Monday 15 July 2019

74 वर्षीय जैन आचार्य विद्यासागर महाराज ने मुनि सुधासागर और मुनि नियमसागर को निर्यापक श्रमण का दायित्व सौंपा।



74 वर्षीय जैन आचार्य विद्यासागर महाराज ने मुनि सुधासागर और मुनि नियमसागर को निर्यापक श्रमण का दायित्व सौंपा। विद्यासागर जी ने 52 वर्ष पहले अजमेर में ली थी दीक्षा।
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देश के दिगम्बर जैन समाज में अति सम्माननीय और पूजनीय विद्यासागर महाराज मध्यप्रदेश के देवास जिले के नेमावर स्थित सिद्धक्षेत्र सिद्धोदय में चातुर्मास कर रहे हैं। 14 जुलाई को चातुर्मास स्थापना महोत्सव में आचार्य विद्यासागर जी ने मुनि सुधासागर और मुनि नियमसागर को निर्यापक श्रमण का दायित्व सौंपने की घोषणा की। इस दायित्व के मिलने के साथ ही अब ये दोनों मुनि किसी जैन साधु-संत अथवा श्रावक की समाधि करवा सकते हैं। इतना ही नहीं संघ के साधुओं को प्रायश्चित आदि देने का अधिकार भी मिल गया है।  जैन धर्म में निर्यापक श्रमण का विशेष महत्व है। आचार्य विद्यासगर अब तक 300 से भी ज्यादा मुनि और आर्यिका को दीक्षा दे चुके हैं, लेकिन निर्यापक का दायित्व पात्र चार मुनियों को ही सौंपा गया है। कई बार श्रावक भी लम्बी बीमारी या अन्य कारणों से संथारा ग्रहण करते हैं। इसे मृत्यु का उत्सव भी कहा जाता है। श्रावक की मृत्यु बगैर कष्ट के हो जाए इसमें निर्यापक श्रमण का दायित्व निभाने वाली जैन मुनि की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्तमान में विद्यासागर महाराज जैन धर्म में अकेले ऐसे मुनिराज हैं जिनकी दीक्षा के 52 वर्ष पूरे हो गए हैं। उन्हें 1967 में अजमेर के महावीर सर्किल के निकट ही दीक्षा ग्रहण की थी। इसे एक संयोग ही कहा जाएगा कि विद्यासागर महाराज के शिष्य सुधासागर महाराज ने अजमेर में ही नारेली में अतिशय तीर्थ स्थल विकसित किया। आज नारेली तीर्थ देश में चुनिंदा जैन तीर्थ स्थलों में से एक है। इस स्थल को भव्य बनाने में आरके मार्बल ग्रुप के चेयरमैन अशोक पाटनी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। पाटनी परिवार का हर बार प्रयास होता है कि आचार्य विद्यासागर महाराज नारेली तीर्थ में आकर चातुर्मास करें। हालांकि अजमेर और नारेली में चातुर्मास को लेकर आचार्य ने कोई जवाब नहीं दिया है, लेकिन माना जा रहा है कि उचित समय पर ही आचार्य विद्यासागर अजमेर आएंगे। मुनि सुधासागर महाराज इन दिनों भीलवाड़ा के बिजौलिया में चातुर्मास कर रहे हैं। निर्यापक श्रमण का दायित्व मिलने पर मुनि सुधासागर के अनुयाइयों में उत्साह का महौल है। इस संबंध में और अधिक जानकारी मोबाइल नम्बर 9929004811 पर जैन धर्म के जानकार पदम जैन से ली जा सकती है। 
एस.पी.मित्तल) (15-07-19)
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