कांग्रेस ने प्रस्ताव किया है कि विपक्ष के इंडी एलायंस का संयोजक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बनाया जाए। इस प्रस्ताव को लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली आरजेडी ने हाथों हाथ लिया है, क्योंकि नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय राजनीति में चले जाने से लालू के बेटे और वर्तमान में उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री बनने का अवसर मिल जाएगा। लालू भी चाहते हैं कि उनके जीते जी तेजस्वी यादव सीएम की कुर्सी पर बैठ जाएं। सब जानते हैं कि बिहार में कांग्रेस के समर्थन से गठबंधन की सरकार चल रही है। एक और बिहार जैसे प्रदेश का मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बनाने का काम हो रहा है तो दूसरी ओर लालू के नेतृत्व वाली आरजेडी के विधायक फतेह बहादुर कुशवाहा ने एक जनवरी को ही कहा है कि मंदिर मानसिक गुलामी के प्रतीक है। कुशवाहा ने अयोध्या में बने राम मंदिर को भी सनातन धर्म का पाखंड बताया। इतना ही नहीं कुशवाहा ने अमर्यादित टिप्पणी करते हुए मां सरस्वती को विद्या की देवी मानने से भी इंकार कर दिया। कांग्रेस के समर्थन से तेजस्वी यादव भले ही बिहार के मुख्यमंत्री बने, लेकिन सवाल उठता है कि आरजेडी के विधायक सनातन धर्म को गालियां क्यों दे रहे हैं? शायद ही कोई यादव होगा जिसकी आस्था सनातन धर्म में न हो। यादव समुदाय को तो भगवान कृष्ण का वंशज माना गया है। लेकिन इसे अफसोसनाक ही कहा जाएगा कि विधायक कुशवाहा के बयान पर अखिलेश यादव, लालू प्रसाद यादव और स्वयं तेजस्वी यादव चुप हैं। यहां तक कि आरजेडी को समर्थन देने वाली कांग्रेस भी चुप है। सवाल यह भी है कि सिर्फ सनातन धर्म की परंपराओं को लेकर ही आलोचना क्यों की जाती है? क्या किसी नेता में मुस्लिम, ईसाई या अन्य किसी धर्म की परंपराओं की आलोचना करने की हिम्मत है? यदि किसी अन्य धर्म की जरा सी भी आलोचना हो जाए तो ऐसे राजनेता का सर तन से जुदा हो जाएगा। चूंकि सनातन धर्म की आलोचना पर कोई हिंसक प्रतिक्रिया नहीं होती इसलिए विद्या की देवी सरस्वती पर अमर्यादित टिप्पणी करने की हिम्मत की जाती है। इससे पहले तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पुत्र उदयनिधि स्टालिन ने भी सनातन धर्म को खत्म करने की बात कही थी। स्टालिन की पार्टी डीएमके के साथ भी कांग्रेस का गठबंधन है। कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष को एकजुट कर भाजपा को हराना चाहती है। इसके लिए कांग्रेस को सनातन धर्म में आस्था रखने वाले मतदाताओं के वोट चाहिए। लेकिन सवाल उठता है कि जब सनातन धर्म को गालियां बकने वालों के साथ कांग्रेस खड़ी है तो फिर वोट कैसे मिलेंगे। जैसे जैसे अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह की 22 जनवरी की तिथि नजदीक आ रही है, वैसे वैसे सनातन धर्म पर हमला तेज हो रहा है। कांग्रेस के कुछ नेता भी मंदिर निर्माण को लेकर अमर्यादित टिप्पणी कर रहे हैं। जबकि 22 जनवरी को पूरे देश में दीपावली पर्व जैसा माहौल बनाने की तैयारियां हो रही है। भाजपा और उसके नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी आस्था के साथ राम के साथ खड़े हैं। प्राण प्रतिष्ठा के समारोह में भी मोदी ही मुख्य अतिथि होंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस और उसके सहयोगी दल देश के लोगों का मुद्दा भापने में विफल है। कांग्रेस माने या नहीं लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने में अयोध्या के राम मंदिर की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
S.P.MITTAL BLOGGER (02-01-2024)
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