Wednesday 29 March 2023

सरकारी डॉक्टरों के भी हड़ताल पर चले जाने से राजस्थान में चिकित्सा सुविधा ठप। आखिर सीएम गहलोत कब सुध लेंगे।जरुरत हुई तो सरकार चार कदम पीछे हटेगी-मंत्री खाचरियावास।अजमेर में प्राचार्य डॉ. सिंह और अस्पताल अधीक्षक गुप्ता ने मोर्चा संभाला।

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में 29 मार्च को राजस्थान में सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक भी हड़ताल पर रहे। निजी क्षेत्र के चिकित्सक गत 15 मार्च से हड़ताल पर है। इससे प्रदेश में चिकित्सा सुविधाएं ठप हो गई है। मरीजों का बुरा हाल है। 28 मार्च को निजी चिकित्सकों ने जयपुर में बड़ा प्रदर्शन किया, लेकिन इस प्रदर्शन का भी सरकार पर कोई असर नहीं हुआ। अब जब सरकारी डॉक्टर भी राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे हैं, तब सवाल उठता है कि मरीजों के दर्द को कौन समझेगा?सरकार और डॉक्टरों की जिद की खामियाजा प्रदेश भर के मरीजों को उठाना पड रहा है। गत 15 मार्च से प्रदेश के चार हजार से भी ज्यादा निजी अस्पताल बंद पड़े हुए हैं। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी लगातार राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे हैं और 28 मार्च को चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा था कि जो सरकारी डॉक्टर कार्य बहिष्कार करेंगे उनके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी। लेकिन मीणा की इस चेतावनी का सरकारी डॉक्टरों पर कोई असर नहीं हुआ और 29 मार्च को अधिकांश डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहे इससे सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था चरमरा गई है। हालांकि सीनियर डॉक्टरों ने गंभीर मरीजों की जांच पड़ताल की, लेकिन इसका ज्यादा असर नहीं हो पाया। मुख्यमंत्री के स्तर पर अभी तक भी कोई वार्ता नहीं हुई है। सवाल उठता है कि आखिर सीएम अशोक गहलोत कब सुध लेंगे? गंभीर मरीजों की अब मृत्यु होने के समाचार आने लगे है। इस समय राजस्थान भर में चिकित्सा सुविधाओं का बुरा हाल है। सरकार का कहना है कि यह बिल जनहित में लाया गया है। वहीं निजी चिकित्सकों का कहना है कि यदि यह बिल कानून बनता है तो फिर राजस्थान में निजी अस्पतालों का संचालन बंद हो जाएगा।
 
चार कदम पीछे हटेगी सरकार:
भले ही प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री हर हालत में राइट टू बिल को लागू करने की बात कह रहे हो, लेकिन कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि हड़ताली डॉक्टरों से सरकार झगड़ा नहीं करना चाहती है। यदि आवश्यकता हुई तो सरकार चार कदम पीछे हट जाएगी। उन्होंने माना कि डॉक्टरों की हड़ताल से प्रदेशभर के मरीज परेशान हो रहे हैं। खाचरियावास के चार कदम पीछे हटने के बाद तो प्राइवेट डॉक्टर एक सकारात्मक कदम बता रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि यह पहला अवसर है जब सरकार के किसी मंत्री ने राइट टू हेल्थ बिल पर पीछे हटने की बात कही है। डॉक्टरों को खाचरियावास के बयान से उम्मीद है।
 
अजमेर में मोर्चा संभाला:
प्रदेश व्यापी आह्वान के अंतर्गत अजमेर के सबसे बड़े सरकारी जेएलएन अस्पताल में भी 29 मार्च को सेवारत चिकित्सक हड़ताल पर रहे। ऐसे में अस्पताल और मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. वीर बहादुर सिंह और अधीक्षक डॉ. नीरज गुप्ता ने मरीजों की देखभाल का मोर्चा संभाला। डॉ. सिंह और डॉ. गुप्ता दोनों ने आउटडोर का जायजा लेकर यह सुनिश्चित किया कि जो मरीज इमरजेंसी वाला है उसका अस्पताल में सुनिश्चित इलाज हो। डॉ. सिंह ने कहा कि सेवारत चिकित्सकों ने हड़ताल के बाद भी इमरजेंसी वाले मरीजों का इलाज किया है। उन्होंने कहा कि सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप अस्पताल आने वाले मरीजों का समुचित इलाज करने का प्रयास किया जा हा है। 

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सीएम गहलोत चाहते हैं कि गजेंद्र सिंह शेखावत मंत्री पद से हट जाएं, ताकि पुत्र की हार का बदला लिया जा सके।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब भी अपने गृह जिले जोधपुर आते हैं, तब जोधपुर के सांसद और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत पर राजनीतिक हमला करते हैं। 28 मार्च को भी जोधपुर पहुंचने पर गहलोत ने शेखावत के इथोपिया में करोड़ों रुपए के निवेश का मामला उठाया। गहलोत का कहना रहा कि क्रेडिट सोसायटी के माध्यम से जो पैसा वसूला, उसे शेखावत ने इथोपिया में निवेश किया है। शेखावत को यह बताना चाहिए कि यह पैसा कहां से आया? गहलोत इस गंभीर आरोप पर शेखावत को हाथों हाथ सफाई भी देनी पड़ी। शेखावत ने कहा कि इथोपिया में उनका निवेश विक्रम सिंह (संजीवनी सोसायट का संचालक) को शेखर बेचे जाने से पहले का है। गहलोत इससे पहले जोधपुर में ही शेखावत के परिवार के सदस्यों पर संजीवनी की लूट में शामिल होने का आरोप लगा चुके हैं। मालूम हो कि संजीवनी में 2 लाख परिवारों का करीब 900 करोड़ रुपया जमा है और अब सोसायटी के संचालक भुगतान नहीं कर रहे हैं। गहलोत ने परिवार को लेकर जो आरोप लगाए हैं, उस पर शेखावत ने दिल्ली कोर्ट में मानहानि का मुकदमा भी दायर किया है। अभी संजीवनी घोटाले की जांच सीएम गहलोत के अधीन आने वाली राजस्थान पुलिस कर रही है। लेकिन शेखावत चाहते हैं कि घोटाले की सीबीआई जांच करें। इसको लेकर शेखावत ने हाईकोर्ट में याचिका भी दायर की है। असल में अब राजनीतिक लड़ाई व्यक्तिगत हो गई है, इसीलिए शेखावत और गहलोत दोनों एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं। गहलोत का प्रयास है कि अब शेखावत को केंद्रीय मंत्रिमंडल से हटाना है ताकि 2019 में लोकसभा चुनाव में पुत्र वैभव गहलोत की हार का बदला लिया जा सके। गहलोत को अभी भी मलाल है कि जोधपुर गृह जिला होने के बाद भी उनका पुत्र चार लाख मतों से चुनाव हार गया। चूंकि के पुत्र की हार शेखावत से हुई, इसलिए शेखावत के प्रति गहलोत की नाराजगी कुछ ज्यादा ही है। गहलोत को अब संजीवनी घोटाले का अच्छा हथियार मिल गया है, इसलिए वे जब भी जोधपुर आते हैं तो शेखावत पर बड़ा हमला करते हैं। शेखावत का भारत से बाहर इथोपिया में करोड़ों का निवेश है, इसकी जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी नहीं होगी, लेकिन अब गहलोत के बयान के बाद इस विदेशी निवेश की जानकारी पीएम मोदी को भी हो जाएगी। आरोप के बाद शेखावत ने भी स्वीकार कर लिया है कि उनका निवेश विदेश में है। शेखावत को आशंका है कि राजस्थान पुलिस उनकी छवि खराब करने के लिए संजीवनी घोटाले में फंसा सकती है। इसलिए जांच सीबीआई से करवाने के लिए हाईकोर्ट की शरण ली गई है। 

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अजमेर के जिस सरकारी स्कूल में 31 मार्च को दोपहर बारह बजे तक बोर्ड की परीक्षा होगी उसी स्कूल के मैदान पर दोपहर तीन बजे मुख्यमंत्री की उपस्थिति वाला कांग्रेस का संभाग स्तरीय सम्मेलन होगा।सरकार के डंडे के आगे शिखा बोर्ड से लेकर प्रशासन तक नतमस्तक।

अजमेर में 31 मार्च को होने वाला सत्तारूढ़ कांग्रेस का संभाग स्तरीय कार्यकर्ता सम्मेलन अब सिविल लाइन स्थित राजकीय जवाहर सीनियर हायर सेकेंडरी स्कूल के मैदान पर होगा। इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा के साथ संभाग के मंत्री विधायक और करीब आठ हजार कार्यकर्ता भाग लेंगे। अजमेर संभाग में अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर और टोंक जिले आते हैं। स्वाभाविक है कि इतने बड़े आयोजन की व्यापक तैयारियां होगी। तीन बजे होने वाले सम्मेलन के लिए कार्यकर्ताओं की चहल पहल सुबह से ही शुरू हो जाएगी। लेकिन सबसे गंभीर बात यह है कि इसी जवाहर स्कूल में 31 मार्च को राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं गणित की परीक्षा भी होगी। यह परीक्षा सुबह नौ बजे से दोपहर बारह बजे तक होगी। शिक्षा बोर्ड ने जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को निर्देश दे रखे हैं कि विद्यार्थियों की परीक्षा में कोई व्यवधान नहीं हो। सवाल उठता है कि क्या इतने बड़े राजनीतिक सम्मेलन से बोर्ड परीक्षा में व्यवधान नहीं होगा? बोर्ड परीक्षा वाले दिन ही कांग्रेस के कार्यकर्ता सम्मेलन को अनुमति देना समझ से परे हैं। शिक्षा बोर्ड अपनी परीक्षाओं के लिए जिला परीक्षा संचालन कमेटी भी बनाता है। इस कमेटी के अध्यक्ष जिला कलेक्टर और सह अध्यक्ष पुलिस अधीक्षक होते हैं। लेकिन अजमेर कांग्रेस के कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए जिला कलेक्टर अंशदीप और पुलिस अधीक्षक चूनाराम जाट ने ही जवाहर स्कूल के मैदान की अनुमति दे रहे हैं। हालांकि बोर्ड परीक्षा करवाने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग की भी होती है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के डंडे के आगे सभी सरकारी विभाग नतमस्तक हैं। प्रशासन की अनुमति अपनी जगह है, लेकिन कांग्रेस ने सम्मेलन की तैयारियां जाहर स्कूल में शुरू कर दी है। यहां पर खास तौर से उल्लेखनीय है कि परीक्षा आयोजन करने वाले माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का मुख्यालय जवाहर स्कूल के निकट ही है। इस समय संभागीय आयुक्त ही बोर्ड के प्रशासक है।
 
पार्किंग की भी समस्या:
जवाहर स्कूल अजमेर शहर की घनी आबादी वाला क्षेत्र सिविल लाइन में है। स्कूल के सामने की सड़क की चौड़ाई मुश्किल से पचास फीट होगी। स्कूल के आसपास ऐसा कोई स्थान नहीं है, जहां टूव्हीलर भी खड़े किए जा सके। जबकि सम्मेलन में टोंक, भीलवाड़ा और नागौर से भी कार्यकर्ता फोर व्हीलर में आएंगे। स्वाभाविक है कि वाहनों को दूर दराज में खड़ा करना होगा। 

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वायनाड में उपचुनाव की घोषणा न कर आयोग ने राहुल गांधी को राहत दी।एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता बहाल।कर्नाटक में एक साथ दस मई को चुनाव। नतीजे 13 को आएंगे।

केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव की घोषणा न कर चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है। 29 मार्च को मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव के साथ-साथ पंजाब के जालंधर संसदीय क्षेत्र में उपचुनाव करवाने की घोषणा की। सूरत की एक अदालत द्वारा दो साल की सजा दिए जाने के तुरंत बाद लोकसभा सचिवालय में भी राहुल गांधी की सदस्यता रद्द कर दी थी। इसके तुरंत बाद राहुल से सरकारी बंगला खाली करवाने का नोटिस भी दे दिया गया। जल्द हो रही कार्यवाही को देखते हुए ही उम्मीद थी कि राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र वायनाड में भी उपचुनाव की घोषणा हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वहीं 29 मार्च को लोकसभा सचिवालय में एनसीपी के सांसद मोहम्मद फैजल की सदस्यता को बहाल कर दी। फैजल लक्षद्वीप से सांसद है और लक्षद्वीप की एक अदालत ने दस वर्ष की सजा सुनाई है। इसके बाद फैजल की सदस्यता रद्द कर दी गई थी, लेकिन फैजल ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। केरल हाईकोर्ट ने फैजल की सजा पर रोक लगा दी। इसकी सूचना लोकसभा सचिवालय को भी दी गई, लेकिन फैजल की बहाली का मामला लंबित रहा। संसद की सदस्यता बहाल नहीं किए जाने पर फैजल में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। इस याचिका पर 29 मार्च को सुनवाई होनी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले ही लोकसभा सचिवालय ने फैजल की सदस्यता को बहाल कर दिया। चुनाव आयोग ने भी सुप्रीम कोर्ट में कहा कि लक्षद्वीप में उपचुनाव कराने का कोई प्रोग्राम नहीं है। यहां यह उल्लेखनीय है कि सूरत की अदालत ने जो दो वर्ष की सजा दी है, उसे राहुल गांधी ने अभी तक भी किसी भी कोई में चुनौती नहीं दी है।
 
कर्नाटक में दस मई को चुनाव:
चुनाव आयोग ने कर्नाटक में 10 मई को चुनाव कराने का ऐलान किया है। 13 मार्च को नतीजे आएंगे और 23 अप्रैल को चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी। कर्नाटक में पिछले 35 वर्षों में किसी भी दल की सरकार रिपीट नहीं हुई है। मौजूदा समय में बीजेपी की सरकार है। अभी 228 में से बीजेपी के 118 विधायक हैं। जबकि कांग्रेस के 69 और जेडीएस के 32 विधायक हैं। गत लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 28 में से 25 सीटों जीत हासिल की थी, जबकि कांग्रेस और जेडीएस को एक-एक सीट मिली। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की बढ़त 177 विधानसभा क्षेत्र में रही थी। 

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Tuesday 28 March 2023

राजस्थान में डॉक्टरों की हड़ताल फिलहाल समाप्त होने के आसार नहीं।प्राइवेट डॉक्टरों के भरोसे नहीं है सरकार-स्वास्थ्य मंत्री।नए जिलों की घोषणाओं को भुनाने के लिए सीएम गहलोत संभाग स्तरीय दौरों पर। वहीं डॉक्टरों ने भी रणनीति बनाई।डॉ. समित शर्मा का उपयोग क्यों नहीं करते सीएम गहलोत।

27 मार्च को जयपुर में विशाल प्रदर्शन के बाद प्राइवेट डॉक्टरों ने घोषणा की थी कि अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से ही वार्ता की जाएगी। राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे डॉक्टरों की इस घोषणा के बाद सीएम गहलोत ने 28 मार्च को दोबारा से अखबारों में पूरे पृष्ठ का विज्ञापन छपवा कर बिल को जनता के हित में बताया और 28 मार्च को संभाग स्तरीय सम्मेलनों में भाग लेने के लिए जयपुर से रवाना हो गए। तय कार्यक्रम के अनुसार सीएम गहलोत 28 व 29 मार्च को बीकानेर और जोधपुर संभाग के दौरे पर रहेंगे। 30 मार्च को अहमदाबाद जाने और 31 मार्च को अजमेर संभाग स्तरीय सम्मेलन में भाग लेने का प्रोग्राम है। यानी हड़ताली डॉक्टरों से वार्ता करने में सीएम गहलोत की फिलहाल कोई रुचि नहीं है। जानकार सूत्रों के अनुसार विधानसभा में जो नए 19 जिले बनाने की घोषणा की गई, उसे राजनीतिक दृष्टि से भुनाने के लिए ही कांग्रेस की ओर से संभाग स्तरीय सम्मेलन हो रहे हैं। इन सम्मेलनों में सीएम के साथ प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी मौजूद रहेंगे। प्राइवेट डॉक्टरों की पूर्ण हड़ताल और सरकारी डॉक्टरों के आंशिक कार्य बहिष्कार की वजह से प्रदेश भर में त्राहि त्राहि मची हुई है। लेकिन सरकार की प्राथमिकता में मरीजों की परेशानी शामिल नहीं है। डॉक्टरों को उम्मीद थी कि 27 मार्च के शक्ति प्रदर्शन से सरकार पर दबाव पड़ेगा, लेकिन सीएम के संभाग स्तरीय दौरे पर जाने से प्रतीत होता है कि डॉक्टरों के शक्ति प्रदर्शन का सरकार पर कोई असर नहीं है। वहीं डॉक्टरों ने भी अब लंबी लड़ाई की रणनीति बना ली है। स्पष्ट कहा गया है कि जब तक सरकार राइट टू हेल्थ बिल को वापस नहीं लेती, तब तक निजी अस्पतालों में तालाबंदी रहेगी। 75 प्रतिशत मरीजों का इलाज निजी क्षेत्र में ही होता है, ऐसे मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सरकार की ओर से कहा जा रहा है कि यह बिलज जनता के हित में है, जबकि इस बिल से सरकारी डॉक्टर ही सहमत नहीं है। सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी बिल के विरोध में रोजाना दो घंटे का कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। सरकारी डॉक्टरों ने अपने घरों पर मरीजों को देखना बंद कर दिया है। प्रदेश में 15 मार्च से ही चिकित्सा सुविधाओं का बुरा हाल है। मरीज चिकित्सा के अभाव में बुरी तरह परेशान है। सरकारी अस्पतालों के बाहर लंबी कतारें हैं, लेकिन किसी भी पक्ष को मरीजों की पीड़ा से कोई सरोकार नहीं है। सरकार तो जिला बनाने के जश्न में ऐसी मस्त है कि वार्ता तक तैयार नहीं है, जबकि डॉक्टरों का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल लागू होता है तो निजी अस्पतालों पर ताले लग जाएंगे।
 
डॉक्टरों के भरोसे नहीं:
28 मार्च को एक बार फिर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने स्पष्ट किया है कि राइट टू हेल्थ बिल किसी भी कीमत पर वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार प्राइवेट अस्पतालों के भरोसे नहीं है। सरकार अब अपने अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं ताकि प्राइवेट अस्पतालों की हड़ताल के दौरान किसी भी मरीज को परेशानी नहीं हो। उन्होंने कहा कि यदि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर भी कार्य बहिष्कार करते हैं तो उनके विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।
 
जयपुर प्रदर्शन में सवा लाख डॉक्टर जुटे:
27 मार्च को जयपुर में डॉक्टरों का जो प्रदर्शन हुआ उसमें प्रदेश भर से करीब सवा लाख डॉक्टर्स जुटे। डॉक्टरों ने इस शक्ति प्रदर्शन को महत्वपूर्ण माना है और कहा है कि सरकार को अब निजी अस्पतालों के कार्य बहिष्कार को गंभीरता से लेना चाहिए। यह पहला अवसर है जब निजी अस्पतालों के डॉक्टर इतनी बड़ी संख्या में एकजुट हुए हैं।
 
डॉ. समित शर्मा का उपयोग क्यों नहीं:
राज्य के सामाजिक एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव डॉ. समित शर्मा उन आईएएस में शामिल है, जिनकी वजह से अशोक गहलोत के पिछले कार्यकाल में प्रदेश भर में नि:शुल्क दवा योजना शुरू हुई। प्रदेश के चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. शर्मा की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यदि प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टर्स और सरकार के बीच चल रही खींचतान में डॉक्टर शर्मा का उपयोग किया जाए तो सकारात्मक परिणाम सामने आ सकता है। समित शर्मा के पास पीएचडी वाली डॉक्टर की डिग्री नहीं है, बल्कि उनके पास एमबीबीएस की असली डिग्री है। डॉ.शर्मा प्राइवेट डॉक्टरों की समस्याओं से भलीभांति परिचित है। अब जब प्रदेश के लाखों मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, जब डौ. समित शर्मा जैसे डॉक्टर ही मामले को समझा सकते हैं। चिकित्सा मंत्री मीणा के बयान तो डॉक्टरों भडकाने वाले हैं। 

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राहुल गांधी पर हमलों को मुद्दा क्यों नहीं बना रही राजस्थान में कांग्रेस?गांधी परिवार जब संकट में है, तब गहलोत सरकार की उपलब्धियों का जश्न मनाया जा रहा है।अजमेर में कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए पटेल मैदान को देने में प्रशासन की रुचि नहीं।

सूरत की अदालत से मानहानि के एक प्रकरण में राहुल गांधी को दो वर्ष की सजा मिलने के बाद एक दिन बाद ही राहुल की लोकसभा सदस्यता रद्द करने और अब सरकारी बंगला खाली करने की कार्यवाही से गांधी परिवार संकट में है। दिल्ली में कांग्रेस की ओर से विपक्ष को एकजुट करने का काम किया जा रहा है। 25 सितंबर 2022 से पहले तक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही गांधी परिवार के प्रमुख सलाहकार रहे, लेकिन अब जब गांधी परिवार बड़ा राजनीतिक संकट आया है, तब सीएम गहलोत अपनी सरकार की उपलब्धियों का जश्न मनाने में व्यस्त हो गए है। सरकार की उपलब्धियों को लेकर 28 से 31 मार्च तक संभाग स्तरीय सम्मेलन किए जा रहे हैं। इन सम्मेलनों में भीड़ जुटाने के निर्देश भी दिए गए हैं। यानी 31 मार्च तक राहुल गांधी वाले प्रकरण में प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से कोई विरोध प्रदर्शन नहीं होगा। 28 मार्च को बीकानेर में जो संभाग स्तरीय सम्मेलन हुआ, उस में सीएम गहलोत की ओर से राहुल प्रकरण में मोदी सरकार की आलोचना तो की गई, लेकिन सम्मेलन का उद्देश्य सरकार की उपलब्धियों को गिनाना रहा।खुद कांग्रेस पार्टी में चर्चा है कि जब राहुल गांधी के प्रकरण को लेकर कांग्रेस को प्रदेश में विरोध प्रदर्शन करवाना था, तब सरकार की उपलब्धियों पर सम्मेलन कराए जा रहे हैं। सभी सम्मेलनों की जिम्मेदारी गहलोत के वफादार मंत्रियों को सौंपी गई है ताकि ज्यादा से ज्यादा भीड़ आ सके। जानकार सूत्रों के अनुसार गत वर्ष 25 सितंबर को कांग्रेस विधायकों की बगावत करवाने के बाद अशोक गहलोत और गांधी परिवार के बीच खटास हो गई है। 26 मार्च को दिल्ली में सीएम गहलोत प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी के साथ तो रहे, लेकिन गहलोत की सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से वन टू वन बात नहीं हो सकी। सूत्रों की माने तो गहलोत ने सोनिया गांधी से मिलने का समय भी मांगा है, लेकिन उन्हें मुलाकात के लिए बुलाया नहीं जा रहा है। गहलोत के संभाग स्तरीय सम्मेलन हो रहे हैं जहां तक प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा का सवाल है तो वे सीएम गहलोत की मर्जी के खिलाफ कुछ नहीं कर सकते हैं। प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा भी राजस्थान में सत्ता का खूब मजा ले रहे हैं। रंधावा अभी तक भी गहलोत और सचिन पायलट के बीच तालमेल नहीं करवा पाए हैं। कांग्रेस के इन सम्मेलनों में पायलट और उनके समर्थकों की कोई भूमिका नहीं है।
 
पटेल मैदान को देने में रुचि नहीं:
अजमेर में 31 मार्च को होने वाले कांग्रेस के संभाग स्तरीय सम्मेलन को सफल बनाने की जिम्मेदारी आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेन्द्र राठौड़ के पास है। राठौड़ ने 27 मार्च को शहर के बीचों बीच बने पटेल मैदान का मुआयना किया और सम्मेलन के लिए पटेल मैदान के उपयोग की बात कही, लेकिन जिला प्रशासन किसी राजनीतिक दल के सम्मेलन के लिए पटेल मैदान को आवंटित नहीं करना चाहता है। यही वजह है कि प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने कांग्रेस के नेताओं को बताया है कि पटेल मैदान को स्पोर्ट्स हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, ऐसे में यदि कोई सम्मेलन होता है तो स्पोर्ट हब का कार्य प्रभावित होगा। प्रशासन ने कांग्रेस के नेताओं से आग्रह किया है कि वे सम्मेलन को कायड़ स्थित विश्राम स्थली पर करवाए। हालांकि अभी सम्मेलन स्थल को लेकर कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। 

