उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष मार्च माह में विधानसभा के चुनाव होने हैं। यानी अब मुश्किल से 8 माह शेष रहे हैं। इसलिए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव का महत्व माना गया। परिणाम बताते हैं कि 75 सीटों में 66 पर भाजपा के जिलाध्यक्ष बने हैं। जबकि समाजवादी पार्टी को 5 सीटों पर ही सफलता मिली है। चार पर अन्य छोटे दल विजयी हुए हैं। परिणाम बताते हैं कि बसपा की सुप्रीमो मायावती के लिए पहला दुश्मन भाजपा नहीं है। सपा को मात देने के लिए बसपा, भाजपा की जीत करवा सकती है। मायावती ने जिला पंचायत के अध्यक्ष के चुनाव में जब भाग न लेने की घोषणा की तभी यह तय हो गया था कि भाजपा की एक तरफा जीत होगी। जब बसपा के सदस्यों को वोट देने की छूट दे दी गई तो उन्होंने भाजपा को जिताने में भूमिका निभाई। बसपा के सदस्य किस तरह वोट देते हैं यह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अच्छी तरह जानते हैं। गहलोत ने गत वर्ष ही राजस्थान में बसपा के सभी 6 विधायकों को कांग्रेसी बना दिया। बसपा के विधायक जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को टिकाए रख सकते हैं तो यूपी में जिला पंचायत के चुनाव में भाजपा को जीत क्यों नहीं दिलवा सकते? बसपा ने अपनी कुर्बानी देकर भाजपा को जीत दिलाई है। विधानसभा चुनाव में भी बसपा का निशाना सपा पर ही है, बसपा भले ही चुनाव हार जाए, लेकिन सपा को सत्ता में नहीं आने देगी। बसपा के इस रुख से यूपी में विधानसभा के चुनाव बेहद रोचक होंगे। विधानसभा का पिछला चुनाव सपा और बसपा ने मिल कर लड़ा था, लेकिन फिर भी भाजपा को नहीं हरा सके। चुनाव के बाद मायावती ने आरोप लगाया कि हमारे बहुजन समाज के लोगों ने तो सपा उम्मीदवारों को वोट दिए, लेकिन सपा वाले मतदाताओं ने बसपा के उम्मीदवारों को वोट नहीं दिए। इस बार बसपा अकेले ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। इसलिए माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के लिए यह चुनाव मुश्किलों भरा होगा।
प्रियंका की मेहनत बेकार?:
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अपना दल, जनसत्ता दल, रालोद जैसे छोटे छोटे दलों ने भी एक एक सीट जीती है, लेकिन गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिली है। सब जानते हैं कि गांधी परिवार की प्रमुख सदस्य और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी गत तीन वर्षों से यूपी में सक्रिय हैं। कई बार तो वे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी ज्यादा सक्रिय नजर आईं। प्रियंका ने कभी गंगा नदी की यात्रा नाव से की तो कभी जनसमस्याओं को लेकर धरना प्रदर्शन किया। मौसम चाहे कैसा भी रहा हो, लेकिन मेहनत करने में प्रियंका ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन इसके बावजूद भी यूपी की 75 जिला पंचायतों में कांग्रेस को एक में भी बहुमत नहीं मिल सका। इससे कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या प्रियंका गांधी की मेहनत बेकार हो गई है? हाल के पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। पिछले कई वर्षों की तरह यूपी में कांग्रेस चौथे पांचवें नंबर की पार्टी बनी हुई है।
प्रियंका की मेहनत बेकार?:
जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में अपना दल, जनसत्ता दल, रालोद जैसे छोटे छोटे दलों ने भी एक एक सीट जीती है, लेकिन गांधी परिवार के नेतृत्व वाली कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिली है। सब जानते हैं कि गांधी परिवार की प्रमुख सदस्य और पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी गत तीन वर्षों से यूपी में सक्रिय हैं। कई बार तो वे सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी ज्यादा सक्रिय नजर आईं। प्रियंका ने कभी गंगा नदी की यात्रा नाव से की तो कभी जनसमस्याओं को लेकर धरना प्रदर्शन किया। मौसम चाहे कैसा भी रहा हो, लेकिन मेहनत करने में प्रियंका ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन इसके बावजूद भी यूपी की 75 जिला पंचायतों में कांग्रेस को एक में भी बहुमत नहीं मिल सका। इससे कांग्रेस की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए यह सवाल उठता है कि क्या प्रियंका गांधी की मेहनत बेकार हो गई है? हाल के पश्चिम बंगाल के चुनाव में भी कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली। पिछले कई वर्षों की तरह यूपी में कांग्रेस चौथे पांचवें नंबर की पार्टी बनी हुई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (04-07-2021)
Website- www.spmittal.in
Facebook Page- www.facebook.com/SPMittalblog
Follow me on Twitter- https://twitter.com/spmittalblogger?s=11
Blog- spmittal.blogspot.com
To Add in WhatsApp Group- 9799123137
To Contact- 9829071511
No comments:
Post a Comment