Friday 11 November 2016

#1948
मुसलमान न तो आतंकवादी हैं और न हम कुरान की शिक्षाओं में दखल बर्दाश्त करेंगे। 
जमियत उलेमा-ए-हिन्द की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में आम राय। 
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मुसलमानों में बहावी विचार धारा के संगठन जमियत उलेमा-ए-हिन्द का राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 11 नवबर को अजमेर में राजस्थान सरकार के खादिम ट्यूरिज्म होटल में हुई। इस बैठक में बड़े मौलानाओं, धर्मगुरु, मुस्लिम विद्वानों आदि ने भाग लिया। जमियत का अजमेर में तीन दिवसीय कार्यक्रम हो रहाहै। 12 नवम्बर को दूसरे दिन दरगाह कमेटी की कायड़ विश्राम स्थली पर देशभर के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन होगा और 13 नवम्बर को अंतिम दिन आम जलसा है। इस जलसे में 50 हजार मुसलमानों के भाग लेने की उम्मीद है। 11 नवम्बर को हुई बैठक में मुस्लिम प्रतिनिधियों ने इस बात पर नाराजगी जताई कि भारत में जब भी कोई आतंकवादी वारदात होती है तो एक सुनियोजित तरीके से मुसलमानों को आतंकवाद से जोड़ दिया जाता है। बैठक में यह कहा गया कि इस्लाम में आतंकवाद का कोई स्थान नहीं है। सरकार को उन तत्वों के विरुद्ध कार्यवाही करनी चाहिए जो आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों को बदनाम करते हैं। बैठक में आम राय से कहा गया कि मुसलमानों के लिए आसमानी किताब मानी जाने वाली कुरान की शिक्षाओं में किसी भी प्रकार का दखल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केन्द्र सरकार ने तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रिम कोर्ट में जो हलफनामा दिया है, वह भी उचित नहीं माना जा सका। तीन तलाक के मुद्दे पर आम मुसलमान औरतों को कोई एतराज नहीं है। हाल ही में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जो फार्म भरवाए उसमें मुस्लिम महिलाओं ने पूरी भागीदारी निभाई है। इस फार्म पर पर्दानशीन औरतों ने स्वैच्छा से हस्ताक्षर किए हैं। बैठक में आम राय से निर्णय लिया गया कि तीन तलाक के मुद्दे पर सुप्रिम कोर्ट में जो वाद चल रहा है, उसमें पक्षकार बनकर आम मुस्लिम औरतों की भावना से सुप्रिम कोर्ट को अवगत करवाए जाए। चंद मुस्लिम औरतों के विरोध करने से तीन तलाक की प्रथा पर रोक नहीं लगाई जा सकती। बैठक में केन्द्र सरकार को चेताया गया कि वह मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखल न दें। केन्द्रीय विधि आयोग ने कॉमन सिविल कोड के लिए जो राय शुमारी शुरू की है उसे भी रोका जाए।  बैठक में मुसलमानों के लिए भी आरक्षण व्यवस्था लागू करने पर आम राय रही। कहा गया कि मुस्लिम समुदाय में भी बेहद गरीब लोग हैं। ऐसे गरीब मुसलमानों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलना चाहिए। इसके साथ ही बैठक में कहा गया कि सरकार ने मुसलमानों के लिए जो योजना शुरू कर रखी है, उनका लाभ अधिक से अधिक उठाया जाए। 
ये रहे बैठक में मौजूद:
11 नवम्बर को बैठक में जमियत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना कारी सैय्यद मोहम्मद उस्मान मंसूरी पुरी, महासचिव मौलाना महमूद असअद मदनी, मौलाना नियाज अहमद फारुकी, मौलाना मुफ्ती मुहम्मद सलमान मंसूरपूरी, मौलाना हयातुल्लाह कासमी, मौलाना कारी शौकत अली, मौलाना नदीम सिद्दीकी, मौलाना हाफिज पीर शब्बीर, मौलाना सिद्दीकी उल्ला चौधरी, मुफ्ती इफतिखर अहमद, मौलाना मुहम्मद कासिम, मौलाना मतीनउलहक उसामा, मौलाना मूइजउद्दीन, मुफ्ती जावेद इकबाल, डॉ. इस्लाम, मौलाना सैय्यद सिराजुद्दीन नदवी मुइनी अजमेरी, मुफ्ती मौ. राशिद आजमी, मौलाना अली हसन, मौलाना महबूब, मौलाना अब्दुल कादिर, कारी मो.अमीन पोकरण, मौलाना मो.इल्यास, हाजी मो.हारुन, मुफ्ती अहमद देवला, डॉ. सइदुउद्दीन, मौलाना मो. आकिल, मुफ्ती मो. अफफान, मौलाना अब्दुल कादिर जम्मू, मौलाना रहमतुल्ला मीर, मौलाना मो.याहया आसाम आदि उपस्थित थे। 
(एस.पी.मित्तल) (11-11-16)
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