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Monday 27 March 2023

मसाणिया भैरव धाम पर नवरात्रि छठ मेले में श्रद्धालु उमड़े।देवास में 12 सौ साल पुरानी महादेव जी की धूणी पर महायज्ञ करवा रहे हैं डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी।अजमेर के नौसर माता मंदिर में 29 और 30 मार्च को नवरात्रि के विशेष धार्मिक आयोजन।पुष्कर के पत्रकार नाथू शर्मा का निधन।

तक राष्ट्रदूत में काम करने के बाद शर्मा दैनिक नवज्योति से जुड़ गए और अंतिम सांस तक नवज्योति के लिए काम करते रहे। शर्मा ने पुष्कर में पत्रकारिता तब शुरू की जब पुष्कर से खबरों का चलन नहीं के बराबर होता था। शर्मा पुष्कर के सबसे वरिष्ठ पत्रकारों में रहे। वे पुष्कर प्रेस क्लब के अध्यक्ष भी रहे। स्वास्थ्य खराब होने के कारण ही शर्मा ने नवज्योति में खबर भेजने के लिए अपने पुत्र नितिन शर्मा को प्रशिक्षित कर दिया था। 27 मार्च को ही स्वर्गीय नाथू शर्मा का अंतिम संस्कार पुष्कर स्थित श्मशान स्थल पर किया गया। अंतिम संस्कार में भाजपा, कांग्रेस के नेताओं ने भी भाग लिया। शर्मा के उठावने की रस्म 29 मार्च को होगी। शर्मा के निधन पर अजमेर जिले के पत्रकार जगत में शोक है। मोबाइल नंबर 8005690027 पर स्वर्गीय शर्मा के पुत्र नितिन शर्मा को संवेदनाएं दी जा सकती है। 

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सीपी जोशी के पद ग्रहण समारोह में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के समर्थक भी शामिल।लंबे अर्से बाद ओंकार सिंह लखावत ने भी सक्रियता दिखाई।

चित्तौड़ के सांसद सीपी जोशी ने 27 मार्च को जयपुर स्थित भाजपा कार्यालय में राजस्थान भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष का कार्य भार संभाल लिया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में भाजपा के कार्यकर्ता और नेता उपस्थित रहे। पूर्व सीएम वसुंधरा राजे दतिया में नवरात्र की पूजा में व्यस्त रही, लेकिन राजे ने वर्जुअल तकनीक से जुड़ी और सीपी को अपनी शुभकामनाएं दी। समारोह में राजे समर्थक नेता और विधायक भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। जोशी 27 मार्च की सुबह दिल्ली से सड़क मार्ग से जयपुर के लिए रवाना हुए। राजस्थान की सीमा में जोशी का जगह जगह भव्य स्वागत किया गया। जोशी के वाहन में केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी,सांसद पीपी चौधरी राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और बाबा बालक नाथ मौजूद रहे। पद ग्रहण समारोह में प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, वरिष्ठ नेता और राज्यसभा के सांसद ओम माथुर, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के पुत्र सांसद दुष्यंत सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। निवर्तमान अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कहा कि भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता जोशी को सहयोग करेगा। आज प्रदेश में भाजपा संगठन मजबूत स्थिति में खड़ा है। वहीं पद ग्रहण के बाद जोशी ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि सभी वरिष्ठ नेताओं का सहयोग लेकर विधानसभा का चुनाव जीता जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए जनता तैयार है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं की मेहनत के बल पर ही अगले वर्ष होने वाले लोकसभा के चुनाव में प्रदेश की सभी 25 सीटें जीती जाएंगी।
 
मोर्चा ने भी किया स्वागत:
भाजपा के सभी सातों ने मोर्चा के पदाधिकारियों ने भी जोशी का भव्य स्वागत किया। ओबीसी मोर्चे के प्रदेश अयक्ष ओम प्रकाश भडाणा के नेतृत्व में भी अलग से स्वागत मंच बनाकर जोशी का अभिनंदन किया गया। भडाणा ने उम्मीद जताई कि जोशी के नेतृत्व में संगठन को और मजबूती मिलेगी।
 
लखावत भी सक्रिय:
जोशी के पद ग्रहण के अवसर पर भाजपा की अनुशासन समिति के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत भी सक्रिय नजर आए। पिछले दो तीन वर्षों से अस्वस्थ होने के कारण लखावत भाजपा की राजनीति में सक्रिय नहीं थे। लेकिन 27 मार्च को लखावत पूरे जोश के साथ भाजपा कार्यालय में उपस्थित रहे। लखावत ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है, जितना महत्व एक कार्यकर्ता है उतना ही बड़े से बड़े नेता का भी है। राजनीतिक दृष्टि से लखावत की उपस्थिति को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मालूम हो कि भाजपा के दो बार के कार्यकाल में लखावत राजस्थान धरोहर संरक्षण प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष रहे हैं। लखावत ने प्रदेश भर में ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-03-2023)
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डॉक्टर्स और सरकार की जिद के बीच राजस्थान में मरीजों का बुरा हाल। पलायन शुरू।यदि चिरंजीवी योजना प्रभावी तरीके से लागू हो जाए तो राइट टू हेल्थ बिल की जरूरत नहीं है।प्रदेशभर के डॉक्टरों ने जयपुर में किया शक्ति प्रदर्शन।

राजस्थान सरकार के राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में 27 मार्च को इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आव्हान पर देशभर के डॉक्टरों ने काली पट्टी बांध कर ब्लैक डे नमाया। एसोसिएशन की ओर से चेतावनी दी गई है कि यदि बिल वापस नहीं हुआ तो देश भर के डॉक्टर्स हड़ताल करेंगे। राजस्थान के निजी अस्पताल गत 15 मार्च से बंद पड़े हैं और सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स प्रतिदिन 9 से 11 बजे तक कार्य बहिष्कार कर रहे हैं। सरकारी डॉक्टरों ने 28 मार्च को सामूहिक अवकाश लेने की घोषणा कर दी है। सरकारी डॉक्टरों की एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने कहा है कि यदि बिल वापस नहीं होता है तो बेमियादी हड़ताल भी शुरू की जाएगी। बिल के विरोध में प्रदेशभर में डॉक्टर्स धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उधर प्रदेश के चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने दो टूक शब्दों में कहा है कि डॉक्टर्स चाहे जितना आंदोलन कर लें, लेकिन बिल वापस नहीं होगा। सरकार और डॉक्टर्स की जिद के बीच प्रदेश के मरीजों का बुरा हाल है। डॉक्टर्स और सरकार भी जानती है कि पेट का दर्द भी असहनीय होता है। जिन मरीजों को रोजाना चिकित्सा की जरूरत है, उनका बुरा हाल है। सामर्थ्य मरीज अब पड़ोसी राज्य गुजरात, हरियाणा, दिल्ली, मध्य प्रदेश की ओर पलायन कर रहे हैं। चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह ठप होने से प्रदेशभर में त्राहि त्राहि मची हुई है, लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का अधिकांश समय इन दिनों दिल्ली में बीत रहा है। गहलोत दिल्ली में कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों में व्यस्त हैं। ऐसे में लाखों मरीजों की पीड़ा को समझने वाला कोई नहीं है। सरकार को ताकत दिखाने के लिए ही 27 मार्च को जयपुर में प्रदेश भर के डॉक्टर्स ने प्रदर्शन भी किया। राइट टू हेल्थ बिल को लेकर अब तक सरकार से जो वार्ताएं हुई, वे सभी विफल हो चुकी है, क्योंकि दोनों ही अपनी अपनी बात पर अड़े हुए हैं। सरकार को उम्मीद थी कि बिल से आम लोगों को राहुल मिलेगी, लेकिन लोगों की मुसीबत और बढ़ गई है। 75 प्रतिशत मरीजों का इलाज निजी क्षेत्र में ही होता है। खुद सरकारी डॉक्टर्स भी अस्पताल से ज्यादा मरीज अपने घरों पर देखते हैं। फिलहाल सरकारी डॉक्टर्स मरीजों को घर पर भी नहीं देख रहे हैं।
 
चिरंजीवी योजना:
सरकार ने एक अप्रैल से मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना का दायरा 25 लाख रुपए तक बढ़ा दिया है। यानी मरीज निजी अस्पताल में 25 लाख रुपए तक इलाज प्रति वर्ष करवा सकता है। अब तक यह राशि 10 लाख रुपए थी। पिछले डेढ़ वर्ष से निजी अस्पतालों में सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर मरीजों का इलाज हो रहा था। चिरंजीवी में बीपीएल कार्ड धारकों का प्रीमियम भी माफ है, जबकि कोई भी परिवार मात्र 850 रुपए देकर बीमा करवा सकता है। यही वजह है कि प्रदेश के अधिकांश परिवारों ने चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा करवा रखा है। यदि इस योजना को निजी अस्पतालों की सहमति से लागू करवाया जाए तो राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल की जरूरत नहीं है। सवाल यह भी है कि जब अधिकांश निजी अस्पताल चिरंजीवी में मरीजों का इलाज कर रहे थे, तब यह बिल क्यों लाया गया? चिरंजीवी में सरकार ने सीनियर डॉक्टर की फीस भी मात्र 135 रुपए निर्धारित कर रखी है। इसी प्रकार इनडोर पेशेंट के लिए एक दिन के दो हजार रुपए खर्च निर्धारित है। अच्छा होता कि सरकार चिरंजीवी में खर्च की राशि बढ़ा कर मरीजों का इलाज सुनिश्चित करवाती। सरकार राइट टू हेल्थ बिल की आड़ में डंडे के जोर पर निजी अस्पतालों में इलाज करवाना चाहती है जो डॉक्टर्स को स्वीकार नहीं है। सरकार को मरीजों की पीड़ा भी समझनी चाहिए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (27-03-2023)
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Sunday 26 March 2023

अजमेर की ऐतिहासिक सोनी जी की नसियां में अब 140 वर्ष पुरानी स्वर्ण रचनाएं भी देखने को मिलेंगी।लोकार्पण उत्सव में जैन आचार्य वसुनंदी महाराज अपने संघ के साथ शामिल होंगे।

अजमेर की ऐतिहासिक सोनी जी की नसिया के परिसर में 27 मार्च को दोपहर तीन बजे जैन आचार्य वसुनंदी महाराज के सानिध्य में एक समारोह होगा जिसमें 140 वर्ष पुरानी जैन रचनाओं को सार्वजनिक किया जाएगा। नसिया के ट्रस्टी प्रमोद सोनी ने बताया कि नसिया का निर्माण राय बहादुर सेठ मूलचंद सोनी ने वर्ष 1865 में किया था। 1871 में स्वर्ण सुशोभित पंचकल्याणक की रचनाएँ बनाई गई। जिसकी स्थापना 1895 में की गई। परिवार के सदस्यों ने उस समय दो पंचकल्याणक की रचनाएँ निर्मित की थी, लेकिन एक की रचनाओं का प्रदर्शन कभी भी नसियां में नहीं हुआ। अब परिवार ने इन दुर्लभ रचनाओं को नसियां में प्रदर्शित करने का निर्णय लिया है। इसलिए 27 मार्च को जैन आचार्य वसुनंदी महाराज के सान्निध्य में दुर्लभ रचनाओं का लोकार्पण किया जाएगा। इन रचनाओं में प्रथम हस्तिनापुर राजा श्रेयांस द्वारा भगवान आदिनाथ को प्रथम आहार दृश्य एवं द्वितीय केवल ज्ञान प्राप्त होने के पश्चात भगवान के आकाश गमन का दृश्य तथा इंद्र द्वारा 225 स्वर्ण कमल की रचनाएं शामिल हैं। इसके साथ ही भगवान ऋषभ देव के अंतिम समवशरण कैलाश पर्वत पर 72 स्वर्णिम जिनालय की रचनाएं भी प्रदर्शित की जाएगी। अजमेर में महावीर जयंती के अवसर पर ही स्वर्णिम रथ, घोड़ा, हाथी, आदि प्रदर्शित किए जाते हैं। लेकिन अब इन रचनाओं को भी नसियां में आने वाले पर्यटक देख सकेंगे। सोनी ने बताया कि स्वर्ण अयोध्या नगरी को देखने के लिए वर्ष भर देशी विदेशी पर्यटक आते हैं, लेकिन 140 वर्ष पूर्व बनी दुर्लभ रचनाओं के प्रदर्शन के बाद लोगों का आकर्षण और बढ़ेगा। इन सभी दुर्लभ रचनाओं को नसियां परिसर के एक हाल में ही प्रदर्शित किया गया है। उनके परिवार का यह सौभाग्य है कि इन रचनाओं का लोकार्पण जैन आचार्य वसुनंदी महाराज के सानिध्य में हो रहा है। नई रचनाओं के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9414002753 पर नसियां के ट्रस्टी प्रमोदी सोनी से ली जा सकती है। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-03-2023)
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राहुल ने अब अडानी को भी मानहानि का मुकदमा दायर करने का अवसर दिया।आखिर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अडानी के निवेश पर चुप क्यों हैं राहुल गांधी?

कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी का यह सवाल वाजिब है कि उद्योगपति गौतम अडानी की शेल कंपनियों में 20 हजार करोड़ रुपए का निवेश किसने किया? राहुल के इस सवाल का जवाब अडानी समूह को देना चाहिए। अडानी की कंपनियों के शेयर देश के लाखों नागरिकों के पास है, ऐसे में शेयर होल्डरों को भी यह जानने का अधिकार है कि 20 हजार करोड़ रुपए कहां से आया? लेकिन इसके साथ ही अडानी को सार्वजनिक तौर पर भ्रष्ट कह कर राहुल गांधी ने अडानी को मानहानि का मुकदमा दायर करने का अवसर दे दिया है। 25 मार्च राहुल ने जो प्रेस कॉन्फ्रेंस की उस में अडानी को भ्रष्ट कह कर संबोधित किया। हालांकि राहुल के निशाने पर पीएम मोदी थे, लेकिन उन्होंने अडानी को भ्रष्ट कहा। संसद की सदस्यता छीनने से गुस्साए राहुल गांधी ने अडानी को भ्रष्ट तो कह दिया, लेकिन मानहानि का मुकदमा दायर होने पर अदालत में अडानी को भ्रष्ट साबित करना आसान नहीं होगा। सवाल यह भी है कि जो अडानी भ्रष्ट है, उनसे कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में करोड़ों रुपए का निवेश क्यों करवाया जा रहा है? अडानी इन दोनों राज्यों में न केवल निवेश कर रहे हैं, बल्कि सरकार से रियायती दरों पर हजारों बीघा भूमि भी प्राप्त कर रहे हैं। राजस्थान में अडानी द्वारा खरीदे गए महंगे कोयले का बोझ भी बिजली उपभोक्ताओं पर डाला गया है। राहुल, पीएम मोदी पर अडानी को संरक्षण देने का आरोप लगाते हें, लेकिन ऐसा ही संरक्षण अडानी को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी दे रहे हैं। यदि अडानी के फोटो मोदी के साथ हैं तो अशोक गहलोत के साथ भी है। 25 मार्च को प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार ने जब राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अडानी के निवेश पर सवाल पूछा तो राहुल गांधी नाराज हो गए। उल्टे पत्रकार पर आरोप लगाया कि आप किसी से आदेशित होकर मेरे मुद्दे को भटकाना चाहते हो। राहुल गांधी भले ही इस सवाल का जवाब न दें, लेकिन देश की जनता तो यह जानना चाहेगी ही कि राहुल गांधी को कांग्रेस शासित प्रदेशों में अडानी के निवेश पर एतराज क्यों नहीं है? जब अडानी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो कांग्रेस को अच्छे लगते हैं, लेकिन दिल्ली में नहीं। राहुल गांधी चाहते हैं कि अडानी समूह की कंपनियों को जो ठेके दिए गए हैं उन्हें रद्द किया जाए। अच्छा हो कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ में अडानी के ठेकों को रद्द कर कांग्रेस एक उदाहरण पेश करे। यदि ऐसा होता है तो फिर केंद्र सरकार पर भी दबाव पड़ेगा। लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो अडानी के पैसे से कांग्रेस तो काम करवाए, लेकिन दिल्ली में अडानी के पैसे से एतराज किया जाए, यह नहीं हो सकता। 

S.P.MITTAL BLOGGER (26-03-2023)
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तो राजस्थान में डॉक्टरों के खिलाफ जनता के आक्रोश का इंतजार है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को।मुख्यमंत्री फिर दिल्ली पहुंचे।

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में राजस्थान भर के प्राइवेट अस्पताल गत 15 मार्च से बंद है और डॉक्टर्स सड़कों पर उतर कर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। प्राइवेट डॉक्टरों को सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों का भी समर्थन है, इसलिए सरकारी डॉक्टरों ने भी मरीजों को घरों पर देखना बंद कर दिया है। 75 प्रतिशत मरीजों का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में ही होता है। यही वजह है कि राजस्थान में इन दिनों मरीजों का बुरा हाल है। एक और प्रदेशभर के लोग परेशान है तो वहीं सरकार की ओर से दो टूक शब्दों में कहा गया है कि विधानसभा में स्वीकृत राइट टू हेल्थ बिल को हर हाल  में लागू किया जाएगा। 26 मार्च को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से अखबारों में विज्ञापन के तौर पर पूरे पृष्ठ पर अपील जारी की गई है। हालांकि यह डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने की अपील है, लेकिन इसका मकसद यह भी है कि राइट टू हेल्थ बिल आम लोगों के लिए कितना जरूरी है। सीएम गहलोत की अपील में ऐसा एक भी शब्द नहीं है जो हड़ताल खत्म करने के लिए डॉक्टरों को प्रेरित करे। प्राइवेट अस्पतालों के बंद होने से प्रदेशभर में अप्रिय घटनाओं के समाचार भी आने लगे हैं। ऐसे समाचारों से जनता में नाराजगी देखी गई है। ऐसा प्रतीत होता है कि सीएम गहलोत अब डॉक्टरों के खिलाफ जनता के आक्रोश का इंतजार कर रहे हैं। यदि जनता की नाराजगी सड़कों पर आएगी तो डॉक्टरों की हड़ताल पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, लेकिन वहीं डॉक्टरों का कहना है कि राइट टू हेल्थ बिल लागू होने के बाद राजस्थान में प्राइवेट अस्पताल चल ही नहीं पाएंगे। सरकार का मकसद प्राइवेट अस्पतालों में भी सरकारी अस्पतालों की तरह इलाज करवाना है। ऐसे में प्राइवेट अस्पताल चल नहीं पाएंगे। प्राइवेट अस्पतालों के बंद होने से सरकारी अस्पतालों में जबरदस्त भीड़ हो गई है, ऐसे में सरकारी अस्पतालों में भी इलाज नहीं हो पा रहा है। इस इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी 27 मार्च को देशभर में ब्लैक डे मनाने की घोषणा की है। 27 मार्च को देशभर के डॉक्टर राजस्थान के डॉक्टरों के समर्थन में काली पट्टी बांध कर विरोध जाएंगे। यानी अब राजस्थान के डॉक्टरों का आंदोलन देशव्यापी हो रहा है। डॉक्टरों और सरकार की खींचतान का खामियाजा प्रदेश के मरीजों को उठाना पड़ रहा है। जिन मरीजों को दर्द की पीड़ा है, उनकी परेशानी बहुत है। सरकार को मरीजों की पीड़ा को देखते हुए डॉक्टरों की हड़ताल खत्म करवाने में प्रभावी कार्यवाही करनी चाहिए।
 
गहलोत फिर दिल्ली में:
26 मार्च को भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दिल्ली में रहे। दिल्ली में राजघाट के बाहर हुए कांग्रेस के सत्याग्रह में गहलोत ने भाग लिया। गहलोत 25 मार्च को भी दिल्ली में ही थे। दिन में राहुल गांधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस में उपस्थित रहे और शाम को वापस जयपुर लौट आए। लेकिन राजनीतिक कारणों से गहलोत को 26 मार्च को फिर दिल्ली जाना पड़ा। हालांकि डॉक्टरों की हड़ताल को खत्म करवाने के लिए गहलोत ने मुख्य सचिव श्रीमती उषा शर्मा को आवश्यक निर्देश दिए है। सीएम के निर्देश के बाद मुख्य सचिव अब डॉक्टरों से वार्ता करने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन राइट टू हेल्थ बिल को वापस या प्रावधानों में संशोधन करने को लेकर सरकार की ओर से कोई आश्वासन नहीं दिया गया है। डॉक्टरों का स्पष्ट कहना है कि जब तक बिल वापस नहीं होता तब तक सरकार से वार्ता का कोई मतलब नहीं है। 

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Saturday 25 March 2023

कर्नाटक में चुनाव जीत कर हम, भाजपा और मोदी से बदला लेंगे। प्रियंका गांधी का यह बयान स्वागत योग्य है।राहुल गांधी पर अब बंगला खाली करने की तलवार लटकी।

23 मार्च को सूरत की अदालत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो वर्ष की सजा सुनाई और 24 मार्च को लोकसभा सचिवालय ने राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी। हालांकि ये दोनों ही निर्णय संवैधानिक है, लेकिन कांग्रेस को लगता है कि यह सब भाजपा और पीएम मोदी के इशारे पर हो रहा है। यही वजह है कि राहुल की बहन और कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि हम कर्नाटक में चुनाव जीत कर भाजपा और मोदी को जवाब देंगे। प्रियंका ने भले ही यह बयान गुस्से में दिया हो, लेकिन इस बयान का स्वागत किया जाना चाहिए। क्योंकि किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जो राजनीतिक दल चुनाव जीतता है, वहीं प्रदेश और देश में शासन करता है। राजनीतिक दलों के नेताओं की लोकप्रियता भी चुनाव परिणाम से ही आंकी जाती है। प्रियंका गांधी ने सही बयान दिया है कि भाजपा और मोदी को कर्नाटक में हरा कर जवाब दिया जाएगा। यह अच्छी बात है कि गांधी परिवार की सदस्य अब देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में भरोसा जता रही हैं। राहुल गांधी ने भले ही लंदन में भारत के लोकतंत्र को खतरा बताया हो, लेकिन प्रियंका गांधी लोकतंत्र के माध्यम से ही भाजपा मोदी को जवाब देना चाहती हैं। भारत में चीन की तरह तानाशाही व्यवस्था नहीं है। भारत में चुनाव के माध्यम से सरकार चुनी जाती हैं। यदि किसी राजनीतिक दल को सत्तारूढ़ दल से नाराजगी है तो उसका बदला चुनाव में ही लिया जा सकता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रियंका गांधी ने जो बयान दिया उस पर कांग्रेस के कार्यकर्ता भी अमल करेंगे। कर्नाटक में मई माह में ही विधानसभा के चुनाव होने हैं और इसी वर्ष नवंबर में राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी चुनाव होंगे। इन तीनों राज्यों में भी चुनाव के माध्यम से ही कांग्रेस मोदी और भाजपा को जवाब दे सकती है। लोकतांत्रिक व्यवस्था के दायरे में रहकर यदि कोई कार्य किया जाता है तो उसका स्वागत किया जाना चाहिए।
 
बंगले पर तलवार:
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द हो जाने के बाद अब दिल्ली वाले बंगले को खाली करने की तलवार भी लटक गई है। राहुल गांधी को सांसद होने के नाते दिल्ली में आलीशान बंगला मिला हुआ है। चूंकि अब सांसद नहीं रहे, इसलिए बंगले को खाली करना पड़ सकता है। जिस प्रकार लोकसभा सचिवालय में सदस्यता रद्द करने के त्वरित कार्यवाही की है, उससे प्रतीत होता है कि राहुल गांधी से बंगला भी जल्द खाली करवा लिया जाएगा। देश में मनमोहन सिंह के नेतृत्व में जब यूपीए की सरकार थी, तब राहुल गांधी की बहन प्रियंका गांधी को भी सरकारी बंगला आवंटित कर दिया गया था। लेकिन एनडीए की सरकार ने वर्ष 2021 में प्रियंका गांधी से सरकारी बंगला खाली करवा लिया। बंगला इसलिए खाली करवाया गया कि प्रियंका गांधी संसद के किसी भी सदन की सदस्य नहीं थी। नोटिस मिलने के बाद प्रियंका ने सरकारी बंगला खाली कर दिया। अब चूंकि राहुल गांधी भी संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहे है, इसलिए स्वाभाविक तौर पर बंगाल खाली करना पड़ेगा। राहुल गांधी की माताजी श्रीमती सोनिया गांधी के पास दिल्ली में सरकारी बंगला है। श्रीमती गांधी मौजूदा समय में रायबरेली से सांसद हैं। हालांकि सोनिया गांधी को कैबिनेट मंत्री के दर्जे वाला बंगला आवंटित है। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी लोकसभा का चुनाव अगला चुनाव नहीं लड़ेंगी। ऐसे में सोनिया गांधी के पास अभी जो दस जनपथ का बंगला है, उस पर भी लोकसभा चुनाव के बाद तलवार लटक सकती है। राहुल गांधी के प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि हाईकोर्ट से राहुल गांधी की सजा पर रोक नहीं लगी तो राहुल गांधी अगले आठ वर्ष तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।

