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Saturday, 6 December 2025
मोदी सरकार ने मुझे रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलने का अवसर नहीं दिया-राहुल गांधी। इसे कहते है गले पडऩा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा है कि वह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलना चाहते थे, लेकिन मोदी सरकार ने उन्हें पुतिन से नहीं मिलने दिया। राहुल ने कहा कि मैं लोकसभा में प्रतिपक्ष का नेता हूं और भारत आने पर विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से विपक्ष के नेताओं के मुलाकात की परंपरा रही है। राहुल गांधी का कहना रहा कि मोदी सरकार विपक्ष से डरती है, इसलिए मुझे पुतिन से नहीं मिलने दिया गया। मालूम हो कि पुतिन 4 दिसंबर को भारत आए है और 5 दिसंबर को दिन भी उनका व्यस्त कार्यक्रम है। 5 दिसंबर को ही रात को राष्ट्रपति भवन में डिनर लेने के बाद पुतिन दिल्ली से रवाना हो जाएंगे। पुतिन से न मिलने को लेकर राहुल गांधी भले ही मोदी सरकार पर आरोप लगाए, लेकिन यह प्रोटोकॉल है कि किसी राष्ट्राध्यक्ष की इच्छा पर ही संबंधित देश के नेता मिल सकते हैं। जब पुतिन ने राहुल गांधी से मिलने की इच्छा ही नहीं जताई तो फिर मोदी सरकार राहुल गांधी को पुतिन से कैसे मिलवा सकती है। सवाल यह भी है कि क्या पुतिन के आने से पहले राहुल गांधी ने रूसी दूतावास में कोई प्रस्ताव दिया? जब राहुल गांधी की ओर से पुतिन से मिलने के कोई प्रयास नहीं किए गए, तब मोदी सरकार राहुल गांधी को कैसे मिलवा सकती है। यदि पुतिन अपनी भारत यात्रा में राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताते तो मोदी सरकार को राहुल गांधी को पुतिन से मिलवाना ही पड़ता। राहुल गांधी भले ही लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता हो, लेकिन उन्हें किसी राष्ट्राध्यक्ष से मुलाकात के प्रावधानों का ही पता नहीं है, क्या राहुल गांधी यह चाहते है कि मोदी सरकार उन्हें जबरन पुतिन से मिलवाए? लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष नेता विदेशी राष्ट्राध्यक्ष से मिल सकते हैं, लेकिन राहुल गांधी को यह पता होना चाहिए कि पुतिन रूस में लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं है। पुतिन ने तो अपनी ताकत के बल पर यह भी तय करवा लिया है कि वे चाहेंगे, तब तक रूस के राष्ट्रपति रहेंगे। यानी राष्ट्रपति का पद पुतिन अपनी मर्जी से ही छोड़ेंगे।
S.P.MITTAL BLOGGER (05-12-2025)
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अजमेर के सवा सौ मंदिरों में मंगलवार-शनिवार को नियमित हो रहा है सुंदरकांड पाठ। अब ऐसे मंदिरों के पुजारियों को उपासकों का 7 दिसंबर को सम्मान। श्री हनुमत शक्ति जागरण समिति की पहल।
श्री हनुमत शक्ति जागरण समिति की पहल पर अजमेर के सवा सौ मंदिरों में मंगलवार और शनिवार को नियमित रूप से सुंदरकांड पाठ हो रहा है। समिति के अध्यक्ष आनंद प्रकाश गोयल और महामंत्री अशोक कुमार गुप्ता ने बताया कि वीर हनुमान की शक्ति घर घर तक पहुंचाने के लिए ही मंदिरों में सुंदर कांड पाठ की शुरुआत की गई। आज शहर के 125 से भी ज्यादा मंदिरों में नियमित तौर पर सुंदर कांड के पाठ हो रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग ले रहे हैं। इन सुंदरकांड के पाठ में मंदिर के पुजारियों और उपासकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। पुजारियों और उपासकों के प्रयासों को देखते हुए ही 7 दिसंबर को अजमेर के जेएलएन अस्पताल के सामने रेडक्रॉस के सभागार में सुबह 11 बजे एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया है। इस कार्यक्रम में संबंधित मंदिरों के पुजारियों और उपासकों का सम्मान किया जाएगा। इसके साथ ही एक नेत्र चिकित्सा शिविर भी लगाया जाएगा, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपनी आंखों की जांच नि:शुल्क करवा सकता है। इस शिविर में सुप्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक राजेंद्र हेड़ा और श्रीमती मधु विजयवर्गीय अपनी सेवाएं देंगी। इस अवसर पर समिति की साधारण सभा भी आयोजित की गई है। इस कार्यक्रम की ओर अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 9829383000 पर आनंद प्रकाश गोयल से ली जा सकती है।
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इंडिगो ने मोदी सरकार के साथ साथ यात्रियों को भी ब्लैकमेल किया। क्या इंडिगो जैसी लुटेरी कंपनियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है? एयरपोर्ट पर अराजकता के ऐसे माहौल में अडानी का सेवाभावी विज्ञापन क्या मायने रखता है?
