राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेश भर में महंगाई राहत शिविर लगा कर यह दर्शाने की कोशिश की है कि केंद्र की मोदी सरकार ने जो महंगाई कर रखी है, उसमें हम 500 रुपए में गैस सिलेंडर 100 यूनिट बिजली फ्री, मोबाइल फ्री देकर राहत प्रदान कर रहे हैं। शिविरों में मुफ्त की चीजें लेने आए व्यक्तियों का रजिस्ट्रेशन करवा कर सीएम ने कहा कि करोड़ों लोग मोदी सरकार से नाराज हैं। गहलोत के महंगाई राहत वाले प्रयासों का जवाब अब पेट्रोल पंप संचालकों की हड़ताल से दिया जा रहा है। इस हड़ताल के माध्यम से यह बताने की कोशिश की गई है कि प्रदेश में महंगाई के लिए अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार जिम्मेदार है। गहलोत सरकार पेट्रोल पर 31 और डीजल पर 19 प्रतिशत वेट वसूल रही है। यानी एक लीटर पेट्रोल पर 33 रुपए और डीजल पर 19 रुपए गहलोत सरकार को मिलते हैं। यह वेट राजस्थान में सबसे ज्यादा है। सीएम गहलोत पेट्रोल डीजल पर सर्वाधिक वसूली कर लोगों को मुफ्त चीजें बांट रहे हैं। पंप संचालकों की हड़ताल से अब आम लोगों को पता हो गया है कि गहलोत सरकार पेट्रोल डीजल पर कितना वेट वसूल रही है। पंप संचालकों की एसोसिएशन का कहना है कि गहलोत को यदि महंगाई से राहत दिलाता है तो पंजाब और गुजरात की तरह पेट्रोल डीजल पर वेट लगाए। इन राज्यों में वेट कम है, इसलिए महंगाई से राहत है। केंद्र सरकार तो देश भर में समान रूप से एक्साइज ड्यूटी वसूलती है। राज्य अपने अपने हिसाब से वेट वसूलते हैं। जब पंजाब और गुजरात की सरकार वेट कम कर सकती हैं, तब राजस्थान में वेट क्यों नहीं घटाया जाता?
सरकार का डंडा तैयार:
पेट्रोल पंप संचालकों की हड़ताल तुड़वाने के लिए गहलोत सरकार का डंडा तैयार है। जिला कलेक्टरों ने 14 सितंबर की रात से ही पंप संचालकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि पंप संचालकों की एसोसिएशन ने 15 सितंबर से बेमियादी हड़ताल की घोषणा की है, लेकिन 15 सितंबर को देखा गया कि जयपुर,जोधपुर,कोटा,गंगानगर आदि में कई संचालकों ने अपने पेट्रोल पंप से बिक्री शुरू कर दी। ऐसे पंप संचालकों का कहना है कि यह निर्णय जनहित में लिया गया है। सब जानते हैं कि पेट्रोल पंप केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली तेल कंपनियों के होते हैं। कई पंप तो सीधे कंपनी द्वारा संचालित होते हैं तथा शेष पंप डीलरशिप के आधार पर संचालित होते हैं। पेट्रोल पंपों पर राज्य सरकार का भी नियंत्रण होता है। यही वजह है कि जिला कलेक्टरों के माध्यम से पंप संचालकों की हड़ताल को प्रभावहीन किया जा रहा है।
S.P.MITTAL BLOGGER (15-09-2023)
सरकार का डंडा तैयार:
पेट्रोल पंप संचालकों की हड़ताल तुड़वाने के लिए गहलोत सरकार का डंडा तैयार है। जिला कलेक्टरों ने 14 सितंबर की रात से ही पंप संचालकों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। हालांकि पंप संचालकों की एसोसिएशन ने 15 सितंबर से बेमियादी हड़ताल की घोषणा की है, लेकिन 15 सितंबर को देखा गया कि जयपुर,जोधपुर,कोटा,गंगानगर आदि में कई संचालकों ने अपने पेट्रोल पंप से बिक्री शुरू कर दी। ऐसे पंप संचालकों का कहना है कि यह निर्णय जनहित में लिया गया है। सब जानते हैं कि पेट्रोल पंप केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाली तेल कंपनियों के होते हैं। कई पंप तो सीधे कंपनी द्वारा संचालित होते हैं तथा शेष पंप डीलरशिप के आधार पर संचालित होते हैं। पेट्रोल पंपों पर राज्य सरकार का भी नियंत्रण होता है। यही वजह है कि जिला कलेक्टरों के माध्यम से पंप संचालकों की हड़ताल को प्रभावहीन किया जा रहा है।
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