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मुख्य आयकर आयुक्त रहे धीरज भटनागर ने रामचरितमानस का हिन्दी में काव्य अनुवाद किया। देश में ऐसा पहली बार हुआ है।अजमेर के सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल में स्पोर्ट्स हब की शुरुआत।फोटो जर्नलिस्ट महेश नटराज को मदद की जरुरत।

ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है, जब कोई वरिष्ठ अधिकारी सेवा में रहते हुए सनातन संस्कृति के अनुरूप आचरण करे। यानी प्रशासनिक कर्तव्य के साथ साथ सनातन संस्कृति को मजबूत करने वाला काम भी करे। अजमेर निवासी धीरज भटनागर इसी माह मुख्य आयकर आयुक्त के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, लेकिन धीरज भटनागर ने सरकारी सेवा में रहते हुए धर्म के क्षेत्र में कार्य किया है। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई रामचरितमानस अवधि भाषा में है, लेकिन भटनागर ने हिन्दी में काव्य अनुवाद किया है।  चार सौ पृष्ठ वाली इस पुस्तक का नाम घर-घर राम रखा गया है। धीरज भटनागर ने कहा कि अवधि भाषा से अनुवाद करना चुनौती पूर्ण कार्य था, लेकिन भगवान राम ने इतनी शक्ति दी कि इस चुनौती को पार पाया जा सका। भटनागर ने उम्मीद जताई है कि हिन्दी में अनुवाद होने के बाद देश का हर धर्म प्रेमी रामचरित मानस की भावना को समझ सकेगा। उन्होंने बताया कि सुप्रसिद्ध गायक सुरेश वाडेकर ने सुंदर कांड को अपनी आवाज भी दी है। इस वीडियो भी जारी हो रहा है। उनका मन है कि संपूर्ण रामचरित मानस को हिन्दी में गाया जाए। चूंकि अब आईटी का जमाना है इसलिए वे चाहते हैं कि उनकी संपूर्ण पुस्तक को गीत में प्रस्तुत किया जाए। संभवत: देश में यह पहला अवसर है जब रामचरित मानस का हिन्दी में काव्य अनुवाद हुआ है। इस पुस्तक का विमोचन चार अप्रैल को दिल्ली के सीरी फोर्ट ऑडिटोरियम में दोपहर साढ़े तीन बजे होगा। इस अवसर पर शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, जगतगुरु रामानंदाचार्य, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज, महाराष्ट्र की श्रीनाथ पीठ के आचार्य स्वामी जितेंद्र नाथ, अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती के साथ साथ केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, अनुराग ठाकुर और भाजपा के सांसद सुधांशु त्रिवेदी उपस्थित रहेंगे। धीरज भटनागर के भाई और अजमेर के श्रमजीवी कॉलेज के प्रिंसिपल अनंत भटनागर ने बताया कि धीरज भटनागर की शुरू से ही धर्म के प्रति गहरी निष्ठा रही है। इस पुस्तक के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9828052917 पर अनंत भटनागर से ली जा सकती है।
 
स्पोर्ट्स हब की शुरुआत:
25 मार्च को अजमेर के माकड़वाली रोड स्थित सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल में स्पोटर्स हब और ऑडिटोरियम का शुभारंभ हो रहा है। इस शुभारंभ समारोह में पद्म विभूषण अवार्ड और मुक्केबाज खिलाड़ी मैरीकॉम भी उपस्थित रहेंगी। स्कूल के वाइस प्रेसिडेंट राजा ठारानी ने बताया कि स्पोर्ट्स हब की शुरुआत के साथ ही स्कूल परिसर में हाफ ओलंपिक साइज के स्विमिंग पूल, बास्केट बॉल, स्केटिंग, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, शूटिंग, क्रिकेट, फुटबॉल, लॉन टेनिस कोर्ट और स्क्वाश आदि खेलों की सुविधाएं स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मिलने लगेगी। नवीनतम टेक्नोलॉजी वाले ऑडिटोरियम में 650 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे। उन्होंने बताया कि अजमेर का सतगुरु इंटरनेशनल स्कूल अब राजस्थान के दस बड़े उन स्कूलों में शामिल हो गया है, जब स्पोर्ट्स की इतनी बड़ी और अधिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। राजा ठारानी ने कहा कि स्कूल में शिक्षा के साथ साथ विद्यार्थियों को विभिन्न खेलों के प्रति भी जागरूक किया जाता है। अब स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुरूप खेल का उपयोग कर सकते हैं। स्कूल प्रबंधन का भी प्रयास होगा कि जिन खेलों की सुविधाएं हमारे पास है, उसमें विद्यार्थी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में विजेता बने। उन्होंने बताया कि माकड़वाली रोड के पृथ्वीराज नगर क्षेत्र में संचालित सतगुरु स्कूल में इंटरनेशनल स्तर की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। स्कूल में टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग हो रहा है। हमारे शिक्षण संस्थान में पढ़ने वाले विद्यार्थी गर्व की अनुभूति करते हैं।
 
मदद की जरूरत:
अजमेर के फोटो जर्नलिस्ट महेश नटराज के दोनों पैर खराब हो गए हैं। पिछले दो वर्ष से महेश अपने पैरों की बीमारी पर लाखों रुपया खर्च कर चुके हैं। अभी भी एक सप्ताह में जो ड्रेसिंग होती है, उस पर दो हजार रुपए की राशि खर्च हो रही है। महेश अब तक तो अपना इलाज करवा रहे थे, लेकिन अब उनके सामने भीषण आर्थिक संकट खड़ा हो गया है, हालांकि सरकारी अस्पताल से थोड़ी बहुत मदद मिलती है, लेकिन पैरों की ड्रेसिंग तो निजी स्तर पर ही करवानी पड़ रही है। अजमेर के समाजसेवी गिरीश भाशानी ने वाट्सएप पर अपने मित्रों का एक ग्रुप बना रखा है, इस ग्रुप के माध्यम से भाशानी ने 24 मार्च को महेश नटराज को 11 हजार रुपए नकद राशि का सहयोग किया है। भाशानी ने भरोसा दिलाया है कि महेश के इलाज में भी यथा संभव मदद की जाएगी। 24 मार्च को भाशानी के साथ उनके सहयोगी जगदीश अभिचंदानी, विकास अग्रवाल, वरिष्ठ पत्रकार और ब्लॉगर सुरेंद्र चतुर्वेदी आदि ने घर जाकर महेश की हौसला अफजाई की। महेश की मदद के लिए मोबाइल नंबर 9785976505 पर महेश से सीधा संवाद किया जा सकता है। इसी प्रकार मोबाइल नंबर 9829105964 पर गिरीश भाशानी से भी जानकारी ली का सकती है। 

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Thursday 23 March 2023

गहलोत साहब! पेट का दर्द भी असहनीय होता है।इलाज के अभाव में दम तोड़ते मरीजों की कब सुध ली जाएगी?राजस्थान में अब निजी क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार नहीं होगा।

जो लोग बीमारी के दौर से गुजर चुके हैं, उन्हें पता है कि पेट दर्द भी असहनीय होता है। कल्पना कीजिए कि आपके पेट में दर्द हो रहा है और अस्पताल के चिकित्सक इलाज करने से मना कर दे। राजस्थान में पेट दर्द के मरीज ही नहीं बल्कि सभी रोगों के मरीज परेशान हो रहे हैं। अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में स्वास्थ्य का अधिकार बिल स्वीकृत तो करवा दिया है, लेकिन इसके विरोध में प्रदेश के निजी अस्पताल पांच दिनों से हड़ताल पर हैं। चिकित्सकों का कहना है कि स्वीकृत बिल जब कानून बनेगा, तब निजी अस्पतालों का चलना मुश्किल हो जाएगा। यही वजह है कि प्रदेशभर के चार हजार निजी अस्पताल बंद पड़े हैं। कुल आबादी का 75 प्रतिशत भाग निजी अस्पतालों में ही इलाज करवाता है। विधानसभा में स्वास्थ्य के अधिकार बिलों को पास करवाने पर सरकार अपनी बड़ी उपलब्धि मानती है, लेकिन मौजूदा समय में प्रदेश के लाखों लोगों को परेशानी हो रही है। 22 मार्च को ही सीकर के एक चार वर्षीय बालक की मृत्यु इलाज के अभाव में हो गई। यदि निजी अस्पतालों में जल्द ही इलाज शुरू नहीं हुआ तो मृत्यु की ऐसी घटनाएं और होंगी। निजी अस्पतालों में हड़ताल खत्म हो, इसको लेकर सरकार ने अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं की है। सरकार तो बिल स्वीकृत करवा कर निश्चित हो गई है। मरीजों की पीड़ा समझने वाला कोई नहीं है। निजी क्षेत्र के डॉक्टरों के धरना प्रदर्शन का भी सरकार पर कोई असर नहीं हुआ है। जहां तक सरकारी अस्पतालों का सवाल है तो जबर्दस्त भीड हो गई है। सरकारी अस्पताल इतने मरीजों का इलाज करने में असमर्थ है। वैसे भी सरकारी चिकित्सकों ने भी निजी चिकित्सकों के विरोध का समर्थन किया है। हो सकता है कि अब सरकारी चिकित्सक भी बेमियादी हड़ताल पर उतर जाएं। असल में अधिकांश सरकारी चिकित्सक सेवानिवृत्ति के बाद अस्पताल ही खोलते हैं। अनेक चिकित्सकों ने तो सरकारी नौकरी छोड़ कर अपना अस्पताल चलाया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अब तक निजी चिकित्सकों से अशोक गहलोत ने अब तक निजी चिकित्सकों से सीधे तौर पर कोई बात नहीं की है। अच्छा हो कि प्रदेश के मरीजों के हित में सीएम गहलोत हड़ताली चिकित्सकों से वार्ता कर समस्या का समाधान निकालें। सीएम गहलोत को यह समझना चाहिए कि स्वास्थ्य का अधिकार बिल तभी सफल होगा जब निजी अस्पताल सहयोग करेंगे। डंडे के जोर पर निजी अस्पतालों में रियायती दरों पर इलाज नहीं करवाया जा सकता।
 
चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार नहीं:
संभवत: पूरे देश में राजस्थान ऐसा प्रदेश है, जहां स्वास्थ्य का अधिकार के तहत निजी अस्पतालों पर बहुत पाबंदियां लगाई गई है। ऐसे में इस बिल के बाद निजी क्षेत्र में चिकित्सा सुविधाओं का विस्तार नहीं होगा। उल्टे अभी जो बड़े संस्थान है वे निकटवर्ती प्रदेशों में स्थापित हो जाएंगे। 

S.P.MITTAL BLOGGER (23-03-2023)
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खत्म हो सकती है राहुल गांधी की संसद सदस्यता।मोदी सरनेम वालों को चोर बताने पर सूरत की कोर्ट में दो वर्ष की सजा सुनाई। अब तीस दिन की जमानत मिली है राहुल गांधी को।राहुल ने सुप्रीम कोर्ट की हिदायत का भी ख्याल नहीं रखा।