देश भर के प्रमुख एयरपोर्ट पर जो अराजकता हुई उसे देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने इंडिगो को फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (एफडीटीएल) के नियमों को लागू करने के लिए आगामी तीन माह की छूट दे दी है। यानी इंडिगो अब इस नियम का उल्लंघन कर अपने विमानों का संचालन कर सकती है। सरकार ने ऐसे नियम सुरक्षित विमान यात्रा और पायलटों पर काम के बोझ को कम करने के लिए बनाए हैं। इंडिगो सहित देशभर की विमानन कंपनियों को इस नियम को दिसंबर 2024 में ही लागू करना था, लेकिन इंडिगो ने सरकार के एफडीटीएल नियम को चार दिन पहले ही लागू किया। इस नियम के लागू होते ही इंडिगो की विमान सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई। पिछले तीन दिनों में इंडिगो की दो हजार से ज्यादा उड़ानें रद्द हुई और 6 दिसंबर को भी इंडिगो ने एक हजार उड़ानें रद्द करने की घोषणा कर दी। चूंकि देश की घरेलू उड़ानों में इंडिगो की 65 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, इसलिए पिछले चार दिनों से देश के प्रमुख एयरपोर्ट पर अराजकता का माहौल हे। 5 दिसंबर को जब यात्रियों के हाहाकार की गूंज मोदी सरकार के कानों तक पहुंची तो विमानन मंत्री राममोहन नायडू ने कहा कि सरकार ने एफडीटीएल के नियमों को लागू करने के लिए इंडिगो को तीन माह की छूट दे दी है। यानी अब इंडिगो सरकार के नियमों को फरवरी 2026 तक लागू कर सकती है। जाहिर है कि मोदी सरकार को इंडिगो की ब्लैकमेलिंग का शिकार होना पड़ा है। सवाल उठता है कि जो नियम दिसंबर 2024 में लागू होने चाहिए थे, उसके लिए इंडिगो ने पिछले एक वर्ष में अतिरिक्त पायलटों की भर्ती क्यों नहीं की? साथ ही अपने विमानों की संख्या क्यों नहीं बढ़ाई? मोदी सरकार ने भी इस बात का ख्याल क्यों नहीं रखा कि समुचित तैयारी के बगैर ही इंडिगो एफडीटीएल के नियम लागू कर रही है? क्या इंडिगो जैसी ब्लैकमेलर कंपनियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है? क्या इंडिगो ने सरकार के अधिकारियों से विमर्श किए बगैर ही सुरक्षा के नियम लागू कर दिए? असल में इंडिगो के प्रबंधन को भी पता था कि जब सुरक्षा के नए नियम लागू किए जाएंगे तो हजारों उड़ानों को रद्द करना ही पड़ेगा। तब अराजकता होने पर मोदी सरकार को ब्लैकमेल किया जा सकेगा। इंडिगो ने ऐसा ही किया। अब मोदी सरकार की मजबूरी है कि वह इंडिगो के सामने सरेंडर करे। इंडिगो के मालिकों ने मोदी सरकार को ही ब्लैकमेल नहीं किया बल्कि घरेलू यात्रियों को भी लूटा है। एफडीटीएल की आड़ में जब इंडिगो ने अपनी उड़ाने रद्द कर दी, तब रद्द हुई उड़ानों के यात्रियों को ही पांच गुना अधिक में टिकट बेचे। यहां यह उल्लेखनीय है कि एफडीटीएल के नियमों की वजह से इंडिगो की कुछ उड़ानें रद्द हुई, लेकिन आधी उड़ाने जारी रही। इसे इंडिगो की लूट ही कहा जाएगा कि स्वयं की ओर से उत्पन्न समस्या का समाधान यात्रियों को लूट कर किया। इंडिगो से यह पूछने वाला कोई नहीं है कि वह सामान्य दर से पांच गुना अधिक दर क्यों वसूल रही है? इंडिगो ने यह भी प्रदर्शित कर दिया है कि भारत में यदि किसी कंपनी का एकाधिकार है तो वह सरकार और यात्रियों को ब्लैकमेल कर सकती है। चूंकि घरेलू उड़ान सेवाओं पर इंडिगो का 65 प्रतिशत तक कब्जा है, इसलिए सरकार को एक लुटेरी कंपनी के सामने झुकना पड़ा है। एयरपोर्ट पर अराजकता को देखते हुए मोदी सरकार के विमानन मंत्री नायडू ने जांच कमेटी की घोषणा की है। सवाल उठता है कि जिस सरकार ने ही इंडिगो को इतनी छूट दी है, वह सरकार अब किस बात की जांच कराएगी? देश की जनता ने इंडिगो के सामने मोदी सरकार की लाचारी देख ली है। इंडिगो के खिलाफ सरकार कोई कार्यवाही नहीं कर सकती।
