14 मार्च को राजस्थान में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बड़े गर्व से कहा कि उनके प्रभारी बनने के बाद कांग्रेस संगठन में कोई अनुशासनहीनता नहीं हो रही है। मंत्री, विधायक और बड़े नेता एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी नहीं कर रहे हैं। रंधावा के इस बयान को चौबीस घंटे भी नहीं हुए कि कांग्रेस की तेज तर्रार युवा विधायक दिव्या मदेरणा का नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के विरुद्ध दिया गया बयान सामने आ गया। दिव्या ने यह बयान किसी समारोह में नहीं बल्कि विधानसभा में दिया जो विधानसभा की कार्यवाही में दर्ज हो गया। दिव्या ने कहा कि धारीवाल उधार के मंत्री और कांग्रेस को छह माह बाद विधानसभा के चुनावों में जाना है। अपने विधानसभा क्षेत्र की 44 सड़कों की स्वीकृति रद्द करने की कार्यवाही से खफा दिव्या ने कहा कि मैं द्रौपदी नहीं जो चीर हरण के समय मदद के लिए अन्य व्यक्ति को बुलाऊं। मैं खुद मुकाबला करने के लिए सक्षम हंू। यदि मैं धरने पर बैठ गई तो मुझे कोई नहीं उठा सकता। दिव्या ने कहा कि सरकार ने वीरांगनाओं को तो आधी रात को हाथ पकड़ कर धरने से उठा दिया, लेकिन कोई मेरे हाथ लगाकर तो देखे। दिव्या ने धारीवाल के उस बयान की भी निंदा की जिसमें वीरांगनाओं के नाते (दूसरा विवाह) चले जाने की बात कही थी। दिव्या ने कहा कि धारीवाल ने ऐसा बयान देकर जाट, मीणा और गुर्जर जाति का अपमान किया है, जबकि ये जातियां कांग्रेस की समर्थक है। दिव्या ने धारीवाल पर वीरांगनाओं का चरित्र हनन करने का भी आरोप लगाया। सब जानते हैं कि मंत्रिमंडल में धारीवाल की दूसरे नंबर की स्थिति है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बाद धारीवाल की ही वरिष्ठता है। गत 25 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की समानांतर बैठक भी धारीवाल के सरकारी निवास पर ही हुई थी। ऐसे दिव्या का बयान बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जब कांग्रेस की एक महिला विधायक ही अपनी ही सरकार के मंत्री पर इतने गंभीर आरोप लगा रही है तब प्रदेश प्रभारी रंधावा किस अनुशासन की बात कर रहे हैं? जानकारों की मानें तो दिव्या के बयान के पीछे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की शह बताई जाती है। डोटासरा और धारीवाल के बीच भी पहले विवाद हो चुका है। धारीवाल जहां स्वयं को गहलोत मंत्रिमंडल का सबसे ताकतवर मंत्री मानते हैं, वहीं डोटासरा स्वयं को संगठन का मुखिया। धारीवाल ने वीरांगनाओं को लेकर जो गैर जिम्मेदाराना बयान दिया, उससे कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता भी सहमत नहीं है। चूंकि धारीवाल की टिप्पणी एक जाट समुदाय की वीरांगना पर थीं। इसलिए दिव्या मदेरणा ने कुछ ज्यादा ही नाराजगी दिखाई। दिव्या के बयान को प्रभारी रंधावा किस नजरिए से लेते हैं, यह तो वे ही जाने, लेकिन दिव्या की निर्भीकता की चर्चा सब जगह हो रही है।
S.P.MITTAL BLOGGER (16-03-2023)
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