80 करोड़ लोगों को प्रतिमाह पांच किलो अनाज, करोड़ों किसानों के खाते में प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की नगदी, महिलाओं खास कर ग्रामीण महिलाओं के लिए घर घर शौचालय जैसी अनेक लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ बिना किसी भेदभाव के मिल रहा है, लेकिन फिर भी कुछ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खफा हैं। कुछ बुद्धिजीवियों, अभिनेताओं और अवार्ड प्राप्त करने वालों को तो भारत में रहने से ही डर लगता है। अब ऐसे लोगों को पड़ोसी देश चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका आदि देशों के हालात देखने चाहिए। कोरोना वायरस की चौथी लहर की वजह से चीन में तेजी से लॉकडाउन हो रहा है। जबकि भारत में वैक्सीन की तीसरी डोज के बाद मुंह से मास्क हटाने की भी सलाह दी जा रही है। भारत में मजबूत लोकतंत्र के कारण ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, के चंद्रशेखर राव, जगमोहन रेड्डी, अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान, अशोक गहलोत जैसे विपक्षी दलों के नेताओं अपने अपने प्रदेशों के मुख्यमंत्री हैं, जबकि पाकिस्तान में तीन अप्रैल को लोकतंत्र की हत्या हो गई। इमरान खान के नेतृत्व वाली अल्पमत सरकार का प्रस्ताव स्वीकार कर राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया। पाकिस्तान की किसी भी संवैधानिक संस्था ने बहुमत वाले विपक्ष की एक नहीं सुनी। विदेशी साजिश बताकर संसद में डिप्टी स्पीकर ने विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया। जबकि भारत की संसद में विपक्ष के लिए कारपेट बिछाया जाता है। संसद में विपक्ष के नेताओं को मोदी सरकार की आलोचना करने का पूरा अवसर दिया जाता है। लेकिन पाकिस्तान में विपक्ष की कोई परवाह नहीं की जा रही है। श्रीलंका की हालात तो जगजाहिर है। आर्थिक मोर्चे पर विफल सरकार ने आम लोगों को कुचलने के लिए इमरजेंसी के बाद कर्फ्यू लगा दिया। यानी लोग अपने घरों पर ही भूखों मर जाए। अफगानिस्तान में कट्टरपंथी तालिबान ने लोगों के मुंह से जुबान छीन ली है। लड़कियों की पढ़ाई लिखाई बंद हैं तो पुरुषों को भी इस्लाम धर्म की सभी हिदायतें मानना जरूरी है। भारत और अफगानिस्तान के मुसलमान तुलना करें लें। इसे भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति ही कहा जाएगा कि अफगानिस्तान में लोगों की जान बचाने के लिए मुफ्त अनाज भेजा गया है तथा श्रीलंका को 40 हजार टन पेट्रोल-डीजल भेजा जा रहा है। पड़ोसी देश के हालात कैसे भी हों, लेकिन भारत में करोड़ों लोग प्रतिदिन शाम को इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के क्रिकेट मैचों का मजा ले रहे हैं। हजारों लोग महंगे टिकट खरीद कर स्टेडियम भी पहुंच रहे हैं। क्लबो में लेट नाइट पार्टियां हो रही है। धार्मिक स्थलों पर जबरदस्त भीड़ है। यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद भी रूस के विदेश मंत्री भारत में प्रधानमंत्री मोदी से मिलने आए हैं।
अब्दुल्ला और मुफ्ती खानदान सबक ले:
कश्मीर के मुद्दे पर फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती का खानदान हमेशा पाकिस्तान की हिमायत करते हैं। दोनों ही खानदानों का दबाव होता है कि कश्मीर मामले पर पाकिस्तान से बात की जाए। अब इन दोनों खानदानों को पाकिस्तान के हालात देख लेने चाहिए। जिस पाकिस्तान में लोकतंत्र की हत्या हो गई हो, वह पाकिस्तान हमारे कश्मीर पर क्या कर सकता है? हालांकि अनुच्छेद 370 के समाप्त होने के बाद पाकिस्तान के हिमायती खानदानों का प्रभाव समाप्त हो गया है, लेकिन अभी पाकिस्तान के हालातों से दोनों खानदान सबक ले सकते हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-04-2022)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511
Newslaundry ki tippani regular Suna Kijiye!!!!
ReplyDelete