भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हाल ही की अमेरिका यात्रा की पूरे विश्व में प्रशंसा हो रही है। खुद अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी मोदी की यात्रा को ऐतिहासिक बताया है, लेकिन वहीं अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को मोदी की सफलता रास नहीं आई है। ओबामा ने कहा है कि यदि मुझे मिलने का अवसर मिलता तो मैं मोदी के समक्ष भारत के अल्पसंख्यकों की हिफाजत का जिक्र करता। ओबामा का यह बयान वैसा ही है जैसा भारत के विपक्षी दलों के नेताओं का होता है। मुस्लिम मतदाताओं के दम पर राज्यों में सत्ता का सुख भोग रहे नेताओं को भी मुसलमानों की चिंता सताती है। ऐसे नेता राज्यों के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन मुसलमानों के साथ भेदभाव के लिए मोदी को जिम्मेदार ठहराते हैं। बराक ओबामा के बयान का मुस्लिम देश मिस्र ने ही मुंह तोड़ जवाब दिया है। पीएम मोदी 4 दिन की अमेरिकी यात्रा के बाद 24 जून को मुस्लिम देश मिस्र की दो दिवसीय यात्रा पर रहे। मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल सीसी ने मोदी को अपने देश के सर्वोच्च सम्मान आर्डर ऑफ द नाइल से सम्मानित किया है। भारत में यदि अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं होते तो मुस्लिम देश मिस्र पीएम मोदी को अपना सर्वोच्च सम्मान नहीं देता। मिस्र भी मानता है की भारत में रहने वाला मुसलमान दुनिया के किसी भी मुस्लिम देश में रहने वाले मुसलमानों से ज्यादा सम्मान और सुरक्षा के साथ रह रहे हैं। पीएम मोदी का इस्लाम के प्रति मान सम्मान है, इसलिए मिस्र के दौरे के दौरान 11 वीं सदी की ऐतिहासिक मस्जिद अल हाकिम का जायजा भी लिया। मोदी ने इस्लाम की परंपरा के अनुरूप मस्जिद के बारे में जानकारी ली। सवाल यह भी है कि बराक ओबामा को भारत के अल्पसंख्यकों की इतनी ही चिंता है तो उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति पद पर रहते हुए इस मुद्दे को मोदी के समक्ष क्यों नहीं उठाया? वर्ष 2014 में मोदी पहली बार प्रधानमंत्री बने तब अमेरिका में बराक ओबामा ही राष्ट्रपति थे। तब अपने भारत दौरे में ओबामा ने मोदी को अपना सबसे अच्छा मित्र बताया था। भारत के नागरिकों को वह दृश्य आज भी याद है। जब दिल्ली में ओबामा और मोदी एक दूसरे के हाथ पर हाथ धरकर बैठे थे। क्योंकि ओबामा उम्र में मोदी से छोटे हैं, इसलिए मोदी ने अपने संबोधन में मित्र ओबामा ही कहा। अच्छा होता है कि ओबामा अपने कार्यकाल में मोदी के समक्ष भारत के अल्पसंख्यकों की हिफाजत का मुद्दा उठाते। यह भारत में मोदी की लोकप्रियता ही है कि पिछले 9 वर्षों में अमेरिका में 3 राष्ट्रपति बदल गए और मोदी लगातार प्रधानमंत्री बने हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि बराक ओबामा को अब अपनी ही डेमोक्रेटिक पार्टी पर भरोसा नहीं है। मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन डेमोक्रेटिक पार्टी के ही सदस्य हैं। ओबामा जब राष्ट्रपति थे तब जो बाइडेन अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे, लेकिन इन दिनों बराक ओबामा अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी में पीछे धकेल दिए गए हैं। जब पूरे अमेरिका में मोदी के दौरे की प्रशंसा हो रही है, तब भारत के अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाकर ओबामा अमेरिका की राजनीति में बने रहना चाहते हैं। शायद ओबामा अमेरिका पर हुए आतंकी हमले को भी भूल गए हैं।
S.P.MITTAL BLOGGER (26-06-2023)
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