Thursday 28 January 2021

400 जवानों को किसान भाइयों ने ही ट्रेक्टर चला कर जख्मी किया। 26 जनवरी से पहले जवानों को भाई कहा था।इतनी हिंसा के बाद अब किसान नेता 30 जनवरी को उपवास करेंगे।मैंने मुंह खोला तो किसान नेताओं की पोल खुल जाएगी-अभिनेता और हिंसा का आरोपी दीप सिद्धू।

26 जनवरी से पहले आंदोलनकारी किसानों के नेता लगातार कह रहे थे कि दिल्ली में तैनात पुलिस के जवान हम पर लाठी-गोली नहीं चलाएँगे, क्योंकि किसानों के परिवार के सदस्य ही पुलिस और सुरक्षा बलों में नियुक्त हैं। लेकिन जिन जवानों को भाई कहा गया उन्हीं पर 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर ट्रेक्टर चला कर जख्मी किया गया। किसान आंदोलन की आड़ में अराजकतत्वों ने जो हिंसा की उससे पुलिस के 400 जवान जख्मी हो गए। कोई जवान ट्रेक्टर की टक्कर तो कोई किसानों की लाठियों से जख्मी हुआ। अनेक जवान खाई में कूदने से जख्मी हुए। ऐसे जवानों को अपने ही भाईयों से जान बचो के लिए 20 फीट गहरी खाई में कूदना पड़ा। पुलिस के कोई 400 जवान अब दिल्ली अस्पतालों में अपना इलाज करवा रहे हैं। जवानों ने तो इस बात का ख्याल रखा कि आंदोलनकारी किसान उन्हीं के परिवार के हैं, लेकिन अराजकतत्वों ने अपने ही भाइयों को जख्मी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सवाल उठता है कि किसान नेताओं का वह वायदा कहां गया जिसमें जवानों को भाई कहा था? किसान नेता अश्वस्त थे कि सरकार के आदेश के बाद भी पुलिस वाले उन पर लाठी गोलियां नहीं चलाएंगे। किसान नेताओं की उम्मीद पर पुलिस के जवान तो खरे उतरे, लेकिन अराजकतत्वों ने जवानों को पिटने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिन किसान नेताओं की वजह से हमारे 400 जवान जख्मी हुए, अब वे ही किसान नेता 30 जनवरी को उपवास कर रहे हैं। सब जानते हैं कि 30 जनवरी को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्य तिथि मनाई जाती है। आखिर इस दिन उपवास रख कर किसान नेता क्या संदेश देना चाहते हैं? क्या देश की राजधानी दिल्ली में अराजकता फैलाने में अब भी कोई कसर रह गई है? और फिर किस बात का उपवास? किसान नेताओं के भड़काऊ वीडियो अब सामने आ गए हैं, इसलिए पुलिस ने किसान संयुक्त मोर्चे से जुड़े नेता राकेश टिकैत, योगेन्द्र यादव, दर्शन पाल सिंह, बलदेव सिंह, सतनाम सिंह पन्नू, हरनाम सिंह चढूनी आदि के विरुद्ध हिंसा फैलाने का मुकदमा दर्ज कर लिया है। किसान नेता माने या नहीं, लेकिन पिछले दो माह से किसानों के नाम पर चल रहा आंदोलन अब अपनी प्रतिष्ठा खो चुका है। दिल्ली का जो लाल किला देश के सम्मान का प्रतीक है उस लाल किले पर जिस तरह हुड़दंग और हिंसा की गई, उसे कभी भी माफ नहीं किया जा सकता।  जिस लाल किले पर देश का राष्ट्रीय ध्वज लहरता है, उस स्थान पर अपना झंडा लहरा कर कुछ अपनी पीठ थपथपा रहे हों, लेकिन इस घटना को कभी देशहित में नहीं माना जा सकता। आखिर ऐसा कौन सा झंडा है जो देश के राष्ट्रीय ध्वज से ज्यादा महत्वपूर्ण है? किसान नेताओं को करना था वो उन्होंने कर दिया, लेकिन अब इस मामले में पंजाबी फिल्मों के अभिनेता दीप सिद्धू का चौंकाने वाला बयान सामने आया है। दीप सिद्धू पर 26 जनवरी को दिल्ली में हिंसा फैलने का आरोप है, लेकिन सिद्धू का कहना है कि यदि उन्होंने अपना मुंह खोला तो किसान नेताओं की पोल खुल जाएगी। सवाल उठता है कि दीप सिद्धू के पास ऐसे कौन से राज हैं, जिनसे किसान नेताओं की पोल खुलेगी? 26 जनवरी से पहले दीप सिद्धू किसान नेताओं के चाहते थे। 26 जनवरी को ट्रेक्टर मार्च की योजना बनाने में सिद्धू भी शामिल थे। इसलिए सिद्धू को सब पता है कि किस नेता ने कौनसा षडय़ंत्र किया है। अच्छा हो कि दीप सिद्धू पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर किसान नेताओं की साजिश के बारे में बताएं। 
S.P.MITTAL BLOGGER (28-01-2021)
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