23 मार्च को गुजरात के सूरत की एक अदालत ने मानहानि के प्रकरण में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को अधिकतम दो वर्ष की सजा सुनाई है। यह सजा मानहानि की धारा 499 व 500 में दी गई है। गत लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की एक सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर इशारा करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि मोदी सरनेम वाले चोर क्यों होते हैं? राहुल ने अपने भाषण में नरेंद्र मोदी, ललित मोदी आदि के नाम दिए। मोदी सरनेम वालों को चोर बताने पर ही सूरत के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने अदालत में मुकदमा दायर किया। आमतौर पर ऐसे मामलों में आरोपी माफी मांग लेते हैं, लेकिन राहुल गांधी पूरे प्रकरण में तीन बार अदालत में पेश हुए और उन्होंने माफी मांगने से इंकार कर दिया। 23 मार्च को भी जब सजा सुनाने से पहले न्यायाधीश ने दोषी करार दिया तो राहुल ने कहा कि उन्होंने किसी का भी अपमान नहीं किया। उन्होंने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाई थी और आगे भी उठाते रहेंगे। राहुल की ओर से सजा को कम करने की कोई प्रार्थना भी नहीं की गई। वहीं शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वकीलों का कहना था कि राहुल गांधी सांसद हैं और संसद में कानून बनाते हैं। ऐसे में उन्हें कानून की जानकारी होनी चाहिए। कोर्ट को यह भी बताया गया कि वर्ष 2018 में राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने संभल कर बोलने की हिदायत दी थी, लेकिन इसके बाद भी राहुल गांधी ने मोदी सरनेम वालों को चोर कह दिया। अदालत से अपील की गई कि राहुल को अधिकतम सजा दी जाए। इसके बाद न्यायाधीश ने राहुल को दो वर्ष की सजा सुना दी। साथ ही राहुल को तीस दिन के लिए जमानत भी दी। ताकि राहुल गांधी ऊपरी अदालत में याचिका दायर कर सके।
 
जा सकती है सदस्यता:
यदि किसी सांसद और विधायक को दो वर्ष की सजा मिलती है तो लोकसभा अध्यक्ष और संबंधित विधानसभा के अध्यक्ष सदस्यता को रद्द कर सकते हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान के पुत्र की विधायकी रद्द हुई है। अदालत का फैसला आते ही उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष ने संबंधित विधायक की सदस्यता को रद्द कर दिया। जानकारों का मानना है कि सूरत की अदालत के आदेश की जानकारी तत्काल ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजी जाएगी। इसी बीच राहुल गांधी ऊपरी अदालत में जाकर दो वर्ष की सजा पर स्थगन ले लेते हैं तो फिर सांसद की सदस्यता रद्द होने से बच सकते हैं। लेकिन यदि लोकसभा अध्यक्ष के फैसले से पहले ऊपरी अदालत से स्थगन नहीं मिलता है तो राहुल गांधी के हाथ से संसद की सदस्यता चली जाएगी। राहुल गांधी अभी केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। राहुल ने गत लोकसभा का चुनाव यूपी के अमेठी से भी लड़ा था, लेकिन वे भाजपा की उम्मीदवार स्मृति ईरान से हार गए। अब यदि राहुल की संसद सदस्यता रद्द होती है तो कांग्रेस को राजनीतिक दृष्टि बड़ा झटका लगेगा। 

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Wednesday 22 March 2023

संसद में अडानी की आड़ में विपक्ष को पीएम मोदी पर हमला करने का अवसर नहीं देगी भाजपा।23 मार्च से शोर गुल के बीच ही दोनों सदनों में जरूरी विधायी कार्य होंगे। संसद 6 अप्रैल से पहले ही स्थगित हो सकती है।भाजपा ने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया।

विपक्ष चाहता है कि अडानी की आड़ में संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला किया जाए। राहुल गांधी से माफी मांगने की मांग कर भाजपा ने अब तक तो विपक्ष को अपने मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया है। हालांकि कांग्रेस सहित सभी विपक्षी नेता संसद के बाहर अडानी को लेकर पीएम मोदी पर हमला बोलते रहे हैं, लेकिन संसद के रिकॉर्ड में दर्ज हो जाए, इसलिए संसद में बोलने और संसद की संयुक्त जांच समिति बनाने की मांग की जा रही है। इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि 13 मार्च से दोनों सदन लोकसभा और राज्यसभा में कोई कार्य नहीं हो सकता है। लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला और राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ रोजाना संसदीय लोकतंत्र पर प्रवचन देते हैं, लेकिन ऐसे प्रवचनों को संसद में सुनने वाला कोई  नहीं है। अब तक तो भाजपा भी संसद न चलने में ही रुचि दिखा रही थी, लेकिन अब भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। 23 मार्च को सुबह 11 बजे जब संसद शुरू होगी तो जरूरी विधायी कार्य करवाए जाएंगे। कांग्रेस सहित विपक्षी सांसद भले ही चिल्ल पौ करते रहे, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा सभापति फटाफट अंदाज में विधायी कार्यों को करवाएंगे। ऐसा पहले भी कई बार हुआ है, जब विपक्ष के हंगामे के बीच अनेक बिलों को मंजूरी दी है तथा सरकारी निर्णयों पर संसद की मुहर लगवाई है। लोकसभा में 545 में से भाजपा और सहयोगी दलों की संख्या 350 है। राज्यसभा में भी भाजपा अपने सहयोगियों के सहयोग से कोई भी बिल स्वीकृत करवाने की स्थिति में है। दोनों सदनों में 23 मार्च से भाजपा का संख्या बल कम न हो, इसके लिए भाजपा ने सभी सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है। यानी भाजपा सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य हो गई है। बजट सत्र का तीसरा चरण 13 मार्च से शुरू हुआ और पूर्व निर्धारित कार्यक्रम अनुसार संसद को 6 अप्रैल तक चलना है। लेकिन अब ऐसा प्रतीत होता है कि संसद को 6 अप्रैल से पहले ही स्थगित कर दिया जाएगा। ऐसा पहले भी कई बार हुआ है, जब समय से पहले संसद को स्थगित किया गया है। लेकिन सत्तारूढ़ दल भाजपा को जो विधायी कार्य करवाने हैं, उन्हें अवश्य करवाया जाएगा। भले ही किसी भी प्रस्ताव पर स्वीकृति से पहले बहस न हो। लंदन वाले बयान पर राहुल गांधी से माफी मांगने की जो शर्त भाजपा ने रखी है, उस पर कांग्रेस कभी तैयार नहीं होगी। भाजपा और कांग्रेस दोनों का अपना-अपना राजनीतिक नजरिया है। यही वजह है कि गत 13 मार्च से संसद के दोनों सदन नहीं चल पाए हैं। 

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केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने राष्ट्रपति के अभिभाषण और प्रधानमंत्री के विजन की जानकारी राजस्थान के सांसदों को दी।

21 मार्च को दिल्ली में राजस्थान के भाजपा सांसदों की एक बैठक हुई। इस बैठक में सांसदों के साथ भाजपा के प्रभारी अरुण सिंह, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, संगठन महासचिव चंद्र शेखर आदि उपस्थित रहे। बैठक में आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी 25 वर्षो के विजन की जानकारी दी। यादव ने कहा कि राष्ट्रपति जी के अभिभाषण को सभी सांसदों को पढ़ना चाहिए, क्योंकि इसमें केंद्र सरकार की प्रमुख कल्याणकारी योजनाओं का उल्लेख है। राष्ट्रपति जी ने कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया है। इसके साथ ही यादव ने पीएम मोदी के आगामी 25 वर्षों के विजन के बारे में भी सांसदों को बताया। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर हम अमृत काल का उत्सव मना रहे हैं। प्रधानमंत्री जी आगामी 25 वर्ष को ध्यान में रख योजनाएं बना रहे हैं। पीएम के इस विजन को भी समझने की जरूरत है। यादव ने कहा कि प्रत्येक सांसद अपने संसदीय क्षेत्र में यह सुनिश्चित करे कि केंद्र सरकार की योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्ति को मिल रहा है तो यह सांसद की बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। लेकिन यदि कहीं पर योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है तो सांसदों को दखल देना चाहिए। उन बाधाओं को हटाया जाना चाहिए जिसकी वजह से लाभ नहीं मिल रहा। संसदीय क्षेत्र के मतदाताओं से निरंतर संपर्क बनाए रखने का सुझाव भी सांसदों दिया गया।
 
महत्वपूर्ण रही बैठक:
राजस्थान में 25 संसदीय क्षेत्र है और 24 में भाजपा के सांसद है। नागौर से आरएलपी के सांसद हनुमान बेनीवाल भी भाजपा के समर्थन से ही जीते हैं। राजस्थान भर में भाजपा सांसदों की वजह से ही 21 मार्च वाली बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजस्थान में नवंबर दिसंबर में विधानसभा के चुनाव होने हैं और अगले वर्ष मई में लोकसभा के चुनाव होंगे। यानी विधानसभा चुनाव में मौजूदा सांसदों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। ऐसे में मौजूदा सांसद अपने अपने संसदीय क्षेत्र में केंद्र सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लाभ को सुनिश्चित करते हैं तो विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशियों को फायदा होगा। सांसदों से कहा गया कि संबंधित अधिकारियों से संवाद कर लाभार्थियों की सूची भी प्राप्त करें। केंद्र की जो योजनाएं राज्य सरकार के माध्यम से क्रियान्वित हो रही है, उन पर विशेष नजर रखने की हिदायत भी दी गई है। चूंकि सांसदों की बैठक में प्रदेशाध्यक्ष पूनिया और प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह भी उपस्थित रहे, इसलिए इस बैठक को आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भाजपा के कई सांसद ऐसे हैं जो विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि 21 मार्च वाली बैठक में सांसदों के विधानसभा चुनाव लडऩे पर कोई चर्चा नहीं हुई, लेकिन विधायक बनने के इच्छुक सांसदों का मानना है कि अगली बार राजस्थान में भाजपा की सरकार बनेगी, तब उन्हें मंत्री बनने का अवसर मिल जाएगा। कई सांसदों को दोबारा से लोकसभा चुनाव में टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है, इसलिए पहले ही विधायक मंत्री बन जाना चाहते हैं। 

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तो क्या धर्मेन्द्र राठौड़ की सिफारिश से बनी द्रोपदी कोली अजमेर नगर निगम में प्रतिपक्ष की नेता?कांग्रेस के 18 में से 16 निर्वाचित पार्षदों ने द्रौपदी को हटाने की मांग की।आखिर डिजनीलैंड में बिजली का झूला टूटने के हादसे का जिम्मेदार कौन? क्या विभागों ने आँखें मींच कर अनुमति दी?

अजमेर नगर निगम में कांग्रेस के 18 निर्वाचित पार्षद हैं, इनमें से 16 पार्षदों ने 21 मार्च को जयपुर में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से मुलाकात कर द्रोपती कोली को प्रतिपक्ष के नेता पद से हटाने की मांग की। रंधावा और डोटासरा ने पार्षदों से कहा कि वे सात दिन शांत रहे। सात दिन बाद सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा। द्रोपदी का विरोध करने वाले पार्षदों में गत विधानसभा चुनाव में अजमेर शहर से कांग्रेस के प्रत्याशी रहे महेंद्र सिंह रलावता और हेमंत भाटी, नगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष विजय जैन, पूर्व विधायक डॉ. राजकुमार जयपाल गुट के पार्षद भी शामिल हैं। सवाल यह भी उठता है कि जब 18 में से 16 पार्षद विरोध में हैं तो फिर द्रोपती कोली को कांग्रेस के किस नेता की सिफारिश से प्रतिपक्ष का नेता बनाया गया? जानकार सूत्रों के अनुसार आरटीडीसी के अध्यक्ष और पुष्कर से चुनाव लडने के लिए लालायित धर्मेन्द्र राठौड़ की सिफारिश से द्रोपदी कोली की नियुक्ति हुई है। चूंकि राठौड़ सीएम अशोक गहलोत के करीबी है, इसलिए द्रोपदी की नियुक्ति में सीएम का  इशारा भी रहा। यह बात अलग है कि द्रोपती के विरोध में तैयार ज्ञापन पर धर्मेन्द्र राठौड़ के समर्थक माने जाने वाले पार्षद नौरत गुर्जर के भी हस्ताक्षर हैं, लेकिन गुर्जर पार्षदों के उस प्रतिनिधि मंडल में शामिल नहीं हुए जो 21 मार्च को रंधावा और डोटासरा से मिलने गया था। सूत्रों की माने तो धर्मेन्द्र राठौड़ ने नौरत गुर्जर की कोहनी पर कांग्रेस के शहर अध्यक्ष का शहद लगा रखा है। शहर अध्यक्ष पद को लेकर राठौड़ और केकड़ी के विधायक रघु शर्मा में खींचतान हो रही है। रघु शर्मा अपने चहेते शक्ति प्रताप सिंह पीपरोली को शहर अध्यक्ष बनाना चाहते हैं। हालांकि धर्मेन्द्र राठौड़ पुष्कर से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन अजमेर में कांग्रेस नेताओं की आपसी फूट और कमजोर स्थिति में दखल दे रहे हैं। शहरी नेताओं की आपसी खींचतान के कारण ही नगर निगम में कांग्रेस पार्षद दल का नेता नहीं बन पा रहा था। इस स्थिति को देखते हुए ही द्रोपती कोली को चुपचाप नेता घोषित कर दिया गया। लेकिन अब द्रोपदी का खुला विरोध कर अजमेर के नेताओं ने धर्मेन्द्र राठौड़ को भी चुनौती दे दी है।  द्रोपदी मौजूदा समय में सेवादल की महिला शाखा की प्रदेशाध्यक्ष भी हैं, ऐसे में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत की अनदेखी कर द्रौपदी को नेता प्रतिपक्ष का महत्वपूर्ण पद भी दे दिया गया। इतना ही नहीं गत वर्ष हुए मेयर के चुनाव में भी द्रोपदी को ही कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया। अजमेर दक्षिण सुरक्षित क्षेत्र से चुनाव लड़ने के इच्छुक कांग्रेस नेता हेमंत भाटी और राजकुमार जयपाल के समर्थकों का मानना है कि यदि द्रोपदी को राजनीति में इसी रफ्तार से आगे बढ़ती रही तो अगले विधानसभा चुनाव में अजमेर उत्तर क्षेत्र से टिकट की दावेदारी भी करेंगी। तब हेमंत भाटी और डॉ. जयपाल का क्या होगा? यह बात अलग है कि ये दोनों ही नेता दो दो बार चुनाव हार चुके हैं। 18 में से 16 पार्षद भले ही खिलाफ हों, लेकिन द्रोपती कोली का कहना है कि अगले कुछ दिनों में सब ठीक हो जाएगा। जो लोग मेरे नेता पद पर आपत्ति कर रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि मैं 1990 से लगातार पार्षद हूं और हमेशा कांग्रेस के प्रति समर्पित रही हंू। वैसे भी उदयपुर और रायपुर अधिवेशन में महिलाओं और युवाओं को 50 प्रतिशत पद देने का निर्णय लिया गया है।
 
