाली बाइक होंडा शाइन अब अजमेर में भी उपलब्धत।अग्रवाल समाज की ओर केरला स्टोरी का शो 25 मई को।

19 मई को जयपुर स्थित राजस्थान सरकार के सचिवालय से सटे योजना भवन में संचालित सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बेसमेंट में रखी अलमारी से जो 2 करोड़ 31 लाख रुपए और एक किलो की सोने की ईंट मिली उस प्रकरण में पुलिस ने विभाग के संयुक्त निदेशक वेद प्रकाश यादव को गिरफ्तार कर लिया है। यादव ने स्वीकार किया है कि यह राशि रिश्वत की है जो वह संबंधित कंपनियों से ले रहा था। यह सही है कि यादव अकेले दम पर रिश्वत नहीं ले सकता। 2 करोड़ 31 लाख और 63 लाख रुपए के मूल्य के सोने का यादव अकेला मालिक है, इसलिए जी जाने वाली रिश्वत की राशि तो बहुत ज्यादा है। बड़े अधिकारियों की मेहरबानी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि संयुक्त निदेशक बनने के बाद भी यादव को विभाग के स्टोर का इंचार्ज बना रखा है। यादव स्टोर इंचार्ज भी वर्ष 2003 से लगातार है। इन 20 वर्षों में कई आईएएस बदले, लेकिन किसी ने भ यादव को स्टोर से नहीं हटाया। यादव विभाग की क्रय समिति के सदस्य भी बने रहे। जयपुर पुलिस ने यह मामला अब एसीबी को सौंप दिया है। लेकिन अब इस मामले में जांच का दायरा आगे नहीं बढ़ेगा, क्योंकि सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग से लेकर एसीबी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अधीन ही आते हैं। यदि जांच आगे बढ़ी तो बात दूर तक जाएगी। वैसे भी जब यादव ने बरामद राशि और सोना अपना स्वीकार कर लिया है तो फिर आगे जांच की क्या जरूरत है? गत वर्ष रीट परीक्षा का पेपर लीक होने पर सरकार ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली को बर्खास्त कर दिया, लेकिन जब जारौली ने पेपर लीक के आरोपियों पर राजनीतिक संरक्षण होने का बयान दिया तो जारौली को क्लीन चिट दे दी गई, ताकि राजनेताओं के चेहरे उजागर नहीं हों। इसी प्रकार सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने पर पुलिस ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार तो किया, लेकिन आयोग के अन्य जिम्मेदारों की कार्यशैली की जांच नहीं की। जांच आगे बढ़ती तो आयोग के अध्यक्ष के कामकाज की भी समीक्षा होती। जिस प्रकार रीट और शिक्षक भर्ती पेपर लीक के मामले दब गए उसी प्रकार वेद प्रकाश यादव के भ्रष्टाचार का मामला भी दब जाएगा। देश में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब किसी राज्य के सचिवालय से सटे सरकारी भवन की अलमारी से इतनी बड़ी राशि बरामद की है। चूंकि रिश्वत लेने वालों को कोई डर नहीं है, इसलिए सरकारी दफ्तर की अलमारी में ही नोटों को रखा जा रहा है। भ्रष्टाचारियों की हिम्मत की तो दाद देनी होगी। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-05-2023)
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वेद प्रकाश यादव की गिरफ्तारी के बाद राजस्थान के सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के किसी अधिकारी पर कार्यवाही नहीं होगी, क्योंकि इस विभाग का प्रभार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास है।रीट और शिक्षक भर्ती परीक्षा के घोटाले भी दब गए।

19 मई को जयपुर स्थित राजस्थान सरकार के सचिवालय से सटे योजना भवन में संचालित सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के बेसमेंट में रखी अलमारी से जो 2 करोड़ 31 लाख रुपए और एक किलो की सोने की ईंट मिली उस प्रकरण में पुलिस ने विभाग के संयुक्त निदेशक वेद प्रकाश यादव को गिरफ्तार कर लिया है। यादव ने स्वीकार किया है कि यह राशि रिश्वत की है जो वह संबंधित कंपनियों से ले रहा था। यह सही है कि यादव अकेले दम पर रिश्वत नहीं ले सकता। 2 करोड़ 31 लाख और 63 लाख रुपए के मूल्य के सोने का यादव अकेला मालिक है, इसलिए जी जाने वाली रिश्वत की राशि तो बहुत ज्यादा है। बड़े अधिकारियों की मेहरबानी का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि संयुक्त निदेशक बनने के बाद भी यादव को विभाग के स्टोर का इंचार्ज बना रखा है। यादव स्टोर इंचार्ज भी वर्ष 2003 से लगातार है। इन 20 वर्षों में कई आईएएस बदले, लेकिन किसी ने भ यादव को स्टोर से नहीं हटाया। यादव विभाग की क्रय समिति के सदस्य भी बने रहे। जयपुर पुलिस ने यह मामला अब एसीबी को सौंप दिया है। लेकिन अब इस मामले में जांच का दायरा आगे नहीं बढ़ेगा, क्योंकि सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग से लेकर एसीबी तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के अधीन ही आते हैं। यदि जांच आगे बढ़ी तो बात दूर तक जाएगी। वैसे भी जब यादव ने बरामद राशि और सोना अपना स्वीकार कर लिया है तो फिर आगे जांच की क्या जरूरत है? गत वर्ष रीट परीक्षा का पेपर लीक होने पर सरकार ने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली को बर्खास्त कर दिया, लेकिन जब जारौली ने पेपर लीक के आरोपियों पर राजनीतिक संरक्षण होने का बयान दिया तो जारौली को क्लीन चिट दे दी गई, ताकि राजनेताओं के चेहरे उजागर नहीं हों। इसी प्रकार सैकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने पर पुलिस ने राजस्थान लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा को गिरफ्तार तो किया, लेकिन आयोग के अन्य जिम्मेदारों की कार्यशैली की जांच नहीं की। जांच आगे बढ़ती तो आयोग के अध्यक्ष के कामकाज की भी समीक्षा होती। जिस प्रकार रीट और शिक्षक भर्ती पेपर लीक के मामले दब गए उसी प्रकार वेद प्रकाश यादव के भ्रष्टाचार का मामला भी दब जाएगा। देश में संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब किसी राज्य के सचिवालय से सटे सरकारी भवन की अलमारी से इतनी बड़ी राशि बरामद की है। चूंकि रिश्वत लेने वालों को कोई डर नहीं है, इसलिए सरकारी दफ्तर की अलमारी में ही नोटों को रखा जा रहा है। भ्रष्टाचारियों की हिम्मत की तो दाद देनी होगी। 

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