इसी वर्ष अप्रैल माह में जब उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश अतीक अहमद और उसके भाई की पुलिस सुरक्षा में सरेआम हत्या की गई तो माना गया कि उत्तर प्रदेश के बदमाश बहुत खतरनाक हैं। तब यूपी पुलिस को भी बुरा भला कहा गया। अतीक अहमद की मददगार समाजवादी पार्टी ने तो हत्या के लिए सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहरा दिया। लेकिन 12 जुलाई को राजस्थान के बदमाशों ने उत्तर प्रदेश के बदमाशों को पीछे छोड़ दिया। भरतपुर के भाजपा नेता कृपाल जघीना की हत्या के आरोपी कुलदीप जघीना और विजयपाल को जब रोडवेज की बस में जयपुर से भरतपुर लाया जा रहा था, तभी भरतपुर पर चार पांच बदमाशों ने बस को रोका और तड़ातड़ गोलियां चला कर कुलदीप को मौत के घाट उतार दिया। कुलदीप का साथी विजयपाल बुरी तरह घायल हो गया। उत्तर प्रदेश से भी होशियार राजस्थान के बदमाशों ने बस में गोलियां चलाने से पहले पुलिस जीप में सवार सशस्त्र पुलिस कर्मियों की आंखों में मिर्च डाल दी। इसे बदमाशों का शातिराना अंदाज और राजस्थान पुलिस का बचपना भी कहा जाएगा कि सभी पुलिसकर्मी की आंखों में एक साथ मिर्च पहुंच गई, जबकि पुलिस जीप रोडवेज बस को सुरक्षा देने के लिए ही थी। जिस पुलिस को सतर्क होना था, वह आंखों में मिर्च डलवाने में सफल रही। राजस्थान के बदमाशों ने पुलिस को एक साथ दो मोर्चों पर पीटा। पहले पुलिस जीप में बैठे जवानों की आंखों में मिर्च डाली और रोडवेज की बस में घुस कर गोलियां चलाईं। बस में भी दो आरोपियों के साथ चार पुलिस वाले थे। अतीक अहमद और उसके भाई को तीन बदमाशों ने अस्पताल परिसर में मारा, जबकि राजस्थान के बदमाशों ने पुलिस को पीटते हुए गोलियां चलाईं। राजस्थान पुलिस तो स्वयं को देश की सबसे बहादुर पुलिस मानती है, लेकिन इस बहादुरी पर अब बदमाशों ने प्रश्न चिह्न लगा दिया है। पुलिस सुरक्षा में जब किसी व्यक्ति की हत्या होती है, तब पूरे सिस्टम पर सवाल उठते हैं। यहां पुलिस की इंटेलिजेंस भी फेल रही है। बदमाश पुलिस को दो मोर्चों पर पीटने का प्लान बनाते रहे और पुलिस सोती रही। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो गृहमंत्री भी है, माने या नहीं लेकिन राजस्थान पुलिस का ज्यादा ध्यान सरकार को बचाने में है। पुलिस इस बात की सूचनाएं एकत्रित करने में लगी रहती है कि विधायक खास तौर से कांग्रेस के विधायक क्या कर रहे हैं। 200 विधायकों की सूचनाएं एकत्रित करने के कारण पुलिस को बदमाशों पर नकेल कसने का समय ही नहीं मिल रहा। कांग्रेस में राजनीतिक संकट के समय पुलिस की भूमिका जगजाहिर रही। जिन पुलिस अफसरों ने विधायकों की सूचनाएं एकत्रित करवाई, उन्हें सीएम गहलोत द्वारा इनाम भी दिए जा चुके हैं। पुलिस का ध्यान अपराधों पर नियंत्रण पाने के बजाए, राजनेताओं खास कर सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं को खुश करने में रहता है, जब नेताओं की सिफारिश से जिले के एसपी तक नियुक्त होंगे, तब तक पुलिस कर्मियों की आंखों में मिर्च डालती रहेगी। इस मामले में भी किसी भी पुलिस कर्मी पर कोई कार्यवाही नहीं होगी, क्योंकि आंखों में मिर्ची तो ऊपर डली हुई है।
S.P.MITTAL BLOGGER (13-07-2023)
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