Saturday, 5 July 2025
डूंगरपुर में डोटासरा और रंधावा जब कांग्रेस नेताओं में बिखराव की बात कह रहे थे, तब हिंडौन में अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगा रहे थे। मुख्यमंत्री कैसा हो अशोक गहलोत जैसा हो नारे वाला वीडियो खुद गहलोत ने पोस्ट किया। डूंगरपुर के सम्मेलन में सचिन पायलट भी नदारद।
राजस्थान देश के उन कुछ प्रदेशों में से एक हैं, जहां कांग्रेस की स्थिति अपेक्षाकृत मजबूत मानी जा सकती है। मौजूदा समय में भी 200 में से 66 विधायक और 24 में से 9 सांसद कांग्रेस के हैं। श्रीमती सोनिया गांधी भी राजस्थान से ही राज्यसभा की सांसद है। चूंकि पिछले 25 वर्षों से राजस्थान में एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस की सरकार की परंपरा रही है, इसलिए राजस्थान में विपक्ष में रहते हुए कांग्रेस ज्यादा ही उत्साहित है। क्षेत्रवार कार्यकर्ता सम्मेलन भी किए जा रहे हैं। इसी के अंतर्गत चार जुलाई को आदिवासी क्षेत्र डूंगरपुर में कार्यकर्ताओं का सम्मेलन किया गया। सम्मेलन में प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि नेताओं में बिखराव के कारण कांग्रेस कमजोर हो जाती है। इन दोनों नेताओं ने किसी बड़े नेता का नाम तो नहीं लिया, लेकिन इशारा पूर्व सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट की आपसी गुटबाजी की ओर ही था। डोटासरा ने तो यहां तक कह दिया कि अब राजस्थान कांग्रेस में एक ही जूली फैक्टर रह गया है। डोटासरा ने कांग्रेस विधायक दल के नेता टीकाराम जूली की जमकर प्रशंसा की। रंधावा और डोटासरा जब बड़े नेताओं में बिखराव की बात कह रहे थे, तब करौली के हिंडौन में कांग्रेस के कार्यकर्ता हमारा मुख्यमंत्री कैसा हो, अशोक गहलोत जैसा हो के नारे लगा रहे थे। 4 जुलाई को एक सार्वजनिक समारोह में भाग लेने के लिए गहलोत हिंडौन में थे। स्वयं को मुख्यमंत्री बनाने के नारा वाला वीडियो खुद गहलोत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। समारोह में गहलोत को लेकर आकर्षण भी देखा गया। इस वीडियो को पोस्ट करने से राजस्थान में अशोक गहलोत की रणनीति को समझा जा सकता है। मौजूदा समय में गहलोत कांग्रेस में उपेक्षित चल रहे हैं। गहलोत के चालीस वर्ष के राजनीतिक सफर में संभवत: यह पहला अवसर है, जब कांग्रेस संगठन में उनके पास कोई पद नहीं है।
पायलट भी नदारद:
4 जुलाई को डूंगरपुर में कार्यकर्ताओं का जो बड़ा सम्मेलन हुआ उस में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी नदारद थे। राजस्थान में अब तक अशोक गहलोत और सचिन पायलट ही कांग्रेस के चेहरे रहे, लेकिन डूंगरपुर में हुए सम्मेलन में ये दोनों नेता मौजूद नहीं थे। गहलोत तो राजस्थान में ही सक्रिय थे। गहलोत और पायलट की गैर मौजूदगी में हुए सम्मेलन को लेकर भी कांग्रेस में कई चर्चाएं हो रही है। क्या अब राजस्थान में गहलोत और पायलट के बगैर कांग्रेस को मजबूत किए जाने की रणनीति बन रही है?
S.P.MITTAL BLOGGER (05-07-2025)
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