Thursday 9 May 2019

अजमेर के संभागीय आयुक्त मीणा पता लगाएंगे कि सरकारी बंगले में किस आईएएस ने स्वीमिंग पूल का निर्माण करवाया।

अजमेर के संभागीय आयुक्त मीणा पता लगाएंगे कि सरकारी बंगले में किस आईएएस ने स्वीमिंग पूल का निर्माण करवाया। पार्षदों ने फिर दिया ज्ञापन।
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अजमेर के नगर निगम आयुक्त के सरकारी बंगले में स्वीमिंग पूल का निर्माण किस आईएएस ने किया है। इसका पता अब अजमेर के संभागीय आयुक्त एलएन मीणा लगाएंगे। 9 मई को भाजपा के पार्षद रमेश सोनी के नेतृत्व में पार्षदों के एक प्रतिनिधि मंडल ने मीणा से मुलाकात की। पार्षदों ने कहा कि आयुक्त के बंगले में लाखों रुपए खर्च कर जो स्वीमिंग पूल का निर्माण हुआ, उस पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारी अभियंता अशोक रंगनानी ने अपनी रिपोर्ट दे दी है। इस रिपोर्ट में यह माना है कि सर्किट हाउस के निकट बंगले का आवंटन 15 मई 2017 को नगर निगम के आयुक्त हिमांशु गुप्ता (आईएएस) को किया गया था। आवंटन के समय बंगले में स्वीमिंग पूल नहीं था। वैसे भी पीडब्ल्यूडी के बंगलों में स्वीमिंग पूल बनाने का कोई नियम नहीं है। गुप्ता को आवंटन से पहले यह बंगला दस साल तक खाली पड़ा रहा। लेकिन अब जब इस बंगले की जांच की गई तो पता चला कि स्वीमिंग पूल का निर्माण हुआ है। इस समय बंगले में निगम की मौजूदा आयुक्त सुश्री चिन्मयी गोपाल रह रही हैं। चिन्मयी पहले ही कह चुकी हैं कि उन्होंने बंगले में स्वीमिंग पूल का निर्माण नहीं करवाया है। संभागीय आयुक्त मीणा ने पार्षदों के समक्ष स्वीकार किया कि पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट प्राप्त हो गई है, लेकिन रिपोर्ट में यह नहीं बताया कि स्वीमिंग पूल का निर्माण किसने किया है। इसलिए वह स्वीमिंग पूल के निर्माण की जानकारी हासिल करेंगे। संबंधित अधिकारी का पता लगाने पर वह नियम अनुसार कार्यवाही कर सकते हैं।  पार्षदों ने मांग की है कि संबंधित आईएएस का पता लगा कर सख्त कार्यवाही की जाए क्योंकि सरकारी बंगले में रहने वाला कोई भी आईएएस अपने वेतन से लाखों रुपए का स्वीमिंग पूल नहीं बनवा सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि भ्रष्टाचार से एकत्रित की गई राशि में से स्वीमिंग पूल का निर्माण हुआ है। जिन ठेकेदारों ने सरकार की अनुमति के बिना निर्माण किया उनके विरुद्ध भी कार्यवाही होनी चाहिए। मीणा ने पार्षदों को भरोसा दिलाया कि वह इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करेंगे। उल्लेखनीय है कि निगम के पूर्व आयुक्त हिमांशु गुप्ता इस समय बाड़मेर के जिला कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। निगम के आयुक्त के पद पर रहते हुए ही गुप्ता ने 13 व्यावसायिक नक्शों का मामला राज्य सरकार को प्रेषित किया था। गुप्ता का आरोप रहा कि उनके अवकाश पर रहते समय उपायुक्त गजेन्द्र सिंह रलावता में स्वीकृति जारी करा दी। गुप्ता की शिकायत पर सरकार ने 13 नक्शों की स्वीकृति निरस्त करने व साथ रलावता को चार्टशीट थमादी है और मेयर धर्मेन्द्र गहलोत को भी दोषी मानते हुए नोटिस दिया है। 
एस.पी.मित्तल) (09-05-19)
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