हादसे का जिम्मेदार कौन?:
21 मार्च की रात को अजमेर के कुंदन नगर क्षेत्र में चल रहे डिजनीलैंड में बिजली का एक झूला 50 फिट ऊंचाई से जमीन पर आ गिरा। यह हादसा झूले की जंग लगी केबल के टूटने से हुआ। इस हादसे में 16 महिलाएं और बच्चे घायल हो गए। हालांकि किसी के गंभीर चोट नहीं आई, लेकिन झूला जब पचास फिट ऊंचाई से धड़ाम से जमीन पर गिरा तो झूले में बैठे सभी लोगों के कमरे में झटका लगा। कई बच्चे तो घबरा कर रोने लगे। अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद बच्चों और महिलाओं को छुट्टी तो दे दी गई, लेकिन सवाल उठता है कि इस हादसे का जिम्मेदार कौन है? डिजनी लैंड को शुरू करने से पहले जिला प्रशासन और संबंधित विभाग से अनुमति ली जाती है। सवाल उठता है कि क्या यह अनुमति आंख मीच कर दी गई? किसी भी विभाग ने झूलों की गुणवत्ता को जांचने का काम नहीं किया। यदि जांच पड़ताल कर अनुमति दी जाती तो यह हादसा नहीं होता। सिविल लाइन थाना प्रभारी दलबीर सिंह ने बताया कि हादसे को लेकर डिजनीलैंड संचालक ब्यावर निवासी अरुण सिंह के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उन्होंने कहा कि यदि किसी की भी लापरवाही सामने आई तो उस पर भी नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। फिलहाल डिजनी लैंड मेले को सीज कर दिया गया है। 

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Tuesday 21 March 2023

प्राइवेट डॉक्टरों के समर्थन में सरकारी डॉक्टर्स भी हड़ताल पर।आखिर राइट टू हेल्थ को प्राइवेट अस्पतालों पर क्यों थोपा जा रहा है?डॉक्टरों पर पुलिस लाठीचार्ज को मंत्री खाचरियावास ने गलत बताया।

राइट टू हेल्थ का मतलब स्वास्थ्य का अधिकार है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम लोगों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी निर्वाचित सरकार की होती है। लेकिन ऐसा लगता है कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार अपनी जिम्मेदारी को प्राइवेट अस्पतालों पर थोप रही है। प्राइवेट अस्पताल इमरजेंसी मरीज का इलाज निशुल्क करे, की मंशा को लेकर सरकार राइट टू हेल्थ बिल विधानसभा में पास करवाना चाहती है। इस बिल के प्रावधानों के विरोध में राजस्थान भर के चार हजार प्राइवेट अस्पताल पिछले चार दिनों से बंद पड़े हैं। 21 मार्च को सरकारी अस्पतालों में सेवारत चिकित्सकों ने पहले दो घंटे और फिर चौबीस घंटे कार्य बहिष्कार की घोषणा कर दी। सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि राइट टू हेल्थ बिल के प्रावधान सरकारी चिकित्सकों के विरुद्ध भी हैं उन्होंने कहा कि इस मौके पर वे प्राइवेट चिकित्सकों के समर्थन में है। यदि सरकार अपनी जिद पर अड़ी रही तो सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों को भी बड़ा कदम उठाना पड़ेगा। 21 मार्च को सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों के द्वारा कार्य बहिष्कार किए जाने से प्रदेश भर के मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। वहीं प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों ने स्पष्ट कह दिया है कि जब तक सरकार बिल को वापस नहीं लेती तब तक प्राइवेट अस्पताल बंद रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस बिल के बाद प्राइवेट अस्पतालों का चलना मुश्किल हो जाएगा। प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सकों का कहना है कि बिल के प्रावधान पहले सरकारी अस्पतालों में लागू किए जाए। सरकार अपने अस्पतालों की दशा तो सुधारना नहीं चाहती और अपनी जिम्मेदारी को प्राइवेट अस्पतालों पर थोपना चाहती है। उन्होंने कहा कि हड्डी रोग के अस्पताल में हृदय रोग वाले मरीज का इलाज संभव नहीं है। लेकिन सरकार चाहती है कि हर प्राइवेट अस्पताल में हर इमरजेंसी मरीज का इलाज हो जाए। यदि कोई अस्पताल इलाज से मना करेगा तो उसके विरुद्ध सजा देने के सख्त प्रावधान किए गए हैं। बिल के विरोध में राजधानी जयपुर में स्टेच्यू सर्किल पर डॉक्टरों ने महापड़ाव कर रखा है। प्रदेश के हर शहर में प्राइवेट अस्पतालों के चिकित्सक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। चिकित्सकों का यह भी कहना है कि सरकार ने चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना और आरजीएचएस में मरीजों के इलाज के लिए जो न्यूनतम दरे निर्धारित कर रखी है उनके अनुरूप भी प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों का इलाज किया जा रहा था। प्राइवेट अस्पताल सरकार को हर स्तर पर सहयोग कर रहे हैं। लेकिन इसके बाद भी सरकार एक ऐसा कानून बनाना चाहती है जो प्राइवेट अस्पतालों में ताले लगवा देगा।
 
लाठीचार्ज की निंदा:
राज्य सरकार के कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि 20 मार्च को जयपुर में प्राइवेट चिकित्सकों पर पुलिस का लाठीचार्ज हुआ वह नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि चिकित्सक भी हमारे परिवार के सदस्य हैं। खाचरियावास ने कहा कि वे चिकित्सकों के प्रतिनिधियों के संपर्क में है और उनका प्रयास है कि सरकार के साथ हो रहे गतिरोध को जल्द से जल्द समाप्त किया जाए। उन्होंने माना कि प्राइवेट अस्पतालों में कार्य बहिष्कार होने से प्रदेश भर के मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

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तो अब सचिन पायलट ने राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग की।क्या सीएम गहलोत, विधायकों की बैठक बुलाने का साहस दिखा पाएंगे?संजीवनी के पीड़ितों को पैसा वापस मिलता है तो मैं जेल भी जाने को तैयार- सीएम गहलोत।सुरक्षा कानून को लेकर पत्रकारों का जयपुर में प्रदर्शन।

राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रतिद्वंदी और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा कि गत 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक करने के लिए तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने पर्यवेक्षक के तौर पर मल्किार्जुन खडग़े और अजय माकन को जयुपर भेजा था, लेकिन तब इस बैठक को नहीं होने दिया गया। छह माह गुजर जाने के बाद भी विधायक दल की बैठक नहीं हो पा रही है, इस बात को कांग्रेस के राष्ट्रीय नेताओं खास कर मौजूदा अध्यक्ष खडग़े को देखना चाहिए। राष्ट्रीय नेतृत्व को यह भी देखना चाहिए कि आखिर गत 25 सितंबर को किसके दबाव में कांगे्रस विधायकों ने अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंपे। पायलट ने ये बातें एक राष्ट्रीय न्यूज चैनल में एक इंटरव्यू के दौरान कही। सीएम गहलोत द्वारा गद्दार, नकारा, मक्कार और कोरोना वायरस तक कहे जाने पर पायलट ने कहा कि ऐसे शब्द सुनकर मुझे भी पीड़ा होती है, लेकिन मेरे संस्कार ऐसे नहीं है कि मैं ऐसे ही शब्दों के जरिए जवाब दूं। कांग्रेस विधायक दल की बैठक की मांग कर पायलट ने एक बार फिर पार्टी की अंतर्कलह को उजागर किया है। यह सही है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री पद को लेकर ही विधायक दल की बैठक बुलाई थी, लेकिन बैठक नहीं होने दी। गहलोत गुट की ओर से यह दावा किया जाता है कि 106 विधायकों में से 90 विधायक गहलोत के साथ है, लेकिन इन 90 विधायकों के नाम आज तक नहीं बताए गए हैं। ऐसे माहौल में पायलट की विधायक दल की मांग राजनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। पायलट का यह सवाल वाजिब है कि राजस्थान में विधायक दल की बैठक क्यों नहीं बुलाई जाती? क्या विधायक की बैठक बुलाने को लेकर कोई घबराहट है? सब जानते हैं कि सचिन पायलट के नेतृत्व में ही 2018 में कांग्रेस को बहुमत मिलता था। अब भले ही सरकार चलाने में पायलट की कोई भूमिका न हो, लेकिन विधानसभा का अगला चुनाव पायलट के समर्थन के बगैर लड़ना कांग्रेस के लिए मुश्किल होगा। एक सीएम गहलोत बजट घोषणाओं को आगे रखकर सरकार के रिपीट होने का दावा कर रहे हैं तो वहीं सचिन पायलट जैसे कद्दावर नेता अभी भी विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग कर रहे हैं। 18 व 19 मार्च को सीएम गहलोत दिल्ली में रहे। लेकिन उनकी मुलाकात सोनिया गांधी से नहीं हो सकी। गहलोत की मुलाकात राहुल गांधी से भी इसलिए हुई कि 19 मार्च को दिल्ली पुलिस राहुल गांधी के आवास पर पहुंच गई थी, तब सहानुभूति प्रकट करने के लिए गहलोत भी पहुंच गए। माना जा रहा है कि 25 सितंबर की घटना के बाद गहलोत और गांधी परिवार के बीच संबंध अच्छे नहीं रहे हैं।
 
जेल भी जाने को तैयार:
21 मार्च को सीएम गहलोत अपने गृह जिले जोधपुर के दौरे पर रहे, गहलोत ने मीडिया से संवाद करते हुए कहा कि संजीवनी क्रेडिट सोसायटी के घोटाले में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के परिवार के सदस्यों के नाम पर भी लेनदेन हुआ है, यदि शेखावत के परिवार के सदस्य शामिल नहीं होते तो हजारों लोग इस सोसायटी में निवेश भी नहीं करते। मैंने जब घोटाले में शेखावत के परिवार के सदस्यों का उल्लेख किया तो मेरे विरुद्ध ही दिल्ली में मानहानि का मुकदमा दर्ज करवा दिया गया। यदि पीड़ित निवेशकों को पैसा वापस मिलता है तो मैं इस मुकदमे में जेल भी जाने को तैयार हंू। उन्होंने कहा कि आवश्यकता होने पर इस मुकदमे में वे अदालत में अपनी उपस्थिति भी दर्ज करवाएंगे। गहलोत ने कहा कि शेखावत को चाहिए कि पीड़ित निवेशकों का पैसा वापस करने में सहयोग करें। सरकार अपने स्तर पर हर निवेशक की मदद कर रही है।
 