विज्ञापन का क्या मतलब है:
इंडिगो की लूट के कारण जब देश के प्रमुख एयरपोर्ट पर हजारों यात्रियों की भीड़ लगी हुई है, तब न्यूज चैनलों पर अडाणी समूह का एक विज्ञापन प्रसारित हो रहा है। इस विज्ञापन में अडाणी समूह का यात्रियों के प्रति सेवा भाव प्रदर्शित किया गया है। एक बुजुर्ग दंपत्ति को अडाणी की कंपनी किस प्रकार से एयरपोर्ट पर सेवा देती है, यह इस विज्ञापन में दिखाया गया है। यानी अडाणी के सेवाभाव के कारण बुजुर्ग दंपत्ति अकेले ही विमान में यात्रा कर सकते है। मालूम हो कि देश के प्रमुख एयरपोर्ट के रखरखाव की जिम्मेदारी अडाणी समूह ने ठेके पर ले रखी है। अडाणी समूह यह दिखाना चाहता है कि उनके पास जो एयरपोर्ट है, उन पर यात्रियों का कितना ख्याल रखा जाता है, लेकिन अब एयरपोर्ट पर पैर रखने तक की जगह नहीं है, तब अडाणी समूह का यह विज्ञान क्या मायने रखता है।
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गहलोत, डोटासरा और जूली अपने अपने राजनीतिक स्वार्थों की खातिर मेरी सरकार की आलोचना कर रही है-भजनलाल शर्मा। मुख्यमंत्री ने पहली बार कांग्रेस को करारा जवाब दिया। तो अब कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया जेल जाएंगे।
आमतौर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा शांत और सरलता के साथ अपनी बात को रखते हैं। पिछले दो वर्षों में सीएम शर्मा को सार्वजनिक तौर पर गुस्से में नहीं देखा गया। अपने विरोधियों पर भी सीएम शर्मा भाषा की शालीनता बनाए रखते हैं। भजनलाल शर्मा की यह तुलना इसलिए भी की जा रही है कि राजस्थान की जनता ने कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भाषा और गुस्से को भी देखा है। गहलोत ने जहां अपनी ही पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट को नकारा, मक्कर, नालायक और धेखोबाज तक कहा वही सार्वजनिक सभा में गुस्से में माइक तक फेंक दिया। लेकिन पांच दिसंबर को श्रीगंगानगर में गंग नहर के शताब्दी समारोह में भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी थोड़ा गुस्से में देखा गया। संभवत: पिछले दो वर्षों में यह पहला अवसर रहा, जब सीएम शर्मा ने कांग्रेस के नेताओं को करारा जवाब दिया। सीएम शर्मा ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आए दिन उनकी सरकार की आलोचना इसलिए करते हैं ताकि कांग्रेस की राजनीति में उनका वजूद बना रहे। अपनी पार्टी के नेताओं से आगे निकलने की होड़ में अशोक गहलोत गलत तथ्यों पर मेरी सरकार की आलोचना कर देते है। टीकाराम जूली इसलिए आलोचना करते हैं ताकि प्रतिपक्ष के नेता का पद उनके पास बना रहे। गोविंद सिंह डोटासरा, जूली को हटाकर प्रतिपक्ष का नेता बनना चाहते है, इसलिए सरकार की आलोचना करते है। सीएम शर्मा ने कहा कि पिछले दो वर्षों में राजस्थान में तेजी से विकास किया है और बड़े फैसले किए है। जिन मामलों को कांग्रेस के शासन में लटकाए रखा, उन्हें भी हमने सुलझाया है। ईआरसीपी परियोजना की क्रियान्विति भी भाजपा के शासन में हो रही है।
तो भाया जाएंगे जेल:
5 दिसंबर को सीएम शर्मा, पूर्व सीएम गहलोत पर कुछ ज्यादा ही गुस्से में दिखे। शर्मा ने कहा कि गहलोत पूर्व में अपने एक साथी पूर्व मंत्री महेश जोशी को जेल भिजवा चुके है। अब भले ही जोशी जेल से बाहर आ गए हो, लेकिन वहीं दूसरे पूर्व मंत्रियों के जेल जाने की तैयारी हो गई है। पूर्व मंत्रियों के जेल जाने की बात से प्रतीत होता है कि अब पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के गिरफ्तार होकर जेल जाने का समय आ गया है। भाया ने हाल ही में बारां जिले की अंता विधानसभा सीट से उपचुनाव जीता है। भाजपा पर पूर्व में भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किए गए है। ये मामले तबके हैं, जब भाया गहलोत मंत्रिमंडल में खनन विभाग के मंत्री थे। उपचुनाव में प्रचार के दौरान भाजपा ने जैन के खिलाफ खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को भी उछाला था, लेकिन इसके बाद भी भाया की अंता में जीत हुई।
