राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हर कीमत पर अगला विधानसभा चुनाव जीतना चाहते हैं। इसीलिए 19 हजार करोड़ की मुफ्त मोबाइल, प्रतिमाह 309 करोड़ की रसोई गैस सिलेंडर सब्सिडी, 3 हजार करोड़ की मुफ्त फूड पैकेट, 222 करोड़ के टेबलेट, घरेलू उपभोक्ताओं को 100 और कृषि उपभोक्ताओं को 2 हजार यूनिट बिजली फ्री जैसी अनेक घोषणाएं की है। इन घोषणाओं का लाभ देने के लिए महंगाई राहत शिविर भी लगाए गए हैं। करोड़ों लोगों ने शिविरों में पहुंच कर रजिस्ट्रेशन भी करवाया है। खुद सीएम गहलोत ने जिला स्तर पर जाकर शिविरों का जायजा लिया है। हजारों करोड़ रुपए बांटने के बाद भी सीएम गहलोत को लगता है कि जीत पक्की नहीं हुई है, इसलिए अब प्रदेश भर में पचास हजार युवाओं को महात्मा गांधी सेवा प्रेरक के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। इन प्रेरकों को प्रतिमाह साढ़े चार हजार रुपए मानदेय दिया जाएगा। यह भर्ती एक वर्ष के लिए है, इसलिए 270 करोड़ रुपए खर्च होंगे। चयन होने वाले प्रेरक घर घर जाकर महात्मा गांधी के शांति अहिंसा के संदेश के साथ साथ राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी भी देंगे। सीएम गहलोत माने या नहीं, लेकिन यह योजना चुनाव से ठीक पहले युवाओं को प्रतिमाह चार हजार पांच सौ रुपए बांटने की है। पचास हजार युवाओं पर कितना असर होगा, यह चुनाव के परिणाम ही बताएंगे। अलबत्ता 21 से 50 वर्ष की उम्र वाले 12वीं पास युवा आवेदन कर सकते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में उपखंड अधिकारी और शहरी क्षेत्र में भर्ती का अधिकार कलेक्टर को दिया गया है। ऐसी नियुक्तियां ग्राम पंचायत और शहरी क्षेत्र में वार्ड स्तर पर होगी। यानी मुफ्त की योजनाओं के लिए भी 270 करोड़ मुफ्त में बांटे जा रहे हैँ। सीएम गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि वे जादू से पैसा लाएंगे। युवा प्रेरकों की भर्ती की घोषणा से कांग्रेस के कार्यकर्ता बेहद खुश है। क्योंकि उन्हें ही सेवा का अवसर मिलेगा।
शपथ पत्र:
सेवा प्रेरकों के पद पर साथ महात्मा गांधी का नाम जुड़ा हुआ है, इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि उन्हीं युवाओं की भर्ती करे जो शराब न पीते हों। आवेदन के साथ ही शराब न पीने का शपथ पत्र लिया जाए। यदि शराब पीने वाले युवा को सेवा प्रेरक बनाया गया तो वह महात्मा गांधी का संदेश घर घर तक कैसे पहुंचाएगा? सीएम गहलोत स्वयं को गांधीवादी मानते हैं। उन्हें भी पता है कि महात्मा गांधी अपने जीवन काल में शराब के कितना खिलाफ थे। महात्मा गांधी का कहना था कि शराब की कमाई से मुझे स्कूल चलानी पड़े तो मैं स्कूल को बंद करना पसंद करुंगा। स्वाभाविक है कि शराब का सेवन करने वाला युवा महात्मा गांधी के संदेश का प्रेरक नहीं हो सकता। यदि सीएम गहलोत शराब पीने का शपथ पत्र नहीं ले सकते हैं तो सेवा प्रेरकों के नाम से पहले महात्मा गांधी शब्द हटाना चाहिए।
दारा का कार्टून:
राजस्थान में सीएम गहलोत द्वारा मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं पर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने एक सटीक कार्टून बनाया है। इस कार्टून को मेरे फेसबुक पेजwww.facebook.com/SPMittalblog पर देखा जा सकता है। कार्टूनिस्ट दारा का नजरिया है कि आने वाले दिनों में राज्य सरकार की ओर से परीक्षाओं के प्रश्न पत्र भी परीक्षा से पूर्व नि:शुल्क दिए जा सकते हैं। इस कार्टून के लिए मोबाइल नंबर 9828054045 पर जसवंत दारा की हौसला अफजाई की जा सकती है।
शपथ पत्र:
सेवा प्रेरकों के पद पर साथ महात्मा गांधी का नाम जुड़ा हुआ है, इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि उन्हीं युवाओं की भर्ती करे जो शराब न पीते हों। आवेदन के साथ ही शराब न पीने का शपथ पत्र लिया जाए। यदि शराब पीने वाले युवा को सेवा प्रेरक बनाया गया तो वह महात्मा गांधी का संदेश घर घर तक कैसे पहुंचाएगा? सीएम गहलोत स्वयं को गांधीवादी मानते हैं। उन्हें भी पता है कि महात्मा गांधी अपने जीवन काल में शराब के कितना खिलाफ थे। महात्मा गांधी का कहना था कि शराब की कमाई से मुझे स्कूल चलानी पड़े तो मैं स्कूल को बंद करना पसंद करुंगा। स्वाभाविक है कि शराब का सेवन करने वाला युवा महात्मा गांधी के संदेश का प्रेरक नहीं हो सकता। यदि सीएम गहलोत शराब पीने का शपथ पत्र नहीं ले सकते हैं तो सेवा प्रेरकों के नाम से पहले महात्मा गांधी शब्द हटाना चाहिए।
दारा का कार्टून:
राजस्थान में सीएम गहलोत द्वारा मुफ्त में दी जा रही सुविधाओं पर कार्टूनिस्ट जसवंत दारा ने एक सटीक कार्टून बनाया है। इस कार्टून को मेरे फेसबुक पेजwww.facebook.com/
S.P.MITTAL BLOGGER (21-06-2023)
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