पत्रकारों का प्रदर्शन:
21 मार्च को जयपुर में अपनी सुरक्षा को लेकर प्रदेश भर के पत्रकारों ने विरोध प्रदर्शन किया। आईएफडब्ल्यूजे के बैनर तले सैकड़ों पत्रकारों ने पिंक सिटी प्रेस क्लब से पैदल मार्च कर विधानसभा जाने का प्रयास किया, लेकिन विधानसभा से पहले ही पुलिस ने पत्रकारों को रोक दिया। आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेश अध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ और सचिव मनवीर सिंह चुंडावत ने पुलिस की इस कार्यवाही की निंदा की है। उन्होंने कहा कि पत्रकार विधानसभा का घेराव करना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं करने दिया। पत्रकारों की ओर से पत्रकार सुरक्षा कानून को लेकर एक ज्ञापन सरकार को दिया गया। इस ज्ञापन में कहा गया कि आम पत्रकार जोखिम भरी परिस्थितियों में काम करता है इसलिए उसे सुरक्षा मिलनी चाहिए। सरकार ने जिस प्रकार एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट तैयार किया है उसी प्रकार पत्रकार सुरक्षा कानून भी बनाया जाए। 

S.P.MITTAL BLOGGER (21-03-2023)
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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का संघ और राम मंदिर निर्माण को बदनाम करने का प्लान धरा रह गया।हाईकोर्ट के न्यायाधीश फरजंद अली ने संघ के प्रांत प्रचारक निंबाराम के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को रद्द किया।गहलोत की पुलिस ने निंबाराम पर एक निजी कंपनी से 20 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाया था।

गत वर्ष जून माह में राजस्थान के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अशोक गहलोत के अधीन काम करने वाली पुलिस ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो के आधार पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक निंबाराम को फंसाने वाला एक मुकदमा दर्ज किया था। गहलोत की पुलिस का आरोप रहा कि जयपुर में ग्रेटर नगर निगम की सफाई ठेका कंपनी बीवीजी के प्रतिनिधियों से मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम ने 20 करोड़ रुपए की मांग की है। यह राशि 267 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान के लिए मांगी गई। इसके लिए मेयर के पति राजाराम, कंपनी के प्रतिनिधियों को संघ प्रचारक निंबाराम के पास भी ले गए। वायरल वीडियो के आधार पर पुलिस ने यह भी आरोप लगाया कि 20 करोड़ रुपए पहले राम मंदिर निर्माण में सहयोग देने और जयपुर स्थित प्रताप फाउंडेशन को चंदा देने की बात कही गई। चूंकि यह मामला सीधे संघ प्रचारक से जुड़ गया, इसलिए सीएम गहलोत सहित कांग्रेस के सभी बड़े नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक पर प्रतिकूल टिप्पणियां की। गहलोत का तो यहां तक कहना रहा कि राम मंदिर में कैसे कैसे सहयोग लिया जा रहा है, इसका अंदाजा दर्ज एफआईआर से लगाया जा सकता है। पुलिस ने संघ प्रचारक निंबाराम को गिरफ्तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। संघ और राम मंदिर के निर्माण को बदनाम करने के प्लान को देखते हुए ही एफआईआर को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट में पुलिस ने खुद माना कि इस मामले में रुपयों का लेन देन नहीं हुआ है और न ही पुलिस के पास वायरस वीडियो की मूल रिकॉर्डिंग व रिकॉर्डिंग वाला मोबाइल है। निंबाराम के वकील जीएस गिल ने कहा कि पुलिस के पास कोई सबूत नहीं है। राजनीतिक द्वेषता के चलते निंबाराम को फंसाया गया है। बातचीत सिर्फ राम मंदिर निर्माण में सहयोग से संबंधित थी, लेकिन जांच एजेंसियों ने बेवजह मुकदमा दर्ज किया। संबंधित कंपनी के प्रतिनिधियों ने भी 20 करोड़ रुपए की राशि मांगने से इंकार किया है। एफआईआर रद्द करने के प्रकरण में सबसे खास बात यह है कि हाईकोर्ट के न्यायाधीश फरजंद अली ने अंतिम बहस 27 फरवरी को सुनी थी और आदेश 20 मार्च को रिलीज हुआ। न्यायाधीश अली ने 20 मार्च को हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्यपीठ में बैठे थे, जबकि 27 फरवरी को अंतिम बहस जयपुर स्थित बेंच में की थी। 27 फरवरी से पहले ही मुख्य न्यायाधीश ने न्यायाधीश अली को एक मार्च से जोधपुर पीठ में सुनवाई करने के आदेश जारी कर दिए थे। चूंकि न्यायाधीश अली ने इस मामले में पहले भी सुनवाई की, इसलिए जोधपुर जाने से पहले 27 फरवरी को सभी पक्षों को बुलाकर अंतिम बहस सुनी। निंबाराम के खिलाफ एफआईआर रद्द होने से संघ और राम मंदिर निर्माण को बदनाम करने का प्लान धरा रह गया है। सवाल उठता है कि सीएम गहलोत और कांग्रेस के नेताओं ने एफआईआर दर्ज होने पर जो बयान दिए थे, क्या उन पर अब माफी मांगी जाएगी? सीएम गहलोत मोदी सरकार पर तो जांच एजेंसियों के दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हैं, लेकिन उनके अधीन काम करने वाली पुलिस क्या कर रही है, यह कोई प्रतिक्रिया नहीं देती। भ्रष्टाचार मामलों में मोदी सरकार की जांच एजेंसियों की कार्यवाही पर अदालतें भ्रष्टाचारियों को जेल भेज रही है, जबकि गहलोत सरकार के अधीन काम करने वाली पुलिस की एफआईआर को हाई कोर्ट रद्द कर रहा है। 

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Sunday 19 March 2023

जेबी लॉ फर्म के पांच वकीलों को उपहार में मिली वैगन आर कारफर्म की प्रमुख एडवोकेट एसके सिंह की अनुकरणीय पहल।

सुप्रीम कोर्ट के मशहूर वकील एसके सिंह ने अपनी जेबी लॉ फर्म के पांच वरिष्ठ सदस्यों को उपहार में मारुति की वैगन आर कार दी है। इन कारों की चाबी 19 मार्च को अजमेर के वैशाली नगर स्थित होटल मानसिंह के परिसर में मारुति के अधिकृत विक्रेता एसपी सहगल और ब्लॉगर एसपी मित्तल ने दी। इस अवसर पर एडवोकेट सिंह ने कहा कि किसी भी फर्म को सफल बनाने में फर्म के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जेबी लॉ फर्म ने राजस्थान ही नहीं बल्कि देशभर में कानून के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। फर्म की सफलता का श्रेय फर्म के सदस्यों को भी है। फर्म के सदस्यों की मेहनत को देखते हुए ही फर्म के सचिव और जोधपुर के हैड शंकर सिंह राजपुरोहित अजमेर के हैड अमित कुमार जैन, फर्म की सीनियर पाटर्नर रेखा दीक्षित और एडवोकेट सौरभ चटर्जी को वैगन आर कार दी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस उपहार से सदस्यों को और अधिक काम करने की प्रेरणा मिलेगी। इस अवसर पर एडवोकेट सिंह की पुत्री डॉ. सुनीता सिंह ने उपहार प्राप्त करने वाले सभी सदस्यों को शुभकामनाएं दी। मारुति के डीलर सहगल ने बताया कि एसीरिज लगने के बाद एक वैगन आर कार कीमत करीब सात लाख रुपए की है। उन्होंने कहा कि एडवोकेट सिंह भले ही लॉ फार्म चला रहे हो, उन्होंने कॉपरेट नजरिए से अपने स्टाफ को इतना महंगा उपकार दिया है। जेबी लॉ फर्म के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829181340 पर एडवोकेट एसके सिंह से ली जा सकती है। 

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बलात्कार पीड़िता का नाम जानने के लिए दिल्ली पुलिस राहुल गांधी के घर पहुंची।आखिर राहुल गांधी के घर पर पुलिस के आने की हिम्मत कैसे हुई?-मुख्यमंत्री अशोक गहलोतराहुल गांधी अब लिखित में जवाब देंगे।

भारत जोड़ों यात्रा के समापन पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में कहा था, यात्रा के दौरान उन्हें अनेक महिलाएं मिली जिन्होंने बलात्कार होने की शिकायत की। इन महिलाओं का यह भी कहना रहा कि शिकायत करने पर भी पुलिस ने कोई मदद नहीं की। इस बयान पर दिल्ली पुलिस ने राहुल गांधी को दो नोटिस दिए और बलात्कार पीडि़ताओं की पहचान बताने का आग्रह किया। लेकिन इन दोनों ही नोटिसों का राहुल गांधी ने कोई जवाब नहीं दिया। जवाब नहीं देने के कारण ही 19 मार्च को दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर सागर प्रीत हुडा पुलिस दल के साथ राहुल गांधी के सरकारी आवास पर पहुंचे। हुडा ने बताया कि राहुल गांधी के बयान के बाद दिल्ली पुलिस भी चिंतित है। यदि किसी महिला के साथ बलात्कार हुआ है तो उसकी जानकारी पुलिस को होनी चाहिए। ताकि आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही हो सके। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की यात्रा दिल्ली से होकर भी गुजरी थी, इसलिए हम यह जानना चाहते हैं कि बलात्कार पीड़ित महिलाओं ने दिल्ली की महिलाएं कितनी हैं। दिल्ली पुलिस के राहुल गांधी के घर पर पहुंचने से कांग्रेस में हड़कंप मच गया। सुप्रीम कोर्ट के वकील और कांग्रेस के नेता अभिषेक मनु सिंघवी तत्काल ही राहुल गांधी के आवास पर पहुंच गए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 18 मार्च से ही दिल्ली में है। राहुल के घर पुलिस पहुंचने की सूचना मिलते ही गहलोत भी तत्काल राहुल के आवास पर पहुंच गए। राहुल से मुलाकात करने से पहले ही गहलोत ने घर के बाहर मीडिया से कहा कि आखिर राहुल गांधी के घर पर पुलिस के आने की हिम्मत कैसे हुई? उन्होंने कहा कि राहुल कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं और पुलिस बेवजह उन्हें डराना चाहती है। गहलोत ने आरोप लगाया कि यह सब पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के इशारे पर हो रहा है। देश की जनता समय आने पर माकूल जवाब देगी। वहीं भारत जोड़ों यात्रा के संयोजक जयराम रमेश ने कहा कि यात्रा समाप्त हुए 45 दिन हो गए हैं और अब पुलिस को बलात्कार पीड़ित महिलाओं की चिंता हुई है। राहुल गांधी के आवास पर पहुंचे कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जो नोटिस दिए हैं, उसका जवाब दिया जा रहा है। लेकिन इसके बाद भी पुलिस का आना यह दर्शाता है कि राहुल गांधी को तंग किया जा रहा है। केंद्र सरकार चाहती है कि राहुल गांधी अडानी के मुद्दे को न उठाए।
 
आखिर पीड़िताओं के नाम क्यों नहीं बताते राहुल:
कांग्रेस नेताओं के तर्क अपनी जगह है, लेकिन सवाल उठता है कि राहुल गांधी उन पीड़िताओं के नाम क्यों नहीं बताते जिन्होंने बलात्कार की शिकायत की है। राहुल गांधी न केवल सांसद है, बल्कि एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। राहुल गांधी जो बात कहते हैं उसमें सच्चाई होना माना जाता है। यदि बलात्कार पीड़ित महिलाओं की सुनवाई नहीं हो रही है तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही भी होनी चाहिए। यदि वाकई बलात्कार पीड़ित महिलाएं राहुल गांधी से मिली है तो उन्हें नाम भी बताने चाहिए। भारत जोड़ो यात्रा राजस्थान से भी होकर गुजरी थी। सवाल उठता है कि क्या राजस्थान में भी किसी महिला ने बलात्कार होने की बात राहुल गांधी को बताई? राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार चल रही है। यदि राजस्थान में भी बलात्कार की शिकायतें मिली है तो यह और भी गंभीर बात है।
 
लिखित में जवाब देंगे:
19 मार्च को दिल्ली पुलिस के आयुक्त सागर प्रीत हुडा ने राहुल गांधी से मुलाकात के बाद बताया कि राहुल गांधी अब लिखित में जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि पुलिस ने जो नोटिस दिया है उसे राहुल गांधी ने स्वीकार कर लिया है। पुलिस को अब राहुल गांधी के जवाब का इंतजार है। जरुरत हुई तो आगे भी राहुल गांधी से पूछताछ की जाएगी। 

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