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संसद की तर्ज पर राजस्थान विधानसभा में बनेगा सेंट्रल हॉल। अध्यक्ष देवनानी का एक और नवाचार।
राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने पिछले दो वर्ष के कार्यकाल में विधानसभा में अनेक नवाचार किए हैं। इनमें विधानसभा में प्रत्येक विधायक की टेबल पर आईपैड लगाने से लेकर विधायकों के सवालों तक के नवाचार शामिल है। देवनानी के प्रयासों से ही विधानसभा परिसर में संग्रहालय आम लोगों के लिए खोला गया है। इन्हीं नवाचारों के अंतर्गत अब विधानसभा की पांचवीं मंजिल पर सेंट्रल हॉल बनाने का निर्णय लिया गया है। इस संबंध में देवनानी ने पांच दिसंबर को अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए हैं।अध्यक्ष देवनानी ने बताया कि सेन्ट्रल हॉल को महापुरुषों के थ्री-डी चित्रों से सुसज्जित किया जाएगा। सेन्ट्रल हॉल में राजस्थान की कला, संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व की पेन्टिंग्स भी लगाई जायेगी। हॉल का उपयोग विधान सभा सत्र काल के दौरान विधायकगण, विभागीय अधिकारी और आगन्तुक अतिथिगण की चर्चा और जलपान के लिए होगा। देवनानी ने राजस्थान विधान सभा सचिवालय और सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक में सेन्ट्रल हॉल के लिए रूपरेखा और परिकल्पना पर चर्चा की। विधान सभा भवन के पंचम तल पर बनेगा ऑडिटोरियम, विधान सभा अध्यक्ष देवनानी ने बैठक में विधानसभा भवन के पंचम तल पर ऑडिटोरियम का निर्माण कार्य आरम्भ करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। देवनानी ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत ड्रॉईंग का अवलोकन किया और इस कार्य की अनुमानित लागत व निर्माण समयावधि पर चर्चा की। देवनानी ने इस कार्य को अधिकतम एक वर्ष में पूर्ण करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए। देवनानी ने कहा कि इस ऑडिटोरियम का उपयोग युवा संसद, राष्ट्रमण्डल संसदीय संघ द्वारा आयोजित कार्यशाला, सेमिनार, बैठक और संगोष्ठियों के साथ पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के लिए किया जायेगा। श्री देवनानी ने बताया कि भविष्य में यदि विधान परिषद का निर्माण होता है तो यह ऑडिटोरियम उसके लिए उपयोग में लिया जा सकेगा। विधान सभा के ऐतिहासिक भवन की सुन्दरता बनाये रखने के होंगे निरन्तर प्रयास स्पीकर देवनानी ने कहा कि राजस्थान विधान सभा का भवन भारत के सबसे आधुनिक विधानमंडल परिसरों में से एक है। भवन के बाहरी हिस्से में राजस्थान की प्रसिद्ध पारंपरिक विशेषताओं वाले जोधपुर और बंसी पहाड़पुर पत्थर में झरोखे, छतरियां, कमानी, बारादरी, मेहराब, तोडिय़ां आदि लगी हुई हैं। आंतरिक प्रवेश कक्षों की दीवारों और छतों को भी जयपुर, शेखावाटी, मारवाड़ और मेवाड़ की पारंपरिक कलाओं से सजाया गया है। देवनानी ने कहा कि इस ऐतिहासिक धरोहर की सुन्दरता को बनाये रखने के लिए साफ-सफाई और सुरक्षा के निरन्तर प्रयास किये जाए। देवनानी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि इसके लिए निम्नतम व्यय पर पर्याप्त व्यवस्था की जावे। बैठक में विधान सभा और सार्वजनिक निर्माण विभाग के वरिष्ठ अधिकारीगण मौजूद थे।
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